सेहत की निशानी नहीं मोटापा

भारतीयों में पिछले 12-15 वर्षों के दौरान मोटापा बड़ी तेजी से बढ़ा है. मोटापे की 2 श्रेणियां मानी जाती हैं. पहली है ओवरवेट यानी जरूरत से ज्यादा वजन. इस से दिल और सांस से जुड़ी कई बीमारियां हो जाती हैं. दूसरी श्रेणी है ओबेसिटी, जो ढेर सारी बीमारियों का आधार होने के अलावा खुद में एक बीमारी है. इसे डाक्टर की मदद के बिना ठीक नहीं किया जा सकता है.

मैडिकल जर्नल ‘लांसेट’ में प्रकाशित सर्वे के अनुसार, भारत में करीब 20 प्रतिशत लोग मोटापे से जुड़ी किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं. खाने की खराब गुणवत्ता और शारीरिक श्रम का अभाव मोटापे की 2 बड़ी वजहें मानी जाती हैं. कार से सफर करना, एयरकंडीशंड में रहना, होटलों में खानापीना व लेटनाइट पार्टियों के मजे लेना आदि आज खातेपीते लोगों की जीवनशैली बन चुकी है.

ऐसी आदतों और जीवनशैली को ले कर हमें समय रहते चेत जाना जरूरी है क्योंकि कड़ी मेहनत की कमाई अगर हमें मोटापे से जुड़ी बीमारियों पर लुटानी पड़े तो यह अफसोसजनक है.

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2030 तक मोटापा नौन कम्यूनिकेबल डिजीज का एक बड़ा कारण बन जाएगा और दुनिया में 70 प्रतिशत मौतें मोटापे से जुड़ी बीमारियों की वजह से होंगी. इस सर्वे के अनुसार, वर्ष 2030 तक मोटापे से जुड़ी बीमारियों से मरने वाले लोगों में भारत जैसे विकासशील देश के लोगों की संख्या काफी अधिक होगी. मोटापा महामारी बन जाए, इस से पहले इस की रोक पर हमें गंभीर प्रयास शुरू कर देने चाहिए.

यह सवाल, कि हम ओवरवेट या मोटे हैं या नहीं, इस को डा. पारुल आर सेठ की रिपोर्ट से बेहतर ढंग से जाना जा सकता है.

कैसे जानें अपना बीएमआई :

अपनी लंबाई और वजन के जरिए बौडी मास इंडैक्स यानी बीएमआई को कैलकुलेट किया जा सकता है. बीएमआई को जानने के लिए अपनी लंबाई को (मीटर में) इसी नंबर से गुणा कर दें. फिर जो नंबर मिले उसे अपने वजन (किलोग्राम) से भाग कर दें. इस से जो नंबर आएगा वह आप की बौडी का बीएमआई होगा.

क्या हो बीएमआई :

अगर आप का बीएमआई 18.50 से कम है तो आप अंडरवेट हैं. बीएमआई 30 से ज्यादा होने का मतलब है कि आप मोटे हैं और आप को अपने बढ़ते वजन पर नियंत्रण करने की जरूरत है.

कमर कितनी हो: शरीर के मध्य भाग पर जमे फैट का अंदाजा कमर के मापने से हो जाएगा. इस के लिए टेप को अपने लोअर रिब्स और हिप्स के बीच के हिस्से में रखते हुए गहरी सांस छोड़ते हुए घेरा नापें.

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पुरुषों में यह नाप 94 सैंटीमीटर और महिलाओं में 88 सैंटीमीटर से ज्यादा होने का मतलब है कि आप कार्डियोवैस्कुलर, स्ट्रोक या डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे पर खड़े हैं. पुरुषों में यह नाप 102 सैंटीमीटर और महिलाओं में 88 सैंटीमीटर से ऊपर जाने की स्थिति में मोटापे से जुड़ी बहुत सी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

वेस्ट-हिप रेशियो :

वेस्ट यानी कमर, हिप्स यानी कूल्हे पर जमे फैट का अंदाजा लगाने के लिए उन का रेशियो निकाला जाता है. नाभि के पास से कमर की नाप लें और फिर कूल्हे के निचले हिस्से को नापें. कमर की नाप को कूल्हे की नाप से भाग कर दें. पुरुषों में यह रेशियो एक से ज्यादा और महिलाओं में 0.8 से ज्यादा आने का मतलब है कि आप हैल्थ प्रौब्लम के रिस्क जोन में हैं. ऐसे में आप को अपनी सेहत को ले कर सावधान हो जाने की सख्त जरूरत है.

वेट ज्यादा है तो :

बीएमआई और वेस्ट की नाप ज्यादा होने का साफसाफ मतलब है कि आप ओवरवेट हैं और अपने वजन को नियंत्रण में रखने के लिए अब आप को हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सख्त जरूरत है. इस समय अगर आप अब भी रोजाना ऐक्सरसाइज व नियंत्रित खानपान पर ध्यान नहीं देंगे तो आप का शरीर और भी फैल जाएगा.

बढ़ते वजन पर नियंत्रण : सब से पहले हमें इस मूल धारणा को दिमाग से निकालना होगा कि बढ़ता वजन ‘सेहत बन रही है’ की निशानी है. दरअसल, बढ़ता वजन सेहत की नहीं, मोटापे की निशानी है. वजन पर नियंत्रण करें.

मोटापे से बचने के उपाय

–      प्रतिदिन ऐक्सरसाइज अवश्य करें. जिस में एरोबिक व कार्डियो ऐक्सरसाइज भी हो सकती हैं.

–      भोजन एकसाथ ज्यादा न करें. इकट्ठा बहुत सारा भोजन मोटापा लाता है. दिनभर में 6-7 बार थोड़ाथोड़ा कर भोजन लें.

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–      हमेशा सुबह जल्दी सो कर उठें. सो कर उठने के बाद एकदम से काम में न लग जाएं. कम से कम 5 मिनट तक सीधा हो कर हलकेहलके कदम से कमरे के भीतर ही चलफिर कर शरीर का रक्तसंचार ठीक कर लें. फिर काम में लगें.

–      खाने में फल, जूस, दालें और कच्ची हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें.

–      अपना आकारप्रकार देख कर और यदि ज्यादा असुविधा न हो तो किसी डाक्टर से परामर्श ले कर वजन व रक्त की मात्रा के आधार पर भोजन का निर्धारण करें.

–      तेलयुक्त चीजों का सेवन कम से कम करें.

–      डिनर जल्दी लिया करें.

–      लंच व डिनर हलका लें किंतु ब्रेकफास्ट भारी लिया करें.

कोरोना होने के बाद मेरी मां के दिलोदिमाग पर बहुत गहरा असर हुआ है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी मां 54 वर्ष की हैं. कोरोना की सैकंड लहर के दौरान मेरे पापा को सीवियर इन्फैक्शन हो गया था. उन के लंग्स 80% तक इन्फैक्टेड हो गए थे. मेरे पापा वैंटीलेटर तक पहुंच गए थे, लेकिन काबिल डाक्टर की वजह से उन की जान बच गई. परंतु इस घटना का मेरी मां के दिलोदिमाग पर बहुत गहरा असर हुआ है. पूरा 1 वर्ष हो गया है, लेकिन मेरी मां सदमे से बाहर नहीं आ पा रही हैं. लगातार उन की दवा चल रही है. कृपया बताएं कि कोई अन्य उपचार विकल्प के द्वारा उन्हें ठीक किया जा सकता है?

जवाब-

कोविड-19 के कारण हर तरफ बीमारी और लौकडाउन की स्थिति ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है, जिस का असर स्पष्ट तौर पर लोगों में तनाव, अवसाद और चिड़चिड़ेपन के रूप में देखा जाता है खासकर जब किसी अपने खास को लगभग डैथ बैड तक पहुंचा देखना उन के लिए बड़ा सदमा देने वाला साबित होता है. इस स्थिति में ज्यादा लंबे समय तक दवा का सेवन भी कई बार खतरनाक साबित होता है क्योंकि दवाओं के अपने साइड इफैक्ट्स होते हैं. ऐसे में आप के पास टीएमएस थेरैपी का विकल्प मौजूद है. यह एक यूएस एफडीए मान्यताप्राप्त थेरैपी है. इस थेरैपी में मैग्नेटिक ट्रीटमैंट कएल का इस्तेमाल किया जाता है.

यह चुंबकीय डिवाइस मस्तिष्क में एक कमजोर विद्युत प्रवाह उत्पन्न करता है जो उत्तेजना के स्थल पर न्यूरो सर्किट को ऐक्टिवेट करता है. यह थेरैपी डिप्रैशन को पूरी तरह से ठीक करने में दोगुनी कारगर साबित होती है और इस के साइड इफैक्ट्स भी नहीं होते. हर सप्ताह 1 या 2 सैशन के द्वारा आप की माता पूरी तरह ठीक हो सकती है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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दृष्टि धामी इंडियन मौडल होने के साथसाथ चर्चित ऐक्ट्रैस भी हैं. उन्होंने टैलीविजन चैनल स्टार वन के सीरियल ‘दिल मिल गए में’ डाक्टर मुसकान का किरदार निभा कर ऐक्टिंग के अपने कैरियर की शुरुआत की थी. लेकिन उन के ऐक्टिंग के कैरियर को रफ्तार मिली ‘गीत हुई सब से पराई’ में गीत का किरदार निभाने के बाद. इस से वे आम जन के बीच पौपुलर होती गईं.

उन्होंने कोरियोग्राफर सलमान यूसुफ खान के साथ डांस रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा सीजन-6’ भी जीता था. उन्हें 2012 में सैक्सिएस्ट एशियन वूमन की भी लिस्ट में शामिल किया जा चुका है. वे इस कदर लोगों के बीच चर्चित हो गई हैं कि आज उन्हें इंस्टाग्राम पर 2 मिलियन के करीब लोग फौलो कर रहे हैं, जो बड़ी कामयाबी है.

पेश हैं, उन से हुए सवालजवाब:

आप को ऐक्टिंग के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐक्टिंग के क्षेत्र में आऊंगी और मु?ो इतनी कामयाबी मिलेगी. मेरे लिए यह पूरी तरह से अनप्लानड था. अगर इसे मैं सुयोग कहूं तो गलत नहीं होगा क्योंकि जिस दिन मेरा सलैक्शन हुआ उस दिन मैं अपनी फ्रैंड के औडिशन के लिए उसे कंपनी देने गई थी.

लेकिन वहां मेरा ही एक ऐड के लिए सलैक्शन हो गया. असल में यहीं से मेरे कैरियर की शुरुआत हुई थी. तब मैं ने अभिनय में आने के बारे में जरा भी नहीं सोचा था. लेकिन आज अगर कोई मुझ से पूछे तो मेरे लिए ऐक्टिंग से बढ़ कर कोई और प्रोफैशन नहीं क्योंकि मैं खुद को इस प्रोफैशन में जितना फिट पाती हूं, उतना किसी और प्रोफैशन में नहीं.

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वर्ल्ड सैक्सिएस्ट एशियन वूमन का खिताब पाने के पीछे की मेहनत और अब आप खुद को किन सैलिब्रिटीज के बराबर आंकती हैं?

सच कहूं तो मैं ने इसे कभी संघर्ष या प्रतियोगिता के रूप में देखा ही नहीं. बस मैं खुद को अंदर व बाहर से फिट रखना चाहती हूं और इस के लिए जो भी अपने तरीके से करना होता है, उसे करा भी और आगे भी कर रही हूं. सही समय पर सही खाना व क्वांटिटी का खास ध्यान रखा. ठीक उसी तरह कि कब, कहां, किस बात का क्या जवाब देना है.

मैं खुद के व अपने खानपान के साथ कभी कोई समझता करना पसंद नहीं करती हूं और शायद यही कारण रहा होगा वर्ल्ड सैक्सिएस्ट एशियन वूमन का खिताब पाने के पीछे. और रही बात दूसरी सैलिब्रिटीज के बराबर खुद को आंकने की, तो बता दूं कि हर किसी में कुछ यूनीक क्वालिटीज होती हैं, इसलिए किसी से खुद को आगे बताना या बराबरी करना ठीक नहीं.

फिटनैस कितनी जरूरी है?

जब आप अंदर से फिट होंगे, तभी आप बाहर से भी फिट नजर आएंगे क्योंकि जब बौडी अंदर से डिटौक्स हो कर फिट होती है, तभी उस की झलक आप की स्किन के ग्लो, स्किन प्रौब्लम्स का न के बराबर होना के रूप में दिखती है और साथ ही फिट यानी सैक्सी फिगर भी मिलती है. इस के लिए आप को क्लीन डाइट और ड्रिंक क्लीन के सिद्धांत को अपनाने की जरूरत होती है खास कर आज के माहौल में, जब हर किसी में कोरोना वायरस का खौफ है.

ऐसे में अगर इस बीमारी से बचना है तो इम्यूनिटी को बूस्ट करना बहुत जरूरी है और इस के लिए  हैल्दी ईटिंग हैबिट्स, वर्कआउट को अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करें. मैं रोजाना टेटली विटामिन सी युक्त ग्रीन टी का सेवन करती हूं क्योंकि इस में ऐप्पल से 5 गुना ज्यादा ऐंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने के साथसाथ आप को यंग बनाए रखने का भी काम करते हैं. जब तक आप अंदर से फिट नहीं होंगे तब तक बाहर से हिट नहीं हो सकते.

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‘झलक दिखला जा सीजन-6’ की विनर, कामयाबी पर कामयाबी, खुद को अब कहां देखती हैं और आगे क्या धमाल करने की सोच रही हैं?

यह सच है कि जब किसी भी इंसान को कामयाबी मिलती है तो उस के पैर जमीन पर नहीं टिकते हैं. मेरे लिए भी सीजन-6 का विनर होना किसी सपने से कम नहीं था क्योंकि इस से मेरा कौन्फिडैंस बढ़ने के साथसाथ मैं लोगों के बीच काफी पौपुलर होती जा रही थी.

लेकिन मैं ने कभी भी कामयाबी का जनून अपने सिर पर नहीं चढ़ने दिया, बल्कि हमेशा और आगे बढ़ने के लिए मेहनत करती रही और आगे भी करती रहूंगी. अभी मैं वैब सीरीज ‘द एंपायर’ को ऐंजौय कर रही हूं.

घर में ये पौधे लगाएं और मच्छरों को दूर भगाएं

हमारे देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों और कई शहरों में मच्छरों का आतंक सा छाया हुआ है. यही कारण है कि इन दिनों देश के कई हिस्से मच्छर जनित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. मच्छरों से कई तरह की गंभीर बिमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जन्म लेती हैं, जो आगे चलकर आपको जीवन में बहुत हानि पहुंचाती हैं. आप भी मच्छरों से बचने के लिए तरह-तरह की क्रीम, लोशन और कैमिकल्स युक्त तत्वों का इस्तेमाल करते हैं, जो आपकी त्वचा और स्वास्थ्य दोनो के लिए हानिकारक होते हैं.

मच्छरों से बचने के लिए आपको हर रोज कोई न कोई नये-नये उपाय बताते रहता है, जो कभी असर करते होंगे और कभी नहीं. मच्छरों से बचाव के लिए घर में कुछ पौधे लगाना एक हर्बल और बहुत सस्ते उपाय हो सकते हैं. आज हम आपको बहुत सारे उन पौधों के बारे में बता रहे हैं जिनमें मच्छरों को दूर भगाने वाली गंध और उन्हें दूर कर देने वाला गुण पाया जाता है, तो आप भी अपने घर में ये पौधे लगाकर मच्छरों और बिमारियों को दूर रख सकते है..

1. तुलसी का पौधा

ये बात तो आप सभी जानते हैं कि तुलसी का पौधा अनेक गुणों से भर पूर होता है. तुलसी की पत्तियों की खुशबू बहपत तेज होती है, जो कि मच्छरों को दूर भगाने में मददगार है. जहां भी तुलसी का पौधा लगा होता है, उसके आसपास मच्छर नहीं आते, इसीलिए आपको मच्छरों को दूर रखने के लिए घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए.

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2. लेमन बाल्म का पौधा

लेमन बाल्म पुदीने की तरह दिखने वाला एक पौधा है, जिसकी खुशबू नींबू के जैसी होती है इसीलिए तो इसका नाम लेमन बाल्म रखा गया होगा. यह पौधा जहां भी लगा होता है, उसके आसपास इसकी महक दूर दूर तक चारों ओर फैलती है. इसकी इस सुगंध के कारण मच्छर इसके पास नहीं भटकते. घर में इस पौधे को लगाने से मच्छर आपके घर में नहीं आऐंगे. इसके अलावा मच्छरों से बचाव के लिए इसकी पत्तियों को आप रगड़कर अपने शरीर पर भी लगा सकते हैं.

3. गेंदे का पौधा

गेंदे के फूल की तेज ऐर तीखी अजीब सुगंध मच्छरों के लिए परेशानी का सबब है. यही कारण है कि मच्छर इस पौधे से दूर ही रहते हैं और मच्छरो से बचने के लिए ये पौधा लगाना चाहिए.

4. हरी चाय का पौधा

ये हरी चाय का पौधा मच्छरों का जानलेवा दुश्मन है. इस पौधे की खुशबू मात्र से ही मच्छर दूर भागने लगते हैं. हरी चाय के पौधे की खुशबू भी नींबू की तरह ही होती है. आपको पता है, बाजार में बिकने वाली मच्छरों को मारने वाली दवाओं में कई अच्छी कम्पनियों द्वारा कुछ मात्रा में इस पौधे का रस मिलाया जाता है. इसकी पत्तियों को पीस कर शरीर में लगा लेने से भी, इसकी तेज खुशबू से मच्छर आपके आस-पास से भाग जाते हैं.

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5. नीम का पौधा

आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों से युक्त नीम के पौधे में मौजूद तत्व मच्छरों और कई कीड़े-मकोड़ों को दूर रखने में सहायक है. मच्छरों को दूर भगाने के लिए आपको नीम की पत्तियों को घर में रखना चाहिए. आप चाहें तो इसकी  पत्तियों को जलाकर अपने घर में इसका धुंआ कर सकते हैं. ऐसा करने से भी मच्छर घर से दूर भाग जाते हैं. आर इसका तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं, ये भी फायदेमंद होता है.

Winter Special: सर्दियों में महिलाएं रखें अपनी सेहत का ख्याल, शरीर को ऐसे दें बेहतर पोषण

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

सर्दियों का मौसम हमारी दिनचर्या में कई तरह के बदलाव लेकर आता है. खाने-पीने से लेकर हमारी सोने तक का रूटीन बहुत गड़बड़ा जाता है, जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. अगर आप एक महिला हैं, तो सर्दियों के मौसम में आपको अपने परिवार के साथ खुद की देखभाल करने की भी जरूरत है. दरअसल, इस मौसम में महिलाएं अपने पोषण पर ध्यान नहीं देती . विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी व्यक्ति की पोषण संबंधी जरूरतें मौसम के आधार पर अलग होती हैं. इसलिए शरीर को हर मौसम में हर तरह के पोषक तत्व प्रदान करना आपकी जिम्मेदारी है. इसलिए अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए, जो पोषक तत्वों से भरपूर हों. यहां हम आपको ऐसे पोषण संबंधी टिप्स बता रहे हैं, जिससे शरीर में पोषण की कमी दूर हो जाएगी और आप एक खुश और स्वस्थ सर्दी का आनंद ले सकेंगे.

विटामिन -सी का सेवन करें

यह जादुई विटामिन अपनी एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है, जो सर्दियों के लिए जरूरी भी है. खट्टे फल जैसे संतरे, नींबू , कीवी, पपीता, अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन सी हमारी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करता है. इस वंडर विटामिन का एक और फायदा यह है कि यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है. इस मौसम में बीमारियों से बचने के लिए अपने आहार में विटामिन -सी का सेवन बढ़ाएं.

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हरी सब्जियां खाएं

सर्दियों का मौसम हरी पत्तेदार सब्जियों के लिए जाना जाता है. हरी सब्जियां कई एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर होती हैं. यह हमारे शरीर के कार्य के लिए बहुत जरूरी हैं. इसमें मौजूद प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और आयरन कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का घरेलू उपचार हैं. इसलिए इन दिनों में महिलाओं को अपने आहार में हरी सब्जियों को जरूर शामिल करना चाहिए.

दूध और चाय में करें मसालों का उपयोग

केसर, हल्दी, दालचीनी और इलायची जैसे भारतीय मसाले सर्दियों के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं. इन सभी मसालों की तासीर गर्म होती है, जिसके सेवन से शरीर को गर्माहट मिलती है. इसके अलावा सर्दी और फ्लू जैसी सामान्य मौसमी बीमारियों से बचने के लिए इन मसालों का सेवन जरूरी है. इनका इस्तेमाल आप चाय या हल्दी के दूध में मिलाकर कर सकते हैं.

सूखे मेवे खाएं-

सूखे मेवे भी ठंड और शुष्क मौसम में गर्मी पाने करने का बेहतरीन तरीका है. वैसे खजूर और अंजीर भारत में सर्दियों में सबसे ज्यादा खाए जाते हैं. इन दोनों में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ये सर्दियों में सुस्त हो रहे शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं. वैसे गर्म दूध के साथ इनका सेवन करना अचछा माना जाता है.

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आहार में शामिल करें घी –

कड़ाके की ठंड हमारी त्वचा और बालों को बेजान और सूखा बना देती है. इसलिए शरीर को भीतर से पोषण देने के लिए उपाय करना जरूरी है. खुद को भीतर से पोषित रखने के लिए ठंड के दिनों में रोजाना घी का अच्छा सेवन करना चाहिए. घी इस मौसम में आपके शरीर को गर्माहट देता है. इसलिए हो सके, तो इसे अपने आहार में जरूर शामिल करें.

यहां बताए गए खाद्य पदार्थों के सेवन न केवल शरीर में पोषक तत्वों की कमी दूर होगी, बल्कि अपनी सेहत को अनदेखा करने वाली महिलाएं बिना बीमार पड़े सर्दियों का आनंद ले पाएंगी.

स्लिप डिस्क का इलाज हुआ आसान

लगभग हर आदमी को अपने जीवन में कभी न कभी कमर दर्द का अनुभव अवश्य होता है. आज कमर दर्द बहुत बड़ी समस्या बन गया है. हर उम्र के लोग इस से परेशान हैं और दुनिया भर में इस के सरल इलाज की खोज जारी है.

मनुष्य के शरीर में कमर को सब से मजबूत भाग माना जाता है. कमर की बनावट में हड्डियां, कार्टिलेज (डिस्क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामैंट व नसें आदि शमिल हैं. इन में से किसी के भी विकारग्रस्त होने पर कमर दर्द उत्पन्न हो सकता है. मैकैनिकल कारणों के साथ टीबी से ले कर कैंसर तक कोई भी कारण दर्द पैदा कर सकता है. कमर दर्द का शिकार पुरुषों से अधिक महिलाएं होती हैं, जिस का मुख्य कारण होता है कमर की मांसपेशियों की कमजोरी. इस का दूसरा कारण है कमर की हडिडयों के जोड़ों में विकार होना.

कमर दर्द से जुड़ी बीमारियों के लक्षण

पैरों का सुन्न होना, कमजोरी का एहसास होना, पेशाब में परेशानी, चलने पर पैरों के दर्द का बढ़ना, झुकने या खांसने पर पूरे पैर में करंट जैसा लगना आदि. कई बार रोगी की चाल शराबीयों जैसी लड़खड़ाती है.

कमर दर्द के ये सभी कारण कई रीढ़ संबंधी बीमारियों को जन्म देते हैं जैसे स्पौंडिलाइटिस, सर्वाइकल, कमर में ट्यूमर, स्लिप्ड डिस्क आदि. इन में स्लिप्ड डिस्क एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गई है.

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नई दिल्ली स्थित फोर्टिस हौस्पिटल के वरिष्ठ कंसल्टैंट डा. प्रदीप मुले का कहना है कि आज पूरी दुनिया में कमर दर्द का सब से बड़ा कारण है स्लिप्ड डिस्क. आखिर यह स्लिप्ड डिस्क क्या होता है? दरअसल, स्लिप्ड डिस्क एक ऐसी बीमारी है, जिसे समझने के लिए रीढ़ की बनावट के बारे में जानना जरूरी है.

हमारी रीढ़ की हड्डी 33 हड्डियों के जोड़ से बनती है और प्रत्येक 2 हड्डियां आगे की तरफ एक डिस्क के द्वारा और पीछे की तरफ 2 जोड़ों के द्वारा जुड़ी होती है.

यह डिस्क प्राय: रबड़ की तरह होती है जो इन हड्डियों को जोड़ने के साथसाथ इन्हें लचीलापन भी प्रदान करती है. इन्हीं डिस्क में उत्पन्न हुए विकारों को स्लिप्ड डिस्क कहते हैं.

कमर दर्द से जुड़ी बीमारियों की पहचान है कमर से ले कर पैरों में जाता दर्द, पैरों का सुन्न या भारी होना अथवा चीटियां चलने जैसा एहसास भी हो सकता है. चलने पर असहनीय दर्द होना. कई बार लेटेलेटे भी कमर से पैर तक असहनीय दर्द होता रहता है.

स्लिप्ड डिस्क का रोग कमर के अलावा गरदन में भी हो सकता है. अभी तक पुराने स्लिप्ड डिस्क के औपरेशन से लोग काफी भयभीत थे. क्योंकि इस में नसों के कट जाने व अपाहिज हो जाने का डर रहता था.

इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए कई शोध किए जा रहे हैं. कई प्रयोगों ने बहुत सी नवीन तकनीकों को जन्म दिया है. इस के अलावा कई दवाओं के माध्यम से भी इन का इलाज किया जा रहा है. किंतु इन सब के द्वारा बीमारी को जड़ से उखाड़ पाना अभी तक संभव नहीं था.

उपचार

यदि इस के उपचार की बात की जाए तो कई प्रकार के उपचार मौजूद हैं. बैड रैस्ट, इंजैक्शन, शल्य चिकित्सा, स्पाइनल फ्यूजन, डिस्क प्रत्यारोपण, वर्टिब्रोप्लास्टी, पिन होल सर्जरी और मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी आदि. लेकिन हर उपचार की कुछ सीमाएं हैं. मगर अब एक नई सर्जरी की शुरुआत की गई है और यह है ओजोन थेरैपी. दरअसल, ओजोन थेरैपी से इस का इलाज आसान हो गया है.

औक्सीजन ओजोन थेरैपी एक शल्यरहित प्रक्रिया है, जोकि देश में अब उपलब्ध है. इस प्रक्रिया के दौरान डिस्क सिकुड़ती है, जिस से नर्व रूट कंप्रैशन घटता है और औक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है. इस की सफलता दर 80% है. इस का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और न ही शरीर में कोई सूजन या संक्रमण होता है.

इस चिकित्सा के कई लाभ हैं जैसे कि यह पुरानी सर्जरी के मुकाबले कम जटिल है. पुरानी सर्जरी से सस्ती होती है. त्वचा पर कोई दाग नहीं पड़ता. इमेज गाइडेंस के जरीए बीमारी की निश्चित जगह का पता लगाया जा सकता है.

यह लोकल ऐनेस्थीसिया दे कर किया जाता है. इसे एक दिन में ही किया जा सकता है.

वास्तव में इस पूरी चिकित्सा के लिए केवल 1 से 4 घंटे तक के लिए अस्पताल जाना होता है. इस के मुख्य फायदे हैं कि मरीज उसी दिन से चलफिर सकता है. इस में खून बहने व संक्रमण का रिस्क नहीं होता. मरीज को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है. इस से दवाओं व अस्पताल का खर्च बच जाता है.

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कमर दर्द से बचने के टिप्स

– उठनेबैठने के ढंग में परिवर्तन करें. बैठते वक्त सीधे तन कर बैठें. कमर झुका कर या कूबड़ निकल कर न बैठें और न ही चलें.

– यदि बैठतेबैठते ही अलमारी के रैक से कुछ उठाना हो तो झुक कर ही उठाएं.

– क्षमता से अधिक वजन न उठाएं.

– नरम या गुदगुदे बिस्तर पर न सोएं, बल्कि सपाट पलंग या तख्त पर सोएं ताकि पीठ की मांसपेशियों को पूर्ण विश्राम मिले.

– वजन हरगिज न बढ़ने दें. भले ही इस के लिए आप को डाइटिंग या व्यायाम ही क्यों न करना पड़े.

– तनाव से बचें. चिंता दूर करने के लिए खुले में टहलें. कोई भी मनोरंजक क्रियाकलाप करें ताकि ध्यान बंटे.

– नियमित व्यायाम की आदत डालें ताकि शरीर चुस्तदुरुस्त व फुरतीला रहे. शरीर के सभी अंग क्रियाशील रहें. इस में पैदल चलना या जौगिंग सर्वश्रेष्ठ हैं. साइकिल चलाना, गोल्फ या बैडमिंटन खेलना आदि भी फायदेमंद है.

डा. प्रदीप मुले

फोर्टिस हौस्पिटल, वसंत कुंज, नई दिल्ली

रातभर भिगोकर रखें ये 5 चीजें, सुबह उठकर खाने से हर बीमारी हो जाएगी दूर

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

बात जब हमारी सेहत की हो, तो व्यक्ति खुद को फिट रखने के लिए हर मुमकिन उपाय करता है. चाहे वह जिम में घंटों वर्कआउट करना हो, ढेर सारा पानी पीना हो या फिर कोई डाइट फॉलो करना. लेकिन यह समझना बहुत जरूरी है कि स्वस्थ और फिट रहने के लिए इन सबके साथ सही खाना-पान की जरूरत होती है. पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ न केवल हमें ऊर्जा देते हैं, बल्कि हमें हर बीमारी से बचाए रखने में भी कारगार साबित होते हैं. कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जिन्हें आपको सुबह जल्दी उठकर खाना चाहिए. लेकिन इन्हें रात में भिगोकर रखना जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा करने से ये शरीर में आसानी से पच जाते हैं. तो आइए हम यहां आपको ऐसे 5 नट्स और बीज के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी पेट की समस्या, इम्यूनिटी , वजन घटाने और गठिया जैसी मुख्य स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करेंगेे.

1. मेथी के बीज-

रात में मेथी को भिगोकर  रख दें और सुबह उठने के बाद इन भीगे हुए बीजों को खा लें या इनका पानी पी लें. ऐसा करने से आपको जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी, जो महिलाओं में एक आम समस्या है. वैसे मेथी का दाना पेट के लिए भी बहुत फायदेमंद है. कब्ज से राहत के लिए यह सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा भी  है. आंतों को साफ करने के साथ यह पाचन में भी सुधार करता है. मेथी मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है, वहीं इसके सेवन से मासिक धर्म में होनेा वाला दर्द भी दूर हो जाता है.

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2. किशमिश-

आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर किशमिश आपकी सेहत के लिए एक वरदान है. जब आप रात में भिगोई हुई किशमिश सुबह उठकर खाते हैं तो  यह आपकी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बना देती है. बहुत सी महिलाओं में आयरन की कमी देखी जाती है . ऐसे में भीगी हुई  किशमिश  शरीर में आयरन की पूरी करने का एक बेहतरीन विकल्प है. इसके स्वास्थ्य लाभों का फायदा लेने के लिए रोजाना सुबह उठकर  किशमिश  का पानी पीएं.

3. अलसी-

आपके स्वास्थ्स को बेहतर बनाने के लिए रोजाना एक चम्मच अलसी का सेवन ही काफी है. इसके बीजों को रातभर पानी में भिगो दें और सुबह इनका सेवन कर लें.  ये बीज, फाइबर, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जो वजन घटाने में आपकी बहुत मदद करेंगे. इन बीजों का नियमित रूप से सेवन करने पर न केवल आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी बल्कि आप मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों से भी बच रहेंगे.

4. अंजीर-

अंजीर विटामिन, फाइबर, मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर होता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्लेवेनॉइड्स और पॉलीफेनॉल्स भी होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं. बीमारियों से बचने के लिए एक अंजीर रात में पानी में भिगों दें और सुबह खा लें. बहुत फायदा मिलेगा.

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5. बादाम-

ज्यादातर लोग दिमाग को तेज करने के लिए सुबह उठकर भीगे हुए बादाकम खाते हैं. दिमाग की सेहत को अच्छा रखने के अलावा यह वजन घटाने में भी बहुत मदद करता है. बादाम में मैग्रीशियम बहुत अच्छी मात्रा में होता है, जो ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निपटने वालों के लिए बहुत अच्छा है.

ध्यान रखें इन बीजों और नट्स का सेवन कम मात्रा में ही करें. क्योंकि इनकी तासीर गर्म होती है इसलिए इनके जरूरत से ज्यादा सेवन से मुहांसे और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

Top 10 Winter Health Tips in Hindi: सर्दियों के लिए टॉप 10 बेस्ट हेल्थ टिप्स हिंदी में

Health Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Winter Health Tips in Hindi 2021. सर्दियों में हेल्थ से जुड़ी कई प्रौब्लम्स का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए डौक्टर के चक्कर काटने पड़ते हैं. इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं Winter Health Tips, जिससे आपकी हेल्थ और फिटनेस बनी रहेगी. तो आइए आपको बताते हैं घर बैठे अपना प्रौफेशनल और होममेड टिप्स से हेल्थ का ख्याल कैसे करें. अगर आपको भी है Winter में अपनी हेल्थ बनाए रखनी है तो पढ़ें गृहशोभा की ये Winter Health Tips in Hindi.

1. Winter Special: सर्दियों में फ्लू से जुड़ी ये बातें जानती हैं आप?

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जैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वैसे ही हम पर वायरस का हमला हो जाता है, जिससे हमें सर्दी, जुकाम, खांसी और कभी-कभी बुखार की समस्‍या हो जाती है, जो कई दिनों तक आपको परेशान करती हैं.

फ्लू

सुबह की सर्द हवाएं, वातावरण में नमी और चारों तरफ छाई धुंध ये बताती है कि सर्दी ने दस्‍तक दे दी है. ये तो आप सभी जानते होंगे कि सर्दी आते ही हमारे रहन-सहन में थोड़ा बदलाव आ जाता है. लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपनी सेहत का किस तरह से ख्‍याल रख रहे हैं.

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2. Winter Special: सर्दियों में पानी पीना न करें कम

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हमारा शरीर जिन तत्वों से बना है, उसमें जल मुख्य घटक है. अगर शरीर में जल की मात्रा कम हो जाए, तो जीवन खतरे में पड़ जाता है. इससे यह बात बिल्‍कुल साफ है कि पानी पीना हमारे लिए कितना जरूरी है. गर्मियों में प्यास अधिक लगती है तो लोग पानी भी खूब पीते हैं मगर सर्दियों में यह मात्रा कम हो जाती है. इसकी एक वजह यह है कि हमें इन दिनों प्यास नहीं लगती, जिसके कारण लोग पर्याप्‍त पानी नही पीते हैं. इस वजह से कई गंभीर समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है.

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3. सर्दियों में ऐसे करें अपने दिल की देखभाल

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जैसे-जैसे तापमान गिरने लगता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ने लगता है. ठंड का मौसम हृदय संबंधी समस्याओं के लिए जोखिम पैदा कर सकता है. यहाँ जानिए इससे संबंधित आवश्यक बातें.

ठंड का मौसम और हृदय स्वास्थ्य

ठंड का मौसम आपके हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति को कम कर सकता है. यह आपके हृदय को अधिक काम करने के लिए मजबूर कर सकता है; नतीजतन आपका दिल अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त की मांग करता है. दिल में ऑक्सीजन की कम सप्लाई होना फिर दिल द्वारा ऑक्सीजन की अधिक मांग हार्ट अटैक का कारण बनता है. ठंड रक्त के थक्कों को विकसित करने के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, जिससे फिर से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.

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4. सर्दियों में होने वाली परेशानियों का ये है आसान इलाज

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सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम, गले की खराश, जैसी समस्याएं आम हैं. खराश की समस्या को जल्दी ठीक करना जरूरी है, नहीं तो ये खांसी का रूप ले लेती है. इस खबर में हम आपको बताने वाले हैं कि सर्दी, खांसी, खराश जैसी समस्याओं का दवाइयों के बिना, घरेलू नुस्खों की मदद से कैसे इलाज कर सकते हैं.

इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. गले के इंफेक्शन और दर्द में अदरक काफी लाभकारी होता है. इसके लिए आप एक कप में गर्म पानी उबाल लें. उसमें शहद डाल कर मिलाएं और दिन में दो बार पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर समझ आएगा.

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5.सर्दियों में सताता है जोड़ों का दर्द ऐसे पाएं राहत

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उत्तर भारत में ठंड की दस्तक हो चुकी है. ठंड का मौसम वैसे तो अधिकतर लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है लेकिन दूसरी ओर कइयों की परेशानी का कारण भी बनता है. क्या ठंड का नाम सुन कर आप को भी जकड़े हुए जोड़ याद आते हैं? क्या ठंड आप को बीमारियों की याद दिलाता है?

ऐसा नहीं है कि ये समस्या केवल एक निर्धारित उम्र के लोगों को ही परेशान करती है. वास्तव में गतिहीन जीवनशैली के कारण ये समस्या अब हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है. जोड़ों का दर्द ही नहीं बल्कि मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, गर्दन दर्द, तंत्रिका दर्द, फाइब्रोमायल्जिया आदि समस्याएं इस मौसम में बहुत ज्यादा परेशान करती हैं.

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6. सर्दियों में बड़े काम का है गाजर

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सर्दियों में गाजर सेहतमंद सब्जियों के श्रेणी में आता है , गाजर कंद प्रजाति की एक सब्जी है. गाजर विटामिन बी का अच्छा सोर्स है. इसके अलावा, इसमें ए, सी, डी, के, बी-1 और बी-6 काफी क्वॉन्टिटी में पाया जाता है. इसमें नैचरल शुगर पाया जाता है, जो सर्दी के मौसम में शरीर को ठंड से बचाता है. इस मौसम में होने वाले नाक, कान, गले के इन्फेक्शन और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गाजर या इससे बनी चीजों का सेवन फायदेमंद साबित होता है. यह सब्जी सलाद, अचार आदि बनाकर उपयोग की जाती है. आप इसे सलाद के तौर पर खाएं या गाजर का हलवा बनाकर, दोनों ही फायदेमंद है. आयुर्वेद के अनुसार गाजर स्वाद में मधुर, गुणों में तीक्ष्ण, कफ और रक्तपित्त को नष्ट करने वाली है. इसमें पीले रंग का कैरोटीन नामक तत्व विटामिन ए बनाता है.

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7. सर्दियों में फायदेमंद है ताजा मेथी का सेवन

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सदियों में ताजा मेथी बाजार में आराम से मिलती है. मेथी की सुगंध और स्वाद भारतीय भोजन का विशेष अंग है. मेथी के पत्तों को कच्चा खाने की परंपरा नहीं है. आलू के साथ महीन महीन काट कर सूखी सब्ज़ी या मेथी के पराठे आम तौर पर हर घर में खाए जाते हैं. लेकिन गाढ़े सागों के मिश्रण में इसका प्रयोग लाजवाब सुगंध देता है, उदाहरण के लिए सरसों के साग, मक्का मलाई या पालक पनीर के पालक में.

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8. जानें क्या है सर्दियों में धनिया के ये 14 फायदे

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सर्दियों में धनिया हर किसी का पसंदीदा हो जाता है, सर्दियों में बाजार में धनिया की ताजी पत्तियां मिलती हैं, जिसका उपयोग हर तरह की सूखी और रसेदार सब्ज़ी में परोसते समय मिलाने और सजावट करने के लिए किया जाता है , साथ ही  धनिये की चटनी पूरे भारत में प्रसिद्ध है. आलू की चाट और दूसरी चटपटी चीज़ों में इसको टमाटर या नीबू के साथ मिलाया जा सकता है. सूप और दाल में बहुत महीन काट कर मिलाने पर रंगत और स्वाद की ताज़गी़ अनुभव की जा सकती है. हर तरह के कोफ्ते और कवाब में भी यह खूब जमता है. इसकी पत्तियों को पका कर या सुखा कर नहीं खाया जाता क्यों कि ऐसा करने पर वे अपना स्वाद और सुगंध खो देती हैं.

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9. सर्दियों में हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है तेजपत्ता

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तेजपत्ता हल्का, तीखा व मीठा होता है. इसकी प्रकृति गर्म होती है. सर्दियों के समय यह मशाला आप के व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही आपको सर्दी जुखाम से बचाता है. सर्दियों के समय तेजपात हम सभी के लिए उपयोगी होता है, सर्दियों में थोड़ी से लापरवाही हुई नही कि आप सर्दी जुखाम के शिकार हो गये. तेजपात  कफ रोगों के लिए उपयोगी मसाला है.  इसे पिप्पली चूर्ण की एक ग्राम मात्रा में शहद के साथ लेने पर खाँसी-जुकाम में फायदा होता है.  आप सर्दियों में चाय के साथ इसे उबाल कर सेवन कर सकते है.

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10. 6 टिप्स: ऐसे रहें सर्दियों में हेल्दी

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इस मौसम में व्‍यायाम पर थोड़ा ध्‍यान देकर आप स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामूली समस्‍याओं से भी बच सकते हैं. लेकिन अगर आपको हृदय संबंधी समस्‍या है, तो आपको अतिरिक्‍त सुरक्षा की आवश्‍यकता होती है. ऐसे में अगर आप अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य चाहते हैं, तो यह मौसम सबसे अच्‍छा है. सर्दियों में स्‍वस्‍थ रहने के टिप्‍स –

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Winter Special: इस सर्दी नहीं होगा आपके जोड़ों में दर्द

शरीर के मजबूत जोड़ हमें सक्रिय रखते हैं और चलने-फिरने में मदद करते हैं. जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है, इस बात की आपको जानकारी होनी चाहिए. जोड़ों की देखभाल और मांसपेशियों तथा हड्डियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, स्थिर रहें.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ आसान उपाय आजमा कर आप अपनी सर्दियां बिना किसी दर्द के काट सकते हैं.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना. शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों, विशेषकर घुटने के जोड़ों पर दबाव बनाता है.

व्यायाम से अतिरिक्त वजन को कम करने और वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाने का अभ्यास करें.

वैसे लोग जो अधिक समय तक कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, उनके जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक रहती है. जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनी स्थिति को लगातार बदलते रहिए.

यदि व्यायाम को अच्छे से किया जाए तो एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो आपको स्वस्थ होने का अनुभव देता है. एक दिन में कम से कम 20-40 मिनट तक जरूर टहलें.

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मजबूत मांसपेशियां जोड़ों का समर्थन करती हैं. यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो इससे आपके जोड़ों में विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों में दर्द होगा.

बैठने का सही तरीका भी आपके कूल्हे और पीठ की मांसपेशियों की रक्षा करने में मदद करता है. कंधों को झुकाकर न खड़े हों. सीढ़ी चढ़ना दिल के लिए अच्छा है, लेकिन अगर सीढ़ी अप्राकृतिक है, तो यह आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है.

स्वस्थ आहार खाना आपके जोड़ों के लिए अच्छा है. यह मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. हमें हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है.

अगर आपको नियमित भोजन से जरूरी मिनरल लेने में समस्या हो रही है, तो सप्लिमेंट ले सकते हैं.

वर्तमान में, निर्धारित जरूरत के अनुसार 50 साल की उम्र तक के वयस्क पुरुषों और महिलाओं को नियमित रूप से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 के बाद नियमित रूप से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

71 साल की आयु के बाद 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम पुरुष और महिला दोनों ले सकते हैं. इसे आप दूध, दही, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जी, कमल स्टेम, तिल के बीज, अंजीर और सोया या बादाम दूध जैसे पौष्टिक आहार को खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर कैल्शियम की जरूरत पूरी कर सकते हैं.

हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. आप जो आहार खाते हैं, उसमें विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण में मदद करता है. यह हड्डियों के विकास और हड्डी के ढांचे को सक्षम बनाता है.

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विटामिन डी की कमी मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, जो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने के लिए जिम्मेदार होता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. डेयरी उत्पाद और कई अनाज, सोया दूध और बादाम के दूध में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है.

जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व कम होता है और उनके फ्रैक्चर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. यह संभवत: कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास और शक्ति को प्रभावित करने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के उत्पादन को कम करने से संबंधित है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जिम्मेदार होते हैं.

शादियों के मौसम में ओरल केयर के लिए सुझाव

शादियों का मौसम शुरू हो चुका है. हालांकि इस अवसर पर खान-पान का हमारे दांतों पर बुरा असर हो सकता है और हमें टूथ सेंसिटिविटी महसूस हो सकती है तथा ओरल स्वास्थ्य की अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. पर दांतों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए यह जरूरी नहीं कि हम खान-पान को त्याग दें. त्योहारों पर मिठाई और डेज़र्ट त्यागने की जरूरत नहीं, बल्कि आप कुछ सामान्य सावधानियां रखकर हर अवसर को और ज्यादा आनंदपूर्ण बना सकते हैं:

1. दांत में सेंसिटिविटी से देखभाल की जरूरत हैः

ढेर सारी मिठाई खाने के कारण आपको कभी-कभी दांतों में तेज चुभन महसूस हो सकती है. यह दांतों में सेंसिटिविटी के कारण हो सकता है. लेकिन फिक्र न करें. एक स्पेशलिस्ट टूथ सेंसिटिविटी टूथपेस्ट की मदद से आप सेंसिटिविटी की चिंता किए बगैर मिठाईयों का आनंद ले सकते हैं.

2. मिठाइयां पहले खाएं:

मिठाइयों से दांत खराब नहीं होते. वो चिपचिपी होती हैं, जिससे टूथ केविटिज़ हो सकती है और दांतों में सेंसिटिविटी हो सकती है. कभी-कभी मुंह में मौजूद मिठाई के अवशेष मुंह को रिंस करने के बाद भी बचे रह जाते हैं. खाना खाने से पहले डेज़र्ट और मिठाई खाने से मिठाई के दांतों में चिपके रहने का जोखिम कम किया जा सकता है.

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3. कलर्ड फूड से दूर रहें:

त्योहारों का त्योहार रंगबिरंगा होता है, लेकिन आपके खाने में रंग नहीं होना चाहिए. ऐसी चीजें न खाएं जिनमें कृत्रिम रंग एवं प्रिज़र्वेटिव ज्यादा हों. ये आपके दांतों पर दाग छोड़ते हैं और प्रिज़र्वेटिव में मौजूद एसिड बैक्टीरिया की वृद्धि करते हैं. यदि आपके दांतों में दाग लगे हों और आप उन दागों को दूर करना चाहते हैं, तो आप व्हाइटनिंग टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें, ये बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं.

4. ढेर सारा पानी पियें :

अपनेआप को हाईड्रेटेड रखें. थोड़ी-थोड़ी देर में ढेर सारा पानी, ताजा फलों का जूस पीते रहें. खासकर स्नैक्स और खाना खाने से पहले ढेर सारा पानी पियें. इससे आपको पेट भरा हुआ महसूस होगा और आप ज्यादा स्नैक्स खाने से बचेंगे. साथ ही, खाना खाने के बाद पानी पियें क्योंकि इससे आपका मुंह साफ होगा, जमा हुआ खाना पेट में चला जाएगा और आपके दांतों में प्लाक नहीं बनेगा.

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5. दिन में दो बार दांत साफ करें:

मिठाई और चॉकलेट खाने पर अपने दांतों को दिन में दो बार ब्रश और फ्लॉस करना न भूलें, ताकि मीठे कण आपके दांत पर ज्यादा लंबे समय तक चिपके न रहें.

डॉ. अजय कुमार, बीडीएस, एमडीएस- पेरियोडोंटोलॉजी एवं ओरल इंप्लांटोलॉजी, डेंटिस्ट, पेरियोडोंटिस्ट, इंप्लांटोलॉजिस्ट

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