जब छूट जाए नौकरी

विशाल रोजाना की तरह अपने औफिस गया. वहां जाने पर उसे पता चला कि कंपनी घाटे में चलने और आर्थिक मंदी के कारण कर्मचारियों की छंटनी कर रही है जिस में उस का नाम भी है. कंपनी ने अपने 1,600 कर्मचारियों में से 600 की छुट्टी कर दी.

विशाल के पैरों तले जमीन खिसक गई. उस पर अपने परिवार का दायित्व था. उसे वह कैसे निभाएगा? यह सोचते हुए वह लौट रहा था कि अचानक उस की मुलाकात उस के एक प्रोफैसर से हुई, जिन्होंने उसे 10 वर्ष पूर्व पढ़ाया था. बातों ही बातों में उस ने बताया कि छंटनी की वजह से उस की नौकरी चली गई और अब वह बेरोजगार हो गया है.

प्रोफैसर ने उसे दिलासा देते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं. एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुलता है. इसलिए निराश न हो. तुम पढ़ेलिखे हो, अनुभवी हो और काबिल भी हो. आज नहीं तो कल, तुम्हें जौब अवश्य मिल जाएगी. हां, इस के लिए कोशिश अभी से जारी कर दो. अपनी सोच सकारात्मक रखो और आत्मविश्वास को डगमगाने मत दो, फिर देखो कितनी जल्दी दूसरी नौकरी मिलती है.’’

रोहित जिस फैक्ट्री में काम करता था, उसे किसी अन्य ने खरीद लिया और उसे कंप्यूटरीकृत कर दिया. इस से उस की जगह कंप्यूटरों ने ले ली. कंपनी ने उसे नौकरी से हटा दिया. वह पिछले 8 सालों से सुपरवाइजर का काम कर रहा था.

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राकेश विगत 12 सालों से संविदा आधार पर शिक्षक के रूप में कार्यरत था. हर साल उस का कौंट्रैक्ट सालभर के लिए बढ़ा दिया जाता था. लेकिन, सरकार बदलते ही नीति में बदलाव होने से संविदा व्यवस्था समाप्त कर दी गई और उस की नौकरी चली गई.

आज नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है. एक पद के लिए हजारों आवेदन आते हैं. ऐसे में लगीलगाई नौकरी का छूट जाना कितना पीड़ादायक होता है, यह एक भुक्तभोगी ही जानता है. लेकिन नौकरी के चले जाने का मतलब यह नहीं कि दुनिया समाप्त हो गई. आशा का दीप कभी बुझने न दें.

परीक्षा की घड़ी

एक नौकरी छूटने और दूसरी मिलने के बीच का समय संक्रमण काल होता है. यह व्यक्ति के लिए परीक्षा की घड़ी होती है. यदि इस दौरान हिम्मत छोड़ दी, तो बुरी तरह टूट जाएंगे. हिम्मत वालों की कभी हार नहीं होती. यकीन मानिए, आप को काम अवश्य मिल जाएगा. हां, यह बात अलग है कि पूर्व में जिस पद और वेतन पर आप काम रहे थे, उस से कमतर पर आप को समझौता करना पड़े. एक बार नई नौकरी मिल जाए, फिर सामने वाला आप की योग्यता और काबिलीयत को देखते हुए प्रमोशन अवश्य देगा.

कुछ लोग बौस के डांटने पर तैश में आ जाते हैं और अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला कर बैठते हैं. वे अपना त्यागपत्र प्रस्तुत कर देते हैं, जिसे स्वीकार करने में बौस जरा भी देर नहीं करता. ऐसे में अपने क्रोधी स्वभाव की वजह से व्यक्ति अपनी जौब खो देता है. यदि उस ने अपने स्वभाव में बदलाव नहीं किया, तो दूसरी नौकरी छोड़ते भी उसे देर नहीं लगेगी.

यदि आप कंप्यूटर के जानकार हैं या नई स्किल्स से वाकिफ हैं तो आप को नई नौकरी ढूंढ़ने में अधिक परेशानी नहीं होगी. लेकिन, यदि आप बदलते युग के साथ अपनेआप को ढालने में असमर्थ हैं तो फिर नई नौकरी के कई दरवाजे आप को बंद मिलेंगे और लंबे इंतजार के बाद ही आप रोजगार पाने में सफल होंगे.

धैर्य न खोएं

जब किसी की नौकरी छूट जाती है तो वह घबरा जाता है. उस के मन में संशय होता है कि नई नौकरी मिलेगी या नहीं. वह मानसिक रूप से टूट जाता है और अपनेआप को अयोग्य मानने लगता है. कुछ तो नौकरी छूटने को बरदाश्त नहीं कर पाते और डिप्रैशन में चले जाते हैं. ऐसे लोग भी हैं जिन्हें स्वयं पर भरोसा नहीं होता, वे खुदकुशी कर लेते हैं. क्या खुदकुशी करना समस्या का हल है? यह तो कायरतापूर्ण कदम है. इसलिए नौकरी छूट जाने पर भी धैर्य न खोएं.

आज इंटरनैट का जमाना है. यहां से आप नौकरी के अवसरों को तलाश सकते हैं तथा अपनी योग्यतानुसार नौकरी का विकल्प चुन कर वहां आवेदन कर सकते हैं. इस के अलावा, अपने कौंट्रैक्ट्स को भी बढ़ाएं. आप की नैटवर्किंग अच्छी होगी, तो काम तलाशना आसान हो जाएगा.

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कभी भी इन कारणों से न करें शादी

अक्सर बहुत सी लड़कियों की शादी बहुत जल्दी हो जाती हैं और बाद में पछताती हैं लेकिन ये वो शादी अपनी मर्जी से नहीं करती हैं. किसी न किसी की कोई मजबूरी होती है तभी वो जल्दी शादी के बंधन में बंध जाती हैं बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे अपनी जिंदगी की खुशियों पर लगाम लगाकर वो आगे बढ़ जाती हैं और सोचती हैं कि शायद यहीं उनकी तकदीर थी, लेकिन अगर आप शादी कर रहीं हैं तो कभी भी उन कारणों से शादी न करें जिससे कारण आपको बाद में अफसोस हो. ऐसे कई कारण होतें है…

फैमिली प्रेशर

अक्सर परिवार वाले शादी का आप पर दबाव बनाते हैं कि अब तो शादी कर लेनी चाहिए या फिर मां-बाप को लगता है कि पता नहीं इससे अच्छा लड़का कब मिलेगा… ये लड़का बहुत अच्छा है बेटा तू शादी कर ले ये सब कह कर बेटी की शादी कर देते हैं और बेटी भी मां-बाप की बात में आकर शादी कर लेती है…फिर बाद में पछतावा होता है क्योंकि आप शादी दबाव में आकर करती हैं और आप उस वक्त शादी के लिए रेडी नहीं रहती.भले ही रिश्ता निभ जाए लेकिन बहुत कुछ है जिसके लिए आपको अफसोस होगा.

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उमर निकली जा रही है…                                   

अक्सर फैमिली वाले ये कहकर भी शादी के लिए दबाव बनाते हैं कि अरे उमर निकली जा रही है अब नहीं करेगी तो कब करेगी शादी. 25 की हो चली है भला इसके बाद कौन करेगी शादी. 25 के बाद तो लड़का भी नहीं मिलता है इसलिए कर ले शादी लेट शादी करेगी तो आगे के लिए दिक्कत हो जाएगी ये सब कह कर लड़की की शादी कर देते मां-बाप तो ऐसा कभी भी न करें बल्कि लड़की को पूरा मौका दें जब वो तैयार हो तभी शादी करें.

रिश्तेदारों का दबाव-

कभी-कभी मां-बाप तो समझ जाते हैं लेकिन कुछ रिश्तेदार ऐसे होते हैं जो लकड़ी के मां-बाप पर दबाव बनाते हैं कि बहुत अच्छा लड़का है इसकी शादी कर दीजीए भला इससे अच्छा परिवार अब कहां मिलेगा ज्यादा सोचिए मत और शादी फिक्स कर दिजीए…ऐसी तमाम बातें कहकर रिश्तेदार भी दबाव बनाते हैं…. तो सावधान हो जाइए..ऐसा कभी  न करें वरना आप खुद पछताएगी.

ब्रेकअप से उभरने के लिए-

अक्सर लड़कियों का ब्रेकअप होता है तो वो बहुत उदास और दुखी होती हैं ऐसे में अगर उनके पास शादी का ऑफर आता है तो उसे एक्सेप्ट कर लेती हैं अपने प्यार को भुलाने के लिए तो ऐसा भूलकर भी कभी न करें क्योंकि आप जिससे शादी करेंगी उससे आपको प्यार नहीं होगा तो आप शादी करके भी अपने प्यार को भूल नहीं पाएंगी और खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारेंगी.

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लड़के का बैक बैलेंस और सुन्दरता देखकर-

अक्सर कुछ लड़कियां लड़के का वेल सेटल्ड होना देखकर उनका बैंक बैलेंस देखकर उनकी सुन्दरता देखकर शादी के लिए हां कर देती हैं लेकिन उनका व्यवहार कैसा होता है पता ही नहीं होती और जब लड़के का व्यवहार लड़की के अनुरुप नहीं होता तो वो रिश्ता ज्यादा नहीं चलता इसलिए पहले लड़के को जानिए उसे समझिए,….जब आपको लगे कि अब अन्दर कोई डाउट नहीं है आप रेडी हैं तभी हां करिए.

ये सभी वो कारण है जिनके कारण लड़कियां शादी करती हैं और फिर पछताती हैं तो कभी भी इन कारणों से शादी न करें और खुद को शादी के लिए वक्त दें और मां-बाप भी इस बात को समझे.

जौब से करेंगे प्यार तो सक्सेस मिलेगी बेशुमार

क्या आप अपनी नौकरी, व्यापार या पेशे के लिए बोझिल मन से जाते हैं? वर्कप्लेस पर जाने का टाइम हो गया, इसलिए अब जाना ही पड़ेगा, ऐसा सोचते हैं? क्या जौब पर जाते समय आप की मनोदशा उस बकरे जैसी होती है जिसे कोई कसाई काटने के लिए घसीट कर ले जाता है या फिर उस बच्चे जैसी जिसे उस की मां घसीट कर स्कूल ले जाती है?

अगर इन सवालों का जवाब हां में है, तो समझ लीजिए कि आप जौब या प्रोफैशन में दिन ही बिता सकते हैं, कभी सफल नहीं हो सकते. अगर आप को सफलता चाहिए, तो अपनी जौब से प्यार करना सीखना होगा और वर्कप्लेस पर खुशियां ढूंढ़नी होंगी ताकि आप रोज प्रसन्नमन से अपने वर्कप्लेस पर जाएं और वहां पूरी ऊर्जा व तनमन से कामकाज करें. इस के लिए आप को अपनाने होंगे कुछ छोटेछोटे उपाय.

अपनी इमेज मल्टी डायमैंशनल बनाएं

पहचानें कि आप कौन हैं, आप खुद को किस रूप में देखते हैं. अगर आप की सैल्फ इमेज सिर्फ आप की नौकरी या प्रोफैशन से जुड़ी हुई है, तो आप को समस्या हो सकती है. अगर खुद को सिर्फ अकाउंटैंट, सैल्स पर्सन, वकील या सीईओ के रूप में पेश करते हैं तो यकीन मानिए कि आप खुद को प्रोफैशनल दायरे से बाहर नहीं निकाल पाए हैं.

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अपनी ऐसी पहचान बनाएं जो सैल्फ इमेज को मल्टी डायमैंशनल बना सके. यदि आप एक अच्छे लेखक, संगीतकार, गायक या शेफ हैं तो वर्कप्लेस पर लोगों को इस बात की जानकारी दें, ताकि वे आप को एक सम्मानित व्यक्ति के तौर पर पहचानें. इस से औफिस में आप के प्रति पौजिटिव वातावरण बनेगा. लोग आप की कद्र करेंगे तो आप को भी अच्छा महसूस होगा. सकारात्मक माहौल में काम करने का मजा ही कुछ और है.

नैगेटिव बातों को दरकिनार करें

कई बार वर्कप्लेस पर ऐसे लोगों से वास्ता पड़ता है जो हर वक्त अपनी मुसीबतों का ही रोना रोते रहते हैं. कई बार उन की बातें सुन कर मन वाकई कमजोर पड़ जाता है. लेकिन, दूसरों की बातें सुन कर परेशान न हों. उन की नैगेटिव बातचीत को इग्नोर करें. यह आसान नहीं है, फिर भी आप को इस पर अमल करना होगा.

जीवन में कई बार ऐसा होता है जब आप अपने सपनों को सिर्फ इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि आप दूसरों के बारे में विचार करने लग जाते हैं. जीवन में दूसरे कभी यह तय नहीं कर सकते कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. अगर आप कुछ पसंद करते हैं, तो सीधेतौर पर उस काम को करने की कोशिश करें. कई काम आप की अपेक्षा के विपरीत होते हैं. कभी किसी सहकर्मी, बौस या ग्राहक से कहासुनी हो जाती है और मूड औफ हो जाता है, ऐसे में बुरी बातों को सिर पर ढो कर टैंशन न लें. बीते समय के बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं होता.

हर सुबह एक नई शुरुआत होती है. आप के पास जो है, उस में खुश रहें और बाकी बातें भूल जाएं. आप बौस के गलत व्यवहार और विफलताओं को भुला कर आगे बढ़ें. नैगेटिव खयाल आप को कुछ नहीं देते, बस दुखी करते हैं.

अपनी जिम्मेदारी को प्लान करें

जब आप छोटी सी पिकनिक पर भी पूरी प्लानिंग के साथ जाते हैं, तो फिर वर्कप्लेस पर बस हाथ में बैग टांग कर और लंचबौक्स ले कर क्यों चल देते हैं? वर्कप्लेस पर आप को जिन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है या जिन स्थितियों को आप कंट्रोल करते हैं, उन की लिस्ट बनाएं. यह आप की टीम का आउटपुट, आप का सैल्स रूट, दिनभर के कार्यों का क्रम, सप्लाइज की खरीद, लोगों से मिलना, डैस्क को सहेजना कुछ भी हो सकता है. इन कार्यों को सही तरह से पूरा करने की प्लानिंग करें. इन्हें इस तरह पूरा करें कि आप जो भी प्रयास करें, उन से खुशी मिले. यह सब सिर्फ बौस को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि काम को सही ढंग से अंजाम देने के लिए होना चाहिए.

कार्य की शैड्यूलिंग करें

आप वर्कप्लेस के अपने बोरिंग रूटीन को गेम्स की सीरीज में तबदील कर सकते हैं. इस के लिए आप सब से मशहूर गेम कैंडी क्रश पर गौर कर सकते हैं. इस गेम में हर लैवल पर मुश्किलें बढ़ती चली जाती हैं. यहां आप की मौजूदा मास्टरी पता चलती है. आप के दिमाग की निर्णय लेने की क्षमता सीमित है, इसीलिए पूरे दिन काम करतेकरते दिमाग थक जाता है. आप को औटोमैटिक रूटीन तैयार करना चाहिए, रोज लेने वाले फैसलों की संख्या में कमी लानी चाहिए और कार्यों की शैड्यूलिंग भी करनी चाहिए. रोज साधारण लक्ष्य बनाएं. जैसे, दिन में कितनी कौल करनी हैं, ईमेल के लिए कितना समय देना है, प्रैजेंटेशन पूरा करने में कितना समय लगाना है आदि.

– कैरियर काउंसलर, गौतम दुगड़ से बातचीत पर आधारित.

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पैट पालें स्वस्थ रहें

कुत्ता पालना स्टेटस सिंबल ही नहीं है, बल्कि यह आप के जवां, हंसमुख और ऊर्जावान व्यक्तित्त्व एवं सकारात्मक सोच का जिम्मेदार भी है. कुत्ता पालने वाले 65 वर्ष की उम्र वाले लोग अपनी वास्तविक उम्र से 10 साल कम ही नजर आते हैं. वे हर वक्त ऊर्जा से भरपूर दिखते हैं. कुत्ता पालने वाले आप को हमेशा तनावमुक्त और हंसमुख स्वभाव के मिलेंगे, जबकि उसी उम्र के अन्य लोगों के स्वभाव में नीरसता, तनाव, झुंझलाहट, रोष और गुस्सा दिखेगा.

हाल ही में हुए एक शोध से यह बात सामने आई है कि घर में कुत्ता रखना एक बुजुर्ग के मानसिक स्वास्थ्य के साथसाथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बेहद सकारात्मक प्रभाव डालता है.

बर्लिन स्थित यूनिवर्सिटी औफ सैंट ऐंड्रयूज के शोधकर्ता फेंग झिक्यांग का मानना है कि 65 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों में कुत्ते का मालिक होने और बढ़ी हुई शारीरिक सक्रियता के बीच सीधा संबंध होता है. बुजुर्ग कुत्ता मालिक कुत्ता न रखने वाले अपने समकक्षों की अपेक्षा 12% अधिक सक्रिय पाए गए हैं. कुत्तों का स्वामी होने का बोध व्यक्तिगत सक्रियता की प्रेरणा देता है और बुजुर्गों को सामाजिक सहयोग का अभाव नहीं खलता. यह खराब मौसम, बीमारी और निजी सुरक्षा सरीखी कई समस्याओं से उबरने में भी सक्षम बनाता है.

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यह शोध 547 बुजुर्गों पर किया गया. शोध में सामने आया कि कुत्तों के मालिक न केवल शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय थे, बल्कि उन की गतिशीलता का स्तर भी अपने से 10 साल छोटे लोगों के बराबर था. 40-45 साल की उम्र तक हम सभी अपने कैरियर, शादी, परिवार और बच्चों की देखभाल आदि में बिजी रहते हैं.

45 की उम्र के बाद हमारा शरीर धीरेधीरे बुढ़ापे की ओर बढ़ना शुरू होता है. 50-55 की उम्र तक पहुंचतेपहुंचते हमें रिटायरमैंट और उस के बाद के खालीपन के खयाल भी तंग करने लगते हैं. ये तमाम तरह के तनाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर डालते हैं. ऐसे में पालतू कुत्ता आप के कितने काम आ सकता है, खुद ही जानिए:

कुत्ता पालने के फायदे

– घर में कुत्ता होगा तो आप रोज सुबह जल्दी उठ कर उसे घुमाने भी ले जाएंगे. शाम को भी उस के साथ वाक पर जाएंगे. इस तरह आप की प्रतिदिन 3-4 किलोमीटर की वाक हो जाएगी,

आप के फेफड़ों को सुबह की ताजा और साफ हवा भी मिल जाएगी, ब्लड सर्कुलेशन ठीक होगा और पूरे बदन की ऐक्सरसाइज के साथसाथ सारा तनाव भी छूमंतर हो जाएगा.

– घर में आप अपने पप्पी की देखभाल करेंगे. उसे समय पर खाना खिलाएंगे, नहलाएंगे, उस की साफसफाई का ध्यान रखेंगे और समय पर उसे दवाइ ंजैक्शन भी दिलवाने ले जाएंगे. इस तरह आप न सिर्फ उस का खयाल रख रहे होते हैं, बल्कि अपना भी ध्यान रख रहे होते हैं.

– जब आप कुत्ता पालते हैं तो उस से फैलने वाले बैक्टीरिया को ले कर भी आप काफी सतर्क रहते हैं. उस के शरीर से गिरने वाले बालों को हटाने के लिए आप रोजाना घर की सफाई करते या करवाते हैं यानी आप का कुत्ता आप को भी बीमारियों के प्रति सचेत रखता है.

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– कुत्ता पालने से आप की सोशल लाइफ भी बढ़ जाती है. सर्वेक्षण में पाया गया है कि उन लोगों की अजनबियों से जल्दी दोस्ती हो जाती है जो कुत्ते के साथ वाक पर निकलते हैं.

हैरत की बात यह है कि अध्ययनों से पता चलता है कि कुत्ता कैंसर का पता लगा सकता है. यह सुनने में थोड़ा फनी लगता है, लेकिन ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं जब कुत्ते ने अपने मालिक के बदन में पनप रहे कैंसर का पता लगा लिया. न्यूजर्सी की निवासी एलिना को पता भी नहीं था कि उन्हें ब्रैस्ट कैंसर है. वे कहती हैं कि उन की प्यारी पप्पी रोजमैरी जब भी उन के पास आती थी, उन के सीने पर सिर रख कर उदास लेट जाती थी.

वह काफी देर तक उस हिस्से को सूंघती भी रहती थी और कभीकभी उदास हो कर खाना भी छोड़ देती थी. तब भी उन्हें समझ में नहीं आता था कि वह ऐसा क्यों कर रही है. मगर 4 महीने बाद एलिना को पता चला कि उन की ब्रैस्ट में एक ग्रंथि है. जांच के बाद उन्हें कैसर बताया गया. उन का औपरेशन हुआ और अब वे बिलकुल ठीक हैं. अब उन की रोजमैरी खुश रहती है. अब वह उन के बदन में उस स्थान को सूंघती भी नहीं है.

ऐसा कई बार पाया गया है कि मालिक के शरीर में कुत्तों ने किसी विशेष हिस्से में चाटना शुरू कर दिया और जांच कराने पर उन्हें कैंसर निकला. कुत्तों में सूंघने की क्षमता बहुत तीव्र होती है. वे कई किलोमीटर तक सूंघने की क्षमता रखते हैं. ऐसे में अब कुत्तों को कैंसर का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाने लगा है. इस के अलावा कुत्तों में विशेष प्रकार की संवेदनशीलता भी होती है जिस से वे सेंधमारों, चोरों, बदमाशों की हरकतों को भांप जाते हैं और भूंकने लगते हैं. अगर घर में कुत्ता पला है तो आप निश्चिंत हो कर बाहर भी जा सकते हैं.

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ब्लाइंड डेट पर लड़के रखें इन चीजों का ध्यान

ब्लाइंड डेट लड़का-लड़की दोनों को क्रेजी बनाती है लेकिन लड़के कुछ ज्यादा ही क्रेजी होते हैं. अपने अनदेखे, अनजाने पार्टनर से मिलने की चाहत उन में कुछ ज्यादा ही होती है लेकिन इसी उत्साह में कुछ गलतियां कुछ बैठते हैं और फिर पछताते हैं. ऐसे में लड़के रखें कुछ बातों का खास ध्यान.

1.  इंप्रेशन अच्छा डालें

ब्लाइंड डेट को अच्छी यादगार बनाने के लिए, लड़की से कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह विचार कर लें, कहीं उस बात का दूसरा मतलब तो नहीं निकल रहा. फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन, इसलिए कुछ भी ऐसा न बोले जो उसे हर्ट कर जाए.

2. मिलने जा रहे हैं इंटरव्यू लेने नहीं

लड़की को ऐसा हरगिज नहीं लगना चाहिए कि आप उस का इंटरव्यू ले रहे हैं. बातचीत को पूरी तरह से हल्काफुल्का रखें. आप लड़की की पसंदनापसंद , शौक, पढ़ाई से संबंधित बातें कर सकते हैं

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 3. पार्टनर पर कौंसट्रेंट करें

लड़की को ऐसा महसूस कराएं कि आप का ध्यान सिर्फ उसी पर केंद्रित है. आप की नजरें लड़की के चेहरे पर टिकी हों, दूसरी लड़कियों पर कम ध्यान दें, तो आप अपनी ब्लाइंड डेट को कुछ खास बना सकते हैं.

4. मीटिंग प्लेस एकांत में न हो

अकसर लड़कियां लड़कों के व्यवहार और अक्लमंदी से प्रभावित होती है बजाय उन के बाहरी रंगरूप से. इसलिए लड़के व्यवहार अच्छा रखें और अपना सलीके से पेश आए. इसलिए लड़की को कभी भी अकेले स्थान पर मिलने के लिए न बुलाएं. ऐसा करने से आप का इंप्रेशन खराब हो सकता है. आप को देख कर लड़की को ऐसा न लगे कि आप डेट को ले कर बहुत उत्साहित हैं. नौर्मल बिहेव करें.

5. अच्छा एहसास कराएं

आप जहां भी मिलें, लड़की वहां कंफर्टेबल महसूस करें. वह कंफर्टेबल फील कर रही है तो ठीक है वरना आप उसे कहीं और चलने का सजेशन दे सकते हैं. अगर लड़की मना करती है, तो उसी जगह को उस के लिए कंफर्टेबल बनाएं ताकि वह सहज हो कर आप से बात कर सके और वह ब्लाइंड डेट उस के लिए भी थ्रिलिंग बन सके.

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8 टिप्स: ब्लाइंड डेट के दौरान जरूर रखें इन बातों का ध्यान

औनलाइन डेटिंग वैबसाइट्स, सोशल मीडिया और चैटिंग एप्स के जरिए बहुत सारे युवा लड़केलड़कियां एकदूसरे से जुड़ रहे हैं क्योंकि युवाओं तक इंटरनेट की पहुंच बहुत ज्यादा बढ़ी है. औनलाइन बातचीत में वे एकदूसरे के इतने करीब आ जाते हैं कि रियल लाइफ में भी मुलाकातों और डेटिंग के प्लान बनने शुरू हो जाते हैं. लेकिन जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ पहली बार डेट पर जाते हैं, जिस से आप पहले नहीं मिले हों तो मन में एक्साइटमेंट व डर होना स्वाभाविक है. इस के बावजूद अपनी डेट को परफैक्ट बनाना है तो कुछ बातों का रखे खास खयाल, क्योंकि सुरक्षा के लिहाज से भी सतर्कता बरतनी बेहद आवश्यक है.

1. औनलाइन प्रोफाइल चैक करें

सोशल मीडिया पर अकसर कई लोग अपनी गलत जानकारी देते हैं. ऐसे में अगर आप खुद को सेफ रखना चाहती हैं तो औनलाइन रिसर्च कर लें. आजकल एक व्यक्ति कई साइट्स पर होता है इसलिए क्रौस चेक करना बेहद जरूरी है.

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2. फोन पर बात करें

कभीकभी लोग अपनी औनलाइन प्रोफाइल में जो भी पोस्ट करते हैं उस से पूरी तरह से अलग औफलाइन व्यक्तित्व रखते हैं. इसलिए मिलने का प्रोग्राम बना लिया है तो बेहतर होगा पहले आप कुछ वक्त एकदूसरे के साथ फोन पर जरूर बिताएं. इस से आप को सामने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व का काफी हद तक अंदाजा हो जाएगा. आप एकदूसरे के साथ सहज महसूस करने लगेंगे. इस के बाद ही मिलने का प्लान बनाएं.

3. पर्सनल बातें अभी नहीं

पहली मीटिंग के बाद अगर आप दोनों को एकदूसरे के साथ अच्छा लगा हो, तब भी बहुत अधिक पर्सनल बातों को शेयर करने से बचें. जब तक विश्वास कायम न हो जाए किसी को अपने घरपरिवार और अतिनिजी बातों की जानकारी देना सही नहीं.

4. सुरक्षा का ख्याल

जब पहली बार किसी से मिलने जा रहे हों, तो अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें. इसलिए ऐसे रेस्तरां या कैफे में मिलने का प्रोग्राम बनाएं, जहां आप पहले भी गए हों. किसी नई जगह जाने की भूल न करें. यदि अपनी किसी क्लोज फ्रैंड को अपने इस प्लान के बारे में बता दें, तो अच्छा है. उसे मिलने वाले व्यक्ति का नाम, नंबर व मिलने की जगह के बारे में अवश्य बता दें.

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5. सकारात्मक बातचीत

पहली बार जब किसी से मिलें तो सकारात्मक बातचीत से शुरूआत करें. आप एकदूसरे के गोल्स या कुछ मीनिंगफुल बात कर सकते हैं. इस तरह की बात आप दोनों को सहज महसूस कराएंगी और आप आराम से बातचीत कर पाएंगे.

6. बैलेंस रहें

बातों में हमेशा बैलेंस बना रहे. पहली मुलाकात में ज्यादा फ्री हो कर बातें करना कई बार दूसरे के सामने आप की छवि को खराब कर देता है.

7. मुसकराहट बरकरार रखें

मुसकराने से आप आकर्षक तो लगते ही है साथ ही फ्रेंडली लुक भी देते हैं. इसलिए ब्लाइंड डेट में हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि मुसकराने में आपकी तरफ से बिलकुल कंजूसी न हो.

8. कपड़ों का चयन

इंसान का व्यक्तित्व उस के कपड़ों से  झलकता है, इसलिए कपड़ों का चयन सोचसम झ कर करें. ओवर ड्रैस हो कर न जाएं. बहुत ज्यादा मेकअप करने से अच्छा रहेगा कि नैचुरल रहा जाए.

9. सब्र से काम लें

सब से बड़ी बात, ब्लाइंड डेट कोई मजाक भी हो सकता है. आप किसी पर बिना जानेपहचाने एकदम से भरोसा नहीं कर सकते. यदि आप का यह भरोसा टूट जाए तो सब्र से काम लें और पूरी बात जानने की कोशिश करें.

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जब शादी पर हावी होने लगे दोस्ती तो हो जाएं सावधान

हफ्ते के 5 दिन का बेहद टाइट शेड्यूल, घर और आफिस के बीच की भागमभाग. लेकिन आने वाले वीकेंड को सेलीब्रेट करने का प्रोग्राम बनातेबनाते प्रिया अपनी सारी थकान भूल जाती है. उस के पिछले 2 वीकेंड तो उस के अपने और शिवम के रिश्तेदारों पर ही निछावर हो गए थे. 20 दिन की ऊब के बाद ये दोनों दिन उस ने सिर्फ शिवम के साथ भरपूर एेंजौय करने की प्लानिंग कर ली थी. लेकिन शुक्रवार की शाम जब उस ने अपने प्रोग्राम के बारे में पति को बताया तो उस ने बड़ी आसानी से उस के उत्साह पर घड़ों पानी फेर दिया.

‘‘अरे प्रिया, आज ही आफिस में गौरव का फोन आ गया था. सब दोस्तों ने इस वीकेंड अलीबाग जाने का प्रोग्राम बनाया है. अब इतने दिनों बाद दोस्तों के साथ प्रोग्राम बन रहा था तो मैं मना भी नहीं कर सका.’’ऐसा कोई पहली बार नहीं था. अपने 2 साल के वैवाहिक जीवन में न जाने कितनी बार शिवम ने अपने बचपन की दोस्ती का हवाला दे कर प्रिया की कीमती छुट्टियों का कबाड़ा किया है. जब प्रिया शिकायत करती तो उस का एक ही जवाब होता, ‘‘तुम्हारे साथ तो मैं हमेशा रहता हूं और रहूंगा भी. लेकिन दोस्तों का साथ तो कभीकभी ही मिलता होता है.’’

शिवम के ज्यादातर दोस्त अविवाहित थे, अत: उन का वीकेंड भी किसी बैचलर्स पार्टी की तरह ही सेलीब्रेट होता था. दोस्तों की धमाचौकड़ी में वह भूल ही जाता था कि उस की पत्नी को उस के साथ छुट्टियां बिताने की कितनी जरूरत है.

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बहुत से दंपतियों के साथ अकसर ऐसा ही घटता है. कहीं जानबू कर तो कहीं अनजाने में. पतिपत्नी अकसर अपने कीमती समय का एक बड़ा सा हिस्सा अपने दोस्तों पर खर्च कर देते हैं, चाहे वे उन के स्कूल कालेज के दिनों के दोस्त हों अथवा नौकरीबिजनेस से जुड़े सहकर्मी. कुछ महिलाएं भी अपनी सहेलियों के चक्कर में अपने घरपरिवार को हाशिए पर रखती हैं.थोड़े समय के लिए तो यह सब चल सकता है, किंतु इस तरह के रिश्ते जब दांपत्य पर हावी होने लगते हैं तो समस्या बढ़ने लगती है.

यारी है ईमान मेरा…

दोस्त हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं, इस में कोई शक नहीं. वे जीवनसाथी से कहीं बहुत पहले हमारी जिंदगी में आ चुके होते हैं. इसलिए उन की एक निश्चित और प्रभावशाली भूमिका होती है. हम अपने बहुत सारे सुखदुख उन के साथ शेयर करते हैं. यहां तक कि कई ऐसे संवेदनशील मुद्दे, जो हम अपने जीवनसाथी को भी नहीं बताते, वे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं, क्योंकि जीवनसाथी के साथ हमारा रिश्ता एक कमिटमेंट और बंधन के तहत होता है, जबकि दोस्ती में ऐसा कोई नियमकानून नहीं होता, जो हमारे दायरे को सीमित करे. दोस्ती का आकाश बहुत विस्तृत होता है, जहां हम बेलगाम आवारा बादलों की तरह मस्ती कर सकते हैं. फिर भला कौन चाहेगा ऐसी दोस्ती की दुनिया को अलविदा कहना या उन से दूर जाना.

लेकिन हर रिश्ते की तरह दोस्ती की भी अपनी मर्यादा होती है. उसे अपनी सीमा में ही रहना ठीक होता है. कहीं ऐसा न हो कि आप के दोस्ताना रवैए से आप का जीवनसाथी आहत होने लगे और आप का दांपत्य चरमराने लगे. विशेषकर आज के व्यस्त और भागदौड़ की जीवनशैली में अपने वीकेंड अथवा छुट्टी के दिनों को अपने मित्रों के सुपुर्द कर देना अपने जीवनसाथी की जरूरतों और प्यार का अपमान करना है. अपनी व्यस्त दिनचर्या में यदि आप को अपना कीमती समय दोस्तों को सौंपना बहुत जरूरी है तो उस के लिए अपने जीवनसाथी से अनुमति लेना उस से भी अधिक जरूरी है.

ये दोस्ती…

कुछ पुरुष तथा महिलाएं अपने बचपन के दोस्तों के प्रति बहुत पजेसिव होते हैं तो कुछ अपने आफिस के सहकर्मियों के प्रति. श्वेता अपने स्कूल के दिनों की सहेलियों के प्रति इतनी ज्यादा संवेदनशील है कि अगर किसी सहेली का फोन आ जाए तो शायद पतिबच्चों को भूखा ही आफिस स्कूल जाना पड़े. और यदि कोई सहेली घर पर आ गई तो वह भूल जाएगी कि उस का कोई परिवार भी है. दूसरी ओर कुछ लोग किसी गेटटूगेदर में अपने आफिस के सहकर्मियों के साथ बातों में ऐसा मशगूल हो जाएंगे कि उन की प्रोफेशनल बातें उन के जीवनसाथी के सिर के ऊपर से निकल रही हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं होती.

इस के अलावा आफिस में काम के दौरान अकसर लोगों का विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण और दोस्ती एक अलग गुल खिलाती है. इस तरह का याराना बहुधा पतिपत्नी के बीच अच्छीखासी समस्या खड़ी कर देता है. कहीं देर रात की पार्टी में उन के साथ मौजमस्ती, कहीं आफिशियल टूर. कभी वक्तबेवक्त उन का फोन, एस.एम.एस., ईमेल अथवा रात तक चैटिंग. इस तरह की दोस्ती पर जब दूसरे पक्ष को आब्जेक्शन होता है तो उन का यही कहना होता है कि वे बस, एक अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं. फिर भी दोनों में से किसी को भी इस ‘सिर्फ दोस्ती’ को पचा पाना आसान नहीं होता.

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दोस्ती अपनी जगह है दांपत्य अपनी जगह

यह सच है कि दोस्ती के जज्बे को किसी तरह कम नहीं आंका जा सकता, फिर भी दोस्तों की किसी के दांपत्य में दखलअंदाजी करना अथवा दांपत्य पर उन का हावी होना काफी हद तक नुकसानदायक साबित हो सकता है. शादी से पहले हमारे अच्छेबुरे प्रत्येक क्रियाकलाप की जवाबदेही सिर्फ हमारी होती है. अत: हम अपनी मनमानी कर सकते हैं. किंतु शादी के बाद हमारी प्रत्येक गतिविधि का सीधा प्रभाव हमारे जीवनसाथी पर पड़ता है. अत: उन सारे रिश्तों को, जो हमारे दांपत्य को प्रभावित करते हैं, सीमित कर देना ही बेहतर होगा.

कुछ पति तो चाहते हुए भी अपने पुराने दोस्तों को मना नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें ‘जोरू का गुलाम’ अथवा ‘बीवी के आगे दोस्तों को भूल गए, बेटा’ जैसे कमेंट सुनना अच्छा नहीं लगता. ऐसे पतियों को इस प्रकार के दोस्तों को जवाब देना आना चाहिए, ध्यान रहे ऐसे कमेंट देने वाले अकसर खुद ही जोरू के सताए हुए होते हैं या फिर उन्होंने दांपत्य जीवन की आवश्यकताओं का प्रैक्टिकल अनुभव ही नहीं किया होता.

सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे

जरूरत से ज्यादा यारीदोस्ती में बहुत सारी गलतफहमियां भी बढ़ती हैं. साथ ही यह जरूरी तो नहीं कि हमारे अपने दोस्तों को हमारा जीवनसाथी भी खुलेदिल से स्वीकार करे. इस के लिए उन पर अनावश्यक दबाव डालने का परिणाम भी बुरा हो सकता है. अत: इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय अपनाए जा सकते हैं :

अपने बचपन की दोस्ती को जबरदस्ती अपने जीवनसाथी पर न थोपें.

अगर आप के दोस्त आप के लिए बहुत अहम हों तब भी उन से मिलने अथवा गेटटूगेदर का वह वक्त तय करें, जो आप के साथी को सूट करे.

बेहतर होगा कि जैसे आप ने एकदूसरे को अपनाया है वैसे एकदूसरे के दोस्तों को भी स्वीकार करें. इस से आप के साथी को खुशी होगी.

जीवनसाथी के दोस्तों के प्रति कोई पूर्वाग्रह न पालें. बेवजह उन पर चिढ़ने के बजाय उन की इच्छाओं पर ध्यान दें.

‘तुम्हारे दोस्त’, ‘तुम्हारी सहेलिया’ के बदले कौमन दोस्ती पर अधिक जोर दें.

अपने बेस्ट फ्रेंड को भी अपनी सीमाएं न लांघने दें. उसे अपने दांपत्य में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी की छूट न दें.

आफिस के सहकर्मियों की भी सीमाएं तय करें.

अपने दांपत्य की निजी बातें कभी अपने दोस्तों पर जाहिर न करें.

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आखिर क्या है ‘पिटी पार्टी’? जो दिलाए ब्रेकअप के दर्द से राहत

लेखक- पूनम

पिटी पार्टी मतलब मी टाइम

– इस में आप अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाते हैं.

– यह ऐसा समय होता है जिस में तनाव कम हो जाता है.

– आप फिर से व्यवस्थित होते हैं, आगे की सोचते हैं. स्ट्रौंग होते हैं.

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– अपने साथ ही समय बिता कर आप कुछ अच्छा, पौजिटिव और तर्कसंगत सोच पाते हैं.

1978 में अमेरिकन सिंगर बारबरा मंड्रैल ने अपने ब्रेकअप के बाद एक गाना गाया था, ‘हैविंग अ सैड पिटी पार्टी…’ आप ने न जाने कितनी बार सुना होगा कि, ‘रो लो, तुम्हारा दिल हलका होगा,’ यह बिलकुल सही है. अपने साथ ही कुछ समय बिता कर अपनी सारी भावनाओं को बाहर निकाल कर आप फिर से अपने को ज्यादा स्ट्रौंग पाएंगी. दिल दुखी है? मूड बहुत खराब है? बहुत सारे टिश्यूज लीजिए, अपना मनपसंद खाना और्डर कीजिए और आराम से सोचिए कि क्या हो गया और अब कैसे आगे बढ़ना है.

इस स्थिति का एक नाम है, पिटी पार्टी. यह बहुत काम की चीज है, इसे कर के देखें.जब फैशन डिजाइनर रिद्धी जैन का अपने 7 महीने के अफेयर के बाद ब्रेकअप हुआ, उस का हाल बेहाल था. वे बताती हैं, ‘‘उस ने अचानक मुझे मैसेज भेजना बंद कर दिया. मेरे पूछने पर बहाने बनाने लगा. कोई फोन नहीं, कोई मैसेज नहीं. अचानक मिलना भी बंद कर दिया. मैं ने ऐसे समय पर वही किया जो सब करते हैं, घर पर बैठ गई. खूब रोती रहती. सब से मिलना बंद कर दिया. यह एक हफ्ता चला. पर फिर मैं धीरेधीरे सब भड़ास निकाल कर अपनेआप ही और स्ट्रौंग हुई.’’

रिद्धी को यह पता ही नहीं था कि जो उस ने किया, वही है पिटी पार्टी. ऐक्सपर्ट्स कहते हैं, ‘‘इस टाइप की पार्टी में रो कर मन हलका हो जाता है.साइको थेरैपिस्ट अनन्या सिंह कहती हैं, ‘‘यह एनरिचिंग, सोशलाइजिंग प्रोसैस है. इस में आप को खुद से कनैक्ट होने का समय मिलता है, एक स्पेस मिलता है जो आप की मैंटल हैल्थ के लिए जरूरी होता है. फिर आप चीजों को बेहतर तरीके से देख पाते हैं. मी टाइम जरूरी होता है.’’

अनन्या के अनुसार पिटी पार्टी अपनेआप पर थोपें नहीं. यह अनुभव एनरिचिंग होना चाहिए. यह अनुभव ऐसा होना चाहिए कि आप इस समय के बाद ज्यादा स्ट्रौंग, शांत हो कर बाहर आएं. आप का मन  एक बार शांत हो गया तो आप अपना आगे का समय कुछ नया सीखने में लगाएं. बस, फिर देखें कि आप ने अपना यह टैंशन का टाइम कितनी खूबसूरती से हैंडल कर लिया है.

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आप को खुशी होगी

क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट प्राजक्ता कहती हैं, ‘‘इस समय आप काफी भावनात्मक उतारचढ़ाव से गुजरते हैं, गलत फैसला भी लिया जाता है. पर अपने मन की शांति के लिए अपने साथ ही कुछ समय बिताना जरूरी होता है. हमें एहसास नहीं होता पर यह पिटी पार्टी हम अपने साथ कई बार करते हैं, जैसे जब हम पर कोई नकारात्मक टिप्पणी करता है औफिस में या घर पर या दोस्तों में. अकसर लोग इस पर ध्यान नहीं देते पर मैं सलाह दूंगी कि बैलेंस बनाए रखें और कुछ नया व सकारात्मक सीखने के लिए तैयार रहें. किसी भी तरह की ऐक्सरसाइज करें.’’अपनी भड़ास निकालने के लिए अकेले में रोना बुरा नहीं है. अपना टाइम लें, शांत मन से सोचें, घबराएं नहीं. ब्रेकअप जीवन का अंत नहीं है. जो चला गया उसे जाने दें. उस के लिए अपना जीवन रोकें नहीं. पिटी पार्टी के ब्राद फ्रैश हो कर निकलें, मुसकराएं, आगे बढ़ें.

जानें क्यों वर्किंग वुमंस के लिए जरूरी है इमोशनल बैलेंस

आज की तेज रफ्तार भागतीदौड़ती जिंदगी में रोजमर्रा की कामकाजी चुनौतियों तथा घरपरिवार दोनों जिम्मेदारियों को संभालते हुए तनाव तथा भावनात्मक उतारचढ़ाव आज की नारी की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं.

आज महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर व्यावसायिक जगत में अपनी पहचान बनाने व पांव जमाने के लिए प्रयत्नशील हैं. किंतु पुरुष वर्चस्व को चुनौती देने का यह सफर आसान नहीं होता. आमतौर पर महिला को कहीं लिंग भेद का सामना करना पड़ता है, तो कहीं पुरुष की कामुक दृष्टि का. मातृत्व का दायित्व तथा घरेलू उत्तरदायित्वों का बोझ उस पर होने से अकसर बिना परखे ही उसे अयोग्य मान लिया जाता है. घर तथा बाहर के इस संघर्ष में खीज, क्रोध और चिड़चिड़ापन मन पर हावी होने लगता है और मन तनाव से घिरने लगता है. मानसिक संतुलन तथा निराशावादी सोच उसे हतोत्साहित करने लगती है. ऐसे में अपनी भावनात्मक ऊर्जा व शक्ति को बढ़ा कर स्थितियों का संयम, बुद्धिमत्ता तथा दृढ़ता से सामना करना और घर व नौकरी दोनों के अंतहीन कार्यों के मध्य सामंजस्य की क्षमता बढ़ाना ई क्यू यानी इमोशनल कोशंट ही करता है.

आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाती हैं तो आजकल आप का आईक्यू चैक नहीं किया जाता. इंटैलिजैंट तो आप हैं पर क्या आप का ईक्यू भी उतना ही स्ट्रौंग है? क्या आप में इतनी भावनात्मक शक्ति है कि आप प्रैशर में, तनाव में रह कर कार्य कर सकेंगी? आप टीम स्पिरिट में कितना चल पाएंगी? कहीं आप का नर्वस ब्रेकडाउन तो नहीं हो जाएगा? ऐसा कुछ न हो इस के लिए आप को अपना ई क्यू बढ़ाना पड़ेगा.

आज की नारी निस्संदेह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न है. लेकिन जहां एक ओर दफ्तर में उस से पूर्ण अपेक्षा की जाती है, वहीं घर को सुरुचिपूर्ण ढंग से व्यवस्थित करना, बच्चों को समुचित मार्गदर्शन देना, उन्हें प्यार व देखभाल से पालना, पढ़ाईलिखाई व खेलकूद में सहयोग देना, सोसाइटी में पति के कंधे से कंधा मिला कर चलना, परिवार व मित्रों के साथ सामाजिक आचारव्यवहार निभाना जैसे कार्य भी उसी से अपेक्षित होते हैं. ऐसे में शारीरिक व मानसिक थकावट कब तनाव का रूप धारण कर लेती है, पता ही नहीं चलता. बिना मानसिक संतुलन खोए आने वाली हर कठिन परिस्थिति का संयम, बुद्धिमत्ता तथा दृढ़ता से सामना करने के योग्य बनाना ही ई क्यू का लक्ष्य होता है.

परिस्थिति का मुकाबला

आज जब आप इंटैलिजैंस तथा अवेयरनैस यानी बुद्धिमत्ता व जागरूकता को अपने व्यक्तित्व का एक अहम पहलू मानती हैं, तो यह अति आवश्यक है कि इमोशनल स्मार्टनैस का भी ध्यान रखें. घर हो या दफ्तर, आप को हर रोज कई तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. याद रखें की विपरीत परिस्थितियां तो रहेंगी, कहीं न कहीं ऐसे लोग भी आप के आसपास रहेंगे, जो सिर्फ दूसरों के लिए परेशानियां तथा कठिनाइयां उत्पन्न करना ही अपना फर्ज मानते हैं.

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दफ्तर में बौस अगर आप को बेवजह डांटते हैं या आप के सहकर्मी आप से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा रखते हैं अथवा किसी प्रोजैक्ट की डैड लाइन तक आप काम पूरा नहीं कर पा रही हैं, तो समस्या की जड़ पर ध्यान दें.

यह आप का नितांत व्यक्तिगत निर्णय होता है कि दुख, तनाव और परेशानी में घिर कर रोनाबिसूरना है या शांत व तटस्थ रह कर समस्या का हल ढूंढ़ना है.

यही इमोशनल स्मार्टनैस है, जिस के अभाव में आप अपनी अक्षमताओं, असफलताओं तथा बेबसी पर बैठ कर आंसू बहाते हुए सब के सामने ‘इमोशनल फूल’ बन कर रह जाएंगी.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने वर्ष 2001-2011 के बीच किए अध्ययन में पाया है कि 30 से 45 साल की 36% कामकाजी महिलाएं तनाव तथा हाई ब्लडप्रैशर की शिकार हैं. इतना ही नहीं, 31% कामकाजी युवा महिलाएं माइग्रेन के अथवा किसी अन्य प्रकार के दर्द की शिकार हैं. 65% दर्द के कारण 6 से 8 घंटे की सामान्य नींद नहीं ले पातीं. 49% पर दर्द की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर हो रहा है. वहीं 13% को क्रौनिक दर्द की वजह से नौकरी तक छोड़नी पड़ी है.

नैशनल इंस्टिट्यूट औफ औक्युपेशनल हैल्थ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में युवाओं की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा है. मैट्रो शहरों में काम करने वाले पुरुष ही नहीं महिलाएं भी तनाव, अनिद्रा, डायबिटीज और मोटापे का शिकार पाई गई हैं.

आप क्या करें

आप ई क्यू के प्रयोग से कार्यक्षेत्र का तनाव कम करें और इस के लिए अपनाएं आगे बताए जा रहे तरीके:

न कहना सीखें

यह सत्य है कि अधिक योग्य व्यक्ति को ही अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं. बेशक आप योग्य हैं तथा सभी कार्य पूर्ण कुशलता से कर सकती हैं. पर कभीकभी ‘न’ कहने की कला भी सीखें. कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, इस बात को स्वीकारें. बौस की नजरों में ऊपर उठने के लिए क्षमता से अधिक स्ट्रैस लेना ठीक नहीं.

रखें सकारात्मक सोच

कार्यक्षेत्र से जुड़ी समस्याओं से जूझने के लिए हमेशा अपनी सोच को आशावादी तथा सकारात्मक रखें. दूसरों से मिली आलोचनाओं तथा अतीत में मिली असफलताओं को स्वयं पर हावी न होने दें.

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एकाग्रता बढ़ाएं

जब आप तनावमुक्त तथा शांत हो कर कोई कार्य करेंगी तभी उस कार्य की गुणवत्ता प्रभावशाली होगी. इसलिए अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करें तथा एकाग्रचित्त हो कर बिना इधरउधर की व्यर्थ की बातों पर ध्यान दिए लगन से अपना कार्य करें.

कार्यक्षेत्र की राजनीति से दूर रहें

अकसर कार्यस्थलों में वैचारिक एवं कार्यप्रणाली संबंधी राजनीति हावी रहती है. आप बिना तनाव में आए ध्यानपूर्वक अपना कार्य करें. इमोशनल ब्लैकमेलिंग की राजनीति से बच कर रहें.

बौस के साथ संपर्क में रहें

कार्यक्षेत्र की किसी भी प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक परेशानी सदैव बौस के साथ शेयर करें. अपने क्रियात्मक तथा व्यावहारिक सुझाव भी बौस के साथ बांटने की हिम्मत रखें. इस से आप की कार्यशैली का पता चलता है.

यह सदैव याद रखें कि तनाव तो हर कार्यक्षेत्र में होता ही है, किंतु अपनी योग्यता एवं इमोशनल स्मार्टनैस से आप अपने कार्य को सरल एवं तनावमुक्त बना सकती हैं. उसी कार्यकुशलता से आप घर में भी छोटेछोटे प्रयोगों द्वारा अपने कामकाज को सहजता से कर पाने में सक्षम होंगी.

नियमित करें व्यायाम

फिजियोथेरैपिस्ट रजनी कहती हैं कि व्यायाम से ऐंडोर्फिंस में वृद्धि होती है. यह रसायन दिमाग में उल्लास का संचार करता है, जिस से शारीरिक तनाव अपनेआप ही कम हो जाता है. व्यायाम शरीर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को निर्मित करता है. याद रखें कि मोटापा तथा वजन कम करना ही व्यायाम का एकमात्र कार्य नहीं होता. इम्यून सिस्टम में सुधार के साथसाथ व्यायाम तनाव के नकारात्मक असर को भी समाप्त करता है.

यदि हम इमोशनली स्मार्ट व सुदृढ़ होंगे तो अपनी कार्यशैली व जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन ला कर तनाव को दफ्तर ही नहीं घरेलू कामकाज में अड़चन बनने से भी रोक पाएंगे.

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मान लीजिए कि आप को दफ्तर समय पर पहुंचना है किंतु आप की कामवाली बाई बिना पूर्व सूचना के छुट्टी पर चली गई है. सारा घर व रसोई फैली पड़ी है. नाश्ता बनाना, सब का लंच पैक करना, बच्चों को स्कूल भेजना आदि अंतहीन कामों में आप की चिड़चिड़ाहट सातवें आसमान को छूने लगती है. तनाव तथा बौखलाहट में आप अपना सारा क्रोध पति तथा बच्चों पर निकालेंगी. स्वयं पर तरस खाएंगी कि सब कुछ आप को अकेले ही झेलना पड़ता है. यह स्थिति वास्तव में विकट होती है किंतु इस से जूझने का जो तरीका आप चुनती हैं, वह आप की इमोशनल दृढ़ता व स्मार्टनैस पर ही निर्भर करता है.

आप स्मार्ट हैं तो सुबहसुबह क्रोध व तनाव से घिरीं रोतेझींकते हुए दिन की शुरुआत करने के बजाय धैर्य से काम लेंगी. पति को मुसकरा कर एक कप गरम चाय का प्याला पकड़ाएंगी तथा प्यार से उन्हें रसोई में अपनी सहायता के लिए बुलाएंगी. बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हुए उन्हें अपना स्कूल बैग, यूनिफौर्म तथा जूते इत्यादि स्वयं तैयार करने को प्रेरित करेंगी. लंच यदि न भी पैक हो पाया तो कोई बात नहीं. चिकचिक करने से कहीं बेहतर होगा कि बच्चे स्कूल कैंटीन से ले कर कुछ खा लें. एकाध दिन बाहर खा लेने में कोई हरज नहीं. आप भी खुश और बच्चे भी.

रिश्तों का तनाव

कहते हैं कि रिश्ते बनाए नहीं निभाए जाते हैं. यदि आप इमोशनली स्मार्ट हैं, तो इस बात को आप बेहतर ढंग से समझ पाएंगी कि 2 व्यक्तियों में वैचारिक मतभेद होता ही है. अत: छोटीछोटी बातों से घबरा कर रिश्तों में कड़वाहट तथा तनाव लाने से बेहतर है उन्हें नजरअंदाज कर देना. कभीकभी ऐसा भी होता है कि न चाहते हुए भी आप स्वयं को भावनात्मक रूप से टूटा व हारा हुआ पाती हैं. घर का कोई न कोई सदस्य बेवजह आप को कुछ चुभने वाली बातें सुना जाता है. सास, जेठानी या ननद आप के हर काम में मीनमेख निकालती हैं, पति की अपेक्षाओं पर आप खरी नहीं उतरती हैं, इसलिए उन के क्रोध का पात्र बनी रहती हैं.

घबराएं नहीं, धैर्य से काम लें. एकांत में बैठ कर एकाग्रचित्त हो कर अपने व्यवहार तथा कार्यों का निष्पक्षता से विश्लेषण करें. यदि वास्तव में आप को अपने व्यवहार में कुछ गलत लगे तो बिना किसी पूर्वाग्रह व अहं को आड़े लाए स्वयं को बदलने की कोशिश करें तथा संबंधित व्यक्ति से माफी मांग लें. वार्त्तालाप कभी बंद नहीं होना चाहिए. ऐसा होने पर गलतफहमियां और बढ़ जाती हैं. आप स्मार्ट हैं, स्ट्रौंग हैं, आप में आत्मविश्वास भरा है, तो आप ये सब निश्चित रूप से कर पाएंगी, क्योंकि आप जानती हैं कि तनाव तथा परेशानियों में जीना स्वयं की गलतियां सुधार लेने से कहीं कठिन होता है.

यदि आप सही हैं तो अनर्गल तथा व्यर्थ की बातों से व्यथित होने की कतई आवश्यकता नहीं. स्वयं को भावनात्मक रूप से सबल बनाएं तथा परिवार वालों को अपना दृष्टिकोण प्यार से समझाएं. सामने वाला गरम हो रहा हो तो आप ठंडी रहें. पहले उसे ठंडा होने दें फिर स्नेह से उसे पिघला कर अपने सांचे में ढाल लें. बात बन जाएगी.

ये सब मेरे साथ ही क्यों होता है? सब मुझे ही गलत क्यों समझते हैं? सब मिल कर मेरे लिए सिर्फ समस्याएं ही क्यों बढ़ाते हैं? हर बार सिर्फ मैं ही क्यों झुकूं? यह सब सोचते ही आप स्वयं को बेचारी तथा शक्तिहीन मानने लगती हैं. ‘मैं ही क्यों’ आप को एहसास दिलाता है कि आप लोगों एवं परिस्थितियों की सताई हुई हैं. ‘बेचारी मैं’ का भाव आप को आत्मदया के अंधे कुएं में धकेल देता है.

समस्याओं का हल

परीक्षा में बच्चों के परिणाम अच्छे न आना अथवा युवा होते बच्चों के साथ वैचारिक संघर्ष होना अथवा बच्चों की समुचित देखभाल की कमी के चलते बच्चों में असंयमित तथा असंतुलित व्यवहार का बढ़ना भी महिलाओं के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बन जाता है. ऐसे में आप क्या करेंगी? संयम खो कर अनापशनाप डांटफटकार एवं टोकाटाकी तथा रोकटोक शुरू कर करेंगी या स्वयं पर काबू रख कर बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए अपने मित्रवत व्यवहार से उन्हें अपने विश्वास में ले कर समस्याओं का युक्तिपूर्ण हल निकालने की चेष्टा करेंगी? बच्चों के सामने कभी भी ‘परफैक्ट’ या ‘रोल मौडल’ बनने की चेष्टा न करें. अपनी समस्याओं, सफलताओं, कठिनाइयों, अपने डर, सपने, उम्मीदों तथा असफलताओं को खुल कर बच्चों के साथ बांटें.

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ऐसा भी होता है

कई बार महिलाओं के साथ ऐसा भी होता है कि सब कुछ जानतेसमझते हुए भी वे अपनी भावनाओं पर काबू पाने में असमर्थ रहती हैं तथा ‘इमोशनल ब्लास्ट’ का शिकार हो जाती हैं. इस की परिणिति डर, निराशा, अवसाद, हीनभावना, डिप्रैशन तथा आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याओं में होती है. हारमोनल परिवर्तन इस समस्या का कारण हो सकते हैं. बड़ी उम्र में मेनोपौज के समय में ऐसे लक्षण अकसर महिलाओं में दिखने लगते हैं.

ऐसे में योग्य चिकित्सक से सलाह लें. खानपान तथा जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाएं. अच्छी तथा आशावादी सोच को बढ़ाने वाली पुस्तकें पढ़ें तथा छोटीछोटी बातों में प्रसन्न रहना सीखें.

ब्रेकअप के बाद सोशल मीडिया पर यह भूल न करें

ब्रेकअप कष्टदायक होते हैं, हमें इमोशनली तोड़ देते हैं. आजकल ब्रेकअप के बाद लोग सीधा सोशल मीडिया पर जाते हैं और अपनी भड़ास वहीं निकालते हैं. सुपर इमोशनल कोट्स ढूंढ़-ढूंढ़ कर पोस्ट कर वहां सब को पढ़वाते हैं. इमोशनल उठापटक समझी जा सकती है पर अकसर हम इस हरकत से अपना ही मजाक उड़वाते हैं और बाद में पछताते हैं. आप खुद सोचें कि किसी और के हार्टब्रेक की पोस्ट्स के बाद आप ने किस तरह की प्रतिक्रिया दी है? तो क्या आप स्वयं को इसी स्थिति में देखना पसंद करेंगे? ब्रेकअप के बाद आप का मन होता होगा कि आप जोरजोर से चिल्लाएं, खूब रोएं, ठीक है, यह सब करें, जो मन  हो वह करें पर सोशल मीडिया पर रिएक्ट न करें. तो यदि आप फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपने इमोशंस निकालना चाह रही हैं तो इन पौइंट्स को जरूर ध्यान में रखें.

अपना रिलेशनशिप स्टेटस न बदलें फौरन

आप का अपने पार्टनर के साथ ब्रेकअप हुआ है, यह बात सारी दुनिया को जानने की जरूरत नहीं है. आप के खास अपने लोग यह जानते ही होंगे. फेसबुक फीड को आप का यह बदलाव फौरन जानने की जरूरत नहीं है. यह आप का पर्सनल दुख, संकट है. आप को छत पर जा कर चिल्ला कर सब को बताने की जरूरत नहीं है. इसे सब के लिए खोल न दें. लोगों को अपने तौर पर पता चलने दें. ग्राफिक डिजाइनर नेहा कहती हैं, ”2 साल पहले मैं ने यह गलती की कि ब्रेकअप होते ही फेसबुक पर रिलेशनशिप स्टेटस चेंज कर दिया, दोस्तों और परिचितों के कौल्स और मैसेज आने ही नहीं शुरू हुए, वे लोग जिन से मैं क्लोज भी नहीं थी उन्होंने भी बिना मांगे अपनी सलाह देनी शुरू कर दी. अधिकतर लोग यही जानना चाहते थे कि ब्रेकअप क्यों हुआ. बता नहीं सकती कि इस वजह से मुझे ब्रेकअप से उबरने में कितना समय लग गया, और मैं ने महसूस किया कि लोगों को गौसिप का विषय भी मिल गया.”

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एक्स को ब्लौक न करें…

सोशल प्लेटफौर्म पर अपने एक्स को ब्लौक करना एक मूर्खतापूर्ण कदम है. आप गुस्से में ऐसा कर देते हैं पर बाद मैं आप महसूस करते हैं कि आप को यह नहीं करना चाहिए था. यदि अपनी फ्रैंड लिस्ट में या अपडेट्स में उन की उपस्थिति बहुत अखर रही हो तो उन्हें अनफ्रैंड करना ठीक है. यदि आप अपने एक्स के साथ दोस्त बन कर रहना चाहते हैं तो उन्हें ब्लौक करना या अनफ्रैंड करना ठीक नहीं है. यदि आप सोशल मीडिया पर बहुत जल्दी रिएक्ट करते हैं तो आप के पार्टनर को पता चल जाएगा कि आप पर इस का कितना असर हुआ है, और शायद यह आप नहीं चाहेंगे. इस बात पर यकीन करें कि अपने एक्स को स्टौक करने से आप का नुकसान ही होगा. एक बार आप उसे स्टौक करना शुरू करते हैं, यह रूटीन हो जाता है और आप को पता भी नहीं चलता. आप रोज उस की प्रोफाइल देखते हैं और अपनेआप को दुखी करते हैं. उस की खुशी से भरी फोटोज और उस का दोस्तों के साथ समय बिताना आप को प्रभावित करता है. उसे उस के नए पार्टनर के साथ देखना आप को और दुखी करता है.

सी ए मेहुल कहते हैं, ”पांच साल साथ रहने के बाद जब मेरी गर्लफ्रैंड के साथ मेरा ब्रेकअप हुआ, मुझे बहुत कठिनाई हुई. मैं लगातार उस की प्रौफाइल देखता था. पूरी नजर रखता था कि वह कब क्या कर रही है. एक दिन अचानक उस ने मुझे ब्लौक कर दिया. शायद वह समझ गई थी कि मैं क्या कर रहा हूं. उस समय मैं दुखी तो हुआ पर उस के बाद ही मैं लाइफ में आगे बढ़ सका. आज मुझे समझ आया है कि सोशल मीडिया पर एक्स को स्टौक करना मूव औन करने में बाधा बनता है.”

बिलकुल शेयर न करें नए पार्टनर के साथ फोटोज

आप को किसी के इमोशनल सहारे की जरूरत पड़ रही होगी पर वह व्यक्ति इतनी जल्दी आप का नया पार्टनर नहीं हो सकता. उस की फोटो सोशल मीडिया पर बिलकुल न डालें. इस से आप परेशानी में पड़ सकते हैं. आप अनजाने में अपने एक्स को दुख पहुंचा सकते हैं. सोच कर देखिए कि यही चीज आप का एक्स करे तो आप को कैसा लगेगा. फोटोग्राफर रिद्धी बताती हैं, ”जब मेरा ब्रेकअप हुआ, मैं बहुत जल्दी ही नए रिश्ते में बंध गई और मैं ने उस के साथ अपनी फोटोज भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दीं. आज सोचती हूं तो लगता है कि यह नहीं करना चाहिए था. यह मेरी बचकानी हरकत थी. मेरे एक्स को दुख पहुंचा होगा, मुझे अपने व्यवहार पर आज अफसोस है.”

आप ठीक हैं, खुश हैं, यह एक्टिंग करने की जरूरत नहीं है…

ब्रेकअप के बाद कोई खुश नहीं होता है, दुख होता ही है. सोशल मीडिया पर यह न बताएं कि आप खुश हैं. सोशल मीडिया पर मोटिवेशनल कोट्स या प्यार और हार्टब्रेक पर पोस्ट न डालती रहें, यह मूर्खता लगती है.खुश होने का दिखावा न करें. कोई भी दोस्त आप  की पोस्ट की स्क्रीनशौट ले कर बाकी दोस्तों में भेज कर आप पर हंस सकता है. इस समय आप को यह सब करने की जरूरत नहीं है.

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औनलाइन डेटिंग, ब्रेकअप के बाद की समस्या का हल नहीं है…

ब्रेकअप के बाद दोस्त आप को डेटिंग साइट जौइन करने की सलाह देते हैं, पर डेटिंग ऐप हार्टब्रेक का इलाज नहीं है. वे आप का दर्द कम नहीं कर सकती. ब्रेकअप के बाद बिलकुल अजनबियों के साथ बात करना अजीब लग सकता है. इस के बजाय कुछ समय वे काम करें जिन से आप को खुशी मिलती है. आर्किटेक्ट आरती कहती हैं, ”ब्रेकअप होते ही मैं ने डेटिंग ऐप जौइन कर लिया. मैं कुछ लोगों से मिली भी, पर मुझे लगा इस तरह किसी से जुड़ कर शायद मैं कभी और ज्यादा दुखी हो सकती हूं. इस में उलझनें लगीं, मुझे लगा कि ब्रेकअप के बाद किसी को भूलने में समय लगेगा ही. अपना ध्यान हटाने या एक्स को जलाने के लिए डेटिंग ऐप का सहारा लेना बुद्धिमानी नहीं है.”

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