पति को निर्भर बनाएं अपने ऊपर

‘नाम मानसी मल्होत्रा, उम्र 30 वर्ष, विवाहित, शिक्षा बी.ए., एम.ए. घरेलू कार्यों में सुघड़. पति का गारमेंट्स का अच्छा व्यापार, छोटा परिवार, 2 बच्चे, 8 वर्षीय बेटी, 5 वर्षीय बेटा. दिल्ली के पौश इलाके में अपना घर, घर में नौकरचाकर, गाड़ी, सुखसुविधाओं की कोई कमी नहीं.’ फिर भी मानसी परेशान रहती है. आप हैरान हो गए न, अरे भई, सुखी जीवन के लिए और क्या चाहिए, इतना सब कुछ होते हुए भी कोई कैसे परेशान रह सकता है? लेकिन मानसी खुश नहीं है. घरपरिवार, प्यार करने वाला पति, बच्चे, आर्थिक संपन्नता सब कुछ होते हुए भी मानसी तनावग्रस्त रहती है. उसे लगता है कि उस की पढ़ाईलिखाई सब व्यर्थ हो गई. उस का सदुपयोग नहीं हो रहा है. वह बच्चों को तैयार कर के, लंच पैक कर के स्कूल भेजने, नौकरों पर हुक्म चलाने, शौपिंग करने, फोन पर गप्पें लड़ाने के अलावा और कुछ नहीं करती.

क्या ये सब करने के लिए उस के मातापिता ने उसे उच्च शिक्षा दिलाई थी? सब उसे एक हाउस वाइफ का दर्जा देते हैं. पति की कमाई पर ऐश करना मानसी को खुशी नहीं देता. वह चाहती है कि अपने दम पर कुछ करे, पति के काम में सहयोगी बने, अपनी शिक्षा का सदुपयोग करे  क्या घर से बाहर जा कर नौकरी करना ही शिक्षा का सदुपयोग है? क्या यही नारीमुक्ति व नारी की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, नहीं यह केवल स्वैच्छिक सुख है, जिस के जरिए महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता का दम भरती हैं और घर में महायुद्ध मचता है. क्या किसी महिला के नौकरी भर कर लेने से उसे सुकून और शांति मिल सकती है? इस का जवाब आप सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक बसों में धक्के खा कर, भागतेभागते घर की जिम्मेदारियों को निबटा कर नौकरी करने वाली महिलाओं से पूछिए.

28 वर्षीय आंचल अग्रवाल पीतमपुरा में रहती हैं, जनकपुरी में नौकरी करती हैं. सुबह 10 बजे के आफिस के लिए उन्हें 9 बजे घर से निकलना पड़ता है. रात को 7 बजे बसों में धक्के खा कर घर पहुंचती हैं. घर पहुंचते ही घर का काम उन का स्वागत करता है. अपनी सेहत, स्वास्थ्य, परिवार के लिए उन के पास कोई समय नहीं है. नौकरी की आधी कमाई तो आनेजाने व कपड़ों पर खर्च हो जाती है, ऊपर से तनाव अलग होता है. जब पतिपत्नी दोनों नौकरी करते हैं तब इस बात पर बहस होती है कि यह काम मेरा नहीं, तुम्हारा है. जबकि अगर पति घर से बाहर कमाता है और पत्नी घर में रह कर घर और बच्चे संभालती है तो काम का दायरा बंट जाता है और गृहक्लेश की संभावना कम हो जाती है. घर पर रह कर महिलाएं न केवल पति की मदद कर सकती हैं बल्कि उन्हें पूरी तरह अपने पर निर्भर बना कर पंगु बना सकती हैं. उस स्थिति में आप के पति आप की मदद के बिना एक कदम भी नहीं चल पाएंगे. कैसे, खुद ही जानिए :

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घर की मेंटेनेंस में योगदान

एक पढ़ीलिखी गृहिणी घर की टूटफूट मसलन, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिसिटी वर्क, घर के पेंट पौलिश बिना पति की मदद के बखूबी करा सकती है. कुछ महिलाएं चाहे घर के नल से पानी बह रहा हो, बिजली का फ्यूज उड़ जाए, दीवारों से पेंट उखड़ रहा हो, वे चुपचाप बैठी रहती हैं, पति की छुट्टी का इंतजार करती हैं कि कब वे घर पर होंगे और घर की मेंटेनेंस कराएंगे. वे घर की इन टूटफूट के कामों के लिए पति की जिम्मेदारी मानती हैं. बेचारे पति एक छुट्टी में इन सभी कामों में लगे रहते हैं और झुंझलाते रहते हैं, ‘‘क्या ये काम तुम घर पर रह कर करा नहीं सकती हो?’’

स्वाति घर पर ही रहती है. पढ़ीलिखी है. वह घर की इन छोटीमोटी जरूरतों का खुद ध्यान रखती है. जब भी कोई परेशानी हुई, मिस्त्री को फोन कर के बुलाती है और स्वयं अपनी निगरानी में ये सभी काम कराती है. स्वाति के इस नजरिए से उस के पति मेहुल बहुत खुश रहते हैं.

बच्चों की शिक्षा में मदद

अगर आप पढ़ीलिखी हैं और हाउस वाइफ हैं तो बच्चों की शिक्षा में आप अपनी पढ़ाईलिखाई का सदुपयोग कर सकती हैं. बच्चों को घर से बाहर ट्यूशन पढ़ाने भेजने के बजाय आप स्वयं अपने बच्चों को पढ़ा सकती हैं. इस से व्यर्थ के खर्च में तो बचत होगी ही, साथ ही बच्चे पढ़ाई में कैसा कर रहे हैं, आप की उन पर नजर भी रहेगी. बच्चों की स्कूली गतिविधियों में आप भाग ले सकती हैं. मेहुल अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई उन की पी.टी.एम., उन की फीस जमा कराना इन सभी के लिए स्वाति पर निर्भर रहता है, क्योंकि उसे तो आफिस से समय मिलता नहीं और उस की गैरहाजिरी में स्वाति इन सभी कार्यों को बखूबी निभाती है. इस से स्वाति के समय का तो सदुपयोग होता ही है, साथ ही उसे संतुष्टि भी होती है कि उस की शिक्षा का सही माने में उपयोग हो रहा है. बच्चों का अच्छा परीक्षा परिणाम देख कर मेहुल स्वाति की तारीफ करते नहीं थकता. बच्चों की शिक्षा को ले कर वह पूरी तरह से स्वाति पर निर्भर है.

परिवार की सेहत में मददगार

एक पढ़ीलिखी गृहिणी घर के स्वास्थ्य व सेहत के मसले पर भी पति को बेफिक्र कर सकती है. अभी पिछले दिनों की बात है, स्वाति की सास को अचानक दिल का दौरा पड़ा, तब मेहुल की आफिस में कोई महत्त्वपूर्ण मीटिंग चल रही थी. वह आफिस छोड़ कर आ नहीं सकता था, तब स्वाति ने ही पहले डाक्टर को घर पर बुलाया और जब डाक्टर ने कहा कि इन्हें फौरन अस्पताल ले जाइए, तब स्वाति एक पल का भी इंतजार किए बिना सास को स्वयं ड्राइव कर के अस्पताल ले कर गई. वहां अस्पताल की सारी औपचारिकताएं पूरी कर के सास को अस्पताल में दाखिल कराया.

डाक्टरों से सारी बातचीत, उन का इलाज, सारी भागदौड़ स्वयं स्वाति ने पूरी जिम्मेदारी से निभाई. इसी का परिणाम है कि आज स्वाति की सास पूरी तरह ठीक हो कर घर पर हैं. अगर उस दिन स्वाति ने फुर्ती व सजगता न दिखाई होती तो कुछ भी हो सकता था. मेहुल की अनुपस्थिति में उस ने अपनी शिक्षा व आत्मविश्वास का पूरा सदुपयोग और मेहुल के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. जब पति घर से बाहर होते हैं और पत्नी घर पर होती है तो वह बच्चों, घरपरिवार की सेहत का पूरा ध्यान रख सकती है और पति को बेफिक्र कर के अपने ऊपर निर्भर बना सकती है.

हर क्षेत्र में भागीदार

पढ़ीलिखी पत्नियां घर पर रह क र पति की गैरहाजिरी में घर की सारी जिम्मेदारियां निभा कर पति को पंगु बना सकती हैं. घर के जरूरी सामानों की खरीदारी, घर की साफसफाई, बच्चों की शिक्षा, सेहत, घर का आर्थिक मैनेजमेंट, कानूनी दांवपेच, घर की मेंटेनेंस, गाड़ी की सर्विसिंग ये सभी काम, जिन के लिए अधिकांश पत्नियां पतियों के खाली समय होने का इंतजार करती हैं और कामकाजी पति के समयाभाव के कारण जरूरी कार्य टलते रहते हैं और घर में क्लेश होता है.

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एक सुघड़ पत्नी अपने गुणों से पति को अपने काबू में कर सकती है. अगर आप घर की ए टू जेड जिम्मेदारियां संभाल लेंगी तो पति स्वयंमेव आप के बस में हो जाएंगे, वे आप के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. नौकरी से केवल आप पति की आर्थिकमददगार बनती हैं लेकिन घर संभाल कर आप उन के हर क्षेत्र में भागीदार बनती हैं. जब पत्नियां पति की सभी जिम्मेदारियां निभाती हैं तो पति भी उस से खुश रहते हैं, उन की हर संभव मदद करते हैं न कि जिम्मेदारियों को ले कर तूतू मैंमैं करते हैं. सलिए अगर पति के दिल पर राज करना है, अपने खाली समय का सदुपयोग करना है, अपनी शिक्षा का सदुपयोग करना है, व्यर्थ के तनाव से बचना है तो घर की हर जिम्मेदारी संभालिए. स्वयं को पूरी तरह व्यस्त कर लीजिए. पति को पूरी तरह अपने ऊपर निर्भर बना दीजिए. अगर वह घर पर हों तो बिना आप की मदद के कुछ भी न कर सकें, इतना अपने ऊपर निर्भर बना दीजिए उन को. फिर देखिए, वे कैसे दिनरात आप के नाम की माला जपेंगे और घर में हर तरफ खुशियों की बहार आ जाएगी.

शादी रे शादी, तेरे कितने रूप

शादी 2 लोगों के बीच सामाजिक एकता या वैधानिक संधि है. इस का आधार पे्रम व विश्वास माना जाता है. शादी करने के पीछे कानूनी, सामाजिक, भावानात्मक, आर्थिक, धार्मिक आदि कई कारण माने जाते हैं. प्रत्येक संस्कृ ति, देश, राज्य में अलगअलग तौरतरीकों से शादियां होती हैं. शादी स्वयं में एक संस्था कहलाती है और समाज में शादी को आवश्यक भी माना जाता है. समय बदलने के साथसाथ जहां दुनिया भर के लोगों के रहनसहन में बदलाव आए हैं, वहीं उन के विचारों में भी परिवर्तन आए हैं. आज अनेक लोग शादी नामक संस्था से सहमत नहीं हैं और इसलिए वे इसे एक नया और ज्यादा अनुकूल आकार देने के लिए तत्पर रहते हैं.

पहले शादी का अर्थ किसी भी हाल में अपनी एक ही पत्नी या एक ही पति का साथ निभाना ही होता था, लेकिन आज शादी के रिश्ते में उतारचढ़ाव आते ही इस रिश्ते को तोड़ दिया जाता है. आज लोग शादी को उम्र भर का बंधन भी नहीं बनाना चाहते. कई बार तो वे शादी के रिश्ते में बंधना ही पसंद नहीं करते. लिव इन रिलेशनशिप इसी बात की गवाही देता है कि हम अपनी शारीरिक जरूरतें तो पूरी करना चाहते हैं लेकिन शादी कर के किसी के साथ उम्र भर बंधने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि ऐसे नए रिश्तों की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन फिर भी इन रिश्तों को अभी वैधानिक रूप से उचित नहीं माना जाता.

होमोसेक्सुअल रिलेशनशिप में इस बात के बंधन से मुक्ति मिल गई है कि आप को अपने विपरीत लिंग के साथ ही शारीरिक संबंध बनाने हैं. इस बात की आजादी पर अब कानून की मुहर भी लग चुकी है. रिश्तों को ले कर एकदम इतना ज्यादा बदलाव पहले कभी देखने में नहीं आया. पहले ऐसा होता था पर छिपतेछिपाते. आज इन रिश्तों को डंके की चोट पर बनाया जाता है.

जहां तक शादी का सवाल है तो ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो थोड़े समय के लिए शादी करना चाहते हैं. लोगों की जरूरतों के कारण ही आज समाज में कई तरह की शादियों का चलन बढ़ा है. कई लेखकों ने कौंटे्रक्चुअल मैरिज (यह शादी एक समय सीमा पर समाप्त हो जाने वाले कौंट्रेक्ट पर आधारित होती है), प्रिमिसिव मैरिज (इस शादी में एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध रखने की आजादी होती है), क्वार्टनरी मैरिज (इस में 2 शादीशुदा जोड़े और उन के बच्चे साथसाथ रहते हैं) आदि शादियों की सिफारिश की है. इन अरेंजमेंट्स को पारंपरिक शादियों की तुलना, जिन में शादियां टूटने की कल्पना अधिक होती है, के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ माना जाता रहा है. फिर भी सचाई यह है कि कुछ लोगों को लगता है कि इन प्रोपोजल्स में भी नया कुछ नहीं है. वास्तव में देखा जाए तो फ्यूचर में जिस तरह की नई शादियों को करने की वकालत की जाती है वह सब कहीं न कहीं पहले से ही अस्तित्व में रहे हैं.

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आज समाज में जिस तरह की शादियां होती हैं उन में एक सराहनीय बात यह होती है कि पतिपत्नी साथसाथ जीवन शुरू करते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी की देखरेख स्वयं करते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है, जिस में दोनों पार्टनर आपस में पूरी तरह समर्पित होते हैं. इन सब को देखते हुए शादी की संस्था में कुछ लचीलापन लाने की जरूरत महसूस होती रही है. इस सब के मद्देनजर भविष्य में शादी के संबंध में और ज्यादा विकास आ सकता है. नौन मैरिटल सेक्सुअल रिलेशनशिप के खिलाफ कानून में बदलाव आएगा. शादी पूरी तरह एक व्यक्तिगत विचार व मामला होगा. इस से व्यक्ति के पास ज्यादा विकल्प होंगे.

ग्रुप मैरिज

ग्रुप मैरिज आने वाले समय में प्रचलित हो सकती है. जब समाज में सैक्सुअल समानता स्थापित होगी तब ग्रुप मैरिज पौपुलर होगी. इस में कई पतियों की शादियां कई पत्नियों व कई पत्नियों की शादियां कई पतियों से होती हैं. इस में वे एकदूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए आजाद होते हैं. लचीलेपन के कारण उस में आपसी संबंध सहमति पर आधारित हो सकते हैं.

ओपन मैरिज

इस तरह की शादी में दोनों पार्टनर आपस में प्रेम करते हैं और साथसाथ रहना चाहते हैं. लेकिन उन की तरफ से एकदूसरे को यह छूट रहती है कि वे किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं. यही नहीं, वे अपने संबंध एक से अधिक के साथ भी बनाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे. यदि एड्स या गर्भवती न होने की गारंटी रहेगी तो यह सरलता से चल सकेगा.

टैंपरेरी मैरिज

टैंपरेरी मैरिज जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह शादी कुछ समय के लिए ही होती है. यह भी कौंट्रेक्ट के आधार पर कुछ माह व सालों के लिए की जाती है. ओल्ड जापान में इस तरह की शादियां संभव थीं, जो 5 या अधिक वर्षों के लिए की जाती थीं. 19 वीं शताब्दी में जरमन लेखक गाथे ने अपने एक उपन्यास में 5 वर्ष के कौंट्रेक्ट के आधार पर की गई शादी का वर्णन किया है.

अगर दोनों पार्टनर एकदूसरे के साथ खुश हैं तो यह शादी अधिक समय तक बनी रहती है. यूरोपीय देशों में कुछ ही वर्षों में कई पार्टनर्स के साथ शादी और बाद में तलाक हो जाता है. कानूनी रूप से जिस तारीख को कौंट्रेक्ट समाप्त हो रहा है उस दिन शादी के इस एग्रीमेंट को पुन: रिन्यू कराना आवश्यक होता है अगर आप ने ऐसा नहीं कराया तो यह कौंट्रेक्ट टूट जाता है. चूंकि लोग अब दूसरे देशों में जा कर नौकरियां कर रहे हैं और यह आगे बढ़ेगा, तब टेंपरेरी शादियों का चलन भी बढ़ेगा.

ट्रायल मैरिज

यूरोप के इतिहास में किसान अपने बच्चों को इस बात की स्वतंत्रता देते थे कि वे अपना मनपसंद पार्टनर पाने के लिए शादी से पहले किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अनुभव प्राप्त कर लें. उन के मातापिता इसे एक गंभीर मामला मानते थे. इस तरह की शादियों के पीछे यही उद्देश्य रहता था कि यदि रिश्ता ठीक न चला तो तलाक के झंझटों से बचा जा सके और एकदूसरे से आसानी से अलग हुआ जा सके. एक ट्रायल मैरिज टैंपरेरी मैरिज की तरह ही होती है. आज भी समाज में युवा एक प्राइवेट इनफौर्मल एग्रीमेंट कर के आपस में साथसाथ रहते हैं और इस के बाद जब एकदूसरे को अच्छी तरह समझ लेते हैं तब  शादी कर लेते हैं.

इंडीविजुअल मैरिज

इस शादी में 2 पार्टनर तब तक साथ रहते हैं जब तक वे चाहते हैं. लेकिन उन्हें बच्चे पैदा करने का अधिकार नहीं होता. इस के बाद जब पतिपत्नी बच्चों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो जाते हैं तो ‘पैरेंटल मैरिज’ होती है.

होमोसेक्सुअल मैरिज

हाल ही में इस तरह के संबंध को ले कर काफी चर्चा सुनने को मिली. 2 होमोसेक्सुअल अब आपस में विवाह के लिए स्वतंत्र हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे दोनों स्त्रियां हैं या दोनों पुरु ष.

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लिव इन रिलेशनशिप

आज लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्ते खूब बन रहे हैं. बिना शादी के 2 लोग साथ में पतिपत्नी जैसे रहते हैं और जब मन भर जाए तो अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. इस में किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं होती और न ही कोई किसी पर जबरदस्ती दबाव बना सकता है. जहां आज इस तरह के रिश्तों को काफी जगह दी जा रही है वहीं आने वाले समय में लोग शादी और तलाक जैसे झंझटों में उलझनों के बजाय लिव इन रिलेशन बनाना पसंद करेंगे.

 

मेरी शादी की बात चल रही है, क्या कौंटैक्ट लैंस की बात लड़के वालों को बताई जाए?

सवाल

मैं 23 वर्षीय युवती हूं. रिश्ते की बात चल रही थी. कई अच्छे प्रस्ताव इसलिए हाथ से निकल गए कि उन्हें चश्मा लगाने वाली बहू नहीं चाहिए. मैं ने अब कौंटैक्ट लैंस लगवा लिए हैं ताकि मेरे लिए उपयुक्त वर मिल सके.

1-2 जगह रिश्ते की बात चल भी रही है. क्या उन्हें कौंटैक्ट लैंस की बात बताई जाए? घर में काफी तनातनी चल रही है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
कौंटैक्ट लैंस चश्मे का बेहतर विकल्प है और यह कोई ऐब नहीं है. शादी से पहले दोनों पक्षों की ओर से पारदर्शिता बरतना जरूरी होता है. यदि आप के घर वाले नहीं चाहते कि लड़के वालों से इस का जिक्र किया जाए तो आप अकेले में लड़के से बात कर सकती हैं.

लड़का समझदार हुआ तो आप की साफगोई का कायल हो जाएगा और शादी के बाद आप को मलाल नहीं होगा कि आप ने उन्हें सचाई से रूबरू नहीं कराया.

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जिस्म का हर अंग बेहद अहम है, लेकिन आंखों से ज्यादा अहम दूसरा अंग नहीं होता. आप के आंखों की रोशनी सही है, देखने में कोई दिक्कत नहीं है तो आप को इस बात की फिक्र नहीं होगी कि आंखों पर कोई आंच आ सकती है. यह और बात है कि उम्र बढ़ने के साथ आंखों की रोशनी आज जैसी मजबूत नहीं रहेगी.

आंखों के सिलसिले में आंख खोलने वाली बात यह है कि आंख से जुड़ी बीमारियों के अलावा भी कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो आंखों की रोशनी को इतना ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं कि इंसान अंधेपन के करीब पहुंच जाए.

विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि ऐसी कई बीमारियां हैं जो आंखों से जुड़ीं नहीं होती हैं लेकिन वे आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वे कहते हैं कि डायबिटीज और हाइपरटेनसिव रेटिनोपैथी, तम्बाकू और अल्कोहल एम्ब्लौयोपिया, स्टेरौयड का इस्तेमाल और ट्रामा इंसान को अंधा बना सकते हैं और लोगों को इस का पता बहुत देर से चलता है.

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दूरी न कर दे दूर

अकसर कहा जाता है कि दूरी दिल को निकट लाती है. एकदूसरे को एकदूसरे का महत्त्व पता चलता है. साथ रहते हुए जो बातें महसूस नहीं हो पातीं, वे भी बहुत शिद्दत से महत्त्व के साथ महसूस होती हैं. शादी की शुरुआत में पीहर वालों की दूरी खटकती है, वही धीरेधीरे ससुराल वालों के लिए भी महसूस होने लगती है. पति से दूरी तो खासतौर से खटकती है. एक नवविवाहित जोड़े की पत्नी कहती हैं कि हम अभी हनीमून भी पूरा नहीं कर पाए थे कि पति को विदेश जाना पड़ा. साथ बिताए महज 10 दिन और 3 महीनों की दूरी. दोनों का रोरो कर बुरा हाल. सारे घरपरिवार में पति का मजाक बना. किसी ने उन्हें तुलसीदास कहा तो किसी ने कालिदास. तब औरों के सामने मुंह तक न खोलने वाले पति ने सब से दिलेरी से कहा कि मेरा मजाक उड़ाने का अधिकार उसे ही है जिस ने खुद दिलेरी से जुदाई सही हो. धीरेधीरे सब चुप हो गए. इस जोड़े के पति कहते हैं कि हमें हनीमून के रोमानी दिनों ने ही फर्ज में दक्ष कर दिया. कहां हम मौजमस्ती के लिए घूम रहे थे और कहां साथ ले जाने के लिए सामानों की सूची तैयार कर रहे थे और उन्हें खरीद रहे थे. मैं ने अपनेआप को बहुत अच्छा महसूस किया. पहले दफ्तर के काम के साथ यह काम करता था. तब बहुत दबाव रहता था. मेरा ध्यान अधिकतर कंपनी के काम पर होता था, इसलिए व्यक्तिगत रूप से कुछ न कुछ छूट जाता था. अब कंपनी के काम की तैयारी मैं ने व निजी काम की पूरी तैयारी पत्नी ने की. कुल मिला कर सुखद यात्रा. बाद में सिर्फ उस की कमी थी. लेकिन हम शरीर से दूर थे पर मन से बेहद निकट. इस का श्रेय दूरी को ही है, वरना हम इतनी जल्दी एकदूसरे को नहीं जान पाते. बस कई दंपतियों की तरह लड़तेझगड़ते.

एक और जोड़े के पति कहते हैं कि शादी के चंद महीनों बाद अपनी नौकरी के चलते पत्नी 1 साल के लिए दूर चली गईं. घर में तूफान उठा. सब ने उन्हें नौकरी छोड़ने की सलाह दी. पत्नी भी सहमत थीं पर मैं ने पूरे परिवार को समझाया कि यह मामूली मौका नहीं है. अगर आप उन के लिए कुछ नहीं करेंगे तो उन से उम्मीद पालने का भी किसी को क्या अधिकार है. फिर सब जयपुर से बैंगलुरु आतेजाते रहे. मजे की बात यह है मेरे मांबाप भी पत्नी के साथ रहने लगे. मैं भी 2-3 महीनों में एकाध बार चला जाता था. आज मेरे परिवार के साथ उन का अच्छा तालमेल है. मुझ से ज्यादा लोग उन्हें पूछते हैं.

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खटकती है दूरी

शादी के शुरू में ही नहीं लंबे समय बाद भी दूरी खटकती है. शादी के 20 साल बाद 2 साल के लिए दूर हुई पत्नी कहती हैं कि हम साथ रहने के इतने अभ्यस्त हो गए थे कि सोच भी नहीं सकते थे कि कभी ऐसा मौका भी आएगा. हर काम की व्यवस्था थी. वह बिखर गई. ये बच्चों को पढ़ाते थे. बाजार व बैंक आदि के काम करते थे. मेरे जिम्मे घर था. शुरूशुरू में लगा जैसे मुझ पर पहाड़ टूट पड़ा हो. पर पति ने कई काम औनलाइन करने शुरू किए और बच्चों को भी चैट के माध्यम से अपनी गाइडैंस से जोड़े रखा. हमारा संपर्क बना हुआ था, इसलिए कभी कमी महसूस नहीं हुई. बच्चे इतने जिम्मेदार हो गए कि काफी काम उन्होंने टेकअप कर लिए.

ईमानदार रहना जरूरी

कमला कहती हैं कि उन्हें अमेरिका का वीजा नहीं मिला तो उन के पति अकेले ही वहां गए. इस बीच उन का पुराने प्रेमी से मिलनाजुलना शुरू हो गया. उन के प्रेमी ने उन्हें हवा दी कि अमेरिका में वह कौन सा दूध का धुला बैठा होगा. अचानक शरीर जाग उठा. तन और मन एकदूसरे पर इतने हावी हो सकते हैं, इस का एहसास मुझे अब ज्यादा होने लगा. पति के ईमेल पढ़पढ़ कर उन की बेचैनी व तड़प मुझे बेकार, झूठी व ड्रामा लगने लगी. इस बीच प्रेमी की शादी हो गई. मिलनाजुलना कम हुआ तो मुझे वह स्वार्थी लगने लगा. जब मैं ने उस पर दबाव डाला कि वह भी तो पति के होते हुए उस से मिलती रही है तो उस ने साफ कह दिया कि वह इतना मूर्ख नहीं. अपनी गृहस्थी में कोई आग नहीं लगाना चाहता. वह कोई और विकल्प ढूंढ़ ले तो उसे उस की कमी नहीं लगेगी. जैसे पति की कमी उस ने उस से पूरी की, वैसे ही उस की कमी भी कोई पूरी कर देगा. यह मेरे मन पर करारा चांटा था. मैं सिर्फ टाइमपास, जरूरत और सैक्स औब्जैक्ट थी, यह मुझे अब पता चला. पत्रपत्रिकाओं से मिली गाइडैंस के अनुसार मैं ने इस सदमे का पति से जिक्र नहीं किया पर दंड स्वरूप आजीवन ईमानदार रहने का संकल्प लिया. अपनी गलती के कारण मैं उस पर अमल कर सकी. पति कंपनी बदल कर भारत आ गए. यहां अलगअलग शहर होने पर भी हम महीने में 2 बार मिल सकते थे, जो पहले की तुलना में काफी था.

सकारात्मकता दे सकती है दिशा

ऋतु के पति महीने में 15 दिन टूर पर रहते हैं. उसे शुरू में दूरी खटकती थी, इसलिए उस ने ताश ग्रुप जौइन किया. उस का चसका ऐसा लगा कि पति के साथ होने वाले दिनों में भी वह उन्हें छोड़ कर जाने लगी. इस से तनातनी और आरोपप्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ तो गृहस्थी बिखरने लगी. समय रहते परिवार ने काउंसलिंग की तो उस बुरी लत को छोड़ पाई. उस के पिता ने कहा कि वह चाहे तो एमबीए करने की अपनी हसरत पूरी कर ले. दरअसल, अच्छा लड़का मिलने से अचानक आई शादी की नौबत ने उस की यह इच्छा अधूरी छोड़ दी थी. उसे यह अच्छा लगा. अब पति व पढ़ाई दोनों में उस का उम्दा तालमेल है. रेणु ने कंप्यूटर सीखा ताकि वह पति से चैट और मेल द्वारा संपर्क रख सके. वह पहले की तुलना में काफी कम समय ही अपने को खाली या पति से दूर समझती है. वह पत्रपत्रिकाएं पढ़ती है, कुकिंग करती है और नईनई चीजें सीखती है. एकदूसरे से दूर रहने वाले दंपती क्रिएटिविटी के जरीए भी जीवन अच्छा चलाते हैं. कुछ लोग रचनात्मक काम सीख कर, सिखा कर या कोई हुनर सीख कर इस बिछोह और दूरी को पाट सकते हैं.

दूरी चुनौती है

हमसफर से दूरी होने पर अपनेआप को, निजी संबंधों, परिवार तथा सामाजिकता सब को देखनापरखना पड़ता है. इसे सहज चुनौती मान कर स्वीकार किया जाए तो जीवन आसान हो जाता है. हर एक के जीवन में कोई न कोई चुनौती आती जरूर है. उस से भाग कर जीवन जिया नहीं जा सकता. उसे झेल कर व जीत कर जीना बहुत सुखद व संतोषदायक होता है. गरमी के बाद वर्षा सुखद लगती है. भूखप्यास के बाद भोजनपानी कितना स्वादिष्ठ लगता है.

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भटकें नहीं

एकदूसरे से दूर रहना दंपतियों के लिए सब से बड़ी चुनौती है, जिस में कुछ भटक जाते हैं. सैक्स को दूरियों के बावजूद मैनेज किया जा सकता है. मनोचिकित्सक डा. अंजू सक्सेना कहती हैं कि हमारे पास जब ऐसे लोग आते हैं, तो हम उन्हें सब से पहले क्रिएटिव होने की सलाह देते हैं. इस से वे अपनी पहचान बनाना व संतोष पाना सीखते हैं. वैसे हमें लोग खुद ही बताते हैं कि वे क्या करते हैं. हम से वे सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि उन का यह तरीका ठीक है या नहीं. कुछ स्त्रियां कहती हैं कि वे खूब थकाने वाले काम या व्यायाम करती हैं, जिस से सैक्स की जरूरत महसूस होने से पहले ही नींद आ जाए. कुछ मास्टरबेशन से काम चलाते हैं. स्वप्न संभोग भी कई दंपतियों का आधार है. अंजू इन तरीकों को ठीक बताती हैं बशर्ते ये उन की अपनी सोच के हों. चोटिल करने वाले तरीके न हों. कुछ लोग अनजान होने से ऐसे साधन इस्तेमाल करते हैं कि सर्जरी की नौबत आ जाती है या जान पर बन आती है. उन से बचना चाहिए. इन दिनों युवा जोड़े फोन पर संभोग या चैटिंग संभोग व एसएमएस का सहारा ले रहे हैं. यह उन्हें सूट करता है तो ठीक है पर लंबे समय तक यह ठीक नहीं. जुदाई तक कामचलाऊ है.

अंजू महावीर हौस्पिटल में काउंसलिंग करती हैं. वहां जागरूकता के तहत एचआईवी से बचने के लिए कृत्रिम लिंग को निरोध पहना कर उसे डेमो करना पड़ता है. तब कई स्त्रियां उस के प्रयोग के बारे में जानना, पूछना चाहती हैं. अंजू कहती हैं कि किसी तीसरे के प्रवेश व भटकने के बजाय इन साधनों द्वारा गृहस्थी बचा कर भी संतोष पाया जा सकता है. एक और मनोवेत्ता कहती हैं कि शरीर की आवश्यकता कम नहीं. उसे दांपत्य जीवन में नकारा नहीं जा सकता. अत: दंपती हर संभव साथ रहने की कोशिश करें. छोटेमोटे त्याग से भी संभव हो तो भी कोई बुराई नहीं है. पैसा महत्त्वपूर्ण है, लेकिन सुखशाति के लिए जब तक मजबूरी न हो दूर न रहें.

सहयोग भी बहुत कारगर

परिवार अगर दूर हो तो भी परिवार और परिजनों का सहयोग लिया जा सकता है. इस के लिए आवश्यक है कि हम भी औरों का सहयोग करें. एक दंपती बच्चों से दूर हैं. बच्चे कोटा में कोचिंग ले रहे हैं. वे प्रतिमाह बच्चों के पास जाते हैं पर हर हफ्ते दादा, नाना, बूआ, मामा आदि में से कोई जा कर बच्चों से मिल आता है. सुधा अपनी ननद के परिवार में रह रही हैं. 6 महीनों ने उन में अद्भुत प्यार पनपा दिया. पति भी पत्नी की सुरक्षा की फिक्र से मुक्त हैं. शुचि कहती हैं कि उन के पति 6 महीने के लिए स्वीडन गए. उन के जाने के 2 महीने बाद उन्हें बेटी हो गई. उन्होंने उन्हें बच्ची के फोटो आदि भेजे. 6 महीने बाद वे आए. तब तक समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. मुझे क्रैडिट मिला अकेले बच्चे की परवरिश करने का. माधुरी दीक्षित नैने ने भी योजनापूर्वक अमेरिका व मुंबई के बीच अच्छा तालमेल बनाया और 2 बच्चे संभाले. ऐसे कई उदाहरण हमें मिलेंगे लेकिन ऐसी स्थितियों में सिर्फ पति या पत्नी को ही नहीं, बल्कि दोनों को समायोजन करना पड़ता है. फिर अब तो संपर्क के इतने साधन आ गए हैं, जैसे पहले बिलकुल नहीं थे. उन से दूरियों को पाटा जा सकता है. पहले तो पति कमाने बाहर जाते थे तो लौटने तक कोई संपर्क साधन न थे. इस स्थिति से आंका जाए तो आज परिवहन और संप्रेषण के साधनों ने दूरी को दूरी नहीं रहने दिया है.

अकेले हैं तो क्या गम है

आजकल अधिकांश लोग अकेले रहते हैं. आप भी उन में से एक हैं तो कहीं आप को यह तो नहीं लगता कि अकेले रहना बहुत बुरी और मुश्किल चीज है. आप अपने अकेले रहने वाले समय को ऐंजौय करने, रिलैक्स करने के बजाय घर में इधर से उधर भटकते हुए यह सोचने में तो नहीं बिता देतीं कि आप इस समय क्या करें?

अगर ऐसा है, तो आप इन लोगों के बारे में जरूर जानिए:

65 वर्षीय श्यामला आंटी अकेली रहती हैं, पति का निधन हो चुका है, इकलौती विवाहित बेटी अपनी फैमिली के साथ आस्ट्रेलिया में सैटल्ड है. आंटी हम सब के लिए प्रेरणास्रोत हैं. हम में से किसी ने भी कभी उन्हें किसी भी बात पर झींकते हुए नहीं देखा. वे अपने अकेलापन को बहुत ही पौजिटिव तरीके से लेती हैं, ऐसा भी नहीं कि उन्हें कभी कोई परेशानी नहीं होती. तबीयत खराब होने पर खुद ही डाक्टर के पास जाती हैं, कभी किसी को नहीं कहतीं कि उन्हें कंपनी चाहिए. मेड जरूरी काम निबटा जाती है, वही अगर किसी को बताए कि आंटी की तबीयत ठीक नहीं है, तो तभी पता चलता है.

महीने में एक बार मुंबई में किसी रिश्तेदार से मिल आती हैं. कैब भी खुद बुक करना सीख लिया है, बेटी दिन में एक बार बात करती है, उन की हर प्रौब्लम को वहीं से निबटा देती है. शाम को अच्छी तरह तैयार हो कर आंटी नीचे उतरती हैं, सैर करती हैं, अपनी हमउम्र महिलाओं के साथ बैठती हैं, जो महिलाएं अपने बेटेबहू, घरपरिवार की बुराई करती हैं, उन से फौरन दूरी बना लेती हैं. हंसमुख, शालीन आंटी का स्वभाव ऐसा है कि जब भी उन्हें हमारी कोई हैल्प चाहिए होती है, कोई पीछे नहीं हटता. ऐसा नहीं कि उन्हें घर में अकेलापन कभी खलता नहीं होगा पर यह अकेलापन उन्होंने स्वीकार कर लिया है और अब इसे ऐंजौय करने लगी हैं. गु्रप में किसी को पार्टी करनी हो और यदि वह अपने घर में न कर पा रही हो, कारण कुछ भी हो, आंटी का घर हमेशा सब के लिए हर काम के लिए खुला है.

हंस कर कहती हैं, ‘‘अरे, यहां कर लो पार्टी, मेरी क्रौकरी भी इस बहाने निकल जाएगी, कुछ रौनक होगी.’’

देखते ही देखते उन के यहां पार्टी हो जाती है और किसी की भी अपने घर पार्टी न कर पाने की प्रौब्लम खत्म.

जीवन में किसी के सामने कभी भी अकेले रहने का समय आए तो सब यही सोचती हैं कि अकेले रहने की प्रेरणा आंटी से लेनी है.

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नीरजा के बेटेबहू जब भी विदेश से मुंबई आते, तो उन का मन खुशी से नाच उठता. पति विशाल के साथ मिल कर ढेरों प्लानिंग कर लेतीं, कितनी ही चीजें उन की पसंद की बना कर रख देतीं. उन के वापस जाने के बाद जीवन में फिर से छाए अकेलेपन के अवसाद में कई दिनों तक घिरी रहतीं. पर धीरेधीरे बेटेबहू के बदलते लाइफस्टाइल ने उन के सोचने की भी दिशा बदल दी.

अब वे उन के जाने पर जरा भी अकेलापन महसूस नहीं करतीं, अब वे अपने अनुभव कुछ इस तरह से बताती हैं, ‘‘बच्चों की शिकायत नहीं कर रही हूं. उन का लाइफस्टाइल अलग है हमारा अलग. वे

11 बजे सो कर उठते हैं, रात दोस्तों से मिलमिला कर पार्टी कर के 2-3 बजे लौटते हैं. हमारे पास तो बहुत ही थोड़ी देर बैठते हैं पर मेरा पूरा रूटीन घर के हर काम का समय बुरी तरह बिगड़ जाता है, रात को नींद डिस्टर्ब होती है, हमें जल्दी सुबह उठने की आदत है. मगर बच्चे घर में रहते हैं तो पूरा दिन किचन समेटने की नौबत ही नहीं आती. बहू किचन में झांकती भी नहीं. मेरी हालत खराब हो जाती है. उन की दुनिया अलग ही है. हमारी भी अलग. अब तो जब वे चले जाते हैं चैन की सांस आती है. अब अकेलेपन में आराम दिखता है, शांति है. साथ रहने पर किसी न किसी बात में मनमुटाव भी हो जाता है, जो अच्छा नहीं लगता. वे वहां खुश रहें, हम यहां खुश रहें, बच्चों के बिना अब अकेलेपन को खलता नहीं, हम अकेलेपन को ऐंजौय करते हैं.’’

70 वर्षीय सुधा रिटायर्ड टीचर हैं. उन के बेटाबेटी उसी शहर में अपनेअपने परिवार के साथ अलग रहते हैं. सुधा पति की डैथ के बाद से अकेली ही रह रही हैं. उन्हें कभी किसी पर आश्रित हो कर रहना भाया ही नहीं. हमेशा अकेली रहीं.

उन का कहना है, ‘‘मुझे अकेले रहने की आदत है, मैं नहीं चाहती साथ रह कर बेटे के साथ कोई खटपट हो. अभी सब अलग हैं, सब को अपनी प्राइवेसी चाहिए, कोई जरूरत होने पर एक फोन पर कोई भी आ ही जाता है. मिलतेजुलते तो रहते ही हैं, किसी के साथ रहने का बंधन नहीं है. जब मन हुआ अपनी फ्रैंड्स को बुलाती हूं, जब मन हुआ घूमने चली जाती हूं, सब अपनी मरजी से जीएं, क्या बुरा है. अकेलापन कोई समस्या है ही नहीं, लाइफ एंजौय करनी आनी चाहिए.’’

26 वर्षीय संजय विदेश में पढ़ता है. इंडिया आने पर वहां के लाइफस्टाइल के बारे में पूछने पर कहता है, ‘‘शुरू में मन नहीं लगता था, काम करने की आदत नहीं थी, बहुत अकेलापन लगता था, फ्रैंड्स भी नहीं थे पर अब सब काम खुद करतेकरते अकेले रहने की आदत सी पड़ गई है, लेट आने पर किसी की रोकटोक की आदत नहीं रही. अपनी मरजी से जब जो मन होता है, करता हूं. अब अकेले रहने को ऐंजौय करता हूं. अब लगता है किसी के साथ रहने पर काफी ऐडजस्ट करना पड़ेगा,’’ और फिर हंस पड़ता है.

42 वर्षीय दीपा तो अकेले रहने की कल्पना पर ही जोश से भर उठती है. वह कहती है, ‘‘यार, सपना होता है कि कभी अकेली भी रहूं. पति टूर पर जाएं तो मजा आ जाता है. वे हर तरह से अच्छे पति हैं पर उन के टूर पर जाने पर जो थोड़ी फ्री होती हूं न, जो रूटीन चेंज होता है, अच्छा लगता है और उस पर बच्चे भी बाहर व्यस्त हों तो क्या कहने, यह भी टाइम बहुत बड़ा गिफ्ट लगता है नहीं तो सुबह से रात तक अपने लिए सोचने का टाइम मुश्किल से ही मिलता है. मुझे तो इंतजार है उस दिन का जब बच्चे पढ़लिख कर सैटल हों और मुझे अकेले रहने का टाइम मिले और मैं अपने हिसाब से अपने कुछ शौक पूरे कर लूं.’’

24 वर्षीय वीनू को मुंबई में जब ट्रेनिंग के लिए आना पड़ा तो पूरा परिवार हैरानपरेशान हो गया, भोपाल से मुंबई आ कर वह 2 और लड़कियों के साथ रूम शेयर कर के रहने लगी. उस के पेरैंट्स बहुत परेशान कि कैसे रहेगी, क्या करेगी, यह तो एक दिन भी हमारे बिना नहीं रही. सब का रोरो कर बुरा हाल, 1 महीना ही लगा वीनू को मुंबइया लाइफ में सैट होने में. हमेशा घरपरिवार की सुरक्षा में रहने वाली वीनू बाहर निकल कर आत्मविश्वास से भरती चली गई. सारे काम गूगल की हैल्प लेले कर पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गई और अपनी इस नई दुनिया में अकेलापन ऐसा भाया कि अब घर वाले  उसे अकेले इतनी खुश देख हैरान रह जाते.

45 वर्षीय दीपा को लिखने का शौक है, वे कभी रात में घर में अकेली नहीं रहीं. पति टूर पर  होते हैं तो दोनों बच्चे तो साथ होते ही.

एक बार कुछ ऐसा हुआ कि पति टूर पर और दोनों बच्चों को तेज बारिश के कारण 2 दिन मुंबई में अपने फ्रैंड्स के घर रुकना पड़ा. वे बताती हैं, ‘‘पहले तो मैं यह सोच कर घबराई कि अकेली कैसे रहूंगी, पर सच मानिए, इस अकेलेपन को मैं ने इतना ऐंजौय किया कि मैं खुद हैरान रह गई. अपने रूटीन से फ्री हो कर अपने लेखनकार्य में इतनी व्यस्त रही कि पता नहीं कब का सोचा हुआ शांति से लिख कर पूरा कर पाई. इतना कुछ घर के कामों में मन में ही रखा रह जाता है. अब पता नहीं इतना अच्छा मौका कब मिलेगा जो मैं इस तरह से कुछ लिख पाऊंगी.’’

अकेलापन इतनी बड़ी समस्या है ही नहीं जितना लोग समझते हैं. अकेलापन अकसर नैगेटिव विचारों से भर देता है, इसलिए लोग अकसर अकेले रहने से बचते हैं. आप को अकेलापन बोझ न लगे इस के लिए ये टिप्स आजमा सकती हैं:

– इस समय करने के लिए कोई रोचक ऐक्टिविटी ढूंढ़ें, सिर्फ बैठ कर टीवी देखना ही काम न हो.

– स्वयं से जुड़ें, फोन, टैब, लैपटौप से थोड़ा ब्रेक ले कर कुछ और करें, आप को महसूस होगा, आप को किसी की जरूरत नहीं. आप अकेले बहुत कुछ ऐंजौय कर सकती हैं.

– स्वयं से जुड़ने का, खुद को समझने का यह समय बहुत अच्छा होता है. यह आप का टाइम होता है. आप जो चाहें कर सकती हैं.

– इस का मतलब यह नहीं कि आप को घर में ही अकेले रहना है. आप बाहर जाएं, कहीं कौफी पीएं, सैर करें, पार्क में बैठ कर कुछ पढ़ें.

– डाक्टर शैरी के अनुसार अपने साथ ही समय बिताने से खुद को समझने में आसानी होती है. आप सोचें कि आप को जीवन में क्या चाहिए, अपनी पसंद से जरूर कुछ करें.

– अकेले रहने का मतलब यह समझ लें कि आप खुद पर फोकस कर सकते हैं. अपनी फन लिस्ट पर ध्यान देना शुरू करें, जो अभी तक आप के मन में थी.

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– लाइफ ऐंजौय न करने का यह बहाना न ढूंढ़ें कि आप अकेले हैं. जीवन में अच्छी चीजों को देखना सीखें, आशावादी दृष्टिकोण रखें.

– कई बार आप अपने पार्टनर या फ्रैंड को नहीं, उन के साथ बिताया गया समय, मूवी या डिनर पर जाना याद कर रहे होते हैं, तो अब भी स्वयं को रोके नहीं, बाहर जाएं, मूवी देखें, अच्छी जगह कुछ खाएं भी.

– ऐक्सरसाइज जरूर करें, नए दोस्त बनाना चाहते हैं तो जिम जौइन कर लें. अपने घर में ही सिमट कर न रहें. नेचर को ऐंजौय करें. बाहर जाएं, घूमेंफिरें, लोगों से जोश, खुशी से मिलें, आप के नए दोस्त बनेंगे.

– कुछ चैरिटी वर्क करें, किसी हौस्पिटल, किसी संस्था या अनाथालय से जुड़ सकते हैं.

– कुछ लिखें. लिखने से न सिर्फ आप की कल्पनाशक्ति बढ़ती है, लिखना आप को सकारात्मक विचारों से भर कर खुशी भी देता है.

– अच्छी किताबें पढ़ें, पढ़ने का शौक पूरा करने के लिए अकेलापन वरदान है.

– म्यूजिक, डांस या कोई इंस्ट्रूमैंट सीखें.

– लोगों से, पड़ोसियों से मिलने पर अच्छी मधुर बातें करें, किसी से कट कर जीने की आदत न डालें.

Facebook Vote Poll- ‘फेयर एंड लवली’ से जल्द हटेगा ‘फेयर’ शब्द… 

नेक्स्ट डोर महिला जब पति में कुछ ज्यादा  रुचि लेने लगे

मेघा ने अपने नए पड़ोसियों का स्वागत खुले दिल से किया, फ्लोर पर ही सामने वाले फ्लैट में आए अंजलि, उस के पति सुनील और उन की 4 साल की बेटी विनी भी उन से अच्छी तरह बात करते, सामना होने पर हंसते, मुसकराते, सुनील का टूरिंग जौब था, मेघा के पति विनय और उन का युवा बेटा यश थोड़े इंट्रोवर्ट किस्म के इंसान थे.

कुछ ही दिन हुए कि मेघा ने नोट किया कि अंजलि जानबूझ कर उसी समय पार्किंग में टहल रही होती है जब विनय का औफिस से आने का समय होता है. पहले तो उस ने इसे सिर्फ इत्तेफाक समझा पर जब विनय ने एक दिन आ कर बताया कि अंजलि उस से बातें करने की कोशिश भी करती है, उन का फोन नंबर भी यह कह कर ले लिया कि अकेली ज्यादा रहती हूं, पड़ोसियों का नंबर होना ही चाहिए तो मेघा हैरान हुई कि कितनी बार तो उस से उस का आमनासामना होता है, उस से तो कभी ऐसी बात नहीं की.

अंजलि अकसर उस टाइम आ धमकने भी लगी जब वह किचन में बिजी होती, विनय टीवी देख रहे होते. उस के रंगढंग मेघा को कुछ खटकने लगे. एक दिन विनय ने बताया कि वह उन्हें मैसेज, जोक्स भी भेजने लगी है. पहले तो मेघा को बहुत गुस्सा आया फिर उस ने शांत मन से विनय को छेड़ा, ‘‘तुम इस चीज को एेंजौय तो नहीं करने लगे?’’

‘‘ऐंजौय कर रहा होता तो बताता क्यों,’’ विनय ने भी मजाक किया, ‘‘मतलब तुम्हारा पति इस लायक है कि कोई पड़ोसन उस से फ्लर्ट करने के मूड में है, माय डियर प्राउड वाइफ.’’

‘‘चलो, फिर पड़ोसन का फ्लर्टिंग का भूत उतारना तो मेरे बाएं हाथ का काम है. अच्छा है, तुम्हें इस में मजा नहीं आ रहा नहीं तो 2 का भूत उतारना पड़ता,’’ मेघा की बात पर विनय ने हंस कर हाथ जोड़ दिए.

अगले दिन मेघा विनय के आने के समय पार्किंग प्लेस के आसपास टहल रही थी. उसे अंजलि दिखी, अचानक अंजलि उसे देख कर थोड़ी सकपका गई, फिर हायहैलो के बाद जल्दी ही वहां से हट गई. मेघा मन ही मन मुसकरा कर रह गई. शाम के समय विनय और यश टीवी में मैच देख रहे थे, वह भी आ धमकी और यह कहते हुए विनय के आसपास ही बैठ गई कि

उसे भी मैच देखने का शौक है. उस के पति को तो स्पोर्ट्स में जरा भी रुचि नहीं. उस की बात सुनते ही मेघा बोली, ‘‘आओ अंजलि, हम लोग अंदर बैठते हैं. इन दोनों को मैच देखने में क्या डिस्टर्ब करना.

‘‘नहीं, मैं अब चलती हूं, विनी अकेली है.’’

‘‘हां, उसे अकेली ज्यादा मत छोड़ा करो.’’

उस दिन तो जल्दी ही अंजलि चली गई. फिर एक दिन विनय ने कहा, ‘‘यार, काफी मैसेज भेजती रहती है, कभी गुडमौर्निंग, कभी जोक्स.’’

‘‘दिखाना,’’ मेघा ने विनय के फोन पर अंजलि के भेजे मैसेज पढ़े, सभी ऐडल्ट जोक्स वीडियो भी आपत्तिजनक, जिन्हें विनय ने देखा ही नहीं था अभी तक, क्योंकि विनय औफिस में ज्यादा ही बिजी रहता था और वह उसे बिलकुल भी लिफ्ट देने के मूड में था ही नहीं. अब मेघा गंभीर हुई.

अगले दिन यों ही अंजलि के फ्लैट पर गई. थोड़ी देर बैठने के बाद उस ने बातोंबातों में कहा, ‘‘तुम शायद बहुत बोर होती हो. विनय बता रहे थे कि उन्हें खूब वीडियो, जोक्स भेजती रहती हो. उन्हें तो देखने का भी टाइम नहीं, मैं ने ही देखे वे वीडियो, उन्हें भेजने का क्या फायदा मुझे भेज दिया करो, मैं देख लूंगी. विनय कुछ अलग टाइप के इंसान हैं, मुझ से कुछ छिपाते नहीं, तुम मेरा फोन नंबर ले लो.’’ अंजलि को बात संभालना मुश्किल हो गया. बुरी तरह शर्मिंदा होती रही. मेघा घर लौट आई. उस दिन से कभी अंजलि ने विनय को एक मैसेज भी नहीं भेजा, न उस के आसपास मंडराई. उस का किस्सा मेघा की लाइफ से खत्म हुआ.

मामला अलग स्थिति अलग

अगर यहां विनय पड़ोसन के साथ फ्लर्ट कर रहा ?होता तो बात दूसरी होती, समस्या पड़ोसन की नहीं, पति की होती पर यहां मामला अलग था. ऐसी स्थिति को बहुत जल्दी ही संभाल लेना चाहिए, फ्लर्टिंग को अफेयर बनते देर नहीं लगती.

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ट्रेसी कौक्स जो डेटिंग, सैक्स और रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट हैं, का कहना है कि महिलाएं विवाहित पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं, कोई महिला आप के पति के साथ फ्लर्ट कर रही है या नहीं, कैसे समझ सकते हैं, जानिए:

– यदि आप का पति उस की कौल्स और मैसेज के बारे में आप को बता देता है तो इस का मतलब है कि वह आप को प्यार करता है, पर यदि आप को खुद ही यह सब पता चला है तो इस का मतलब है कि आप के पति भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं.

– जब वह आप के पति के आसपास मंडराती

है तो वह कुछ अलग ही मेकअप, कपड़ों में होती है, वह उस में रुचि ले रही हैं तो उस

का ध्यान आप के पति को आकर्षित करने

में होगा.

– कोई भी महिला जो किसी विवाहित पुरुष में रुचि लेती है, वह हमेशा यह दिखाने की कोशिश करती है कि वह उस की पत्नी से

बैटर है, अगर उसे पता चलता है कि पति

को कोई शौक है और पत्नी को नहीं है तो वह पति वाले शौक को ही अपना बताने की कोशिश करेगी.

क्या करें

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में एक पत्नी को क्या करना चाहिए, अपने पति पर शक करते हुए उस से सवालजवाब करने से आप के वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है, उसे ऐसा लगेगा कि आप उस पर विश्वास नहीं करतीं, यह बात आप को नुकसान पहुंचा सकती है, पति के साथ फ्लर्ट करने वाली महिला के साथ कैसे व्यवहार करें, ऐसी कुछ टिप्स जानिए:

– पड़ोसन को सीधेसीधे कुछ कहेंगीं तो आप सनकी, इन्सेक्युर पत्नी लगेंगी. उस के साथ अच्छी तरह पेश आइए, ऐसे कि वह असहज हो जाए. सच यही है कि वह आप को पसंद नहीं करती होगी क्योंकि उस की रुचि आप के पति में है. उसे यह न महसूस होने दें कि आप भी उसे पसंद नहीं करतीं, उस की अच्छी फ्रैंड होने का नाटक करें, उसे अपने पति के साथ टाइम बिताने का मौका बिलकुल न दें. वह खुद ही अनकंफर्टेबल हो कर पीछे हट जाएगी.

– अपने पति से बात करें. उस के इरादों के बारे में आप के पति को भी संदेह हो सकता है. अपने पति पर सवालों की बौछार न करते हुए शांति से बात करें. याद रखें, यहां विक्टिम वह है, उस से पूछें कि क्या उसे भी यही लग रहा है कि पड़ोसन उस के साथ फ्लर्ट कर रही है. यदि पति कहे कि आप को ही बेकार का शक हो रहा तो उन्हें घटनाओं के साथ स्पष्ट करें कि वह फ्लर्ट कर रही थी. अपने पति की इस स्थिति को समझने में हैल्प करें और मिल कर इस से निबटें.

– इस स्थिति पर हंसना सीखें. कोई महिला उस पुरुष के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है जो आप को प्यार करता है, यह तो फनी है.  अपने विवाह पर फोकस रखें, हर समय इस महिला के बारे में सोच कर तनाव में न रहें.

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– ऐसी महिलाएं आप के और आप के पति के बीच मिसिंग स्पार्क का फायदा उठाने की कोशिश करती हैं. इसलिए उन्हें ऐसा करने का मौका न दें.

अपने पति पर विश्वास रखें, उसे बताएं कि आप को उस पर विश्वास है भले ही कोई भी स्थिति हो. यदि वह गलत नहीं है तो उसे अच्छा लगेगा कि उस की पत्नी को उस पर विश्वास है.

5 टिप्स: इन तरीकों से बनाए रखे लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशनशिप में करीबियां

अक्सर ऐसा होता है की आप अपने पार्टनर के साथ रहना चाहते हैं पर पढ़ाई, जॉब या किसी और मजबूरी के कारण आप ऐसा नहीं कर पाते. ये दूरी आपके रिश्ते में दूरी ना बना पाए इस बात पर आपको ध्यान देना चाहिए. वो लोग जो लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशनशिप में हैं वो भी अपने रिश्ते का आनंद उठा सकते हैं. रात-रात भर चैट करना या बहुत दिन के बाद मिलना भी रोमांटिक हो सकता है. अगर आपके साथ भी यहीं स्थिति है और आप परेशान हैं कि रिश्ते को कैसे बना के रखें कि दूरियां ना आएं तो ये 5 टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.

  1. रोजाना करे बात….

अगर आप अपने रिश्ते को टूटने नहीं देना चाहते हैं तो आप हमेशा एक-दूसरे से संपर्क में रहें. आप अपने साथी से हर रोज बात करें चाहे मैसेज के जरिये, वीडियो कॉल के जरिये या फिर फोन के जरिए. जितना हो सके एक-दूसरे से बात करते रहें. बात करने का ये मतलब भी नहीं है कि आप हर मिनट उन्हें फोन करके परेशान करें इससे आपका और उनका दोनों के काम में बाधा पड़ेगी इसलिए जब भी आप दोनों फ्री हों तो एक दूसरे से बात करके खुश रहें.

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2. समय-समय पर मिलते रहें…

लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशनशिप में ऐसा होता है कि बहुत समय तक आपका मिलना नहीं हो पाता है. समय-समय पर मिलने कि योजना बनाते रहें और ध्यान रहे कि जब भी मिले तो कुछ नया करें या फिर कुछ अच्छा सरप्राइज दें जिससे आपका पार्टनर खुश हो जाएं. किसी अच्छी जगह पर जाएं और खूबसूरत पल साथ में बिताए जो आपके दूर होने पर भी याद आए.

3. हर बात शेयर करें…

दिनभर में आपने क्या किया, वो शेयर करें और अपने साथी से भी पूछें. इससे आप अपने साथी के साथ होने का एहसास कर पाएंगे. छोटी-छोटी बातें शेयर करना भी बहुत अच्छा है इससे आप अपने पार्टनर को ये एहसास दिलाते हैं कि आप उनके लिए कितने जरूरी हैं. अगर आपके पास समय नहीं है फोन पर बात करने का तो ईमेल या मैसेज क जरिये अपनी बातों को शेयर करें.

4. मुश्किल समय में साथ दें…

अगर आपको पता है कि आपका पार्टनर परेशान है तो आप ऐसा कुछ करें कि उससे उनकी परेशानी कम हो जाए और वो थोड़ा रिलैक्स हो जाए. ऐसे समय में आपका उनको समझना बहुत जरूरी है. अगर आप पार्टनर कि परेशानी में साथ नहीं देंगे तो धीरे-धीरे वो अपनी परेशानी शेयर करना भी बंद कर देंगे. उन्हें लगेगा कि वो अकेले हैं इसलिए उन्हें ऐसा महसूस कराएं कि आप उनके साथ हैं.

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5. भरोसा बनाए रखें…

एक रिश्ते में भरोसे का होना बहुत जरूरी है. अगर आपके रिश्ते में भरोसा न हो तो वो रिश्ता किसी काम का नहीं होता है. अगर आपसे कभी कोई गलती हो भी जाए तो भी आप हिम्मत करके अपने पार्टनर को सब सच बता दें. थोड़ी देर के लिए उन्हें बुरा जरूर लगेगा पर भरोसा नहीं टूटेगा. हर समय आप अपने पार्टनर के बारे में पता नहीं करते रहें, कि वह कहां है, किसके साथ है, कॉल क्यों नहीं कर रहा या कुछ और भी. ऐसा करने से आप अपने पार्टनर के नजदीक जाने के बजाय और दूर हो जाएंगे.

12 टिप्स: लव मैरिज में न हो ‘लव’ का एंड

नीलम और मानव ने लव मैरिज की है. लेकिन अब नीलम का कहना है कि उन का जीवन बहुत सामान्य हो गया है. एक-दूसरे के प्रति पहले जैसा उत्साह नहीं रह गया है. पहले वे एकदूसरे की बातों को जितना समझते थे अब उतना नहीं समझ पाते. नीलम कहती हैं कि शादी से पहले की जिंदगी और बाद की जिंदगी में काफी बदलाव आ जाता है, जिसे अच्छी तरह मैनेज करना हर किसी के बस की बात नहीं. नीलम का अनुभव ऐसे लोगों से मेल खाता होगा, जिन्होंने लव मैरिज की है. आखिर क्यों लव मैरिज करने के बावजूद लव गुम होता दिखाई देता है?

1. आकर्षण और प्यार के फर्क को समझें

बहुत से लोग आकर्षण को प्यार समझ लेते हैं और शादी का फैसला कर लेते हैं. यही कारण है कि शादी के बाद वे एकदूसरे को दोषी ठहराते रहते हैं. आकर्षण किसी के बोलने के तरीके, उस के लुक्स, किसी के अंदाज, किसी की कंपनी को ऐंजौय करने में होता है, लेकिन प्यार इस से अलग होता है. प्यार का मतलब है हर परिस्थिति में एकदूसरे का साथ निभाना, उसे समझना, उसे सही गाइड करना और उस के लिए खुशी से त्याग करना. इसे निभाना काफी मुश्किल होता है. मात्र पसंद को प्यार न समझें.

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2. पहले और बाद का अंतर

अकसर लोगों को यही शिकायत रहती है कि उन के साथी के शादी से पहले और बाद के व्यवहार में काफी फर्क आ गया है. प्राइवेट बैंक में कार्यरत गरिमा की लव मैरिज हुए 1 साल हो गया है. उस ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि उन्हें शादी के बाद अपने पति में बहुत से बदलाव देखने को मिले हैं. मसलन, उन को गुस्सा अधिक आने लगा है, जिस के चलते उन की लड़ाई कई बार बढ़ जाती है. थोड़ाबहुत गुस्सा पहले भी आता था, लेकिन वे जल्द ही शांत हो कर हमेशा उन्हें मना लेते थे. लेकिन अब वे उन्हें मनाते नहीं. ऐसी बहुत सी बातें होती हैं, जो पहले स्वभाव में कम नजर आती हैं और तब अकसर लोग इन्हें हलके से लेते हैं. लेकिन यही बातें बाद में रिश्ते में मुश्किल पैदा करती हैं जैसे अधिक गुस्सा आना, घुलमिल कर न रहना, एक्सप्रैसिव न होना, गैरजिम्मेदाराना व्यवहार आदि.

3. महत्त्वपूर्ण फैसलों पर विचारविमर्श

प्यार का मतलब अपनेआप को भूलना नहीं होता. अगर ऐसा करेंगे तो अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं रहेंगे और जिस प्यार के लिए कर रहे होंगे उसे भी खुश नहीं रख पाएंगे, इसलिए अपने भावी लक्ष्य, अपनी इच्छाएं, अपने साथी से शेयर करें और उन्हें भी शेयर करने के लिए कहें. उन्हें ध्यान से सुनें और उन पर विचार करें, क्योंकि अकसर लोग लव मैरिज में प्यार को सब से ऊपर तो रखते हैं, लेकिन जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है, तो निभाना काफी मुश्किल हो जाता है, खासतौर पर लड़कियों के लिए. अत: अगर शादी के बाद भी आप कामकाजी बनी रहना चाहती हैं या पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं, तो शादी से पहले इस संबंध में बात कर लें. इसी तरह अगर लड़का विदेश में सैटल होने की सोच रहा हो या उस का संयुक्त परिवार हो तो कुछ बातों के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए.

4. आर्थिक आत्मनिर्भरता

प्यार में हमेशा यह परख लेना चाहिए कि आप का साथी कितना काबिल है. जहां प्यार करने से पहले प्यार के काबिल बनना जरूरी है, वहीं शादी से पहले आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होना भी बहुत जरूरी है. खासतौर से लव मैरिज में, जहां फैसला आप ने लिया है. इसलिए परिवार की उतनी मदद नहीं मिल पाती. फिर आर्थिक तौर पर निर्भर होना न सिर्फ आप की शादी के लिए परिवार को मनाना आसान बनाएगा, आप के भविष्य के लिए भी यह बहुत जरूरी है ताकि आर्थिक कमी आप के रिश्तों में दरार न लाए.

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5. एकदूसरे की तारीफ करें

बहुत से लोगों की यह धारणा होती है कि अगर आप का पार्टनर आप के लिए कुछ अच्छा कर भी रहा है तो वह उस का कर्तव्य है, यह समझ कर आप उस की तारीफ नहीं करते. लेकिन इस से आप अपना रिश्ता फीका बना देंगे. आप को यदि अपने साथी का कोई काम अच्छा लगे तो उस की तारीफ करें. इस से आप का रिश्ता मजबूत बनेगा.

6. उपहार और चौंकाती खुशियां

शादी से पहले तो आप ने एकदूसरे को कई गिफ्ट दिए होंगे, पर शादी के बाद भी यह सिलसिला बरकरार रखना चाहिए. मगर यह जरूरी नहीं है कि गिफ्ट्स पर काफी पैसा खर्च किया जाए. बस, अपने साथी की पसंद के अनुसार छोटेछोटे गिफ्ट भी दिए जा सकते हैं. सरप्राइजेज हमें जवां बनाते हैं और जिंदगी में जोश भी लाते हैं, लेकिन शादी के बाद भी अगर आप सरप्राइजेज से अपने पार्टनर को खुश रखेंगे तो यकीन मानिए, आप की जिंदगी कभी बोरिंग नहीं होगी.

7. एकदूसरे को स्पेस दें

शादी से पहले आप की जिंदगी में हर जगह आप का पार्टनर छाया हुआ था और उस की पोजैसिवनैस अच्छी भी लगती थी, लेकिन जरूरी नहीं कि शादी के बाद भी यह ऐक्स्ट्रा केयरिंग नेचर अच्छा लगे. इसलिए रिश्ते में स्पेस बनाए रखना चाहिए. हर बात पर प्रश्न नहीं पूछना चाहिए न ही हर मामले में दखल देना चाहिए. एकदूसरे के निर्णयों पर भरोसा करना जरूरी है. हर किसी की अपनी निजी जिंदगी भी होती है. उसे बनाए रखने में सहयोग देना चाहिए वरना शादी का बंधन कैद लगने लगेगा.

8. खुद की पहचान

अकसर लोग शादी के बाद यही सोचते हैं कि उन की खुशियां तो सिर्फ उन के साथी से, उन के गम हैं तो उन के साथी से. खासतौर से लव मैरिज में जहां पहले से ही वे एकदूसरे में इतना खोए रहते थे तो शादी के बाद तो उम्मीदें और बढ़ जाती हैं. लेकिन यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हर किसी का अपना व्यक्तित्व, अपनी सोशल लाइफ, अपनी पसंद होती है, इसलिए अपनी चीजों को एकदम अनदेखा नहीं करना चाहिए. मसलन, शादी के बाद दोस्तों से मेलजोल एकदम से खत्म नहीं करना चाहिए. यह सही है कि समय की कमी के कारण दोस्त छूट जाते हैं, लेकिन कुछ दोस्तों का जिंदगी में बने रहना जरूरी होता है. इस से आप का सोशल सर्कल होगा तो आप अपनी लाइफ को भी ऐंजौय कर पाएंगे.

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9. सजनासवंरना

अकसर शादी के बाद पति हो या पत्नी अपनी तरफ ध्यान देना छोड़ देते हैं, जबकि शादी से पहले वे एकदूसरे के लुक्स से काफी प्रभावित हुए थे. हर कोई चाहता है कि उस का साथी देखने में अच्छा लगे, उसे डौमिनेट करने के बजाय अच्छा सुझाव देना चाहिए कि उस पर क्या अच्छा लगेगा. साथ ही अपनेआप को भी संवार कर रखना चाहिए ताकि सारी जिंदगी आप अपने साथी को अपनी अदाओं का कायल बना कर रख सकें.

10. अपनी अपेक्षाएं शेयर करें

अकसर दंपती यही सोचते हैं कि जैसे शादी से पहले उन का पार्टनर बिना कहे उस की बातों को समझ जाया करता था, शादी के बाद भी समझ जाएगा. लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि पहले उन की जिंदगी बहुत ही सीमित थी. अब उन की जिंदगी में बहुत से लोग जुड़ गए हैं. जिन्हें साथ ले कर उन्हें चलना है. इसलिए हर चीज समझने के लिए इतना समय नहीं मिल पाता. बेहतर यही होगा कि अपनी इच्छाएं या जो आप चाहते हैं, उसे अपने पार्टनर को बताएं. वह उन पर गौर जरूर करेगा. अंदर ही अंदर न घुटें. इस से आप अपने मन में सिर्फ गुस्सा ही पालेंगे. अपनी बात शेयर करने से आप अपनी मुश्किल का हल शुरू में ही निकाल लेंगे.

11. सुझाव दें मगर थोपें नहीं

अकसर लोगों में यह आदत होती है कि जब उन्हें अपनी कोई बात मनवानी होती है तो वे कसम दे देते हैं. मसलन, पत्नी नहीं चाहती उस का पति धूम्रपान करे तो वह कसम दे कर छुड़वाने की कोशिश करती है, जो सरासर बेवकूफी है. बेहतर है कि अगर आप अपने साथी की कोई आदत छुड़ाना चाहते हैं, तो उसे सिर्फ उस आदत के परिणामों से अवगत करवाएं. यकीनन वह उसे छोड़ने की कोशिश करेगा. अपने निर्णयों को दूसरे पर थोपना गलत है, क्योंकि ऐसे निर्णय ज्यादा दिन टिक नहीं पाते हैं.

12. लाइफस्टाइल के साथ दिल से ऐडजस्ट

शादी से पहले आप अलग परिवारों के हिस्से थे. दोनों के तौरतरीकों में फर्क था. पहले यह बुरा इसलिए नहीं लगता था, क्योंकि एक सीमित समय में साथ रहते थे, उस का खास फर्क दूसरे की जिंदगी पर नहीं पड़ता था. पर अब जब शादी हो चुकी है, तो उन के लाइफस्टाइल को स्वीकार करना चाहिए. मसलन, पति नानवेज खाता है. पहले वह आप के साथ नहीं खाता था, पर अब आप उस के परिवार का हिस्सा हैं तो हर वक्त इस स्थिति से बचना संभव नहीं. इसलिए इसे स्वीकार कर लेना चाहिए. हर किसी को उस का प्यार लाइफ पार्टनर के रूप में नहीं मिलता. अगर आप को यह हसीन तोहफा मिला है तो मनमुटाव में समय न बिताएं. अगर एकदूसरे की भावनाओं का ध्यान रखते हुए अपने रिश्ते को निभाने की उत्साहपूर्ण कोशिश करेंगे तो आप के ‘लव’ का मैरिज के बाद कतई एंड नहीं होगा.

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 6 संकेत: कहीं आपका पार्टनर चीटर तो नहीं

इस दुनिया में किसी के लिए भी सब से मीठा एहसास होता है प्यार. आप किसी शख्स को दिल से चाहें और वह भी आप को उतनी ही निष्ठा के साथ प्रेम करे, तो इस से अच्छी और कोई फिलिंग हो ही नहीं सकती. प्रेम करने वाला बदले में प्रेम की ही आस रखता है. लेकिन इंसान प्यार में हमेशा वफादार रहे यह जरूरी नहीं है. विश्वासघात, बेवफाई, धोखा, चीटिंग ये सब सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि मजबूत से मजबूत रिश्ते की नींव हिलाने के लिए काफी हैं. कई लोग अपने पार्टनर को चीट करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, कुछ सालों में ऐसे काफी सारे केसेस सामने आए हैं, जिन में अकसर शादी के बाद पार्टनर चीट करते हैं और आज के समय तो ये समस्या बेहद आम हो गई है.

लेकिन इस बात का पता लगाना कि आप का पार्टनर वास्तव में आप के साथ चीट कर रहा है या नहीं, जानना थोड़ा मुश्किल है. कटाकटा रहना, आदतों में एकदम से बदलाव, काफी हद तक रिलेशनशिप में चीटिंग को दर्शाता है. आप का पार्टनर विश्वासपात्र है या नहीं और कहीं वह आप को धोखा तो नहीं दे रहा. जानिए इन संकेतों से जो बताते हैं कि कहीं आप का पार्टनर आप के साथ चीटिंग तो नहीं कर रहा.

1. व्यवहार में बदलाव:

सब से बड़ी पहचान यही है कि पार्टनर के व्यवहार में बदलाव होने लगता है. ‘मैं बोर हो गया हूं’ जैसे शब्दों से समझ में आने लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. दीप्ति माखीजा के अनुसार, पार्टनर जब चीट करने लगता है तो अपनेआप ही कुछ क्लू या बातें सामने आने लगती हैं, जिन्हें बस समझने की देरी है. जैसे उस के बोल होने लगते हैं, ‘तुम्हें बोलने का तरीका नहीं है? अपना वजन कम करो, मोटी हो गई हो. साथ ही, आप के पार्टनर आप की तुलना किसी दूसरेतीसरे से करने लगते हों. बेवजह आप की गलती निकालने लगे हों, आप की किसी एक छोटी सी गलती पर आप को गैरजिम्मेदार ठहराने लगे हों, तो आप को सचेत हो जाना चाहिए. खास कर तब जब ऐसा पहले कभी नहीं होता था. यह न समझें कि अब वह ऐसा कर के आप को शर्मिंदा महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा कोई इंसान तभी करता है जब वह अपने पुराने रिश्ते को तोड़ कर किसी और के साथ रिश्ते बनाना चाहता है.

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2. दिनचर्या में बदलाव:

दैनिक दिनचर्या में लगातार आने वाले बदलाव भी पार्टनर के आप को धोखा देने के संकेत हो सकते हैं. जैसे, अचानक अपने वार्डरोब में कपड़ों को बदलना, खुद पर ज्यादा ध्यान देने लगना. आईने में खुद को निहारते रहना, आप के आने पर सतर्क हो जाना इत्यादि यदि ऐसा होता है तो समझा जाए कि कुछ तो गड़बड़ है. पहले की तरह आप में रुचि न दिखाना, क्योंकि पहले आप दोनों एकदूसरे के नजदीक जाने के बहाने ढूंढा करते थे और अब आप का पार्टनर आप से दूर जाने के बहाने ढूंढने लगें. कमिटमैंट से घबराने लगे तो समझिए वह आप को धोखा दे रहे हैं. इस के अलावा आप से बेवजह लड़ाइयां होने लगना. आप के हर काम में नुक्स निकालने लगना. पहले की तरह व्यक्तिगत बातें, कैरियर संबंधित बातें आदि आप से साझा न करने लगें, तो समझ लीजिए कि वह आप से दूर होने की कोशिश कर रहे हैं.

3. आप के प्रति प्यार कम होना:

पहले जहां आप की हर बातें उन्हें प्यारी लगती थी. पर अब आप की हर बात पर वह झल्लाने लगें. मूवी देखने या कहीं बाहर जाने में आनाकानी करने लगें. ज्यादा समय औफिस में बिताने लगें. इन बातों से साफ पता चलता है कि आप का पार्टनर आप को चीट कर रहा है. हो सकता है आप का पार्टनर किसी और बात को ले कर परेशान हो या कुछ और वजह हो सकती है. लेकिन इस सब के साथ आप का पार्टनर कोई फैसला लेने में आप से आप की राय नहीं पूछते या आप से अपनी बातें शेयर नहीं करते, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है.

4. फोन से जुड़े सवाल:

यदि आप अपने पार्टनर की फोन से जुड़ी गतिविधियों में बदलाव को नोटिस करते हैं, तो यह धोखा देने का संकेत हो सकता है. जैसे आप का पार्टनर जरूरत से ज्यादा फोन पर व्यस्त रहने लगे. औफिस में उन का फोन कईकई घंटों तक व्यस्त आता हो. आप से अपने फोन और मैसेज छिपाने लगे हों. फोन का पासवोर्ड बदल दिया हो और आप को अपना पासवोर्ड न बताएं और न ही अपना फोन छूने दें, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है. इस के अलावा उन की सोशल मीडिया की आदतों में भी बदलाव हो सकता है, जैसे ज्यादा फोटो अपलोड करना या बारबार अपनी प्रोफाइल बदलते रहना, बारबार मैसेज अलर्ट चेक करना, जैसे कई छोटेछोटे बदलाव धोखे का संकेत हो सकते हैं.

5. छोटीछोटी बातों पर झूठ बोलने लगना:

यदि आप का साथी आप से हर छोटीछोटी बात पर झूठ बोलने लगे, बातें छिपाने लगे, तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है.

6. आंखें चुराने लगे:

यदि आप का साथी आप से बात करने से बचने लगे या बात करते वक्त अपनी आंखें न मिला पाए, इधरउधर देखने लगे, आप की बातों को अनसुना करने लगे, आप की किसी भी बात को गंभीरता से न ले, वही काम करे जो आप को पसंद नहीं है, अपनी गलती न मानने के बजाए आप की ही गलती निकालने लगे, आप का फोन न उठाए और न ही आप के किसी मैसेज का जवाब दे, तो समझ लेना चाहिए कि आप का पार्टनर आप को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहा है.

धोखा देने वाला हमेशा कोई करीबी ही होता है और शायद यही वजह है कि जब इंसान को धोखा मिलता है तो सबकुछ बिखर जाता है. खासतौर पर जब धोखा देने वाला आप का पार्टनर हो.

फिर क्या करें जब पार्टनर के धोखे का पता चल जाए:

पूरा समय लें: अगर आप अपने पार्टनर के धोखा देने की बात से परेशान हैं तो जल्दबाजी करने से बचें. पूरा समय लें. आप को किसी से भी इस बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. अपने पार्टनर से तो बिलकुल नहीं. आप को गुस्सा तो आ रहा होगा, लेकिन नाराजगी में कहे शब्द नुकसान अधिक पहुंचाते हैं.

न बहस करे न लड़े: विरोध दर्ज करना जरूरी है और सामने वाले को भी तो पता चलना चाहिए कि कुछ ऐसा हुआ है जिस की वजह से आप परेशान हैं. लेकिन अपनी आवाज और शब्दों पर संयम रखें. पार्टनर को यह जरूर बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.

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‘वो’ को दोष न दें: ज्यादातर मामलों में धोखा देने वाले पार्टनर को दोषी मानने के बजाए उस लड़की या लड़के को दोषी मान लिया जाता है, जिस की वजह से धोखा दिया गया. ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि जो शख्स आप के प्यार को झुठला कर आगे निकल गया, तो गलती उस की ही है.

अपने मामले में किसी और को बोलने न दे: अगर आप चाहते हैं कि आप के और आप के पार्टनर के बीच सब कुछ ठीक हो जाए तो बेहतर यह होगा कि आप इस बात की चर्चा किसी और से न करें. किसी तीसरे को इन बातों में शामिल करना आप के लिए ही खतरनाक हो सकता है.

एक मौका और दें: अगर आप को लगे कि आप के पार्टनर को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सब कुछ ठीक करना चाहता है तो उसे वक्त दें. हो सकता है सब फिर पहले जैसा हो जाए. इस के लिए आप दोनों का साथ रहना और साथ वक्त बिताना जरूरी है, ताकि आप दोनों के बीच की गलतफहमी खत्म हो सके.

मायके की नासमझी से बेटियों के उजड़ते घर

‘‘मां,अगर मुझे पता होता कि मैं न घर की रहूंगी न घाट की तो कभी यहां नहीं आती. आप को तो मैं ने हमेशा यही कहते सुना कि लड़कियों को शादी के बाद यदि ससुराल में अपना महत्त्व रखना है तो पति को ममाज बौय बनने से हर हाल में बचाना चाहिए. यहां तक कि अपने घर में भी मैं ने कभी आप को पापा के यहां के लोगों की इज्जत करते नहीं देखा. इसीलिए आप की दी हुई शिक्षा पर अमल कर के शादी के दूसरे दिन से ही मैं ने भी यही चाहा कि रवि हर काम मुझ से पूछ कर ही करे, जबकि रवि सदा अपने मांपापा को ही आगे रखता था. जब भी मैं आप को यहां की समस्याएं बताती आप यही कहती थीं कि तू भी कमाती है दबने की कोई जरूरत नहीं है. यदि वे तेरी कोई वैल्यू नहीं समझते तो मायके के दरवाजे हमेशा तेरे लिए खुले हैं आ जाना. आप का अनुसरण करते हुए मैं ने भी घर में छोटीछोटी बातों पर झगड़ा करना शुरू कर दिया. रवि भी कब तक मेरी मनमानी सुनता सो बात बिगड़ती ही चली गई. मायके के इसी झूठे दंभ में आ कर मैं ने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली,’’ एक कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर सुवर्णा रोती हुई मां से बोले जा रही थी.

‘‘तू ही तो कहती थी कि रवि तेरी नहीं अपनी मां की सुनता है. जिस घर में तेरी बात को तवज्जो नहीं दी जाती उस घर में रहने का भी क्या लाभ. अभी तो शुरूआत थी आगे चल कर तो स्थिति और खराब होती न. कितनी नाजों से पाला है हम ने तुझे, तो क्या तेरी ऐसी उपेक्षा देख कर हमें बुरा नहीं लगेगा,’’ सुवर्णा की मां ने अपनी ओर से सफाई देते हुए कहा.

‘‘तो यहां कौन सी मैं महत्त्वपूर्ण हूं. आप सब भी तो बातबात पर सुनाते हो. वहां रवि को मेरी सैलरी से कोई मतलब नहीं रहता था यहां तो सब जैसे हर समय मेरे पैसे पर ही नजरें गड़ाए रहते हो. मां मैं तो अनाड़ी थी पर आप को तो समझाना था कि कुछ दिनों की बात है धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.’’

सुवर्णा और उस की मां में इस प्रकार की बहस होना आम बात थी. अपनी मां, बहनों की सलाहों पर अमल कर के सुवर्णा अपने प्रोफैसर पति और सासससुर को विवाह के 1 साल के भीतर ही छोड़ कर आ गई थी. अब 4 साल बाद उसे लगता है कि मां की सलाह मान कर उस ने गलती कर दी. अब वह वापस अपनी ससुराल जाने का मन बना रही है.

ऐसा ही कुछ 40 वर्षीया सविता के साथ हुआ. वह बताती है, ‘‘मैं अपने घर की इकलौती संतान हूं. मेरी मां ने मुझ से कभी घर का कोई विशेष काम नहीं करवाया. मैं ससुराल में बड़ी बहू थी. एकदम कंधों पर आई जिम्मेदारी को देख कर मैं घबरा गई. दिन में जब भी मां को अपनी परेशानी बताती तो वे बस यही कहतीं, ‘‘कोई जरूरत नहीं ज्यादा काम करने की. एक बार कर दिया तो हमेशा करना पड़ेगा. तू क्या उस घर की नौकरानी है?’’

मेरी मां ने मेरे मन में मेरे ससुराल वालों के खिलाफ इतना जहर भर दिया था कि मैं उन्हें कभी अपना मान ही नहीं पाई. बस यहीं से मेरे पति के साथ मतभेद शुरू हो गए. किसी तरह 3 साल ससुराल में काटने के बाद मैं मातापिता की सलाह पर मायके आ गई.

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शुरूआत में जब भी पति ने लेने आना चाहा मातापिता और भाई ने उन्हें बुराभला कहा और उन के सामने बहुत सारी शर्तें रखीं. मैं भी जवान थी भाभी पूरा घर मेरे ऊपर छोड़ कर औफिस चली जाती थी. मैं स्वयं को उस घर की महारानी समझती थी. अब मेरा शरीर भी ढलान पर है. मातापिता के जीवित रहते फिर भी ठीक था पर अब मैं भाईभाभियों और भतीजेभतीजियों की गुलाम मात्र हूं, जिसे हरकोई अपने अनुसार चलाना चाहता है. भावावेश और नासमझी में लिए गए अपने निर्णय पर बेहद पछतावा होता है पर अब ये सब सहना मेरी मजबूरी है.

इस प्रकार की घटनाएं अकसर देखने को मिलती हैं जहां लड़की के मायके वालों के अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण बेटी की हंसतीखेलती गृहस्थी तबाह हो जाती है. आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसे मामले अकसर अपनी बेटी का सर्वाधिक हित चाहने वाले मातापिता के हस्तक्षेप के कारण होते हैं. विवाहोपरांत जब बेटी अपनी ससुराल जाती है तो मातापिता अपनी बेटी को ले कर बहुत अधिक पजैसिव होते हैं. आखिर उन की नाजों से पाली गई बेटी पहली बार उन से दूर जो हो रही होती है, इसलिए उन की चिंता और अधिक बढ़ जाती है अपनी इकलौती बेटी के प्रति. इसी अत्यधिक चिंता के कारण अकसर वे अपनी बेटी को अनुचित सलाहें देना शुरू कर देते हैं और अपने मातपिता पर स्वयं से भी अधिक भरोसा करने वाली बेटी बिना कुछ सोचेविचारे उस सलाह पर अमल करना शुरू कर देती है, जबकि ससुराल का वातावरण और परिस्थितियां उस के मायके से एकदम अलग होती है.

क्या करे लड़की

न पालें कोई पूर्वाग्रह: विवाह से पूर्व अपनी सहेलियों या सुनीसुनाई बातों पर भरोसा कर के ससुरालवालों के प्रति किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह न पालें. आस्था का ही उदाहरण ले लीजिए- उस का रोमिल से प्रेम विवाह हुआ था. विवाहपूर्व उस के मायके वालों और सहेलियों ने समझाया, ‘‘कायस्थ लड़की ब्राह्मण परिवार में जा रही है. ये ब्राह्मण धार्मिक रूप से बहुत कट्टर, दकियानूसी, छुआछूत और पूजापाठ में विश्वास करने वाले होते हैं कैसे निभेगी तेरी?

‘‘सब की बातें सुनसुन कर रोमिल के परिवार वालों को ले कर आस्था बहुत डरी हुई थी परंतु वहां पहुंच कर उस ने पाया कि उस के सारे पूर्वाग्रह निराधार हैं. ससुराल का प्रत्येक सदस्य बहुत ही सुलझा, समझदार, उदार और प्यारा है.

अच्छाइयां ही करें साझा:

विवाह बाद के प्रारंभिक दिनों में नवविवाहिताएं ससुराल की प्रत्येक छोटीबड़ी और अच्छीबुरी बात को मायके में साझा करती हैं. ऐसा करना गलत है, क्योंकि आप के मायके वाले आप के कथनानुसार ही आप के ससुराल के प्रति धारणा बनाएंगे.

ससुराल और मायके के प्रत्येक सदस्य का भरपूर प्यार प्राप्त करने वाली मेरी एक सहेली कहती है, ‘‘विवाह के प्रथम दिन से ही मैं ने सदैव मायके में ससुराल की केवल अच्छी बातें ही साझा कीं, उस का परिणाम यह हुआ कि आज विवाह के 5 साल बाद मेरे मायके और ससुराल वाले भी एकदूसरे के अच्छे दोस्त बन गए हैं और मैं स्वयं एक सुखद गृहस्थ जीवन जी रही हूं. मेरा मानना है कि कमियां या गलतियां कहां नहीं होती पर मैं ने कभी उन्हें तूल न दे कर केवल अच्छाइयों पर ही ध्यान दिया.’’

सीमित करें फोन का उपयोग: तकनीक के युग में बसेबसाए परिवारों को तोड़ने में मोबाइल फोन की भूमिका भी कुछ कम नहीं है. आजकल दिन में 10 बार मांबेटी की बातचीत होती है, जिस से अपनी बेटी के घर में होने वाली हर छोटीबड़ी गतिविधि से मातापिता अवगत रहते हैं, जिस के परिणामस्वरूप प्रत्येक बात में टोकाटोकी करना और राय देना वे अपना अधिकार समझने लगते हैं.

एक दिन रवि और नमिता में छोटी सी बात पर झड़प हो गई. उसी समय नमिता की मां का फोन आ गया. नमिता ने रोतेरोते पूरी कहानी कह सुनाई, जिस से नमिता की मां को लगा कि उन की बेटी पर दामाद बहुत अत्याचार कर रहा है. अत: उन्होंने भी बिना सोचेसमझे रवि को फोन पर खूब खरीखोटी सुनाई, जिस से नमिता और रवि के संबंध तलाक तक जा पहुंचे. नमिता ने बड़ी मुश्किल से अपने टूटते रिश्ते को बचाया. अत: क्रोध और आवेश के अवसर पर मायके वालों से बात करने से बचें ताकि घर की बात घर में ही रहे और आप उसे अपने तरीके से सुलझा सकें, क्योंकि एक बार तरकस से बाहर गया तीर फिर वापस नहीं आता.

समझदारी से काम लें:

मातापिता की किसी बात या राय का विरोध कर के उन का अपमान करने की जगह उन की बात सुन लें, परंतु उसे अमल में लाने से पहले 10 बार सोचें कि इस से आप के वैवाहिक जीवन और आप के पति के परिवार पर क्या असर पड़ेगा. ऐसी किसी भी राय को अमल में लाने का प्रयास न करें जिस से आप के पति के परिवार के सम्मान को ठेस लगे.

अनीता कहती है, ‘‘कुछ समय पूर्व मैं अपनी बीमार ननद का इलाज कराने अपने साथ ले आई. छोटेछोटे बच्चों के साथ उन की देखभाल में परेशानी तो आती थी. इसी दौरान मेरी मां ने मुझे फोन कर सलाह दी कि तुम्हारा घर ननद के लिए नई जगह है. उन्हें वहीं जेठ के पास छोड़ दो. हर माह कुछ रुपया भेज दिया करो इलाज के लिए. तुम नौकरी करो और अपना परिवार देखो.’’

अनीता को अपनी मां की यह सलाह जरा भी पसंद नहीं आई और उस ने अपनी मां से कहा, ‘‘मां, जरा एक बार सोचिए कि यदि आज ननद के स्थान पर मेरी अपनी बहन होती तो भी क्या आप यही सलाह देंती?

अनीता की बात सुन कर उस की मां को कोई जवाब नहीं सूझा और उसी दिन से उन्होंने उस की ससुराल के मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर दिया.

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पारदर्शिता रखें:

पति से छिपा कर मायके के लिए कभी कोई काम न करें. प्रतिमा का मायका आर्थिक रूप से कमतर है. वह जबतब अपने पति से छिपा कर अपने भाई और मां को आर्थिक मदद करती. एक दिन जब इस के बारे में उस के पति को पता चला तो दोनों में जम कर कहासुनी हुई नतीजतन उस के अपने मायके और पति दोनों से ही संबंध खराब हो गए. इसलिए अपने मायके के लिए आर्थिक मदद करने से पूर्व पति को अवश्य विश्वास में लें. ध्यान रखें कि पतिपत्नी के संबंधों में पारदर्शिता होना बेहद जरूरी है. परस्पर दुरावछिपाव संबंधों में खटास पैदा करता है.

सीमा निर्धारित करें:

सब से महत्त्वपूर्ण बात है कि आप अपने घरपरिवार के मामलों में किसी को भी दखल देने का एक निश्चित सीमा तक ही अधिकार दें और जब भी इस का अतिक्रमण होता दिखे तो तुरंत ब्रेक लगाएं, क्योंकि अपने परिवार के मामलों को आप और आप के पति ही सहजता से सुलझा सकते हैं. अपने मायके और ससुराल के सदस्यों के साथ कभी दोहरा व्यवहार न करें.

क्या करें मातापिता:

यह सही है कि आजकल अधिकांश मातापिता बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं करते. मायके में नाजों से पलीबढ़ी अपनी बेटी के जीवन में दुख का साया भी उन्हें बेचैन कर देता है, परंतु आप को यह याद रखना होगा कि आप की बेटी अब किसी की बहू और पत्नी भी है और उस के पति के परिवार वालों ने भी अपने बेटे को भी उतने ही नाजों से पाला है, इसलिए आवश्यक है कि ससुराल के मुद्दे उसे स्वयं अपनी समझदारी से ही सुलझाने दें. हां, यदि किसी मोड़ पर सलाह देना आवश्यक हो तो तटस्थ रुख अपनाएं.

बेटी को यह एहसास अवश्य कराएं कि जीवन के किसी भी मोड़ पर मुसीबत होने पर आप सदैव उस के साथ हैं. मायके के दरवाजे सदैव उस के लिए खुले हैं, परंतु बातबात पर पति का घर छोड़ कर मायके आ जाने की सलाह कभी न दें. ससुराल के छोटेमोटे मुद्दे उसे अपनी समझ से स्वयं ही सुलझाने को कहें.

बेटी की ससुराल की गतिविधियों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से बचें. बेटी को किसी भी मुद्दे पर अपनी राय देते समय सोचें कि यदि यही राय आप की बहू के मायके वालों ने दी होती तो आप पर क्या असर होता.

वीडियो कौलिंग, मोबाइल फोन जैसी आधुनिक तकनीक का प्रयोग बेटी की कुशलता जानने के लिए करें न कि उस की ससुराल वालों पर कटाक्ष करने, हंसी उड़ाने और ससुराल के प्रत्येक सदस्य का हालचाल जानने के लिए.

आप की आर्थिक स्थिति भले ही समधियों से बेहतर हो, परंतु उन्हें कभी अपने से कमतर न समझें और न ही कभी नीचा दिखाएं. ध्यान रखिए कि जब आप उन्हें इज्जत देंगी तभी आप की बेटी भी उन का सम्मान कर पाएगी.

अपनी बेटी को केवल पति का ही नहीं उस के पूरे परिवार का सम्मान और प्यार करना तथा परिवार के साथ तालमेल बैठाना सिखाएं न कि परिवार तोड़ कर अलग रहने की शिक्षा दें.

अनुजा ने विवाह से दो दिन पूर्व अपनी बेटी को उस के गहने दिखाते हुए कहा कि देख, अपने गहने अपनी सास को भूल कर भी मत देना. एक बार दे दिए तो वापस नहीं मिलेंगे.

इस प्रकार की अव्यावहारिक सलाह की जगह अपनी बेटी को ससुराल के प्रति प्यार और अपनत्व की सलाह दें ताकि उस का विवाहित जीवन सुखद रहे.

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विवाह के बाद विदा हो कर गई बेटी को स्पेस दें. हर पल उस के हालचाल पूछ कर उसे बारबार परेशान करने की अपेक्षा उसे पति के परिवार वालों के साथ घुलनेमिलने का अवसर दें ताकि वह वहां के वातावरण में सहजता से एडजस्ट हो सके.

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