Dr Ak Jain: क्या करें जब पुरुषों में घटने लगे बच्चा पैदा करने की ताकत

बेऔलाद जोड़ों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है क्योंकि नामर्दी के चलते मर्द अपनी पत्नी को पेट से करने में नाकाम होते हैं. वैसे, अगर गर्भनिरोधक उपाय आजमाए बगैर एक साल तक हमबिस्तरी करने पर भी जब बच्चा नहीं ठहरता है तो इसे शुक्राणुओं की समस्या के चलते नामर्दी मान लिया जाता है.

आमतौर पर इस तरह की समस्या  कमजोर शुक्राणु के चलते होती है जबकि बच्चा ठहरने के लिए शुक्राणु

की ही जरूरत पड़ती है. ऐसे मामलों में औरतों की फैलोपियन ट्यूब तक शुक्राणु पहुंच ही नहीं पाते हैं और कई कोशिशों के बावजूद औरत पेट से होने में नाकाम रहती है.

इस समस्या के लिए कई बातें जिम्मेदार होती हैं. खास वजह धूम्रपान और ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करना है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि गठीला बदन बनाने के लिए लड़के कम उम्र से ही स्टेरौयड और दूसरी दवाओं का सेवन करने लग जाते हैं. इस वजह से बाद की उम्र में उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ जाता है. बहुत ज्यादा कसरत और डायटिंग के लिए भूखे रहने जैसी आदतें भी इस की खास वजहें हैं.

नौजवानों में तेजी से बढ़ते तनाव और डिप्रैशन के साथसाथ प्रदूषण और गलत लाइफस्टाइल के चलते एनीमिया की समस्या भी मर्दों में नामर्दी की वजह बनती है. इनफर्टिलिटी से जुड़े सब से बुरे हालात तब पैदा होते हैं जब मर्द के वीर्य में शुक्राणु नहीं बन पाते हैं. इस को एजूस्पर्मिया कहा जाता है. तकरीबन एक फीसदी मर्द आबादी भारत में इसी समस्या से पीडि़त है.

हमारे शरीर को रोज थोड़ी मात्रा में कसरत की जरूरत होती है, भले ही वह किसी भी रूप में क्यों न हो. इस से हमारे शारीरिक विकास को बढ़ावा मिलता है.

अगर आप भी ऐसी ही किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन से जो पिछले 40 सालों से इन समस्याओं का इलाज कर रहे हैं.

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हालांकि कसरत के कई अच्छे पहलू भी हैं. मगर इस के कुछ बुरे पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिन की तरफ कम ही लोगों का ध्यान जाता है. मसलन, औरतों का ज्यादा कसरत करना बांझपन की वजह भी बन सकता है. वैसे, कसरत करने के कुछ फायदे इस तरह से हैं:

दिल बने मजबूत : हमारे दिल की हालत सीधेतौर पर इस बात से जुड़ी होती है कि हम शारीरिक रूप से कितना काम करते हैं. जो लोग रोजाना शारीरिक रूप से ज्यादा ऐक्टिव नहीं रहते हैं, दिल से जुड़ी सब से ज्यादा बीमारियां भी उन्हीं लोगों को होती हैं खासतौर से उन लोगों के मुकाबले जो रोजाना कसरत करते हैं.

अच्छी नींद आना : यह साबित हो चुका है कि जो लोग रोजाना कसरत करते हैं, उन्हें रात को नींद भी अच्छी आती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कसरत करने की वजह से हमारे शरीर की सरकेडियन रिदम मजबूत होती है जो दिन में आप को ऐक्टिव बनाए रखने में मदद करती है और जिस की वजह से रात में आप को अच्छी नींद आती है.

शारीरिक ताकत में बढ़ोतरी : हम में से कई लोगों के मन में कसरत को ले कर कई तरह की गलतफहमियां होती हैं, जैसे कसरत हमारे शरीर की सारी ताकत को सोख लेती है और फिर आप पूरे दिन कुछ नहीं कर पाते हैं. मगर असल में होता इस का बिलकुल उलटा है. इस की वजह से आप दिनभर ऐक्टिव रहते हैं, क्योंकि कसरत करने के दौरान हमारे शरीर से कुछ खास तरह के हार्मोंस रिलीज होते हैं, जो हमें दिनभर ऐक्टिव बनाए रखने में मदद करते हैं.

आत्मविश्वास को मिले बढ़ावा : नियमित रूप से कसरत कर के अपने शरीर को उस परफैक्ट शेप में ला सकते हैं जो आप हमेशा से चाहते हैं. इस से आप के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है.

रोजाना कसरत करने के कई सारे फायदे हैं इसलिए फिजिकल ऐक्टिविटी को नजरअंदाज करने का तो मतलब ही नहीं बनता, लेकिन बहुत ज्यादा कसरत करने का हमारे शरीर पर बुरा असर भी पड़ सकता है खासतौर से आप की फर्टिलिटी कम होती है, फिर चाहे वह कोई औरत हो या मर्द.

ऐसा कहा जाता है कि बहुत ज्यादा अच्छाई भी बुरी साबित हो सकती है. अकसर औरतों में एक खास तरह के हालात पैदा हो जाते हैं जिन्हें एमेनोरिया कहते हैं. ऐसी हालत तब पैदा होती है, जब एक सामान्य औरत को लगातार 3 महीने से ज्यादा वक्त तक सही तरीके से माहवारी नहीं हो पाती है.

कई औरतों में ऐसी हालत इस वजह से पैदा होती है क्योंकि वे शरीर को नियमित रूप से ताकत देने के लिए जरूरी कैलोरी देने वाली चीजों का सेवन किए बिना ही जिम में नियमित रूप से किसी खास तरह की कसरत के 3 से 4 सैशन करती हैं.

शरीर में कैलोरी की कमी का सीधा असर न केवल फर्टिलिटी पर पड़ता है, बल्कि औरतों की सेक्स इच्छा पर भी बुरा असर पड़ता है. साथ ही मोटापा भी इस में एक अहम रोल निभाता है क्योंकि ज्यादातर मोटी औरतें वजन घटाने के लिए कई बार काफी मुश्किल कसरतें भी करती हैं. इस वजह से भी उन की फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है.

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इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे जोड़े शारीरिक और मानसिक तनाव की हालत में पहुंच जाते हैं. अकसर देखा गया है कि ऐसे मामलों में या तो शुक्राणु की मात्रा कम होती है या स्पर्म की ऐक्टिविटी बहुत कम रहती है. लिहाजा ऐसे शुक्राणु औरत के अंडाणु को गर्भाधान करने में नाकाम रहते हैं.

वैसे अब इनफर्टिलिटी से नजात पाने के लिए कई उपयोगी इलाज मुहैया हैं. ओलिगोस्पर्मिया में स्पर्म की तादाद बहुत कम पाई जाती है और एजूस्पर्मिया में तो वीर्य के नमूने में स्पर्म होता ही नहीं है. एजूस्पर्मिया में मर्द के स्खलित वीर्य से स्पर्म नहीं निकलता है जिसे जीरो स्पर्म काउंट कहा जाता है. इस का पता वीर्य की जांच के बाद ही लग पाता है.

कुछ मामलों में जांच के दौरान तो स्पर्म नजर आता है लेकिन कुछ रुकावट होने के चलते वीर्य के जरीए यह स्खलित नहीं हो पाता है. स्पर्म न पनपने की एक और वजह है वैरिकोसिल. इस का इलाज सर्जरी से ही मुमकिन है.

कुछ समय पहले तक पिता बनने के लिए या तो दाता के स्पर्म का इस्तेमाल करना पड़ता था या किसी बच्चे को गोद लेना पड़ता था, लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान में स्टेम सैल्स टैक्नोलौजी की तरक्की ने लैबोरेटरी में स्पर्म बनाना मुमकिन कर दिया है.

लैबोरेटरी में  मरीज के स्टेम सैल्स का इस्तेमाल करते हुए स्पर्म को बनाया जाता है, फिर इसे विट्रो फर्टिलाइजेशन तरीके से औरत पार्टनर के अंडाशय में डाल कर अंडाणु में फर्टिलाइज किया जाता है. इस तरीके से वह औरत पेट से हो सकती है.

लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन, पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. जैन द्वारा. 

लौकडाउन में रिलेशनशिप की सच्चाई

कहते हैं हर रिश्ते की अहमियत उस से दूर हो कर ही पता चलती है और यह भी सही है कि उस की हकीकत भी दूरी से ही सामने आती है. कुछ ऐसा ही तो हुआ था नीतू के साथ. नीतू और आकाश एकदूसरे से सीए की कोचिंग क्लास में मिले थे.

घर से आधे घंटे की दूरी पर कोचिंग क्लास थी जहां जाने का नीतू का कभी मन नहीं करता था लेकिन जब से वह आकाश से मिली थी तब से तो कोचिंग क्लास ही उस की फेवरेट क्लास हो गई थी.

नीतू और आकाश दोनों ने ही अपनी ग्रैजुएशन खत्म कर ली थी. वे जब मिले तो पहले दोस्ती हुई आपस में और फिर प्यार. आकाश नीतू के लिए तारीफों की झडि़यां लगा देता और नीतू चहक उठती.

वे दोनों अकसर घूमने जाया करते और रिलेशनशिप के तीसरे महीने में ही दोनों के बीच सैक्स भी होने लगा था. दिल्ली में जब कोरोना वायरस का कहर बरपा तो कोचिंग क्लास सब से पहले बंद हुई. फिर भी नीतू कभीकभी आकाश से मिलने निकल जाया करती. लेकिन, रविवार के जनता कर्फ्यू के बाद जब 21 दिन का लौकडाउन लगा तो उन का मिलना भी बंद हो गया. लौकडाउन के दूसरे और तीसरे दिन तक तो नीतूआकाश  दिनभर एकदूसरे के साथ बातें किया करते पर फिर इन बातों से भी बोर होने लगे.

नीतू आकाश से शिकायत करने लगी कि वह उस से प्यार नहीं करता जिस पर आकाश उस से झगड़ा करने लगता और कहता कि वह हर बात का बतंगड़ बनाती है.  नीतू ने आकाश को कई दूसरी लड़कियों की फोटो पर कमैंट करते हुए भी देखा जिस से वह चिढ़ जाती लेकिन आकाश से सवाल करने में भी डरती. आकाश को मैसेज करने पर वह कभी 2 तो कभी 3 घंटे बाद मैसेज का रिप्लाई करता जिस से नीतू को समझ आ गया कि आकाश को उस से बातें करने में कोई इंट्रैस्ट नहीं.

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आकाश के मैसेज सैक्सुअल होते थे और ऐसा लगता जैसे वह सिर्फ सैक्स को ले कर ही बात करना चाहता है. आखिरकार नीतू को समझ आ गया कि आकाश को उस से बातें करने में कोई इंट्रैस्ट नहीं. नीतू को समझ आ गया था कि यह प्यार नहीं बल्कि दोनों के बीच बनने वाले शारीरिक संबंध थे जिन्होंने उन्हें आपस में जोड़े रखा था. लौकडाउन के दौरान उसे आकाश की मंशा उस के कहे बगैर ही समझ आ गई.

नीतू जैसा हाल आजकल कई लड़कियों का है. कई रिलेशनशिप्स की सचाई क्वारंटाइन में उजागर हो गई है. लेकिन, सवाल है कि सचाई जान कर भी सिर्फ फिजिकल रिलेशनशिप को बनाए रखना सही है या इस से निकल जाने में ही भलाई है?

1. खुद से करें सवाल

आप को खुद से सवाल करने की जरूरत है कि क्या आप एक फिजिकल रिलेशनशिप में रहना चाहती हैं. बौयफ्रैंड के यह कहनेभर से कि उसे आप से प्यार है जरूरी नहीं कि उसे सचमुच आप से प्यार है. लोगों की कथनी और करनी में जमीनआसमान का फर्क होता है. प्यार में सैक्स होता है लेकिन सैक्स में प्यार ढूंढ़ने की काशिश के चक्कर में दिल तुड़वा लेना बेवकूफी है.

2. स्पष्ट बात कहनी है जरूरी

कई बार होता यह है कि हम किसी व्यक्ति के साथ सैक्स करने में तो सक्षम होते हैं पर अपने दिल की बात साफसाफ कहने में खुद को असहाय महसूस करते हैं. हो सकता है आप को यह रिलेशनशिप कन्फ्यूज कर रही हो और आप इस से निकलना चाहती हैं पर इस बारे में बात करने में आप असहज हों. लेकिन, आप को हिम्मत जुटा कर बात करनी ही होगी. साफ कह दें कि आप सिर्फ सैक्सुअल रिलेशनशिप नहीं चाहतीं और इस रिलेशनशिप में उस के अलावा कुछ है नहीं.

3. ब्रेकअप कर लेना है सही

अगर आप सैक्सुअल रिलेशनशिप नहीं चाहतीं तो ब्रेकअप कर लेना ही सही है. यह मुश्किल हो सकता है लेकिन खुद सोचिए इस समय ब्रेकअप करने के कितने सारे फायदे हैं. आप को अपने बौयफ्रैंड से स्पेस मिलेगा, उस से हर दिन सामना होने से बचेंगी, आप के कालेज या औफिस जाने के शैड्यूल पर असर नहीं पड़ेगा और मूवऔन करने के लिए आप को समय भी मिलेगा. ब्रेकअप के बाद अकसर कमरे से निकलने का मन नहीं होता, बाहर आनेजाने का मन नहीं करता न ही किसी से बात करने का. यह सब इस लौकडाउन के चलते खुदबखुद हो जाएगा.

4. खुद पर कंट्रोल बनाए रखें

क्वारंटाइन में सभी खाली ही हैं. सुबह से शाम और ऐसे में अपने एक्स को मैसेज करने की गलती भी बहुत लोग करते हैं. आप को यही गलती नहीं करनी है. अपने एक्स को जिस से आप ने अभी ही ब्रेकअप किया है उसे हर सोशल मीडिया प्लेटफौर्म से रिमूव कर दें. कोई चाहे यह कहे कि आप ओवरऐक्ंिटग कर रही हैं. तब भी यह जरूरी है कि आप किसी भी तरह के कौंटैक्ट की गुंजाइश न रखें. इसी में आप की भलाई है.

5. ओवरथिंकिंग को खुद पर हावी न होने दें

एक ही चीज को बारबार सोचने से आप अपने दिमाग को सचमुच नुकसान पहुंचा सकती हैं. ‘वह किस से बात कर रहा होगा’, ‘वह कहीं किसी और के साथ रिलेशनशिप में तो नहीं आ गया’ जैसी बातों को सोचने के बजाय यह सोचें कि आप किसी के साथ सिर्फ सैक्स के लिए नहीं रह सकतीं. आप का अस्तित्व उस से कहीं ज्यादा है और आप ऐसा व्यक्ति डिजर्व करती हैं जो आप के साथ आप के मन के लिए हो केवल तन के लिए नहीं.

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Dr Ak Jain: अंडकोष के दर्द को न करें अनदेखा

मैडिकल साइंस की एक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों से पुरुषों में अंडकोष के कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. अंडकोष में कैंसर 6 माह के अंदर खतरनाक हालत में पहुंच जाता है. इस का फैलाव पेड़ से दिमाग तक हो सकता है.

 पुरुष अंडकोष के दर्द को सामान्य रूप में लेते हैं जिस की वजह से वे डाक्टर के पास देर से जाते हैं. कुछ डाक्टर के पास जाते भी हैं तो डाक्टर पहचानने में गलती कर जाते हैं. साधारण बीमारी समझ कर उस का इलाज कर देते हैं. अधिकतर भारतीय पुरुष  अंडकोष के कैंसर से अनजान हैं जिस की वजह से वे अपने अंडकोष में आए परिवर्तन की ओर ध्यान नहीं देते हैं. जब समस्या बढ़ जाती है तब डाक्टर के पास पहुंचते हैं.

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हर पुरुष को चाहिए कि वह अपने अंडकोष  में आए परिवर्तन पर ध्यान रखे. अंडकोश में दर्द, सूजन, आसपास भारीपन, अजीब सा महसूस होना, लगातार हलका दर्द बना रहना, अचानक अंडकोष के साइज में काफी अंतर महसूस करना, अंडकोष पर गांठ, अंडकोश का धंसना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए. पुरुषों में यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है.

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अंडकोष  कैंसर के कारण

किसी भी व्यक्ति के अंडकोष में कैंसर उत्पन्न हो सकता है. इस के होने की कुछ वजहें ये हैं :

क्रिस्टोरचाइडिज्म :

यदि किसी युवक के बचपन से ही अंडकोश शरीर के अंदर धंसे रहें तो उसे अंडकोष कैंसर की समस्या हो सकती है. क्रिप्टोरचाइडिज्म का इलाज बचपन में ही करवा लेना चाहिए ताकि बड़े होने पर उसे खतरनाक समस्या से न जूझना पड़े. सर्जन छोटा सा औपरेशन कर के अंडकोष को बाहर कर देते हैं.

आनुवंशिकता :

यदि पिता, चाचा, नाना, भाई आदि किसी को अंडकोष के कैंसर की समस्या हुई हो तो सावधान हो जाना चाहिए. टीएसई यानी टैस्टीक्युलर सैल्फ एक्जामिनेशन द्वारा अंडकोष की जांच करते रहना चाहिए.

बचपन की चोट :

बचपन में खेलते वक्त कभी किसी बच्चे को यदि अंडकोष में चोट लगी है तो बड़े होने पर उसे अंडकोष के कैंसर की समस्या उत्पन्न हो सकती है. बचपन में चोट लगने वाले पुरुषों के अंडकोष में किसी तरह का दर्द, सूजन आदि महसूस होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए.

हर्निया :

हर्निया की समस्या की वजह से भी किसीकिसी के अंडकोश में दर्द व सूजन उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में डाक्टर से शीघ्र मिलना चाहिए.

हाइड्रोसील :

हाइड्रोसील की समस्या होने पर अंडकोष की थैली में पानी जैसा द्रव्य जमा हो जाता है. इस में अंडकोष में दर्द भले ही न हो लेकिन थैली के भारीपन से अंडकोश प्रभावित हो जाते हैं जिस की वजह से अंडकोष का कैंसर हो सकता है.

इंपोटैंसी :

नई खोज के अनुसार, इंपोटैंसी की वजह से भी अंडकोष के कैंसर की समस्या उत्पन्न हो सकती है. डा. जूड मोले बताते हैं कि जिन लोगों को अंडकोष कैंसर की समस्या पाई गई है उन में से अधिकतर पुरुष इंपोटैंसी यानी नपुंसकता के शिकार थे.

अंडकोष का इलाज :

अंडकोष में असामान्यता दिखाई देने पर तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए. डा. राना का कहना है कि ब्लड, यूरिन टैस्ट व अल्ट्रासाउंड द्वारा बीमारी का पता लगा लिया जाता है. बीमारी की स्थिति के मद्देनजर मरीज को दवा, कीमोथेरैपी या सर्जरी की सलाह दी जाती है. जिस तरह से महिला अपने स्तन का सैल्फ टैस्ट करती है उसी प्रकार पुरुष अपने अंडकोश का सैल्फ टैस्ट कर के जोखिम से बच सकते हैं.

सावधानी

  1. विपरीत पोजिशन में संबंध बनाते वक्त ध्यान रखें कि अंडकोष में चोट न लगे.
  2. तेज गति से हस्तमैथुन न करें, इस से अंडकोष को चोट लग सकती है.
  3. किसी भी हालत में शुक्राणुओं को न रोकें. उन्हें बाहर निकल जाने दें नहीं तो यह शुक्रवाहिनियों में मर कर गांठ बना देते हैं. आगे चल कर कैंसर जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है.
  4. क्रिकेट, हौकी, फुटबाल, कुश्ती आदि खेल खेलते समय अपने अंडकोश का ध्यान रखें. उस में चोट न लग जाए. चोट लगने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं.
  5. टाइट अंडरवियर न पहनें, लंगोट बहुत अधिक कस कर न बांधें. इस से अंडकोष पर अधिक दबाव पड़ता है.
  6. सूती और हलके रंग के अंडरवियर पहनें. नायलोन के अंडरवियर पहनने से अंडकोष को हवा नहीं मिल पाती है. गहरे रंग का अंडरवियर अंडकोष को गरमी पहुंचाता है.
  7. हमेशा अंडरवियर पहन कर न रहें. रात के वक्त उसे उतार दें जिस से अंडकोष को हवा लग सके.
  8. अधिक गरम जगह जैसे भट्ठी, कोयला इंजन के ड्राइवर, लंबी दूरी के ट्रक ड्राइवर आदि अपने अंडकोष को तेज गरमी से बचाएं.
  9. अंडकोष पर किसी प्रकार के तेल की तेजी से मालिश न करें. यह नुकसान पहुंचा सकता है.

बहरहाल, अंडकोष में किसी भी प्रकार की तकलीफ या फर्क महसूस करने पर खामोश न रहें. डाक्टर से सलाह लें. अंडकोष की हर तकलीफ कैंसर नहीं होती लेकिन आगे चल कर वह कैंसर को जन्म दे सकती है इसलिए इस से पहले कि कोई तकलीफ गंभीर रूप ले, उस का निदान कर लें.

लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन, पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. जैन द्वारा. 

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इनफर्टिलिटी, आईवीएफ से लेकर सेक्सुअल लाइफ तक, यहां मिलेगा हर प्रौब्लम का सोल्यूशन

आज की भागम भाग वाली जिंदगी और खराब किस्‍म के खान पान के चलते हमें ऐसी कई समस्याओं के शिकार हो जाते हैं जिसका असर हमारी सेक्सुअल लाइफ पर पड़ता है. इनफर्टिलिटी, संतान होने में देरी, सेक्स की कमी या फिर यौन दुर्बलता ऐसी ही कई समस्याओं से लोगों को सामना होता है जिसका इलाज करवाने के लिए वो अलग-अलग जगह जाते हैं लेकिन अगर आपको एक ही जगह इन सभी समस्याओं का समाधान एक ही डॉक्टर के पास मिल जाए तो.

ऐसे ही एक डॉक्टर है लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. ए. के. जैन द्वारां.

आइए जानते हैं डॉक्टर ए. के. जैन के चुनिंदा कामों के बारे में…

  1. इनफर्टिलिटी

इनफर्टिलिटी एक बहुत गंभीर समस्‍या है. जिसके कारण बहुत से कपल्‍स की गोद सूनी ही रह जाती है. मौजूदा लाइफस्टाइल की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्‍या आम बात हो गई है. इनफर्टिलिटी का मुख्य लक्षण प्रेग्नेंट न हो पाना है. अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर जैन से जो पिछले 40 सालों से इसका इलाज कर रहे हैं.

  1. आईवीएफ

निःसंतानता एक दम्पती के लिए अभिशाप के समान है. संतान न होने से एक दम्पती न सिर्फ निजी तनाव महसूस करता है बल्कि उसके ऊपर सामाजिक व पारिवारिक दबाव भी रहते हैं. निःसंतान दम्पतियों को भारतीय समाज में हमेशा से दोयम दर्जे का समझा जाता है, बावजूद इसके कि संतान न होने में उन दम्पतियों की कोई गलती नहीं होती, फिर भी उन्हें हमेशा इसकी सजा मिलती रहती है. खासतौर से महिलाओं को इसका अत्यधिक नुकसान भुगतना पड़ता है.

संतान न होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की आनुवांशिक कारण, जीवनशैली, महिला के गर्भधारण में समस्या या फिर पुरुष के शरीर में कोई समस्या लेकिन वर्तमान समय में आईवीएफ जैसे उपाय से आप बिना किसी खतरे के संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं.

  1. सेक्सुअल प्रॉब्ल्म

हम सभी एक ऐसा समाज में रहते हैं जहां शारीरिक संबंध बनाने, संभोग करने या फिर सेक्‍स को लेकर बात ही नहीं की जाती. यहीं वजह है कि अक्‍सर लोग यौन जीवन (Sex Life) का सुख पूरी तरह ले ही नहीं पाते. क्‍योंकि जब इस विषय पर खुलकर बात ही नहीं कि जाती तो यौन समस्‍याओं (Sex Problems) पर भी लोगों को अधिक जानकारी नहीं होती. अगर आपको भी ऐसी ही किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टर जैन आपके सभी सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही व्यक्ति होंगे.

  1. मैरिड लाइफ प्रॉब्लम

प्यार करते हैं तो सेक्स से परहेज क्यों? क्या आप सेक्स से दूरियाँ बना रहे हैं? यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो सावधान हो जाये क्योकि ये आपके और आपकी पत्नी के बीच के प्यारे रिश्ते के लिए अच्छा नहीं. एक सर्वे रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में 70 फीसदी तलाक, अच्छी सेक्सुअल लाइफ ना होने के कारण होते हैं.

अगर आप भी इनमें से किसी गंभीर समस्या से घिरे हैं, तो आज ही कीजिये बातें भारत के जाने-मानें सेक्सोलॉजिस्ट से. डॉ० ए० के० जैन, 40 वर्षो का अनुभव. 

दांपत्य की तकरार, बिगाड़े बच्चों के संस्कार

वैवाहिक बंधन प्यार का बंधन बना रहे तो इस रिश्ते से बढि़या कोई और रिश्ता नहीं. परंतु किन्हीं कारणों से दिल में दरार आ जाए तो अकसर वह खाई में परिवर्तित होते भी देखी जाती है. कल तक जो लव बर्ड बने फिरते थे, वे ही बाद में एकदूसरे से नफरत करने लगते हैं और बात हिंसा तक पहुंच जाती है.

अतएव पतिपत्नी को परिवार बनाने से पहले ही आपसी मतभेद सुलझा लेने चाहिए और बाद में भी वैचारिक मतभेदों को बच्चों की गैरमौजूदगी में ही दूर करना उचित है ताकि उन का समुचित विकास हो सके.

छोटीछोटी बातों से झगड़े शुरू होते हैं. फिर खिंचतेखिंचते महाभारत का रूप ले लेते हैं. ज्यादातर झगड़े खानदान को ले कर, कमतर अमीरी के तानों, रिश्तेदारों, अपनों के खिलाफ अपशब्द या गालियों, कमतर शिक्षा व स्तर, कमतर सौंदर्य, बच्चे की पढ़ाई व परवरिश, जासूसी, व्यक्तिगत सामान को छूनेछेड़ने, अपनों की आवभगत आदि को ले कर होते हैं. यानी दंपती में से किसी के भी आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है तो झगड़ा शुरू हो जाता है, फिर कारण चाहे जो भी हो.

1. नीचा दिखाना

चाहे पति हो या पत्नी कोई भी दूसरे को आहत कर देता है. नीता बताती है कि उस का पति हिमांशु आएदिन उस के मिडिल क्लास होने को ले कर ताने कसता रहता है. उसे यह बिलकुल बरदाश्त नहीं होता और फिर वह भी उस के बड़े स्तर वाले खानदान की ओछी बातों की लंबी लिस्ट पति को सुना देती है. तब हिमांशु को यह सहन नहीं होता और कहता है कि खबरदार जो मेरे खानदान के बारे में एक भी गलत बात बोली. इस पर नीता कहती है कि बोलूंगी हजार बार बोलूंगी. मुझे कुछ बोलने से पहले अपने गरीबान में झांक लेना चाहिए.

बस इसी बात पर हिमांशु उस के गाल पर चांटा रसीद कर देता है. उस के मातापिता को गालियां भी दे देता. फिर तो नीता भी बिफरी शेरनी सी उठती और उस पर निशाना साध किचन के बरतनों की बारिश शुरू कर देती. 5 साल का उस का बेटा मोनू परदे के पीछे छिप कर सब देखने लगता. इस तरह रोज उस में कई बुरे संस्कार पड़ते जा रहे थे जैसेकि कैसे किसी को नीचा दिखा कर चोट पहुंचाई जा सकती है, कैसे मारापीटा जा सकता है, कैसे सामान फेंक कर भी चोट पहुंचाई जा सकती है, कैसे गालियों से, कैसे चीखते हुए किसी को गुस्सा दिलाया जा सकता है.

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2. बात काटना या अनदेखी करना

बैंककर्मी सुदीप्ता हमेशा एलआईसी एजेंट अपने पति वीरेश की बात काट देती है. पति जो भी कुछ कह रहा हो फौरन कह देती है कि नहीं ऐसा तो नहीं है. कई बार सब के सामने वीरेश अपमान का घूंट पी लेता है. कई बार गुस्सा हो कर हाथ उठा देता है तो वह मायके जा बैठती. बच्चों का स्कूल छूटता है छूटे उसे किसी बात का होश नहीं रहता. अपने ईगो की संतुष्टि एकमात्र उद्देश्य रह जाता है.

गृहिणी छाया के साथ ठीक इस के विपरीत होता है. अपने को अक्लमंद समझने वाला उस का प्रवक्ता पति मनोज सब के सामने उस का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ता. उस के गुणों की अनदेखी करता है. उस की कितनी भी सही बात हो नहीं मानता. उस की हर बात काट देता है. उस के व्यवहार से पक चुकी छाया विद्रोह करती तो मारपीट करता. एक दिन लड़ते हुए मनोज बुरी तरह बाल खींच कर उसे घसीटते हुए किचन तक ले आया. अपने को संभालती हुई छाया दरवाजे की दीवार से टकरा गई और माथे से खून बहने लगा. तभी उस की नजर किचन में रखे चाकू पर पड़ी तो तुरंत उसे उठा कर बोली, ‘‘छोड़ दो वरना चाकू मार दूंगी.’’

‘‘तू मुझ पर चाकू चलाएगी… चला देखूं कितना दम है,’’ कह मनोज ने छाया को लात मारी तो चाकू उस की टांग में घुस गया.

टांग से खून बहता देख छाया घबरा उठी. मम्मीपापा की तेजतेज आवाजें सुन कर अपने कमरे में पढ़ रही उन की बेटी तमन्ना वहां आ गई. पापा की टांग से खून निकलता देख वह तुरंत फर्स्टएड बौक्स उठा लाई. फिर पड़ोसिन रीमा आंटी को बुलाने उन के घर पहुंच गई.

तब रीमा का बेटा तमन्ना को चिढ़ाते हुए बोला, ‘‘तेरे मम्मीपापा कितना लड़ते हैं. रोज तुम्हारे घर से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आती रहती हैं. झगड़ा सुलटाने रोज मेरी मम्मी को बुलाने आ जाती है. आज मम्मी घर पर हैं ही नहीं. अब किसे बुलाएगी?’’

तमन्ना रोती हुई अपने घर लौट आई. बच्चों में फैलती बदनामी से उस ने धीरेधीरे उन के साथ पार्क में खेलने जाना छोड़ दिया. उस के व्यक्तित्व का विकास जैसे रुक गया. सदा हंसनेचहकने वाली तमन्ना सब से अलगथलग अपने कमरे में चुपचाप पड़ी रहती.

3. जिद, जोरजबरदस्ती

पतिपत्नी के मन में एकदूसरे की इच्छा का सम्मान होना चाहिए अन्यथा जोरजबरदस्ती, जिद झगड़ा पैदा कर सकती है. फिर झगड़े को तूल पकड़ कर हिंसा का रूप धारण करने में देर नहीं लगती, जिस का खमियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है, क्योंकि जिद जोरजबरदस्ती उन के संस्कारों में घर कर जाती है और वे प्रत्येक काम में इस के उपयोग द्वारा आसानी से सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहते हैं और फिर सफल न होने पर हिंसक भी बन जाते हैं.

4. शक अथवा जासूसी करना

पतिपत्नी में एकदूसरे पर विश्वास बहुत महत्त्व रखता है. बातबात पर संदेह, जासूसी उन में मनमुटाव को बढ़ाती है. वे जबतब बच्चों की उपस्थिति में भी घरेलू हिंसा करने लगते हैं. पतिपत्नी में से किसी एक की बेवफाई भी अकसर दूसरे को घरेलू हिंसक बना देती है. अतएव जरा भी संदेह हो तो परस्पर खुल कर बात करें और बिना हिंसा किए बच्चों का ध्यान रखते हुए सही निर्णय लें.

5. पैसा और प्रौपर्टी

मीनल प्राइवेट कंपनी में अच्छी जौब पर है. सैलरी भी अच्छी है. उस ने पति शैलेश से छिपा कर कई एफडी करा रखी हैं. पति शैलेश की इनकम भी अच्छीखासी है. हाल ही में उस ने एक प्रौपर्टी मीनल के नाम और एक बच्चों के नाम बनाई. अचानक शैलेश के पिता को हार्टअटैक आ गया. तुरंत सर्जरी आवश्यक बताई गई. शैलेश के पास थोड़े पैसे कम पड़ रहे थे. कुछ समय पहले 2 प्रौपर्टीज जो खरीदी थी. शैलेश ने मीनल से सहयोग के लिए कहा तो पहले तो उस ने अनसुनी कर दी. फिर बोली, ‘‘बेटे के नाम से जो शौप ली है उसे बेच क्यों नहीं देते? मेरे इतने खर्चे होते हैं… मेरे पास कहां से होंगे पैसे?’’

‘‘4-5 लाख के लिए 25 लाख की शौप बेच दूं? घर कासारा खर्च मैं ही उठाता हूं. तुम अपना खर्च कहां करती हो?’’

शैलेश पत्नी के दोटूक जवाब पर हैरान था. वह उस की नीयत समझने लगा. उस ने शौप नहीं बेची कहीं से ब्याज पर पैसों का बंदोबस्त कर लिया, साथ ही मकान भी उस के नाम से हटा कर अपने नाम करने की बात कही तो पत्नी ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई. फिर झगड़ा शुरू हो गया और बात हिंसा तक उतर आई.

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घरेलू हिंसा से बच्चों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है, जिस से वे अकसर मांबाप के इन हथकंडों को अपनाने लगते हैं और बिगड़ैल, असंस्कारी बनते जाते हैं. बड़े हो कर अकसर वे परिवार व समाज के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाते तो अंतर्मुखी, उपद्रवी, गुस्सैल, झगड़ालू प्रवृत्ति के बन जाते हैं और कोई भी गलत कदम उठाने के लिए तैयार हो जाते हैं. तब उन्हें रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.

बात बहुत न बिगड़ जाए और तीर कमान से न निकल जाए इस के लिए पतिपत्नी को बहुत सूझबूझ से काम लेते हुए अपने मतभेदों, मसलों को अकेले में बैठ कर आपस में आराम से सुलझा लेना ही श्रेयस्कर है. पतिपत्नी ने सिर्फ विवाह ही नहीं किया, घरपरिवार भी बनाया है, बच्चे पैदा किए हैं, परिवार बढ़ाया है, तो अपने इतने हिंसक आचारविचार पर अंकुश लगाना ही होगा. मातापिता का अपने आचारव्यवहार पर संयम रखना बच्चों वाले घर की पहली शर्त है. उन्हें अपने बच्चों के समुचित विकास, संस्कारी व्यक्तित्व और उन्नत भविष्य के लिए इतना बलिदान तो करना ही होगा.

मेरे सास-ससुर पुराने ख्यालात वाले हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हां हूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभी-कभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स संबंध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. स्वस्थ व जोशीली सैक्स लाइफ हमारे संबंधों को मजबूत बनाती है एवं जीवन को खुशियों से भरती है. संयुक्त परिवारों में जानबूझ कर औरतों को दबाने के लिए उन्हें पति से दूर रखा जाता है और वे पति के साथ खुल कर सैक्स ऐंजौय नहीं कर पातीं. इस के लिए आप को पति से खुल कर बात करनी होगी. सिर्फ आप ही नहीं आप के पति भी आप की चाह रखते होंगे. बेहतर होगा कि इस के लिए कभी किसी रिश्तेदार के या कभी मायके जाने के बहाने पति के साथ बाहर घूमने जाएं. इस तरह के संबंधों को तो झेलना ही होता है. कोई उपाय नहीं मिलता.

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टीवी पर आप ने एक विज्ञापन देखा होगा, जिस में 2 सहेलियां बहुत दिनों बाद मिलती हैं. पहली दूसरी से पूछती है, ‘‘क्या कर रही है तू?’’

दूसरी गर्व से कहती हैं, ‘‘बैंक में नौकरी कर रही हूं और तू?’’

पहली कुछ झेंपते हुए कहती है, ‘‘मैं… मैं तो बस हाउसवाइफ हूं.’’

यह विज्ञापन दिखाता है कि हमारे समाज में हाउसवाइफ को किस तरह कमतर आंका जाता है या यों कहें कि वह स्वयं भी खुद को कमतर समझती है, जबकि उस का योगदान वर्किंग वुमन के मुकाबले कम नहीं होता है. एक हाउसवाइफ की नौकरी ऐसी नौकरी है जहां उसे पूरा दिन काम करना पड़ता है, जहां उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती, कोई प्रमोशन नहीं मिलती, कोई सैलरी नहीं मिलती.

हजारों रुपए ले कर भी यह काम कोई उतने लगाव से नहीं कर पाता

आज महानगरों में ही नहीं, छोटेछोटे शहरों में भी घरेलू कार्यों के लिए हजारों का भुगतान करना पड़ता है. साफसफाई करने वाली नौकरानी इस मामूली से काम के भुगतान के रूप में क्व500 से क्व1000 तक लेती है. खाना बनाने के लिए और ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं. ऐसे ही बच्चों के लिए ट्यूशन की बात हो या फिर घर में बीमार मांबाप की सेवा की, कपड़े धोने की बात हो या फिर 24 घंटे परिवार के सदस्यों की सेवा के लिए खड़े होने की, हाउसवाइफ द्वारा किए जाने वाले कामों की लिस्ट लंबी है.

पत्नी को अर्द्धांगिनी कहा जाता है, पर वह उस से बढ़ कर है. तमाम मामलों में पति के लिए पत्नी की वही भूमिका होती है, जो बच्चे के लिए मां की. प्रतिदिन सुबह उठें तो चाय चाहिए, नहाने के लिए गरम पानी चाहिए या फिर नहाने के बाद तौलिया, जिम जाते समय स्पोर्ट्स शूज की जरूरत या फिर औफिस जाते समय रूमाल की, हर कदम पर पत्नी की दरकरार.

बच्चे के सुबह उठते ही दूध पिलाने से ले कर नहलाने, खाना खिलाने, स्कूल के लिए तैयार करने या फिर बच्चे के स्कूल से लौटने पर होमवर्क कराने और उस के साथ बच्चा बन कर खेलने तक की जिम्मेदारी हाउसवाइफ ही निभाती है. सब से अहम बात यह है कि हाउसवाइफ मां के रूप में बच्चे को जो देती है, वह लाखों रुपए ले कर भी कोई नहीं दे सकता.

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आखिर क्यों होता है शादी के बाद पति का बिहेवियर चेंज

जी हां अक्सर शादी के बाद पत्नियों की ये शिकायत होती है कि उनके पति शादी के बाद बदल गए हैं उनसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते हैं.उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी में अब प्यार नाम का कुछ रह ही नहीं गया है बस घर का काम करो बच्चे संभालो यही सब रह गया है…पति भले ही कुछ न बोलें लेकिन आप सोचिए की उस वक्त पति के मन में उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है जब उससे इतनी शिकायत हैं और घर चलाने की जिम्मेदारी भी.

शादी के पहले स्थिति इसलिए अलग होती है क्योंकि दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते हैं और उनके अंदर इच्छा होती है एक-दूसरे के बारे में जानने की क्या उसे क्या पसंद है क्या नहीं पसंद है और चूकिं वो एक-दूसरे से दूर होते हैं इसलिए उन्हें एक-दूसरे से बात करने का भी मन होता है और रात-रात भर बात करते हैं.उन्हें वो पल बहुत ही स्पेशल लगता है और होता भी है.वो एक-दूसरे से छुप-छुप कर मिलते भी हैं क्योंकि भारतीय संस्कार में शादी से पहले एक-दूसरे से ज्यादा मिलना अच्छा नहीं माना जाता लेकिन फिर भी वो मिलते हैं सबकी नजरों से छुप कर और ये सब करना उन्हें अच्छा लगता है उनके लिए ये सब पल बेहद खास होते हैं औऱ अब तो ये आम बात हो गई है सभी मिलते हैं.

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अब बात आती है शादी की तो शादी होने के बाद भी वो काफी दिनों तक एक-दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं और खूब सारी यादें संजोते हैं.साथ में घूमने जाते हैं लेकिन फिर धीरे-धीरे समय बीतने लगता है औऱ उनकी फैमिली आगे बढ़ती है बच्चे होतें हैं…पति के ऊपर जिम्मेदारी बढ़ने लगती है और फिर बच्चे का खर्च उसके कपड़े,खाना-पीना साथ ही जब वो बीमार पड़े तो उसकी दवाईयां ये सब कुछ,फिर धीरे-धीरे वही बच्चे बड़े होने लगते हैं औऱ उनका एडमिशन होता है और फिर स्कूल की फीस उनकी पढ़ाई –लिखाई पर खर्च ये सब कुछ एक पति सोचता है उसके दिमाग में यही चलता है कि बच्चे का खर्च औऱ उसका भविष्य सुधारने की चिंता.वो सोचता है कि सब कुछ तो है प्यार करने वाली पत्नी,बच्चे,घर परिवार तो अब जो नहीं है उसके बारे में सोचना चाहिए.अब आप सोचिए जिस इंसान के सर पर इतनी जिम्मेदारी होती है वो सिर्फ एक जगह पर फोकस कैसे कर सकता है? तो क्या ऐसे में एक पत्नी का ये कहना की उसका पति शादी के बाद बदल गया ये सही है?

मेरे हिसाब से तो नहीं क्योंकि स्थिति भी तो बदल जाती है बाद में.एक व्यक्ति का दिमाग एक वक्त में कई जगह चलता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो अपनी पत्नी के विषय में नहीं सोचता है वो सोचता है क्योंकि वो जो कुछ भी करता है अपने परिवार के लिए ही करता है उनके लिए ही दिन-रात मेहनत करके पैसा कमाता है ताकि वो सुख से रह सकें.उन्हें किसी भी चीज़ की कमी न हो.जो कुछ भी चाहें या कहें वो सब उन्हें मिल सके.तो इसलिए ऐसे में एक पत्नी का धर्म है कि वो अपने पति को समझे उनका साथ दें ना कि दिन-रात उनसे शिकाय़तें करें और क्योंकि आपका परिवार खुश रहे आपके पति खुश रहें ये सिर्फ एक पत्नी के ही हांथों में होता है.

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जानिए अपनी प्रेमिका को धोखा क्यों देते हैं पुरुष

एक रिलेशनशिप में एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरुरी होता है, तभी एक रिश्ता सही रहता है. एक-दूसरे की भावनाओं को समझना रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के समय में बहुत से पुरुष अपने रिश्ते के प्रति वफादार नहीं रहते हैं और अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. जो पुरुष अपनी साथी को धोखा देने के बारे में सोचते हैं उन्हें इस बात का बिल्कुल आभास नहीं होता है कि वे कुछ गलत कर रहें हैं. पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अपने साथी को कम धोखा देती हैं.

1. अपने साथी के प्रति वफादार नहीं होते हैं:

कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने साथी के लिए वफादार होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती. इस तरह के पुरुष सिर्फ अपनी महिला साथी का इस्तेमाल करते हैं. वे उन्हें स्पेशल महसूस कराते हैं. लेकिन वास्तव में वह अपनी साथी के लिए बिल्कुल भी ईमानदार नहीं होते हैं.

2. अपने साथी को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं

हर व्यक्ति धोखा दे ऐसा जरुरी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने रिश्ते को लेकर थोड़े असुरक्षित होते हैं. जिसके कारण ना चाहते हुए भी वह अपने पार्टनर के साथ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इस बात का डर होता है कि कहीं वे अपने साथी को खो तो नहीं देंगे. इस डर की वजह से वे अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं और अपने पार्टनर को धोखा दे बैठते हैं.

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3. वह नहीं समझते हैं कि उनके पास जो है कितना अनमोल है:

हमेशा लोगों को जितना मिलता है उससे अधिक पाने कि इच्छा होती है. और इनके पास जो होता है वह उसकी कद्र नहीं करते हैं. ऐसा पुरूषों के साथ भी होता है कि उन्हें जैसी पार्टर मिली होती है वह उन्हें कम ही लगता है. उनके दिमाग में हमेशा यह बात होती है कि जो मिला है उन्हें उससे और बेहतर मिल सकता है. ऐसे पुरूषों में अपने पार्टनर को धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि इन्हें जितना मिलता है उसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है.

4. पुरुष भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं:

पुरुष भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनमें सेल्फ कंट्रोल की कमी होती है इस वजह से उनके लिए अपने पार्टनर को धोखा देना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित हो जाते हैं और कभी-कभी दूसरे की बातें सुनकर अपने पार्टनर की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं.

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पति-पत्नी के बीच क्यों कम हो रहा है प्यार

9प्यार के बाद प्रेमी जोड़े शादी तो बड़ी आसानी से कर लेते हैं, मगर जब निभाने की बारी आती है तब वही रिश्ता बोझ लगने लगता है. आजकल ऐसे शादीशुदा जोड़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन के बीच वक्त के साथ प्यार में कमी आने लगी है और नतीजा यह कि सालों रिश्ते में टिके रहने के बाद एक दिन तलाक लेने का फैसला ले लेते हैं.

विवाह का बंधन बहुत ही पेचीदा इंसानी रिश्ता है और अधिकतर लोग बहुत कम तैयारी के साथ इस बंधन में बंधते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक-दूसरे के लिए ही बने हैं. डा. डीन एस. ईडैल कहते हैं कि हमें ड्राइविंग लाइसैंस पाने के लिए कुछ हद तक अपनी काबिलियत दिखानी पड़ती है पर वहीं शादी का सर्टिफिकेट पाने के लिए सिर्फ मात्र दस्तखत ही काफी हैं.

हालांकि बहुत से पतिपत्नी अंत समय तक खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं, मगर काफी पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और इस का कारण है एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाले रखना. शादी के पहले पतिपत्नी एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाल बैठते हैं, मगर जिंदगीभर साथ निभाने के लिए जो हुनर चाहिए होता है, वह उन के पास नहीं होता. शुरूशुरू में जब लड़कालड़की एकदूसरे के करीब आते हैं, तब उन्हें लगता है दोनों एकदूजे के लिए ही बने हैं और उन के साथी जैसा दुनिया में और कोई है ही नहीं. उन्हें लगता है, एकदूसरे का स्वभाव भी काफी मिलताजुलता है, लेकिन शादी के कुछ सालों बाद ही उन की एकदूसरे के प्रति भावनाएं खत्म सी होने लगती हैं और जब ऐसा होता है तब यह वैवाहिक जीवन को तबाह, बरबाद कर सकता है. कुछ शादियां तो अपनी मंजिल तक पहुंच जाती हैं, मगर कुछ बीच में ही दम तोड़ देती हैं, क्यों? आइए जानते हैं:

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1 जरूरत से ज्यादा उम्मीदें:

स्नेहा कहती है कि जब उसे राहुल से प्यार हुआ तब लगा वही उस के सपनों का राजकुमार है. उस के जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं है और अब उस के जीवन में सिर्फ रोमांस ही रोमांस होगा. दोनों एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर हंसतेखेलते जीवन गुजार देंगे. मगर शादी के कुछ सालों बाद ही स्नेहा को अपने सपनों के राजकुमार में एक शैतान नजर आने लगा, क्योंकि वह उस की एक भी उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. लव स्टोरी वाली फिल्में, रोमांटिक गाने प्यार की ऐसी तसवीरें पेश करते हैं कि हकीकत में भी हमें वही नजर आने लगता है. मगर हम भूल जाते हैं कि यह सचाई से कोसों दूर होता है. लैलामजनूं, हीररांझा का प्यार इसलिए अमर हो गया, क्योंकि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए, अगर बंधते तो शायद उन के भी कुछ ऐसे ही बोल होते. शादी से पहले की मुलाकातों में शायद लड़कालड़की को लगे कि उन के सारे सपने साकार हो जाएंगे, मगर शादी के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि वाकई वे सपनों की दुनिया में ही खोए हुए थे. बेशक पतिपत्नी को अपनी जिंदगी में एकदूसरे से उम्मीदें पालना गलत नहीं है, मगर इच्छाएं इतनी भी न पालें कि सामने वाला पूरा ही न कर पाए.

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2 आपसी तालमेल की कमी:

एक शादीशुदा औरत का कहना है कि वह और उस के पति हर मामले में एकदम अलग राय रखते हैं. कभी उन के विचार मिले ही नहीं मानों एक पूरब है तो दूसरा पश्चिम. उस का एक दिन भी ऐसा नहीं जाता, जब वह अपने पति से शादी करने के फैसले पर पछताती न हो. शादी के कुछ समय बाद ही उसे लगने लगा कि उस का साथी बिलकुल भी वैसा नहीं है जैसा उस ने सोचा था.

इस बात पर डा. नीना एस. फील्ड्स का कहना है कि अकसर शादी के बाद एक इंसान के गुण साफ नजर आते हैं, जिन्हें शादी के पहले नजरअंदाज कर दिया जाता है. इस का परिणाम यह होता है कि शादी के कुछ सालों बाद पतिपत्नी शायद इस नतीजे पर पहुंचें कि उन का एकदूसरे के साथ कोई तालमेल बैठ ही नहीं सकता.

एकदूसरे के विचार न मिलने के बावजूद कितनी जोडि़यां इसलिए शादी के बंधन में बंधी रह जाती हैं, क्योंकि समाज और लोग क्या कहेंगे और कुछ तो समझ ही नहीं पाते कि इस रिश्ते को निभाएं या तोड़ दें.

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3 लड़ाई-झगड़े:

पतिपत्नी के बीच तकरार न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन तकरार जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तब क्या किया जाए? इस पर डा. गोलमैन लिखते हैं कि अगर शादी का बंधन मजबूत है तो पतिपत्नी को लगता है कि वे बेझिझक एकदूसरे से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन अकसर गुस्से में आ कर शिकायत ऐसे तरीके से की जाती है जिस से नुकसान होता है और इस के जरीए अपने साथी के चरित्र पर कीचड़ उछाला जाता है, जिसे दूसरा कतई बरदाश्त नहीं कर पाता और झगड़ा बढ़ता जाता है. जब पतिपत्नी गुस्से में आपे से बाहर हो जाते हैं तब उन का घर घर न रह कर एक जंग का मैदान बन जाता है और पिसते हैं उन के बच्चे.

झगड़ा सुलझाने के बजाय वे अपनी जिद पर अड़े रहते हैं. उन के शब्द कब हथियार का रूप ले लेते हैं पता ही नहीं चलता. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जो झगड़े काबू से बाहर हो जाते हैं उन में सब से ज्यादा नुकसान तब होता है जब पतिपत्नी एकदूसरे को कुछ ऐसी बातें कह देते हैं जो उन के वैवाहिक जीवन को खतरे में डाल देती हैं. उन्हें ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए.

4 पल्ला झाड़ लेना:

शादी के कुछ सालों बाद अपने वैवाहिक जीवन से ऊब कर एक पत्नी ने कह दिया कि अब उस से नहीं होगा, क्योंकि अपने वैवाहिक जीवन को बचातेबचाते वह थक चुकी है.

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उसे मालूम है जब इस से कोई फायदा ही नहीं, तो फिर क्यों वह रिश्ता बचाने की कोशिश में लगी हुई है? अब उसे सिर्फ अपने बच्चे से मतलब है. कहते हैं जब पतिपत्नी एकदूसरे से प्यार करते हैं, तो बेइंतहा प्यार करते हैं. मगर जब बेरुखी बढ़ती है, तो बढ़ती ही चली जाती है. एकदूसरे से वैमनस्य पाल लेते हैं. मगर कुछ पतिपत्नी इसलिए रिश्ते निभाते चले जाते हैं कि और चारा क्या है? इसी पर एक पति का कहना है कि बेमन से विवाह के बंधन में बंधे रहना ऐसी नौकरी के समान है जिसे करने का मन नहीं है, पर फिर भी करनी पड़ती है.

आप अपनी ओर से लाख अच्छा करने की कोशिश करें, पर सामने वाले को उस बात की कद्र नहीं होती. वहीं एक पत्नी का कहना है कि वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से अब निराश हो चुकी है. बहुत कोशिश की उस ने रिश्ते सुधारने की, पर सब बेकार. निराशा, तालमेल की कमी, लड़ाईझगड़ा और बेरुखी तो सिर्फ चंद वजहें हैं जिन की वजह से पतिपत्नी के बीच प्यार की कमी हो सकती है. लेकिन क्या सिर्फ यही वजहें हैं या कुछ और भी हैं?

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कुछ और कारण शादी दरकने के

पैसा: पतिपत्नी के बीच पैसा एक सैंसिटिव इशू होता है. जब दोनों कमाऊ हैं, तो अपना वेतन कैसे खर्च करना है और कहां इन्वैस्ट करनी है, यह विवाद का विषय बन जाता है और झगड़ा होने लगता है. अत: इस से बचने के लिए पतिपत्नी को मिलबैठ कर हर महीने का बजट बनाना चाहिए और जहां भी पैसा लगाना है एकदूसरे को जानकारी होनी चाहिए.

जिम्मेदारियां: देखा गया है कि 67% पतिपत्नी के प्यार में पहला बच्चा आते ही कमी आ जाती है और पहले से 8 गुना ज्यादा झगड़े होने लगते हैं. कुछ हद तक इस की वजह यह होती है कि दोनों अपने कामों से इतने थक जाते हैं कि खुद के लिए भी उन्हें फुरसत नहीं मिलती.

फरेब, धोखा:

एकदूसरे पर भरोसा, सफल शादीशुदा जिंदगी के लिए निहायत जरूरी है. एकदूसरे पर भरोसा टूटना, पतिपत्नी के रिश्ते को बरबाद कर सकता है.

लैंगिक संबंध:

चाहे कितना भी मनमुटाव हो जाए दोनों के बीच, अगर सैक्स संबंध सही है, तो झगड़ा, मनमुटाव भी ज्यादा देर नहीं टिक पाता. लेकिन जब वही संबंध नहीं रह पाता उन के बीच तो फिर नौबत के तलाक तक पहुंचते देर नहीं लगती.

हस्तक्षेप:

पतिपत्नी के संबंधों में हस्तक्षेप करना, पतिपत्नी के संबंधों में किसी दूसरे का दखल या सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण किसी दूसरे को चाहने लगना आदि कारणों से भी मनमुटाव उत्पन्न होने लगता है.

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बच्चों पर क्या होता है असर:

आप की शादीशुदा जिंदगी कैसी है इस का साफ असर बच्चों पर पड़ता है. डा. गोलमैन ने शादीशुदा जोड़ों पर लगभग 20 साल तक खोजबीन की. 10-10 साल के 2 अध्ययनों में उन्होंने देखा कि नाखुश मातापिता के बच्चों की हृदय गति, अठखेलियां करते वक्त ज्यादा तेज चलती है और उन्हें शांत होने में वक्त लगता है. मातापिता के कारण बच्चे पढ़ाई में भी अच्छे अंक नहीं ला पाते, जबकि बच्चे पढ़ने में होशियार होते हैं.

वहीं दूसरी तरफ जिन पतिपत्नी के बीच सही तालमेल होता है उन के बच्चे पढ़ाई के साथसाथ सामाजिक कार्यों में भी बेहतर होते हैं. पतिपत्नी के रिश्ते में मनमुटाव न हो, रिश्ता न टूटे, दांपत्य जीवन सुखमय हो, वैवाहिक जीवन में कोई समस्या न हो इस के लिए जरूरी है पतिपत्नी आपसी समस्याएं खुद निबटा लें. किसी तीसरे को अपनी जिंदगी में हस्तक्षेप न करने दें.

Edited By- Nisha Rai

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