किसी शायर ने अपनी शायरी में कहा है, ‘तुम्हें जब कभी मिलें फुरसतें मेरे दिल से बोझ उतार दो. मैं बहुत दिनों से उदास हूं मुझे कोई शाम उधार दो.’
आज के संदर्भ में यह शायरी रिश्तों को समझने के लिए सटीक है. दौड़तीभागती जिंदगी में फुरसत ही है जो रिश्तों को समेटने में मदद करती है. लेकिन फुरसत है ही कहां? अगर है भी तो लोग लाइक और कमैंट में उलझ कर रह गए हैं. आज वास्तविक दुनिया में हमारा एकदूसरे से टच खोता जा रहा है. ऐसी वर्चुअल दुनिया से हम खुशी मना रहे हैं जो झठी और बनावटी है. और 4 इंच के मोबाइल स्क्रीन के माध्यम से नकली रिश्ते ढूंढ़े जा रहे हैं. ऐसे में वे सारे रिश्ते दम तोड़ रहे हैं जो हमारे आसपास हकीकत में हैं.
इस का असर खासकर प्रेमसंबंधों और शादी के बाद पतिपत्नी के रिश्तों में पड़ रहा है. रिश्ते बिखर रहे हैं. पार्टनर का मतलब सैक्सुअल प्लेजर हो गया है, जहां बिस्तर पर संबंध बनाते हुए ‘आज कैसा लगा’ तक पूछने कि जहमत नहीं उठाई जाती. अब जब रिश्ते में बने रहने का एकमात्र कारण सैक्स ही है तो इस की पूर्ति तो कहीं से भी की जा सकती है, फिर प्रेमसंबंध या रिलेशनशिप का नाम क्यों?
यानी, प्रेमसंबंध या मजबूत रिश्ते के बीच सैक्स एक हद तक काम कर सकता है लेकिन मजबूत रिश्ते को बनाए रखने के लिए यह सबकुछ नहीं होता. इस के लिए एकदूसरे के साथ ऐसा समय बिताना जरूरी है जिस में आप का जुड़ाव सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक भी हो, भावनात्मक भी हो, और वैचारिक भी हो.
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जाहिर सी बात है प्रेम एक प्रक्रिया है जो लगातार बढ़ती रहती है, जिसे जितना बढ़ाना चाहोगे उतना बढ़ेगा. इस की कोई सीमा नहीं. जिस के लिए हर इंसान को चाहिए कि उसे ऐसा फ्री टाइम मिले जिस में वह अपने पार्टनर के साथ मिल कर अपने रिश्ते को आगे बढ़ा सके और मजबूती दे सके. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इस के लिए कितनी कोशिश करते हैं और कितना अपने पार्टनर के लिए समय निकालते हैं. लेकिन आज के व्यस्त समय में सब से बड़ा सवाल यह होता है कि आप अपने पार्टनर के लिए क्वालिटी टाइम कहां से निकालेंगे? तो इस का सीधा सा जवाब है, क्वालिटी टाइम अलग से निकालना नहीं पड़ता, बल्कि जब भी आप अपने पार्टनर के साथ रह रहे हैं उसे ही क्वालिटी टाइम बनाया जा सकता है. इस के लिए जरूरी नहीं कि आप कोई विशेष दिन या समय चुनें, बल्कि अपने पार्टनर को खास महसूस कराने के लिए हर समय को खास बनाया जा सकता है.
क्वालिटी टाइम लव लैंग्वेज
क्वालिटी टाइम और कुछ नहीं, बल्कि एक तरह की प्यार वाली भाषा है जिस का सैंटर इमोशन होता है. इस का सीधा सा मतलब बिना किसी भटकाव के अपने पार्टनर के प्रति भावुक प्रेम जाहिर करना होता है. ऐसे में उन सभी गैरजरूरी चीजों, चाहे वह सैलफोन हो, लैपटौप हो या टीवी हो, दोस्तों के साथ घूमना हो, को साइड रख कर अपने पार्टनर पर फोकस करना होता है. जब आप ऐसा करते हैं तो ये चीजें सीधे दिल को छूती हैं जो आप के पार्टनर पर प्रभाव डालता है. ऐसे में वह खुद को स्पैशल फील करता/ती है कि आप उसे अपना खास टाइम दे रहे हो और आप के जीवन में उस की अहमियत है. इस से फर्क नहीं पड़ता कि आप अपना कितना समय उसे दे रहे हो, लेकिन अगर थोड़ा टाइम भी दे पा रहे हो, उतने में ही आप के पार्टनर को यह महसूस होना चाहिए कि यह उस के लिए आज का बैस्ट टाइम था. ऐसे में जरूरी है कि उस समय आप इन खास टिप्स से अपने पार्टनर के लिए समय निकाल कर उसे खास टाइम बनाएं.
आई कौंटैक्ट बनाएं
नजरें अपनेआप में बहुत चीजें कहती हैं. यह कहा जा सकता है कि दिल के लिए रास्ता आंखों से हो कर गुजरता है. बहुत बार 2 लोगों की आपसी बातचीत में अगर कोई एक नजर हटा कर बात करता है तो समझ जाता है कि वह आप की बातों पर ध्यान नहीं दे रहा. इसलिए बात करते हुए आंखों के बीच संपर्क जरूरी होता है, और जब बात रोमांस की हो तो यह बहुत जरूरी हो जाता है. इस से यह समझ आता है कि आप अपने पार्टनर के साथ बात करते हुए पूरा अटैंशन दे रहे हैं, जिस से उसे खुद के खास होने का एहसास होगा. वहीं, इस की जगह अगर आपस में बात करते हुए आप अपने फोन को साथ में चलाने लगते हैं, या लैपटौप पर कोई काम करने लगते हैं तो उसे लगेगा आप उस की बात पर ध्यान नहीं दे रहे.
पार्टनर की बातें ध्यान से सुनें
आमतौर पर बात करते हुए कुछ चीजें जो सब से ज्यादा इरिटेट करती हैं उन में से एक बातों पर ध्यान न दिया जाना होता है. अधिकतर समय बात करते हुए दिमाग में कुछ दूसरे खयाल चल रहे होते हैं, जैसे औफिस का बचा हुआ काम, दोस्तों की मस्ती या उसी बात पर खुद की अलग ओपिनियन. इस कारण कम्युनिकेशन कोलैप्स हो जाता है और बातें हांहूं तक सीमित हो जाती हैं. बहुत बार बात करते हुए प्रेजैंस औफ माइंड गड़बड़ा जाता है और क्याक्या बारबार सुनने को मिलता है.
ये चीजें आप के पार्टनर को शर्मिंदा कर सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि जब आप के और आप के पार्टनर के बीच में कोई बातचीत चल रही हो तो उस दौरान ध्यान से उन की बातों को सुना जाए. अगर वह आप की ओपिनियन मांगे तो आप उस पर अपनी राय रख सकें.
कुछ नया ट्राई करें
नया मतलब, जो खास हो. भारतीय तौरतरीकों में आमतौर पर लड़केलड़की के बीच चीजें पहले से ही निर्धारित होती हैं, जिस में घर का काम लड़की और बाहर का काम लड़के करते हैं. यहां तक कि वर्किंग वूमन तक को घर पर आ कर घरेलू काम संभालना पड़ता है. ऐसे में उन के लिए तनाव वाला माहौल होता है. ऐसी स्थिति में जरूरी है कि काम को आपस में बांटा जाए और कोशिश की जाए कि दोनों काम में हैल्प करें. इस से एकदूसरे के प्रति प्रेम व सम्मान बढ़ता है. साथ ही, काम में एकदूसरे का हाथ बंटाते हुए इंटिमेसी लैवल भी बढ़ता है.
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बात करते हुए एक्साइटिंग प्लान बनाएं
हर दिन कुछ नया प्लान बने तो बढि़या है लेकिन अगर हफ्ते में भी कोई खास दिन चुन कर किसी तरह की एक्टिविटी या कोई प्लान आप तैयार करते हैं तो यह आपसी अंडरस्टैंडिंग बढ़ाएगा. जैसे, हफ्ते में एक दिन मूवी प्लान या घर में बैठ कर ही साथ में मूवी देखना, वीकैंड हौलिडे पर साथ में बाहर घूमने जाना, साथ में किताब पढ़ना या काम के बाद वाक पर निकलना, रैस्टोरैंट में नई डिश ट्राई करना, अनुभव साझ करना इत्यादि.
मुश्किल समय में साथ रहना
बहुत बार ऐसे मौके आते हैं जब कोई दुखद घटना घटती है और हो सकता है उस दौरान आप के पार्टनर को उस घटना को ले कर एक तरह की घबराहट या चिंता हो. ऐसे में जरूरी नहीं कि सुख के पल ही आप के लिए क्वालिटी टाइम हो, बल्कि सुख से अधिक दुख के पलों में आप कैसा व्यवहार करते हैं, यह आप के रिश्ते का आधार बनता है. इसलिए यह जरूरी है कि अपने पार्टनर को इस बात का एहसास करवाया जाए कि खराब से खराब समय में आप उस के साथ हैं. इस से आप के पार्टनर का हौसला बढ़ेगा और उस के मन में आप के प्रति प्रेम व विश्वास जागेगा.
अकसर जब क्वालिटी टाइम की बात आती है तो लोगों का मानना होता है कि यह ऐसा समय होता है जब आप अपने पार्टनर के लिए कोई स्पैशल प्लान करते हैं या जब आप उन्हें बहुत सा समय देते हैं. यह सही है कि स्पैशल प्लान करना या पार्टनर के लिए ज्यादा टाइम निकालना अच्छा लगता है. लेकिन क्वालिटी टाइम किसी विशेष समय का मुहताज नहीं होता, बल्कि इसे हर वक्त जिया जा सकता है. इस के लिए खासतौर पर ध्यान रखा जाना जरूरी होता है कि ऐसी चीजों को किया जाए जिन से आप का पार्टनर अच्छा महसूस करे. जैसे, जब आप एकदूसरे के साथ टाइम स्पैंड करें तो शिकायत या नुक्ताचीनी कम हो, अपने पार्टनर के साथ बात करते हुए गैरजरूरी किसी और चीज पर ध्यान न जाए, उन बातों को न भूलें जो आप का पार्टनर क्वालिटी टाइम में आप से करे.