क्यों नहीं हो पा रहा आपका रिलेशनशिप मजबूत, जानें यहां

एक-दूसरे को खोने का डर और हद से ज्यादा इंटरफेयर और केयर कभी-कभी रिश्तों को बोझिल बना देता है. “वह मेरा है और सिर्फ मुझसे प्यार करता है” ऐसी धारणा चिंता का विषय बन जाता है और बात न होते हुए भी बात-बात पर झगड़ा करना तनाव का कारण बन जाता है. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि आपके साथ गलत हो रहा होता है लेकिन उसको खोने के डर से आप गलत चीजों को भी अवॉयड कर देते हैं जोकि कुशल रिश्ते के लिए ये सकारात्मक चीजें नहीं हैं. फिर भी आप अपनी चाहत देखते हो और उसको अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं.

कुछ इसी तरह के लक्षण रिलेशनशिप में ब्रेक ला सकती है. ऐसा क्यों होता है, किसी रिश्ते में विश्वासनीयता में कमी क्यों आती है और क्यों रिश्तों को संभालना इतना मुश्किल हो गया है. चलिए जानते हैं कुछ प्वांइट्स के बारे में जो आप कहीं न कहीं मिस कर जाते हो-

  • फियर ऑफ़ मिसिंग आउट
  • अकेलेपन का डर
  • आदत बन जाना
  • असुरक्षा की भावना

फियर ऑफ़ मिसिंग आउटहमेशा उस चीज के बारे में डरना, जिसका असल में कोई अस्तिव ही नहीं है. अपने पार्टनर को लेकर ये मिस अंडरस्टैंडिंग बना लेना कि आगे क्या होगा, भविष्य कैसा होगा? क्या हम दोनों हमेशा साथ रह सकेंगे? ऐसे ही कई सारे सवाल जो आपके अंदर बेचैनी ला देते हैं और इन्हीं बातों को लेकर आप परेशान रहते हैं. सबसे ज्यादा सवाल तो यह आता है कि “वह तो सुंदर है उसे तो और मिल जाएंगे पर मेरा क्या होगा, मुझे कौन पूछेगा? मैं कैसे रहूंगा…?” यही कारण है कि आप अपने आपमे संतुष्ट नहीं होते हैं और हमेशा खोने का डर बना रहता है जिससे आप प्यार के लिए तरसते रहते हैं.

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अकेलेपन का डर

फिर से अकेलेपन का डर आपको सुकून से वह पल भी नहीं बिताने देता जो आप उस समय अपने पार्टनर के साथ जी रहे होते हैं. जबिक यह बात आप अच्छी तरह से जानते हैं कि वह आपके साथ लंबे समय तक एक-साथ नहीं रह सकेगा, फिर भी आप यह सोचकर कम्प्रोमाइज करने के लिए तैयार रहते हैं कि वह जिसके साथ रहेगा आप मैनेज कर लोगे क्योंकि आप अपने को कभी उससे दूर रखना पसंद नहीं करते हो. अगर आपसे अलग हो जाएगा तो आप कैसे रहेंगे, इसी डर को लेकर आप अकेलेपन से डरते हैं.

आदत बन जाना

नेहू अपने पार्टनर से बहुत प्यार करती है, उसने अपने पार्टनर को अपनीआदत बना ली है. यानि कि उसका पार्टनर उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा होता है फिर भी वह उसे सहन करती है और यह सोचती है कि थोड़े समय बाद सब ठीक हो जाएगा. लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है, नेहू का पार्टनर उससे बुरा बर्ताव करता है और वह उसे सुनती रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेहू ने उसे अपनी आदत में शामिल कर लिया है और बिछड़ने का डर भी उससे यह सब सुनने को मजबूर कर देता है. ऐसा तभी हो रहा होता है क्योंकि कहीं न कहीं नेहू के पास्ट में ऐसी ही कोई घटना पहले हो चुकी होती है. शायद यही कारण है कि उसे अपने पार्टनर से जुदा होने का डर हमेशा सताता रहता है और उसकी आदत उसके पार्टनर को और भी ज्यादा उस पर हावी होने का मौका देती है.

असुरक्षा की भावना आना

असुरक्षा की भावना आना हर किसी के मन का शंका का विषय रहता है. अपने आपको किसी अन्य से तुलना करने पर कमतर समझना यही आत्मविश्वास को कमजोर करती है और आप अपने व्यक्तित्व के मूल्य को समझने में विफल रहते हैं. आप अपने पार्टनर को लेकर भी असुरक्षित फील करते हैं. कहीं आपका पार्टनर आपके अलावा किसी और से संबंध न बना ले, ऐसी भावना आना हर महिला या पुरुष का स्वाभाविक स्वभाव होता है.

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ऐसे में आप अपने आपको अकदम फ्री कर दें और प्रकृति की गोद में अपना समय दें जिससे आप असुरक्षित न महसूस कर सकें. नेचर से आपको मन को शांति और शुकून दोनों ही मिलेगा. साथ ही आप अपने रिश्ते को कुछ पल के लिए ही सही खुलापन दीजिए जिससे आप एक-दूसरे को समझ सकें और एक मजबूत रिश्ता बना सकें.

बेटियों को ही नहीं, बेटों को भी संभालें

मेरी सहेली ने एक बार मुझे एक वाकया सुनाया. जब वह अपनी 8 वर्षीया बेटी रिचा को अकेले में ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में बता रही थी, तब बेटी ने उस से कहा था, ‘मम्मी, ये बातें आप भैया को भी बता दो ताकि वह भी किसी के साथ बैड टचिंग न करे.’

सहेली आगे बताती है, ‘‘बेटी की कही इस बात को तब मैं महज बालसुलभ बात समझ कर भूल गई. मगर जब मैं ने टीवी पर देखा कि प्रद्युम्न की हत्या में 12वीं के बच्चे का नाम सामने आया है तो मैं सहम उठी. इस से पहले निर्भया कांड में एक नाबालिग की हरकत दिल दहला देने वाली थी. अब मुझे लगता है कि 8 वर्षीया रिचा ने बालसुलभ जो कुछ भी कहा, आज के बदलते दौर में बिलकुल सही है. आज हमें न सिर्फ लड़कियों के प्रति, बल्कि लड़कों की परवरिश के प्रति भी सजग रहना होगा. 12वीं के उस बच्चे को प्रद्युम्न से कोई दुश्मनी नहीं थी. महज पीटीएम से बचने के लिए उस ने उक्त घटना को अंजाम दिया.’’

आखिर उस वक्त उस की मानसिक स्थिति क्या रही होगी? वह किस प्रकार के मानसिक तनाव से गुजर रहा था जहां उसे अच्छेबुरे का भान न रहा. हमारे समाज में ऐसी कौनकौन सी बातें हैं जिन्होंने बच्चों की मासूमियत को छीन लिया है. आज बेहद जरूरी है कि बच्चों की ऊर्जा व क्षमता को सही दिशा दें ताकि उन की ऊर्जा व क्षमता अच्छी आदतों के रूप में उभर कर सामने आ सकें.

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आज मीडिया का दायरा इतना बढ़ गया है कि हर वर्ग के लोग इस दायरे में सिमट कर रह गए हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि हम अपने बच्चों को मीडिया की अच्छाई व बुराई दोनों के बारे में बताएं. एक जमाना था जब टैलीविजन पर समाचार पढ़ते हुए न्यूजरीडर का चेहरा भावहीन हुआ करता था. उस की आवाज में भी सिर्फ सूचना देने का भाव होता था. मगर आज समय बदल गया है. आज हर खबर को मीडिया सनसनी और ब्रेकिंग न्यूज बना कर परोस रहा है. खबर सुनाने वाले की डरावनी आवाज और चेहरे की दहशत हमारे रोंगटे खड़े कर देती है.

घटनाओं की सनसनीभरी कवरेज युवाओं पर हिंसात्मक असर डालती है. कुछ के मन में डर पैदा होता है तो कुछ लड़के ऐसे कामों को अंजाम देने में अपनी शान समझने लगते हैं. अफसोस तो इस बात का भी होता है कि मीडिया घटनाओं का विवरण तो विस्तारपूर्वक देती है परंतु उन से निबटने का तरीका नहीं बताती.

कुछ मातापिता हैलिकौप्टर पेरैंट बन कर अपने बच्चों पर हमेशा कड़ी निगाह रखे रहते हैं. हर वक्त हर काम में उन से जवाबतलब करते रहते हैं. इसे आप भले ही अपना कर्तव्य समझते हों परंतु बच्चा इसे बंदिश समझता है. कई शोधों में यह सामने आया है कि बच्चे सब से ज्यादा बातें अपने मातापिता से ही छिपाते हैं, जबकि हमउम्र भाईबहनों या दोस्तों से वे सबकुछ शेयर करते हैं.

आज के बच्चे वर्चुअल वर्ल्ड यानी आभासी दुनिया में जी रहे हैं. वे वास्तविक रिश्तों से ज्यादा अपनी फ्रैंड्सलिस्ट, फौलोअर्स, पोस्ट, लाइक, कमैंट आदि को महत्त्व दे रहे हैं. वे किसी भी परेशानी का हल मातापिता से पूछने के बजाय अपनी आभासी दुनिया के मित्रों से पूछ रहे हैं. वे अंतर्मुखी होते जा रहे हैं, साथ ही, उन का आत्मविश्वास भी वर्चुअल इमेज से ही प्रभावित हो रहा है. बच्चों को यदि सोशल मीडिया तथा साइबर क्राइम से संबंधित सारी जानकारी होगी और अपने मातापिता पर पूर्ण विश्वास होगा, तो शायद वे ऐसी हरकत कभी नहीं करेंगे.

एकल परिवारों में बच्चे सब से ज्यादा अपने मातापिता के ही संपर्क में रहते हैं. ऐसे में वे अपने अभिभावक की नकल करने की कोशिश भी करते हैं. बच्चों में देख कर सीखने का गुण होता है. ऐसे में अभिभावक उन्हें अपनी बातों द्वारा कुछ भी समझाने के बजाय अपने आचरण से समझाएं तो यह उन पर ज्यादा असर डालेगा. उदाहरणस्वरूप, नीता अंबानी अपने छोटे बेटे अनंत को मोटापे से छुटकारा दिलाने के लिए उस के साथसाथ खुद भी व्यायाम तथा डाइटिंग करने लगी थीं.

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प्रौढ़ होते मातापिता अपने किशोर बेटों से बात करते समय उन से बिलकुल भी संकोच न करें. मित्रवत उन से लड़कियों के प्रति उन की भावनाओं को पूछें. रेप के बारे में वे क्या सोचते हैं, यह भी जानने की कोशिश करें. यदि कोई लड़की उन्हें ‘भाव’ नहीं दे रही है तो वे इस बात को कैसे स्वीकार करते हैं, यह जानने की अवश्य चेष्टा करें.

आमतौर पर यदि खूबसूरत लड़की किसी लड़के को भाव नहीं देती तो लड़का इसे अपनी बेइज्जती समझता है और इस बारे में जब वह अपने दोस्तों से बात करता है तो वे सब मिल कर उसे रेप या एसिड अटैक द्वारा उक्त लड़की को मजा चखाने की साजिश रचते हैं. एसिड अटैक के मामलों में 90 प्रतिशत यही कारण होता है. इसलिए, ‘लड़कियां लड़कों के लिए चैलेंज हैं’ ऐसी बातें उन के दिमाग में कतई न डालें.

निर्भया कांड में शामिल नाबालिग युवक या प्रद्युम्न हत्याकांड में शामिल 12वीं के छात्र का उदाहरण दे कर बच्चों को समझाने का प्रयास करें कि रेप और हत्या करने वाले को समाज कभी भी अच्छी नजर से नहीं देखता. कानून के शिकंजे में फंसना मतलब पूरा कैरियर समाप्त. सारी उम्र मानसिक प्रताड़ना व सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ता है.

मातापिता अपने बच्चों को अच्छा व्यक्तित्व अपनाने के लिए कई बार समाज या परिवार की इज्जत की दुहाई देते हुए उन पर एक दबाव सा बना देते हैं, जो बच्चों के मन में बगावत पैदा कर देता है. मनोवैज्ञानिक फ्रायड के अनुसार, ‘‘जब हम किसी को भी डराधमका कर या भावनात्मक दबाव डाल कर अपनी बात मनवाना चाहते हैं तो यह एक प्रकार की हिंसा है.’’

बच्चे में किसी भी तरह की मानसिक कमियां हैं तो अभिभावक उसे छिपाएं नहीं, बल्कि स्वीकार करें और उसी के अनुसार उस की परवरिश करते हुए उस के व्यक्तित्व को संवारें. दिल्ली के निकट गुरुग्राम के रायन इंटरनैशनल स्कूल के प्रद्युम्न की हत्या करने वाला 12वीं का छात्र अपराधी नहीं था, बल्कि एक साइकोपैथ था. यह एक ऐसा बच्चा है जिसे सही मौनिटरिंग व सुपरविजन की जरूरत है यानी उसे परिवार के प्यार व मातापिता के क्वालिटी टाइम की जरूरत है. समय रहते यदि उस की मानसिक समस्याओं का निवारण किया गया होता तो शायद प्रद्युम्न की जान बच सकती थी. जिस तरह शरीर की बीमारियों का इलाज जरूरी है उसी तरह मानसिक बीमारियों की भी उचित इलाज व देखभाल की आवश्यकता होती है. इसे ले कर न ही मातापिता कोई हीनभावना पालें और न ही बच्चों को इस से ग्रसित होने दें.

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तो समझिये वही आप का सोलमेट है

सोलमेट आप का रोमांटिक पार्टनर, दोस्त, रिश्तेदार या टीचर कोई भी हो सकता है जिस के साथ आप गहरा और मजबूत कनेक्शन महसूस करते हैं. वह आप को चुनौतियां देता है, प्रेरणा देता है, सहारा देता है और हर समय आप के जेहन में  होता है. आप को महसूस कराता है कि वास्तव में आप को जीवन में क्या चाहिए. आप उस से शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक रूप  से कनेक्टेड होते हैं.

कैसे पहचानें कि वही है आप का सोलमेट

1. उस के संपर्क में आते ही मन को गहरा सुकून मिले

कोई शख्स जिस के साथ आप कंफर्टेबल, ओरिजिनल, पीसफुल और सिक्योर महसूस करते हैं. आप खुश रहते हैं. उस के आते ही आप के मन की बैचेनी दूर हो जाती है और हर तरह के काम में आप का मन लगने लगता है तो समझिये वही है आप का सोलमेट.

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2. ऐसा लगे कि लंबे समय से आप एकदूसरे को जानते समझते हो

पहली दफा जब आप उस से मिलते हैं तो वह अजनबी नहीं लगता. उस से बातें करने में आप नर्वस नहीं होते. लगता है जैसे आप इस शख्स से हर तरह की बात शेयर  कर सकते हैं.  कोई राज रखने की जरुरत नहीं लगती. आप उस पर पूरा विश्वास कर पाते हैं. ऐसी फीलिंगस  तभी आती है जब आप सोलमेट से मिलते हैं.

3. ह्रदय से आवाज आती है कि यही है वहजिस की आज तक तलाश थी

भले ही आप की उम्र कितनी भी हो या कितनों  के प्रति आकर्षण महसूस कर चुके हो , आप शादीशुदा ही क्यों न हो , जिंदगी का एक मोड़ ऐसा जरूर आता है जब आप को किसी से मिल कर महसूस होता है कि बस यही है वह जिस की तलाश आप के हृदय को थी. उस के साथ आप जीवन में ठहराव और स्थिरता महसूस करते हैं और आप को मन की गहराइयों से महसूस होता है कि आप कभी उस से अलग ही नहीं थे.

4. उस से मिलने के बाद आप हर मुश्किल का सामना करने में खुद को समर्थ पाते हैं

कोई शख्स जिस के करीब होने से ही आप अपने अंदर उर्जा, सकारात्मकता और साहस महसूस करें, हर चुनौती का सामना करने और मुश्किलों को हराने के लिए खड़े हो जाएं और ऐसा लगे जैसे वह शख्स अंधेरों के बीच रोशनी  के रूप में आप के साथ है ,वही आप का सोलमेट है.

5. सुरक्षित महसूस करें

जब आप को लगे कि किसी शख्स के प्रति आप खुद खिंचे चले जा रहे हैं मानो कोई चुम्बकीय शक्ति आप दोनों के बीच है. आप उस के पास होते हैं तो हर तरह से सुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

6. जरूरी नहीं कि वह खूबसूरत ही हो

सच्चे प्यार का अर्थ केवल फिजिकली अट्रैक्ट होना नहीं वरन मेंटली और इमोशनली जुड़ना है. यदि आप उस की आंखों में खुद को और अपनी आंखों में उसे देख सकते हैं तो समझिए वह आप का प्यार है ,सोलमेट है.  आप दोनों एकदूसरे से अलग नहीं वरन एक महसूस करते हैं.  जहां तू और मैं  है वहां अटैचमेंट या रिलेशनशिप हो सकता है पर यह गहरा नहीं होता और जल्द टूट भी सकता है. पर सोलमेट के साथ आप का रिश्ता कभी नहीं टूटता.

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7. कुछ पाने की चाह नहीं

जब किसी से मिल कर आप को और कुछ पाने की चाह न बचे. आप को उस से कुछ चाहिए नहीं फिर भी वह आप के जीवन में सब से महत्वपूर्ण होता है और ऐसा किसी कैमिकल लोचे की वजह से नहीं बल्कि ह्रदय से उठी आवाज की वजह से हो. आप चुपचापघंटों उस के साथ समय बिता सकते हैं, उसे देखते रह सकते हैं, करीब रह सकते हैं और दूर रह कर भी उसे महसूस कर सकते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

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