पुरुषों को शुक्र मनाना चाहिए कि महिलाएं उन्हें धक्का देकर दूर रहने को नहीं कहतीं !

हालांकि यह स्टडी तो करीब 9 साल पुरानी है,लेकिन इन 9 सालों में कई अलग अलग देशों में भी नए सिरे से इसकी जांच परख की गयी है और पाया गया है कि यह बिलकुल सही है  कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष कई गुना ज्यादा गंदा रहते हैं.हालांकि जब तक लाइफस्टाइल विषयों पर रिसर्च अध्ययनों को तरजीह देने वाली वेबसाईट ‘प्लोस वन’ [PLOS ONE] ने यह स्टडी नहीं छापी थी, तब भी दुनियाभर में औरतें विशेषकर पत्नियां अपने पतियों को गंदे रहने के उलाहने देती रही हैं और  दुनिया भरके पुरुषों ने कभी इसका खंडन करना भी जरूरी नहीं समझा बल्कि चुपचाप इस सबकी अनदेखी करते रहे हैं.शायद एक दूसरे के लिए यह साझा भ्रम बनाने के लिए कि औरतें तो होती ही सनकी हैं,इसलिए क्या उनके मुंह लगना.लेकिन अब पिछले कुछ सालों में सफाई को लेकर हुए कई शोध सर्वेक्षणों ने साबित कर दिया है कि महिलाएं कभी गलत नहीं थीं,पुरुष महिलाओं के मुकाबले गंदे ही रहते हैं.

हालांकि प्लस वन की यह रिसर्च स्टडी पुरुषों के गंदे रहने के लिए उनको आलसी होना नहीं मानती जैसा कि दुनिया की ज्यादातर औरतें अपने पतियों के बारे में राय रखती हैं.इस स्टडी में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे परवरिश का विज्ञान और लिंगभेद का मनोविज्ञान शामिल है.सवाल है आखिर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा साफ कैसे रहती हैं? इस सवाल का जवाब जानने के पहले आइये जान लें कि इस स्टडी के तथ्य क्या कहते हैं ? स्टडी के मुताबिक़ 93 फीसदी महिलाएं एक बार पहनने के बाद अंडरवियर को धो देती हैं, लेकिन 18 फीसदी पुरुष बिना धोए एक ही अंडरवियर कई कई बार पहन लेते हैं.

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सवाल है ऐसा क्यूँ ?  इस क्यूँ का जवाब मनोवैज्ञानिक देते हैं उनके मुताबिक़ इसके लिए बचपन में लड़कों और लड़कियों के साथ घर वालों का किया जाने वाला अलग-अलग किस्म का व्यवहार जिम्मेदार है. वास्तव में बचपन के दिनों में लड़कों की तुलना में लड़कियों के कपड़े ज्यादा और जल्दी-जल्दी बदले जाते हैं. इससे लड़कियों में साफ कपड़े पहनने की आदत पड़ जाती है और ऐसी आदतें उम्र बढ़ने के साथ भी बनी रहती हैं. सर्वे में तमाम पुरुषों ने इस बात को कबूला है कि वो एक ही अंडरवियर कई दिन तक पहने रहते हैं और महिलाओं ने पुरुषों की स्वीकारोक्ति पर आश्चर्य दर्शाने के साथ यही कहा है, ‘मर्दों की यह बात जानकार उनसे घिन आती है.’

हालाँकि सफाई का यह मामला सिर्फ चड्डी तक ही नहीं सीमित.कई और भी सर्वे हैं जो यह भी दावा करते हैं कि पुरुष करीब-करीब हर मामले में महिलाओं के मुकाबले गंदे रहते हैं.मसलन पुरुष एक ही बेडशीट को बिना धोए चार हफ्तों तक बड़ी सहजता से इस्तेमाल करते हैं. महिलाएं तीन हफ्तों तक भी एक ही बेडशीट उपयोग में नहीं लाती हैं . इसी तरह मर्दों के वर्किंग डेस्क पर महिलाओं के मुकघबले 10 फीसदी ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं. 78 फीसदी महिलाएं हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन 50 फीसदी पुरुष ऐसे ही धो लेते हैं. लेकिन पुरुषों की इन तमाम आदतों में माँ-बाप की भी विशेषकर माँ की भी भूमिका होती है.

दरअसल लड़कियां आमतौर पर पूरी दुनिया में लड़कों की तरह घर के बाहर के खेलों में हिस्सा कम लेती हैं. वे ज्यादातर समय माँ के साथ घर में बिताती हैं, इसलिए उन्हें माँ की तरह ही सफाई की आदत पड़ जाती है साथ ही उनके ज्यादातर समय घर में रहने के कारण वे गंदी भी कम हुआ करती हैं. इसके पीछे एक और बात भी है. वास्तव में लडकियां बचपन से ही अच्छा दिखने की चाहत से भरी होती हैं इसलिए भी बचपन से साफ रहने की कोशिश करती हैं,जबकि पुरुष बचपन से ही लापरवाह होते हैं. उन्हें इस लापरवाही की छूट समाज भी देता है. क्योंकि समाज में लड़कों की ख़ूबसूरती पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती जबकि वही समाज सुंदर दिखने वाली लड़कियों को ज्यादा तरजीह देता है.

यह सामाजिक मनोविज्ञान ही है कि महिलाएं यदि शॉर्ट स्कर्ट, टाइट फिटिंग ड्रेस और लो कट टॉप पहनती हैं तो उन्हें अधिक गंभीरता से लिया जाता है ; क्योंकि वे इन ड्रेस में ज्यादा जवान दिखती हैं. बेडफोर्डशायर यूनिवर्सिटी के डॉ. एल्फ्रेडो गाइटन ने 21 से 64 साल की महिलाओं के बीच यह रिसर्च किया और इसे ऐसे ही पाया है. लो कट टॉप, मिनी स्कर्ट और जैकेट पहनी हुई लडकियां और महिलायें सबको भाती हैं.रिसर्च में ये भी सामने आया कि कपड़े बदलते ही महिलाओं का एटीट्यूट बदल जाता है. दरअसल, जब लोग पॉजिटिव लेने लगते हैं तो एटीट्यूट में बदलाव आ जाता है.

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कहने का मतलब साफ रहना और उसे आदत में ढाल लेना जिससे सुंदर भी दिखा जाए इस सबके लिए कोई कुदरती स्वभाव नहीं जिम्मेदार होता बल्कि बहुत सी चीजें मायने रखती हैं. सवाल है फिर महिलाएं पुरुषों के थोड़ा सा गंदा रहने पर आखिर इतना नाक भौं क्यों सिकोड़ती हैं ? सच तो यह है कि महिलाएं अपने पतियों से इस बात पर भी झगड़ा कर बैठती हैं कि उन्होंने अपने गंदे कपड़े वॉशिंग मशीन में डालने की बजाय सोफे पर क्यों रख दिए ? पुरुषों के लिए यह बहुत छोटा मसला है,लेकिन महिलाएं इस बात को भी दिल पर ले लेती हैं.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं इसे ऐसे नहीं देखना चाहिए.वास्तव में महिलाएं गंदे कपड़े मशीन में न डालने से नाराज नहीं होतीं, वे तो इस बात से नाराज हो जाती हैं कि आपने उनकी बात नहीं मानी.मतलब यह कि आप उन्हें प्यार नहीं करते. उन्हें पूरी अटेंशन नहीं देते.जी हाँ,सुनकर हैरानी हुई न ! लेकिन सच यही है. कि वे आपकी छोटी सी छोटी बात को भी आपके प्यार न करने से जोड़ लेती हैं.कहने का मतलब दोनों तरफ मामला आदत का नहीं मनोविज्ञान का है.

न आप कैदी, न ससुराल जेल

लव मैरिज हो या अरेंज्ड, हर लड़की के मन में ससुराल को ले कर थोड़ाबहुत भय जरूर होता है. कई बार तो यह भय चिंता का रूप धारण कर लेता है. मगर समस्या तब आती है जब लड़की के मन में ससुराल वालों की नकारात्मक छवि बनने लगती है. इस स्थिति में बिना किसी आधार के लड़की भावी ससुराल वालों में खामियां ढूंढ़ने लगती है. मैरिज काउंसलर डा. वीरजी शर्मा कहते हैं, ‘‘लड़कियों में ससुराल को ले कर भय एक स्वाभाविक प्रकिया है. मगर कई बार डर इतना अधिक बढ़ जाता है कि लड़की खुद को मनगढंत स्थिति में सोच कर यह तय करने लगती है कि ससुराल वाले इस स्थिति में उस के साथ क्या सुलूक कर सकते हैं. अधिकतर लड़कियां नकारात्मक ही सोचती हैं. इस की 2 वजहें हो सकती हैं. पहली यह कि लड़की ससुराल के सभी सदस्यों के स्वभाव से भलीभांति परिचित हो और दूसरी यह कि वह अपने भावी ससुराल वालों के बारे में कुछ भी न जानती हो.’’

दोनों ही स्थितियों में विभिन्न प्रकार की चिंताएं उसे घेर लेती हैं. ऐसी ही कुछ चिंताओं से निबटने के तरीके पेश हैं:

1. खुद को व्यक्त न कर पाने का डर

जाहिर है, ससुराल में जगह और लोग दोनों ही लड़की के लिए अनजान होते हैं. ऐसे में हर लड़की को ससुराल के किसी भी सदस्य से अपनी ख्वाहिश, तकलीफ और भावना को व्यक्त करने में संकोच होता है. उदाहरण के तौर पर, एक नईनवेली दुलहन की मुंहदिखाई की रस्म की बात की जा सकती है. इस रस्म की कुछ खामियां भी हैं और कुछ लाभ भी. लाभ यह है कि घर की नई सदस्या बन चुकी दुलहन को सभी नए रिश्तेदारों से मिलने का मौका मिलता है, वहीं खामी यह है कि थकीथकाई दुलहन लोगों की भीड़ में खुद को असहज महसूस करती है. अब इस स्थिति में लड़की किस से अपनी तकलीफ बयां करे?

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2. इस रस्म के अलावा भी कई ऐसे मौके

आते हैं जब लड़की अपनी मन की बात को ससुराल वालों के आगे व्यक्त नहीं कर पाती और मायूसी के साथ उन की हां में हां मिला देती है. डा. वीरजी इस बाबत कहते हैं, ‘‘शादी के शुरुआती दिनों में यह दिक्कत हर लड़की को आती है, मगर यह स्थाई नहीं होती. पहली बात की अपनी बात को व्यक्त करना अपराध नहीं है. यदि स्वस्थ तरीके से अपनी बात रखी जाए तो लोग उसे तवज्जो देते हैं. ससुराल वालों के आगे धीरेधीरे खुलने का प्रयास लड़की को खुद करना पड़ता है. इस में उस की कोई सहायता नहीं कर सकता. अब अपनी बात कहे बगैर ही यह मान लिया जाए कि कोई भी इसे नहीं मानेगा, यह बेवकूफी है.’’

3. आजादी छिन जाने का भय

शादी से पूर्व हर लड़की के मन में यह खयाल जरूर आता है कि क्या शादी के बाद भी मायके जैसी आजादी मिल सकेगी? डा. वीरजी कहते हैं, ‘‘शादी नए रिश्तों का बंधन है, बंदिशों का नहीं. नए रिश्तों की नई डिमांड्स होती हैं और उन्हें पूरा करना जरूरी भी है, क्योंकि नए रिश्तों की डोर एकदूसरे को समझने और एकदूसरे की ख्वाहिशों को पूरा करने पर मजबूत होती है. यह जिम्मेदारी केवल लड़कियों पर ही नहीं होती वरन ससुराल वाले भी नई दुलहन की पसंदनापसंद का खयाल रखते हैं. इसलिए खुद को ससुराल में कैदी न समझें.’’

कई बार लड़कियों को इस बात का डर सताता है कि ससुराल में पसंद के कपड़े, खाना, घूमनाफिरना सब पर पाबंदी लगा दी जाएगी. यहां तक कि कुछ करने से पहले सासससुर की अनुमति लेने पड़ेगी. तो बड़ों की अनुमति लेने में हरज क्या है? मायके में भी तो लड़कियां अपने मातापिता से कुछ करने से पूर्व उन का परामर्श लेती हैं और फिर बात सिर्फ लड़कियों की नहीं, बल्कि ज्यादा तजरबे और कम तजरबे की है. जाहिर है सासससुर को बहू से अधिक तजरबा होता है. अपने तजरबे के तहत यदि वे किसी काम को करने से या न करने की बात कहते भी हैं, तो इस में भलाई खुद की है. फिर इस बात का भी ध्यान रखें कि अपने फैसलों में जब बहू ससुराल वालों को शामिल करेगी, तो वे भी हर काम में उस की राय को अहमियत देंगे.

हर घर के कुछ नियम होते हैं उन्हें बंदिशें कहना गलत होगा. नियमों का पालन करने से जीवनशैली अनुशासित होती है. यह नियम घर के हर सदस्य के लिए एक से होते हैं. इसलिए इन्हें व्यक्तिगत तौर पर न लें. इसी तरह ससुराल को जेल समझ कर हर वक्त कैद से छूटने की बात न सोचें, क्योंकि यह सोच कभी भी ससुराल में अपनी जगह बना पाने में बहू को कामयाब नहीं होने देगी.

4. परिवार वालों के दखल की चिंता

‘4 बरतनों का आपस में टकराना’ कहावत गृहस्थ जीवन पर एकदम सटीक बैठती है. परिवार 1 व्यक्ति से नहीं बनता, बल्कि बहुत सारे सदस्य मिल कर एक परिवार बनाते हैं. जिस घर में 4-5 लोग होते हैं, वहां आपसी सलाह से ही हर काम किया जाता है. इसे दखल समझने की भूल न करें. हो सकता है कि कभी आप की सलाह के विपरीत कुछ फैसले लिए जाएं, मगर उस में घर के बाकी सदस्यों की सहमति होगी. इसे परिवार के सदस्यों की दखलंदाजी नहीं कहा जाएगा. जब लड़कियां मायके में होती हैं, तो मातापिता की रोकटोक उन्हें दखल नहीं लगती, क्योंकि उन से भावनात्मक रिश्ता होता. ससुराल वालों से भावनात्मक जुड़ाव में समय लगता है. इसलिए उन की हर बात दखल ही लगती है.

मगर कई बार सच में ससुराल में कुछ लोग नई बहू पर अपनी धाक जमाने के लिए उस के हर काम में अपना दखल देने से पीछे नहीं हटते. ऐसे लोगों से शुरू से ही थोड़ी दूरी बना कर चलना चाहिए. यदि बात सासससुर की है, तो अपने और उन के बीच एक सीमा रेखा खींच लें. उन की जो बातें आसानी से मानी जा सकती हैं उन्हें जरूर मान लें, मगर जो स्वीकार करने योग्य न हों उन्हें सम्मान के साथ स्वीकारने से इनकार कर दें.

5. अनचाही जिम्मेदारियों को निभाने का बोझ

नए रिश्तों के साथ नई जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती हैं, इस बात को स्वीकार कर लें. मगर कुछ रिश्तों को दिल से स्वीकार कर पाने में थोड़ी मुश्किलें भी आती हैं. ऐसे में उन रिश्तों से जुड़ी जिम्मेदारियों को निभाना बोझ लगता है खासतौर पर ननद और जेठानी के साथ खट्टेमीठे रिश्ते की कई कहानियों से लड़कियां पहले ही अवगत होती हैं. रहीसही कसर टीवी धारावाहिकों में सासबहू के झगड़े और घरेलू लड़ाई दिखा पूरी हो जाती है खासतौर पर लड़कियों के दिमाग में ननद, जेठानी और सास की छवि वैंप जैसी बन जाती है.

मगर वास्तव में इन रिश्तों को निभाना उतना जटिल भी नहीं होता. जाहिर है, अपने पति से जुड़ी जिम्मेदारियों को पूरा करने का जो उत्साह लड़कियों में होता है वह ससुराल के अन्य सदस्यों के लिए नहीं होता. मगर नकारात्मक सोच अच्छे को भी बुरा बना सकती है. ननद, जेठानी और सास ससुराल में नई बहू के लिए सब से अधिक मददगार साबित हो सकती हैं. ये रिश्ते नोकझोंक वाले जरूर हैं, मगर इन की गैरमौजूदगी में गृहस्थ जीवन फीका है.

6. जीवनशैली बदल जाने का खौफ

जीवन के हर पड़ाव पर एक नए बदलाव का सामना करना पड़ता है. शादी के बाद महिला और पुरुष दोनों के ही जीवन में बहुत सारे बदलाव आते हैं. मगर लड़कियों को शादी से पूर्व इस का अधिक खौफ होता है. इस की सब से बड़ी वजह पिता का घर छोड़ पति के घर जाना होती है. सभी घर के नियमकायदे अलग होते हैं, रहनसहन का तरीका भी अलग होता है. इन सब के बीच खुद को समयोजित कर पाना हर लड़की के लिए थोड़ा मुश्किल होता है, मगर नामुमकिन नहीं.

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घर में एक दूसरे माहौल से आई नई बहू से तालमेल बैठा पाना ससुराल वालों के लिए भी आसान नहीं होता. अपने घर के वातावरण में बहू को ढालना ससुराल वालों के लिए भी एक चुनौती होती है. मगर दोनों ही पक्ष आपसी समझ से कदम आगे बढ़ाएं तो ये बदलाव अच्छे लगने लगते हैं.

इसी तरह ससुराल और ससुराल वालों से जुड़ी बहुत सी बातें होती हैं, जो विवाह से पूर्व लड़कियों को मन ही मन नकारात्मक सोचने पर मजबूर कर देती हैं. मगर इस सोच के साथ नए रिश्तों की शुरुआत हमेशा बुरे परिणाम ही दिखाती है. इसलिए सकारात्मक सोचें. इस से विपरीत हालात में मसलों को सुलझाने का रास्ता मिलेगा और ससुराल के हर सदस्य के साथ सही तालमेल बैठाना आसान हो जाएगा.

7 Tips: रिश्ते की गहराई को नापें

अगर आप दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो हो सकता है आपके कभी कभार झगड़े होते हों और ज्यादातर समय आप एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह रहते हों मानो हर चीज परफेक्ट है. लेकिन आपके रिश्ते का असली टेस्ट तब होता है जब आप एक साथ रहते हैं. इस दौरान आपको एक दूसरे की कमियों का पता चलता है और यह सब बातें पता लगती हैं कि आपको किन किन चीजों पर काम करने की आवश्यकता है. अगर आप पहले से ही इन चीजों को जान लेंगे तो आपको शादी के बाद अधिक परेशानियां नहीं होंगी. इसलिए अगर आप एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो यह एक बुरा आइडिया नहीं है. आइए जानते हैं किन किन तरीकों से आप अपने रिलेशनशिप को टेस्ट कर सकते हैं.

1. सोचें क्या आप सच में ही खुश हैं :

जब आप एक साथ रहते हैं तो आपको अपने पार्टनर की बुरी आदतों के बारे में पता चलेगा और आप उनकी बहुत से चीजों को नोटिस करना शुरू कर देंगे चाहे वह चीजें आपको बुरी ही क्यों न लगती हों. इन चीजों को देख कर अगर आप खुद को खुश महसूस नहीं कर रहे हैं तो उन्हें यह आदतें बदलने के लिए बोलें और इससे पता लगेगा कि वह आपके लिए सही है या नहीं.

2. पार्टनर आपको कितनी अटेंशन देता है:

एक साथ रहते समय आपको यह पता चलेगा कि आपके पार्टनर अपनी अधिक अटेंशन किसे देते हैं और वह आपको कितना समय दे पाते हैं. अगर वह आपकी ओर जरा भी ध्यान नही देते हैं तो समझ जाएं वह आपके लिए सही नहीं हैं.

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3. क्या मुश्किलों का सामना कर सकता है-

अगर कल को कोई चुनौती का सामना करना पड़ जाए तो आपके पार्टनर किस तरह रिएक्ट करेंगे यह भी आप साथ रहते समय बहुत सी बातों में नोट कर सकते हैं. उनकी इन्हीं छोटी छोटी बातों पर आपको ध्यान रखना है.

4. वह घर के कामों में कितनी जिम्मेदारी लेते हैं :

अगर आप चाहती हैं कि आपके पार्टनर आपके साथ मिल कर सारा काम करें तो आपको पहले यह देखना होता है कि वह आपकी काम में कितनी मदद करते हैं और कितने आलसी हैं. क्या वह किसी काम की जिम्मेदारी लेते हैं या उनसे बच कर भागते हैं?

5. कितने लंबे समय तक चलेगा रिश्ता :

ज्यादातर रिश्तों के खत्म होने का यही कारण होता है कि पार्टनर्स एक दूसरे से बोर हो जाते हैं. जब आप साथ रहेंगे तो वह आपकी सभी आदतों को देखेंगे और इस दौरान अगर वह आपसे इंप्रेस रहते हैं और आपमें अधिक रुचि दिखाते हैं तो इसका मतलब है वह आपके साथ लंबे समय तक रहने वाले हैं.

6. आप अपनी खुशियों को पा रहे हैं :

अगर आपको उनके साथ रहने से या समय बिताने से ऐसा लगता है कि अब आप और अधिक खुश रहने लगे हैं या आपके अंदर की खुशियां बाहर आने लगी हैं तो वह व्यक्ति आपके लिए बिल्कुल सही हैं.

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7. यह आपकी मानसिक सेहत का भी एक टेस्ट है :

अगर उनके साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ स्थिर रहती है और आपके मन को शांति मिलती है तो वह आपके लिए सही है लेकिन अगर उनकी वजह से आपके दिमाग में हर समय चिंता और स्ट्रेस रहती है तो वह आपकी मानसिक सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं.

अगर आपके पार्टनर में ऊपर लिखित टेस्टों को पास कर दिया है तो आप उन्हें अपना होने वाला पति या पत्नी मान सकते हैं और यह समझ सकते हैं कि आपकी पसंद सच में ही बहुत अच्छी है लेकिन अगर वह आधे से अधिक टेस्टों में फेल हो जाते हैं तो आपको थोड़ा चौकन्ना होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति भविष्य में अपनी जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं या आप अगर उनके साथ शादी करते हैं तो थोड़े दुखी रह सकते हैं. इसलिए अपना निर्णय सोच समझ कर ही लें.

जायज नहीं पति का सरेआम झिड़कना

कभी तो अक्लमंदी की बात किया करो,’’ पति ने कहा.

बेटेबहू के सामने पति द्वारा यों झिड़कना पत्नी को बहुत आहत कर गया. उदास स्वर में बोली, ‘‘आप ने ही तो कहा था कि दाल ठंडी हो गई है, गरम कर लाओ.’’

‘‘गरम करने को कहा था, खौलाने को नहीं. बूढ़ी हो गई पर अक्ल नहीं आई.’’

बात बढ़ती देख पत्नी ने चुप रहने में ही भलाई समझी कि भला गरम दाल को ठंडा होने में कितनी देर लगती है? किंतु जब घर में पत्नी को बातबात पर झिड़कने का रिवाज हो, तो ये संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं. बच्चे ये सब देखते हुए बड़े होते हैं, तो जाहिर है बड़े होने पर वे ऐसा ही करेंगे.

कई लोगों का मानना है कि छोटामोटा झगड़ा और अपमान की स्थिति पतिपत्नी के रिश्ते में आम बात है, जिस का कोई गहरा प्रभाव नहीं पड़ता. किंतु यदि आप का साथी कुछ अधिक ही ऐसी स्थिति पैदा करने लगता है, तो उसे सहना सर्वथा गलत है. गाली देना भी उतना ही गलत है जितना हाथ उठाना. झिड़कना भी उतना ही गलत है जितना अपमान करना.

असल जिंदगी का उदाहरण

श्वेता और रवीश की शादी को 14 वर्ष बीत चुके हैं. श्वेता एक निजी विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं और रवीश एक बैंक कर्मचारी. जब कभी रवीश को गुस्सा आता या वे परेशान होते तो अपना स्ट्रैस श्वेता पर निकालते, बिना यह देखे कि वे दोनों उस समय कहां और किस के समक्ष हैं. रवीश श्वेता से अपमानजनक तरीके से बात करते, उसे झिड़कते, चीखते, नीचा दिखाते. ऐसे व्यवहार से न केवल श्वेता आहत होती, अपितु रवीश के प्रति उन के प्यार को भी ठेस पहुंचती. श्वेता के शिकायत करने पर बाद में वे अपने गलत व्यवहार के लिए उन से माफी भी मांगते. लेकिन उन की माफी की कोई कीमत नहीं होती, क्योंकि कुछ अरसे बाद वे फिर ऐसा ही करते.

स्थिति में सुधार लाने हेतु श्वेता ने डा. स्टीवेन स्टोस्नी की पुस्तक ‘लव विदाउट हर्ट’ पढ़ी. इस पुस्तक से उन्हें भावनात्मक अपमानजनक व्यवहार और उस से निबटने के बारे में जानकारी मिली. चूंकि रवीश पर श्वेता के समझाने का कोई असर नहीं हो रहा था, इसलिए उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर, अन्य लोगों के बीच रवीश से दूरी बनानी शुरू कर दी. रवीश के कारण पूछने पर उन्होंने साफसाफ बता दिया कि सब के सामने बेइज्जत होना उन्हें पसंद नहीं. श्वेता का यह तरीका वाकई रवीश में बदलाव लाया.

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फिल्मों से उदाहरण

पुरानी फिल्म ‘अभिमान’ में दर्शाया गया है कि पत्नी की सफलता से कुढ़ कर पति उसे सब के सामने झिड़कने लगता है. कुछ समय पहले आई फिल्म ‘इंगलिशविंगलिश’ में श्रीदेवी का पति उसे सदैव झिड़कता रहता है. अंगरेजी न आने पर सार्वजनिक तौर पर उस की हंसी उड़ाता है. उस के लड्डुओं के व्यवसाय का भी उपहास उड़ाता है, इस का परिणाम यह होता है कि उस के बच्चे भी उस का उपहास उड़ाने लगते हैं.

अगली पीढ़ी पर असर

अकसर महिलाएं अपनी गपबाजी में एक विषय अवश्य लाती हैं कि पति उन्हें कैसे डांटतेफटकारते हैं. ये सब बातें करते हुए कई बार वे अतिशयोक्ति भी कर बैठती हैं. उस समय वे यह भूल जाती हैं कि बच्चे भी उन की बातें सुन रहे हैं. बच्चे जो देखतेसुनते हुए बड़े होते हैं, बड़ा होने पर वैसा ही अचारण करने लगते हैं. ऐसे में हमारा सामाजिक दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ी को एकदूसरे की इज्जत करना सिखाएं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रैसिडैंट जेफ्री आर हौलेंड का मत है कि यदि डेटिंग के दौरान आप का पार्टनर आप को नीचा दिखाए, आप की आलोचना करे, आप से क्रूर व्यवहार करे या अकारण मजाक उड़ाए, तो ऐसे रिश्ते को फौरन समाप्त कर देना चाहिए और यदि ऐसा विवाह के बाद होता है, तो आप को अपने साथी से कुछ दूरी अवश्य बना लेनी चाहिए. ऐसा व्यवहार सहना गलत है खासकर तब जब आप के बच्चे भी ये सब देखते हों.

पहली बार से ही न सहें

मोनिका ने अपने पति के मौखिक हमले सहते हुए यह सोचा कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, परंतु पति के हमले बढ़ते गए. अपशब्द, हंसी उड़ाना, बदतमीजी करना, अपमानजनक बातें कहना आदत में शुमार हो गया. इसलिए पहली बार से ही पति को यह ज्ञात करा देना चाहिए कि क्या सहनीय है और क्या नहीं.

बात को हंसी में उड़ा दें

कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पत्नी पति की अशिष्ट बातों को हंसी में उड़ा दे. हालांकि ऐसा करना बेहद कठिन होता है. जब कोई आप से अपमानजनक तरीके से बात कर रहा हो तो उस की बात के उत्तर में हंसने के बजाय तेज गुस्सा आएगा. लेकिन जरा प्रिया को देखिए, पति अमित ने जब यह कहा कि इतना भी नहीं आता तुम्हें? तो उत्तर में प्रिया हंस कर कहती है कि अजी हमें क्या आता है, सब कुछ तो आप ही जानते हैं. कुछ हमें भी शिक्षा दीजिए न. हास्य की ताकत यह है कि वह बदतमीजी के गाढ़ेपन को पतला कर देती है और जो बदतमीजी कर रहा होता है उसे समझ आ जाता है कि कहने वाले ने किस आशय से कहा है. सब के सामने बात रफादफा हो जाती है.

हो सकता है कि आप के पति सकारात्मक आलोचना से आप की कमियां सुधारना चाहते हों और आप ही अत्यधिक संवेदनशील हो रही हों. यदि आप घर को व्यवस्थित नहीं रखती हैं और आप के पति आप को इस बात के लिए झिड़क देते हैं, तो आप को मुंह फुलाने के बजाय अपनी आदतें सुधारनी चाहिए.

पति को अकेला छोड़ कर दूर चली जाएं

जब कभी आप के पति आप को अकेले में या सार्वजनिक स्थान पर अपमानित करें, तो आप किसी भी बहाने से वहां से हट जाएं. यह अपने पति के क्रोध को संभालने का एक बहुत सरल तरीका है.

बात साफ करें

कितना भी प्रयास कर लें, मगर एक न एक दिन आप अपने पति के गलत व्यवहार से थक ही जाएंगी. इसलिए अच्छा है कि जल्दी से जल्दी बात साफ कर ली जाए. अपनी बात साफतौर से उन से कहें और उन्हें बीच में टोकने न दें. जब तक आप की बात पूरी न हो जाए उन्हें बताएं

कि उन की झिड़कियां आप को कितना आहत करती हैं. उन्हें एहसास दिलाएं कि मानसिक चोट भी शारीरिक चोट की भांति बहुत तकलीफ पहुंचाती है. याद रखें कि अपनी बात नम्रता से कहें. आखिर आप यह बात इसलिए बता रही हैं ताकि आप दोनों का रिश्ता सुदृढ़ हो न कि झगड़ा बढ़े.

अनजाने ही झिड़कने की भूल

हो सकता है कि आप के पति इस बात से अनभिज्ञ हों कि वे आप को सरेआम झिड़क कर आप को आहत कर रहे हैं. कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन से पत्नी तो खिन्न हो उठती है, किंतु पति यह जान नहीं पाते कि उन्होंने अनजाने ही अपने जीवनसाथी को ठेस पहुंचाई है.

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प्रत्यक्ष बातचीत द्वारा हल संभव

मनीषा ने अपने पति की इस आदत को कुछ समय नकारा. किंतु जब उस ने यह देखा कि पति की उसे सरेआम झिड़कने की आदत नकारने से बढ़ती जा रही है तो उस ने एक ब्लौग में पढ़े हल को आजमाया. उस ने अपने पति से इस विषय में प्रत्यक्ष रूप से बात की, ‘‘मैं जानती हूं कि तुम मुझे कितना प्यार करते हो और कभी मेरा बुरा नहीं चाहोगे, मगर यों सब के सामने तुम्हारा मुझे झिड़कना मुझे बहुत आहत कर जाता है. कभीकभी तुम ऐसी बातें कर जाते हो जो सिर्फ कमरे की अंदर कहनी चाहिए. तुम्हारा नकारात्मक ढंग से मुझे चिढ़ाना मुझे बहुत ठेस पहुंचाता है.’’

मनीषा की साफ बात उस के पति के मन तक पहुंचने में देर न लगी और अपनी गलती स्वीकार कर तुरंत ही अपने रवैए में सुधार कर लिया.

कब चाहिए प्रोफैशनल मदद

कैथी बौश जोकि पारिवारिक जीवन शिक्षा की विशेषज्ञा हैं, कहती हैं, ‘‘यदि आप का पति लगातार ऐसी बातें करता है, जिन से आप का आत्मविश्वास डगमगाता है, जान कर ऐसे क्रियाकलाप करता है जिन से आप का स्वयं पर से भरोसा उठता है, आप की आत्मनिर्भरता समाप्त होती है, तो यह गंभीर विषय है. यह अपमानजनक मुद्दा है और आप को प्रोफ्रैशनल मदद लेनी चाहिए.

यदि आप को अपने पति की झिड़कने की आदत पर आपत्ति है, तो उन से इस विषय में बात करें. बातों को मन में दबाए रखने की जगह साफ करने में ही रिश्ते की भलाई है. हो सकता है आप के पति की इस आदत के पीछे आप की कोई कमी हो, तो आप उसे दूर करने का प्रयास करें. अच्छा है कि आप दोनों आपसी समझ और सुलह से इस परिस्थिति से अकेले में निबटें न कि अन्य परिवार वालों या मित्रों के समक्ष.

10 सवाल जो आप को समस्या की गंभीरता बतलाएंगे

यदि आप इस दुविधा में रहती हैं कि आप के पति या बौयफ्रैंड या फिर लिव इन पार्टनर की आप को सरेआम झिड़कने की आदत है या हलकीफुलकी छेड़छाड़ तो आप ये प्रश्न स्वयं से पूछें:

– क्या वे आप की जिंदगी की छोटी से छोटी बातों पर भी काबू पाना चाहते हैं? मसलन, आप ने दिन कैसे बिताया, उस के हर मिनट का हिसाब मांगते हैं, जो काम आप ने दिन में नहीं किए, उन के बारे में आप को खरीखोटी सुनाते हैं, खास निर्णयों में आप की राय नहीं लेते.

– क्या वे आप से झूठ बोलते हैं और झूठ पकड़े जाने पर क्षमायाचना के बजाय बहानों की झड़ी लगाते हैं?

– क्या आप से अपमानजनक भाषा में, व्यंग्यात्मक सुर में या फिर कृपाशीलता दर्शाते हुए बातचीत करते हैं? क्या उन्हें शांति और तर्क से बात समझाना कठिन है?

– क्या वे आप की प्रतिभा, गुणों तथा योगदान के बारे में जिक्र होने पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हैं?

– क्या भावनात्मक संबलता प्रदान करने में हिचकिचाते हैं? मनमुटाव के दौरान बातचीत द्वारा हल निकालने के बजाय वहां से उठ कर चले जाना उचित समझते हैं या फिर आत्म बचाव/प्रतिउत्तर में उलझ जाते हैं?

– क्या उन का क्रोध आप को भयभीत करता है?

– क्या वे हर संभव बहाने से आप की आलोचना करते रहते हैं?

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– क्या उन का सरेआम दूसरों के साथ फ्लर्ट करना आप को आहत करता है? क्या उन के ऐसे बरताव के लिए आप की तरफ से कोई कमी या पहल है?

– क्या वे अपने बरताव को ले कर कोई बदलाव करने को तैयार नहीं हैं? क्या उन का व्यवहार आप को कठोर लगता है? मसलन, घर के कामकाज को ले कर हुए मतभेद के बावजूद वे आप की कोई मदद करने को तैयार नहीं होते?

– क्या उन्होंने कभी आप के प्रति शारीरिक हिंसा या मौखिक दुरुपयोग किया है? मसलन, अश्लील भाषा का प्रयोग, गालीगलौज, हाथ उठाना?

परिवार नियोजन के बाद सेक्स से कोई प्रौब्लम तो नहीं है?

सवाल- 

मैं 52 वर्षीय महिला हूं. पति को गुजरे 5 साल हो गए हैं. पिछले कुछ महीनों से एक 27 वर्षीय अविवाहित युवक से मेरे जिस्मानी संबंध हैं. वह मेरा बहुत खयाल रखता है और हम दोनों आपसी रजामंदी से सैक्स संबंध बनाते हैं. मैं उस के साथ सहज महसूस करती हूं और वह न सिर्फ सैक्स में, बल्कि दुखतकलीफ में भी सदैव साथ निभाता है. वह काफी जोशीला भी है मगर सैक्स के समय उसे कंडोम लगाना पसंद नहीं है. हालांकि मैं परिवार नियोजन करा चुकी हूं. इस में कोई खतरा तो नहीं है? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप के सैक्स पार्टनर का सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग नहीं करने से परिवार नियोजन से कोई संबंध नहीं है. सैक्स संबंध के दौरान गर्भ ठहरेगा इस की भी गुंजाइश न के बराबर है. पर कंडोम न सिर्फ गर्भनिरोध में बल्कि यौनजनित संक्रमण से भी बचाव करने का अच्छा साधन माना जाता है.

सैक्स पार्टनर से कहें कि वह सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करे. इस से आप दोनों ही

यौन संक्रमण से बचे रहेंगे और तनावमुक्त हो कर सैक्स का आनंद उठा पाएंगे.

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श्वेता खाना खाकर सोने चली गयी थी. उसका पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले श्वेता रात के खाने पर पति का देर तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आये तो खाने पर उसका इंतजार न करे. इसके बाद देर होने पर श्वेता खाना खाकर लेट जाती थी. इसके बाद भी उसको नंीद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधें के बारे में सोच रही थी. उसको लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात से घर लौटता था. इसके बाद कभी सेा जाता था तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध् बनाने के लिये मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुच चुकी श्वेता को इस तरह संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. कभी तो श्वेता को लगता जैसे पति प्यार न करके बलात्कार कर रहा हो.

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जानें शादी के बाद क्यों बदलती है जिंदगी

शादी जिंदगी का एक अहम रिश्ता होता है. इसके जरिए आपको ढ़ेर सारा प्यार और नए रिश्ते मिलते हैं. शादी और भी कई चीजों से जुड़ी होती है जो आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है. ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्हें आप शादी के बिना अनुभव नहीं कर सकती हैं. जब आप शादी के बंधन में बंध रही होती हैं तो आप एक नई जीवनशैली के साथ भी जुड़ रही होती हैं. शादी के बाद शुरुआत में आपकी जीवनशैली की बहुत सी चीजें बदल सकती है. आइए आज हम ऐसी ही चीजों के बारे में बात करते हैं.

1. आपको कुछ आदतों को छोड़ना पड़ता है

शादी से पहले हो सकता है काफी देर रात तक दोस्तों के साथ मस्ती करना, उनसे बात करना आपकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा हो, लेकिन शादी के बाद हो सकता है आपका पार्टनर आपको इन सभी चीजों की अनुमति ना दे, ऐसे में आपको इन चीजों की कुर्बानी देनी पड़ सकती है.

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2. आपको एक नई जगह पर रहना होता है

शादी के बाद आपको इस बदलाव का सामना करना पड़ता है. आप अब तक जिस जगह पर रह रही थीं उसे छोड़कर किसी नई जगह पर शिफ्ट होना आपके लिए उत्साहित करने वाला भी हो सकता है तो बहुत से लोग इस बदलाव से परेशान भी हो सकते हैं. जैसे महिलाओं को अपने परिवार को छोड़कर अपना कमरा छोड़कर आपको एक नए घर में शिफ्ट होना पड़ता है.

3. आपको हर रोज एक इंसान की बातें सुननी होंगी

औफिस से आने के बाद आप थक जाती हैं और आराम करना चाहती हैं लेकिन अगर आप शादीशुदा हैं तो आपको अपने साथी को समय देना भी जरुरी है. जिस तरह आप शादी से पहले औफिस से आकर अपने कमरे में जाकर आराम करती थीं उस तरह की जीवनशैली शादी के बाद बदल जाती है. अब आपको अपने साथी की दिन भर की बातें सुनने के लिए समय देना भी जरुरी हो जाता है.

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4. आपको अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ सकता है

मान लीजिए कि आपके साथी को किसी दूसरे शहर में नौकरी मिली है और उनकी आय आपके परिवार की सबसे बड़ी वित्तीय शक्ति है तो आप क्या करेंगी. इस मोड़ पर आपको अपना नौकरी छोड़नी पड़ सकती है. इस तरह के बदलाव भी शादी के बाद आप अनुभव कर सकती हैं.

2 महीने बाद मेरी शादी है, लेकिन मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मुझे ऐंडोमिट्रिओसिस है. 2 महीने बाद मेरी शादी है. क्या इस वजह से मुझे गर्भधारण करने में समस्या आएगी?

जवाब-

ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है. यह समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सर्वाधिक प्रभावित करती है, क्योंकि गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने में गर्भाशय की सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐंडोमिट्रिओसिस के 4 ग्रेड होते हैं, मिनमल, माइल्ड, मौडरेट और सीवियर. ज्यादातर

कोई परेशानी होती है, पहले वाली 2 स्थितियों में गर्भधारण करने में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन अगर समस्या 3 और 4 ग्रेड तक पहुंच गई है तो गर्भधारण मुश्किल हो सकता है. शादी के बाद 6 महीनों तक प्रयास करें. अगर आप गर्भधारण नहीं कर पाएं तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. उपचार कराने में देरी न करें.

-डा. वैशाली शर्मा

सीनियर आईवीएफ ऐक्सपर्ट, मिलन फर्टिलिटी सैंटर, नई दिल्ली

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खानपान, शिफ्ट वाली नौकरी और रहन-सहन में आए बदलाव के कारण जहां एक तरफ लाइफस्टाइल पहले से अधिक बढ़ गया है, वहीं दूसरी तरफ टैकनोलौजी से भी कई हेल्थ प्रौब्लम बढ़ गई हैं. अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाले रोग युवावस्था में ही होने लगे हैं. इनमें एक कौमन प्रौब्लम है युवाओं में बढ़ती इन्फर्टिलिटी. दरअसल, युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या आधुनिक जीवनशैली में की जाने वाली कुछ आम गलतियों की वजह से बढ़ रही है.

1. खानपान की गलत आदतें

इन्फर्टिलिटी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है खानपान की गलत आदतें. समय पर खाना नही, जंक व फास्ट फूड खाने के क्रेज का परिणाम है युवावस्था में इन्फर्टिलिटी की प्रौब्लम. फास्ट फूड और जंक फूड खाने में मौजूद पेस्टीसाइड से शरीर में हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण इन्फर्टिलिटी हो सकती है. इसलिए अपने खानपान में बदलाव का पौष्टिक आहार का सेवन करें. हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बींस, दालें आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.

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न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

  • सेक्स से जुड़ा संदेह
  • गर्भ निरोधकों का प्रयोग
  • पराकाष्ठा का अभाव
  • कुछ मिथक
  • संचार का अभाव

सेक्स से जुड़ा संदेह

सेक्स से जुड़ा सबसे बड़ा मतभेद तो संदेह होता है. जिनकी नई शादी हुई होती है उनके लिए सब कुछ नया-नया होता है. वह अपने आपको असहज महसूस करते हैं. उन्हें संदेह रहता है कि क्या वह अपने जीवनसाथी को संतुष्ट कर सकेंगे. शादी के बाद कुछ व्यक्ति अपने आपको नियंत्रण कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं. इसीलिए उन्हें डाउट रहता है. शादी के बाद वह दिन में कई बार सेक्स करना पसंद करते हैं. दोनों ही युगल यह सोचकर सुख का आनंद नहीं ले पाते कि कहीं उनका साथी उनके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो असहज फील करते हैं. हालांकि एक समय बाद  वह यह सोचकर सहज हो जाते हैं कि दोनों के लिए सेक्स वास्तव में कितना सामान्य है. एक दूसरे के प्रति वह जरूरतमंद महसूस कर सकता है.

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गर्भ निरोधकों का प्रयोग

गर्भ निरोधक का यूज करने से व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है. लेकिन मतभेद के चलते कुछ लोग इसका प्रयोग नहीं कर पाते हैं. जैसे ही बात इंटीमेट होने की आती है तो पुरूषों में अनुभवहीनता दिखाई देने लगती है. यही कारण है कि लाख कंडोम या निरोधक के विज्ञापन होने का बाद भी उन्हें इसका यूज नहीं पता होता है. ऐसे पुरुष उस क्षण असहज हो जाते हैं, जब उन्हें अपना इरेक्शन खोना पड़ता है. उनकी पत्नी उस समय यह नहीं समझ पाती कि इस स्थिति का जवाब उन्हें कैसे देना है. इसलिए वह अपने आपको बहुत अपमानजनक अहसास करते हैं.

पराकाष्ठा का अभाव

सेक्स करते समय जुनून का अभाव आपको गिल्ट फील कराती है. पुरूषों को जब समय से पहले इजेक्यूलेशन होता है या महिला को जोश से पहले ही फॉल हो जाता है तो इसके अभाव से सेक्स लाइफ में तनाव आने लगती है. सेक्स में जब तक बहुत अधिक प्लैज़र न मिले तो तब तक आप उसका आनंद नहीं ले सकते हैं. मिलन आप दोनों का मन और तन दोनों से ही हो और जब हो तब मन एकाग्रचित हो. ऐसी स्थिति में आप उसका सुख ले पाएंगे, और आपका सेक्स से जुड़ा मतभेद दूर हो जाएगा.

कुछ मिथक

सेक्स से जुड़ा मिथ ये भी है कि अगर फर्स्ट नाइट में महिला को ब्लड आ जाए तो यह उसकी वर्जिनिटी को दर्शाता है. अगर ऐसी स्थिति में वह अंतरंग नहीं होती है तो पुरूष उसे अस्वीकार कर देगा. जिसकी वजह से शादी में समस्याएं आती हैं. इसके अतिरिक्त यदि कोई पुरुष महिला को संतुष्ट करने में सक्षम नहीं है, तो वह भी उन पर अत्यधिक दबाव बनाते हुए हंसी का पात्र बन जाता है. ऐसा सिर्फ मिथक है.

संचार का अभाव

इंटीमेट होना ही काफी नहीं है अगर दोनों के बीच किसी तरह का कोई संवाद न हो तो. संवाद होने से परस्परता बनी रहती है. और सेक्स का उतना ही बुखार चढ़ता है. ऐसा करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यौन सुख और सेक्स की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन वह इसमें असफल रहते हैं. जोड़ों को यह जानना बहुत जरूरी है कि यह हमेशा एक समान नहीं रहता है. इसलिए संचार करते रहें.

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हालांकि, अब इन मतभेदों पर जल्दी कोई विश्वास नहीं करता है, क्योंकि इंटरनेट की दुनिया ने आज के युवा पीढ़ी को सजग ही नहीं बल्कि जागरुक भी बनाया है. फिर भी कुछ अपवाद अगर रह जाते हैं तो उन्हें उसी तरह से समझाया जा सकता है जिस तरह से वो समझना चाहें.

अपने हसबैंड से ये 5 बातें छिपाकर रखती है वाइफ

पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास और भरोसे के लिए जाना जाता है. जिस रिश्ते में ये दोनों चीजें हैं, उस रिश्ते की मजबूती को आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन पति-पत्नी के कुछ ऐसे सीक्रेट्स भी होते हैं जो एक-दूसरे से छिपाकर रखे जाते हैं.

जी हां, खासकर बीवियां कुछ ऐसी बातें अपने पति से छिपाकर रखती हैं, जिसमें कई बार उनका छिपा रहना ही अच्छा होता है. आज हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बीवियां अपने पति से छिपाकर रखती हैं.

1. घर-परिवार की जिम्मेदारियों और रिश्तों में चल रही उलझनों के चलते महिलाएं थेरेपिस्ट से सेशन लेने लगती हैं, जिस बात को वह अपने पति से छिपाकर रखती है क्योंकि उनका मानना है कि पति उनकी इस परेशानी को नहीं समझेगा, इसलिए उनसे इस बात को छिपाकर रखना ही बेहतर हैं.

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2. पत्नियां अक्सर अपनी हैल्थ प्रौबल्म को पार्टनर से छिपाने की कोशिश करती है, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो क्योंकि वह अपनी प्रौबल्म बताकर पति को परेशान नहीं करना चाहती इसलिए उन्हें बताने से हिचकिचाती हैं.

3. घर के खर्चे करने के बाद महिलाएं जो सेविंग करती हैं, उसके लिए अलग से एक बैंक अकाउंट खुलवाती हैं, जिसके बारे में वह अपने पति से छिपाकर रखती हैं. पत्नियों को अलग से सेविंग करना का मतलब है कि मुसीबत के समय अगर कोई आर्थिक तंगी आ जाए तो वह पैसे काम आ जाएगे.

4. संबंध बनाते समय अक्सर महिलाएं पार्टनर को अपनी पसंद और नापसंद बताते समय हिचकिचाती है, जो बात वह अक्सर अपने पार्टनर से छिपाकर रखती हैं.

5. हर कोई महिला अपने रिश्ते में चल रही दिक्कतों को अक्सर अपनी सहेली के साथ शेयर करती है. यहां तक अपने बैडरूम की बाते भी सहेली के साथ शेयर कर लेती है, लेकिन यह बात वह अपने पति से छिपाकर रखती है, ताकि उसे गुस्सा न लग जाए.

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सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिसका असर हमारी शादीशुदा जिंदगी पर पड़ रहा है?

सवाल-

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हांहूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभीकभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स संबंध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. स्वस्थ व जोशीली सैक्स लाइफ हमारे संबंधों को मजबूत बनाती है एवं जीवन को खुशियों से भरती है. संयुक्त परिवारों में जानबूझ कर औरतों को दबाने के लिए उन्हें पति से दूर रखा जाता है और वे पति के साथ खुल कर सैक्स ऐंजौय नहीं कर पातीं. इस के लिए आप को पति से खुल कर बात करनी होगी. सिर्फ आप ही नहीं आप के पति भी आप की चाह रखते होंगे.

बेहतर होगा कि इस के लिए कभी किसी रिश्तेदार के या कभी मायके जाने के बहाने पति के साथ बाहर घूमने जाएं. इस तरह के संबंधों को तो झेलना ही होता है. कोई उपाय नहीं मिलता.

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सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

पार्टनर को खुश रखने के लिए उपहार या घुमाना भी कठिन हो जाता है. जो लोग सालोंसाल से साथ होते हैं वे भी कमियां निकालने लगते हैं. कोविड 19 के समय आर्थिक तनाव का सब से बड़ा कारण मकान का किराया देना, नौकरी का चले जाना, पूरा वेतन न मिलना, समय पर वेतन न मिलना प्रमुख है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- आर्थिक तनाव सैक्स पर हावी तो नहीं

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