बहू का रिवीलिंग लिबास क्या करें सास

सुशीला का विवाह 30 साल पहले एक गांव में हुआ था. उन दिनों को याद करते हुए वह अकसर सोचती कि उस ने गांव में कितनी कठिनाइयों का सामना किया. उस की सास उसे हर समय घूंघट निकाले रखने को कहती. पढ़ीलिखी सुशीला के लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल था. जब विवाह के कुछ समय बाद उस के पति नौकरी के सिलसिले में शहर आ गए तो उसे राहत की सांस मिली. पहले लंबा घूंघट छूटा और फिर अपने आसपास वालों की देखादेखी साड़ी की जगह सूट पहनना शुरू हो गया. सूट उसे साड़ी के मुकाबले आरामदायक और सुविधाजनक लगता. कुछ समय बाद सूट से दुपट्टा भी गायब हो गया.

अब जब कभी उस की सास गांव से उस के पास रहने आती तो वह उस के कपड़ों को देख कर खूब मुंह बनाती और बारबार ताने मारती. ‘‘क्या जमाना आ गया है. बहुओं ने लाजशरम बिलकुल छोड़ रखी है… नंगे सिर, बिना दुपट्टे परकटी बन घूम रही है. हमारा पल्लू आज भी सिर से नीचे नहीं गया. मेरी सास मुझे यों देखती तो मार ही डालती.’’

ऐसी तानाकशी से दुखी सुशीला मुंह बंद कर के रह जाती और सास के वापस जाने के दिन गिनती. उस वक्त सुशीला सोचा करती कि वह अपनी बहू के साथ कभी ऐसा नहीं करेगी.

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धीरेधीरे समय बदला. सुशीला के बच्चे बड़े हुए. उस की बेटी जींस पहनती तो उसे बुरा नहीं लगता. उसे लगता कि वह समय के साथ बदल गई है और अपनी सास की तरह दकियानूसी नहीं है. उस के बेटे की मुंबई में अच्छी नौकरी लगी. वहीं एक सहकर्मी से प्यार हुआ और दोनों ने परिवार की रजामंदी से शादी कर ली.

सुशीला के पति का देहांत हो गया था, इसलिए वह भी बेटेबहू के साथ मुंबई रहने आ गई. शादी के शुरूशुरू में बहू ने एक आदर्श बहू वाले पारंपरिक कपड़े पहने, मगर धीरेधीरे वह उन्हीं पुराने सुविधाजनक कपड़ों में रहने लगी जो शादी से पहले पहना करती थी जैसे कैप्री, शौर्ट्स, विदाउट स्लीव और औफ शोल्डर टौप, मिडीज आदि. मगर सुशीला को बहू का ऐसा रिवीलिंग पहनावा अखरने लगा.

वह बहू को अकसर टोकने लगी, ‘‘शादी के बाद भी कोई ऐसे कपड़े पहनता है भला?’’

एक दिन तो हद हो गई जब बहूबेटे दोनों एक पार्टी में जा रहे थे. बहू ने औफशौल्डर टौप और स्कर्ट पहन लिया. उस दिन सुशीला भड़क उठी, ‘‘तुम लोगों के ज्यादा पर निकल आए हैं… बिलकुल नंगापन मचा रखा है. मैं भी कभी बहू थी, मगर हमारी क्या मजाल थी जो अपने सासससुर के सामने ऐसे कपड़े पहन लेते. मेरी सास मुझे ऐसा देखती तो मार ही डालती.’’

यह सुन कर सुशीला का बेटा बोला, ‘‘अरे मम्मी यह तो सेम वही डायलौग है न जो दादी आप को सुनाया करती थीं. आप ने यह हमें कितनी बार बताया है.’’

यह सुन कर सुशीला को एक झटका लगा कि अरे हां, सही तो है मेरी सास मुझे सूट पहनने पर ऐसे ही तो ताने मारा करती थी. मगर सूट अलग बात थी. उस में शरीर ढका रहता है. मगर बहू के कपड़े… इन्हें कैसे बरदाश्त करूं?

जो सुशीला की स्थिति है, वही आजकल की बहुत सी सासों की है. उन की सोच में बदलाव तो आ रहे हैं, मगर उतनी तेजी से नहीं जितनी तेजी से नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है. दोनों पीढि़यों की गति में बहुत अंतर है. सामान्यतया बहू जब भी कुछ ऐसा पहनती है जो सास को अशोभनीय लगता है तो वह तुरंत मुंह बनाते हुए अपने जमाने में पहुंच जाती है और कहती है कि अरे, हमारे जमाने में तो ऐसा नहीं होता था. उन की इस प्रतिक्रिया के कारण सासबहू का रिश्ता तनावपूर्ण रहता है और बहू सास से अलग रहने के मौके ढूंढ़ती है. ऐसा न हो, इस के लिए कुछ बातों को समझना जरूरी है.

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बदलाव को स्वीकारें

एक बहुत प्रसिद्ध कहावत है कि परिवर्तन संसार का नियम है. संसार में रोज कुछ न कुछ परिवर्तन हो रहे हैं. जलवायु में, सुविधाओं में, तकनीक में, रहनसहन में, रिश्तों में… हर जगह कुछ भी पहले जैसा नहीं है और न ही हो सकता है. यही बात पहनावे की भी है. पीढ़ीदरपीढ़ी लोगों के खासकर महिलाओं के पहनावे में परिवर्तन होता आ रहा है और आगे भी होता रहेगा. समय के बदलते दौर की नब्ज पकड़ें और उसे स्वीकार कर अपनी सोच को लचीला बनाएं.

रिवीलिंग का यदि शाब्दिक अर्थ पकड़ें तो वह ‘राहत’ या ‘सुविधाजनक’ होता है. सुविधा की परिभाषा सब के लिए अलगअलग है. सुशीला की सास को उस का सूट पहनना पसंद नहीं था जबकि वह उस के लिए सुविधाजनक था. इसी तरह सुशीला को बहू का कैप्री, स्लीवलैस टौप, मिडीज पहनना पसंद नहीं है, जबकि बहू को ये ड्रैस सुविधाजनक लगती हैं. सास यानी सुशीला को समझना चाहिए कि बहू अपनी सुविधानुसार कपड़े पहनेगी उन की सोच के हिसाब से नहीं. और यदि दबाव में पहन भी लिए तो यह ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा. बेहतर है सुशीला अपने दृष्टिकोण में बदलाव करे ताकि दोनों के बीच फालतू का तनाव न पैदा हो.

कोई भी पहनावा अच्छा या बुरा नहीं होता. उसे अच्छा या बुरा हमारी सोच बनाती है. हम उसे जिस नजरिए से देख रहे हैं वह नजरिया उस पहनावे की परिभाषा तय करता है. जैसे तीखा खाने वाले के सामने सादा भोजन रख दिया जाए तो वह बकवास बताएगा और सादा खाने वाले के सामने तीखा भोजन रख दिया जाए तो वह उस की बुराई करेगा. जरा सोचिए, क्या आज आप स्वयं अपनी पुरानी पीढ़ी के पहनावे को पहन रहे हैं? पुरुषों की धोतियां, महिलाओं के घूंघट लगभग गायब हो चुके हैं. इसी तरह आजकल की बहुएं अपने समय के अनुसार कपड़े पहन रही हैं.

न बनें टिपिकल सास

जब कोई मां अपने पढ़ेलिखे बेटे के लिए बहू ढूंढ़ती है तो उस की चाहत होती है उस की बहू भी आधुनिक और पढ़ीलिखी हो जो उस के बेटे के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके. मगर जब रहनसहन और पहनावे की बात आती है तो वह वही टिपिकल सास बन जाती है, जो चाहती है उस की बहू उस की सोच के हिसाब से चले. जो उसे अच्छा नहीं लगता वह न पहने. मगर ऐसा नहीं होता. आप को यह समझना जरूरी है कि आप की बहू एक आत्मनिर्भर व्यक्तित्व है. उस की अपनी सोच, अपनी पसंदनापसंद है. वह

आप के आदर की वजह से आप की बात मान सकती है, मगर आप अपनी सोच उस पर थोप नहीं सकतीं.

यदि आप को बहू की रिवीलिंग ड्रैस पर कोई आपत्ति है और आप यह बात उस तक पहुंचाना चाहती हैं तो इस तरह से कहें कि उसे बुरा भी न लगे और आप भी अपनी बात कह पाएं. लेकिन क्या पहनना है क्या नहीं, इस का निर्णय उसी पर छोड़ देना चाहिए.

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रमा की बहू एक फैमिली फंक्शन में जाने के लिए औफशौल्डर गाउन पहन कर तैयार हो रही थी. जहां उन्हें जाना था वहां का माहौल रूढि़वादी था. रमा ने जब उसे देखा तो पहले उस की बहुत तारीफ करते हुए बोलीं, ‘‘अरे, वाह बहू, आज तो तुम गजब ढा रही हो. बहुत ही सुंदर लग रही हो, मगर आज जहां यह पार्टी है उन लोगों का नजरिया थोड़ा पुराना है. हो सकता है उन्हें तुम्हारा यह आधुनिक पहनावा अच्छा न लगे, वे तुम पर कुछ कमैंट करें. और मेरी प्यारी बहू के लिए कोई उलटासीधा बोलेगा तो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए मैं चाहूंगी कि तुम कोई पारंपरिक डै्रस पहन लो. लेकिन

मैं तुम्हें फोर्स नहीं करूंगी, जैसा तुम्हें सही लगे तुम करो.’’

बहू ने सास की प्यार से कही गई बात को सुना और तुरंत चेंज करने के लिए तैयार हो गई.

बहू को बदलने के बजाय सास ही जमाने की नब्ज पकड़ कर अपने पहनावे में बदलाव ले आए. टिपटौप बहू के साथ वह भी आधुनिक बन जाए. वह बहू के साथ जींसशर्ट पहन कर कदम से कदम मिला कर चले और 2 पीढि़यों का भेद ही मिटा दे. लगेगा जैसे उम्र आगे बढ़ने के बजाय पीछे जा रही है और आप स्वयं को आउटडेटेड भी महसूस नहीं करेगी.

आजकल की लड़कियां आजकल चलने वाले कपड़े ही पहनेंगी. सिर्फ इसलिए कि उन की शादी आप के बेटे से हो गई, उन की सोच, उन का व्यक्तित्व और पसंद बदल नहीं जाएगी. बेहतर है, आप उन्हें अपना पहनावा चुनने की और पहनने की आजादी दें. उन पर कोई दबाव न बनाएं. यदि आप को उन का पहनावा पसंद आ रहा है तो खुल कर तारीफ करें और यदि नहीं आ रहा है तो मुंह बनाने या ताने मारने जैसी छोटी हरकतें तो बिलकुल न करें. वह आप की बहू है, उसे उस की पसंदनापसंद के साथ पूरे प्यार से स्वीकार करें. यह कदम आप के रिश्तों में मिठास घोल देगा.

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जब सहेली के साथ पकड़ा जाए प्रेमी

आशा और सुरेश का एक साल पहले अफेयर शुरू हुआ था. आशा ने सुरेश के साथ जीनेमरने की जाने कितनी कसमें खाईं, साथ रहने के सपने देखे लेकिन उस के ये सपने तब धराशायी हो गए जब एक दिन वह अपने रूम में कालेज से जल्दी आ गई और दरवाजा खोलते ही अपनी रूममेट और सब से अच्छी सहेली रोमा को अपने ही बौयफ्रैंड सुरेश के साथ हमबिस्तर पाया. यह उस की वही सहेली थी जो इन दोनों के प्यार की गवाह थी और उन के बीच होने वाली हर छोटीबड़ी बात जानती थी. यह सिर्फ आशा की ही कहानी नहीं है बल्कि यह अकसर सुनने में आता है कि एक सहेली ने दूसरी सहेली के बौयफ्रैंड को छीन लिया या अपना बना लिया.

वैसे तो ऐसा करना गलत है, लेकिन अगर ऐसा हो भी गया है तो रोनेधोने से काम नहीं चलेगा, बल्कि समझदारी से काम लेते हुए इस सिचुएशन को हैंडल करने की जरूरत है. आइए, जानें इस सिचुएशन से कैसे निकलें बाहर :

प्रेमी की असलियत सामने आई

यह तो अच्छी बात है कि प्रेमी की पोल आप के सामने जल्दी ही खुल गई वरना ये सब आप के घर में पता चल जाता तब आप उन की नजरों में भी गिर जातीं. अभी तो बात सहेली के सामने ही है और वह भी कोई आप की सगी नहीं है बल्कि उस ने तो आप की पीठ पीछे वार किया है, आप के प्रेमी को अपना बना कर. अच्छा हुआ, उस के करैक्टर के बारे में पहले ही पता चल गया. जो लड़का आप की सहेली पर बुरी नजर रख सकता है कल वह आप की बहन के साथ क्या करता, आप सोच भी नहीं सकतीं.

सहेली भी धोखेबाज निकली

वह सहेली चाहे बरसों से आप की कितनी भी अच्छी दोस्त क्यों न रही हो, लेकिन अब आप के साथ उस ने जो किया उस के बाद आप की जिंदगी में उस की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. ऐसी दोस्त बनाने से अच्छा है आप अकेली ही रह लें.

जिंदगी का बड़ा सबक सीख लिया

इस रिलेशनशिप से आप जिंदगी का गहरा सबक लें. अब आप आगे जो भी कदम उठाएंगी सोचसमझ कर ही उठाएंगी. यह गम लंबे समय तक तंग करेगा लेकिन आप को इस से लड़ कर बाहर आने की हिम्मत लानी होगी, इस से आप को जीवन में आए दुखों से लड़ने की ताकत मिलेगी.

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पढ़ाई पर ध्यान लगाएं

इस हादसे से आप अपना एक नुकसान कर चुकी हैं, अब पढ़ाई में पिछड़ कर दूसरा नुकसान न करें. अपने जीवन में सब से ज्यादा अहमियत पढ़ाई को ही दें, इस से अपनी स्टै्रंथ बना लें और ध्यान से पढ़ाई करने में जुट जाएं.

आप बदनाम होने से बच गईं

प्रेमी की फितरत ही धोखा देने की थी, तभी तो उस ने आप को चीट किया. एक तरह से देखा जाए तो अच्छा ही हुआ. ऐसे दोगले इंसान से आप को जल्दी छुटकारा मिल गया, वह भी अपना कोई नुकसान किए बिना. वह लड़का सही नहीं था. हो सकता है कि वह आगे चल कर आप को ब्लैकमेलिंग आदि के जाल में फंसाने की कोशिश करता. ऐसे लोगों से दूर होना ही बेहतर है.

ध्यान दें

परदे में रहने दो

जी हां, हर बात सहेली को बताई जाए यह जरूरी तो नहीं. अपने और प्रेमी के बीच की बातों को सहेली के साथ डिसकस करना ठीक नहीं. फिर चाहे वह कितनी भी अच्छी क्यों न हो या कितनी ही गहरी मित्र क्यों न हो. आप की बातों और प्रेमी की इतनी तारीफ से हो सकता है कि सहेली का मन पलट जाए और वह प्रेमी की तरफ आकर्षित हो कर उसे फंसाने में लग जाए. ऐसे में प्रेमी के साथसाथ सहेली से भी आप को हाथ धोना पड़ सकता है.

ब्रेकअप का रोना न रोती रहें

जिन लोगों को इस रिलेशनशिप के बारे में पता था उन्हें हर बार यही बात कह कर न पकाएं. आप दुनिया में पहली नहीं हैं जिस का ब्रेकअप हुआ है, ऐसा कर के आप खुद को हंसी और बेचारगी का पात्र बना लेंगी. यह आप का गम है और इसे अकेले ही भूलना होगा.

विश्वास करना न छोड़ें

माना यह थोड़ा मुश्किल है, लेकिन अगर एक सहेली ने पीठ पीछे धोखा दिया है तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि आप अपनी सारी सहेलियों से मुंह मोड़ कर अकेली हो जाएंगी. अपनी बाकी सहेलियों के टच में रहें.

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बच के रहना रे बाबा

आप ने किसी एक से नहीं बल्कि अपने दो अजीजों से धोखा खाया है. इस का मतलब चूक कहीं न कहीं आप से भी हुई है,

जो आप ने अपनी जिंदगी में ऐेसे प्रेमी और सहेली को जगह दी इसलिए इस से सीख लें व जांचपरख कर ही किसी से रिलेशन बनाएं.

किसी भी युवक को बौयफै्रंड बनाने से पहले उस के बारे में अच्छी तरह से तहकीकात कर लें. अगर थोड़ा भी शक हो तो उस के साथ रिलेशनशिप बनाने की जरूरत नहीं है.

बच्चों को सिखाएं रिश्तों की अहमियत

ईंटपत्थरों की दीवारों में जब रिश्तों का एहसास पनपता है, तभी वह घर कहलाता है. हमारे रिश्तों की बुनियाद हमारे उन अपनों से होती है, जिन से हमारा खून का रिश्ता होता है. दादादादी, ताऊ, बूआ, मौसी, मामा इत्यादि कितने ही ऐसे रिश्ते हैं, जो हमारे संबंधों के आधार हैं, जिन का साथ हमें जिंदगी भर निभाना होता है. लेकिन आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में हम रिश्तों की अहमियत भूलते जा रहे हैं. व्यस्त जीवनशैली और समय की कमी के कारण हम अपने नातेरिश्तेदारों से दूर होते जा रहे हैं, जिस का असर हमारे बच्चों के कोमल मन पर भी पड़ रहा है. तभी तो आज के बच्चों को रिश्तों की अहमियत के बारे में बिलकुल पता नहीं होता.

क्यों अनजान हैं बच्चे रिश्तों से

हम पैदा होते ही रिश्तों की डोर में बंध जाते हैं और तभी से रिश्तों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. लेकिन हम पीछे मुड़ कर देखें तो कितने ऐसे रिश्ते हैं, जिन्हें हम निभा पाते हैं? इस बदलते परिवेश ने हमें अपनों से दूर कर दिया है. जब हम खुद ही अपने रिश्तों से दूर हो गए हैं, तो भला हमारे बच्चे क्या समझेंगे कि रिश्ता क्या होता है. आज के बच्चों में न तो रिश्तों के बारे में जानकारी की उत्सुकता है और न ही उन्हें निभाने में.

मनोरोग चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों में संस्कार की नींव मातापिता द्वारा ही रखी जाती है. अगर मातापिता ही रिश्तों को तवज्जो नहीं देते हैं, तो बच्चे तो इन से अनजान रहेंगे ही.

आजकल के बच्चे क्यों अनजान हैं रिश्तों के महत्त्व से? क्या हैं इस की खास वजहें? आइए, इस पर एक नजर डालें.

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न्यूक्लियर फैमिली

आज समाज में न्यूक्लियर फैमिली यानी एकल परिवार का चलन है. पहले जहां बच्चों का पालनपोषण संयुक्त परिवार में होता था, वहीं आज के बच्चों का परिवार एकल है. पहले जब बच्चों का पालनपोषण संयुक्त परिवार में होता था, तब वे दादादादी, ताऊ, चाचा, बूआ इत्यादि के साथ रहते थे और रिश्तों को समझते थे.

इस के विपरीत आज के बच्चे अकेले रहते हैं. अकेले रहने के कारण वे अपने खून के रिश्तों को भी नहीं समझते और जब बच्चा खून के रिश्तों को समझेगा ही नहीं, तो उस में रिश्तों के प्रति सम्मान और अपनापन कहां से आएगा? अपनी परंपराओं का ज्ञान तो उन्हें न के बराबर होता है, क्योंकि आज के अभिभावकों के पास इतना समय ही नहीं है कि वे अपनी सभ्यता और संस्कृति से उन्हें अवगत करा सकें. याद करें वे दिन, जब हम पिता के भाई को चाचा और पिता की बहन को बूआ कहते थे. परंतु आज के बच्चों के पास इन सब के लिए बस अंकल और आंटी का संबोधन ही काफी है, क्योंकि हम ने उन्हें यही सिखाया है.

समय की कमी

आज हमारी जीवनशैली इतनी व्यस्त हो गई है कि व्यक्ति के पास खुद के लिए समय नहीं है. ऐसे में रिश्ते निभाने और बच्चों को उन की अहमियत बताने का समय किस के पास है? आज इंसान समय के साथ होड़ लगाने के लिए अंधाधुंध भाग रहा है. इसी रफ्तार में इंसान अपने रिश्तों को अनदेखा करता जा रहा है. इसी अनदेखी की प्रवृत्ति के कारण उस के नजदीकी रिश्ते धीरेधीरे खत्म होते जा रहे हैं.

हमारे पास इतना समय नहीं है कि हम अपने रिश्तेदारों से मिल सकें. ऐसे में हमारे बच्चे रिश्तों की अहमियत क्या समझेंगे. उन्हें तो लगता है, बस यही हमारा परिवार है. बच्चों का कोमल मन तो वही सीखता है, जो वे देखते हैं.

रिश्तों में दिखावा

आज जमाना दिखावे का हो गया है. इसी दिखावे के कारण सारे रिश्ते, परंपराएं एक तरफ हो गई हैं. आज का लाइफस्टाइल हाईटैक हो गया है. हर चीज में दिखावा व कंपीटिशन हावी है, जैसे अगर फलां रिश्तेदार के पास गाड़ी है और हमारे पास नहीं, तो कैसे भी कर के हमारी कोशिश होती है कि हम गाड़ी खरीद लें ताकि हम भी गाड़ी वाले कहलवाएं. अभिभावकों के ऐसे आचरण का प्रभाव बच्चों पर काफी पड़ता है. वे भी बड़ों की नकल करते हैं और दूसरे बच्चों से कंपीटिशन करते हैं. जहां रिश्तों में कंपीटिशन और दिखावा आ जाता है वहां रिश्तों की स्वाभाविकता खत्म हो जाती है.

अपने में सिमटते रिश्ते

आज मैं और मेरे की भावना इतनी प्रबल हो गई है कि व्यक्ति को सिर्फ अपनी पत्नी और बच्चे ही दिखाई देते हैं. दूसरे रिश्तों को वे उन के बाद ही स्थान देते हैं. अपने मांबाप के द्वारा अपनेपन की इस भावना को बच्चे ऐसे अपने मन में बैठा लेते हैं कि उन्हें केवल खुद से मतलब होता है.

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यही बात वे मातापिता पर भी लागू करते हैं और सिर्फ अपनी जरूरतों के पूरी होने तक ही उन्हें उन की जरूरत होती है. मांबाप के द्वारा बच्चा यही सीखता है कि यही उस का परिवार है बाकी लोग दूसरे लोग हैं. ‘मैं’ और ‘अपने’ की इसी भावना ने आज रिश्तेनातों में और भी खटास पैदा कर दी है. ऐसे में बच्चे रिश्तों की अहमियत को क्या समझेंगे. हम जैसा बोएंगे वैसा ही तो काटेंगे.

आज जमाना कितना भी आगे बढ़ जाए, हम रिश्तों के महत्त्व को नकार नहीं सकते. आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमें रिश्तों के महत्त्व को बिलकुल नहीं भूलना चाहिए. हमें अपने बच्चों को पारिवारिक परंपराओं और रिश्तों के महत्त्व को जरूर समझाना चाहिए. बच्चों को यह बताना बहुत जरूरी है कि चाचाचाची, दादादादी, नानानानी से उन का क्या रिश्ता है.

करियर और प्यार के बीच इस तरह बनाएं संतुलन

हम में से बहुत लोग नौकरी करते हैं और अपने करियर को लेकर संवेदनशील हैं. हम सभी जानते हैं कि अपने पार्टनर के साथ एक मजबूत और सुखी रिश्ता बनाना साथ ही अपने करियर को भी महत्व देना काफी मुश्किल होता है. खासतौर पर जब आप दोनों ही कामकाजी हैं.

व्यस्त दिनचर्या, बड़े लक्ष्य, अनगिनत प्रोजेक्ट्स और बहुत कुछ इन सभी के कारण आपका सम्बंध प्रभावित होने लगता है जिसके कारण आपके रिश्ते में तनाव बन सकता है. जब आप अपने करियर को काफी अहमियत देते हैं तो एक स्वस्थ रिश्ते को बनाएं रखने के लिए आपको अलग से प्रयास करने होते हैं.

पूरे दिन काम करने के बाद अपने साथी के साथ आराम करने और बात करने के लिए समय निकालना भी जरुरी है. अगर आप भी अपने कैरियर और प्यार के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं तो ये टिप्स काम आ सकते हैं.

छोटी-छोटी चीजें एक साथ करें

ऐसा जरुरी नहीं है कि आप अपने साथी के साथ समय बिताने के लिए लंच प्लान करें या फिल्म देखने ही जाएं. आप अपने साथी के साथ अपना सारा समय व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप जिस समय में उनके साथ है वो बिल्कुल परियों की कहानी जैसा हो. छोटी चीजें भी आपको खुशी दे सकती है.

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जब आपके पास ऑफिस के ढ़ेर सारे काम होंगे तो आप कुछ विशेष योजना बना पाएं ये थोड़ा मुश्किल है. इसलिए जरुरी है कि जब भी आप साथ में हैं तो हर मिनट को महसूस करें. एक साथ भोजन करें, घर की सफाई करते वक्त या खाना बनाते वक्त आप एक-दूसरे को समय दें. ये छोटी चीजें आपको बेफिजूल लग सकती हैं लेकिन जब आपके पास समय कम हो तो है तो यह अपने साथी से जुड़ने का यह अच्छा तरीका है.

बिना शर्त के सपोर्ट करें

अपने ऑफिस में पूरे दिन काम करने के बाद अपने पति या पत्नी के करियर में रुचि दिखाना मुश्किल हो सकता है लेकिन यह जरुरी है कि आप अपने साथी के करियर से संबंधित बातचीत करें. इस बातचीत के जरिए आप उन्हें बता पाएंगे कि आप उनके काम और करियर को सपोर्ट करते हैं. उन्हें बताएं कि आप उनके लिए हमेशा मौजूद हैं और बिना शर्त उनके काम को अपना समर्थन देते हैं.

अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके साथी के मन में असंतोष की स्थिति पैदा हो सकती है. जिससे आपके रिश्ते और करियर के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाएगा.

हद से ज्यादा उम्मीदें ना करें

जब आप दोनों कामकाजी है तो आप समझ सकते हैं कि ऑफिस के बाद सम्बंध को संभालना कितना मुश्किल है. इसलिए जरुरी है कि आप अपने साथी से अधिक उम्मीदें ना बांधे क्योंकि समय के अभाव में अगर वो पूरा नहीं कर पाएंगे तो आपको बुरा लगेगा और आपका दिल टूट जाएगा.

आपके लिए बेहतर होगा ऐसा सोचना बंद करें कि आपका साथी आपके लिए कोई डेट, हॉलीडे या पार्टी प्लान करें. अगर वो ऐसा नहीं करेगा तो आपको दुख और निराशा होगी. ये सब मैनेज करने के लिए आपके साथी को समय की जरुरत होगी और वो उनके पास नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप उम्मीदें ही ना करें. सोचने की बजाय उनसे बात कर लें कि आप क्या चाहते हैं.

कोई भी फैसला लेने से पहले साथी को बताएं

अगर आप कोई भी फैसला लेते हैं तो इसके लिए दो स्टेप जरुरी है. पहला आप इसके बारे में सोचे और फिर अपने साथी से बात करें. अब आप जीवन में स्वतंत्र रूप फैसले नहीं ले सकते हैं चाहे फिर आप कितने भी बुद्धिमान क्यों ना हों. आपका हर एक व्यक्तिगत फैसला आपके साथी पर भी असर डालेगा.

आपको जानने की जरुरत है कि आपका कोई भी फैसले के बारे में आपका पार्टनर क्या सोचता है. जैसे आप जॉब छोड़ने या बदलने की सोच रहे हैं तो इसके बारे में अपने साथी से बात कर लें. हो सकता ऐसे में आपको शहर बदलना पड़े या नई जगह जाना पड़े तो इसका प्रभाव आपके साथी पर भी होगा.

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खुद को फ्लेक्सिबल बनाएं

ऑफिस में पूरी तरह थक जाने के बाद अपने साथी के साथ प्यार से बात करना और उन्हें अच्छा महसूस कराने के बारे में सोचना मुश्किल होता है. लेकिन ऑफिस से आने के बाद अपने साथी के साथ आराम करना आपके रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है.

ऑफिस और वर्कप्लेस पर तनाव हो सकता है और आप अपने काम को लेकर परेशान हो सकते हैं लेकिन इसके बावजूद भी अपने साथी को वही प्यार और भाव देना ही रिश्ते को मजबूत बनाता. बेहतर है कि आप अपने वर्क स्ट्रेस को ऑफिस में ही छोड़कर आए. खुद को फ्लेक्सिबल बनाएं. ताकि आप अपने रिश्ते और काम दोनों को संभाल पाएं. आप एक समय में एक व्यक्ति ही बन सकते हैं. जब आप प्रेमी है तो खुद को ऑफिस वर्कर ना बनने दे.

जिम्मेदारियां बांट लें

एक रिश्ते में सामंजस्य बिठाना बहुत जरुरी है. अगर आपके रिश्ते में समझौते करने पड़ रहे हैं तो ध्यान रखें कि मिलकर समझौते करें. काम के साथ अपने रिश्ते की जिम्मेदारियों को समझें. खासकर तब जब आप शादीशुदा है, एक साथ रहते हैं, आपके बच्चे हैं.

ऑफिस जाने के साथ खाना पकाना, बच्चों को स्कूल ले जाना लेकर आना, घर के कामकाज आदि जिम्मेदारियां एक ही व्यक्ति पर ना डालें. आपके रिश्ते में कोई भी एक व्यक्ति सभी समझौते करने के लिए तैयार नहीं होगा. इसलिए सही ढंग से फैसला लें. अधिक कुशलता से काम करें और सबसे महत्वपूर्ण हैं कि हमेशा एक साथ काम करें.

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मजबूत रिश्ते के लिए लड़ना भी है जरूरी

‘‘जराजरा सी बात पर तकरार करने लगे हो,

लगता है मुझ से बेइंतहा प्यार करने लगे हो…’’

किसी भी रिश्ते में प्यारमनुहार के साथसाथ छोटीमोटी नोकझोंक और झगड़ा होना स्वाभाविक है और इस से प्यार बढ़ता ही है. पर ध्यान रखें कि यहां छोटेमोटे झगड़े की बात की गई है जिसे हम 1-2 दिन के अंदर सुलझा लेते हैं. ऐसे झगड़े के बाद कपल्स एकदूसरे के और भी ज्यादा करीब हो जाते हैं.

भारत के लगभग 44% विवाहित जोड़े यह स्वीकारते हैं कि कभीकभार होने वाला झगड़ा जरूरी है. इस से आप को अपने पार्टनर की पसंदनासंद के साथसाथ अच्छेबुरे पहलुओं को समझने का मौका मिलता है.

हाल ही में की गई एक स्टडी भी इस बात की पुष्टि करती है. स्टडी के मुताबिक पार्टनर के साथ किसी बात पर हुई बहस या झगड़े से रिश्ता मजबूत बनता है. लगभग 1,000 लोगों पर किए गए सर्वे पर आधारित इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि जो कपल्स छोटीछोटी बातों को ले कर अपने पार्टनर से झगड़ने लगते हैं वे उन लोगों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खुश रहते हैं जो पार्टनर की किसी बात पर बुरा मान अकेले में ही रोते रहते हैं.

स्टडी के मुख्य लेखक जोसेफ ग्रेनी के मुताबिक, कई कपल्स किसी सैंसिटिव टौपिक पर पार्टनर से लड़ाई करने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उन का रिश्ता टूट सकता है. लेकिन स्टडी में शामिल 5 में से

4 लोगों ने माना कि पार्टनर के साथ उन का रिश्ता खराब होने की अहम वजह खराब संवाद यानी बातचीत में कमी है.

इस अध्ययन से पता चलता है कि अपनी भावनाओं को अपने पार्टनर से शेयर करने और किसी बात के बुरा लगने पर पार्टनर से झगड़ा करने से रिश्ता कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बनता है.

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झगड़ा करने वाला पार्टनर ज्यादा वफादार

शोधकर्ताओं का मानना है कि रिलेशनशिप में नाराज रहने वाले पार्टनर एकदूसरे के प्रति ज्यादा वफादार होते हैं. वे अपने पार्टनर से प्यार करते हैं, उन पर ध्यान देते हैं और उन की कुछ बातें, जो उन्हें पसंद नहीं आतीं उन में सुधार करते रहना चाहते हैं जबकि वैसे लोग जो पार्टनर से ज्यादा मतलब नहीं रखते और उन की तरफ ध्यान ही नहीं देते सामान्यतया बेवफा होते हैं. एक शोध के मुताबिक, रिलेशनशिप में झगड़ने वाले कपल्स की लवलाइफ ज्यादा स्ट्रौंग होती है और वे ज्यादा वफादार होते हैं.

शोधकर्ताओं ने 192 ऐसे जोड़ों पर शोध किया जो करीब 32 सालों से एकदूसरे के साथ थे. शोध में हर कपल से सवाल किया गया कि रिलेशनशिप में टकराव की स्थिति पैदा होने पर वे कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? क्या झगड़े के बाद खुद को अलग कर लेते हैं या फिर स्थिति पर काबू पा लेते हैं या जो कुछ भी उन के दिमाग में चल रहा है उसे बाहर निकालना पसंद करते हैं?

ज्यादा लंबी लवलाइफ

शोधकर्ताओं ने पाया कि पार्टनर के झगड़े का रिस्पौंस उसी के अंदाज में देने वाले लोगों की लवलाइफ ज्यादा लंबी होती है. अगर आप झगड़े के दौरान अपने पार्टनर की बातों का जवाब पूरे तेवर में दे रहे हैं और अपनी बातों को पूरी तरह क्लियर कर रहे हैं, तो निश्चित तौर पर आप की बौंडिंग ज्यादा मजबूत होगी.

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि झगड़े के दौरान अपने इमोशन जाहिर न करने के बजाय उन पर बातचीत करना ज्यादा बेहतर विकल्प है. अपने पार्टनर को समझने और अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए अपनी भावनाओं को जाहिर करना भी जरूरी होता है.

झगड़ा करना गलत नहीं मगर इस झगड़े को आप कैसे मैनेज करते हैं यह महत्त्वपूर्ण है. झगड़े के बाद चुप न रहें. अपनी भावनाओं को बह जाने दें. मगर इस बात का खयाल भी जरूर रखें कि आप झगड़े के दौरान अपनी सीमा पार न करें, क्योंकि झगड़ा अगर लंबा खिंच जाए या बात कड़वाहट और मारपीट तक पहुंच जाए तो फिर रिश्तों में मुहब्बत को सहेजना मुश्किल हो जाता है. कुछ बातें ऐसी होती हैं जो लड़ते वक्त भी आप को अपने पार्टनर से नहीं कहनी चाहिए. मसलन:

तुम से कुछ नहीं होगा

झगड़े के दौरान अगर आप अपने पार्टनर की इंसल्ट करने लगे हैं, तो जरा संभल जाइए. झगड़ा बढ़ रहा हो तो आप को थोड़ा रुक कर गहरी सांस लेनी चाहिए और सिचुएशन से निबटने के बारे में सोचना चाहिए न कि उसे और भी ज्यादा बिगाड़ने के बारे में. बस, इस बात का ध्यान रखें कि ऐसी कड़वी बात कभी न बोलें जिस की चोट आप का पार्टनर कभी भूल न पाए.

हमें अलग हो जाना चाहिए

झगड़े के दौरान या तुरंत बाद कोई भी बड़ा फैसला लेने से बचें. याद रखें कि इस समय अलग होने की बात करना हमेशाहमेशा के लिए आप के रिश्ते को खत्म कर देगा. आप का पार्टनर भी आप पर भरोसा नहीं करेगा, क्योंकि इस से उसे ऐसा लगेगा कि थोड़ीबहुत परेशनी आने या मतभेद होने पर ही आप भाग खड़े होने वालों में से हैं.

तुम हमेशा ऐसा करते/करती हो: वैसे तो हर बार झगड़े का मुद्दा अलगअलग होता है पर झगड़े के वक्त पुरानी बातों को ले कर बैठ जाना गलत है. वह भी ऐसी बातें जिन्हें आप पहले ही सुलझा चुके हैं, उन पर फिर से बहस करना बेवकूफी है. याद रखें, अगर आप अपने पार्टनर से प्यार करते हैं तो गड़े मुरदे उखाड़ने की भूल कतई न करें. इस से आप को कुछ भी हासिल नहीं होगा.

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मैं कमाता हूं तुम उड़ाती हो

यह ऐसी लाइन है जिसे कोई भी पत्नी सुनना नहीं चाहेगी. कभी भी अपनी कमाई का रुतबा झाड़ कर पत्नी को दबाने का प्रयास न करें, क्योंकि पति हो या पत्नी दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियां निभा रहे होते हैं. इन में तुलना करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

बात का बतंगड़ क्यों बना रहे/रही हो

बात बड़ी हो या छोटी आप के पार्टनर को पूरा हक है कि वह अपना पक्ष रखे. आप को उस की बात तो सुननी ही चाहिए. कई बार आप का साथी सिर्फ यह चाहता है कि आप बस उस की बात सुन लें. ऐसे में अपनी राय को किनारे रख कर पार्टनर के नजरिए से चीजों को देखने की कोशिश करें. इस से मामला सुलझाने में मदद मिलेगी.

तुम से बात करने का कोई फायदा नहीं

अगर आप भी कुछ ऐसा ही कहते हैं तो याद रखें कि आप बातचीत से मुंह मोड़ रहे हैं न कि वे. हां, यह अलग बात है कि कुछ लोग जिद्दी होते हैं और उन्हें समझाना मुश्किल होता है, लेकिन आप को धैर्य से काम लेना चाहिए, क्योंकि सचाई यह है कि आप और आप का पार्टनर एकदूसरे से लड़ रहे हैं और ऐसे में मुद्दे का समाधान तभी निकल सकता है जब आप बात करेंगे.

तुम अपने ऐक्स के पास वापस जाओ: झगड़े के दौरान पुराने रिश्ते के बारे में बात करना गलत है. आप के पार्टनर के दिमाग में अगर एक्स का खयाल नहीं है तो भी इस तरह की बातें उसे यह सोचने पर विवश करेंगी कि कहीं सचमुच आप भी ऐक्स की तरह छोड़ कर तो नहीं चली जाएंगी? इस तरह की बात कर के आप वास्तव में अपने जीवनसाथी को खो बैठेंगी. इसलिए बेहतर होगा कि झगड़े का रुख मोड़ने और रिश्ते को उलझाने के बजाय आप समाधान निकालने का प्रयास करें.

तुम्हारे रिश्तेदार ऐसे ही हैं

अकसर होता यह है कि जिस बात पर झगड़ा शुरू होता है उसे भूल कर हम अपने पार्टनर के रिश्तेदारों को कोसना शुरू कर देते हैं. याद रखें, झगड़े के दौरान एकदूसरे के मातापिता या भाईबहन को निशाना बनाते हुए उन के बारे में कोई अप्रिय बात न कहें. इस से झगड़ा सुलझने के बजाय और उलझ सकता है, क्योंकि अपने घर वालों के खिलाफ कोई भी नहीं सुन सकता. ऐसे में दोनों को खुद पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है.

तुम से तो अच्छे तुम्हारे भाई/बहन/दोस्त हैं

‘तुम से तो समझदार तुम्हारी बहन/भाभी/देवरानी है. वह कभी अपने पति से बहस नहीं करती. पता नहीं तुम्हारी जबान इतनी लंबी क्यों है.’, ‘अरे पहले खुद को तो देखो. मेरे पापा और भाई जैसे कौन से गुण हैं तुम में? मैं तो तुम से शादी कर के फंस गई.’, ‘मेरी सहेली के पति को देखो. कितनी केयर करता है उस की और एक तुम हो…’

पतिपत्नी के झगड़े में ऐसी बातें अकसर सुनने को मिलती हैं. झगड़ा आप दोनों में हो रहा है. एकदूसरे की तुलना दूसरों से न करें. स्त्री हो या पुरुष कोई भी इसे सहन नहीं कर पाता.

शक्ल देखी है अपनी

‘कितनी भी क्रीम लगा लो माधुरी दीक्षित नहीं बन जाओगी, रूपरंग तो यही रहेगा न गंवारों जैसा.’, ‘अपनी कमर देखो, कमर नहीं कमरा बन गया है.’, ‘तोंद देखी है कैसे बेढंगे लगते हो.’ या ‘फिर कितनी बार कहा है सफेद बालों को रंग लो मेरे आगे एकदम बूढ़े लगते हो.’

इस तरह कभी भी अपने पार्टनर के लुक्स पर कमैंट न करें. अपनीअपनी जबान पर नियंत्रण रखें, क्योंकि ऐसी बातें इंसान कभी भूल नहीं पाता. वैसे भी उम्र के साथ मैच्योरिटी तो आती ही है.

तुम्हें कुछ समझ नहीं आता

इस तरह की बात कहने का मतलब है कि आप पूरी तरह से अपने पार्टनर के अस्तित्व को नकार रहे हैं और उन्हें इस बात का एहसास दिला रहे हैं कि वे किसी काम के नहीं हैं. झगड़े के वक्त बारबार तुम नहीं समझोगे/समझोगी कह कर आप अपने पार्टनर को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं और यकीन मानिए ऐसी बातें रिश्ते को ज्यादा दिनों तक सहेज कर रखने नहीं देतीं.

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धार्मिक कारण

काफी विवाद धार्मिक कारणों से भी होते हैं. ‘औरतें होती ही पैर की जूती हैं’, यह सोच धर्म ने थोपी है जो हर प्रवचन, पौराणिक कथा, व्रत, उपवास में सुनीसुनाई जाती है. धार्मिक अनुष्ठानों में औरतें अपनी शक्ति और पैसा खर्च डालती हैं. यह एक अलग गुस्से का कारण बनता है जिस पर धर्मभीरू पति सीधे नहीं बोल पाता पर कुढ़ता रहता है. औरतें धर्म में समय भी बरबाद करती हैं और खुद को थका देती हैं.

जानें क्यों महिलाओं में इंटरेस्ट खो देते हैं पुरुष

क्या आपका बॉयफ्रेंड या पति आप में से सारी रुचि खो चुका है तो इसके कई कारण हो सकते हैं. एक रिश्ते में उतार चढ़ाव तो आते ही रहते हैं. कुछ पुरुष अपने पुराने रिश्ते में रुचि खो कर नया रिश्ता बनाने की सोचते हैं तो कुछ पुराने में ही एडजस्ट करना चाहते हैं. आप दोनों के बीच टकराव होने का एक सबसे बड़ा कारण आपके पार्टनर की बेईमानी भी हो सकती है. यदि आपके रिश्ते में भी बहुत समस्याएं हैं और आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है तो आपको यह वह कारण जरूर पता होने चाहिए जिनकी वजह से आपका पार्टनर आप में रुचि खो चुका है.

रुचि खो जाने के कारण

1. कुछ अजीब घटना का होना : यदि आपके पार्टनर की जिंदगी में कुछ अजीब तरह की घटना घटती है तो उनकी स्ट्रैस कहीं अधिक बढ़ जाती है. इस वजह से भी वह आप से दूर रहने लगते हैं. आपको यह भी महसूस होगा कि वह अपने रिश्ते को ज्यादा समय नहीं दे रहे हैं. इस समय आपको शांत रह कर अपने पार्टनर का साथ देना चाहिए न कि उनके इस बरताव के कारण उनके साथ लड़ना झगड़ना चाहिए.

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2. जब आप किसी अन्य चीज में व्यस्त हो जाती हैं : यदि आप अपने पार्टनर को छोड़ कर किसी और चीज में व्यस्त हो जाती हैं तो इससे आपके पार्टनर का मूड बहुत ही खराब हो जाती है. उन्हें भी पता है कि आप एक सीरियस रिश्ता चाहती हैं परन्तु बात बात पर उनसे बहस व शिकायत न करें. उनको समय दें.

3. आपकी सोशल मीडिया की आदत : यदि आप सोशल मीडिया की ज्यादा आदी हैं और अपनी हर चीज किसी सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर करना पसंद करती हैं तो यह आपके रिश्ते पर प्रभाव डाल सकता है. हो सकता है आपके पार्टनर को यह बात बिल्कुल भी पसंद न हो क्योंकि आप उनको समय देने की बजाए हर समय मोबाइल पर लगी रहती है.

 4. आपका गुस्सा : यदि आपको बात बात पर बहुत गुस्सा आता है तो इससे आपका रिश्ता खराब हो सकता है. पुरुषों को महिलाओं का गुस्सा करना ज्यादा पसंद नहीं होता है. इसलिए खुद को जितना हो सके उतना शांत रखें. ज्यादा भड़कने व हर बात पर गुस्सा करने से आपका रिश्ता खत्म हो सकता है.

5. बीच में ज्यादा अपनी फैमिली को न घुसाएं : आपके पार्टनर के लिए उनकी फैमिली बहुत ही जरूरी होती है लेकिन वह हर समय अपने परिवार से जुड़ कर नहीं रह सकते और इसी चीज की वो आपसे भी उम्मीद करते हैं. आपकी फैमिली से अलग भी एक दुनिया है. इसलिए हर बात में फैमिली को न घुसाए.

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6. यदि आपका कोई कैरियर प्लान नहीं है : यदि आप अपने कैरियर के प्रति सचेत नहीं है और हर बात के लिए अपने पार्टनर पर डिपेंड रहती है तो यह बात भी आपके पार्टनर को चिड़चिड़ा बना सकती है. क्योंकि पुरुषों को ऐसी महिलाएं पसंद होती हैं जिनका अपनी जिंदगी में कुछ करने का एक लक्ष्य होता है.

7. आत्मनिर्भर बने : पुरुषों को हर समय वह लड़कियां पसंद नहीं होती जो अपने आपको एक राजकुमारी मानती हैं और अपने पार्टनर से यह उम्मीद रखती हैं कि वो उनको बिल्कुल नाजुकता से पेश आएं. अपने पार्टनर पर निर्भर होने की बजाए खुद को आत्मनिर्भर बनाए. पुरुषों को आत्मनिर्भर लड़कियां अधिक पसंद होती हैं.

क्या आपको किसी ने धोखा दिया है? जानें ऐसा क्यों हुआ आपके साथ

धोखा देना आजकल बहुत आम बात हो गई है आपके साथ भी किसी ने धोखा किया है या आपके साथ कोई धोखा कर रहा है. लोग आपके साथ धोखा क्यों करते हैं. अगर किसी ने आपको एक बार धोखा दिया है तो वो व्यक्ति आपको बार बार भी धोखा दे सकता है. धोखा खाने के बाद हम टूट जाते हैं जल्दी से किसी पर भरोसा भी नही कर पाते हैं.

1. वो आपसे क्या चाहते हैं क्या वो उन्हें मिल गया 

बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों का इस्तेमाल करते हैं. जो आपके साथ खुद का काम निकलवाने के लिए होते हैं. अगर आपने उनको जो वो चाहते है वो सब कुछ दे दिया है तो आपके साथ धोखा हो सकता है.क्योंकि व्यक्ति धोखा तभी देता है जब उसकी सभी जरूरत पूरी हो जाती है.

2. वे किसी और के साथ है

जब किसी ने आपको धोखा दिया है तो हो सकता है वह किसी और के साथ हो.जब व्यक्ति को कोई दूसरा साथी मिल जाता है.और आप उनको बोरिंग लगने लगते हो तो वो आपके सम्पर्क में कम ही रहता है और इस समय आप उनके साथ अच्छे सम्बन्ध नही बना पाते है तो वो किसी और के पास चला जाता है और आपको धोखा मिल जाता है.

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3. वे किसी चिंता में रहते हैं

चिंता वो लोग भी कर सकते हैं जो आपको दिखाना चाहते हैं कि वो आपके साथ खुश नही है.आपसे प्यार कैसे करेंगे वो एक रिश्ते में बंधे हुए नही रहना चाहते हैं इस बात की भी उनको चिंता हो सकती है.इस स्थिति में भी आपको धोखा मिल सकता है.

4. वे भावनात्मक रूप से मच्योर नही है 

जो आपके साथ साथ जीने मरने का वादा करते हैं और बाद में आपको भूला देते हैं. या हमेशा आपके साथ हर स्थिति में खड़ा रहने की बात करते हैं और खड़े नही होते. आपके साथ वादे करके भूल जाते हैं. ऐसे व्यक्ति भावनाओं में बह कर आपसे वादे कर देते हैं लेकिन उनको पूरा नही कर पाते. इस स्थिति में भी आपको धोखा मिल सकता है.

वे अपने किसी पर्सनल काम से जा रहे हैं

वैसे तो यह बहुत कम होता है पर जब आपकी किसी से बात होनी शुरू हो जाती है और धीरे धीरे बात आगे बढ़ती है तब आपके साथी के किसी करीबी के साथ कुछ हो जाता है और उस समय वो आपको इग्नोर करते हैं. तो आपको बुरा नही मानना चाहिए क्योंकि उस समय वो दुखी होते हैं और भावनाओं में बह जाते हैं.उनकी स्थिति ठीक होने के बाद आपको उन्हें एक मौका और देना चाहिए इस से आपके बीच प्यार पहले से ज्यादा भी हो सकता है.

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अकेली पड़ी इकलौती औलाद

किरत अपने मातापिता की इकलौती औलाद है. उस की उम्र करीब 6 साल है. 6 साल पहले सब ठीक था. वह खुश थी अपने मातापिता के साथ. जब जो चाहती वह मिल जाता. भई, सबकुछ उसी का तो है. पिता पेशे से इंजीनियर हैं. मां मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती हैं. लिहाजा, कमी का तो कहीं सवाल नहीं था, लेकिन इन दिनों किरत कुछ बुझीबुझी से रहने लगी. चिड़चिड़ापन बढ़ने लगा. इतवार के दिन मातापिता ने अपने पास बिठाया और पूछा तो किरत फफक पड़ी.

किरत ने बताया कि उस के दोस्त हैं, लेकिन घर पर कोई नहीं है. न भाई न बहन. सब के पास अपने भाईबहन हैं लेकिन वह किस को परेशान करेगी. किस के साथ खाना खाएगी. किस के साथ सोएगी. किरत ने जो बात कही वह छोटी सी थी लेकिन गहरी थी.

ये परेशानी आज सिर्फ किरत की नहीं है, शहरों में रहने वाले अमूमन हर घर में यही परेशानी है. जैसेजैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं वैसेवैसे वे अकेलापन फील करने लगते हैं. मातापिता कामकाजी हैं. बच्चे मेड या फिर दूसरे लोगों के भरोसे बच्चे छोड़ देते हैं. लेकिन बच्चे धीरेधीरे अकेलापन महसूस करने लगते हैं. सवाल कई हैं. क्या हम भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों को अकेला छोड़ रहे हैं? क्या हम बच्चों से अपने रिश्ते छीन रहे हैं? क्या हम बच्चों से उन का बचपन छीन रहे हैं?

पहले से अलग है स्थिति

पिछली पीढ़ी के आसपास काफी बच्चे हुआ करते थे. खुद उन के घर में भाईबहन होते थे. पूरा दिन लड़नेझगड़ने में बीत जाता था. खेलकूद में वक्त का पता नहीं चलता था. कब पूरा दिन निकल गया और कब रात हो जाती थी, होश ही नहीं रहता था. चाचाचाची, ताऊताई, दादादादी कितने रिश्ते थे. हर रिश्ते को बच्चे पहचानते थे लेकिन अब स्थिति एकदम अलग है. अब बच्चे अकेलापन फील करने लगे हैं. न तो उन्हें रिश्ते की समझ है न ही खेलकूद के लिए घर में कोई साथ. स्कूल के बाद ट्यूशन और फिर टीवी बस इन्हीं में बच्चों की दुनिया सिमट कर रह गई है.

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क्या है वजह

इस की सब से बड़ी वजह यह है कि मातापिता एक बच्चे से ही खुश हो जाते हैं. अब पहले की तरह भेदभाव नहीं होता. लड़का हो या लड़की, मातापिता दोनों को समान तरीकों से पालतेपोसते हैं. पहले एक सामाजिक व पारिवारिक दबाव था लड़का पैदा करने का, इसलिए काफी बच्चे हो जाते थे. ये तो अच्छी बात है कि समाज धीरेधीरे उस दबाव से निकल रहा है लेकिन इसी ने अब बच्चों को अकेला कर दिया है. दूसरी सब से बड़ी वजह यह है कि मातापिता के पास वक्तकी कमी है.

दरअसल, अब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हैं. इसलिए बच्चा पैदा करना मातापिता झंझट समझते हैं. सोचते हैं कौन पालेगा, टाइम नहीं है, एक बच्चा ही काफी है, महंगाई बहुत है, एजुकेशन काफी ज्यादा महंगी होती जा रही है. और भी कई ऐसी बातें हैं जिस के चलते मातापिता दूसरा बच्चा करने से बचते हैं. महिलाओं को लगता है कि अगर दूसरा बच्चा हो गया तो वे अपने कैरियर को वक्त नहीं दे पाएंगी. लिहाजा, बच्चे अकेले रह जाते हैं. कई बार बच्चे मातापिता से शिकायत तो करते हैं लेकिन तब तक काफी देर हो जाती है. उम्र बढ़ने लगती है. कई बार बढ़ती उम्र के कारण महिलाएं मां नहीं बन पातीं. कई तरह के जटिलताएं आ जाती हैं.

जरूरी है बच्चों को मिले रिश्ते

बच्चों से उन के रिश्ते मत छीनिए. पहले बच्चे के कुछ साल बाद दूसरा बच्चा करने की कोशिश कीजिए, ताकि बच्चे आपस में खेल सकें. एकदूसरे के साथ बड़े हो कर बातें और चीजें शेयर कर सकें. कई बार इकलौता बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है. चीजें शेयर नहीं करता. अपनी चीजों पर एकाधिकार जमाने लगता है जिस के चलते मातापिता परेशान हो जाते हैं. ये स्थिति उन घरों में ज्यादा होती है, जहां बच्चे अकेले होते हैं. अगर एक भाई या बहन हो तो बच्चे शेयर करना आसानी से सीख जाते हैं. बच्चों को रिश्तों की समझ होने लगती है. एकदूसरे की परेशानी समझने लगते हैं.

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अगर आप भी इस तरह की परेशानी से गुजर रही हैं और रहरह कर आप का बच्चा आप से शिकायत करता है तो वक्त रहते संभल जाइए. बच्चों को उन का रिश्ता दीजिए, ताकि वह भी अपना बचपन जी सकें. थोड़ा लड़ सकें, थोड़ा प्यार कर सकें, थोड़ा प्यार पा सकें. अपनी चाहतों के चक्कर में या फिर कैरियर के लिए बच्चों से उन का बचपन न छीनिए वरना कोमल कली खिलने से पहले ही मुरझा जाएगी.

लड़की में क्या-क्या ढूंढ़ते हैं लड़के 

विश्वास पिछले 3 वर्षों से अपनी बेटी सोनिया की शादी के लिए लड़का देख रहे हैं. दर्जनों लड़के इन वर्षों के दौरान सोनिया को देखने आए और अच्छीभली लड़की को रिजैक्ट कर के चले गए. चार्टर्ड अकाउंटैंट का कोर्स खत्म करने के बाद जब सोनिया की शादी की बात चलनी शुरू हुई थी, तो सोनिया कैसे शरमाईलजाई, मगर खुश दिखती थी. उस की सारी सहेलियों की शादी हो चुकी थी. मगर उस की जिद थी कि सीए की पढ़ाई पूरी कर के ही शादी करेगी. पढ़ाई पूरी होते ही उस के मातापिता ने उस के लिए लड़का ढूंढ़ना शुरू कर दिया था. तमाम लड़के देखे, कितने परिवार उस के घर भी आए और कई बार पब्लिक प्लेसेज पर भी सोनिया की दिखाई हुई. मगर बात बनी नहीं.

लड़के वाले कोई न कोई नुक्स निकाल कर रिश्ता करने से मना कर देते थे. इन बीते 3 सालों में बारबार रिजैक्ट होने के चलते सोनिया हताश हो गई है, मुर झा सी गई है, अवसादग्रस्त होने लगी है. अब तो कोई उस को देखने आता है तो बड़े अनमने ढंग से तैयार हो कर सामने जाती है. उस का व्यवहार भी रूखा होता जा रहा है. उस के मातापिता बेटी की इस हालत से काफी चिंतित हैं. ‘पता नहीं इस की शादी होगी या नहीं, पता नहीं लड़की में कोई दोष न निकाल दे, पता नहीं किसी ने जलन में कोई टोनाटोटका करवा दिया हो,’ इन आशंकाओं से घिरे अब वे पंडितोंबाबाओं के चक्कर लगाने लगे हैं. इस चक्कर में जहां उन की जमापूंजी उड़ रही है, वहीं सोनिया का व्यवहार इन सब बातों से और ज्यादा नैगेटिव होता जा रहा है. वह सोचती है कि उस ने थ्रूआउट फर्स्ट डिविजन में अपनी पढ़ाई पूरी की, दिखने में भी ठीकठाक है, कल को अच्छी नौकरी भी करेगी, फिर भी कोई उस से शादी के लिए हां क्यों नहीं बोल रहा है?

पहले जहां लड़के को ले कर सोनिया की अपनी कुछ चौइसेस थीं कि लड़के में यह होना चाहिए, वह होना चाहिए, वहीं अब बारबार ठुकराए जाने व अपने मातापिता की गहरी होती चिंताओं को देख कर वह सोचती है कि कोई भी, कैसा भी लड़का हो, चलेगा. बस, कोई हां तो कर दे.

दरअसल, सोनिया एक सीधीसरल लड़की है. वह दिखावे में कतई विश्वास नहीं करती है. वह सोचती है जैसी वह है, बस वैसी ही कोई उस को पसंद कर ले. इसलिए जब भी लड़के वाले आते हैं तो वह शालीन मगर साधारण तरीके से तैयार हो कर उन के सामने प्रस्तुत होती है. सोनिया सम झ नहीं रही है कि यह डिजिटल युग है. हर आदमी रंगीन परदे की चमक और ग्लैमर को अपने स्मार्टफोन में समेटे घूम रहा है. दिनरात उन तसवीरों से अपनी आंखें सेंकता है, सपने बुनता है. उस ग्लैमर में वह इतना रचबस गया है कि वास्तविक, सरल और साधारण चीजें उस को फूहड़ व पिछड़ी नजर आती हैं. आजकल लड़के ही नहीं, वरन उन के मांबाप भी होने वाली बहू में कुछ एक्सट्राऔर्डिनरी खूबियां तलाशते हैं, भले वे आर्टिफिशयल क्यों न हों.

दरअसल, सोनिया के रिजैक्शन की बड़ी वजह है उस की हाइट और साधारण तरीके से एक चोटी में गुंथे उस के बाल. सोनिया 5 फुट 2 इंच लंबी है. आमतौर पर भारत में लड़कियां इसी लंबाई की ही होती हैं. मगर ज्यादातर लड़कियां हाईहील में खुद को और लंबा शो करती हैं और लड़के उन की इस हाइट पर फिदा हो जाते हैं. वहीं, सोनिया ने आज तक हाईहील ट्राई ही नहीं की. वह साड़ी के नीचे भी फ्लैट चप्पल या सैंडल ही पहनती है. अपने घने, लंबे और चमकीले बालों को वह हमेशा एक चोटी में गूंथ कर रखती है. जबकि, फैशन है खुलेलहराते बालों का. यही कुछ छोटेमोटे कारण हैं कि लड़के वाले सोनिया को रिजैक्ट कर के चले जाते हैं.

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कोई लड़का जब शादी के लिए लड़की देखने को निकलता है तो आमतौर पर वह 4-5 चीजें अपनी होने वाली बीवी में देखना चाहता है. पहली नजर में वह कुछ बातें नोटिस करता है और अगर आप उन बातों में मात खा जाएं तो आप को रिजैक्ट होने में देर नहीं लगेगी. क्या कभी आप ने सोचा है कि पहली मुलाकात में पुरुष आप के बारे में क्या सोचते हैं? वे आप को किस रूप में देखते हैं?

किसी ने कहा है, ‘ह्यूमन बींग्स आर विजुअल बींग्स’ यानी जिन लोगों से हम मिलते हैं, उन के शारीरिक हावभाव पर हमारा ध्यान सब से पहले जाता है और यह बहुत स्वाभाविक है कि जब हमें वह व्यक्ति शारीरिक रूप से आकर्षित करता है, तभी बात आगे बढ़ती है, अन्यथा वहीं खत्म हो जाती है. आप की पढ़ाईलिखाई, गुण, आदतें, विचार, पैसा, बैंक बैलेंस ये सब तो बहुत बाद की बातें हैं.

लड़के जब पहली बार किसी लड़की से मिलते हैं तो उन की कुछ शारीरिक बातों की तरफ ही सब से ज्यादा आकर्षित होते हैं. जी हां, यह बात सुनने में जरूर अटपटी लग सकती है, लेकिन सच है. लड़के कुछ बेहद छोटीछोटी बातों को नोटिस करते हैं और इन्हीं बातों पर उन की हां या न टिकी होती है. आप की शानदार उपस्थिति के अलावा, आप की सम झदारी, बौडी लैंग्वेज, मुसकान, आंखें, लंबाई यहां तक कि पुरुष आप के बालों को भी नोटिस करते हैं. पहली बार लड़की देखने जा रहे लड़के मन ही मन इन्हीं चीजों को सोचते हैं. हालांकि, वे कभी बताते नहीं हैं. हम आप को बताते हैं वो बातें, जो लड़की देखने जा रहा लड़का जरूर नोटिस करता है. अगर आप भी इन बातों का खयाल रखें तो मजाल है कि कोई आप को रिजैक्ट कर दे.

आप की लंबाई

अधिकांश लड़के उन लड़कियों से दूर भागते हैं जो उन से बहुत ज्यादा लंबी या छोटी होती हैं. पहली मीटिंग में लड़के ज्यादातर लड़कियों की हाइट पर ध्यान देते हैं. लड़के उन्हीं लड़कियों की तरफ सब से ज्यादा आकर्षित होते हैं, जिन की लंबाई उन के समान हो या लड़की कम से कम उन की गरदन तक तो जरूर हो. इसलिए शादी के लिए लड़के वाले आ रहे हों तो लड़के की हाइट पहले से पता कर लें और उसी के मुताबिक हाईहील सैंडल का चुनाव कर के खुद को तैयार करें. अगर लड़के की हाइट कम है तो हाईहील हरगिज न पहनें क्योंकि लड़के कभी भी यह नहीं चाहते कि लड़की की लंबाई उन से ज्यादा निकली हुई हो. हालांकि, इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि लंबी लड़कियों की तरफ लड़के आकर्षित नहीं होते या छोटी हाइट वाली लड़कियां उन्हें नहीं भातीं, लेकिन यह पूरी तरह सभी की पसंदनापसंद पर निर्भर करता है.

आप की मुसकान

किसी ने ठीक ही कहा है कि एक खूबसूरत मुसकान किसी का भी दिल जीत सकती है. जी हां, जो लड़कियां मुसकराती हैं, उन्हें काफी आकर्षक माना जाता है. शायद यही एक कारण भी है कि ऐसी लड़कियों से लड़कों को बात करने में काफी आसानी होती है. ऐसे में अगर आप को लड़के वाले देखने आ रहे हैं तो अपनी मुसकान के साथ पर्सनैलिटी का भी ध्यान रखें. न बहुत ज्यादा मुसकराएं और न होंठ सी कर बैठें. आप के चेहरे की लज्जाशील मुसकराहट किसी का भी दिल जीत लेगी, इसलिए हलकी मुसकान जरूर ओढ़े रहें.

आप की आंखें

आप एक व्यक्ति की आंखों में देख कर उस के बारे में बहुतकुछ पता लगा सकते हैं. यही नहीं, आंखें एक चुंबक की तरह हैं जो किसी भी अजनबी को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती हैं. ऐसे में ज्यादातर लड़के एक लड़की की आंखों में देखने का जरूर प्रयास करते हैं. वे बातचीत के दौरान आप की आंखों में देख कर यह जानने की कोशिश करते हैं कि आप उन को कैसा फील कर रही हैं. आप की आंखों में उन के लिए प्यार और विश्वास है कि नहीं. ऐसे में बाकी बौडी पार्ट्स की तरह अपनी आंखों पर भी विशेष ध्यान दें. आप की आंखें छोटीबड़ी जैसी भी हों, उन्हें मेकअप के जरिए थोड़ा और आकर्षक बनाएं. काजल, मसकारा और आई लाइनर ये तो अब रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें हैं, इन से परहेज न करें. आंखों को साफ भी रखें. ऐसा न हो कि उन से बात करतेकरते आप की आईज के साइड बट्स पर जमा मैल उन को नजर आ जाए और बनती बात बिगड़ जाए.

आप की ड्रैसिंग स्टाइल

यह आप को थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन ऐसा सच है कि लड़के ज्यादातर लड़कियों को उन की ड्रैसिंग स्टाइल से भी जज करते हैं. हालांकि, इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप ने फर्स्ट मीटिंग में इंप्रैस करने के लिए एक सुपर हौट ड्रैस चुन ली या जो ड्रैस आप ने चुनी है उस का रंग आप के टैक्सचर पर बिलकुल भी सूट न करे. ऐसे में वहां बात बनने से पहले ही बिगड़ जाएगी.़

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हर लड़की को पता होता है कि उस पर सब से ज्यादा कौन सा रंग खिलता है. कौन से कलर में उस का शरीर आकर्षक दिखता है. तो जिस रंग को ले कर आप पहले से कौन्फिडैंट हैं, उसी रंग की पोशाक ट्राई करें. किसी और के कहने पर भड़काऊ रंग के कपड़े न पहनें. जिस के बारे में आप को पहले से पता है कि यह कलर आप को सूट करता है तो उस में आप का आत्मविश्वास जागेगा, जो आप की बौडी लैंग्वेज में भी पता चलेगा और आप की आंखों से भी छलकेगा.

इस बात को गांठ बांध लीजिए कि एक आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति सब से अधिक आकर्षक लगता है. यदि आप फुल कौन्फिडैंस के साथ बातचीत करती हैं या उन की हर बात का बेबाक तरीके से जवाब देती हैं तो आप की बात बननी पक्का है, कोई कैसे आप को रिजैक्ट कर सकता है.

पैसा रिश्तों में खटास की पहली वजह

किसी भी रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी होता है आपसी प्यार और विश्वास. जबकि पैसा आपसी प्यार और विश्वास पर चोट करता है, एकदूसरे के प्रति शक और दूरियों की वजह बनता है. तभी तो किसी भी रिश्ते के बीच अगर पैसा आ जाए तो समझिए रिश्तों में खटास का सिलसिला शुरू हो गया.

1. संबंधों पर पड़ता है प्रभाव

दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट के वकील आलोक शर्मा का मानना है कि पैसा किसी भी मजबूत रिश्ते को कमजोर बना सकता है. वे कहते हैं, ‘‘पैसा शुरू से ही व्यक्ति की कमजोरी रहा है. यह पैसा ही है, जिस के लालच में व्यक्ति अपनों से भी विश्वासघात करने में कोई गुरेज नहीं करता.

‘‘बुजुर्ग मांबाप खुद के घर से बेटे द्वारा बेदखल किए जाने के बाद जब न्याय की आस लिए कोर्ट की शरण में आते हैं, तो पता चलता है कि पैसा किस तरह रिश्तों में खटास की वजह बनता है. कोर्ट में आएदिन लोग चैक बाउंस का केस दायर करने भी आते हैं और बताते हैं कि किस तरह उन्होंने मुसीबत के वक्त अपने करीबी को पैसे दिए और जब लौटाने की बारी आई तो विश्वासघात के शिकार बन बैठे. कल तक जिस रिश्ते में शहद घुला रहता था, पैसे के लेनदेन के कारण उस में खटास आ जाती है और बात कोर्टकचहरी तक पहुंच जाती है.’’

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2. खुद का विवेक जरूरी

ऐसे में सवाल यह उठता है कि पैसा और रिश्ते में से किसे ज्यादा अहमियत देनी चाहिए? मनोचिकित्सक समीर पारीख कहते हैं, ‘‘पैसों को ज्यादा अहमियत देना रिश्तों में दूरी की वजह बनता है. जब किसी विषम परिस्थिति में कोई दोस्त या नजदीकी रिश्तेदार पैसा उधार मांगे और पास में पैसे हों तो इनकार करना मुश्किल होता है. अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति के लिए पैसा ज्यादा अहमियत रखता है या रिश्ता? हां, इस में कोई दोराय नहीं कि जो व्यक्ति सिर्फ पैसे को अहमियत देता है उस का जीवन और समाज को देखने का नजरिया बदल जाता है. मगर वक्त और परिस्थिति के मुताबिक पैसों का लेनदेन किसी व्यक्ति को खुद के विवेक से करना चाहिए.’’

वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट के. एल. चांडक के विचार अलग हैं. वे मानते हैं कि पैसा रिश्तों में खटास की वजह हो सकता है पर यह खटास तब होती है जब नीयत में खोट आ जाए अथवा पैसे के लिए मन ही बदल जाए. कभीकभी परिस्थितियां अनुकूल नहीं होतीं. हाथ में पैसे नहीं हों तो कर्ज लौटाने या चुकता करने में वक्त लगता है, इसलिए थोड़ा धैर्य रखना भी जरूरी होता है. मगर जब आप का कोई खास आप से थोड़े पैसे उधार मांगे तो देने से पहले यह सोच लेना बेहतर होगा कि अगर दिए पैसे वापस आ गए तो ठीक वरना जिस समय दें मान कर चलें कि वापस नहीं होंगे. इस से रिश्ते मधुर बने रहेंगे.

समीर पारीख कहते हैं, ‘‘देखिए, रिश्तों में खटास की वजह अगर पैसा बने तो इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि ऐसी नौबत ही न आए. इस के लिए खुद को न सिर्फ फाइनैंशियल बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाएं.’’

3. खास वजहों का भी रखें ध्यान

– पैतृक संपत्ति की वजह से नीयत में खोट आ जाने से रिश्तों में खटास पैदा हो जाती है.
– पत्नी द्वारा फुजूलखर्च और पति पर पैसे के लिए दबाव खटास की वजह बनता है.
– दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ पैसे के लेनदेन से विवाद बढ़ता है और रिश्तों में खटास आ जाती है.

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4. क्या करें

– जितनी लंबी चादर उतने ही पांव फैलाने की नीति पर अमल करें.
– लालची रिश्तेदारों, दोस्तों से दूरी बनाए रखें.
– बजट का सही मैनेजमैंट आप को दूसरों से कर्ज लेने से रोक सकता है.
– इंश्योरैंस पौलिसी अथवा बैंक की बचत संबंधी स्कीम का लाभ उठाएं.
– अगर कर्ज लेनेदेने की आवश्यकता पड़े तो भी इस में धैर्य का होना जरूरी है. संयम खोने से पैसा और रिश्ता दोनों से ही हाथ धो सकते हैं.

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