बदल रहे हैं नई पीढ़ी के पति-पत्नी

 ऋचा की सास उस के पास 1 महीने के लिए रहने आई थीं. उन के वापस जाते ही ऋचा मेरे पास आई और रोंआसे स्वर में बोली, ‘‘आज मुझे 1 महीने बाद चैन मिला है. पता नहीं ये सासें बहुओं को लोहे का बना क्यों समझती हैं, यार. हम भी इंसान हैं. खुद तो कोई काम करना नहीं चाहती और यदि उन का बेटा जरा भी मदद करे तो भी अपने जमाने की दुहाई दे कर तानों की बौछार से कलेजा छलनी कर देती हैं. वे यह नहीं समझतीं कि उन के जमाने में उन के कार्य घर तक ही सीमित थे, लेकिन अब हमें जीवन के हर क्षेत्र में पति का सहयोग करना पड़ता है. आर्थिक सहयोग करने के साथसाथ बाहर के अन्य सभी कार्यों में कंधे से कंधा मिला कर भी चलना पड़ता है. ऐसे में पति घर के कार्यों में अपनी पत्नी का सहयोग करे तो सास को क्यों बुरा लगता है? उन की सोच समय की मांग के अनुसार क्यों नहीं बदलती? बेटे भी अपनी मां के सामने मुंह नहीं खोलते.’’

उस के धाराप्रवाह बोलने के बाद मैं सोच में पड़ गई कि सच ही तो है कि पुरानी पीढ़ी की सोच में आज की पीढ़ी की महिलाओं की जीवनशैली में बदलाव के अनुसार परिवर्तन आना बहुत आवश्यक है.

1. पतिपत्नी की बदली जीवनशैली

नई टैक्नोलौजी के कारण एकल परिवार होने के कारण युवा पीढ़ी के पतिपत्नी की जीवनशैली में अत्यधिक बदलाव हो रहे हैं, लेकिन अधिकतर नई पीढ़ी की जीवनशैली के इस बदलाव को पुरानी पीढ़ी द्वारा नकारात्मक दृष्टिकोण से ही आंका जा रहा है, क्योंकि सदियों से चली आई परंपराओं के इतर उन्हें देखने की आदत ही नहीं है, इसलिए बदलाव को वे स्वीकार नहीं कर पाते, लेकिन समय के साथ हमारे शरीर में परिवर्तन आना अनिवार्य है. प्रकृति में भी बदलाव आता है, तो अपने आसपास के बदले नए परिवेश के अनुसार अपनी सोच में भी बदलाव को अनिवार्य क्यों नहीं मानते? क्यों हम पुरानी मान्यताओं का बोझ ढोते रहना ही पसंद करते हैं? जो हम देखते आए हैं, सुनते आए हैं, सहते आए हैं. वह उस समय के परिवेश के अनुकूल था, लेकिन आज के परिवेश के अनुसार बदलाव को हम क्यों पुराने चश्मे से ही धुंधला देख कर उन के क्रियाकलापों पर टिप्पणी कर रहे हैं? अफसोस है कि युवा पीढ़ी की अच्छी बातों की तारीफ करने के लिए न तो हमारे पास दृष्टि है न मन, है तो सिर्फ आलोचनाओं का भंडार.

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2. पुरानी पीढ़ी में कार्यों का विभाजन

पहले जमाने में लड़के और लड़की के कार्यों का विभाजन रहता था, क्योंकि लड़कियां घर से निकलती ही नहीं थी. इसलिए गृहकार्यों का भार पूर्णतया उन के जिम्मे रहता था और इस के लिए उन दोनों के बीच अच्छीखासी लक्ष्मण रेखा खींच दी जाती थी, लेकिन अब जब लड़कियां लड़कों के बराबर पढ़ाई के साथसाथ नौकरी भी कर रही है तो यह विभाजन समाप्त हो जाना चाहिए.

3. आधुनिक युवा पीढ़ी में कार्यविभाजन नहीं

युवा पीढ़ी की लड़कियों ने पढ़लिख कर आत्मनिर्भर हो कर जागरूकता के कारण कार्यविभाजन के लिए विद्रोह करना आरंभ किया ही था कि कब समय ने बदलाव की अंगड़ाई ली और यह सोच दबे पांव हमारे घरों में घुसपैठ करने लगी, कब पुरुष सोफे से उठ कर किचन में दखल देने पहुंच गया, पता ही नहीं चला, क्योंकि इस की चाल कछुए की चाल थी. निश्चित रूप से यह पश्चिमी सभ्यता की देन है, जहां कार्य विभाजन होता ही नहीं है.

4. स्त्रीपुरुष की बराबरी को लेकर शोध

स्त्रीपुरुष की बराबरी को ले कर शोधों में भले ही सकारात्मक नतीजे दिख रहे हों, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है. पिछले दिनों नेल्सन इंडिया द्वारा भारत के 5 अलगअलग शहरों में कराए गए एक सर्वे में लगभग दोतिहाई स्त्रियों ने माना कि उन्हें घर में असमानता का सामना करना पड़ता है. इस सर्वे में मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और बैंगलुरु जैसे बड़े शहर शामिल हैं. सर्वे में शिल्पा शेट्टी, मंदिरा बेदी और नेहा धूपिया जैसी सैलिब्रिटीज को भी शामिल किया गया. लगभग 70% स्त्रियों ने कहा कि उन का ज्यादातर समय घर के कामों में बीत जाता है और पति के साथ वक्त नहीं बिता पातीं.

दिलचस्प बात यह है कि 76% पुरुष भी यही मानते हैं कि खाना बनाने, कपड़े धोने या बच्चों की देखभाल जैसे कार्य स्त्रियों के हैं. छोटे शहरों में तो अभी भी पुरुष यदि स्त्रियों के घरेलू कार्यों में मदद करें तो उन का मजाक उड़ाया जाता है. नौकरी करने वाली औरतें दोगुनी जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर हैं. वैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ने से थोड़ा बदलाव भी दिख रहा है. पुरुष घरेलू कार्यों में सहयोग दे रहे हैं लेकिन इसे पूरी तरह बराबरी नहीं माना जा सकता.

5. इस बदलाव की शुरुआत अच्छी है

अभी यह बदलाव कुछ प्रतिशत तक ही सीमित है, लेकिन यह शुरुआत अच्छी है और पूरा विश्वास है कि यह सुखद बदलाव की आंधी पूरे भारत को अपनी गिरफ्त में ले लेगी. यह बदलाव पतिपत्नी के रिश्तों में भी सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है. उन के बीच स्वस्थ दोस्ती का रिश्ता कायम हो रहा है. उन में आपस में एकदूसरे के लिए समर्पण की, त्याग की भावना और सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ने के साथसाथ स्त्री का सामाजिक स्तर भी बढ़ रहा है.

6. पतिपत्नी के रिश्ते दोस्ताना

आरंभ में इस ने उच्चवर्गीय समाज में पांव पसारे, जहां समाज का हस्तक्षेप न के बराबर होता है. उस के बाद मध्यवर्गीय परिवारों में भी इस बदलाव के लिए क्रांति सी आ गई. अब पतिपत्नी मानने लगे हैं कि उन्हें एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए. समय के साथ पुराने मूल्यों, मान्यताओं, परंपराओं को बदलना आवश्यक है.

7. युवा पीढ़ी के पिता की भूमिका बदली

पहले जमाने के विपरीत पिता की भूमिका बच्चों के बाहरी कार्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों की तरह अस्पतालों में प्रसव के समय मां के साथ पिता को भी बच्चों के पालनपोषण से संबंधित हर क्रियाकलाप करने की ट्रेनिंग दी जाने लगी है. औफिस वाले भी कर्मचारी की पत्नी के प्रसव के समय बच्चे और मां की देखरेख के लिए उसे छुट्टियों से भी लाभान्वित करते हैं. अब बच्चे का पालनपोषण करना केवल मां का ही कर्तव्य नहीं रह गया, बल्कि पति भी बराबर का भागीदार हो रहा है. पहले बच्चों के डायपर बदलना पुरुषों की शान के खिलाफ था, लेकिन अब वे सार्वजनिक रूप से भी ऐसा करने में संकोच नहीं करते. शोध यह भी कहते हैं कि चाइल्ड केयर के मामले में स्त्रियों की जिम्मेदारियां हमेशा पुरुषों से अधिक रही हैं. भले ही वे होममेकर हों या नौकरीपेशा.

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8. बदलाव के परिणाम परिवार के लिए सुखद

जौर्जिया यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ता डेनियल कार्लसन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘दृष्टिकोण को बदलना और एकदूसरे को सहयोग देना परिवार और रिश्तों की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है. यदि पतिपत्नी में एक खुश और दूसरा नाखुश होगा तो रिश्ते कभी बेहतर नहीं होंगे. पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की नींव को मजबूत बनाए रखने के लिए भी ऐसा जरूरी होता है. दोनों परिवाररूपी गाड़ी के 2 पहिए हैं. परिवार को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है. नए परीक्षणों, शोधों के बाद समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस नतीजे तक पहुंच रहे हैं कि पत्नी को बराबरी का दर्जा देने वाले पुरुष ज्यादा सुखी रहते हैं. ऐसे पुरुषों का सैक्स जीवन औरों के मुकाबले बेहतर होता है.

9. पुरानी पीढ़ी भी लाभान्वित

स्त्रीपुरुष में घरेलू कार्यों को ले कर तालमेल रहे तो पुरानी पीढ़ी को भी बहुत लाभ हैं. पुरुष भी रिटायरमैंट के बाद स्त्रियों की तरह घरेलू कार्यों में व्यस्त रह कर अपने खालीपन को भर सकते हैं. परिवार के बड़ेबूढ़ों को पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने के कारण आरंभ में उन्हें यह बदलाव अजीब सा लगा. लेकिन धीरेधीरे उन की आंखों को सब देखने की आदत सी पड़ रही है. रिटायरमैंट के बाद बेटेबहू द्वारा सारे कार्य सुचारू रूप से करने के कारण उन की जिम्मेदारी कम हो रही है और वे अपनी उम्र के इस पड़ाव को समय दे पा रहे हैं. इसलिए इस बदलाव को हितकर समझ कर स्वीकार करना ही उचित है और इस का स्वागत किया जाने लगा है. इस बदलाव को जिस पति और उस के परिवार वालों ने स्वीकार लिया, वे ही रिश्ते स्थाई होते हैं वरन तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में देर नहीं होती.

Mother’s Day 2020: काश ! तुम भी मुझे अपनी मां की तरह चाहो, सास- बहू का रिश्ता मुझे अच्छा नहीं लगता

प्रिया और आर्यन ने दो महीने पहले शादी कर ली थी. यह एक प्रेम विवाह था. उनके माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे लेकिन आर्यन प्रिया  को सच्चे दिल से प्यार करता  था ,उसने  हार नहीं मानी. उसने प्रिया के माता-पिता और अपनी माँ को  सहमत करने के सभी प्रयास किए . अंत में किसी तरह दोनों के परिवार इस शादी के लिए राज़ी हो गए.

दोनों सुखी जीवन बिता रहे थे. एक  दोपहर, प्रिया रसोई में काम कर रही थी, जबकि आर्यन अपने कमरे में सो रहा था. उसने अपना काम पूरा कर लिया और अपनी सास को लंच के लिए बुलाने चली गई. उसने दरवाजा खोला, और कई फोटो एलबमों के बीच, उसने अपनी सास को  बिस्तर पर बैठा पाया.

वह अपनी सास के पास जाकर  बिस्तर पर बैठ गई. हालाँकि उनके बीच कुछ भी नकारात्मक नहीं था, लेकिन दोनों के रिश्ते में बर्फ की एक परत थी, जो  उन्हें एक-दूसरे के प्रति अनुकूल होने से रोक रही थी.

प्रिया ने अपनी सास से कहा , “क्या कर रहे हो माँ?”

उसकी सास ने कहा , “अरे प्रिया, कुछ नहीं, बस पुरानी तस्वीरों को देख रही  थी”.

प्रिया ने कहा , “क्या मैं भी उन्हें देख सकती हूँ?”

उसकी सास ने मुस्कुराते हुए कहा , “ज़रूर”

वे दोनों ही पुरानी तस्वीरों  को  देखने लगी . प्रिया की सास  प्रिया को उन सभी यादों के बारे में बता रही थी जो  उन तस्वीरों  के साथ संबंधित थीं. उन्होंने प्रिया को आर्यन  की बचपन की वो तस्वीरें दिखाईं, जब वह पैदा हुआ था, जब वह एक फ्रॉक पहने हुए था, जब वह नहा रहा था. प्रिया आर्यन की बचपन की तस्वीरों को  बेहद प्यार से देख रही थी. कुछ देर बाद प्रिया ने अपनी साससे कहा, “माँ, क्या मैं कुछ पूछ सकती हूँ?”

उसकी सासने कहा,”हाँ प्रिया पूछो”.

प्रिया ने कहा , ” माँ क्या आप मुझसे खुश हैं?”

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प्रिया की सासने कहा , “बेशक, तुमने  ऐसा क्यों पूछा? क्या तुम इस  घर में सहज नहीं हो ? क्या आर्यन ने कुछ कहा? ”

प्रिया ने कहा,” नहीं माँ  ,मैं बहूत खुश हूँ. आर्यन मुझे  बहूत प्यार करता है. माँ बात सिर्फ इतनी है की आप दिन के अधिकांश समय कमरे के अंदर ही रहते हो , ऐसा लगता है कि आपने खुद को सीमित कर लिया है. आप हम लोगों से ज्यादा बात भी नहीं करते हो. क्या आप मुझसे खुश नहीं हो? ”

प्रिया की सासने  निगाहें चुराते हुए कहा , “नहीं, ऐसा कुछ नहीं है.”

प्रिया ने अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लिया.उसने महसूस किया की उस  साठ वर्षीय महिला का हाथ नरम और मोटा था. उसके हाथों का खुरदरापन उस कठिन जीवन का दर्पण था जिसे उस बूढ़ी औरत ने देखा है, और झुर्रियों की कोमलता उसकी उम्र बढ़ने की याद दिलाती थी.

प्रिया भावुक हो गयी उसने कहा ,”सच बताओ न माँ , प्लीज.”

प्रिया की सासने कहा ,“आज कल की पीढ़ी परिवारों के साथ रहना पसंद नहीं करती है, उन्हें एकांत चाहिए होता है और जो कुछ हम  पुराने लोग कहते हैं वो उन्हें हमारा  हस्तक्षेप लगता  हैं.मेरी दोनों बेटे पहले से ही शादीशुदा हैं, और उन्होंने मुझे छोड़ दिया. अब मेरे पास केवल आर्यन है, और मैं उसे इस उम्र में नहीं खो सकती.

प्रिया ने कहा , “आप आर्यन को क्यों खोयेंगी ?”

प्रिया की सासने कहा, “हर कोई मुझे आर्यन की शादी से पहले कह रहा था की आर्यन को उसकी पसंद की लड़की मिल रही है, और अब वह अपनी पत्नी और फिर बच्चों के साथ व्यस्त हो जाएगा.

मैं यही सोच के डर गयी थी की तुम लोगों का अपना जीवन जीने का तरीका है और अगर मैं कुछ भी कहूँगी  तो तुम भी  मुझे अकेला छोड़कर चले जाओगे , इसलिए मैंने सोचा कि मै तुम लोगों की लाइफ में ज्यादा disturbe न करू और तुम लोगों को अपना जीवन जीने दूं .इसलिए ही मै ज्यादा वक़्त अपने कमरे में ही रहती हूँ ताकि तुम्हे  एकांत मिले. कम से कम इस तरह से तुम  लोग मुझे अकेले छोड़कर तो कहीं नहीं जाओगे  ”

यह सुनकर प्रिया की आँखें गीली हो गईं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे.

उसको वो वक़्त याद आया जब  उसकी  दोस्तों ने सास-बहू के रिश्ते के बारे  में चेतावनी दी थी, लेकिन यह औरत  जो उसके सामने बैठी थी वो समाज की छवि से बहूत अलग थी.

वह बुरी नहीं थी, वह सिर्फ एक बूढ़ी औरत थी, जो एक माँ थी, जो सिर्फ अपने बच्चों का साथ ,उनका प्यार, देखभाल और अपने प्रति उनका  सम्मान चाहती थी.

प्रिया ने अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लिया और रोते हुए कहा,” माँ  अब आपके दो बच्चे हैं, पहला आर्यन और दूसरी मै . मैं आपकी  बेटी हूँ, मैं आपको  आर्यन  से अधिक प्यार करूंगी, जब भी आपको मेरी आवश्यकता होगी, मैं आपकी  देखभाल करूंगी, आप  मेरी माँ हो, जिस दिन मैंने आर्यन को स्वीकार किया था वह दिन था जब मैंने आपको अपनी माँ के रूप में स्वीकार किया था. अब आप अकेली नहीं हैं, आप मुझे स्वीकार करें या न करें  मैं आपकी बेटी हूं.

और एक चीज़ माँ , हम आपको कभी नहीं छोड़ेंगे. हम हमेशा यहां रहेंगे. आप हमारे बच्चों के साथ खेलेंगी और उन्हें कहानियाँ सुनाएंगी .आप पेड़ हैं और हम सिर्फ शाखाएं हैं. हमें आपकी आवश्यकता है.”

प्रिया की सास ने प्रिया की  ओर देखा. अब उन्हें  समझ में आया कि उनका बेटा इस लड़की से इतना प्यार क्यों करता है.उन्होंने प्रिया को अपने गले लगा लिया.

दरवाजे पर खड़े आर्यन ने चुपचाप अपनी आँखें पोंछ लीं. जिन दो औरतों से वह सबसे ज्यादा प्यार करता था , वे आखिरकार खुद को एक नए रिश्ते में बाँध रही थी.

दोस्तों, दरसअल हमारे समाज में एक सोच पत्थर की लकीर बन गयी है चाहे जितना भी सर पटक लो,लकीर नहीं मिटती. चूंकि लकीर को मिटाने की कोशिश भी पूरे दिल से नहीं की जाती . तो लकीर जस की तस रहती हैं और हां उसके आगे एक लंबी लकीर खींच दी जाती हैं, और फिर लंबी,लंबी और फिर लंबी.. ……. तो क्या आपको लगता हैं कि लकीर कभी मिट पाएगी??बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वो छोटी लकीर तो अब भी वहीं हैं.

समाज की इस भ्रांति को तोड़ अगर सास और बहू  अपने रिश्ते के बीच कोई भी लकीर ना खिचने दें और ज्यों ही लकीर जैसी चीज समझ आए तो समझदारी से उसे मिटा दे तो ना रहेगी लकीर और ना रहेंगे लकीर के निशान.

जहां तक मुझे लगता है की सास और बहू का रिश्ता केवल प्यार और अधिकार के ऊपर आधारित होता है.दोनों ही एक ही व्यक्ति के प्रति अपने अधिकारों को लेकर कुछ ज्यादा ही सजग होती हैं.

उनकी यह अधिकारों की लड़ाई धीरे-धीरे तकरार में बदल जाती है. शादी के बाद अक्सर मां को लगता है की उनका बेटा बदल गया है और अब वह सिर्फ अपनी बीवी और उसके घर के बारे में सोच रहा है.

अगर गहराई से सोचे तो एक माँ जो पूरे लाड़-प्यार से अपने पुत्र को बड़ा करती है और उसका विवाह करती है वह  आखिर अपनी बहू से बैर क्यों रखेगी.दोस्तों यह कोई बैर नहीं है ,  यह सिर्फ उस माँ का अपने बेटे को खोने का डर है जो उस माँ के अन्दर असुरक्षा की भावना को पैदा करता है.

आप अपनी सास की असुरक्षा को दूर करें. उन्हें  एक अतिरिक्त के रूप में न देखें. वह परिवार की जड़ है. उन्होंने  अपने बेटे को जन्म दिया है और उसका पालन-पोषण किया है, और फिर उन्होंने  उसे आपको उपहार में दिया है. उनके  साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसे आप अपने भाई की पत्नी से अपनी माँ के लिए चाहती  हैं. वैसे भी किसी भी वृक्ष को उसकी जड़ से काट कर हम हरा-भरा नहीं रख सकते.

जैसे आप डांट-डपट और झगड़ने के बाद  अपनी मां के खिलाफ कोई शिकायत नहीं रखती  हैं, और आप सब कुछ भूल जाती हैं, वैसे ही आप अपनी सास  के लिए  कोई शिकायत न रखें.वह आपकी माँ जैसी   ही  है.

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यदि वो आपके लिए 10% भी अपने आप को ढालती  है, तो आप अपने आप को भाग्यशाली समझें, क्योंकि यदि आपको खुद को 25 की उम्र में बदलना मुश्किल लगता है, तो कल्पना करें कि 55 की उम्र में बदलना उनके  लिए कितना मुश्किल होगा.

आज के इस लेख के माध्यम से मेरी आप सभी औरतों से जो किसी न  किसी घर की बहू है , ये गुज़ारिश है की अपनी सास को अपने पति की माँ के रूप में न देखें.पहले उसे एक महिला के रूप में देखें और  उसके जीवन और उसके संघर्षों के बारे में जानें . फिर स्वतः ही आप उसका सम्मान करना शुरू कर देंगी .

दोस्तों एक माँ अपने बेटे का मुंह देखने के लिए 9 महीने इंतज़ार करती है ,तो वो उसे इतना प्यार करती है.और वही माँ अपनी बहू का मुंह देखने के लिए 25 साल इंतज़ार करती है, तो सोचो वो उसे कितना प्यार करेगी.

 8 टिप्स: जब पार्टनर हो शक्की

‘‘इतनी लेट नाइट किस से बात कर रहे थे? मेरा फोन क्या नहीं उठाया? वह तुम्हें देख कर क्यों मुसकराई? मेरी पीठ पीछे कुछ चल रहा है क्या?’’ यदि ऐसे सवालों से आप का रोज सामना होता है तो आप ठीक समझे आप का पार्टनर शक्की है.

यदि आप इन सवालों से थक गए हैं और यह रिश्ता नहीं निभा सकते, पर अपने बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड को प्यार भी करते हैं और उसे इस शक की आदत पर छोड़ना भी नहीं चाहते, तो ऐसे शक्की पार्टनर से निबटने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

1. किसी भी रिश्ते में सब से बुरी चीज शक करना ही हो सकता है. इस से असुरक्षा, झूठ, चीटिंग, गुस्सा, दुख, विश्वासघात सब आ सकता है. रिश्ते की शुरुआत में एकदूसरे को समझने के लिए ज्यादा कोशिश रहती है. एकदूसरे पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. एक बार आप दोनों में बौंडिंग हो गई तो आप जीवन की और महत्त्वपूर्ण बातों की तरफ ध्यान देने लगते हैं. इस का मतलब यह नहीं होता है कि पार्टनर में रुचि कम हो गई है. इस का मतलब है कि अब वह आप की लाइफ का पार्ट है और आप अब उस के साथ कुछ और बातों में, कामों में अपना ध्यान लगा सकते हैं.

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2. इस बदलाव को कभीकभी एक पार्टनर सहजता से नहीं ले पाता और वह अजीबअजीब सवाल पूछने लगता है, जिस से आप की लौयल्टी पर ही प्रश्न खड़ा हो जाता है. उस की बात ध्यान से सुनें उस के दिल में आप के लिए क्या फीलिंग्स है समझें, कई बार अनजाने में न चाहते हुए भी हमारी ही किसी आदत से उस के मन में शक आ जाता है, इसे समझें.

3. आप ने रिश्ते के शुरुआत के 3-4 महीने अपनी गर्लफ्रैंड पर पूरा ध्यान दिया है. वह आगे भी वही आशा रखती है, जबकि उतना फिर संभव नहीं हो पाता, पर उस में आप की गर्लफ्रैंड की इतनी गलती नहीं है, शुरू के दिनों में भी इतना बढ़ाचढ़ा कर कुछ न करें कि बाद में उतने अटैंशन की कमी खले.

4. पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं. इस का मतलब यह नहीं कि एक बड़ी खर्चीली डेट ही हो, साथ बैठना, एकदूसरे की पसंद का कोई औनलाइन शो साथ देखना, एकदूसरे की बातें घर पर बैठ कर सुनना भी हो सकता है.

5. अपने गु्रप में उसे भी शामिल करें और उस का व्यवहार देखें कि वह सब से घुल मिल जाती है या अलगथलग रहती है. उसे महसूस करवाएं कि वह आप की लाइफ और आप के सोशल सर्कल का पार्ट है. उसे अपने फ्रैंड्स से मिलवाएं. उसे समझने का मौका दें कि वे आप के फ्रैंड्स हैं और आप के लिए महत्त्वपूर्ण है. जितना वह आप के फ्रैंड्स को समझेगी उतना कम शक करेगी.

6. उसे डबल डेट्स पर ले जाएं. अगर आप की लेडी फ्रैंड्स है और वे किसी को डेट कर रही हैं, तो अपनी गर्लफ्रैंड को उन के साथ ले कर जाएं. जिस से उसे अंदाजा होगा कि आप की फ्रैंड्स ही हैं और उन की आप से अच्छी दोस्ती ही है, कोई शक नहीं.

7. पार्टनर आप पर शक कर के बारबार कोई सवाल पूछती है और आप को गुस्सा आता है तो भी खुद को शांत रख कर जवाब दें, ढंग से बात कर के हर समस्या सुलझाई जा सकती है.

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8. पार्टनर को शक करने की आदत ही है और यह आदत कम नहीं हो रही है, आप ने सबकुछ कर लिया, क्वालिटी टाइम भी बिता लिया. अपनी लाइफ, अपने फ्रैंड्स में भी उसे शामिल कर लिया, बात भी कर ली, पर कुछ भी काम नहीं आ रहा है, पार्टनर बात खत्म करने, समझने को तैयार ही नहीं, इस रिश्ते से आप दोनों को दुख ही पहुंच रहा है तो पार्टनर को ही अब अपनी आदत पर ध्यान देना पड़ेगा. आप हर काम, हर बात पर हर समय सफाई देते नहीं रह सकते. जिसे आप पर विश्वास नहीं, उसे प्यार करना भी मुश्किल ही हो जाता है. अत: उसे क्लियर कर दें कि या तो वह इस रिश्ते में आप पर विश्वास करना सीखें या फिर दोनों अपनी राहें बदल लें.

मैरिड लाइफ में हो सफल

आप ने अपने पासपड़ोस में देखा होगा कि कुछ विवाहित जोड़े सदैव खुश तथा सुखी दिखाई देते हैं, तो कुछ दुखी. सुखी पतिपत्नी सदैव सुखी रहते हैं, चाहे शादी हुए एक लंबा समय ही क्यों न बीत गया हो और दुखी पतिपत्नी दुखी ही रहते हैं, चाहे शादी का पहला साल ही क्यों न हो.

ऐसा क्यों होता है? इस का उत्तर ढूंढ़ने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक शोध, सर्वेक्षण तथा अध्ययन किए. इन अनुसंधानों, सर्वेक्षणों तथा अध्ययनों से प्राप्त सार को हम अपने पाठकों तक पहुंचा रहे हैं. हमारा उद्देश्य यही है कि हमारे पाठक सदैव सुखी वैवाहिक जीवन जीएं.

हम इस लेख में सुखी दंपती और दुखी दंपती दोनों का ही विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं :

सुखी जीवन जीने वाले दंपती विवाह को ‘आनंद’ के रूप में स्वीकार करते हैं. यह आनंद बातों द्वारा भी उठाया जा सकता है और किसी कार्य को साथसाथ कर के भी उठाया जा सकता है. दुखी दंपती इसे एक रिश्ते के रूप में देखते हैं. आपस में बातें करना उन्हें समय की बरबादी लगता है. यदि काम करना ही हो तो बस काम निबटाने की सोचते हैं. वे कर्म में आनंद महसूस नहीं करते.

अपनी पत्नी या पति को आनंद के स्रोत के रूप में देखें. यदि एक बार आप के मन में रसिक भाव जाग्रत हो गया तो बुढ़ापे तक यह रसिकता या जिंदादिली काम आती है और आप की पत्नी या पति सदैव आप के लिए आकर्षण का स्रोत बना रहता है. दुखी दंपती शुरू से ही एकदूसरे से ऊब जाते हैं तथा यह उबाऊपन जीवन भर उन का साथ नहीं छोड़ता है.

सुखी दंपती जिंदगी के अन्य मुद्दों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, नातेरिश्तेदारों आदि को दूसरा स्थान देते हैं, जबकि दुखी दंपती इन्हें पहला स्थान देते हैं. समाजसेवा या दोस्तों में मशगूल रहने वाले वास्तव में दुखी पत्नी या पति ही अधिक होते हैं. अत: अपने साथी को ही मित्र बनाइए और जीवन को रंगीन बनाइए.

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सुखी दंपती सैक्स को पूरा महत्त्व देते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे सिर्फ शारीरिक मिलन से अधिक कुछ नहीं समझते. अत: सुखी दंपती सैक्स से ही आनंद प्राप्त करते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे मात्र जैविक क्रिया मानते हैं व इस से दूर भागने का प्रयास करते हैं. सुखी दंपती अपने निजी संबंधों के लिए ही एकांत क्षणों की खोज में रहते हैं, परंतु दुखी दंपतियों को इन क्षणों की चाह ही नहीं होती है.

तर्कवितर्क सुखी दंपती में भी होते हैं व दुखी में भी. लेकिन सुखी दंपती तर्क को तर्क से हल करते हैं, जबकि दुखी दंपती तर्क में कुतर्क कर लड़ाई की स्थिति पैदा कर लेते हैं.

झगडे़ं मगर प्यार से

सुखी जीवन के लिए तर्क करें पर तर्क करने का तरीका संयत रखें. यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि तर्क क्यों किया, बल्कि यह महत्त्वपूर्ण होता है कि तर्क कैसा किया अर्थात झगड़ें जरूर पर प्यार से.

सुखी जीवन के लिए ऊंचे स्वर में न बोलें. धीमे बोलें, प्यार से बोलें, मीठा बोलें. याद रखें कभी आप को अपने शब्दों को निगलना भी पड़ सकता है.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को सम्मान दें.

पतिपत्नी एकदूसरे के मित्रों के बारे में अपनी राय एक दूसरे पर न थोपें. इसे नितांत निजी मामला मान कर चुप रहें. दुखी दंपती आधा समय तो एकदूसरे के दोस्तों के बारे में ही अपनीअपनी राय दे कर झगड़ते रहते हैं.

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सुखी पतिपत्नी बारबार अपने प्रेम का इजहार करते हैं, प्रेम भरे बोल बोलते हैं, एकदूसरे की इच्छाओं, शौकों इत्यादि का ध्यान रखते हैं तथा जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर उत्सव मनाते हैं. इस से दोनों पक्षों में प्रेम और अधिक प्रगाढ़ होता है, जबकि दुखी पतिपत्नी इन सब को आडंबर मान कर कोई महत्त्व नहीं देते हैं. बारबार यह कहने से कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं/करती हूं से प्यार सचमुच बढ़ता है. कभीकभी उपहार लाने और नई खाने की चीज ला कर साथसाथ खाने का भी अपना अलग ही आनंद होता है. अत: सुखी दंपती सदैव एकदूसरे के प्रति सजग व समर्पित होने के साथसाथ प्यार की अभिव्यक्ति में भी आगे रहते हैं.

भावनाओं को दें सम्मान

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति सम्मान दो व सम्मान लो की नीति अपनाते हैं. एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं व एकदूसरे की रुचियों में रुचि लेते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे की आय, उस के कार्य, उस की प्रतिष्ठा से संतुष्ट रहते हैं. यदि कोई पत्नी अपने कम पढ़ेलिखे पति को यह कह दे कि तुम सचमुच विद्वान हो तो पति की खुशी का ठिकाना न रहेगा व वह विद्वान होने का प्रयास करेगा. इसी प्रकार पति अपनी रणचंडी जैसी पत्नी को बहुत ही शांत स्वभाव की कहे तो ऐसा कहना उन के बीच के विरोध को पाटने में सफल होगा. परंतु ध्यान रखें कि अतिशयोक्ति न हो. एकदूसरे की आय के प्रति सदैव संतुष्टि बनाए रखें. यही सुखी रहने का रहस्य है.

सुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति भिन्न विचारधारा नहीं रखते हैं. दोनों मिलजुल कर ऐसा रास्ता निकालते हैं, जिस से बच्चों का भविष्य भी न खराब हो और उन के अहं को भी चोट न पहुंचे. जबकि दुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति अडि़यल रुख अपना लेते हैं. इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, पतिपत्नी में भी मनमुटाव हो जाता है.

सुखी दंपती अपने साथी से कुछ भी नहीं छिपाते हैं. वे एकदूसरे को अपना सब से बड़ा हितैषी व मित्र मानते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति अटूट विश्वास व निष्ठा रखते हैं, जबकि दुखी दंपती एकदूसरे से बहुत कुछ छिपाते हैं. एकदूसरे पर संदेह करते हैं तथा इन में निष्ठा का भी अभाव होता है. यदि आप सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इन सूत्रों को अपनाते हैं, तो हमें पूरा विश्वास है कि आप का दांपत्य जीवन भी आनंद से भर उठेगा.

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औफिस की मुश्किल सिचुएशन

औफिस में कई बार कठिन परिस्थितियां आती हैं क्योंकि यहां आप को कैरियर के साथसाथ कलीग्स और बौस का भी खयाल रखना पड़ता है. इन मुश्किलों से निबटने के लिए काफी सावधानी और संयम बरतने की जरूरत पड़ती है. जानिए ऐसी ही कुछ मुश्किल सिचुएशंस और उन के समाधान के बारे में.

1. आप का पूर्व बौस आप का जूनियर बन जाए

आप जिस कंपनी में काम करते थे, वहां के बौस का आप बड़ा सम्मान करते थे. अचानक एक दिन आप को पता लगता है कि वही बौस आप की मौजूदा कंपनी में काम करने लगा है और अब वह आप को रिपोर्ट करेगा यानी अब वह आप का जूनियर है. ऐसी स्थिति में आप को सिचुएशन को बहुत ही आराम से हैंडिल करना होगा. इस बात का खयाल रखें कि पूर्व बौस को इंडस्ट्री में आप से ज्यादा अनुभव है और मौजूदा स्थिति में उसे कंफर्टेबल होना चाहिए. आप को उस से सलाह लेनी चाहिए. अगर आप अपने पूर्व बौस के साथ काम करने में सहज नहीं हैं तो आप प्रबंधन की मंजूरी से एक अलग टीम के साथ काम कर सकते हैं. अगर आप को मौजूदा स्थिति में ही काम करना है तो पूर्व बौस से काम की चुनौतियों को ले कर चर्चा करें. आप अब भी अपने पर्सनल स्पेस में पूर्व बौस का सम्मान करते रहें. अपने नियोक्ता को इस बारे में बता दें कि वह शख्स आप का बौस रह चुका है. अगर आप खुद ऐसे व्यक्ति को रिपोर्ट कर रहे हैं, जो पहले आप के जूनियर के तौर पर काम कर चुका है तो प्रोफैशनल की तरह व्यवहार करें.

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2. आप के बारे में गौसिप का माहौल

कई बार आप को पता चलता है कि औफिस में आप को ले कर काफी नैगेटिव बातें हो रही हैं जिन्हें सुन कर आप का मन दुखी भी हो जाता है और आप का औफिस जाने का भी मन नहीं करता. ऐसी स्थिति में आप को धैर्य से काम लेना होगा. अगर आप सब से उलझेंगे तो आप के रिश्ते सब के साथ और भी बिगड़ जाएंगे. वक्त के साथसाथ ऐसी बातों पर से लोग खुद ही अपना ध्यान हटा लेते हैं. वहीं, अगर आप को अफवाहें फैलाने वाले का पता चल जाए तो अलग से उस से बात जरूर करें और प्रेमपूर्वक मामला सुलझा लें.

3. आप का दोस्त काम में दक्ष नहीं है

औफिस में अगर आप को प्रमोशन दे कर टीम लीडर बनाया गया हो और आप के बैस्ट फ्रैंड को इग्नोर किया गया हो क्योंकि वह अपने काम में दक्ष नहीं है, यह भी हो सकता है कि नियोक्ता आप को यह जिम्मेदारी सौंप दें कि आप उस की परर्फौमैंस सुधारने के लिए काउंसलिंग करें, अगर वह खुद को इंप्रूव नहीं कर पाया तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में अपने दोस्त से किसी रैस्टोरैंट वगैरह में मिलें. उसे बताएं कि आप को क्या जिम्मेदारी दी गई है और आप उसे दोस्त के रूप में पहली प्राथमिकता देते हैं, लेकिन फिर भी आप को बौस की बात को फौलो करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में वह आप की स्थिति को जरूर समझेगा और इस से आप दोनों का रिलेशन भी खराब नहीं होगा.

4. बौस के साथ सार्वजनिक झगड़ा

कभीकभी जब बौस बुरी तरह चिल्लाने लगता है तो अधीनस्थ कर्मचारी भी धैर्य खो देता है और वह भी पलट कर ऊंचे स्वर में जवाब देने लगता है. इस से मामला बिगड़ जाता है. कभी ऐसा हो जाए तो उस वक्त तुरंत अपनी जगह पर जा कर बैठ जाएं. लेकिन कुछ समय बाद सब के सामने बौस से गंभीरतापूर्वक क्षमा मांग लें. उन्हें बेहद सधी हुई भाषा में बता दें कि उन के जोर से बोलने के कारण आप ने अपना संयम खो दिया था, जो आप को नहीं खोना चाहिए था. इस से बौस को अपनी गलती समझ में आ जाएगी और आप के द्वारा सब के सामने माफी मांगने से उन के सम्मान को लगी ठेस भी दूर हो जाएगी. आप के और बौस के रिश्ते फिर से पहले जैसे हो जाएंगे.

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5. सहकर्मी जीवनसाथी को प्रमोशन मिल गया

अगर आप का पति/पत्नी आप की कंपनी में ही काम करता है और उसे प्रमोशन मिलता है तो आप को खुशी के साथसाथ ईर्ष्या भी होगी. खुद को थोड़ा समय दें और पता करें कि क्या आप इस स्थिति को उस कलीग के रूप में ले सकते हैं, जिसे प्रमोशन मिला है और आप को नहीं. इस बात को पहचानें कि आप की पहली प्राथमिकता निजी संबंध होने चाहिए. अगर आप को लगता है कि इस घटना का सामाजिक और निजी प्रभाव बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण है तो आप कंपनी बदल सकते हैं. अगर आप को लगता है कि आप अपने इमोशंस पर कंट्रोल कर सकते हैं तो वहीं काम करते रहें. आप चाहें तो अपनी फीलिंग्स को अपने जीवनसाथी के साथ भी शेयर कर सकते हैं और पता कर सकते हैं कि वह इस के बारे में क्या सोचता है. अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसे प्रमोशन मिला है और जीवनसाथी उसी कंपनी में काम करता है तो पहले अपने निजी जीवन पर फोकस करना चाहिए और पार्टनर के प्रति संवेदनशील बनना चाहिए.

6. दो बौस के बीच जिन की न बनती हो

एकदूसरे को पसंद न करने वाले दो सीनियर्स के बीच में फंस जाना वाकई खतरनाक स्थिति है. ऐसी स्थिति में हर बौस आप से दूसरे बौस के बारे में जानकारी जुटाने में लगा रहेगा. इस से आप का समय बरबाद होगा और आप अपना काम पूरा नहीं कर पाएंगे. वैसे इस अनुभव से आप को पता लग जाएगा कि अलगअलग स्वभाव के 2 बौस को एकसाथ किस तरह से साधना है. आप को दोनों की निगाहों में अच्छा बने रहना होगा. किसी भी बौस की बुराई करने के बजाय हां में हां मिलाना अच्छा रहेगा. कोशिश करें कि किसी भी नैगेटिव चर्चा का हिस्सा बनने से बचें. कुछ समय बाद आप के बौस आप की इस आदत से काफी खुश होंगे कि आप पीठपीछे किसी की भी बातें नहीं करते.

7. नौकरी छोड़ना चाहते हैं

अगर आप जौब छोड़ना चाहते हैं तो किसी से चर्चा न करें. अगर कोई ऐसा कलीग है जिसे आप बचपन से जानते हैं और उस के साथ हर बार जौब स्विच की है तो उस से बातें शेयर कर सकते हैं. इस के अलावा किसी से बात शेयर करना खतरनाक हो सकता है.

8. शिकायत करना चाहते हैं

किसी की भी शिकायत करने से पहले फैक्ट्स जांच लें. ईमेल या किसी विश्वसनीय गवाह की मदद लें. अगर आप किसी जांचपड़ताल के बिना ही शिकायत करेंगे तो नुकसान आप को ही होगा.

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9. किसी से लड़ना चाहते हैं

औफिस के किसी सहकर्मी के साथ अनबन हो गई है और आप उसे मजा चखाना चाहते हैं. ऐसे में विचार करें कि क्या आप उस के साथ लड़ाई में जीत सकते हैं या नहीं. अगर नहीं जीत सकते तो रहने दें. ऐसा न हो कि खुद ही लड़ाई से परेशान हो कर रह जाएं.

पति ही क्यों जताए प्यार

अंजलि की पीठ पर किसी ने धौल जमाई. उस ने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई. उस की कालेज की फ्रैंड साक्षी थी. आज साक्षी अंजलि से बहुत दिनों बाद मिल रही थी.

अंजलि ने उलाहना दिया, ‘‘भई, तुम तो बड़ी शैतान निकली. शादी के 6 साल हो गए. घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर रहती हो. न कभी बुलाया और न खुद मिलने आई. मियां के प्यार में ऐसी रमी कि हम सहेलियों को भूल ही गई.

अंजलि की बात सुनते ही साक्षी उदास हो गई. बोली, ‘‘काहे का मियां का प्यार यार. मेरा पति केशव शुरूशुरू में तो हर समय मेरे आगेपीछे घूमता था, लेकिन अब तो लगता है कि उस का मेरे से मन भर गया है. बस अपने ही काम में व्यस्त रहता है. सुबह 10 बजे घर से निकलता है और रात 8 बजे लौटता है. लौटते ही टीवी, मोबाइल और लैपटौप में व्यस्त हो जाता है. दिन भर में एक बार भी कौल नहीं करता?’’

अंजलि बोली, ‘‘अरे, वह नहीं करता है तो तू ही कौल कर लिया कर.’’

साक्षी मुंह बना कर बोली, ‘‘मैं क्यों करूं. यह तो उस का फर्ज बनता है कि मुझे कौल कर के कम से कम प्यार के 2 शब्द कहे. मैं तो उसे तब तक अपने पास फटकने नहीं देती हूं जब तक वह 10 बार सौरी न बोले. मूड न हो तो ऐसी फटकार लगाती हूं कि अपना सा मुंह ले कर रह जाता है. मैं कोई गईगुजरी हूं क्या?’’

अंजलि साक्षी की बातें सुन कर हैरान रह गई. बोली, ‘‘बस यार, मैं समझ गई. यही है तेरे पति की उदासीनता की वजह. तू उसे पति या दोस्त नहीं अपना गुलाम समझती है. तू समझती है कि प्यारमुहब्बत करना, पैंपर करना या मनुहार करना सिर्फ पति का काम है. पति गुलाम है और पत्नी महारानी है. तेरी इसी मानसिकता के कारण तेरी उस से दूरी बढ़ गई है.’’

साक्षी जैसी मानसिकता बहुत सी महिलाओं की होती है. ऐसी महिलाएं चाहती हैं कि पति ही उन के  आगेपीछे घूमे, उन की मनुहार करे, उन के नखरे सहे. उन के रूपसौंदर्य के साथसाथ उन की पाककला या फिर दूसरे गुणों का भी बखान करे. ऐसी महिलाएं प्यार की पहल भी पति के द्वारा ही चाहती हैं. एकाध बच्चा होने के बाद उन्हें पति का सैक्सुअल रिलेशन बनाना, रोमांस करना या उस का रोमांटिक मूड में कुछ कहना भी चोंचलेबाजी लगने लगता है. जाहिर है, स्वाभिमान को चोट पहुंचने, बारबार दुत्कारे जाने या उपेक्षित महसूस किए जाने पर पति बैकफुट पर चला जाता है. तब वह भी ठान लेता है कि अब वह ऐसी पत्नी को तवज्जो नहीं देगा.

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समझदार पत्नियां जानती हैं कि किसी भी संबंध का निर्वाह एकतरफा नहीं हो सकता. इस के लिए दोनों पक्षों को सचेष्ट रहना पड़ता है. अगर आप या आप की कोई सहेली साक्षी की तरह सोचती है, तो बात बिगड़ने से पहले ही संभल जाएं. अपने दांपत्य जीवन को सरस बनाए रखने के लिए आप भी पूरी तरह सक्रिय रहें. दांपत्य संबंधों को निभाने के लिए बस इन छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना है:

  • जब भी आप को लगे कि आप का पति इन दिनों कम बोलने लगा है या उदास है, तो उस के मन की थाह लें कि कहीं वह बीमार, व्यापार या अपने प्रोफैशन में किसी प्रौब्लम के कारण दुखी या उदास तो नहीं या फिर पूछें कि वह आप से नाराज तो नहीं? यकीन मानिए आप का परवाह करना उसे भीतर तक खुश कर देगा.
  • जरा सोच कर देखिए कि अंतिम बार आप ने अपने पति को खुश करने के लिए कुछ खास किया था? अगर जवाब नैगेटिव हो तो आप को आत्ममंथन करना होगा कि क्या विवाह संबंधों को निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ पति की है? पति को सिर्फ पैसा कमाने की मशीन समझना आप की गलती है.

सैलिब्रिटी जोड़ी का तजरबा

सैलिब्रिटी चेतन भगत और उन की पत्नी अनुषा की शादी को 9 वर्ष हो चुके हैं. आज ये जुडवां बच्चों के पेरैंट्स हैं. पति उत्तर है तो पत्नी दक्षिण. जी हां, अनुषा बंगलुरू में जन्मी तमिलियन हैं और चेतन दिल्ली के पंजाबी परिवार के बेटे. एक पत्रकार से अपने अनुभव बांटते हुए इन्होंने दांपत्य जीवन से जुड़ी कई अहम बातें शेयर कीं.

अनुषा ने बताया कि शादी को पावर का खेल न बनने दें. एकदूसरे को पावर दिखाने के बजाय प्यार से रिश्ते को नियंत्रित करें.

चेतन का कहना हैं कि अनुषा ने सही कहा. हम ताकत या पावर से संबंधों को कंट्रोल नहीं कर सकते. आज सभी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, इसलिए नियंत्रण नहीं, समझदारी से रिश्ते निखरते हैं. एकदूसरे का खयाल रखना ही संबंधों के निभाव का मूलमंत्र है.

ऐसा करें

  • पति को स्पोर्ट्स या न्यूज चैनल देखने का शौक है, तो रोज की टोकाटाकी बंद करें.
  • अपने पति की फैमिली से चिढ़ने और उन के बारे में उलटापुलटा बोलने की आदत न डालें. आखिर उसे अपने मांबाप से उतना ही प्यार होता है जितना आप को अपने मम्मीपापा से.
  • सिर्फ पति से ही गिफ्ट की उम्मीद न करें. कभी आप भी उसे गिफ्ट दें.
  • घर का हर काम सिर्फ पति से ही करवाने की न सोचें.
  • पति की हौबी का मजाक न उड़ाएं, बल्कि सहयोग करें.
  • रोमांस और सैक्स को चोंचला नहीं ऐंजौयमैट औफ लाइफ और जरूरत समझें.
  • हर वक्त किचकिच करना और सिर्फ पति के व्यक्तित्व के कमजोर पक्ष को ले कर ताने देना छोड़ दें.

ऐसा करें

  • पति को व्हाट्सऐप पर जोक्स व रोमांटिक मैसेज भेजना जारी रखें. कभीकभी कौंप्लिमैंट्स देने वाले मैसेज भी भेजें.
  • पति औफिस से लौट कर कुछ बताए, तो उसे गौर से सुनें. उस पर ध्यान दें, उस के विचारों को तवज्जो दें. साथ ही, आप भी दिन भर के घटनाक्रम के विषय में संक्षिप्त चर्चा करें.

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  • शाम की चाय या नाश्ता पति के साथ बैठ कर लें. इस दौरान हलकीफुलकी बातें भी हो सकती हैं.
  • पति आप के काम में हाथ बंटाए, आप को कोई गिफ्ट दे या आप की प्रशंसा करे तो उसे दिल से शुक्रिया करने की आदत डालें. उसे ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ न लें.
  • हफ्ते में 2-3 बार उस की कोई पसंदीदा डिश बनाएं. कई बार पूछ कर तो कई बार अचानक बना कर पति को सरप्राइज दें.
  • पति की नजदीकियों को उस की मजबूरी या अपनी चापलूसी न समझें. इन नजदीकियों की आप दोनों को बराबर जरूरत है.
  • शादी के 2-4 साल बीतते ही खुद की देखभाल करना बंद न कर दें. अपनी अपीयरैंस पर ध्यान दें, सलीके से रहें.
  • कभीकभी पति को मनमानी करने की छूट भी दें. फिर बात चाहे घर में अपने वक्त को बिताने की हो या बाहर दोस्तों के साथ घूमनेफिरने की अथवा आप के साथ ऐंजौंय और हंसीमजाक की.

सोशल मीडिया से क्यों दूर रहना चाहते हैं हैप्पी कपल्स

हर किसी को सोशल मीडिया पर अपने लाइफ के खास पल, अपना ओपिनियन, फोटोज शेयर करना अच्छा लगता है. इसके साथ ही कई लोग अपने रिलेशनशिप के बारे में भी सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. वे लोगों से अपने रिश्ते के बारे में बताते हैं. जिसकी वजह से वे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हैप्पी कपल अपने रिश्ते के बारे में बताने के लिए सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत नहीं करते हैं. वे सोशल मीडिया की जगह एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना ज्यादा पसंद करते हैं. तो आइए कुछ कारण जानते हैं कि क्यों हैप्पी कपल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय स्पेंड नहीं करते हैं.

1. उन्हें सोशल मीडिया पर लाइक से फर्क नहीं पड़ता है

बहुत से कपल अपनी इंटीमेसी की फोटो या कहीं जाने का पोस्ट सोशल मीडिया पर डालते हैं. ऐसे कपल को अपनी फोटो पर कितने लाइक या कमेंट आए इसकी बहुत चिंता होती है. मगर हैप्पी कपल अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर हर एक चीज अपडेट नहीं करते हैं. ना ही उन्हें किसी के लाइक या कमेंट से फर्क पड़ता है. वह नहीं चाहते हैं कि उनके बारे में सोशल मीडिया पर लोग बाते करें.

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2. किसी से तुलना नहीं करते हैं

अपनी जिंदगी की लोगों से तुलना नहीं करनी चाहिए. यह सोचना बहुत आसान होता है कि दूसरा अपनी लाइफ में कितना खुश है. लेकिन आपको उनके बारे में कुछ पता नहीं होता है. इसलिए कभी भी किसी कपल की सोशल मीडिया पर फोटो देखकर ये नहीं सोचना चाहिए कि वह बहुत खुश हैं. किसी कपल से अपने रिश्ते की तुलना करना गलत होता है. हैप्पी कपल अपने रिलेशनशिप से खुश होते हैं. वह किसी और के रिश्ते से तुलना करना पसंद नहीं करते हैं.

3. अकेले में लड़ते हैं

हैप्पी कपल अगर लड़ाई करते हैं तो वह पब्लिक में लड़ने की बजाय अकेले में लड़ना पसंद करते हैं ताकि उन्हें कोई देख ना सके या किसी को उनकी लड़ाई के बारे में पता ना चले. वह लोगों को अपनी लड़ाई के बारे में बताना पसंद नहीं करते हैं. वह सोशल मीडिया पर लड़ाई वाली कोट या रोने वाले गाने पोस्ट करने की बजाय एक जगह बैठकर अपनी समस्या को दूर करने में विश्वास करते हैं.

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4. वो खास पलों को जीने में विश्वास रखते हैं

हैप्पी कपल अपने साथी के साथ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने की बजाय उनके साथ उन खास पलों को जीने में विश्वास करते हैं. कहीं जाने का चेक-इन करना इन्हें अच्छा नहीं लगता है. वह इसे समय बर्बाद करना समझते हैं. वह अपने खास पलों को कैमरे में कैद करने की बजाय उन्हें जीना पसंद करते हैं.

इज्जत बनाने में क्या बुराई है

ऑफिस के गेट पर सफेद रंग की कैब रुकी और उस में से क्रीम कलर की खूबसूरत ड्रेस और हाई हील्स पहने प्राप्ति उतरी तो आसपास खड़े लोगों की निगाहें बरबस ही उस की तरफ खिंच गई. ऑफिस के दरबान ने भी बड़ी इज्जत से उसे सलाम ठोका. अपने स्टाइलिश बैग को कंधे से लटकाए  हुए प्राप्ति अदा से मुस्कुराई और अंदर चली आई.

शाहदरा में रहने वाली प्राप्ति का ऑफिस झंडेवालान में है. वह पुलबंगश तक मेट्रो से आती है और फिर वहां से कैब कर लेती है. लौटते समय भी वह पुलबंगश तक कैब से जा कर फिर मेट्रो लेती है. इतनी कम दूरी के लिए कैब में मुश्किल से 50 से 70 तक का किराया लगता है. मगर ऑफिस वालों को लगता है कि देखो लड़की कैब में आनाजाना करती है यानी काफी पैसे वाली है. बहुत अच्छे घर की है.

एक तरह से देखा जाए तो प्राप्ति  ने  इस तरह ऑफिस में अपनी छद्म इज्जत कायम की है और इस के लिए उस ने और भी कई तरीके अपनाए हैं मसलन;

घर में भले ही वह  पूरा दिन फटी जींस और पतली सी टीशर्ट पहन कर गुजार देती हो, मगर जब ऑफिस के लिए निकलती है तो हमेशा लेटेस्ट स्टाइल के ब्रांडेड कपड़े पहनती है.

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उस के टिफिन में हमेशा पनीर, मशरूम जैसी महंगी सब्जियां और चिकन वगैरह होता है. घर में भले ही सूखी रोटियां खाती हो, मगर टिफिन में हमेशा परांठे होते हैं.

उस के पेन से ले कर पर्स, मोबाइल और मोबाइल कवर तक सभी लेटेस्ट ब्रांड और स्टाइल के होते हैं. घर में भले ही वह फटी चप्पल में सारा दिन निकाल दे मगर ऑफिस या बाहर आनेजाने के लिए उस ने 2 -3 हाई हील्स और स्टाइलिश सैंडल्स रखे हुए हैं.

वह फोन या दूसरों से आमने सामने होने पर हमेशा हाईफाई लाइफस्टाइल की बातें करती है. घर में भले ही कभी भी उस ने बाई नहीं रखी मगर सहेलियों से हमेशा अपनी कामवालियों के नखरों और उन के  प्रति अपनी दिलदारी की बातें करती है.

हमेशा अपने बड़े से घर का बखान करती रहती है जब कि उस के पास छोटेछोटे दो कमरों का फ्लैट है.

वह हमेशा दूसरों के आगे अपनी प्रॉपर्टीज और हाईफाई लाइफ़स्टाइल का जिक्र करती रहती है. उस ने अपने ऑफिस कुलीग्स और अपनी सहेलियों को बताया हुआ है कि उस के घर में एक बड़ा सा स्वीमिंग पूल और जिम भी है. जहाँ वह रोज स्वीमिंग और वर्कआउट का अभ्यास करती है जब कि सच्चाई यह है कि उस के पास पर्सनल स्वीमिंग पूल या जिम नहीं है. वह कॉमन जिम और स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल करती है.

वह दूसरों के आगे कभी भी फलसब्जियां या कपड़े खरीदते वक्त कीमत को ले कर चिकचिक नहीं करती. घर में भले ही वह आसपास के सब्जीवालों के बीच पैसों के मामले में खडूस के रूप में बदनाम है.

उस ने अपने रिश्तेदारों के बारे में ऑफिस कूलीग्स से बढ़चढ़ कर बताया हुआ है. अक्सर वह उन के आगे जताती रहती है कि उस के रिश्तेदार बहुत पढ़ेलिखे और ऊँचे ओहदों पर आसीन है

इन बातों का नतीजा यह निकला कि ऑफिस में लोग उस की इज्जत करते हैं. उस से अच्छे संबंध बनाए रखने का प्रयास करते हैं. पूरे ऑफिस में उस की अलग धाक बन चुकी है और वह सब की चहेती है.

प्राप्ति ने जिस तरह से अपनी इज्जत बनाई है उस में कोई बुराई नहीं है. सुनने में भले ही कुछ अजीब लगे  मगर हम सब कहीं न कहीं अपनी छद्म इज्जत बनाते फिरते हैं. भले ही सोशल मीडिया हो, फैमिली गेदरिंग हो, ऑफिस इवेंट हो या फिर सोसायटी फंक्शन.

हर कोई दूसरों के आगे अपनी बेहतर छवि दिखाने का प्रयास करता है. तस्वीरें खिंचवाते समय हम कितने ही टेंशन में क्यों न हो पर हमेशा अपनी मुस्कुराती हुई तस्वीर ही खिंचवाते हैं. कोशिश करते हैं कि हमारी  बाहर निकली हुई बेडौल टमी किसी भी तरह छुप जाए. हमारी जुल्फें ज्यादा बाउंसी दिखे. चेहरे की रंगत बेहतर बनाने के लिए फिल्टर्स  का सहारा लेते हैं. अच्छे से अच्छे कपड़ों में तस्वीरें खिंचवाकर उसे फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर डालते हैं.

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सोशल मीडिया पर हम वैसी ही चीज़ें डालते हैं जिस से लोग हम से  प्रभावित और आकर्षित हों. हमारे अधिक से अधिक दोस्त बनें. यही वजह है कि  हम अपनी सफलता, खूबसूरती और सम्पन्नता का प्रचार करते नहीं थकते. इन सभी प्रयासों के पीछे एकमात्र जो चाह होती है  वह है दूसरों  की नजरों में ऊँचा उठने की ख्वाहिश.

अपनी चीजें बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की आदत हमें बचपन से ही लग चुकी होती है और इस में कुछ गलत भी नहीं. दूसरों के आगे अपनी कमियां दिखा कर रोने से कोई नतीजा नहीं निकलता. उल्टे लोग आप से कतराने लगते हैं. तो फिर क्यों न खुद को बेहतर दिखा कर अपने अंदर का आत्मविश्वास बढ़ाएं और चेहरे पर खुशनुमा रौनक जगाएं. दोस्तों की फेहरिस्त बढ़ाएं और जी भर कर जीएं.

वर्किंग वुमन से कम नहीं हाउस वाइफ

टीवी पर आप ने एक विज्ञापन देखा होगा, जिस में 2 सहेलियां बहुत दिनों बाद मिलती हैं. पहली दूसरी से पूछती है, ‘‘क्या कर रही है तू?’’

दूसरी गर्व से कहती हैं, ‘‘बैंक में नौकरी कर रही हूं और तू?’’

पहली कुछ झेंपते हुए कहती है, ‘‘मैं… मैं तो बस हाउसवाइफ हूं.’’

यह विज्ञापन दिखाता है कि हमारे समाज में हाउसवाइफ को किस तरह कमतर आंका जाता है या यों कहें कि वह स्वयं भी खुद को कमतर समझती है, जबकि उस का योगदान वर्किंग वुमन के मुकाबले कम नहीं होता है. एक हाउसवाइफ की नौकरी ऐसी नौकरी है जहां उसे पूरा दिन काम करना पड़ता है, जहां उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती, कोई प्रमोशन नहीं मिलती, कोई सैलरी नहीं मिलती.

हजारों रुपए ले कर भी यह काम कोई उतने लगाव से नहीं कर पाता

आज महानगरों में ही नहीं, छोटेछोटे शहरों में भी घरेलू कार्यों के लिए हजारों का भुगतान करना पड़ता है. साफसफाई करने वाली नौकरानी इस मामूली से काम के भुगतान के रूप में क्व500 से क्व1000 तक लेती है. खाना बनाने के लिए और ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं. ऐसे ही बच्चों के लिए ट्यूशन की बात हो या फिर घर में बीमार मांबाप की सेवा की, कपड़े धोने की बात हो या फिर 24 घंटे परिवार के सदस्यों की सेवा के लिए खड़े होने की, हाउसवाइफ द्वारा किए जाने वाले कामों की लिस्ट लंबी है.

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पत्नी को अर्द्धांगिनी कहा जाता है, पर वह उस से बढ़ कर है. तमाम मामलों में पति के लिए पत्नी की वही भूमिका होती है, जो बच्चे के लिए मां की. प्रतिदिन सुबह उठें तो चाय चाहिए, नहाने के लिए गरम पानी चाहिए या फिर नहाने के बाद तौलिया, जिम जाते समय स्पोर्ट्स शूज की जरूरत या फिर औफिस जाते समय रूमाल की, हर कदम पर पत्नी की दरकरार.

बच्चे के सुबह उठते ही दूध पिलाने से ले कर नहलाने, खाना खिलाने, स्कूल के लिए तैयार करने या फिर बच्चे के स्कूल से लौटने पर होमवर्क कराने और उस के साथ बच्चा बन कर खेलने तक की जिम्मेदारी हाउसवाइफ ही निभाती है. सब से अहम बात यह है कि हाउसवाइफ मां के रूप में बच्चे को जो देती है, वह लाखों रुपए ले कर भी कोई नहीं दे सकता.

पत्नी के सहयोग से ही मैं अपने काम में सफल हूं: एक टीचर जो सचिन को सचिन, शिवाजी को शिवाजी या विवेकानंद को विवेकानंद बनाती है क्या आप उस की फाइनैंशियल वैल्यू निकाल सकते हैं? नहीं न? तो फिर बच्चे को पूरा समय दे कर उसे भावनात्मक रूप से पूर्ण बनाने वाली, अच्छे संस्कार देने वाली हाउसवाइफ का मूल्यांकन आप धन से कैसे कर सकते हैं? यह कहना है अंजू भाटिया का, जिन्होंने अपने आईटी हैंड पति की व्यस्त दिनचर्या देख कर अपनी मल्टीनैशनल कंपनी की नौकरी इसीलिए छोड़ी, ताकि अपने वृद्ध सासससुर की देखभाल और दोनों बच्चों की परवरिश भली प्रकार कर सके.

उस के पति कहते हैं, ‘‘पत्नी के सहयोग से मैं अपने हर काम में सफल हूं. अगर वह इतना सब न करती तो न मेरा कैरियर संभलता और न ही घरपरिवार.’’

पूर्व में मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर कहती हैं कि माताओं को दुनिया में सब से ज्यादा सैलरी मिलनी चाहिए. उन के अनुसार, महिलाओं के द्वारा किए गए कामों की न तो प्रशंसा होती है और न ही उन्हें उस के लिए तनख्वाह मिलती है.

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की डार्क रिपोर्ट के अनुसार, एक औसत भारतीय महिला दिन में करीब 6 घंटे ऐसे काम करती हैं, जिन के लिए उसे मेहनताना नहीं मिलता. यदि ये काम बाहर से किसी से कराएं जाएं तो इन की एक निश्चित कीमत होगी.

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कुछ वर्ष पूर्व महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रहीं कृष्णा तीरथ ने कहा था कि महिलाओं द्वारा किए जाने वाले घर के काम का मौद्रिक आंकलन किया जाना चाहिए और इस के बराबर मूल्य उन्हें अपने पतियों द्वारा मिलना चाहिए.

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भले ही गृहिणी को काम के लिए कोई मेहनताना न मिलता हो, मगर उस के द्वारा किया गया काम भी आर्थिक गतिविधियों में शामिल होता है और इसे भी राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाना चाहिए. ऐसा न कर हम आर्थिक विकास में महिलाओं की हिस्सेदारी कम कर रहे हैं.

हाउसवाइफ की फाइनैंशियल वैल्यू के संदर्भ में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी गौरतलब है. कोर्ट के अनुसार, एक हाउसवाइफ के काम को अनुत्पादक मानना महिलाओं के प्रति भेदभाव को दर्शाता है और यह सामाजिक ही नहीं, सरकारी स्तर पर भी है.

कोर्ट ने एक रिसर्च की भी चर्चा की, जिस में भारत की करीब 36 करोड़ हाउसवाइफ के कार्यों का वार्षिक मूल्य करीब 612.8 डौलर आंका गया है घरेलू काम की कीमत न आंके जाने के कारण ही महिलाओं की स्थिति उपेक्षित रही है. अत: इस ओर हर किसी को ध्यान देने की जरूरत है.

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8 टिप्स: परिवार की खुशियां ऐसे करें अनब्लौक

लेखक- दीप्ति अंगरीश

बहुत याद आता है गुजरा जमाना. जब मम्मी, चाची, बूआ, ताई, अम्मां, दादी, नानी सब साथ होते थे. अब काम की मजबूरियों ने सब छीन लिया है. परिवार की बातें सिर्फ यादें बन कर रह गई हैं या कभीकभार टीवी पर दिखता है भरापूरा परिवार. आज के परिवार में 5-6 सदस्य ही होते हैं. और तो और परिवार से मिलना भी त्योहारों तक ही सीमित हो गया है. अब परिवार का प्यार, डांट, शाबाशी, सलाह आंगन में बिछे तख्त पर नहीं व्हाट्सऐप पर होती है या यो कहें कि परिवार डिजिटल हो गया है.

जहां तकनीक ने बहुत कुछ दिया है, वहीं बहुत कुछ छीन भी लिया है. याद करें नानी, दादी, चाची, बूआ का लाड़प्यार. पहले प्यार रियल लाइफ में मिलता था, जो कभी शाबाशी से पीठ थपथपाता था, तो कभी दुलार से गालों को खींचता था. समय के साथ सबकुछ तकनीकी हो गया यानी प्यार, डांट, शाबाशी, अच्छेबुरे की समझ, दुनियादारी, जज्बा, उमंग, उत्साह सब व्हाट्सऐप जैसे तमाम ऐप्स में समाहित हो गया है. यह तकनीक बिछडों को जोड़ रही है, ज्ञान का अपार भंडार दे रही, लेकिन रियल लाइफ की भावनाओं से दूर भी कर रही है. नतीजतन साथ रहते हुए भी परिवार का हर सदस्य एकदूसरे से अनजान है. तो आइए, जानते हैं इन दूरियां को पाटने के कुछ कारगर टिप्स:

1. रोज की मंचिंग

सप्ताह में डिनर टाइम के अलावा आप एक मंचिंग टाइम फिक्स करें. इस के सेहतमंद फायदे के अलावा बौडिंग फायदे भी मिलेंगे. यानी छोटीछोटी भूख में हों सूखा मेवा, दूध और फल. माना ये चीजें आप को पसंद नहीं, लेकिन जब साथ में खाएंगे तो रिश्तों का प्यार भी इन में घुलेगा.

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2. संडे के संडे

अब तक जो हुआ उसे भूल जाएं. परिवार में आई दूरियों का रोना न रोएं, बल्कि उन्हें रोकने के कारगर उपाय खोजें. इस का बैस्ट उपाय है संडे यानी आप और पूरा परिवार सप्ताहभर कामकाज में व्यस्त रहता है. ऐसे में सदस्यों को शनिवार रात ही बता दें कि अगले दिन सब को जल्दी उठना है और आउटडोर खेलने जाएंगे. यहां आउटडोर आप को सेहत और बौडिंग देगा.

3. फूड ऐक्टिविटी

आप सब व्यस्त रहते हैं, लेकिन संडे  को अलग तरीके से सैलिब्रेट करें. इस की जिम्मेदारी आप को लेनी होगी. कोशिश करें संडे को खाना बाहर न खा कर सब मिल कर पकाएं. यकीन मानिए इस फूड ऐक्टिविटी से आप सब करीब आएंगे.

4. नो गैजेट जोन

आप परिवार में सख्त नियम बनाएं कि जब पूरा परिवार एक साथ हो तब गैजेट्स की ऐंट्री पर बैन हो. वैसे भी साथ होने के मौके कम मिलते हैं. उस में आई पैड, मोबाइल, लैपटाप आदि गैजेट्स साथ होंगे तो परिवार एकसाथ नहीं अलगथलग ही रहेगा, साथ ही परिवार वालों को बोलें कि डिनर सब साथ करेंगे, जिस में परिवार गैजेट्स फ्री रहेगा. यकीनन तब एकदूसरे को करीब से जान पाएंगे, हंसा पाएंगे, दुख बांट पाएंगे.

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5. लाइफ गोल्स

आप जिंदगी में छोटेछोटे लक्ष्य बनाते हैं. ताकि बड़े लक्ष्य तक पहुंचना असान हो. लेकिन ये लक्ष्य सिर्फ कद और पैसे तक ही सीमित होते हैं. हैप्पी फैमिली के लिए छोटेछोटे लक्ष्य बनाएं, फिर देखिए कैसे परिवार में हमेशा के लिए प्यार घुल जाएगा. ये छोटे लक्ष्य हो सकते हैं जैसे साथ में कुकिंग करना, साथ में जौगिंग पर जाना, साथ में परिवार सहित लौंग ड्राइव पर जाना आदि.

6. फैमिली नोट्स बनाएं

माना कि पूरा परिवार व्हाट्सऐप पर फैमिली गु्रप से जुड़ा हुआ है, लेकिन याद कीजिए जिन के साथ आप रहते हैं उन से रियल लाइफ में कितने जुड़े हुए है. आप चाहते हैं परिवार मिलजुल कर रहे तो इस के लिए अपनी हर कोशिश के नोट्स बनाएं और मोबाइल में अलार्म लगाएं. अलार्म याद दिलाएगा कि किस समय क्याक्या करना है.

7. थकान मिटाएं

रोज थकान मिटाने के लिए आप बहुत कुछ करते होंगे. कभी बुक रीडिंग तो कभी यहांवहां की चहलकदमी. फिर भी थकान नहीं मिटती. और तो और करवटें बदलतेबदलते रात कट जाती है और सुबह थकान जस की तस. ऐसे में ऐनर्जी बूस्टर है रोजाना की फैमिली गैदरिंग. इस के लिए एक टाइम फिक्स कर लें. लिविंगरूम में सब के साथ कोई भी शो देखें और दिन भर का सुखदुख साझा करें. ऐसा करने से आप को ऐनर्जी मिलेगी जो अगले दिन के लिए बौडी फुल चार्ज करेगी. और दोस्तों से आगे होगी आप की फैमिली.

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8. आउटिंग तो बनती है

त्योहारों का सीजन शुरू होते ही लौंग वीकैंड या 4-5 दिनों की छुट्टी निकल ही आती है. ऐसे में फैमिली आउटिंग से बेहतर कुछ नहीं हो सकता. पहले से योजना बना कर सारी तैयारियां कर लें. पूरे साल में एक ट्रिप जरूर प्लान करें, क्योंकि जितनी दूर जाएंगे अपनों के उतना ही करीब आ जाएंगे.

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