Summer Special: नेचुरल ब्यूटी से भरपूर है पूर्वोत्तर राज्य

पूर्वोत्तर राज्यों में कुदरती खूबसूरती सौगात बन कर बरसती है. यहां आ कर एक नए भारत के दर्शन होते हैं. आदिवासी जीवन, नृत्यसंगीत, लोककलाएं व परंपराओं से रूबरू होने के साथसाथ प्राकृतिक सुंदरता और सरल जीवनशैली भी यहां के खास आकर्षण हैं.

पूर्वोत्तर राज्यों की  खूबसूरती का जवाब नहीं. यहां के घने जंगल, हरेभरे मैदान, पर्वत शृंखलाएं सैलानियों को बहुत लुभाते हैं. सरल स्वभाव के पूर्वोत्तरवासी अपनी परंपराएं और संस्कृति आज भी कायम रखे हुए है. यहां आ कर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं. यहां के हर राज्य का अपना नृत्य व अपना संगीत है.

गुवाहाटी

गुवाहाटी असम का प्रमुख व्यापार केंद्र है. गुवाहाटी उत्तरपूर्व सीमांत रेलवे का मुख्यालय है. सड़क मार्ग से भी यह आसपास के राज्यों के अनेक शहरों शिलौंग, तेजपुर, सिलचर, अगरतला, डिब्रूगढ़, इंफाल आदि से जुड़ा हुआ है. यही कारण है यह पूर्वोत्तर का गेटवे कहलाता है.

असम

यहां का सब से बड़ा आकर्षण कांजीरंगा नैशनल पार्क है. गैंडे, बाघ, बारहसिंगा, बाइसन, वनविलाव, हिरण, सुनहरा लंगूर, जंगली भैंस, गौर और रंगबिरंगे पक्षी इस नैशनल पार्क के आकर्षण हैं. बल्कि बर्ड वाचर्स के लिए तो कांजीरंगा बर्ड्स पैराडाइज है. पार्क में हर तरफ घने पेड़ों के अलावा एक खास किस्म की घास, जो हाथी घास कहलाती है, भी देखने को मिलती है. इस घास की खासीयत यह है कि इस की ऊंचाई आम पेड़ जितनी है. यहां की घास इतनी लंबी है कि इन के बीच हाथी भी छिप जाएं. इसी कारण यह घास हाथी घास कहलाती है. कांजीरंगा ऐलीफैंट सफारी के लिए ही अधिक जाना जाता है. यहां हर साल फरवरी में हाथी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस महोत्सव का मकसद सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में पाए जाने वाले एशियाई हाथियों का संरक्षण और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना भी है.

कांजीरंगा में हाथी सफारी का मजा बागुड़ी, मिहीमुखी में लिया जा सकता है. हाथी की सवारी के लिए सब से जरूरी हिदायत यह दी जाती है कि पैर पूरी तरह से ढके होने चाहिए वरना यहां पाए जाने वाली हाथी घास से दिक्कत पेश आ सकती है. कांजीरंगा जाने का बेहतर समय नवंबर से ले कर अप्रैल तक है. यहां खुली जीप में या हाथी की सवारी कर पहुंचा जा सकता है. कांजीरंगा के पास ही नामेरी नैशनल पार्क है. यह रंगबिरंगी चिडि़यों और ईकोफिश्ंिग के लिए जाना जाता है. नामेरी पार्क हिमालयन पार्क के नाम से भी जाना जाता है.

यहां से 40 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐतिहासिक खंडहर है. यह देखने में बड़ा अद्भुत है, लेकिन विडंबना यह है कि इस खंडहर के बारे में अभी तक ज्यादा पता नहीं चल पाया है. गुवाहाटी से 369 किलोमीटर की दूरी पर शिवसागर है. असम के चाय और तेल व प्राकृतिक गैस के लिए शिवसागर जिला प्रसिद्ध है. यहां एक  झील है. इसी  झील के चारों ओर बसा है. असम के अन्य दर्शनीय स्थलों में बोटैनिकल गार्डन, तारामंडल, ब्रह्मपुत्र पर सरायघाट पुल, बुरफुकना पार्क साइंस म्यूजियम और मानस नैशनल पार्क शामिल हैं.

भारत में सब से अधिक वर्षा के लिए जाना जाने वाला चेरापूंजी भी असम में ही है. यह बंगलादेश की सीमा पर है. पर्यटन के लिए सब से अच्छा समय अक्तूबर से मई तक है.

क्या खरीदें

खरीदारी के लिए यहां बांस के बने शोपीस से ले कर बहुत सारा सजावटी सामान है. इस के अलावा महिलाओं के पहनने के लिए मेखला है. यह थ्री पीस ड्रैस है. चोली और लुंगीनुमा मेखला असम का पारंपरिक पहनावा है. इस के साथ दुपट्टेनुमा एक आंचल, साड़ी के आंचल की तरह ओढ़ा जाता है.

  -साधना

ईटानगर

असम, मेघालय के रास्ते अरुणाचल की राजधानी ईटानगर पहुंचा जा सकता है. ईटानगर पहुंचने का दूसरा रास्ता है मालुकपोंग, जो असम के करीब है. यानी असम की यात्रा यहां पूरी हो सकती है, इस के आगे का रास्ता ईटानगर को जाता है.

ईटानगर के आकर्षणों में ईंटों का बना अरुणाचल फोर्ट है. इस के अलावा एक और आकर्षण है और वह है हिमालय के नीचे से हो कर बहती एक नदी जिसे स्थानीय आबादी गेकर सिन्यी के नाम से पुकारती है. जवाहर लाल नेहरू म्यूजियम, क्राफ्ट सैंटर, एंपोरियम ट्रेड सैंटर, चिडि़याघर और पुस्तकालय भी हैं.

टिपी और्किड सैंटर से 165 किलोमीटर की दूरी पर बोमडिला है जो खूबसूरत और्किड के फूलों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. यहां और्किड फूलों का एक सेंटर है, जो टिपी आर्किडोरियम के नाम से जाना जाता है. यहां 300 से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के और्किड के फूलों के पौधे देखने को मिल जाते हैं.

बोमडिला की ऊंचाई से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां, विशेष रूप से गोरिचन और कांगटो की चोटियां खूबसूरत एहसास दिलाती हैं. यहां से 24 किलोमीटर की दूरी पर सास्सा में पेड़पौधों की एक सैंक्चुरी है. पहाड़ी नदी माकेंग में पर्यटक और एडवैंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यहां वाइट वाटर राफ्ंिटग का मजा कुछ और ही है. यहां नदी में फिश्ंिग का भी शौक पर्यटक पूरा करते हैं.

अरुणाचल के हरेक टूरिस्ट स्पौट के लिए बसें, टैक्सी, जीप और किराए पर हर तरह की कार मिल जाती हैं. ईटानगर अक्तूबर से ले कर मई के बीच कभी भी जाया जा सकता है. यहां सर्दी और गरमी दोनों ही मौसम में पर्यटन का अलग मजा है.

अगरतला

पूर्वोत्तर भारत में त्रिपुरा वह राज्य है जो राजेरजवाड़ों की धरती कहलाती है. दुनियाभर में हर जगह लोग प्रदूषण की मार  झेल रहे हैं जबकि त्रिपुरा को प्रदूषणविहीन राज्य माना जाता है. इस राज्य का बोलबाला यहां के खुशगवार और अनुकूल पर्यावरण के लिए भी है. त्रिपुरा पर्यटन के कई सारे आयाम हैं. सिपाहीजला, तृष्णा, गोमती, रोवा अभयारण्य और जामपुरी हिल जैसे यहां प्राकृतिक पर्यटन हैं. वहीं पुरातात्विक पर्यटन के लिए उनाकोटी, पीलक, देवतैमुरा (छवि मुरा), बौक्सनगर भुवनेश्वरी मंदिर आदि हैं. अगर वाटर टूरिज्म की बात की जाए तो रुद्रसार नीलमहल, अमरपुर डुमबूर, विशालगढ़ कमला सागर मौजूद हैं.

त्रिपुरा में ईको टूरिज्म के लिए कई ईको पार्क हैं. तेपानिया, कालापानिया, बारंपुरा, खुमलांग, जामपुरी आदि ईको पार्क हैं. पर्यटकों के लिए त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सब से महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थल जो है वह उज्जयंत पैलेस है. यह राजमहल एक वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 3 गुंबज वाले इस दोमंजिले महल की ऊंचाई 86 फुट है. बेशकीमती लकड़ी की नक्काशीदार भीतरी छत व इस की दीवारें देखने लायक हैं. महल के बाहर मुगलकालीन शैली का बगीचा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थलों में अगरतल्ला से 55 किलोमीटर की दूरी पर है रुद्धसागर नामक एक  झील. इस  झील के किनारे बसा है नीरमहल. इस महल का स्थापत्य मुगलकालीन है. ठंड के मौसम में यहां यायावर पक्षियों का जमघट लग जाता है. अगरतला से 178 किलोमीटर की दूरी पर उनकोटि है. यह जगह चट्टानों पर खुदाई कर के बनाई गई कलाकृतियों के लिए विख्यात है. पहाड़ों की ढलान पर यहां 7वीं और 9वीं शताब्दी के दौरान चट्टानों को काट कर, छील कर और खुदाई कर अनुपम कलाकृतियां बनाई गई हैं. ये कलाकृतियां विश्व- विख्यात हैं.

यहां 19 से भी अधिक आदिवासी जनजातियों का वास है. इसीलिए त्रिपुरा को आदिवासी समुदायों की धरती भी माना जाता है. हालांकि मौजूदा समय में आदिवासी और गैर आदिवासी समुदाय यहां मिलजुल कर रहते हैं और एकदूसरे के पर्वत्योहार भी मनाते हैं.

कैसे पहुंचें

हवाई रास्ते से अगरतला देशभर से जुड़ा हुआ है. ज्यादातर हवाई जहाज गुवाहाटी हो कर अगरतला पहुंचते हैं. ट्रेन के रास्ते गुवाहाटी से होते हुए अगरतला तक पहुंचा जा सकता है. सड़क के रास्ते कोलकाता से अगरतला की दूरी 1,645 किलोमीटर, गुवाहाटी से 587, शिलौंग से 487 और सिलचर से 250 किलोमीटर है. सड़क के रास्ते जाने के लिए लक्जरी कोच, निजी व सरकारी यातायात के साधन उपलब्ध हैं. पासपोर्ट और वीजा साथ ले कर चलें तो त्रिपुरा के रास्ते बंगलादेश भी घूमा जा सकता है.

सिक्किम

रेल मार्ग या सड़क मार्ग से सिक्किम जाया जा सकता है. रेलयात्री जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कलिंपोंग होते हुए जाते हैं, जबकि सड़क मार्ग तिस्ता नदी के किनारेकिनारे चलता है. तिस्ता सिक्किम की मुख्य नदी है. जलपाईगुड़ी से एक टैक्सी ले कर हम सिक्किम की राजधानी गंगटोक के लिए चल पड़े. तिस्ता की तरफ निगाह पड़ती तो उस का साफ, स्वच्छ सतत प्रवाहमान जल मनमोह लेता और जब वनश्री की ओर निगाह उठती तो उस की हरीतिमा चित्त चुरा लेती. प्रारंभ में शाल, सागौन, अश्वपत्र, आम, नीम के  झाड़ मिलते रहे और कुछ अधिक ऊंचाई पर चीड़, स्प्रूस, ओक, मैग्नोलिया आदि के वृक्ष मिलने लगे. हम 7 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गए थे, जिस से समशीतोष्ण कटिबंधीय वृक्षों की अधिकता दिखाई दे रही थी.

रंगपो शहर पश्चिम बंगाल व सिक्किम के सीमांत पर स्थित है. यहां ठंड अधिक होती है. फिर हम गंगटोक पहुंचे. वहां हनुमान टैंक घूमने गए. वहां से कंचनजंघा की तुषार मंडित, धवल चोटियां स्पष्ट दिखाई दे रही थीं.  अपूर्व अलौकिक दृश्य देखा. अहा, यहां प्रकृति प्रतिक्षण कितने रूप बदलती है. सूर्योदय के पूर्व कंचनजंघा अरुणिम आभा में रंगा था और जब सूर्य ने प्रथमतया उस की ओर अपनी सुनहरी किरणों से स्पर्श किया, उस का रंग और भी लाल हो गया.

धूप में कंचनजंघा की बर्फीली चोटियां स्वच्छ धवल चांदी की तरह चमक रही थीं. गंगटोक से थोड़ी ही दूर है जीवंती उपवन प्रकृति का मनोरम नजारा प्रस्तुत करता है यह उपवन. रूमटेक गुम्पा भी सिक्किम का एक प्रसिद्ध गुम्पा है. गंगटोक से 30 किलोमीटर दूर तक छोटी सी पहाड़ी की पृष्ठभूमि में इस का निर्माण किया गया है. यहां लामाओं को प्रशिक्षित किया जाता है. वहां का शांत और पवित्र वातावरण सुखद अनुभव देता है.

गंगटोक से पहले की सिक्किम की राजधानी गेजिंग से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में एक छोटा सा गांव है प्रेमयांची. यहां से अन्यत्र जाने के लिए अपने पैरों पर ही भरोसा रखना पड़ता है. 2,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रेमयांची बौद्ध धर्म की नियंगमा शाखा का सब से बड़ा गुम्पा है. यहां के सभी लामा लाल टोपी पहनते हैं. इसे लाल टोपी धारी लामाओं का गुम्पा भी कहते हैं.

इस गुम्पा के अंदर ‘संग थी पाल्थी’ नाम की उत्कृष्ट कलाकृति प्रथम तल पर स्थापित है. इस कलाकृति से जीव की 7 अवस्थाओं का परिचय मिलता है. कक्ष की भीतरी दीवारों पर अनेक सुंदर चित्र निर्मित हैं, जो भारतीय बाम तंत्र से प्रभावित जान पड़ते हैं.

सेमतांग के पहाड़ों पर चाय के खूबसूरत बागान हैं. दूर से देखने पर लगता है जैसे हरी मखमली कालीन बिछा दी गई हो. यहां से सूर्यास्त का नजारा देखने लायक होता है. इस अद्वितीय दृश्य का लाभ लेने के लिए हमें वहां कुछ घंटों तक ठहरना पड़ा और जब सूर्य दूसरे लोक में गमन की तैयारी करने लगा तो हमारी आंखें उधर ही टंग गईं. सूर्यास्त का नजारा देखने लायक था.

सारा सिक्किम कंचनजंघा की आभा से मंडित प्रकृति सुंदरी के हरेभरे आंचल के साए में लिपटा हुआ है. चावल, बड़ी इलायची, चाय और नारंगी के बाग से वहां की धरती समृद्धि से भरपूर है. तिस्ता की घाटी अपनेआप में सौंदर्य व प्रेम के गीतों की संरचना सी है. यहां की वनस्पतियों में विविधता है. सब से बड़ी बात यह है कि औषधीय गुण वाले वृक्षों की वहां बहुतायत है.

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Summer Special: कम खर्च में एडवेंचर ट्रिप के लिए जाएं ऋषिकेश

अक्सर लोग  गरमी के मौसम  में  ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां का मौसम भी ठीक हो और ज्यादा खर्च भी न होने पाए. तो आइए, ले चलते हैं आपको कुछ ऐसी ही जगहों की सैर पर, जहां मजा तो बहुत है पर खर्च कम. यानी इन जगहों पर आप कम खर्च में भी रोमांचक पर्यटन का आनंद उठा सकते हैं.

अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं और एडवेंचर ट्रिप का प्लान बना रहे हैं तो आप उत्तराखंड के ऋषिकेश जरूर जाएं. गंगा के तट पर बसा यह छोटा सा शहर कुदरती नजारों के लिए मशहूर है. यहां कई तरह के एडवेंचर स्पोटर्स भी कराएं जाते हैं. ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग, क्लिफ जंपिंग, बौडी सर्फिंग जैसे स्पोटर्स शामिल हैं. ऋषिकेश के हरी वादियों में सब से मशहूर क्लिफ जंपिंग है. यहां देश का सबसे ऊंचा बंजी फ्लैटफौर्म तैयार किया गया है, जिसकी ऊंचाई लगभग 273 फुट है. इस ऊंचाई से कूदने के बाद आपको एक अलग ही तरीके का रोमांच का एहसास होगा.

अगर आप यह सोच रहे हैं कि इतना सब कुछ है तो खर्चा भी ज्यादा होगा. तो नहीं, अगर आप आने-जाने का खर्चा हटा दें तो आप 1500 रुपये में ही एडवेंचर का मजा उठा सकते हैं. मई-जून के महीने में ज्यादातर लोग घूमने जाते हैं. ऐसे में कई ट्रैवल कंपनियां पैकेज औफर करती हैं.

यह पैकेज काफी सस्ते होते हैं जिससे आपकी जेब भी ढीली नहीं होगी. कई कंपनियां मात्र 400 से 500 रुपये में ही रिवर राफ्टिंग, क्लिफ जंपिंग और बौडी सर्फिंग करवाती हैं. जब भी आप ऋषिकेश या कोई भी एडवेंचर ट्रिप प्लान करें तो एक बार ट्रैवल कंपनियों का पैकेज जरूर देख लें. पर ध्यान दें कि ये सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हों.

यदि आप आने-जाने की खर्च के वजह से प्लान कैंसिल कर रहे हैं तो ऐसा बिलकुल न करें.  जो 300 रुपये आप एक दिन में बाहर पिज्जा, बर्गर खाने में खर्च कर देते हैं उस से बेहतर है कि आप उस 300 रुपये में ऋषिकेश जाने का मजा ले सकते हैं.

आने-जाने का खर्चा

अगर आप बस से जाना चाहते हैं तो इसका शुरुआती किराया 300 रुपये से शुरू होता है. अगर आप औन लाइन बुकिंग करते है तो कई बार आपको स्पेशल औफर भी दिया जाता है. जिसमें आप कुपन कोड का इस्तेमाल करके सस्ते रेट में ऋषिकेश की वादियों में जा सकते हैं. अगर आपके पास ऋषिकेश जाने का कोई भी जुगाड़ नहीं है तो आप पैसेंजर ट्रेन से भी जा सकते हैं. पैसेंजर ट्रेन में किराया भी कम लगता है और आप की पौकेट भी मैनेज रहती है.

ठहरनें का प्रबंध

अधिकतर टुरिस्ट प्लेस पर सीजन के अनुसार ही होटल का दाम घटता बढ़ता है. गर्मी के मौसम की शुरुआत होते ही अधिकतर पहाड़ी इलाकों के होटल के दाम बढ़ा दिए जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे होटल भी होते हैं जो सस्ते तो होते हैं लेकिन उनकी सर्विस अच्छी नहीं होती. ऐसे में आप चाहें तो आश्रम या धर्मशाला में भी रुक सकते है. ऋषिकेश में कई आश्रम और धर्मशाला हैं जहां आप कम बजट में ठहर सकते हैं. इन के कमरें काफी बड़े और आरामदायक होते हैं. इन कमरों को आप 350 रुपए में बूक कर सकते हैं.

पहले बुकिंग है जरूरी 

आपको अगर होटल, आश्रम या धर्मशाला में रुकना है तो बुकिंग आपको ट्रिप से 10-15 दिन पहले करानी होगी. अगर आप वहां जा कर बुकिंग करेंगे तो आपको काफी महंगा रूम मिलेगा जो आपका सारा बजट बिगाड़ सकता है. इसलिए आप बुकिंग घर से ही कर के जाएं.

बैग पैक में खाना खजाना

बैग पैक में तो हम तमाम जरूरी समान रखते हैं. लेकिन बात जब जेब तंगी और बाहर घूमने की हो तो पेट पूजा का ध्यान रखना भी जरूरी है. सफर करते वक्त भूख ज्यादा लगती है ऐसे में घर से ही बिसकुट, नमकपारे, नमकीन, नट्स, ड्राई फ्रूट, चिप्स, मिल्क पाउडर, टी बैग, शुगर पाउडर और गर्मपानी आप अपने बैग में रख सकते हैं. इससे भूक तो कम होगी ही साथ ही आपका खर्चा भी बचेगा.

ठगने से बचें

अक्सर जब हम नए शहर में जाते हैं तो वहां हर चीज का दाम डबल कर के बताया जाता है. ऐसे में आपका ठगना तो तय है. कोशिश करें मोल-भाव करने की खरीदारी करते वक्त कई बार हमें कोई अलग सी चीज दिखती है तो झट से खरीद लेते हैं जिससे आपकी जैब तो खाली होती ही है और वस्तु भी आपके कोई काम नहीं आता. इसलिए कोई भी फालतू समान बिलकुल न खरीदें यदि वो वस्तु आपके काम की है तो ही खरीदें.

अगर आपको एक जगह से दुसरें जगह जाना है तो पर्सनल गाड़ी न करें. वहां 5-10 रुपये में शेयरिंग टेम्पो आपको आसानी से मिल जाएगा.

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Summer Special: शाही अंदाज में सैरसपाटा

घुमक्कड़ लोग 2 मिजाज के होते हैं. पहले वाले घुमक्कड़ पर्यटन स्थलों के सैरसपाटे से ही वास्ता रखते हैं. उन के लिए कहां रुकना है या फिर कहां खानपान होगा, ज्यादा माने नहीं रखता. जबकि दूसरे मिजाज के पर्यटक पर्यटन स्थलों को जितनी तरजीह देते हैं उतनी ही तरजीह रहने के शाही ठौर और खाने के मशहूर ठिकानों को देते हैं. दूसरे मिजाज के इन्हीं पर्यटकों के लिए लग्जरी पैकेज का चलन बना है. आमतौर पर लग्जरी पैकेज कुलीन वर्ग या कहें एलीट क्लास के लोग ही अफोर्ड कर सकते हैं क्योंकि इन में शानदार इंटरकौंटिनैंटल रेस्तरां, होटल, लग्जरी रिजौर्ट, पांचसितारा होटल शामिल होते हैं. लेकिन ऐसी कोई शर्त नहीं है कि आम मध्यमवर्गीय लोग लग्जरी पैकेज नहीं ले सकते, साल में 5 बार नहीं तो साल दो साल में 1 बार तो वे भी लग्जरी पैकेज का आनंद ले ही सकते हैं. लग्जरी पैकेज में हम आप के लिए लाए हैं कुछ चुनिंदा पर्यटन ठिकानों के बारे में जानकारीपरक फीचर, ताकि इन छुट्टियों में आप भी लग्जरी टूरिज्म का यादगार अनुभव ले सकें.

पैलेस औन व्हील्स

लग्जरी पैकेज में पैलेस औन व्हील्स एक ऐसा विकल्प है जो सफर में ही पर्यटन का इतना लुत्फ देता है कि किसी मंजिल तक जाने की जरूरत ही नहीं होती. यानी चलतेचलते ही सैर कर होटल, रेस्तरां और पर्यटन का पैकेज एकसाथ लिया जा सकता है. इसीलिए पैलेस औन व्हील्स सिर्फ देसी पर्यटकों के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानियों को भी खासा भाता है. राजामहाराजाओं की जीवनशैली और ठाटबाट के साथ राजस्थान की सैर कराने वाली आलीशान ट्रेन ने उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ लग्जरी ट्रेन का खिताब जीता है. इस ट्रेन को राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड एवं भारतीय रेलवे द्वारा संचालित किया जाता है. मेहमाननवाजी एवं परंपरागत शाही अंदाज के लिए हर कोई इस की सवारी एक बार जरूर करना चाहता है. ट्रेन में राजसी जीवनशैली के ठाट हैं तो वहीं पर्यटकों की मौडर्न जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्पा और हैल्थ क्लब, जिम आदि का भी इंतजाम है. जरा सोचिए चलती ट्रेन में प्रत्येक सैलून में वाशरूम के साथ वाटर प्यूरीफायर्स की सुविधा के साथ मनोरंजन का भी इंतजाम हो तो कौन नहीं चाहेगा कि यह सफर यों ही चलता रहे. इस गाड़ी में पांचसितारा होटल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं.

फलकनुमा पैलेस

दक्षिण भारत में अगर लग्जरी पर्यटन का मजा लेना है तो ताज फलकनुमा से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता. बजट यहां भी मोटा होगा लेकिन जिस शाही अंदाज की सुविधाएं यहां मिलती हैं उन्हें देखते हुए इसे महंगा कहना सही नहीं होगा. फलकनुमा पैलेस की हाल में चर्चा सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी के दौरान जम कर हुई थी. वैसे फलकनुमा पैलेस अपने शाही मेहमानों के लिए काफी अरसे से मशहूर माना जाता है. यहां आ कर अगर आप को बीते दौर के निजाम या महाराजा जैसा फील हो तो आश्चर्य की बात नहीं.

इतिहास :

हैदराबाद का यह लग्जूरियस पैलेस पैगाह हैदराबाद स्टेट से ताल्लुक रखता है. इस पर बाद में निजामों ने आधिपत्य किया. 32 एकड़ में फैला यह शाही महल चारमीनार से महज 5 किलोमीटर दूर है. इसे नवाब विकार उल उमरा ने बनवाया था जो तत्कालीन हैदराबाद के प्रधानमंत्री थे. फलकनुमा यानी आसमान की तरह या आसमान का आईना. इस की रचना एक अंगरेजी शिल्पकार ने की थी. इसे कुल 9 साल में पूरा किया गया. इटैलियन पत्थर से बना यह फलकनुमा 93,971 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है. सर विकार इस स्थान को अपने निजी निवास के तौर पर प्रयोग करते थे, बाद में यह हैदराबाद के निजाम को सौंप दिया गया.

फलकनुमा पैलेस के निर्माण में इतनी अधिक लागत आई कि एक बार तो सर विकार को भी एहसास हुआ कि वे अपने लक्ष्य से कहीं ज्यादा खर्च कर चुके हैं. बाद में उन की बुद्धिमान पत्नी लेडी उल उमरा की चालाकी से उन्होंने यह पैलेस निजाम को उपहार में दे दिया जिस के बदले में उन्हें इस पर हुए खर्च का पूरा पैसा मिल गया. बाद में निजाम ने इस महल को शाही अतिथि गृह की तरह से प्रयोग करना शुरू कर दिया क्योंकि इस से पूरे शहर का नजारा देखने को मिलता था. सन 2000 तक यह पैलेस सामान्य जनता के लिए बंद था.

शाही ठाट :

वर्ष 2000 में इस को मौडिफाइड कर 2010 में पर्यटकों और शाही मेहमानों के लिए खोल दिया गया. इस के कमरों व दीवारों को फ्रांस से मंगाए गए और्नेट फर्नीचर, हाथ के काम किए गए सामान तथा ब्रोकेड से सुसज्जित किया गया. यहां बिलियर्ड्स रूम भी है जिसे कि बोरो और वाट्स ने डिजाइन किया था. इस में स्थित टेबल अपनेआप में अद्भुत है क्योंकि ऐसी 2 टेबल्स का निर्माण किया गया था जिन में से एक बकिंघम पैलेस में है तथा दूसरी यहां स्थित है. खानपान के मामलों में तो यहां निजामों वाला शाही इंतजाम है. 101 सीट्स वाला भोजनगृह है जिसे दुनिया का सब से बड़ा डाइनिंग हाल माना जाता है. यहां का दरबार हाल भी काफी आकर्षक है.

शाही होटल्स :

फलकनुमा के सभी कमरों में शाही फाइवस्टार होटल के जैसे इंतजाम हैं. इंटरनैट, बिजनैस सैंटर, जिम, पूल, बेबी सिटिंग सर्विस, ब्यूटी सैलून, कौन्फ्रैंस सर्विस, नौनस्मोकिंग रूम, कौकटेल लाउंज, जकूजी मसाज सर्विस, बौडी ट्रीटमैंट, बैंक्वेट, जेड रूम, हुक्का लाउंज, बिलियर्ड ऐंड डाइनिंग रूम जैसी शाही सुविधाएं हैं. साथ ही संगीत के विशेष कार्यक्रमों की सौगात भी है.

खानपान :

जितना शाही यह पैलेस है उतना ही शाही यहां का खानपान है. खाने के नाम पर नवाबी अंदाज में बार्बेक्यू रेस्तरां में शाही लजीज कबाब और रौयल अंदाज में बिरयानी सर्व की जाती है. जेड रूम में लंच, स्पैशल खाना, चौकलेट शैंपेन और कई रौयल डिशेज परोसी जाती हैं. वाइन लिस्ट में दुनियाभर की वाइन का इंतजाम होता है. वहीं, बे्रकफास्ट में जेड वरंदाह में परंपरागत हैदराबादी डिश, चारमीनारी ब्रेकफास्ट, टर्किश और साउथ इंडियन खाना खास है. हालांकि यह सुविधा सिर्फ विंटर्स में मिलती है. रौयल टैरेस में भी इंडियन, चाइनीज और कौंटिनैंटल की सारी डिशेज फलकनुमा के टैरेस में रौयल अंदाज में परोसी जाती हैं. हुक्का लाउंज में फ्लेवर्ड हुक्का की बेहतरीन वैराइटीज और रोमांटिक मूड का खास इंतजाम है.

कुल मिला कर इस

के होटल में लग्जरी के सारे विकल्प मौजूद हैं. कौन्फ्रैंस हाल दरबार में 500 मेहमान, जेड रूम में चायपान के लिए 40 मेहमान, राजस्थानी गार्डन में 150 मेहमान और बोर्डरूम में 17 लोगों का खास इंतजाम हर समय रहता है. होटल मैनेजमैंट की तरफ से लोकल टूर गाइड भी मुहैया कराया जाता है, जो आप को लग्जरी ठिकानों की सैर कराता है.

किराया :

ताज फलकनुमा पैलेस में शुरुआती रेट 38 हजार से 40 हजार के बीच है. बाकी टूर औपरेटर्स के जरिए इस से कम की डील भी ली जा सकती है.

कैसे पहुंचें

हैदराबाद पहुंच कर इंजन बावली पहुंच गए तो समझ लीजिए आप फलकनुमा आ गए. पास में और भी पर्यटन स्थल जैसे कि नेहरू जूलौजिकल पार्क, चारमीनार, तारामती बारादरी, सालारजंग संग्रहालय भी हैं. यानी यहां शाही रहनसहन के साथ नजदीकी पर्यटन के अड्डों का भी मजा लेना बेहद आसान है. सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से इस की दूरी 15 किलोमीटर है जबकि राजीव गांधी हवाई अड्डे से यह 17 किलोमीटर दूर है. अन्य जानकारियां इस की वैबसाइट ताज होटल्स डौट कौम पर मिल जाएंगी.

द लीला : गोआ

अकसर सैलानी गोआ जाने का मतलब वहां के बीच और आईलैंड ही मानते हैं और जब वहां के नजारे के साथ रहने के विकल्प खोजते हैं तो मुश्किल में फंस जाते हैं. कोई पेइंगगैस्ट ढूंढ़ता है तो कोई होटल के मामले में कन्फ्यूज्ड रहता है. जबकि गोआ में घूमने का मतलब ढेर सारी मस्ती, स्पा, बीच और शाही रहनसहन से है. भारत में ज्यादातर नए कपल्स हनीमून के लिए गोआ आते हैं.

लेकिन जरा सोचिए, अगर हनीमून के लिए शाही कमरा या होटल न हो तो फिर गोआ आने का मजा कैसा. इसलिए अगर अपना बजट थोड़ा सा संभाल सकते हैं तो गोआ का द लीला होटल न सिर्फ आप के हनीमून को यादगार बना सकता है बल्कि बीच और आईलैंड के बीच कमरे में रहने और शानदार सुविधाओं का यादगार तोहफा भी देता है.

शाही अंदाज

लीला होटल देशीविदेशी लोगों को लग्जरी के मामले में खासा भाता है. यह कई तरह के पैकेज देता है जो अलगअलग सीजन के हिसाब से मुफीद बैठते हैं. इस पांचसितारा होटल में 206 शानदार कमरे हैं जो वैलफर्निश्ड होने के साथसाथ वाईफाई तकनीक और अन्य आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. इन मौडर्न डिजाइन कमरों में कई क्लास हैं. मसलन, लैगून टैरेस रूम, रूम लैगून, सुइट लैगून, डीलक्स सुइट, क्लब पूल सुइट, रौयल विला आदि. लीला में खानपान के नाम पर इंडियन से ले कर इटैलियन और सभी देशों के व्यंजन मिलते हैं. जरा सोचिए, चांदनी रात में होटल के पूल एरिया में डिनर करना कितना शाही अनुभव होगा. इस के अलावा कैफे, ब्रेकफास्ट सर्विस, बार, बार्बेक्यू ग्रिल और रेस्तरां आप को लग्जरी ट्रिप का पूरा मजा देते हैं. पूल एरिया में ही डांस, मस्ती और बार का भी इंतजाम है. लीला में बौडी मसाज से ले कर स्पा, जिम और बौडी ट्रीटमैंट के भी ढेरों विकल्प मौजूद हैं.

कहां और कैसे

दक्षिण गोआ में स्थित इस होटल तक पहुंचने के लिए एअरपोर्ट से 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इस के नजदीक मोबोर बीच काफी फेमस है. अन्य जानकारी इस की वैबसाइट लीला डौट कौम पर मिल जाएगी. पैकेज : लीला में समर गेटवे औफर, समर मानसून पैकेज सीजन के मुताबिक मिलते हैं जिन का किराया, 5 हजार रुपए से शुरू हो कर 10 हजार रुपए तक चलता है. अधिक जानकारियां इस की वैबसाइट द लीला डौट कौम/गोवा होटल्स पर मिलेंगी.

अन्य सुविधाएं : अन्य सुविधाओं में बार, रेस्तरां, बार्बेक्यू, इंटरनैट, बिजनैस सैंटर, जिम, पूल, बेबी सिटिंग सर्विस, ब्यूटी सैलून, कौन्फ्रैंस सर्विस, नौन स्मोकिंग रूम, कौकटेल लाउंज, जकूजी मसाज सर्विस, बौडी ट्रीटमैंट, बैंक्वेट, जेड रूम, हुक्का लाउंज शामिल हैं.

रामनिवास बाग

जयपुर खूबसूरत बगीचों का शहर है. जयपुर में केसर क्यारी, मुगल गार्डन, कनक वृंदावन, जयनिवास उद्यान, विद्याधर का बाग, सिसोदिया रानी का बाग, परियों का बाग, फूलों की घाटी, रामनिवास बाग, सैंट्रल पार्क, स्मृति वन जलधारा, जवाहर सर्किल, स्वर्ण जयंती उद्यान आदि दर्जनों उद्यान हैं. लेकिन रामनिवास बाग सब को मात दे कर चहेता पर्यटन स्थल बन गया है. यहां के बाग शहर के सब से खूबसरत उद्यानों में से एक हैं. 

इतिहास :

रामनिवास बाग का निर्माण 1868 में जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने कराया. हवामहल का निर्माण कराने वाले महाराजा प्रतापसिंह सौंदर्योपासक थे. उन्होंने जयपुर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास किए जिन में उस समय का सब से खूबसूरत और विशाल उद्यान था रामनिवास बाग. राजस्थान एक कम वर्षा वाला राज्य है. इसलिए यहां के शासकों ने शहर को सुंदर बनाने और सर्वसाधारण को गरमी में विहार करने के लिए उपयुक्त स्थान देने के लिए बागबगीचों का निर्माण कराया. प्राकृतिक संतुलन के लिए भी यह जरूरी है. शाम के समय यहां राजपरिवार के सदस्य भ्रमण के लिए आते थे. अल्बर्ट हाल के स्थान पर एक केंद्रीय बड़ा गुलाब बगीचा था. हर शाम यहां विदेशी मेहमानों के परिवार और राजपरिवार के सदस्यों की मौजूदगी से खुशगवार माहौल बन जाता है. कुछ समय के लिए यह गार्डन नागरिकों के लिए भी खोला जाता था. रामनिवास बाग का निर्माण शहर को सूखे से बचाने के लिए किया गया था.

क्या है खास

रामनिवास बाग आधुनिक महानगर जयपुर के बीचोबीच है और अपने विस्तार व खूबसूरती से सभी को बहुत प्रभावित करता है. शहर के बीचोंबीच इतना बड़ा हराभरा भूभाग अपनेआप में एक मिसाल है. यह जयपुर को ग्रीन सिटी का दरजा दिलाने में अहम भूमिका निभाता है. यहां मनोरंजन के भी कई विकल्प हैं. यहां फुटबाल का एक बड़ा मैदान है. इस के अलावा इस के कई टुकड़ों में बने वर्गाकार बगीचों में नागरिकों के बैठने, सुस्ताने और आराम करने के लिए छायादार घने वृक्ष हैं. रामनिवास बाग परिसर में ही रवींद्र मंच, अल्बर्ट हाल, चिडि़याघर आदि हैं जो पर्यटकों के लिए मनोरंजन के विशेष साधन हैं.

आकर्षण :

बाग के बीचोंबीच गोलाकार सर्किल में शहर का म्यूजियम अल्बर्ट हाल स्थित है. जब रामनिवास बाग बना था तब यहां यह म्यूजियम नहीं था. बाद में महाराजा प्रतापसिंह से माधोसिंह (द्वितीय) तक के कार्यकाल में इसे बना कर तैयार किया गया. वर्तमान में अल्बर्ट हाल रामनिवास बाग की पहचान बन गया है. वहीं रवींद्र मंच रामनिवास बाग के उत्तरपूर्वी परिसर में स्थित है. रवींद्र मंच एक विशाल प्रेक्षागृह है. यह राजस्थान का सब से बड़ा प्रेक्षागृह है. समयसमय पर यहां नाटकों का मंचन किया जाता है. यहां 2 चिडि़याघर हैं. जयपुर के चिडि़याघर में दुर्लभ वन्यजीवों के साथ टाइगर का होना मुख्य आकर्षण है.

कैसे जाएं

यहां जाने के लिए जयपुर के अजमेरी गेट जाना पड़ता है. उस के पास ही यह बाग स्थित है.

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Summer Special: हरी-भरी वादियों से घिरा ‘लोनावला’

महाराष्ट्र में बसा एक छोटा सा हिल स्टेशन लोनावला अपनी नेचुरल ब्यूटी के लिए जाना जाता है. सुंदर झील और झरनों का ये शहर टूरिस्टों के दिल को जीतने के लिए पूरे साल स्वागत को तैयार रहता है. पुणे से 64 किमी तथा मुंबई से 96 किमी दूर ये शहर एक अच्छे वीकेंड के लिए बाहें फैलाए खींचता है.

समुद्रतल से 624 मीटर की ऊंचाई पर बसे हरी-भरी पहाडियों से घिरे लोनावला की सुंदरता देखते ही बनती है. यहां घूमने लायक कई सारी जगहें हैं. ट्रैकिंग का मन हो तो पहाड़ पर चढ़ने की सुविधा भी मौजूद है. ट्रैकिंग करते समय पहाड़ों के नजारों का लुत्फ अलग ही एक्सपीरियंस देता है. इस छोटे से शहर में घूमने के लिए कई जगहें हैं. राजमची पाइंट, लोनावला झील, कारला केव्स, लोहागढ़ फोर्ट, बुशी डैम, रईवुड पार्क तथा शिवाजी उद्यान प्रमुख हैं. परिवार के साथ घूमने जाना हो या दोस्तों के साथ मस्ती करनी हो, यह जगह सभी के लिए मुफीद है.

राजमची पाइंट

लोनावला से लगभग 6 किमी की दूरी पर खूबसूरत वादियों से सजा एक दूसरी जगह है राजमची. इसका यह नाम यहां के गांव राजमची के कारण पड़ा है. यहां का खास अट्रैक्शन शिवाजी का किला और राजमची वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी है. इस जगह की सुंदरता टूरिस्टों को बहुत लुभाती है.

रईवुड पार्क

यह स्थल पूरी तरह से हरियाली से भरा रहता है. खूब सारे पेड़ और धरती पर बिछी हरी घास का इलाका सबका मन मोह लेता है. बड़ों के साथ बच्चे भी यहां खूब मस्ती करते हैं. पार्क में स्थित प्राचीन शिव मंदिर हमें भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था से सराबोर कर देता है.रईवुड पार्कलोहागढ़ किला/Lohagarh fort

लोहागढ़ किला

लोनावला से 20 किलोमीटर की दूरी पर समुद्रतल से 1,050 मीटर की ऊंचाई पर बसा लोहागढ़ किला बेहद ही दर्शनीय स्थल है.

इस किले की बनावट और इसकी ऐतिहासिकता हमें इसकी ओर खींचती है. यह किला शिवाजी का युद्धस्थल भी था. विशाल चट्टान पर स्थित इस किले में कैदियों के लिए लोहे के दरवाजे लगाए गए थे

बुशी डैम

लोनावला से 6 किलोमीटर की दूरी पर बसा बुशी डैम एक फेमस पिकनिक स्पॉट है. बरसात के दिनों में जब यह पानी से लबालब भर जाता है तो इसकी सुंदरता देखने लायक होती है. यहां कई पर्यटक पहुंचते हैं.

कब जाएं

लोनावला का मौसम ज्यादातर सुहावना ही रहता है. यहां किसी भी मौसम में जा सकते हैं. लेकिन मार्च से लेकर अक्टूबर के बीच यहां जाएंगे तो मजा कई गुना बढ़ जाएगा. बरसात का मौसम यहां की झीलों और झरनों को निहारने का सबसे अच्छा समय है.

क्या खाएं

लोनावला चिक्की के लिए मशहूर है. तिल, काजू, बादाम, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट जैसे मेवों को शक्कर या गुड़ में मिलाकर बनाई जाने वाली चिक्की का स्वाद जबरदस्त होता है. यहां के फज भी बहुत फेमस हैं. लोनवला की यादगार के तौर पर आप यहां से चिक्की, चॉकलेट, मैंगो फज साथ ले जा सकते हैं.

कैसे जाएं

मुंबई से लोनावला 96 किमी है. लोनावला के लिए नजदीक का रेलवे स्टेशन लोनावला तथा नजदीक का हवाई अड्डा पुणे है. मुंबई और पुणे से सड़क मार्ग से भी लोनावला जा सकते हैं.

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Summer Special: शादी से बचना है तो जाए यहां

दुनिया में दो प्रकार के लोग हैं एक वो जो अपनी शादी के बारे में जानकार बहुत खुश होते हैं और एक वो जो अपनी शादी का नाम सुनते ही भागते हैं. जिन्हे शादी को लेकर उत्सुकता होती यही उनके मन में लड्डू फूटते हैं न जाने क्या क्या सपने वे सोच लेते है, लेकिन जो लोग शादी नहीं करना चाहते वे इससे बचने के उपाय ढूंढते रहते हैं. ‘शादी कब करोगे?’ ये प्रश्न यूं तो आम है. पर ऐसे लोगों को इस प्रश्न से बहुत चिढ़ होती है.

आज कुछ ऐसे जगहों के बारे में जानते हैं जहां जाते ही आप अपनी ही एक दुनिया बना लेंगे, वहां की वादियों में खो जायंगे और शादी के प्रश्न आप तक पहुंच नहीं पायेंगे.

1. तवांग, अरुणाचल प्रदेश

सबसे बड़ी बात यह है कि, तवांग तक पहुंचना अपने आप में ही बहुत बड़ा कार्य है. यहां आपका पीछा कर पाना किसी के लिए नामुमकिन है. तवांग अरुणाचल प्रदेश की छुपी हुई खूबसूरती है. यहां का जबरदस्त परिदृश्य और यहां की शानदार यात्रा आपके शादी के सारे विचारों को भूलने में तुरंत मदद करेगी.

2. फुगतल मठ, लद्दाख

आप ऐसी जगह और कहीं नहीं आसानी से ढूंढ पाएंगे. लुंग्नाक घाटी के पहाड़ों के चट्टानों में खोद कर बनाए हुए फुगतल मठ मधुमक्खी के छत्ते की तरह प्रतीत होते हैं. इस प्राचीन मठ के ट्रेक पर जाना आपके लिए बहुत ही आसान होगा. इस मठ को अच्छी तरह से जानना और इसके किसी एक प्रार्थना घर में बैठ कर ध्यान लगाना, आपको सारे बेकार विचारों और लोगों से दूर शांति का एहसास कराएगा. पहाड़ के इस गुफा जैसे मठ में आपको कोई आसानी से ढूंढ भी नहीं पाएगा.

3. मॉफ्लांग, मेघालय

जंगल दुनिया का सबसे रहस्यमय स्थान होता है. मॉफ्लांग शिलोन्ग के पास ही एक पवित्र वन होने के लिए जाना जाता है. वहां पर रहने वाले जनजाति के लोगों का मानना है कि यह वन उनकी और उनकी ज़मीन की रक्षा करता है. तो आपको ऐसा नहीं लगता की यह जगह आपको भी सुरक्षित रखेगी? तो आप अपना सामान बांध लीजिए और तैयार हो जाइए मेघालय के मंत्रमुग्ध कर देने वाले स्थान और इसके विरासत गांव मॉफ्लांग की सैर पर जाने के लिए. यह यात्रा आपके सारे नेगेटिव थॉट्स को आप से दूर कर देगी.

4. बैरेन आइलैंड, अंडमान

यह आपके मज़े करने का समय है और बैरेन आइलैंड से अच्छी जगह आपके मज़े के लिए और कोई नहीं होगी. दक्षिण एशिया का यह ज्वालामुखी द्वीप स्कूबा डाइविंग के लिए भी सबसे ज़बरदस्त और विशाल लोकेशन है. बैरेन आइलैंड के चारों तरफ पानी के अंदर की दुनिया अंडमान द्वीप की एक जादुई दुनिया है. यहां डुबकी लगाइए और पानी में शांति का अनुभव करिए. बैरेन आइलैंड में लोगो की चहल पहल बहुत कम होती है और यह शादी से बचने के लिए आपके लिए सबसे बेस्ट जगह है.

5. कच्छ का रण, गुजरात

दूर दूर तक सफ़ेद रेत का मरुस्थल और डूबते सूरज का मनोरम दृश्य आपको एक अलग ही काल्पनिक दुनिया में ले जाएगा. कच्छ का रण बहुत सारे सरप्राइज़ेस से भरा पड़ा है. कच्छ के रण का क्षितिज और मरुस्थल की रंगारंग संस्कृति, गुजरात में यात्रा करने की सबसे प्रमुख जगह है. तो अपने अविवाहित और अकेले होने का फायदा उठाइए और सफेद मरुस्थल के हर एक कोने को छान मार मज़े लीजिए.

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Summer Special: आंध्र प्रदेश के 5 खूबसूरत समुद्र तट

आंध्र प्रदेश को प्रकृति ने कई समुद्र तट उपहार में दिए हैं, जिन की तट रेखा बंगाल की खाड़ी से लगती है. छुट्टियों में दक्षिण भारत के कुछ खूबसूरत समुद्र तटों का आनंद लेने के लिए अपनी यात्रा की योजना बना लें…

1. येरादा समुद्र तट

येरादा समुद्र तट, जिस की तटरेखा आंध्र प्रदेश की दूसरी सब से बड़ी तट रेखा है. यह पहाड़ियों और बंगाल की खाड़ी से घिरा है. यह घरेलू और विदेशी पर्यटकों की छुट्टियां बिताने की पसंदीदा जगह है. यह समुद्र तट हरी-भरी वनस्पतियों और नर्म सुनहरी रेत से सजा है, जिस के बीच ब्लैक मोर्स हिल पर डौल्फिंस नोज लाइटहाउस स्थित है. इस स्थान की खूबसूरत छटा को निहारने के लिए प्रकृति प्रेमियों के यहां आने का उपयुक्त समय अक्तूबर से मार्च के बीच है.

2. रामकृष्ण समुद्र तट

रामकृष्ण समुद्र तट ‘आर के बीच’ के नाम से लोकप्रिय है. यह विशाखापट्टनम के लोकप्रिय स्थानों में से एक है. यह खूबसूरत समुद्र तट भारत के कोरोमंडल तट का विस्तार है. देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक समुद्र स्नान, वाटर स्पोर्ट्स एवं तट रेखा के किनारे-किनारे तेज चलने के लिए इस स्थान पर आते हैं. रामकृष्ण समुद्र तट के चारों ओर कई बेहतरीन पर्यटन स्थल हैं जैसे ऐक्वेरियम, विशाखा म्यूजियम, सबमैरिन म्यूजियम और वाटर मैमोरियल.

3. कलिंगपटनम समुद्र तट

कलिंगपटनम समुद्र तट आंध्र प्रदेश के प्राचीन बंदरगाह शहरों में से एक है, जो खूबसूरत लोक शैली के मंदिरों, आकर्षक रंगों में रंगे बंगलों और फूलदार वृक्षों से सुशोभित है. यहां का पानी नीला है और समुद्र तट स्वच्छ है, जिस की छटा इस की सुनहरी रेत के चलते और अधिक बढ़ जाती है. इस समुद्र तट को ‘ओपन रोड सी’ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि सड़क समुद्र तक पहुंच कर समाप्त हो जाती है. कलिंगपटनम का समुद्र तट आराम के पल बिताने के लिए सब से उपयुक्त स्थान है.

4. ऋषिकोंडा समुद्र तट

ऋषिकोंडा बीच लोगों के घूमनेफिरने के लिए उपयुक्त स्थान है. यह छोटा है व एकांत में स्थित है. दूर तक फैली रेत और समुद्र की आनंददायक लहरें इस समुद्र तट को यकीनन देखने लायक बनाती हैं. इस का स्वच्छ, निर्मल नीला पानी स्नान करने वालों को लुभाता है, लेकिन तीव्र धाराओं के चलते यहां तैरने पर प्रतिबंध है. ऋषिकोंडा समुद्र तट की शांति व नीरवता अद्भुत है.

5. भीमुनिपटनम समुद्र तट

भीमुनिपटनम समुद्र तट आंध्र प्रदेश के उत्कृष्ट पर्यटन स्थलों में से एक है. इस समुद्र तट का माहौल शांत एवं निर्मल है. यह यहां आने वालों के लिए संपूर्ण मनोरंजन भी सुनिश्चित करता है. एक तरफ हरेभरे नारियल के पेड़ तो दूसरी तरफ इस की सुनहरी रेत इसे आकर्षक रूप प्रदान करती है. डच कब्रिस्तान, प्राचीन क्लौक टावर, लाइटहाउस, पेंट की हुई मूर्तियों की विभिन्न प्रदर्शनियां और बौद्ध सन्यासियों की विभिन्न प्रदर्शनियां इसे जिंदादिल बनाती हैं. कुछ शांतिपूर्ण पल बिताने के इच्छुक पर्यटकों के लिए यह बेहद शांतिप्रद जगह है.

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Summer Special: अमरकंटक में बरसता है नेचर का वरदान

अमरकंटक में प्रकृति रोमांचित करती है. घने जंगल कान में फुसफुसाते हैं. आध्यात्म और धर्म इस नगरी में एक खास आयाम जोड़ते हैं. दरअसल, यह ऐसी जगह भी है, जो दो बड़ी नदियों नर्मदा और सोन का उद्गम स्थल भी है. इनके उद्गम को देखेंगे, तो लगेगा ही नहीं कि छोटे-छोटे कुंडों से निकलकर काफी दूर तक बहुत पतली धारा में बहने वाली ये नदियां देश की संस्कृति और धार्मिकता और विकास में खास जगह रखती हैं.

पहाड़ों पर बसा अमरकंटक

अमरकंटक ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों के बीच बसी सुंदर-सी जगह है. प्रकृति की तमाम संपदाओं से युक्त अमरकंटक काफी ऊंचाई पर है. यहां खदानें भी हैं और वाटरफॉल भी. अब यहां नए-नए मंदिर बन गए हैं. नर्मदा और सोन के करीब टहलने से, आपको शांति का अनुभव होगा. पहाड़ों के अदृश्य स्रोतों से नर्मदा और सोन का निकलना किसी अचरज से कम नहीं लगता है.

यहां एक और नदी भी निकलती है, उसका नाम जोहिला है. कुछ लोग जब यहां आते हैं और इन नदियों के उद्गम में जल की हल्की- फुल्की कुलबुलाहट के बीच इन्हें देखते हैं तो सोच नहीं पाते कि ये वही नदियां हैं, जो हजारों किमी.का सफर तय करती हैं. सोनमुदा नर्मदा कुंड से 1.5 किमी. की दूरी पर मैकाल पहाड़ियों के किनारे पर है. सोन नदी 100 फीट ऊंची पहाड़ी से एक झरने के रूप में यहां से गिरती है.

धार्मिक महत्व

पहले अमरकंटक शहडोल जिले में था. अब यह अनूपपुर जिले में है. समुद्र तट से कोई 1065 मीटर की ऊंचाई पर. विंध्य व सतपुड़ा की पर्वत शृंखला और मैकाल पर्वत शृंखला के बीचों बीच बसा हुआ. यहां पर्वत, घने जंगल,मंदिर, गुफाएं जल प्रपात हैं.

यहां आते ही हवा में ताजगी और शुद्धता का अहसास होने लगता है. यहां के जंगलों के बारे में कहा जाता है कि ये जड़ी-बूटियों का खजाना हैं. यहां का शांत वातावरण आमतौर पर सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां के अपने आंचलिक लोकगीत भी हैं. कालिदास भी यहां आए और यहां के कायल हो गए. उनके मेघदूत के बादल इसी नगरी के ऊपर से गुजरते हैं.

धार्मिक पर्यटकों को नर्मदाकुंड मंदिर, श्रीज्वालेश्वर महादेव, सर्वोदय जैन मंदिर, सोनमुदा, कबीर चबूतरा, कपिलाधारा, कलचुरी काल के मंदिर पर आना अच्छा लगेगा. नर्मदा कुंड के पास भी कई मंदिर हैं. सबका अपना महत्व है. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने भी यहां आकर तप किया था. कंबीरपंथियों को भी यह जगह खासी प्रिय है, क्योंकि वे इसे कबीर से जोड़कर भी देखते हैं, यहां एक कबीर चबूतरा भी है. कबीर चबूतरे के ठीक नीचे एक जल कुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि सुबह की किरणों के साथ ही यहां के जलकुंड का पानी दूध की तरह सफेद हो जाता है.

कैसे जाएं

रेल: शहडोल रेलवे स्टेशन 80 किलोमीटर दूर है

पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन 45 किमी. दूर है.

हवाई अड्डा: जबलपुर अमरकंटक से करीब 200 किलोमीटर है

रोड: अमरकंटक जाने के लिए आपको लगातार बसें और गाड़ीयां मिल जायेंगी

कपिलधारा भी जाए

अमरकंटक की यात्रा बगैर कपिलधारा देखे अधूरी रहेगी. यहां 100 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है. धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कपिल मुनि यहां रहते थे. कपिल मुनि ने सांख्य दर्शन की रचना इसी स्थान पर की थी. कपिलधारा के निकट की कपिलेश्वर मंदिर भी बना है. इस जगह के आसपास कई गुफाएं हैं, जहां अब भी साधु-संत ध्यानमग्न देखे जा सकते हैं.यहां धुनी पानी यानी गर्म पानी का झरना भी है. इसके बारे मे कहा जाता है कि यह झरना औषधीय गुणों से भरपूर है. ऐसा ही एक और झरना है दूधधारा, जो काफी लोकप्रिय है. ऊंचाई से गिरते इस झरने का जल दूध के समान प्रतीत होता है, इसीलिए इसे दूधधारा या दुग्धधारा के नाम से जाना जाता है.

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भारत में कई ऐसे लोकेशन हैं जो हनीमून कपल्स के लिए बहुत खास हैं. बीच, हिल स्टेशन और वाइल्ड लाइफ जैसी कई हनीमून स्पॉट हैं जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, शीतल हवाएं और समुद्र की लहरों से हनीमून को और यादगार बना देती हैं. अपने लाइफ पार्टनर की पसंद की जगह पर उसके साथ प्यार के अविस्मरणीय पल व्यतीत करना आपको ताउम्र याद रहेगा. अगर आपने अपने हनीमून की प्लानिंग नहीं की है या कर रहे हैं तो हनीमून डेस्टिनेशन के चुनाव में हम आपकी मदद कर देते हैं. आइए जानते हैं भारत के टॉप 10 हनीमून डेस्टिनेशंस..

1.गोवा

गोवा एक ऐसा स्थान है, जहां आप जिंदगी का भरपूर मजा ले सकते हैं. नवविवाहितों के लिए गोवा एकमात्र ऐसा हनीमून डेस्टीनेशन कहा जा सकता है जहां आप चाहें तो शांत सागरतट पर सपनों भरी दुनिया में खो जाएं. यह स्थान अपने आप में रोमांटिक और मनमोहक है.

राजधानी पणजी के निकट मीरामार बीच है जहां शाम के समय सूर्यास्त का दृश्य काफी सुकून देता है. जब रात को खुले आसमान के नीचे बीच के किनारे अपने साथी को अपनी बांहो में लेकर घूमेंगे वह पल कितना यादगार होगा. दोना पाउला, कलंगूट, अंजुना और बागा के अलावा कई अन्य बीचों की सुंदरता देखने लायक हैं.

मडगांव व वास्को डी गामा मुख्य स्टेशन हैं.

2.लक्षद्वीप

अरब सागर में स्थित छोटे द्वीप अपनी सुंदरता में अद्वितीय और आकर्षक हैं. इस जगह को वॉटर स्पोर्ट के लिए एक बेहतरीन जगह माना जाता है. यहां के द्वीप नए जोड़ों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं. लक्षद्वीप में बने रिसॉर्ट्स आपकी हनीमून को और भी बेहतर बना देंगे.

3.कन्याकुमारी

कन्याकुमारी हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम है. भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं. दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता है.

4.अंडमान निकोबार

अंडमान निकोबार को ‘गार्डेन ऑफ इडेन’ भी कहा जाता है. नारियल की सघन छाया, घने जंगल, असंख्य प्रजातियों के फूल और पक्षी, ताजी हवा प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस द्वीप पर आप स्कूबा डाइविंग जैसे रोमांचक खेलों का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

5.पुदुच्चेरी

पुदुच्चेरी के समुद्र तट पर हनीमून मनाने वाले कुछ बेहतरीन समय एक साथ गुजार सकते हैं. पेराडाइज बीच के एक ओर छोटी खाड़ी है. यहां केवल नाव द्वारा ही जाया जा सकता है. नाव पर जाते समय पानी में डॉल्फिन के करतब देखना एक सुखद अनुभव है.

6.दार्जिलिंग

‘क्वीन ऑफ हिल्स’ के नाम से मशहूर दार्जिलिंग हमेशा से एक बेहतरीन हनीमून डेस्टिनेशन रहा है. कपल्स हनीमून के लिए आमतौर पर ठंडी जगहों का चयन करते हैं. यहां पर बर्फ से ढकी कंचनजंगा की चोटियां और प्राकृतिक सौंदर्य से लदे खूबसूरत पहाड़ आपको किसी स्वपन लोक से लगेंगे. ट्वाय ट्रेन में आप पहाड़ों और घाटियों के बीच प्रकृति के सौंदर्य को निहारते हुए सफर का आनंद ले सकते हैं. चाय के बगान और देवदार के जंगल का अति सुंदर नजारा देखा जा सकता है.

7. नैनीताल

नैनीताल में आप कम खर्च में हिल टूरिज्म का भरपूर आनंद उठा सकते हैं. नैनीताल उत्तराखंड का पहाड़ी पर्यटन स्थल है. शहर के बीचोंबीच नैनी झील इस पर्यटन स्थल में चार चांद लगा देती है. चीड़ के घने जंगल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं. काठगोदाम और नैनीताल के बीच ज्योलीकोट स्थान पड़ता है. यहां पर दिन गरम और रातें ठंडी होती हैं. यहां भीनताल, नौकुचियाताल, माल रोड, मल्लीताल, तल्लीताल अनेक स्थान घूमने लायक हैं.

8. शिमला

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला हनीमून पर आए कपल्स के लिए बहुत ही प्यारा हिल स्टेशन है. यहां की खूबसूरती एक बार तो देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देती है. यहां के सादगी भरे सौंदर्य में ऐसा आर्कषण है कि वापस जाने को मन ही नहीं करता. यहां पर आप बलखाती पहाड़ियों पर सुरंगों में से होते हुए ट्वाय ट्रेन का लुत्फ उठा सकते हैं. ट्वाय ट्रेन के सफर के दौरान आपको बहुत सारे हसीन नजारे दिखाई देंगे जिनको देखकर आप आश्चर्य में पड जाएंगे. माल रोड पर आप शॉपिंग का आनंद ले सकते हैं. जाखू हिल्स शिमला का सबसे ऊंचा स्थान है. यहां से पूरे शहर की खूबसूरती को देखा जा सकता है.

9. मनाली

मनाली की वादियां हनीमून कपल्स की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है. मनाली कुल्लु घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है. यहां पर आपको जंगलों से घिरी मनाली घाटी में पक्षियों का कलरव सुनाई देगा. साथ ही गिरते जलप्रपात और फलों से लदे बाग-बगीचे पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करते हैं. कुदरत ने मनाली को सदाबहार खूबसूरती से नवाजा है. यहां हर मौसम में मस्ती, रोमांस और रोमांच का पैकेज आपको मिलेगा. मनाली का हिडिंबा मंदिर अपने चार मंजिला पैगोड़ा और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है. सोलंग घाटी में हैंड ग्लाइडिंग के रोमांच का मजा लूटा जा सकता है.

10.केरल

केरल को कुदरत ने बड़ी खूबसूरती से संवारा है इसलिए हनीमून के लिए केरल सबसे उपयुक्त जगह है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़, मनोहारी समुद्री किनारा, नारियल और खजूर के पेड़ों के झुरमुट के बीच में से नाव पर सवारी, चारों ओर हरियाली और बेहद खूबसूरत नजारे, ये सब हैं केरल की खूबसूरती की असली पहचान. इन रुमानी नजारों में प्यार भरे दिलों की धड़कनें बढ़ना स्वाभाविक हैं.

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क्या आप गईं है फूलों की घाटी चमोली में, अगर नहीं तो जरूर जाएं

हम में से कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें नेचर और वाइल्डलाइफ के बारे में जानने का बड़ा शौक होता है. उन्हें किसी हिल स्टेशन या बीच पर घूमने से ज्यादा पेड़-पौधे, फूल, पक्षी देखने में मजा आता है, अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं, तो हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड की ऐसी खूबसूरत जगह के बारे में जहां जाकर आपका मूड फ्रेश हो जाएगा. आज हम आपको सैर करवाएंगे चमोली की. चमोली जनपद की प्रसिद्ध तीर्थ स्थली बद्रीनाथ धाम के पास गंधमादन पर्वत पर स्थित फूलों की घाटी या वैली औफ फ्लावर्स. आइए जानते हैं यहां क्या है खास.

सांखरी जोहर

पुरौला से आगे है सांखरी जोहर की दून का बेस कैंप है. यहां तक बसें और टैक्सियां आती हैं. इसके बाद शुरू होती है लगभग 35 किमी. की ट्रैकिंग यानी पद यात्रा. यह खांई बद्दान क्षेत्र कहलाता है और यहां के सीधे-सादे निवासी अब भी आधुनिक सुख-सुविधाओं से वंचित हैं. सांखरी में आपको पोर्टर और गाइड मिल जाएंगे और आप रात्रि विश्राम के बाद सुबह अपनी रोमांचक यात्रा शुरू कर सकती हैं.

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गोपेश्वर

गोपेश्वंर शहर में तथा इसके आस-पास बहुत सारे मंदिर है. यहां के प्रमुख आकर्षण केन्दों में पुराना शिव मंदिर, वैतामी कुंड आदि है.

फूलों की घाटी

प्राकृतिक प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग के समान है. इस स्थान की खोज फ्रेंक स्मिथ और आर.एल. होल्डवर्थ ने 1930 में की थी. इस घाटी में सबसे अधिक संख्या में जंगली फूलों की किस्में देखी जा सकती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा के लिए यहां से संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे. इस घाटी में पौधों की 521 किस्में हैं. 1982 में इस जगह को राष्ट्रीय उद्दान के रूप में घोषित कर दिया गया था. इसके अलावा यहां आपको कई जानवर जैसे, काला भालू, हिरण, भूरा भालू, तेंदुए, चीता आदि देखने को मिल जाएंगें.

कैसे पहुंचे

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोलीग्रांड है. यह चमोली से 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल और अल्मोड़ा सभी जगह से चमोली के लिए बसें चलती है.

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Summer Special: समर वेकेशन में घूम आयें यहां

गर्मियों की शुरूआत होते ही लगता है बस किसी ऐसी जगह चले जाएं, जहां इससे गर्मी से राहत मिल सके. अगर रिलैक्स होने के साथ ही वेकेशन एन्जॉय करने का मूड है तो पहाड़ों की सैर से छुट्टियों की शुरुआत करें. यहां का मौसम देता है गर्मियों में ठंडक का अहसास.

1. औली, उत्तराखंड

स्की के लिए बहुत ही एडवेंचरस और सेफ जगह है औली. उत्तराखंड की ये जगह काफी शांत और सुकून भरी है. अप्रैल के महीने में यहां घूमने का प्लान करें. इस वक्त यहां का टेंपरेचर 7-17 डिग्री होता है. चारों तरफ बर्फ से ढ़के पहाड़ यहां की खूबसूरती को दोगुना करते हैं. ट्रैकिंग के लिए यहां एक दिन काफी है. गर्मियों की शुरूआत औली टूर के साथ करना बेस्ट रहेगा.

2. पचमढ़ी, मध्य प्रदेश

सतपुरा टाइगर रिजर्व के पास पचमढ़ी, मध्य प्रदेश की सबसे खूबसूरत जगहों में शामिल है. ये यहां का एकमात्र हिल स्टेशन है जो चारों ओर से सतपुरा पहाड़ी से घिरा हुआ है. यहां कई खूबसूरत गुफाएं, जंगल और बैम्बू फॉरेस्ट देखने को मिलते हैं. ठंड और शांत इस इस जगह पर जाना गर्मियों से राहत दिलाएगा.

3. मॉन, नागालैंड

मॉन, नागालैंड जाने का प्लान अप्रैल के पहले वीक में बनाएं जिस वक्त यहां एलेआन्ग फेस्टिवल कोन्याक नागा सेलिब्रेट किया जाता है. पतझड़ मौसम खत्म होने और फसलों की बुआई के बाद नए साल का स्वागत इस फेस्टिवल को मनाकर किया जाता है. जिसमें ट्रेडिशनल से लेकर मॉडर्न दोनों तरह के कल्चर को एन्जॉय किया जा सकता है. ट्रेडिशनल डांस, म्यूजिक और कई प्रकार के खेल यहां होते हैं. यहां रहने वाले जन-जातियों में खुशी और शांति का संदेश देना होता है. इस दौरान यहां नागाओं का काफी भीड़ इकट्ठा होती है.

4. कदमत आइलैंड, लक्षद्वीप

कदमत आना आपके ट्रिप को यादगार बना सकता है. इस आइलैंड की नेचुरल ब्यूटी देखने लायक है. महज 3.12 स्क्वेयर किमी के एरिया में फैला बहुत ही छोटा-सा आइलैंड है. जहां डाइविंग और स्वीमिंग जैसी कई सुविधाएं मौजूद हैं. लक्षद्वीप के सबसे खूबसूरत आइलैंड में शामिल है कदमत.

5. कन्याकुमारी, तमिलनाडु

कन्याकुमारी को लैंड ऑफ हिडन वंडर्स भी कहा जाता है. ज्यादातर टूरिस्ट यहां कन्याकुमारी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं. इसके अलावा गांधी मेमोरियल भी यहां देखने लायक है. साथ ही यहां का ध्यान मंडल जहां स्वामी विवेकानंद ने 3 दिनों तक तपस्या की थी. इस जगह को अब पब्लिक के लिए खोल दिया गया है. तमिल कवि तिरुवल्लूर की 133 मीटर ऊंचे स्टैचू भी है यहां. अप्रैल माह में यहां घूमने के लिए मौसम सबसे अच्छा होता है.

6. दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल

दार्जिलिंग खासतौर से अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है. इसके अलावा यहां का आर्किटेक्चर देखने और फर्मेन्टेड बियर का स्वाद लेने भी पहुंचा जा सकता है. पीस पेगोडा में बौद्ध कल्चर को देखने का मौका भी मिलता है. टाइगर हिल से कंचनजंघा पर उगते सूरज को देखने का नजारा ही अलग होता है. अप्रैल माह में यहां आकर इन सारे एक्सपीरियंस को एन्जॉय किया जा सकता है.

7. वायनाड, केरल

वायनाड के हरे-भरे पहाड़, खुशबू बिखेरते इलायची, वनीला, कॉफी और चाय के बागान मूड को रिफ्रेश करने के साथ ही ट्रिप को भी यादगार बनाने का काम करते हैं. पैदल घूमकर आप ट्रिप को ज्यादा अच्छे से एन्जॉय कर सकते हैं. वायनाड को खासतौर से पुरानी जनजातियों का गढ़ कहा जाता है. इनके कल्चर, लाइफ और खानपान का तरीका अपनाकर बॉडी का डिटाक्सीफाई भी किया जा सकता है. अप्रैल महीने में यहां आने की प्लानिंग बेस्ट रहेगी.

8. कलीमपोंग, पश्चिम बंगाल

हिमालय पर्वत और आसपास के हरे-भरे कलीमपोंग की खूबसूरत वादियां आपके ट्रिप को रोमांचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं. तीस्ता नदी के आसपास रुकने का प्लान करें जिससे यहां की खूबसूरती को बहुत ही करीब से जाना जा सकता है इसके अलावा अप्रैल माह में यहां चारों ओर इलायची और दालचीनी की खुशबू बिखरी रहती है. घने जंगलों में रेड पांडा और ब्लैक बियर जैसे कई सारे जानवर भी देखे जा सकते हैं.

9. कुन्नूर, तमिलनाडु

नीलगीरी पहाड़ों के नाम से मशहूर कुन्नूर की खूबसूरती को करीब से देखने का मजा तो अप्रैल माह में ही आता है. इस समय यहां टूरिस्टों की संख्या सबसे ज्यादा होती है. गर्मियों की शुरूआत में लगने वाले फ्रूट शो को एन्जॉय करने के साथ ही बोटेनिकल गॉडर्न और सिम्स पार्क भी देखने लायक होता है. डॉलफिन नोज प्वाइंट से नीलगीरी की खूबसूरती को निहारने का नजारा आप लाइफटाइम नहीं भूल पाएंगे.

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