इस लेख के माध्यम से आपको यह बताना चाहती हूं कि लड़की की शादी के बाद उसके मायके वालों की उसके वैवाहिक जीवन में क्या भूमिका होनी चाहिए. ये बताने से पहले मै आपको ये कहानी सुनाना चाहती हूँ .शायद बहुत से लोगों ने ये कहानी सुनी होगी. मेरी आप सबसे गुज़ारिश है की आप मेरा ये लेख पढ़े और इस पर अमल भी करें-
दोस्तों भारत में नियमित सास-बहू गाथा सुनना आम है और उनमें से अधिकांश एक बहू की तरफ से होती है. जिसकी सास हस्तक्षेप करती है. इस रिश्ते के टूटने और इसे सुधारने के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है. यह किस्सा एक दामाद के बारे में है जिसे अपनी सास से परेशानी है और वह उसके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करती है.
“रोमा और शोभित एक दूसरे को बहुत चाहते थे .उन दोनों के परिवारों ने भी ख़ुशी-ख़ुशी उनकी इस चाहत पर शादी की मुहर लगा दी .दोनों शादी के बाद सुखी जीवन बिता रहे थे. रोमा शोभित के साथ खुश तो थी पर उसे अपने ससुराल में एडजस्ट होने में बहुत प्रॉब्लम हो रही थी.वो अपनी सारी बातें अपनी माँ को बताती थी.आज साँस ने क्या कहा….आज नन्द ने क्या comment किया….यहाँ तक की अपने और शोभित की छोटी छोटी बातें भी अपनी माँ को बताती थी.और उसकी माँ उसको समझाने के बजाय बहुत emotional सपोर्ट करती थी. वो उसकी हर गलत बात में अपनी सहमती दिखाती थी.
शादी को अभी 3 महीने ही हुए थे ,की रोमा और शोभित के बीच किसी बात को लेकर बहसा-बहसी हो गयी.रोमा ने तुरंत अपनी माँ को phone किया और रो रोकर सारी बातें अपनी माँ को बताई .उसकी माँ ने कहा-की तुम तुरंत अपना सामान पैक करो और मेरे पास आ जाओ. तब इनको सबक मिलेगा और फिर ये तुमसे कभी भी ऊँची आवाज़ में बात करने की कोशिश नहीं करेंगे.
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रोमा ने ऐसा ही किया.सब उसको रोकते रह गए ,यहाँ तक की शोभित की आँखों में आंसू भी आ गए .पर रोमा कहाँ रुकने वाली थी उसके दिमाग में तो अपनी माँ के कहे हुए शब्द गूँज रहे थे.उसने तो शोभित को सबक सिखाने की ठान रखी थी.
अब रोमा अपने मायके में थी . रोमा शोभित को छोड़कर अपने मायके आ तो गयी थी पर न जाने क्यूँ उसे एक बेचैनी सी हो रही थी .जिस शोभित से बात किये बगैर वो रह नहीं सकती थी आज वो उसे छोड़ कर आ गयी थी.वो बार -बार अपना phone उठाती .शोभित का नंबर डायल करती और फिर phone काट देती.
शोभित भी रोमा के बगैर रह नहीं पा रहा था. वो बहुत दुखी था उसके इस कदम से क्यूंकि ये कोई पहली बार नहीं हुआ था ,शादी से पहले भी वो एक दूसरे से रूठते रहते थे पर एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते थे .पर उसको समझ नहीं आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हो गया की रोमा ने इतना बड़ा कदम उठा लिया.
उधर रोमा की माँ की कुछ दोस्तों ने उन्हें सलाह दी की एक बार इन सबकी पुलिस में रिपोर्ट करा दो फिर सब अपनी लिमिट में रहेंगे और दोबारा हिम्मत नहीं करेंगे रोमा से तेज़ आवाज़ में बात करने की.
रोमा की माँ ने रोमा को अपने साथ पुलिस स्टेशन चलने को कहा .रोमा भौचक्की रह गयी .उसने पूछा -किसलिए?रोमा की माँ ने कहा की तुम्हारे पति और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करनी है .जब पुलिस स्टेशन आना पड़ेगा न तब उन्हें पता चलेगा .फिर वो अपनी लिमिट में रहेंगे .
रोमा का दिल बैठा जा रहा था वो सबकुछ छोड़ कर अपने शोभित के पास लौटना चाह रही थी.उसने अपनी माँ से कहा की माँ इसकी क्या जरूरत है?
उसकी माँ ने कहा –अगर तुझे नहीं चलना है तो ठीक है,फिर मत आना मेरे पास रोते हुए. देख क्या शोभित ने तुझे एक भी बार phone किया?उसे तेरी कोई पड़ी ही नहीं है.वो तो अपने माँ बाप के हाथों की कठपुतली है.तू इन लोगों को नहीं जानती .आज बहस हुई है कल को हाथ भी उठा सकते है.तू मेरी बेटी है .इतने नाजों से पाला है तुझको.मुझसे ज्यादा तेरा कोई ख्याल नहीं रखेगा.
रोमा न चाहते हुए भी अपनी मां के साथ पुलिस स्टेशन जाने को तैयार हो गयी . रास्ते भर रोमा का मन बेचैन था.पूरे रास्ते उसका ध्यान सिर्फ अपने mobile पर था.वो सोच रही थी कि –काश !शोभित एक बार मुझे कॉल कर लो .मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.
अब रोमा पुलिस स्टेशन पहुँच चुकी थी.उसकी दिल की धडकने बहुत तेज़ हो रही थी.वहां की ऑफिसर ने रोमा से पूछा ….
क्या तुम्हारा पति तुम्हें मारता है ?
क्या वह तुमसे अपने मां- बाप से कुछ मांग कर लाने को कहता है ?
क्या वह तुम्हें खाने पहनने को नहीं देता ?
क्या तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हे कुछ भला बुरा कहते हैं ?
क्या वह तुम्हारा ख्याल नहीं रखता?
इन सब सवालों का जवाब रोमा ने नहीं में दिया !
इस पर रोमा की मां बोली कि मेरी बेटी बहुत परेशान है !
इसके ससुराल वाले इसे घर की हर छोटी-छोटी बातों पर टोका टोकी करते हैं .मोबाइल पर बात करने पर भी आपत्ति करते हैं. वह इसे टॉर्चर करते हैं !
पुलिस अफसर समझ गई! उसने रोमा की मां से पूछा- क्या आप बेटी से दिन में 4-5 बार फोन पर बात करती हैं?
मां ने कहा- हां, मैं अपनी बेटी का पराए घर में ध्यान तो रखूंगी न , कितने नाजों से पाला है उसे!!
पुलिस अफसर सारा मामला समझ गई और फिर उसने पूछा -बहन जी क्या आप घर में दही जमातीं हैं?
रोमा की मां ने कहा -हां इसमें कौन सी बड़ी बात है!
अफसर बोली : तो जब आप दही जमाती हैं तो बार-बार दही को उंगली मार कर जांचती है .
रोमा की मां बोली: जी अगर मैं बार-बार उंगली मार करजाचूंगी तो दही कैसे जमेगा? वो तो खराब हो जाएगा
तो बहन जी इस बात को समझिए शादी से पहले लड़की दूध थी! अब उसको जमकर दही बनना है ! आप बार-बार उंगली मारेगी तो आपकी लड़की ससुराल में कैसे बसेगी ?वहां के रहन-सहन को सीखेगी कैसे? आप की लड़की ससुराल में परेशान नहीं है! आप की दखलअंदाजी ही उसके घर की परेशानी का कारण है!
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उसे उसके ससुराल में एडजस्ट होने की शिक्षा दीजिए ! उसको वहां के हिसाब से रचने -बसने दीजिए.
रोमा ये सब सुनकर पुलिस स्टेशन से बहार आ गयी .पीछे से उसकी माँ ने आकर कहा ,”चलो अन्दर रिपोर्ट नहीं लिखवानी है क्या? फिर मत आना मेरे …… ! ये शब्द पूरे होने से पहले ही रोमा ने कहा ,”नहीं आऊँगी माँ… कभी नहीं आउंगी.
बस मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ की ‘अगर मुझे अपनी लड़की ही बनाये रखना था तो मुझे किसी की पत्नी क्यों बनने दिया’?
शायद रोमा की माँ ये बात समझ चुकी थी .रोमा की माँ रोमा को उसके ससुराल ले गयी . रोमा के दिल में एक सुकून का भाव था. अब वो अपने घर पहुँच चुकी थी.वो जाकर शोभित के गले लग गयी.शोभित बहुत खुश था क्योंकि उसने जिसको दिल से चाहां था आज वो सही रूप में उसके पास थी….”
दोस्तों ये तो सिर्फ एक कहानी थी.शोभित और रोमा की तरह सभी लोग सौभाग्शाली नहीं होते हैं.
एक कहावत है कि “विवाह दो लोगों का मिलन नहीं है बल्कि दो परिवारों का मिलन है”. जब एक लड़की और एक लड़के की शादी होती है, तो दोनों परिवारों के बीच एक नया बंधन बनता है. यह बंधन दूल्हा और दुल्हन दोनों के जीवन में नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है, जिसमें एक-दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी होती है. दुल्हन के लिए, यह उसके जीवन में अपने साथी के साथ एक पूरी नई ज़िंदगी की शुरुआत है, जब वह दुल्हन अपने ससुराल की दहलीज़ पर कदम रखती है न ,तब उसके नाज़ुक कंधो पर -एक बहू की – एक पत्नी की और कुछ समय बाद एक माँ की ज़िम्मेदारी आ जाती है. उसे एक साथ बहुत सारे रिश्ते निभाने होते है.
ऐसे में उस लड़की को उन रिश्तों की सबसे ज्यादा ज़रुरत होती है जो उसका आत्मविश्वास बढ़ाएं और उसको सही और गलत के बीच का फर्क बताये.
इसलिए आप न केवल अपनी लड़की को एक अच्छी पत्नी या बहू बनने के लिए सशक्त बनाएं, बल्कि एक समझदार दोस्त, एक साथी, एक अच्छी माँ के दायित्वों को भी समझाए.
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