Valentine’s Special: सूना संसार- सुनंदा आज किस रूप में विनय के सामने थी

सुनंदा एयरपोर्ट पहुंच चुकी थी. लगेज बैल्ट पर अपना बैग आने का इंतजार करती हुई सोचने लगी, आज इतने सालों बाद लखनऊ आना ही पड़ा और जीवन की किताब का वह पन्ना, जो वह लखनऊ से मुंबई जाते हुए फाड़ कर फेंक गई थी, हवा के झोंके से उड़ आए पत्ते की तरह फिर उस के आंचल में आ पड़ा है. 5 साल बाद वह लखनऊ की जमीन पर कदम रखेगी, जहां से निकलते हुए उस ने सोचा था कि वह यहां कभी नहीं आएगी.

उसे इस बात का तो यकीन था कि बाहर उसे लेने विनय जरूर आया होगा. कैसा लगेगा इतने सालों बाद एकदूसरे को देख कर? कितना प्यार करता था उसे, कैसे जी पाया होगा वह उस के बिना? वह भी क्या करती, अपनी महत्त्वाकांक्षाओं, अपनी भावनाओं को कैसे दबाती? विनय ने कैसे खुद को संभाला होगा, उस के बिखरे व्यक्तित्व को देख क्या सुनंदा को अपराधबोध नहीं होगा?

अपना बैग ले कर सुनंदा एयरपोर्ट से बाहर निकली, विनय ने उसे देख कर हाथ हिलाया. हायहैलो के बाद उस के हाथ से बैग ले कर विनय ने पूछा, ‘‘कैसी हो?’’

सुनंदा ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, वह बहुत स्मार्ट और फ्रैश नजर आ रहा था. बोली, ‘‘मैं ठीक हूं, तुम कैसे हो.’’

विनय ने मुसकरा कर कहा, ‘‘ठीक हूं.’’

सुनंदा ने चलतेचलते उसे बताया, ‘‘कल यहां मेरी एक मीटिंग है. सोचा, यहां आने पर तुम से मिल लेना चाहिए. बस, तुम्हारा नंबर मिलाया, वही नंबर था तो बात हो गई. और सुनाओ, लाइफ कैसी चल रही है?’’

‘‘बढि़या,’’ फिर पूछा, ‘‘जाना कहां है तुम्हें?’’

सुनंदा चौंकी, फिर बोली, ‘‘होटल क्लार्क्स अवध में मेरा रूम बुक है.’’

विनय ने पूछा, ‘‘टैक्सी से जाना चाहोगी या मैं छोड़ दूं?’’

सुनंदा मुसकराई, ‘‘यह भी कोई पूछने की बात है?’’

विनय ने अपनी गाड़ी स्टार्ट की तो सुनंदा ने पूछा, ‘‘गाड़ी कब ली?’’

‘‘2 साल हुए.’’ उस के बराबर वाली सीट पर बैठ कर 5 साल पुराना समय सुनंदा की आंखों के आगे घूम गया. तब उस के स्कूटर पर बैठ कर वह उस के साथ कितना घूमी थी. विनय की कमर में हाथ डाल कर वह बैठती और वह धीरे से गरदन घुमा कर उस के गाल पर किस करता, तो वह टोकती थी, ‘‘आगे देखो, कहीं ऐक्सीडैंट न हो जाए.’’ विनय हंस कर कहता, ‘‘तो क्या हुआ, तुम्हें प्यार करतेकरते ही मरूंगा न, क्या बुरा है.’’

और आज वही विनय उसे कितना अजनबी लग रहा था. अचानक सुनंदा का कलेजा सुलगने लगा. शायद विनय बहुत नाराज होगा उस से. कितना सरलसहज जीवन था, जो विनय के आगोश में सुरक्षित सा था, पर महत्त्वाकांक्षाएं उछालें मार रही थीं. गृहस्थी की जिम्मेदारी भी कुछ ज्यादा नहीं थी, तब भी वह उस बंधन से मुक्ति मांग बैठी थी. रास्ते भर विनय औपचारिक बातें करता रहा. विनय ने होटल आने पर गाड़ी रोकी और कहा, ‘‘तुम्हारे पास मेरा फोन नंबर है ही, कोई जरूरत हो तो बताना. और हां, कब जाना है वापस?’’

‘‘परसों की फ्लाइट है, कल मीटिंग से फ्री होते ही फोन करूंगी, तब जरूर आ जाना.’’

‘‘नहीं, अभी चलता हूं, कल आऊंगा,’’ कह कर विनय चला गया.

सुनंदा अपने रूम में पहुंच कर फ्रैश हुई, फिर लैपटौप निकाला और अगले दिन की मीटिंग की तैयारी करने लगी.

एम.बी.ए. के बाद एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे पद पर काम करना उस का सपना था और उस का वह सपना पूरा हो गया था. घरगृहस्थी उसे हमेशा बंधन लगती थी. उस ने सब से मुक्ति पा ली थी. विवाह के बाद एम.बी.ए. करने में विनय ने उसे भरपूर सहयोग दिया था. विनय की मां ने उस का पढ़ने का शौक देखते हुए घर की कोई जिम्मेदारी उस पर नहीं डाली थी और जब सुनंदा को एम.बी.ए. करते ही मुंबई में जौब का औफर मिला, तो उस ने सोचने में एक पल नहीं लगाया था. विनय लखनऊ छोड़ नहीं सकता था, उस ने सुनंदा को बहुत समझाया कि तुम योग्य हो, तुम्हें लखनऊ में ही और अवसर मिल सकते हैं, लेकिन सुनंदा को अपनी आत्मनिर्भरता और महत्त्वाकांक्षाओं को तिलांजलि देने की बात सोच कर ही घुटन होने लगती थी और जब सुनंदा को विनय और जौब में कोई तालमेल बनता नहीं दिखा, तो उस ने सब रिश्ते एक झटके में तोड़ कर विनय से तलाक की मांग कर दी थी.

विनय ने उसे बहुत समझाया था, लेकिन सुनंदा किसी तरह यह अवसर छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी और वह तलाक ले कर ही मानी थी. मुंबई आ कर वह अपने कैरियर में ऐसी व्यस्त हुई कि जीवन में आए खालीपन को भी भूल गई. उसे जितना मिलता, वह उस से संतुष्ट न होती. अधिक से अधिक पाने के लिए वह हर तरह से संघर्ष कर के अब उच्च पद पर आसीन थी. कुछ दिन वह कंपनी के फ्लैट में रही. अब उस ने अपना फ्लैट भी खरीद लिया था. अब उस के पास सारी सुविधाओं से युक्त घर था, गाड़ी थी, नौकर थे.

मेरठ में उस के मायके में सब उस से नाराज थे और विनय के मातापिता तो उस के तलाक के 1 वर्ष बाद ही जीवित नहीं रहे थे. इन सालों में वह कभी मेरठ भी नहीं गई थी. बस समय मिलने पर कभीकभी फोन कर लिया करती थी.

अगले दिन मीटिंग से फ्री होने पर उस ने विनय को फोन किया और मिलने के लिए बुलाया.

विनय ने कहा, ‘‘शाम को आ जाऊंगा..’’

सुनंदा तैयार हो कर उस का इंतजार करने लगी. सोफे पर बैठ कर आंखें मूंद कर अपने खयालों में गुम हो गई… इतने सालों में उस ने अपने दिलोदिमाग पर काबू तो पा लिया था काम की धुन में अपने को डुबो कर खुश रहने का दिखावा भी कर लेती थी, लेकिन प्यार भरा मन समुद्र सा उफनता रहता था. अपना सब कुछ लुटा कर खाली हो जाने को, किसी को अपनी चाहत में पूरी तरह भिगो देने को.

आज विनय को देख कर फिर दीवानी हो गई थी. उसे देखते ही उस के खयालों में खो गई थी. सोचती रही, क्या विनय भी उस के साथ के लिए बेचैन होगा. अगर हां, तो वह विनय से अपने व्यवहार के लिए माफी मांग लेगी. एक बार फिर उस के साथ जीवन शुरू करेगी. विनय उसे जरूर माफ कर देगा. वह उस से बहुत प्यार करता था. बहुत रह ली अकेली, चंचल नदी सागर में समा कर ही शांत होती है. सालों से पुरुषस्पर्श को तरस रहा उस का नारीमन भी आज अपना सर्वस्व त्याग कर आत्मोत्सर्ग कर शांत हो जाने को मचल उठा, विनय के साथ बीते पुराने दिनरात याद करतेकरते मिस्री की तरह कुछ मीठामीठा उस के होंठों तक आया और विनय के चेहरे को हाथों में भर चूमने की चाह से ही माथे पर पसीने की बूंदें आ गईं. वह अपनी मनोदशा पर हंस दी.

तभी डोरबैल बजी. सुनंदा ने लपक कर दरवाजा खोला और हैरान खड़ी रह गई. विनय एक लड़की के कंधे पर हाथ रख कर खड़ा था. लड़की की गोद में एक छोटा सा लगभग 2 साल का बच्चा था. विनय ने मुसकराते हुए परिचय करवाया, ‘‘यह नीता है मेरी पत्नी और हमारा बेटा राहुल और ये…’’

नीता मुसकराई, ‘‘आप के बारे में सब जानती हूं.’’

सुनंदा के चेहरे पर एक साया सा लहरा गया. उन्हें अंदर आने का इशारा करते हुए जबरन मुसकराई. उन्हें बैठने के लिए कह कर, उन से पूछ कर कौफी का और्डर दिया. बच्चा विनय की गोद में ही बैठा रहा.

सुनंदा स्वयं पर नियंत्रण रखती हुई बातें करती रही. बहुत ही मिलनसार, हंसमुख स्वभाव की नीता हंसतीबोलती रही. बीते समय की कोई बात किसी ने नहीं की. करीब 1 घंटा तीनों बैठे रहे. जाते समय नीता ने ही कहा, ‘‘अगली बार भी आएं तो मिल कर जाइएगा, अच्छा लगा आप से मिल कर.’’

उन के जाने के बाद सुनंदा बैड पर ढह सी गई. उस की आंखों के कोनों से आंसू ढलक पड़े. जिन चीजों को आधार बना कर उस ने अपने भविष्य को गढ़ा था, उन से यदि वह सुखी रह सकती, तो आज रोती ही क्यों? आज विनय का बसा हुआ सुखसंसार देखा तो लगा कि वह हार गई. अपनी सारी महत्त्वाकांक्षांओं को पूरा करने के बाद भी हार गई वह. क्या हो गया यह सब? वह हमेशा बहुत ऊंचा उड़ने की सोचती रही, विनय का प्यार, विनय की बच्चे के लिए चाह, घरगृहस्थी के कामकाज, विनय की रुचि, शौक, पसंदनापसंद सब में उसे सहभागी होना चाहिए था. तभी पनपता वह प्यार, जो उस ने नीता की आंखों में लबालब देख लिया था. वही प्यार, जो वह सुनंदा को देना चाहता था, पर अब वह पूरी तरह नीता को समर्पित है.

हां, यह प्यार ही तो है, जिसे वह ठुकरा कर चली गई थी. यही तो वह सिलसिला है, जो आगे चल कर एक सुखीसफल लंबे वैवाहिक जीवन की नींव बनता है. उस ने तो नींव रखी ही नहीं थी और अब तो ध्वस्त अवशेषों पर आंसू ही बहाने हैं. क्या पाया उस ने और क्या खो दिया? यश, नाम, रुपया, आजादी जैसे बड़े शब्द वह प्राप्ति के पलड़े में रख सकती है. पर दूसरे पलड़े में एक सुंदर घर, प्यार करने वाला पति, एक हंसतामुसकराता बच्चा आ कर बैठ जाता है, तो वह पलड़ा इतना भारी होता चला जाता है कि जमीन छूने लगता है. दूसरे पलड़े के शून्य में झूलने का एहसास बहुत कड़वा लग रहा है.

Valentine’s Special: लाइफ कोच- क्या दोबारा मिल पाए नकुल और किरण

Valentine’s Special: ट्राय करें 18 साल की ‘Patiala Babes’ फेम अशनूर कौर के ये लुक्स

सोनी टीवी के सीरियल ‘पटियाला बेब्स’ (Patiala Babes) में  नजर आ चुकीं एक्ट्रेस अशनूर कौर (ashnoor kaur) अक्सर अपनी फोटोज को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. वहीं 18 साल की अशनूर कौर का फैशन बड़े-बड़ों का मात देता है. ये वेलेंटाइन वीक चल रहा है, जिसके लिए हर कोई तैयारी कर रहा है औऱ अगर आप भी इस वेलेंटाइन वीक में खुद के मेकओवर के लिए ड्रेसेस के औप्शन ढूंढ रहे हैं तो आज हम आपको अशनूर कौर (ashnoor kaur) के कुछ लुक बताएंगे, जिसे आप ट्राय कर सकती है.

1. अशनूर की ये ड्रेस है परफेक्ट

अगर आप अपने आप को स्टाइलिश और खूबसूरत दिखाना चाहती हैं तो अशनूर की ये ब्लैक औफ शोल्डर ड्रेस ट्राय करना ना भूलें. इस सिंपल ड्रैस के साथ रैट्रो पैटर्न वाली कैप आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन रहेगी.

 

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Looking forward to 2020 like??‍♀️♥️ . #Positivity #Hope #Bye2019 #Welcome2020 #AshnoorStyleDiaries #smile

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2. शर्ट लुक करें ट्राय

 

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Rebel with a cause? #loveyourself #conveyYourThoughts #AshnoorStyleDiaries

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अगर आप अपने लुक को ट्रैंडी बनाना चाहते हैं तो शर्ट लुक ट्राय करें. शर्ट लुक आपके लुक को क्लासी दिखाने में मदद करेगा. इसके साथ आप लौंग इयरिंग्स की बजाय स्टड इयरिंग्स ट्राय करें.

3. लाइट कलर की ड्रैस है परफेक्ट

अगर आप अपने आप को सिंपल और क्यूट लुक देना चाहती हैं तो नेट पैटर्न वाली लाइट कलर की औफ शोल्डर ड्रैस ट्राय करें. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. आप इस ड्रेस के साथ हील्स की बजाय शूज ट्राय कर सकती हैं.

4. चेक पैटर्न ड्रेस करें ट्राय

अगर आप पार्टी या आउटिंग के लिए ड्रेसेस के औप्शन ढूंढ रहे हैं तो अशनूर की ये चेक पैटर्न वाली ड्रैल ट्राय करना ना भूलें. इस ड्रैस के साथ आप वाइट शूज का कौम्बिनेशन भी ट्राय कर सकते हैं.

 

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5. डैनिम लुक करें ट्राय

 

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P.s. I love you❤️ . . #LoveYouAll #MyAshnoorians

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अगर आप ड्रैसेस की बजाय कुछ और ट्राय करना चाहती हैं तो डैनिम परफेक्ट औप्शन है. डैनिम जींस के साथ क्रौप टौप पैटर्न वाली स्वैट टी शर्ट आपके लुक को खूबसूरत दिखाने में मदद करेगा.

Valentine’s Special: हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद है ‘बुलेटप्रूफ कॉफी’

कई लोग चाय के साथ कॉफी पीना भी खूब पसंद करते हैं. अगर आप कॉफी के शौकीन है, तो आपने देखा होगा कि आजकल मार्केट में कॉफी की बहुत वैरायटी मिलने लगी हैं, जिसमें से चुनना काफी मुश्किल हो जाता है कि आखिर इनमें से कौन सी चुनें कौन सी नहीं. वैसे एक नई तरह की कॉफी की वैरायटी ट्रेंड में है, जिसे बुलेट प्रूफ कॉफी के नाम से जाना जाता है. यह एक हाई कैलोरी ड्रिंक है, जिसे कॉफी में बटर और एमसीटी ऑयल मिलाकर तैयार किया जाता है. इसका मकसद आपके दिन की शुरूआत को बढ़ावा देना है. यह कॉफी लो कार्ब डाइट को फॉलो करने वालों के बीच बहुत जल्दी पॉपुलर हो गई है. इसे कीटो कॉफी या बटर कॉफी का नया रूप कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. . यह आपके शरीर को स्वस्थ पोषक तत्वों और फैट की अच्छी डोज प्रदान करती है. इसे पीने के बाद आप एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव करेंगे . हेल्दी फैट और कॉफी के मिक्स के कारण आप काफी देर तक भरा हुआ महसूस कर सकते हैं. कुल मिलाकर यह एक ऐसी फैटी ड्रिंक है, जो वेटलॉस के लिए यह ज्यादा फेमस हो रही है.

बुलेटप्रूफ कॉफी क्यों पीना चाहिए-

टोस्ट और अनाज जैसे हाई कार्ब ब्रेकफास्ट जैसे ऑप्शन आपको एनर्जी तो देते हैं, लेकिन बाद में यह ब्लड शुगर लेवल के बढऩे का कारण भी बनते हैं. ऐसे में बुलेटप्रूफ कॉफी आपको अपना दिन की शुरूआत  करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा  देती है. इसे पीने के बाद आपको हाई कार्ब वाले ब्रेकफास्ट की जरूरत नहीं पड़ती.

क्या बुलेटप्रूफ कॉफी पीना सेहत के लिए फायदेमंद है-

यदि आप आमतौर पर हर दिन कैफीन का सेवन कर सकते हैं, तो आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. इस ड्रिंक में मौजूद फैट आपके शरीर में कैफीन को संसाधित करने के तरीके को धीमा करने में मदद कर सकता है. हालांकि, अगर आपका शरीर कैफीन के प्रति संवेदनशील है, तो फैट को शामिल करने से इसका प्रभाव नहीं बदलता. अगर आप अच्छी गुणवत्ता वाले फैट और कॉफी बीन्स से बुलेटप्रूफ कॉफी बना रहे हैं, तो यह आपकी डाइट में अच्छा विकल्प है. लेकिन फिर भी इसे हर दिन बहुत ज्यादा ना पीएं. रेाजाना एक कप कॉफी आपकी सेहत को स्वस्थ रखने में पर्याप्त है.

बुलेटप्रूफ कॉफी के फायदे-

एनर्जी दे- 

बुलेटप्रूफ कॉफी पीने से व्यक्ति को कई घंटों तक लंबे समय तक और निरंतर ऊर्जा मिलती है. दरअसल, कॉफी में मौजूद फैट कैफीन के पाचन को धीमा कर देता है. जिससे शरीर इसे धीरे-धीरे अवशोषित कर देता है.

वजन घटाए- 

बुलेटप्रूफ कॉफी में एमसीटी तेल होता है, जो कीटोसिस को प्रेरित करने में मदद करता है. इसके अलावा कॉफी घी, मक्खन या नारियल तेल जैसी सामग्री के जरिए किटोसिस को बनाए रखने और इंसुलिन लेवल को कम रखने में मदद मिलती है.

पोषक तत्वों से भरपूर है- 

बुलेटप्रूफ कॉफी पोषक तत्वों से भरपूर है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, बीटा-कैरोटीन, ब्यूटायरेट और लिनोलिक एसिड के साथ विटामिन ई, डी, ए और के शामिल है. कॉफी में मौजूद ब्यूटारेट आंत के बेहतर स्वास्थ्य में मददगार है. कॉफी में मिलाया जाने वाला घी या मक्खन शरीर में पोषक तत्वों की आपूर्ति करने का बेहतरीन तरीका है.

कैसे बनाएं बुलेटप्रूफ कॉफी-

सामग्री-

1 कप-  हाई क्वालिटी वाली कॉफी

1-2 बड़ा चम्मच- एमसीटी तेल

1-2 बड़े चम्मच- ग्रास-फेड बटर

बुलेटप्रूफ कॉफी बनाने की विधि-

एक ब्लेंडर लें और उसमें यहां बताई गई सभी सामग्री डाल लें. अब 20-30 सैकंड के लिए इसे अच्छी तरह से ब्लेंडर में मिलाएं . कॉफी मिलाईदार और झागदार दिखनी चाहिए. आमतौर पर लोग और इस ड्रिंक का आनंद लें.

बुलेटप्रूफ कॉफी एक बहुत ही मजेदार विकल्प हो सकता है, लेकिन इससे पहले कि आप इसे अपने आहार में शामिल करें, अपनी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति की जांच जरूर कर लें. ध्यान रखें, आमतौर पर कैफीन का सेवन न करने वाले लोग इस कॉफी का सेवन नहीं कर सकते.

Valentine’s Special: सुर बदले धड़कनों के

 

 

 

 

 

Valentine’s Special: इन टिप्स से खुशहाल बनाएं रिश्ता

आज पतिपत्नी का रिश्ता मित्रता, प्यार, सहभागिता का बन गया है, जिस में दोनों को एकदूसरे को समझाने के बजाय एकदूसरे को समझने की कोशिश करनी पड़ती है. ऐसा करने पर ही एक सुखी वैवाहिक जीवन की कल्पना की जा सकती है. उम्र के जिस पड़ाव पर पतिपत्नी शादी की दहलीज पार करते हैं वह एक अहम पड़ाव और दौर होता है. शुरू के कुछ वर्ष उन को खुद में बदलाव लाने के होते हैं. वैवाहिक संबंध की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता:

2 अलगअलग व्यक्तित्व वाले शख्स दांपत्य सूत्र में बंध जाते हैं. दोनों को अपने अतीत को भूल कर एकदूसरे में समाना होता है. कुछ छोड़ना पड़ता है कुछ अपनाना पड़ता है.

पतिपत्नी दोनों विलक्षण और अद्भुत किस्म के व्यक्तित्व होते हैं, जिन में आवश्यक बदलाव धीमी गति से आवश्यकता के अनुसार ही संभव होता है. दोनों से तीव्र गति से बदलाव की अपेक्षा करना अव्यावहारिक है.

दोनों के काम करने के तरीके और दिनचर्या भिन्न होने के कारण उन्हें नए माहौल में ऐडजस्ट करने के लिए कुछ समय देना होता है. यह ससुराल पक्ष के लोगों के लिए परीक्षा की घड़ी होती है. धैर्यपूर्वक इस कसौटी पर खरा उतरने का परिणाम यह होता है कि रिश्ते स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं और सभी को रिश्तों में आनंद और सुकून मिलता है.

नए दांपत्य रिश्ते में 2 ऐसे लोग बंधते हैं जो अलगअलग पारिवारिक वातावरण, संस्कारों और परंपराओं की संस्कृति में पलेबढ़े होते हैं. ऐसे में पतिपत्नी के लिए आवश्यक बदलाव को स्वीकार करना नामुमकिन नहीं होता है, मुश्किल जरूर होता है. इस बदलाव को जिम्मेदारी और सूझबूझ से अपनी शख्सीयत में लाया जाए.

सूझबूझ है जरूरी

हां यह समझना बहुत जरूरी है कि जैसे ही नई दुलहन ससुराल में प्रवेश करती है सब उसे उस की जिम्मेदारी महसूस कराने लग जाते हैं जबकि उन्हें नई बहू के अधिकारों के प्रति सजग होने की जरूरत होती है. पतिपत्नी के अधिकारों का संरक्षण हर हाल में होना चाहिए ताकि उन्हें स्पेस और स्वतंत्रता महसूस हो सके. वह जमाना लद गया जब पत्नी को दासी या गुलाम समझा जाता था. आज की पत्नियां शिक्षित, परिपक्व और सकारात्मकता के गुणों से परिपूर्ण होती हैं. उन्हें ससुराल पक्ष के लोग किसी भी तरह हलके में नहीं ले सकते हैं. आज की नारी पढ़ीलिखी और सजग है.कहते हैं, व्यवहारकुशलता इस में है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. अधिकार छीन कर नहीं लिए जाते हैं. पत्नी अपने अधिकारों का संरक्षण सूझबूझ के साथ कर सकती है. पत्नी के कुछ अधिकार इस प्रकार हैं:विवाह के बाद उसे अधिकार है कि वह अपनी पसंद का पहनावा पहन सके. वह सास बहुत अच्छी मानी जाती है जो नई बहू को इस बात की स्वतंत्रता देती है.

मधु एक स्मार्ट लड़की थी. उस ने देखा कि उस के पति के पास उस की पसंद के अनुसार ड्रैस नहीं थी. अत: मधु ने नीतियुक्त तरीके से इस का हल ढूंढ़ निकाला. एक दिन जब वह शौपिंग के लिए गई तो अपने पति के लिए अपनी पसंद की शर्ट और पैंट खरीद लाई. सास के लिए भी एक साड़ी खरीद लाई. इस व्यवहारकुशलता का असर यह हुआ कि सास को साड़ी पसंद आई. पति को भी मधु द्वारा लाई गई ड्रैस अच्छी लगी. सास अच्छे मूड में थीं अत: मधु से बोलीं, ‘‘अगली बार शौपिंग के लिए जाओ तो अपनी पसंद के कुछ सूट और साडि़यां खरीद लाना. तुम पर दोनों ही ड्रैसेज अच्छी लगती हैं. पैसे मुझ से ले जाना.’’

विवाह के बाद भी पति को यह अधिकार होता है कि वह अपने मित्रों से पहले की तरह मिलताजुलता रहे. पत्नी निरर्थक टोकाटाकी न करे. अपने मित्रों से मिलतेजुलते रहने के लिए पति को प्रेरित करती रहे. बस पति को चाहिए कि पारिवारिक सीमाओं में रह कर कुछ समय पत्नी के साथ अवश्य बिताए.कामकाजी महिला की दिनचर्या बहुत व्यस्त होती है. सुबह बच्चों को तैयार करना, नाश्ता व खाना बनाना, पति का टिफिन तैयार करना फिर खुद तैयार हो कर दफ्तर के लिए निकलना. सारे दिन की व्यस्तता के बाद शाम को घर आ कर फिर खाना बनाना. इन सब कामों को बखूबी करने पर वह डिजर्व करती है कि उसे परिवार से सम्मान मिले. पति को इस बात का एहसास हो कि वह वर्किंग वूमन है. घर में उस का सम्मान हो, यह उस का अधिकार है. कामकाजी पत्नी को घर पर पूरा आराम मिलना चाहिए. स्त्री जिसे अपने अधिकारों की रक्षा करनी होती है वह डिजर्विंग होनी चाहिए. हमारे सामने 6 प्रकार के दोषों की चर्चा होती है- शराब पीना, दुष्टों का संग, पति से अलग रहना, अकेले घूमना, अधिक सोना तथा दूसरों के घर में निवास करना पत्नी के लिए दोष हैं. इन्हें उसे अपने जीवन से दूर रखना चाहिए. ऐसे में पत्नी कुलकुटुंब की भलीभांति सेवा करती हुई स्वयं भी सुरक्षित रहती है और पत्नी का कर्तव्य भी निभाती है.

ऐसे बैठाएं तालमेल

नेहा का जब विवाह हुआ तो उस ने सुन रखा था कि ससुराल में पहुंचने पर सास नई बहू के आभूषणों पर यह कह कर कब्जा कर लेती है कि इन्हें सुरक्षित रखना है. इस से पहले कि सास इस विषय में कुछ कहतीं, नेहा ने सास से कहा कि मम्मीजी मैं 2 सैट अपने पास रख लेती हूं, क्योंकि पति के साथ डिनर पार्टियों में जाना होगा. बाकी जेवर आप अपनी अलमारी में रख लें या बैंक के लौकर में रखवा दें. इस प्रकार उस के अपने अधिकार की भी रक्षा हो गई और सास भी ऐसा करने के लिए हंसीखुशी राजी हो गईं. जब हनीमून के लिए प्रस्ताव आया तो नेहा ने सास से कहा, ‘‘मम्मीजी, हम बाहर जा कर अंडरस्टैंडिंग बनाने के पक्ष में नहीं हैं. यहीं आप सब के पास रह कर आप सब के साथ अपने संबंध मधुर और स्थायी बनाएंगे. इस के बाद जब कभी नेहा रेस्तरां में डिनर के लिए अपने पति के साथ जाती थी, तो अपनी सास और ससुर के लिए खाना पैक करवा कर जरूर ले आती थी. सासससुर दोनों को यह बात बहुत अच्छी लगती. नववधू का यह अधिकार होता है कि जो आभूषण उस के मातापिता ने इतने चाव से बनवा कर उसे दिए हैं उन का इस्तेमाल करने की उसे स्वतंत्रता हो.

कामकाजी पत्नी का अपनी मासिक तनख्वाह पर पूरा हक होता है. सासससुर को यह अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि वह पूरी सैलरी उन के हाथ पर रखे. पति भी कमाता है और पत्नी भी परिश्रम से तनख्वाह अर्जित करती है. अच्छा होगा दोनों मिल कर घर चलाएं. उन के अधिकारों की सुरक्षा तभी होती है जब वे दोनों मिल कर घर के सदस्यों के साथ मधुर संबंध बनाए रखते हैं और समयसमय पर उन के लिए उपहार ला कर उन्हें उन की अहमियत का एहसास दिलाते हैं. उन के साथ अपनापन बनाए रखते हैं.

बनाएं बेहतर माहौल

चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस का मत है, ‘‘हम उसी चीज से घृणा करते हैं जो चीज हमें अति प्यारी होती है.’’ सास अपनी बहू पर शासन करने को अच्छा समझती है, लेकिन जब बहू उस पर शासन करने की प्रवृत्ति रखती है तो उसे अच्छा नहीं लगता है. अत: सुझाव है कि पतिपत्नी के अधिकारों की रक्षा सासससुर और ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों द्वारा ऐसे की जानी चाहिए कि ये अधिकार मांगने की नौबत ही न आए. ऐसा माहौल बनाया जाए जिस में पतिपत्नी को पर्याप्त स्पेस मिले और वैवाहिक संबंध को आनंदपूर्वक जीने की स्वतंत्रता मिलती रहे.

Valentine’s Special: खास गिफ्ट से करें प्यार का इजहार

‘हमें तुम से प्यार कितना ये हम नहीं जानते, मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना,’ ‘मेरी रगरग में तुम हो और उसी होने के आनंद को जीती हूं मैं’, ‘तुम एक शब्द हो, जिस का अर्थ है खुशी’, ‘कह नहीं पाती तुम से पर यह सच है कि तुम मेरा आधार हो, जिस के भरोसे मेरा वजूद है…’

जैसे जैसे फरवरी माह करीब आने लगता है, जोड़े अपने साथी को वैलेंटाइन डे पर एक अच्छे से तोहफे पर कुछ ऐसी ही पंक्तियां लिख कर देने की फिराक में रहते हैं. क्योंकि उन के लिए तो यह दिन खुशियां, उम्मीदें और उमंग ले कर आता है. आएं आप भी थोड़ा रूमानी हो जाएं और जानें क्या है वैलेंटाइन डे, जिस ने भारत की जमीन पर दबे पांव कदम रखा था पर धीरेधीरे सभी युवाओं को अपना मुरीद बना लिया.

इस पर्व को मनाने के तौरतरीके और रीतिरिवाज बड़े अनोखे और रोचक रहे हैं. इतिहास के पन्ने पलटें तो वे कहते हैं कि एक ऐसे व्यक्ति के बलिदान का दिन है वैलेंटाइन डे, जिस ने प्यार किया और प्यार करने वालों को एक पवित्र बंधन में बांधने का प्रयास किया. उन के वक्त में रोम का शासक क्लोडियम था जो कि बहुत कू्रर और सख्त स्वभाव का था. उस ने अपने शासनकाल में सभी सिपाहियों पर प्रतिबंध लगा दिया था कि कोई भी न तो अपनी प्रेमिका से मिलेगा और न ही शादी करेगा. मगर वैलेंटाइन ने राजा की मरजी के खिलाफ प्रेमी जोड़ों की छिपछिप कर शादी करवाई और प्रेम करने वालों को एकदूसरे से मिला दिया. यों कहें कि वह प्रेम का फरिश्ता बन गया. क्लोडियम से यह सब बरदाश्त न हुआ और वैलेंटाइन को मृत्युदंड दिया गया. यह बात 14 फरवरी, 269 ई. की है.

वैलेंटाइन की एक दोस्त थी जो जेलर की बेटी थी. उसे मृत्युदंड से पहले वैलेंटाइन ने एक खत लिखा था. इस के बाद हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन की याद के दिन के रूप में मनाया जाने लगा और इसे नाम दिया गया वैलेंटाइन डे. शुरू में लोग इस मौके पर प्रेम भरा खत लिखते थे, तो बाद में अपने प्रिय को खत के साथ उपहार देने का चलन चला और आज तो बाजार में इस से जुड़े उपहारों की भरमार है. आइए, जानते हैं कि उन में खास उपहार कौन से हैं और उन की अहमियत किसलिए है:

1. गुलाब

प्यार के इजहार के लिए सब से बेहतर तरीका है लाल गुलाब. लेकिन यह भी याद रहे कि प्रेमी या प्रेमिका को दिए जाने वाले गुलाबों की संख्या भी कुछ कहती है. जैसे प्यार के इजहार के लिए 1 गुलाब ही काफी है. अगर आभार प्रकट कर रहे हों तो 1, बधाई के लिए 25 और बिना शर्त के प्यार के लिए 50 गुलाबों का महकता गुलदस्ता उपयुक्त माना जाता है. बस शर्त यह है कि उसे लवर्स नौट में बांध कर दें.

2. दिल

वैलेंटाइन डे पर बाजार में लाल गुलाबों की भरमार के बाद दिल की शेप में बने विभिन्न प्रकार के कार्ड्स व गिफ्ट आइटम देखने को मिलते हैं. पहले कामदेव के तीर से बिंधा दिल रति के लिए प्रेम की अभिव्यक्ति का बेहद खूबसूरत जरीया था. प्यार करने वालों को वैलेंटाइन डे पर दिल शेप में बने हुए कार्ड्स, शोपीस, टैडी बियर, पाउच, इंयररिंग्स, रिंग्स, ज्वैलरी बौक्स, सिरैमिक कौफी मग, कुशन कवर, पिलो कवर तथा शोपीस मिल जाएंगे.

3. कबूतर का जोड़ा

‘तुम्हारे बिना मैं मर जाऊंगी’, ‘तुम से बिछुड़ने से पहले मुझे मौत आ जाए’, ये जुमले प्रेमी युगल एकदूसरे से अकसर कहते हैं. शायद हम में से बहुत कम इस बात से वाकिफ होंगे कि कबूतरकबूतरी ऐसे प्यार के पर्याय होते हैं कि यदि इन दोनों में से एक की मौत हो जाए तो फिर दूसरा नए साथी की तलाश नहीं करता. प्यार तो समर्पण है. प्यार व उस के प्रति पूर्ण आस्था को दर्शाने के लिए, शौपिंग मौल्स व गिफ्ट शौप्स में ऐसे कबूतरों की जोडि़यों की विभिन्न मुद्राओं में गिफ्ट आइटम देखने को मिलते हैं.

4. मैपल लीफ

कनाडा के राष्ट्रीय वृक्ष मैपल ट्री की पत्तियां आज भी जापानी और चीनी सभ्यता में प्रेम को प्रतिबिंबित करती हैं. इन पत्तियों में मिठास होती है. शायद इसीलिए ऐसी मान्यता है. अमेरीका में कई प्रेमी युगल सच्चा प्यार पाने के लिए बैड के नीचे फर्श पर मैपल की पत्तियां रखते हैं. वैलेंटाइन डे पर मैपल पत्ती वाले कार्ड खूब मिलते हैं. उन पर लिखे होते हैं कुछ रोमांटिक शेर या फिर तीर से बिंधा दिल बना होता है.

5. ट्यूलिप फ्लावर

कहींकहीं शादी की 11वीं सालगिरह का प्रतीक माना गया है ट्यूलिप फ्लावर. ट्यूलिप फ्लावर के बीचोंबीच काले मखमली भाग को प्रेमी का दिल माना गया है. प्रेमियों की पहली पसंद कहलाने वाला ट्यूलिप फूल दरअसल मशहूर प्रेमी युगल शीरीफरहाद के इश्क की उपज माना जाता है. कहते हैं, फरहाद जो तुर्की का रहने वाला था, शीरी से बेपनाह मुहब्बत करता था. जब फरहाद को पता चला कि शीरी अब इस दुनिया में नहीं रही, तो वह दीवानों की तरह पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया और प्यार में पागल हो कर उस चोटी से कूद गया. फिर जहांजहां उस के खून की बूंदें गिरीं, वहींवहीं सुर्ख ट्यूलिप का फूल खिला. बस तभी से यह इश्क के मतवालों के प्यार का प्रतीक बन गया. वैलेंटाइन डे पर प्रेमी युगल प्यार में मर मिटने के लिए ट्यूलिप गिफ्ट करते हैं.

6. डायमंड

प्यार को दर्शाने के लिए डायमंड यानी हीरे से बढ़ कर तोहफा और क्या हो सकता है. प्यार शिलालेख सा अमिट है. इसे दर्शाने के लिए हीरा एक अनुपम उपहार है. ग्रीक सभ्यता में तो हीरों को देवताओं के टपके हुए आंसू माना गया है. रोमन सभ्यता में इस का गुणगान आसमान से टूटा तारा मान कर किया गया है. बाजार इन मान्यताओं को भुनाने में वक्त नहीं लगाता. वैलेंटाइन डे पर आभूषण की दुकानों पर उपहार में देने के लिए डायमंड लेने की होड़ सी लगी रहती है. यों भी तो कहा जाता है कि जो हीरा पहनता है उस के व्यवहार में एक ठहराव और संतुलन झलकता है. प्रेमिका को इंप्रैस करने का सही दिन है वैलेंटाइन डे और सही तोहफा डायमंड.

7. दिलनुमा शेप के तोहफे

प्यार का इजहार करने का एक अच्छा तरीका यह भी है कि ऐसा कोई भी तोहफा देना जिस पर दिल बना हो. दिल से कीजै दिल की बात. बाजार में रेशमी या फिर वैलवेट कपड़े से बने दिल आकार के छोटेबड़े गिफ्ट बौक्स या डिब्बियां मिल जाती हैं. बाजार से न लेना हो तो अपनी कल्पनाशीलता की उड़ान को पंख दें और मनाएं वैलेंटाइन डे.

Valentine’s Special: बसंत का नीलाभ आसमान- क्या पूरा हुआ नैना का प्यार

लेखक- geetanjali chy

अब यह मौसम का खुमार था या उसकी अल्हड़ उम्र का शूरुर  जो उसे दुनिया बेहिसाब खुबसूरत लग रही थी. जितने रंग फिजाओं में घुले थे उसकी गंध से नैना का हृदय सराबोर था. बसंत के  फूलों से मुकाबला करती नैना की खुबसूरती मौसम के मिज़ाज से भी छेड़खानी करती चलती थी. जब सारा जहाँ जाती हुई ठंड को रूसवा करने के डर से जैकेट डालकर सुबह सुबह घूमने निकलता तब नैना बगैर स्वेटर शाल के बसंती फिजाँ में इठलाती सारे जमाने को अपने जादू में बाँध लेती थी.

दो बहनों में  बड़ी नैना एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी. माँ के सानिध्य से मरहूम नैना अपने पिता के साथ रहती थी.घर की बड़ी बेटी होने के बावजूद उसका बचपना नहीं गया था . बल्कि उसकी छोटी बहन ही कुछ अधिक शान्त, संयम, गम्भीर और बुजुर्ग बनी बैठी रहती. नैना के पिता एक प्रगतिशील व्यक्तित्व के स्वामी थे, जो नैना की हरकतों पर यदाकदा उसे स्नेह भरी फटकार लगा देते थे.

पर नैना भी कहाँ किसी से कम थी सारी डांट फटकार का लेखा जोखा तैयार रखती थी और फिर मौका मिलते ही कभी स्वास्थ्य के लिए उपदेश दे डालती, तो कभी पिता की राजनीति के प्रति दिवानगी को देख कर विद्रोहिनी हो जाती. राजनीति के नाम से नैना को इतनी चिढ़ थी कि वह अपनी सारी नजाकत, खुबसूरती, मासूमियत और शब्दों की मर्यादा को ताक पर रखकर इतनी ढीठ बन जाती कि उसका सारा विद्रोह, सारी झुँझलाहट, मिज़ाज का सारा तीखापन बाहर आ जाता था.

बाप बेटी की इस तकरार से आजिज रहने वाली नताशा अक्सर खिसियाकर कहती  – “राजनीति से इतना प्रेम और घृणा दोनों ही खतरनाक है. नैना तुम जो राजनीति के नाम पर दाँत पीस पीसकर लड़ती हो, तुम्हारी शादी जरूर किसी राजनैतिक परिवार में होगी. ”

इतना सुनने के साथ नैना नताशा पर भड़क जाती और पिता पुत्री का समझौता हो जाता. पर कहते हैं न कि वाणी में माँ सरस्वती का वास होता है. अल्हड़, पवित्र,निश्छल व्यक्तित्व की स्वामिनी नैना कब नैतिक को पसंद आ गयी, इसका अहसास उसे तब हुआ जब शहर के एमएलए नैतिक का रिश्ता नैना के लिए आया.

इस खबर ने जहाँ नैना की आत्मा का गला घोंट दिया था, तो वहीं उसके पिता रसूखदार राजनैतिक परिवार को रिश्ते के लिए मना करने का हौसला नहीं दिखा पाये.विवाह के प्रस्ताव को मना कर तलवार की धार पर चलने का सामर्थ उनमें न था. वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में प्रणय, विवाह और तृप्ति उन्हें ज्यादा प्रासंगिक नजर आ रही थी. वरना होने को तो कुछ भी हो सकता था.

अपने ही कुबोल से कुपित नताशा स्वयं को मुनि का अवतार समझ रही थी. उधर अपने अहर्निश अन्तर्द्वन्द्व में उलझी नैना रोयी, खीझी पर अपने परिवार की खैरियत के लिए एम एल ए से शादी करने को तैयार हो गई. वो अपने इनकार से पिता का दिल नहीं दुखाना चाहती थी. अपने कुढ़न और खीज से छोटी बहन का भविष्य खतरे में नहीं डालना चाहती थी.

नियत समय पर ब्याह सम्पन्न हुआ. एक तो पिता और बहन को छोड़ कर जाने का गम और फिर बेदिली का रिश्ता नैना चुप हो गयी थी. आँसू को छुपाने के लिए नसों के सहारे उन्हें हृदय में उतार देती, पर जब आँसूओं के सैलाब से हृदय डूबने लगता तो आँसू यकबयक पलकों पर उतर आते. मायके से बिदा होकर जब ससुराल आयी तो ऐसा लगा मानों स्वर्ग को किसी ने इन्द्रधनुषों के रंगों से भर दिया हो. पर जब वैभव और ऐश्वर्य के बादलों से झांककर वह नैतिक को देखती तो उसे लगता कि किस्मत ने उसे किसी पाप का दंड दिया है.

नैतिक बाबू गम्भीर और फिलासफर किस्म के इंसान थे. सुदर्शन पुरुष सा आभामंडल उनके यश का कारण था.काम और समाज सेवा की तमाम मसरूफियत के बीच कहीं कोई प्रेमी हृदय तो अवश्य था जिसमें नैना के जिंदादिल व्यक्तित्व ने अपना घर बना लिया था. नैना से विवाह के बाद वह अपनी भावना, प्रणय की कल्पनाओं को व्यक्त कर देना चाहता था, पर नैना के मौन को देख कर डर जाता . जब भी स्नेह भरे स्पर्श की चेष्टा करता, तब नैना की मौन तल्खी से सहसा कटुता और व्यंग्य से उबल उठता.

पहले पहल तो उसे लगा मानों नये परिवेश को आत्मसात नहीं कर पाने की वजह से नैना इस प्रकार का रवैया अपना रही है. परंतु शिघ्र ही नैतिक को नैना के हृदय में उग्र जहरीले काँटों का आभास हो गया. जुबान की तल्ख़ी की चुभन फिर कमजोर हो जाती है, पर नैना की निर्मम उपेक्षा नैतिक को कटुता के जहर से अभिषिक्त कर रही थी.

दो लोग एक साथ जीवन की एक ही समस्या के अंतर्विरोधों में उलझे हुए थे. मन में एक ठहराव आ गया था और वक्त ठहरने का नाम नहीं ले रहा था. नैना के हृदय ने मन से विद्रोह करना शुरू कर दिया था. अब वह जब भी नैतिक को देखती तो उसे वह सुकुमार और पवित्र लगता. नफरत पर भावुकता हावी होने लगी. हृदय और मन नैतिक का अलग अलग मुल्यांकन करता. हृदय को नैतिक देवदूत लगता तो दिमाग को पथभ्रष्ट देवदूत जिसे खरीदने को गुनाहगारों की सारी फौज खड़ी हो.

वहीं नैतिक नैना के तिरस्कार से ज्यादा उसके बदले हुए रूप से गमजदा था. जिस बिंदासपन, जिंदादिली और मस्तमौला अंदाज का वह कायल हो गया था. वही सबकुछ नैना का किसी ने छीन लिया था. उसका दिल और दिमाग बेबस हो रहा था. अपने ही प्यार का निबाह न कर पाने की कसक से वो नैना से दूर हो रहा था.

एक ही घर में दोनों अजनबियों की तरह जी रहे थे और एक ऐसी चाबी की तलाश कर रहे थे, जिसका कोई ताला ही नहीं था. नैना की भावनाएँ, उसका हृदय, उसकी आत्मा, उसके प्राण हार मान लेना चाहते थे, लेकिन उसका मन अब भी अपनी बात पर अड़ा हुआ था. हृदय में प्रेम की कोमल उपस्थिति को मन झल्लाहट और अन्तर्द्वन्द्व से अस्वीकार कर रहा था.

ताज्जुब है कि दिल और दिमाग की रस्साकशी में दिमाग का नियंत्रण खो गया नैना सीढ़ियों से नीचे गिर गई. दोनों टांग टूटने के दर्द से ज्यादा असुरक्षा और अस्वीकार कर दिए जाने की भावना से तड़प उठी. अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी पड़ी न जाने कौन कौन से बुरे ख्यालों से बिंधने लगी. कभी सपना देखती कि नैतिक उसे अपने से दूर कीचड़ में फेंक कर है. तो अगले ही पल पाँवों में तीखे दर्द से सारा बदन काँपने लगता.

सभी आ रहे थे और जल्दी ठीक होने का ढ़ाढ़स देकर चले जा रहे थे. फिर नताशा का भी आना हुआ और आने के साथ बोली ” अरे जीजा जी से सेवा ही करवाना था तो झूठ का बीमार हो जाती. टांगों को कुर्बान करने की क्या जरुरत थी. वैसे भी इतनी हट्टी कट्टी हो तुम्हें उठाना बैठाना कितना मुश्किल होगा बेचारे के लिए. ”

“अच्छा,  सच में.किसी को मेरी भी इतनी चिंता है”नैतिक बोला.

हादसे के बाद नैतिक ने नैना को पल भर भी अकेला नहीं छोड़ा. उसकी हर छोटी बड़ी जरूरत को पूरा करने के क्रम में जो विश्वास और प्रेम की अभिव्यक्ति नैतिक ने की, उसे शब्दों के जामे की जरूरत नहीं थी. नैतिक के मौन अभिव्यक्ति ने नैना के मष्तिष्क की मुर्छा को समाप्त कर दिया था.

और जिस दिन नैना का अस्पताल से डिसचार्ज होने का दिन आया तो नैतिक नैना के लिए गुलाब के फूलों गुलदस्ता ले आया. होंठों में मुसकान और आँखों में शरारत को छिपाते हुए एक गुलाब निकल कर नैतिक को देकर नैना बोली  “हैप्पी वेलेंटाइन डे. ”

और नैतिक हँस पड़ा.दोनों मुसकुरा रहे थे. चेहरे की आभा देखकर लगरहा था जैसे हवाओं में,फिजाओं में बसंत के मौसमी फूलों की खुबसूरती और गंध की बजाये,मोहब्बत के फूल खिलें हों और उसकी गंध से दोनों का तन मन पिघल रहा हो.महीने भर के सानिध्य और दोनों के संबंधों की गर्माहट भरे साथ में वे भी प्रेम के स्पर्श को महसूस कर थे. स्नेह और स्पर्श की ऊष्मा से उनका मन धुलकर ऐसे निखर गया जैसे बसंत का नीलाभ आसमान.

Valentine’s Special: वैलेंटाइन डे पर जीतें उन का दिल

वैलेंटाइन डे पर इस बार क्यों न कुछ अलग प्लान करें. अपने पार्टनर के साथ इस खास दिन को सैलिब्रेट करते वक्त अपने दिन को खुशी और प्यार से भर दें, रोमांस को हवाओं में बहने दें.

इस के लिए इस वैलेंटाइन डे पर अपनी पत्नी या प्रेमिका के लिए नाश्ता बनाने की कोशिश कीजिए और फिर देखिए उस की आंखों की चमक जो इस से पहले आप ने कभी नहीं देखी होगी. उस के सपनों का शहजादा उस की पसंदीदा डिशेज की ट्रे ले कर सामने खड़ा हो, उस में एक गुलाब का फूल भी हो तो बस खुशियों की इस से बढि़या रैसिपी आप के पास कोई हो ही नहीं सकती.

कुछ आसान डिशेज के जरीए अपने पार्टनर का पूरा दिन स्वादिष्ठ सरप्राइजेस से भरने का प्लान बनाएं और प्यार का जादू बिखरने दें.

चीजी लव बाइट

प्यार भरा नाश्ता बना कर अपनी पत्नी या प्रेमिका की सुबह की शुरुआत को शानदार बनाएं. बस फ्रोजन चीज शौट्स को पैन में फ्राई कर मेयो मस्टर्ड डिप के साथ गरमगरम परोसें और उस की सुबह की स्वादिष्ठ शुरुआत करें.

अपने पसंदीदा शैफ के हाथों का बना लजीज नाश्ता करने के बाद अगर 1 कप कौफी भी प्रेमिका या पत्नी को मिल जाए तो इस से ज्यादा खुशी नहीं हो सकती.

नाइट अंडर द स्टार्स

वैलेंटाइन डे पर सितारों की छांव में स्पैशल डिनर का इंतजाम करें, अपने घर की छत या लिविंगरूम में कैंडल जला कर.

पोटैटो वेजेस फ्राई कर के स्वादिष्ठ साइड डिश को तीखी थाई चिली सौस के साथ परोंसे. अपने स्वाद को थोड़ा स्पाइसी बना कर एक खास शाम अपने पार्टनर के साथ बिताएं.

औफिस लंच नोट्स

रिश्ते के शुरुआती दिनों में एकदूसरे को दिए गए सीक्रेट लव नोट्स का वह दौर याद कीजिएगा. फ्रोजन आलू टिक्की को प्यार के साथ फ्राई कर के रैप कर पैक करें, साथ ही पुदीना, नीबू व लहसुन चटनी पैक कर लंच को चटपटा बनाएं. हां, टूथपिक के साथ एक लव नोट लगाना न भूलें. आप की यह रोमांटिक कोशिश उन्हें शाम को जल्दी औफिस से घर खींच लाएगी.

द बैस्ट फार द लास्ट

कोई भी मेन्यू स्वादिष्ठ डैजर्ट के बिना पूरा नहीं होता. डैजर्ट ज्यादा समय लेने वाला पेचीदा काम हो सकता है, लेकिन इस वैलेंटाइन डे पर अपने मेन्यू को मीठे और नमकीन स्वाद से सराबोर होने दें. ये दोनों स्वाद एकदूसरे से बेहद अलग हैं पर इन्हें प्यार के स्वाद से एक कर दीजिए. कुछ फ्रोजन पोटैटो फ्रैंच फ्राइज को फ्राई कर अपने पसंदीदा सिरप में टौस करें. फिर चाहे वह चौकलेट हो, स्ट्रोबैरी हो, माप्ले हो या फिर तीनों का मिक्सचर. इसे और जायकेदार बनाने के लिए ऊपर से थोड़ी व्हिप क्रीम डाल कर एक अनोखे स्वाद वाले सरप्राइज का मजा लें.

 

– शैफ तुषार

 

Serial Story: अंत भला तो सब भला – भाग 2

उसे उतार कर विनय की गाड़ी तेजी से निकल गई. अपने कमरे में आ कर ग्रीष्मा सोचने लगी कि कितने सुलझे इंसान हैं सर. अपने बारे में उन की साफगोई ने उसे अंदर तक प्रभावित कर दिया था… और एक रवींद्र. उस के बारे में सोचते ही उस का मन वितृष्णा से भर उठा. न जाने विनय सर में ऐसा क्या था कि उन से बात करना, मिलना उसे अच्छा लगा था. विनय सर के बारे में सोचतेसोचते ही उस की आंख लग गई.

एक दिन जैसे ही ग्रीष्मा स्कूल पहुंची, चपरासी आ कर बोला, ‘‘मैम, आप को सर बुला रहे हैं.’’ जब वह प्रिंसिपल कक्ष में पहुंची तो विनय सर बोले, ‘‘मैम, बालिका शिक्षा पर कल एक सेमिनार में जाना है…आप जा सकेंगी.’’

‘‘जी सर,’’ उस ने सकुंचाते स्वर में कहा. ‘‘चिंता मत करिए मैं भी चलूंगा साथ में,’’ विनय सर ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा.

‘‘जी सर,’’ कह कर वह जैसे ही कक्ष से बाहर जाने लगी तो विनय सर फिर बोले, ‘‘कल सुबह 10 बजे यहीं से मेरे साथ चलिएगा.’’ ‘‘जी,’’ कह कर वह प्रिंसिपल के कक्ष से बाहर आ गई.

अपनी कक्षा में सीट पर आ कर बैठी तो उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. विनय सर के साथ जाने की कल्पना मात्र से ही वह रोमांचित हो उठी थी. उसे लगने लगा जैसे उस के दिल और दिमाग में एकसाथ अनेक घंटियां बजने लगी हों. फिर अचानक वह तंद्रा से जागी और सोचने लगी कि वह यह नवयुवतियों जैसा क्यों सोच रही है. तभी लंच समाप्त होने की घंटी बज गई और क्लास में बच्चे आ जाने से उस के सोचने पर विराम लग गया. अगले दिन सुबह चंपई रंग की साड़ी पहन, माथे पर छोटी सी बिंदी लगा कर और बालों की ढीली सी चोटी बना कर वह जैसे ही स्कूल पहुंची तो विनय सर उसे बाहर ही मिल गए. उसे देखते ही एकदम बोल पड़े, ‘‘मैडम, आज तो आप बहुत स्मार्ट दिख रही हैं.’’

वह शर्म से लजा गई. सेमिनार के बाद घर पहुंच कर उस ने एक बार नहीं कई बार अपनेआप को आईने में निहारा. सर के एक वाक्य ने उस के दिलदिमाग में प्रेमरस का तूफान जो ला दिया था. अगले दिन सुबह कुणाल के स्कूल में पीटीएम थी. सो जैसे ही तैयार हो कर वह कमरे से बाहर आई तो उसे देखते ही कुणाल बोला, ‘‘मां, कितने दिनों बाद आज आप ने अच्छी साड़ी पहनी है. आप बहुत अच्छी लग रही हो.’’ ‘‘हां बेटा सच में तू आज अच्छी लग रही है,’’ सासूमां ने भी कहा तो उसे सहसा अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ और फिर सोचने लगी कि क्या सारे जमाने को विनय सर की हवा लग गई है जो सब को वह सुंदर लग रही है.

सासूमां की बात सुन कर वह दूसरी बार चौंकी और अंदर जा कर एक बार फिर आईने में खुद को देखा कि कहीं चेहरे पर तो ऐसा कुछ नहीं है जिस से सब को वह सुंदर नजर आ रही है पर अब न जाने क्यों सुबह स्कूल जाते समय अच्छे से तैयार होने का उस का मन करता. विनय सर और उन की बातों से उस के सुसुप्त मन में प्रेमरस की लहरें हिलोरे लेने लगी थीं. विवाह के बाद सजनेसंवरने और प्रेमरस में डूबे रहने की जो भावनाएं रवींद्र के शुष्क व्यवहार के कारण कभी जन्म ही नहीं ले पाई उन के अंकुर अब फूटने लगे थे. इधर वह नोटिस कर रही थी कि विनय सर भी किसी न किसी बहाने से उसे लगभग रोज अपने कैबिन में बुला ही लेते.

एक दिन जब ग्रीष्मा एक छात्र के सिलसिले में विनय सर से मिलने गई तो बोली, ‘‘सर, यह बच्चा पिछले माह से स्कूल नहीं आ रहा है? क्या करूं?’’

‘‘अरे मैडम उस की समस्या मैं हल कर दूंगा. उस के घर का फोन नंबर दीजिए पर यह बताइए आप हमेशा इतनी गुमसुम सी क्यों रहती हैं… जिंदगी एक बार मिलती है उसे खुश हो कर जीएं. जो हो गया है उसे भूल जाइए और आगे बढि़ए. चलिए आज शाम को मेरे साथ कौफी पीजिए. ‘‘मैं… नहींनहीं सर, ये सब ठीक नहीं है… मैं कैसे जा पाऊंगी? आप ही चले जाइएगा.’’

ग्रीष्मा को तो कुछ जवाब ही नहीं सूझ रहा था… जो मन में आया कह कर बाहर जाने के लिए कैबिन का दरवाजा खोला ही था कि विनय सर की आवाज उस के कानों में पड़ी, ‘‘मैं बगल वाले इंडियन कौफी हाउस में शाम 7 बजे आप का इंतजार करूंगा. आना न आना आप की मरजी?’’

इस अनापेक्षित प्रस्ताव से उस की सांसें तेजतेज चलने लगीं. वह तो अच्छा था कि गेम्स का पीरियड होने के कारण बच्चे खेलने गए थे वरना उस की हालत देख कर बच्चे क्या सोचते? बारबार विनय सर के शब्द उस के कानों में गूंज रहे थे. दूसरी ओर मन में अंतर्द्वंद भी था कि यह उसे क्या हो रहा है. जो भावना कभी रवींद्र के लिए भी नहीं जागी वह विनय सर के लिए… विनय सर शाम को इंतजार करेंगे. जाऊं या न जाऊं… वह इसी ऊहापोह में थी कि छुट्टी की घंटी बज गई.

घर आ कर सब को चाय बना कर पिलाई. घड़ी देखी तो 6 बज रहे थे. फिर वह सोचने लगी कि कैसे जाऊं…,मांबाबूजी से क्या कहूं…पर सर…ग्रीष्मा को सोच में बैठा देख कर ससुर बोले, ‘‘क्या बात है बहू क्या सोच रही है?’’ वह हड़बड़ा गई जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. फिर कुछ संयत हो कर बोली. ‘‘कुछ नहीं पिताजी एक सहेली के बेटे का जन्मदिन है. वहां जाना था सो सोच रही थी कि जाऊं या नहीं, क्योंकि लौटतेलौटते देर हो जाएगी.’’

‘‘जा बेटा तेरा भी थोड़ा मन बहलेगा…बस, जल्दी आने की कोशिश करना.’’ ‘‘ठीक है, मैं जल्दी आ जाऊंगी,’’ कह कर उस ने अपना पर्स उठाया और फिर स्कूटी स्टार्ट कर चल दी. स्कूटी चलातेचलाते उसे खुद पर हंसी आने लगी कि कैसे कुंआरी लड़कियों की तरह वह भाग ली. विनय सर का जनून उस पर इस कदर हावी था कि आज पहली बार उस ने कितनी सफाई से ससुर से झूठ बोल दिया.

जैसे ही ग्रीष्मा ने कौफी हाउस में प्रवेश किया विनय सर सामने एक टेबल पर बैठे इंतजार करते मिले. उसे देखते ही बोले, ‘‘मुझे पता था कि आप जरूर आएंगी.’’ ‘‘कैसे?’’

‘‘बस पता था,’’ कुछ रोमांटिक अंदाज में विनय सर बोले, ‘‘बताइए क्या लेंगी कोल्ड या हौट.’’ ‘‘हौट ही ठीक रहेगा,’’ उस ने सकुचाते हुए कहा. ‘‘आप बिलकुल आराम से बैठिए यहां. भूल जाइए कि मैं आप का बौस हूं. यहां हम सिर्फ 2 इंसान हैं. वैसे आप आज भी बहुत सुंदर लग रही. आप इतनी खूबसूरत हैं, योग्य हैं और सब से बड़ी बात आप अपने पति के मातापिता को अपने मातापिता सा मान देती हैं. जो हो गया उसे भूल जाइए और खुल कर बिंदास हो कर जीना सीखिए.’’ ‘‘सर आप को पता नहीं है मेरे पति… और मेरा अतीत…’’ उस ने अपनी ओर से सफाई देनी चाही. ‘‘ग्रीष्मा प्रथम तो तुम्हारा अतीत मुझे पता है. स्टाफ ने मुझे सब बताया है. दूसरे मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता… कब तक आप अतीत को अपने से चिपका कर बैठी रहेंगी. अतीत की कड़वी यादों के साए से अपने वर्तमान को क्यों बिगाड़ रही हैं? जब वर्तमान में प्रसन्न रहेंगी तभी तो आप अपने भविष्य को भी बेहतर बना पाएंगी… मेरी बातों पर विचार करिए और अपने जीने के अंदाज को थोड़ा बदलने की कोशिश करिए.’’

विनय सर ने पहली बार उसे उस के नाम से पुकारा था. वह समझ नहीं पा रही थी कि सर उसे क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं.

आगे पढें- अचानक ग्रीष्मा ने घड़ी पर नजर डाली…

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