Holi 2023: होली पार्टी के लिए 10 टिप्स

होली वाले दिन सुबह से ही बच्चे धमाचौकड़ी मचाना प्रारम्भ कर देते हैं तो बड़े भी उत्साह से लबरेज नजर आते हैं, त्योहारों पर परिवार और दोस्तों के साथ  पार्टी त्यौहार को और अधिक रंगीन बना देती हैं. कोई भी विशेष अवसर हो सबसे ज्यादा मुसीबत हम महिलाओं की होती है क्योंकि उनका तो अधिकांश समय किचिन में ही बीतता है जिससे वे पार्टी का आनन्द ही नहीं ले पातीं हैं परन्तु यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो आप भी होली की पार्टी का भरपूर आनन्द उठा सकतीं हैं.

1-परिवार के सभी सदस्यों के होली पर पहनने वाले कपड़े पहले से ही धो प्रेस करके रख दें ताकि होली वाले के दिन आपको परेशान न होना पड़े.

2-रंग, गुलाल, अबीर, पिचकारी आदि को एक ही स्थान पर रखकर परिवार के सभी सदस्यों को बता दें ताकि आप उनके प्रश्नों से बची रहकर अन्य कामों पर ध्यान दे सकें.

3-पानी की व्यवस्था घर से बाहर करने के साथ साथ बच्चों को बार बार घर में न आने की सख्त हिदायत दें ताकि घर गंदा होने से बचा रहे.

4-घर के सोफों, दीवान आदि के कवर आदि हटा दें या पुराने कवर लगा दें ताकि ये रंगों से बचे रहें, हो सके तो मेहमानों के बैठने के लिए प्लास्टिक की कुर्सियों का प्रयोग करें.

5-घर में आने वाले मेहमानों के लिए नाश्ता एक ट्रे में लगाकर पेपर से ढक दें यदि सम्भव हो तो सर्व करने के लिए डिस्पोजल प्लेट्स और कटोरियों का प्रयोग करें.

6-ठंडाई, शरबत, लस्सी, छाछ या मॉकटेल जो भी ड्रिंक आप मेहमानों को सर्व करना चाहतीं हैं उन्हें पहले से ही बनाकर मेहमानों की संख्या के अनुसार डिस्पोजल ग्लासों में डालकर सिल्वर फॉयल या क्लिंग फिल्म से कवर करके फ्रिज में रख दें.

7-ताजे नाश्ते की जगह गुझिया, मठरी, शकरपारे, सेव, सूखी बेसन कचौरी, समोसे, दही बड़ा  जैसे सूखे नाश्ते को प्राथमिकता दें ताकि मेहमानों के आने पर आपको परेशान न होना पड़े.

8-डेजर्ट में आप फ्लेवर्ड कुल्फी, आइसक्रीम, रबड़ी आदि को प्राथमिकता दें, साथ ही इन्हें सर्विंग बाउल में डालकर सिल्वर फॉयल से ढककर रखें ताकि पार्टी के बीच में आपको परेशान न होना पड़ें.

9-यदि आप मेहमानों पर अपना प्रभाव जमाना चाहतीं हैं तो चुकन्दर, पालक, हरे धनिया, आदि का प्रयोग करके आलू स्टफ्ड इडली, पनीर स्टफ्ड अप्पे या टमाटरी सेव आदि बनाएं इन्हें आप पहले से बनाकर भी रख सकतीं हैं.

10-कचौरी, समोसे, आलू बोंडा, पेटीज आदि को आप तेज आंच पर आप तलकर रख दें और मेहमानों के आने पर अच्छी तरह गर्म तेल में एक बार डालकर बटर पेपर पर निकाल दें इससे आपको किचिन में बहुत देर तक नहीं रहना पड़ेगा और मेहमानों को गर्म नाश्ता भी मिल सकेगा.

Holi Special: वह राज बता न सकी

लीलाबाई ने जिस लड़की को उस के पास भेजा था, उस की खूबसूरती देख कर ग्राहक गोविंदराम दंग रह गया था और बोला, ‘‘तुम चांद से भी ज्यादा खूबसूरत हो?

‘‘ठीक है, ठीक है. तारीफ करने का समय नहीं है. मैं एक धंधे वाली हूं और धंधे वाली ही रहूंगी. आप कितनी भी तारीफ कर लो.’’

‘‘लगता है, तुम कोठे पर अपनी मरजी से नहीं आई हो?’’ गोविंदराम ने सवाल पूछा.

‘‘देखिए मिस्टर, फालतू सवाल  मत पूछो.’’

‘‘ठीक है नहीं पूछूंगा, मगर मैं नाम तो जान सकता हूं तुम्हारा?’’

‘‘आप को नाम से क्या है? लीलाबाई ने जिस काम से भेजा है, वह करो और भागो.’’

‘‘फिर भी मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूं.’’

‘‘मेरा नाम जमना है.’’

‘‘क्या तुम अब भी शादी करने की इच्छा रखती हो?’’

‘‘अब कौन करेगा मुझ से शादी?’’

‘‘अगर कोई तुम से शादी करने को तैयार हो तो शादी कर लोगी?’’

‘‘मैं इन मर्दों को अच्छी तरह से जानती हूं. ये सब केवल औरत के जिस्म से खेल कर इस गंदगी में धकेलना जानते हैं.’’

‘‘तुम्हें मर्दों से इतनी नफरत क्यों?’’

‘‘मगर आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं? आप अभी धंधे वाली के पास हैं. आप अपना काम कीजिए और यहां से जाइए.’’

‘‘मैं ने अभी तुम से कहा था कि अगर कोई शादी करने को तैयार हो जाए, क्या तब तुम तैयार हो जाओगी?’’

‘‘ऐसा कौन बदनसीब होगा, जो मुझ से शादी करने को तैयार होगा?’’

‘‘क्या तुम मुझ से शादी करने के लिए तैयार हो?’’ कह कर गोविंदराम ने अपना फैसला सुना दिया.

यह सुन कर जमना हैरान रह गई और बोली, ‘‘आप करेंगे?’’

‘‘हां, तुम्हें यकीन नहीं है?’’

‘‘मैं कैसे यकीन कर सकती हूं… दरअसल, मुझे मर्द जात पर ही भरोसा नहीं रहा.’’

‘‘लगता है, तुम ने किसी मर्द से चोट खाई है, इसलिए हर मर्द से अब नफरत करने लगी हो.’’

‘‘बस, ऐसा ही समझ लो.’’

‘‘अपनी कहानी बताओ कि वह कौन था, जिस ने आप के साथ धोखा किया?’’

‘‘क्या करेंगे जान कर? सुन कर क्या आप मेरे घाव भर देंगे?’’ जमना ने जब यह सवाल उछाला, तब गोविंदराम सोच में पड़ गया. थोड़ी देर बाद इतना ही कहा, ‘‘अगर तुम बताना नहीं चाहती?हो तो मत बताओ, मगर इतना तो बता सकती हो कि यहां तुम अपनी मरजी से आई हो या कोई जबरन लाया है?’’

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‘‘प्यार में धोखा खाया है मैं ने,’’ कह कर जमना ने अपनी नजरें नीचे झुका लीं. मतलब, जमना के भीतर गहरी चोट लगी हुई थी.

‘‘साफ है कि जिस लड़के में तुम ने प्यार का विश्वास जताया, वही तुम्हें यहां छोड़ गया?’’

‘‘छोड़ नहीं गया, लीलाबाई को बेच गया,’’ बड़ी तल्खी से जमना बोली.

‘‘प्यार करने के पहले तुम ने उसे परखा क्यों नहीं?’’

‘‘एक लड़की क्याक्या करती? मैं अपनी सौतेली मां के तानेउलाहनों से तंग आ चुकी थी. ऐसे में महल्ले का ही कालूराम ने मुझ पर प्यार जताया. वह कभी मोबाइल फोन, तो कभी दूसरी चीजें ला कर देता रहा. मेरे ऊपर खर्च करने लगा, तो मैं भी उस के प्रेमजाल में उलझती गई.

‘‘जब सौतेली मां को हमारे प्यार का पता लगा, तब वे चिल्ला कर मारते हुए बोलीं, ‘नासपीटी, चोरीछिपे क्या गुल खिला रही है. तेरी जवानी में इतनी आग लगी है तो उस कालूराम के साथ भाग क्यों नहीं जाती है. खानदान का नाम रोशन करेगी.

‘‘‘खबरदार, जो अब उस के साथ गई तो… टांगें तोड़ दूंगी तेरी. तेरी मां ऐसी बिगड़ैल औलाद पैदा कर गई. अगर तुझ से जवानी नहीं संभल रही है, तो किसी कोठे पर बैठ जा. वहां पैसे भी मिलेंगे और तेरी जवानी की आग भी मिट जाएगी.’

‘‘इस तरह आएदिन सौतेली मां सताने लगीं. पर मैं कालूराम से बातें कहती रही. वह कहता रहा,  ‘घबराओ मत जमना,  मैं तुम से जल्दी शादी  कर लूंगा.’

‘‘मैं ने उस से पूछा, ‘मगर, कब करोगे? मेरी सौतेली मां को हमारे प्यार का पता चल गया है. उन्होंने मुझे खूब पीटा है.’

‘‘यह सुन कर वह बोला, ‘ऐसी बात है, तब तो एक ही काम रह गया है.’

‘‘मैं ने हैरान हो कर पूछा, ‘क्या काम रह गया है?’

‘‘उस ने धीरे से कहा, ‘तुम्हें हिम्मत दिखानी होगी. क्या तुम घर से भाग सकती हो?’

‘‘यह सुन कर मैं ने कहा, ‘मैं तुम्हारे प्यार की खातिर सबकुछ कर सकती हूं.’

‘‘मेरी यह बात सुन कर कालूराम बहुत खुश हुआ और बोला, ‘चलो, आज रात को भाग चलते हैं. जबलपुर में मेरी लीला मौसी हैं. वहां हम दोनों मंदिर में शादी कर लेंगे. तुम घर से भागने के लिए तैयार हो न?’

‘‘मैं ने बिना कुछ सोचेसमझे कह दिया, ‘हां, मैं तैयार हूं.’

‘‘कालूराम जबलपुर में मुझे लीला मौसी के यहां ले गया. फिर वह यह कह कर वहां से चला गया कि मंदिर में पंडितजी से शादी की बात कर के आता हूं. पर वह मुझे छोड़ कर जो गया, फिर आज तक नहीं आया. बाद में पता चला कि वह औरत उस की लीला मौसी  नहीं थी, बल्कि उसे तो वह मुझे बेच गया था.’’

‘‘सचमुच तुम ने प्यार में धोखा खाया है,’’ अफसोस जाहिर करते हुए गोविंदराम बोला, ‘‘फिर कभी तुम्हारी सौतेली मां ने तुम्हें ढूंढ़ने की कोशिश नहीं की?’’

‘‘की होगी, मगर मुझे नहीं मालूम. उस के लिए तो अच्छा ही था कि एक बला टली. अगर मैं जाती भी तब मुझे  नहीं अपनाती.’’

‘‘अब तुम ने क्या सोचा है?’’ गोविंदरम ने कुरेदा.

‘‘सोचना क्या है, अब लीलाबाई ने कोठे को ही सबकुछ मान लिया है,’’ जमना ने साफ कह दिया.

‘‘मतलब, तुम मुझ से शादी नहीं करना चाहती हो?’’

‘‘हम एकदूसरे को नहीं जानते हैं. फिर मैं औरत जात ठहरी, आप जैसे पराए मर्द पर कैसे यकीन कर लूं. कहीं दूसरे कालूराम निकल जाओ…’’

‘‘तुम्हारे भीतर मर्दों के लिए नफरत बैठ गई है. मगर मैं वैसा नहीं हूं जैसा तुम समझ रही हो.’’

‘‘एक ही मुलाकात से मैं कैसे  मान लूं?’’

‘‘ठीक है. मैं कल फिर आऊंगा, तब तक अच्छी तरह सोच लेना,’’ कह कर गोविंदराम उठ कर चला गया.

जमना को यह पहला ऐसा मर्द मिला था, जो उस के शरीर से खेल कर नहीं गया था. 3-4 दिन तक गोविंदराम लगातार आता रहा, मगर कभी जमना के शरीर से नहीं खेला.

तब जमना बोली, ‘‘आप रोज आते हैं, पर मेरे शरीर से खेलते नहीं… क्यों?’’

‘‘जब तुम से मेरी शादी हो जाएगी, तब रोज तुम्हारे शरीर से खेलूंगा.’’

‘‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने मत देखो. जब तक लीलाबाई के लिए मैं खरा सिक्का हूं, वह मुझे नहीं छोड़ेगी.’’

‘‘यह बात है, तो मैं लीलाबाई से बात करता हूं.’’

‘‘कर के देख लो, वह कभी राजी  नहीं होगी.’’

‘‘मैं लीलाबाई को राजी कर लूंगा.’’

‘‘मगर, मैं नहीं जाऊंगी.’’

‘‘देखो जमना, तुम्हारी जिंदगी का सवाल है. क्या जिंदगीभर इसी दलदल में रहोगी? अभी तुम्हारी जवानी बरकरार है, इसलिए हर कोई मर्द तुम से खेल कर चला जाएगा. तुम्हें तम्हारे शरीर की कीमत भी दे जाएगा, मगर जब उम्र ढल जाएगी, तब तुम्हारे पास कोई नहीं आएगा.

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‘‘तुम चाहती हो कि इतना पैसा कमा लूंगी… फिर बैठेबैठे वह पैसा भी खत्म हो जाएगा…’’ समझाते हुए गोविंदराम बोला, ‘‘इसलिए कहता हूं कि अपना फैसला बदल लो.’’

‘‘ऐ, तू रोजरोज आ कर जमना को क्यों परेशान करता है?’’ खुला दरवाजा देख कर लीलाबाई कमरे में घुसते  हुए बोली.

गोविंदराम बोला, ‘‘लीलाबाई, मैं जमना से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘शादी… अरे, शादी की तो तू सोच भी मत. अभी जमना मेरे लिए सोने का अंडा देने वाली मुरगी है. मैं इसे कैसे छोड़ दूं,’’ लीलाबाई बोली.

‘‘यही सोचो कि यह मुरगी एक दिन सोने का अंडा देना बंद कर देगी, तब क्या करोगी इस का?’’

‘‘मगर, मुझे एक बात बताओ कि तुम जमना से शादी करने के लिए ही क्यों पीछे पड़े हो? इस कोठे में दूसरी लड़कियां भी तो हैं,’’ लीलाबाई ने पूछा.

‘‘दूसरी लड़कियों की बात मैं नहीं करता लीलाबाई. जमना मुझे पसंद है. मैं इसी से शादी करना चाहता हूं. आप अपनी रजामंदी दीजिए,’’ एक बार फिर गोविंदराम ने कहा.

‘‘ऐसे कैसे इजाजत दे दूं? तुम कौन हो? तुम्हारा खानदान क्या है? अपने बारे में कुछ बताओ?’’

‘‘अगर मैं अपना खानदान बता दूंगा, तब क्या तुम जमना से मेरी शादी के लिए तैयार होगी?’’

‘‘मुमकिन है कि मैं तैयार हो भी जाऊं,’’ लीलाबाई ने कहा.

‘‘देखो लीलाबाई, मरने से पहले मेरे पापा कह गए थे कि तुम अपनी  मां नहीं धंधे वाली से पैदा औलाद  हो. तुम्हारी मां तो बांझ है.’’

लीलाबाई खामोश हो गई. थोड़ी देर बाद वह बोली, ‘‘तुम्हारे पिता ने यह नहीं बताया कि वह धंधे वाली कौन थी?’’

‘‘बताना तो चाहते थे, मगर तब तक उन की मौत हो गई,’’ गोविंदराम ने कहा.

लीलीबाई ने पूछा, ‘‘अच्छा, तुम अपने पिता का नाम तो बता सकते हो?’’

‘‘गोपालराम.’’

तब लीलाबाई कुछ नहीं बोली. वह अपने अतीत में पहुंच गई. बात उन दिनों की थी, जब लीलाबाई जवान थी.

एक दिन गोपालराम का एक अधेड़ कोठे पर आया था और बोला, ‘देखो लीलाबाई, मैं तुम्हारे पास इसलिए आया हूं कि मुझे तुम्हारे पेट से बच्चा चाहिए.

‘मैं एक धंधे वाली हूं. मैं बच्चा नहीं चाहती हूं,’ लीलाबाई ने इनकार करते हुए कहा कि अगर बच्चा ही चाहिए तो किसी और से शादी क्यों नहीं कर लेते.

‘मेरी शादी के 10 साल गुजर गए हैं, मगर पत्नी मां नहीं बन पाई है.’

‘तब दूसरी शादी क्यों नहीं कर  लेते हो?’ ‘कर सकता हूं, मगर मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं. उस की खातिर दूसरी शादी नहीं कर सकता…’ गोपालराम ने कहा, ‘मैं इसी उम्मीद से तुम्हारे पास आया हूं.’

तब लीलाबाई सोच में पड़ गई कि क्या जवाब दे? बच्चा देना मतलब  9 महीने तक धंधा चौपट होना.

उसे चुप देख कर गोपालराम ने पूछा, ‘क्या सोच रही हो लीलाबाई?’

‘देखो, मैं तो आप का नाम भी नहीं जानती हूं.’

‘मुझे गोपालराम कहते हैं. इस शहर से 30 किलोमीटर दूर रहता हूं. कपड़े की दुकान के साथ पैट्रोल पंप भी है. मेरे पास खूब पैसा है और अब मुझे अपना वारिस चाहिए.’

‘देखो, मेरे पेट में अगर आप का बच्चा आ गया, तो 9 महीने तक मेरा धंधा चौपट हो जाएगा. मैं अपना धंधा चौपट नहीं कर सकूंगी. आप कोई अनाथ बच्चा गोद ले लीजिए.’

‘अगर मुझे गोद ही लेना होता, तब मैं तुम्हारे पास क्यों आता?’ कह कर गोपालराम ने आगे कहा, ‘जब तुम्हारे पेट में बच्चा ठहर जाएगा, तब सालभर तक सारा खर्चा मैं उठाऊंगा.’

जब लीलाबाई ने यकीन कर लिया, तब गोपालराम अपनी गाड़ी ले कर रोज उस के कोठे पर आने लगा. महीनेभर के भीतर उस के बच्चा ठहर गया. वह सालभर तक रखैल बन कर रही. उस की सारी सुखसुविधाओं का ध्यान रखा जाने लगा.

9 महीने बाद लीलाबाई के लड़का हुआ, तब सारी बस्ती में मिठाई बांटी गई. 6 महीने के भीतर जब तक मां का दूध बच्चा पीता रहा, तब तक गोपालराम उसे अपने साथ नहीं ले गया.

बच्चा गोपालराम को सौंपने के बाद लीलाबाई अपने पुराने ढर्रे पर आ गई. जब शरीर ढलने लगा, ग्राहक कम आने लगे, तब वह कोठा चलाने वाली बन गई.

‘‘ओ लीलाबाई, कहां खो गई?’’ कह कर गोविंदराम ने उसे झकझोरा, तब वह अतीत से वर्तमान में लौटी.

गोविंदराम को अपने सामने देख कर लीलाबाई ने मन ही मन सोचा, अब बता दूं कि मैं इस की मां हूं? मगर यह राज राज ही रहेगा. मैं तो इसे जन्म दे कर अपनी गोद में खिलाना चाहती थी. रातरात भर तड़पती थी, ग्राहकों को भी संतुष्ट करती थी…

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‘‘अरे, आप फिर कहां खो गईं?’’ गोविंदराम ने एक बार फिर टोका.

‘‘तुम्हारी मां तो हैं न?’’

‘‘हां, मां हैं, मगर आप को यकीन दिलाता हूं कि जमना को मैं खुश रखूंगा. किसी तरह की तकलीफ नहीं होने दूंगा.’’

‘‘हां बेटे, जमना को ले जा. इस से शादी कर ले.’’

‘‘अरे, आप ने मुझे बेटा कहा,’’ गोविंदराम ने जब यह पूछा, तब लीलाबाई बोली, ‘‘अरे, उम्र में तुम से बड़ी हूं, इसलिए तू मेरा बेटा हुआ कि नहीं…

‘‘देख जमना, मैं तुझे आजाद करती हूं. तू इस के साथ शादी रचा ले. मेरी अनुभवी आंखें कहती हैं कि यह तुझे धोखा नहीं देगा.’’

‘‘मगर, मैं एक धंधे वाली हूं. यह दाग कैसे मिटेगा?’’ जमना ने पूछा, ‘‘क्या इन की मां एक धंधे वाली को अपनी बहू बना लेगी?’’

‘‘देखो जमना, मैं ने अपनी मां से इजाजत ले ली है, बल्कि मां ने ही मुझे यहां भेजा है,’’ कह कर गोविंदराम ने एक और राज खोल दिया.

‘‘जा जमना जा, कुछ भी मत सोच. इस गंदगी से निकल जा तू. वहां महारानी बन कर रहेगी,’’ दबाव डालते हुए लीलाबाई बोली.

‘‘ठीक है. आप कहती हैं तो मैं चली जाती हूं,’’ उठ कर जमना अपनी कोठरी में गई. मुंह से पुता पाउडरलाली सब उतार कर साड़ी पहन कर एक साधारण औरत का रूप बना कर जब गोविंदराम के सामने आ कर खड़ी हुई, तो वह देखता रह गया.

बाहर कार खड़ी थी. वे दोनों तो कार में बैठ गए.

लीलाबाई सोचती रही, ‘कभी इस का बाप भी इसी तरह कार ले कर आता था…’

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Holi Special: बच्चों को बेहद पसंद आयेंगे ये ट्विस्ट वाले Traditional Recipe

होली का पर्व रंगों के साथ साथ गुझिया, अनरसा और सेव मठरी जैसे पारम्परिक व्यंजनों के लिए जाना जाता है. फ़ास्ट फ़ूड और इंस्टेंट फ़ूड के इस दौर में बच्चों को इन व्यंजनों को खिलाना बेहद मुश्किल काम होता है. आज हमने होली के इन पारम्परिक व्यंजनों को थोड़ा सा ट्विस्ट देकर बनाया है जिससे आपको एक नया स्वाद तो मिलेगा ही साथ ही ये बच्चों को भी बहुत पसंद आयेंगें. तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं.

-चाकलेटी गुली गुझिया

कितने लोगों के लिए               8

बनने में लगने वाला समय          30 मिनट

मील टाईप                       वेज  

सामग्री

आटा                          1 कटोरी

मैदा                           1 कटोरी

घी                            250 ग्राम

बारीक कटी मेवा             (किसा नारियल, किशमिश, चिरोंजी)1 कटोरी

पिसी शकर                     1 कटोरी

इलायची पाउडर                  1/4 टीस्पून

चाकलेटी चिप्स                   1 टेबलस्पून

चाकलेटी सौस                    1 टेबलस्पून

विधि-

मैदा में 1 टी स्पून घी का मोयन डालकर कड़ा गूंधकर सूती गीले कपड़े से ढककर रख दें. आटे को पानी की सहायता से पूड़ी जैसा कड़ा गूंध लें. तैयार आटे से एक मोटा सा परांठा बनाएं और नानस्टिक तवे पर घी डालकर धीमी आंच पर सुनहरा होने तक शैलो फ्राई करें. ठंडा होने पर मिक्सी में बारीक पीसकर छलनी से छान लें. अब 1 टी स्पून गरम घी में पिसे मिश्रण को भून लें. ठंडा होने पर शकर, मेवा और चाकलेट चिप्स मिलाएं. मैदे की छोटी पूड़ी बनाकर गुझिया के सांचे में रखें 1 चम्मच भरावन की सामग्री भरकर गुझिया बनाएं. गरम घी में हल्का सुनहरा होने तक तलें. चाकलेट सौस से गार्निश करके सर्व करें.

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-चीजी अनरसा      

कितने लोगों के लिए                10

बनने में लगने वाला समय           30 मिनट

मील टाईप                        वेज

सामग्री

चावल                           1/2 किलो

पिसी शकर                       250 ग्राम

गाढा दही                         1 कटोरी

चीज क्यूब्स                       2

खसखस के दाने                    1 टेबलस्पून

तलने के लिए                      पर्याप्त मात्रा में घी

विधि

अनरसा बनाने से 12 घंटे पूर्व चावल को पानी में भिगो दें. सुबह पानी निकालकर एक सूती कपड़े पर फैला दें. लगभग 6 घंटे बाद इन्हें मिक्सी में बारीक पीस लें. अब पिसे चावल के आटे को दही और शकर मिलाकर सख्त गूंध लें. इसे 3-4 घंटे के लिए ढककर रख दें. 1 चीज क्यूब को 8 भाग में काट लें और हथेली पर छोटी सी लोई रखकर चपटी करके बीच में 1 टुकड़ा रखकर चरों तरफ से पैक कर दें और ऊपर से खसखस के दाने चिपकाएं. गरम घी में धीमी आंच पर हल्का सुनहरा होने तक तलें और गरम गरम में ही उपर से चीज किसकर सर्व करें.

-गुलाब कतरी लड्डू

कितने लोगों के लिए              10-12

बनने में लगने वाला समय         30 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

मील बेसन                          500 ग्राम

तेल                                पर्याप्त मात्रा में

मीठा सोडा                         1/4 टी स्पून

गुड़                                500 ग्राम

रंग बिरंगी गुलाब कतरी                50 ग्राम

नारियल लच्छे                       1 टेबलस्पून

विधि

बेसन में मीठा सोडा और 1 टेबलस्पून तेल डालकर नरम गूंध लें. अब गरम तेल में सेव बनाने के झारे अथवा सेव मेकर से मोटे सेव बना लें, ध्यान रखें कि सेव पतले न हों. अब  गुड़ में 1 कप पानी डालकर तीन तार की गाढी चाशनी बनाएं. सेव, नारियल लच्छे और गुलाब कतरी  को चाशनी में अच्छी तरह मिलाकर स्वादिष्ट लड्डू बना लें.

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-चाकलेटी शकरपारे

कितने लोगों के लिए                10 

बनने में लगने वाला समय           30 मिनट

मील टाइप                         वेज  

सामग्री

मैदा                                 250 ग्राम

मोयन के लिए तेल                   1 टी स्पून

तलने के लिए                         पर्याप्त मात्रा में तेल

डार्क चाकलेट                          50 ग्राम

मिल्क चाकलेट                         50 ग्राम

विधि

मैदा में मोयन डालकर गुनगुने पानी से पूड़ी जैसा गूंध लें. अब इससे एक मोटी सी पूड़ी बनाकर लंबी लंबी मठरी काट लें. इन्हें गरम तेल में धीमी आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. दोनों चाकलेट को छोटे छोटे टुकड़ों में कटकर एक कटोरे में डालें. गर्म पानी के ऊपर इस कटोरे को रखकर लगातार चलायें. जब चाकलेट पिघल जाये तो गैस बंद कर दें. तले हुए मठरी को एक एक करके चाकलेट में डुबोकर सिल्वर फॉयल पर रखें. आधे घंटे तक फ्रिज में रखकर सर्व करें.

न्याय

कहानी- नलिनी शर्मा

सांझ का धुंधलका गहराते ही मुझे भय लगने लगता है. घर के  सामने ऊंचीऊंची पहाडि़यां, जो दिन की रोशनी में मुझे बेहद भली लगती हैं, अंधेरा होते ही दानव के समान दिखती हैं. देवदार के ऊंचे वृक्षों की लंबी होती छाया मुझे डराती हुई सी लगती है. समझ में नहीं आता दिन की खूबसूरती रात में इतनी डरावनी क्यों लगती है. शायद यह डर मेरी नौकरानी रुकमा की अचानक मृत्यु होने से जुड़ा हुआ है.

रुकमा को मरे हुए अब पूरा 1 माह हो चुका है. उस को भूल पाना मेरे लिए असंभव है. वह थी ही ऐसी. अभी तक उस के स्थान पर मुझे कोई दूसरी नौकरानी नहीं मिली है. वह मात्र 15 साल की थी पर मेरी देखभाल ऐसे करती थी जैसे मां हो या कोई घर की बड़ी.

मेरी पसंदनापसंद का रुकमा को हमेशा ध्यान रहता था. मैं उस के ऊपर पूरी तरह आश्रित थी. ऐसा लगता था कि उस के बिना मैं पल भर भी नहीं जी पाऊंगी. पर समय सबकुछ सिखा देता है. अब रहती हूं उस के बिना पर उस की याद में दर्द की टीस उठती रहती है.

वह मनहूस दिन मुझे अभी भी याद है. रसोईघर का नल बहुत दिनों से टपक रहा था. उस की मरम्मत के लिए मैं ने वीरू को बुलाया और उसे रसोईघर में ले जा कर काम समझा दिया तथा रुकमा को देखरेख के लिए वहीं छोड़ कर मैं अपनी आरामकुरसी पर समाचारपत्र ले कर पसर गई.

सुबह की भीनीभीनी धूप ने मुझे गरमाहट पहुंचाई और पहाडि़यों की ओर से बहने वाली बयार ने मुझे थपकी दे कर सुला दिया था.

अचानक झटके से मेरी नींद खुल गई. ध्यान आया कि नल मरम्मत करने आया वीरू अभी तक काम पूरा कर के पैसे मांगने नहीं आया था. हाथ में बंधी घड़ी देखी तो उसे आए पूरा 1 घंटा हो चुका था. इतने लंबे समय तक चलने वाला काम तो था नहीं. फिर मैं ने रुकमा को कई बार आवाज दी पर उत्तर न पा कर कुछ विचित्र सा लगा क्योंकि वह मेरी एक आवाज सुनते ही सामने आ कर खड़ी हो जाती थी. मजबूर हो कर मैं खुद अंदर पता लगाने गई.

रसोईघर का दृश्य देख कर मैं चौंक गई. गैस बर्नर के ऊपर दूध उफन कर बह गया था जिस के कारण लौ बुझ गई थी और गैस की दुर्गंध वहां भरी हुई थी. वीरू और रुकमा अपने में खोएखोए रसोईघर में बने रैक के सहारे खडे़ हो कर एकदूसरे को देख रहे थे. सहसा मुझे प्रवेश करते देख दोनों अचकचा गए.

मैं ने क्रोधित हो कर दोनों को बाहर निकलने का आदेश दिया. नाक पर कपड़ा रख कर पहले बर्नर का बटन बंद किया. फिर मरम्मत किए हुए नल की टोंटी की जांच की और बाहर आ गई. वीरू को पैसे दे कर चलता किया और रुकमा को चायनाश्ता लाने का आदेश दे कर मैं फिर आरामकुरसी पर आ बैठी.

वातावरण में वही शांति थी. लेकिन रसोईघर में देखा दृश्य मेरे दिलोदिमाग पर अंकित हो गया था. रुकमा चाय की ट्रे सामने तिपाई पर रखने के लिए जैसे ही मेरे सामने झुकी तो मैं ने नजरें उठा कर पहली बार उसे भरपूर नजर से देखा.

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मेरे सामने एक बेहद सुंदर युवती खड़ी थी. वह छोटी सी बच्ची जिसे मैं कुछ साल पहले ले कर आई थी, जिसे मैं जानती थी, वह कहीं खो गई थी. मेरा ध्यान ही नहीं गया था कि उस में इतना बदलाव आ गया था. मेरी दी हुई गुलाबी साड़ी में उस की त्वचा एक अनोखी आभा से दमक रही थी. उस की खूबसूरती देख कर मुझे ईर्ष्या होने लगी.

मैं ने चाय का घूंट जैसे ही भरा, मुंह कड़वा हो गया. वह चीनी डालना भूल गई थी. वह चाय रखने के बाद हमेशा की तरह मेरे पास न बैठ कर अंदर जा ही रही थी कि मैं ने रोक लिया और कहा,  ‘‘रुकमा, यह क्या? चाय बिलकुल फीकी है और मेरा नाश्ता?’’

बिना कुछ कहे वह अंदर गई और चीनी का बरतन ला कर मेरे हाथ में थमा दिया.

मैं ने फिर टोका, ‘‘रुकमा, नाश्ता भी लाओ. कितनी देर हो गई है. भूल गई कि मैं खाली पेट चाय नहीं पीती.’’

वह फिर से अंदर गई और बिस्कुट का डब्बा उठा लाई और मुझे पकड़ा दिया. मैं ने चिढ़ कर कहा, ‘‘रुकमा, मुझे बिस्कुट नहीं चाहिए. सवेरे नाश्ते में तुम ने कुछ तो बनाया होगा? जा कर लाओ.’’

वह अंदर चली गई. बहुत देर तक जब वह वापस नहीं लौटी तो मैं चाय वहीं छोड़ कर उसे देखने अंदर गई कि आखिर वह बना क्या रही है.

वह रसोईघर में जमीन पर बैठी धीरेधीरे सब्जी काट रही थी. उस का ध्यान कहीं और था. मेरे आने की आहट भी उसे सुनाई नहीं दी. कुछ ही घंटों में उस में इतना अंतर आ गया था. पल भर के लिए चुप न रहने वाली रुकमा ने अचानक चुप्पी साध ली थी.

रोज मैं उसे अधिक बोलने के लिए लताड़ लगाती थी पर आज मुझे उस का चुप रहना बुरी तरह अखर रहा था.

सिर से पानी गुजरा जा रहा था. मैं ने उस से दोटूक बात की, ‘‘रुकमा, जब से वह सड़कछाप छोकरा वीरू नल ठीक करने आया, तुम एकदम लापरवाह हो गई हो. क्या कारण है?’’

मेरे बारबार पूछने पर भी उस का मुंह नहीं खुला. मानो सांप सूंघ गया हो. उस के इस तरह खामोश होने से दुखी हो कर मैं ने उस वीरू के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि वह विवाहिता है तथा 2 छोटे बच्चे भी हैं. यह भी पता चला कि वह और रुकमा अकसर सब्जी की दुकान में मिला करते हैं.

मुझे रुकमा का विवाहित वीरू से इस तरह मिलने की बात सुन कर बहुत बुरा लगा. यह मेरी प्रतिष्ठा का प्रश्न था. उस की बदनामी के छींटे मेरे ऊपर भी गिर सकते थे. मैं रुकमा को बुला कर डांटने का विचार कर ही रही थी कि गेट के बाहर जोरजोर से बोलने की आवाज सुनाई दी. देखा, एक बूढ़ा व्यक्ति मैलेकुचैले कपड़ों में अंदर आने की कोशिश कर रहा है और चौकीदार उसे रोक रहा है. मैं ने ऊंचे स्वर में चौकीदार को आदेश दिया कि वह उसे अंदर आने दे.

आते ही वह बुजुर्ग मेरे पैरों पर गिर कर रोने लगा. बोला, ‘‘मां, मेरी बेटी का घर बचाओ. मेरा दामाद आप की नौकरानी रुकमा से शादी करने के लिए मेरी बेटी को छोड़ रहा है.’’

मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हारा दामाद कौन, वीरू?’’

प्रत्युत्तर में वह जमीन पर सिर पटक कर रोने लगा. मैं भौचक्की सी सोचने लगी ‘तो मामला यहां तक बिगड़ चुका है.’

मैं ने उसे सांत्वना देते हुए वचन दिया कि मैं किसी भी हालत में उस की बेटी का घर नहीं उजड़ने दूंगी.

आश्वस्त हो कर जब वह चला गया तो रुकमा को बुला कर मैं ने बुरी तरह डांटा और धमकाया, ‘‘बेशर्म कहीं की, तुझे शादी की इतनी जल्दी पड़ी है तो अपने बापभाई से क्यों नहीं कहती? विवाहित पुरुष के पीछे पड़ कर उस की पत्नी का घर बरबाद क्यों कर रही है? मैं आज ही तेरे भाई को बुलवाती हूं.’’

वह अपने बाप से ज्यादा हट्टेकट्टे भाई से डरती थी जो जरा सी बात पर झगड़ा करने और किसी को भी जान से मार देने की धमकी के लिए मशहूर था. रुकमा बुरी तरह से डर गई. बहुत दिनों बाद उस की चुप्पी टूटी. बोली, ‘‘अब मैं उस की ओर देखूं भी तो आप सच में मेरे भाई को खबर कर देना.’’

कान पकड़ कर वह मेरे पैरों में झुक गई. इस घटना के बाद सबकुछ सामान्य सा हो गया प्रतीत होता था. मैं अपने काम में व्यस्त हो गई.

मुश्किल से 15 दिन ही बीते थे कि एक दिन दोपहर में जब मैं बाहर से घर लौटी तो दरवाजे पर ताला लगा देख कर चौंक गई. रुकमा कहां गई? यह सवाल मेरे दिमाग में रहरह कर उठ रहा था. खैर, पर्स से घर की डुप्लीकेट चाबी निकाल कर दरवाजा खोला और अंदर गई तो घर सांयसांय कर रहा था. दिल फिर से आशंका से भर गया और रुकमा की अनुपस्थिति के लिए वीरू को दोषी मान रहा था.

शाम हो गई थी पर रुकमा अभी तक लौटी नहीं थी. चौकीदार सब्जी वाले के  यहां पता लगाने गया तो पता चला कि आज दोनों को किसी ने भी नहीं देखा. वीरू के घर से पता चला कि वह भी सवेरे से निकला हुआ था. आशंका से मेरा मन कांपने लगा.

2 दिन गुजर गए थे. वीरू व रुकमा का कहीं पता नहीं था. मैं ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी थी. किसी ने रुकमा के बाप व भाई को भी सूचित कर दिया था. सब हैरान थे कि वे दोनों अचानक कहां गुम हो गए. पुलिस जंगल व पहाडि़यों का चप्पाचप्पा छान रही थी. उधर रुकमा का भाई अपने हाथ में फसल काटने वाला चमचमाता हंसिया लिए घूमता दिखाई दे रहा था.

एक सप्ताह बाद मुझे पुलिस ने एक स्त्री की क्षतविक्षत लाश की शिनाख्त करने के लिए बुलवाया जोकि पहाडि़यों के  पास जंगली झाडि़यों के झुरमुट में पड़ी मिली थी. लाश के ऊपर की नीली साड़ी मैं तुरंत पहचान गई जोकि रुकमा ने मेरे घर से जाते समय चुरा ली थी. मुझे लाश पहचानने में तनिक भी समय नहीं लगा कि वह रुकमा ही थी.

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रुकमा का मृत शरीर मिल गया था. पर वीरू का कहीं पता नहीं था और उस का भाई अब भी हंसिया लिए घूम रहा था. चौकीदार ने बताया कि पहाड़ी लोग अपने घरपरिवार को कलंकित करने वाली लड़की या स्त्री को निश्चित रूप से मृत्युदंड देते हैं. साथ ही वह उस के प्रेमी को भी मार डालते हैं जिस के  कारण उन के घर की स्त्री रास्ता भटक जाती है.

मुझे दुख था रुकमा की मृत्यु का. उस से भी अधिक दुख था मुझे कि मैं वीरू की पत्नी का घर बचाने में असमर्थ रही थी. मैं बारबार यही सोचती कि आखिर वीरू गया कहां? मैं इसी उधेड़बुन में एक शाम रसोईघर में काम कर रही थी कि पिछवाड़े किसी के चलने की पदचाप सुनाई दी. सांस रोक कर कान लगाया तो फिर से किसी के दबे पैरों की पदचाप सुनाई दी. हिम्मत बटोर कर जोर से चिल्लाई ‘‘कौन है? क्या काम है? सामने आओ, नहीं तो पुलिस को फोन करती हूं.’’

रसोईघर के पिछवाड़े की ओर खुलने वाली खिड़की के सामने जो चेहरा नजर आया उसे देख कर मेरे मुंह से मारे खुशी के आवाज निकल गई, ‘‘तुम जीवित हो?’’

वह वीरू था. फटेहाल, बदहवास चेहरा, मेरे घर के पिछवाडे़ में घने पेड़ों के बीच छिपा हुआ था. किसी ने भी मेरे घर के पीछे उसे नहीं खोजा था. वह डर के मारे बुरी तरह कांप रहा था.

मुझे आश्चर्य हुआ कि मेरे चौकीदार की चौकन्नी आंखों से वह कैसे बचा रहा. मुझे भी उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था. उस ने नल ठीक करने के साथ रुकमा को बिगाड़ दिया था. मन करने लगा कि लगाऊं उसे 2-4 थप्पड़. पर उस की हालत देख कर मैं ने क्रोध पर काबू पाना ही उचित समझा.

पिछवाड़े का दरवाजा खोल कर उसे रात के घुप अंधेरे में चुपचाप अंदर बुला लिया क्योंकि मुझे उस की पत्नी व बच्चों को उन का सहारा लौटाना था. मैं ने उसे खाने को दिया और वह उस पर टूट पड़ा. उस का खाना देख कर लगा कि भूख भी क्या चीज है.

वीरू के खाना खा लेने के बाद मैं ने उस से कहा, ‘‘तुम ने यह बहुत घिनौना काम किया है कि विवाहित हो कर भी एक कुंआरी लड़की को अपने जाल में फंसाया. तुम्हारे कारण ही उस की हत्या हुई है. तुम दोषी हो अपनी पत्नी व बच्चों के, जिन्हें तुम ने धोखा दिया. तुम ने तो रुकमा से कहीं अधिक बड़ा अपराध किया है. तुम्हारे साथ मुझे जरा भी सहानुभूति नहीं है पर मैं मजबूर हूं तुम्हारी रक्षा करने के लिए क्योंकि मैं ने तुम्हारी मासूम पत्नी के पिता को वचन दिया है कि उस की बेटी का घर मैं कदापि उजड़ने नहीं दूंगी.’’

ऐसा कहते हुए मैं ने उसे रसोईघर के भंडारगृह में बंद कर ताला लगा दिया. वीरू, रुकमा तथा उस का भाई तीनों अपराधी थे. लेकिन इन के अपराध की सजा वीरू की पत्नी व बच्चों को नहीं मिलनी चाहिए. करे कोई, भरे कोई. इन्हें न्याय दिलवाना ही होगा तो इस के लिए मुझे वीरू की रक्षा करनी होगी.

मुझे वीरू से पता चला कि रुकमा की हत्या के अपराध में उस के जिस भाई को पुलिस ढूंढ़ रही थी वह उस के घर में घात लगाए उस की बीवी व बच्चों को बंधक बना कर छिपा बैठा था. इस रहस्य को केवल वही जानता था क्योंकि रात के अंधेरे में जब वह अपने बीवीबच्चों से मिलने गया था तो तब उस ने उस को वहां छिपा हुआ देखा था.

वीरू को सुरक्षित ताले में बंद कर मैं आश्वस्त हो गई और फिर तुरंत ही रुकमा के भाई को सजा दिलवाने के लिए मैं ने पुलिस को फोन द्वारा सूचित कर दिया. यही एक रास्ता था मेरे पास अपना वचन निभाने का और वीरू की पत्नी व बच्चों का सहारा लौटा कर घर बचाने का, उन्हें न्याय दिलाने का.

मेरी शिकायत पर पुलिस रुकमा के भाई को पकड़ कर ले गई. मैं ने ताला खोल कर वीरू को बाहर निकाल कर कहा, ‘‘जाओ, अपने घर निश्ंिचत हो कर जाओ. अब तुम्हें रुकमा के भाई से कोई खतरा नहीं है. वह जेल में बंद है.’’

वीरू ने अपने घर जाने से साफ मना कर दिया. वह अब भी भयभीत दिखाई दे रहा था. मेरा माथा ठनका. रहस्य और अधिक गहराता जा रहा था. मैं ने उस से बारबार पूछा तो वह चुप्पी साधे बैठा रहा.

मैं क्रोध से चीखी, ‘‘आखिर अपने ही घर में तुम्हें किस से भय है? मैं तुम्हें सदा के लिए यहां छिपा कर नहीं रख सकती. अगर तुम ने सच बात नहीं बताई तो मैं तुम्हें भी पुलिस के हवाले कर दूंगी. क्योंकि सारी बुराई की जड़ तो तुम्ही हो.’’

वह हकलाता हुआ बोला, ‘‘मांजी, किसी से मत कहिएगा, मेरे बच्चे बिन मां के हो जाएंगे. मेरी पत्नी ने मेरे ही सामने रुकमा की हत्या की थी और अब वह मेरे खून की भी प्यासी है. मुझे यहीं छिपा लो.’’

कहते हुए वह फफकफफक कर रोने लगा.

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Holi Special: होली के रंग इन आसान टिप्स के संग

होली का त्यौहार हर साल खुशियों के रंगों के साथ आता है, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने के साथ-साथ गर्मी के आगमन का संदेश देता है. बसंत ऋतु के इस त्यौहार को सभी रंगों के उत्सव के रूप में मनाते हैं. सालों पहले इस मौसम में पेड़ों पर रंग–बिरंगे फूल खिलते थे और उन फूलों से इसे मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होने लगा और अब केमिकल रंग भी इसमें आ गए.

इस बारें में मुंबई की प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि होली का त्यौहार उल्लास का है, लेकिन रंग की खरीदारी पर लोग ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन रंगों के प्रयोग से त्वचा प्रभावित होती है और होली के बाद उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसलन स्किन रैशेज, ड्राई ब्रिटल हेयर, आई इंज्यूरी आदि. जिसका ध्यान रखना आवश्यक है. होली के त्यौहार की खूबसूरती बनी रहे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है,

  • होम मेड रंगों का प्रयोग करें, जिसमें मेहंदी, हल्दी पाउडर, सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर पाउडर बना लें और गुलाल के रूप में प्रयोग करें,
  • रंग खेलने से पहले शरीर के खुले भाग पर क्रीम या सरसों का तेल लगा लें और इसे 20 से 30 मिनट तक वैसे ही रहने दें, इसके बाद वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा लें,
  • नाखूनों, पांव, कुहनी और कानों के पीछे वाले भाग में वेसलीन लगा लें, जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें सेंसेटिव जगहों पर रंग लगने से बचना चाहिए,
  • केवल शरीर पर ही नहीं बालों पर भी तेल लगा लें, ताकि केश रूखे होने से बचें और रंग आसानी से उतर जाए, अगर आयल लगाना नहीं चाहती, तो हेयर जेल का सहारा लिया जा सकता है,
  • अगर रंग से किसी भी प्रकार की एलर्जी या रेसेज होने की शिकायत है, तो एंटीएलर्जिक की गोली होली के पहले दिन रात में ले लें,
  • होली के दिन कपड़े ऐसे पहने, जिससे शरीर का अधिकतम भाग ढक जाय, अगर चाहे तो ड्रेस के नीचे स्विम सूट भी पहन सकती हैं, ताकि त्वचा को रंग न छू सकें,
  • अधिक सुरक्षा के लिए रंग खेलते समय धूप के चश्में और कैप पहन सकती हैं, लेकिन कांटेक्ट लेंस न पहनें.

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ये सही है कि कई बार सब कुछ ध्यान रखने के बाद भी कुछ न कुछ समस्या होली के बाद त्वचा में आ जाती है, इसलिए त्वचा की सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है. कई बार रगड़ने के बावजूद भी रंग सही तरीके से नहीं उतरता, ऐसे में कुछ आसान टिप्स बेहद फायदेमंद होते हैं-

  • नीबू का रस खासकर उंगलियों और नाखूनों के रंगों को साफ करने में बहुत उपयोगी होता है, इसके रस को लेकर 20 से 30 मिनट लगाकर हलके गरम पानी से धोकर मोयास्चराइजर लगा लें.
  • फिर भी रंग न निकले तो थोड़ी गरम ओलिव आयल लेकर लगायें और नरम कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ लें, इसके बाद दही के साथ बेसन और थोड़ा दूध मिलाकर पेस्ट तैयार करें और उसे न छूटने वाले रंग वाले भाग पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करें रंग निकल जायेगा.
  • इसके अलावा रंग छूटने के बाद स्किन थोड़ी ड्राई हो जाती है ऐसे में सोयाबीन के आटे में थोड़ी बेसन और दूध मिलाकर लगा लें इससे त्वचा में फिर से निखार आ जायेगा.
  • त्वचा से रंगों को छुड़ाने के लिए अधिक जोर का प्रयोग न करें.
  • रंग खेलने के तुरंत बाद बालों को शैम्पू और कंडीशनर से धो लें, अगर बाल रूखे और बेजान हो गए हैं तो हलके गरम आयल का मसाज कर गरम तौलिये का भाप अगले दिन दें.
  • होली के बाद और पहले एक सप्ताह तक ब्लीचिंग, वैक्सिंग या फेसियल करने से बचें,

इसके आगे डा. अप्रतिम गोयल का कहना है कि होली पर लोग मस्ती करने के लिए जानवरों पर भी रंग फेकते हैं जो ठीक नहीं. जानवरों को रंग से हमेशा दूर रखना चाहिए. घरों में रहने वाले जानवर इस लिहाज से थोड़ा सुरक्षित रहता है, पर गली-मुहल्लों में शरारती बच्चे उन्हें परेशान करते है. जानवर अधिकतर चाटकर अपने आप को साफ करते हैं, ऐसे में केमिकल युक्त रंग उनके पेट में चला जाता है, जिससे उन्हें कई प्रकार के पेट की बीमारी हो जाती है, इतना ही नहीं अगर ये रंग उनके आंखों तक जाती है, तो वे अंधे भी हो सकते हैं, इसलिए अगर आपके पालतू जानवर के साथ ऐसा हुआ हो तो, उसे माइल्ड शैम्पू से धो लें और वेटिनरी डाक्टर से सम्पर्क करें.

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Holi Special: गुप्त रोग: क्या फंस गया रणबीर

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

“अब छोड़ो भी….जाने दो मुझे …..मेरे पति का रणबीर का फोन आता ही होगा ” रूबी ने अजय सिंह की बाहों में कसमसाते हुए कहा

“अच्छा तो अपने पति के वापस आते ही मुझसे नखरे दिखाने लगी तुम ”अजय सिंह ने रूबी के सीने पर हाथ का दबाव बढ़ाते हुए कहा

“क्या बताऊँ…..अजय ….जब से मेरा मर्द गुजरात से कमाई करके लौटा है तबसे  सेक्स का भूखा भेड़िया बन गया है रात में भी मुझे सोने नहीं देता ….. ” रूबी ने एक मादक अंगड़ाई लेते हुए कहा

“तो तुम भी सेक्स के मज़े लो …..इसमें परेशानी की क्या बात है भला ? ” एक भद्दी सी मुस्कुराहट के साथ अजय सिंह ने कहा

“रात में उसका बिस्तर गरम करूं और दिन में तुम्हारे जोश को ठंडा करूं …..अरे मैं एक औरत हूँ कोई सेक्स डॉल नहीं …..और फिर मैं प्यार तो तुमसे करती हूँ न …..मेरा वो तोंद वाला मोटा पति मुझे कतई पसंद नहीं ”

ये कहकर रूबी ने अजय सिंह को अपनी बाहों में भर लिया .

तीखे नैननक्श और भरे बदन वाली रूबी पर मोहल्ले के मनचलों की नज़र रहती  थी ,जब रूबी नाभि प्रदर्शना ढंग से साड़ी पहनकर बाहर निकलती तो लोग फटी आंखों से उसे घूरते रह जाते अपनी इस खूबसूरती का अच्छी तरह अहसास भी था रूबी को और मौका पड़ने पर वह इसका फायदा उठाने से भी नहीं चूकती थी .

रूबी इस  मकान में अकेली रहती थी जबकि उसके पति को गुजरात में काम के सिलसिले में  कई महीनों तक बाहर रुकना पड़  जाता था .

रूबी को अपने पति के मोटे होने से चिढ़ थी इसलिये उसने कई बार रणबीर से खुलकर कहा भी पर उसके पति को पैसे से इतना प्यार था कि वह अपने शरीर पर ध्यान नहीं देता  था अपने पति की गैर मौजूदगी में जब भी रूबी की तबीयत कुछ खराब होती तो  वह  मोहल्ले के नुक्कड़ पर बने अस्पताल में दवा लेने जाती थी ,तन्हाई की मारी हुई जवान और खूबसूरत रूबी की जानपहचान जल्दी ही उस अस्पताल में काम करने वाले कम्पाउंडर अजय सिंह से हो गई और रूबी और अजय सिंह एक दूसरे से प्यार करने लगे रूबी को  एक आदमी का सहारा मिला तो वह और भी निखर गई ,अजय सिंह का डॉक्टर जब कभी भी अस्पताल से बाहर कहीं जाता तो अजय सिंह रूबी को फोन करके अस्पताल में बुला लेता ,दोनो साथ में ही खाते पीते और अस्पताल में ही जिस्मानी सुख का मज़ा भी लेते ,दोनो की ज़िंदगी मज़े से गुज़र रही थी पर इसी बीच रूबी के पति रणबीर के गुजरात से वापस लौट आने से रूबी की आज़ादी पर ब्रेक सा लग गया था . अगले दिन रूबी ने भरे गले से अजय सिंह को फ़ोन करके ये बताया कि अब वह उससे मिलने नहीं आ पाएगी क्योंकि उसका पति उसे लेकर हमेशा ही बिस्तर पर पड़ा रहता है और पोर्न फिल्में दिखाकर अपनी “सेक्स फैंटेसी” पूरी करने के लिए रूबी पर दबाव डालता रहता है.

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रूबी को उसका पति परेशान कर रहा था ये बात अजय सिंह को अच्छी नहीं लग रही थी  ,रूबी का पति उसे एक दुश्मन की तरह लग रहा था ,एक तो रूबी से  दूरी अजय सिंह को  सहन नहीं हो रही थी और ऊपर से  ये बातें सुनकर अजय सिंह को गुस्सा आ रहा था इसलिए मन ही मन अजय सिंह रूबी के पति को उससे दूर रखने के लिए कुछ ऐसा प्लान सोचने लगा जिससे सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे.

फिर एक दिन अजय सिंह ने रूबी को अस्पताल में बुलाया

“बड़ी मुश्किल से आ पाई हूँ ….जल्दी बताओ क्या बात है  ” रूबी ने कहा

“ये लो ….ये एक किस्म का तेल है जिसमे मैने कई तरह की दवाएं मिलाई है ….इस तेल को तुम्हे अपने पति के प्राइवेट पार्ट अर्थात लिंग पर मलना है ” अजय सिंह ने एक छोटी शीशी

रूबी की ओर बढ़ाते हुए कहा

उसकी बातें सुनकर रूबी चौक पड़ी थी

“पर भला इससे क्या होगा? ”रूबी ने पूछा

“मैने इस तेल में कुछ ऐसे केमिकल मिलाए हैं जिनका पी. एच. का मान बहुत कम होता है और यदि कम पी.एच. के मान वाली चीजों को त्वचा पर दोचार दिन तक लगाया जाए तो त्वचा पर हल्का घाव या इन्फेक्शन हो सकता है ……  ”अपनी आंख को शरारती अंदाज़ में दबाते हुए अजय सिंह ने कहा

“ओह…..इसका मतलब है कि इसे लगाते ही रणबीर को इन्फेक्शन हो जाएगा  और फिर वह मुझे सेक्स के लिए तंग नहीं करेगा … पर फिर यह तेल  मेरे हाथ पर भी घाव बना सकता है न  ” रूबी ने अपनी घबराहट दिखाई

“ वेरी स्मार्ट ….. मेरी जान ये काम तुम दस्ताने पहनकर करोगी …..ये लो ग्लव्स ”

“पर इस तरह से तो रणबीर को मुझ पर शक हो जाएगा  ” रूबी ने शंका जाहिर करी तो अजय सिंह खीझ उठा

“उफ्फ….बहुत नासमझ हो तुम …..तुम्हे मोटे पति के साथ  न सोना पड़े इसका एकमात्र यही रास्ता था…..अब आगे का सफर कैसे तय करना है  वो सब तुम्हे सोचना है  ”

“ठीक है बाबा मैं ही कुछ सोचती हूँ” रूबी ने तेल की शीशी लेते हुए कहा

रोज़ रात की तरह रणबीर फिर से रूमानी होने लगा तो रूबी ने रजस्वला होने का झूठ बोला जिस पर रणबीर ने बुरा सा मुँह बना लिया

“अरे अब तुम नाराज़ मत हो  ….मेरे पास तुम्हे खुश करने के और भी बहुत से तरीके हैं …..मैं तुम्हारे पैरों में तेल से मसाज कर देती हूं ….तुम्हे अच्छी नींद आ जायेगी ” ये कहकर रूबी ने रणबीर की आंखों पर एक दुपपट्टा बांध दिया ,रणबीर मन ही मन कल्पना के गोते लगाने लगा कि न जाने उसकी पत्नी उसके साथ क्या करने जा रही है इस समय वह अपने आपको किसी अंग्रेज़ी फ़िल्म का हीरो समझ रहा था.

रनबीर को लिटा कर रूबी  ने हाथों में ग्लव्स पहन लिए और उसकी टांगों पर चढ़ कर बैठ गयी और रणवीर के पैरों और घुटनों में सादा यानि बिना मिलावट वाला तेल लगाया जबकि अजय सिंह के द्वारा दिए गए तेल को रणबीर के प्राइवेट अंग में लगा कर धीरधीरे मालिश करने लगी.

रणबीर आंखें बंद करके आनन्द के सागर मे गोते लगा रहा था क्योंकि इस मसाज से एक अजीब सी अदभुत अनुभूति हो रही थी उसे

“रूबी ….तुमने कल जिस तेल से मसाज करी थी ….वह बाद मुझे बहुत अच्छा लगी ….तुम आज भी ठीक वैसी ही मसाज देना ”रणबीर ने सुबह उठते ही कहा जिस पर रूबी मुस्कुराकर रह गई .

रणबीर ने तीन चार दिन ये मसाज करवा कर मज़ा लिया  पर उस बेचारे को क्या पता था  कि उसके साथ क्या होने वाला है .

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एक दिन सुबह जब रणवीर सोकर उठा तो उसके लिंग में हल्की सी जलन हो रही थी उसने ध्यान दिया कि अंग पर लाललाल दाने हैं जिसमे खुजली भी हो रही थी , दानों को खुजला भी दिया था रणबीर ने जिसके कारण ऊपर की त्वचा से हल्का सा खून निकलने लगा था .

“रूबी जबसे तुमने मेरे लिंग पर मसाज करी है तबसे वहाँ पर एलर्जी सी हो गई है ….देखो तो क्या हाल हो गया है मेरा ” रणबीर ने शिकायती लहज़े में रूबी से कहा

“देखिए इसमें मेरी कोई गलती नहीं है  ….आप महीनों घर से बाहर रहते हैं ,पत्नी का साथ आपको नसीब नहीं होता ऐसे में धंधेबाजऔरतों से संबंध भी आप ज़रूर ही बनाते होंगे ….. आपको किसी भी तरह का गुप्त रोग होना तो लाज़मी ही है ” रूबी ने नाकभौं सिकोड़ते हुए उपेक्षित स्वर में कहा

अपनी पत्नी से रणबीर को सहानुभूति की उम्मीद थी पर उसे तो नफरत मिल रही थी ,अपने बनाये हुए प्लान में रुबी और अजय कामयाब हो रहे थे और वे ये सोचकर खुश हो रहे थे कि रणबीर को अपने गुप्त रोगी होने का अहसास होगा और अब वह  रूबी के शरीर को हाथ नहीं लगा पायेगा और गुजरात जल्दी वापस लौट जाएगा जबकि दूसरी तरफ रणबीर  बहुत परेशान था .

रणबीर अपनी पत्नी से भले ही महीनों दूर रहता था पर किसी भी बाज़ारु औरत से कभी भी उसने संबंध नहीं बनाए थे ऐसे में उसके शरीर पर किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन का हो जाना उसे परेशानी और हैरत में डाल रहा था और उस पर उसकी पत्नी  भी उसे बारबार गुप्त रोगी होने का ताना दे रही थी  इसलिए वह सीधा शहर के एक अच्छे डॉक्टर के पास पहुचा और अपनी समस्या बताई .

“क्या आपने सड़क के किनारे तम्बू  लगाकर दवाई या तेल बेचने वालों से किसी तरह की दवा ली है क्या ? ” डॉक्टर ने पूछा

“नहीं सर नीमहकीम से तो नही  पर …..एक दोस्त ने ज़रूर एक तेल दिया था जिसे मैने ताकत बढ़ाने वाला तेल समझकर लगा लिया है ….ये घाव और जलन तबसे ही पनपा है “रणबीर ने अपनी पत्नी का नाम छुपा लिया क्योंकि उसकी पत्नी ने ही उसके लिंग पर तेल से मसाज करी है ऐसा कहने में भी उसे शर्म लग रही थी.

उस डॉक्टर ने रणबीर को ढाँढस बंधाया और वो तेल उन्हें लाकर दिखाने को कहा ताकि वे उसको जांच सकें .

जब रणबीर ने वो तेल की शीशी डॉक्टर को लाकर दिखाई तो तेल का शुरुआती टेस्ट करते ही डॉक्टर चौक गए और उन्होंने रणबीर को जो बताया उसे सुनकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई

“ये एक ऐसा तेल है जिसके पी एच का मान बहुत कम है  और इतने कम पी.एच. का कोई भी मलहम या तेल हमारी त्वचा को नुकसान पहुचा सकता है साथ ही इसमें कुछ हानिकारक केमिकल्स भी मिले हुए हैं  इतना ही नहीं बल्कि इसके निरन्तर इस्तेमाल से आप नपुंसक भी हो सकते हैं …… ”डॉक्टर ने कहा

“रूबी…..  तो मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती तो क्या रूबी के साथ किसी ने नकली तेल देकर फ्रॉड किया है ?” इसी सोचविचार में उलझा हुआ रणबीर घर आया तो उसने रूबी को फोन पर किसी से बात करते हुए पाया ,रुबी उस समय अजय सिंह से ही बात कर रही थी रणबीर को अचानक से घर आया देखकर वह हड़बड़ा सी गई और उसने फोन काट दिया .

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परेशान रणबीर सोफे पर पसर गया और रूबी से एक कप चाय बना लाने को कहा और खुद अपनी मर्ज की दवाई ढूंढने  के लिए इंटरनेट खंगालने लगा पर रणबीर का मोबाइल हैंग कर रहा था इसलिए उसने किचन में जाकर रूबी का मोबाइल मांगा तो रूबी के चेहरे का रंग ही उतर गया ,और रूबी ने मोबाइल देने में हिचकिचाहट भी दिखाई पर भारी मन से उसने अपना मोबाइल रणबीर को दे दिया उसकी ये परेशानी  रणबीर से भी छुपी नही रह सकी इसलिए मोबाइल को अपने हाथ में लेते ही रणबीर ने मोबाइल के हाल में डायल किये गए नम्बरों पर सरसरी नज़र डाली तो उसमें पिछले डायल किये गए को “फ्रेंड” नाम से सेव किया गया था .

उत्सुकतावश रणबीर ने मोबाइल के व्हाट्सएप्प पर “फ्रेंड” नाम की डीपी देखी तो वह एक युवक की तस्वीर थी .

“भला ये आदमी कौन  है जिसका नंबर रूबी के मोबाइल में  फ्रेंड नाम से सेव है?” ये सवाल बारबार रणबीर के मन में संदेह पैदा कर रहा था .

रणबीर ने घाटघाट का पानी पिया था उसे कुछ शक हुआ तो मोबाइल  काल की रिकॉर्डिंग सुनने लगा और “फ्रेंड” नाम के युवक से हुई कई कॉल की रिकॉर्डिंग रणबीर ने सुन डाली और उसे सारा माजरा समझते देर नहीं लगी ,उसकी नसों में बहता खून बारबार उसकी कनपटियों तक जोर मार रहा था उसका मन कर रहा था कि वो जाकर रूबी की गर्दन मरोड़ दे पर कुछ सोचकर उसने ऐसा नहीं किया,रणबीर ने शांत भाव से मोबाइल को टेबल पर रख दिया और अपनी आंखें बंद करके बैठ गया .

रूबी जब चाय लेकर आई तो उसने रणबीर को सोता हुआ देखा तो उसकी जान में  जान आई उसने झट से अपना मोबाइल अपने कब्जे में कर लिया.

एकदो दिनों तक रणबीर बहुत ही शांत रहा और अपने को खुश दिखाता रहा फिर एक दिन उसने रूबी से कहा,

“मैं काम के सिलसिले में दो दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ  ……इस बीच तुम अपना ध्यान रखना ”

“हाँ और आप भी दवाई खाते रहिएगा और ज्यादा तला भुना मत खाइएगा” रूबी ने विरह का गम अपने चेहरे पर लाते हुए कहा

रणबीर के आ जाने से कई दिनों तक रूबी और अजय सिंह मिल नहीं पा रहे थे अब आज रणबीर के जाने के बाद उन्हें जी भरकर जिस्म का सुख उठाने का मौका मिलने वाला था .

रूबी के फ़ोन करते ही अजय सिंह उसके घर आ गया और दोनो पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर यौन सुख लेने लगे ,इन पूरे दो दिनों में अजय सिंह रूबी के घर में ही रहा .

दो दिन के बाद रणवीर का फोन आया कि वह शहर में आ चुका है और घर पहुचने वाला है ,अजय सिंह ये जानकर वहां से निकल लिया.

रणवीर मुस्कुराते हुए आया और रूबी ने उसके गले लगते हुए कहा कि वह उसके लिए चाय बनाकर लाती है ,चाय पीते समय रणबीर ने उसे बताया कि कल शाम को उसे गुजरात जाना है ,रूबी ने प्रत्यक्ष में तो हैरानी दिखाई पर मन ही मन वह रणबीर के जाने की बात सुनकर बहुत खुश हो रही थी .

अगले दिन रणबीर गुजरात के लिए निकल गया .

रणबीर के जाने के करीब एक हफ्ते बाद उसे उसे एक पत्र मिला जिसे पढ़कर रूबी बुरी तरह चौंक गई .

“मैं तुम्हारे और तुम्हारे उस “फ्रेंड” के संबंधों के  बारे में सब कुछ जान चुका हूँ ,मैंने तुम्हें बहुत प्यार किया पर तुमसे बेवफाई ही मिली…. अब मेरे पास तुम्हे तलाक देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है , दो दिन के लिए बाहर जाने का बहाना करके मैने तुम्हारे बेडरूम में कैमरा लगाकर तुम्हारी हकीकत जान ली है  मेरे पास  गैर मर्द के साथ तुम्हारी संभोगरत वीडियो भी  है जिसको मैने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया है जल्दी ही तुम पूरे शहर में फेमस हो जाओगी …..और अब तुम अपने प्रेमी के पास चली जाना क्योंकि मैंने ये मकान भी  बेच दिया है ”

सन्नाटे में  आ गयी थी रूबी. बदहवास हालत में रूबी अस्पताल जाकर अजय सिंह से मिलने पहुची पर वहां जाकर उसे पता चला कि उन दोनों का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया के द्वारा शहर में वायरल हो चुका है और बदनामी के डर डॉक्टर साहब ने उसे नौकरी से निकाल दिया है  परेशान होकर रूबी ने अजय सिंह को फोन लगाया “ तूने मेरी ही सेक्स की वीडियो बनाकर पूरे शहर में मेरी बदनामी करवा दी है ….और इसके कारण मुझे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ गया है ”चीख रहा था अजय सिंह “मेरी बीवी बच्चों  को भी मेरे नाज़ायज़ संबंधों के बारे में पता चला गया है और इन सबकी ज़िम्मेदार सिर्फ तुम हो …पर इतनी ज़िल्लत के साथ मेरा जी पाना बहुत मुश्किल है इसलिए मैं ये दुनिया ही छोड़कर जा रहा हूँ  ”ये कहकर फोन कट गया था .

आतेजाते लोग रूबी को रोते हुए देख रहे थे ,युवा लड़के और पान की दुकानों पर खड़े पुरुष कभी मोबाइल की स्क्रीन पर देखते तो कभी रूबी के चेहरे की तरफ .

रूबी को उसकी बेवफाई की सज़ा मिल गयी थी.

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Holi Special: फैमिली के लिए बनाएं कुरकुरी कमल ककड़ी

फैमिली के लिए टेस्टी और हेल्दी डिश बनाना काफी मुश्किल है. लेकिन आज हम आपको कुरकुरी कमल ककड़ी की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप फैमिली के लिए आसानी से बना सकते हैं.

सामग्री

– 500 ग्राम कमल ककड़ी

– 1 बड़ा चम्मच शहद

– 1 छोटा चम्मच सिरका

– 1 बड़ा चम्मच सफेद तिल

– 1 छोटा चम्मच देगीमिर्च

– तेल तलने के लिए

– 1 बड़ा चम्मच चावल का आटा

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– थोड़ी सी धनियापत्ती

– 2-3 हरीमिर्चें

– 1 बड़ा चम्मच शेजवान सौस

– एकचौथाई कप हरे प्याज के पत्ते

– 1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

– नमक स्वादानुसार.

विधि

कमल ककड़ी को छील कर तिरछे टुकड़ों में काट लें. इन्हें नमक मिले पानी में कुछ देर भिगो दें. फिर पानी निकाल दें. एक कड़ाही में तेल गरम कर कमल ककड़ी के टुकड़ों पर चावल का आटा मिला सुनहरा होने व गल जाने तक धीमी आंच पर तलें. एक दूसरे पैन में 1 चम्मच तेल गरम कर अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर कुछ देर भूनें. तली कमल ककड़ी डालें. सारी सौस और मसाले डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. लंबाई में कटी हरीमिर्च मिलाएं. ऊपर से हरे प्याज के पत्ते व तिल बुरक कर गरमगरम परोसें.

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Holi Special: स्नैक्स में आसानी से बनाएं राइस कटलेट

अगर आप स्नैक्स में कुछ नई रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो बचे हुए चावलों से कटलेट की रेसिपी ट्राय करें. ये कम समय में बनने वाली आसान रेसिपी है, जो आपकी फैमिली को पसंद आएगी.

सामग्री

1 कप चावल उबले

1 आलू उबला व कद्दूकस किया

2 बड़े चम्मच भुने चनों का आटा

1/4 कप ओट्स का पाउडर

2 छोटे चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

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1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला

1 ब्रैडपीस किनारा निकला

तलने के लिए पर्याप्त रिफाइंड औयल

मिर्च व नमक स्वादानुसार.

विधि

चावलों में सारी सामग्री अच्छी तरह मिलाएं और मनचाहे कटलेट का आकार दें. फिर इन्हें 1/2 घंटा फ्रिज में ठंडा कर गरम तेल में डीपफ्राई करें या नौनस्टिक तवे पर दोनों तरफ से सेंक लें. सौस या चटनी के साथ सर्व करें.

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Holi Special: फैमिली के लिए बनाएं मीठी पूरी

फैमिली संग सेलिब्रेशन के मौके पर अगर आप अपनी फैमिली के लिए टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहती हैं तो मीठी पूरी आपके लिए अच्छा औप्शन है.

सामग्री

500 ग्राम आटा,

2 छोटे चम्मच सौंफ,

150 ग्राम गुड़,

1 छोटा चम्मच अमचूर,

1/2 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा,

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4 छोटे चम्मच घी मोयन के लिए,

थोड़ा सा नारियल कद्दूकस किया भरावन के लिए,

तलने के लिए पर्याप्त तेल.

विधि

आटे में मोयन डाल कर दोनों हथेलियों से मसल कर एकसार कर लें. सौंफ को भी आटे में मिल लें. गुड़ को 11/2 कप पानी में उबाल कर ठंडा करें. गुड़ के पानी में बेकिंग सोडा व अमचूर मिक्स कर के आटा गूंध लें. आटे की लोइयां बना कर पूरियां बेल लें. बीच में 1 चम्मच नारियल भर कर बेलें. गरम तेल में सुनहरा तल कर गरमगरम सर्व करें.

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Holi Special: Strawberry से बनाएं टेस्टी पुडिंग

लाल रंग की दिल के आकार वाली स्ट्रॉबेरी दिखने में जितनी अच्छी लगती है खाने में भी उतनी ही स्वादिष्ट होती है. स्ट्रॉबेरी एक लो केलोरी फल है जिसमें पानी, एंटीओक्सीट्स कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, केल्शियम, मैग्नीशियम, फायबर और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह वजन घटाने, प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत करने के साथ साथ बालों, त्वचा और दिल को स्वस्थ रखने में भी सहायक है. इसे सलाद, जैम, आइसक्रीम और पुडिंग आदि के रूप में बड़ी आसानी से भोजन में शामिल किया जा सकता है. आज हम आपको स्ट्राबेरी से पुडिंग बनाना बता रहे हैं-

कितने लोगों के लिए                        4

बनने में लगने वाला समय                    30 मिनट

मील टाइप                                  वेज

सामग्री

ताज़ी स्ट्रॉबेरी                               6  ग्राम

ब्रेड स्लाइस                                  4

फुल क्रीम दूध                               1/2 लीटर

बारीक कटी मेवा                              3 टेबलस्पून

सादा बटर                                   1 टीस्पून

शकर                                       5 टेबलस्पून

कॉर्नफ्लोर                                   1 टेबलस्पून

स्ट्रॉबेरी रेड कलर                              2 बूंद

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विधि

स्ट्रॉबेरी सौस तैयार करने के लिए स्ट्रॉबेरी को धोकर पोंछ लें. 2 स्ट्रॉबेरी को छोडकर शेष को बारीक टुकड़ों में काट लें. एक पैन में 1 कप पानी डालकर शकर डाल दें. जब उबाल आ जाये तो कटी स्ट्रॉबेरी और 1 बूंद स्ट्रॉबेरी कलर डाल दें और लगभग 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाकर गैस बंद कर दें.

स्ट्रॉबेरी कस्टर्ड बनाने के लिए कॉर्नफ्लोर को आधे कप पानी में घोल लें. दूसरे पैन में दूध उबालें, जब उबाल आ जाये तो कॉर्नफ्लोर को लगातार चलाते हुए डालें. अच्छी तरह उबल जाये तो बचा फ़ूड कलर और 1 टेबलस्पून शकर मिलाकर गैस बंद कर दें.

ब्रेड के किनारे काटकर अलग कर दें. एक नानस्टिक पैन में बटर लगाकर ब्रेड स्लाइस को दोनों तरफ से सुनहरा सेंक लें.

एक चौकोर डिश में पहले एक बड़ा चम्मच स्ट्रॉबेरी कस्टर्ड डालकर 2 ब्रेड स्लाइस को इस तरह रखें कि कस्टर्ड पूरी तरह कवर हो जाये. उपर से तैयार स्ट्रॉबेरी सौस डालकर थोड़ी सी मेवा डाल दें. पुन; क्रमशः कॉर्नफ्लोर, ब्रेड स्लाइस, स्ट्रॉबेरी सौस, मेवा डालकर उपर से बचा कोर्नफ्लोर और मेवा डालकर ब्रेड को पूरी तरह कवर कर दें. बची 2 स्ट्रॉबेरी को पतले स्लाइस में काट कर उपर से सजा दें. ठंडा होने पर काटकर सर्व करें.

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