प्रेग्नेंसी में होती है मौर्निंग सिकनेस? ऐसे करें ठीक

27 वर्षीय अंजलि को प्रैगनैंट होते ही मौर्निंग सिकनेस की समस्या शुरू हो गई, लेकिन उस ने इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया, क्योंकि परिवार वालों ने कहा था कि यह आम बात है. 2-3 महीनों में यह समस्या ठीक हो जाती है. मगर अंजलि के साथ ऐसा नहीं हुआ. धीरेधीरे वह कमजोर होती गई. और फिर एक वक्त ऐसा आया कि चलने फिरने में भी असमर्थ महसूस करने लगी.

परेशान हो कर जब डाक्टर के पास आई तो उन्होंने बताया कि वह डिहाइड्रेशन की शिकार हो चुकी है, जो इस अवस्था में बिलकुल ठीक नहीं है और किसी भी वक्त मिस कैरेज हो सकता है. अंजलि को हौस्पिटल में दाखिल कर आईवी के द्वारा पानी और दवा दी गई. 2-3 दिनों में वह स्वस्थ हो गई. बाद में एक हैल्दी बच्चे को जन्म दिया.

बीमारी नहीं है यह

असल में प्रैगनैंसी में मौर्निंग सिकनेस आम बात है. यह कोई बीमारी नहीं, क्योंकि इस दौरान महिलाएं कई हारमोनल बदलावों से गुजरती हैं. पहली तिमाही में मौर्निंग सिकनेस ज्यादा होती है. इस बारे में मुंबई की ‘वर्ल्ड औफ वूमन क्लीनिक’ की डाइरैक्टर और स्त्रीरोग विशेषज्ञा बंदिता सिन्हा बताती हैं कि गर्भावस्था में मौर्निंग सिकनेस को अच्छा माना जाता है, करीब 60 से 80% महिलाओं को यह होती है, लेकिन बारबार होने पर शरीर से अधिक मात्रा में पानी बाहर निकल जाता है, जिस से निर्जलीकरण हो जाता है और इस का प्रभाव बच्चे और मां दोनों पर पड़ने लगता है.

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कुछ महिलाओं को सवेरे ही नहीं, पूरा दिन यह समस्या होती रहती है. लेकिन यह अधिक और 3 महीने के बाद भी होती है, तो डाक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है, क्योंकि हारमोनल बदलाव 4-5 महीने तक ही रहता है. इस के बाद शरीर इसे एडजस्ट कर लेता है.

बारबार उलटियां होने पर महिला थकान और कमजोरी महसूस करती है. इस से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर असर पड़ता है. वह कुपोषण का शिकार हो सकता है, जिस से मिस कैरेज या समय से पहले डिलिवरी होने का डर रहता है.

गंभीर मौर्निंग सिकनेस को हाइपरमेसिस ग्रैविडेरम कहते हैं. इस का इलाज समय रहते करा लेना चाहिए ताकि बच्चा और मां दोनों स्वस्थ रहें. यह समस्या उन महिलाओं को अधिक होती है, जिन के जुड़वां या ट्रिप्लेट बच्चे होते हैं.

ऐसे करें काबू

इन बातों का ध्यान रखने से मौर्निंग सिकनेस को काबू में किया जा सकता है:

  • सुबह बिस्तर से उठते ही तुरंत ड्राई प्लेन बिस्कुट, ड्राई फ्रूट्स, सेब, इडली आदि का सेवन करें. बाद में कोई तरल पदार्थ या पानी पीएं.
  • थोड़ीथोड़ी देर बाद कुछ न कुछ खाती रहें.
  • जिस फूड की गंध से उलटी आती हो उसे न खाएं.
  • बाहर का खाना न खाएं, क्योंकि इस से अपच होने पर ऐसिडिटी की मात्रा बढ़ जाती है, जिस से उलटियां होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है.
  • खाना अधिक गरम न खाएं. हमेशा हलका ठंडा भोजन करें.
  • पानी, सूप, नारियल पानी, इलैक्ट्रोल पाउडर आदि का अधिक सेवन करें. फ्रूट जूस न लें, क्योंकि इस में कैमिकल होता है, जो कई बार नुकसानदायक साबित होता है.
  • वजन अधिक होने पर उलटियां होने के चांस अधिक रहते हैं, इसलिए वजन को काबू में रखें.
  • जिन्हें माइग्रेन या ऐसिडिटी अधिक होती हो, उन्हें भी उलटियां अधिक हो सकती हैं.
  • तनाव को दूर रखें.
  • पूरी नींद लें.

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ये घरेलू नुसखे भी अपना सकती हैं:

  • अदरक को नमक के साथ लेने पर काफी हद तक इस परेशानी को दूर किया जा सकता है.
  • पानी, नीबू और पुदीने के रस को मिला कर लेने से भी मौर्निंग सिकनेस दूर होती है.

इस के बाद भी अगर मौर्निंग सिकनेस की समस्या रहती है, तो तुरंत डाक्टर से मिलें.

ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन: शारीरिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण

शारीरिक विकास के लिए ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह कोशिकाओं के निर्माण और पुनर्निर्माण को बहाल करता है. छोटी उम्र में हार्मोन काफी तेजी से बनता है. यही ब्लड ग्रोथ हार्मोन हमें जवां बनाए रखता है. लेकिन जैसेजैसे उम्र बढ़ती है, हमारा शरीर हार्मोन बनाना कम कर देता है. 30 साल की उम्र के बाद हमारा शरीर ग्रोथ हार्मोन बनाना कम कर देता है यानी उम्र 10 साल बढ़ने में इस की क्षमता 25 फीसदी तक घट जाती है.

क्या है ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन

 यह हमारे शरीर में मौजूद जरूरी हार्मोन है. यह शरीर में मांसपेशियों और कोशिकाओं को विकसित करता है. ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन को पिट्यूटरी ग्लैंड बनाता है. इस हार्मोन के बिना शरीर में मांसपेशियों का गठन और बोन डोसिटी बढ़ना नामुमकिन है.

कद बढ़ाने में मददगार

इंसान के कद बढ़ाने में जिस तत्त्व का महत्त्वपूर्ण स्थान है, वह है ह्यूमन ग्रोथ होर्मोन. कैल्शियम का सेवन भी हमारे लिए काफी महत्त्वपूर्ण है. कैल्शियम से न केवल हमारी हड्डियां मजबूत होती हैं बल्कि यह हमारे कद बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित होता है. हम अपने कद को योग के द्वारा भी प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं. योग तनावमुक्त रखने के साथ ही शारीरिक विकास में भी मददगार है.

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चीनी का सेवन कम करें

 डायबिटीज वाले लोगों के बजाय नौन डायबिटिक लोगों का ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन का लैवल 3-4 गुना ज्यादा होता है. इंसुलिन को सीधे तौर पर प्रभावित करने के साथ ही चीनी का अधिक इस्तेमाल करने से वजन और मोटापा भी तेजी से बढ़ता है और इस का असर ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन के स्तर पर पड़ता है. इसलिए ज्यादा से ज्यादा संतुलित आहार लेने की कोशिश करें, ताकि आप स्वस्थ रहें. आप जो भी आहार लेते हैं उस का सीधा प्रभाव आप के स्वास्थ्य, हार्मोन और शारीरिक बनावट पर पड़ता है.

रात को खाना कम खाएं

 रात को सोने से पहले कभी भी ज्यादा खाना न खाएं. अधिक कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन वाला आहार इंसुलिन को बढ़ाता है और रात को बनने वाले ग्रोथ हार्मोन को रोकता है. खाना खाने के 2-3 घंटे तक इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है.

दिनचर्या बदलें

लगातार तनाव में रहना शरीर में ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन की मौजूदगी को कम करता है. हंसने और खुश रहने से शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, साथ ही ग्रोथ हार्मोन में भी बढ़ोतरी होती है. सिनेमा देखना भी काफी लाभप्रद है.

ग्रोथ हार्मोन को बढ़ाने की दवा

 मार्केट में ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन को बढ़ाने की काफी दवाएं मौजूद हैं, लेकिन इन का इस्तेमाल आप अपनी मरजी से नहीं कर सकते. इन का सेवन करने के लिए आप को अपने डाक्टर से सलाहमशवरा करना पड़ेगा. डाक्टर यदि जरूरी समझे तो कुछ समय के लिए इस के सेवन की अनुमति दे सकता है.

साइड इफैक्ट्स

 बिना जरूरत के ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन का इस्तेमाल करने से कई नुकसान हो सकते हैं. इस के ज्यादा सेवन से शरीर का कोई भी अंग बढ़ सकता है, जैसे हाथ, पैर और जबड़ा. इसलिए इस का इस्तेमाल आवश्यकतानुसार ही करें.

ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन कैसे बढ़ता है

  • व्यायाम शुरू करने के आधे घंटे बाद शरीर में ग्रोथ हार्मोन बनना शुरू होता है, जो 45 मिनट तक बढ़ता है यानी 60 मिनट तक स्थिर रहता है. इस के बाद इस का लैवल घटना शुरू हो जाता है.
  • शरीर दिन भर में जितना ग्रोथ हार्मोन बनाता है उस का 75 फीसदी निर्माण अच्छी नींद के दौरान करता है.
  • ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन के लिए विटामिन और अच्छी डाइट बहुत जरूरी है. विशेषज्ञ की सलाह के बिना सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल कतई न करें.
  • शरीर में ग्रोथ हार्मोन बनाए रखने के लिए रोजाना जरूरी कैलोरी का 20 फीसदी हिस्सा शुद्ध फैट से हासिल होता है.

खास आहार बढ़ाए ग्रोथ हार्मोन

 स्वस्थ शरीर पाने के लिए ग्रोथ हार्मोन बहुत जरूरी है. यह मांसपेशियों के लिए काफी अहम है. इस के लिए प्रोटीनयुक्त भोजन का सेवन करें.

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मांसमछली का सेवन

 एमिनो एसिड के महत्त्वपूर्ण स्रोतों में एक खास है मांस और मछली, जो पूरी तरह प्रोटीन से भरपूर होते हैं. यह शरीर में ह्यूमन ग्रोथ होर्मोन बनाने में कारगर साबित होते हैं.

डेयरी और अंडे

 भरपूर प्रोटीन के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे भी खास हैं यानी ये ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन बनाने के लिए सभी जरूरी एमिनो एसिड प्रदान करते हैं. दूध और सोया दूध में लगभग प्रति एक गिलास में 8 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि स्ट्रिंग पनीर या एक अंडे में 6 ग्राम प्रोटीन होता है.

सब्जियों का अधिक सेवन करें

 एमिनो एसिड हासिल करने के लिए हरी सब्जियों का ज्यादा सेवन करें, क्योंकि ज्यादातर पौधों में एमिनो एसिड होता है. इसलिए हरी सब्जियों को रोजाना अपने खाने में इस्तेमाल करें.

दांतों से जुड़ी प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए फायदेमंद है ये फल

लोगों में दांत की समस्या काफी आम हो गई है. असंतुलित आहार और अनियमित सफाई से दांतों में कई तरह की परेशानियां पैदा हो जाती हैं. इस खबर में हम आपको  एक ऐसे फल के बारे में बताएंगे जिसके सेवन से आप दांतों में होने वाली परेशानियों से नीजात पा सकेंगी. एक ओरल केयर संस्था का मानना है कि  अगर मैन्यूफैक्चरर टूथपेस्ट और माउथवौश में ब्लूबेरी का इस्तेमाल करें तो दांतों की सेहत बनी रहेगी.

1. दांत खराब होने का खतरा कम करता है ब्लू बेरी

इस दावे से पहले ही कई वैज्ञानिकों ने माना था कि मुंह में बैक्टीरिया की गतिविधि कम करके दांत खराब होने का खतरा कम किया जा सकता है. आपको बता दें कि ब्लूबेरी जैसे फल पौलीफिनौल्स का अच्छा स्रोत होते हैं. पौलिफिनौल्स एंटीऔक्सिडेंट होते हैं जो शरीर को बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं.

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2. मुंह में बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है ब्लू बेरी

कई जानकार डेंटल प्रोडक्ट के इन्ग्रेडिएंट्स में ब्लू बेरी को भी शामिल करने की मांग कर रहे हैं. विशेषज्ञों की माने तो पौलिफिनौल्स हमारे सलाइवा में चिपके रह जाते हैं और लंबे समय तक मुंह में बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं. इसके अलावा ये शुगर फ्री होते हैं जिससे इन्हें ओरल केयर प्रोडक्ट्स में कई तरीकों से शामिल किया जा सकता है.

3. कैविटीज से मिलता है छुटकारा

शोधकर्ताओं ने मुंह के बैक्टीरिया पर क्रैनबेरी, ब्लूबेरी और स्ट्राबेरी के असर का परीक्षण किया. नतीजों में पाया गया कि ब्लूबेरी के सेवन से बैक्टीरिया की संख्या में काफी कमी देखी गई. शोधकर्ताओं का मानना है कि इन्हें कैविटीज से लड़ने में प्राकृतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. पौलिफिनौल्स हार्ट डिसीज और कैंसर से भी लड़ने में मदद करता है. इसके अलावा इसमें एंटीऔक्सिडडेंट होते हैं जो हाइड्रेशन में मदद करते हैं.

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जीभ के स्वाद के लिए खुद को बीमार ना करें, हानिकारक है अचार

शहर हो या गांव, अमीर हो या गरीब, सबके खाने का स्वाद बढ़ाने की जिम्मेदारी अचार पर होती है. अचार के बिना जैसे खाना ही अधूरा है. खाने का अहम तत्व है अचार. एक ओर जहां अचार खाने का स्वाद बढ़ाता है वहीं दूसरी ओर इससे कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. चूंकि इसमें अत्यधिक मात्रे में तेल नमक और मसाले होते हैं, ये स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है.

जानकारों का मानना है कि  जो लोग बहुत ज्यादा अचार खाते हैं उन्हें दिल की बीमारी, सुगर, अल्सर, आंतों की बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अचार के अत्यधिक प्रयोग से किस तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं.

हो सकती है आंतों में सूजन

ज्यादा मात्रा में अचार लेने से आंतों में सूजन होने का खतरा भी बना रहता है. ऐसा इस लिए क्योकि इससे शरीर में वाटर रिटेंसन होती है.

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अल्सर का है खतरा

अचार बनाने में ज्यादा मसाले का प्रयोग किया जाता है. ये मासले सभी को सूट नहीं करते. इससे आंत में अल्सर होने की संभावना तेज होती है.

होता है हाई ब्लड प्रेशर का खतरा

जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी है उन्हें अचार से परहेज करना चाहिए. अचार में भारी मात्रा में नमक होता है जिससे ब्लड प्रेशर के और बढ़ने का खतरा होता है.

होती है दिल की बीमारी

अचार ज्लदी खराब ना हो इस लिए प्रिजरवेटिव के तौर पर उसमें तेल डाला जाता है. दिल के लिए इतना तेल अच्छा नहीं होता है. इससे दिल की बीमारी के होने का खतरा बना रहता है.

हो सकता है गैस्ट्रिक कैंसर

जानकारों का मानना है कि ज्यादा अचार के सेवन से गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. इसीलिए ज्यादा अचार का सेवन करने से बचना जरूरी है.

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वजन कम करने के लिए करें घी का सेवन

घी को लेकर लोगों के मन में एक आम धारणा है कि इसका सेवन करने से इंसान मोटा होता है. पर असल बात ये है कि इससे ना सिर्फ मोटापा कम होता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है.

इस खबर में हम आपको घी से होने वाले स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताने वाले हैं.

दूर रहता है कब्ज

कब्ज की समस्या में देशी घी काफी असरदार होता है. इससे कब्ज जैसी बीमारियां दूर होती हैं. घी का सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति को कब्ज की शिकायत नहीं रहती है.

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मजबूत रहती हैं हड्डियां

घी में विटामिन के2 की मात्रा होती है, जिसकी मदद से आपकी हड्डियों तक कैल्शियम पहुंचता है. जानकारों की माने तो इसमें कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो हड्डियों के लिए जरूरी तरल पदार्थ का निर्माण करते हैं, जिससे जोड़ मजबूत होते हैं.

त्वचा और बालों का रखे ख्याल

देसी घी से रोजाना फेस की मसाज करने से त्‍वचा की खोई नमी वापस आ जाती है. जिसकी वजह से त्‍वचा का रूखापन खत्म होकर त्वचा की कांति बढ़ जाती है.

मोटापा दूर करता है घी

घी का सेवन करने से मोटापा दूर होता है. देशी घी में सीएलए होता है जो शरीर की मेटाबौलिज्म को ठीक रहता है. इससे वजन कंट्रोल में रहता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि गाय के घी में कोलेस्ट्रोल नहीं होता. यह शरीर में जमे, जिद्दी फैट को पिघलाकर मेटाबोलिज्म बढ़ाने में मदद करता है. जिसकी वजह से व्यक्ति मोटापे का शिकार नहीं बनता.

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संतुलित रहते हैं हार्मोन्स

देशी घी में विटामिन A, विटामिन K2, विटामिन D, विटामिन E जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ये तत्व शरीर के हार्मोंस को संतुलित रखने में काफी मददगार होते हैं. यही वजह है कि जानकार गर्भवती स्त्रियों और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए घी का सेवन करने की सलाह देते हैं.

कम उम्र में बालों के सफेद होने के ये हैं 5 बड़े कारण

आजकल के खराब खानपान और जीवनशैली का नतीजा है कि लोगों को बहुत सी परेशानियां उम्र से पहले होने लगी हैं. इनमें बाल का सफेद होना भी कुछ मुख्य समस्याओं में से एक है. कम उम्र में बाल सफेद होने को लेकर आम तौर पर लोगों की धारणा है कि ये परेशानी जेनेटिक है. पर ये पूरा सच नहीं है. समय से पहले बाल सफेद होने के और भी कई कारण होते हैं. इस खबर में हम आपको उन कारणों के बारे में बताएंगे.

तो आइए शुरू करते हैं.

धूम्रपान

धूम्रपान का सेवन करने वालों के बाल कम उम्र में सफेद हो जाते हैं. साल 2013 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनके बाल जल्दी सफेद होने की संभावना दूसरे लोगों के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा होती है. इसके अलावा भी धूम्रपान की आदत सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है.

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हार्मोन्स

शरीर में हार्मोन्स का स्तर बिगड़ने से भी बाल जल्दी सफेद होते हैं. हार्मोन्स के असंतुलित होने पर बाल रूखे सूखे हो जाते हैं, उनकी चमक खो जाती है.

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तनाव

सही उम्र से पहले बालों के सफेद होने का एक प्रमुख कारण तनाव भी है. अधिक तनाव लेने से आपके बाल अपना नेचुरल कलर खो देते हैं. बालों की अच्छी सेहत चाहते हैं तो तनाव से दूर रहें.

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प्रदूषण

आज के समय में बहुत सी परेशानियां गिर रहे वायु के स्तर की वजह से हो रही हैं. प्रदूषित हवा में मौजूद तत्व बालों को डैमेज करते हैं और उन्हें सफेद करते हैं. जानकारों की माने तो प्रदूषित हवा में मौजूद फ्री रेडिकल्स मेलानिन को डैमेज कर के बालों को सफेद करने का काम करते हैं.

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अनहेल्दी डाइट

डाइट का सीधा असर सेहत पर होता है. इसलिए खानपान का खासा ध्यान देने की जरूरत है, फास्टफूड्स और जंक फूड्स का अधिक सेवन ना करें. डाइट में न्यूट्रिएंट्स की कमी होने से बाल अपना नेचुरल कलर खो देते हैं.

edited and improvised by Shubham

तेजी से आपका वजन कम करेंगे ये 5 मसाले

वजन कम करने के लिये हम अक्‍सर अपने आहार और फिटनेस पर ध्‍यान देते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह कसक रह जाती है कि शायद हम पूरी तरह से अपनी डाइट पर ध्‍यान नहीं दे रहे हैं. जिसका रिजल्‍ट होता है कि आप सही से आहार लेने के बावजूद भी अपना वजन कम नहीं कर पाते.

लेकिन अब आपको किसी नए डाइट प्‍लैन की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि आपके किचन में रखे कुछ मसाले वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं. आइये जानते हैं कैसे.

1 सरसों : सरसों का दाना शरीर का मैटाबौलिज्म बढाता है. यह शरीर में चर्बी को बड़ी ही तेजी से गलाता है. यह ना केवल टेस्‍टी ही होता है बल्कि हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिये भी बहुत अच्‍छा माना जाता है. बाजार से मसटर्ड सौस लाइये और फिर इसे अपने भोजन के साथ रोजाना मिला कर खाइये, फिर देखिये वजन कैसे कम होगा.

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2 हल्‍दी : भारतीय मसालों में हल्‍दी सबसे स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मसाला माना जाता है. यह हर्बल उपचार के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता आ रहा है. यह शरीर में कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करती है और पाचन में सुधार करती है. इसमें करक्‍यूमिन नामक तत्‍व पाया जाता है जो वसा ऊतकों को दूर रखता है. यह शरीर से सभी टौक्‍सिन को बाहर निकाल देती है.

3 लहसुन : यह ना केवल भोजन का ही स्‍वाद बढाता है बल्कि वजन पर भी काबू पाने में मदद करता है. इसमें एक तत्‍व पाया जाता है, जिसका नाम एलिसिन होता है. यह तत्‍व कोलेस्‍ट्रौल से लगड़ा है और ब्‍लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है.

4 दालचीनी : आप चीनी की जगह पर दालचीनी का प्रयोग कर सकती हैं. पर क्‍या आप को पता है कि दालचीनी के सेवन से मोटापा भी कम होता है. यह शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करती है. डाइट में शामिल कार्बोहाइड्रेट को यह आसानी से पचने में मदद करती है.

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5 अदकर : अदरक लगभग पूरी दुनिया में इस्‍तमाल किया जाने वाला मसाला है. इसको अपनी डाइट में लेने से भूख कंट्रोल होती है, शरीर से गंदगी साफ होती है, रोग-प्रतिरोधक शक्‍ति बढ़ती है और पाचन में सुधार आता है.

अदरक के तेल का फायदा जान हैरान रह जाएंगी आप

मासाले सिर्फ हमारे स्वाद के लिए जरूरी नहीं होते बल्कि इनका हमारी सेहत पर जरूरी असर होता है. इसी क्रम में आज हम आपको अदरक से होने वाले फायदों के बारे में बताने वाले हैं. अदरक में बहुत से पौष्टिक और जरूरी तत्व पाए जाते हैं. अदरक में मौजूद एंटी- बैक्टीरियल और एंटीऔक्सीडेंट गुण खांसी-जुकाम से भी राहत दिलाते हैं. इसके तत्व त्वचा और बालों के लिए काफी लाभकारी होते हैं. पर क्या आपको बता है कि अदरक का तेल भी बेहद असरदार होता है. सेहत संबंधित बहुत सी परेशानियों में ये बेहद लाभकारी होता है. सेहतंद रहने और इंम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए ये काफी असरदार होता है.

इस खबर में हम आपको अदरक के तेल के फायदों के बारे में बताएंगे.

ब्लड शुगर को करे कम

ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एंटी डायबैटिक गुण पाए जाते हैं जो दिल की बीमारियों को दूर करने में भी कारगर होते हैं.

कई तरह के दर्द में लाभकारी है

मांसपेशियों के दर्द में अदरक का तेल काफी असरदार होता है. इसके अलावा जोड़ों के दर्द में भी ये मदद करता है. शरीर में किसी भी तरह के सूजन को कम करने में ये काफी कामगर होता है. अगर आपको जोड़ों का दर्द या मांसपेशियों का दर्द है तो आप अदरक के तेल का इस्तेमाल बेझिझक कर सकती हैं.

कौलेस्ट्रोल को करे कम

कोलेस्ट्रौल दिल को काफी नुकसान पहुंचाता है. कौलेस्ट्रोल को कम करने में दरक का तेल कामगर है.

सांस की समस्या में है फायदेमंद

अदरक सांस की परेशानियों में भी असरदार होता है. गले और नाक के बलगम को साफ करने में ये उपयोगी है. खांसी और जुकाम में भी ये काफी राहत देता है. इस तरह की परेशानियों में आराम पाने के लिए आप अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं.

पाचन होता है अच्छा

अदरक के तेल के उपयोग से पाचनतंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है. इसके आलावा खाने क स्वाद बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है.

जंक फूड को कहें ना

एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन अच्छा पौष्टिक भोजन अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरी होता है लेकिन आज के आधुनिक युग में लगभग सभी लोग जंक फूड खा रहे हैं. इस के पीछे कारण यह भी है कि यह बाजार में हर जगह आसानी से उपलब्ध है, स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही दाम में कम होता है.

बच्चे से ले कर बड़े तक हर व्यक्ति जंक फूड खाने लगा है. विवाहपार्टी हो, बर्थडे पार्टी या गेट टूगेदर हो, जंक फूड बड़े शौक से खाया जाता है – जैसे कोल्ड ड्रिंक, नूडल, बर्गर, पिज्जा, चिप्स, नमकीन, मंचूरियन, समोसा, पकौड़े, केक, आइसक्रीम, चौकलेट आदि जंक फूड पार्टी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं.

पहले लोग जंक फूड को कभीकभी ही बाहर जाने पर खाया करते थे पर अब धीरेधीरे लोग इसे अपने घर का खाना बनाते जा रहे है जिस के कारण लोगों को कई प्रकार के स्वास्थ्य से जुड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या है जंक फूड

जंक फूड में बहुत ज्यादा कैलोरी होती है और विटामिन, प्रौटीन और मिनरल की मात्रा बहुत अधिक होती है. विटामिन और मिनरल जरूरत के अनुसार ही शरीर के लिए सही हैं. कुल मिला कर जंक फूड व्यक्ति के शरीर के लिए लाभदायक कम और हानिकारक ज्यादा है.

एक बात तो साफ है, ज्यादा और लगातार जंक फूड खाने से शरीर को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

वजन बढ़ना : जंक फूड बनाने में तेल, घी, बटर का अत्याधिक उपयोग होता है, जो मोटापे का कारण बनता है और मोटापा शरीर को कई अन्य बीमारियां देता है.

हाइपरटेंशन : जंक फूड में ज्यादा नमक का इस्तेमाल होता है जबकि घर में बने भोजन में हम जरूरत के अनुसार नमक की मात्रा का उपयोग करते हैं. ज्यादा नमक का सेवन हाइपरटेंशन काकारण बन सकता है.

टाइफाइड : घर में बना खाना साफसुथरा, साफ हाथों से बना होता है. होटल, फास्ट फूड सैंटर पर मिलने वाले जंक फूड बनाने में ज्यादा साफसफाई का ध्यान नहीं रखा जाता. अस्वच्छ तरीके से बनाए फूड से टाइफाइड, डायरिया होने का खतरा रहता है.

हृदय से जुड़े रोग : घर पर भोजन बनाने में हम कम तेल का इस्तेमाल करते हैं जबकि जंक फूड को ज्यादा तेल और घीयुक्त बनाया जाता है. ऐसा भोजन शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाता है, जिस से कई प्रकार के हृदय रोग होने का खतरा रहता है.

कुपोषण : लंबे समय तक बिना पौष्टिक तत्त्वों का जंक फूड खाते रहने से व्यक्ति की भूख कम हो जाती है, जिस से कुपोषण की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों का शारीरिक विकास सही प्रकार से नहीं हो पाता.

अंत : जंक फूड खाने के इतने भी शौकीन मत बनाइए कि अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर बैठे. महीने में एक बार स्वाद के लिए जंक फूड खा सकते है पर इस की आदत बना स्वयं के शरीर को स्वयं बरबाद करना है. इसलिए घर का स्वच्छ, स्वस्थ भोजन खाएं और स्वस्थ रहें.

बच्चे और जंक फूड

बच्चों को जंक फूड से अलग करना आज नामुमकिन सा हो गया है इसलिए चाहें तो मातापिता समझदारी से बच्चों को जंक फूड खाने को दे सकते हैं लेकिन इस की एक सीमा निर्धारित कर दें. बच्चों के साथ मिल कर एक दिन तय कर लें कि वह हफ्ते में एक दिन जंक फूड खा सकते हैं ताकि बच्चे भी छिप कर चोरी छिपे बाहर से जंक फूड नहीं खाएं.

यह डील करते समय क्वांटिटी का निर्णय भी मातापिता करें. मतलब कि बच्चा पूरा का पूरा चिप्स का पैकेट नहीं खाए बल्कि उसे कुछ पोर्शन ही दें. जंक फूड डे का मतलब यह भी नहीं कि सुबह से शाम तक बच्चा अपनी मरजी का ही खाए. नहीं, साथ में हैल्दी फूड भी खाने को दें.

इस तरीके से बच्चे को उस की मनपसंद चीज भी खाने को मिल जाएगी, साथ उस की सेहत को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा और उस के विकास में पौष्टिकता की किसी भी तरह की कमी नहीं रह पाएगी.

Holi Special 2020 : रंगों के त्योहार पर रखें इन बातों का खास ख्याल

होली खुशियों का त्योहार है. लोग इसके उमंग उल्लास में इस कदर डूब जाते हैं कि अपनी सेहत का नुकसान कर बैठते हैं. ज्यादा तेल का खाना, अधिक मिठाई खाना, अनहाइजीन व्यंजनों का सेवन और भी ना जाने कितनी लापरवाहियां इस त्योहार की रौनक को कम कर देती हैं. ऐसे में हम आपको कुछ खास टिप्स बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप इस होली को और भी बेहतर ढंग से एंजौय कर पाएंगी.

ओवर ईटिंग से बचें

होली में तरह तरह के पकवान और मिठाइयां बनते हैं. इस चक्कर में आप कुछ ना कुछ खाती रहती हैं. ये सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है. त्योहारों में बनने वाले व्यंजन काफी तेल वाले होते हैं, ये तले और भुने होते हैं, ये आसानी से नहीं पचते. इससे फूड प्वाइजनिंग की समस्या हो सकती है.

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पानी खूब पिएं

होली में हम खाते अधिक हैं पर पानी पीना भूल जाते हैं. खाने और होली की हुड़दंग से शरीर में पानी की कमी होती जाती है. इसका असर पाचन पर भी होता है. इस भागा दौड़ी में पानी पीना ना भूलें. दिन भर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं.

इसके अलावा इन बातों का भी रखें ख्याल:

  • ज्यादा मसालेदार और तले-भुने मसालों से दूर रहें.
  • भांग, ठंडई और किसी भी तरह के नशे से दूर रहें.
  • गुजिया का अधिक सेवन ना करें, ये मैदा और खोए से बने होते हैं. इनका अधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.
  • ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें. ये सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं.
  • बाजार की मिठाइयों से दूर रहें. ये मिलावट वाली हो सकती है, इनके सेवन से आपके स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.

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