जानें क्या है बच्चों में होने वाला Hyperactivity Disorder

ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआर्डर) एक मानसिक विकार और दीर्घकालिक स्थिति है जो लाखों बच्चों को प्रभावित करती है और अक्सर यह स्थिति व्यक्ति के वयस्क होने तक बनी रह सकती है. एडीएचडी के साथ जुड़ी प्रमुख समस्याओं मे ध्यानाभाव (ध्यान की कमी), आवेगी व्यवहार, असावधानी और अतिसक्रियता शामिल हैं. अक्सर इससे पीड़ित बच्चे हीन भावना, अपने बिगड़े संबंधों और विद्यालय में खराब प्रदर्शन जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं. माना जाता है कि ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार अनुवांशिक रूप से व्यक्ति मे आता है. जिस घर-परिवार में तनाव का माहौल रहता है और जहां पढ़ाई पर अधिक जोर देने की प्रवृत्ति रहती है वहां यह समस्या अधिक होती है. रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग 1.6% से 12.2% तक बच्चों में एडीएचडी की समस्या पाई जाती है.

आईएमए के अध्यक्ष डा. के.के. अग्रवाल ने कहा कि एडीएचडी वाले बच्चे बेहद सक्रिय होते हैं और इस रोग से पीड़ित ज्यादातर बच्चों में व्यवहार की समस्या (बिहेवियरल प्राब्लम्स) देखने को मिलती है. इसलिए उनकी देखभाल करना और उन्हें कुछ सिखाना बेहद मुश्किल हो जाता है. यदि इस कंडीशन को शुरू में ही काबू न किया जाए तो यह बाद में समस्याएं पैदा कर सकती हैं.

एडीएचडी की समस्या ज्यादातर प्री-स्कूल या केजी तक के बच्चों में होती है. कुछ बच्चों में किशोरावस्था की शुरुआत में भी स्थिति खराब हो सकती है. यह व्यस्कों में भी हो सकता है. हालांकि एडीएचडी का स्थायी उपचार नहीं है, फिर भी उपचार से इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. एडीएचडी का उपचार मनोवैज्ञानिक परामर्श, दवायें, एजुकेशन या ट्रेनिंग से भी किया जा सकता है.

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एडीएचडी के लक्षणों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है- ध्यान न देना, जरूरत से अधिक सक्रियता और असंतोष.

एडीएचडी वाले बच्चों को इस तरह संभालें

यदि ऐसा दिखे कि बच्चा आपा खो रहा है, तो उस पर ध्यान दें और उसे किसी अन्य एक्टिविटी में बिजी कर दें.

दोस्तों को घर बुलाएं. इससे बच्चे को लोगों से मिलने-जुलने में आसानी होगी, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि बच्चा स्वयं पर से नियंत्रण न खोएं.

अपने बच्चे को अच्छी नींद लेने दें.

शिक्षा, सपोर्ट और क्रिएटिविटी (रचनात्मकता) से एडीएचडी से पीड़ि‍त बच्चों को संभालने में मदद मिलती है. एडीएचडी से पीड़ि‍त बच्चों की बुद्धि या क्षमता का सही से पता नहीं चल पाता, ऐसे में बच्चे की शक्तियों का पता लगाना चाहिए और बेहतर परिणामों के लिए उनकी क्षमताओं पर ध्यान देंना भी आवश्यक है.

आप उन्हे समय देकर और उनकी हर चीज टाइम टेबल के हिसाब से करके सम्हलने में उनकी मदद कर सकती है.

अच्छे काम पर तारीफ करने से या इनाम देने से भी बच्चे के व्यवहार को पाजिटिव किया जा सकता है.

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खाद्य पदार्थों के साइड इफैक्ट्स

एलर्जी का भले ही कोई स्थायी इलाज न हो, लेकिन जिन खानेपीने की चीजों से एलर्जी हो उन से बच कर त्वचा की एलर्जी से बचा जा सकता है.

खाद्य एलर्जी के लक्षण बच्चों और शिशुओं में बड़ी आम बात है, लेकिन ये किसी भी उम्र में दिख सकते हैं. संभव है कि जिन खाद्य पदार्थों को आप वर्षों तक बिना किसी समस्या के खाते रहे हों, अचानक ही अब उन से आप को एलर्जी हो जाए.

आप के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आप के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले सभी संक्रमणों व अन्य खतरों से लड़ कर आप को स्वस्थ रखती है. जब आप की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी खाद्य पदार्थ या उस में मौजूद किसी तत्त्व की पहचान किसी खतरे के रूप में कर उस के लिए सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया करती है तो खाद्य एलर्जी प्रतिक्रिया का मामला सामने आता है.

खाद्य पदार्थों से एलर्जी

भारत में करीब 3 प्रतिशत वयस्क और 6-8 प्रतिशत बच्चे खाद्य पदार्थ यानी फूड एलर्जी के शिकार हैं. वैसे, किसी को किसी भी चीज से एलर्जी हो सकती है, लेकिन कुछ विशेष खाद्य पदार्थों जैसे गेंहू, राई, बाजरा, मछली, अंडे, मूंगफली, सोयाबीन दूध से बने उत्पाद, सूखे मेवे प्रमुख हैं. कई लोगों को बैगन, खीरा, भिंडी और पपीता से भी एलर्जी होती है.

लक्षण

– उलटी व दस्त होना. भूख न लगना.

– मुंह, गले, आंखों, त्वचा व शरीर के दूसरे हिस्सों में खुजली होना.

– पेट में दर्द और मरोड़ होना.

– रक्त का दबाव कम हो जाना.

– श्वासमार्ग अवरुद्ध हो जाना.

– दिल की धड़कनें तेज होना.

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हल्के में न लें

खाद्य एलर्जी के लक्षण हलके से ले कर गंभीर तक हो सकते हैं. सिर्फ इसलिए यह मान लेना कि शुरुआत में छोटीमोटी समस्या हुई थी तो बाद में वही खाद्य एलर्जी बड़ी समस्या खड़ी नहीं करेगी, गलत है. हो सकता है कि जिस खाद्य पदार्थ की वजह से पहली बार हलके लक्षण ही दिखें, अगली बार उस के गंभीर दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं.

एनाफाइलैक्सिस सभी एलर्जी की प्रतिक्रियाओं में सब से गंभीर है. पूरे शरीर में होने वाली एलर्जी की प्रतिक्रिया जान को जोखिम में डालने वाली होती है. यह आप के श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है. इस में रक्तचाप में अचानक बहुत कमी आ सकती है तथा यह आप की हृदय गति को भी प्रभावित कर सकती है. एलर्जी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन के चंद मिनटों में ही एनाफाइलैक्सिस की स्थिति सामने आ सकती है. इस में मौके पर इपिनैफ्रिन (एंड्रेनालाइन) की सूई के जरिए तुरंत इलाज किया जाना चाहिए.

यद्यपि कोईर् भी भोजन ऐसी प्रतिक्रिया का कारक सिद्घ हो सकता है. 90 प्रतिशत ऐसी प्रतिक्रियाओं के लिए मुख्यतया 8 प्रकार के भोज्य पदार्थ जिम्मेदार माने जाते हैं जिन में अंडा, दूध, मूंगफली, मेवे, मछली, शेलफिश या सीपियां, गेहूं, सोया आदि शामिल हैं.

एलर्जी की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप त्वचा, गैस्ट्रोइंटस्टाइनल ट्रैक्ट (पेट की नलियां व आंत), हृदय प्रणाली व श्वसन तंत्र प्रभावित हो सकते हैं. इस का असर हलके से गंभीर तक हो सकता है.

खाद्य पदार्थ पेट में पहुंचने के 2 घंटे के भीतर ज्यादातर खाद्य संबंधी लक्षण सामने आ जाते हैं, कई बार ये चंद मिनटों में दिखने लग जाते हैं. कुछ बहुत ही दुर्लभ मामलों में ऐसी प्रतिक्रियाएं 4 से 6 घंटों में होती हैं या उस से भी ज्यादा समय ले सकती हैं. देरी से होने वाली ऐसी प्रतिक्रियाएं ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती हैं, जिन में खाद्य एलर्जी के परिणामस्वरूप एक्जिमा जैसे लक्षण नजर आते हैं.

एक अन्य प्रकार की देरी से सामने आने वाली खाद्य एलर्जी फूड प्रोटीन-इंड्यूस्ड एंटेरोकोलाइटिस सिंड्रोम की वजह से होती है. यह पेट व आंत में होने वाली एक घातक प्रतिक्रिया है, जो सामान्यतया दूध, सोया, कुछ खास अनाज व अन्य ठोस खाद्य पदार्थों के सेवन के 2 से 6 घंटों के बाद सामने आती है. दूध छुड़ाने के क्रम में या पहली बार उपरोक्त खाद्य के संपर्क में आने के बाद अकसर छोटे शिशुओं में ऐसी एलर्जी देखने को मिलती है. इस एलर्जी की स्थिति में बारबार उलटी आती है. यह निर्जलीकरण यानी डीहाइड्रेशन का रूप ले सकती है.

एक ही समूह के विभिन्न पदार्थों के लिए एलर्जी की जांच नहीं होती. कई बार जांच के परिणाम पौजिटिव आते हैं, इन से सिर्फ इस बात का ही पता लग पाता है कि एक समूह के अलगअलग खाद्य पदार्थ किसी खास जांच के परिणाम को कैसे प्रभावित करते हैं. जांच का नैगेटिव परिणाम एजर्ली को नकारने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण सिद्घ हो सकता है.

संभव है कि आप ने कोई ऐसी चीज न खाई हो, जिस के प्रति आप की जांच के परिणाम पौजिटिव आए हैं, लेकिन ऐसे परिणाम की वजह उस से बनी हुई या संबंधित अन्य चीज हो सकती है, जिसे आप ने किसी न किसी रूप में लिया हो. कोई खाद्य पदार्थ आप के लिए खतरनाक है या नहीं, ओरल फूड चैलेंज इस का पता लगाने का सब से बेहतरीन तरीका है.

जांच जरूर करवाएं

जितनी बार एलर्जी के लिए जिम्मेदार संभावित खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाता है, खाद्य एलर्जी को उत्प्रेरित करने वाली प्रतिक्रिया सामने आती है. इस के लक्षण अलगअलग व्यक्तियों में भिन्न हो सकते हैं. यह भी जरूरी नहीं है कि आप में भी हर बार एकजैसे लक्षण ही दिखें. खाद्य एलर्जी का असर आप की त्वचा, श्वसन तंत्र, जठरांत्र (पेट व आंत) संबंधी मार्ग व हृदय प्रणाली पर दिख सकता है.

हालांकि किसी भी उम्र में खाद्य एलर्जी की समस्या सामने आ सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में बचपन में ही इस के लक्षण नजर आ जाते हैं. अगर आप खाद्य एलर्जी को ले कर आशंकित हैं तो किसी एलर्जी विशेषज्ञ के पास जाएं, जो आप के परिवार के इतिहास से अवगत होने के बाद जरूरी जांच की सलाह देंगे और परिणाम के आधार पर खाद्य एलर्जी के बारे में फैसला लेंगे.

स्किन प्रिक टैस्ट के जरिए 20 मिनट में परिणाम का पता लगाया जा सकता है. थोड़ी मात्रा में खाद्य एलर्जी (फूड एलर्जन) युक्त तरल को आप के हाथ या पीठ की त्वचा पर रखा जाता है. अब आप की त्वचा में एक छोटी व जीवाणुरहित सूई चुभोई जाती है ताकि उस तरल का त्वचा में रिसाव हो सके. दर्दरहित यह जांच आप के लिए कुछ हद तक असहज हो सकती है.

संभावित एलर्जन वाले स्थान पर, जहां पर सूई चुभोई गई थी, मच्छर के काटने जैसी सूजन विकसित होने की स्थिति में यह माना जाता है कि जांच में एलर्जी के संकेत मिले हैं.

पुष्टि के लिए अब ऐसे तरल का इस्तेमाल करते हुए स्किन प्रिक जांच की जाती है, जिसमें एलर्जन मौजूद न हो व इस स्थिति में उस स्थान पर कोई प्रतिक्रियात्मक असर नहीं दिखता है तथा दोनों स्थानों से प्राप्त परिणामों की तुलना संभव होती है.

एलर्जी विशेषज्ञ इन जांचों के परिणामों का इस्तेमाल निदान के क्रम में करते हैं. पौजिटिव परिणाम का आना निश्चित तौर पर यह संकेत नहीं देता है कि एलर्जी की समस्या है, जबकि नैगेटिव परिणाम एलर्जी नहीं होने की पुष्टि करता है.

एक गंभीर प्रतिक्रिया की संभावना बनी रहने की वजह से किसी अनुभवी एलर्जिस्ट द्वारा उन के क्लीनिक या उस स्थान पर ओरल फूड चैलेंज कराया जाना चाहिए, जहां आपात्कालीन सुविधाएं व चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध हों.

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प्रबंधन व इलाज

खाद्य एलर्जी से निबटने का मुख्य तरीका उन खाद्य पदार्थों से परहेज है, जिन से समस्या होती है. खाद्य उत्पादों में मौजूद सामग्रियों की सूची को ध्यानपूर्वक पढ़ें और यह भी जानने की कोशिश करें कि आप को जिन से परहेज है, वे किसी और नाम से तो सूचीबद्घ नहीं हैं.

डब्बाबंद खाद्य पदार्थों के उत्पादकों को हमेशा ही एलर्जी के कारक (एलर्जन), इन 8 सब से आम चीजों – दूध, अंडा, गेहूं, सोया, मूंगफली, मेवे, मछली व जलीय शेलफिश (सीपियों) की पहचान कर अपने उत्पादों में उन की मौजूदगी के बारे में सरल व स्पष्ट भाषा में जानकारी देनी चाहिए. वैसी स्थिति में भी इन एलर्जन की मौजूदगी के बारे में जरूर बताया जाना चाहिए जब वे पदार्थ उत्पादों में एडिटिव (उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार या उन्हें परिरक्षित करने के लिए) या फ्लेवरिंग (स्वादिष्ठ या सुगंधित बनाने के लिए) के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हों.

एलर्जन से परहेज, कहना आसान लगता है परंतु बहुत मुश्किल काम है. हालांकि सामग्रियों की सूची से इस मामले में कुछ हद तक मदद मिली है, परंतु कुछ खाद्य पदार्थ इतने आम हैं कि उन से बच पाना चुनौतीपूर्ण कार्य है.

खाद्य एलर्जी से ग्रसित बहुत लोग सोचते हैं कि क्या उन की यह स्थिति हमेशा ही बनी रहेगी. इस का कोई निश्चित जवाब नहीं है. संभव है कि दूध, अंडे, गेहूं व सोया से होने वाली एलर्जी की समस्या समय के साथसाथ खत्म हो जाए, जबकि मूंगफली, मेवे, मछली व सीपियों से होने वाली एलर्जी की समस्या पूरी जिंदगी बनी रह सकती है.

बाहर खानापीना

बाहर रैस्टोरैंट आदि में खाते वक्त अतिरिक्त सावधानी बरतें. जरूरी नहीं है कि सूची में मौजूद हर पकवान में मौजूद सभी सामग्रियों की जानकारी वेटर को हो. हालांकि यह पूरी तरह आप की संवेदनशीलता पर निर्भर करता है. हो सकता है कि आप ने रसोई या रैस्टोरैंट में प्रवेश किया और आप एलर्जी के शिकार हो गए.

एनाफाइलैक्सिस

खाद्य एलर्जी की वजह से उभरने वाले लक्षण हलके से ले कर जान को जोखिम में डालने वाले तक हो सकते हैं, किसी भी ऐसी प्रतिक्रिया की भविष्यवाणी कर पाना संभव नहीं है. हो सकता है कि जिस खाद्य पदार्थ की वजह से किसी व्यक्ति में पहली बार हलके लक्षण ही दिखें, अगली बार उस के गंभीर दुष्प्र्रभाव, एनाफाइलैक्सिस भी देखने को मिल सकते हैं.

इस दौरान अन्य समस्याओं के साथ श्वास में परेशानी व रक्तचाप में औचक गिरावट देखने को मिल सकती है. एनाफाइलैक्सिस का सब से पहला इलाज इपिनैफ्रिन  (एड्रीनालीन) है. एलर्जन के संपर्क में आने के बाद एनाफाइलैक्सिस के लक्षण दिखने में सिर्फ चंद सैकंड या मिनट का समय लगता है, पलभर में स्थिति इस कदर बिगड़ सकती है कि यह आप के लिए घातक सिद्ध हो सकती है.

नैदानिक जांच में एक बार एलर्जी की पुष्टि होने के बाद, आप के एलर्जी विशेषज्ञ आप को इपिनैफ्रिन  औटो-इंजैक्टर की सलाह देते हैं तथा इसे इस्तेमाल करने का तरीका बताते हैं. अगर आप सांस में तकलीफ, बारबार खांसी, नब्ज की गति में बदलाव, गले में जकड़न, निगलने में समस्या जैसे गंभीर लक्षण या शरीर के भिन्नभिन्न हिस्सों में चकत्ते, त्वचा पर सूजन के साथसाथ उलटी, दस्त या पेटदर्द का अनुभव करते हैं तो शीघ्र ही इपिनैफ्रिन  का इस्तेमाल करें.

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मां का दूध सर्वोत्तम

वर्ष 2013 में, अमेरिकन अकेडमी औफ पीडियाट्रिक्स ने एक अध्ययन प्रकाशित किया और पहले किए गए शोध के नतीजे का समर्थन करते हुए बताया कि जितने लंबे वक्त तक संभव हो, मां का दूध दिया जाना चाहिए. जो खाद्य एलर्जी की संभावनाओं में कमी लाता है.

कुछ देशों में लोगों के बीच इस बात की आदत सी डाल दी गई है कि 3 साल तक की उम्र तक के बच्चों के मामले में उच्च एलर्जी वाले भोज्य पदार्थों, जैसे मूंगफली, मेवे, समुद्री खाद्य पदार्थ के समावेश में अधिक से अधिक देरी की जाए.

(लेखक प्राइमस सुपर स्पैशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली में पीडियाट्रीशियन हैं)

शादी से पहले कौंट्रासैप्टिव पिल लें या नहीं

किशोरावस्था में अकसर किशोर दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित हो शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. वे प्रेमालाप में सैक्स तो कर लेते हैं, परंतु अपनी अज्ञानता के चलते प्रोटैक्शन का इस्तेमाल नहीं करते जिस के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की लैंगिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 15 से 19 वर्ष की 1.6 करोड़ लड़कियां गर्भधारण कराती हैं. इस छोटी उम्र में गर्भधारण करने का सब से बड़ा कारण किशोरों का अल्पज्ञान और नामसझी है. बिना प्रोटैक्शन के किए जाने वाले सैक्स से सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन सर्वाइकल कैंसर और हाइपरटैंशन जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है. ये बीमारियां लड़के व लड़की दोनों को हो सकती हैं.\

किशोरों में प्रैगनैंसी और असुरक्षित सैक्स से होने वाली बीमारियों को ले कर मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाईनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से बात की. उन्होंने किशोरों के इस्तेमाल हेतु कौंट्रासैप्टिव पिल्स और उन के खतरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी:

कौंट्रासैप्टिव पिल क्या है और इसे कब व कैसे लेना चाहिए?

यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है. इसे पोस्ट कोर्डल और मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहते हैं. आई पिल एक हारमोन है. इस का बैस्ट इफैक्ट तब होता है जब इसे सैक्स के 1 घंटे के आसपास लें. इसे 72 घंटों में 2 बार 24 घंटों के अंतराल में लिया जाता है. इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव की तब जरूरत होती है जब लड़की के साथ बलात्कार हुआ हो. अनचाहे गर्भ का खतरा हो या फिर कंडोम फट जाए. लोग विथड्रौल तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं. इस में यदि अंडरऐज ईजैक्यूलेशन हो गया हो तो फिर इस पिल का इस्तेमाल करते हैं. यदि पीरियड अनियमित हैं और आप सुरक्षा को ले कर चिंतित हैं तो इस स्थिति में भी इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जरूरत होती है.

यदि कोई लड़की इसे आदत बना ले तो इस के क्या विपरीत प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, इसे आदत नहीं बनाना चाहिए. इस के बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं. यदि लड़की किशोरी हो तो सब से पहले तो उसे सैक्स ऐजुकेशन होनी चाहिए. आजकल तो यह नैट में भी उपलब्ध है. 8वीं और 9वीं कक्षा की किताबों में भी इस की जानकारी दी गई है. लड़कियों को पता होना चाहिए कि यह पिल किस प्रकार काम करती है. इस की डोज हैवी होती है. हैवी डोज लेने से मासिकचक्र प्रभावित होता है. वह अनियमित हो जाता है. इस के अलावा उलटियां व चक्कर आना, स्तनों में दर्द, पेट में दर्द और असमय रक्तस्राव हो सकता है. यदि आप सैक्सुअली ऐक्टिव हैं तो आप को कौंट्रासैप्टिव का प्रयोग केवल इमरजैंसी में ही करना चाहिए. इस के साइड इफैक्ट में सब से बड़ा खतरा ट्यूब की प्रैगनैंसी का है. इसलिए यदि इमरजैंसी शब्द कहा जा रहा है तो केवल इमरजैंसी में ही प्रयोग करें. वैसे भी यह 90% ही कारगर है 100% नहीं.

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शादी से पहले इस पिल के इस्तेमाल करने पर क्या लड़की को शादी के बाद गर्भधारण करने में किसी तरह की परेशानी हो सकती है?

अगर लड़की ने लगातार दवा का इस्तेमाल किया है तो बिलकुल होगी. कभीकभार लेने पर परेशानी नहीं आएगी. यदि इस से मासिकचक्र प्रभावित हुआ है तो परेशानी होनी लाजिम है, क्योंकि आप ने ओवुलेशन प्रौसैस यानी अंडा बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है. आई पिल का अधिक इस्तेमाल ट्यूब जोकि अंडे को कैच करती है की वेर्बिलिटी को रेस्ट्रेट कर देता है. ऐसे में जब आप शादी से पहले हर बार अपने ओवुलेशन को डिस्टर्ब करेंगी तो शादी के बाद गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है.

बाजार में और किस तरह की कौंट्रासैप्टिव पिल्स हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सके?

भारत में केवल पिल उपलब्ध है, जो लिवोनोगेरट्रल है. इस में एक टैबलेट 750 माइक्रोग्राम की होती है. ये 2 टैबलेट 24 घंटों के अंतराल में ली जाती हैं. भारत में 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट अभी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उस की डोज अत्यधिक हैवी है. आजकल इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव में एक और दवा, अंडर ट्रायल है, जिसे यूलीप्रिस्टल कहते हैं. चूंकि यह अभी अंडर ट्रायल है, इसलिए इस का प्रयोग केवल डाक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए.

क्या इस पिल के अलावा कोई दूसरा बेहतर विकल्प है?

यह पिल तो इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है ही, इस के अलावा और कई बर्थ कंट्रोल हैं. सब से अच्छा कंडोम ही है. यह बहुत सी संक्रमण वाली बीमारियों से बचाता है और इस के प्रयोग से इन्फैक्शन भी नहीं होता. इस के अलावा दूसरे बर्थ कंट्रोल ऐप्लिकेशन भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे वैजिनल टैबलेट्स. इन्हें कंडोम के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. यदि फर्टाइल पीरियड में सैक्स किया जाए तो कंडोम और वैजिनल टैबलेट, दोनों का ही प्रयोग करें. आजकल ओवुलेशन का पता लगाने के लिए किट्स भी उपलब्ध है. उन से पता लगाएं. वैजिनल टैबलेट्स और कंडोम का एकसाथ इस्तेमाल करें. इस से डबल सुरक्षा मिलेगी.

क्या कंडोम 100% सुरक्षित है?

हां, यदि इस का इस्तेमाल ठीक तरह से किया जाए तो यह बैस्ट कौंट्रासैप्शन है. लड़कियां सैक्स के दौरान वैजिनल टैबलेट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से सुरक्षा दोगुनी हो जाएगी.

यदि लड़की मां बनने के डर से एक की जगह 2 या 3 गोलियां खा ले तो इस के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, जो डोज जैसे लिखी है उसे वैसे ही लें. न तो दवा स्किप करें और न ही समय से पहले व ज्यादा लें. यदि आई पिल लेने के 3 हफ्ते बाद तक सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया तो ट्यूब की प्रैगनैंसी हो सकती है. यदि 3 हफ्ते बाद तक पीरियड्स न हों तो प्रैगनैंसी टैस्ट करें.

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यदि लड़की यह पिल खा कर किसी प्रकार की परेशानी महसूस करती है और घर वालों को इस बारे में न बता कर चुप रहती हैं तो क्या इस के कोई दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं?

जब कोई लड़की सैक्सुअली ऐक्टिव है और किसी लड़के के साथ सैक्स कर सकती है तो वह चुपचाप जा कर डाक्टर से कंसल्ट भी कर सकती है. यदि लड़की कमा रही है और पढ़ीलिखी है तो डाक्टर की सलाह लेने में हरज क्या है? घर वालों से तो वैसे भी किसी तरह की परेशानी नहीं छिपानी चाहिए. किसी न किसी से जरूर शेयर करनी चाहिए. यदि पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पतालों के डाक्टर फ्री सलाह देते हैं.

इस पिल से ट्यूब की प्रैगनैंसी होने का खतरा होता है जो जानलेवा हो सकता है. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सुरक्षित होने के बावजूद आई पिल से गर्भाशय के बाहर की प्रैगनैंसी हो सकती है जिस से लड़की की जान को खतरा हो सकता है.

युवाओं को सुरक्षित सैक्स संबंधी क्या सलाह देना चाहेंगी?

युवाओं को यह बताना चाहूंगी कि यदि वे 18 साल से बड़े हैं और सैक्स करते हैं तो इस में कोई बुराई नहीं है, मगर कंडोम का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. असुरक्षित सैक्स एचआईवी, एसटीआई व सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण हो सकता है. लव, अफेयर, सैक्स और फिजिकल रिलेशनशिप अपनी जगह है और सुरक्षा अपनी जगह. शरमाएं नहीं, बल्कि सही सलाह लें.

रात में सुकून भरी नींद चाहिए, तो तुरंत अपनाएं ये 4 टिप्स

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

दिनभर की थकान के बाद हर कोई सोचता है कि रात में अच्छी नींद आ जाए. लेकिन कुछ लोगों को चैन और सुकून की नींद नसीब नहीं होती. तमाम कोशिशों के बाद भी रात में घंटों बिस्तर पर करवटे बदलते रहते हैं. एक दो दिन ऐसा होना सामान्य है. लेकिन लगातार आपके साथ ये हालात बन रहे हैं, तो यह चिंता की विषय है. क्योंकि नींद की कमी आपको थका हुआ और सुस्त बना देती है. इतना ही नहीं अगले दिन आप ऊर्जा में कमी का अनुभव भी कर सकते हैं. कई रिसर्च बताती  हैं कि खराब नींद का असर आपके हार्मोन और मास्तिष्क के काम करने पर पड़ता है. तो अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जिनकी स्लीपिंग साइकिल डिस्टर्ब हो रही है या नींद की कमी के कारण लो एनर्जी जैसा फील कर रहे हैं, तो यहां कुछ तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर आप  रात में स्वभाविक रूप से बेहतर नींद ले पाएंगे.

1. सही रूटीन बनाएं-

यदि आपको स्वभाविक रूप से नींद नहीं आती, तो इसका मतलब है कि आपका स्लीपिंग रूटीन गड़बड़ है. बता दें कि आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक शरीर की सभी चीजों को निर्धारित करती है. इसलिए आपको सोने का एक समय फिक्स करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जब एक बार आप अपने शरीर को ये बता देते हैं कि आप इसे किस समय आराम करने देंगे , तो यह आपके मास्तिष्क को रिलेक्स करने और आपको सोने में मदद करने के लिए उन संकेतों को किक करना शुरू कर देता है. इसलिए अगर आपको घंटों तक बिस्तर पर लेटे रहने के बाद भी नींद न आए, तो सबसे पहले साने और जागने का समय फिक्स करें.

2. दिनभर एक्टिव रहें-

जब आप पूरे दिन एक्टिव रहते हैं, तो शरीर थक जाता है और अंत में इसे आराम की जरूरत होती है. कई लोग एक्टिव रहने के लिए व्यायाम भी करते हैं. व्यायाम करने से शरीर एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज करता है, जिससे आपको बहुत जल्दी नींद नहीं आती और आप जागे हुए रहते हैं. इसलिए वर्कआउट करते समय एक बात का ध्यान रखें कि इसे सोने के दो घण्टे के भीतर बिल्कुल न करें. यदि आप रोजाना व्यायाम नहीं करते हैं तो आप तेज चलने या एरोबिक  करने की कोशिश करें. इससे आपका सोने का समय बढ़ जाएगा और आपको गहरी नींद भी आ जाएगी.

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3. गर्म पानी से नहाएं-

शायद आप न जानते हों, लेकिन शाम ढलने के बाद सोने से कुछ घण्टे पहले आपके शरीर का प्राकृतिक तापमान कम हो जाता है और सुबह 5 बजे के करीब फिर से ज्यादा हो जाता है. इसलिए सोने से दो घ्ंाटे पहले गर्म पानी से नहाएं. ऐसा करने से आपके शरीर का तापमान बढ़ जाएगा. इसके तुंरत बाद तेजी से ठंडा होने की अवधि आपके शरीर को तुरंत आराम देती है. जब आप ऐसा करते हैं, तो शरीर के तापमान में गर्म से लेकर ठंडी तक की तेज गिरावट से नींद आने लगती है. इसलिए अगर आपको सोने में परेशानी हो रही है तो साने से 90 मिनट पहले गर्म पानी से नहाने की कोशिश करें.

4. चाय पीएं-

वैसे तो कहा जाता है कि चाय पीने से नींद उड़ जाती है, लेकिन जिन लोगों को नींद की समस्या है, डॉक्टर्स उन्हें सोने से पहले कैफीन फ्री चाय पीने की सलाह देते हैं. ऐसे में कैमोमाइल टी बढ़िया विकल्प है. यह मास्तिष्क में रिसेप्टर्स के साथ बातचीत करने के लिए जानी जाती है. इसके नियमित सेवन से आपको स्वस्थ और लगातार नींद की दिनचर्या बनाने में बहुत मदद मिलती है.

नींद आपके स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाती  है. अपर्याप्त नींद बच्चों और वयस्कों में मोटापे के जोखिम को बढ़ाती है. साथ ही इससे हृदय रोग और मधुमेह का खतरा भी बढ़ता है. ऐसे में यहां बताए गए टिप्स आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

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मेरी बीवी को कंसीव करने में दिक्कत आ रही हैं, कृपया कारण बताएं?

सवाल

मैं 35 साल का हूं और मेरी बीवी 33 साल की है. मेरी एक बेटी भी है, पर बीवी और बच्चे चाहती है. दिक्कत यह है कि अब वह पेट से नहीं हो पा रही है. मैं ने उसे महिला डाक्टर को भी दिखाया, पर सबकुछ ठीक है. फिर वह पेट से क्यों नहीं हो रही? इस बारे में आप मुझे खुल कर बताएं?

जवाब

जब बीवी में कोई कमी नहीं है, तो वह कभी न कभी जरूर दोबारा पेट से हो जाएगी. आप किसी और माहिर डाक्टर से खुद की भी जांच करा लें. आप के पास बेटी तो है ही. लिहाजा, ज्यादा परेशानी वाली बात नहीं है.

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एक दिन का बौयफ्रैंड

‘‘क्या तुम मेरे एक दिन के बौयफ्रैंड बनोगे?’’ उस लड़की के कहे ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे. मैं हक्काबक्का सा उस की तरफ देखने लगा. काली, लंबी जुल्फों और मुसकराते चेहरे के बीच चमकती उस की 2 आंखें मेरे दिल को धड़का गईं. एक अजनबी लड़की के मुंह से इस तरह का प्रस्ताव सुन कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी.

मैं अच्छे घर का होनहार लड़का हूं. प्यार और शादी को ले कर मेरे विचार बिलकुल स्पष्ट हैं. बहुत पहले एक बार प्यार में पड़ा था पर हमारी लव स्टोरी अधिक दिनों तक नहीं चल सकी. लड़की बेवफा निकली. वह न सिर्फ मुझे, बल्कि दुनिया छोड़ कर गई और मैं अकेला रह गया.

लाख चाह कर भी मैं उसे भुला नहीं सका. सोच लिया था कि अब अरेंज्ड मैरिज करूंगा. घर वाले जिसे पसंद करेंगे, उसे ही अपना जीवनसाथी मान लूंगा.

अगले महीने मेरी सगाई है. लड़की को मैं ने देखा नहीं है पर घर वालों को वह बहुत पसंद आई है. फिलहाल मैं अपने मामा के घर छुट्टियां बिताने आया हूं. मेरे घर पहुंचते ही सगाई की तैयारियां शुरू हो जाएंगी.

‘‘बोलो न, क्या तुम मेरे साथ..,’’ उस ने फिर अपना सवाल दोहराया.

‘‘मैं तो आप को जानता भी नहीं, फिर कैसे…’’ में उलझन में था.

‘‘जानते नहीं तभी तो एक दिन के लिए बना रही हूं, हमेशा के लिए नहीं,’’ लड़की ने अपनी बड़ीबड़ी आंखों को नचाया. ‘‘दरअसल,

2-4 महीनों में मेरी शादी हो जाएगी. मेरे घर

वाले बहुत रूढि़वादी हैं. बौयफ्रैंड तो दूर कभी मुझे किसी लड़के से दोस्ती भी नहीं करने दी. मैं ने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है. घर

वाले मेरे लिए जिसे ढूंढ़ेंगे उस से आंखें बंद कर शादी कर लूंगी. मगर मेरी सहेलियां कहती हैं कि शादी का मजा तो लव मैरिज में है, किसी को बौयफ्रैंड बना कर जिंदगी ऐंजौय करने में है. मेरी सभी सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं. केवल मेरा ही कोई नहीं है.

‘‘यह भी सच है कि मैं बहुत संवेदनशील लड़की हूं. किसी से प्यार करूंगी तो बहुत गहराई से करूंगी. इसी वजह से इन मामलों में फंसने से डर लगता है. मैं जानती हूं कि मैं तुम्हें आजकल की लड़कियों जैसी बिलकुल नहीं लग रही होऊंगी. बट बिलीव मी, ऐसी ही हूं मैं. फिलहाल मुझे यह महसूस करना है कि बौयफ्रैंड के होने से जिंदगी कैसा रुख बदलती है, कैसा लगता है सब कुछ, बस यही देखना है मुझे. क्या तुम इस में मेरी मदद नहीं कर सकते?’’

‘‘ओके, पर कहीं मेरे मन में तुम्हारे लिए फीलिंग्स आ गईं तो?’’

‘‘तो क्या है, वन नाइट स्टैंड की तरह हमें एक दिन के इस अफेयर को भूल जाना है. यह सोच कर ही मेरे साथ आना. बस एक दिन खूब मस्ती करेंगे, घूमेंगेफिरेंगे. बोलो क्या कहते हो? वैसे भी मैं तुम से 5 साल बड़ी हूं. मैं ने तुम्हारे ड्राइविंग लाइसैंस में तुम्हारी उम्र देख ली है. यह लो. रास्ते में तुम से गिर गया था. यही लौटाने आई थी. तुम्हें देखा तो लगा कि तुम एक शरीफ लड़के हो. मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे, इसीलिए यह प्रस्ताव रखा है.’’

मैं मुसकराया. एक अजीब सा उत्साह था मेरे मन में. चेहरे पर मुसकराहट की रेखा गहरी होती गई. मैं इनकार नहीं कर सका. तुरंत हामी भरता हुआ बोला, ‘‘ठीक है, परसों सुबह 8 बजे इसी जगह आ जाना. उस दिन मैं पूरी तरह तुम्हारा बौयफ्रैंड हूं.’’

‘‘ओके थैंक्यू,’’ कह कर मुसकराती हुई वह चली गई.

घर आ कर भी मैं सारा समय उस के बारे में सोचता रहा.

2 दिन बाद तय समय पर उसी जगह पहुंचा तो देखा वह बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी.

‘‘हाय डियर,’’ कहते हुए वह करीब आ गई.

‘‘हाय,’’ मैं थोड़ा सकुचाया.

मगर उस लड़की ने झट से मेरा हाथ थाम लिया और बोली, ‘‘चलो, अब से तुम मेरे बौयफ्रैंड हुए. कोई हिचकिचाहट नहीं, खुल कर मिलो यार.’’

मैं ने खुद को समझाया, बस एक दिन. फिर कहां मैं, कहां यह. फिर हम 2 अजनबियों ने हमसफर बन कर उस एक दिन के खूबसूरत सफर की शुरुआत की. प्रिया नाम था उस का. मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था और वह मेरी बगल में बैठी थी. उस की जुल्फें हौलेहौले उस के कंधों पर लहरा रही थीं. भीनीभीनी सी उस की खुशबू मुझे आगोश में लेने लगी थी. एक अजीब सा एहसास था, जो मेरे जिस्म को महका रहा था. मैं एक गीत गुनगुनाने लगा. वह एकटक मुझे निहारती हुई बोली, ‘‘तुम तो बहुत अच्छा गाते हो.’’

‘‘हां थोड़ाबहुत गा लेता हूं… जब दिल को कोई अच्छा लगता है तो गीत खुद ब खुद होंठों पर आ जाता है.’’

मैं ने डायलौग मारा तो वह खिलखिला कर हंस पड़ी. दूधिया चांदनी सी छिटक कर उस की हंसी मेरी सांसों को छूने लगी. यह क्या हो रहा है मुझे. मैं मन ही मन सोचने लगा.

तभी उस ने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, ‘‘माई प्रिंस चार्मिंग, हम जा कहां रहे हैं?’’

‘‘जहां तुम कहो. वैसे मैं यहां की सब से रोमांटिक जगह जानता हूं, शायद तुम भी जाना चाहोगी,’’ मेरी आवाज में भी शोखी उतर आई थी.

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‘‘श्योर, जहां तुम चाहो ले चलो. मैं ने तुम पर शतप्रतिशत विश्वास किया है.’’

‘‘पर इतने विश्वास की वजह?’’

‘‘किसीकिसी की आंखों में लिखा होता है कि वह शतप्रतिशत विश्वास के योग्य है. तभी तो पूरी दुनिया में एक तुम्हें ही चुना मैं ने अपना बौयफ्रैंड बनाने को.’’

‘‘देखो तुम मुझ से इमोशनली जुड़ने की कोशिश मत करो. बाद में दर्द होगा.’’

‘‘किसे? तुम्हें या मुझे?’’

‘‘शायद दोनों को.’’

‘‘नहीं, मैं प्रैक्टिकल हूं. मैं बस 1 दिन के लिए ही तुम से जुड़ रही हूं, क्योंकि मैं जानती हूं हमारे रिश्ते को सिर्फ इतने समय की ही मंजूरी मिली है.’’

‘‘हां, वह तो है. मैं अपने घर वालों के खिलाफ नहीं जा सकता.’’

‘‘अरे यार, खिलाफ जाने को किस ने कहा? मैं तो खुद पापा के वचन में बंधी हूं. उन के दोस्त के बेटे से शादी करने वाली हूं. 6-7 महीनों में वह इंडिया आ जाएगा और फिर चट मंगनी पट विवाह. हो सकता है मैं हमेशा के लिए पैरिस चली जाऊं,’’ उस ने सहजता से कहा.

‘‘तो क्या तुम भी ‘कुछकुछ होता है’ मूवी की सिमरन की तरह किसी अजनबी से शादी करने वाली हो, जिसे तुम ने कभी देखा भी नहीं है?’’ कहते हुए मैं ने उस की आंखों में झांका. वह हंसती हुई बोली, ‘‘हां, ऐसा ही कुछ है. पर चिंता न करो. मैं तुम्हें शाहरुख यानी राज की तरह अपनी जिंदगी में नहीं आने दूंगी. शादी तो मैं उसी से करूंगी जिस से पापा चाहते हैं.’’

‘‘तो फिर यह सब क्यों? मेरे इमोशंस के साथ क्यों खेल रही हो?’’

‘‘अरे यार, मैं कहां खेल रही हूं? फर्स्ट मीटिंग में ही मैं ने साफ कह दिया था कि हम केवल 1 दिन के रिश्ते में हैं.’’

‘‘हां वह तो है. ओके बाबा, आई ऐम सौरी. चलो आ गई हमारी मंजिल.’’

‘‘वैरी नाइस. बहुत सुंदर व्यू है,’’ कहते हुए उस के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई.

थोड़ा घूमने के बाद वह मेरे पास आती हुई बोली, ‘‘लो अब मुझे अपनी बांहों में भरो जैसे फिल्मों में करते हैं.’’

वह मेरे और करीब आ गई. उस की जुल्फें मेरे कंधों पर लहराने लगीं. लग रहा था जैसे मेरी पुरानी गर्लफ्रैंड बिंदु ही मेरे पास खड़ी है. अजीब सा आकर्षण महसूस होने लगा. मैं अलग हो गया, ‘‘नहीं, यह नहीं होगा मुझ से. किसी गैर लड़की को मैं करीब क्यों आने दूं?’’

‘‘क्यों, तुम्हें डर लग रहा है कि मैं यह वीडियो बना कर वायरल न कर दूं?’’ वह शरारत से खिलखिलाई. मैं ने मुंह बनाया, ‘‘बना लो. मुझे क्या करना है? वैसे भी मैं लड़का हूं. मेरी इज्जत थोड़े ही जा रही है.’’

‘‘वही तो मैं तुम्हें समझा रही हूं. तुम्हें क्या फर्क पड़ता है, तुम तो लड़के हो,’’ वह फिर से मुसकराई, ‘‘वैसे तुम आजकल के लड़कों जैसे बिलकुल नहीं.’’

‘‘आजकल के लड़कों से क्या मतलब है? सब एकजैसे नहीं होते.’’

‘‘वही तो बात है. इसीलिए तो तुम्हें चुना है मैं ने, क्योंकि मुझे पता था तुम मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे वरना किसी और लड़के को ऐसा मौका मिलता तो उसे लगता जैसे लौटरी लग गई हो.’’

‘‘तुम मेरे बारे में इतनी श्योर कैसे हो कि वाकई मैं शरीफ ही हूं? तुम कैसे जानती हो कि मैं कैसा हूं और कैसा नहीं हूं?’’

‘‘तुम्हारी आंखों ने सब बता दिया मेरी जान, शराफत आंखों पर लिखी होती है. तुम नहीं जानते?’’

इस लड़की की बातें पलपल मेरे दिल को धड़काने लगी थीं. बहुत अलग सी थी वह. काफी देर तक हम इधरउधर घूमते रहे. बातें करते रहे.

एक बार फिर वह मेरे करीब आती हुई बोली, ‘‘अपनी गर्लफ्रैंड को हग भी नहीं करोगे?’’ वह मेरे सीने से लग गई. लगा जैसे वह पल वहीं ठहर गया हो. कुछ देर तक हम ऐसे ही खड़े रहे. मेरी बढ़ी हुई धड़कनें शायद वह भी महसूस कर रही थी. मैं ने भी उसे आगोश में ले लिया. उस पल को ऐसा लगा जैसे आकाश और धरती एकदूसरे से मिल गए हों. कुछ पल बाद उस ने खुद को अलग किया और दूर जा कर खड़ी हो गई.

‘‘बस, कुछ और हुआ तो हमारे कदम बहक जाएंगे. चलो वापस चलते हैं,’’ वह बोली. मैं अपनेआप को संभालता हुआ बिना कुछ कहे उस के पीछेपीछे चलने लगा. मेरी सांसें रुक रही थीं. गला सूख रहा था. गाड़ी में बैठ कर मैं ने पानी की पूरी बोतल खाली कर दी.

सहसा वह हंस पड़ी, ‘‘जनाब, ऐसा लग रहा था जैसे शराब की बोतल एक बार में ही हलक के नीचे उतार रहे हो.’’

उस के बोलने का अंदाज कुछ ऐसा था कि मुझे हंसी आ गई. ‘‘सच, बहुत अच्छी हो तुम. मुझे डर है कहीं तुम से प्यार न हो जाए,’’ मैं ने कहा.

‘‘छोड़ो भी यार. मैं बड़ी हूं तुम से, इस तरह की बातें सोचना भी मत.’’

‘‘मगर मैं क्या करूं? मेरा दिल कुछ और कह रहा है और दिमाग कुछ और.’’

‘‘चलता है. तुम बस आज की सोचो और यह बताओ कि हम लंच कहां करने वाले हैं?’’

‘‘एक बेहतरीन जगह है मेरे दिमाग में. बिंदु के साथ आया था एक बार. चलो वहीं चलते हैं,’’ मैं ने वृंदावन रैस्टोरैंट की तरफ गाड़ी मोड़ते हुए कहा, ‘‘घर के खाने जैसा बढि़या स्वाद होता है यहां के खाने का और अरेंजमैंट देखो तो लगेगा ही नहीं कि रैस्टोरैंट आए हैं. गार्डन में बेंत की टेबलकुरसियां रखी हुई हैं.’’

रैस्टोरैंट पहुंच कर उत्साहित होती हुई प्रिया बोली, ‘‘सच कह रहे थे तुम. वाकई लग रहा है जैसे पार्क में बैठ कर खाना खाने वाले हैं हम… हर तरफ ग्रीनरी. सो नाइस. सजावटी पौधों के बीच बेंत की बनी डिजाइनर टेबलकुरसियों पर स्वादिष्ठ खाना, मन को बहुत सुकून देता होगा.

है न?’’

मैं खामोशी से उस का चेहरा निहारता रहा. लंच के बाद हम 2-1 जगह और गए. जी भर कर मस्ती की. अब तक हम दोनों एकदूसरे से खुल गए थे. बातें करने में भी मजा आ रहा था. दोनों ने ही एकदूसरे की कंपनी बहुत ऐंजौय की थी, एकदूसरे की पसंदनापसंद, घरपरिवार, स्कूलकालेज की कितनी ही बातें हुईं.

थोड़ीबहुत प्यार भरी बातें भी हुईं. धीरेधीरे शाम हो गई और उस के जाने का समय आ गया. मुझे लगा जैसे मेरी रूह मुझ से जुदा हो रही है, हमेशा के लिए.

‘‘कैसे रह पाऊंगा मैं तुम से मिले बिना? नहीं प्रिया, तुम्हें अपना नंबर देना होगा मुझे,’’ मैं ने व्यथित स्वर में कहा.

‘‘आर यू सीरियस?’’

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‘‘यस आई ऐम सीरियस,’’ मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया, ‘‘मुझे नहीं लगता कि अब मैं तुम्हें भूल सकूंगा. नो प्रिया, आई थिंक आई लाइक यू वैरी मच.’’

‘‘वह डील न भूलो मयंक,’’ प्रिया ने याद दिलाया.

‘‘मगर दोस्त बन कर तो रह सकते हैं न?’’

‘‘नो, मैं कमजोर पड़ गई तो? यह रिस्क मैं नहीं उठा सकती.’’

‘‘तो ठीक है. आई विल मैरी यू,’’ मैं ने जल्दी से कहा. उस से जुदा होने के खयाल से ही मेरी आंखें भर आई थीं. एक दिन में ही जाने कैसा बंधन जोड़ लिया था उस ने कि दिल कर रहा था हमेशा के लिए वह मेरी जिंदगी में आ जाए.

वह मुझ से दूर जाती हुई बोली, ‘‘गुडबाय मयंक, मैं शादी वहीं करूंगी जहां पापा चाहते हैं. तुम्हारा कोई चांस नहीं. भूल जाना मुझे.’’ वह चली गई और मैं पत्थर की मूर्त बना उसे जाते देखता रहा. दिल भर आया था मेरा. ड्राइविंग सीट पर अकेला बैठा अचानक फफकफफक कर रो पड़ा. लगा जैसे एक बार फिर से बिंदु मुझे अकेला छोड़ कर चली गई है. जाना ही था तो फिर जरूरत क्या थी मेरी जिंदगी में आने की. किसी तरह खुद को संभालता हुआ घर लौटा. दिन का चैन, रात की नींद सब लुट चुकी थी. जाने कहां से आई थी वह और कहां चली गई थी? पर एक दिन में मेरी दुनिया पूरी तरह बदल गई थी. देवदास बन गया था मैं. इधर घर वाले मेरी सगाई की तैयारियों में लगे थे. वे मुझे उस लड़की से मिलवाने ले जाना चाहते थे, जिसे उन्होंने पसंद किया था. पर मैं ने साफ इनकार कर दिया.

‘‘मैं शादी नहीं करूंगा,’’ मेरा इतना कहना था कि घर में कुहराम मच गया.

‘‘क्यों, कोई और पसंद आ गई?’’ मां ने अलग ले जा कर पूछा.

‘‘हां.’’ मैं ने सीधा जवाब दिया.

‘‘तो ठीक है, उसी से बात करते हैं. पता और फोन नंबर दो.’’

‘‘मेरे पास कुछ नहीं है.’’

‘‘कुछ नहीं, यह कैसा प्यार है?’’ मां ने कहा.

‘‘क्या पता मां, वह क्या चाहती थी? अपना दीवाना बना लिया और अपना कोई अतापता भी नहीं दिया.’’

फिर मैं ने उन्हें सारी कहानी सुनाई तो वे खामोश रह गईं. 6 माह बीत गए. आखिर घर वालों की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा. लड़की वाले हमारे घर आए. मुझे जबरन लड़की के पास भेजा गया. उस कमरे में कोई और नहीं था. लड़की दूसरी तरफ चेहरा किए बैठी थी. मैं बहुत अजीब महसूस कर रहा था.

लड़की की तरफ देखे बगैर मैं ने कहना शुरू किया, ‘‘मैं आप को किसी भ्रम में नहीं रखना चाहता. दरअसल मैं किसी और से प्यार करने लगा हूं और अब उस के अलावा किसी से शादी का खयाल भी मुझे रास नहीं आ रहा. आई एम सौरी. आप इस रिश्ते के लिए न कह दीजिए.’’

‘‘सच में न कह दूं?’’ लड़की के स्वर मेरे कानों से टकराए तो मैं हैरान रह गया. यह तो प्रिया के स्वर थे. मैं ने लड़की की तरफ देखा तो दिल खुशी से झूम उठा. यह वाकई प्रिया ही थी.

‘‘तुम?’’

‘‘हां मैं, कोई शक?’’ वह मुसकराई.

‘‘पर वह सब क्या था प्रिया?’’

‘‘दरअसल, मैं अरेंज्ड नहीं, लव मैरिज करना चाहती थी. अत: पहले तुम से प्यार का इजहार कराया, फिर इस शादी के लिए रजामंदी दी. बताओ कैसा लगा मेरा सरप्राइज.’’

‘‘बहुत खूबसूरत,’’ मैं ने पल भर भी देर नहीं की कहने में और फिर उसे बांहों में भर लिया.

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जब बच्चों के पेट में हो कीड़े की शिकायत

बच्चों के पेट में कीड़े होना आम बात है. बचपन में वे इतने समझदार नहीं होते हैं कि खुद का भला-बुरा समझ पाएं. उन्हें जो दिखता है वही खा लेते हैं. कहीं भी खेलते हैं. इन सब गतिविधियों में वे अपनी सफाई का ठीक से खयाल नहीं रख पाते हैं. यही कारण है कि वे संक्रमित मिट्टी खा लेते हैं या संक्रमित पानी पीते हैं. संक्रमित पानी या मिट्टी खाने से बच्चों के पेट में कीड़े पैदा होते हैं. ये कीड़े या कृमि जमीन पर नंगे पैर चलने से भी शरीर में फैल सकते हैं. निम्न कारणों से बच्चों के पेट में कीड़े होते हैं.

संक्रमित मिट्टी खाने से

पेट में कीड़े होने की कई वजहें हो सकती हैं. पर बचपन में बच्चे मिट्टी अधिक खाते हैं और वह मिट्टी भी संक्रमित होती है. जब बच्चे संक्रमित मिट्टी में खेलते हैं या नंगे पैर या घुटनों के बल मिट्टी पर चलते हैं तो हुकवर्म नाम की क्रीमि बच्चे की त्वचा के संपर्क में आती और फिर बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं. इससे पेट में संक्रमण फैलता है. इसके अलावा बच्चों के नाखूनों में जब संक्रमित मिट्टी जमी होती है, तब भी उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं.

अधपका भोजन

बच्चों के पेट में कीड़े होने का एक प्रमुख कारण अधपका भोजन खाना भी हो सकता है. इसके अलावा, अगर सब्जियों को पकाने से पहले ठीक से धोया न गया हो तब भी संक्रमण फैलाने वाले कीड़ों के अंडे सब्जियों पर चिपके रह जाते हैं. सब्जियों के अलावा जो लोग मांस खाते हैं, उन जीवों में हुकवर्म, व्हिपवर्म और राउंडवर्म के अंडे हो सकते हैं. ये अंडे बच्चों के पेट में संक्रमण पैदा करते हैं.

दूषित पानी

दूषित पानी में संक्रमण फैलाने वाले कीड़े हो सकते हैं. बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक मजबूत नहीं होती है, जिस वजह से दूषित पानी का असर उन पर अधिक पड़ता है.

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सफाई न रखना

अपने आसपास के स्थानों को साफ न रखने पर कीड़ों का संक्रमण अधिक बढ़ जाता है. जब संक्रमित स्थानों के संपर्क में बच्चे आते हैं तो उनके पेट में भी यह संक्रमण फैलता है, जिससे बच्चों को परेशानी होती है.

कमजोर प्रतिरोधक क्षमता

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कमजोर होती है. इसलिए उनमें संक्रमण जल्दी फैलता है. इस वजह से बच्चों की ज्यादा देखभाल जरूरी है.

लक्षण

  • बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा होना
  • पेट में दर्द होना
  • बच्चे का वजन घटना
  • बच्चे के मल द्वार पर खुजली होना
  • उल्टी आना या उल्टी आने जैसा महसूस होना
  • बच्चे में खून की कमी होना
  • दस्त होना या भूख न लगना
  • दांत पीसना भी पेट में कीड़े होने का एक लक्षण है
  • मूत्रमार्ग में संक्रमण होना, जिससे बार-बार पेशाब आना
  • बच्चे के मल से खून आना

उपचार

डी-वर्मिंग

पेट में कीड़ों की संख्या अधिक हो जाने से आंतों में अवरोध पैदा हो सकता है. ऐसे में डाक्टरी सलाह लेना जरूरी है. डाक्टर जांच के बाद कीड़ों के डी-वर्मिंग की प्रक्रिया शुरू करते हैं. जिसके बाद वे जरूरी दवाएं देते हैं. डाक्टरी सलाह के अलावा कुछ घरेलू नुस्खे भी हैं, जिन्हें आप चिकित्सक की सलाह से बच्चों को दे सकते हैं.

तुलसी

पेट के कीड़ों को मारने का तुलसी एक आयुर्वेदिक उपचार है. अगर आपके बच्चे को भी पेट में कीड़े हो गए हैं, तो आप तुलसी के पत्तों का रस दिन में दो बार बच्चे को दें. इससे रोग में आराम मिलेगा.

प्याज

आधा चम्मच प्याज का रस दिन में दो से तीन बार पिलाने से समस्या में आराम मिलता है.

शहद

शहद में दही मिला कर चार से पांच दिन तक इसका सेवन बच्चे को कराएं. इससे पेट के कीड़े खत्म होंगे.

गाजर

कीड़े चाहें बड़ों के पेट में हों या बच्चों के पेट में, गाजर दोनों के लिए लाभदायक है. सुबह खाली पेट गाजर खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं.

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सुझाव

  • घर को साफ रखें. अच्छे कीटनाशक का प्रयोग करें.
  • बच्चे का डायपर समय-समय पर बदलें.
  • बच्चों को चप्पल पहना कर रखें.
  • बच्चों को कीचड़ में न खेलने दें.
  • साफ और सूखी जगह पर ही खेलने दें.

अब स्पाइनल ट्यूमर का इलाज है आसान

रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर एक गंभीर समस्या है. इसका सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो यह लकवा का कारण बन सकता है. ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं और उनके इलाज भी भिन्न-भिन्न हैं.

कई प्रकार के ट्यूमर्स के ठीक होने की संभावना आज कुछ वर्ष पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक है. ये ट्यूमर नियोप्लाज्म नामक नए टिश्यूज की अस्वाभाविक वृद्धि हैं. सामान्यत: नियोप्लाज्म टिश्यूज दो तरह के होते हैं, बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) या मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं). किसी अन्य अंग से फैलने वाला कैंसर मेटास्टेसिस ट्यूमर हो सकता है.

स्पाइनल ट्यूमर कैसे पहचानें :

  • पीठ और टांगों का दर्द हो सकता है.
  • टांगों या बांहों में कमजोरी होना और इनमें सुन्नपन महसूस करना.
  • सियाटिका की समस्या और आंशिक रूप से लकवा लगना.
  • मल-मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

जांच और इमेजिंग तकनीक एम.आर. आई. जांच से पता चलता है कि ट्यूमर तंत्रिकाओं या नव्रस पर कहां-कहां तक दबाव डाल रहा है. इसके अलावा सी.टी. स्कैन, टेक्नीशियम बोन स्कैन, सी.टी. गाइडेड बायोप्सी या एफएनएसी द्वारा भी ट्यूमर की जांच की जाती है.

इसके अलावा स्कैन जांच से पेट के कैंसर की विभिन्न अवस्थाओं का पता लगाना संभव है.

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ये हैं उपचार के विकल्प :

इसका इलाज इस बात पर निर्भर होता है कि ट्यूमर का प्रकार (बिनाइन या है या मैलिग्नेंट या कैंसरस), कैसा है और उसकी अवस्था कैसी है. मरीज की संभावित उम्र और उसका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है. इन सभी बातों को मद्देनजर रखकर ही उपचार की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है.

स्पाइनल ट्यूमर सर्जरी :

यदि ट्यूमर नर्व्‍स पर दबाव न डाल रहा हो, इस स्थिति में पर्क्‍यूटेनियस स्टेबिलाइजेशन तकनीक से सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा चिकित्सा की जाती है. यदि ट्यूमर तंत्रिका पर दबाव डाल रहा हो, तो इस स्थिति में सबसे पहले दबाव हटाने के लिए सर्जरी द्वारा ट्यूमर को निकाला जाता है. इसके बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी जाती है.

कीमोथेरेपी : कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में बाधा डालकर उन्हें नष्ट करने वाली दवाओं के प्रयोग से कैंसर का इलाज और नियंत्रण किया जाता है.

रेडिएशन थेरेपी : आज रेडियोथेरेपी की सबसे सुरक्षित तकनीक लीनियर एक्सेलेटर उपलब्ध है, जो स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर ट्यूमर की कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है. त्रि-आयामी यानि कि 3डी इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके, ट्यूमर को छोटा करके उसको बढ़ने से रोका जाता है.

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मेरी बेटी को स्किजोप्रेनिआ की बीमारी है, क्या इससे जौब या शादी में दिक्कत आ सकती है?

सवाल-

मेरी बेटी की उम्र 17 वर्ष है. पिछले 2 साल से वह स्किजोप्रेनिआ से पीडि़त है. वह बहुत ही असहज ढंग से बरताव करती है और रात में डर कर उठ जाती है. वह खुद इस समस्या से बाहर निकलना चाहती है. मुझे भी बहुत चिंता सताती है क्योंकि इस की वजह से बच्ची की पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है. आगे चल कर इस की जौब या शादी में दिक्कत आ सकती है. कृपया कर के बताएं क्या इस का कोई इलाज संभव है?

जवाब-

स्किजोप्रेनिआ एक गंभीर मानसिक रोग है. इस बीमारी से पीडि़त के निजी और सार्वजनिक जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. आप की बच्ची के मामले में बिना जांच के कुछ भी कह पाना मुश्किल होगा क्योंकि बच्ची की स्थिति का पूरी तरह आंकलन किया जाएगा. मानसिक रोग में कुछ भी जनरल नहीं होता हर मरीज की परिस्थितियों और मानसिक स्थिति के मुताबिक जांच और उपचार किया जाता है.

अगर इनिशियल स्टेज है तो बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन एडवांस स्टेज में इस बीमारी को पूर्ण  रूप से स्थाई इलाज थोड़ा कौंप्लैक्स होता है. लेकिन दवाओं और सही उपचार की मदद से इस के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसलिए आप को निराश होने की आवश्यकता

नहीं है. बच्ची की उम्र कम है ऐसे में उस का अभी मैडिकल इलाज शुरू करवाएं तो आप स्थिति को नियंत्रित कर सकती हैं. परिवार के सदस्यों को भी समझाएं और तुरंत डाक्टर से सलाह लें.

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डा. अनुरंजन बिस्ट

सीनियर साइकेट्रिक्ट, फाउंडर, माइंड ब्रेन टीएमएस इंस्टिट्यूट

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दुनियाभर में कोरोनावायरस महामारी के समय में सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन और देश भर में स्कूलों के बंद रहने से बच्चे प्रभावित हुए हैं. कुछ बच्चे और युवा बेहद अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और उन्हें चिंता, उदासी और अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है. वे अपने परिवारों पर इस वायरस के प्रभाव को लेकर भय और दुख महसूस कर सकते हैं. ऐसे भय, अनिश्चितत, और कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए घर पर ही रहने जैसी स्थिति उन्हें शांत बैठे रहना मुश्किल बना सकती है. लेकिन बच्चों को सुरक्षित महसूस कराना, उनके हेल्दी रुटीन को बरकरार रखना, उनकी भावनाओं को समझना बेहद महत्वपूर्ण है. इस बारे में बता रहे हैं Kunwar’s Educational Foundation के educationist(शिक्षाविद्) राजेश कुमार सिंह.

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Work From Home से बिगड़ रही है Health तो खानें में शामिल करें ये चीजें

कोरोना महामारी के चलते हममें से बहुत लोग घर से ही काम कर रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम के दौरान घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना , किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी न करना हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर रहा है.  पीठ दर्द, सिरदर्द, सर्दी, खांसी, थकान , कमजोरी ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिसका सामना घर से काम करने वाले लोगों को करना पड़ रहा है. लेकिन वे इन स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन आगे चलकर हमें ये गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है. कुछ जड़ी-बूटियां हैं, जो इन दिनों में हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हो सकती हैं. महामारी की चपेट में आने के बाद हममें से कई लोगों ने आयुर्वेद को अपनाया है. अगर आप भी आयुर्वेद पर यकीन करते हैं, तो यहां बताई गई 4 जड़ी-बूटियों को अपने आहार में जरूर शामिल करें. ये सभी जड़ी-बूटी आपके स्वास्थ्स से जुड़ी समस्याओं के इलाज में कारगार हैं.

1. आंवला- 

भारतीय आंवला खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. बालों से लेकर त्वचा तक यह चमत्कार कर सकता है. यह एक एंटीऑक्सीडेंट है और यह आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मदद करता है. विटामिन सी का एक बेहतरीन स्त्रोत होने के नाते यह लीवर से जुड़ी बीमररियों को दूर करता है. इसके सेवन से खाना पचाने में बहुत आसानी होती है. आप अपने आहार में आंवला का सेवन आंवले का जूस, कच्चा आंवला, आंवला अचार, आंवला डिटॉक्स वॉटर के रूप में भी कर सकते हैं.

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2. इलायची

इलायची हमारे किचन में इस्तेमाल होने वाला एक आम मसाला है. आम खांसी और जुकाम के लिए इलायची बहुत फायदेमंद होती है. यह आमतौर पर चाय और अन्य व्यंजनों को बनाने में पाउडर के रूप में इस्तेमाल  होती है. लेकिन आप चाहें, तो इलायची के तेल का सेवन भी कर सकते हैं. इलायची का तेल बैक्टीरिया और फंगस को मारने का काम करता है. इलायची को अपने दैनिक भोजन में शामिल करने से आपके ह्दय की कार्य क्षमता में सुधार होता है, बल्कि यह ओरल कैविटी और गम डिसीज का बेहतरीन इलाज भी है.

3. सौंफ- 

सौंफ हर भारतीय किचन में बहुत आसानी से मिल जाता है. सूखी सब्जियों में इसका इस्तेमाल बखूबी किया जाता है. लोग इसका इस्तेमाल भोजन करने के बाद  इसे पचाने के लिए करते हैं, लेकिन आप जानते हैं कि इस मसाले मे एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. इसलिए खाने के बाद इसका सेवन करने के अलावा और भी कई तरीकों से इसका इस्तमेाल किया जा सकता है. सौंफ को व्यंजनों को बनाते समय डालना अच्छा विकल्प है.

4. दालचीनी-

दालचीनी अपने एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के लिए जानी जाती है. दालचीनी एक तना है, जो आमतौर पर स्टिक और पाउडर के रूप में बाजार में उपलब्ध होती है. यह आपके चयापचय और पाचन में सुधार के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. इसके सेवन से न केवल ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है बल्कि ब्लड फ्लो में सुधार के लिए भी यह बहुत अच्छी  है.  इसे अगर एयरटाइट डिब्बे में रखा जाए, तो दालचीनी आमतौर पर 9-12 महीने तक चलती है. विशेषज्ञ अपने भोजन में हमेशा ताजा दालचीनी का ही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं.

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जब बात आपके स्वास्थ्य की हो, तो आहार मुख्य भूमिका निभाता है. इसलिए अगर आप घर से काम  कर रहे हैं, तो इन जड़ी-बूटियों को अपने आहार में शामिल करें और अपनी दिनचर्या में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें.

उम्र के अनुसार खाने में ऐसे शामिल करें पनीर

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

पनीर और इससे बने सभी व्यंजन लोगों को पसंद होते हैं. यह न केवल प्रोटीन और कैल्शियम बल्कि शरीर में विटामिन -डी की कमी को भी पूरा करता है. पनीर में शॉट चेन फैट के रूप में फैटी एसिड होते हैं, जो आसानी से पच जाते हैं. इससे फैट शरीर में बहुत जल्दी जमा नहीं होता और शरीर को ऊर्जा देने के लिए टुकड़ों में टूट जाता है, जिससे वजन नहीं बढ़ पाता. बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन पनीर के नियमित सेवन से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. यह शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को उत्तेजित करने में मदद करता है और शरीर में बेहतर इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है. पनीर में मौजूद विटामिन बी न केवल बढ़ते बच्चों के विकास में मददगार है, बल्कि एकाग्रता और यादाश्त में सुधार करके मास्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. वहीं पनीर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोरिस को रोकने में मददगार है. चूंकि पनीर के इतने सारे स्वास्थ्य लाभ  हैं, इसलिए सभी अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए. तो आइए जानते हैं उम्र के अनुसार इसे अपने आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है.

6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए-

पनीर एक पौष्टिक शिशु आहार है. आप बेबी फूड जैसे गाजर की प्यूरी, सेब की प्यूरी आदि में थोड़ा सा पनीर का पेस्ट मिलाकर बच्चे को दे सकते हैं. ध्यान रखें बच्चे को इसे बहुत कम मात्रा में दिया जाना चाहिए.

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बढ़ते बच्चों के लिए –

बढ़ते हुए बच्चों को अपने दैनिक आहार में कार्बोहाइड्रेट के साथ पोषक तत्वों से भरपूर आहार की जरूरत होती है. ऐसे में अपने बढ़ते बच्चों के लिए पनीर के भरवां पराठे बना सकते हैं. बच्चों के लिए दिन की शुरूआत करने का यह एक हाई कार्ब नाश्ता है. आप चाहें, तो तले हुए पनीर के टुकड़ों और सब्जियों के साथ गेहूं की ब्रेड की सैंडविच बनाकर उन्हें खिला सकते हैं. पनीर टिक्का और पनीर रोल जैसे स्टाटर्स भी बच्चों को पौष्टिक भोजन देने का एक बेहतरीन विकल्प है.

वयस्कों के लिए –

दिल की बीमारियों को दूर करने के साथ ब्लड प्रेशर कम करने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि पनीर हर वयस्क के आहार का हिस्सा होना चाहिए. विशेषज्ञ कहते हैं कि वयस्क को अपने भोजन के विकल्प चुनते समय पनीर के साथ बहुत सारी सब्जियां शामिल करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि वयस्कों में चयापचय दर बच्चों की तुलना में बहुत कम होती है. ऐसे में पनीर के साथ सब्जियों को शामिल करने से भोजन को पचाना बेहद आसान हो जाता है. आप सब्जी, पुलाव, हरे पत्तेदार सलाद में पनीर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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बुजुर्गों के लिए –

पनीर को पचाना बेहद आसान होता है. चूंकि बेहतर पाचन के लिए मैग्नीशियम और फास्फोरस दोनों की जरूरत  होती है, इसलिए पनीर बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छा पौष्टिक भोजन है. हालांकि, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस उम्र में आंत के स्वास्थ्य से समझौता करने के कारण इसका कैसे और कितना सेवन करना है. विशेषज्ञों की सलाह है कि बुजुर्ग लोगों के लिए पनीर को बहुत कम तेल और मसालों के साथ हल्के तरीके से पकाना चाहिए. हो सके, तो पनीर के साथ दही न दें. ध्यान रखें बुजुर्गों को ज्यादा से ज्यादा घर का बना पनीर देना फायदेमंद साबित होता है.

पनीर हर आयु वर्ग के लिए बहुत फायदेमंद है. इसलिए हर किसी को नियमित रूप से इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए.

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