बचत से करें भविष्य सुरक्षित

खुशहाल वर्तमान व सुख और सुकून भरे भविष्य के लिए किए गए उचित प्रयास ही फायदे का सौदा साबित होते हैं. सिर्फ कमानेखाने व बेहिसाब खर्च करने का नाम ही जिंदगी नहीं है. जीवन में भविष्य की प्लानिंग भी करनी पड़ती है और इस में सब से महत्त्वपूर्ण है फाइनैंशियल प्लानिंग. समयसमय पर आने वाली बड़ी जरूरतों या जिम्मेदारियों को पूरा करने में पहले से बचत कर के जमा की हुई राशि एक मजबूत सहारा होती है. यह आर्थिक सुरक्षा का एहसास कायम रख कर जीवन को आसान बना देती है.

सुरक्षित भविष्य के लिए जानिए कुछ आवश्यक बातें:

1. बचत की आदत डालें

हर महीने अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत खाते में डालें और उस के बाद बचे हुए पैसे से पूरे महीने का बजट तैयार करें. हो सके तो बचत के पैसे से रिकरिंग डिपौजिट कराते रहें. राशि कम हो या ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता. बचत की आदत पड़ते ही आप बड़ी रकम जोड़ना शुरू कर देंगे. धीरेधीरे इसे अपनी आदत बना लें. जैसेजैसे आप की बचत राशि बढ़ती जाएगी, आप को खुशी मिलने के साथसाथ और बचत करने की प्रेरणा मिलती रहेगी व आप की आर्थिक स्थिति मजबूत होती जाएगी.

2. उचित योजना बनाएं

भविष्य की आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक है कि उचित योजना बनाएं. अपने व घर के तमाम खर्चों का हिसाब लगाएं व अपनी कुल आमदनी भी जोड़ लें. खर्च और आमदनी की तुलना करें. अब देखें कि जितना पैसा बच रहा है, उस से भविष्य की जरूरतें पूरी हो सकेंगी या नहीं. आवश्यक हो तो गैरजरूरी खर्चों में कटौती करें.

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3. बेतहाशा खर्च करने की आदत से बचें

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’ वाली कहावत उस वक्त चरितार्थ होने लगती है जब गैरजरूरी चीजों या शौकिया तौर पर पैसे खर्च करते हुए इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता कि हम अपनी आय से अधिक खर्च करते हुए पिछली जमा राशि को भी लुटाते जा रहे हैं. अत: अपने दैनिक खर्चों पर नजर डालें और प्रतिदिन के खर्चों का हिसाब रखें. आप स्वयं पर और घर पर कितना खर्च करते हैं, घर में एक दिन का खर्च कितना है, इन सब बातों को ध्यान में रखें. बाजार में जाने से पहले खरीदारी के सामान की एक लिस्ट तैयार करें. बाजार में सामान खरीदते वक्त मोलभाव करें. ऐसा करने से निश्चित रूप से बचत होगी. जहां तक संभव हो भुगतान कैश से ही करें. क्रैडिट कार्ड पर निर्भर न रहें. इस का इस्तेमाल केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करें, क्योंकि क्रैडिट कार्ड के कारण अनावश्यक खर्च भी हो जाते हैं.

4. अलग अलग सेविंग अकाउंट्स

बचत की राशि को सैलरी अकाउंट में रखने के बजाय उस के लिए अलग से सेविंग अकाउंट खोलें. बचत के लिए पैसे को अलगअलग जगह इन्वैस्ट करें. पोस्ट आफिस व बैंकों द्वारा चलाई जाने वाली सेविंग स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. एनएससी, केवीपी, एमआईएस आदि स्कीम पैसों के निवेश में अच्छे विकल्प हैं. स्माल सेविंग स्कीम लेना बेहतर होता है. इस के अलावा ‘पीपीएफ’ में भी पैसा डाल कर फायदा हो सकता है. इस से पैसा सुरक्षित रहने के साथसाथ टैक्स में भी छूट मिलती है. इस के साथ ही इंश्योरैंस भी कराएं.

5. उपयुक्त इन्वैस्टमैंट

इन्वैस्टमैंट के मामले में सोचसमझ कर फैसला लें. इन्वैस्टमैंट का जो भी विकल्प चुनें वे आप की जरूरतों के मुताबिक ही हों. इस मामले में आप की आवश्यकताएं, आप की उम्र, फाइनैंशियल रिसोर्स, रिक्स प्रोफाइल, इन्वैस्टमैंट के लक्ष्य आदि पर निर्धारित होती हैं. इन्वैस्टमैंट प्लान लेते वक्त यह भी ध्यान रखें कि आप कितने समय बाद, कितने रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं.

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6. फाइनैंशियल लक्ष्य

सब से पहले यह जरूरी है कि आवश्यकतानुसार शौर्ट टर्म या लांग टर्म फाइनैंशियल प्लान बनाया जाए. जैसे कि आप कोई बिजली का उपकरण खरीदना चाहते हैं या फिर कार अथवा मकान. बिजली का उपकरण या ऐसी कोई अन्य चीज खरीदने के लिए आप को ज्यादा लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. ये चीजें 1 या 2 महीने में खरीदने का इंतजाम किया जा सकता है, लेकिन कार या मकान के लिए एक लंबी अवधि तक बचत की आवश्यकता पड़ती है तभी आप इसे खरीद सकते हैं, जिस के लिए बहुत पहले से ही प्लानिंग कर लें.

निवेश से पहले न करें ये 5 गलतियां

अपने कल को बेहतर बनाने के लिए आज से बचत शुरु करने से बेहतर कुछ और नहीं है. एक्सपर्ट्स भी यही मानते हैं कि अपने जीवन की पहली नौकरी लगते ही सेविंग्स शुरु कर देनी चाहिए. अक्‍सर लोग ऐसा करते  भी हैं. लेकिन कई बार हम सेविंग, इंवेस्‍टमेंट के दौरान कई छोटी छोटी गलतियां कर जाते हैं. ऐसा कई बार जानकारी के अभाव में होता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं जो बचत तो कर रहे हैं, मगर उनके जहन में ढेर सारे सवाल है और वह यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि बचत को और कैसे बेहतर किया जा सकता है.

1. बीमा पॉलिसी को टैक्स बचाने के उदेश्य से खरीदना

कई लोग टैक्स बचाने के लिए बीमा पॉलिसी खरीद लेते हैं. उन्हें अपनी इस गलती का एहसास साल के आखिरी में होता है जब उन्हें अपने नियोक्ता को निवेश संबंधित प्रमाण देने होते हैं. बीमा पॉलिसी होना एक अच्छी बात है, लेकिन जीवन बीमा की तुलना में अन्य सभी टैक्स सेविंग विकल्प बेहतर होते हैं. टैक्स सेविंग फंड्स जैसे कि ईएलएसएस कम उम्र के बचत करने वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है.

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2. निवेश से पहले जानकारी का अभाव

जब लोग नियमित रूप से बचत नहीं करते तो बैंक एकाउंट में पड़े पड़े वह खर्च हो जाते है. इससे दो नुकसान होते हैं, पहला छोटी उम्र में निवेश करने के अनुरुप यह आपकी पूंजी को नहीं बढ़ा पाता. और दूसरा इससे बेफिजूल खर्च करने की आदत पड़ जाती है. बचत करने के लिए शुरुआत में अपनी मासिक तनख्वाह का 5 फीसदी से 10 फीसदी तक नियमित रूप से डेट फंड या फिर रेकरिंग डिपॉजिट में निवेश करें.

3. दूसरों को देखकर शेयर बाजार में निवेश करना

ऐसा लोग तब करते हैं जब उनमें स्टॉक्स में निवेश को लेकर कम जानकारी होती है. साथ ही शेयर बाजार में निवेश करते समय लोगों को लगता है कि उनकी निवेश राशि दो गुना हो जाएगी, जबकि ऐसा सोचना गलत है. निवेश करने से पहले अपने दोस्त, रिश्तेदार या सहकर्मी का देख लें कि किसको कितना मुनाफा या नुकसान हुआ है. निवेश करने से पहले स्टॉक से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर लें.

4. हर साल नौकरी बदलना

कई लोग सैलरी बढ़ाने के लिए जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं. जबकि नौकरी तब बदलनी चाहिए जब आप एक जगह काम करके अपनी स्किल्स अच्छी करें. इसके बाद आप जहां भी जाएंगे आपको अच्छी सैलरी का ऑफर दिया जाएगा.

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5. एजुकेशन लोन के बारे में भूल जाना

नौकरी से पहले कई लोग आगे की पढ़ाई के लिए एमबीए जैसे कोर्स में दाखिला लेते हैं. ऐसे में पढ़ाई के खर्चे को उठाने के लिए लोन की आवश्यकता पड़ती है. घर से दूर रहकर नौकरी करने पर लोग अपने बैंक से संपर्क नहीं कर पाते. ऐसे में ब्याज बढ़ता रहता है. इसलिए अपने एजुकेशन लोन के बारे अपना ध्यान केंद्रित करें.

जानें प्रौपर्टी गिरवी रखें या बेचें

कुछ सपने हर व्यक्ति देखता है, जैसे अपना घर, अपनी कार, बच्चों को अच्छे स्कूल/कालेज में पढ़ाना और बुरे वक्त के लिए अच्छाखासा बैंक बैलेंस. इन चीजों को ले कर देखे गए सब के सपनों में सिर्फ एक ही फर्क होता है- छोटा घर या बड़ा घर, इस ब्रैंड की कार अथवा उस ब्रैंड की और बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए कितनी मोटी रकम का निवेश. ऐसा देखा जाता है कि बेहद जरूरी होने के बावजूद लोग अपनी प्रौपर्टी को गिरवी रख कर पैसा निकालने का मन नहीं बना पाते हैं. तो क्या इस की वजह सिर्फ अपने घर से होने वाला लगाव है? जी नहीं, इस के पीछे एक भय जिम्मेदार है और वह है अपनी संपत्ति को खो देने का भय.

काफी हद तक यह डर वाजिब भी लगता है, क्योंकि संपत्ति गिरवी रखने के बारे में सूचनाओं का बेहद अभाव है. अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो स्थिति में बदलाव संभव है. एक प्रौपर्टी आप के लिए पैसे निकालने का जरीया हो सकती है, जिस से आप अपनी बेहद जरूरी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं. लेकिन ऐसा उसी स्थिति में मुमकिन है जब आप को यह जानकारी हो कि इस से ज्यादा से ज्यादा पैसा कैसे निकाल और प्रौपर्टी खोने के डर से खुद को कैसे उबार सकते हैं. एक संपत्ति का मालिक शादी, व्यापार में निवेश, बच्चों का उच्च शिक्षा या फिर अन्य किसी कार्य के लिए अपनी संपत्ति को गिरवी रख कर पैसा ले सकता है. बस, संपत्ति गिरवी रखने से पहले कुछ बातों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है:

संपत्ति का लोन चल रहा हो तब उसे गिरवी रखना:

जब किसी प्रौपर्टी पर पहले से लोन चल रहा हो, उस दौरान उस संपत्ति को गिरवी नहीं रखा जा सकता है. हालांकि कुछ खास हालात में ऋणदाता की सहमति पर संपत्ति को दोबारा गिरवी रखा जा सकता है. संपत्ति गिरवी रख कर ऋणदाता उपभोक्ता को दिए गए अपने रुपयों की अदायगी सुनिश्चित करता है. वहीं उपभोक्ता प्रौपर्टी गिरवी रख कर अपनी जरूरत के समय आर्थिक मदद प्राप्त करता है. कोई व्यक्ति बिना कुछ गिरवी रखे भी ऋण ले सकता है, लेकिन किसी संपत्ति के बदले लिए गए ऋण की ब्याज दर कम होती है.

लोन चुकता करने में असक्षमता:

अगर कर्ज लेने वाला उस का भुगतान कर पाने में सक्षम नहीं होता है, तब ऋण देने वाली संस्था नियमों के हिसाब से उस संपत्ति के जरीए अपने पैसों की वसूली कर सकती है. ऐसा करने के लिए ऋणदाता को नियमानुसार कोर्ट में केस फाइल करना पड़ता है और वहां से मिले निर्देशों के अनुसार उसे बेच कर अपने पैसों की वसूली के लिए उस संपत्ति को अपने कब्जे में ले कर बेच सकता है. डिफाल्टर होने के कारणों के अनुसार अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं. मसलन, अगर धोखाधड़ी का मामला है तो कर्जदार के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है.

लोन की अदायगी में देरी होने पर कुछ आर्थिक दंड भी लगाया जाता है. कर्ज लेने वाले को मूल धन और उस के ब्याज के साथ इस अतिरिक्त आर्थिक दंड का भुगतान भी करना पड़ता है.

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संपत्ति गिरवी रखने पर ब्याज दर:

संपत्ति गिरवी रख कर लिए गए ऋण की अदायगी मासिक भुगतान के रूप में की जाती है. यह भुगतान 10, 15% या फिर इस से भी अधिक हो सकता है. यह लोन के प्रकार, कर्ज देने वाले संस्थान के नियमों और कर्ज लेने वाले की क्षमता पर भी निर्भर करता है. आमतौर पर घर खरीदने के लिए लिया गया कर्ज संपत्ति गिरवी रख कर लिए गए कर्ज से सस्ता पड़ता है. ऐसे में अन्य कार्यों जैसेकि व्यापार, यात्रा आदि के लिए ही पुरानी संपत्ति के बदले कर्ज लेना चाहिए. अगर किसी के पास अधिक नक्दी यानी सरप्लस फंड है, तो वह पूरा कर्ज एकसाथ चुका सकता है. ऐसा आमतौर पर कर्ज लेने के 6 महीने बाद किया जा सकता है. ऐसा जरूरी नहीं कि आप धीरेधीरे कर के ही कर्ज चुकाएं. मार्केट से उठाए गए ज्यादातर कर्ज का भुगतान अपनी पूरी अवधि से पहले ही हो जाता है.

डिफाल्ट होने पर संपत्ति खाली कराना:

कभी भी 1 या 2 महीने भुगतान में देरी होने पर कर्ज लेने वाले को भगोड़ा नहीं माना जाता है. हां, अगर यह देरी कई महीनों की हो जाए मसलन 4 या इस से भी अधिक महीनों की और कर्ज लेने वाले की तरफ से इस संबंध में कोई सूचना न दी गई हो अथवा बातचीत भी न की गई हो तो कर्ज देने वाला संस्थान कर्ज लेने वाले के खिलाफ कानूनी काररवाई कर सकता है. कानूनी प्रक्रिया शुरू होने के बाद ऋणदाता द्वारा अपनाए गए कानूनी तरीके के आधार पर संपत्ति खाली कराने में 6 महीनों से ले कर डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.

गिरवी रखी संपत्ति को बेचना:

गिरवी रखी संपत्ति को कर्ज देने वाले की सहमति के बिना नहीं बेचा जा सकता है. खासतौर पर तब जब कर्ज का भुगतान रुका हुआ हो. अगर कर्ज का भुगतान समय पर हो रहा हो तब कर्ज देने वाले संस्थान को विश्वास में ले कर संपत्ति को बेच कर कर्ज की बकाया राशि नए मालिक के नाम हस्तांतरित की जा सकती है

बेहतर विकल्प

सभी मामलों में संपत्ति को गिरवी रखना उसे बेचने से बेहतर विकल्प नहीं होता है. दोनों के अपने फायदे व नुकसान हैं. आइए, जानते हैं:

– जब आप प्रौपर्टी गिरवी रखते हैं तब आप को उसे खाली करने की जरूरत नहीं होती. आप उस में रह सकते हैं अथवा उस का व्यापार के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन आप संपत्ति बेच देते हैं, तो आप उस का इस्तेमाल नहीं कर सकते. आप को उसे खाली करना ही होता है.

– गिरवी रखने की स्थिति में प्रौपर्टी पर मालिकाना हक बरकरार रहता है. लेकिन इसे बेचने की स्थिति में मालिकाना हक खरीदार को मिल जाता है.

– गिरवी रख कर आप संपत्ति की मूल कीमत का आमतौर पर 70 से 80 फीसदी हिस्सा ही कर्ज के रूप में ले सकते हैं. लेकिन अगर आप संपत्ति बेचते हैं, तो आप को उस का पूरा पैसा मिल जाएगा.

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– गिरवी रखने की स्थिति में भविष्य में संपत्ति की कीमत बढ़ने का उस के मालिक को कोई लाभ नहीं होता है. लेकिन जब यह संपत्ति बिक जाती है तब खरीदार को भविष्य में होने वाली मूल्य बढ़ोतरी का फायदा हो सकता है.

– कई बार ऐसी स्थिति भी होती है कि संपत्ति का मालिक संपत्ति गिरवी रख कर लोन लेने की शर्तों को पूरा नहीं कर पाता. संपत्ति का मालिक होने के बावजद अगर आप के पास कर्ज चुकाने के लिए पैसों का कोई स्रोत नहीं है तो आप को लोन नहीं मिलेगा. लेकिन संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति को बेच जरूर सकता है.

– गिरवी रखी संपत्ति को कर्ज देने वाले की अनुमति से लीज अथवा किराए पर चढ़ा कर आमदनी का एक अन्य स्रोत भी बनाया जा सकता है.

30 की उम्र में कहां करें निवेश

आज का दौर अनिश्चिंतताओं से भरा हुआ है. कभी महामारियों का हमला, तो कभी रोजगार का संकट युवाओं को संपन्न व खुशहाल जीवन जीने के रास्ते में रोड़े अटकाता है. ऐसे में स्मार्ट इनवैस्टमैंट यानी सुरक्षित और मुनाफेदार निवेश ही आप के जीवन की संपन्नता की नींव को मजबूत कर सकता है.

तो आइए फाइनैंशियल कंसल्टैंट राघेंद्र मिश्रा से जानते हैं युवाओं के लिए सब से सुगम, सुरक्षित और सर्वोत्तम निवेश विकल्प क्या है:

स्टैप 1: टर्म इंश्योरैंस

अगर बात करें 30 की उम्र की तो अकसर इस उम्र तक हम अपनी जिम्मेदारियों को सम   झने लगते हैं ऐसे में हमारा पहला और सब से अहम कदम होना चाहिए कि हम टर्म इंश्योरैंस लें क्योंकि जीवन में कब, क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. कब हम जीवन को अलविदा कह दें किसी को पता नहीं होता. ऐसे में टर्म इंश्योरैंस असली जीवन बीमा प्लान है, जो आप के परिवार को आप के जाने के बाद फाइनैंशियल सपोर्ट प्रदान करने का काम करता है.

इस के अंतर्गत पौलिसी की अवधि के दौरान बीमा करवाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने पर यह इंश्योरैंस पौलिसी के अंतर्गत बनाए गए नौमिनी को एकमुश्त राशि प्रदान करता है. इसलिए टर्म इंश्योरैंस आज बेहद जरूरी हो गया है. इस बात का ध्यान रखें कि जितनी जल्दी आप टर्म इंश्योरैंस ले लेंगे उतना ही आप को कम प्रीमियम देना पड़ेगा.

बैस्ट टर्म इंश्योरैंस प्लान कैसे चुनें

–  आप को हमेशा कंपनी का क्लेम सैटलमैंट रेशो देखना चाहिए ताकि आप को ज्ञात हो जाए कि परिवार पर मुसीबत आने पर कंपनी कितने समय में क्लेम सेटलमैंट कर देती है वरना बाद में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

–  आप को कंपनी के ब्रैंड और उस की मार्केट में क्या अहमियत है, इस की जांच जरूर करनी चाहिए.

–  किसी भी कंपनी का प्लान अच्छी तरह चैक

करने के बाद ही टर्म इंश्योरैंस लेना चाहिए. उस में यह भी चैक कर लें कि उस में क्या कवर है और क्या नहीं तथा कितने साल तक का कवर है. इस से पौलिसी के चयन में आसानी होगी.

–  टर्म इंश्योरैंस आप की वार्षिक सैलरी का लगभग 10 गुणा होना चाहिए.

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स्टैप 2: हैल्थ इंश्योरैंस

हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी मुश्किल समय में परिवार पर बिना बो   झ डाले आर्थिक सहायता प्रदान करने का काम करती है. सोचिए अगर आप के परिवार में अचानक कोई अपना बीमार हो जाए और आप ने कोई हैल्थ पौलिसी न ली हो, तो आप सब से पहले बिना सोचेसम   झे उस का इलाज तो करवाएंगे ही, लेकिन इस इलाज के दौरान जो आप को शारीरिक व पैसों के कारण आर्थिक मार    झेलनी पड़ेगी वह आप की कमर तोड़ देगी.

इस से हो सकता है कि आप की फ्यूचर प्लानिंग भी पूरी तरह से बिगड़ जाए. इसलिए जरूरी है समय रहते हैल्थ इंश्योरैंस लेने की ताकि आप के साथसाथ आप का परिवार भी इस में कवर हो जाए और मुसीबत की घड़ी में यह इंश्योरैंस आप के बड़े काम का साबित हो. हैल्थ इंश्योरैंस वैसे तो छोटी उम्र से ही ले लेना चाहिए ताकि कम प्रीमियम देने के साथसाथ आप अपनी और अपनी फैमिली की हैल्थ संबंधित चिंताओं से मुक्त हो जाएं.

लेकिन यदि आप इसे लेने में लेट हो गए हैं तो आप अभी भी इसे ले सकते हैं क्योंकि उम्र के साथ बीमारियों का डर बढ़ सकता है. जान लें कि कुछ बीमारियां पहले साल से ही कवर नहीं होतीं. इन का कुछ वेटिंग पीरियड होता है. ऐसी स्थिति में आप की पौकेट पर बो   झ पड़ सकता है.

नोट: आप को बता दें कि इंश्योरैंस न सिर्फ आप को सुरक्षा देते हैं बल्कि टैक्स सेविंग में भी आप की मदद करते हैं.

काम के हैल्थ इंश्योरैंस

इनडिविजुअल हैल्थ इंश्योरैंस: इस में पौलिसी का लाभ केवल एक व्यक्ति यानी सिंगल व्यक्ति ही उठा सकता है. इसलिए यह पौलिसी आप तभी लें जब आप अकेले हों.

फैमिली हैल्थ इंश्योरैंस: इस में आप अपने साथ अपने परिवार को कवर कर सकते हैं. इस में समइनशोरेड परिवार के सभी सदस्यों पर लागू होता है.

टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस: अगर आप के पास पहले से कोई हैल्थ इंश्योरैंस है तो आप अपना प्रीमियम कवरेज बढ़ाने के लिए टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस भी ले सकते हैं. इस का प्रीमियम हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी के मुकाबले काफी कम होता है क्योंकि इस का इस्तेमाल केवल तभी होगा, जब आप अपनी हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी का पूरा समऐश्योर्ड यूज कर चुके हों. आजकल कुछ हैल्थ पौलिसीज आप को फिटनैस के हिसाब से छूट भी देती हैं. आप अपने हैल्दी लाइफस्टाइल से इन पौलिसीज में प्रीमियम भी बचा सकते हैं.

स्टैप 3: इनवैस्टमैंट के लिए म्यूचुअल फंड

स्टैप 1 और स्टैप 2 जीवन की अनिश्चिंतताओं में आप के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है. लेकिन खुद को फाइनैंशियल स्ट्रौंग बनाने यानी बचत करने के लिए, अपनी छोटीबड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए  म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना आज काफी बेहतर विकल्प है क्योंकि इस में अच्छा व टिकाऊ रिटर्न जो मिल रहा है. ‘सिक्यूरिटी ऐक्सचेंज बोर्ड औफ इंडिया’ ने इस में रिस्क और सेफ्टी के आधार पर 17-18 तरह की कैटेगरी डिवाइड की हैं, जिन में आप अपनी जरूरत, रिटर्न व रिस्क को देखते हुए इंनैस्ट कर सकते हैं.

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आप को बता दें कि सिप यानी सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान के जरीए इस में निवेश करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है क्योंकि इस में आप अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम में रैग्युरली एक निश्चित रकम इनवैस्ट कर सकते हैं. यह आप मंथली, क्वार्टली व सेमीऐनुअली किसी भी मोड़ का चयन कर के आसानी से अपने फाइनैंशियल गोल को पूरा कर सकते हैं.

कैसेकैसे म्यूचुअल फंड्स

डेब्ट्स फंड: ये ऐसे फंड्स होते हैं , जो एक निश्चित इनकम रिटर्न देते हैं.

गिल्ट फंड: यहे फंड आप का पैसा सिर्फ गवर्नमैंट सिक्युरिटीज में ही इनवैस्ट करते हैं, जिस से रिस्क न के बराबर होता है.

लिक्विड फंड्स: ये ऐसे फंड्स होते हैं, जिन्हें किसी भी समय यानी जरूरत पड़ने पर बंद करवाए जा सकते हैं. यह काफी सेफ तरीका है.

इक्विलिटी फंड: इस में रिस्क ज्यादा है तो रिटर्न भी ज्यादा मिलता है क्योंकि इस में आप का पैसा स्टौक मार्केट में लगता है. म्यूचुअल फंड में इनवैस्टमैंट के जरीए आप अपने गोल्स जैसे गाड़ी खरीदना, घर खरीदना, बच्चे की हायर स्टडीज के लिए पैसे जमा करना, बच्चों की मैरिज के लिए या फिर रिटायरमैंट तक के लिए इस में निवेश कर के बड़ी आसानी से गोल प्लानिंग कर सकते हैं.

स्टैप 4: रिटायरमैंट प्लानिंग

वैसे 30 की उम्र में अगर रिटायरमैंट की बात करें तो दूर की कल्पना प्रतीत होती है. लेकिन कब हम जिम्मेदारियों से घिर कर 30 से 50 के हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. ऐसे में अगर 50 की उम्र में रिटायरमैंट प्लानिंग के बारे में सोचेंगे तब तक काफी देर हो चुकी होगी.

इसलिए जरूरी है 30 में ही इस के बारे में विचार कर निवेश शुरू कर देना ताकि 60 के बाद आप ठाटबाट से रह सकें वरना पैसे की तंगी बुढ़ापे में आप का सुखचैन छीन कर रख देगी क्योंकि कम उम्र में निवेश करने पर आप को ज्यादा रिटर्न जो मिलता है. इस के लिए आप निम्न प्लान में इनवैस्ट कर सकते हैं:

म्यूचुअल फंड : अगर आप प्राइवेट नौकरी में हैं तो आप को छोटी उम्र से ही रिटायरमैंट के लिए एक सिस्टेमैटिक वे में म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना शुरू कर देना चाहिए. इस के लिए आप अपने अनुमानित खर्चों के हिसाब से रिटायरमैंट के बाद कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी उस का टारगेट बना कर छोटीछोटी सिप में इनवैस्टमैंट कर के सेफली पैसा जमा कर सकते हैं. इस में आप अपनी सुविधा के हिसाब से तारीख का चयन कर के निवेश कर सकते हैं.

पीपीएफ: आप प्रौविडैंट फंड में भी निवेश कर सकते हैं. यह भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जिस का उद्देश्य रिटायरमैंट के बाद सभी को सिक्योर जीवन प्रदान करना है. इस के तहत आप साल में कम से कम 500 रुपए और ज्यादा से ज्याद डेढ़ लाख रुपए जमा कर सकते हैं.

पैंशन फंड: यह एक तरह की पैंशन योजना है, जो लंबी अवधि तक लागू रहती है. यह पैंशन योजना तुलनात्मक रूप से मैच्योरिटी पर बेहतर रिटर्न प्रदान करती है.

यूलिप: इसे यूनिट लिंक्ड इंश्योरैंस प्लान कहा जाता है. इस में लाइफ कवर के साथसाथ कंपनीज निवेश का भी मौका देती हैं.

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स्टैप 5: इमरजैंसी फंड भी है जरूरी

पिछले 2 साल में दुनिया ने ऐसा समय देखा है, जिस की हम ने कभी कल्पना भी नहीं की थी, जिस के कारण बहुत से लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं, अपनों को खोया और यहां तक कि अपनों को बचाने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़े. इसलिए आज के समय की जरूरत है इमरजैंसी फंड की, जो आप की आकस्मिक जरूरतों में आप की बैकबोन का काम करेगा. इस के लिए आप के पास कम से कम 6 महीने से 1 साल तक के सभी जरूरी खर्चों के बराबर का फंड होना चाहिए.

इस के लिए आप अपने पैसों को लिक्विड फंड, हाई इंटरैस्ट सेविंग अकाउंट में इनवैस्ट कर सकते हैं और इमरजैंसी की स्थिति में आप इस फंड का इस्तेमाल कर के लोन लेने से भी बच सकते हैं. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि इमरजैंसी की स्थिति में ही इस फंड का इस्तेमाल करें.

जीवन बीमा क्यों है जरूरी

हमारे देश में आज भी जीवन बीमा को ले कर लोगों में झिक है खासतौर से महिलाओं में. अधिकांश महिलाओं को तो जीवन बीमा के विषय में जानकारी ही नहीं होती. इन सब बातों को वे अपने पति पर छोड़ देती हैं. पति भी पत्नियों को बचत के तरीकों, अपने खातों की जानकारी, विकास पत्र या बीमा पौलिसी के बारे में अधिक जानकारी देने से बचते हैं.

हमारे यहां परिवार का आर्थिक बोझ उठाने की जिम्मेदारी अकसर पुरुषों के कंधों पर होती है. हालांकि अब बड़ी संख्या में  महिलाएं भी नौकरी कर रही हैं और घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में अपना योगदान दे रही हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रखने का इंतजाम समय रहते कर लें.

घर की आर्थिक गाड़ी खींचने वाला व्यक्ति चाहे स्त्री हो या पुरुष, उस के कंधों पर कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं. बच्चों की शिक्षा, उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजने की ख्वाहिश, बेटी का अच्छा विवाह, अपना घर बनवाना और रिटायर होने के बाद भी आय का कोई सोर्स हर व्यक्ति चाहता है.

बीमा की उपयोगिता

इन तमाम जिम्मेदारियों को पूरा करने से पहले ही अगर घर के कमाऊ सदस्य के साथ कोई अनहोनी घट जाए तो सोचिए उस के लक्ष्यों का क्या होगा? परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए पैसे कहां से आएंगे? इस का सिर्फ एक इलाज है- जीवन बीमा. इस के जरीए सभी वित्तीय लक्ष्यों के लिए परिवार को सुरक्षा कवच मिल जाता है. जीवन बीमा परिवार के आत्मसम्मान की रक्षा करता है. घर के मुख्य कमाऊ सदस्य की अचानक मृत्यु के बाद परिवार को दूसरों पर आश्रित नहीं होना पड़ता है.

जीवन बीमा के बारे में आज हर व्यक्ति को जानने की जरूरत है. इस के विषय में ज्यादा से ज्यादा सवाल पूछने की जरूरत है. जीवन बीमा की उपयोगिता क्या है? यह कितनी रकम का होना चाहिए? इसे कब लेना चाहिए? ऐसे सभी सवालों के जवाब हम आप को दे रहे हैं.

अगर आप नौकरीपेशा हैं या अपना कोई व्यवसाय करते हैं तो आप को अपनी सालाना आमदनी का कम से कम 10 गुना जीवन बीमा कवर जरूर लेना चाहिए.

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क्यों खरीदें जीवन बीमा पौलिसी

मान लीजिए किसी व्यक्ति ने होम लोन ले कर घर खरीदा है. उस के बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं. घर के सभी प्रकार के खर्च के लिए परिवार उस व्यक्ति पर निर्भर है. अब यदि किसी बीमारी या दुर्घटना की वजह से उस व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस के नहीं रहने की स्थिति में उस का परिवार सड़क पर न आ जाए, इस के लिए बीमा पौलिसी खरीदना जरूरी है.

बीमा कवरेज लेने से उस के नहीं होने की स्थिति में उस के आश्रितों को बीमा कंपनी से मुआवजा मिलेगा, जिस से उन का आगे का समय आसानी से कट सकता है. जीवन बीमा पौलिसी व्यक्ति के नहीं रहने की स्थिति में उस के परिवार को वित्तीय जोखिम से सुरक्षा देता है.

जीवन बीमा किसे लेना चाहिए

यदि व्यक्ति के परिवार में पत्नी है, बच्चे हैं और उस के मातापिता वृद्ध हैं तथा उन की अपनी कोई कमाई नहीं है तो उस व्यक्ति को निश्चित रूप से जीवन बीमा पौलिसी खरीदना चाहिए. जीवन बीमा पौलिसी खरीदने की सब से आम वजह किसी अप्रत्याशित घटना से परिवार को संरक्षण प्रदान करना है. जीवन बीमा पौलिसी से मुआवजे के रूप में मिली रकम का उपयोग कर परिवार के आश्रित सदस्यों के अगले कई सालों का खर्च उठाया जा सकता है.

अगर आप पर ऋण या देनदारी है

यदि किसी व्यक्ति ने लोन ले कर खरीदारी यानी घर खरीदा है या अपनी संपत्ति गिरवी रखी है, तो उसे जीवन बीमा पौलिसी अवश्य ले लेनी चाहिए. इस से उस के नहीं रहने की स्थिति में न सिर्फ उस के परिवार को उस कर्ज को चुकाने में मदद मिलेगी, बल्कि परिवार के लिए आमदनी का एक नियमित स्रोत भी बनेगा.

पार्टनरशिप फर्म में भागीदार

यदि आप के साथ पार्टनरशिप फर्म में शामिल कोई व्यक्ति है तो आप दोनों को जीवन बीमा पौलिसी खरीदनी चाहिए. इस प्रकार की पौलिसी आप के पार्टनर की मृत्यु होने की स्थिति में होने वाले किसी प्रकार के वित्तीय नुकसान की स्थिति में आप की फर्म को वित्तीय सुरक्षा देगी.

कब कराना चाहिए जीवन बीमा

नौकरी लगते ही आप को जीवन बीमा पौलिसी खरीद लेनी चाहिए. जीवन बीमा कवरेज लेने के लिए टर्म प्लान कम प्रीमियम में अधिकतम कवरेज हासिल करने का बेहतरीन विकल्प है. आप की उम्र जितनी कम होगी जीवन बीमा पौलिसी में आप का प्रीमियम उतना ही कम होगा.

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बीमा कितने समय के लिए कराना चाहिए

जब तक आप के परिवार के सदस्य अपने खर्च के लिए आप की कमाई पर निर्भर हों, आप को उतने समय का अंदाजा लगा कर ही बीमा पौलिसी खरीदनी चाहिए. आप जब तक अपने परिवार के लिए कमाने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्य हैं तब तक के लिए आप को जीवन बीमा कराना चाहिए.

आमतौर पर यह माना जाता है कि अगर आप की शादी 30 साल की उम्र में हो गई है और 35 साल की उम्र तक आप के 2 बच्चे हैं तो उन की पढ़ाईलिखाई आदि अगले 25 साल में पूरी हो जाएगी और तब तक वे जौब शुरू कर देंगे. इस हिसाब से आप को जीवन बीमा पौलिसी में 60-65 साल तक की उम्र के लिए लेनी चाहिए.

जब खरीदें जीवन बीमा

जीवन बीमा पौलिसी असल में बीमा कंपनी और बीमाकृत जीवन के बीच एक अनुबंध होता है, जिस में बीमा धारक द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले बीमा कंपनी बीमाकृत व्यक्ति की मौत या तय समय के बाद एक निश्चित रकम, जिसे बैनिफिट्स कहते हैं, देने को राजी होती है. जीवन बीमा की आवश्यकता समझने के बाद भी लोगों के लिए सही प्लान का चयन करना हमेशा मुश्किल होता है. यह पर्सनल फाइनैंस के उन विषयों में से एक है, जिसे समझने में अधिकतर लोग गलती करते हैं. सामान्यतया, जीवन बीमा पौलिसी बीमा धारक की आवश्यकता एवं बचत क्षमता के आधार पर खरीदी जाती है. जीवन बीमा प्लान आप के प्रियजनों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान कर उन्हें सुरक्षित करने के लिए लिया जाता है, इसलिए इसे खरीदने से पहले आप को अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए. आप अगली बार जीवन बीमा खरीदते समय क्या करें और क्या न करें को ध्यान में जरूर रखें.

क्या करें

विशेषज्ञों व अलगअलग स्रोतों से सलाह लें और प्रत्येक सलाह पर धैर्यपूर्वक विचार करें. फिर इस के आधार पर जीवन बीमा के लिए अपनी आवश्यकताओं के बारे में सोचें. यदि आप संख्या में इस की मात्रा निर्धारित कर सकते हैं तो करें. जैसे आप यह देखें कि अगर आप के परिवार में 4 सदस्य हैं, तो आप के बिना घर चलाने के लिए उन्हें कितने पैसों की आवश्यकता होगी? यदि आप परिवार के मुख्य कमाने वाले सदस्य हैं, तो आप के बाद आप के बच्चों की स्कूल फीस, कालेज फीस और अन्य खर्र्चों को पूरा करने के लिए न्यूनतम कितने रुपयों की नियमित आवश्यकता होगी. इस में आप अपने सभी कर्ज, देयताएं, यहां तक कि क्रैडिट कार्ड की बकाया राशि भी शामिल करें. इस बात को समझने की कोशिश करें कि जीवन बीमा आप के परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का जरीया है. इसे महज एक टैक्स बचाने के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल न करें.

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अपने परिजनों विशेषकर जीवनसाथी/ नौमिनी को पौलिसी के बारे में जरूर बताएं. उसे यह भी समझाएं कि कोई अनहोनी होने पर क्लेम लेने के लिए उसे क्या करना होगा. ऐसे में अकसर हम सभी अनहोनी जैसे मुद्दों पर बातचीत करने से बचते हैं, जबकि आप अपने प्रियजनों को अपने जाने के बाद उन के लिए बनाए गए सुरक्षा कवच से अवगत करा कर अपने कौमन सैंस और समझदारी का परिचय दे रहे होते हैं. अपनी पौलिसी की नियमित आधार पर समीक्षा करें और परिस्थितियों व आवश्यकता में बदलाव होने पर उस में सुधार करें. उदाहरण के लिए यदि आप की शादी हो जाती है, आप के घर में नन्हा मेहमान आ जाता है, आप की देयता या कर्ज में बढ़ोतरी हो जाती है या आप का पेशा बदल जाता है आदि, तो अपनी पौलिसी की समीक्षा करने के दौरान आप अपने वित्तीय सलाहकार की सहायता भी ले सकते हैं.

क्या न करें

सिर्फ सस्ते के चक्कर में आवश्यकता से कम का कवर न लें. यदि आप को प्रीमियम का खर्च वहन करने में समस्या है तो कवर कम करने के बजाय कम अवधि का प्लान चुनें. प्रपोजल फौर्म में कोई भी कौलम खाली न छोड़ें तथा किसी दूसरे को अपना फौर्म भरने भी न दें. अपने प्रीमियम का भुगतान करना न भूलें, न ही इस में विलंब करें क्योंकि लैप्स अवधि के दौरान पौलिसी का कवर नहीं होता है और क्लेम नहीं मिलता है. पौलिसी लेते समय न कोई तथ्य छिपाएं, न ही कोई गलत जानकारी दें क्योंकि इस से क्लेम के समय विवाद की स्थिति बन सकती है.   

– अनिल चोपड़ा, ग्रुप सीईओ एवं निदेशक, बजाज कैपिटल

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इन 10 आसान तरीकों को अपनाएं और बचाएं पैसे

क्या आपके पैसे वक्त से पहले खर्च हो जाते हैं, क्या आपने अब तक कुछ भी सेव नहीं किया है तो डरिये नहीं आज हम आपके लिये कुछ बहुत ही साधारण टिप्स लेकर आएं हैं जिसे अपने रोजमर्रा के जीवन में लागू कर थोड़े बहुत पैसे तो आप सेव कर ही लेंगी. चलिये आपको बताते हैं.

1. बेहतर प्लान बनाएं

आपको सुनने में भले ही यह अजीब लगे लेकिन शौपिंग पर जाते समय यह कभी डिसाइड न करें कि आपको क्या क्या खरीदना है. बेहतर है कि जब भी आपको जो सामान याद आए, उसे एक लिस्ट में अपडेट करते जाएं. और जब वो सामान आपके आस पास हो आप उसे फौरन खरीद लें.

2. शौपिंग की लिस्ट हमेशा साथ रखे

अक्सर दुकान पर पहुंच कर हमें पता चलता है कि हम लिस्ट घर पर ही भूल आएं है इसीलिए शौपिग पर जाने से पहले हमेशा याद से लिस्ट साथ रख लें. यह लिस्ट तब और भी जरूरी हो जाती है जब आपके पास सीमित समय हो और उसी दौरान आपको घर के लिए पूरा सामान अपडेट करना हो.

3. बाजार के हिसाब से लिस्ट बनाएं

हमेशा सामान को एक ग्रुप में बांट लें इससे आपको पता रहेगा कि किस दुकान में जाकर क्या लेना और आपको कुल कितनी अलग अलग दुकानों पर जाने की जरूरत है. इस बेहतर प्लानिंग से आप समय बचा सकते हैं. जैसे सब्जी के दुकान का अलग और राशन का अलग इस तरीके से आप ये लिस्ट बनाएं.

4. लिस्ट से भटकें नहीं

आपने लिस्ट किसी खास वजह से बनाई है इसलिए जरूरी है कि आप उस पर टिके रहें. अपनी लिस्ट के प्रति ईमानदार रहेंगे तो फिजूल के खर्च से बचेंगे. ऐसा नहीं की बाजार में गएं और जो मन में आया वो आप खरीदे जा रहीं हैं.

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5. सिर्फ जरूरत का सामान ही थोक में ले

अक्सर हम औफर्स, छूट जैसे लुभावने प्रस्ताव की वजह से किसी चीज को ज्यादा क्वांटिटी में खरीद लेते हैं. आपको हमेशा वैराइटी का ध्यान रखना चाहिए जिससे आप जल्दी उबेंगे भी नहीं और थोक का सामान बर्बाद भी नहीं होगा.

6. एक हफ्ते की खरीदारी मेन्यू बनाएं

रोजाना कुछ न कुछ खरीदने के लिए दुकान पर जाने से बेहतर है कि आप हफ्ते भर के सामान की लिस्ट एक साथ बना लें और उसी के मुताबिक सामान खरीदें. साथ ही, अगली शौपिंग की तारीख भी तय कर लें. इससे घर पर अचानक सामान खत्म होने की स्थिति का सामना आपको नहीं करना पड़ेगा.

7. पीक आवर्स में शौपिंग न करें

हमेशा शौपिंग ऐसे समय पर ही करने जाएं जब भीड़ कम हो और पेमेंट के लिए लाइन छोटी हो. साथ ही आपके पास भी फुर्सत हो. हमें कोशिश करनी चाहिए कि शाम, रात और रविवार की दोपहर में शौपिंग पर न जाएं. इस समय ज्यादातर लोग खरीदारी के लिए इकट्ठा होते हैं और समय का अभाव होने पर अक्सर कुछ न कुछ लेना छूट जाता है.

8. एक्सपायरी डेट चेक करें

जब भी कोई प्रोडक्ट खरीद रहे हों तो एक्सपायरी डेट चेक करें. इस बात को भी चेक करें कि पैकिंग में कोई खराबी न हो. कई बार कुछ चीजें जो छूट या कम रेट पर बेची जाती हैं वे अपनी एक्सपायरी डेट के नजदीक हो सकती हैं या उनकी पैकिंग में कोई खराबी हो सकती है. इसका सीधा-सा मतलब यह है कि उस चीज की क्वालिटी के साथ समझौता किया गया है.

9. किसी फ्रेंड के साथ शौपिंग पर जाएं

जहां तक मुमकिन हो अपनी किसी ऐसी सहेली या पड़ोसन के साथ खरीददारी करने जाएं जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो और हेल्दी फूड में विश्वास रखती हो. शौपिंग के दौरान जंक फूड के औप्शन आसानी से आपको ललचा देते हैं. खासकर जब जंक फूड के साथ ‘बाय वन गेट वन फ्री’ जैसे औफर मिलते हैं. ऐसे समय में ये फ्रेंड्स ही आपको ऐसी खरीदारी करने से रोकते हैं.

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10. लेबल्स समझें

कई प्रोडक्ट्स के पैक पर लो फैट जैसे शब्द लिखे होते हैं. अधिकतर इनको ढंग से समझ नहीं पाते हैं. अधिकतर लो फैट फूड्स में शुगर या नमक भरपूर मात्रा में होता है जो उसमें स्वाद के लिए डाला जाता है. खाने का सामान खरीदते समय उसमे मौजूद कैलोरीज के लिए न्यूट्रीशनल लेबल्स जरूर पढ़ें. कोई चीज कम कैलोरी वाली है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह हेल्दी भी है. आपको कैलोरी वैल्यू के लिए नहीं, बल्कि क्वालिटी वैल्यू के लिए खाना चाहिए.

Saving Tips In Hindi- ये हैं निवेश के बैस्ट औप्शन

अकसर लोग त्योहार के समय खरीदारी या नई शुरुआत को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन कई बार आर्थिक तंगी के कारण उन का सपना पूरा नहीं हो पाता. ऐसे में बैंक आप की जरूरतों का ध्यान रखते हुए कई ऐसे औफर्स पेश करते हैं जिन से आप छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीजों की खरीदारी आसानी से कर सकते हैं और सस्ती ईएमआई का लाभ उठा सकते हैं. हम यहां आप को ऐसी जानकारी दे रहे हैं जो निवेश करने में आप की मदद करेगी:

1. 10 फीसदी कैशबैक

त्योहार के मौके पर कई बैंकों ने शौपिंग पर 10% कैशबैक की पेशकश की है. कुछ बैंकों का कई औनलाइन शौपिंग वैबसाइट्स से टाईअप भी है. यह कैशबैक लिमिटेड प्रोडक्ट और फिक्स अमाउंट पर ही होता है. इसलिए शौपिंग करते समय लिमिट का जरूर ध्यान रखें तभी आप इस औफर का फायदा उठा पाएंगे.

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2. बिना पैसों के कीजिए शौपिंग

कुछ बैंक अपने ग्राहकों को त्योहार का तोहफा देते हुए बिना पैसों के खरीदारी करने का सुनहरा मौका देते हैं. इस औफर के अनुसार ग्राहक को शौपिंग करते वक्त कोई पैसा नहीं देना होता और अगले महीने से उस के डैबिट कार्ड से ईएमआई शुरू होती है, जिसे ग्राहक 6 से 18 महीने में आराम से चुका सकता है. तो हुआ न किफायती सौदा. धीरेधीरे यह पैसा ईएमआई के रूप में कट जाएगा और आप को पता भी नहीं चलेगा.

3. कार ले जाओ भुगतान अगले साल

कई बैंकों ने तो यह भी सुविधा दी है कि अगर आप को कार खरीदनी है तो कर्ज अभी ले लो और इस की ईएमआई अगले साल से चुकाना. वहीं महिलाओं के लिए ब्याज दर में 0.25-0.50 फीसदी तक अतिरिक्त छूट भी दी जा रही है.

4. 77 रुपए रोज पर मिल रही है बाइक

अगर आप कई सालों से बाइक लेने की सोच रहे हैं और अभी तक यह सपना पूरा नहीं हो पाया है तो यह स्कीम आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. इस के लिए आप को कोई डाउन पेमैंट नहीं करना होगा और न ही कोई प्रोसैसिंग फीस लगेगी. लोन मंजूर होते ही पैसे कुछ ही देर में आप के खाते में आ जाएंगे. वहीं इस स्कीम के तहत विशेष कंपनी की बाइक और स्कूटर पर क्व2 हजार तक की छूट मिलेगी.

5. क्रैडिट कार्ड से लाभ

कुछ बैंक ऐसे क्रैडिट कार्ड भी लौंच कर रहे हैं जिन की ईएमआई ब्याज दर काफी कम होगी और आप को 4.50 करोड़ रुपए का एअर ऐक्सिडैंट कवर भी मिलेगा. साथ ही शौपिंग पर भी भारी छूट मिलेगी.

इस के अलावा कुछ विशेष क्रैडिट कार्ड धारकों के लिए एक ऐसा कार्ड भी जारी किया गया है जिस से वे सभी तरह की शौपिंग और बिल पर भुगतान 30% की छूट का लाभ उठा सकेंगे. इस के लिए कुछ सालाना फी देनी होगी जिस का 50% वापस मिल जाएगा. साथ ही बैंक की तरफ से आप को ब्रैंडेड गिफ्ट्स भी मिलेंगे.

6. लोन की ब्याज दरों में कटौती

दीवाली पर ग्राहकों को बड़ा तोहफा देते हुए कई बैंकों ने रैपो रेट से लिंक्ड रिटेल लोन की ब्याज दरों में 0.25 फीसदी से ले कर 0.10 फीसदी तक की कटौती की है, जिस से होम लोन, औटो लोन सहित सभी रिटेल लोन सस्ते हो गए हैं. तो आप भी इस सुनहरे मौके का फायदा उठा सकते हैं.

7. यहां कर सकते हैं निवेश

ज्यादातर लोग त्योहार पर फुजूलखर्ची करते हैं. उन का मानना होता है कि दीवाली का मतलब जम कर पैसा खर्च करना. इस में वे कपड़े, इलैक्ट्रौनिक सामान, लेटैस्ट गैजेट्स और सोना खरीदने को प्राथमिकता देते हैं जबकि आप को अपने पैसे ऐसी जगह निवेश करने चाहिए जिस से आगे चल कर आप को लाभ मिल सके.

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यहां हम आप को कुछ ऐसे ही किफायती निवेश विकल्पों के बारे में बता रहे हैं.

लोन रिपे कर हलका करें बोझ: मान लीजिए आप की कंपनी ने आप को अच्छाखासा बोनस दिया है. इस अमाउंट से आप लोन रिपे कर सकते हैं जिस से पैसा चुकाने का प्रैशर कम हो जाएगा और आप टैंशन फ्री हो खुशीखुशी दीवाली मना सकेंगे. इसे समझदारी भरा निवेश भी कहा जा सकता है.

लंबी अवधि का करें निवेश: अगर काफी समय से लंबी अवधि के लिए निवेश करने का सोच रहे हैं लेकिन अभी तक कर नहीं पाए हैं तो इस सपने को पूरा करने का यह सब से अच्छा समय है. इस निवेश से आप के परिवार का आर्थिक भविष्य सुरक्षित रहेगा.

इमरजैंसी फंड: आज के समय में कब बुरा वक्त आ जाए कुछ कह नहीं सकते. ऐसे में बुरे हालात से निबटने के लिए हमें पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिए. इसलिए इस त्यौहार आप इमरजैंसी फंड में निवेश करें और अपने परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करवाएं.

गोल्ड ईटीएफ में निवेश है समझदारी: ईटीएफ खरीद कर एक बेहतरीन निवेश कर सकते हैं. वैसे भी आज के समय में लोग फिजिकल सोना खरीदने के बजाय अन्य तरीकों से निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसा कर आप अपनी परंपरा भी निभा पाएंगे और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत भी कर पाएंगे.

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जानें रिटायरमेंट के लिए उम्र के किस पड़ाव पर करनी चाहिए सेविंग

रिटायरमेंट के लिए हर कोई थोड़ी-थोड़ी सेविंग करता ही है. यह एक ऐसा समय होता है जो आपके जीवन में आराम के साथ-साथ कई तरह की चिंताएं भी लेकर आता है. बचत किन तरीकों से करनी चाहिए यह जानना भी सबसे अहम होता है. हमें यह मालूम होना चाहिए कि किस उम्र से रिटायरमेंट के लिए सेविंग करना शुरू करना बेहतर होता है.

आपको रिटायरमेंट को एक लक्ष्य बनाकर चलना चाहिए और उसी हिसाब से प्लानिंग करनी चाहिए. नौकरीपेशा लोगों के लिए रिटायरमेंट की उम्र आमतौर पर 60 होती है. सेविंग के लिए सजग रहने के बावजूद देखा गया है कि कई लोग रिटायरमेंट की प्लानिंग करने में देरी कर देते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता कि इसकी प्लानिंग कब से शुरू करनी चाहिए. हम आपको अपनी इस खबर में बता रहे हैं कि रिटायरमेंट के लिए कब से सेविंग करना बेहतर रहेगा.

युवा अवस्था:

वर्ष 1980 के बाद पैदा होने वाले लोग थोड़ी सी ही सेविंग करते हैं. इन लोगों में महंगी लाइफस्टाइल का शौक होता है. जैसे कि गैजेट्स रखना, रेस्टोरेंट में खाना खाना, ईएमआई पर चीजें खरीदना, एजुकेशन लोन लेना इत्यादि. इस उम्र में लोगों को रिटायरमेंट प्लानिंग से कुछ खास लेना-देना नहीं होता है. इस उम्र में जो लोग थोड़ा बुद्धिमान होते हैं उन्हें भी रिटायरमेंट की प्लानिंग की सुध बहुत बाद में आती है. नौकरीपेशा लोगों के लिए नौकरी का शुरूआती समय कार बंगला या एक लग्जरी लाइफ-स्टाइल मेंटेन करने में बीतता है. इस उम्र में आपको अपनी आय एक अंश रिटायरमेंट के लिए सेव जरूर करना चाहिए.

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35 से 45 साल की उम्र में:

यह वह उम्र होती है जब जिम्मेदारियां बढ़ती रहती हैं, जिससे फाइनेंस का दबाव बहुत अधिक रहता है. 35 से 45 वर्ष की आयु के दौरान आपको कई तरह की जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ सकतीं हैं, लेकिन आपकी प्राथमिकता रिटायरमेंट के लिए सेविंग होनी चाहिए. आपको इस दौरान अपनी आय का 20 फीसद हिस्सा रिटायरमेंट के लिए बचाना शुरू कर देना चाहिए, आप इसे 40 से 50 फीसद तक भी ले जा सकते हैं.

रिटायरमेंट से कुछ समय पहले:

रिटायरमेंट के करीब बच्चों की शिक्षा और शादी के लिए रिटायरमेंट सेविंग बहुत जरूरी होती है. यह फेज हर व्यक्ति की लाइफ में आता है. अगर आपको लगता है कि आप पर शिक्षा संबंधी बहुत सारी जिम्मेदारियां आने वाली हैं तो आपको अपनी आय का 15 फीसद हिस्सा सेव करना ही चाहिए.

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पहली नौकरी लगते ही इन आदतों को अपनाएं, कभी नहीं होंगी परेशान

पढ़ाई पूरी होने के बाद जब आपको पहली नौकरी मिलती है, अनुभव अनोखा होता है. पहली बार आत्मनिर्भर होने की भावना का सुख खास होता है. हालांकि इसके बाद आप पर कई तरह की जिम्मेदारियां आ जाती हैं. बेहतर होता है कि जब आप नौकरी शुरू करें तो कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखें. इस खबर में कुछ ऐसी ही बातों पर हम चर्चा करेंगे.

शुरू करें बचत

नौकरी लगने के बाद लोग अपने अधूरे शौक को पूरा करने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करने लगते हैं. इस वक्त होने वाली कमाई काफी अहम होती है. इस वक्त आपके पास बचत के काफी मौके होते हैं. आप पर कोई जिम्मेंदारी नहीं होती. शुरू से आपकी ये आदत आपके लिए काफी फायदेमंद होगी.

बनाएं इमरजेंसी फंड

किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहें. किसी भी तरह की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आपके पास अपना एक फंड होना चाहिए. इस फंड में बैंक आरडी, सोना, फिक्स्ड डिपौजिट के रूप में पैसा लगाना चाहिए.

नए तरह से जीएं जीवन

नौकरी आपके जीवन में काफी अगल अनुभव लाती है. पढ़ाई के दौरान अल्हड़ जीवन जीने के बाद जौब आपके लिए काफी व्यवस्थित और सक्रिय पहलु लाती है. इसलिए जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली अनुशासित कर लें.

लोन चुकाना करें शुरू

अगर आप पर लोन है तो सबसे पहले आप उसे भरना शुरू करें. नौकरी की शुरुआत में कम खर्चों के कारण लोन लेना ज्यादा खतरनाक नहीं है. आप चाहें तो वित्तीय सलाहकार से इस बारे में बात कर सकती हैं.

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