आप चाहकर भी नहीं बदल सकतीं पति की ये 5 आदतें, पढ़ें खबर

सभी मानते हैं कि जब भी किसी लड़के की शादी होती हैं तो उसकी जिंदगी में कई बदलाव आते हैं और उसकी कुछ आदतें छूट जाती हैं. लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं हैं क्योंकि हर पति में कुछ आदतें ऐसी कौमन होती हैं जो एक बीवी चाहकर भी नहीं बदल पाती है.

हर लड़की यही सोचती रहती है कि किस तरह से पति की इन आदतों को बदला जाए, लेकिन वह सभी प्रयासों में असफल रहती हैं. तो आइये जानते हैं हर पति में पाई जाने वाली उन 5 कौमन आदतों के बारे में.

1. क्रिकेट से प्यार

लड़कों को क्रिकेट देखना बहुत पसंद होता है. खासतौर पर जब वर्ल्ड कप मैच हो, वह स्पैशल औफिस से छुट्टी लेते हैं. क्रिकेट का मैच देखते हुए अपने पार्टनर को अपनी ओर आकर्षित करने की जितनी भी कोशिश कर लें लेकिन आप उनका ध्यान नहीं हटा पाएंगी.

2. मां से कंपैरिजन

पुरुषों में एक बहुत बुरी आदत होती है अपनी पत्नी की मां से तुलना करने की आदत. वह हर छोटी-छोटी बात पर अपनी पत्नी की मां से तुलना करने लगते हैं. खासतौर पर खाने के लेकर कि तुम मेरी मां जैसा स्वादिष्ट खाना बना ही नहीं सकती.

ये भी पढ़ें- नीरस हो रहे रिश्ते में रोमांस जगाने के आजमाएं ये टिप्स

3. झूठ बोलने की आदत

पत्नी कभी भी अपने पार्टनर की झूठ बोलने की आदत कभी नही छुड़ा सकती. पुरुष अपनी पत्नी को खुश रखने और नोक-झोंक से बचने से लिए उसे छोटे-छोटे झूठ बोलते ही रहते हैं.

4. स्मोक करने की आदत

पुरुषों में सबसे बुरी आदत होती है नशे की. पत्नी कभी भी उनकी इस आदत को छुड़ा नहीं सकती. आपका पति चाहे आपके सामने सिगरेट न लेता हो लेकिन वह बाहर जा कर आपसे चोरी छिपे सिगरेट जरूर पी लेता होगा.

5. दूसरी लड़कियों को देखने की आदत

पुरुषों की अपनी पत्नी चाहे जितनी भी मर्जी खूबसूरत हो, लेकिन वह दूसरी लड़कियों को देखने से कभी नहीं हटते, चाहे वो उन्हें गलत नजर से न देखते हों. उनकी इन आदतों को लेकर झगड़ा न करें. उन्हें समझाने की कोशिश करें.

ये भी पढें- महिलाओं के इन 10 नखरों के बारे में जान कर आप मुस्कुराए बिना नहीं रहेंगे

नीरस हो रहे रिश्ते में रोमांस जगाने के आजमाएं ये टिप्स

जब लंबे समय तक साथ रह कर ऐसा अनुभव होने लगे कि आप सोलमेट के साथ नहीं, फ्लैटमेट के साथ रह रहे हैं, तो समझ लीजिए आप को कुछ तरीके अब सोचने ही पड़ेंगे कि कैसे रोमांस फिर से लाया जाए. कुछ बोरियत को उम्र का बढ़ना मान लेते हैं और फिर इस बोरियत से बचने के लिए कहीं और आकर्षित होने लगते हैं. मगर ऐसी नौबत आने ही न दें.

रिलेशनशिप थेरैपिस्ट रीता कोठारी का कहना है, ‘‘परफैक्ट रिलेशनशिप का आइडिया ही एक भ्रम है. सब में अच्छीबुरी आदतें होती हैं. बस प्यार ही वह भावना है, जो इस रिश्ते को सहेज कर रख सकती है और एकदूसरे की बुरी आदतों की उपेक्षा कर सकती है.’’

आइए, जानें कि विशेषज्ञ आप के रिश्तों को सुधारने के लिए क्या होमवर्क करने के लिए कहते हैं:

आलिंगन से बढ़ता है विश्वास

रिलेशनशिप कोच आदिति का कहना है, ‘‘आलिंगन से विश्वास बढ़ता है और हैप्पीनैस हारमोंस औक्सीटोसिन और सैरोटोनिन बढ़ते हैं. इस से निराशा कम होती है और अंडरस्टैंडिंग बढ़ती है. जानें कि आप के पार्टनर को क्या अच्छा लगता है. कुछ पल बांहों में रहना या कम देर रहना. रिसर्च कहती है कि बहिर्मुखी लोगों को दिन में 8 बार हग करना अच्छा लगता है.’’

मनोवैज्ञानिक डा. अंजलि कहती हैं, ‘‘रिसर्च के अनुसार प्रिय की मौजूदगी से किसी भी कार्य को करने की सामर्थ्य बढ़ती है. जो कपल्स साथ ऐक्सरसाइज करते हैं उन की बौंडिंग ज्यादा अच्छी होती है. एक दंपती ने अपना अनुभव बताया कि दोनों ने एक डांस क्लास साथ जौइन की तो दोनों के रिश्ते में बहुत सकारात्मक परिवर्तन हुआ. अत: कोई भी ऐक्टिविटी साथ जरूर करें.’’

ये भी पढ़ें- महिलाओं के इन 10 नखरों के बारे में जान कर आप मुस्कुराए बिना नहीं रहेंगे

कैसे बढ़ाएं अंतरंगता

अंजलि आगे कहती हैं, ‘‘बैड पर एक ही समय जाएं. इस से दोनों को कुछ समय साथ रहने को मिलेगा जिस से अंतरंगता बढ़ेगी. हां, यह प्रतिदिन तो संभव नहीं हो

सकता, क्योंकि कोई पार्टनर देर तक काम कर रहा हो सकता है या बाहर हो सकता है पर कोशिश करें कि ऐसा महीने में 7 दिन तो हो.

1991 में जेफरी लार्सन की रिसर्च के अनुसार जिन पतिपत्नी का स्लीपिंग पैटर्न मैच नहीं करता उन्हें ऐडजस्टमैंट में मुश्किलें आती हैं.

छोटेछोटे संकेत से बढ़ाएं प्यार

एकदूसरे का हाथ पकड़ कर दिन की शुरुआत करें या मौर्निंग वाक के समय या चाय पीते हुए. इस से प्यार में ऊष्मा बढ़ती है या बाहर जाने पर टेबल तक ही हाथ पकड़ लें. हाथ और उंगलियों में सब से ज्यादा स्पर्श की अनुभूति होगी. इस टच से स्ट्रैस हारमोंस कम होते हैं और दोनों रिलैक्स्ड होते हैं. इसलिए एकदूसरे के हाथ में अपना हाथ देने में देर न करें. इस स्पर्श का आनंद उठाएं.

वैवाहिक जीवन की सफलता और इसे आनंददायक बनाने के लिए पार्टनर को थैंक्स बोलते रहना बहुत जरूरी है. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे को टेकेन फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं पर रोज किसी न किसी बात पर एकदूसरे को प्यार से थैंक्स कहने से यही लगेगा कि दोनों की हर बात पर एकदूसरे का ध्यान है. ये छोटेछोटे संकेत प्यार बढ़ाते हैं.

मोबाइल से दूर रहें

अमेरिकन साइकोलौजिकल ऐसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार स्मार्टफोन के ज्यादा प्रयोग से रिश्तों में अनिश्चितता आती है, गैजेट्स ने पतिपत्नी के समय और स्पेस पर असर डाला है. दोनों भले ही साथ खाना खा रहे हों पर ध्यान फोन पर होता है. साथ होने पर आधा घंटा फोन से दूर रहने की आदत डालना इतना मुश्किल भी नहीं है. हो सके तो डाइनिंग टेबल को नो फोन जोन बना दें. आधा घंटा भी बात कर के दोनों एकदूसरे के साथ और जुड़ सकते हैं.

हंसने से फील गुड हारमोन इंडोर्फिंस बढ़ता है जो इम्यून सिस्टम को अच्छा रखता है. महिलाएं पुरुषों में सैंस औफ ह्यूमर होना पसंद करती हैं पर इस के लिए स्टैंडअप कौमेडियन होना जरूरी नहीं है. कोई फनी मूवी साथ देखें या कोई फनी चीज किसी बुक से सुनाएं, साथ हंसें और हंसाएं.

ये भी पढ़ें- इमोशनल ब्लैकमेलिंग : संबंधों के माध्यम से शोषण

बिताएं खुशनुमा पल

धीरेधीरे समय के साथ काम और परिवार की जिम्मेदारी में सैक्स पीछे छूटता चला जाता है. सब से ध्यान हटा कर हफ्ते में कम से कम 1 बार ही सही सैक्स का आनंद अवश्य लें.

कभीकभी अकेले कहीं समय बिताने जाएं, यह जरूरी है. चाहे आप को हर काम अपने पार्टनर के साथ करने की आदत हो पर कभीकभी सिर्फ अपनी कंपनी ऐंजौय करें.

मैरिड लाइफ को लेकर छपने वाले विज्ञापनों के दावे क्या सच हैं?

सवाल

मैं 35 वर्षीय विवाहिता हूं. पत्र पत्रिकाओं के पन्ने पलटते समय देखती हूं कि उन में प्राय: सैक्स टौनिकों को ले कर कई तरह के विज्ञापन छपते रहते हैं. क्या उन में किए गए दावे सचमुच सच होते हैं? उन से कैसे और क्या क्या लाभ मिल सकता है?

जवाब

अच्छा होता आप अपने सवाल के पीछे छिपे उद्देश्य के बारे में भी हमें खुल कर लिखतीं. क्या आप के पति शिश्नोत्थान से संबंधित किसी प्रकार की समस्या से गुजर रहे हैं या आप दोनों यों ही अपनी सैक्स लाइफ में कुछ ऐक्सपैरिमैंट करने के इच्छुक हैं?

बहरहाल, सचाई यह है कि अधिकांश सैक्स टौनिक मात्र विज्ञापन के जोर पर बिकते हैं, उन में कोई ऐसा औषधीय गुण नहीं होता कि व्यक्ति उन से लाभ पा सके. उन की कामयाबी का जादू मात्र उन से मिली मानसिक प्रेरणा होती है न कि अंदर आया कोई कैमिकल परिवर्तन. यह सोच कि दवा लेने से यौन सामर्थ्य बढ़ जाएगी, दवा की सफलता मात्र इसी से जुड़ी होती है.

दवा की जगह गोलीकैप्सूल में ग्लूकोज की पुडि़या बांध दी जाए और व्यक्ति को उस के प्रति विश्वास हो तो यह भी लाभकारी साबित होगी. सैक्स टौनिक बेचने वाली बहुत सी कंपनियां दवा की बोतल और गोलीकैप्सूल के पैक पर इसीलिए घोड़े और दूसरे चित्र भी लगा देती हैं ताकि ग्राहक का मन जीता जा सके. दरअसल, कमाल बोतल पर चिपके घोड़े के चित्र से ही होता है न कि गोलीकैप्सूल में बंधी दवा से.

ये भी पढ़ें- 

शबनम अकेले ही एक टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी और जावेद अलग टेबल पर. 5 सालों के बाद उन के चेहरों में कोई खास फर्क नहीं आया था.

शबनम को खातेखाते कुछ याद आया और वह खाना छोड़ कर जावेद के टेबल की तरफ बढ़ी. शायद उसे 5 साल पहले की कोई बात याद आई थी.

‘‘आप ने खाने से पहले इंसुलिन

का इंजैक्शन लिया है कि नहीं?’’ शबनम ने जावेद से पूछा.

‘‘इंजैक्शन लिया है. लेकिन 5 साल तक तलाकशुदा जिंदगी गुजारने के बाद तुम्हें कैसे याद है?’’ जावेद ने पूछा.

‘‘जावेद, मैं एक औरत हूं.’’

‘‘तुम्हारे जाने के बाद, इतना मेरा किसी ने खयाल नहीं रखा,’’ जावेद

ने कहा.

‘‘अगर ऐसी बात थी तो तुम ने मुझे तलाक क्यों दिया?’’

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- कुंआरे बदन का दर्द

Relationship Tips: शादी से पहले आखिर क्यों जरूरी है मैडिकल जांच

श्वेता और अमन की कुंडली व गुण मिला कर विवाह कराया गया. ज्योतिषी ने दावा करते हुए कहा था, ‘‘श्वेता और अमन जीवनभर खुश रहेंगे.’’

मगर विडंबना देखिए कि शादी के दूसरे दिन ही श्वेता आंखों में आंसू लिए घर लौट आई. उसे शादी में आए किसी रिश्तेदार से पता चला कि अमन को एड्स है. विवाह से पहले अमन ने उस से इतनी बड़ी बात छिपा ली थी. यदि ज्योतिष के पाखंड में न पड़ कर दोनों की मैडिकल जांच की गई होती तो श्वेता को यह दुख न भोगना पड़ता.

आज के विज्ञान के युग में भी ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि मैडिकल टैस्ट कराना बेकार है. मैडिकल टैस्ट कराने में उन के अहंकार को चोट पहुंचती है. उन्हें लगता है कि जब उन्हें बीमारी है ही नहीं तो बेकार में मैडिकल टैस्ट क्यों कराया जाए. कुछ लोग सबकुछ भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं. कुछ सोचते हैं कि शादी के बाद कोई बीमारी हो जाएगी तब भी तो निभाना पड़ेगा. कुछ को ऐसा भी लगता है कि मैडिकल टैस्ट पर क्यों बेकार में इतने रुपए खर्च किए जाएं. मगर यदि डाक्टर की सलाह ले कर छोटी सी सावधानी बरतते हुए विवाह से पहले कुछ टैस्ट करा लिए जाएं तो दोनों परिवार बहुत सी परेशानियों से बच सकते हैं.

अब समय बदल रहा है. आजकल बड़ी उम्र में विवाह होते हैं. मैडिकल साइंस भी दिनप्रतिदिन तरक्की कर रही है. आज का युवावर्ग बहुत समझदार हो गया है. पहले की तरह मात्र जन्मपत्री मिला कर शादी कर लेना युवाओं को भी अब मान्य नहीं. सफल एवं सुरक्षित वैवाहिक जीवन के लिए यह जरूरी है कि विवाह से पहले लड़कालड़की अपनी इच्छा से अपनी मैडिकल जांच जरूर कराएं ताकि औलाद और खुद को रोगों से बचाया जा सके. इस से वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता बनी रहेगी.

ये भी पढ़ें- शादी का मतलब खुद को खोना नहीं

सामाजिक परंपरा: आज के बदलते परिवेश में समाज तथा सरकार को विवाह से पहले लड़केलड़की की मैडिकल जांच के लिए बढ़ावा देना चाहिए. विवाह से पहले मैडिकल टैस्ट की सामाजिक परंपरा बनने से लोग अपनी इच्छा से मैडिकल टैस्ट कराने के लिए तैयार होंगे.

अकसर देखा जाता है कि विवाह के समय कुछ लोग अपनी बीमारियों को छिपा लेते हैं. जब शादी के बाद बीमारी के बारे में पता चलता है तब नए संबंध के शुरू में ही प्रेम और विश्वास की डोर टूटने से मनमुटाव बढ़ जाता है. कभीकभी तो तलाक तक की नौबत आ जाती है, तो कभी इस के दुष्परिणाम जीवनभर भोगने पड़ते हैं.

रीमा से विवाह के समय यह बात छिपाई गई कि उस के पति के दिल में छेद है. कुछ समय बाद ही वह विधवा हो गई. इस घटना के बाद से उस का विवाह से विश्वास ही उठ गया. अब वह अकेले जीवन व्यतीत कर रही है.

कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि लड़के या लड़की को खुद भी अपनी बीमारी का पता नहीं होता. मैडिकल टैस्ट के द्वारा उन्हें खुद भी अपने रोग का पता चलता है. इस से समय रहते इलाज कराया जा सकता है.

विवाह जैसे बंधन की नींव झूठ पर नहीं होनी चाहिए. अपने रोग की जानकारी लड़के और लड़की को जरूर देनी चाहिए. मैडिकल टैस्ट की संख्या बहुत है, इसलिए सभी टैस्ट कराने तो मुमकिन नहीं है, फिर भी कुछ जरूरी टैस्ट कराने से बहुत से रोगों का पता चल जाता है. प्रेमपूर्ण सुरक्षित वैवाहिक जीवन तथा अपनी औलाद के स्वास्थ्य के लिए शादी से पहले जरूरी मैडिकल टैस्ट कराना उचित होगा.

जरूरी टैस्ट

निम्न मैडिकल टैस्ट शादी से पहले जरूर करा लेने चाहिए:

एसटीडी टैस्ट: आजकल युवकयुवतियां बड़ी उम्र में विवाह करते हैं. अत: एसटीडी यानी ट्रांसमिटेड डिजीज टैस्ट बेहद जरूरी है. वरवधू को यह टैस्ट जरूर करवाना चाहिए. कुछ सैक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारियों जैसे एड्स, सिफलिस, गोनोरिया आदि. ये एक पार्टनर से दूसरे तक आ जाती हैं. लड़का या लड़की किसी को भी यदि बीमारी होगी तो दूसरे को भी वह बीमारी हो सकती है. औलाद भी इस रोग से ग्रस्त हो सकती है. अत: टैस्ट कराना बहुत जरूरी होता है.

हीमोग्लोबिन इलैक्ट्रोफोरेसिस टैस्ट: इस टैस्ट के द्वारा थैलेसीमिया, सैकल सैल डिजीज जैसे आनुवंशिक डिसऔर्डर का पता चल जाता है. यदि वर और वधू दोनों इस बीमारी के वाहक हैं तो संतान भी इस बीमारी से ग्रस्त हो जाएगी. अत: यह टैस्ट कराना बहुत जरूरी है ताकि घातक बीमारियों से बचा जा सके.

फर्टिलिटी से संबंधित टैस्ट: इस टैस्ट से औलाद पैदा करने की क्षमता का पता चल जाता है. कई बार संतान न होने पर केवल पत्नी को ही दोषी ठहरा दिया जाता है. यह टैस्ट लड़कालड़की दोनों को कराना चाहिए. लड़कों का सीमन ऐग्जामिनेशन कराना चाहिए ताकि स्पर्म काउंट पता चल सके. लड़कियों के लिए हारमोनल जांच जरूरी है.

ये भी पढ़ें- Raksha Bandhan Special: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

जेनेटिक डिजीज चैकअप: यदि विवाह से पहले जेनेटिक डिजीज चैकअप करा लिया जाए तो अपनी पारिवारिक बीमारियों का पता चल जाता है. यदि कोई आनुवंशिक बीमारी है तो समय रहते उस का इलाज करवाया जा सकता है.

जनरल हैल्थ चैकअप: यदि शादी से पहले जनरल हैल्थ चैकअप करवा लिया जाए तो यह वरवधू दोनों के लिए बहुत सहायक होगा. सीबीसी टैस्ट यानी कंप्लीट ब्लड सैल काउंट,  किडनी फंक्शन, लिवर फंक्शन, शुगर टैस्ट आदि कराने से जो भी बीमार निकले उस का इलाज किया जा सकता है.

शादी का मतलब खुद को खोना नहीं

हाल ही में लांसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित गए एक ग्लोबल सर्वे के मुताबिक 2016 में दुनिया भर की जितनी भी महिलाओं ने आत्महत्या की उन में हर तीसरी महिला यानि 37 % एक भारतीय है.

कम उम्र में शादी और बच्चे, घरेलू  हिंसा, समाज में दोयम दर्जा, करियर के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ, कलह, वित्तीय परतंत्रता जैसी वजह उन्हें डिप्रेशन में डाल जाते हैं. वे अपना पक्ष बोलना चाहें तो उन्हें चुप करा दिया जाता है. उन की अपेक्षाओं को नजरअंदाज किया जाता है.

असल में, ज्यादातर महिलाएं एक बात से ज़्यादातर जूझती हैं या यह कह सकते हैं कि उसके लिए वह तैयार नहीं हो पाती, वह मुद्दा है उन की स्वयं से अपेक्षाएं और दूसरों की उनसे अपेक्षाओं के बीच उठने वाला विरोधाभास.

28 साल की प्रज्ञा कहती हैं  , “शादी से पहले तो मेरा बॉयफ्रेंड अलग था. हम दोनों के बीच में बहुत अंडरस्टेंडिंग थी लेकिन शादी के बाद तो वह बिलकुल बदल गया है.   मुझ से कहता है कि मुझे उसके पेरेंट्स के हिसाब से चलना होगा.ऐसा लगता है जैसे मेरा अपना कोई वजूद ही नहीं.’

वस्तुतः  शादी के बाद महिलाओं से खुद ब खुद आधुनिक से पारंपरिक तौरतरीकों में बदल जाने की अपेक्षा की जाती है और उन्हें इस दोहरी भूमिका की तैयारी के लिए वक्त भी नहीं दिया जाता है.

कई महिलाएं शादी के बाद काम करना चाहती हैं लेकिन उन से ऐसा नहीं करने की उम्मीद की जाती है. कभीकभी काम करने वाली महिलाओं से घर भी संभालने और साथ ही उन की कमाई भी घर में देने की उम्मीद की जाती है.

ये भी पढ़ें-Raksha Bandhan Special: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

इस के अतिरिक्त छोटे परिवारों में घरेलू जिम्मेदारियों को साझा करना भी एक विवाद का विषय है. वित्तीय फैसले और यहां तक कि सामान्य निर्णय लेना अभी भी पुरुषों का एकाधिकार माना जाता है और महिलाओं पर इन मामलों से दूर रहने का दबाव बनाया जाता है.

परिवार शुरू करने के लिए अक्सर महिलाओं को अपना कैरियर छोड़ना पड़ता है और कभीकभी वह वापसी भी नहीं कर पाती हैं. आज के समय में महिला सिर्फ वित्तीय कारणों के लिए काम नहीं करती बल्कि वह इस माध्यम सेअपना वजूद महसूस करना करना चाहती हैं. जॉब उन अंदर आत्मविश्वास भरता है.

वैवाहिक संघर्ष की एक सब से बड़ी जड़ यह है कि महिला अपनी राय व्यक्त करने और निर्णय लेने की आजादी चाहती हैं लेकिन विवाह के बाद उन्हें यह नहीं मिल पाता है.

शीरोज डॉट कॉमसे जुड़ी लाइफ कोच मोनिका मजीठिया  इस सन्दर्भ में कुछ उपाय बताते हुए कहती हैं, शुरुआत के तौर पर, महिलाओं को शादी से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातचीत करने की सलाह दी जाती है. परंपराओं के दायरे में महिलाएं अपनी आकांक्षाओं और सपनों को अपने भावी जीवन साथी से साझा कर सकती हैं. ऐसा करने का मतलब अपनी कोई माँग दूसरों के आगे रखना बिलकुल नहीं है, बल्कि स्वयं की पहचान को बनाए रखना है.शादी से पहले इन बातों पर चर्चा करने की कोशिश करें अपने कैरियर, आकांक्षाएं और आप दोनों शादी के बाद इन्हें कैसे संतुलित कर सकते हैं.

आप समानता केवल तभी व्यक्त कर सकती हैं जब आप समानता खुद महसूस करती हों. अपने आप को निवेश, बचत, बीमा जैसे वित्तीय मामलों के बारे में शिक्षित करें. विवाह में अधिकतम झगड़े वित्तीय मुद्दों के कारण होते हैं, इसलिए उन्हें सुलझाएं या संतुलित कर लें.अपनी सैलरी के रूपए पूरी तरह घरवालों के सुपुर्द न करें बल्कि कुछ निवेश के लिए रख लें जो बुरे वक़्त आप के काम आये.

अपने कैरियर की योजना बनाएं. अक्सर विवाह के बाद महिलाओं पर परिवार शुरू करने और माँ बनने का अप्रत्यक्ष दवाब पड़ना  शुरू हो जाता है. भले ही उन का प्रमोशन ड्यू हो  पर हस्बेंड और घरवाले फॅमिली स्टार्ट करने के लिए प्रेशर डालते रहते  हैं. मगर इस का मतलब यह नहीं कि आप अपना करियर भूल जाएँ.

ये भी पढ़ें- न करें हनीमून पर ये मिसटेक्स

आप को परिवार शुरू करने के लिए एक ब्रेक की आवश्यकता होगी इसलिए अपने अनुसार कैरियर के ब्रेक और काम पर अपनी वापसी की योजना बनाएं. खुद के लिए एक ऐसी दिनचर्या स्थापित करें जहां आप अपने लिए भी समय निकाल सकें.  व्यायाम करें, नए कौशल विकसित करें और अपनी हॉबी पूरी करें.

नई जिम्मेदारियों को लेने का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी  उपेक्षा करें और न ही आप को इस सन्दर्भ में खुद को दोषी महसूस करने की जरूरत है. आप खुश रहेंगी तो अपने परिवार को भी खुश रख सकेंगी.

प्यार या शादी का मतलब स्वयं को खो देना अर्थात आत्मसम्मान और अपनी गरिमा भुला देना नहीं है. याद रखें अगर आप को खुद से प्यार नहीं है तो आप  किसी और से भी प्यार नहीं कर सकतीं. शादी के बंधन में रह कर सदा “विनम्र रहें दूसरों का सम्मान भी  करें, लेकिन अपंनी बात पर हमेशा दृढ़ रहें.’

कैसे पहचानें बढ़ती दूरियों की आहट

हाल ही में इकोनौमिस्ट सूरज जैकोब और ऐंथ्रोपोलौजिस्ट श्रीपर्णा चट्टोपाध्याय द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक भारत में करीब 14 लाख लोग तलाकशुदा हैं.

यह कुल आबादी का करीब 0.11% है और शादीशुदा आबादी का करीब 0.24%. आश्चर्य की बात यह है कि अलग हो चुके लोगों की संख्या तलाकशुदाओं से 3 गुना ज्यादा है. मरदों के मुकाबले तलाकशुदा और पति से अलग रह रही महिलाओं की संख्या कहीं अधिक है. पुरुष अकसर दूसरी शादी कर लेते हैं जबकि तलाकशुदा औरतें अकेली रह जाती हैं.

लव मैरिज हो या अरेंज्ड मैरिज कई दफा परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि पहले एकदूसरे से बेपनाह मुहब्बत करने वाले पतिपत्नी भी दूर हो जाते हैं. प्रेम के धागों से बना पतिपत्नी का रिश्ता जब अचानक टूटता है तो भावनात्मक रूप से कमजोर स्त्री/पुरुष गहरे संताप में आ जाते हैं. ध्यान दें कि क्या विवाह के दौरान आप का जीवनसाथी करीब हो कर भी दूर महसूस होता है? क्या उस की बाहों में आ कर भी आप को पहली सी मुहब्बत का एहसास नहीं होता? क्या जीवनसाथी बहाने बना कर आप से दूर जाने का प्रयास करने लगा है? यदि ऐसा है तो संभल जाएं और तैयार रहें किसी भी परिस्थिति को फेल करने के लिए. आप दोनों गौर कीजिए कुछ ऐसी बातों पर जो आप के रिश्ते के कमजोर पड़ने की ओर इशारा कर रही हैं:

करीब हो कर भी एकदूसरे के साथ नहीं

औफिस से आ कर आप भले ही एक कमरे में बैठे हों, मगर एक शख्स अपने लैपटौप या कंप्यूटर पर और दूसरा टीवी या मोबाइल में व्यस्त हो, पार्टी में एकसाथ गए हों, मगर एक इस कोने में तो दूसरा दूसरे कोने में दोस्तों के साथ व्यस्त हो यानी एकसाथ मिल कर किसी कार्य का आनंद लेने के बजाय अपनीअपनी दुनिया में व्यस्त रहने लगे हों तो यह आप की बढ़ती दूरी का नतीजा है.

ये भी पढ़ें- जरूरी है बच्चों की रिस्पैक्ट का ध्यान रखना

लड़ना छोड़ दिया है

यदि आप ने एकदूसरे से बहस या लड़ाईझगड़ा करना छोड़ दिया है तो यह भी दूरी बढ़ने का इशारा है. यदि झगड़े के बाद आप दोनों उस विषय पर बातचीत नहीं करते या पार्टनर की बात सुनने को तैयार नहीं होते तो यह आदत रिश्ते के टूटने की ओर इशारा करती है. कई दफा कपल्स के बीच होने वाला झगड़ा उन की निकटता बढ़ाने का काम करता है. मगर ऐसा तब होता है जब दोनों झगड़े की तह तक जाते हैं और एकदूसरे का पक्ष सुन और समझ कर मन का मैल दूर करने का सफल प्रयास करते हैं. मगर इस तरह का प्रयास नहीं किया जा रहा है तो समझिए दूर होने का वक्त आ चुका है.

कई कारण दिल तोड़ने के

अमेरिका के कपल्स थेरैपिस्ट कैरी कोल कहते हैं कि कुछ बातें रिश्ते में दरार लाने के लिए पर्याप्त होती हैं मसलन हर बार अपने जीवनसाथी की आलोचना करना, उसे बातें सुनाना, भद्दे शब्दों का प्रयोग करना या खुद को सुपीरियर दिखाने का प्रयास करना. किसी विवाद पर खुल कर बात करने के बजाय बातचीत करनी बंद कर देना आदि. यदि आप भी एकदूसरे के प्रति ऐसा व्यवहार करने लगे हैं तो समझिए आप के बीच दूरी आ चुकी है.

मन की आवाज को इग्नोर कर रहे हैं

अकसर हम अपने मन की आवाज नहीं सुनते. यह आवाज बहुत ही हलकी और शांत होती है जो बाहरी दुनिया के शोरशराबे के बीच इग्नोर हो जाती है. कई बार दिल से आवाज आती रहती है कि अब मैं अपने जीवनसाथी से प्यार नहीं करता या वह मुझ से दूर हो चुका है. मगर तार्किक प्रमाण के अभाव में हम इस पर ध्यान नहीं देते और हकीकत से दूर भागते रहते हैं. मगर बाद में पता चलता है कि आप के मन की आवाज सही थी और आप का जीवनसाथी वाकई दूर जा चुका है.

जीवनसाथी का नियंत्रण असहनीय

यदि एक पार्टनर खुद को दूसरे के कठोर नियंत्रण में घुटा हुआ सा महसूस करता है और बारबार कहने के बावजूद उस की बात सुनी नहीं जाती तो वह खुद को हारा हुआ महसूस करने लगता है. ऐसा रिश्ता ज्यादा समय नहीं टिक पाता.

बौडी लैंग्वेज में परिवर्तन

जब आप किसी के साथ रिलेशन में होते हैं या प्यार करते हैं तो रातदिन उसे ही देखना और महसूस करना चाहते हैं. मगर जब कोई आप का दिल तोड़ जाता है या उस के लिए आप के मन में प्यार नहीं रह जाता तो उस का सामना करने या उस की तरफ देखने से भी कतराने लगते हैं. प्यार में इंसान करीब जाने और बातें करने के बहाने ढूंढ़ता है, मगर दूरी बढ़ने पर एकदूसरे से दूर जाने के बहाने ढूंढ़ने लगता है. जो कपल्स इमोशनली जुड़े होते हैं उन की बौडी लैंग्वेज ही अलग होती है जैसेकि अनजाने ही एकदूसरे के आगे सिर झुकाना, गीत गुनगुनाना, केयर करना और एकदूसरे की बातें ध्यान दे कर सुनना आदि. मगर जब रिश्ता बे्रकअप के कगार पर पहुंच चुका होता है तो वे बातें कम और बहस ज्यादा करने लगते हैं. एकदूसरे की बगल में बैठने के बजाय आमनेसामने बैठते हैं और केयर करने के बजाय एकदूसरे को इग्नोर करने लगते हैं.

ये भी पढ़ें- कब आती है दोस्ती में दरार

आई कौंटैक्ट का घट जाना

आप उन चीजों को देखना पसंद करते हैं जो आप को पसंद होती हैं. जाहिर है मुहब्बत में नजरों का मिलना और मिला रह जाना अकसर होता है. मगर जब आप दोनों एकदूसरे की तरफ देखते ही नजरें हटा लें, आंखों में देख कर बातें करना छोड़ दें तो समझिए आप दोनों ब्रेकअप की ओर बढ़ रहे हैं.

इस संदर्भ में 1970 में सोशल साइकोलौजिस्ट जिक रुबिन ने कपल्स के बीच आई कौंटैक्ट के आधार पर उन के रिश्ते की गहराई नापने का प्रयास किया. कपल्स को कमरे में अकेले छोड़ दिया गया. वैसे कपल्स जिन के बीच गहरा प्यार था, अधिक समय तक अपने पार्टनर को देखते पाए गए, जबकि कम प्यार रखने वाले कपल्स में ऐसी बौंडिंग नहीं देखी गई.

जब आप किसी और से इमोशनली जुड़ने लगें

यदि आप अपने जीवनसाथी के साथ खुश नहीं हैं तो आप के किसी और शख्स से इमोशनली अटैच्ड होने और अफेयर करने की संभावना बढ़ जाती है. वैसे भी आजकल के तकनीकी युग में औनलाइन फ्लर्टिंग जैसे औप्शंस उपलब्ध हैं और स्मार्टफोंस व सोशल मीडिया के जरीए भी जीवनसाथी को बताए बिना किसी से लगातार कौंटैक्ट में रहना मुमकिन है.

यदि आप भी ऐसे अफेयर में फंस चुके हैं और अपनी खुशियां सैलिब्रट करने या परेशानियों को बांटने के लिए अपने जीवनसाथी के बजाय किसी और का कंधा ढूंढ़ने लगे हैं तो समझिए वक्त आ गया है इस रिश्ते के बारे में गंभीरता से सोचने का.

दूसरों में अधिक व्यस्त रहना

कई दफा हम जीवनसाथी से दूरी के एहसास को दूसरों से नजदीकी बढ़ा कर कम करना चाहते हैं. खासकर महिलाएं यदि अपनी रिलेशनशिप से खुश नहीं हैं तो इस दर्द को भूलने के लिए उस पर फोकस करने के बजाय दूसरों की जिंदगी में चल रही परेशानियों से जूझने लगती हैं.

एक-दूसरे से कहने को कुछ नहीं होता

यदि आप जिंदगी के खास मौकों, घटनाओं या तरक्की से जुड़ी बातों को सब से पहले अपने जीवनसाथी से नहीं, बल्कि किसी और से शेयर करने लगे हैं, जबकि जीवनसाथी से घरेलू कामकाज या बच्चों से जुड़ी बातों के अलावा आप के पास करने को कोई खास बातें नहीं होतीं तो समझिए आप एकदूसरे से दूर हो रहे हैं.

क्वालिटी टाइम गुजारने की चाह नहीं

यदि आप जीवनसाथी के साथ लंबे समय से एकसाथ रोमांटिक मूवी देखने, पसंदीदा जगह पर जा कर डिनर करने, समुद्र किनारे बैठ कर वक्त गुजारने जैसी योजनाओं को टाल रही हैं, यदि अब आप दोनों को जीवनसाथी के लौटने का इंतजार नहीं रहता और उस के आने पर भी आप अलगअलग कमरे में अपनेअपने काम में बिजी रहते हैं तो समझिए इस रिश्ते का आकर्षण आप के लिए घटता जा रहा है.

एक-दूसरे की बात पर कम ध्यान देना

अच्छे रिश्ते के लिए एकदूसरे की बातें सुनना और उन पर ध्यान देना सब से जरूरी होता है, पर जब आप को लगने लगता है कि चाहे कितनी भी बातें कर लो, कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है तो यह रिश्ते के कमजोर पड़ने का लक्षण है, क्योंकि रिश्ते की मजबूती के लिए एकदूसरे को समझना और सुनना जरूरी होता है. इस से नाराजगी और गुस्सा तुरंत दूर हो जाता है.

ये भी पढ़ें- बहू का रिवीलिंग लिबास क्या करें सास

भविष्य के सपने बगैर हमसफर

यदि अकसर आप अपने खुशहाल भविष्य के सपनों में जीवनसाथी को जगह नहीं दे पा रहे हैं तो इस का अर्थ जीवनसाथी से बढ़ती भावनात्मक दूरी है.

विश्वास की कमी

साइकोलौजिस्ट जौन गौटमैन ने करीब 4 दशकों तक किए गए अपने अध्ययन में पाया कि जो कपल्स लंबे समय तक रिश्ते में हैं वे करीब 86% समय एकदूसरे की ओर मुड़े होते हैं. ऐसा न सिर्फ अफैक्शन की वजह से वरन एकदूसरे पर विश्वास के कारण भी होता है. वे गंभीर मुद्दों पर एकदूसरे की राय जानने और मदद लेने का प्रयास भी करते हैं. मगर रिश्ता कमजोर हो तो विश्वास भी टूटने लगता है.

आधा-अधूरा मुसकराना

यदि आप लंबे समय तक एकदूसरे की ओर देख कर मुसकराना या चुहलबाजियां करना भूल चुके हैं, तो समझिए रिश्ता टूटने वाला है. सरल और अपनत्व भरी मुसकान रिश्ते की प्रगाढ़ता का सुबूत होती है. एकदूसरे से बिना किसी शर्त मुहब्बत करने वालों के चेहरों पर मुसकान स्वाभाविक रूप से खिली होती है.

मतभेद जब बहस का रूप लेने लगे

अपने पार्टनर के साथ किसी बात पर मतभेद का होना स्वाभाविक है, पर यह बहस यदि स्वस्थ न रह कर अकसर लड़ाईझगड़े पर खत्म होने लगे और दोनों में से कोई भी कंप्रोमाइज करने को तैयार न हो तो समझिए रिश्ता ज्यादा नहीं टिक सकता.

जब दोनों ने प्रयास करना छोड़ दिया हो

आप का रिश्ता कितना भी कंफर्टेबल क्यों न रहे, आप को हमेशा इस में सुधार लाने का प्रयास करते रहना चाहिए. गलती करने पर तुरंत माफी मांगना, पार्टनर को सरप्राइज देना, अपने अच्छे पक्ष सामने लाना और छोटीछोटी बातों से पार्टनर का दिल जीतने का प्रयास करना जैसी बातें रिश्ते को टूटने से बचाती हैं. यदि आप के साथी ने ऐसे प्रयास करने छोड़ दिए हों और हमेशा आप की गलतियों पर ही फोकस करना शुरू कर दिया हो तो समझिए वह आप से दूर जा रहा है.

तारीफ बंद कर देना

मजबूत रिश्ते के लिए समयसमय पर एकदूसरे की तारीफ करना अहम होता है. जब आप दोनों एकदूसरे को फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं, तारीफ करना छोड़ देते हैं तो धीरेधीरे दोनों के बीच शिकायतों का दौर बढ़ने लगता है जो आप को ब्रेकअप की ओर ले जाता है.

जौन गौटमैन ने 20 सालों तक 200 कपल्स पर किए गए अध्ययनों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि किसी भी रिश्ते की सफलता कपल्स द्वारा आपसी विवाद और झगड़ों को खूबसूरती से सुलझाने की काबिलीयत पर निर्भर करती है. कभी न झगड़ना अच्छे रिश्ते की पहचान नहीं, बल्कि फिर से एक हो जाना रिश्ते को मजबूत और गहरा बनाता है. मगर जब रिश्ते में इतनी दूरी आ जाए कि फिर एक होना मुमकिन न हो, रिश्ते में रहने से दम घुट रहा हो तो ग्रेस के साथ रिश्ते को खत्म कर देना बेहतर है.

जब माता या पिता का हो एक्सट्रा मैरिटल अफेयर

दिल्ली के एक कौलेज में छात्रों को साइकोलौजिकल सपोर्ट देने के उद्देश्य से बनाये गए क्लिनिक में काउंसलरका एक दिन किसी छात्रा द्वारा बताई गयी ऐसी समस्या से सामना हुआ जो पहले कोई और लेकर नहीं आया था. प्रौब्लम लड़की के पिता से जुड़ी थी, लेकिन वह छात्रा अपने अन्य मित्रों के समान पिता के अनुशासनपूर्ण रवैये से परेशान नहीं थी. उसकी समस्या तो यह थी कि उसके पिता अनुशासन में नहीं हैं. लड़की के अनुसार उसके पिता समाज व परिवार के क़ायदे भूलकर अपने औफ़िस की एक महिला मित्र संग अवैध सम्बन्ध बनाये हुए हैं. एक दिन जब वहछात्रा अपनी कुछ सहेलियों के साथ एक कौफ़ी शौप में पहुंची तो पिता उस युवती के साथ सटकर बैठे थे. ग़नीमत यह रही कि सखियों में से कोई भी उसके पिता को नहीं पहचानती थी, वरना छात्रा के अनुसार वह आत्महत्या ही कर लेती.

एक अन्य घटना मध्य प्रदेश की है, जहां अपने पति के मित्र से सम्बन्ध रखने पर एक मां को जान से हाथ धोना पड़ा. 15 वर्षीय बेटे को मां के विवाहेतर सम्बन्ध का पता लगा तो वह आग-बबूला हो उठा और उसने अपनी मां की हत्या कर दी.

विवाहेतर सम्बन्ध या एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर से जुड़े समाचार प्राय सुनने में आ ही जाते हैं. आज जब समाज में ‘मेरा जीवन मेरे नियम’ का चलन ज़ोर पकड़ने लगा है तो इस प्रकार की समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं. युवा हो रहे बच्चों को जब अपने माता या पिता के विवाहेतर सम्बन्ध की जानकारी होती है तो उनके दिल पर क्या गुज़रती होगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है. ऐसी परिस्थिति का सामना वे किस प्रकार करें इस पर विचार तभी हो सकता है जब उन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझ लिया जाए.

माता-पिता के एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर का बच्चों पर प्रभाव

– अभिभावक की रुचि कहीं और देखकर वे स्वयं को उपेक्षित समझने लगते हैं और हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं.

– इस प्रकार के सम्बन्धों और उसके कारण माता-पिता के बीच होने वाले विवाद से वे तनाव में आ जाते हैं औरस्वयं कोअकेलामहसूस करने लगते हैं.

– माता-पिता तो एक-दूसरे से लड़ झगड़कर अपनी बात कह सकते हैं लेकिन बच्चे की यह समस्या हो जाती है कि वह क्या करे? न तो पीड़ित अभिभावक का पक्ष ले सकता है और न ही अफ़ेयर में फंसे अभिभावक को खरी-खोटी सुना सकता है.

– माता-पिता के बीच सम्बन्ध टूट जाने का भय उसमें असुरक्षा की भावना को जन्म देता है.

– विवाहेतर सम्बन्ध बनाने वाले अभिभावकों की गतिविधियों पर प्रभावित बच्चे आते-जाते नज़र रखने लगते हैं, जिससे उनके भीतर संदेह की प्रवृत्ति घर करने लगती है.

ये भी पढ़ें- बेटे नहीं बेटियां हैं बुढ़ापे की लाठी

– मित्रों को इस बात का पता लग जाएगा तो उनकी प्रतिक्रिया न जाने क्या होगी, इस बात का भय उनको दोस्तों से दूर कर देता है और वे समाज से कटना शुरू कर देते है.

– युवा बच्चों का ध्यान अपना करियर बनाने में रहता है. इस प्रकार के सम्बन्धों के विषय में जानकर उनका मन पढ़ाई या किसी परीक्षा की तैयारी आदि में नहीं लग पाता. इसका प्रभाव उनके सम्पूर्ण जीवन पर पड़ सकता है.

– बच्चे माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं. जब उनके रिश्ते में वे किसी तीसरे का प्रवेश देखते हैं तो उनका अभिभावकों से विश्वास उठने लगता है.

– युवा हो रहे बच्चे पर कभी-कभी इस बात का प्रभाव इतना गहरा पड़ जाता है कि क्रोध के कारण उसकी प्रवृति हिंसात्मक होने लगती है.

क्या करें जब माता या पिता के हों विवाहेतर सम्बन्ध

• यह सच है कि बच्चों को इस प्रकार का आघात सहन करना भारी पड़ता है, लेकिन इसका परिणाम घर से चले जाना या पढ़ाई से दूर हो जानानहीं होना चाहिए. एक ग़लत कदम के लिए कोई दूसरा ग़लत कदम उठा लेना समझदारी नहीं.

• माता या पिता द्वारा यदि एक भूल हो गयी तो इसका यह अर्थ नहीं कि उनका अपनी संतान के प्रति स्नेह भी समाप्त हो गया. इसलिए अपने को उपेक्षित मानकर आत्महत्या करने की बात सोचना बिल्कुल ग़लत होगा.

• इस बात की चिंता कि समाज इस बारे में क्या सोचेगा, माता या पिता को भी होगी. इसलिए अभिभावकों के अवैध सम्बन्धों को लेकर बच्चों को दिन-रात इस चिंता में घुलना कम करना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे? अपने मित्रों से मिलना-जुलना उन्हें पूर्ववत जारी रखना चाहिए.

• संयम से काम लेना होगा. आवश्यकता पड़ने पर अभिभावकों को अपनी मनोदशा बताई जा सकती है. यदि साफ़-साफ़ कहने में संकोच हो तो लिखकर विनम्रतापूर्वक अपने दिल की बात बताना सही होगा.

ये भी पढ़ें- तोलमोल कर बोलने के फायदे

• मां या पिता के विषय में कुछ भी अप्रिय देखा अथवा सुना गया हो तोअपनी बातजल्दी ही पेरेंट्स तक पहुंचा देनी चाहिए. शुरू-शुरू में बच्चे द्वारा अपनी बात कह देने से एक लाभ तो यह होगा कि उस पीड़ित बच्चे के मन-मस्तिष्क में पनप रहा तनावहिंसात्मक रूप नहीं लेगा और दूसरा सम्बन्ध में लिप्त अभिभावक को संभलने में अधिक समय नहीं लगेगा.

• अपने मन की बात कह देने के बाद बच्चों को चाहिए कि इस विषय में अधिक न सोचें और चिंताग्रस्त होने के स्थान पर पढ़ाई में मन लगाकर अपने सपनों को पूरा करने में जुटे रहें. कोई भी समस्या दूर होने में कुछ समय तो लगता ही है.

यह सच है कि युवा बच्चे अपनी समझदारी दिखाते हुए विवाहेतर सम्बन्धों में रुचि ले रहे अभिभावकों को अपनी दुर्गति से परिचित करवा सकते हैं, लेकिन एक अहम् बात जो समझना आवश्यक है कि माता-पिता पेरेंट्स होने के साथ-साथ एक इंसान भी हैं और भूल तो किसी भी व्यक्ति से हो सकती है.समस्या कोई भी हो उसका समाधान ढूंढा जा सकता है. इसलिए यह याद रखना होगा कि माता या पिता को कहीं सम्बन्ध बढ़ाते देख अपना आपा खोकर कुछ भी अनुचित करने से बचना होगा.

ब्रेकअप : जमूरे का खेल नहीं  

लेखिका- स्नेहा सिंह 

“हम ने अपने संबंधों पर काफी सोचाविचारा. काफी सोचने के बाद हमें ऐसा लगा कि हम एक साथ आगे नहीं बढ़ सकते, इसलिए हम ने इस संबंध को खत्म करने का निर्णय लिया.” मेलिंडा से अलग होने के बाद बिल गेट्स ने यह ट्वीट किया था. एक संबंध का यह एक अद्भुत एक्जिट नोट था. जिसमें कोई एलिगेंस नहीं था. कोई शिकायत नहीं थी. मात्र समझदारी थी. बिल गेट्स के इस ट्वीट के बाद सभी ने मिल कर उनके टूट ग्ए संबंध का पिष्टपेषण किया. किसी ने कहा कि उन दोनों के बीच अनबन इस हद तक बढ़ गई थी कि उनके पास अलग होने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं था.किसी ने यह भी कहा कि बिल गेट्स का किसी दूसरी महिला के साथ अफेयर था. किसी नै मेलिंडा को मिलने वाली भारी भरकम एलिमनी की रकम में रुचि दिखाई. हमने जेफ बेजोस के मामले में भी कुछ ऐसा ही सोचाविचारा था. हम टूटते हुए संबंधों के बारे में कुछ ऐसा ही सोचते हैं. टूटता हुआ संबंध कोई जमूरे का खेल नहीं. टूटता हुआ संबंध मेले में लगा कोई चरखी वाला झूला भी नही है कि जिसका मन हो, वह आ कर उसके हिंडोले में बैठ कर झूल ले. टूटता हुआ संबंध मल्टीप्लेक्स की स्क्रीन पर लगी कोई फिल्म भी नही है. ये वे संबंध हैं, जिन्हें बचाने के लिए भावनाएं भी मदद में नहीं आतीं. यह वह संबंध है, जिसका अस्तित्व पहले की तरह अनिवार्य नहीं रहा. ‘तुम्हारे बिना जी नहीं सकता”,  इस पूरे वाक्य से ‘नहीं’ शब्द गायब हो गया है. यह संबंध अब न फेविकोल से चिपकाया जा सकता है और न सेलोटेप से जोड़ा जा सकता है और न ही स्टेपलर से इकट्ठा किया जा सकता है. ब्रेनडेड आदमी के वेंटिलेटर का स्विच बंद कर दिया जाए तो उसकी कोई चर्चा नहीं होती, सिर्फ आंसू होते हैं, स्तब्धता होती है और मौन होता है. दो व्यक्ति जब एकदूसरे से अलग होने का निर्णय लेते हैं तो उनके दर्द के बारे में सोचना चाहिए. उनके अलग होने के कारण के बारे में भी नही.

हमारे यहां जितनी धूमधाम से शादी की जाती है, उतने ही शोरशराबे के साथ अलगाव भी होते हैं. शादी में हम डेकोरेशन के बारे में, चढ़ाव में आए गहनों के बारे में, खाने के बारे में,  लड़की द्वारा पहनी गई साड़ी के बारे में बातें करते हैं. जबकि अलगाव के समय ‘सास बहुत जबरदस्त थी, पति से कोई लड़की नियमित मिलने आती थी, लड़की का पूरा कैरियर ही बरबाद कर दिया, बच्चों से कोई लगाव नहीं था, वह थी ही ऐसी, खाना भी बनाने नहीं आता था, आदि बातें करते हैं. ब्रेकअप दो लोगों के बीच घटने वाली व्यक्तिगत घटना है और इसे हमें व्यक्तिगत ही रहने देना चाहिए. दो लोग एकदूसरे से ऊब जाते हैं, तब ऐसा होता है. साथ चलने का वादा कर के कोई एक पीछे रह जाता है, तब ऐसा होता है. वेवलेंथ मैच नहीं होता, अपेक्षाएं अधूरी रह गईं हों, उद्देश्य बदल गया हो, रास्ते अलग हो गए हों, दो लोगों के बीच कोई तीसरा आ गया हो, कारण कोई भी हो, उनसे हमारा कोई सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ने वाला है. दस साल, बीस साल या पच्चीस साल साथ रहने के बावजूद ऐसी कोई जबरदस्ती नहीं है कि आगे भी साथ ही रहना है. बच्चे हैं, इसलिए अलग नहीं हो सकते, इस तरह का भी कोई बंधन नहीं बांध सकता. हाथ से कांच की बरनी छूट जाए तो वह आवाज के साथ बिखर गए कांच के टुकड़ों को इकट्ठा करने लगेंगे तो हाथ लहूलुहान हो जाएगा. मानलीजिए कि कांच के टुकड़े इकट्ठा कर भी लेंगे तो उससे पहले जैसी बरनी बन तो नहीं सकती न. इसलिए वे टुकड़े लगे नहीं,  हाथ के बजाय झाड़ू से कचरा उठाने वाली ट्रे से उन टुकड़ों को उठा कर कचरे के डिब्बे में डालना चाहिए. संबंधों का भी कुछ ऐसा ही है.

शादी मंडप में होती है, पर अलगाव कोर्ट में लेना पड़ता है. पंडितजी के मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ विवाह वकीलों की दलील और संपत्ति के बंटवारे के साथ पूरा हो जाता है. सड़ गए संबंधों की अपेक्षा मर चुकी अपेक्षाएं, रुढ़िया गई इच्छाएं अधिक बदबू मारने लगती हैं. रोमांचित करने वाला स्पर्श छाती में नश्तर की तरह चुभने लगता है. जो आदमी एक साथ  एक घर में, चार-छह दीवालों के बीच कुछ सालों तक जिए हों, उन सालों को अब भुला देना है. कुछ भी ‘वर्कआउट’ न कर सकने की असफलता काटने दौड़ती है. संतानों को अब हिस्से में मिलना है. आदतें बदलनी हैं, जो आसान नहीं है. आदमी अस्पताल में, घर में, कमरे में, अकेले या चार लोगों के बीच से गुजर जाता हो, पर विवाह कभी रसोई में, कभी बैडरूम में, कभी ड्राइंगरूम में, कभी छींटवाली चादर पर, कभी बाथरूम में, कभी होटल में अनगिनत बार टूटता है. सुबह की गुडमार्निंग से ले कर रात की गुडनाइट की किस के बीच फैली विवाह की मर गई भावनाओं की चिता पर सुला कर देना होता है और सीने के किसी एक कोने में एकदम अकेले चुपचाप उसका मातम मनाना होता है.

मेलिंडा ने जब विवाह किया होगा, तब दिल में सिर्फ बिल गेट्स के लिए ही जगह रही होगी. बिल गेट्स ने भी मेलिंडा को दिल में बसा कर विवाह किया होगा. उस समय उनके लिए न पैसे का महत्व रहा होगा न लाइफस्टाइल का. तब जब ये लोग अलग हुए तो हम पैसे की या लाइफस्टाइल की बात क्यों करते हैं? हम भावनाओं के बारे में क्योँ नहीं बात करते? हर ब्रेकअप चर्चा का विषय क्यों बन जाता है. हर ब्रेकअप को हम सनसनीखेज क्यों बना देते हैं?

हमें ब्रेकअप के बारे में सोचना सीखना होगा. हमें समझना होगा कि आदमी मर जाता है तो हम शोक संवेदना व्यक्त करने जाते हैं. अगर संबंध मर जाए तो हम उसकी संवेदना व्यक्त करने नहीं जा सकते? हमें यह भी समझना होगा कि आदमी मर जाता है तो हम पूछते हैं कि ‘क्या हुआ था?’ तो क्या संबंध मर जाता है तो हमें यह पूछने का अधिकार नहीं है कि ‘क्या हुआ था?’

मैं एक लड़की से शादी करना चाहता हूं, लेकिन अतीत में रेप के अपराध में जेल जा चुका हूं?

सवाल

मैं 37 वर्षीय अविवाहित डाक्टर हूं, एक सरकारी अस्पताल में कौंट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत हूं. मैं एक लड़की से विवाह करना चाहता हूं. समस्या यह है कि इस से पहले मैं रेप के अपराध में 5 साल की जेल की सजा भुगत चुका हूं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं जिस लड़की से विवाह करना चाहता हूं उसे इस बारे में बताऊं या नहीं. हालांकि वह और उस का परिवार अगर जांच पड़ताल करेंगे, भी तो इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं चल पाएगा. पर मुझे क्या करना चाहिए, उन्हें सब कुछ बता देना चाहिए या नहीं?

जवाब

आप का परेशान होना जायज है लेकिन इस मामले में हमारी आप को यही सलाह होगी कि जिस लड़की के साथ आप अपनी आने वाली जिंदगी गुजारना चाहते हैं, उसे अपने अतीत से अवश्य वाकिफ कराएं, फिर उस के बाद वह लड़की जो निर्णय ले, उसे आप मंजूर करें. आप उसे पूरी बात विस्तार से बताएं और वर्तमान स्थिति से भी अवगत कराएं क्योंकि यह जानना उस का हक भी है. जहां तक आप का यह समझना कि लड़की और उस के परिवार वालों को आप के अतीत के बारे में पता नहीं चलेगा, इस गलतफहमी में न रहें. ऐसी बातें छिपाए नहीं छिपतीं, इसलिए उसे यह बात कहीं और से पता चले और उस का असर आप की आने वाली जिंदगी पर पड़े, इस से बेहतर है उसे आप सबकुछ सचसच बता दें. इसी में आप की भलाई है.

ये भी पढ़ें- घुटनों के आर्थ्राइटिस को दूर रखने में लाइफस्टाइल में क्या बदलाव होने चाहिए?

ये भी पढ़ें- 

हर इंसान का एक अतीत होता है, जिससे ऐसी कई बातें जुड़ी होती हैं जो वह किसी को बताना नहीं चाहता है. खासकर जब आप किसी रिलेशनशिप में आते हैं तो अपने अतीत से जुडी कई बातें अपने पार्टनर से छिपाते हैं, जो आपके रिश्ते पर भी असर डालता है.

लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं जो अपने पार्टनर के साथ जरूर शेयर की जानी चाहिए क्योंकि इससे दोनों का एक दूसरे के प्रति विश्वास और प्रेम बढ़ता है. तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में जो आपको अपने पार्टनर से नहीं छुपानी चाहिए.

1. रोमांटिक स्टोरी को बताएं

आप अपने पार्टनर को अपनी बीती हुई रोमांटिक स्टोरी के बारे में जरूर बताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा. लेकिन यदि आप अपनी रोमांटिक स्टोरी को अपने पार्टनर से बताती हैं तो उसका मूड तथा समय को अवश्य देख लें.

आपके तथा आपके एक्स के संबंध

कई लोग ब्रेकअप के बाद भी अपने एक्स से दोस्ती का रिलेशन बनाएं रखते हैं. यदि आपके जीवन में भी कोई ऐसा संबंध है तो उससे अपने पार्टनर को जरूर परिचित कराएं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- अपने पार्टनर से कभी ना छुपाएं अतीत से जुड़ी ये 4 बातें

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

साथ रहने के दौरान इन तरीकों से चेक करें अपना रिश्ता

अगर आप दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो हो सकता है आपके कभी कभार झगड़े होते हों और ज्यादातर समय आप एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह रहते हों मानो हर चीज परफेक्ट है. लेकिन आपके रिश्ते का असली टेस्ट तब होता है जब आप एक साथ रहते हैं. इस दौरान आपको एक दूसरे की कमियों का पता चलता है और यह सब बातें पता लगती हैं कि आपको किन किन चीजों पर काम करने की आवश्यकता है. अगर आप पहले से ही इन चीजों को जान लेंगे तो आपको शादी के बाद अधिक परेशानियां नहीं होंगी. इसलिए अगर आप एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो यह एक बुरा आइडिया नहीं है. आइए जानते हैं किन किन तरीकों से आप अपने रिलेशनशिप को टेस्ट कर सकते हैं.

आप यह सोचेंगी कि क्या आप सच में ही खुश हैं

जब आप एक साथ रहते हैं तो आपको अपने पार्टनर की बुरी आदतों के बारे में पता चलेगा और आप उनकी बहुत से चीजों को नोटिस करना शुरू कर देंगी चाहे वह चीजें आपको बुरी ही क्यों न लगती हों. इन चीजों को देख कर अगर आप खुद को खुश महसूस नहीं कर रही हैं तो उन्हें यह आदतें बदलने के लिए बोलें और इससे पता लगेगा कि वह आपके लिए सही है या नहीं.

वह आपको कितनी अटेंशन देते हैं 

एक साथ रहते समय आपको यह पता चलेगा कि आपके पार्टनर अपनी अधिक अटेंशन किसे देते हैं और वह आपको कितना समय दे पाते हैं. अगर वह आपकी ओर जरा भी ध्यान नही देते हैं तो समझ जाएं वह आपके लिए सही नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- मेरी कमाई, मेरा हक़

वह एक परिस्थिति का कैसे सामना करते हैं

अगर कल को कोई चुनौती का सामना करना पड़ जाए तो आपके पार्टनर किस तरह रिएक्ट करेंगे यह भी आप साथ रहते समय बहुत सी बातों में नोट कर सकती हैं. उनकी इन्हीं छोटी छोटी बातों पर आपको ध्यान रखना है.

वह घर के कामों में कितनी जिम्मेदारी लेते हैं

अगर आप चाहती हैं कि आपके पार्टनर आपके साथ मिल कर सारा काम करें तो आपको पहले यह देखना होता है कि वह आपकी काम में कितनी मदद करते हैं और कितने आलसी हैं. क्या वह किसी काम की जिम्मेदारी लेते हैं या उनसे बच कर भागते हैं?

इस दौरान आपको पता चलेगा कि वह आपके साथ कितने लंबे समय तक रह सकते हैं :

ज्यादातर रिश्तों के खत्म होने का यही कारण होता है कि पार्टनर्स एक दूसरे से बोर हो जाते हैं. जब आप साथ रहेंगे तो वह आपकी सभी आदतों को देखेंगे और इस दौरान अगर वह आपसे इंप्रेस रहते हैं और आपमें अधिक रुचि दिखाते हैं तो इसका मतलब है वह आपके साथ लंबे समय तक रहने वाले हैं.

आप अपनी खुशियों को पा रहे हैं :

अगर आपको उनके साथ रहने से या समय बिताने से ऐसा लगता है कि अब आप और अधिक खुश रहने लगे हैं या आपके अंदर की खुशियां बाहर आने लगी हैं तो वह व्यक्ति आपके लिए बिल्कुल सही हैं.

यह आपकी मानसिक सेहत का भी एक टेस्ट है :

अगर उनके साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ स्थिर रहती है और आपके मन को शांति मिलती है तो वह आपके लिए सही है लेकिन अगर उनकी वजह से आपके दिमाग में हर समय चिंता और स्ट्रेस रहती है तो वह आपकी मानसिक सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- उफ… यह मम्मीपापा की लड़ाई

अगर आपके पार्टनर में ऊपर लिखित टेस्टों को पास कर दिया है तो आप उन्हें अपना होने वाला पति  मान सकती हैं और यह समझ सकती हैं कि आपकी पसंद सच में ही बहुत अच्छी है लेकिन अगर वह आधे से अधिक टेस्टों में फेल हो जाते हैं तो आपको थोड़ा चौकन्ना होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति भविष्य में अपनी जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं या आप अगर उनके साथ शादी करती हैं तो थोड़ा दुखी रह सकती हैं. इसलिए अपना निर्णय सोच समझ कर ही लें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें