अगर रिश्तों में हो जलन की भावना

आप जिसे मानते हैं, अगर वो किसी और को भी आपके जितना चाहता है. तो जलन होना स्वाभाविक है. पर अगर जलन जरुरत से ज्यादा हो जाए तो आपके रिश्ते के लिए मुसीबत बन सकता है. इसलिये अगर आप भी उनमें से है जो अपने साथी को लेकर बहुत जलन महसूस करते हैं तो इस भावना से बचने के लिए ये तरीके आजमा सकती हैं.

1. हदों का रखें ध्यान 

अगर आप दिन-रात जलन की भावना से परेशान हो रहे हैं तो आपको थोड़े ब्रेक की जरुरत है. अगर आपका साथी आपको आश्वासन देने के लिए तैयार नहीं हैं या आप इस विषय पर खुलकर बात नहीं कर सकती हैं तो बहुत ज्यादा परेशान ना करें. खुद की सीमा को तय करें कि आप किस हद तक इस भावना को झेल सकती हैं.

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2. तनाव को मैनेज करें

आपके अंदर पल रही जलन की भावना तनाव का एक कारण हो सकती है. अगर आप पहले से ही चिंतित और परेशान है तो आप इस स्थिति में और अधिक तनाव महसूस करेंगी. इसलिए बेहतर होगा कि आप खुद से ही चिंता को काबू करने की कोशिश करें. इसके लिए आप व्यायाम, पोषक आहार, योगा और ध्यान का सहारा ले सकती हैं. कभी-कभी जलन की भावना को दूर करने के लिए अपना अच्छे से ख्याल रखना भी काफी होता है.

3. सीधे बात करें

रिश्तों मे बढ़ रही जलन को रोकने के लिए जरुरी है कि आप अपने साथी से सीधे इसके बारे में बात करें. यदि आप इस बारे में बात नहीं करेंगी तो आप अपनी जलन को उन पर जाहिर करने लगेंगे जिससे स्थिति और खराब हो जाएगी. सीधे से बात करने से आप उन्हें समझा पाएंगी कि आप कैसा महसूस कर रही हैं.

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4. बात करते वक्त रखें संयम

जब आप अपने साथी से बात कर रही हैं तो अपने स्वभाव को सामान्य रखें और शांत रहकर बात करें. साथी पर जरुरत से ज्यादा दबाव ना डालें. अगर वह इस विषय पर बात करने के लिए तैयार नहीं है तो इंतजार करें. अगर आप उनके बारे में बार-बार उनके दोस्तो और साथियों से जानकारी लेते रहेंगे तो हो सकता है इस बात से आपके पार्टनर को बुरा लग जाए. इसलिये किसी भी बात को बार-बार पूछने से परहेज करें और थोड़ा संयम रखें.

और भी गम हैं जमाने में…

आन्या 22 वर्षीय खूबसूरत होनहार और स्वतंत्र विचारों वाली युवती है. बचपन से ले कर आज तक अपने सारे फैसले खुद करती आई है. फिर वह हुआ जो आमतौर पर आजकल के युवकयुवतियों के साथ होता है यानी मुहब्बत. स्वतंत्र आन्या मुहब्बत की बेडि़यों में ही अपनी पहचान ढूंढ़ने लगी थी. अपने बौयफ्रैंड के साथ आन्या ने सतरंगी जीवन के सपने बुनने आरंभ कर दिए थे. अपने शौक, कपड़े पहनने का तरीका सबकुछ उस ने मुहब्बत के फेर में पड़ कर बदल लिया. और फिर टूटे दिल के साथ डिप्रैशन में चली गई.

दीया बचपन से बड़े होने तक एक ही सपना देखती आई कि उस की जिंदगी में एक राजकुमार आएगा. पासपड़ोस, रिश्तेदारों में सब की लव स्टोरी थी. ऐसे में दीया को लगने लगा कि उस की जिंदगी बिना साथी के बेमानी है और फिर इसी विचारधारा के कारण वह जल्द ही एक लंपट किस्म के लड़के के चंगुल में फंस गई.

आखिर ऐसा क्यों है कि हर लड़की चाहे वह शहर की हो या कसबे की या फिर महानगर की अपनी पूर्णता एक साथी के साथ ही ढूंढ़ती है? इस के पीछे छिपी है वही पुरानी सोच कि लड़की की जिम्मेदारी तब तक पूरी नहीं होती है जब तक उस का घर नहीं बसता है.

कसबों में तो आज भी बहुत सारी लड़कियां पढ़ाई ही विवाह करने के लिए करती हैं. वहीं महानगरों में नौकरी करना एक बेहतर जीवनसाथी और शादी के लिए जरूरी हो गया है.

यानी लड़कियों की जीवनयात्रा में पुरुष नामक जीव का बहुत महत्त्व है. उन के अधिकतर कार्यकलाप पुरुष मित्रों, प्रेमी या पति के इर्दगिर्द ही घूमते हैं और जैसे ही पुरुष नामक धुरी उन की जिंदगी से अलग हो जाती, उन का अस्तित्व गौण हो जाता है.

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एक नाकामयाब मुहब्बत के कारण ये लड़कियां अपनी जिंदगी तक खत्म कर लेती हैं और इस के पीछे छिपी है वही रूढि़वादी सोच कि अकेली औरत कैसे रह पाएगी. एक अकेली औरत के साथ बेचारी शब्द क्यों जुड़ जाता है? क्यों हम अपनी बेटियों के मन में यह बात बैठा देते हैं कि उन का औरत होना तभी सार्थक है जब उन की जिंदगी में कोई आदमी हो?

अगर थोड़ा गहराई से सोचें तो लड़कियां ही हैं जो विवाह के बाद अपनेआप को नख से शिख तक बदल लेती हैं, क्योंकि उन्हें बचपन से यही सिखाया जाता है कि प्यार का मतलब है बलिदान, चाहे इस में वह खुद का अपमान भी कर रही हो.

ऐसे में हम क्यों न अपनी बेटियों को यह बात सिखाएं कि प्यार जिंदगी का बस एक और रंग है परंतु प्यार जिंदगी नहीं है. किसी के होने या न होने से वे खुद को नकारना बंद करे. किसी का साथ होना अच्छा है, परंतु बिना साथ भी वे जिंदगी अच्छी तरह गुजार सकती हैं. किसी के साथ की चाह में अपनी खूबसूरत जिंदगी को बेवजह जाया न करें.

अगर आप की बेटी, भानजी, भतीजी, छोटी या बड़ी बहन या कोई सहेली इस मुहब्बत के गम से गुजर रही हो तो आप इन छोटेछोटे टिप्स से उस की मदद कर सकती हैं:

एकला चलो रे:

आप का जीवन एक यात्रा है और हर शख्स के साथ आप को एक पड़ाव तय करना होता है. जरूरी नहीं है कि आप का साथी आप के साथ जिंदगी के हर पड़ाव पर साथ चले. कुछ लोग आप की जिंदगी में कुछ सिखाने ही आते हैं. जरूरी है कि आप उन लोगों से जो सीख सकते हैं, सीखें और फिर अपनी यात्रा  जारी रखें.

याद रखिए कि यह जीवन आप की अपनी यात्रा है और अब यह आप को ही तय करना है कि आप को इस यात्रा को रोते हुए पूरा करना है या फिर हर अच्छेबुरे अनुभवों से गुजरते हुए अपनी खुशियों की जिम्मेदारी खुद लेते हुए अपने सफर को पूरा करना है.

खुद से ही आप की पहचान:

अगर अपने नाम के साथ किसी और का नाम जोड़ कर ही आप अपनी पहचान देखती हैं तो साथी का जिंदगी से चले जाना आप को बहुत दर्द देगा. आप की पहचान आप से ही है. किसी की गर्लफ्रैंड या बीवी बन कर आप उस शख्स की जिंदगी का एक हिस्सा बन सकती हैं, मगर जिंदगी नहीं. इस बात को आप जितनी जल्दी समझ जाएंगी उतना ही अच्छा होगा.

खुद को न बदले:

अकसर देखने में आता है लड़कियां प्यार में पड़ कर या विवाह के बाद अपनेआप को इतना अधिक बदल लेती हैं कि उन को पहचानना मुश्किल हो जाता है. अपने साथी की पसंद के कपड़े, गहने, हेयरकट अपनाना और हद तो तब हो जाती है जब कुछ लड़कियां पति या प्रेमी के कारण मदिरा आदि का सेवन भी आरंभ कर देती हैं. उन का हर प्रोग्राम अपने साथी के मूड या काम पर निर्भर होता है. अगर कम शब्दों में कहें कि ऐसी लड़कियां खुद को इतना अधिक बदल लेती हैं कि साथी के न रहने या धोखा देने पर उन के जीवन की नींव ही हिल जाती है.

मित्रों का दायरा बढ़ाएं:

आप की चाहे शादी हो गई हो या आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हों फिर भी अपने मित्रों से मिलनाजुलना न छोड़ें. याद रखिए कोई भी एक व्यक्ति आप की सारी जरूरतों को पूरी नहीं कर सकता है. मित्रों का जीवन में होना बेहद जरूरी होता है. अगर प्यार जरूरी है तो दोस्तों का होना और भी अधिक जरूरी है. अपने मित्रों का दायरा थोड़ा सा विस्तृत रखिए ताकि आप को बुरे समय में अकेलापन न लगे.

परिवार भी है जरूरी:

शादी होते ही लड़कियां परिवार से कट जाती हैं. पति की नींद ही सोना और पति की नींद ही जगना. जिंदगी में हर रिश्ते का अपना महत्त्व होता है. जैसे आप के साथी या पति की जगह कोई नहीं ले सकता है ठीक उसी तरह आप के परिवार की जगह भी कोई नहीं ले सकता है. ऐसा न हो अपने साथी के प्यार में डूब कर आप अपने परिवार को इग्नोर कर दें. परिवार की इकाई ही आप को भावनात्मक संबल दे सकती है.

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काम से कर ले दोस्ती:

समय चाहे अच्छा हो या बुरा, काम ही एक ऐसी चीज है, जो आप के गम को भुलाने में सहायक होती है. जिंदगी में साथी तो बहुत मिल जाएंगे, मगर यदि आप ने अपने काम का सम्मान नहीं किया तो आप खुद को भी खो देंगी. आप का काम भी आप के साथी की तरह आप के साथ हमेशा रहेगा. आप के साथी की तो फिर भी आप से कुछ अपेक्षाएं होंगी, मगर आप का काम बिना किसी अपेक्षा के आप को नाम और सम्मान दिलाने में सक्षम है.

कहीं आप तो बेवजह नहीं सोचतीं

मृदु को अधिक सोचने की बीमारी थी. अगर वह घर में कभी अपने पति को सास या ससुर से बात करते देख लेती है तो उसे लगता है उस की बुराई कर रहे होंगे. अगर सास प्यार से कह देती हैं कि हमारी मृदु की शादी के बाद सेहत अच्छी हो गई है तो उसे लगता है कि वह उसे काम न करने का ताना मार रही हैं.

अगर मृदु की ननद उस के खाने की तारीफ करे तो उसे लगता है वह जानबूझ कर कर रही है ताकि वह हर समय रसोई में लगी रहे. मृदु हर छोटीबड़ी बात पर इतना अधिक सोचती है कि उस ने अपने इर्दगिर्द एक मकड़जाल बुन लिया है. उस जाल में फंस कर न केवल वह अपने रिश्ते खराब कर रही है, बल्कि अपनी मानसिक शांति भी भंग करने पर तुली है.

सरला के भांनजे की बेटी का जन्मदिन था. जब केक कटने लगा तो सरला को स्टेज पर नहीं बुलाया गया. उन 2 घंटों में ही सरला ने इस बात के बारे में इतना सोचा कि वह उस जन्मदिन पार्टी के बीच में ही उठ कर चली गई. सरला के अनुसार, ‘‘भानजे ने जानबूझ कर उसे नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया, क्योंकि वह बच्ची के लिए महंगा तोहफा नहीं ला पाई थी.’’

मगर अगर सरला के भानजे मनुज से पूछें तो उस के दिमाग में यह बात दूरदूर तक भी नहीं थी.

भीड़भाड़ में उसे मौसी दिखाई नहीं दी थी और उस ने कभी यह नहीं सोचा था कि वह इस बात को इस दिशा में ले जाएगी.

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ऋतु के पति और बेटी जब तक दफ्तर से नहीं लौटते तब तक वह इतना अधिक सोचती है कि उस की हालत खराब हो जाती है. हर फोन कौल पर उसे लगता है कि उस के पति या बेटी का ऐक्सीडैंट न हो गया हो.

पति अगर मोबाइल पर कुछ देख कर मुसकराते हैं तो उसे लगता है उन का अफेयर चल रहा है. उस की बेटी अकसर कमरे को बंद कर के काम करती है पर ऋतु इस बारे में इतना अधिक सोचती है कि उसे लगता है बेटी जरूर न्यूड शेयर कर रही होगी. कहीं वह किसी गलत लड़के के साथ तो नहीं है.

इन सभी उदाहरणों से यह बात तो तय है कि अगर हम अधिक सोचते हैं तो अकसर वह गलत दिशा में ही होता है. ज्यादा सोचने वाले इंसान अपने ही सब से बड़े दुश्मन होते हैं और ब्लड प्रैशर, शुगर और न जाने कितने रोगों के शिकार हो जाते हैं.

अपनी जिंदगी को सही दिशा में ले जाने के लिए सोचना जरूरी है. मगर अधिक सोचने से कोई लाभ नहीं है.

आज में जीएं: यह हम सब की समस्या है. कोई भी बात आते ही हम बहुत दूर तक की सोचने लगते हैं, जो हमें बेवजह तनाव देता है. रागिनी अपनी बेटी के पैदा होने के बाद. उस के भविष्य को ले कर बेवजह तनाव में आ गई थी.

अपनी बेटी की बालसुलभ हरकतों को जीने के बजाय वह आने वाले खर्चे और जिम्मेदारियों को ले कर तनाव में रहने लगी थी. कोई भी नई जिम्मेदारी या नया रोल मिलते ही बहुत दूर की न सोचें. आज में जीएंगे तो कल अपनेआप सुनहरा हो जाएगा.

छोटेछोटे गोल बनाएं: अगर आप आसमान छूना चाहते हैं तो थोड़ा सब्र रखें. छोटेछोटे गोल बनाएं और धीरेधीरे अपने टारगेट के करीब पहुंचें. छोटेछोटे गोल आप को मन की शांति प्रदान करेंगे. ये छोटेछोटे गोल अधिक सोचने की आदत से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं.

डायरी को मैंटेन करें: एक सर्वे से यह बात सामने आई है कि जो लोग ढंग से प्लैनिंग नहीं करते हैं, उन का दिमाग हमेशा चिंतनमनन करता रहता है. अगर आप काम में बिजी रहेंगे तो अत्यधिक सोचने की आदत से छुटकारा मिल सकता है. अपनी प्लैनिंग के लिए डायरी मैंटेन करने की आदत डालिए.

1 साल या 1 माह के बजाय, रोज के काम डायरी में लिखें और जो कार्य हो जाए उस पर टिक कर लीजिए. ऐसा करना आप के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा.

मन के घोड़े पर लगाम लगाएं: जैसे ही आप के मन के घोड़े इधरउधर भागने लगें तो आप 2 मिनट के लिए आंखें बंद कर ठंडी सांस लें. सांसों पर ध्यान लगाएंगी तो आप का मन आप के काबू में रहेगा.

हंसें और खिलखिलाएं: हर छोटीबड़ी बात पर हंसने और खिलखिलाने की आदत डालें. जिंदगी में हंसने और खिलखिलाने की कोई वजह नहीं होती है. ये मौके हमें खुद ढूंढ़ने पड़ते हैं और अधिकतर बनाने पड़ते हैं. जितना अधिक खुश रहेंगी, फालतू की चिंतामनन से ध्यान हट जाएगा.

शौक को जिंदा रखें: जब भी आप के दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगें, आप किसी भी ऐसे कार्य में लग जाएं जो आप को पसंद हो. इस से एक तो आप का दिमाग हलका रहेगा और दूसरे आप अंदर से ऊर्जावान भी महसूस करेंगी.

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खुद पर रखें विश्वास: अगर आप के अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो हर नया काम या जिम्मेदारी आप को गहरी सोच में डाल देती है. आप को लगता है पता नहीं आप कर पाएंगे या नहीं. अगर नहीं कर पाए तो लोग क्या कहेंगे? अपने ऊपर विश्वास बना कर रखें, आप से बेहतर कोई नहीं है. किसी भी नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए रातभर सोचने की नहीं, बल्कि एक अच्छी प्लैनिंग की आवश्यकता है.

खुल कर बातचीत करें: अगर आप को किसी की बात या व्यवहार बुरा लगता है तो उस के बारे में सोचसोच कर गलत धारणा न बनाएं. खुल कर बातचीत करें, आप को बेवजह सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

फ्लर्टनैस नहीं स्मार्टनैस

विद्या आजकल घर में बहुत बोर हो रही थी. दिन तो औफिस के काम में बीत जाता पर लौकडाउन में घर में बंद होने से उलझन होने लगी थी. ग्रौसरी लेने जाने में भी रिस्क लगता. वह अकेले ही इस फ्लैट में 4 महीने से किराए पर रह रही थी. किसी को जानती भी न थी. मुंबई में सुबह निकल कर जाना, फिर शाम को आ कर आसपड़ोस में झंकने की फुरसत भी कहां रहती है.

वह यों ही शाम को उठ कर बालकनी में आई, तो बराबर वाले फ्लैट का एक लड़का बालकनी में ऐक्सरसाइज कर रहा था. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा दिए. विद्या का कुछ टाइम पास हुआ. अब धीरेधीरे यह रूटीन ही हो गया. दोनों शाम को हायहैलो करते. फिर नाम पूछे गए.

बालकनी में कुछ दूरी थी, तो लड़के अवि ने फोन नंबर का इशारा किया. अब दोस्ती आगे बढ़ी. दोनों ही इस लौकडाउन में बोर हो रहे थे.

उसे अकेले देख अवि की हिम्मत बढ़़ी, कहा, ‘‘बाहर जाना तो सेफ है नहीं, मैं मम्मी की लिस्ट ले कर जाता हूं. आप को भी जो सामान मंगवाना हो, बता देना.’’

विद्या ने मजाक किया, ‘‘सोशल डिस्टैसिंग का टाइम है, आप से कैसे सामान मंगवाऊं?’’

‘‘अरे, कोई बात नहीं. अभी ला देता हूं सामान. शौप वाला अभी होम डिलीवरी नहीं कर रहा है.’’

‘‘नहींनहीं, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.’’

‘‘दोस्त समझ कर अपनी लिस्ट व्हाट्सऐप पर भेज दीजिए, मैं आप के डोर पर सामान रख दूंगा,’’ अवि नहीं माना. तो विद्या ने लिस्ट उसे दे दी.

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सामान ला कर अवि ने बैग उस के डोर पर रख कर घंटी बजाई. दोनों कुछ देर दूर से ही हंसीमजाक करते रहे. फिर तो यह नियम बन गया. अवि ही उस के सारे काम करने लगा. विद्या को तो कहीं निकलना ही नहीं पड़ा. विद्या अपनी दोस्त रुचि को फोन पर सब बता रही थी.

रुचि खूब हंसती, कहती, ‘‘ये लड़के भी न, लड़की देख कर सब डिस्टैसिंग भूल जाते हैं. ठीक है, तेरा क्या जा रहा है. फिलहाल काम करवा उस से, बाद में देखते हैं.’’

बहुत तेज बारिश हो रही थी. मुंबई की बारिश का वैसे भी कुछ पता नहीं होता कि कब रुकेगी. पोवई से अंधेरी जाने में अच्छेअच्छों की हालत खराब हो जाती. पर आरती आराम से तैयार हो रही थी. उस की रूममेट रूपा ने कहा भी, ‘‘यार, आज बहुत बारिश है, वर्क  फ्रौम होम ले ले.’’

आरती ने हंस कर कहा, ‘‘अनिल आता ही होगा कार से लेने. औफिस उसी के साथ जा रही हूं. आजकल लोकल ट्रेन के धक्कों से बच जाती हूं. आजकल टैक्सी में बैठने से तो डर ही लगता है, कोई वायरस न छोड़ गया हो. उस से अच्छा वायरस अनिल ही रहेगा, कोरोना से तो कम ही परेशान करेगा.’’

रूपा हंसी, ‘‘वाह, यह कब हुआ? वह तो सीनियर है न काफी तुम से?’’

‘‘हां, मैरिड है. उसे मेरी कंपनी चाहिए, मुझे आराम से आनाजाना. दोनों का काम हो जाता है. बदले में उसे झेलना पड़ता है, बस. वह फ्लर्ट करने की कोशिश कर रहा है. जानती हूं ऐसे पुरुषों को. मैरिड है, पर एक लड़की की कंपनी के लिए मरे जाते हैं. हद है, यार. पर ठीक है, मैं कौन सी मूर्ख हूं. आराम से कार में आनाजाना हो रहा है. इन जैसों का फायदा क्यों न उठाया जाए. जैसे ही लिमिट क्रौस करने की कोशिश करेगा, एक डिस्टैंस मैंटेन करना शुरू कर दूंगी. बहानों की कमी तो होती नहीं है,’’ कह कर वह हंसते हुए निकल गई.

ट्विंकल राठी ने एक मल्टीनैशनल कंपनी जौइन की. 3 महीने में उसे समझ आ गया कि यहां उस के एक सीनियर अतुल का सिक्का चलता है.

कभी फ्लर्टिंग की है? यह पूछने पर वह अपने बारे में खुल कर बताती है, ‘‘हमारे बौस अतुल की सब बात सुनते हैं. उस की रिकमैंडेशन पर ही औफिस में प्रमोशन होते हैं. मैं नईनई थी. अतुल साहब मेरे आसपास मंडराने लगे. पुरानी लड़कियों ने भी उन की इस आदत के चर्चे मुझ से खूब किए थे. कभी मुझे कौफी के लिए कैंटीन ले जाते, कभी मुझे घर तक ड्रौप करने के लिए कहते. मुझे क्या परेशानी होती. मैं औटो के धक्कों से बच जाती.

‘‘वे मेरी बड़ी अच्छी रिपोर्ट्स आगे पहुंचाते. मेरे प्रोमोशंस धड़ाधड़ होते रहे. मुझ में काबिलीयत थी, पर अतुल के सपोर्ट से मैं खूब आगे बढ़ी. वे मैरिड थे. उन के बच्चे थे. मुझ से हंसबोल कर, मेरे आगेपीछे घूम कर वे एंजौय कर रहे थे. तो मेरा भी कुछ नुकसान तो हो नहीं रहा था. फिर मेरा दूसरे औफिस में ट्रांसफर हो गया. फिर यह भी सुना कि अब वे नई लड़की के आगेपीछे घूम रहे हैं. ऐसे पुरुष आप को हर जगह मिल जाएंगे. उन की ऐसी आदतों का फायदा उठाना गलत कहां से हो गया.’’

स्मार्ट बन कर काम निकलवाना

एक लेखिका हैं मंजू शर्मा. अपने वाक कौशल और अदाओं पर उन्हें पूरा भरोसा है. उन का मानना है कि वे जहां भी अपनी कोई रचना भेज कर संपादकों से बात कर लेती हैं. उन की रचना फिर अस्वीकृत होने का कोई चांस ही नहीं है. सारे पुरुष संपादक उन से बात करने के लिए लालायित रहते हैं. उन्हें व्हाट्सऐप में मैसेज भेजते रहते हैं. उन की सुंदरता के कसीदे पढ़ते रहते हैं. उन्हें अपना काम निकालना आता है. उन्हें अपनी रचनाएं छपवानी हैं, इसलिए वे थोड़ीबहुत लिफ्ट दे देती हैं. उन का काम हो जाता है. जहां कोई पुरुष संपादक उन की रचना को रचनात्मकता की कसौटी पर ही परख कर छापता है, वहां वे अपना समय खराब नहीं करतीं. उन का मानना है कि अगर किसी पुरुष संपादक को लिफ्ट दे कर बिना ज्यादा मेहनत किए मेरी रचनाएं छप जाती हैं, तो बुरा क्या है.

खुशबू सिन्हा जब औफिस में कहीं किसी प्रैजेंटेशन में अटक जाती है, तो कुछ देर पहले से ही किसी न किसी से मीठी बातें कर के उसे हैल्प के लिए तैयार कर ही लेती है. उस का कहना है, ‘‘यह जरा भी मुश्किल नहीं, किसी भी यंग लड़की की हैल्प करने के लिए पूरा औफिस लगभग तैयार रहता ही है. तो ठीक है, दो मीठीमीठी मासूम बातें कर के इन लड़कों से काम निकलवाना बुरा तो नहीं है.

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चतुर लड़कियां आजकल फ्लर्ट समझती हैं. वे जानती हैं कि लड़कों से काम कैसे निकलवाया जा सकता है. लड़के तो यही समझते हैं कि वे बहुत स्मार्ट हैं, सामने वाली लड़की तो बहुत सीधी है, उस के साथ फ्लर्ट किया जा सकता है. पर अपने को होशियार समझ रहे लड़के होशियार लड़कियों के हाथों बुद्धू बन रहे होते हैं. उन्हें पता भी नहीं चलता और वे मेल ईगो को सैटिस्फाई कर के खुश हो रहे होते हैं. लड़कियां कामकाजी हों, तो वे ऐसे पुरुषों की नसनस खूब पहचानने लगती हैं.

चालाक तो बनना ही पड़ेगा

एक औफिस में काम करने वाली नीरा बताती हैं, ‘‘मीटिंग में पहले औफिस से निकलने में देर होती थी. तो अकेले घर पहुंचने की बड़ी चिंता रहती थी. पर देखा कि औफिस के एक 40 वर्षीय मिस्टर गुप्ता को लड़कियों से पूछने का बड़ा शौक है कि लेट हो रहा है तो मैं छोड़ दूं? उन के इस शौक का लड़कियां खूब फायदा उठाती हैं. अब यह किसी लड़की को ही कहने वाली बात तो नहीं है. भाई, जब आप लड़की की कंपनी के लिए मरे जा रहे हैं तो हमें भी क्या परेशानी है. आराम से चिपकू गुप्ताजी की कार में जाती हैं लड़कियां. इतनी देर में, भीड़ में, ट्रैफिक में उन्हें इस शौक में क्या आनंद आता है, वही जानें.’’

तो आगे से किसी लड़की को फ्लर्ट करने से पहले एक बार जरूर सोच लें कि फ्लर्ट है कौन, लड़की फ्लर्ट नहीं होशियार है, जो लड़के के अहं और घमंड को धता बता रही है और लड़के को पता भी नहीं. लड़के अब तक लड़कियों को बहुत ठगते आए हैं. उन का हमेशा नाजायज फायदा उठाते आए हैं. अब हवा बदली है. लड़कियां किसी भी तरह लड़कों से कम नहीं रहीं. आप उन की अदाओं पर मरते रहिए, उन के काम आने के लिए अपनेआप को पेश करते रहिए. वे आप की सेवाएं खुशीखुशी लेती रहेंगी. उन्हें भी तो आप के बनाए समाज में रहना है, चतुर तो होना ही पड़ेगा.

सहेलियां जब बन जाएं बेड़ियां

रंजना की आदतों से उस की बेटी अंजलि ही नहीं उस के पति रौनक भी कई सालों से परेशान हैं. रौनक तो उस दिन को कोसते हैं जब शादी के बाद वे रंजना को ले कर दिल्ली आए और एक ऐसी कालोनी में फ्लैट ले लिया, जहां हाई सोसाइटी की अमीर औरतें रहती हैं, जिन के पतियों को खूब ऊपर की कमाई होती है.

पतियों के पैसे पर ऐश करने वाली एक मुहतरमा रमा रंजना की पड़ोसिन है. उस के यहां रंजना किट्टी पार्टी के लिए जाती है. उस के साथ मौर्निंग वाक करती है, उस के गु्रप के साथ पिकनिक मनाती है, व्हाट्सऐप चैट करती है, शौपिंग करती है, फिल्में देखती है.

रौनक एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं. वे किसी छोटे शहर में रहते तो जितनी सैलरी उन्हें कंपनी से मिलती है, उसे देखते हुए वे उस शहर के अमीरों में शुमार होते, लेकिन दिल्ली की पौश कालोनी में रह कर इस तनख्वाह में सबकुछ मैंटेन करना मुश्किल लगता है. उस पर रंजना की अपनी पड़ोसिन रमा से इस कदर दोस्ती ने उन की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं.

अगर रमा ने नई वाशिंग मशीन खरीदी है तो रंजना को भी उसी तरह की वाशिंग मशीन चाहिए. वह उस के लिए जिद्द पकड़ लेती है, भले ही घर में पहले से ही वाशिंग मशीन हो और अच्छी चल रही हो, लेकिन रमा ने नई खरीदी है तो उस में जरूर कुछ नए और बेहतर फीचर्स होंगे वरना वह क्यों पुरानी मशीन सिर्फ डेढ़ हजार में अपनी कामवाली को देती? उस की भी तो पुरानी मशीन काम कर ही रही थी.

रंजना के तर्क सुन कर रौनक अपना सिर थाम लेते हैं. कुछ दिन पहले ही रंजना ड्राइंगरूम के लिए नए परदे ले आई थी, जो काफी महंगे लग रहे थे. उन परदों से ड्राइंगरूम के लुक में खासा बदलाव आ गया, लेकिन नए और इतने महंगे परदों की क्या जरूरत थी, जब पुराने वाले अभी बिलकुल ठीक थे, खूबसूरत लगते थे और उन को लिए चंद महीने ही हुए थे? जब रौनक ने यह सवाल पूछा तो बेटी अंजलि तुनक कर बोली, ‘‘ऊपर रमा आंटी ने नए परदे लिए हैं, तो मम्मी कैसे पीछे रहतीं? जा कर उसी शोरूम से उसी तरह के परदे ले आईं.’’ रौनक ने यह सुना तो सिर धुन लिया.

सहेलियों की नकल

रंजना जैसी बहुत औरतें हैं, जो हर वक्त अपनी सहेलियों की नकल करती हैं. सहेली ने नई साड़ी ली है, तो मुझे भी वैसी ही साड़ी चाहिए. सहेली ने घर के लिए कोई लग्जरी आइटम ज्वैलरी, कौस्मैटिक्स की नई रेंज ली है, सैंडल लिए हैं, कोई पालतू जानवर लिया है, तो मुझे भी चाहिए. ऐसी औरतें उच्चवर्ग, मध्यवर्ग व निम्नवर्ग तीनों में ही मिल जाएंगी, जिन के लिए सहेलियां बेडि़यां बन चुकी होती हैं. वे इन बेडि़यों से खुद को मुक्त नहीं करना चाहती हैं. नकल और दिखावा उन की रगों में खून के साथ बहने लगा है. सहेलियां जब बेडि़यां बन जाएं तो उस से घर वालों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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हर वर्ग में यह दिक्कत

सहलियों की गिरफ्त में फंसी ये आरतें हर आयुवर्ग और आयवर्ग की होती हैं. अब निशा को ही देख लीजिए. इंटरमीडिएट में उस के सब से ज्यादा अंक बायलौजी में आए थे, लेकिन अपनी सहेली कोमल की देखादेखी उस ने बीएससी में एडमिशन न ले कर बीकौम करने की ठानी. उस के मातापिता समझाते रह गए कि जिस सब्जैक्ट में तुम सब से बेहतर हो, उसी में आगे की पढ़ाई करो, लेकिन सुननी तो सहेली की ही थी, लिहाजा कौमर्स की लाइन पकड़ ली और फर्स्ट ईयर में ही फेल हो कर बैठ गई. किसी तरह 4 साल में बीकौम पूरा किया और वह भी थर्ड डिविजन में. अब निशा का कौमर्स से मन हट चुका है और आगे क्या करना है, वह तय ही नहीं कर पा रही है.

शेफाली के लिए भी उस की 2 सहेलियां बेडि़यां बन गई हैं, पहली कक्षा से ग्रैजुऐशन तक तीनों साथ रहीं. साथ खातीपीती थीं, साथ शौपिंग करती थीं, साथ ही घूमने जाती थीं. शेफाली आर्थिक रूप से इतनी सक्षम नहीं थी, जितनी उस की दोनों सहेलियां थीं, लिहाजा शेफाली के हिस्से का खर्च भी कभीकभी वे दोनों ही उठा लेती थीं, लेकिन ग्रैजुएशन के बाद जब शेफाली की नौकरी लग गई, तो दोनों चाहने लगीं कि अब शेफाली भी उन्हें खिलाएपिलाए या फिल्म दिखाए. उन का मानना है कि स्कूल टाइम में या कालेज के दिनों में जब शेफाली के पास पैसे नहीं होते थे, तो वे दोनों उस के लिए खर्च करती थीं, अब शेफाली कमा रही है तो वह भी कभीकभी उन पर खर्च कर सकती है. दोनों आएदिन उस के सामने कोई न कोई फरमाइश रख देती हैं.

शेफाली के लिए अब यह दोस्ती महंगी पड़ रही है, क्योंकि उस के पिता रिटायर हो चुके हैं. उन की थोड़ी सी पैंशन घर खर्च में ही खत्म हो जाती है. ऐसे में शेफाली की कमाई का बड़ा हिस्सा उस के छोटे भाई की ट्रेनिंग के लिए जा रहा है. बचाखुचा ही वह अपने पर खर्च करती है. ऐसे में सहेलियों को घुमानेफिराने या पिक्चर दिखाने पर वह कहां से पैसे खर्च करे. शेफाली के लिए दोनों सहेलियां बेडि़यां बन गई हैं, जिन से वह मुक्त होना चाहती है. मगर कैसे, यह उसे समझ में नहीं आ रहा है.

दोस्ती का नाजायज फायदा

हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें हम अपना दोस्त बनाते हैं और जिन से हम अपने राज शेयर करते हैं, लेकिन जब ये लोग हमारा नाजायज फायदा उठाने लगें या जानेअनजाने में यूज करने लगें तो फिर यह रिश्ता बोझ बन जाता है. कई बार जब ऐसे रिश्ते मजबूरीवश टूटते हैं तो हमारा नुकसान भी करते हैं.

नेहा ने जब सुमन से दोस्ती तोड़ी तो नेहा के शादी से पहले के जीवन से जुड़े कुछ गहरे राज नेहा के पति को मालूम पड़ गए. किसी ने उन्हें फोन पर नेहा की तमाम बातें बता दीं. इन फोन कौल्स ने नेहा की जिंदगी बरबाद कर दी. आज वह तलाक के मुहाने पर खड़ी है. दोस्ती की बेड़ी तोड़ने की सजा भुगत रही है. उसे यकीन है कि उस की बीती जिंदगी से जुड़े प्रेमप्रसंग उस के पति को सुमन के द्वारा ही पता चले हैं, लेकिन अब वह क्या कर सकती है.

ध्यान रखें सहेलियां बनाएं, लेकिन उन्हें अपने जीवन में इतनी ज्यादा घुसपैठ न करने दें कि वे आप के और आप के परिवार के लिए मुसीबत बन जाएं. दोस्ती में इन बातों का खयाल रखना बहुत जरूरी है:

– सहेली से जीवन के राज शेयर न करें. कभी न कभी, कहीं न कहीं आप की बात उजागर हो ही जाएगी. अगर आप चाहती हैं कि आप की गुप्त बातें आप के साथ ही खत्म हों तो भूल कर भी उन्हें अपने मुंह से बाहर न आने दें, फिर चाहे आप के सामने आप की बचपन की पक्की सहेली ही क्यों न हो.

– सहेली के जीवन जीने के ढंग की नकल न करें. आप अपनी चादर देख कर ही अपने पैर फैलाएं. हर परिवार की अपनी आर्थिक स्थिति और जरूरतें होती हैं. इसलिए दूसरे की चीजों को देख कर अपनी आर्थिक स्थिति को डांवांडोल करना कोई समझदारी नहीं है.

– सहेली के विचारों को खुद पर कभी हावी न होने दें. आप सहेलियों से खूब बतियाएं, उन की सुनें, लेकिन अपनी बातों पर दृढ़ रहें. उन का कोई विचार अच्छा लगे तो अवश्य अपनाएं, लेकिन वे हमेशा ठीक बोलती हैं या उन की सारी बातें सही होती हैं, ऐसा सोचना गलत होगा. ऐसा सोच कर आप अपनी अहमियत को कम कर रही हैं, अपने कद को घटा रही हैं.

– सहेलियां टाइम पास करने के लिए होती हैं. जगह बदलते ही सहेलियां बदल जाती हैं, लेकिन परिवार जीवनभर साथ चलता है, इसलिए सहेलियों की संगत में ऐसा कोई

कदम न उठाएं, जिस से परिवार के लोगों को आघात पहुंचे.

– यदि सहेलियां अंधविश्वासी, किसी बाबा की भक्त, धार्मिक आयोजन करने वाली हैं तो उन से दूरी बना कर रखें, क्योंकि ये सहेलियां सुनसुन कर बहुत वाकपटु हो जाती हैं और आसपास सब को अपने बाबा या मंदिर का ग्राहक बनाने में लग जाती हैं. ये घरों तक को तुड़वा डालती हैं और फिर दोष भाग्य या कर्मों को देने लगती हैं.

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कैसे लें अपने प्रेमी की परीक्षा

विभा सूरज के प्यार में पागल थी. दोनों करीब 2 साल से रिलेशनशिप में थे जबकि विभा की मां को सूरज पसंद नहीं था. उन्होंने विभा को कई बार समझाया था कि सूरज का साथ छोड़ दे. मगर विभा हमेशा मां की बात इग्नोर कर देती. इधर सूरज विभा को अपने हिसाब से चलाता. विभा को क्या पहनना चाहिए, किस से दोस्ती करनी चाहिए, कैसे रहना चाहिए जैसी बातों का भी हिसाब वही रखता. विभा प्यार में थी इसलिए उस की हर बात विभा को अच्छी लगती. इतना ही नहीं बाहर जब भी खाने का प्रोग्राम बनता तो किसी न किसी बहाने से वह विभा के रुपए ही खर्च कराता. विभा जौब करती थी और उस के पास रुपयों की कमी नहीं थी. सो वह इन बातों की चिंता नहीं करती थी. उसे बस सूरज का साथ चाहिए होता था.

इस बीच एक दिन सूरज ने यह कह कर विभा से डेढ़ लाख रुपए उधार लिए कि उसे यह रकम किसी जरूरी काम के लिए अर्जेंटली चाहिए. विभा ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और रुपए दे दिए. उस के दोचार दिन बाद से ही सूरज ने विभा से मिलना कम कर दिया और फिर बिल्कुल ही गायब हो गया. विभा उस का फोन ट्राई करती तो कभी नौट रीचेबल और कभी स्विच ऑफ बताता. विभा समझ ही नहीं पा रही थी कि सूरज के साथ क्या हो गया. उसे डर लग रहा था कि कहीं वह किसी अनहोनी का शिकार तो नहीं हो गया. सूरज ने उसे बता रखा था कि वह किस कंपनी में और किस पद पर काम करता है. विभा सूरज के बताए उस एड्रेस पर पहुंची तो पता चला कि इस नाम का कोई भी शख्स वहां काम नहीं करता. विभा को समझ में आ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. सूरज उस से नहीं बल्कि उस के पैसों से प्यार करता था.

जैसा विभा के साथ हुआ वैसा किसी के भी साथ हो सकता है. ऐसे फ़्रौड लड़कों की कमी नहीं जो लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर रूपए ऐंठते हैं, शारीरिक शोषण करते हैं या फिर एक ही समय में कई लड़कियों के साथ रिलेशनशिप में होते हैं.

वस्तुतः प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्रेमी का साथ पा कर इंसान अपनी हर तकलीफ़ भूल जाता है. मगर कई दफा आप सोच भी नहीं पाते कि कब आप का प्रेमी आप को धोखा दे जाए या अकेला छोड़ जाए. आप का प्रेमी किस तरह का इंसान है और कितना साथ दे पाएगा यह जानने के लिए कुछ इस तरह से उस की परीक्षा ले सकती हैं,

1. अपना मोबाइल बिना पासवर्ड के छोड़ जाएं और देखें कि वह खंगालता तो नहीं

प्रेमी की परीक्षा लेने के लिए सब से बेहतर उपाय यह है कि उस के पास अपना मोबाइल बिना पासवर्ड के छोड़ जाएं और आसपास ही या दूसरे कमरे में जा कर काम में व्यस्त होने का अभिनय करें. फिर छिप कर उस पर नजर रखें और देखें कि क्या वह मौका पा कर जल्दीजल्दी आप का मोबाइल चेक करने लगता है? क्या वह आप के कांटेक्टस, कॉल हिस्ट्री, मैसेज या फेसबुक वगैरह चेक करने लगा है और आप के आते ही जल्दी से फोन नीचे रख देता है? यदि ऐसा है तो तय मानिए कि उसे आप पर तनिक भी भरोसा नहीं. वह आप पर शक करता है. याद रखें जहां शक है वहां प्यार नहीं होता. ऐसा व्यक्ति छोटी सी बात पर भी आप को बात सुनाने या लड़ाईझगड़े करने से बाज नहीं आएगा. ऐसे प्रेमी से दूरी रखने में ही भलाई है.

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2. अकेले में घर बुलाएं और देखें कि क्या वह सेक्स ही चाहता है कुछ और नहीं

आप से प्रेम करने वाले शख्स के लिए आप और आप की खुशी महत्वपूर्ण होगी न कि सेक्स. वह आप का प्यार जीतना चाहेगा. हर तरह से करीब आना और खुशी देना चाहेगा. मगर करीब आने का मतलब केवल सेक्स ही नहीं होता. एक बार अपने प्रेमी को अकेले घर में बुला कर देखें. अकेले में उस का व्यवहार देख कर आप समझ सकेंगी कि उस के दिमाग में क्या चलता है. वह सिर्फ शरीर की भूख शांत करने पर उतारू हो जाता है या फिर आप के पास बैठ कर सुखदुख की बातें करता है, नईनई चीजें बना कर खाता है, आप का साथ एंजॉय करता है, अपना फ्यूचर डिसकस करता है और कुछ खूबसूरत रोमांस भरे हल्केफुल्के पल जीता है? जिसे इंसान प्यार करता है उस के साथ सेक्स की रजामंदी भी देता है. मगर वह प्यार की अंतिम सीमा है. शुरुआत में ही उसी मकसद को पाने की चाहत यह दिखाती है कि वह वास्तव में आप से जुड़ नहीं सका है. वह सिर्फ शारीरिक सुख के लिए ही आप को प्यार के सपने दिखा रहा है. जो लड़के अकेला घर मिलते ही प्रेमिका पर शारीरिक संबंध का दबाव डालने लगते हैं अक्सर प्यार की असली परीक्षा में फेल हो जाते हैं.

3. उसे खाने पर रेस्टोरेंट में बुलाएं और खुद न पहुंचे और बढ़िया बहाना बना कर देखें कि वह नाराज़ तो नहीं

आप अपने प्रेमी का प्यार परखने के लिए एक उपाय यह आजमा सकती हैं कि उसे खाने पर रेस्टोरेंट में बुलाएं और खुद न पहुंचे. उस के द्वारा फोन करने पर कोई अच्छा सा बहाना बना दें मसलन मम्मी की तबीयत ठीक नहीं या फिर आप को कोई अर्जेंट काम से कहीं जाना पड़ा है. ऐसे में उस के रिएक्शन पर गौर करें. यदि वह गुस्सा हो जाता है और फोन पर ही आप को बातें सुनाने लगता है या फिर बाद में मिलने पर ताने देता है तो समझ जाइए कि वह आप के प्रति उदार नहीं है. उसे लगता है जैसे आप से प्यार कर वह कोई एहसान कर रहा है. आप के द्वारा थोड़ी सी भी लापरवाही से वह चिढ़ रहा है तो ऐसे में जाहिर है कि वह शख्स सही अर्थों में आप से प्यार नहीं करता. प्यार करने वाला बंदा अपनी सुविधा के बजाय आप की सुविधा का ख्याल पहले रखेगा. वह समझेगा कि यदि आप नहीं आ सकीं तो इस के पीछे आप की मजबूरी होगी न कि लापरवाही. यदि आप का प्रेमी शांति से आप की समस्या सुनता है. मदद करने और ध्यान रखने की बात कह कर बिना कोई नाराजगी जताए फोन काट देता है. बाद में भी इस घटना को ले कर कोई बात नहीं सुनाता है तो समझ जाइए कि आप का प्रेमी धैर्यवान और अंडरस्टैंडिंग नेचर का है जो दो लोगों के बीच मजबूत रिश्ते के लिए जरूरी क्वालिटीज हैं.

4. गंभीर बीमारी या गर्भ ठहरने जैसे बहाने बनाएं और देखें कि वह भागता है, टालता है या साथ चलता है.

मान लीजिए कि आप की अपने प्रेमी के साथ टयूनिंग काफी अच्छी है. मगर याद रखिए इतना ही काफी नहीं है. आप को उस की परीक्षा लेनी चाहिए कि वह मुसीबत के समय आप का साथ देता है या नहीं. आप उस से अपनी किसी गंभीर बीमारी का जिक्र करें और देखें कि उस का प्यार आप के लिए वैसा ही कायम है या नहीं? वह आप को हर संभव मदद का आश्वासन देता है या फिर इग्नोर कर देता है?

इसी तरह आप उसे झूठ कह सकती है कि आप प्रैग्नैंट हैं. यह सुन कर उस का रिएक्शन क्या होता है इस पर गौर करें. क्या वह यह बात सुनते ही भाग खड़ा होता है और आप को इग्नोर करने लगता है या फिर कुछ जरूरी काम के बहाने बना कर दूरी बना लेता है? आप साथ हॉस्पिटल चलने को कहती हैं तो क्या वह साथ चलता है या फिर टालता रहता है? उस की इन हरकतों के आधार पर आप आसानी से समझ सकती हैं कि उस का वास्तविक रूप क्या है और वह क्या इंटेंशन रखता है. वह एक जिम्मेदार प्रेमी है या फिर आप के पास केवल मजे लेने या टाइम पास करने के उद्देश्य से आता है

5. अपनी किसी खूबसूरत सहेली से उस की दोस्ती करा कर देखिए

आप अपनी किसी ऐसी सहेली से अपने प्रेमी की दोस्ती कराएं जो दिखने में खूबसूरत और स्मार्ट होने के साथ ही आप की विश्वासपात्र भी हो. सहेली से कहिए कि वह प्रेमी के करीब जाए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास करे. यदि आप के प्रेमी पर इस का कोई असर नहीं पड़ता और वह डबल गेम नहीं खेलता तो आप निश्चिंत हो सकती हैं. पर यदि उस की हरकतें कुछ और बयां करती हैं और वह चोरीछिपे उस लड़की पर भी लाइन मारने का प्रयास करता है तो समझ जाइए कि वह कभी भी आप को धोखा दे सकता है. इस परिस्थिति में यह भी संभव है कि आप की सहेली भी उस की तरफ आकर्षित हो जाए और दोनों मिल कर आप को धोखा दें. ऐसे में भी आप के लिए फैसला लेना आसान हो जाएगा कि उस प्रेमी पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं. साथ ही एक धोखेबाज सहेली का असली चेहरा भी सामने आ जाएगा.

6. यदि संबंध है तो तीनचार बार मना कर के देखें कि वह नाराज तो नहीं होता

मान लीजिए कि आप काफी समय से दूसरे को जानते हैं और थोड़े समय बाद आपसी सहमति से आप के बीच संबंध भी बन गए हैं और अब यह आप की दैनिक आदत बन चुकी है. आप दोनों ही प्यार के इस रूप को एंजॉय कर रहे हैं मगर ऐसे में एक बार यह जरूर परखने की कोशिश कीजिए कि शारीरिक रिश्ते के अलावा भी वह आप से प्यार करता है या नहीं? मन से कोई जुड़ाव है या नहीं? वह आप की खुशी या गम से सरोकार रखता है या नहीं? इस के लिए किसी बहाने से तीनचार बार सेक्स के लिए मना कर के उस का रिएक्शन देखें. क्या वह आप के इंकार करने पर नाराज हो जाता है और आप पर झल्लाने लगता है या छोड़ कर चला जाता है? यदि ऐसा है तो जाहिर है कि उसे आप से सच्चा प्यार नहीं. वह आप को यूज़ कर रहा है.

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7. उस की बहन या मां से अकेले में मिलें और पता करें कि वह आप के बारे में झूठ सच क्या कहता है

आप कभी कोशिश कर के उस की मां और बहन से अकेले में मिलें, उन से बातें करें और पता लगाने का प्रयास करें कि वह उन से आप के बारे में किस तरह की बातें करता है? उस ने आप की अच्छाइयां बढ़ाचढ़ा कर बताई हैं या झूठसच बातें सुनाई हैं? उन की बहन या मां की आप के बारे में क्या राय है उस पर भी ध्यान दें क्यों कि उन की राय बेटे द्वारा बताई गई बातों के आधार पर ही बनी होगी.

8. कहीं से बड़ी रकम जमा कर उसे रखने को दें और रात में 12 बजे मांगें

आप अपने प्रेमी की ईमानदारी और लगाव की परीक्षा लेने का प्रयास करें. अक्सर पैसे रिश्तों के बीच में आ जाते हैं. कुछ लोग हमेशा पैसे को सब से ऊपर रखते हैं. ऐसे लोग विश्वास के योग्य नहीं होते, आप अपने प्रेमी की परीक्षा लेने के लिए कहीं से बड़ी रकम जमा कर उसे रखने को दें और थोड़े अरसे बाद रात में 12 बजे वे रूपए माँगें. अब देखिए कि वह क्या करता है. क्या वह आप के लिए रात में भी रूपए ले कर आ जाता है या फिर उन रुपयों को हड़प जाता है, रुपयों के मामले में हेरफेर करता है और बहाने बनाता है? यदि वह आप से सही अर्थों में प्यार करता है तो एकएक पैसे को ले कर ईमानदारी बरतेगा. रकम कितनी भी हो वह किसी भी तरह का हेरफेर नहीं करेगा. आप जब कहेंगी तब रुपए ले कर पहुंच जाएगा. प्रेमी की ईमानदारी उस का आप के लिए एक बेहतरीन जीवनसाथी बनने का एक महत्वपूर्ण सबूत है.

9. प्रेमी के किसी गहरे दोस्त के साथ नाम बदल कर दोस्ती करें

आप अपने प्रेमी के किसी खास दोस्त के साथ नाम बदल कर फोन फ्रेंडशिप कर सकती हैं या फिर उसे अपने विश्वास में ले कर प्रेमी के राज जानने का का प्रयास कर सकती हैं. लड़के दोस्तों के आगे हर बात खुल कर बोलते हैं. समझदारी से काम लें तो प्रेमी के दोस्त के जरिए आप यह पता लगा सकेंगी कि वह वास्तव में आप के बारे में क्या सोचता है.

उम्मीदों के बोझ तले रिश्ते

रिश्ता कोई भी हो उसमें उम्मीदें अपने आप पनपने लगती हैं. उम्मीदों पर खरा उतर गए तो रिश्ता गहराने लगता है वरना दरारों में देर नहीं लगती. कुछ रिश्ते जन्म से जुड़े होते हैं जहां कई दफा लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता. लेकिन उनका क्या जो बीच सफर में जुड़े वो भी जीवन भर के लिए. जब बात हो पति पत्नि के रिश्ते की तो उम्मीदें कई बार सामान्य से ज्यादा हो जाती हैं. उम्मीदें स्वाभाविक हैं लेकिन यही दुख का बड़ा कारण भी. यानि जितनी ज्यादा उम्मीद उतना बड़ा दुख. रिश्तों की कामयाबी के लिए कई बातों का ध्यान रखना होता है. इनमें ये भी शामिल है कि आप अपने साथी के लिए क्या करते हैं और बदले में क्या उम्मीद रखते हैं. लेकिन ये किस हद तक ठीक है जिससे रिश्ता खूबसूरती से आगे बढ़ता चले ये बात भी मायने रखती है. इसका एक आसान फॉर्मुला है 80/20.

क्या है 80/20?

रिश्ते की डोर दोनों साथी थामें हैं. यानि उम्मीदें दोनो ओर से हैं. ऐसे में तकरार से बचने के लिए 80/20 का फॉर्मुला आपके काम आ सकता है. यहां आपको खुद की उम्मीदों से अपने साथी को 20 प्रतिशत की रिहायत देने की जरूरत है. बचा 80 प्रतिशत उनको आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का मौका देगा और आपको रिश्ते में संतुष्टी का अहसास होगा. एक बात आपको समझने की जरूरत है सौ प्रतिशत कुछ भी संभव नहीं, फिर इंसानी गलतियां कुछ हद्द तक नजरअंदाज किए बिना कैसे निभाया जा सकता है? इसलिए ये बीस प्रतिशत की रियायत आपके साथी को भी खुलेपन का अनुभव होने देगी और आपको शिकायत का कम मौका मिलेगा.

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जानकारों की मानें तो

80/20 का फॉर्मुला जानकारों का सुझाया हुआ है. शोध बताते हैं कि ज्यादा उम्मीद रखने वाले साथियों में तकरार की स्थिति अधिक बनी रहती है. इसलिए जानकारों का मानना है कि रिश्ते की मिठास को बनाए रखने के लिए उम्मीदों के बोझ को कम करना बेहद जरूरी है. जानकार ही नहीं बड़े बुजुर्गों से भी अक्सर यही नसीहत मिलती है कि जितनी उम्मीदें कम उतनी खुशियां ज्यादा. इसलिए इस फॉर्मुला को लागू करने के लिए जरूरी है कि आप खुद को और अपने साथी को स्पेस दें.

डॉ अमूल्य सेठ, साइकैटरिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

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शादी किसी से भी करें, आपका हक है

दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में रहने वाले प्रतीक (29) ने जब अपने घर में सिया (25,बदला नाम) के बारे में बताया तो मानो घर में पहाड़ टूट पड़ा हो. सिया के बारे में सुनते ही प्रतीक के घरवाले खुद को दोतरफा चोट खाया हुआ महसूस करने लगे. एक, सिया उन के अपने राज्य उत्तराखंड से नहीं थी, वह यूपी से ताल्लुक रखती थी. दूसरी व बड़ी बात यह कि वह जाति से भी अलग थी. दरअसल प्रतीक और सिया काफी समय से एकदुसरे से प्रेम कर रहे थे. साथ में समय बिताते हुए दोनों के बीच आपसी अंडरस्टेंडिंग काफी अच्छी हो गई थी. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. लेकिन उन दोनों के प्रेम सम्बन्ध और शादी के बंधन के बीच उन की जाति आड़े आ रही थी. जहां प्रतीक ऊंची जाति से था वहीँ सिया कथित नीची जाती से थी.

प्रतीक के घर में काफी हंगामा बरपा. शहरी रहनसहन होने के बावजूद जाति की खनक परिवार के कान में शोर मचा रही थी, यह वही खनक थी जिस में खुद की जातीय श्रेष्टता का झूठा गौरव ऊंचनीच के भेदभाव की नीव को सदियों से मजबूत कर रहीहै. प्रतीक के घर में शादी के लिए नानुकुर हुई. ऐसे में सगेसम्बन्धी कहां पीछे रहने वाले थे, उन्हें तो खासकर तुड़का मारना ही था. बात परिवार की इज्जत पर आ गई, ले देकर परिवार की सहमती बनी कि यह शादी हरगिज नहीं होनी चाहिए. कई बार प्रतीक के समझाने के बाद भी घर वाले नहीं मान रहे थे तो अंत में दोनों ने सहमती बनाई और कोर्ट मैरिज कर ली.फिलहाल वे परिवार से अलग अच्छी जिंदगी काट रहे हैं लेकिन उम्मीद इसी बात की करते हैं कि एक दिन प्रतीक के मातापिता सिया को बहु के तौर पर स्वीकार कर लेंगे.

जाति ने न जाने कितने रिश्तोंकी भेंट चढ़ा दी

यह तो शहरी मामला रहा जहां प्रतीक और सिया ने कानून का सहारा ले कर शादी रचाई और खुद की इच्छा का जीवनसाथी चुना. लेकिन क्या भारत में ऐसा हर जगह हो पाना आज भी संभव है? अगर बात गांव देहात की हो तो वहां ऐसा करना तो दूर, सोचना भी पाप माना जाता है. यदि ऐसा कोई मामला सामने आ जाए तो अगले दिन ‘औनर किलिंग’ की खबर देश की शोभा बढ़ाने में चार चांद लगाने को तैयार रहती है. भारत में जाति व्यवस्था सदियों से अस्तित्व में रही है जो न सिर्फ समाज में घृणा फैलाती रही है बल्कि कई लोगों के मौत का भी कारण बनी है. ऐसे में जातीय शुद्धता के चलते अंतरजातीय प्रेमी युगलों/विवाहितों को समाज द्वारा खास टारगेट किया जाता रहा है.

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हाल ही, अक्टूबर 2020 में कर्नाटका के रामनगरा जिला (मगदी तुलक) में औनर किल्लिंग की घटना घटी. बकौल पुलिस, एक पिता ने अपनी बेटी को इसी के चलते मार दिया कि उस की बेटी का किसी गैरजातीय लड़के के साथ प्रेम सम्बन्ध चल रहा था और दोनों शादी करने वाले थे. हैरानी की बात यह कि गांव वाले घटना की हकीकत जानने के बावजूद पुलिस के आगे मूक बने रहे. जाहिर है इस में उन की भी सामाजिक स्वीकृति रही. यही कारण है कि बहुत सी ऐसी घटनाएं सामने आ भी नहीं आ पाती. बहुत बार यदि प्रेमी युगल के परिवार बच्चों की ख़ुशी के लिए वाले शादी करने को तैयार भी हो जाएं तो गांव का खाप उन्हें ऐसा करने से रोक देता है, और दंडित करता है. एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014-17 के बीच भारत में कुल 300 औनर किलिंग की घटनाएं सामने आईं.देश में अधिकाधिक औनर किलिंग की शर्मशार कर देने वाली घटनाएं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से अधिक देखने को मिलती हैं.

गौत्र एक होना भी समस्या

भारत में दो प्रेमी जोड़ों की स्वैच्छा से शादी में रुकावट डालने का समाज के पास सिर्फ यही तंत्र नहीं है. ऐसा ही एक मामलाअमित और प्रिया के साथ हुआ. यहां समस्या उन की जाति नहीं, बल्कि,उन का एक गौत्र का होनाथा. हिन्दू धर्म में तीन गौत्र (खुद का, मां का और दादी व नानी का) में शादी करने को गलत माना जाता है. आमतौर पर माना जाता है कि एक गौत्र होने पर गुणसूत्र एक से हो जाते हैं, फिर आगे समस्याएं पैदा हो जाती हैं. लेकिन अमित के लिए प्रिया से प्यार ना करने की यह दलील नाकाफी थी. प्रिया, अमित के ननिहाल गांव से थी, जहां अमित का अकसर आनाजाना रहता था. जाहिर है जहां,उठनाबैठना व बातचीत का सिलसिला चलता है वहां आपसी समझदारी भी बनने लगती है.

यही कारण है किअमित और प्रिया को आपस में प्रेम हुआ. वे एकदुसरे के करीब आए और शादी का फैसला भी किया. बात घर में पता चली तो इस रिश्ते का पुरजोर विरोध हुआ. उन के घर वालों ने एक गौत्र होने की अड़चन खड़ी कर दी और एकदुसरे से न मिलने का फरमान जारी कर दिया. यहां बात गांव की थी,स्थानीय समाज भी उन दोनों के खिलाफ खड़ा हो गया. जिस का अंत यह हुआ कि जौरजबरन आननफानन में प्रिया की शादी ऐसे व्यक्ति से कर दी गई जो उस के लिए बिलकुल अजनबी था, जिस के प्रति उस की चाहत शून्य थी.

भाषा और संस्कृति का झमेला

भारत में ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां प्रेमी युगलों को समाजिक दबाव के चलते अपनी इच्छाओं की आहुति देनी पड़ती है. यह न सिर्फ जाति या गौत्र के चलते होता है बल्कि ऐसे हीकुछ मामले तब भी देखने को मिलते हैं जब दो परिवारों के रहनसहन, भाषा और संस्कृति में अंतर होता है. यह दुर्भाग्य है कि भारत में शादी दो व्यक्तियों का आपसी मसला नहीं बल्कि दो परिवारों और उन के सगेसंबंधियों का आपसी मसला बन जाता है.

यहां राज्यों के भीतर ही भाषा और संस्कृति में कई तरह की विविधताएं देखने को मिल जातीहैं तो फिरदूसरे राज्य की विविधता की तो बात ही अलग है. यही कारण है कि जब हिमाचल प्रदेश के विक्रम ने अपनी प्रेमिका आभा के बारे में घर वालों को बताया तो परिवार में सरसरी सी दोड़ पड़ी है. कारण यह कि आभा बंगाल से है, जबकि विक्रम का परिवार उस की शादी हिमाचल से कराना चाहते हैं. दरअसल 8 साल पहले आभा और विक्रम की मुलाकात दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपसराम लाल कालेज में साथ पढ़ते हुए हुई थी. दोनों को आपस में खास लगाव हो गया, तो उसी समय दोनों ने अंत तक साथ रहने का विचार भी मजबूत कर लिया. इस बीच दोनों ने खुद के करियर को मजबूत किया. जिस के चलते उन्होंने परिवार से बात करने की हिम्मत जुटाई थी.

विक्रम के घरवालों का फिलहाल यही मानना है कि दोनों परिवारों की भाषा, संस्कृति और रहनसहन में काफी अंतर है वे आपस में मेल नहीं खा पाएंगे. ऊपर से डर है कि बंगाल के लोग चंटचालाक होते हैं. वह (आभा) विक्रम को अपने वश में कर लेगी.

जाहिर सी बात है जब दो व्यस्क लोग आपस में शादी के लिए पूरी तरह तैयार हैं तो उस स्थिति मेंबाकी लोगों को शादी कराने की पोसिब्लिटी की तरफ बढ़ना चाहिए ना कि रोकने की.ऐसे में उचित यही होता कि विक्रम के मातापिता देखें कि विक्रम को आभा के साथ जीवन बिताना है ऐसे में उस की पसंद प्राथमिक होनी चाहिए. दूसरा, अगर संस्कृति आपस में मेल नहीं खा रही तो यह समस्या आभा के लिए ज्यादा होनी चाहिए जिसे अपना घर छोड़ कर ससुराल आना है, ऐसे में अगर वह तैयार है तो उन्हें भी एक कदम आगे की तरफ बढ़ाना चाहिए. बाकी किसी के गलत और सही को ऐसे जज तो बिलकुल भी नहीं किया जा सकता.

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अंतरधार्मिक विवाह बड़ा बवाल

मौजूदा समय में जिस तरह सेसामाजिक और राजनीतिक हवा बह रही है वह प्रेम विवाहों पर तरहतरह से रोड़े अटकाए जाने को ले कर है, किन्तु इस हवा के सीधे रडार पर वे जौड़े आ रहे हैंजो धर्म के इतर जाकर अपनी प्यार की बुनियाद मजबूत कर रहे थे. भारत में अंतरधार्मिक विवाहों को समाज द्वारा सब से ज्यादा हिराकत भरी नजरों से देखा जाता रहा है. परिवार, रिश्तेदार औरसमाज द्वारा अंतरधार्मिक विवाहों का खुल कर विरोध किया जाता रहा है, बल्कि यहां तक कि इस पर तमाम भ्रमबना कर खौफ बनाया जाता है.ऐसे में इन प्रेम विवाहों को जहां सरकार को प्रोत्साहन देने की जरुरत थी व हर संभव मदद करने की जरूरत थी,वहां खुद भाजपा शासित सरकारें तथाकथित धर्मान्तरण विरोधी कानून के नाम पर इनप्रेम विवाहों पर अडचनें डालने में जुट गई हैं.जिस के बाद कई शादीशुदा जोड़ों को इस कानून के नाम पर उत्पीड़ित किया जा रहा है.

स्थिति यह है कि ऐसे प्रेमी व विवाहित जौड़ों को असामाजिक तत्वों द्वारा ढूंढ कर पीटा जा रहा है.इस में संविधान की कसम खाने वाले पुलिस भी पीछे नहीं है, वह लाठी के बल परइन जौड़ों को अलग व गिरफ्तार किया जा रहा है. उन के ऊपरझूटे मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं, वहीँ जबरन विवाहित महिला को उस के पिता की कस्टडी में भेजा जा रहा है. ऐसे में व्यस्क प्रेमी युगलों के पास न सिर्फ घरपरिवार, सगेसम्बन्धी और समाज को मनाने का चैलेंज है बल्कि इस के बाद सरकार के सामने यह साबित करना भी चैलेंज हो गया है कि प्यार और शादी उन की खुद की मर्जी से हुई है.

विवादित धर्मांतरण निषेध कानून के यूपी में पास होने के बाद से ही अलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष कई अंतरधार्मिक विवाह के मामले आने लगे हैं, जिस में ऐसा हीहालिया मामला अलाहाबाद हाई कोर्ट में सामने आया. झूठे आरोपों में फंसाए बालिगसिखा (21) और सलमान को पहले परिवार, नाते और समाज से लड़ना पड़ा. जब वे शादी करने में कामयाब हुए तो अब उन्हें सरकार से भी संघर्ष करना पड़ रहा है. 18 दिसंबर को जस्टिस पंकज नकवी और विवेक अग्रवाल की बेंच ने कहा कि, “शिखा अपने पति के साथ रहना चाहती है और वह आजाद है कि अपनी इच्छा अनुसार अपना जीवन जिए.” वहीँ इस सेपहले 7 दिसंबर को कोर्ट ने सिखा की जबरन पिता की कस्टडी में भेजे जाने की सिफारिश पर सीडब्ल्यूसी को कहा था कि बिना उस की इच्छा के सीडब्ल्यूसी द्वारा इसा किया गया.”

यह चीजें दिखाती हैं कि किस प्रकार से विवादित कानून की आड़ में अंतरधार्मिक वैवाहिक जौड़ों को परेशान किया जा रहा है.इस से पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी दोहराया कि, “अगर कोई वयस्क अपनी पसंद के अनुसार शादी करता है और धर्मपरिवर्तन कर अपने पिता के घर नहीं जाना चाहता है,तो मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है.” अब स्थिति यह है कि इन सब फसादों के चलते कई प्रेमी जौड़े डर रहे हैं कि कि वे शादी के लिए आगे बढ़े या नहीं.

कानून क्या कहता है?

भारत में वयस्कों की शादी करने की न्यूनतम उम्र निर्धारित की गई है. जिस में पुरुष की 21 और महिला के लिए 18 साल है. ऐसे में दोनों स्वतंत्र हैं कि अपनी मर्जी से जिस से चाहे शादी कर सकते हैं. भारत में अधिकतर शादियां अलगअलग धार्मिक कानूनों और ‘पर्सनल लॉ’ बोर्ड के तहत होती हैं. इस के लिए शर्त यह कि दोनों का उसी धर्म का होना जरुरी है.नेशनल कौंसिल ओफ एप्लाइड इकनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा 2014 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 5 प्रतिशत ही अंतरजातीय व अंतरधार्मिक विवाह होते हैं, और 95 फीसदी अपनी जाति/समुदाय के भीतर होते हैं.

हिन्दू विवाह अधिनियम-1955, यह प्रावधान है कि हिन्दू, सिख, जैन, बोद्ध आपस मेंशादी कर सकते हैं. कुछ इसी प्रकार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड-1937, भारतीय इसाई विवाह अधिनियम-1872, पारसी विवाह और निषेध अधिनियम-1936 है. जहां एक ही धर्म के लोग आपस में शादी कर सकते हैं,ऐसे में अगर किसी गैरधार्मिक व्यक्ति को इन नियम कानूनों के तहत शादी करनी हो तो उसे अपना धर्म बदलना ही पड़ता है.

ऐसे में भारत सरकार साल 1954 में विशेष विवाह अधिनियम-1954 ले कर आई. ताकि किसी भी पार्टी को धर्म बदलने की जरुरत ना पड़े.इस अधिनियम के तहत दोनों में से कोई भी पार्टी बिना धर्म परिवर्तन के एक वैध शादी कर सकती है. साफ़ है कि यह अधिनियम अनुच्छेद 21 के जीवन जीने का अधिकार के तहत अपना जीवनसाथी स्वयं चुनने की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है.

किन्तु उस के बावजूद इस क़ानून की कुछ खामियां रहीं हैं, जिस के चलते इस प्रक्रिया से प्रेमी जौड़े को शादी करना पेचीदा महसूस होने लगता है. जाहिर है, इस में घरपरिवार की सहमती हो तब तो ठीक है (अलबत्ता बजरंग दल या युवा वाहिनी होहल्ला ना करे तो), लेकिन अगर वे असहमत हैं और नोटिस लगने के 30 दिन के भीतरऔब्जेक्ट करते हैं तो शादी में रुकावट पैदा किया जा सकता है.

यही कारण है कि इन पैचीदियों से बचने के लिए प्रेमी जोड़ा धार्मिक कानूनों में सरल प्रक्रिया के चलते धर्म परिवर्तन के लिए भी तैयार हो जाता है. ऐसे में धर्म प्रेमी युगलों के लिए बहुत बड़ा मसला है भी नहीं, जितना होवा कट्टरपंथी लगातार खड़ा कर रहे हैं. अब मुख्य मामला यह कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है,जिस में यह स्पष्ट कहा गया है कि,“भारत में कानून द्वारा स्थापित किसी भी प्रक्रिया के आलावा कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसके जीवित रहने के अधिकार और निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकता है.”इस का अर्थ वह चाहे जिस से प्रेम करे, चाहे जिसे माने यह उस की निजी स्वतंत्रता और हक है. ऐसे में इन दिनों इन्ही वाक्यों को बारबार अलाहाबाद हाई कोर्ट सामने आ रहे फर्जी मुकदमों के खिलाफ कहते भी आ रहा है. फिर सवाल यह कि जब संविधान हामी भरता है तो ऐसी शादियों से समस्या किसे और क्यों है?

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मिक्स्ड कल्चर का खौफ

दुनिया के किसी भी कौने में समाज को अगर किसी चीज का डर सताता है तो वह कल्चर के मिक्सहोने का है.हजारों सालों से लोगों नेखुद को मानसिक दासता की बेड़ियों में बांध करडब्बों (बौक्सेक्स) में देखने की आदत डाल ली है. यह कब्बे धर्म के हैं, जाति के हैं, अमीरीगरीबी के हैं, नस्ल के हैं. यही कारण है कि थोड़े से सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाओं से भी यह समाज विचलित हो उठता है.ऐसे ही इस मानसिक दासता को चोट पहुंचाने का तीखा काम इसी प्रकार के प्रेम विवाह करते हैं, जहां लोगों के हजारों सालों से जमे अंधविश्वासों पर गहरी चोट पड़ती है. जाति और धर्म के बाहर जा कर शादी करना रूढ़ीवाद पर तीखा प्रहार करने के समान है. सिर्फ एक मामला और सब कुछ कोहरे की तरह साफ़ होने जैसा है.अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियों के बाद होने वाले बच्चे मुसलमान, हिन्दू, ब्राह्मण, चमार नहीं बनते बल्कि वे इन्सान बनते हैं.

यही चीज समाज के अव्वल दुश्मन, रुढ़िवादी और धार्मिक कट्टरपंथी नहीं होने देना चाहते.उन्हें डर होता है अपनी विरासत चले जाने का. यह डर होता है की कहींउन के खिलाफ बगावत न उठ खड़ी हो जाए. वे ताकत को अपने हाथों में ही केन्द्रित रखना चाहते हैं. लोगों को बंटा हुआ देखना ही उन के राजपाट को मजबूत करता है. उन की तमाम राजनीति शुरुआत और अंत ही एकदुसरे के विभिन्नता को कुरेदने से होती है. यह लोग जानते हैं किइस प्रकार की शादियों से लोग धार्मिक अंधविश्वासों के बनाए भ्रम को मानने से इनकार करेंगे.मिक्स्ड कल्चर से पैदा हुए बच्चे कभी इन के धार्मिक और जातीय उकसावे में नहीं आएंगे. यही कारण है कि सत्ता में बैठे लोगों की अंत कोशिश यही रहती है कि जितना हो सके इन की भिन्नता को और भी गाढ़ा किया जाए.

आमतौर पर मिक्स्ड कल्चर के लोग समानता और मानव अधिकारों के पक्ष में अधिक उदार होते हैं. ऐसे में वे धर्म के पाखंडों के फरेब में आसानी से नहीं फंसते हैं. उन का ध्येय धर्म की सरखपाई से अधिक कर्म की कमाई पर होती है. जिस कारण इन कट्टरपंथियों को इस प्रकार के लोग खासा रास नहीं आते हैं, इसलिए इन की मूल कोशिश ही यही रहती है कि ऐसी स्थिति बनने से पहले इन पर रोक लगा दी जाए. किन्तु प्रेम को कोई रोक पाया है भला.इस तरह के लोग अपने घरपरिवारों में इस ही इसे रोक न सके तो समाज को क्या रोकेंगे.

पत्नी से परेशान, क्या करें श्रीमान

यों तो हमारा समाज पुरुषप्रधान समाज है और यही समझा जाता है कि पति ही पत्नियों को प्रताडि़त करते हैं, लेकिन ऐसी पत्नियों की संख्या भी कम नहीं है जिन्होंने पतियों की नाक  में दम कर रखा होता है.

पत्नियां किसकिस तरह पतियों को प्रताडि़त करती हैं और उन्हें पतियों से क्याक्या शिकायतें होती हैं:

कई पत्नियों को तो पतियों से इतनी शिकायतें होती हैं कि अगर उन्हें रूप में कामदेव, मर्यादा में राम और प्रेम में कृष्ण भी मिल जाए तो भी जरा सा भी मौका मिलते ही सखियों से, पड़ोसियों से पतिपुराण शुरू हो जाएगा.

उच्चशिक्षित व उच्च पद पर आसीन पत्नियां तो नजरों व हावभाव से भी पतियों का अपमान कर देती हैं. मसलन, उन के अंगरेजी के उच्चारण, रहनसहन, पहननेओढ़ने के तरीकों व पसंद का सब के सामने मजाक उड़ा देती हैं और पति बेचारा अपमान का घूंट पी कर रह जाता है और अंदर ही अंदर अपना आत्मविश्वास खोने लगता है. बाहरी तौर पर कुछ दिखाई न देने पर भी पति के लिए ये सब बहुत कष्टदायक होता है.

मानसिक प्रताड़ना

सोनाली उच्च शिक्षित है और उस का पति नीरज भी बहुत अच्छी नौकरी पर है. पर सीधेसाधे नीरज के व्यक्तित्व से यह सब नहीं झलकता. वह बात करने में भी बहुत सीधा है. उस के कुछ भी गड़गड़ बोलने या गड़बड़ हरकत करने पर सोनाली सब के सामने नाटकीय अंदाज में व्यंग्य से कह देती है कि भई माफ करना मेरे पति को, उन की तो यह आदत है. आदत से मजबूर हैं बेचारे. सुनने वाले कभी उसे तो कभी उस के पति को देखते रह जाते.

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पत्नियां कई बार पतियों को मानसिक रूप से वे सब करने के लिए मजबूर कर देती हैं, जो वे बिलकुल नहीं करना चाहते. पति के मातापिता, भाईबहन के विरुद्ध बोलना, उन की छोटी से छोटी बात को बढ़ाचढ़ा कर बोल कर पति के कान भरना, घर से अलग हो जाने के लिए मजबूर करना आदि. लेकिन इन्हीं बातों में वे मायके में अपने भाईभाभी या बहनों के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करती हैं या उन की बातों को छिपा लेती हैं, पर ससुराल की बातों को नजरअंदाज करना ज्यादातर पत्नियों को नहीं आता.

झूठे मुकदमे की धमकियां

आजकल की आधुनिक नवयुवतियों ने तो हद ही कर डाली है. अब तो पत्नी के पक्ष में कई कानून बन गए हैं. इन कानूनों का फायदा ज्यादातर उन्हें नहीं मिल पाता जिन्हें वाकई उन की जरूरत होती है. इन कानूनों को हथियार बना कर कई मगरूर पत्नियां पति को कई तरह से प्रताडि़त करती हैं. इन अधिकारों के बल पर परिवारों में बड़ी तेजी से बिखराव आ रहा है. जो स्त्री दया, त्याग, नम्रता, भावुकता, वात्सल्य, समर्पण, सहनशीनता का प्रतिरूप थी वही एक एकल परिवार की पक्षधर हो कर उसी को अपना आदर्श मान रही है.

सारे कानून एकपक्षीय हैं. पति ने तलाक के पेपर पर दस्तखत नहीं किए तो उस पर दहेज या घरेलू हिंसा का केस दर्ज कर उसे फंसा लिया जाता है. फिर तो मजबूरन दस्तखत करने ही पड़ते हैं. अगर पत्नी की ज्यादातियों से तंग आ कर पति पत्नी को तलाक देना भी चाहे तो उसे अच्छीखासी रकम पत्नी की देनी पड़ती है. कई बार यह उस के बूते से बाहर की बात होती है.

हालांकि ऐसी भी पत्नियां हैं जो अपनी सहनशक्ति व कोमल स्वभाव से टूटे घर को भी बना देती हैं, पर उस की संख्या कम है. पति को बारबार टोकना, प्रताडि़त करना, मानसिक कष्ट देना जिंदगी के प्रति पति की खिन्नता को बढ़ाएगा. अंदर ही अंदर उस के आत्मविश्वास को तोड़ेगा, जिस से उस का व्यक्तित्व प्रभावित होगा.

तरहतरह की शिकायतें

इतिहास गवाह है कि उच्च शिक्षित पतियों ने अनपढ़ व कम शिक्षित पत्नियों के साथ भी निर्वाह किया, लेकिन उच्चशिक्षित व उच्च पद पर आसीन पत्नियां, यदि पति उन के अनुरूप नहीं है तो बरदाश्त नहींकर पातीं. वे सर्वगुण संपन्न पति ही चाहती हैं. पत्नियों को पतियों से तरहतरह की शिकायतें होती हैं और वे पति को अपनी बात मानने के लिए मजबूर करती हैं.

पौराणिक व ऐतिहासिक उदाहरणों से पता चलता है कि कैसे उस समय भी पत्नियां सामदामदंडभेद अपना कर पति से उस की इच्छा के विरुद्ध अपनी बात मनवा लेती थीं और कालांतर में उन की जिद्द और महत्त्वकांक्षा पति की मृत्यु और कुल के विनाश का कारण बनती थी. ऐसे बहुत से उदाहरण हैं इतिहास में जहां पत्नियों की महत्त्वकांक्षाओं ने राज्यों की नींवें हिला दीं और इतिहास की धारा मोड़ कर रख दी.

पत्नियों की अनगिनत शिकायतों का बोझ उठातेउठाते पति बूढ़े हो जाते हैं. मानव साधारण घर से था. लेकिन मेधावी मानव आईआईटी से इंजीनियरिंग और आईआईएम अमहमदाबाद से एमबीए कर के एक प्रतिष्ठित मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर पदस्त हो गया. हालांकि सफलताओं ने, वातावरण ने उसे काफी कुछ सिखा दिया था, पर उस की साधारण परवरिश की छाप उस के व्यक्तित्व पर नजर आ ही जाती. उस की यह कमी उस की पत्नी जो देहरादून के प्रसिद्ध स्कूल से पढ़ी थी, को बरदाश्त नहीं होती थी. मानव के अंगरेजी के उच्चारण से तो उसे सख्त चिढ़ थी. जबतब कह देती, ‘‘तुम तो अंगरेजी बोलने की कोशिश मत किया करो मेरे सामने या फिर पहले ठीक से अंगरेजी सीख लो.’’

सरेआम बेइज्जती

राखी का अपने पति की पसंद पर कटाक्ष होता, ‘‘क्या गोविंदा टाइप कपड़े पसंद करते हो…वह तो कम से कम फिल्मों में ही पहनता है…तुम्हें तो कपड़े पसंद करने के लिए साथ ले जाना ही बेकार है.’’

रोहन जब सोफे पर टांग पर टांग रख कर बैठता तो पैंट या लोअर ऊपर चढ़ जाए या अस्तव्यस्त हो जाए वह परवाह नहीं करता था. वैसा ही अस्तव्यस्त सा बैठा रहता. उस की पत्नी मानसी को उस का नफासत से न बैठना घोर नागवार गुजरता. उस की मित्रमंडली की परवाह किए बिना बारबार उसे आंखें दिखाती रहती कि ठीक से बैठो. उस का ध्यान बातों में कम व रोहन की हरकतों पर अधिक होता.

नमन औफिस से आते ही जूतेमोजे एक तरफ फेंक कर बाथरूम में घुस जाता और फिर चप्पलों सहित पैर धो कर छपछप कर पूरे फर्श को गीला करता हुआ सोफे में धंस कर अधलेटा हो जाता. यह देख कर उस की पत्नी मीना का दिमाग खराब हो जाता और फिर उन में झगड़ा शुरू हो जाता.

इस के अलावा भी कई शिकायतें हैं उसे पति से. पति का अलमारी के कपड़े बेतरबीत कर देना, गीला तौलिया बिस्तर पर डाल देना, गंदे हाथों से कुछ भी खा लेना, खाना खातेखाते जूठे हाथ से फोन पकड़ लेना, जूठे हाथ से डोंगे से दालसब्जी निकाल लेना आदि.

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सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच

यदि पति का व्यक्तित्व तन और मन से यदि असंतुलित होगा तो पत्नी भी इस से अप्रभावित नहीं रहेगी. यदि पति की सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच आएगी तो मान पत्नी का भी न होगा. यदि बच्चे पिता का सम्मान नहीं करेंगे तो कालांतर में मां का भी नहीं करेंगे.

पति को बदलने व सुधारने की कोशिश में ही जीवन की खुशियों का गला घोट देना कहां की समझदारी है. जीवन तो एकदूसरे के अनुसार ढलने में है न कि ढालने में. पति कोई दूध पीता बच्चा है जिस की आदतें पत्नी अपने अनुसार ढाल लेगी? किसी का भी व्यक्तित्व एक दिन में नहीं बनता. अगर कोई बदलाव आएगा भी तो बहुत धीरेधीरे और वह भी आलोचना कर के या उस का मजाक उड़ा कर नहीं. आलोचना नकारात्मकता को बढ़ावा देती है.

कमजोर होता है मनोबल

आज विवाहित स्त्रियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है. लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में यह बात भी सत्य है कि हर सफल स्त्री के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है. पति के प्यार, संरक्षण, सहयोग के बिना कोई भी पत्नी अपने क्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्त नहीं कर सकती.

पति को भी छोटीमोटी बातों के कारण अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए. आत्मविश्वास खोने से मनोबल कमजोर होता है. यदि पति को लगता है कि उस के अंदर वास्तव में कुछ ऐसी आदतें हैं, जो उन के सुखी वैवाहिक जीवन में दीवार बन रही है, तो खुद को बदलने की कोशिश करने में कोई बुराई नहीं है.

 

मेरा पुराना प्रेमी मेरी जिंदगी में वापस आ गया है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 24 वर्षीय युवती हूं. एक युवक से मैं पिछले 3 साल से प्रेम करती थी, लेकिन किसी कारण उस से ब्रेकअप हो गया. लेकिन मैं ने निराशा का दामन छोड़ आशा का मार्ग अपनाया और एक अन्य युवक से मेरा अफेयर हो गया अब हम शादी करने वाले हैं, लेकिन पिछले हफ्ते मेरा पुराना प्रेमी बाजार में मुझ से अचानक मिल गया और बोला कि मैं अब सुधर गया हूं तथा तुम्हारा साथ चाहता हूं. अब मैं क्या करूं?

जवाब

यह लड़का जो आप को छोड़ गया फिर आप ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और अब जब आप अपने जीवन को अपने दूसरे प्यार के साथ निभाने जा रही हैं तो वह सिर्फ आ कर माफी मांगता है और आप कन्फ्यूज हो जाती हैं कि क्या करूं?

अरे, उसे कहिए जा अब मेरी जिंदगी से. सोचिए, जब आप डिप्रैशन में थीं और ब्रेकअप के बाद बड़ी मुश्किल से खुद को संभाल रही थीं, वह कहां था. क्या वह तब आया आप से माफी मांगने? क्या उस के पास आप का कौन्टैक्ट नंबर, घर का पता, सहेली आदि के जरिए बातचीत करने का अवसर नहीं था. अगर वह चाहता तो तभी आप से माफी मांग एक नई शुरुआत कर सकता था, पर अब तो आप भी काफी आगे निकल चुकी हैं. उस के प्यार का कोई मतलब नहीं.

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गुस्सैल प्रेमी को प्रेम से करें कंट्रोल

प्रेमी प्रेमिका में भले कितना प्रेम हो, फिर भी कई बार छोटीछोटी बातों पर तूतू मैंमैं हो ही जाती है. ऐसे में अगर प्रेमी गुस्सैल है तो गुस्से में कुछ भी कह देता है या मिलने आना तक छोड़ देता है. ऐसे में अगर प्रेमिका सोचती है कि मैं क्यों मनाऊं, मैं क्यों झुकूं इस के सामने, कुछ दिन दूरी बनाए रखूंगी तो खुद ही कौल करेगा और इसे सबक भी मिलेगा, तो रिलेशन में यह ईगो कभी काम नहीं करती और अगर प्रेमी गुस्सैल है तो उम्मीद के विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है.

ऐसे में अगर ब्रेकअप हो जाए तो प्रेमीप्रेमिका अपनेअपने स्तर पर यह कहते पाए जाते हैं कि पार्टनर ने हमें प्रेम में धोखा दे दिया जबकि यह धोखा नहीं बल्कि ईगो का सवाल होता है. ऐसे में जरूरत है उसे प्यार से समझने व समझाने की, इस से धीरेधीरे आप उस का बिहेव भी अपने प्रति पौजिटिव देखने लगेंगी.

कैसे करें कंट्रोल

ऐक्शन में रिऐक्शन नहीं

आप के प्रेमी ने आप को मिलने के लिए बुलाया था लेकिन आप ट्रैफिक जाम या फिर अन्य किसी कारण से टाइम पर नहीं पहुंच पाईं जिस कारण प्रेमी को काफी देर तक वेट करना पड़ा और आते ही वह आप पर बरस पड़ा, तो आप भी चिल्लाने न लग जाएं कि तुम्हारी तो आदत ही ऐसी है, मैं ने गलती की जो तुम से मिलने आई.

ऐसे में दोनों तरफ गरमागरमी का माहौल होने के कारण बात बिगड़ सकती है. इसलिए खुद को कंट्रोल करते हुए कहें कि बेबी मेरे स्वीटहार्ट, नैक्स्ट टाइम से ऐसा नहीं होगा प्लीज, कूल डाउन. आप की यह बात सुन कर वह खुद को कूल करने पर मजबूर हो जाएगा. आप की इस समझदारी के कारण आप का रिलेशन भी मजबूत होगा.

छोटीछोटी बात का इश्यू न बनाएं

आप का अपने प्रेमी के साथ कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम था, लेकिन ऐन वक्त पर उस ने यह कह कर मना कर दिया कि मुझे आज राहुल के साथ शौपिंग पर जाना ज्यादा जरूरी है, इसलिए आज का प्लान कैंसिल.

उस की ऐसी बात सुन कर आप की नाराजगी जायज है, लेकिन चाहे आप को कितना भी गुस्सा आए, क्योंकि आप जानती हैं कि ऐन वक्त पर ऐसे नाटक करने की उसे आदत है, तब भी आप दिल पर न लें और न ही इस बात को ले कर इश्यू बनाएं. जब आप की तरफ से कोई रिऐक्शन नहीं होगा तो उसे भी अपनी गलती का एहसास होगा. इस से बात बिगड़ेगी नहीं और उस के मन में आप के लिए प्रेम भी बढ़ेगा.

रोमांस से करें कंट्रोल

प्रेमी अकसर प्रेमिका का स्पर्श चाहता है और अगर उसे एक बार स्पर्श मिल जाए तो चाहे वह कितने भी गुस्से में हो, उस का गुस्सा पल में छूमंतर हो जाता है.

ऐसे में जब वह गुस्सा करे तो उसे कौंप्लिमैंट दें कि वाहवाह तुम गुस्से में कितने स्मार्ट लगते हो, उस के लिप्स पर किस करें, उसे अपनी बांहों में लेते हुए कहें कि तुम ही मेरी दुनिया हो, हाथों में हाथ डालें, बारबार उस के हाथों पर किस करें. इस से आप उसे कंट्रोल में करने में कामयाब हो जाएंगी और वह  आप के इस रोमांटिक अंदाज के सामने अपना गुस्सा भी भूल जाएगा.

अकेले छोड़ कर न भागें, बात सुनें

हो सकता है आप का बौयफ्रैंड ऐसी सिचुऐशन से गुजर रहा हो, जिस के कारण उसे छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आ जाता हो और वह आप को अपने मन की बात भी न बता पा रहा हो. ऐसे में यह सोच कर कि ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है उस की प्रौब्लम को समझें. उसे अकेला छोड़ने की भूल न करें, क्योंकि ऐसे वक्त पता होने के बावजूद मेरी गलती है वह फिर भी आप का साथ चाहेगा. इसलिए चाहे वह कितना भी रूठा हो उसे मनाएं जरूर और अकेला न छोड़ें वरना इस से आप के बीच दूरियां ही बढ़ेंगी. धीरेधीरे हो सकता है वह भी अपनी आदतों को छोड़ दे.

नापसंद चीजों को अवौइड करें

आप अपने प्रेमी के नेचर को अच्छी तरह जानती हैं और उस की पसंदनापसंद से भी वाकिफ हैं, तो ऐसे में जब आप को पता है कि उसे लेट आना या फिर जब आप उस के साथ हों, तब किसी का फोन अटैंड करना पसंद नहीं है तो इन सब चीजों को अवौइड करें. आप की तरफ से इस तरह का एफर्ट आप के गुस्सैल प्रेमी को कंट्रोल में रखने में मददगार साबित होगा, क्योंकि उसे तो यही लगेगा कि आप सिर्फ दुख की साथी हैं सुख की नहीं.

फेवरिट डिश से करें गुस्सा ठंडा

आप ने बिजी होने के कारण उस का फोन नहीं उठाया. इस कारण वह आप से रूठ गया है, तो ऐसे में आप की जिम्मेदारी है कि आप उस का रोमांटिक अंदाज में गुस्सा ठंडा करें. इस के लिए उस की फेवरिट डिश खुद अपने हाथों से बना कर उस पर प्यार की बौछार कर दें और साथ ही उस की डैकोरेशन भी काफी सैक्सी अंदाज में करें कि उसे देख कर उस का खुद पर कंट्रोल ही न रहे.

सरप्राइज दें

किसी बात को ले कर आप में और आप के प्रेमी के बीच काफी समय से अनबन चल रही है, तो ऐसे में फोन पर बात करने से मिसअंडरस्टैंडिंग और बढ़ेगी ही. इस से अच्छा है कि उस के औफिस जा कर उसे सरप्राइज दें. इस से उसे काफी खुशी मिलेगी. उसे लगेगा कि आप की लाइफ में उस की वैल्यू है तभी आप उस के लिए इतनी दूर तक आई हैं. इस से वह भी आप को गले लगाने में देर नहीं लगाएगा.

उस की पसंद की चीजों में हामी भरें

भले ही आप दोनों की पसंद न मिलती हो, लेकिन फिर भी आप को अपने प्रेमी की खुशी के लिए उस की पसंद को अपनी पसंद बनाने की कोशिश करनी होगी. ऐसा बिलकुल न करें कि वह कोई भी चीज दिखाए और आप बस हर बार यही कहें कि मुझे तो यह बिलकुल पसंद नहीं बल्कि कहें कि तुम्हारी पसंद कितनी अच्छी है, मुझे भी बिलकुल ऐसी चीज ही पसंद आती है. आप के ऐेसे पौजिटिव ऐटिट्यूड को देख कर वह भी खुद को आप के लिए इंप्रूव करेगा.

पुरानी यादों से बिखेरें स्माइल

प्रेमी के चेहरे पर मुसकान लाने के लिए या फिर उसे कूल करने के लिए उस के सामने पुरानी यादों का पिटारा खोल डालिए, जिस में आप एकदूसरे को हग कर रहे थे, एकदूसरे के साथ खूबसूरत लमहे बिता रहे थे, एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले हुए थे. जब वह पुरानी यादों को इन फोटोज के जरिए याद करेगा तो निश्चित ही वह कितने भी गुस्से में हो उस के चेहरे पर मुसकान लौट आएगी.

रोमांटिक पलों के लिए टाइम निकालें

हर प्रेमी चाहता है कि उस की प्रेमिका उस के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथसाथ रोमांटिक टाइम भी बिताए और उस के कहे बिना जब आप उस के साथ खूबसूरत पलों को ऐंजौय करेंगी तो वह चाह कर भी आप से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह पाएगा.

इस तरह आप अपने गुस्सैल प्रेमी को प्रेम से बड़ी आसानी से कंट्रोल कर पाएंगी.

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