अपनी Skin को बनायें जवां

ओट न सिर्फ एक हेल्‍दी ब्रेकफास्‍ट है बल्कि एक बेहतर ब्यूटी प्रोडक्ट भी है. यह आपकी त्‍वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और इससे बने फेसपैक से त्‍वचा को हमेशा के लिए जवां बनाया जा सकता है. इसमें मौजूद एक्सफोलिएटिंग, क्लींजिंग और मॉश्चराइजिंग तत्व इसे आपकी त्‍वचा के लिए बेहतर रेमेडी बना देते हैं. ओट फेस पैक को आसानी से घर पर बना सकते हैं. आइए जानते हैं ओट फेस पैक कैसे बनायें और इसका प्रयोग कैसे करें.

1. ओट मील और एलोवेरा स्क्रब

एलोवेरा का प्रयोग काफी समय से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट मूहांसे, टैनिंग और संक्रमण जैसी त्‍वचा की समस्‍याआं को दूर करता है. ओटमील पाउडर को एलोवेरा जेल में अच्छे से मिलाकर चेहरे पर मसाज करें. 3 से 5 मिनट तक मसाज करने के बाद इसे सूखने दें, उसके बाद पानी से धो लें. इस नैचुरल स्क्रब से त्वचा की अंदरूनी सफाई होती है. इससे डेड स्किन के साथ ही ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है.

2. शहद और ओट फेसपैक

इस मॉश्चराइजिंग और एक्सफोलिएटिंग फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में थोड़ा कच्चा दूध और एक चम्‍मच शहद मिलाएं. इसे अच्छे से मिक्स कर लीजिए, फिर इस पेस्‍ट को चेहरे और गले पर लगाएं. जब यह सूख जाये तो इसे पानी से धो लें. ये फेस पैक ड्राई स्किन के लिए अच्छा है और इससे त्‍वचा में निखार आता है.

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3. ओट्स और गुलाबजल

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में 1 चम्मच गुलाबजल और 1 चम्मच शहद मिला लीजिए. इनका पेस्ट बना लें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगाएं और फिर चेहरा धो लें. फिर देखिये आपकी त्‍वचा चमक जायेगी.

4. ओटमील, दूध और नींबू

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच उबले ओट्स, 2 चम्मच दूध और 4 चम्मच नींबू का रस मिला लें. जब ओट्स ठंडे हो जाएं तो उसे चेहरे पर लगा लें. 20-25 मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. चेहरा निखर जायेगा.

5. ओटमील पैक और योगर्ट

थोड़े ओटमील को पानी में पका लें और इसे ठंडा होने दें. फिर चेहरे पर इसे लगा लें. इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें, उसके बाद धो लें. 2 चम्मट ओट्स लें और उसमें दही मिला लें. इसे पूरे चेहरे पर, ख़ासतौर पर रोमछिद्रों वाले हिस्सों पर लगाएं और 20 मिनट तक सूखने दें. फिर ठंडे पानी से धो लें. इससे चेहरे में निखार आयेगा.

त्‍वचा को हेल्‍दी बनाने और उनको निखारने के लिए खानपान और नियमित व्‍यायाम भी बहुत जरूरी है.

ओट न सिर्फ एक हेल्‍दी ब्रेकफास्‍ट है बल्कि एक बेहतर ब्यूटी प्रोडक्ट भी है. यह आपकी त्‍वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और इससे बने फेसपैक से त्‍वचा को हमेशा के लिए जवां बनाया जा सकता है. इसमें मौजूद एक्सफोलिएटिंग, क्लींजिंग और मॉश्चराइजिंग तत्व इसे आपकी त्‍वचा के लिए बेहतर रेमेडी बना देते हैं. ओट फेस पैक को आसानी से घर पर बना सकते हैं. आइए जानते हैं ओट फेस पैक कैसे बनायें और इसका प्रयोग कैसे करें.

1. ओट मील और एलोवेरा स्क्रब

एलोवेरा का प्रयोग काफी समय से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट मूहांसे, टैनिंग और संक्रमण जैसी त्‍वचा की समस्‍याआं को दूर करता है. ओटमील पाउडर को एलोवेरा जेल में अच्छे से मिलाकर चेहरे पर मसाज करें. 3 से 5 मिनट तक मसाज करने के बाद इसे सूखने दें, उसके बाद पानी से धो लें. इस नैचुरल स्क्रब से त्वचा की अंदरूनी सफाई होती है. इससे डेड स्किन के साथ ही ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है.

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2. शहद और ओट फेसपैक

इस मॉश्चराइजिंग और एक्सफोलिएटिंग फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में थोड़ा कच्चा दूध और एक चम्‍मच शहद मिलाएं. इसे अच्छे से मिक्स कर लीजिए, फिर इस पेस्‍ट को चेहरे और गले पर लगाएं. जब यह सूख जाये तो इसे पानी से धो लें. ये फेस पैक ड्राई स्किन के लिए अच्छा है और इससे त्‍वचा में निखार आता है.

3. ओट्स और गुलाबजल

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच ओट्स में 1 चम्मच गुलाबजल और 1 चम्मच शहद मिला लीजिए. इनका पेस्ट बना लें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगाएं और फिर चेहरा धो लें. फिर देखिये आपकी त्‍वचा चमक जायेगी.

4. ओटमील, दूध और नींबू

इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच उबले ओट्स, 2 चम्मच दूध और 4 चम्मच नींबू का रस मिला लें. जब ओट्स ठंडे हो जाएं तो उसे चेहरे पर लगा लें. 20-25 मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. चेहरा निखर जायेगा.

5. ओटमील पैक और योगर्ट

थोड़े ओटमील को पानी में पका लें और इसे ठंडा होने दें. फिर चेहरे पर इसे लगा लें. इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें, उसके बाद धो लें. 2 चम्मट ओट्स लें और उसमें दही मिला लें. इसे पूरे चेहरे पर, ख़ासतौर पर रोमछिद्रों वाले हिस्सों पर लगाएं और 20 मिनट तक सूखने दें. फिर ठंडे पानी से धो लें. इससे चेहरे में निखार आयेगा.

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कभी ना फेकें इन 4 फलों के छिलके, स्किन को चमकाने में आएंगे बड़े काम

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

फल हर किसी के फेवरेट होते हैं . नाश्ते में खाना हो या वर्कआउट से पहले फल हमेशा लोगों की पहली पसंद होते हैं. स्वादिष्ट होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर फलों में बहुत सा टैलेंट है. आप इनका इस्तेमाल अपने चेहरे पर चमक लाने के लिए कर सकते हैं. लेकिन कई बार हम कुछ फलों के छिलकों को बेकार समझकर डस्टबिन में फेंक देते हैं. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. फलों के छिलके बाजार में मिलने वाले किसी  फेस मास्क की ही तरह, अच्छे होते हैं. सबसे अच्छी बात है कि चिकनी और मुलायम स्किन के लिए आपको स्पा में हजारों रूपए खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि फलों के छिलकों से आप अपनी स्किन की चमक कैसे बरकरार  रख सकते हैं.

संतरा-

आप अपनी स्किन और जरूरतों के आधार पर संतरे और एलोवेरा का फेस पैक बना सकते हैं. इसके लिए धूप में सुखाए गए छिलकों को पीसकर महीन पाउडर बना लें. यदि आप इसमें एलोवेरा मिलाने की सोच रहे हैं, तो एलोवरेा जेल के साथ थोड़ा सा गुलाबजल डालें और पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को अपनी स्किन पर लगाएं. ठंडे पानी से अपना चेहरा धोने से पहले 15 मिनट के लिए इसे सूखने दें. अगर फेस पैक लगाना आपके लिए परेशानी का सबब है , तो बस संतरे के पाउडर को अपनी स्किन पर रगड़ लीजिए. चेहरे पर लगभग पांच तक तक सर्कुलर मोशन में मालिश करें  और धो लें. स्किन बहुत कोमल हो जाएगी.

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पपीता-

पपीता के छिलके को फेंकने से पहले जान लें कि पपीते का छिलका या खाने के बाद बचा हुआ भाग मुहांसों को साफ करने के साथ शुष्क स्किन को मॉइस्चराज करता है. इसके लिए आधा कप बचे हुए पपीते को मैश करके 2 बड़े चम्मच दूध और 1  बड़ा चम्मच शहद मिलाएं. इसे तक तक मिलाएं, जब तक की एक बारीक पेस्ट न मिल जाए. इसे स्किन पर लगाएं, 15 मिनट तक सूखने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें.

केला-

केले का छिलका किसी काम नहीं आएगा, ये सोचकर आप इसे फेंक देते होंगे. लेकिन बता दें कि केले का छिलका मुहासों का इलाज करने और स्किन की गंदगी को साफ करने के लिए बहुत अच्छा है. इसके लिए एक ताजे केले का छिलका लें और धीरे से अपने चेहरे पर भीतरी परत को रगड़ें. छिलका जल्द ही भूरा होने लगेगा और आपकी स्किन पर एक चिपचिपा सा अवशेष छोड़ देगा. जब ऐसा हो, तो आपको रूक जाना चाहिए. इसे अपनी स्किन पर तब तक लगा रहने दें जब तक यह सूख ना जाए. फिर ठंडे पानी से धो लें.

तरबूज- 

वैसे तो तरबूज गर्मियों में बहुत ज्यादा मिलता है. बॉडी हो हाइड्रेट करने के लिए यह एक शानदार फल है. लेकिन स्किन को हाइड्रेट करने के लिए भी इसके छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं. तरबूज को चबाने के बाद जो छिलका बचता है , इसे आप हाइड्रेटिगं फेस पैक में बदल सकते हैं. लगभग 10 मिनट के लिए छिलका ठंडा करें. इसे पतले टुकड़ों में काट लें. अब इन ठंडी पट्टियों को अपने चेहरे पर लगाएं और लगभग 15 मिनट तक रिलेक्स करें और फिर ठंडे पानी से धो लें. स्किन में पानी की कमी को पूरा करने के लिए आप हफ्ते में एक या दो बार सा कर सकते हैं.

यहां बताए गए फलों के छिलकों से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है, इसलिए इनका इस्तेमाल करने से पहले स्किन पैच टेस्ट जरूर कर लें.

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कहीं बड़ी न बन जाएं छोटी बीमारियां

39 साल की देविका की त्वचा संवेदनशील है. एक दिन उस ने अपनी जांघ पर छोटेछोटे लाल रंग के चकत्ते देखे जिन में दर्द हो रहा था. उस ने इन चकत्तों को अनदेखा कर दिया. वैसे भी 2 बच्चों की मां की व्यस्त दिनचर्या में खुद के लिए वक्त कहां मिलता है. मगर धीरेधीरे देविका ने महसूस किया कि वह अकसर थकीथकी सी रहने लगी है. कुछ हफ्तों बाद एक दिन जब वह सोफे पर आराम कर रही थी तो उस ने अपने कूल्हे के पास एक गांठ देखी. वह घबरा गई और यह सोच कर रोने लगी कि उसे कैंसर हो गया है.

पति के कहने पर वह अस्पताल गई और वहां जांच कराई. तब डाक्टर ने बताया कि उसे शिंगल्ज नाम का चर्मरोग है और गांठ बनना इस बीमारी का एक लक्षण है जो लिंफ नोड की सूजन के कारण था. तुंरत डाक्टर के पास जाने से देविका जल्दी ठीक हो गई. ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है. जब भी त्वचा से जुड़ी कोई परेशानी दिखे तो डाक्टर से सलाह लें. ध्यान रखें कि ऐसी बहुत सी छोटीछोटी बीमारियां हैं जो घातक नहीं, मगर कभीकभी कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी हो सकती हैं. सो, इन बीमारियों के बारे में जानना जरूरी है.

सोरायसिस

यह एक त्वचा रोग है जिस में त्वचा पर लाल, परतदार चकत्ते दिखाई देते हैं. इन में खुजली व दर्द का एहसास भी होता है. हालांकि यह रोग शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है किंतु ज्यादातर यह सिर, हाथपैर, हथेलियों, पांव के तलवों, कुहनी तथा घुटनों पर होता है. अकसर यह 10 से 30 वर्ष की आयु में शुरू होता है. यह बीमारी बारबार हो सकती है. कभीकभी यह पूरी जिंदगी भी रहती है.

कैसे होता है :

शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोगप्रतिरोधक प्रणाली की गड़गड़ी से यह बीमारी होती है. जिस से त्वचा की बाहरी परत यानी एपिडर्मिस कोशिकाएं बहुत तेजी से बनने लगती हैं. बाद में चकत्ते दिखने लगते हैं. हालांकि, यह छूत की बीमारी नहीं है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस रोग के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं. सोरायसिस होने का एक कारण तनाव, धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन भी है. शरीर में विटामिन ‘डी’ की कमी व उच्च रक्तचाप की दवाइयां खाने से भी यह हो सकता है. इस के अलावा यदि घर में कोई इस बीमारी से पीडि़त है तो यह आप को भी हो सकती है.

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सोरायसिस के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलगअलग दिखाई देते हैं. ये लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि व्यक्ति को किस तरह का सोरायसिस है. इलाज : सोरायसिस पर काबू पाने के लिए पहले स्टैप के तौर पर टौपिकल स्टीरौयड एक से 2 सप्ताह तक लगाया जा सकता है. जिस से चकत्ते घटने लगते हैं. हलकी धूप लेने से भी आराम मिलता है. विटामिन ‘डी’ सिंथेटिक फौर्म में, मैडिकेटेड शैंपू आदि भी तकलीफ घटाते हैं.

ध्यान रखें : सोरायसिस के लगभग 10 से 30 प्रतिशत मरीजों में गठिया होने की आशंका रहती है. इस के अलावा टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियो वैस्कुलर डिजीज भी सोरायसिस की वजह से हो सकती हैं. शिंगल्ज

शिंगल्ज

एक त्वचा संक्रमण है. यह आमतौर पर जोड़ों में होता है. इस के अलावा यह पेट, चेहरे अथवा त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे दाद भी कहा जाता है. शिंगल्ज के कारण : यह रोग तब होता है जब चिकनपौक्स फैलाने वाला वायरस शरीर में दोबारा सक्रिय हो जाता है. जब आप चिकनपौक्स से उबर जाते हैं तो यह वायरस आप के शरीर की तंत्रिका प्रणाली में सुप्तावस्था में चला जाता है. कुछ लोगों में यह आजीवन इसी अवस्था में रहता है. वहीं कुछ व्यक्तियों में अधिक उम्र के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में होने वाली कमजोरी के चलते यह फिर सक्रिय हो जाता है. कुछ मामलों में दवाएं भी इस वायरस को जागृत करने में अहम भूमिका निभाती हैं और व्यक्ति को शिन्गाल्ज की शिकायत हो जाती है.

शिंगल्ज का इलाज :

अगर शिंगल्ज के लक्षण नजर आएं तो तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए. इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है. इन दवाओं में एंटीवायरल मैडिसिन और दर्दनिवारक दवाएं शामिल होती हैं. लगभग 72 घंटे के अंदर एंटीवायरल दवाएं लेने से रेशेज जल्दी ठीक हो जाते हैं और दर्द भी कम हो जाता है. इसे अनदेखा करने पर रिकवरी में 3 माह से 1 साल तक का समय लग सकता है.

एक्जिमा

यह ऐसा चर्मरोग है जिस में त्वचा लाल, शुष्क व पपड़ीदार हो जाती है. त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाने के कारण रोगी को, खासतौर पर रात में, बहुत खुजली महसूस होती है. एक्जिमा के रैशेज आमतौर पर कुहनी, टखने के पास और घुटने के पीछे, जोड़ों के पास होते हैं. अगर इन का इलाज न किया जाए तो त्वचा खुरदरी होने लगती है. त्वचा के रंग में भी परिवर्तन आ जाता है.

एक्जिमा के कारण : यदि मातापिता इस बीमारी से पीडि़त हों तो संतान में भी एक्जिमा होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा किसी चीज की एलर्जी से भी एक्जिमा हो सकता है. आप के आहार में भी कुछ तत्त्व एक्जिमा को ट्रिगर कर सकते हैं. यदि आप के मातापिता को अस्थमा, फीवर जैसी कोई बीमारी है तब भी आप को एक्जिमा होना संभव है.

उपाय : हर दिन स्नान करने के बाद तथा सोने से पहले अपनी त्वचा को मौइश्चराइज करना न भूलें. गंभीर स्थिति में टौपिकल कोर्टिको स्टेराइड क्रीम का उपयोग करें. जिद्दी एक्जिमा के उपचार हेतु फोटोथेरैपी जैसी तकनीक अपनाई जाती है, जिस में यूवीबी लाइट से गंभीर सूजन का इलाज होता है.

याद रखें : एक्जिमा भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. त्वचा पर यदि 4 सप्ताह से अधिक समय तक धब्बे हों तो ये त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकते हैं.

पित्ती

पित्ती (आर्टिकारिया) त्वचा रोग है जिस में शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते निकल आते हैं. ये चकत्ते शरीर पर कुछ घंटों से ले कर कुछ हफ्ते तक रह सकते हैं. हलके पड़ने पर ये किसी नई जगह पर निकल आते हैं. पित्ती को आमतौर पर 2 भागों में बांटा जाता है. पहला, एक्यूट या अल्पकालिक जो कुछ समय के लिए रहती है और शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है. दूसरा, क्रोनिक या दीर्घकालिक पित्ती 6 हफ्ते से अधिक रहती है.

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पित्ती के कारण :

पित्ती निकलने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन ये अधिकतर शरीर से निकलने वाले हिस्टामिन्स से प्रतिक्रिया होने के कारण होते हैं जो आप को किसी खाद्य पदार्थ, दवा या अन्य किसी चीज की एलर्जी के कारण रिलीज होते हैं. हालांकि पित्ती होने के ज्यादातर मामलों में वजह का पता नहीं चलता. इस के कारणों में वायरल संक्रमण तथा अंदरूनी बीमारियां भी मानी जाती हैं.

पित्ती का इलाज : पित्ती के लक्षणों को कम करने और उस की रोकथाम के लिए ओवर द काउंटर एंटीहिस्टमीन का सेवन करना चाहिए. यदि आप को दीर्घकालिक पित्ती की समस्या है तो डाक्टर आप को एंटीहिस्टमीन की स्ट्रौंग डोज तथा एंटीइनफ्लैमेटरी दवाओं की सलाह देते हैं.

रौसेसिया

यह एक त्वचा संबंधी रोग है जो चेहरे की त्वचा पर दिखाई देता है. चेहरे की रक्त नलिकाएं जब लंबे समय तक बड़ी हो कर उसी अवस्था में रहती हैं तो यह स्थिति रौसेसिया कहलाती है. इस की वजह से चेहरे की त्वचा पर लालिमा के साथ दर्द भी रहता है जो पिंपल की तरह दिखाई देते हैं. कई बार यह छोटे लाल दानों की तरह भी निकल आता है. रौसेसिया से पीडि़त व्यक्ति की नाक के पास की त्वचा मोटी हो जाती है जिस की वजह से नाक उभरी हुई दिखाई देने लगती है.

रौसेसिया के कारण :

एक्जिमा की ही तरह यदि मातापिता रौसेसिया से पीडि़त हों तो संतान में भी इस के होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा सूरज की तेज किरणों के संपर्क में आने से भी यह रोग हो सकता है. कुछ दवाओं के गलत प्रभाव से भी रक्त नलियां आकार में बड़ी हो जाती हैं. आमतौर पर ये गुलाबी मुंहासे हलकी त्वचा के रंग वालों में 35 वर्ष की आयु में आरंभ होने लगते हैं और उम्र बढ़ने के साथ गंभीर रूप धारण कर लेते हैं. रौसेसिया का इलाज : इस के इलाज के लिए कुछ ओरल एंटीबायोक्टिस व कुछ स्किन क्रीम वगैरह दी जाती हैं. छोटी रक्त वाहिकाओं से हुई त्वचा की लाली का सब से अच्छा उपचार लेजर द्वारा किया जा सकता है.

त्वचाशोथ या कौंटेक्ट डर्मेटाइटिस

त्वचाशोथ या त्वचा की सूजन और एक्जिमा दोनों को त्वचा की एक ही तरह की समस्या माना जाता है, क्योंकि दोनों ही बीमारियों में जलन, सूजन, खुजली तथा त्वचा लाल होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं. वास्तव में डर्मेटाइटिस एक्जिमा की तरह कोई गंभीर समस्या नहीं है. यह रोग दाने के रूप में केवल उन हिस्सों में होता है जो हिस्से वैसी चीजों के संपर्क में आते हैं जिन से त्वचा को एलर्जी होती है.

कारण :

पौयजनस आईवी के पौधे, गहने, इत्र, फेसक्रीम या अन्य सौंदर्य उत्पादों से एलर्जी आदि त्वचाशोथ के मुख्य कारण हैं.

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इलाज :

यदि रोगी को सूजन है और साथ में अन्य कोई सक्रमण है तो उस के लिए एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता होती है. एक्जिमा की भांति त्वचाशोथ भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसलिए सही उपचार हेतु विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें.

इन 5 टिप्स को अपनाएं और बढ़ती उम्र को कहें बाय बाय

जब उम्र ढलान पर होती है और सिर में चांदी के बाल अनायास नजर आने लगते हैं तब लगता है वक्त बहुत आगे निकला जा रहा है, सुबह का सूरज ढल रहा है और खिड़की से शाम का ढलता सूरज कहीं दूर क्षितिज में नजर आ रहा है. आप आयु का ढलता पड़ाव महसूस करने लगती हैं. लेकिन परेशान होेने वाली कोई बात नहीं है. जहां यह सच है कि बीता वक्त नहीं लौटता वहां यह भी कहना तर्कसंगत होगा कि जिंदगी के बीते वर्षों को लौटा कर लाया जा सकता है. यदि आप यह दृढ़ निश्चय कर लें कि आप को अपनी बढ़ती आयु को स्वयं पर हावी नहीं होने देना है, बल्कि अपनी आयु से काफी वर्ष कम का लगना है, तो आप की बढ़ती उम्र भी एक बार ठिठक जाएगी. यकीनन आप अपनी बढ़ती उम्र के 6-7 वर्ष कम करने में सफल हो सकती हैं. तो चलिए, हम आप को बताते हैं कैसे?

सब से पहले तो शुरुआत करते हैं चेहरे से. आप के चेहरे में पहले से कुछ अंतर आया है तो आप को घरेलू इलाज के साथसाथ ब्यूटीपार्लर से फेशियल करवाने के बारे में सोच लेना चाहिए. आजकल अमूमन सभी महिलाएं फेशियल, आईब्रोज, ब्लीचिंग आदि करवाती हैं, इन से फर्क भी पड़ता है. यदि आप ये सब नहीं करवाती हैं तो आप को करवाना चाहिए. ब्यूटी ट्रीटमैंट से आप समझ लेंगी कि चेहरे व शरीर का अंतर बहुत ज्यादा हो गया है. चेहरे के कसाव के लिए आप को थर्मोहर्ब फेशियल सूट करेगा. आईब्रोज भी वैसी स्टाइलिश ही बनवाएं, जो आप के चेहरे को सूट करें.

1. घरेलू उपचार

पार्लर जाने का समय न मिल पाता हो तो घर में अंडे के सफेद भाग को अच्छी तरह से बीट कर के चेहरे पर लगाने से त्वचा में कसाव भी आएगा और चेहरा भी चमक उठेगा. पके केले को बीट कर के चेहरे पर कुछ देर लगाने से भी त्वचा में कसाव आ जाता  है. उम्र को ठिठकाना है तो स्वयं को पैंपर तो करना ही होगा. आप के चेहरे पर कमनीयता आए, उस के लिए प्रयास कीजिए. अपने मेकअप को भी थोड़ा बदला हुआ आयाम दीजिए. आंखों के ऊपर हलका सा आईशैडो और आईलाइनर एक यंग लुक देता है. आईशैडो समय व अपनी ड्रैस के हिसाब से तय करें. पलकों पर लगा मस्कारा ड्रीमी लुक देगा. आंखों का मेकअप अपनी आंखों के हिसाब से करें. इस के अलावा हाथों और पैरों पर मैनीक्योर, पैडीक्योर करवाना न भूलें. हाथों पर उभरी नसें, जो बढ़ती आयु की ओर इशारा करती हैं, लगातार मैनीक्योर से दब सी जाती हैं और हाथों को एक यंग लुक मिलता है. अपने नाखूनों को भी आप को फैशन व हाथ की बनावट के हिसाब से रखना चाहिए. यदि नेलपौलिश ज्यादा पसंद न हो तो फ्रैंच मैनीक्योर लगा सकती हैं, इस में नाखूनों को एक विशेष अंदाज में तराशा व फाइल किया जाता है. बड़े नाखून पर सफेद नेल इनैमल व बाकी नाखूनों पर बहुत हलका ट्रांसपेरैंट लाइट पिंक कलर अच्छा रहता है. नेलपौलिश का यह स्टाइल बहुत अच्छा लगता है.

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2. बालों का स्टाइल

बालों का स्टाइल भी आप को एक युवा लुक देगा. चलिए, इस बार अपने बालों को कटा ही डालिए. अपने चेहरे पर सूट करता हुआ स्टाइल करवा लें. कहते हैं न बाल कटाइए, उम्र घटाइए. आप स्वयं अनुभव करेंगी कि आप का लुक युवा हो गया है पर बालों की कटिंग ग्रेसफुल होनी चाहिए. आप को तय करना है कि अपने बालों को वेवी रखें यानी हलके कर्ल वाले या बिलकुल प्लेन. यह आप की सूझबूझ पर निर्भर करेगा. यदि आप बाल नहीं कटवाना चाहती हैं तो विभिन्न प्रकार की पौनीटेल भी बना सकती हैं. हां, जूड़े को फिलहाल बैक सीट ही दे दें, क्योंकि इस से आयु थोड़ी बड़ी ही लगती है. जो भी स्टाइल बनाएं, आत्मविश्वास के साथ बनाएं. इस के अतिरिक्त यह भी ध्यान रखें कि आप को उम्र के अनुसार ड्रैस भी पहननी है. उम्र का एहसास कम करने के लिए कुछ बदली हुई ड्रैसेस पहनी जा सकती हैं. यदि आप केवल साड़ी तक ही सीमित हैं तो क्यों न सलवारसूट और चूड़ीदार पायजामाकुरता पहनें. साड़ी ग्रेसफुल तो होती है पर हम तो यहां आप के गैटअप का बदलाव कर रहे हैं. तो चलिए, अन्य ड्रैसेस की ओर भी रुझान कर लें.

3. गैटअप में बदलाव

कुछ सुप्रसिद्ध फैशन डिजाइनर्स से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने समझाया कि कोई भी ड्रैस किसी भी उम्र में पहनी जा सकती है. उन्होेंने इस बात को भी माना कि विभिन्न प्रकार की ड्रैसेस से शर्तिया आयु कम लगती है. हैरानी तो तब हुई जब एक फैशन डिजाइनर, जो उस समय कैपरी और कुरती में थीं, उन्होंने अपनी आयु बताई तो एकबारगी लगा कि दरअसल जो वे हैं, दिख नहीं रहीं. उन का गैटअप, बात करने का आत्मविश्वास उन्हें अपनी आयु से बहुत कम दिखा रहा था. उन की आयु जान कर लगा कि आज हमारा यह प्रण कि आप की आयु कुछ वर्ष कम करें, एकदम सटीक है. आप का तमाम गैटअप आप को कम उम्र का बना ही देगा. आप चाहें और आप का मूड हो तो जींसटौप भी पहन सकती हैं. यह आप के ऊपर निर्भर है, पर जो भी पहनें वह हास्यास्पद न लगे.

4. बौडी मसाज

इस के साथ ही अपने शरीर की मसाज भी करवाती रहें. इस से चुस्तीफुरती बरकरार रहेगी और हलकेफुलके दर्दों से भी नजात मिलेगी. उम्र घटाने की इस शृंखला में आप को अपनेआप को शारीरिक रूप से स्वस्थ भी रखना है. अपने डाक्टर की सलाहानुसार विटामिंस व कैलशियम नियमित लेती रहें, इस से आप को ताकत भी मिलेगी व कैलशियम की कमी भी न रहेगी.

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5. डाक्टरी देखभाल

इस आयु तक पहुंचतेपहुंचते जोड़ों का दर्द भी शुरू हो जाता है तो आप को डाक्टर को दिखाते रहना चाहिए. यदि समस्या है तो दवाएं भी लेनी चाहिए. आंखों की जांच भी बहुत जरूरी होती है. प्रौढावस्था तक आतेआते आंखें कमजोर तो हो ही जाती हैं, कई बार मोतियाबिंद भी हो सकता है. यदि आंखों पर चश्मा लगाना हो तो फ्रेम का चुनाव ऐसा कीजिए जो आप के व्यक्तित्व को और भी उभारे. चाहे तो कांटैक्ट लैंस का प्रयोग भी कर सकती हैं. आजकल कई प्रकार के कास्मैटिक कांटैक्ट लैंस भी उपलब्ध हैं, डाक्टर के परामर्श से इन का प्रयोग आप को आकर्षक बना देगा. अगर चेहरे पर कोई विकार है तो प्लास्टिक सर्जरी का सहारा भी लिया जा सकता है. पर कोशिश यह कीजिए कि मेकअप से ही चेहरे को संवारें. कुछ महिलाएं अपनी त्वचा के कसाव के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवा लेती हैं. यह ग्लैमर से जुड़े लोगों के लिए शायद ठीक हो पर आमतौर पर इस की जरूरत नहीं होती. अपने दांतों पर भी गौर फरमाना जरूरी है. उजले दांतों से आप की मुसकराहट और भी अच्छी बन पड़ेगी.

Monsoon Special: बारिश के मौसम में ऐसे करें स्किन की खास देखभाल

बारिश के मौसम में त्वचा का खास ख्याल रखना और भी जरुरी होता है, क्योंकि हवा में बढ़ी हुई नमी के कारण त्वचा चिपचिपी और बेजान हो जाती है. आइए जानें त्वचा की देखभाल करने के कुछ खास घरेलू उपाय.

– हफ्ते में कम से कम दो बार एक्सफोलिएट करें.

– फ्रूट एक्सट्रैक्ट से बना फेस वाश का इस्तेमाल करें.

– जितनी बार भी चेहरा धोएं, स्किन ब्राइटनिंग टोनर का इस्तेमाल जरुर करें, ताकि त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाएं.

– हेवी मौइश्चराइजिंग क्रीम्स, क्रीम बेस्ड मेकअप और आयली फाउंडेशन्स के इस्तेमाल से बचें.

– आयली स्किन के लिए मिंट बेस्ड स्किन टौनिक काफी अच्छा रहता है. आप रोज टौनिक को फ्रिज में स्टोर करके रखें और दिन में कई बार कौटन से अप्लाई करें. आपको काफी फ्रेश फील होगा.

– गुलाबजल भी नेचुरल टोनर का काम करता है.

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– मौनसून में चेहरे को साबुन से न धोएं. बेहतर होगा कि चेहरे को एस्ट्रिजेंट से साफ करें.

अपनाएं ये फैसपैक

– ओटमील-टमाटर का पैक भी काफी फायदेमंद है. 1 टेबलस्पून टमाटर के रस में थोड़ा-सा ओटमील मिलाकर पतला पेस्ट तैयार कर लें. इसमें 1 बूंद पेपरमिंट एसेंशियल आयल डालें और चेहरे को गुनगुने पानी से धोकर यह पैक अप्लाई करें. 10 मिनट बाद गीले कौटन बौल से पोंछकर ठंडे पानी से चेहरा धो ले.

– एक केले को मैश करके वेजीटेबल या सलाद आयल में फेंट लें . चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें.

– 1 अंडे की जर्दी को फेंटकर उसमें 1-1 टीस्पून दही और मुल्तानी मिट्टी मिला लें . गाढ़ा पेस्ट तैयार करके चेहरे पर लगाएं. सूखने पर धो लें. इसे हफ्ते में दो बार इस्तेमाल करें.

– मुल्तानी मिट्टी, चंदन पाउडर और बेसन को समान मात्रा में मिलाकर एयरटाइट कंटेनर में रख लें. जब भी यूज करना हो, तो 1 टेबलस्पून को थोड़े-से पानी में मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और अप्लाई करें, सूखने पर धो लें.

– मौनसून फेस पैक के लिए 3 टीस्पून ओटमील में अंडे की जर्दी और 1-1 टीस्पून शहद और दही मिलाएं. अगर आप अंडा यूज नहीं करना चाहती, तो उसकी जगह गुलाबजल या आरेंज जूस का इस्तेमाल करें और आधे घंटे बाद चेहरा धो लें . इस पैक को हफ्ते में दो बार लगाएं.

– आप फ्रूट मास्क का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. पके पपीते में सेब, पाइनेप्प्ल और तरबूज को कद्दूकस करके मास्क बनाएं.

– आयली स्किन के लिए बेसन में दूध मिलाकर पैक तैयार कर लें और चेहरे पर अप्लाई करें. 20 मिनट बाद धो लें.

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– बारिश के मौसम में जितना हो सके, गुनगुने पानी से चेहरा धोएं, ताकि एक्स्ट्रा आयल निकल जाए.

– अगर आपकी स्किन ड्राई है, तो अल्कोहल फ्री टोनर का ही इस्तेमाल बेहतर होगा.

– ड्राई स्किन के लिए टोनर के रूप में 5 बूंद कैमोमाइल आयल में 1 टीस्पून दूध मिलाकर अप्लाई करें.

फेस लिफ्ट सर्जरी कराने से पहले ध्यान रखें कुछ ज़रूरी बातें

डॉ कुलदीप सिंह, सीनियर कन्सलटेन्ट, डिपार्टमेन्ट ऑफ प्लास्टिक,
रीकन्सट्रक्टिव एण्ड एस्थेटिक सर्जरी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्प्टिल्स,
नई दिल्ली

अक्सर देखा जाता है कि उम्र बढ़ने और तनावपूर्ण जीवनशैली के साथ, लोगों के चेहरे की त्वचा के टिश्यूज़ ढीले पड़ने लगते हैं. धीरे-धीरे नाक और मुंह के आस-पास झुर्रियां और फाईन लाईन्स बनने लगती हैं, त्वचा के ढलकने के साथ लोगों का आत्मविश्वास कम होने लगता है. हाल ही के वर्षों में कॉस्मेटिक एंटी-एजिंग प्रक्रियाएं बहुत अधिक लोकप्रिय हुई हैं. कुछ लोग अपने चेहरे की त्वचा को बेहतर बनाने के लिए कम इनवेसिव तकनीकें चुनते हैं जैसे इंजेक्शन और डर्मल फिलर. ये प्रक्रियाएं शुरूआती अवस्था में उपयोगी होती हैं. किंतु कुछ लोग फेशियल रेजुवनेशन सर्जरी जैसे फेस लिफ्ट सर्जरी का विकल्प चुनते हैं.

फेसलिफ्ट क्या है

फेसलिफ्ट या र्हाईटिडेक्टोमी, एक तरह की कॉस्मेटिक सर्जरी है, जो चेहरे की त्वचा को अधिक जवां और स्वस्थ बनाती है. पहले इस सर्जरी में चेहरे और गर्दन की त्वचा को टाईट किया जाता था, लेकिन आधुनिक सर्जरी से चेहरे एवं गर्दन की त्वचा की ढीली मांसपेशियों को टाईट किया जा सकता है, साथ ही चेहरे की त्वचा से अतिरिक्त फेशियल फैट को भी निकाला जाता है.

उम्र के कारण होने वाले बदलाव जिन्हें फेसलिफ्ट सर्जरी से कम किया जा सकतका है

o नीचले जबड़े की शेप में सध्ुार

o नाक से लेकर मुंह के कोने तक की फाईन लाईन्स को हल्का करना

o गालों में कसावट

o त्वचा में कसावट और गर्दन से अतिरिक्त फैट निकालना (डबल चिन और वीक बैण्ड्स)

शोधकर्ताओं का कहना है कि फेशियल इंजेक्शन का असर आठ महीने से दो साल तक
रहता है, जबकि फेस लिफ्ट सर्जरी कई सालों तक चलती है.

कौन इसे करवा सकता है?

जिन लोगों के चेहरे के त्वचा में उम्र बढ़ने के साथ उपरोक्त लक्षण दिखाई
दें, वे इसे करवा सकते हैं. निम्नलिखित लोग ही फेसलिफ्ट सर्जरी करवा सकते
हैं

o सेहतमंद लोग जिन्हें कोई बीमारी न हो.

o वे लोग जो धूम्रपान या शराब का सेवन न करते हों.

o वे लोग जिन्हें सर्जरी से सही उम्मीद ही हो.

फेसलिफ्ट सर्जरी के फायदे

o चेहरे की मांसपेशियों को टाईट करती है और त्वचा में कसावट लाती है.

o जबड़े और गर्दन की शेप में सुधार लाती है.

o यह पुरूषों के लिए भी फायदेमंद है.

o व्यस्कों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं.

o इसे अन्य रेजुवनेशन प्रक्रियाओं जैसे ब्रो लिफ्ट के साथ करवाया जा सकता है.

o सर्जरी के कारण होने वाले निशान छिपा दिए जाते हैं जो दिखाई नहीं देते.

o प्राकृतिक दिखने वाले परिणाम-जिससे त्वचा लम्बे समय तक जवां दिखती है.

फेसलिफ्ट सर्जरी के जोखिम या साईड-इफेक्ट

हर सर्जरी के कुछ जोखिम या साईड-इफेक्ट होते हैं. फेसलिफ्ट सर्जरी के भी
कुछ जोखिम हो सकते हैं.

o एनेस्थेसिया का गलत रिएक्शन

o खून बहना

o इन्फेक्शन

o ब्लड क्लॉट

o दर्द

o लम्बे समय तक सूजन

o घाव भरने में परेशानी

उचित देखभाल, दवाओं या सर्जिकल सुधार द्वारा इन समस्याओं को ठीक किया जा
सकता है. हालांकि कुछ स्थायी और दुर्लभ जटिलताओं के कारण लुक में बदलाव
भी आ सकते हैं, जैसे

o हीमेटोमा

o घाव के निशान

o तंत्रिकाओं को चोट पहुंचना

o चीरा लगने के स्थान पर बाल न रहना

o त्वचा में नुकसान

कुछ बीमारियों और जीवनशैली की आदतें भी जटिलताओं का कारण बन सकती हैं.
निम्नलिखित कारणों से कुछ प्रतिकूल परिणाम भी हो सकते हैंः

o अगर मरीज़ ब्लड थिनर दवाएं या सप्लीमेन्ट लेता हो- ये दवाएं खून को
पतला करती हैं, जिसका असर ब्लड क्लॉटिंग की क्षमता पर पड़ता है और सर्जरी
के बाद हीमेटोमा की संभावना बढ़ जाती है.

o अन्य बीमारियां- अगर मरीज़ को डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर आदि समस्याएं हों
तो घाव भरने में मुश्किल आ सकती है, हीमेटोमा या दिल की बीमारियों की
संभावना बढ़ जाती है.

o धूम्रपान एक गंभीर कारक है, अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो सर्जरी से दो सप्ताह पहले धूम्रपान बंद कर दें और सर्जरी के बाद भी 2 सप्ताह तक धूम्रपान न करें.

o वज़न में उतार-चढ़ाव-अगर आपके वज़न में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, तो सर्जरी के बाद चेहरे की शेप पर प्रभाव पड़ सकता है, हो सकता है कि सर्जरी से आपको मनचाहे परिणाम न मिलें.

प्रक्रिया- पहले और दौरान

कॉस्मेटिक सर्जन सुझाव देते हैं कि पूरी प्रक्रिया जाने-माने अस्पताल में की जानी चाहिए. सर्जरी शुरू करने से पहले मरीज़ को जनरल एनेस्थेसिया दिया जाता है, कई बार सीडेशन के साथ लोकल एनेस्थेसिया देना पड़ता है.

त्वचा को टाईट करने की प्रक्रिया के दौरान, टिश्यूज़, मसल्स में मौजूद फैट को सुधार कर सही तरीके से फैलाया जाता है. चेहरे के नए बनाए कंटूर पर त्वचा को री-ड्रेप किया जाता है, इसके बाद अतिरिक्त त्वचा को निकाल कर घाव को सिल दिया जाता है या टेप से बंद कर दिया जाता है. आमतौर पर ऐसी सर्जरी के लिए मरीज़ को एक रात अस्पताल में रूकना पड़ता है.

फेस-लिफ्ट सर्जरी में दो से चार घण्टे लगते हैं, अगर इसके साथ ओवरस्किन कॉस्मेटिक प्रक्रिया भी करनी हो तो ज़्यादा समय लग सकता है.

प्रक्रिया के बाद

फेस लिफ्ट के बाद आपको निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैंः

o हल्का दर्द (दर्द में आराम के लिए दवाएं दी जाती हैं)

o घाव से रिसाव

o सूजन

o घाव

o सर्जरी वाले हिस्से का सुन्न पड़ना

अगर आपमें निम्नलिखित लक्षण हों, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करेंः

चेहरे या गर्दन के एक तरफ़ बहुत ज़्यादा दर्द जो 24 घण्टे तक रह सकता है

o सांस फूलना

o छाती में दर्द

o हार्ट बीट्स अनियमित होना

सर्जरी के बाद कुछ दिनां तक डॉक्टर आपको ऐसा करने की सलाह दे सकता हैः

o सिर उंचाई पर रखते हुए आराम करें

o डॉक्टर की सलाह के अनुसार दर्द की दवाएं लें.

o चेहरे पर कूल पैक लगाएं, इससे दर्द और सूजन में आराम मिलेगा

सर्जरी के बाद अगले दो महीनों में फॉलो-अप की ज़रूरत होती है. इस दौरान बैंडेज निकालना, टांके निकालना, घाव पर निगरानी रखना और मरीज़ की प्रगति रखना जैसे काम किए जाते हैं.

सर्जरी के बाद अपनी देखभाल

सर्जरी के बाद के सप्ताह में उचित निर्देशों का पालन करें, ताकि जटिलताओं की संभावनाओं को कम किया जा सके. इनमें शामिल हैं:

o सर्जरी की सलाह के अनुसार घाव की देखभाल

o घाव पर बनी पपड़ी को न छुएं/ न निकालें.

o ऐसे कपड़े पहनें जो सामने से खुलें हों, ताकि आपको सिर के उपर से कपड़े
न पहनने पड़ें.

o ध्यान रखें कि घाव के आस-पास दबाव न पड़े/ ज़्यादा मुवमेन्ट न हो.

o मेकअप का इस्तेमाल न करें.

o साबुन/ शैम्पू का इस्तेमाल करते समय दिए गए निर्देशों का पालन करें.

o भारी व्यायाम/ खेल न खेलें.

o कम से कम 6-8 सप्ताह तक धूप के सीधे संपर्क में न आएं. एसपीएम 50 या
इससे अधिक वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल करें.

o कम से कम छह सप्ताह तक कलर, ब्लीच, या हेयर पर्मिंग का इस्तेमाल न करें.

फेसलिफ्ट से त्वचा अधिक जवां दिखने लगती है, लेकिन ये परिणाम स्थायी नहीं होते. ये कुछ साल तक ही चलते हैं, जो व्यक्ति की जीवनशैली पर निर्भर करता है. अगर आप यह सर्जरी कराने जा रहे हैं, तो पहले इसक बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें.

4 टिप्स: गरमी में हेल्दी स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

घर में ऐसी कई सब्जियां होता है जिन्हें हम रोजाना खाने में खाते है, लेकिन अगर हम कहें कि आप उसे स्किन के लिए भी इस्तेमाल कर सकती हैं. टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसे हम हर सब्जी में डालते हैं, पर अगर हम उसे अपनी स्किन के लिए इस्तेमाल करते हैं. तो हमें एक सुंदर और बेदाग स्किन मिलेगी. टमाटर स्किन में ग्लो लाने के साथ मुंहासे, दाग हटाने के साथ औयली स्किन को भी ड्राई करने का काम करते हैं. आज हम आपको टमाटर के कुछ टिप्स बताएंगे जिससे आप स्किन को और भी ब्यूटिफुल बना सकती हैं…

1. औयली स्किन के लिए टमाटर है बेस्ट औप्शन

टमाटर को धोकर एक मिनट के लिए उसे हल्क गर्म पानी में डालिए. इसके बाद जूस निकालकर इसमें नींबू के रस की 4-5 बूंद मिला लें. इसके बाद इस तैयार पेस्ट को अपने चेहरे पर 5 मिनट तक लगाएं. इसके बाद हल्के गर्म पानी से इसे धो लें. महीने में इस प्रौसेस को 6-7 बार करें. औयली स्किन की प्रौब्लम दूर हो जाएगी.

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2. गरमी में सन टैनिंग से बचाएगा टमाटर

इसके लिए कुछ टमाटर को लेकर पीस लें. अब इसमें थोड़ा सा ओटमील और एक चम्मच दही मिलाएं. इस पेस्ट को अपनी गर्दन और चेहरे पर अच्‍छी तरह से लगा लें. 5 मिनट के बाद इसे ठंडे पानी से साफ कर लें. आपको चेहरे में फर्क नजर आएगा.

3. स्किन को चमकाए

यदि आपका चेहरा डल है तब इसके लिए टमाटर का जूस बनाकर उसमें चंदन पाउडर, गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें. अब इसे चेहरे पर 5 मिनट के लिए लगाएं और उसके बाद धो लें. हर दूसरे दिन इस प्रौसेस को दोहराएं. स्किन में फर्क महसूस दिखने लगेगा.

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4. मुंहासे के लिए टमाटर है इफेक्टिव 

टमाटर में नेचुरल विटामिन होते हैं जो मुंहासे कम करने में मदद करते हैं. इसके लिए सबसे पहले टमाटर का जूस निकालें और चेहरे पर लगाएं. अब इसे 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाए रखें. इसके बाद ठंडे पानी से धो लें. महीने में ऐसा 6-7 बार करें, मुंहासे में काफी फर्क आ जाएगा.

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हेल्दी स्किन के लिए बनाएं ये 3 होममेड फ्लोरल फेस पैक

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है. लॉकडाउन के वजह से बाजार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में अपने स्किन का ध्यान रखने के लिए घर में ही कुछ न कुछ घरेलू उपाय करना होगा.हर लड़की का ख्वाब चमकदार और हेल्दी स्किन पाना होता है. अगर स्किन स्वस्थ है तो खुद के अंदर आत्मविश्वास आता है और मूड भी बढ़िया रहता है.ऐसा चेहरा पाने के लिये आपको किसी पार्लर जाने की जरुरत नहीं है. तो बस करना सिर्फ इतना है कि उनकी पंखुडियों का या तो पेस्ट बना कर इस्तमाल करें या फिर उन्हें सुखा कर पाउडर बना कर लगाएं. यहां तीन फूल दिए गए हैं जिनका उपयोग आप फेस पैक बनाने में कर सकते हैं.

1.गुलाब का फू

गुलाब जल के सौंदर्य लाभों के बारे में हम सभी जानते हैं.गुलाब जल स्किन के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है और स्किन को भीतर से साफ़ करके खूबसूरती प्रदान करता है, वहीं गुलाब की ताज़ी पत्तियों से तैयार फेस पैक का चेहरे पर इस्तेमाल करने से स्किन संबंधी कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी- एंटी-इंफ्लेमेट्री व एंटी-एजिंग गुण स्किन की गहराई से सफाई करते हैं. चेहरे पर पड़े दाग, धब्बे, सनटैन, डार्क सर्कल, ब्लैकहेड्स, व्हाइटहेड्स, पिंपल्स दूर होने में मदद मिलती है. सबसे पहले गुलाब की पंखुड़ियों को अच्छे से मसल लें और उसमे एक चम्मच दूध और ग्लिसरीन डाल कर अच्छे से मिक्स करें. 30 मिनट के लिए इस फेस पैक लगाएं और फिर इसे धो लें.गुलाब की पंखुड़ियों में मौजूद प्राकृतिक तेल आपकी स्किन को भीतर से गहराई तक नमी देते हैं और चेहरे की खूबसूरती व स्किन का स्वास्थ्य बढ़ाता है.

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2.कमल का फू

हाल ही में फैटी एसिड और प्रोटीन सामग्री के उच्च स्तर के कारण, स्किन के लिए कमल का इस्तेमाल प्रचलित हुआ है. यह न केवल स्किन को गहराई से हाइड्रेट करता है, बल्कि सूखापन और फाइन लाइनों को भी कम करता है. इसमें मौजूद एंटी-एजिंग गुण स्किन को गहराई से साफ करके लंबे समय तक नमी बरकरार रखने में मदद करते हैं. साथ ही दाग-धब्बे, पिंपल्स, झाइयां, झुर्रियां, ब्लैक व व्हाइट हेड्स से छुटकारा दिलाते हैं. कुछ कमल की पंखुड़ियों को लें और उन्हें मसल लें.  इसे मसलते हुए थोड़ा पानी डालें और फिर एक बड़ा चम्मच दूध और मसूर दाल पाउडर डालें. 15 मिनट के लिए फेस पैक को अपने चेहरे पर लगा रहने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें. स्किन पर कमल की पंखुड़ियों का नियमित उपयोग आपकी स्किन का निखार बढ़ाएगा और फाइन लाइंस भी खत्म कर देगा.

3.चमेली का फू

चमेली के फूल की पंखुड़ियों को उनके मॉइस्चराइजिंग गुणों के लिए जाना जाता है. यह स्किन के लिए एक अच्छे क्लींजर के रूप में भी काम करता है और स्किन को चमकदार बनाने में मदद करता है. चमेली का फूल, जिसे जैस्मिन भी कहते हैं, सफेद रंग का फूल बहुत ही खुशबूदार होता है. इसलिए इसका प्रयोग परफ्यूम बनाने में भी किया जाता है. चमेली के फूल को ब्यूटी ट्रीटमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. चमेली के फूल में ऐटीमाइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक गुण पाये जाते हैं. चमेली के फूलों की पंखुड़ियों का फेस पैक बनाने के लिए, कुछ पंखुड़ियों को चुनें और उन्हे अच्छे से  मैश करें. इसमें एक बड़ा चम्मच कच्चा दूध और बेसन या चने का आटा मिलाएं और अपने चेहरे पर लगाएं. इसे 15 से 20 मिनट के बाद निकालें.

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यह सभी फेस पैक का इस्तेमाल पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसका चेहरे पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता.आप इनके इस्तेमाल से हेल्दी स्किन आसानी से पा सकते हैं.

मानसून और कोविड-19 महामारी में त्वचा का रखें खास ख्याल

डॉ. विदुषी जैन, डर्मालिंक्स, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

मानसून की रिमझिम फुहारों से गर्मी में झुलसी स्किन को आराम जरूर मिलता है लेकिन नम और उमस भरा यह मौसम स्किन के छिद्रों को बंद कर स्किन संबंधी कई समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है. बारिश में भीगने से स्किन संबंधित कई समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है. इस साल तो हमें मानसून में दुगनी सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि कोविड-19 के कई लक्षण स्किन की विभिन्न समस्याओं के रूप में भी सामने आ रहे हैं. तो जानिए मानसून में स्किन से संबंधित प्रमुख समस्याएं कौन-कौन सी हैं, इन से कैसे बचें और स्किन में दिखाई देने वाले कौन से लक्षण कोरोना संक्रमण का संकेत हैं.

मानसून में स्किन से संबंधित प्रमुख समस्याएं

मानसून में वातावरण में उमस और नमी बढ़ने से वाइरस, बैक्टीरिया और फंगस की गतिविधियां तेज हो जाती हैं जिस से विभिन्न प्रकार की एलर्जी और संक्रमणों की आशंका बढ़ जाती है.

फंगल इंफेक्शन

मानसून में यह स्किन की सब से सामान्य समस्या है जो अक्सर गीले कपड़ों और पसीने के कारण होती है. बगलों, स्तनों के नीचे की स्किन और पैरों की उंगलियों के बीच यह संक्रमण सब से अधिक होता है.

एथलीट फुट

इसमें पैरों की उंगलियों के बीच में दाद हो जाता है. यह मानसून में होने वाला सबसे सामान्य फंगस का संक्रमण है. वातावरण में आद्रता अधिक होने के कारण पसीना जल्दी नहीं सूख पाता जिस से फंगस विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. इस से स्किन में तेज खुजली चलती है और वो लाल पड़ जाती है.

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मुंहासे

मानसून में वातावरण में उमस बढ़ने से स्किन की तेल ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं. इस से स्किन पर तेल और गंदगी अधिक मात्रा में जमा होने के कारण रोमछिद्र बंद होने का खतरा बढ़ जाता है. गंदी स्किन बैक्टीरिया को भी अधिक मात्रा में आकर्षित करती है जिससे स्किन पर मुंहासे और फोड़े-फुंसी निकल सकते हैं.

एक्जिमा

एक्जिमा में स्किन लाल हो जाती है, सूजन आ जाती है और उस में खुजली होने लगती है. जिन लोगों की स्किन संवेदनशील होती है उन्हें अक्सर मानसून में इस समस्या का सामना करना पड़ता है.

स्किन की ये समस्याएं हो सकती हैं कोविड-19 के लक्षण

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण कई लोगों में स्किन से संबंधित कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं कि कोई सोच नहीं सकता कि उसमें यह लक्षण कोरोना के संक्रमण के कारण हैं. निम्न लक्षण दिखें तो इन्हें स्किन संबंधी सामान्य समस्याएं समझकर नज़रअंदाज़ न करें. ये आप के कोरोना संक्रमित होने का संकेत हो सकते हैं.

कोरोना फुट

कोरोना के संक्रमण के कारण कोरोना फुट की समस्या भी हो रही है. इस में पैरों में रैशेज़ और चकते पड़ जाना, उनमें दर्द होना, एलर्जी हो जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. कोरोना फुट के लक्षण बच्चों में अधिक दिखाई दे रहे हैं.

कोविड टोज़

अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार अभी पिछले कुछ दिनों से कोविड टोज़ के मामले सामने आ रहे हैं. यह कोरोना वायरस के संक्रमण का सब से नवीनतम संकेत है. इस में पैरों की उंगलियां सूज कर लाल और जामुनी रंग की हो जाती हैं.

स्किन रैशेज़

इटली में हुए एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना से संक्रमित 20 प्रतिशत लोगों में स्किन से संबंधित लक्षण दिखाई दे रहे हैं. इन में स्किन रैशेज़ प्रमुख हैं. हमारा शरीर वायरस के संक्रमण के प्रति जो प्रतिक्रिया देता है उस के कारण स्किन रैशेज़ की समस्या ट्रिगर हो सकती है.

मानसून में स्किन के लिए जरूरी टिप्स

  • चेहरे को दिन में 3-4 बार साफ पानी से जरूर धोएं. इस से अतरिक्त तेल और गंदगी निकल जाएगी जो रोमछिद्रों को बंद कर मुंहासों की समस्या को ट्रिगर कर सकती है.
  • इस मौसम में ज्यादा प्यास नहीं लगती,लेकिन शरीर में जल का स्तर बनाए रखने के लिए रोज़ाना 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं.
  • पचने में आसान और पोषक भोजन का सेवन करें. अपने डाइट चार्ट में साबुत अनाजों, फलों और सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करें.
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थों जैसे चाय-कॉफी और तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें. अधिक मात्रा में इन के सेवन से शरीर में हीट और टॉक्सिन की मात्रा बढ़ती है, जिस से स्किन बेजान और अनाकर्षक हो जाती है.
  • मानसून में अपने कपड़े और दूसरी निजी चीजें किसी से साझा न करें क्योंकि स्किन की कुछ समस्याएं संक्रामक होती हैं.
  • इस मौसम में खुले फुटवेयर जैसे चप्पल या सैंडल पहने. जूतों में पानी भरने के कारण फंगल इंफेक्शन और दूसरी समस्याएं होने का खतरा बढ़ सकता है.
  • हैंड हाइजीन का विशेष ध्यान रखें. जब भी जरूरी हो साबुन पानी से हाथ धो लें या सेनेटाइज़र से हाथ साफ करें.
  • ऑइल के बजाय वॉटर बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट को चुनें ताकि आप की स्किन सांस ले सके.

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यह जानना भी है जरूरी

इस मौसम में स्किन एलर्जी होने का एक प्रमुख कारण यह है कि एक बार जब खुजली शुरू हो जाती है तो लोग लगातार खुजालते रहते हैं जिस से स्किन की उपरी परत क्षतिग्रस्त हो जाती है. यह बैक्टीरिया और फंगस का ब्रीडिंग ग्राउंड बन जाती है. अगर खुजली अधिक हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

स्किन केयर प्रौडक्ट खरीदने से पहले जान ले ये बातें

मौनसून यानी बारिश का मौसम जहां उमंग से भर देता है वहीं स्किन के लिए कई परेशानियां भी ले कर आता है जैसे ऐक्ने, इन्फैक्शन, ऐलर्जी, औयली स्किन की समस्या आदि. ऐसे में स्किन को खास केयर की जरूरत होती है, जिस में सब से जरूरी है कि जो भी प्रोडक्ट खरीदें या यूज करें उस के बारे में पूरी जानकारी हो ताकि वह स्किन को किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचा सके.

आइए, कौस्मैटोलौजिस्ट डाक्टर भारती तनेजा से स्किन केयर उत्पादों को खरीदने से पहले ध्यान रखने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

स्किन टाइप के हिसाब से हो केयर

औयली स्किन: मौनसून औयली स्किन वालों के लिए सब से ज्यादा मुसीबत बन कर आता है, क्योंकि हवा में जो मौइस्चर होता है, वह गंदगी को स्किन के अंदर तक पहुंचा देता है, जिस से पोर्स बंद हो जाते हैं. इस कारण पिंपल्स, ऐक्ने की समस्या पैदा होती है. औयली और ड्राई स्किन वालों को पसीना भी बहुत ज्यादा आता है. इसलिए उन्हें पूरे दिन में 3 बार क्लींजिंग जरूर करना चाहिए.

इस बात का खास खयाल रखें कि जब भी क्लींजिंग करें तो उस के लिए हलके गरम पानी का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि इस की मदद से स्किन से औयल आसानी से क्लीन हो जाता है. दूसरी बात कि रोज स्क्रब जरूर इस्तेमाल करें. आप सोच रही होंगी कि स्क्रब तो कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है तो आप को बता दें कि अगर आप ऐप्रिकोट या फिर होममेड स्क्रब का इस्तेमाल स्किन पर हलके हाथों से करती हैं तो इस से आप की स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

आप रोजाना साबुन की जगह इसे ही इस्तेमाल करें. बस ध्यान रखें कि इसे ज्यादा देर अप्लाई नहीं करना है.

ड्राई स्किन: जिन की स्किन ड्राई होती है उन्हें भी इस मौसम में काफी परेशानी होती है. इस मौसम में ड्राई स्किन वालों की स्किन पर पैच भी हो जाते हैं, जिन पर बहुत जल्दी इन्फैक्शन हो जाता है. इसलिए उन्हें मौइस्चराइजर जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन उन्हें भूल कर भी औयल बेस्ड क्रीम यूज नहीं करनी चाहिए. औयली स्किन वालों को भी लाइट मौइस्चराइजर या फिर वाटर बेस्ड मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि स्किन में नमी कम हो जाती है.

नौर्मल स्किन: नौर्मल स्किन वाले रोजाना सुबह और रात को क्लींजिंग जरूर करें वरना स्किन पोर्स बंद होने से पिंपल्स, इन्फैक्शन हो सकता है. नौर्मल स्किन वालों को हमेशा जैल बेस्ड मौइस्चराइजर या क्रीम ही यूज करनी चाहिए. अब बात करते हैं कि जो भी स्किन टोनर, फेस वाश, मौइस्चराइजर, क्रीम, स्क्रब आप इस्तेमाल करें वह कैसा होना चाहिए.

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स्किन टोनर

टोनर ऐसा हो, जिस में रोजवाटर, ऐलोवीरा, खीरा या फिर उस में टीट्री औयल हो, क्योंकि जहां रोजवाटर में इनफ्लैमेटरी प्रौपर्टीज होती हैं. वहीं ऐलोवेरा स्किन को ठंडक पहुंचाने के साथसाथ उसे मौइस्चर भी प्रदान करता है, साथ ही स्किन की डार्कनैस को भी दूर करने का काम करता है. खीरे में विटामिन सी होने के कारण यह स्किन

को हाइड्रेट रखने के साथसाथ सनबर्न से भी बचाता है. टीट्री औयल किसी भी तरह की

स्किन ऐलर्जी को ठीक करने में मददगार साबित होता है.

टोनर में क्या न हो

मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर टोनर्स में अल्कोहल होता है, जिस से स्किन का मौइस्चर धीरेधीरे खत्म होने लगता है. इसलिए अल्कोहल युक्त टोनर न खरीदें खासकर इथाइल अलकोहल और मिथाइल अल्कोहल मिले प्रोडक्ट बिलकुल न खरीदें.

फैटी ऐसिड्स से भी अल्कोहल बनते हैं, जो महंगे जरूर होते हैं, लेकिन स्किन को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. ये स्किन को नरिश व मौइस्चराइज भी करते हैं. इसलिए जब भी टोनर खरीदें तो इन चीजों को देख कर ही खरीदें.

स्क्रब

अगर स्क्रब में ऐप्रिकोट, ग्रीन टी, ग्लिसरीन मिला हुई है तो आप के लिए वह स्क्रब बैस्ट है, क्योंकि ग्रीन टी स्किन पर ग्लो लाती है, ऐंटीऔक्सीडैंट्स प्रौपर्टीज होने के कारण बैक्टीरिया को भी मारने में यह मददगार होती है, साथ ही ग्रीन टी स्किन को नरिश करने के साथसाथ और ऐंटीएजिंग का भी काम करती है.

स्क्रब में क्या नहीं होना चाहिए

ऐसा स्क्रब न खरीदें, जिस में मिथाइल पैराबिन, इथाइल पैराबिन, प्रौपिल पैराबिन और लेड हो.

सनस्क्रीन

अकसर हमारी सोच होती है कि बारिश में सनस्क्रीन लगाने की कोई जरूरत नहीं होती है, क्योंकि बादल जो छाए हुए होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है सनस्क्रीन हर मौसम में लगाना चाहिए. इसलिए ऐसा सनस्क्रीन खरीदें, जिस में जिंक औक्साइड, टाइटेनियम औक्साइड हो, क्योंकि ये स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

सनस्क्रीन में क्या न हो

आप जिस सनस्क्रीन को खरीद रही हैं उस में देख लें कि औक्सीबैनजोन, होमोसोलेट न हों, क्योंकि ये स्किन के लिए अच्छे नहीं होते. इन से कैंसर भी हो सकता है.

फेस वाश

जब भी चेहरे को धोने की बात आती है तो हम चेहरे को साबुन के बजाय फेस वाश से ही धोते हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ज्यादा खुशबू वाले फेस वाश इस्तेमाल न करें, बल्कि माइल्ड और नैचुरल चीजों से बने फेस वाश ही इस्तेमाल करें. ऐसे फेस वाश स्किन पर ग्लो लाने के साथसाथ उसे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

फेस वाश में क्या न हो

ज्यादातर फेस वाश में ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टीज ज्यादा मात्रा में होती हैं, जिन में टीसीएस, टीसीसी और टैल्कोसन होते हैं, जोकि सिर्फ प्रोडक्ट की सैल्फ लाइफ को बढ़ाते हैं, लेकिन स्किन के लिए सही नहीं होते, साथ ही फेस वाश में एसएलएस यानी सोडियम लौरेल सल्फेट होता है, जो स्किन के लिए सही नहीं होता. इसलिए ये सब देख कर ही फेस वाश खरीदना चाहिए.

क्रीम या मौइस्चराइजर

जब भी महिलाएं मार्केट से कोई क्रीम खरीदने जाते हैं वही क्रीम खरीदती हैं, जिस में वही क्रीम खरीदेंगे जिस में सब से ज्यादा खुशबू हो. लेकिन जिस प्रोडक्ट में जितनी खुशबू होगी उस में उतने ही ज्यादा कैमिकल्स भी होते हैं, जो स्किन के लिए सही नहीं होते. इसलिए ऐसी क्रीम को अवौइड ही करना चाहिए. अगर उस में हाइड्रोनिक ऐसिड है तो वह आप की स्किन के लिए अच्छा है, क्योंकि वह हवा में मौजूद मौइस्चर का स्किन के भीतर पहुंचाता है, जिस से स्किन हाइड्रेट रहती है, साथ ही  झुर्रियों की समस्या भी दूर होती है.

क्या नहीं हो

ज्यादातर क्रीम्स में औक्सीबैनजोन डला होता है, जो उस की खुशबू और कलर को ज्यादा देर तक टिकाए रखने के लिए होता है. यह स्किन को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता तो है, लेकिन लंबे समय तक इस का इस्तेमाल करने से हारमोंस गड़बड़ा जाते हैं.

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कैसी हो ऐक्ने क्रीम

जब भी ऐक्ने क्रीम या मौइस्चराइजर खरीदें तो देख लें कि उस में सैलिसिलिक ऐसिड जरूर हो. क्योंकि वह एक तरह से बीटा हाइड्रौक्सी ऐसिड है, जो पोर्स को खोल कर ऐक्नों को ठीक करने का काम करेगा. ऐक्नों के ट्रीटमैंट के लिए रैटिनौल ऐसिड भी बहुत अच्छा होता है, क्योंकि यह एक तरह से विटामिन ए का फौर्म है, जो स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है. यह डार्क सर्कल्स को कम करने, रंग में निखार लाने और इरिटेशन को कम करने का काम करता है.

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