विवाह का सुख तभी जब पतिपत्नी स्वतंत्र हों

रिद्धिमा अकसर बीमार रहने लगी है. मनोज के साथ उस की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए हैं, मगर ससुराल में शुरू के 1 साल ठीकठाक रहने के बाद वह मुरझने सी लगी. शादी से पहले रिद्धिमा एक सुंदर, खुशमिजाज और स्वस्थ लड़की थी. अनेक गुणों और कलाओं से भरी हुई लड़की. लेकिन शादी कर के जब वह मनोज के परिवार में आई तो कुछ ही दिनों में उसे वहां गुलामी का एहसास होने लगा. दरअसल, उस की सास बड़ी तुनकमिजाज और गुस्से वाली है.

वह उस के हर काम में नुक्स निकालती है. बातबात पर उसे टोकती है. घर के सारे काम उस से करवाती है और हर काम में तमाम तानेउलाहने देती है कि तेरी मां ने तुझे यह नहीं सिखाया, तेरी मां ने तुझे वह नहीं सिखाया, तेरे घर में ऐसा होता होगा हमारे यहां ऐसा नहीं चलेगा जैसे कटु वचनों से उस का दिल छलनी करती रहती है.

रिद्धिमा बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती है मगर उस की सास और ननद को उस के हाथ का बना खाना कभी अच्छा नहीं लगा. वह उस में कोई न कोई कमी निकालती ही रहती है. कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा का राग अलापती है. शुरू में ससुर ने बहू के कामों की दबे सुरों में तारीफ की मगर पत्नी की चढ़ी हुई भृकुटि ने उन्हें चुप करा दिया. बाद में तो वे भी रिद्धिमा के कामों में मीनमेख निकालने लगे.

रिद्धिमा का पति मनोज सब देखता है कि उस की पत्नी पर अत्याचार हो रहा है मगर मांबाप और बहन के आगे उस की जबान नहीं खुलती. मनोज के घर में रिद्धिमा खुद को एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती है और वह भी बिना तनख्वाह की. इस घर में वह अपनी मरजी से कुछ नहीं कर सकती है.

ऐसी सोच क्यों

यहां तक कि अपने कमरे को भी यदि रिद्धिमा अपनी रुचि के अनुसार सजाना चाहे तो उस पर भी उस की सास नाराज हो जाती है और कहती है कि इस घर को मैं ने अपने खूनपसीने की कमाई से बनाया है, इसलिए इस में परिवर्तन की कोशिश भूल कर भी मत करना. मैं ने जो चीज जहां सजाई है वह वहीं रहेगी.

रिद्धिमा की सास ने हरकतों और अपनी कड़वी बातों से यह जता दिया है कि घर उस का है और उस के मुताबिक चलेगा. यहां रिद्धिमा या मनोज की पसंद कोई मतलब नहीं रखती है.

5 साल लगातार गुस्सा, तनाव और अवसाद में ग्रस्त रिद्धिमा आखिरकार ब्लडप्रैशर की मरीज बन चुकी है. इस शहर में न तो उस का मायका है और न दोस्तों की टोली, जिन से मिल कर वह अपने तनाव से थोड़ा मुक्त हो जाए. उस की तकलीफ दिनबदिन बढ़ रही है. सिर के बाल ?ाड़ने लगे हैं. चेहरे पर ?ांइयां आ गई हैं.

सजनेसंवरने का शौक तो पहले ही खत्म हो गया था अब तो कईकई दिन कपड़े भी नहीं बदलती है. सच पूछो तो वह सचमुच नौकरानी सी दिखने लगी है. काम और तनाव के कारण 3 बार मिसकैरिज हो चुका है. बच्चा न होने के ताने सास से अलग सुनने पड़ते हैं. अब तो मनोज की भी उस में दिलचस्पी कम हो गई है. उस की मां जब घर में टैंशन पैदा करती है तो उस की खीज वह रिद्धिमा पर निकालता है.

परंपरा के नाम पर शोषण

वहीं रिद्धिमा की बड़ी बहन कामिनी जो शादी के बाद से ही अपने सास, ससुर, देवर और ननद से दूर दूसरे शहर में अपने पति के साथ अपने घर में रहती है, बहुत सुखी, संपन्न और खुश है. चेहरे से नूर टपकता है. छोटीछोटी खुशियां ऐंजौए करती है. बातबात पर दिल खोल कर खिलखिला कर हंसती है. कामिनी जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही है. अपने घर की और अपनी मरजी की मालकिन है.

उस के काम में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है. अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार अपना घर सजाती है. घर को डैकोरेट करने के लिए अपनी पसंद की चीजें बाजार से लाती है. पति भी उस की रुचि और कलात्मकता पर मुग्ध रहता है. बच्चों को भी अपने अनुसार बड़ा कर रही है. इस आजादी का ही परिणाम है कि कामिनी उम्र में बड़ी होते हुए भी रिद्धिमा से छोटी और ऊर्जावान दिखती है.

दरअसल, महिलाओं के स्वास्थ्य, सुंदरता, गुण और कला के विकास के लिए शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहना ही ठीक है. सास, ससुर, देवर, जेठ, ननदों से भरे परिवार में उन की स्वतंत्रता छिन जाती है.  हर वक्त एक अदृश्य डंडा सिर पर रहता है. उन पर घर के काम का भारी बोझ होता है. काम के बोझ के अलावा उन के ऊपर हर वक्त पहरा सा लगा रहता है.

हर वक्त पहरा क्यों

सासससुर की नजरें हर वक्त यही देखती रहती हैं कि बहू क्या कर रही है. अगर घर में ननद भी हो तो सास शेरनी बन कर बहू को हर वक्त खाने को तैयार रहती है. बेटी की तारीफ और बहू की बुराइयां करते उस की जबान नहीं थकती. ये हरकतें बहू को अवसादग्रस्त कर देती हैं. जबकि पति के साथ अलग रहने पर औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है. वह अपने निर्णय स्वयं लेती है. अपनी रुचि से अपना घर सजाती है.

अपने अनुसार अपने बच्चे पालती है और पति के साथ भी रिश्ता अलग ही रंग ले कर आता है. पतिपत्नी अलग घर में रहें तो वहां काम का दबाव बहुत कम होता है. काम भी अपनी सुविधानुसार और पसंद के अनुरूप होता है. इसलिए कोई मानसिक तनाव और थकान नहीं होती.

बच्चों पर बुरा असर

घर में ढेर सारे सदस्य हों तो बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है. उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सहीगलत की राय देता है, जिस से वे कन्फ्यूज हो कर रह जाते हैं. वे अपनी सोच के अनुसार सहीगलत का निर्णय नहीं ले पाते. एकल परिवार में सिर्फ मातापिता होते हैं जो बच्चे से प्यार भी करते हैं और उसे समझते भी हैं, तो बच्चा अपने फैसले लेने में कन्फ्यूज नहीं होता और सहीगलत का निर्णय कर पाता है.

लेकिन जहां ससुराल में सासबहू की आपस में नहीं बनती है तो वे दोनों बच्चों को 2 एकदूसरे के खिलाफ भड़काती रहती हैं. वे अपनी लड़ाई में बच्चों को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं.

इस से बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. उन का विकास प्रभावित होता है. देखा गया है कि ऐसे घरों के बच्चे बहुत उग्र स्वभाव के, चिड़चिड़े, आक्रामक और जिद्दी हो जाते हैं. उन के अंदर अच्छे मानवीय गुणों जैसे मेलमिलाप, भाईचारा, प्रेम और सौहार्द की कमी होती है. वे अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते.

अपना घर तो खर्चा कम

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अपने घर में रहें तो खर्च कम होने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होता है. मनोज का ही उदाहरण लें तो यदि किसी दिन उस को मिठाई खाने का मन होता है तो  सिर्फ अपने और पत्नी के लिए नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार के लिए मिठाई खरीदनी पड़ती है.

पत्नी के लिए साड़ी लाए तो उस से पहले मां और बहन के लिए भी खरीदनी पड़ती है. पतिपत्ती कभी अकेले होटल में खाना खाने या थिएटर में फिल्म देखने नहीं जाते क्योंकि पूरे परिवार को ले कर जाना पड़ेगा. जबकि कामिनी अपने पति और दोनों बच्चों के साथ अकसर बाहर घूमने जाती है. वे रेस्तरां में मनचाहा खाना खाते हैं, फिल्म देखते हैं, शौपिंग करते हैं. उन्हें किसी बात के लिए सोचना नहीं पड़ता.

ऐसे अनेक घर हैं जहां 2 या 3 भाइयों की फैमिली एक ही छत के नीचे रहती है. वहां आए दिन ?ागड़े और मनमुटाव होती है. घर में कोई खाने की चीज आ रही है तो सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि भाइयों के बच्चों के लिए भी लानी पड़ती है. सभी के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. यदि परिवार में कोई कमजोर है तो दूसरा ज्यादा खर्च नहीं करता ताकि उसे बुरा महसूस न हो.

मनोरंजन का अभाव

ससुराल में आमतौर पर बहुओं के मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. उन्हें किचन और बैडरूम तक सीमित कर दिया जाता है. घर का टीवी अगर ड्राइंगरूम में रखा है तो उस जगह सासससुर और बच्चों का कब्जा रहता है. बहू अगर अपनी पसंद का कोई कार्यक्रम देखना चाहे तो नहीं देख सकती है.

अगर कभी पतिपत्नी अकेले कहीं जाना चाहें तो सब की निगाहों में सवाल होते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कब तक आओगे? इस से बाहर जाने का उत्साह ही ठंडा हो जाता है.

ससुराल में बहुएं अपनी सहेलियों को घर नहीं बुलातीं, उन के साथ पार्टी नहीं करतीं, जबकि पतिपत्नी अलग घर में रहें तो दोनों ही अपने फ्रैंड्स को घर में बुलावे करते हैं, पार्टियां देते हैं और खुल कर ऐंजौए करते हैं.

जगह की कमी

एकल परिवारों में जगह की कमी नहीं रहती. वन बैडरूम फ्लैट में भी पर्याप्त जगह मिलती है. कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है. बहू खाली वक्त में ड्राइंगरूम में बैठे या बालकनी में, सब जगह उस की होती है, जबकि सासससुर की उपस्थिति में बहू अपने ही दायरे में सिमट जाती है. बच्चे भी दादादादी के कारण फंसाफंसा अनुभव करते हैं. खेलें या शोरगुल करें तो डांट पड़ती है.

स्वतंत्रता खुशी देती है

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अलग घर ले कर रहें तो वहां हर चीज, हर काम की पूरी आजादी रहती है. किसी की कोई रोकटोक नहीं होती. जहां मन चाहा वहां घूम आए. जो मन किया वह बनाया और खाया. पकाने का मन नहीं है तो बाजार से और्डर कर दिया. जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनें.

सासससुर के साथ रहने पर नौकरीपेशा महिलाएं उन की इज्जत का खयाल रखते हुए साड़ी या चुन्नी वाला सूट ही पहनती हैं, जबकि स्वतंत्र रूप से अलग रहने वाली औरतें सुविधा और फैशन के अनुसार जींसटौप, स्कर्ट, मिडी सब पहन सकती हैं. घर में पति के साथ अकेली हैं तो नाइट सूट या सैक्सी नाइटी में रह सकती हैं.

Valentine’s Day 2024: एकतरफा प्यार में क्या करें

सौरभ अपने रिश्तेदार के यहां शादी में गया था. वहां बरात में आई लड़की उसे पसंद आ गई. उसे देखते ही उस के मन में प्यार की कोंपलें फूटने लगीं, हृदय हिलोरें मारने लगा और वह उस का दीवाना हो गया.

बरात के विदा होने के साथ वह लड़की भी वापस चली गई. लेकिन, सौरभ एकतरफा प्यार में पागल हो चुका था. उसे कुछ सूझ नहीं रहा था. उसे गुमसुम देख एक दिन मां ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बेटे, आजकल तुम्हारा मन किसी काम में नहीं लग रहा है? न ठीक से खातेपीते हो और न पढ़तेलिखते हो, गुमसुम बने रहते हो?’’

‘‘नहीं मौम, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ सौरभ ने कहा था.

बेटे के उत्तर से मां निश्चिंत हो गईं. लेकिन सौरभ उस लड़की के लिए बेताब था. उस ने अपने रिश्तेदार से उस लड़की के बारे में जानने व उस से मिलने की इच्छा व्यक्त की.

उस के रिश्तेदार ने कहा, ‘‘कहीं तुम्हें शिखा से प्यार तो नहीं हो गया? मैं पहले बता दूं कि इस बारे में सोचना भी मत क्योंकि उस की सगाई हो चुकी है और 2 महीने बाद उस की शादी है.’’

सौरभ के तो पैरोंतले जमीन खिसक गई. उस के सारे सपने टूट गए. वह इतना डिप्रैस्ड हो गया कि खुदकुशी कर मौत को गले लगा लिया.

मीना बीए फाइनल ईयर में थी. उसे अपनी ही क्लास के लड़के रोहित से प्यार हो गया. लड़के के पिता केंद्र सरकार में सेवारत हैं. इसलिए उन का ट्रांसफर होता रहता है. रोहित काफी हैंडसम और होशियार था. कुछ ही समय में वह प्रोफैसरों का भी चहेता बन गया. मीना मन ही मन उसे चाहने लगी. उस ने अपने दिल की बात न तो अपनी सहेलियों को बताई और न ही घर पर. इस बारे में रोहित से बात करने का वह साहस नहीं जुटा सकी.

खैर, उस का बीए पूर्ण हो गया और रोहित के पिता का ट्रांसफर चेन्नई हो गया. उस के चले जाने पर वह उस के खयालों में खोई रहती. वह उस के प्यार में इस कदर पागल हो गई कि खानापीना तक  छोड़ दिया. मां ने उस से उस के उखड़े मूड के बारे में पूछा तो उस ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. मां ने अपनी बहू से कहा कि वह मीना से बात कर पता लगाए कि वह इतनी खोईखोई क्यों रहती है.

भाभी के समक्ष मीना खुल गई और उस ने अपने एकतरफा प्यार के बारे में बताया. भाभी ने इस संबंध में उस की मदद करने को कहा और उस लड़के से संपर्क कर बताया कि उन की ननद किस तरह उस के प्यार में पागल है.

यह सुन कर रोहित भौचक्का रह  गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उसे इस तरह प्यार कर सकती है. उस ने भाभी की बात को सिरे से नकार दिया, बोला, ‘‘अब तक तो मैं आप की ननद को पहचान ही नहीं पा रहा हूं. क्योंकि क्लास में कम से कम 50 लड़कियां थीं. वैसे भी, मैं तो उर्वशी से प्यार करता हूं और वह भी मुझे चाहती है. हम दोनों ने एकसाथ जीनेमरने की कसमें खाई हैं. मैं उसे धोखा नहीं दे सकता.’’

भाभी ने अपनी ननद को इस बारे में बताया और कहा कि तुम किसी अन्य लड़के से शादी कर लो. तुम सुंदर हो, पढ़ीलिखी भी हो. तुम्हारे लिए रिश्ते की कोई कमी नहीं है.

लेकिन मीना के सिर पर तो एकतरफा प्यार का भूत सवार था. उस ने कहा, ‘‘अगर वह लड़का मेरी जिंदगी में नहीं आ सकता तो मैं किसी अन्य लड़के को अपना जीवनसाथी नहीं बनाऊंगी. मैं जीवनभर कुंआरी रह लूंगी पर किसी दूसरे लड़के से शादी नहीं करूंगी.’’

रवि अपने महल्ले की एक लड़की को चाहने लगा. दिन में कई बार उस के घर के सामने से निकलता ताकि उस की एक झलक दिख जाए. यह सिलसिला 3 महीनों तक चलता रहा. हालांकि, वह लड़की रवि को जानती तक न थी.

एक दिन वह बाजार से अकेली आ रही थी. रवि की नजर उस पर पड़ी. उस ने रास्ते में उसे रोक कर बात करनी चाही. सरेराह कोई लड़का उसे छेड़े, यह उसे नागवार लगा. रवि अपने दिल की बात उस से कहता, इस के पूर्व ही लड़की ने उस के गाल पर तमाचा दे मारा. इस अप्रत्याशित घटना से रवि हक्काबक्का रह गया. वह वहां से भाग खड़ा हुआ.

एकतरफा प्यार में पागल हुए इस प्रेमी को अपने को ठुकराए जाने पर इस कदर गुस्सा आया कि उस ने उस से बदला लेने की सोची और एक दिन उसे अकेली आते देख उस के चेहरे पर तेजाब डाल दिया. लड़की का चेहरा बुरी तरह झुलस गया, हालांकि लड़की की चीखपुकार सुन कर लोगों ने रवि को उसी समय धरदबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया.

न्यायालय में जब जज ने उस से तेजाब फेंकने का कारण पूछा तो उस ने कहा, ‘‘यह लड़की अपनेआप को समझती क्या है? मेरे प्यार को ठुकरा कर इस ने अच्छा नहीं किया. यदि यह मेरी नहीं हो सकती तो किसी दूसरे की भी नहीं हो सकती. इसीलिए मैं ने तेजाब डाल कर बदला लिया.’’

कोर्ट ने रवि को 3 साल की सजा सुनाई.

एकतरफा प्यार करने वाले लड़के या लड़की यह क्यों नहीं समझते कि वही प्यार परवान चढ़ता है जो दोनों तरफ से हो. जब सामने वाले या सामने वाली को पता ही नहीं हो कि कोई उस के प्यार में पागल है, तो उस के स्वीकार करने या न करने का प्रश्न ही कहां उठता है.

यदि आप किसी से प्यार करते हैं या करती हैं तो उसे अपने दिल की बात बताने में संकोच या विलंब न करें. समय रहते उसे इस बारे में बताएं और यदि वह सिरे से खारिज कर दे तो अपने कदम पीछे खींच लेने में ही भलाई है. यदि वह जवाब के लिए कुछ समय चाहे तो उसे देना चाहिए.

प्यार में जबरदस्ती नहीं होती.

यदि आप का प्रस्ताव अस्वीकार हो जाता है तो इस का मतलब यह नहीं कि दुनिया खत्म हो गई. ऐसे में न तो सामने वाले से बदला लेने या सबक सिखाने के बारे में सोचना चाहिए और न ही अपनी जिंदगी की रफ्तार को रोकना चाहिए. धीरेधीरे सबकुछ सामान्य हो जाएगा.

अपने एकतरफा प्यार का इजहार करने में जहां लड़के उतावले रहते हैं वहीं लड़कियों में शर्मझिझक होने से वे इस का इजहार नहीं कर पातीं. आमतौर पर लड़कियां इस की पहल नहीं करतीं या करती भी हैं तो किसी को माध्यम बना कर.

कई बार जब आप किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो उस आकर्षण को ही प्यार समझने लगते हैं. लेकिन ये दोनों अलगअलग बातें हैं. आकर्षण छलावा होता है जबकि प्यार गहराई लिए होता है. प्यार भावनाओं पर आधारित होता है जबकि आकर्षण वासना पर. वासना को प्यार का नाम देना बुद्घिमानी नहीं है.

एकतरफा प्यार में मिली असफलता को धोखे का नाम नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह तो इस बात से अनजान है. जब आप उसे इस बारे में बताते हैं तो उस की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह नहीं कह सकते. हो सकता है कि उस का जवाब सकारात्मक हो. यदि आप का प्यार स्वीकार हो जाता है तो आप के मन की इच्छा पूरी हो सकती है वरना सामने वाले को दोष देना ठीक नहीं. इसलिए, प्यार में इतने पागल न बनें कि अपना आपा खो दें.

आप प्यार के बदले प्यार चाहते हैं लेकिन जब प्यार एकतरफा हो तो जरूरी नहीं कि हम जो चाहें वह हमें मिले ही. यदि आप किसी फिल्म अभिनेत्री या अभिनेता को चाहने लगें या उस से एकतरफा प्यार करने लगें तो क्या यह पागलपन नहीं है? किसी का फैन या प्रशंसक होना एक बात है और उस से प्यार करना दूसरी बात. आप अपने पसंदीदा हीरो या हीराइन को सपनों में देखते रहिए, लेकिन क्या आप उन के सपनों में आते हैं?

बात अभिनेता या अभिनेत्रियों की ही नहीं है, कोई अच्छी सुंदर लड़की दिखी नहीं कि मनचले उसे अपना दिल दे बैठते हैं. उस के आगेपीछे दौड़ते हैं, उस पर फिकरे कसते हैं या छेड़छाड़ करते हैं ताकि उस का ध्यान उन की तरफ जाए और वह उन से प्यार करने लगे. लेकिन, बदले में क्या मिलता है-थप्पड़.

यदि आप ने किसी से एकतरफा प्यार किया है लेकिन वह आप का नहीं हो सका या नहीं हो सकी, तो उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने का आप को कोई अधिकार नहीं है. उसे अपने हिसाब से जीने दो. माना कि एकतरफा प्यार की पीड़ा आप झेल रहे हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि किसी की सुखी जिंदगी में जहर घोल दें.

यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही लड़केलड़कियों में विपरीतलिंगी को सामने देख कुछकुछ होने लगता है. उन की धड़कनें बढ़ जाती हैं. कई बार उन्हें पहली नजर में ही किसी से प्यार हो जाता है. शुरुआत एकतरफा प्यार से ही होती है. यदि सामने वाला या सामने वाली भी इस पर अपनी मुहर लगा दे तब तो ठीक, वरना एकतरफा प्यार का दर्द और जख्म इतना गहरा होता है कि वह जिंदगी तबाह भी कर सकता है.

शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. इस के लिए अब मैं सैक्स के दौरान नीचे तकिया भी रखती हूं और पति से कहती हूं कि स्खलित होने के बाद वे देर तक उसी अवस्था में रहें. फिर भी कंसीव नहीं कर पा रही जबकि मेरे पीरियड्स रैग्युलर हैं और हम नियमित रूप से सैक्स भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स के दौरान इजैक्युलेशन के समय पुरुष के अंग से काफी तीव्र वेग से स्पर्म निकलते हैं और गहराई तक पहुंचते हैं. जो स्पर्म स्ट्रौंग नहीं होते वे वैजाइना से बाहर भी निकल जाते हैं, मगर इस से गर्भधारण प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक आम प्रक्रिया है और इस से घबराने की भी जरूरत नहीं है. अगर पति का स्पर्म काउंट सही है, आप का पीरियड्स  रैग्युलर है तो संभव है कि आप के कंसीव न कर पाने के पीछे कोई और मैडिकल वजह हो. यह वजह आप में या फिर आप के पति दोनों में से किसी में भी हो सकती है. अच्छा यही होगा कि आप किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से सलाह लें और फर्टिलिटी के बारे में बात करें. तभी आप जल्दी कंसीव कर पाएंगी.

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मां बनने का एहसास हर महिला के लिए सुखद होता है. लेकिन यदि किसी कारण से एक महिला मां के सुख से वंचित रह जाए तो उसके लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. हालांकि, कंसीव न कर पाने के कई कारण होते हैं लेकिन यह एक महिला के जीवन को बेहद मुश्किल और दुखद बना देता है. दरअसल, हमारे देश में आज भी बांझपन को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है. इसका प्रकोप सबसे ज्यादा महिलाओं को झेलना पड़ता है. जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है तो समाज उसे हीन भावना से देखने लगता है. इस कारण से एक महिला को लोगों की खरी-खोटी सुननी पड़ती है जिसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. ऐसी महिलाएं उम्मीद करती हैं कि लोग उनकी स्थित और भावनाओं को समझेंगे. परिवार और दोस्तों से बात करके उन्हें कुछ हद तक अच्छा महसूस होता है इसलिए ऐसे समय में बाहरी लोगों से मिलने-जुलने से बचें क्योंकि गर्भवती महिला या बच्चों को देखकर आप डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं.

माई बैटर हाफ: शादी का रिश्ता बनाना चाहते हैं मजबूत, तो अपनाएं ये बातें

हमारे रिश्तेनाते हमारा सामर्थ्य होते हैं. इन में पतिपत्नी का रिश्ता एकदूसरे के प्रति विश्वास, प्रेम और अपनेपन पर आधारित होता है. दो अजनबी प्यार में पड़ कर विवाहित होते हैं और फिर एक तरह से उन के बीच एक अटूट प्रेम का रिश्ता पनपने लगता है. इसी से ही आगे चल कर स्नेह, प्रेम और अपनेपन की भावनाओं से रिश्तों का धागा बुना जाता है.

यह अपनापन ही हमारे मन को हमेशा से उमंग देता रहता है और यही अनुभूति पतिपत्नी के रिश्तों में भी होती है. इस रिश्ते में एक मन होता है विश्वास रखने वाला तो दूसरा मन होता है समझने वाला. कई बार पत्नी अपने पति के काम के बारे में, उस की अच्छीबुरी आदतों के बारे में, उस के स्नेहशील नेचर के बारे में बातें करती रहती है. उस का पति के प्रति प्रेम का अभिमान उस के चेहरे से साफ झलकता है, तो कई बार कामयाब पति के पीछे उस की पत्नी दृढ़ निश्चय से खड़ी रहती है. लेकिन क्या एक कामयाब पत्नी के पीछे, उस की सराहना करने के लिए पुरुष वर्ग भी आगे रहता है?

सिर्फ एक स्टैंप नहीं: समीक्षा गुप्ता

हकीकत में एक कामयाब पत्नी का पति होना गर्व की अनुभूति कराता है. ऐसा ही एक अनूठा रिश्ता है ग्वालियर की मेयर समीक्षा गुप्ता और उन के पति राजीव गुप्ता का. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से इकोनौमिक्स में स्नातक समीक्षा मूलत: मध्य प्रदेश के राजगढ़ की हैं. शादी के बाद उन्होंने कई साल एक घरेलू महिला की तरह बिताए और अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया. फिर उन की सासूमां ने उन्हें कौरपोरेटर का चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया तो वे कौरपोरेटर हुईं. यहीं से समीक्षा के नए सफर की शुरुआत हुई. लेकिन समीक्षा ने कभी अपनी जिम्मेदारियों को अनदेखा नहीं किया.

चुनाव जीतने के बाद वे एक स्टैंप न रह कर वार्ड में लोगों के रुके हुए कामों व उन की परेशानियों की तरफ ध्यान देने लगीं. ऐसा कर के ही दूसरी पारी में भी वे अपने चुनाव क्षेत्र से जीतीं. इस के बाद ग्वालियर की जनता ने उन्हें मेयर की कुरसी पर बैठाया. एक कौरपोरेटर के तौर पर उन के काम सिर्फ अपने वार्ड तक ही सीमित थे, लेकिन मेयर होते ही पूरे ग्वालियर शहर के विकास के काम धड़ल्ले से करने शुरू कर दिए.

शहर का सौंदर्यीकरण, चौड़े रास्ते, पार्क, रोड, कन्यादान जैसी योजनाओं पर उन्होंने सफलतापूर्वक काम किया. इस दौरान उन्हें लोगों का विरोध भी सहना पड़ा. पति राजीव कहते हैं, ‘‘जब समीक्षा शहर या शहर के लोगों के बारे में कोई निर्णय लेती हैं तब वे सिर्फ एक शहर की मेयर होती हैं. बाहर के काम के बारे में या किसी समस्या के बारे में वे घर पर विचारविमर्श तो करती हैं, लेकिन अंतिम निर्णय खुद ही लेती हैं.

‘‘घर आने के बाद वे 2 बेटियों की प्यारी मां होती हैं, हमारे अम्मां, बाबूजी की बहू होती हैं. हमारा परिवार संयुक्त परिवार है. वे हर एक रिश्ते का मान रखती हैं. आज समीक्षा स्त्री भू्रण हत्या के साथसाथ महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर काम कर रही हैं, इस का मुझे गर्व है.’’

घर की छांव: छाया नागपुरे

एफआरआर फोरेक्स में सीनियर मैनेजर के पद पर आसीन छाया के पति विजय के चेहरे पर अभिमान स्पष्ट रूप से झलकता है. इस परिवार का बेटा यशराज और बेटी ऐश्वर्या के साथ खुद विजय इन सभी की सफलता का संगम छाया के असीम स्नेह की छांव में ही हो सका, ऐसा उन्हें लगता है.

पहली मुलाकात, पहली तकरार, पहला गिफ्ट, सालगिरह आदि बातें आमतौर पर सिर्फ महिलाओं को ही याद रहती हैं, लेकिन विजय ने उन के प्यार को 26 साल किस दिन हुए, यह बात बहुत ही गौरव से बताई.

उन की जिंदगी में छाया के आने के बाद सब अच्छा ही होता गया, ऐसा बताते हैं विजय. उन्होंने बताया कि छाया ने अपनी पढ़ाई बहुत ही प्रतिकूल हालात में पूरी की है. घर में ट्यूशन पढ़ा कर बी.एससी. पूरी की. उस के बाद विजय के अनुरोध पर उन्होंने लेबर स्टडीज विषय पर एम.एस. किया.

पहली ही नौकरी में उन्हें कामगारों द्वारा की गई हड़ताल की समस्या सुलझाने के लिए सिल्व्हासा में भेजा गया. उस वक्त वे अपनी छोटी बेटी और पति को साथ ले कर गई थीं. वहां पर कामगारों ने उन के साथ अच्छा बरताव नहीं किया था. ‘एक औरत हमारी समस्याएं क्या हल करेगी.’ यही भाव उस वक्त उन के चेहरों पर थे. तब छाया ने वहां का माहौल हलका करने के लिए कहा कि मैं अपने पति और बेटी को ले कर आप के शहर आई हूं. आप का शहर कैसा है यह तो दिखाइए. यह कहने के बाद वहां का माहौल हलका हुआ और मालिक और कामगारों के बीच का तनाव कम हुआ.

विजय कहते हैं कि आज भी परिवार के सगेसंबंधी अपनी समस्याएं ले कर छाया के पास आते हैं तब छाया उन्हें ‘मैं जो कहती हूं वह करना ही चाहिए’ न कह कर उस बात के फायदे और नुकसान के विकल्प उन के सामने रखती हैं. इस से अपनी समस्याओं का हल उन्हें वहीं मिल जाता है. कभीकभी सामने वालों से डीलिंग करते वक्त उन्हें कठोर कदम भी उठाना पड़ता है. इस बारे में छाया खुद कहती हैं, ‘‘आखिर मैं ह्यूमन रिसोर्स यानी व्यक्तियों के साथ डील करती हूं. हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता.

संवाद साधने वाली: लीना

लीना प्रकाश सावंत. लीना यानी नम्र. लेकिन नाम में नम्रता होते हुए भी कहां पर नम्र होना है और कहां पर प्रतिकार करना है, इस की जानकार लीना सावंत के पति कंस्ट्रक्शन के बिजनैस में हैं. कौमर्स से स्नातक लीना नौकरीपेशा प्रकाश सावंत के साथ शादी होने के बाद जब गोवा, पूना घूम रही थीं, तो वहां भी वे समय का सदुपयोग करने के लिए छोटीमोटी नौकरी कर रही थीं.

लेकिन प्रकाश ने जब नौकरी छोड़ कर बिजनैस करने का फैसला कर लिया तब लीना ने उन की कल्पनाओं को साकार करने में मदद की और खुद भी बिजनैस में ध्यान देने लगीं. इस के बारे में प्रकाश ने कहा कि सब से पहले हमें वोडाफोन के ग्लो साइन एडवरटाइजमैंट का कौंट्रैक्ट मिला था. तब आर्थिक प्रबंधन व बाकी सभी कामों की जिम्मेदारी लीना ने स्वयं ही अपने कंधों पर ली थी. इंटरनैशनल क्रिएशन नाम की उन की कंपनी ग्लो साइन बोर्ड में टौपर कंपनी है.

आज उन के घर का इंटीरियर हो या बच्चों का कमरा, हर एक चीज उन्होंने अपनी बेहतरीन कल्पना से डिजाइन की है. आज उन का बड़ा बेटा प्रसाद यूएस में शिक्षा ले कर उन के बिजनैस में मदद कर रहा है, तो दूसरा बेटा केदार इकोल मोंडेल जैसे मशहूर स्कूल में पढ़ रहा है. बच्चों की पढ़ाई घर की जिम्मेदारियां संभालते हुए लीना आज बिजनैस में पति की खूब मदद कर रही हैं.

बदलते समय के कदमों को भांप कर 2006 में प्रकाश सावंत ने कंस्ट्रक्शन के कारोबार में कदम रखा तब लीना उन के पीछे खड़ी रहीं. आज भी कारोबार की रूपरेखा तय करते वक्त सब से पहले लीना के सुझाव ध्यान में रखे जाते हैं.

कई बार हंसीमजाक में कहा जाता है कि आप सुखी हैं या शादीशुदा हैं? लेकिन इन पतियों का उन के बैटर हाफ के बारे में झलकता हुआ प्यार, विचार और विश्वास देख कर हम कह सकते हैं कि कामयाब महिलाओं के कारण ही उन का जीवन अधिकतम समृद्ध और खुशहाल हो पाया.

सिचुएशनशिप है लेटैस्ट रिलेशनशिप ट्रैंड

कुछ साल पहले तक लड़केलड़की या पुरुषमहिला के बीच प्यार के माने अलग थे. रिश्ते की शुरुआत बात करने से होती थी. उस के बाद दोस्ती होना, एकदूसरे के लिए अट्रैक्शन और फीलिंग्स महसूस करना, फिर डेटिंग और प्यार में पड़ना बहुत सहज और इमोशनल घटना होती थी. इस के बाद दोनों शादी के सपने देखते थे और पूरी जिंदगी साथ गुजारने का वादा करते थे. तब अपने पेरैंट्स से मिलवाने का शगल शुरू होता था.

वह ऐसा वक्त था जब लोग प्यार के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे और रिश्ता भावनाओं से भरपूर होता था. मगर आज के डिजिटल युग में सबकुछ बदलने लगा है. तेज रफ्तार मौडर्न जैनरेशन को हर चीज बदलने और कुछ नया पिक करने की आदत है. आज जो मोबाइल बहुत उत्साह से खरीदा है एकडेढ़ साल के अंदर वही मोबाइल आंखों में खटकने लगता है. उसे किनारे कर नए मौडल का मोबाइल लेने की होड़ लग जाती है. इसी तरह उन्हें रिश्ते भी बदलने की लत लगती जा रही है. एक ही रिश्ते को जिंदगीभर कौन ढोए?

क्या पता कल कोई और खूबसूरत लड़की मिल जाए, कल कोई ज्यादा पसंद आ जाए, ज्यादा कूल, रिच और स्मार्ट मिल जाए. बस इसी चक्कर में वे रिश्तों में भी कमिटमैंट से बचने लगे है.

रोमांचकारी अनुभव

लोगों को सबकुछ तुरंत चाहिए और मन भर जाए तो तुरंत स्क्रौल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं. डिजिटल युग की वजह से आज औप्शन बहुत हैं इसलिए एक के पीछे समय बरबाद करना नहीं चाहते. यही वजह है कि आज रिलेशनशिप ट्रैंड में काफी बदलाव आए हैं. आज युवाओं की रिलेशनशिप्स में कमिटमैंट की कमी दिखने लगी है. वे सिचुएशनशिप के कौंसैप्ट को फौलो करने लगे हैं.

2011 में जस्टिन टिम्बरलेक और मिला कुनिस की फिल्म ‘फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स’ आई और इस के साथ रिलेशनशिप में फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स का कौंसैप्ट युवाओं में लोकप्रिय बन गया था. उसी साल एश्टन कचर और नताली पोर्टमैन ने भी युवा मिलेनियल्स को नौनकमिटल रिलेशनशिप का स्वाद दिया यानी बिना ज्यादा तनाव लिए या इमोशनल हुए रोमांस या प्यार के संबंधों में आगे बढ़ना.

यह नया और रोमांचकारी अनुभव था. सार्वजनिक रूप से एक जोड़े की तरह न तो साथ होने का दिखावा करना, न कोई रोमांटिक डायलौग बोलना, न इमोशनली जुड़ना और न ही कुछ और लागलपेट. बस सीधे संबंध बनाना और जिंदगी ऐंजौय करना.

इस नौनकमिटल रिलेशनशिप का एक नया रूप हाल ही में सामने आया है. जेन जेड और मिलेनियल्स ने अपने रोमांटिक संबंधों को परिभाषित करने के लिए अन्य कई भ्रामक शब्दों के एक समूह के बीच हमें एक और नया शब्द दिया है और वह है सिचुएशनशिप. यह शब्द 2019 में खासा लोकप्रिय हुआ. रिएलिटी टीवी शो लव आइलैंड की प्रतिभागी अलाना मौरिसन ने अपनी डेटिंग हिस्ट्री बताने के लिए इस ‘सिचुएशनशिप’
शब्द का इस्तेमाल किया था.

एक नया ट्रैंड

यही वजह है कि युवा पीढ़ी के बीच रिलेशनशिप का एक नया ट्रैंड बहुत तेजी से पौपुलर हो रहा है और वह है सिचुएशनशिप जिस में रिलेशनशिप में की जाने वाली किसी भी चीज का कोई प्रैशर नहीं होता खासतौर से कमिटमैंट का. रिश्ते तभी तक टिकते हैं जब तक सब सही चल रहा हो.

आज पुरुषों से ले कर महिलाओं तक डेटिंग ऐप का इस्तेमाल कर रही हैं. लोग सिंगल रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और अगर शादी के बाद आपस में बन नहीं रही तो एकदूसरे को ?ोलने के बजाय अलग होने में बिलकुल संकोच नहीं कर रहे हैं. मतलब सबकुछ एकदम क्लीयर कट.

ऐसे ही नए नए ट्रैंड्स में एक और टर्म बहुत तेजी से पौपुलर हो रही है और वह है सिचुएशनशिप.

क्या है सिचुएशनशिप

सिचुएशनशिप हिंदी के 2 शब्दों ‘सिचुएशन’ और ‘रिलेशनशिप’ को मिला कर बनाया गया है. सिचुएशनशिप में सबकुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. रोमांस और फिजिकल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2 लोग साथ में आ सकते हैं. दोनों एकदूसरे के साथ घूमने जा सकते हैं, लंच या डिनर कर सकते हैं. इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जाता है. कई बार लोग सिचुएशनशिप में एकदूसरे के साथ सिर्फ वक्त बिताने के लिए भी साथ आ सकते हैं. इस रिश्ते में साथी बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए दूसरे साथी को छोड़ सकता है.

सरल शब्दों में कहें तो सिचुएशनशिप एक अपरिभाषित रिश्ता है जहां लोग अंतरंग होते हैं लेकिन एक व्यक्ति तक सीमित होने या उस के साथ रिश्ते में बंधना पसंद नहीं करते हैं. यानी सिचुएशनशिप एक ऐसी डेटिंग है जिस में 2 लोग बिना किसी वादे या कमिटमैंट के एकसाथ रहते हैं.

वे इस रिश्ते के बारे में न तो किसी को बताना चाहते और न ही इसे कोई नाम देना चाहते हैं.
2 लोग एकदूसरे की जरूरत को पूरा करने के लिए साथ में रहते हैं. सिचुएशनशिप में कुछ भी परिभाषित नहीं है. आप इसे गोइंग विथ फ्लो कह सकते हैं. मिजाज बदला और पार्टनर भी बदल गए. कुछ ऐसा ही फलसफा है इस रिश्ते का. कुछ मामलों में यह सही है तो कुछ मामलों में बहुत गलत.

क्यों पसंद कर रहे हैं सिचुएशनशिप में रहना

नई जैनरेशन किसी भी शर्त पर अपनी आजादी के साथ सम?ाता नहीं करना चाहती है. युवा अपने मुताबिक जीवन जीना चाहते हैं और खुद को स्वतंत्र रखना चाहते हैं. दरअसल, जब आप किसी रिश्ते में होते हैं तो अपने साथी की बातों पर ध्यान देना होता है जिस से उन की आजादी छिन जाती है. इस के साथ ही लव रिलेशनशिप एक जिम्मेदारी भरा रिश्ता होता है.

इसलिए जब कोई इंसान कमिटमैंट या जिम्मेदारी जैसी चीजों से बचना चाहता है तो वह सिचुएशनशिप में रहना पसंद करता है क्योंकि इस में साथी से कोई वादा या कमिटमैंट करने की आवश्यकता नहीं होती है. इस में 2 लोग केवल एकदूसरे के साथ लव रिलेशनशिप के फायदों को शेयर करने के लिए साथ होते हैं.
इस के अलावा जब किसी इंसान को अपने पहले प्यार में धोखा या सफलता नहीं मिलती तो वह मात्र ऐंजौयमैंट के लिए सिचुएशनशिप में आना पसंद करता है.

सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप में क्या अंतर

जब 2 लोगों के बीच गहरा प्यार होता है तो वे रिलेशनशिप में आते हैं यानी इस में 2 लोगों के रिश्ते को प्यार का नाम दिया जाता है. जो लोग इस रिश्ते में होते हैं वे एकदूसरे को अपने दोस्तों और परिवार वालों से मिलाना पसंद करते हैं. वे एकदूसरे को गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड के रूप में मिलवाते हैं. इस में दोनों लोगों के बीच प्यार होता है और वे फ्यूचर के बारे में बात करना पसंद करते हैं.

वे एकदूसरे के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं. जब 2 लोग रिलेशनशिप में होते हैं तो उन का रिश्ता शादी तक पहुंच सकता है. इस में दोनों को एकदूसरे के सवालों के जवाब देने होते हैं. एकदूसरे की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है, एकदूसरे की जरूरतों का खयाल रखना होता है.

वहीं आज के डिजिटल युग में ‘सिचुएशनशिप’ वर्ड काफी ट्रैंड कर रहा है. इस का मतलब है कि 2 लोग किसी सिचुएशन में एकसाथ रहते हैं.  इस में 2 अनजान लोग भी एकदूसरे के साथ जुड़ सकते हैं. सिचुएशनशिप की सब से बड़ी विभिन्नता है कि इस में कोई वादा नहीं होती है. सिचुएशनशिप में दोनों ही पार्टनर पर्सनल सवालों से मुक्त रहते हैं.

इस रिश्ते में दोनों लोग बिना किसी शर्त के एकसाथ रहते हैं और अच्छा समय बिताते हैं. रिलेशनशिप में 2 लोग प्यार की वजह से एकदूसरे के साथ जुड़े होते हैं, जबकि सिचुएशनशिप में 2 लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जुड़े होते हैं. सिचुएशनशिप में दोनों भविष्य के बारे में बातचीत से बचते हैं. लंबे समय के लिए योजनाओं, वादों या सपनों की चर्चा नहीं करते क्योंकि वे उस रिश्ते को लंबे समय तक निभाने की नहीं सोचते. सिचुएशनशिप में भावनात्मक संबंध और इंटिमेसी हो सकती है लेकिन यह प्यार के नौर्मल रिश्तों में अकसर पाई जाने वाली गहराई के स्तर तक नहीं पहुंच सकती है.

सिचुएशनशिप के फायदे

फ्लैक्सिबिलिटी: सिचुएशनशिप में फ्लैक्सिबिलिटी होती है मतलब कोई वादा, दिखावा नहीं करना पड़ता और न ही एकदूसरे से सवालजवाब का चक्कर होता है. इस माने में यह अच्छा है. आप अपने हिसाब से रिश्ते को मोल्ड कर सकते हैं. कमिटमैंट के दबाव के बिना कनैक्शन तलाशने की स्वतंत्रता होती है.
कम दबाव: सिचुएशनशिप में आप के ऊपर कोई बर्डन नहीं होता कि ऐसा ही करना पड़ेगा या रिश्ता निभाना ही पड़ेगा यानी इस में किसी के ऊपर किसी भी तरह का प्रैशर नहीं होता. आप अपनी मरजी और खुशी से इस रिश्ते में होते हैं. सम?ा न आए तो साथी को बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए छोड़ भी सकते हैं. यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जिन के जीवन में अन्य प्राथमिकताएं होती हैं. जो अपने
कैरियर या लाइफस्टाइल से सम?ाता नहीं करना चाहते या किसी और की वजह से जिंदगी का मकसद या जीने का तरीका नहीं बदलते.

नुकसान: मगर सच यह भी है कि भले ही साथ रहने का प्रैशर और जिम्मेदारियों के बो?ा से दूर सिचुएशनशिप एक बहुत सुखद स्थिति लग सकती है लेकिन यह बहुत कठिन रास्ता होता है जिस पर अगर सावधानी से न चला जाए तो जख्मी होने का खतरा रहता है. मुश्किल तब आती है जब इस में शामिल 2 लोगों में से किसी एक की भावनाएं गंभीर होने लगें और वह अपनेआप से कमिटमैंट चाहने लगे.

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बात समझ नहीं आती थी, लेकिन बड़े होने के बाद इसे बड़ी शिद्दत से महसूस किया. मन पर कितना भी भारी बोझ क्यों न हो अगर आप उसे किसी अपने से कह देते हैं, तो आप का मन हलका हो जाता है. जीवन में खुशियों को निमंत्रित करने के लिए इन बातों पर करें अमल:

1. पौजिटिव थिंकिंग रखें

सकारात्मक सोच न केवल बीमारियों को दूर रखती है वरन इस से कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. व्यक्ति सब से ज्यादा दुखी अपने कैरियर को ले कर रहता है. उस के मन में हमेशा इस बात का भय रहता है कि कहीं मैं अपनी खराब परफौरमैंस की वजह से अपनी नौकरी न खो दूं या फिर पता नहीं मेरी प्रमोशन होगी या नहीं. इस तरह की सोच उस की वर्क ऐफिशिएंसी को कम करती है. अगर आप चाहते हैं कि आप को अपने काम में सफलता मिले और नौकरी में आप को प्रमोशन मिले, तो इस के लिए यह जरूरी है कि आप हमेशा खुश रहें और अपनी सोच को सकारात्मक रख कर सिर्फ अपने काम पर फोकस करें यकीनन आप को सफलता मिलेगी. जिंदगी में कुछ भी पाने के लिए किसी किस्म का पूर्वाग्रह पालने के बजाय सिर्फ अपनी सोच को सकारात्मक रखने की जरूरत है. एक बार अच्छा सोच कर और बुराई में अच्छाई खोजने की कोशिश कर के देखिए यकीनन आप के जीवन में खुशियों की बरसात होगी और सफलता आप के कदम चूमेगी.

2. नकारात्मक सोच को निकाल फेंकें

अगर अपने आसपास नजर दौड़ाएं, तो आप को ऐसे बहुत सारे लोग देखने को मिल जाएंगे, जो अपने आसपास नकारात्मक सोच का जाल सा बना कर रखते हैं. हर तरह की सुखसुविधा मौजूद रहने के बावजूद उन के चेहरे पर मायूसी ही नजर आती है, इस का कारण उन की सोच में नकारात्मक भावों की प्रधानता है, जिन की वजह से वे अच्छी बातों पर भी खुश नहीं हो पाते हैं. अगर आप जीवन में खुश रहना चाहते हैं, तो सब से पहले अगर आप के आसपास ऐसे लोगों का जमावड़ा है, तो उन से उचित दूरी बनाएं. उस के बाद अपने अंदर के नैगेटिव थौट को निकाल बाहर करें. मैडरिड यूनिवर्सिटी ने अपने एक शोध में यह बताया कि अपने मन के नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने का सब से आसान तरीका अपनी नकारात्मक सोच को एक सादे कागज पर लिख कर उसे फाड़ देना है. इस से आप के नकारात्मक भाव स्वत: समाप्त हो जाते हैं.

3. खूब ऐक्सरसाइज करें

जीवन में खुश रहने के लिए स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है. इस संबंध में यूनिवर्सिटी औफ टोरंटो ने 25 से अधिक बार रिसर्च किया है. उस के द्वारा किए गए शोधों में यह सिद्ध हो चुका है कि ऐक्सरसाइज करने से मूड अच्छा होता है. इस से न केवल आप का तनाव खत्म होता है वरन नियमित व्यायाम से आप डिप्रैशन से भी दूर रहते हैं. जब आप अपने पास के पार्क के 2-4 चक्कर लगा कर आते हैं, तो अंदर से खुशी महसूस होती है. इस का कारण यह है कि जब आप अपने घर से बाहर जाते हैं, तो फिर आप की मुलाकात बहुत सारे नए लोगों से होती है. पार्क में जाते हैं, तो वहां खेलते बच्चों को देख कर आप अपना सारा तनाव भूल जाते हैं. आप को अपने बचपन के दिन याद आने लगते हैं, जो यकीनन खुश करने वाले होते हैं.

4. गहरी नींद

समयसमय पर हुए विभिन्न सर्वेक्षणों में यह सिद्ध हुआ है कि गहरी नींद न केवल स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है वरन इस से आप के अंदर की नकारात्मकता भी समाप्त होती है. जब आप सो कर उठते हैं, तो आप पूरी तरह तरोताजा होते हैं. उस समय आप के अंदर अपने काम को बेहतर तरीके से करने की इच्छा जाग्रत होती है जोकि आप को अपने काम को अच्छी तरह करने की ऐनर्जी प्रदान करती है. जब आप किसी काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं, तो आप के अंदर स्वत: ही अद्भुत खुशी का संचार होता है. अत: गहरी नींद लें, क्योंकि गहरी नींद से आप के अंदर की सारी नैगेटिविटी खत्म हो जाती है.

5. अच्छी यादों को सहेजें

हमेशा खुश रहने के लिए अपनी अच्छी यादों को सहेज कर रखें. अगर आप के साथ कुछ बुरा हुआ है, तो उसे भूल कर अच्छी बातों को याद करने की कोशिश करें. इस संबंध में कौरनेल यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक थौमस गिलोविच ने एक शोध किया था, जिस में यह बात सामने आई कि आप को महंगी चीजों की शौपिंग कर के भी वह खुशी नहीं मिलेगी, जो अपने अच्छे लमहों को याद कर के और उन लोगों के साथ समय बिता कर मिलेगी, जो आप के दिल के करीब हैं और जिन के साथ आप अपनी भावनाओं और विचारों को बांट सकते हैं. सच तो यह है कि अच्छी यादों से मिलने वाली खुशी का कभी अंत नहीं होता है. खुद को तरोताजा रखने के लिए अपने पुराने दोस्तों से मिल कर उन के साथ बीते दिनों की यादों को ताजा कर के तो देखिए, आप को असीम आनंद की प्राप्ति होगी.

6. थोड़ी सी मदद ढेर सी खुशी

कभी किसी की मदद कर के देखिए, आप को ऐसी अद्भुत खुशी मिलेगी कि आप का मन हमेशा किसी मदद को तैयार रहेगा. सच तो यह है कि किसी के चेहरे पर थोड़ी सी मुसकान लाने में जो आनंद और सुकून मिलता है वह आप को बेशुमार दौलत और बड़ा घर खरीदने पर भी नहीं मिलेगा. समयसमय पर किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि अपनी व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा सा समय निकाल कर किसी की मदद करने पर अपार खुशी का एहसास है.

7. अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें

आप के जीवन में खुशियों का समावेश तभी हो सकता है, जब आप अपने कार्यक्षेत्र में सफल हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय हैं. अपने काम में सफलता पाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप बेकार की बकवास के बजाय आप वह करेें, जो आप की प्राथमिकता हो. अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर के न केवल आप अपनी नौकरी और व्यवसाय में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं वरन अपने लिए खुशियों के संसार की भी संरचना कर सकते हैं.

8. खुद से करें प्यार

आमतौर पर आप अपने बारे में, अपनी खुशियों के बारे में सोचने के बजाय दूसरों के बारे में सोच कर ही अपनी जिंदगी का आधा हिस्सा बरबाद कर देते हैं. खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बारे में सोचें, अपनेआप से प्यार करें. आप दूसरों के बारे सोचने के साथसाथ अपने बारे में भी सोचें. यह ठीक है कि जिम्मेदारियों का निर्वाह करना जरूरी होता है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि जब आप अपनेआप को संतुष्ट रखेंगे, तभी अपने जीवन में खुशियां ला पाएंगे. अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल कर अपना मनपसंद काम करे आप अपनेआप से प्यार करें तभी आप स्वयं भी खुश रह पाएंगे और दूसरों को भी प्यार कर पाएंगे.

9. विकसित करें लेट गो की प्रवृत्ति

आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वे अपने जीवन की बुरी बातों को आसानी से भूल नहीं पाते हैं. यह सच है कि किसी ने आप के साथ बुरा किया है, तो उस की कसक हमेशा बनी रहती है. लेकिन जीवन में खुश रहने की मूलमंत्र है कि आप बीती बातों को भूल कर आगे बढ़ने की कला सीखें. अपने अंदर लेट गो की प्रवत्ति डैवलप करें और दूसरों को माफ कर के जीवन मे आगे बढ़ने का प्रयास करें. आप के अंदर जो हुआ उसे भूल जा की भावना आएगी, तो आप उन्हीं बातों का याद रखेगें, जो आप को खुशी प्रदान करती हैं.

जब घर बन जाए जंग का मैदान

‘‘अ रे यार मुझे तो घर में रहना पसंद ही नहीं है, जब देखो दोनों चिकचिक करते रहते हैं. इसे घर नहीं कहते हैं, मुझे तो बाहर दोस्तों के साथ ही अच्छा लगता है या फिर अपना कमरा, जहां लैपटौप पर मूवी देखो व मोबाइल से गप्पें मारो, बस यही हमारी दुनिया है और हमारा सुकून. हमें जो पसंद है वही करेंगे,’’ गुडि़या अपनी सहेली से कह रही थी. वह हमेशा अपने घर से दूर भागती है, जहां मांबाप बातबात पर झगड़ते हैं. उस ने कभी उन्हें प्यार से बात करते ही नहीं सुना, वह घर से बाहर सुकून तलाशने लगी.

आज सुबहसुबह नीलेश का फोन आया, बहुत गुस्से में था, ‘‘दीदी, आज मैं पूरी तरह हार गया. इन का कुछ नहीं हो सकता. जब देखो भूखे शेर की तरह खाने को दौड़ते हैं. जरा सा भी चैन नहीं है. बातबात पर झगड़ा करते रहते हैं, एक भी चुप नहीं होना चाहता है,’’ नीलेश गुस्से में लालपीला हो रहा था.

‘‘हां सही बात है भाई कितना लड़ते हैं, हम  कितना भी अच्छा करें इन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है. कभी आपस में ?ागड़ेंगे तो कभी हमारे सिर पर तलवार लटकी रहती है,’’ निशा कुछ कहती कि तभी दूसरा भाई आ गया.

वह भी गुस्से में अपना आपा खोने लगा, ‘‘इस घर में कभी शांति नाम की चीज नहीं मिलेगी. घर का माहौल इतना खराब रहता है कि हम 2 पल चैन से बैठे नहीं सकते, नौकरी का  काम घर से ही चलता है, मन करता है दूसरे शहर चला जाऊं. इन के लिए हम करकर के मर जाएंगे तो भी इन को कभी संतुष्टि नहीं मिलेगी, ?ागड़ने के लिए कुछ नहीं मिला तो सूई हमारी तरफ घूम जाती है. हम इतने बड़े पद पर काम करते हैं, इन के साथ खड़े होने में शर्म आती है.’’

इधर बात करते समय नीलेश भी उग्र हो गया, ‘‘यार, इन्हें मरना हो मरें, कम से कम हमें तो चैन से जीने दें. दो पल खुशी नहीं दे सकते हैं, मैं तो भविष्य में अपने बच्चों पर इन का साया नहीं पड़ने दूंगा, दीदी तुम मुझे कुछ मत कहना.’’

उच्च शिक्षित परिवार के युवाओं का इस तरह बातें करना, सड़क किनारे ?ोंपड़पट्टी के परिवार की तरह लग रहा था. प्रवीण की उच्च पद पर नौकरी लगी, लेकिन उस ने आज तक अपने मित्रों को घर नहीं बुलाया. यदि कोई आने के लिए कहता तो वह बहाना बना कर बाहर ही मिलता क्योंकि घर में घुसते ही स्वयं उस के चेहरे के भाव बदल जाते हैं. उस के पिता बातबात पर औकात की बातें करते, मां को बिना बात मानसिक रूप से टौर्चर करते.

जब धैर्य खत्म हो जाए

आज सुबह से घर का माहौल खराब था क्योंकि नाश्ता समय पर नहीं मिला, मां देर से उठी थीं. उन्होंने मां को खूब सुनाना शुरू कर दिया और सुनातेसुनाते पुरानी बातें भी निकालनी शुरू कर दीं. जब वे उन पर हावी होने लगे तो अंत में मां का धैर्य खत्म हो गया. कितना सहन करतीं. सुबहसुबह घर में तूतू, मैंमैं हो गई. प्रवीण व उस की बहन ने घर के माहौल को ठीक करने की कोशिश की तो दोनों का गुस्सा अपने बच्चों पर फूट पड़ा. प्रवीण ने गुस्से में कह दिया कि यदि इतनी तकलीफ है तो तलाक दे दो और शांति से रहो. इन शब्दों ने आग में घी का काम किया. अब अगले कुछ दिन अंतहीन जंग होने वाली है. यह बोझिल माहौल कई दिनों तक खत्म नहीं होता है.

कृति अपने मम्मीपापा की इकलौती संतान है. उस ने अपने मम्मीपापा के बीच हमेशा खटपट ही देखी है. बचपन में एक बार उस की मम्मी ने उस से पूछा था कि कृति तुम मम्मा के पास रहोगी या पापा के पास. कृति का पूरा बचपन इसी डर में बीता कि पता नहीं मम्मीपापा कब तलाक ले कर अलग हो जाएं. अब उस की शिक्षा पूर्ण हो गई लेकिन उस के मम्मीपापा का एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप जारी हैं. इसी कारण वह अपने घर से दूर होस्टल चली गई थी. आज घर पर आने के नाम से भी उसे चिढ़ होने लगी. कृति कहती है, ‘‘मैं इतनी दूर चली जाऊंगी जहां सुकून से रहूं. मुझे वापस आना ही नहीं है, न ही वे मेरे पास आ सकतें है.

दोटूक जवाब

शिक्षा पूरी होने के बाद शादी के नाम पर कृति ने अपनी मां को दोटूक जवाब दे दिया, ‘‘मुझे शादी नहीं करनी है. किसी को घर में मत  बुलाना और न ही मुझ से पूछना. मेरा जब भी मन होगा खुद शादी कर लूंगी. उस की मां ने समझने की कोशिश की तो उस ने मां को पलट कर जवाब दिया, ‘‘तुम कौन से सुखी हो. बचपन से देख रही हूं, रोती रहती हो, कितना झगड़ते हो. तलाक क्यों नहीं ले लेते? यदि शादी ऐसी होती है तो मुझे शादी नहीं करनी है. मुझे शादी के नाम से भी नफरत है. पापा और आप कितना झगड़ते हैं. कुछ नहीं रखा है इन रिश्तों में… सिर्फ बंदिशें ही हैं. इस से तो हमारा जमाना अच्छा है कि हम पहले डेट करते हैं, साथ में रह कर देखते है, विचार मिले तो लिवइन में रहो वरना अलग हो जाओ. मैं अकेली रहूंगी.’’

मां सीमा अपनी बेटी की बात सुन कर अवाक खड़ी थी. आज उसे एहसास हुआ कि आपसी मतभेद व बहस ने उस के कोमल मन पर कितना नैगेटिव असर छोड़ा है. जानेअनजाने में अपने दुख को साझ कर के उस ने अपनी बेटी को भी उस का हिस्सा बना लिया. आज पतिपत्नी चाह कर भी नौर्मल नहीं हैं. कृति को उन्होंने ख़ूब समझाया कि यह आम बात है. हर घर में झगड़े होते हैं लेकिन कृति का गुबार बाहर आ गया, ‘‘जाने दो आप अपनी दुनिया में मस्त रहो व मुझे अपने अनुसार जीने दो.’’

शांति बिखर जाती है

इसी तरह साहिबा और साहिल एक दिन अपने मम्मीपापा व दादी के साथ लूडो खेल रहे थे. खेलतेखेलते मम्मी ने साहिल से कहा पापा कि गोटी मार दो तो पापा के गुस्सा 7वें आसमान जा पहुंचा. वे जोर से बोले कि तुम अपने खेल से मतलब रखो. नतीजा यह हुआ कि खेल कुछ ही पलों में जंग का मैदान बन गया. साहिबा ने हंसते हुए माहौल को बदलने की कोशिश की लेकिन तब तक कोल्ड वार शुरू हो गया, पलभर में शांति बिखर गई.

समुद्र किनारे बैठे एक युवा से बात हुई (बदला हुआ नाम) विजय भी अपने मांबाप का इकलौता बेटा है. लेकिन उस ने अपने घर में जो देखा उस के बाद उसे किसी से भी कोई सरोकार नहीं है. न उस के पेरैंट्स का स्वार्थ, उपेक्षा व झगडे ने उन के रिश्ते में जहर घोलने का काम किया है. गालीगलौज से बात करना उसे पसंद नहीं आया और उस ने अपना जिंदगी का रास्ता बदल दिया.

दोस्तों ने उस से कहा भी कि तुम अकेले हो तो तुम्हें यहीं रह कर अपना भविष्य देखना होगा. तुम्हारे मातापिता को बुढ़ापे में तुम्हारी जरूरत होगी.

तब विजय ने टका सा जवाब दिया कि मैं अब इस नर्क में नहीं रह सकता हूं, उन्होंने अपने जीवन जी लिया है. मैं अपना जीवन अपने तरीके से जीना चाहूंगा. मैं थक गया हूं इन के ?ागड़ो से, मु?ो प्यार के दो शब्द सुनने को नहीं मिलते हैं, न घर में हंसीमजाक होता है. डर लगता है कब किस बात पर बम फूट जाए. उस के चेहरे पर उदासी और दुख साफ नजर आ रहा था.

फिर कई युवाओं से बात की तो उन्होंने कहा, ‘‘हम युवा पीढ़ी इसी कारण से घर से दूर अपने दोस्तों के साथ सुकून तलाशती है. यही कारण है कि अपने घर लौटना नहीं चाहती हैं. यदि विदेश चले जाएं तो हमारे मातापिता कभी भी दखलंदाजी नहीं कर सकते हैं.’’

क्या कहते हैं ऐक्सपर्ट

मनोवैज्ञानिक ऐक्सपर्ट कहते हैं कि पेरैंट्स के बीच होते झगड़े व मतभेद बच्चों में ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन, असहजता, एकाकीपन यहां तक कि आगे चल कर रिलेशनशिप में भी परेशानी उत्पन्न करने में सक्षम है. इस से बच्चों की शादीशुदा जिंदगी कितनी ख़राब होगी, इस का अंदाजा उन के मातापिता को नहीं होता है. बच्चे जो देखते हैं उन के दिमाग पर वही अंकित हो जाता है. हर बच्चा अपने पेरैंट्स से सलाह, मार्गदर्शन व सपोर्ट चाहता है. बच्चों में पेरैंट्स के झगड़े नैगेटिव विचारों का काम करते हैं. हर पतिपत्नी में झगड़े होते हैं लेकिन पेरैंट्स के ये झगड़े युवाओं के मन पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ रहे हैं.

आज की युवा पीढ़ी अपने में मस्त रह कर जीना चाहती है. युवाओं का यह आक्रोश गलत नहीं है. मातापिता को यह समझना होगा कि उन के झगड़े में बच्चे पिस रहे हैं. भविष्य में इस के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. युवा अपने साथी से स्वस्थ और संतुलित संपन्न बनाने में समस्याओं का सामना कर सकते है. प्रेम और विश्वास की डोर की जगह असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है.

शायद यही वजह है कि अपने पेरैंट्स को देख कर युवा पीढ़ी अपनी पसंदनापसंद शादी के पहले ही तय कर लेती है. उस का कहना है कि हम अपनी तरह अपने बच्चों को असुरक्षा की भावना नहीं दे सकते हैं. पेरैंट्स को आज आंकलन की बहुत ज्यादा जरूरत है नहीं तो उन का यह व्यवहार आने वाली पीढ़ी को गलत दिशा में प्रेरित करेगा जो भविष्य की नींव को खोखला कर सकता है.

 

Wedding Special: वैवाहिक रिश्ते कभी प्यार कभी तकरार

रमोला और अक्षत के प्रेमविवाह को करीब 4 वर्ष हो चुके थे. दोनों की एक छोटी बेटी भी थी, पर ऐसा लगता था कि दोनों के बीच प्रेम कपूर बन उड़ गया हो. दोनों ही गरममिजाज थे. उन का झगड़ा कहीं भी कभी भी, किसी भी जगह शुरू हो जाता. जब दोनों गुस्से में होते तो उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहता कि वे किस के सामने झगड़ रहे हैं. जब वे एकदूसरे पर दोषारोपण कर रहे होते तो बेटी उन्हें सहमी सी देखती.

एक बार रमोला की मम्मी बेटीजमाई के घर गई हुई थी. आएदिन दोनों आदत के अनुसार उन के समक्ष भी बहस कर लेते. ज्यादातर बहस घरेलू कामों को ले कर होती थी. चूंकि रमोला भी नौकरी थी तो उसे लगता अक्षत उस की मदद करे. मगर अक्षत मनमौजी सा इंसान था. जब मन होता करता वरना हाथ नहीं बंटाता.

उन के घर के कलहयुक्त वातावरण से घबरा कर रमोला की मम्मी एक दिन बोल पड़ीं, ‘‘यदि नहीं पटती है तो दोनों अलग हो जाओ. जबरदस्ती साथ रह कर दुखी मत रहो. बच्ची पर भी इस का गलत असर पड़ रहा है.’’

‘‘पर पहले जरा यह सोचो कि एकदूसरे की किन खूबियों को देख कर तुम दोनों ने प्रेमविवाह किया था. हमें तो लगा था एकदूजे को पसंद करते होंगे पर तुम दोनों के व्यवहार से तो ऐसा नहीं लगता है. ऐसे में ?अच्छा है कि अलग ही हो जाओ.’’

फिर उन्होंने विपरीत मानसिकता से दोनों को हैंडल किया. कहना नहीं होगा कि उस के बाद दोनों के व्यवहार में एकदूसरे के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी, दोनों एकदूसरे का ध्यान रखने लगे.

छोटीछोटी बातों पर झगड़ा

यहां तो खैर दोनों ही एक स्वभाव के थे और संयोग से बात बन गई पर कई बार एक नए जोड़े में कोई एक बहुत गुस्सैल स्वभाव का होता है. यह गुस्सैल व्यवहार किसी का भी हो सकता है. ऐसे व्यवहार वाले दूसरे पर हावी हो जाते हैं.  छोटीछोटी बातों पर उन का पारा गरम हो उठता है. ऐसे लोग अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद कटु होते हैं. प्रेम, इज्जत, संवेदनशीलता इन के शब्दकोश से नदारद रहते हैं.

कई बार ऐसे पति या पत्नी दूसरों के समक्ष अच्छा व्यवहार करते हैं. दूसरों के प्रति भी उन का व्यवहार प्यारभरा रहता है. गुस्सैल जीवनसाथी 2 तरह के होते हैं. एक जो हमेशा अपने जीवनसाथी से नाराज रहते हैं और दूसरे वे जिन की नाराजगी अप्रत्याशित होती है. वे कभी भी तिल का ताड़ बनाने लगते हैं. माना कि जहां 2 बरतन रहेंगे वहां थोड़ीबहुत टकराहट तो होगी ही पर जब थोड़ी दोहराव कम हो और बहुत का ज्यादा तो बात चिंतनीय होती है.

रम्या और संदीप की शादी को 4-5 वर्ष होने को थे. रम्या पढ़ीलिखी युवती थी पर ससुराल वालों की इच्छा का सम्मान करते हुए उस ने नौकरी नहीं की और संयुक्त परिवार में तालमेल बैठाने की कोशिश करने लगी. संदीप की तो जैसे नाक पर गुस्सा बैठा रहता था. इकलौता होने के कारण बड़ा ही नकचढ़ा भी था. आएदिन खाने की थाली पटक देता तो कभी पार्टी में जाने को तैयार रम्या को बदसूरत कह देता. कभी औफिस की भड़ास निकाल देता. एकाध मौके पर संदीप ने रम्या पर हाथ भी उठा दिया था. उस पर रम्या की सास कहतीं, ‘‘मर्द है न, आखिर हक बनता है तुम पर. सहना तो हम स्त्रियों के हिस्से में लिखा है.’’

रम्या ने अपने व्यवहार से बहुत कोशिश की कि संदीप सम?ो कि वह उस के पैरों की जूती नहीं है पर संदीप पर इस का कोई असर नहीं होता. अंत रम्या ने चुपकेचुपके नौकरी के लिए आवेदन भेजना शुरू कर दिया और नौकरी लगने पर वह बिना किसी की आज्ञा लिए जाने लगी. आत्मविश्वास के साथसाथ उस ने प्रतिकार करना भी सीख लिया. अब खाने की थाली पटकने पर वह उसे साफ करना तो दूर दूसरा कुछ खाने के लिए भी नहीं पूछती और वहां से हट जाती.

विवाह की नींव

कुछ मनोरोगी ऐसे भी होते हैं जिन्हें क्षणिक आवेश में शक और नाराजगी का दौरा पड़ता है और फिर दूध के उफान की तरह उतर जाने पर पछतावा करते हैं और माफी भी मांगने लगते हैं. कई बार मैरिज काउंसलिंग या मनोचिकित्सकों से मिलने पर भी समस्या का समाधान मिल जाता है.

इस तरह हर जोड़े का अलग समीकरण होता है. हर की कहानी दूसरे से भिन्न होती है. कोई एक फौर्मूला नहीं है कि गुस्सैल जीवनसाथी से कैसे निबटा जाए. विवाहविच्छेद एक दुखद प्रक्रिया है. जहां तक संभव हो इसे टालना ही उचित है. मगर शादी के नाम पर जिंदगी को जहन्नुम बना कर ढोना भी बहुत गलत है.

विवाह की नींव आपसी प्यार और तालमेल पर टिकी होती है. 2 लोग चाहे वे पूर्वपरिचित हों या सर्वदा अपरिचित जब साथ रहने लगते हैं तो कुछ शुरुआती दिक्कतें आती ही हैं. कई बार शादी के कुछ सालों के बाद जब रोमांस का ज्वार उतरता है तो पार्टनर का एक अलग ही स्वरूप दिखने लगता है. इसीलिए कहा जाता है कि इतने कड़वे भी न बनो कि लोग थूक दें और इतने मीठे भी न बनो कि कोई निगल जाए.

रिश्ते में आ गई है तलाक की नौबत,अपनाएं ये बातें बच सकता है रिश्ता

शादी एक ऐसा पवित्र बंधन हैं जिसके जरिए दो अजनबी एक दूसरे के साथ ऐसे अट्टु रिश्ते में बंध जाते हैं जिसमे एक दूसरे की खुशी,अपनी ख़ुशी बन जाती है और दुख दर्द अपने गम बन जाते हैं .यह दोनों पार्टनर्स के लिए एक नए जीवन की शुरुआत होती है. कामयाब शादी का एक मूल मंत्र हैं कि यदि पति की आदतों में पत्नी अपनी खुशी और पत्नी की आदतों में पति अपनी खुशी खोज ले तो जीवन खुशनुमा हो जाता है. शादी ब्याह का बंधन एक विश्वास के धागे पर टिका होता है और जिस रिश्ते  में एक दूसरे के प्रति केयर  और रिस्पांसिबिलिटी का भाव होता है उस रिश्ते में हमेशा प्यार बना रहता है ऐसा रिश्ता एक सम्पूर्ण व कामयाब रिश्ते कि पहचान बन जाता है और जिस रिश्ते में बात बात पर ईगो आने लगता है रेस्पेक्ट व बराबरी का भाव खत्म होने लगता है तो वह रिश्ता टिक नहीं पाता. इसीलिए रहीम जी ने अपने दोहे में लिखा हैं ‘रहीमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय टुटे तो फिर ना जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए ‘ तो जरूरी है कि छोटी मोटी बातों को राई का पहाड़ ना बनाएँ व एक दूसरे के  प्रति प्रेम व विश्वास बनाए रखें.

एक दूसरे की रेस्पेक्ट है जरूरी 

किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए एक दूसरे के प्रति बराबरी, शेयर एंड केयर का  भाव होना अति आवश्यक है यह पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए रामबाण का कार्य करता है यदि आपका पार्टनर आपसे किसी भी क्षेत्र में कम है तो उसे कभी भी निचा ना दिखाएं बल्कि उसकी अच्छाईयों को तब्बजो दें. और उसको एहसास दिलाएं कि वह आपके जीवन में कितना जरूरी है और वो जैसा भी हैं वैसा ही आपके लिए खास है.

 मुसीबत में ना छोड़े साथ

मुश्किल समय में भी आप अपने पार्टनर को दोष न देकर उसके साथ खड़े होते हैं तो आप एक आदर्श पार्टनर कहलाते हैं जब भी कभी आपके पार्टनर पर कोई विपदा आए तो उसका साथ ना छोड़े बल्कि उसकी ढाल बनकर उसका हौसला बढ़ाएं क्योंकि मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों ना हो लेकिन यदि आपका पार्टनर साथ है तो आप हर मुसीबत का सामना आसानी से कर सकते हैं. और इससे आपकी लव बॉन्डिंग मजबूत होती है.

 उसकी खूबियों को आंके

आप अपने पार्टनर के बाहरी रंग- रूप को ध्यान न देते हुए उसकी आंतरिक सुंदरता से प्रेम करें. हमेशा ध्यान रखें कि यदि आप अपने पार्टनर कि खामियों पर ही फोकस करते रहते हैं तो यह एक बड़े टकराव कि वजह बन सकती हैं लेकिन यदि आप उसकी कमियों पर कम बल्कि खूबियों पर फोकस ज्यादा करते हैं तो वह खुद ही अपने अंदर कि कमियों को खूबियों में बदलने कि कोशिश करता है इसीलिए खूबियों का आकलन आपके रिश्ते को मजबूती देता है जब भी आपको लगे कि आपका रिश्ता कमजोर पड़ने लगा है तो अपने पार्टनर कि खूबियों पर अधिक से अधिक ध्यान दें आपके गिले शिकवे अपने आप कम होने लगेंगे.

पार्टनर की इच्छाओं को दें महत्व

अपनी इच्छा अपने पार्टनर पर बिलकुल भी थोपने की कोशिश ना करें पति-पत्नी को चाहिए कि वो एक दूसरे की इच्छाओं की हमेशा कद्र करें. अगर आप कोई भी काम करने जा रहें है तो अपने पार्टनर की सलाह जरूर लें. और हमेशा अपने पार्टनर कि इच्छाओं को भी समझने कि कोशिश करें.

तुलना ना करें

यह हर रिश्ते में जरूरी हैं कि अपने रिश्ते में किसी और की तुलना को बीच में ना आने दे. कई लोग ऐसे होते हैं कि अपने करीबियों के रिश्तो कि तुलना करते रहते हैं जो कि सबसे गलत है. इस बात को समझें कि आप दोनों का जो रिश्ता हैं वह सबसे बेहतर है और हमेशा रहेगा.

शेयर केयर रिलेशनशिप रिपेयर

दृष्टि रावत 34 साल की है. वह फरीदाबाद में रहती है. देखने में ब्यूटीफुल और कौन्फिडैंट दृष्टि एक वौइस आर्टिस्ट है. 4 साल पहले उस ने विक्रम संवत के साथ लव मैरिज की थी. विक्रम एक बिजनेसमैन है. उस का क्रौकरी का बिजनैस है. बिजनैसमैन होने के नाते विक्रम बहुत बिजी रहता है. लेकिन इस के बावजूद वह घर और बाहर दोनों के काम में दृष्टि की हैल्प करता है.

कभीकभी तो वह खुद अकेले ही घर का सारा काम कर लेता है तो कभीकभी मार्केट जा कर राशन ले आता है. इतना ही नहीं विक्रम कई बार अकेले ही लंच और डिनर भी बना लेता है क्योंकि वह सम?ाता है कि असल माने में पार्टनर की यही परिभाषा है कि वह अपने पार्टनर की हर समय सपोर्ट करे.

दृष्टि और विक्रम दोनों हाउस होल्ड प्रौडक्ट भी साथ जा कर लाते हैं. चाहे घर के कामों से जुड़े टूल्स हों या फिर होम गैजेट हों दृष्टि और विक्रम उन्हें खरीदने साथ ही जाते हैं. इस का एक फायदा यह रहता है कि ये टूल्स और गैजेट कैसे काम करते हैं यह वे दोनों एकसाथ जान लेते हैं. ऐसे में जब दृष्टि घर में नहीं होती या अपने औफिस के काम में बिजी होती है तो विक्रम इन  टूल्स और गैजेट की हैल्प से घर को अच्छी तरह मैनेज कर लेता है.

एक लड़की क्या चाहती है

एक अच्छे हसबैंड की सारी खूबी विक्रम के अंदर है. किस तरह पार्टनर को खुश रखा जा सकता है, किस तरह अपने काम और मैरिड लाइफ को बैलेंस किया जाता है. इन सब बातों से विक्रम पूरी तरह अवगत है. तभी तो उस की मैरिड लाइफ में वे दिक्कतें नहीं हैं जो उन कपल्स के बीच होती हैं जहां घर के कामों को वाइफ या हसबैंड में से सिर्फ कोई एक संभाल रहा होता है.

जब विक्रम दृष्टि की हैल्प करता है तो वह बहुत खुश हो जाती है. यह सच भी है कि एक लड़की यही चाहती है कि उस का पार्टनर उस के सभी कामों में मदद करे. वह सही मानों में उस का हमसफर हो न सिर्फ कहने भर को.

क्लाउड किचन चलाने वाली रति अग्निहोत्री रिलेशनशिप पर अपनी राय देते हुए कहती है, कोई भी रिलेशन बिना केयर के नहीं चलता. ‘‘आप का पार्टनर भी आप से यही केयर चाहता है. आजकल हसबैंडवाइफ दोनों ही वर्किंग हैं. ऐसे में उन्हें अपने लिए बिलकुल समय नहीं मिलता है क्योंकि वाइफ औफिस के साथसाथ घर भी संभालती है. इस की वजह से वह हर वक्त थकान में चूर रहती है. ऐसे में उस में चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक है. लेकिन वहीं जहां आप का पार्टनर भी काम का कुछ भार अपने ऊपर ले ले तो यह भार कुछ कम हो सकता है. मैं भी अपना बिजनैस इसलिए कर पा रही हूं क्योंकि मेरे पार्टनर मेरे घर के कामों में मेरी हैल्प करते हैं.’’

ऐसे निभाएं रिश्ता

आंकड़े भी यही बताते हैं कि हैल्पिंग पार्टनर वाली मैरिज ज्यादा समय तक टिकती है. वहीं उन की रोमांटिक लाइफ भी उन कपल्स के मुकाबले ज्यादा हैप्पी होती है जहां सिर्फ फीमेल पार्टनर ही घर के सभी कार्यों का बोझ उठाती हैं.

अगर आप भी अपनी वाइफ या पार्टनर की हैल्प करना चाहते हैं लेकिन आप के पास इन सब के लिए बहुत कम समय है तो आप कुछ स्मार्ट होम ऐप्लायंसिस और गैजेट की हैल्प ले सकते हैं. इन के इस्तेमाल से आप कम समय में ही अपने घर के कामों को जल्दी निबटा पाएंगे और अपने पार्टनर के साथ समय बिता पाएंगे. आप की छोटी सी हैल्प से आप की रिलेशनशिप खुशियों से भर जाएगी.

मार्केट में ऐसे बहुत से प्रौडक्ट्स हैं जिन की हैल्प से आप अपने काम को जल्दी से जल्दी निबटा सकते हैं. इस के बाद बाकी बचे समय में आप अपने पार्टनर के साथ समय बिता सकते हैं. आप चाहे तो अपने रिलेटिव्स और फ्रैंड्स को उन के घर जा कर सरप्राइज भी दे सकते हैं.

अगर बात करें गैजेट की तो एक गैजेट है स्मार्ट रोबोट वैक्यूम क्लीनर. इस क्लीनर का इस्तेमाल फ्लोर की साफसफाई के लिए किया जाता है. इस का इस्तेमाल कर के आप चंद मिनटों में झड़ूपोंछा का काम निबटा सकते हैं. आप इसे अपने फोन से भी कनैक्ट कर सकते हैं.  इसी तरह आप ढो मेकर और रोटी मेकर का यूज कर के भी कम समय में रोटियां बना सकते हैं.

इसी तरह दही मेकर है जो आप को दही जमाने के झंझट से छुटकारा दिलाता है. इन कामों से बचे हुए टाइम को आप अपने क्वालिटी टाइम के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह से आप की फीमेल पार्टनर भी आप का साथ पा कर खुश हो जाएंगी.

सोचो अगर आप और आप की पार्टनर डिनर के बाद साथ में कुछ क्वालिटी टाइम स्पैंड करना चाहते हैं लेकिन सिंक में बरतन धोने के लिए पड़े हुए हैं. सुबह आप दोनों को औफिस जाने की जल्दी होती है ऐसे में आप डिशवौशर का इस्तेमाल कर के क्वालिटी टाइम स्पैंड कर सकते हैं.

वहीं अगर आप के रिश्ते में किसी कारणवश खटास आ गई है तो आप उसे अपने पार्टनर की हैल्प और उन की केयर कर के दूर कर सकते हैं. यही वह समय है जब आप अपने उलझे रिश्ते को शेयरिंग और केयरिंग के जरीए सुलझ सकते हैं.

जब फीमेल पार्टनर घर का बोझ उठाएं

अगर बात करें उन लोगों की मैरिड लाइफ कैसी होती है जहां सिर्फ फीमेल पार्टनर ही घर का सारा भार उठाती हैं. यह बात हम श्रेया और अंकुश की कहानी से जानेंगे.

श्रेया और अंकुश दोनों ही वर्किंग हैं. ऐसे में श्रेया घर और औफिस दोनों का काम संभालती है. वहीं अंकुश सोफे पर बैठेबैठे और्डर देता रहता है. इतना ही नहीं अंकुश खाने में भी नुक्स निकालता है. अकसर खाने में वैराइटी और घर के कामों को ले कर उन के बीच बहस होती रहती है. श्रेया इन सब से बहुत परेशान हो गई है. वह इस रिश्ते से अब थक गई है. उस का ऐसा फील करना गलत भी नहीं है. जब एक ही पर्सन जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहा हो तो वह एक समय बाद तंग हो ही जाता है. ऐसा ही अभी श्रेया के साथ हो रहा है.

असल में जब एक ही व्यक्ति घर और बाहर दोनों के ही काम करता है तो वह फ्रस्ट्रेटिंग फील करता है. उसे बातबात पर गुस्सा आता है. इस से उस की रिलेशनशिप में भी प्रौब्लम होती है. वहीं अगर दोनों पार्टनर मिल कर सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं तो उन का रिलेशन खुशनुमा रहता है.

ऐसे बनाएं खुशहाल जिंदगी

ऐसा नहीं है कि पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप सिर्फ उन की हैल्प कर रहे हैं. पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप अपनी मैरिड लाइफ को ज्यादा समय दे पाते हैं. इस से मनमुटाव भी नहीं होता है और आप की लाइफ स्मूथली मूव करती है, साथ ही आप मैंटली और फिजिकली हैप्पी भी फील करती हैं.

अगर दोनों पार्टनर मिल कर घर और बाहर दोनों के काम को संभालते हैं तो यह किसी एक पर बोझ नहीं बनता. ऐसा करने से दोनों ही अपने वर्क और स्किल्स पर ध्यान दे पाते हैं, साथ ही उन की लव लाइफ भी अच्छी और खुशहाल रहती है. दोनों पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को भी ज्यादा समय दे पाते हैं. वहीं किसी एक को भी ऐसा नहीं लगता कि उसे अपना रिश्ता बचाने के लिए ऐक्स्ट्रा ऐर्फ्ट करना पड़ रहा है न ही उस का पार्टनर उसे टेक फौर गरांटेड ले रहा है.

कोई भी रिश्ता तभी बेहतर होता है जब आप अपने पार्टनर और उस की फैमिली को रिस्पैक्ट देते हैं. यहां यह बात समझनी बहुत जरूरी है कि सिर्फ मेल पार्टनर या हसबैंड के मांबाप को मांबाप न समझ जाए बल्कि फीमेल पार्टनर या वाइफ के मांबाप को भी मांबाप समझ जाए. आप अपनी फीमेल पार्टनर या वाइफ के मांबाप को भी वह सम्मान दें जो आप अपनी पार्टनर से अपने मांबाप के लिए चाहते हैं.

आखिर इज्जत का हक सिर्फ लड़के के मां बाप तक ही क्यों सीमित रहे. जब 2 लोग 1 रिश्ते में आ रहे हों तो सम्मान भी तो दोनों के मांबाप का होना चाहिए.

अगर आप भी अपने रिश्ते में शांति और सुकून चाहते हैं तो अपने पार्टनर की पूरी मदद करें, साथ ही उस के मां बाप को भी पूरा सम्मान दें. वहीं अगर आप के रिश्ते में तनाव या मनमुटाव चल रहा है तो इस बार अपने रिश्ते को केयरिंग से रिपेयर करें.

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