कैसे निभाएं जब पत्नी ज्यादा कमाए

पत्नी कमाऊ और पति बेरोजगार ऐसे उदाहरण पहले बहुत कम मिलते थे, मगर पिछले 10-12 सालों में ऐसे उदाहरणों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में आपसी तालमेल बैठाना मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि अब कमाऊ बहू को मानसम्मान और अधिकार देने के साथसाथ उस के साथ तालमेल बैठाने की भी शुरुआत की जाए. पति को भी पत्नी से तालमेल बैठा कर चलना चाहिए तभी गृहस्थी की गाड़ी चल सकेगी. मेरठ की रहने वाली नेहा की शादी उस के ही सहपाठी प्रदीप से हुई. शादी के समय से ही दोनों एकसाथ जौब के लिए कई कंपीटिशनों में एकसाथ बैठ रहे थे. मगर प्रदीप किसी भी कंपीटिशन में कामयाब नहीं हुआ, पर नेहा ने एक कंपीटिशन पास कर लिया. वह सरकारी विभाग में औफिसर नियुक्त हो गई. प्रदीप ने इस के बाद भी कई प्रयास किए पर जौब नहीं मिल सकी. इस के बाद उस ने अपना बिजनैस शुरू किया.

शादी के कुछ साल तक दोनों के बीच तालमेल बना रहा पर फिर धीरधीरे आपस में तनाव रहने लगा. नेहा की जो शानशौकत और रुतबा समाज में था वह प्रदीप को खटकने लगा. वह हीनभावना से ग्रस्त रहने लगा. यही हीनभावना उन के बीच दरार डालने लगी. धीरधीरे उन के बीच संबंध बिगड़ने लगे. नतीजा यह हुआ कि 4 साल में ही शादी टूट गई. सर्विस में गैरबराबरी होने से पतिपत्नी के बीच अलगाव के मामले अधिक बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 10 सालों का बदलाव देखें तो पता चलता है कि लड़कों से अधिक लड़कियों ने शिक्षा से ले कर रोजगार तक में अपनी धाक जमाई है. किसी भी परीक्षा के नतीजे देख लें सब से अधिक लड़कियां ही अच्छे नंबरों से पास हो रही हैं.

पहले शादी के बाद लड़कियों को नौकरी छोड़ने के लिए कहा जाता था. सरकारी नौकरियों में बड़ी सुविधाओं के चलते अब शादी के बाद कोई लड़की अपनी सरकारी नौकरी नहीं छोड़ती. अब उन मामलों में तनाव बढ़ रहा है जहां पत्नी अच्छी सरकारी नौकरी कर रही है पर पति किसी प्राइवेट जौब में है.

बड़ी वजह है सामाजिक बदलाव

पहले बहुत कम मामलों में लड़कियां शादी के बाद जौब करती थीं. अब बहुत कम मामलों में लड़कियां शादी के बाद जौब छोड़ती हैं. इस का सब से बड़ा कारण लोगों की सामाजिक सोच का बदलना है. अब शादी के बाद महिला काम करे इसे ले कर किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता. शहरों में रहना, बच्चों को पढ़ाना और सामाजिक रहनसहन के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में पति ही नहीं उस का पूरा परिवार चाहता है कि पत्नी भी जौब करे. केवल सर्विस के मामले में ही नहीं, बिजनैस के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है.

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राहुल प्राइवेट बैंक में काम करता है. उस की सैलरी अच्छी है. बावजूद इस के उस ने अपनी पत्नी को अपनी पसंद का ब्यूटी बिजनैस करने की अनुमति दे दी. राहुल की पत्नी संध्या ने एक ब्यूटीपार्लर की फ्रैंचाइजी ले ली. इस में पैसा तो था ही, साथ ही सामाजिक दायरा भी बढ़ा. अब राहुल से अधिक संध्या को लोग जानने लगे थे. बिजनैस में सफल होने के बाद संध्या की पर्सनैलिटी में भी बहुत बदलाव आ गया. नातेरिश्तेदारी में पहले जो लोग उस के काम का मजाक उड़ाते थे वही अब उस की तारीफ करते नहीं थकते हैं. पति की सैलरी से ज्यादा संध्या अपने यहां काम करने वालों को वेतन देने लगी है. वह कहती है, ‘‘10 साल पहले मैं ने जब इस बिजनैस को शुरू किया था तब घरपरिवार और नातेरिश्तेदार यह सोचते थे कि मैं ने टाइमपास के लिए काम शुरू किया है. कई लोग सोचते थे कि पति के वेतन से मदद ले कर मैं काम कर रही हूं. मगर जब कुछ ही सालों के अंदर मेरे काम की तारीफ होने लगी तो सब को यकीन हो गया.

‘‘अब वही लोग मेरा परिचय देते हुए गर्व से कहते हैं कि मैं उन की बहू हूं. पति भी मजाकमजाक में कह देते हैं कि मेरे से ज्यादा लोग तुम्हें जानते हैं.’’ महिलाएं पहले भी काम करती थीं, पर तब उन के सामने काम करने के अवसर कम थे. उन में खुद पर भरोसा नहीं होता था. समाज का भी पूरा सहयोग नहीं मिलता था. ऐसे में उन में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता था. ज्यादातर संयुक्त परिवार होते थे, जिस से महिला की कमाई पर उस का अधिकार कम ही होता था. मगर अब ऐसा नहीं है. यह बचत किया पैसा महिला में आत्मविश्वास पैदा करता है. इस आत्मविश्वास से ही सही माने में महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है. वे अपने फैसले खुद लेने लगी हैं. इस से उन की अलग पहचान बन रही है.

35 साल की रीना बताती है, ‘‘मुझे केकपेस्ट्री बनाने का शौक बचपन से था. जो भी खाता खूब तारीफ करता था. मैं शादी से पहले प्राइवेट जौब करती थी. शादी के बाद वह छूट गई. कुछ सालों के बाद मैं ने दोबारा अपना काम शुरू करने की योजना बनाई. मेरे पति ने कहा कि जौब कर लो पर मैं ने कहा कि नहीं अब केकपेस्ट्री बनाने का काम करूंगी. पति को यह काम अच्छा नहीं लगा. ‘‘मैं ने मेहनत से काम किया और फिर 3 सालों में ही मेरे बनाए केक शहर के लोगों की पहली पसंद बन गए. मेरे पास अब काफी स्टाफ है. मैं शहर में बिजनैस वूमन बन गई हूं. लोग मेरी खूब तारीफ करते हैं. पति को भी अब लगता है कि मेरा फैसला सही था.’’ इन बदलावों को देखते हुए लड़कियों को पढ़ाने के लिए परिवार पूरी मेहनत करने लगे हैं. 12वीं कक्षा के बाद की पढ़ाई के लिए कालेज, नर्सिंग स्कूल, इंजीनियरिंग कालेज सभी कुछ खुलने लगे हैं. जहां पर स्कूल नहीं हैं वहां की लड़कियां पढ़ाई करने दूर के स्कूलों में जाने लगी हैं. कई मांबाप ऐसे भी हैं जो पढ़ाई के लिए मकान तक बेचने या किराए पर देने लगे हैं. बड़े शहरों में चलने वाली कोचिंग संस्थाओं को देखें तो बात समझी जा सकती है. पढ़ाई और नौकरी के जरीए सही माने में महिलाओं का सशक्तीकरण होने लगा है. यह सच है कि बदलाव की बयार धीरेधीरे बढ़ रही है.

पति को करना होगा समझौता एक समय था जब शादी के बाद केवल लड़कियों को समझौता करना होता था. पत्नी घर में चौकाचूल्हा करती थी और पति नौकरी करता था. अब हालात बदल गए हैं. इस तरह के समझौते अब पतियों को करने पड़ रहे हैं. जब पत्नी से दिनभर नौकरी करने के बाद घर में पहले की तरह काम करने की अपेक्षा की जाती है तो वहां विवाद खड़े होने लगते हैं. इन विवादों से बचने के लिए पति को समझौता करना होगा. उसे पत्नी का हाथ बंटाना चाहिए.

जिन परिवारों में ऐसे बदलाव हो रहे हैं वहां हालात अच्छे हैं. जहां पतिपत्नी आपसी विवाद में उलझ रहे हैं वहां मामले झगड़ों में बदल रहे हैं. पतिपत्नी के बीच तनाव बढ़ रहा है. बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में हाल के कुछ सालों में शिक्षक के रूप में पुरुषों से अधिक महिलाओं को नौकरी मिली है. ऐसे में पति अपनी पत्नी को स्कूल में नौकरी करने जाने के लिए खुद मोटरसाइकिल से छोड़ने जाता है. शहरों में रहने वाली लड़कियां अब सरकारी नौकरी के चक्कर में गावों के स्कूलों में पढ़ाने जा रही हैं. स्कूल का काम खत्म कर के वे शहर वापस आ रही हैं.

पत्नी दोहरी जिम्मेदारी उठाने लगी है. ऐसे में उस का तनाव बढ़ने लगा है. अब अगर पति, परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो विवाद बढ़ जाता है. पहले शादी के समय दहेज ही नहीं, शक्लसूरत को ले कर भी सासससुर कई बार नाकभौंहें सिकोड़ते थे. मगर अब ऐसा नहीं है. लड़की सरकारी नौकरी कर रही है, तो उस में लोग समझौता करने लगे हैं. यही नहीं अब लड़की भी ऐसे ही किसी लड़के के साथ शादी नहीं करती. वह भी देखती है कि लड़का उस के लायक है या नहीं.

कई बार तो शादी तय होने के बाद भी लड़की ने अपनी तरफ से शादी तोड़ने का फैसला किया है. समय के इस बदलाव ने समाज और परिवार में लड़की को अपर हैंड के रूप में स्वीकारना शुरू कर दिया है. यहीं से पतिपत्नी के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हो जाती हैं. कानपुर में एक पति ने पत्नी की हत्या कर दी. मामला यह था कि पत्नी विधि विभाग में अधिकारी थी और पति साधारण वकील. पति को लगता था कि पत्नी उस के साथ सही तरह से व्यवहार नहीं कर रही. वह खुद को बड़ा अधिकारी समझती है. ऐसे में दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दोनों ने अलगअलग रहना शुरू कर दिया. फिर परिवार के दबाव में साथ रहने लगे. मगर यह साथ बहुत दिनों तक नहीं चला. ऐसे में दोनों के बीच तनाव बढ़ा और मसला हत्या तक पहुंच गया. पति फिलहाल जेल में है.

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शिक्षा और स्वास्थ्य में बढ़े अवसर

पहले लड़कियों के लिए केवल नर्स और बैंकिंग के क्षेत्र में ही अवसर थे. पिछले 10-12 सालों में लड़कियों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकारी नौकरियों के बहुत विकल्प आए हैं. इन में कम पढ़ीलिखी महिलाओं से ले कर अधिक शिक्षित महिलाएं तक शामिल हैं. गांवों में जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली ‘आशा बहू’ के रूप में नौकरी मिली, वहीं शहरों में नर्स के रूप में काम करने के बहुत अवसर आए. शिक्षा विभाग में शिक्षा मित्र से ले कर सहायक अध्यापक तक के क्षेत्र में महिलाओं को सब से अधिक जौब्स मिलीं.

शादी से पहले प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का काम लड़कियां पहले भी करती थीं. कई दूसरी तरह की निजी नौकरियां भी करती थीं. शादी के बाद किसी न किसी वजह को ले कर उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता था. सरकारी विभाग में नौकरी पाने वाली महिलाओं को शादी के बाद भी नौकरी छोड़ने के लिए कोई मजबूर नहीं करता है. सरकारी नौकरी में तबादला एक मुश्किल काम होता है. उत्तर प्रदेश में बहुत सारी लड़कियां इस का शिकार हैं. उन की ससुराल और नौकरी वाली जगह में बहुत दूरी है. ऐसे में वे दोनों जगहों को नहीं संभाल पा रही हैं. बड़े पैमाने पर सरकार पर दबाव पड़ रहा है कि लड़कियों को उन की मनचाही जगह तबादला दिया जाए. कई टीचर्स को तो 50 किलोमीटर से ले कर 150 किलोमीटर तक रोज का सफर तय करना पड़ता है.

सरकारी नौकरी में मिलने वाली सुविधाओं के चलते सरकारी नौकरी वाली बहू का मान बढ़ गया है. जरूरत इस बात की है कि पतिपत्नी के बीच तालमेल बना रहे. पतिपत्नी वैवाहिक जीवन के 2 पहिए हैं. ये साथ चलेंगे तो जीवन की गाड़ी तेजी से दौड़ेगी. अगर इन के बीच कोई फर्क होगा तो जीवन सही नहीं चलेगा.

पत्नी को डांट कर नहीं तर्क से मनाएं

आज यशी बहुत अपसेट थी. उसे मयंक का चिल्लाना नागवार गुजरा था. सुबहसुबह उसे डांट कर मयंक तो चला गया मगर यशी का पूरा दिन बर्बाद हो गया. न तो उसे किसी काम में मन लगा और न ही उस ने किसी के साथ बात की. वह चुपचाप अपने कमरे में बैठी आंसू बहाती रही.

शाम को जब मयंक ऑफिस से लौटा तो यशी की सूजी हुई आंखें उस के दिल का सारा दर्द बयां कर रही थी. यशी की यह हालत देख कर मयंक का दिल भी तड़प उठा. उस ने यशी से बात करनी चाही और उस का हाथ पकड़ कर पास में बिठाया तो वह हाथ झटक कर वहां से चली गई. रात में मयंक ने बुझे मन से खाना खाया. उधर मयंक के मांबाप भी अपने कमरे में कैद रहे.

रात में जब यशी कमरे में आई तो मयंक ने कहा,” यशी बस एक बार मेरी बात तो सुन लो.”

यशी ने एक नजर उस की तरफ देखा और फिर चुपचाप नजरें फेर कर वहीं पास में बैठ गई.

मयंक ने समझाने के अंदाज में कहा,” देखो यशी मैं मानता हूं कि मुझ से गलती हुई है. सुबह जब तुम ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने की अपनी इच्छा जाहिर की तो मैं ने साफ मना कर दिया. तुम ने अपना पक्ष रखना चाहा और मैं तुम्हें डांट कर चला गया. यह गलत हुआ. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. अब मैं चाहता हूं कि हम इस विषय पर फिर से चर्चा करें. यशी पहले तुम अपनी बात कहो प्लीज.”

” मुझे जो कहना था कह चुकी और उस का जवाब भी मिल गया,” नाराजगी के साथ यशी ने कहा.

“देखो यशी ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें आगे बढ़ते देखना नहीं चाहता या फिर मुझे यह पता नहीं है कि तुम्हें फैशन डिजाइनिंग का कितना शौक है. ”

“फिर तुम ने साफसाफ मना क्यों कर दिया मुझे ?” यशी ने सवाल किया.

” देखो यशी मेरे न कहने की वजह केवल यही है कि अभी कोर्स करने का यह सही समय नहीं है.”

” लेकिन मयंक सही समय कब आएगा ? बाद में तो मैं घरगृहस्थी में और भी फंस जाऊंगी न.” यशी ने पूछा.

” लेकिन यशी तुम यह मत भूलो कि अभी बड़ी भाभी प्रेग्नेंट है और भाभी की अपनी मां भी जिंदा नहीं है. ऐसे में मेरी मां को ही उन्हें संभालने जाना होगा. नए बच्चे के आने पर बहुत सी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. भाभी अकेली वह सब संभाल नहीं पाएंगी. इसलिए मम्मी को कुछ महीने उन के यहां रहना पड़ सकता है.”

” हां यह तो मैं ने सोचा नहीं.”

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मयंक ने आगे समझाया,” देखो यशी हम दोनों को भी अब बेबी प्लान करना है. हमारी उम्र इतनी है कि अभी बेबी के आने का सब से अच्छा समय है”

” हाँ वह तो है.” शरमाते हुए यशी ने हामी भरी.

” फिर सोचो यशी अभी तुम्हारे पास कोई नया कोर्स ज्वाइन करने का वक्त कहां है ? भाभी की डिलीवरी के बाद जब मां यहां नहीं रहेंगी तो तुम अकेली सब कुछ कैसे संभालोगी ? तुम अपनी पढ़ाई को उतना समय नहीं दे पाओगी जितना जरूरी है. फिर जब तुम खुद प्रेग्नेंट रहोगी तब भी पढ़ाई के साथ सब कुछ संभालना बहुत मुश्किल होगा.”

” तो क्या मैं यह सपना कभी पूरा नहीं कर पाऊंगी?”

“ऐसा नहीं है यशी. फैशन डिजाइनिंग कोर्स तो कभी भी किया जा सकता है. ऐसा तो है नहीं कि तुम्हारी उम्र निकल जाएगी. चारपांच साल घरगृहस्थी को देने के बाद फिर आराम से कोर्स करना और डिज़ाइनर बन जाना. तब तक बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाएगा तो मां उसे आराम से संभाल लेंगी. तब निश्चिंत हो कर तुम यह पढ़ाई कर सकोगी. तब तक घर में रह कर ही अपने हुनर को निखारने का प्रयास करो. नएनए एक्सपेरिमेंट्स करो और डिजाइनर कपड़े तैयार करो. तुम्हारा एक आधार भी बन जाएगा और मन का काम भी कर सकोगी.”

यह सब सुनने के बाद अचानक यशी मयंक के गले लगती हुई बोली,” सॉरी मयंक मैं तुम्हें समझ नहीं पाई. तुम्हारा कहना सही है. मैं ऐसा ही करूंगी.”

अब जरा इस घटना पर गौर करें. मयंक यदि अपनी पत्नी यशी को इस तरह समय रहते समझाता नहीं और तर्क के साथ अपनी बात न रखता तो पतिपत्नी के बीच का तनाव लंबे समय तक यूं ही कायम रहता. धीरेधीरे इस तरह के छोटेछोटे तनाव ही रिश्तों में बड़ी दरारें पैदा करती हैं.

जरूरी है कि पति अपनी पत्नी को डांटने के बजाय तर्क से समझाने का प्रयास करें. इस से पत्नी बात अच्छी तरह समझ भी जाएगी और उसे बुरा भी नहीं लगेगा. घर भी लड़ाई का अखाड़ा बनने से बच जाएगा.

पतियों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी विषय पर जब पत्नी के साथ आप सहमत नहीं है तो उन्हें दूसरों के आगे डांटने चुप कराने या खुद मुंह फुला लेने से बेहतर है कि ऐसी नौबत ही न आने दें. यदि पत्नी किसी बात पर नाराज हो भी गई है तो झगड़े को लंबा खींचने के बजाय पतिपत्नी आपस में बात करें और तर्क के साथ अपना पक्ष रखें. पत्नी को भी बोलने का मौका दें कुछ इस तरह——-

1. सब से पहले अपनी व्यस्त दिनचर्या में से थोड़ा फ्री समय निकालें. इस वक्त न तो आप का मोबाइल पास में हो और न ही लैपटॉप. केवल आप हों और आप की पत्नी.

2. अब अपनी पत्नी के पास बैठें. डांट कर नहीं बल्कि शांति और प्यार से बातचीत की पहल करें.
जब भी पत्नी को मनाने की शुरुआत करें तो सब से पहले पत्नी को बोलने का मौका दें. शांत दिमाग से उस की पूरी बात सुनें. फिर अपनी बात सामने रखें. बात करते समय पुराने अनुभवों और मजबूत तर्कों का सहारा ले.

3. पत्नी कुछ विरोध करे तो तुरंत उस की बात काट कर अपनी बात थोपें नहीं बल्कि उस की बात गौर से सुने और फिर पुराने अनुभवों की याद दिला कर अपनी बात समझाने का प्रयास करें.

4. हर बात के 2 पक्ष होते हैं. पत्नी के सामने दोनों पक्ष रखें और फिर तर्क से साबित करें कि क्या उचित है.

5. अपना तर्क पुख्ता करने के लिए किसी तीसरे की जरूरत हो तभी तीसरे को बुलाएं. वरना आपस में ही समझदारी से अपने झगड़े सुलझाने का प्रयास करें.

6. इस सारी बातचीत के दौरान अपनी टोन पर खास ध्यान रखें. किसी भी बात पर जोर से न बोले. हमेशा आराम से और प्यार से बात करें.

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7. यदि कभी आप को लगे कि वाकई पत्नी सही है, उस के तर्क भारी पड़ रहे हैं तो पत्नी की बात मानने से हिचकिचाएं नहीं. जरूरी नहीं कि हमेशा आप ही सही हों. कई बार पत्नी भी सही हो सकती है.

याद रखें

आप अपनी पत्नी को जीवनसाथी बना कर लाए हैं. वह आप की अर्धांगिनी है. उस की इज्जत का ख्याल रखना आप का दायित्व है.

आप जिस माहौल में पलेबढ़े हैं उसी अनुरूप किसी चीज को देखने का आप का नजरिया विकसित होगा. मगर आप को अपनी बीवी की सोच और तर्कों को भी तरजीह देनी चाहिए. महिलाएं भी तर्कसंगत बातें कर सकती हैं. उन्हें अपने तर्क रखने का मौका दें.

आप को पत्नी के साथ पूरा जीवन गुजारना है. उसे डिप्रेशन का मरीज न बनाएं. डांटने पर उसे लगेगा कि आप प्यार नहीं करते. इस से तनाव बढ़ेगा. यदि आप उस की भी कुछ बातें मान लेंगे तो आप की सेल्फ रिस्पैक्ट में कोई कमी नहीं आ जाएगी.

बेवफा पति: जब रंगे हाथ पकड़े पत्नी

हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. इस वीडियो में एक महिला अपने पति को रंगे हाथों दूसरी के साथ पकड़ लेती है और फिर उस का जो रिएक्शन होता है वह देखने लायक है.

दरअसल उस महिला को शक था कि उस के पति का किसी के साथ अफेयर चल रहा है. इस वजह से उस ने अपने पति की गाड़ी का पीछा किया और मुंबई के पेडर रोड पर पति की रेंज रोवर गाड़ी को रोक दिया. गाड़ी में पति के साथ उस की प्रेमिका बैठी हुई थी. यह दृश्य देख कर महिला आपे से बाहर हो गई. अपनी गाड़ी पति की कार के आगे लगा कर वह पागलों की तरह चीखनेचिल्लाने लगी. गाड़ी के शीशे पीटने लगी. वह कार के बोनट पर चढ़ गई और जूते से कार के शीशे पर मारने लगी.

उस की इन हरकतों का अंजाम यह हुआ कि सड़क पर अच्छाखासा जाम लग गया. महिला का पति जब बाहर निकला तो महिला ने उस पर हमला कर दिया. मारपीट की नौबत आ गई. सड़क पर तमाशा बनता देख वहां मौजूद ट्रैफिक पुलिस ने चालान काटा और गाड़ी के साथ उन तीनों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया. शांति भंग करने के लिए महिला को तलब किया गया.

इस सारी वारदात में गलती किस की है? पति को इस तरह तमाशा बन कर क्या मिला और उस महिला को भी बाद में अपनी इस वीडियो को देख कर क्या शर्म नहीं आ रही होगी?

सच तो यह है कि पति और पत्नी का रिश्ता बहुत ही निजी और कोमल होता है. आप अपने संबंधों की हकीकत सड़क पर लाएंगे तो तमाशा आप का ही बनेगा. सच यह भी है कि कोई भी महिला अपने पति को दूसरी औरत के साथ देखना बर्दाश्त नहीं कर सकती.

सालोंसाल जिस रिश्ते को उस ने अपना सब कुछ दिया, जो पति रोज उस के पास आता है, हमबिस्तर होता है और प्यार की बातें करता है, जिस पति और बच्चों के लिए उस महिला ने अपने शरीर और सुंदरता की चिंता छोड़ दी, जिस घर को सजाने में वह दिनरात लगी रहती है. यदि अचानक वही पति बेवफा निकले, घर छूटता हुआ और रिश्ता टूटता हुआ दिखे तो महिला की मानसिक स्थिति कैसी होगी इस की कल्पना कोई भी कर सकता है.

क्या बीतता है महिला के मन पर

सोशल वर्कर और साइकोलॉजिस्ट अनुजा कपूर कहती हैं कि जब स्त्री अपने पति को रंगे हाथों पकड़ती है तो सब से पहले तो एक अधूरापन उस के दिलोदिमाग पर हावी हो जाता है. वह सोचती है कि आखिर ऐसी क्या कमी रह गई थी जो पति को दूसरी की जरूरत पड़ गई.

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पति के साथ गुजारे हुए पुराने लम्हे उस के जेहन में उभरने लगते हैं. उसे याद आते हैं वे पल जब वह पति की बाहों में समा कर दुनिया जान भूल जाया करती थी. अब उसी पति की यादें उसे डंक की तरह चुभने लगती है.

महिला को भविष्य की चिंता भी सताने लगती है. घर टूटता हुआ दिखता है. बच्चे का भविष्य डगमगाता नजर आता है. उसे महसूस होता है जैसे वह पति के लिए महत्वपूर्ण नहीं रह गई. एक दूसरी औरत बन गई है. उस का आत्मविश्वास टूटने लगता है. असुरक्षा की भावना घर करने लगती है.

वह आगे की बात भी सोचती है कि उसे क्या फैसला लेना चाहिए. क्या वह तलाक लेगी? क्या अब उसे भी लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौर से गुजरना पड़ेगा? उस की आर्थिक जरूरतें कैसे पूरी होंगी? यदि उस ने तलाक नहीं लिया तो क्या वह घरेलू हिंसा का शिकार बन जाएगी?

क्यों आती है यह परिस्थिति

कभी कभी महिला इस स्थिति के लिए खुद ही जिम्मेदार होती है. वह पति को जीवनसाथी कम और ड्राइवर, पैसे कमाने की मशीन या सेक्स ऑब्जेक्ट अधिक समझने लगती है. कई बार स्त्री की कुछ कमियां जैसे अधिक बोलना, गंदा रहना या फिर बेवकूफी वाली हरकतें करना और चौकेचूल्हे में सिमटे रहने की आदत पति के मन में विरक्ति पैदा करती है. ऐसे में दूसरी औरतों की तरफ उस का रुझान बढ़ जाता है.

यही नहीं पुरुषों को जब अपनी पत्नी में सेक्स अपील, खूबसूरती या कंफर्ट जोन की कमी दिखती है तो वे दूसरी औरतों की तरफ आकर्षित होते हैं. वे दूसरी औरत में अपनी महबूबा, हमराज या दोस्त तलाशते हैं.

नतीजा सुखद नहीं होता

दूसरी औरत की तरफ आगे बढ़ने वाले पुरुषों को खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ते हैं. कभी न कभी असलियत पत्नी और परिवार वालों के आगे खुल ही जाती है. इस तरह पुरुष अपने ही घर में आग लगा लेते हैं. अपनी गृहस्थी जला बैठते हैं. मांबाप, रिश्तेदार और दोस्तों के आगे एक तरह से नंगे हो जाते हैं. अपने ही बच्चों की नजरों में गिर जाते हैं. दूसरी स्त्री उसे संभाल लेगी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती. वे कानूनी प्रक्रिया के मकड़जाल में उलझ कर रह जाते हैं. मैंटेनेंस और कंपनसेशन के तौर पर एक लंबीचौड़ी रकम से हाथ धो बैठते हैं.

एक पुरुष जब पत्नी की कमी दूसरी औरतों से पूरा करने का प्रयास करता है तो दूसरी औरत के साथ बेशर्मी और नंगापन भी विरासत या दहेज़ के रूप में उस के जीवन में प्रवेश करते हैं. जब कोई पुरुष अपनी लक्ष्मण रेखा पार करता है तो एक तूफान आता है और हमेशा के लिए उस की जिंदगी में सन्नाटा पसर जाता है. उसे इस अवैध रिश्ते को खुद के आगे, मांबाप के आगे, जज और बच्चों के आगे जस्टिफाई करना पड़ता है.

स्पाइस ऑफ मैरिड लाइफ

दरअसल पुरुष की जिंदगी में दूसरी औरत तब आती है जब उस की जिंदगी से मैरिड लाइफ में मौजूद स्पाइस खत्म हो जाता है. यानी पतिपत्नी के रिश्ते के बीच में आकर्षण और चार्म नहीं रह जाता. पुरुष इसी स्पाइस को बाहर ढूंढने लगता है और जब वह इस कोशिश में अपनी लक्ष्मण रेखा लांघता है तो फिर दोबारा लौट कर नहीं आ पाता. एक बार बेवफाई साबित हो जाने पर स्त्री दोबारा पति पर विश्वास नहीं कर पाती. रिश्ते में जो दरार आती है वह दोबारा भर नहीं पाती.

स्त्री को लगता है कि जिस पुरुष के लिए उस ने इतना कुछ किया, अपना शरीर, जवानी ,करियर, वक्त सबकुछ दांव पर लगा दिया वही पति अब खूबसूरती और जवानी की तलाश में दूसरों के पास जा रहा है. यह जो थप्पड़ महिला के मुंह पर पड़ता है वह उसे बर्दाश्त नहीं कर पाती और डिप्रेशन में चली जाती है. सुसाइड तक करने की नौबत आ जाती है.

कुछ भी हासिल नहीं होता

ऐसी घटनाओं के बाद घर टूट जाते हैं. दुनिया में तमाशा बन जाता है. पतिपत्नी दोनों के ही जीवन से सुख, शांति और सुकून पूरी तरह गायब हो जाते हैं. बच्चों का भविष्य अधर में लटक कर रह जाता है.

बुढ़ापे में अकेलापन

बेवफाई का असली खामियाजा बाहर मुंह मारने वाले साथी को साठ साल की उम्र के बाद झेलना पड़ सकता है. इस उम्र में इंसान का शरीर थकने लगता है. ऐसे में पैसे या शारीरिक सुख के आधार पर बनाए गए रिश्ते काम नहीं आते. इस वक्त इंसान को सच्चे साथी और हमदर्द की जरूरत होती है और सच्चा साथी पत्नी से बढ़ कर कोई नहीं हो सकता. मगर बेवफा पुरुष के पास पत्नी नहीं होती. बच्चे भी मुंह मोड़ चुके होते हैं. इस वक्त कोई उस के साथ नहीं होता और उसे अकेलापन सालने लगता है. पश्चाताप की भावना मुखर हो उठती है. ऐसे में उस के ऊपर यह कहावत सटीक बैठती है , अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत..

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समय रहते करें चिंतन

ऐसे हालात लाने से बेहतर है कि पुरुष यह समझे कि यदि यही काम उस की पत्नी करती तो क्या वह उसे बर्दाश्त कर पाता?पुरुष को चाहिए कि यदि उसे पत्नी में कोई कमी दिख रही है तो ऐसी बात सीधा अपनी पत्नी से कहे. परिवार वालों से सलाह ले. मैरिज काउंसलर के पास जाए. न कि उस कमी की पूर्ति बाहर करने का प्रयास करें.

समस्या कोई भी हो पहले उसे सुलझाने का प्रयास करना चाहिए

पुरुषों को यह समझना पड़ेगा कि बेवफाई का रास्ता बहुत गंदा और नंगा है जिस पर चल कर कुछ हासिल नहीं होता. इसी तरह स्त्री को भी ध्यान में रखना चाहिए कि वह बच्चों, चौकाचूल्हा और गृहस्थी में इतनी व्यस्त न हो जाए कि पति को भुला बैठे.

पति की जरूरतों का भी ख़याल रखें. खुद को हमेशा फिट और स्मार्ट बनाएरखने का प्रयास करें. पति की महबूबा बनें न कि मजबूरी. साफ़ सुथरी, स्मार्ट महिलाएं सब को पसंद आती हैं. लटकीझटकी बहनजी टाइप की महिला न बनें. अपने ऊपर भी ध्यान दें और अपनी रोमांटिक लाइफ पर भी काम करती रहें.

बीवी कोई रसोइया नहीं

आज आधुनिक शिक्षा स्त्री एवं पुरुष को एकजैसी योग्यता और हुनर प्रदान करती है. दोनों घर से बाहर काम पर जाते हैं, एकसाथ मिल कर घर चलाते हैं पर जब बात खाना बनाने की होती है तो आमतौर पर किचन में घर की महिला ही खाना बनाती है जबकि खाना बनाना सिर्फ महिलाओं का ही एकाधिकार नहीं है बल्कि एक जरूरत है.

यह महिलाओं के अंदर ममता एवं सेवा की एक अभिव्यक्ति जरूर है और जिस का कोई अन्य विकल्प नहीं, पर यह विडंबना ही है कि आज भी हमारे समाज में एक औरत से ही यह उम्मीद की जाती है कि रसोई में वही खाना बना सकती है और यही उस का दायित्व है.

औरत का काम सिर्फ खाना बनाना नहीं

एक मशहूर कहावत है कि पैर की मोच और छोटी सोच आदमी को आगे नहीं बढ़ने देती. यह किसी पुरुष पर उंगली उठाने की बात नहीं है, बल्कि समाज की उस सोच की बात है जो यह मानती रही है कि आदमी का काम है पैसा कमाना और औरत तो घर का काम करने के लिए ही बनी है.

जमाना काफी बदल गया है पर आज भी इस सोच वाले बहुत हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गर्व से कहते हैं कि वे घर के काम में अपनी मां या पत्नी की सहायता करते हैं, लेकिन इस सोच वाले पुरुषों की संख्या बेहद कम है.

‘केवल पत्नी ही किचन के लिए बनी है, पति नहीं’ ऐसी सोच रखने का कारण क्या है और यह भारतीय समाज की ही सोच क्यों बन कर रह गई?

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एक कारण तो यही है कि सदियों से महिलाओं को भारतीय समाज में चारदीवारी के अंदर रहना सिखाया गया है. ऐसा नहीं है कि इस मामले में बदलाव की हवा नहीं चली. कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो इस गुलामी की मानसिकता से आजाद हो चुकी हैं पर उन की गिनती उंगलियों पर गिनने लायक है.

महिलाओं और किचन के बीच उन के काम, समाज में उन की स्थिति, उन के शौक, उन की रूचि, घर का वातावरण और रीतिरिवाजों से ले कर बाजार तक बहुत कुछ आ जाता है. इन सब के चक्कर में वे खुद को ही भूलने सी लगती हैं.

मशीनी जिंदगी और…

जैसे शुक्रवार शाम से ही अंजलि भी कुछ रिलैक्स करने के मूड में आ गई. बच्चे रिंकी व मोनू और उस के पति विकास आजकल घर से ही औनलाइन काम कर रहे थे. बच्चों की औनलाइन क्लासेज रहतीं पर उस के काम बहुत बढ़ गए थे.

लौकडाउन के चलते कामवाली भी नहीं आ रही थी. सब घर पर ही थे. मगर इधर फरमाइशें कभी खत्म ही न होती थीं.

उस का भी मन हो आया कि वैसे तो तीनों सुबह 8 बजे अपनेअपने काम पर बैठ जाते हैं और वह पूरे सप्ताह ही भागदौड़ में लगी रहती है मगर अब उस का मन भी हो गया कि स्कूल और औफिस की छुट्टी है तो वह भी कुछ आराम करेगी. उसे भी अपने रूटीन में कुछ बदलाव तो लगे. वही मशीनी जिंदगी… कुछ तो छुटकारा मिले.

इतने में विकास और बच्चे भी उस के पास आ कर बैठ गए. बच्चों ने कहा,”मम्मी, देखो अनु ने फोन से अपनी मम्मी की कुकिंग की पिक्स भेजी हैं. उस की मम्मी ने पिज्जा  और कटलैट्स बनाए हैं. आप भी कल जरूर बनाना.‘’

”मैं तो थोड़ा आराम करने की सोच रही हूं, कुकिंग तो चलती ही रहती है. थोड़ा स्किन केयर की सोच रही थी, ब्यूटी पार्लर्स बंद हैं. कल थोड़ी केयर अपनेआप ही करती हूं. मन हो रहा है कुछ खुद पर ध्यान देने का.”

विकास ने कहा ,”अरे छोड़ो, ठीक तो लग रही हो तुम. बस, वीकेंड पर बढ़ियाबढ़िया चीजें बनाओ.”

अंजलि का मन बुझ गया. घर के ढेरों कामों के साथ किसी की कोई सहायता नहीं. बस फरमाइशें. उसे बड़ी कोफ्त हुई. वह चुप रही तो विकास ने कहा,”अरे, इतना बङा मुंह बनाने की बात नहीं है. लो, मेरे फोन में देखो, अनिल की बीवी ने आज क्या बनाया है…”

बच्चे चौंक गए,”पापा, हमें भी दिखाओ…”

विकास ने अपने फोन में उन्हें रसमलाई की फोटो दिखाई तो बच्चों के साथ विकास भी शुरू हो गए,”अब तुम भी कल बना ही लो. बाजार से तो अभी कुछ आ नहीं सकता. अब क्या हम अच्छी चीजें औरों की तरह नहीं खा सकते?”

अंजलि ने कहा,” उस की पत्नी को शौक है कुकिंग का. मुझे तो ज्यादा कुछ बनाना आता भी नहीं.”

”तो क्या हुआ,अंजलि. गूगल है न… यू ट्यूब में देख कर कुछ भी बना सकती हो.”

फिर हमेशा की तरह वही हुआ जो इतने दिनों से होता आ रहा था. वह वीकेंड में भी किचन से निकल नहीं पाई. उस का कोई वीकेंड नहीं, कोई छुट्टी नहीं.

इच्छाओं का दमन न करें

पति और बच्चों के खाने के शौक से वह थक चुकी है. ज्यादा न कहते नहीं बनता. बस फिर अपनी इच्छाएं ही दबानी पड़ती हैं. सोचती ही रह जाती है कि कुछ समय अपने लिए चैन से मिल जाए तो कभी खुद के लिए भी कुछ कर ले. पर इस लौकडाउन में इन तीनों के शौकों ने उसे तोड़ कर रख दिया है.

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मंजू का तो जब से विवाह हुआ वह पति अजय और उस के दोस्तों को खाना खिलाने में ही जीवन के 20 साल खर्च चुकी है.

वह अपना अनुभव कुछ यों बताती है,”शुरूशुरू में मुझे भी अच्छा लगता था कि अजय को मेरा बनाया खाना पसंद है. मुझे भी यह अच्छा लगता कि उस के दोस्त मेरी कुकिंग की तारीफ करते हैं. बच्चे भी अपने दोस्तों को बुला कर खूब पार्टी करते.मैं जोश में सौस, अचार, पापड़ सब घर पर ही बनाती. इस से मेरी खूब तारीफ होती. धीरेधीरे मेरा मन ही कुकिंग से उचटने लगा. जहां मैं कुकिंग की इतनी शौकीन थी, वहीं अब एक समय ऐसा आया कि खाना बनाने का मन ही नहीं करता. सोचती कि क्या खाना ही बनाती रहूंगी जीवन भर?

“फरमाइशें तो रुकने वाली नहीं, क्या अपने किसी भी शौक को समय नहीं दे पाऊंगी? पैंटिंग, म्यूजिक, डांस, रीडिंग आदि सब भूल चुकी थी मैं. अब अजीब सा लगने लगता कि कर क्या रही हूं मैं? अगर कोई मुझ से मेरी उपलब्धि पूछे तो क्या है बताने को? यही कि बस खाना ही बनाया है जीवनभर… यह तो मेरी कम पढ़ीलिखी सासूमां और मां भी करती रही हैं.

“मुझे अचानक कुछ और करने का मन करता रहता. मैं थोड़ी उदास होने लगी.

एक दिन रविवार को बच्चों और पति ने लंबीचौड़ी फरमाइशों की लिस्ट पकड़ाई, तो मेरे मुंह से निकल ही गया कि मैं कोई रसोइया नहीं हूं. मुझे भी तुम लोगों की तरह रविवार को कभी आराम करने का मौका नहीं  मिल सकता?

“मेरी बात पर सब का ध्यान गया तो सब सोचने पर मजबूर हुए. मैं ने फिर कहा कि ऐसा भी कभी हो सकता है कि एक दिन मुझे छुट्टी दो और एकएक कर के खुद कुछ बनाओ. अब तो बच्चे भी बड़े हो गए हैं.‘’

“मैं बड़ी हैरान हुई जब मेरा यह प्रस्ताव मान लिया गया. उस दिन से सब कुछ न कुछ बनाने लगे. कभी मिल कर, कभी अकेले किचन में घुस जाते. फिर मुझे जब सब का सहयोग मिलने लगा तो मैं ने कुछ दिन अपने डांस की खुद प्रैक्टिस की, फिर घर में ही क्लासिकल डांस सिखाने लगी.

इस काम में मुझे बहुत संतोष मिलने लगा. बहुत खुशी होती है कि आखिरकार कुछ क्रिएटिव तो कर रही हूं. अब खाली समय में कुकिंग करना बुरा भी नहीं लग रहा है.”

न भूलें अपनी प्रतिभा

हम में से कई महिलाएं अकसर यह गलती कर देती हैं कि अपने शौक, अपनी रूचि, अपनी प्रतिभा को भूल कर बस परिवार को खुश करने के लिए अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बिता देती हैं.

परिवार का ध्यान रखना, उन की पसंदनापसंद का ध्यान रखना कोई बुरी या छोटी बात नहीं है. एक स्त्री अपना अस्तित्व भुला कर यह सब करती है, पर आजकल यह भी देखा गया है कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें यह कहने में जरा भी संकोच नहीं लगता कि मां,आप को क्या पता है, किचन के सिवा आप को कुछ भी तो नहीं आता.

यही हुआ नीरा के साथ, जब उस की बेटी एक दिन कालेज से आई, तो उस से पूछ लिया, “प्रोजैक्ट कैसा चल रहा है, कितना बाकी है?”

बेटी का जवाब था,”मां, आप प्रोजैक्ट रहने दो, खाना बनाओ.”

नीरा कहती हैं,”यह वही बच्चे हैं जिन के लिए मैं ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. आज मुझे इस बात का बहुत दुख है. मैं जिस कुकिंग को अपना टेलैंट समझती रही, वह तो एक आम चीज है, जो कोई भी बना लेता है. अपने पैरों पर खड़े हो कर जो संतोष मिलता है, उस की बात ही अलग होती है.”

आजकल के पति और बच्चे भी इस बात में गर्व महसूस करते हैं जब उन की पत्नी या मां कुछ क्रिएटिव कर रही हों.

25 साल की नेहा का कहना है, ”मम्मी जब गणित की ट्यूशन लेती हैं, तो बड़ा अच्छा लगता है. मेरे दोस्त कहते हैं कि आंटी कितनी इंटैलीजैंट हैं, 12वीं का मैथ्स पढ़ाना आसान नहीं.

“मम्मी जब ज्यादा थकी होती हैं, तो हमलोग खाना बाहर से और्डर कर लेते हैं या उस दिन सभी मिल कर खाना बना लेते हैं.”

सोशल मीडिया पर प्रदर्शन क्यों

सर्वगुण संपन्न होने की उपाधि लेने के लिए अनावश्यक तनाव अपने ऊपर न लें. कुक द्वारा बनाए खाने को भी प्यार से सब को परोस कर घर का माहौल प्यारभरा बनाया जा सकता है.

गुस्से में बनाया हुआ खाना यदि तनावपूर्ण माहौल में खाया जाए तो वह तनमन पर अच्छा प्रभाव नहीं डालता है.

किचन की बात हो और वह भी इस लौकडाउन टाइम में, महिलाओं ने अपनी कुकिंग स्किल्स की सारी की सारी भड़ास जैसे सोशल मीडिया पर ही निकाल दी. कभी अजीब सा लगता है कि यह क्या, कुकिंग ही कर कर के लौकडाउन बिताया जाता रहेगा?

वहीं अंजना को कुकिंग का बहुत शौक है. वह खुद मीठा नहीं खाती फिर भी अपने पति और बच्चों के लिए उसे कुछ बना कर खुशी मिलती है. उस का कहना है कि उस के पति और बेटा मना करते रह जाते हैं कि हमारे लिए मेहनत मत करो, जो खुद खाना हो वही बना लो, पर उसे अच्छा लगता है उन दोनों के लिए बनाना. जब वे दोनों सो रहे होते हैं तो वह चुपचाप उन्हें सरप्राइज देने के लिए कुछ न कुछ बना कर रखती है, जिस से लौकडाउन के समय में कोई बाहर की चीज के लिए न तरसे.

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सपनों को पंख दें

कुकिंग का शौक आप को है तो अलग बात है पर यह नहीं होना चाहिए कि सब अपनी लिस्ट आप को देते रहें और आप को कुकिंग का शौक ही न हो. कुकिंग आप पर लादी नहीं जानी चाहिए. किचन के रास्ते पर जाना आप की पसंद पर होना चाहिए, मजबूरी नहीं.

ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप कुछ और क्रिएटिव करना चाहती हैं और आप को उस का मौका ही न मिले. आप को अगर सचमुच कुछ क्रिएटिव करने का मन है तो जरूर करें.

रोजरोज की फरमाइशों से तंग आ चुकी हैं तो अपने परिवार को प्यार से समझाइए कि आप सहयोगी बन कर जीना चाहती हैं, रसोइया बन कर नहीं. आप को और भी कुछ करना है. किचन के बाहर भी आप की एक दुनिया हो सकती है. आप को बस उस का रास्ता खुद बनाना है. आप ही किचन से बाहर नहीं निकलना चाहेंगी तो दूसरा आप के लिए रास्ता नहीं बना सकता, इसलिए कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश जरूर करें. घर के कामों में सब से हैल्प लेना कोई शर्म की बात नहीं. अब वह जमाना नहीं है कि घर की हर चीज एक औरत के सिर पर ही टिकी है. सब मिल कर कर सकते हैं ताकि आप अपने सपने को पंख दे सकें.

पत्नी की सलाह मानना दब्बूपन की निशानी नहीं

मिस्टर कपिल एक इंजीनयर हैं. लोक सेवा आयोग से चयनित राकेश उच्च पद पर हैं. विभागीय परिचितों, साथियों में दोनों की इमेज पत्नियों से डरने, उन के आगे न बोलने वाले भीरु या डरपोक पतियों की है. पत्नियों का आलम यह है कि नौकरी संबंधी समस्याओं की बाबत मशवरे के लिए पतियों के उच्च अधिकारियों के पास जाते समय भी वे उन के साथ जाती हैं.

उच्चाधिकारियों से मशवरे के दौरान कपिल से ज्यादा उन की पत्नी बात करती है. सोसाइटी में कपिल की दयनीय स्थिति को ले कर खूब चर्चाएं होती हैं. वहीं, राकेश ने अपनी स्थिति को जैसे स्वीकार ही कर लिया है और उन्हें इस से कोई दिक्कत नहीं है. असल में, उन्हें पत्नी की सलाह से बहुत बार लाभ हुए. बहुत जगह वह खुद ही काम करा आती. वे सब के सामने स्वीकार करते हैं कि शादी के बाद उन की काबिल पत्नी ने बहुत बड़ा त्याग किया है. वे घर व बाहर के सभी काम ख़ुशी ख़ुशी करते हैं, पत्नी की डांट भी खाते हैं और कभी ऐसा नहीं लगता कि वे खुद को अपमानित महसूस करते हों.

वास्तव में जो पतिपत्नी आपस में अच्छी समझ रखते हैं और मिलजुल कर निर्णय लेते हैं उन के घर में आपसी सामंजस्य और हंसीखुशी का माहौल रहता है. जरूरत इस बात की है कि पति हो या पत्नी, दोनों एकदूसरे की राय को बराबर महत्त्व व सम्मान दें और कोई भी निर्णय किसी एक का थोपा हुआ न हो. यदि पत्नी ज़्यादा समझदार, भावनात्मक रूप से संतुलित व व्यावहारिक है तो  पति अगर उस की राय को मानता है तो इस में पति को दब्बू न समझ कर, समझदार समझा जाना चाहिए.

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इस के विपरीत, महेश और उन की पत्नी का दांपत्य जीवन इसलिए कभी सामान्य नहीं रह पाया क्योंकि उन्होंने अपनी दबंग पत्नी के सामने खुद को समर्पित नहीं किया. उन का सारा वैवाहिक जीवन लड़तेझगड़ते, एकदूसरे पर अविश्वाश और शक करते हुए बीता. इस के चलते उन के बच्चे भी इस तनाव का शिकार हुए.

कई परिवार ऐसे दिख जाएंगे जिन में पति की कोई अस्मिता या सम्मान नहीं दिखेगा और पत्नियां पूरी तरह से परिवार पर हावी रहती हैं. ये पति अपने इस जीवन को स्वीकार कर चुके होते हैं और परिस्थितियों से समझौता कर चुके होते हैं. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या ये दब्बू या कायर व्यक्ति हैं जिन का कोई आत्मसम्मान नहीं है? या फिर किन स्थितियों में उन्होंने हालात से समझौता कर लिया है और अपनी स्थिति को स्वीकार कर लिया है ? अगर गहन विश्लेषण करें तो इन स्थितियों के कारण सामाजिक, पारिवारिक ढांचे में निहित दिखते हैं. जिन के कारण कई लोगों को अवांछित परिस्थितियों को भी स्वीकार करना पड़ता है.

समाज में एक बार शादी हो कर उस का टूटना बहुत ही  ख़राब बात मानी जाती है. विवाह जन्मजन्मांतर का बंधन माना जाता है. और फिर बच्चों का भविष्य, परिवार की जगहंसाई, समाज का संकीर्ण रवैया आदि कई बातें हैं जिन के कारण लोग बेमेल शादियों को भी निभाते रहते हैं. कर्कशा और झगड़ालू पत्नियों के साथ  पति सारी जिंदगी बिता देते हैं. ऐसी स्त्रियां बच्चों तक को अपने पिता के इस तरह खिलाफ कर देती हैं कि बच्चे भी बातबात पर पिता का अपमान कर मां को ही सही ठहराते हैं और पुरुष बेचारे खून का घूंट पी कर सब चुपचाप सहन करते रहते हैं. समाज का स्वरूप पुरुषवादी है और यदि वह पत्नी की बात मानता है, उस की सलाह को महत्त्व देता है तो परिवार व समाज द्वारा उस पर दब्बू होने का ठप्पा लगा दिया जाता है.

श्रमिक कल्याण विभाग के एक आफिसर की पत्नी ने पति की सारी कमाई यानी घर, प्रौपर्टी हड़प कर, बच्चों को भी अपने पक्ष में कर के गुंडों की मदद से पति को घर से निकलवा दिया और वह बेचारा दूसरे महल्ले में किराए का कमरा ले कर रहता है, कभीकभार ही घर आता है. आखिर,  इस तरह के एकतरफा सम्बंध चलते कैसे रहते हैं?  इतना अपमान झेल कर भी पुरुष क्यों  ऐसी पत्नियों के साथ निभाते रहते हैं?

वास्तव में सारा खेल डिमांड और सप्लाई का है. भारतीय समाज में शादी होना एक बहुत बड़ा आडंबर होने के साथसाथ एक सामाजिक बंधन ज्यादा है. चाहे उस बंधन में प्रेम व विश्वाश हो, न हो, फिर भी उसे तोड़ना  बहुत ही कठिन है. वैवाहिक संबंध को तोड़ने पर समाज, रिश्तेदारों, आसपास के लोगों के सवालों को झेलना और सामाजिक अवहेलना को सहन करना बहुत ही दुखदाई होता है. और एक नई जिंदगी की शुरुआत करना तो और भी दुष्कर होता है. ऐसे में व्यक्ति अकेला हो जाता है और मानसिक रूप से टूट जाता है. बच्चों का भी जीवन परेशानियों से भर जाता है. उन की पढ़ाई, कैरियर सब प्रभावित होते हैं, साथ ही, बच्चे मानसिक रूप से अस्थिर हो कर कई तरह के तनावों का शिकार हो जाते हैं.

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इन परिस्थितियों में अनेक लोग इसी में समझदारी समझते हैं कि बेमेल रिश्ते को ही झेलते रहा जाए और शांति बनाए रखने के लिए चुप ही रहा जाए. जब पति घर में शांति बनाए रखने के लिए चुप रहते है और पत्नी के साथ जवाबतलब नहीं करते तो इस तरह की अधिकार जताने वाली शासनप्रिय महिलाएं इस का भी फायदा उठाती हैं और पतियों पर और ज्यादा हावी होने की कोशिश करने लगती हैं. ऐसी पत्नी को इस बात का अच्छी तरह भान होता है कि यह व्यक्ति उसे छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता. अगर पति कुछ विरोध करने की कोशिश करता भी है तो वह उस पर झूठा इलजाम लगाने लगती है. यहां तक कि उसे चरित्रहीन तक साबित कर देती है. .

ऐसी हालत में पुरुष की स्थिति मरता क्या न करता की हो जाती है. इधर कुआं तो उधर खाई. पति को अपने चंगुल में रखना ऐसी स्त्रियों का प्रमुख उद्देश्य होता है. वे घर तो घर, बाहर व चार लोगों के सम्मुख भी पति पर अपना अधिकार और शासन प्रदर्शित करने से बाज़ नहीं आतीं. और धीरेधीरे यह उन की आदत में आ जाता है. स्थिति को और ज्यादा हास्यास्पद बनने न देने के लिए पतियों के पास चुप रहने के सिवा चारा नहीं होता. इसे उन का दब्बूपन समझ कर  उन पर दब्बू होने का ठप्पा लगा दिया जाता है. यह इमेज बच्चों की नज़रों में भी पिता के सम्मान को कम कर देती है और ये औरतें बच्चों को भी अपने स्वार्थ व अपने अधिकार को पुख्ता बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं. समस्या की जड़ हमारे समाज का दकियानूसी ढांचा है जहां व्यक्ति इस संबंध को तोड़ने की हिम्मत नहीं कर पाता और अपना सारा जीवन इसी तरह काट देता है.

हमेशा केवल स्त्रियों की त्रासदी का जिक्र किया जाता है. कई पुरुषों का जीवन भी त्रासदीपूर्ण होता है, ऐसा ग़लत स्त्री से जुड़ जाने के कारण हो जाता है. ऐसे पुरुषों के प्रति भी सहानुभूति रखनी चाहिए और वैवाहिक जीवन को डिमांड व सप्लाई का खेल न बना कर प्रेम व एकदूसरे के प्रति सम्मान की भावना से पूर्ण बनाना चाहिए.

इस समस्या को दूसरे पहलू से भी देखा जाना चाहिए. एक धारणा बना रखी गई है कि पुरुष हमेशा स्त्री से ज्यादा समझदार होते हैं. समाज ने पारिवारिक, आर्थिक व सामाजिक सभी तरह के निर्णय लेने के अधिकार पुरुष के लिए रिज़र्व कर दिए हैं. जबकि, यह तथ्य हमेशा सही नहीं हो सकता कि पुरुष ही सही निर्णय ले सकते हैं, स्त्री नहीं. जो स्त्री सारा घर चला सकती है, उच्चशिक्षा ग्रहण कर बड़ेबड़े पद संभाल सकती है वह पति को निर्णय लेने में अपनी सलाह या मशवरा क्यों नहीं दे सकती?  कई बार देखा गया है कि स्त्रियां परिस्थितियों को ज़्यादा सही ढंग से समझ पाती हैं और अधिक व्यावहारिक निर्णय लेती हैं. ऐसे में यदि पति अपनी पत्नी की राय को सम्मान देता है, उस के मशवरे को मानता है  तो उस पर दब्बू होने का ठप्पा लगा देना कैसे उचित है.

परिवार में केवल एक के द्वारा लिए गए फैसले एकतरफ़ा और ज़ल्दबाज़ी में लिए गए भी हो सकते हैं. जब कहते हैं कि, पतिपत्नी एक गाड़ी के 2 पहिए हैं तो भला एक पहिए से गाड़ी कैसे चल सकती है? पत्नी को पति की अर्धांगिनी कहा जाता है लेकिन वही अर्धांगिनी अपनी बात मानने को या उस की राय पर विचार करने को कहे तो उसे शासन करना कहा जाता है. अब  वह समय आ गया है कि  दकियानूसी धारणाओं को छोड़ परिवार के निर्णयों को लेने में स्त्री की राय को भी प्राथमिकता दी जाए और उसे पूरा महत्त्व दिया जाए.

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क्या करें जब पति रोज-रोज बिस्तर पर ही गीला तौलिया छोड़ जाएं ?

नहाने के बाद गीला तौलिया बिस्तर पर ही छोड़ देने की आदत अक्सर कई पतियों में होती है. बहाना यह होता है क्या करें ऑफिस जाने की जल्दी ही इसलिए गीला तौलिया वहीं छोड़ दिया. क्या आपके पति भी अक्सर ऐसा ही करते हैं. आप भी उनके गीला तौलिया बिस्तर पर छोड़ देने की आदत से परेशान हैं?  बिस्तर पर ही गीला तौलिया छोड़ देने के कारण चादर गीली हो जाती है. बिस्तर पर पड़े गीला तौलिया को देखकर अक्सर पत्नियां परेशान रहती हैं.

कारण

पतियों की आदत होती है कि वे नहाने के बाद तौलिये को बालकनी में नहीं सूखाते हैं और इसे बेड पर ही छोड़ देते हैं. वो ध्यान नहीं देते हैं कि गीले तौलिये से बेडशीट भी गीली हो जायेगी.

वे इस मामले में पत्नियों की नहीं सुनते हैं और सोचते हैं कि पत्नी अपने आप ही इसे सुखा देगी. अक्सर पापा को ऐसा करते देख बच्चे भी यही करने लगते हैं. स्कूल जाते समय अपना गीला तौलिया बच्चे भी छोड़ने लगते हैं.

बेड पर गीला तौलिया, टेबल पर झूठे बरतन जैसी बातें मानों हर सुबह दोहराई जाती है. ये छोटी-छोटी बातें मानों पत्नियों को गुस्सा दिलाने के लिए काफी हैं.

पहले से काम का बोझ या ऑफिस जाने में देरी होने के कारण झल्लायी पत्नी यदि गुस्से में आ जाए तो यह स्वाभाविक ही है. बस यहीं से शुरू हो जाती है घर में बहस और सबका मूड खराब हो जाता है. इस तरह के झगड़े होना आम बात है, लेकिन इन झगड़ों में ध्यान रहे कि कहीं ये झगड़े ज़्यादा लंबे न हो जाएं.

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पति की इस बुरी आदत को कैसे बदलें?

1-सबसे पहले पति को खुद ही समझना चाहिए. पति के ध्यान न देने पर आप उनको प्यार से समझाएं.

2-यदि पति प्यार से समझाने पर नहीं माने तो एक-दो दिन उनके तौलि को ऐसे ही पड़े रहने दे. जब पति नहाने जाएं तो उन्हें वही गीला तौलिया थमा दें.  पति के पूछने पर प्यार से कारण बतायें.

3-अगर उसके बाद भी आपका झगड़ा होता है तो आप इस झगड़े को हल्की नोंकझोंक तक ही रखें.

4-बच्चों में यह आदत शुरु से विकसित करें. उन्हें समझाएं कि नहाने के बाद उन्हें अपना तौलिया सूखने के लिए देना चाहिए जिससे कि वो अच्छी तरह सूख जाएं. बेटे यह आदत बचपन से सिखेंगे कि वे अपनी पत्नी के लिए परेशानी का कारण नहीं बनेंगे.

आखिर क्यों ऐसा होता है?

शादी से पहले मीठी-मीठी बातें करते रहने वाले कपल शादी के बाद बदल जाते हैं. कभी गीला तौलिया, तो कभी दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाना ही आपसी झगड़े का कारण बन जाता है.

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कपल के बीच चलने वाली नोकझोंक उनके बीच प्यार बढ़ाती है, लेकिन झगड़ते समय यह भी ध्यान रखें कि झगड़ा भले ही कितना भी बड़ा हो, लेकिन आपकी शादी पर इसका असर नहीं दिखना चाहिए.

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आखिर क्यों अपनी पार्टनर को धोखा देते हैं आदमी, जानें ये 4 वजह

एक रिलेशनशिप में एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरुरी होता है, तभी एक रिश्ता सही रहता है. एक-दूसरे की भावनाओं को समझना रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के समय में बहुत से पुरूष अपने रिश्ते के प्रति वफादार नहीं रहते हैं और अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. जो पुरूष अपनी साथी को धोखा देने के बारे में सोचते हैं उन्हें इस बात का बिल्कुल आभास नहीं होता है कि वे कुछ गलत कर रहें हैं. पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अपने साथी को कम धोखा देती हैं.

1. साथी के प्रति वफादार नहीं होते हैं…

कुछ ऐसे पुरूष होते हैं जो अपने साथी के लिए वफादार होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती. इस तरह के पुरूष सिर्फ अपनी महिला साथी का इस्तेमाल करते हैं. वे उन्हें स्पेशल महसूस कराते हैं. लेकिन वास्तव में वह अपनी साथी के लिए बिल्कुल भी ईमानदार नहीं होते हैं.

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2. असुरक्षित महसूस करते हैं…

हर व्यक्ति धोखा दे ऐसा जरुरी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने रिश्ते को लेकर थोड़े असुरक्षित होते हैं. जिसके कारण ना चाहते हुए भी वह अपने पार्टनर के साथ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इस बात का डर होता है कि कहीं वे अपने साथी को खो तो नहीं देंगे. इस डर की वजह से वे अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं और अपने पार्टनर को धोखा दे बैठते हैं.

3. रिश्ते की कद्र नहीं…

हमेशा लोगों को जितना मिलता है उससे अधिक पाने कि इच्छा होती है. और इनके पास जो होता है वह उसकी कद्र नहीं करते हैं. ऐसा पुरूषों के साथ भी होता है कि उन्हें जैसी पार्टनर मिली होती है वह उन्हें कम ही लगता है. उनके दिमाग में हमेशा यह बात होती है कि जो मिला है उन्हें उससे और बेहतर मिल सकता है. ऐसे पुरूषों में अपने पार्टनर को धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि इन्हें जितना मिलता है उसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है.

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4. भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं…

पुरूष भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनमें सेल्फ कंट्रोल की कमी होती है इस वजह से उनके लिए अपने पार्टनर को धोखा देना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित हो जाते हैं और कभी-कभी दूसरे की बातें सुनकर अपने पार्टनर की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं.

ऐसे कराएं पति से काम

‘‘अरे सुनो मुझे चाय के साथ के लिए टोस्ट, बिस्कुट कुछ भी नहीं मिल रहा है. कहां रखे हैं?’’

‘‘वहीं गैस प्लेटफार्म के ऊपर वाली

दराज में देखो,’’ अनीशा ने पति अमन को फोन पर बताया.

15 मिनट बाद फिर अमन का फोन आया, ‘‘यार दूध लेने के लिए भगौना कहां है?’’

अपने मातापिता की इकलौती संतान अनीशा आज सुबह ही अपने मायके मुंबई पहुंची थी और सुबह 10 बजे तक उस के पति का 5-6 बार घर की विभिन्न वस्तुओं का पता करने के लिए फोन आ चुका है.

सुगंधा को अपनी कैंसर से ग्रस्त मौसी को देखने के लिए 2 दिन के लिए अहमदाबाद जाना था. जाने से पहले वह फ्रिज में सलाद काट कर नाश्ते के डब्बे टेबल पर रख कर, 2 दिन के लिए अपने पति के पहनने के कपड़े तक अलमारी में से निकाल कर बैड पर रख कर गई ताकि पति को उस की गैरमौजूदगी में कोई परेशानी न हो.

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अकसर इसी प्रकार महिलाएं अपने पति के सारे कामों को हाथोंहाथ कर के उन्हें इतना निष्क्रिय और अपाहिज सा बना देती हैं कि वे घर के छोटेमोटे कार्यों के अलावा अपने व्यक्तिगत जरूरत के कार्यों तक को करना भूल जाते हैं.

एक निजी कालेज में साइकोलौजी की प्रोफैसर और काउंसलर कीर्ति वर्मा कहती हैं, ‘‘विवाह के समय पतिपत्नी एकदूसरे के अगाध प्रेम रस में डूबे रहते हैं. ऐसे में लड़की अपने पति के सभी कार्यों को करने में अपार प्रेम अनुभव करती है परंतु यहीं से एक अनुचित परंपरा का प्रारंभ हो जाता है. पति इसे पत्नी का कर्तव्य समझने लगता है. कुछ समय बाद जब परिवार बड़ा हो जाता है तो समयाभाव के कारण पत्नी पति के उन्हीं कार्यों को करने में स्वयं को असमर्थ पाती है, तब पति को लगता है कि पत्नी उस की ओर ध्यान नहीं दे रही है और इस की परिणति पतिपत्नी के मनमुटाव, यहां तक कि पति के  भटकन यानी विवाहेतर संबंध बनने और कई बार तो परिवार के टूटने तक के रूप में होती है.’’

वास्तव में पति के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर के महिलाएं अपने पति को तो अपाहिज सा बना ही देती हैं, स्वयं के पैरों पर भी कुल्हाड़ी मार लेती हैं.

आप चाहे कामकाजी हों या होममेकर जिस प्रकार आप अपने बच्चों को आवश्यक गृहकार्यों में दक्ष बनाती हैं उसी प्रकार पति को भी बनाएं ताकि आप की गैरमौजूदगी में उन्हें किसी का मुंह न ताकना पड़े, वे अपना और बच्चों का कार्य सुगमता से कर सकें.

पति को बनाएं अपना सहयोगी

तैयार होने के लिए अपने कपड़े स्वयं निकालना या अपने जूते साफ करना, औफिस बैग में से लंच बौक्स निकाल कर सिंक में रखना जैसे अपने कार्य स्वयं ही करने की आदत डालें. इस से आप का काम का भार भी कम होगा, साथ ही उन्हें काम करने की आदत भी होगी.

अणिमा के यहां पारिवारिक मित्र डिनर पर आने वाले थे. उस के पति और बच्चों ने डाइनिंग टेबल तैयार कर दी. वह कहती है कि उस ने बच्चों और पति में प्रारंभ से ही मिलजुल कर कार्य करने की आदत डाली है. पति और बच्चों की मदद के कारण ही वे अपना पूरा ध्यान किचन पर केंद्रित कर पाती हैं.

किचन के कार्य सिखाएं

चाय, कौफी, दालचावल, पुलाव आदि बनाना उन्हें अवश्य सिखाएं. यद्यपि पहले की अपेक्षा आज सामाजिक ढांचे में काफी बदलाव आया है और लड़के भी किचन के कार्यों में रुचि लेने लगे हैं, परंतु फिर भी कई परिवार ऐसे हैं जहां लड़कों से काम नहीं करवाया जाता है और जब यही लड़के पति बनते हैं तो अपनी पत्नियों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं. ऐसे पति यदि आप के भी जीवनसाथी हैं तो उन्हें किचन के छोटेमोटे कार्यों में कुशल बनाना आप की ही जिम्मेदारी है.

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बच्चों की देखभाल करना

यदि आप कामकाजी हैं तो बच्चे की पढ़ाई, होमवर्क आदि मिल कर कराएं और हाउसवाइफ हैं तो अवकाश के दिनों में बच्चे की जिम्मेदारी पति को सौंपें. इस से जहां आप को थोड़ा सा सुकून मिलेगा, वहीं बच्चे का अपने पिता से भावनात्मक लगाव भी मजबूत होगा और पति को भी बच्चे को संभालने की आदत रहेगी.

बागबानी में लें मदद

सीमा अपने बीमार पिता को देखने के लिए 4 दिनों के लिए घर से गई. लौटी तो देखा भरी गरमी के कारण उस के सारे पौधे झुलस गए हैं.

उस ने अपने पति सोमेश से कहा, ‘‘तुम ने पौधों को पानी ही नहीं दिया, देखो सारे कैसे झुलस गए हैं.’’

‘‘मुझे क्या पता था इन्हें पानी देना है. तुम ने तो कहा ही नहीं था. अगर तुम कह जातीं तो मैं दे देता,’’ सोमेश बोला.

सही भी था, सीमा ने अपने पति से कभी गार्डन में मदद ली ही नहीं थी, इसलिए सोमेश को समझ ही नहीं आया कि पौधों को पानी की आवश्यकता है. पति की व्यस्तता के चलते भले ही आप उन से रोज काम न करवाएं परंतु अवकाश के दिन गार्डन में मदद अवश्य लें ताकि उन्हें भी पौधों की जानकारी रहे और आप की गैरमौजूदगी में पौधे आईसीयू में पहुंचने से बचे रहें.

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मार्केटिंग करवाएं

अक्षता चाहे कितनी भी थकी हो, कैसी भी स्थिति हो, सब्जी लाने का कार्य उसे ही करना होता है. वह कहती है कि आर्यन को सब्जी लेना ही नहीं आता. जब भी लाता है बासी और उलटीसीधी सब्जी ले आता है. इस प्रकार के पतियों को आप अपने साथ ले जाएं उन्हें ताजा और बासी का फर्क बताएं और समयसमय पर उन से मंगवाएं भी ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे आप की मदद कर सकें. इस के अतिरिक्त उन से छोटामोटा किराने का सामान आदि भी मंगवाती रहें.

पापा बनने वाले हैं कपिल शर्मा, 6 महीने पहले हुई थी शादी

घर-घर में लोगों को हंसाने वाले जाने-माने कौमेडियन कपिल शर्मा अपने शो से जहां लोगों को खुश करते हैं, वहीं पर्सनल लाइफ को लेकर आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं और इस बार टेलीविजन पर वापसी के बाद उनके सितारें बुलंदियों पर चल रहे हैं. इसी बीच खबर है कि कौमेडियन कपिल के घर नया मेहमान आने वाला है. जिससे उनके फैंस बहुत खुश हैं.

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कपिल शर्मा की वाइफ गिन्नी हैं प्रेगनेंट

टीआरपी रैंकिंग पर राज करने वाले कपिल और उनकी पत्नी गिन्नी के घर नया मेहमान आने वाला है. वहीं खबरों की मानें तो गिन्नी प्रेग्नेंट हैं. यही वजह है कि कपिल की मां भी अब अपनी बहू का ख्याल रखने के लिए मुंबई शिफ्ट हो गई हैं. वो बात अलग है कि कपिल और गिन्नी में से किसी ने भी इस खबर का अनाउंसमेंट नहीं किया है. हालांकि अभी इन दोनों की शादी को केवल 5 महीने ही हुए हैं और कपिल के घर नए मेहमान ने दस्तक भी दे दी है.

 

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Wish u all a very HAPPY NEW YEAR from me n Kapil???? #2019 #newyear #newlife @kapilsharma

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बता दें कि, कौमेडियन कपिल और गिन्नी ने पिछले साल 12 दिसंबर को शादी रचाई थी. जिसके बाद से कपिल के करियर में उछाल आया था और उन्होंने टीवी पर फिर वापसी की थी और अब वह टीआरपी चार्ट में नंबर 1 बने हुए हैं.

 

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कपिल का यह शो सभी टीवी सीरियल्स पर भारी पड़ रहा है. शो में कपिल के साथ कृष्णा अभिषेक और कीकू शारदा की जोड़ी लोगों को खूब गुदगुदा रही है. कपिल की इस सफलता को देख कर कहना गलत नहीं होगा कि, इस समय कपिल के अच्छे दिन चल रहे हैं.

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