जब साथी से हो अनबन तो अपनाएं ये टिप्स

क्या आप अपने साथी से जो कुछ कहना चाहती हैं वो नहीं कह पा रही हैं. अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है. एक अध्ययन के अनुसार बातचीत करना ना केवल किसी रिश्ते को स्वस्थ और खुशहाल रखने के लिए बल्कि इसे सफल बनाने के लिए भी जरुरी है.

बहुत से लोग अपने साथी से बात करने में झिझकते हैं या परेशानी महसूस करते हैं. आपको बता दें कि एक सुचारु और सार्थक बातचीत के लिए अधिक शब्दों की आवश्यकता नहीं होती. हम आपको कुछ आसान टिप्स बता रहे हैं जिनके जरिए आप अपने साथी से अच्छे से बातचीत कर सकती हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकती हैं.

1. छोटी-छोटी बातचीत

अपने साथी से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों में दिलचस्पी दिखाएं. उनसे हर छोटी बात के बारे में पूछे लेकिन याद रहें कि उन्हे इस बात का एहसास ना कराएं कि आप उन पर नजर रखने की कोशिश कर रही हैं. बल्कि उन्हें महसूस कराएं कि आप उनकी चिंता करती हैं और जो चीजें उन्हें पसंद हैं उन्हें आप भी पसंद करती हैं.

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2. सुनने की आदत डालें

किसी भी रिश्ते में बातचीत कम होने या खत्म होने के पीछे का बड़ा कारण यही होता है कि लोग एक-दूसरे की बात को धैर्य और शांति से सुनना नहीं चाहते. जिसके कारण आप ना तो खुद को व्यक्त कर पाती हैं और ना ही अपने साथी को समझ पाती हैं. आपके पार्टनर के लिए ये बेहतर अनुभव हो सकता है कि आप उनकी बात ध्यान से सुनती हैं और समझती भी हैं. आप अपने पार्टनर से बात कर रही हैं तो पहले उन्हें अच्छे से सुने उसके बाद ही प्रतिक्रिया दें. अगर आप किसी बात से असहमत हैं तो बीच में दखल देने की बजाय उनकी बात खत्म होने का इंतजार करें और फिर अपना पक्ष रखें.

3. उनके अनुभवों के बारे में पूछे और अपने अनुभव साझा करें

हाल ही के एक अध्ययन में पता चला है कि जब हम किसी व्यक्ति से अपने अनुभवों के बारे में बात करते हैं तो हम काफी करीब महसूस करते हैं. इस अध्ययन में देखा गया है कि जिन लोगों के रिश्तो में उलझने थी उन्होंने अपने रिलेशन को रिपेयर करने के लिए अपने बच्चों के बारे में बातचीत करना शुरु किया और अपने अच्छे अनुभवों को साझा किया. ऐसा जरुरी नहीं है कि आप इन अनुभवों को साझा करने के लिए शब्दों का ही इस्तेमाल करें.

4. बातचीत के दौरान पौजीटिव बौडी लैंग्वेज बनाएं रखें

पौजीटिव बौडी लैंग्वेज बनाने से आप बातचीत को सकारात्मक बना सकती हैं. अपने साथी से बात करते वक्त उनकी आंखों में आंखे डालकर बात करें, अपनी बौडी उनकी तरफ रखें और अपना पूरा ध्यान उन पर रखें. आप अपनी बातों को समझाने के लिए अपने हाथों को मूव कर सकती हैं. बात करते वक्त हाथ बांधकर ना खड़े हो.

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5. इंटिमेसी भी है जरुरी

किसी भी बातचीत के दौरान अपने साथी के साथ इंटिमेसी बना कर रखना भी जरुरी है. आप उनके जितना करीब होंगे उन्हें अपनी बात समझाने और उनकी बात समझने में उतनी ही आसानी होगी. इंटिमेट होने का मतलब केवल शारीरिक सम्बंधो से नहीं है. अपने साथी का हाथ पकड़ना, उन्हें गले लगाना और अधिक समय साथ रहना भी आपके बीच बातचीत बढ़ाने का जरिया हो सकता है.

मेरे सास-ससुर पुराने ख्यालात वाले हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हां हूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभी-कभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स संबंध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. स्वस्थ व जोशीली सैक्स लाइफ हमारे संबंधों को मजबूत बनाती है एवं जीवन को खुशियों से भरती है. संयुक्त परिवारों में जानबूझ कर औरतों को दबाने के लिए उन्हें पति से दूर रखा जाता है और वे पति के साथ खुल कर सैक्स ऐंजौय नहीं कर पातीं. इस के लिए आप को पति से खुल कर बात करनी होगी. सिर्फ आप ही नहीं आप के पति भी आप की चाह रखते होंगे. बेहतर होगा कि इस के लिए कभी किसी रिश्तेदार के या कभी मायके जाने के बहाने पति के साथ बाहर घूमने जाएं. इस तरह के संबंधों को तो झेलना ही होता है. कोई उपाय नहीं मिलता.

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टीवी पर आप ने एक विज्ञापन देखा होगा, जिस में 2 सहेलियां बहुत दिनों बाद मिलती हैं. पहली दूसरी से पूछती है, ‘‘क्या कर रही है तू?’’

दूसरी गर्व से कहती हैं, ‘‘बैंक में नौकरी कर रही हूं और तू?’’

पहली कुछ झेंपते हुए कहती है, ‘‘मैं… मैं तो बस हाउसवाइफ हूं.’’

यह विज्ञापन दिखाता है कि हमारे समाज में हाउसवाइफ को किस तरह कमतर आंका जाता है या यों कहें कि वह स्वयं भी खुद को कमतर समझती है, जबकि उस का योगदान वर्किंग वुमन के मुकाबले कम नहीं होता है. एक हाउसवाइफ की नौकरी ऐसी नौकरी है जहां उसे पूरा दिन काम करना पड़ता है, जहां उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती, कोई प्रमोशन नहीं मिलती, कोई सैलरी नहीं मिलती.

हजारों रुपए ले कर भी यह काम कोई उतने लगाव से नहीं कर पाता

आज महानगरों में ही नहीं, छोटेछोटे शहरों में भी घरेलू कार्यों के लिए हजारों का भुगतान करना पड़ता है. साफसफाई करने वाली नौकरानी इस मामूली से काम के भुगतान के रूप में क्व500 से क्व1000 तक लेती है. खाना बनाने के लिए और ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं. ऐसे ही बच्चों के लिए ट्यूशन की बात हो या फिर घर में बीमार मांबाप की सेवा की, कपड़े धोने की बात हो या फिर 24 घंटे परिवार के सदस्यों की सेवा के लिए खड़े होने की, हाउसवाइफ द्वारा किए जाने वाले कामों की लिस्ट लंबी है.

पत्नी को अर्द्धांगिनी कहा जाता है, पर वह उस से बढ़ कर है. तमाम मामलों में पति के लिए पत्नी की वही भूमिका होती है, जो बच्चे के लिए मां की. प्रतिदिन सुबह उठें तो चाय चाहिए, नहाने के लिए गरम पानी चाहिए या फिर नहाने के बाद तौलिया, जिम जाते समय स्पोर्ट्स शूज की जरूरत या फिर औफिस जाते समय रूमाल की, हर कदम पर पत्नी की दरकरार.

बच्चे के सुबह उठते ही दूध पिलाने से ले कर नहलाने, खाना खिलाने, स्कूल के लिए तैयार करने या फिर बच्चे के स्कूल से लौटने पर होमवर्क कराने और उस के साथ बच्चा बन कर खेलने तक की जिम्मेदारी हाउसवाइफ ही निभाती है. सब से अहम बात यह है कि हाउसवाइफ मां के रूप में बच्चे को जो देती है, वह लाखों रुपए ले कर भी कोई नहीं दे सकता.

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आपकी स्लीपिंग पोजीशन खोलती है आपके रिश्तों का राज

क्या आपने कभी सोचा है कि पार्टनर के साथ बेड शेयर करते वक्त जब आप और आपका पार्टनर दोनों गहरी नींद में होते हैं तो आपका स्लीपिंग पोजीशन कैसा होता है? शायद नहीं, क्योंकि आपको इससे फर्क नहीं पड़ता. लेकिन क्या आप जानती हैं कि बाकी हर चीजों की तरह आपके सोने का तरीका भी आपके रिश्ते के बारे में कई राज खोलता है.

जी हां एक शोध से पता चला है कि सोते वक्त आपकी बौडी लैंग्वेज आपके रिश्ते के बारे में बहुत सी बातें बताती है. ये आपके आपसी संबंध और एक दूसरे की फीलिंग को भी बयां करती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका सबकोंशियस(अवचेतन) आपके सोने के तरीके को नियंत्रित करता है. तो देर किस बात की चलिए जानते हैं इसके बारे में.

1. लिबर्टी लवर्स

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लिबर्टी लवर्स एक दूसरे की तरफ कमर करके सोते हैं और इस दौरान उनके बीच स्पेस भी होता है. यह पोजीशन उन कपल्स के बीच सामान्य है जो काफी समय से रिश्ते में हैं. इस पोजीशन का मतलब है कि आप बिना छुए भी एक-दूसरे से जुड़े हो सकते हैं और आप अलग रहकर भी एक-दूसरे को उतना ही प्यार करते हैं. आपको अकेले बहुत सी चीजें करना अच्छा लगता है साथ ही आप अपने साथी से सारी चीजें शेयर करना भी पसंद करते हैं.

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2. द चेजिंग स्पून

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इस पोजीशन में एक व्यक्ति अपने बिस्तर के एक ओर सोता है जबकि दूसरा व्यक्ति शारीरिक तौर पर उससे जुड़ने के लिए उसे चेंज करता है. इस पोजीशन का मतलब है कि आपके रिश्ते में एक व्यक्ति अधिक स्पेस चाहता है जबकि दूसरा व्यक्ति अपने साथी के साथ अधिक समय चाहता है. इस पोजीशन को देखकर आपको एकतरफा कनेक्शन का एहसास होता है.

3. बैक किसर्स

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ज्यादातर कपल्स इस पोजीशन को पसंद करते हैं. इस स्लीपिंग पोजीशन में कपल्स एक दूसरे की तरफ कमर करके सोते हैं. इस दौरान उनकी स्पाइन आपस में कौन्टेक्ट करती है. अगर आप इस पोजीशन में सोती हैं तो इसका मतलब है कि आप एक-दूसरे के साथ को महत्व देने के साथ ही आप अपने निजी स्पेस को भी अहमियत देती हैं.

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4. द अनरेवलिंग नौट

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द अनरेवलिंग नौट स्लीपिंग पोजीशन में दोनों व्यक्ति नौट बनाते हैं लेकिन वो इस नौट में अधिक समय के लिए नहीं रहते और कुछ समय के बाद नौट को खोल देते हैं. सम्बंध विशेषज्ञ कहते हैं कि यह पोजीशन अधिकतर उन कपल्स में होती है जो कुछ समय के लिए साथ होते हैं. जो कपल्स इस पोजीशन में सोते हैं उन्हें इंटिमेसी के साथ-साथ अपनी आजादी भी पसंद होती है. हालांकि केवल 8 प्रतिशत लोग ही इस पोजीशन को पसंद करते हैं.

सोशल मीडिया से क्यों दूर रहना चाहते हैं हैप्पी कपल्स

हर किसी को सोशल मीडिया पर अपने लाइफ के खास पल, अपना ओपिनियन, फोटोज शेयर करना अच्छा लगता है. इसके साथ ही कई लोग अपने रिलेशनशिप के बारे में भी सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. वे लोगों से अपने रिश्ते के बारे में बताते हैं. जिसकी वजह से वे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हैप्पी कपल अपने रिश्ते के बारे में बताने के लिए सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत नहीं करते हैं. वे सोशल मीडिया की जगह एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना ज्यादा पसंद करते हैं. तो आइए कुछ कारण जानते हैं कि क्यों हैप्पी कपल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय स्पेंड नहीं करते हैं.

1. उन्हें सोशल मीडिया पर लाइक से फर्क नहीं पड़ता है

बहुत से कपल अपनी इंटीमेसी की फोटो या कहीं जाने का पोस्ट सोशल मीडिया पर डालते हैं. ऐसे कपल को अपनी फोटो पर कितने लाइक या कमेंट आए इसकी बहुत चिंता होती है. मगर हैप्पी कपल अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर हर एक चीज अपडेट नहीं करते हैं. ना ही उन्हें किसी के लाइक या कमेंट से फर्क पड़ता है. वह नहीं चाहते हैं कि उनके बारे में सोशल मीडिया पर लोग बाते करें.

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2. किसी से तुलना नहीं करते हैं

अपनी जिंदगी की लोगों से तुलना नहीं करनी चाहिए. यह सोचना बहुत आसान होता है कि दूसरा अपनी लाइफ में कितना खुश है. लेकिन आपको उनके बारे में कुछ पता नहीं होता है. इसलिए कभी भी किसी कपल की सोशल मीडिया पर फोटो देखकर ये नहीं सोचना चाहिए कि वह बहुत खुश हैं. किसी कपल से अपने रिश्ते की तुलना करना गलत होता है. हैप्पी कपल अपने रिलेशनशिप से खुश होते हैं. वह किसी और के रिश्ते से तुलना करना पसंद नहीं करते हैं.

3. अकेले में लड़ते हैं

हैप्पी कपल अगर लड़ाई करते हैं तो वह पब्लिक में लड़ने की बजाय अकेले में लड़ना पसंद करते हैं ताकि उन्हें कोई देख ना सके या किसी को उनकी लड़ाई के बारे में पता ना चले. वह लोगों को अपनी लड़ाई के बारे में बताना पसंद नहीं करते हैं. वह सोशल मीडिया पर लड़ाई वाली कोट या रोने वाले गाने पोस्ट करने की बजाय एक जगह बैठकर अपनी समस्या को दूर करने में विश्वास करते हैं.

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4. वो खास पलों को जीने में विश्वास रखते हैं

हैप्पी कपल अपने साथी के साथ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने की बजाय उनके साथ उन खास पलों को जीने में विश्वास करते हैं. कहीं जाने का चेक-इन करना इन्हें अच्छा नहीं लगता है. वह इसे समय बर्बाद करना समझते हैं. वह अपने खास पलों को कैमरे में कैद करने की बजाय उन्हें जीना पसंद करते हैं.

आखिर क्यों होता है शादी के बाद पति का बिहेवियर चेंज

जी हां अक्सर शादी के बाद पत्नियों की ये शिकायत होती है कि उनके पति शादी के बाद बदल गए हैं उनसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते हैं.उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी में अब प्यार नाम का कुछ रह ही नहीं गया है बस घर का काम करो बच्चे संभालो यही सब रह गया है…पति भले ही कुछ न बोलें लेकिन आप सोचिए की उस वक्त पति के मन में उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है जब उससे इतनी शिकायत हैं और घर चलाने की जिम्मेदारी भी.

शादी के पहले स्थिति इसलिए अलग होती है क्योंकि दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते हैं और उनके अंदर इच्छा होती है एक-दूसरे के बारे में जानने की क्या उसे क्या पसंद है क्या नहीं पसंद है और चूकिं वो एक-दूसरे से दूर होते हैं इसलिए उन्हें एक-दूसरे से बात करने का भी मन होता है और रात-रात भर बात करते हैं.उन्हें वो पल बहुत ही स्पेशल लगता है और होता भी है.वो एक-दूसरे से छुप-छुप कर मिलते भी हैं क्योंकि भारतीय संस्कार में शादी से पहले एक-दूसरे से ज्यादा मिलना अच्छा नहीं माना जाता लेकिन फिर भी वो मिलते हैं सबकी नजरों से छुप कर और ये सब करना उन्हें अच्छा लगता है उनके लिए ये सब पल बेहद खास होते हैं औऱ अब तो ये आम बात हो गई है सभी मिलते हैं.

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अब बात आती है शादी की तो शादी होने के बाद भी वो काफी दिनों तक एक-दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं और खूब सारी यादें संजोते हैं.साथ में घूमने जाते हैं लेकिन फिर धीरे-धीरे समय बीतने लगता है औऱ उनकी फैमिली आगे बढ़ती है बच्चे होतें हैं…पति के ऊपर जिम्मेदारी बढ़ने लगती है और फिर बच्चे का खर्च उसके कपड़े,खाना-पीना साथ ही जब वो बीमार पड़े तो उसकी दवाईयां ये सब कुछ,फिर धीरे-धीरे वही बच्चे बड़े होने लगते हैं औऱ उनका एडमिशन होता है और फिर स्कूल की फीस उनकी पढ़ाई –लिखाई पर खर्च ये सब कुछ एक पति सोचता है उसके दिमाग में यही चलता है कि बच्चे का खर्च औऱ उसका भविष्य सुधारने की चिंता.वो सोचता है कि सब कुछ तो है प्यार करने वाली पत्नी,बच्चे,घर परिवार तो अब जो नहीं है उसके बारे में सोचना चाहिए.अब आप सोचिए जिस इंसान के सर पर इतनी जिम्मेदारी होती है वो सिर्फ एक जगह पर फोकस कैसे कर सकता है? तो क्या ऐसे में एक पत्नी का ये कहना की उसका पति शादी के बाद बदल गया ये सही है?

मेरे हिसाब से तो नहीं क्योंकि स्थिति भी तो बदल जाती है बाद में.एक व्यक्ति का दिमाग एक वक्त में कई जगह चलता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो अपनी पत्नी के विषय में नहीं सोचता है वो सोचता है क्योंकि वो जो कुछ भी करता है अपने परिवार के लिए ही करता है उनके लिए ही दिन-रात मेहनत करके पैसा कमाता है ताकि वो सुख से रह सकें.उन्हें किसी भी चीज़ की कमी न हो.जो कुछ भी चाहें या कहें वो सब उन्हें मिल सके.तो इसलिए ऐसे में एक पत्नी का धर्म है कि वो अपने पति को समझे उनका साथ दें ना कि दिन-रात उनसे शिकाय़तें करें और क्योंकि आपका परिवार खुश रहे आपके पति खुश रहें ये सिर्फ एक पत्नी के ही हांथों में होता है.

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जानिए अपनी प्रेमिका को धोखा क्यों देते हैं पुरुष

एक रिलेशनशिप में एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरुरी होता है, तभी एक रिश्ता सही रहता है. एक-दूसरे की भावनाओं को समझना रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के समय में बहुत से पुरुष अपने रिश्ते के प्रति वफादार नहीं रहते हैं और अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. जो पुरुष अपनी साथी को धोखा देने के बारे में सोचते हैं उन्हें इस बात का बिल्कुल आभास नहीं होता है कि वे कुछ गलत कर रहें हैं. पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अपने साथी को कम धोखा देती हैं.

1. अपने साथी के प्रति वफादार नहीं होते हैं:

कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने साथी के लिए वफादार होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती. इस तरह के पुरुष सिर्फ अपनी महिला साथी का इस्तेमाल करते हैं. वे उन्हें स्पेशल महसूस कराते हैं. लेकिन वास्तव में वह अपनी साथी के लिए बिल्कुल भी ईमानदार नहीं होते हैं.

2. अपने साथी को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं

हर व्यक्ति धोखा दे ऐसा जरुरी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने रिश्ते को लेकर थोड़े असुरक्षित होते हैं. जिसके कारण ना चाहते हुए भी वह अपने पार्टनर के साथ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इस बात का डर होता है कि कहीं वे अपने साथी को खो तो नहीं देंगे. इस डर की वजह से वे अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं और अपने पार्टनर को धोखा दे बैठते हैं.

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3. वह नहीं समझते हैं कि उनके पास जो है कितना अनमोल है:

हमेशा लोगों को जितना मिलता है उससे अधिक पाने कि इच्छा होती है. और इनके पास जो होता है वह उसकी कद्र नहीं करते हैं. ऐसा पुरूषों के साथ भी होता है कि उन्हें जैसी पार्टर मिली होती है वह उन्हें कम ही लगता है. उनके दिमाग में हमेशा यह बात होती है कि जो मिला है उन्हें उससे और बेहतर मिल सकता है. ऐसे पुरूषों में अपने पार्टनर को धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि इन्हें जितना मिलता है उसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है.

4. पुरुष भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं:

पुरुष भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनमें सेल्फ कंट्रोल की कमी होती है इस वजह से उनके लिए अपने पार्टनर को धोखा देना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित हो जाते हैं और कभी-कभी दूसरे की बातें सुनकर अपने पार्टनर की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं.

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पति-पत्नी के बीच क्यों कम हो रहा है प्यार

9प्यार के बाद प्रेमी जोड़े शादी तो बड़ी आसानी से कर लेते हैं, मगर जब निभाने की बारी आती है तब वही रिश्ता बोझ लगने लगता है. आजकल ऐसे शादीशुदा जोड़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन के बीच वक्त के साथ प्यार में कमी आने लगी है और नतीजा यह कि सालों रिश्ते में टिके रहने के बाद एक दिन तलाक लेने का फैसला ले लेते हैं.

विवाह का बंधन बहुत ही पेचीदा इंसानी रिश्ता है और अधिकतर लोग बहुत कम तैयारी के साथ इस बंधन में बंधते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक-दूसरे के लिए ही बने हैं. डा. डीन एस. ईडैल कहते हैं कि हमें ड्राइविंग लाइसैंस पाने के लिए कुछ हद तक अपनी काबिलियत दिखानी पड़ती है पर वहीं शादी का सर्टिफिकेट पाने के लिए सिर्फ मात्र दस्तखत ही काफी हैं.

हालांकि बहुत से पतिपत्नी अंत समय तक खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं, मगर काफी पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और इस का कारण है एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाले रखना. शादी के पहले पतिपत्नी एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाल बैठते हैं, मगर जिंदगीभर साथ निभाने के लिए जो हुनर चाहिए होता है, वह उन के पास नहीं होता. शुरूशुरू में जब लड़कालड़की एकदूसरे के करीब आते हैं, तब उन्हें लगता है दोनों एकदूजे के लिए ही बने हैं और उन के साथी जैसा दुनिया में और कोई है ही नहीं. उन्हें लगता है, एकदूसरे का स्वभाव भी काफी मिलताजुलता है, लेकिन शादी के कुछ सालों बाद ही उन की एकदूसरे के प्रति भावनाएं खत्म सी होने लगती हैं और जब ऐसा होता है तब यह वैवाहिक जीवन को तबाह, बरबाद कर सकता है. कुछ शादियां तो अपनी मंजिल तक पहुंच जाती हैं, मगर कुछ बीच में ही दम तोड़ देती हैं, क्यों? आइए जानते हैं:

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1 जरूरत से ज्यादा उम्मीदें:

स्नेहा कहती है कि जब उसे राहुल से प्यार हुआ तब लगा वही उस के सपनों का राजकुमार है. उस के जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं है और अब उस के जीवन में सिर्फ रोमांस ही रोमांस होगा. दोनों एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर हंसतेखेलते जीवन गुजार देंगे. मगर शादी के कुछ सालों बाद ही स्नेहा को अपने सपनों के राजकुमार में एक शैतान नजर आने लगा, क्योंकि वह उस की एक भी उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. लव स्टोरी वाली फिल्में, रोमांटिक गाने प्यार की ऐसी तसवीरें पेश करते हैं कि हकीकत में भी हमें वही नजर आने लगता है. मगर हम भूल जाते हैं कि यह सचाई से कोसों दूर होता है. लैलामजनूं, हीररांझा का प्यार इसलिए अमर हो गया, क्योंकि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए, अगर बंधते तो शायद उन के भी कुछ ऐसे ही बोल होते. शादी से पहले की मुलाकातों में शायद लड़कालड़की को लगे कि उन के सारे सपने साकार हो जाएंगे, मगर शादी के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि वाकई वे सपनों की दुनिया में ही खोए हुए थे. बेशक पतिपत्नी को अपनी जिंदगी में एकदूसरे से उम्मीदें पालना गलत नहीं है, मगर इच्छाएं इतनी भी न पालें कि सामने वाला पूरा ही न कर पाए.

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2 आपसी तालमेल की कमी:

एक शादीशुदा औरत का कहना है कि वह और उस के पति हर मामले में एकदम अलग राय रखते हैं. कभी उन के विचार मिले ही नहीं मानों एक पूरब है तो दूसरा पश्चिम. उस का एक दिन भी ऐसा नहीं जाता, जब वह अपने पति से शादी करने के फैसले पर पछताती न हो. शादी के कुछ समय बाद ही उसे लगने लगा कि उस का साथी बिलकुल भी वैसा नहीं है जैसा उस ने सोचा था.

इस बात पर डा. नीना एस. फील्ड्स का कहना है कि अकसर शादी के बाद एक इंसान के गुण साफ नजर आते हैं, जिन्हें शादी के पहले नजरअंदाज कर दिया जाता है. इस का परिणाम यह होता है कि शादी के कुछ सालों बाद पतिपत्नी शायद इस नतीजे पर पहुंचें कि उन का एकदूसरे के साथ कोई तालमेल बैठ ही नहीं सकता.

एकदूसरे के विचार न मिलने के बावजूद कितनी जोडि़यां इसलिए शादी के बंधन में बंधी रह जाती हैं, क्योंकि समाज और लोग क्या कहेंगे और कुछ तो समझ ही नहीं पाते कि इस रिश्ते को निभाएं या तोड़ दें.

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3 लड़ाई-झगड़े:

पतिपत्नी के बीच तकरार न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन तकरार जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तब क्या किया जाए? इस पर डा. गोलमैन लिखते हैं कि अगर शादी का बंधन मजबूत है तो पतिपत्नी को लगता है कि वे बेझिझक एकदूसरे से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन अकसर गुस्से में आ कर शिकायत ऐसे तरीके से की जाती है जिस से नुकसान होता है और इस के जरीए अपने साथी के चरित्र पर कीचड़ उछाला जाता है, जिसे दूसरा कतई बरदाश्त नहीं कर पाता और झगड़ा बढ़ता जाता है. जब पतिपत्नी गुस्से में आपे से बाहर हो जाते हैं तब उन का घर घर न रह कर एक जंग का मैदान बन जाता है और पिसते हैं उन के बच्चे.

झगड़ा सुलझाने के बजाय वे अपनी जिद पर अड़े रहते हैं. उन के शब्द कब हथियार का रूप ले लेते हैं पता ही नहीं चलता. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जो झगड़े काबू से बाहर हो जाते हैं उन में सब से ज्यादा नुकसान तब होता है जब पतिपत्नी एकदूसरे को कुछ ऐसी बातें कह देते हैं जो उन के वैवाहिक जीवन को खतरे में डाल देती हैं. उन्हें ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए.

4 पल्ला झाड़ लेना:

शादी के कुछ सालों बाद अपने वैवाहिक जीवन से ऊब कर एक पत्नी ने कह दिया कि अब उस से नहीं होगा, क्योंकि अपने वैवाहिक जीवन को बचातेबचाते वह थक चुकी है.

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उसे मालूम है जब इस से कोई फायदा ही नहीं, तो फिर क्यों वह रिश्ता बचाने की कोशिश में लगी हुई है? अब उसे सिर्फ अपने बच्चे से मतलब है. कहते हैं जब पतिपत्नी एकदूसरे से प्यार करते हैं, तो बेइंतहा प्यार करते हैं. मगर जब बेरुखी बढ़ती है, तो बढ़ती ही चली जाती है. एकदूसरे से वैमनस्य पाल लेते हैं. मगर कुछ पतिपत्नी इसलिए रिश्ते निभाते चले जाते हैं कि और चारा क्या है? इसी पर एक पति का कहना है कि बेमन से विवाह के बंधन में बंधे रहना ऐसी नौकरी के समान है जिसे करने का मन नहीं है, पर फिर भी करनी पड़ती है.

आप अपनी ओर से लाख अच्छा करने की कोशिश करें, पर सामने वाले को उस बात की कद्र नहीं होती. वहीं एक पत्नी का कहना है कि वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से अब निराश हो चुकी है. बहुत कोशिश की उस ने रिश्ते सुधारने की, पर सब बेकार. निराशा, तालमेल की कमी, लड़ाईझगड़ा और बेरुखी तो सिर्फ चंद वजहें हैं जिन की वजह से पतिपत्नी के बीच प्यार की कमी हो सकती है. लेकिन क्या सिर्फ यही वजहें हैं या कुछ और भी हैं?

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कुछ और कारण शादी दरकने के

पैसा: पतिपत्नी के बीच पैसा एक सैंसिटिव इशू होता है. जब दोनों कमाऊ हैं, तो अपना वेतन कैसे खर्च करना है और कहां इन्वैस्ट करनी है, यह विवाद का विषय बन जाता है और झगड़ा होने लगता है. अत: इस से बचने के लिए पतिपत्नी को मिलबैठ कर हर महीने का बजट बनाना चाहिए और जहां भी पैसा लगाना है एकदूसरे को जानकारी होनी चाहिए.

जिम्मेदारियां: देखा गया है कि 67% पतिपत्नी के प्यार में पहला बच्चा आते ही कमी आ जाती है और पहले से 8 गुना ज्यादा झगड़े होने लगते हैं. कुछ हद तक इस की वजह यह होती है कि दोनों अपने कामों से इतने थक जाते हैं कि खुद के लिए भी उन्हें फुरसत नहीं मिलती.

फरेब, धोखा:

एकदूसरे पर भरोसा, सफल शादीशुदा जिंदगी के लिए निहायत जरूरी है. एकदूसरे पर भरोसा टूटना, पतिपत्नी के रिश्ते को बरबाद कर सकता है.

लैंगिक संबंध:

चाहे कितना भी मनमुटाव हो जाए दोनों के बीच, अगर सैक्स संबंध सही है, तो झगड़ा, मनमुटाव भी ज्यादा देर नहीं टिक पाता. लेकिन जब वही संबंध नहीं रह पाता उन के बीच तो फिर नौबत के तलाक तक पहुंचते देर नहीं लगती.

हस्तक्षेप:

पतिपत्नी के संबंधों में हस्तक्षेप करना, पतिपत्नी के संबंधों में किसी दूसरे का दखल या सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण किसी दूसरे को चाहने लगना आदि कारणों से भी मनमुटाव उत्पन्न होने लगता है.

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बच्चों पर क्या होता है असर:

आप की शादीशुदा जिंदगी कैसी है इस का साफ असर बच्चों पर पड़ता है. डा. गोलमैन ने शादीशुदा जोड़ों पर लगभग 20 साल तक खोजबीन की. 10-10 साल के 2 अध्ययनों में उन्होंने देखा कि नाखुश मातापिता के बच्चों की हृदय गति, अठखेलियां करते वक्त ज्यादा तेज चलती है और उन्हें शांत होने में वक्त लगता है. मातापिता के कारण बच्चे पढ़ाई में भी अच्छे अंक नहीं ला पाते, जबकि बच्चे पढ़ने में होशियार होते हैं.

वहीं दूसरी तरफ जिन पतिपत्नी के बीच सही तालमेल होता है उन के बच्चे पढ़ाई के साथसाथ सामाजिक कार्यों में भी बेहतर होते हैं. पतिपत्नी के रिश्ते में मनमुटाव न हो, रिश्ता न टूटे, दांपत्य जीवन सुखमय हो, वैवाहिक जीवन में कोई समस्या न हो इस के लिए जरूरी है पतिपत्नी आपसी समस्याएं खुद निबटा लें. किसी तीसरे को अपनी जिंदगी में हस्तक्षेप न करने दें.

Edited By- Nisha Rai

अच्छे संबंध और खुशी का क्या है कनैक्शन

अनुभव को नया-नया मैनेजर बनाया गया था. अब उस की जिंदगी में एक ही चीज महत्त्वपूर्ण रह गई थी और वह था काम. इस के सिवा वह कहीं अपना वक्त जाया नहीं करता. यहां तक कि रिश्तों को संभालने या दोस्तों के साथ हंसीमजाक भी नहीं. वह  सुबह औफिस चला जाता और पूरा दिन फाइलों में गुम रहता. देर रात घर लौटता. तब तक उस के बच्चे सो चुके होते. पत्नी से भी केवल काम की बातें करता. बाकी समय अपने मोबाइल या लैपटौप में बिजी रहता. समय के साथ उस के जीवन में हर तरफ से उदासीनता पसरती चली गई. औफिस कुलीग्स भी उस से कटने लगे. पत्नी से झगड़े बढ़ने लगे. खुद बहुत चिडि़चिड़ा रहने लगा. इतना चिड़चिड़ा रहने लगा कि बच्चों का मस्ती करते हुए चीखनाचिल्लाना भी बरदाश्त नहीं कर पाता और उन पर हाथ उठा देता. अकसर बीमार भी रहने लगा.

एक दिन अनुभव के एक डाक्टर दोस्त ने उसे अच्छे संबंधों की आवश्यकता और मानसिक खुशी के सेहत पर पड़ने वाले असर के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उसे जीवन जीने का सही तरीका सिखाया. तब अनुभव को भी समझ में आ गया कि रिश्तों से कट कर वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता, समयसमय पर पौधों की तरह रिश्तों को प्यार और विश्वास के पानी से सींचते रहना जरूरी है. इन बातों को ध्यान में रखेंगे तो रिश्ते और जिंदगी में प्यार बना रहेगा:

जिंदगी को बहुत सीरियसली न लें

कुछ लोग जिंदगी को इतना सीरियसली ले लेते हैं कि वे जीवन में छोटेमोटे उतारचढ़ाव को भी स्वीकार नहीं कर पाते और डिप्रैशन में चले जाते हैं, जबकि व्यक्ति का व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए कि बड़ी से बड़ी आंधी भी मन को विचलित न कर सके. लोगों से उलझने के बजाय बातों को हंसी में टालना सीखना चाहिए. इस से रिश्तों में कभी गांठ नहीं पड़ती और आप के अंदर की प्रसन्नता भी कायम रहती है.

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थैंकफुलनैस जरूरी

अध्ययनों के मुताबिक आप जिन बातों के लिए दूसरों के शुक्रगुजार हैं उन्हें एक डायरी या मोबाइल में लिख लेने से मन में अलग सी खुशी पैदा होती है. ऐसा करना आपसी रिश्तों के साथसाथ सेहत के लिए भी काफी लाभकारी होता है. कई दफा हम किसी शख्स की उन बातों पर फोकस करने लगते हैं जब उस ने हमारे साथ बुरा किया. इस से हमारा व्यवहार भी उस के प्रति कठोर हो जाता है. इस से रिश्ते में कड़वाहट आने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में लिखी उन पुरानी बातों को पढ़ें जब उस ने आप की मदद की थी, कुछ अच्छा किया था. इस से आप के दिमाग को बहुत सुकून मिलेगा और आप ज्यादा संतुलित और मैच्योर तरीके से उस परिस्थिति से निबट पाएंगे.

‘पर्सनल रिलेशनशिप’ नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक वैसे कपल्स जो अपनी रिलेशनशिप में एकदूसरे के प्रति थैंकफुलनैस कायम रखते हैं उन में तलाक कम होते हैं.

गहरे रिश्ते जरूरी

जब आप किसी के साथ बिना किसी छलकपट के दिल से जुड़े होते हैं, उस के सुखदुख को अपना महसूस करते हैं और अपने दिल की हर बात उस से शेयर करते हैं, तो आप का मन बहुत हलका रहता है. खुश रहने के लिए इस तरह के गहरे रिश्ते बनाने जरूरी हैं, क्योंकि जब आप कुछ लोगों के साथ गहराई से जुड़े होते हैं तो वे आप के गम को आधा और खुशियों को दोगुना कर देते हैं. ऐसे रिश्ते में औपचारिकता नहीं वरन अपनापन होता है.

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रिलेशनशिप से जुड़ी इन 5 बातों का रखें ध्यान

अक्सर ही जिंदगी में उम्र का एक ऐसा मोड़ आता है जब आप किसी से प्यार कर बैठते हैं. आपने सभी सोचा नहीं होता है कि आपके साथ ऐसा कुछ होगा,लेकिन जब आपको वो इंसान अच्छा लगने लगता है और आप उसके प्यार में पड़ जाते हैं. आपको उसकी हर हरकत अच्छी लगने लगती है, आप हर वक्त उससे बात करना चाहते हैं, खाली वक्त में आपको उसकी तस्वीर देखना अच्छा लगता है, उसकी हर पसंद-नापसंद आपको जानने की इच्छा होती है. आप फोन करके पूछते हो कि आपने खाना खाया या नहीं, तबीयत खराब हो तो आप परेशान हो जाते हो उसने दवा ली या नहीं…लेकिन इन सबके बीच कुछ चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में आप सोचे और उस पर अमल करें तो शायद आपकी लाइप में टेंशन कम होगी.

अगर आप रिलेशन में हैं तो ध्यान रखें ये पांच बातें…

1.कभी भी अपने पार्टनर पर डिपेंड न हो

कभी भी अपने पार्टनर के ऊपर निर्भर नहीं होना चाहिए. क्योंकि इससे कारण फिर आपको वो कमजोर समझ सकता है या समझ सकती है. आप पर दबाव बनाकर कुछ भी अपनी मर्जी का करवा सकता है. आपको खुद के पैर पर खड़ा होना होगा ताकि वो आप पर अपना हुकुम न चला सके.

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2. पार्टनर पर एक हद तक भरोसा करें

आप अपने पार्टनर पर भरोसा कर सकती हैं लेकिन अपने माता-पिता की बात को नकार कर कभी हद से ज्यादा भरोसा भी नहीं करना चाहिए. जिंदगी कब क्या मोड़ ले ले ये किसको पता होता है. क्योंकि सुना तो होगा ही की सारे रिलेशनशिप सफल नहीं होते हैं…कुछ प्रतिशत रिलेशन ही ऐसे होते हैं आगे चलकर सफल हो पाते हैं.

3. अपनी लाइफ के डिसीजन खुद लें

बहुत से रिलेशन में ऐसा होता है जब आपका पार्टनर आपके लाइफ के डिसीजन लेता है. कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आप करना चाहते हैं, लेकिन आपके पार्टनर के नापसंदगी की वजह से नहीं करते या फीर वो आप पर वो चीजें न करने के लिए दबाव बनाता है. कभी-कभी ऐसा होता है कि पार्टनर बोलता है ये ड्रेस मत पहनो ये पहनो यहां जाओ वहां मत जाओ…इस तरह चीजें लाइफ को बोझिल बना देती हैं.जब आप अपनी जिंदगी खुद से खुलकर जीना चाहते हैं तो ये बहुत जरूरी है की खुद की सोच कायम करें.

 4. पार्टनर के आगे फैमिली को न भूलें

जब आप प्यार में होते हैं तो आप कभी-कभी अपनी फैमिली को नहीं समझते हैं. आपको ऐसा लगता है अब जो है वो मेरा पार्टनर ही है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए आपकी फैमिली आपकी फर्स्ट प्रौयोरिटी होनी चाहिए. चंद दिनों के प्यार के लिए फैमिली के महत्व को न भूलें.

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5. लाइफ को आसान बनाकर रखें

रिलेशन में अक्सर इंसान टेंशन में हो जाता है कभी लड़ाई हो गई तो कभी इस बात की टेंशन की अरे पार्टनर को कौल नहीं किया वो नाराज हो जाएगा या जाएगी. इन सभी बातों से परें होकर अपनी लाइफ खुलकर जिएं. कभी भी बंधन में न रहें.

प्यार का दुश्मन छोटा घर

मुरादाबाद की रहने वाली छाया की शादी दिल्ली के रहने वाले राजन के साथ हुई थी. उसकी मौसी ने इस शादी में मध्यस्थ की भूमिका निभायी थी, जो दिल्ली में ही ब्याही हुुई थीं. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की छाया मुरादाबाद से ढेर सारे सपने लेकर दिल्ली में आयी थी. दिल्ली देश की राजधानी है. दिल्ली दिलवालों की नगरी है. यहां बड़ी-बड़ी कोठियां, चमचमाती चौड़ी सड़कें, बड़े-बड़े पार्क, दर्शनीय स्थल, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट और पता नहीं किस-किस के बारे में उसने सुन रखा था. मगर ससुराल पहुंच कर छाया के सारे सपने छन्न से टूट गये. वो एक हफ्ते में ही समझ गयी कि यहां वह रह नहीं पाएगी. दरअसल दिल्ली तो बहुत बड़ी थी, मगर उसका घर बहुत छोटा था. इतना छोटा कि उसको अपने लिए एक घंटे का एकान्त भी यहां नहीं मिलता था. मुरादाबाद में छाया के पिता का पांच कमरों वाला बड़ा पुश्तैनी मकान था. घर में पांच प्राणी थे और पांच कमरे, सब खुल कर रहते थे, किसी को प्राइवेसी की दिक्कत नहीं थी. मगर यहां दो कमरों के किराये के घर में सात प्राणी रहते थे – छाया, राजन, उनके माता पिता, दादा दादी और राजन का छोटा भाई. घर में एक बाथरूम था, जिसका इस्तेमाल सभी सातों प्राणी करते थे. सुबह पहले सारे मर्द निपट लेते थे, उसके बाद औरतों की बारी आती थी.

यहां छाया और राजन को कोई प्राइवेसी उपलब्ध नहीं थी. मां, दादा-दादी तो पूरे वक्त घर में ही बने रहते थे. पिताजी भी बस सौदा-सुल्फ लेने के लिए ही बाहर जाते थे, बाकी वक्त चबूतरे पर कुर्सी डाल कर बैठे रहते थे. रात के वक्त घर की सारी औरतें एक कमरे में सोती थीं, और मर्द दूसरे कमरे में. ऐसे में छाया को पति की नजदीकियां भला कैसे मिल सकती थीं? दोनों दूर-दूर से एक दूसरे को बस निहारते रहते थे. शादी को महीना बीत रहा था, अभी तक उनके बीच शारीरिक सम्बन्ध भी नहीं बन पाया था. सुहागरात क्या होती है, छाया जान ही नहीं पायी. एक महीने में ही छाया की सारी खुशियां काफूर हो चुकी थीं, वह टूटने लगी थी, अपने घर वापस लौट जाने का ख्याल दिल में आने लगा था. आखिर ऐसी शादी का क्या मतलब था, जहां पति की नजदीकियां ही न मिल सकें?

राजन के पिता रिटायर हो चुके थे. उनकी थोड़ी सी पेंशन आती थी. राजन एक कोरियर कम्पनी में कोरियर बॉय का काम करता था. उसकी कमाई और पिता की पेंशन से सात प्राणियों का घर चलता था. राजन सुबह नौ बजे का निकला रात आठ बजे थका-हारा घर लौटता था. छाया उसके बिस्तर पर ही खाने की थाली धर जाती थी और वह खाना खाते ही सो जाता था. पत्नी से सबके सामने बातचीत भी क्या करता? उसकी कम्पनी से उसे छुट्टी भी नहीं मिलती थी कि पत्नी को लेकर कहीं घूम आये. छुट्टी लेने का मतलब उस दिन की देहाड़ी हाथ से जाना. वहीं दस लोग उसकी जगह पाने के लिए भी खड़े थे. इसलिए वह मालिक को नाराजगी का कोई मौका नहीं देना चाहता था.

यहां घर में छाया की ददिया सास ने शादी के पंद्रह दिन बाद ही पड़पोते की फरमाइश उसके आगे रख दी थी – ‘बिटिया, पड़पोते का मुंह भी देख लूं तो चैन से मर सकूंगी. भगवान जल्दी से तेरी गोद भर दे, बस…’ उनकी बातें सुन कर छाया को बड़ी खीज लगी. मन चाहा मुंह पर बोल दे कि जब पति-पत्नी को करीब आने का मौका ही नहीं दोगे तो पड़पोता क्या आसमान से टपकेगा? पति के प्रेम को छटपटाती छाया आखिरकार महीने भर बाद ही मां की बीमारी का बहाना बना कर अपने घर मुरादाबाद लौट गयी.

राजन उसको ट्रेन में बिठाने गया तो रास्ते में उसने धीरे से पूछा था, ‘क्या मां सचमुच बीमार हैं?’

छाया उससे मन की तड़प छिपा नहीं पायी, बोली, ‘नहीं, कोई बीमार नहीं है, मगर यहां रह कर अगर तुम्हारा साथ नहीं मिल सकता तो ऐसी शादी का मतलब ही क्या है? इतने छोटे घर में मेरा गुजारा नहीं हो सकता. जब अपना घर ले लेना, तब फोन कर देना, मैं लौट आऊंगी.’

राजन ने सिर झुका लिया. उसकी हालत छाया से अलग नहीं थी, मगर वह भी मजबूर था. दूसरा घर लेकर पत्नी के साथ रहने की उसकी औकात नहीं थी. आखिर घर के बाकी लोगों की जिम्मेदारी भी तो उस पर थी, मगर छाया की बात भी ठीक थी.शादी के बाद से उसकी आंखों से भी नींद लगभग गायब ही है. कई बार सोचता कि छाया को चुपचाप बुला कर छत पर ले जाये, मगर फिर यह सोच कर मन मार लेता कि छत पर ऊपर वाली मंजिल पर रहने वाले सोते हैं. कहीं किसी ने देख लिया तो? कई बार सोेचता कि पत्नी के साथ घूमने जाये, किसी सस्ते से होटल में उसके साथ एकाध दिन बिता ले, मगर उसकी जेब में इतने पैसे ही नहीं होते थे. रोज का आने-जाने का किराया काट कर महीने की पूरी तनख्वाह वह मां के हाथों में रख देता था. आखिर सात प्राणियों का पेट जो भरना था. परिवार की आमदनी का और कोई दूसरा स्रोत भी नहीं था. छाया को ट्रेन में बिठाते वक्त उसकी आंखों में आंसू थे. दिल इस आशंका से कांप रहा था कि पता नहीं अब कभी उसे देख पाएगा या नहीं. और फिर वही हुआ… हफ्ते, महीने, साल गुजर गये, न राजन के हालात सुधरे, न छाया वापस लौटी.

छोटा घर प्यार में बड़ा बाधक होता है. संयुक्त परिवार हो तो पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेमालाप या शारीरिक सम्बन्ध बनाने के मौके बहुत कम होते हैं. ऐसे में दम्पत्ति लम्बे समय तक एक दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और प्रेम को साझा नहीं कर पाते हैं. एक छत के नीचे रहते हुए भी वे अजनबी बने रहते हैं.

घरवालों के सामने बनना पड़ता है बेशर्म

कुछ कपल घर की इस हालत में थोड़े बेशर्म हो जाते हैं और सबके बीच ही अपनी शारीरिक जरूरतें भी किसी न किसी तरह पूरी कर लेते हैं. जैसे अमृता के बड़े भाई और भाभी. अमृता का परिवार दिल्ली के मंगोलपुरी में एक कमरे के छोटे से मकान में रहता है. अमृता, उसकी मां, उसका छोटा भाई और बड़े भाई अनिल और उनकी पत्नी रिचा रात में जमीन पर ही बिस्तर फैला कर एक साथ सोते हैं. कई बार रात में आंख खुलने पर अमृता ने भइया-भाभी को कोने में एक ही कम्बल में हिलते-डुलते देखा है. वह जानती है कि उसका छोटा भाई भी सब देखता है और कभी-कभी मां भी. मगर क्या किया जाए? मजबूरी है. उसकी भाभी रिचा भी जानती है कि कोई न कोई उन्हें देख रहा है. इसीलिए वह हर वक्त शर्मिंदगी में भी डूबी रहती है. जैसे उसने कोई चोरी की है और चोरी करते रंगे हाथों पकड़ी गयी है. वह घर में किसी से भी आंख मिला कर बात नहीं कर पाती है.

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सार्वजनिक स्थलों पर ढूंढते नजदीकियां

दिल्ली में कैलाश कौलोनी के पास बसा जमरुद्पुर एक मलिन बस्ती है. यहां गुर्जरों के कई दोमंजिला, तिमंजिला मकान हैं, जिनमें बिहार, यूपी से आये सैकड़ों परिवार किराये पर एक-एक कमरा लेकर रहते हैं. ऐसे मकानों में हर माले के कोने में एक शौचालय और एक स्नानागार होता है, जिन्हें ये सभी परिवार बारी-बारी से इस्तेमाल करते हैं. इन्हीं में एक कमरा सरिता का भी है, जिसमें वह अपनी बूढ़ी सास, पति और दो छोटे बच्चों के साथ रहती है. सरिता और उसके पति को जब सम्बन्ध बनाना होता है तो वह रात में पास के एक पार्क में चले जाते हैं, जहां एक कोने में झाड़ियों के पास अपना काम निपटाते हैं. सरिता के लिए यह डर और शर्मिंदा करने वाला वक्त होता है. कहीं से कोई आ न जाए. कहीं कोई देख न ले. कहीं रात में कुत्ते उनके पीछे न पड़ जाएं. कहीं कोई चौकीदार या पुलिसवाला उन्हें न धर ले. घर में बच्चे जाग कर कहीं उन्हें ढूंढने न लग जाएं. सास की आंख न खुल जाए. पति के सानिध्य में ऐसे तमाम ख्याल सरिता को परेशान किये रहते हैं. मगर पार्क में पति के साथ आना उसकी मजबूरी है, एक कमरा जहां सास और बच्चे सोये हुए हैं, वहां वह पति के साथ हमबिस्तर भी कैसे हो?

बहू पर बुरी निगाह 

कई बार छोटा घर बहू को शर्मिंदगी का ही नहीं, अपराध का शिकार भी बना देता है. ऐसे कई केस सामने आते हैं जब पति की अनुपस्थिति में जेठ, देवर या ससुर बहू के साथ नाजायज सम्बन्ध बनाने की कोशिश करते हैं और कई बार अपने इरादों में कामयाब भी हो जाते हैं. अक्सर बहुएं अपने साथ हुए बलात्कार पर चुप्पी साध जाती हैं या हालात से समझौता कर लेती हैं. घर में अगर बहू-बेटे का कमरा अलग हो, तो इस तरह के अपराध औरतों के साथ न घटें. बेटा-बहू लाख सोचें कि रात के अन्धेरे में चुपचाप सम्बन्ध बनाते वक्त उन्हें कोई देख नहीं रहा है, मगर ऐसा होता नहीं है. कब कौन उन्हें देख ले, कब किसके मन में कुत्सित भावनाएं जाग जाएं कहा नहीं जा सकता.

बच्चों पर बुरा असर

जब घर में एक या दो कमरे हों और घर के सभी प्राणी उन्हें शेयर करते हों तो पति-पत्नी के बीच बनने वाले शारीरिक सम्बन्ध अक्सर घर के बच्चों की नजर में आ ही जाते हैं. आप अगर यह सोचें कि बच्चा सो रहा है, या बच्चा छोटा है कुछ समझ नहीं पाएगा, तो यह आपकी गलतफहमी है. आजकल टीवी और इंटरनेट के जमाने के बच्चे सब कुछ समझते भी हैं और उन्हें दोहराने की कोशिश भी करते हैं. यह बातें बच्चों में उत्पन्न होने वाली आपराधिक प्रवृत्ति की जिम्मेदार हैं. ऐसे ही बच्चे जो बचपन में अपने माता-पिता को शारीरिक सम्बन्ध बनाते देखते हैं, वह अपने स्कूल में अन्य बच्चों के साथ गलत हरकतें करते हैं या लड़कियों को मोलेस्ट करने या उनसे बलात्कार करने की कोशिश करते हैं.

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पति-पत्नी में बढ़ती दूरी

छोटा घर और बड़ा परिवार पति-पत्नी के शारीरिक सम्बन्धों में तो बाधा है ही, यह पति-पत्नी को मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक-दूसरे के करीब नहीं आने देता है. छोटे घर में अन्य सदस्यों की मौजूदगी में पति-पत्नी अपनी उन फीलिंग्स को एक-दूसरे के साथ कभी शेयर ही नहीं कर पाते हैं, जो उन्हें एक-दूसरे के निकट लाती है. वे कभी एक-दूसरे की बाहों में लिपट कर नहीं बैठ सकते. प्यार के स्पर्श को महसूस नहीं कर पाते. अपने मन की बातें एक-दूसरे से नहीं कह पाते. वे बस रात होने का इंतजार करते हैं, सबके सोने का इंतजार करते हैं और सेक्स को डर और आशंकाओं के बीच किसी मशीनी क्रिया की भांति फटाफट निपटा लेते हैं. ऐसे कपल जीवन की पूर्णता के निकट भी नहीं पहुंच पाते हैं और उनके बीच सदा एक दूरी बनी रहती है. समय गुजरने के साथ ये दूरी बढ़ती जाती है और दोनों एक-दूसरे की भावनाओं और तकलीफों से भी कट जाते हैं.

छोटा घर तलाक का कारण

शुभांगी ने तो पति का छोटा घर देख कर शादी के पहले ही दिन तलाक की बात कह दी और अपने माता-पिता के साथ हैदराबाद लौट गयी. दरअसल शुभांगी दिल्ली में काम करती थी. यहां वह दो कमरे के किराये के फ्लैट में रहती थी. उसके माता-पिता हैदराबाद में थे. प्रतीक से वह एक मेट्रीमोनियल साइट पर मिली थी. प्रतीक ने उसको बताया था कि वह बेंगलुरु में एक अच्छी कम्पनी में काम करता है और शादी के बाद शुभांगी को अपने साथ बेंगलुरु ले जाएगा, जहां कम्पनी की तरफ से उसको बड़ा फ्लैट मिला हुआ है. दोनों ने अपने-अपने माता-पिता को इस रिश्ते के बारे में बताया. दोनों के माता-पिता हैदराबाद में एक पब्लिक प्लेस पर मिले और शादी की तारीख पक्की हो गयी. तय तारीख पर शुभांगी हैदराबाद पहुंची और दोनों शादी वहां एक मंदिर में हुई. शादी में दोनों के माता-पिता, प्रतीक का छोटा भाई और कुछ दोस्त मौजूद थे. शादी सम्पन्न होने पर शुभांगी अपने माता-पिता के साथ प्रतीक के हैदराबाद वाले घर में पहुंची तो वह छोटा सा दो कमरे का घर था. जहां एक कमरे में उसके माता-पिता रहते थे, और दूसरे में उसका भाई. वहां पहुंच कर प्रतीक ने शुभांगी से कहा कि उसकी नौकरी चली गयी है और वह नई कम्पनी जल्दी ही ज्वाइन करेगा. कम्पनी ने उसका फ्लैट भी खाली करवा लिया है, इसलिए वह अभी उसको अपने साथ बेंगलुरु नहीं ले जा सकता और शुभांगी को यहीं उसके छोटे भाई के साथ उसका कमरा शेयर करके रहना होगा.

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यह सुनते ही शुभांगी गुस्से से भर गयी. उसने पूछा कि यह बात उसने शादी से पहले क्यों नहीं बतायी? इस पर प्रतीक और उसके माता-पिता ने सिर झुका लिया. शुभांगी ने प्रतीक से कहा कि वह कोई पुलिस केस नहीं चाहती है, इसलिए तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल करेगी और बेहतर होगा कि प्रतीक भी आपसी सहमति से तलाक के लिए राजी हो जाए, अगर वह राजी नहीं हुआ तो मजबूरन वह उन लोगों पर चार सौ बीसी का केस दायर करेगी, इसके साथ ही वह उन लोगों पर सामाजिक प्रताड़ना, मानसिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और महिलाओं को प्रोटेक्ट करने वाले तमाम मुकदमे भी दर्ज करवा देगी. उसकी धमकी सुन कर प्रतीक और उसके माता-पिता कांपने लगे और तुरंत तलाक के लिए राजी हो गये.

दरअसल शुभांगी इस बात से तो नाराज थी ही कि प्रतीक ने अपनी नौकरी जाने की बात उसे शादी से पहले नहीं बतायी, बल्कि इस बात से ज्यादा नाराज थी कि उसने यह नहीं बताया था कि नौकरी न रहने पर शुभांगी को उसके दो कमरे के छोटे से घर में उसके छोटे भाई के साथ कमरा शेयर करके रहना होगा. अगर यह घर थोड़ा बड़ा होता और शुभांगी को वहां रहने के लिए अपना कमरा मिलता तो शायद वह तलाक की बात न भी करती और प्रतीक को नई नौकरी ढूंढने का मौका देती.

क्या है उपाय

घर चाहे छोटा हो या बड़ा, मर्यादाओं का पालन होना ही चाहिए, वरना समाज और देश अमर्यादित और आपराधिक गतिविधियों में उलझ जाएगा. बच्चे का पहला शिक्षालय उसका घर ही होता है. वहां वह जो कुछ देखता, सीखता है, उसकी पुनरावृत्ति वह स्कूल, कॉलेज और उसके उपरान्त अपने जीवन में भी करता है. इसलिए कोशिश करें कि बच्चों के सामने ऐसी कोई हरकत न करें, जिसका उनके कोमल मन पर बुरा प्रभाव पड़े.

घर छोटा और परिवार बड़ा हो तो नये शादीशुदा जोड़े को एकान्त वक्त बिताने के लिए घर के अन्य सदस्यों को मौका देना चाहिए. इतवार या अन्य छुट्टी के दिन नये जोड़े को घर में छोड़ कर घर के बाकी लोग यदि पिकनिक पर या किसी रिश्तेदारी में चले जाएं तो यह वक्त नये कपल के लिए स्वर्ग से ज्यादा सुन्दर होगा.

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सास-ससुर को चाहिए कि शाम को बेटे के घर लौटने के वक्त ईवनिंग वौक पर इकट्ठे चले जाएं या बाजार-हाट कर आएं और बेटे-बहू को घर में कुछ वक्त अकेले में बिताने का मौका दें और बेटे-बहू को भी चाहिए कि वे भी माता-पिता को कुछ समय अकेले रहने का मौका दें. आखिर उनके मन में भी तो तमाम बातें होती होंगी, जो वे बेटे, बहू या अन्य बच्चों के सामने नहीं कर पाते होंगे. बेहतर तो यह होगा कि शादी के बाद नये जोड़े के लिए घर में अलग कमरे का इंतजाम हो. यदि घर बहुत छोटा है और ऐसा करना सम्भव नहीं है तो आमदनी ठीक होने पर नये जोड़े को अलग घर लेकर दे देना चाहिए. इसके लिए बहू को दोष देना ठीक नहीं कि आते ही उसने लड़के को घर से अलग कर दिया, जैसा की आमतौर पर भारतीय परिवारों में सुनायी पड़ता है. दो अनजान प्राणी एक दूसरे से तभी जुड़ पाएंगे, एक दूसरे के हमसफर सही मायनों में तभी बन पाएंगे, जब अकेले में एक दूसरे के साथ वक्त बिताएंगे. आज तलाक की बड़ी वजह यह भी है कि मां-बाप अपने शादीशुदा बेटे को उसकी पत्नी के साथ रहने का पूरा मौका नहीं देते हैं.

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