Mother’s Day Special: मां भी मैं पापा भी मैं

भारत में सिंगल मदर होना आसान नहीं है. पूरी हिम्मत दिखा कर सिंगल मदर बनने पर महिलाओं को अकसर चुभते सवालों का सामना करना पड़ता है. मसलन, बच्चे के पिता अब कहां हैं? आप लोग साथ क्यों नहीं हैं? अकेले बच्चा पालना बहुत मुश्किल है, सिर पर बाप का साया होना जरूरी है. इस के अलावा स्कूल में बच्चे के दाखिले के समय या कोई सरकारीगैरसरकारी फार्म भरते समय भी पिता का ही नाम पूछा जाता है. भारत में किसी लड़की का बिना शादी किए मां बनना अपराध माना जाता है.

अकेले बच्चा पालना आसान नहीं है. मांपिता दोनों की भूमिका निभानी पड़ती है. बच्चे की सारी जिम्मेदारी अकेले मां के कंधों पर होती है. घर से ले कर बच्चे की बेहतरी का फैसला मां को ही लेना होता है. कई बार ऐसी स्थितियों से जूझतेजूझते मां ओवर स्ट्रैस हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि ऐसी स्थितियों को पनपने का मौका ही न दिया जाए. यह आप के लिए, आप के बच्चे की परवरिश के लिए, आप के परिवार के लिए बेहद जरूरी है. अन्यथा तनाव स्वस्थ माहौल छीन लेगा और सिंगल मदर होने पर आप को अफसोस होगा.

फाइनैंस पर कंट्रोल

कम आय तनाव का अहम कारण होती है. सिंगल पेरैंटिंग के लिए अहम है कि आप को अपनी आय की सही तरीके से बजटिंग करनी आए. कारण आप की कमाई ही पैसे का एकमात्र स्रोत है. मसलन, मकान, बिजली, गैस, पानी आदि की अदायगी, बच्चे की ट्यूशन फीस आदि. यदि बजटिंग करने के बाद आय कम पड़ती है, तो आय के स्रोत बढ़ाने की सोचें. इस के लिए निश्चित आय के अलावा पार्टटाइम जौब, घर पर किराएदार रख कर, किसी कंपनी के लिए फ्रीलांस आदि का काम करें. इस से आप अपने बच्चे को बेहतर परवरिश दे पाएंगी. तब आप को घर की बेहतरी से ले कर बच्चे की हर जरूरत को पूरा करने के लिए मन मसोसना नहीं पड़ेगा.

बातें जारी रहें

आप के घरपरिवार में किसी प्रकार का फेरबदल होने वाला है, तो इस से बच्चे को अनजान न रखें. फेरबदल पर बच्चे की प्रतिक्रिया जानें अन्यथा वह अलगथलग महसूस करेगा.

सहयोग का इस्तेमाल

सिंगल मदर हो कर बच्चे की परवरिश करना आसान नहीं है. जब सारी जिम्मेदारियां आप के कंधे पर होंगी, तो तनाव होना स्वाभाविक है. ऐसे में अपने परिवार वालों व दोस्तों से जानें कि वे आप के लिए कैसे मददगार साबित हो सकते हैं. मसलन, स्कूल बस से बच्चे को पिक करना, रोजाना बच्चे को ट्यूशन या डांस क्लास छोड़ कर आना आदि. जब नौकरी करते हुए बच्चे को कहीं छोड़ने या लाने की जिम्मेदारी आप उठा तो लेंगी, लेकिन काम का हरजा कोई भी संस्थान बरदाश्त नहीं करेगा.

बच्चे को समय दें

बच्चे के लिए आप ही मां व पिता हैं. उसे पिता के प्यार की कमी महसूस न होने दें. बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय दें. उस के साथ खेलें, गानें सुनें, उस की बातें सुनें. याद रहे कि अच्छी परवरिश के लिए आर्थिक मजबूती के अलावा उसे समय देना भी नितांत जरूरी है.

अपने को समय दें

सिंगल मदर होने का यह मतलब नहीं कि आप की पर्सनल लाइफ खत्म हो गई है. सप्ताह में 1 दिन सिर्फ अपने लिए जीएं. अपनी पसंदीदा किताबें पढ़ें, फिल्म देखें, दोस्तों के साथ शौपिंग पर जाएं. अपने शौक को तरजीह दें. अन्यथा एक सी लाइफ से आप उकता जाएंगी.

स्पेस जरूरी है

सिंगल मदर होने के नाते आप का सारा फोकस बच्चे पर रहता है. बच्चा छोटा हो या बड़ा आप उस की हर जरूरत पूरी करने के लिए सदा तैयार रहती हैं. प्यार व अपनत्व की भावना इतनी असीम होती है कि बच्चा दब्बू बन जाता है. साथ ही आप बच्चे के प्रति ओवर पजैसिव हो जाती हैं. ऐसे में स्पेस देना बहुत जरूरी है ताकि बच्चा आत्मनिर्भर बन पाए. निश्चित दिनचर्या: बच्चे को जानकारी दें कि किस समय खाना है, सोना है, खेलना है, पढ़ना है, रोज रात को स्कूल की यूनिफौर्म अलमारी से निकालनी है, बैग सैट करना है आदि. इस से आप को थोड़ी राहत मिलेगी और बच्चे में काम करने की आदत पड़ेगी.

जानकारी अपडेट रखें: आप डाइवोर्सी हैं या सैपरेटेड पेरैंट अथवा सिंगल पेरैंट ऐसे में आप की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि बच्चे को अच्छी आदतों के साथ नियंत्रण में रखा जाए. इस के लिए आप सोशल साइट्स, विविध सर्च इंजन्स, लाइब्रेरी या दोस्तों से गुड पेरैंटिंग की जानकारी लें ताकि आप या बच्चे पर किसी भी प्रकार का तनाव हावी न हो.

बच्चे को बच्चा समझें: कभी न कभी सिंगल पेरैंट होने पर आप अकेला महसूस करती होंगी. इस के लिए बच्चे को कतई पार्टनर का सबस्टिट्यूट न समझें. कोशिश करें कि आप अपने आराम या सहानुभूति के लिए बच्चे पर आश्रित न हों वरना बच्चा मैंटली डैवलप नहीं हो पाएगा.

पौजिटिव रहें: आप का हमेशा सकारात्मक रहना बेहद जरूरी है. नन्ही जान का मूड आप के मूड से अच्छा या खराब होता है. आप खुश रहेंगी तो बच्चा भी हंसेगा, चहकेगा. आप दुखी रहें भी तो बच्चा भी गुस्सैल होते हुए यहांवहां गुस्सा निकालेगा. यह जान लें कि अपनी भावनाओं के प्रति ईमानदार होना जरूरी है. बच्चे को समझाएं कि बुरे समय के बाद अच्छा समय आता है.

अपने प्रति लापरवाही नहीं: अकेले बच्चे की परवरिश करना आसान नहीं है. कई तरह की दिक्कतों से रोजाना रूबरू होना पड़ता. कभी समाज के ताने आप को बेचैन करते होंगे, तो कभी औफिस रहते हुए बच्चे को बसस्टौप से लाने की चिंता तनावग्रस्त करती होगी. इन चिंताओं से दूर रहें. यदि आप चिंता में रहेंगी, तो बच्चे की परवरिश पर इस का बुरा असर पड़ेगा. स्ट्रैस से बचने के लिए ऐक्सरसाइज करें, संतुलित भोजन लें. आराम करें और डाक्टरी जांच नियमित करवाएं. आप फिट होंगी, तभी बच्चे की बेहतर केयर कर पाएंगी.

बेहतर चाइल्ड केयर टेकर खोजें: आप औफिस में हैं, पीछे से बच्चे की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी आप को किसी भरोसेमंद केयर टेकर या मेड को देनी होगी ताकि आप निश्ंिचत हो कर औफिस की जिम्मेदारियां निभा सकें. पलपल आप को यह चिंता न सताए कि बच्चे ने खाना खाया, होमवर्क किया या नहीं, बच्चा बिगड़ तो नहीं रहा. दोपहर में बच्चा समय से आराम करता है या नहीं आदि. बेहतरीन चाइल्ड केयरटेकर या फुलटाइम मेड की खोज आप फैं्रड सर्कल या भरोसेमंद प्लेसमैंट एजेंसी से करें. आप वर्किंग हैं तब केयरटेकर या फुलटाइम मेड नितांत आवश्यक है. कुछ पैसे बचाने के चक्कर में बच्चे को घर पर अकेला न छोड़ें. चाइल्ड केयरटेकर या मेड चाइल्ड केयर में दक्ष होनी चाहिए.

फ्रैंड्स की मदद लें: यदि आप के दोस्त अच्छे, नेक हैं, तो उन से गुजारिश करें कि वे आप की गैरहाजिरी में बीचबीच में बच्चे की खैरखबर लें.

आप की जिम्मेदारी: याद रहे बच्चे की सिंगल मदर आप हैं. ऐसे में बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी आप की है. इसे हमेशा याद रखें. बच्चे की जिम्मेदारी अपने मातापिता या भाईबहन पर न थोपें. हां, आप के अच्छे व्यवहार से वे आप के बच्चे की देखरेख आप की गैरहाजिरी में जरूर कर सकते हैं. आप के बच्चे के पालनपोषण की जिम्मेदारी आप की है, उन की नहीं.

बाहरी मदद लें: लोगों से रिश्ता अच्छा रखें ताकि समय पड़ने पर वे आप की मदद करने में पीछे न रहें. मसलन आप की तबीयत खराब है और बच्चे व घर की जिम्मेदारी आप नहीं निभा पा रहीं तो ऐसे में किसी से मदद लें. इस के लिए आप को व्यवहारकुशल बनना होगा.

कतई झूठ न बोलें : आप डाइवोर्सी हैं तो यह बात अपने बच्चे को जरूर बताएं. आप के बताने से बच्चा पूरा सच जान जाएगा. बाहरी लोगों से पता चलने पर उस के नन्हे दिल पर गहरी ठेस लगेगी. उस पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है.

Mother’s Day Special: ममता का आंगन

विदाई की बेला… हर विवाह समारोह का सबसे भावुक कर देने वाला पल. सुंदर से लहंगे में आभूषणों से लदी  निशा धीरे-धीरे आगे कदम बढ़ा रही थी. आंसुओं से चेहरा भीगा जा रहा था. सहेलियां और भाभियां उलाहना दे रहीं थीं. “अरे इतना रोओगी तो मेकअप धुल जाएगा.” इसी तरह की चुहलबाज़ी हो रही थी.

मगर वह चाह कर भी अपने आंसू नहीं रोक पा रही थी. खुद को दोराहे पर खड़ा महसूस कर रही थी आज वह. सजी-धजी सुंदर सी कार उसे पिया के घर ले जाने के लिए तैयार खड़ी थी. अजय कार में बैठ चुका था. निशा ने कनखियों से देखा तो लगा कि अजय बेसब्री से उसका इंतजार कर रहा था मानो कह रहा हो, “अब बस भी करो निशा! नए घर में भी लोग तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं.”  वह एक कदम आगे बढ़ती तो दो कदम पीछे वाली स्थिति थी. पापा भैया पास में ही खड़े थे. निशा पलट कर पापा के गले लग कर रोने लगी. भाई उसे प्यार से सहला रहा था. मानो पापा से छुड़ाना चाह रहा हो और कह रहा हो,” दीदी, एक नई सुंदर सी दुनिया तुम्हारी प्रतीक्षा में है. उसका स्वागत करो.”

तभी उसने देखा कि मां किसी अपराधिनी दूर खड़ी अपने ढुलकते आंसुओं को छिपाने का असफल प्रयास कर रही थी. दोनों तरफ से स्थिति कमोबेश एक सी ही थी. मां आगे बढ़कर उसे गले लगाने का साहस नहीं कर पा रही थी क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं निशा नाराज़ ना हो जाए. ये अधिकार निशा ने उन्हें आज तक दिया ही नहीं था. इधर निशा भी चाहते हुए ममत्व की  प्यास को सहलाने में नाकाम साबित हो रही थी.  बड़ी ही मुश्किल से मां  धीरे-धीरे आगे आकर खड़ी हो गई. मौसी, बुआ सभी से निशा प्रेम से गले मिल रही थी. तभी अचानक मां के दिल में ठहरा दर्द का सैलाब उमड़ पड़ा और उसे ज़ोर की रुलाई आ गई.

देखकर निशा से रहा नहीं गया. वह मां की तरफ बढ़ी. दोनों मां बेटी इस तरह गले मिलीं जैसे दोनों को एक दूसरे से कोई शिकवा शिकायत ही ना हो. शब्द साथ नहीं दे रहे थे. बस कुछ देर एक दूसरे से लिपट कर दोनों पूर्ण हो गई थी. अब निशा को जाना ही था क्योंकि कार काफी देर से स्टार्ट होकर खड़ी थी.

नए घर में पहुंचकर निशा को बहुत प्यार सम्मान मिला. शुरू के कुछ दिनों में उसे किसी भी काम में हाथ नहीं लगाने दिया. उसकी छोटी प्यारी सी ननद अपनी मां के हर काम में हाथ बंटाती. धीरे धीरे हाथों की मेहंदी का रंग छूटने के साथ-साथ नेहा भी घर परिवार की ज़िम्मेदारियों में शामिल हो गई. जबकि मां के घर में वह कोई भी काम नहीं करती थी मगर ससुराल तो ससुराल ही होता है. शुरुआत में कुछ कठिनाई भी आई.
कई बार वह रो पड़ती थी कि अपनी समस्या किसे बताएं.. क्योंकि अपनी मां को तो उसने पूर्ण रूप से तिरस्कृत किया हुआ था.

मां ने कई बार प्रयास किया था कि निशा घर के थोड़े बहुत काम सीख ले परंतु ढाक के वही तीन पात. जब कुछ छोटी थी तो पापा के लाड प्यार की वजह से और फिर बड़ी होने पर मां से एक अनकही रंजिश होने के नाते. यूं निशा को काम करने में कोई परेशानी नहीं थी परंतु वह मां से कुछ नहीं सीखना चाहती थी. न जाने क्यों उन्हें अपना दुश्मन समझने लगी थी वह.

विवाह को लगभग  बीस दिन बीत चुके थे. निशा की सास उसे एक बड़ा सा डिब्बा देते हुए बोली,”बेटा, यह बाॅक्स तुम्हारी मां ने तुम्हें सरप्राइस के तौर पर दिया है. तुम्हीं इसे खोलना और देखना इसमें क्या है. अपने सारे जेवर डिब्बे में रख देना. लॉकर में रखवा देंगे. घर में  रखना सुरक्षित नहीं होगा.”शाम को जब निशा अपने जेवर डिब्बे में करीने से संभाल रही थी तो उसने वह बाॅक्स  भी खोला. वह देखकर अवाक रह गयी. डिब्बे में सुंदर से सोने और हीरे के जेवरात थे और साथ में एक संक्षिप्त पत्र भी.

यह पत्र उसकी मां रीता ने लिखा था. “प्यारी निशा, तुम्हारे पापा का मुझसे शादी करने का मकसद सिर्फ इतना था कि उनकी अनुपस्थिति में मैं तुम्हारी देखभाल कर सकूं. अब तुम्हारा विवाह हो चुका है. समय के साथ धीरे धीरे समझ जाओगी कि एक पिता के लिए अकेले संतान को पालना कितना मुश्किल होता है. मां तो सिर्फ मां होती है. यह सौतेला शब्द तो हमारे समाज ने ही गढ़ा है. पूर्वाग्रह से ग्रसित यह भावना किसी स्त्री को जाने समझे बगैर ही खलनायिका बना देती है. तुम्हारा विदाई के समय मुझसे लिपटना मुझे उम्र भर की खुशी दे गया. मेरा बचपन भी कुछ तुम्हारी ही तरह बीता है.  सदा सुखी रहना. अपनी मां से मिलने कब आ रही हो.”

वह सोच में पड़ गई. उसकी आंखों से आंसू बहने लगे. उसे  इन गहनों में से ममत्व की सुगंध आने लगी. वह काफी देर तक उन्हें देखती रही. इनमें से कुछ गहने उसकी अपनी मां के थे और अधिकतर नई मां के, जिसे उसने मां तो कभी माना ही नहीं.

दरअसल, निशा के जीवन में दुखद मोड़ तब आया जब बारह वर्ष की उम्र में उसकी मां की मृत्यु हो गई थी. लाड प्यार से पली इकलौती संतान कुदरत के इस अन्याय को सहने की समझ भी नहीं रखती थी. पिता राजेश भी परेशान. एक तो पत्नी की असमय मृत्यु का ग़म, दूसरा बारह साल की बिटिया को पालने की ज़िम्मेदारी. ऐसी कच्ची उम्र जब बच्चे कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजरते हैं, एक पिता के लिए बहुत ही मुश्किल हो जाता है ऐसे में खासकर बिटिया का लालन पालन करना.

कुछ लोगों ने सलाह दी कि वह निशा की मौसी से विवाह कर ले.
क्योंकि अपनी बहन की संतान को जितने प्यार से वह पालेगी,  ऐसा कोई दूसरी महिला नहीं कर सकती. परंतु निशा की मौसी उसके पिता से उम्र में बहुत छोटी थी इसलिए राजेश जी को यह मंजूर नहीं था. खैर, समय की मांग को देखते हुए रीता के साथ निशा के पिता राजेश का पुनर्विवाह सादे समारोह में हो गया.
मां को गए अभी सिर्फ एक ही साल हुआ था. निशा की यादों में मां की हर बात जिंदा थी. इकलौती संतान होने की वजह से माता पिता का संपूर्ण प्यार उसी पर निछावर था.

राजेश ने रीता के साथ विवाह तो किया परंतु निशा को किसी भी मनोवैज्ञानिक संकट में वह नहीं डालना चाहते थे. रीता भी ख़ुद  बहुत समझदार थी. इधर निशा भावनात्मक मानसिक और शारीरिक तौर पर आने वाले बदलावों से गुजर रही थी. मां उसे भावनात्मक सहारा देने का भरसक प्रयास करती  परंतु निशा हर बार मां को ठुकरा देती है. अकेली अकेली उदास सी रहती थी वह. नई मां कभी पिता से हंसकर,खिलाकर बात करती तो निशा परेशान हो उठती. उसे लगता कि इस महिला ने आकर उसकी मां की जगह ले ली है.

निशा की मां की साड़ियां राजेश के कहने पर अगर रीता ने पहन लीं तो निशा आग बबूला हो उठती. यह सब देख कर रीता ने अपने आप को बहुत  संयमित कर लिया था. वह नहीं चाहती थी कि किशोरावस्था में किसी बच्चे के दिमाग पर कोई गलत असर पड़े. समय के साथ साथ निशा का अकेलापन दूर करने के लिए एक छोटा भाई आ चुका था. आश्चर्य कि छोटे भाई से निशा को कोई शिकायत नहीं थी. वह उसके साथ खेलती और अब थोड़ा खुश रहने लगी थी. लेकिन मां के प्रति अपने व्यवहार को वह नहीं बदल पाई थी.

बाईस वर्ष की उम्र पूरी होने पर घरवालों से विचार विमर्श के बाद निशा का विवाह तय कर दिया गया. निशा ने भी कोई अरुचि नहीं दिखाई. वह तो मानो नई मां से छुटकारा पाना चाहती थी.
आज इन गहनों को संभालते वक्त वह सोचने लगी कि अपनी मां की साड़ी तक वह  नई  मां को नहीं पहने देती थी और इस अनचाही मां ने तो उसे खूब लाड प्यार से पाला. कभी अपने बेटे और उसमें कोई फर्क नहीं किया. विवाह के समय अपनी सुंदर कीमती साड़ियां और भारी गहने सब उसी को सौंप दिए, जैसा कोई असली मां करती है.

तभी सासु मां ने उसे आवाज देकर दरवाज़े पर अपनी उपस्थिति का एहसास कराया. निशा का उदासीन चेहरा देखकर वह बोली,”अरे बेटा, क्या बात है…? मैंने लॉकर वाली बात कहकर तुम्हारा दिल तो नहीं दुखाया.. दरअसल घर में इतना कीमती सामान रखना असुरक्षित है इसीलिए मैंने ऐसा कह दिया.”
“अरे नहीं मम्मी, ऐसी बात नहीं है.” कहकर वह अटक गई.
आगे और कहती भी क्या..? कैसे कह देती कि जिस मां ने अपना सर्वस्व उसके लालन-पालन में लुटा दिया उससे वह इतनी नफ़रत करती थी कि पश्चात करने की भी कोई राह ही नहीं सूझ रही है .

खैर, सासू मां समझदार थी. सब जानते हुए भी वे अनजान ही बनी रहीं. इधर निशा के अंदर उधेड़बुन चलती रही. शाम को अजय आकर बोला,”अगले दो-तीन दिन में हम तुम्हारे घर मम्मी पापा से मिलने चल रहे हैं.” दरअसल अजय की मां ने ही उसे निशा को मां के घर ले जाने की सलाह दी थी. वह धीरे से बोली, “ठीक है.” मगर मन ही मन बड़ी शर्मिंदा हो रही थी कि कैसे सामना करूंगी मां का.

अगले दिन सुबह मौसी का फोन आया. निशा आत्मग्लानि से भरी हुई थी. उसने मौसी से मां का जिक्र किया. तब मौसी ने ही उसे बताया कि अजय के साथ उसका विवाह उसकी मां रीता ने ही तय किया था. दरअसल अजय की मां रीता की बचपन की सहेली थी. अजय की मां का विवाह तो समय से हो गया परंतु यह रीता का दुर्भाग्य था कि बहुत ही छोटी उम्र में उसकी मां की मृत्यु हो गई. पिता ने दूसरा विवाह नहीं किया. पारिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर खुद ही अपनी बेटी को पालने की ज़िम्मेदारी ली. परिवार के बीच में रीता की परवरिश तो ठीक-ठाक हो गई परंतु उसके विवाह में देरी होती रही. क्योंकि दादा दादी की मृत्यु हो चुकी थी . ताऊ ताई अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो गए थे .अब रह गए थे रीता और उसके पिता. वह पिता को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहती थी.

अधिक उम्र हो जाने पर भी लड़की के लिए लड़का मिलना कभी-कभी मुश्किल काम साबित हो जाता है. इसीलिए जब राजेश की पहली पत्नी की मृत्यु हुई, तब रीता का विवाह उनके साथ इस शर्त पर हुआ कि उनकी बेटी निशा को अपनी बेटी की मान कर पालेगी. और रीता ने यह ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई. कुछ वर्ष बाद अपना बेटा होने के बावजूद भी उसने दोनों बच्चों में कभी कोई फर्क नहीं किया. और आज भी यह रीता ही थी जिसने निशा का रिश्ता अपनी सहेली के बेटे अजय से करवाया था ताकि वह स्वयं अपनी बेटी के भविष्य को लेकर आशान्वित रहे. परंतु यह बात परिवार के किसी भी सदस्य ने निशा को नहीं बताई थी क्योंकि उसे तो नई मां से अत्यधिक बैर था. फिर वह ये बात कैसे बर्दाश्त करती…?
यह जानकार निशा अत्यधिक दुखी और शर्मिंदा थी. उसने साहस करके मां को फोन मिलाया. उधर से मां की प्यारी सी आवाज़ आई,” बेटा, रिश्तो को सहेजने की कोई उम्र नहीं होती. जब भी अवसर मिले, इन्हें संवार लो.”
शायद मां इससे आगे कुछ नहीं बोल पाई और इधर निशा मायके जाने की तैयारी में जुट गई. क्योंकि उधर ममता का आंगन बांह  पसारे उसके इंतज़ार में था.

Mother’s Day Special: अमेरिकन बेटा- क्या मां को समझ पाया डेविड

9ईवा टूट चुकी थी. उस का ट्यूमर लास्ट स्टेज पर था और वह चंद महीनों की मेहमान थी.

रीता एक दिन अपनी अमेरिकन मित्र ईवा से मिलने उस के घर गई थी, रीता भारतीय मूल की अमेरिकन नागरिक थी. वह अमेरिका के टैक्सास राज्य के ह्यूस्टन शहर में रहती थी. रीता का जन्म अमेरिका में ही हुआ था. जब वह कालेज में थी, उस की मां का देहांत हो गया था. उस के पिता कुछ दिनों के लिए भारत आए थे, उसी बीच हार्ट अटैक से उन की मौत हो गई थी.

रीता और ईवा दोनों बचपन की सहेलियां थीं. दोनों की स्कूल और कालेज की पढ़ाई साथ हुई थी. रीता की शादी अभी तक नहीं हुई थी जबकि ईवा शादीशुदा थी. उस का 3 साल का एक बेटा था डेविड. ईवा का पति रिचर्ड अमेरिकन आर्मी में था और उस समय अफगानिस्तान युद्ध में गया था.

शाम का समय था. ईवा ने ही फोन कर रीता को बुलाया था. शनिवार छुट्टी का दिन था. रीता भी अकेले बोर ही हो रही थी. दोनों सखियां गप मार रही थीं. तभी दरवाजे पर बूटों की आवाज हुई और कौलबैल बजी. अमेरिकन आर्मी के 2 औफिसर्स उस के घर आए थे. ईवा उन को देखते ही भयभीत हो गई थी, क्योंकि घर पर फुल यूनिफौर्म में आर्मी वालों का आना अकसर वीरगति प्राप्त सैनिकों की सूचना ही लाता है. वे डेविड की मृत्यु का संदेश ले कर आए थे और यह भी कि शहीद डेविड का शव कल दोपहर तक ईवा के घर पहुंच जाएगा. ईवा को काटो तो खून नहीं. उस का रोतेरोते बुरा हाल था. अचानक ऐसी घटना की कल्पना उस ने नहीं की थी.

रीता ने ईवा को काफी देर तक गले से लगाए रखा. उसे ढांढ़स बंधाया, उस के आंसू पोंछे. इस बीच ईवा का बेटा डेविड, जो कुछ देर पहले कार्टून देख रहा था, भी पास आ गया. रीता ने उसे भी अपनी गोद में ले लिया. ईवा और रिचर्ड दोनों के मातापिता नहीं थे. उन के भाईबहन थे. समाचार सुन कर वे भी आए थे, पर अंतिम क्रिया निबटा कर चले गए. उन्होंने जाते समय ईवा से कहा कि किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो बताओ, पर उस ने फिलहाल मना कर दिया था.

ईवा जौब में थी. वह औफिस जाते समय बेटे को डेकेयर में छोड़ जाती और दोपहर बाद उसे वापस लौटते वक्त पिक कर लेती थी. इधर, रीता ईवा के यहां अब ज्यादा समय बिताती थी, अकसर रात में उसी के यहां रुक जाती. डेविड को वह बहुत प्यार करती थी, वह भी ईवा से काफी घुलमिल गया था. इस तरह 2 साल बीत गए.

इस बीच रीता की जिंदगी में प्रदीप आया, दोनों ने कुछ महीने डेटिंग पर बिताए, फिर शादी का फैसला किया. प्रदीप भी भारतीय मूल का अमेरिकन था और एक आईटी कंपनी में काम करता था. रीता और प्रदीप दोनों ही ईवा के घर अकसर जाते थे.

कुछ महीनों बाद ईवा बीमार रहने लगी थी. उसे अकसर सिर में जोर का दर्द, चक्कर, कमजोरी और उलटी होती थी. डाक्टर्स को ब्रेन ट्यूमर का शक था. कुछ टैस्ट किए गए. टैस्ट रिपोर्ट्स लेने के लिए ईवा के साथ रीता और प्रदीप दोनों गए थे. डाक्टर ने बताया कि ईवा का ब्रेन ट्यूमर लास्ट स्टेज पर है और वह अब चंद महीनों की मेहमान है. यह सुन कर ईवा टूट चुकी थी, उस ने रीता से कहा, ‘‘मेरी मृत्यु के बाद मेरा बेटा डेविड अनाथ हो जाएगा. मुझे अपने किसी रिश्तेदार पर भरोसा नहीं है. क्या तुम डेविड के बड़ा होने तक उस की जिम्मेदारी ले सकती हो?’’

रीता और प्रदीप दोनों एकदूसरे का मुंह देखने लगे. उन्होंने ऐसी परिस्थिति की कल्पना भी नहीं की थी. तभी ईवा बोली, ‘‘देखो रीता, वैसे कोई हक तो नहीं है तुम पर कि डेविड की देखभाल की जिम्मेदारी तुम्हें दूं पर 25 वर्षों से

हम एकदूसरे को भलीभांति जानते हैं. एकदूसरे के सुखदुख में साथ रहे हैं, इसीलिए तुम से रिक्वैस्ट की.’’

दरअसल, रीता प्रदीप से डेटिंग के बाद प्रैग्नैंट हो गई थी और दोनों जल्दी ही शादी करने जा रहे थे. इसलिए इस जिम्मेदारी को लेने में वे थोड़ा झिझक रहे थे. तभी प्रदीप बोला, ‘‘ईवा, डोंट वरी. हम लोग मैनेज कर लेंगे.’’

ईवा ने आंसू पोंछते हुए कहा, ‘‘थैंक्स डियर. रीता क्या तुम एक प्रौमिस करोगी?’’ रीता ने स्वीकृति में सिर हिलाया और ईवा से गले लगते हुए कहा, ‘‘तुम अब डेविड की चिंता छोड़ दो. अब वह मेरी और प्रदीप की जिम्मेदारी है.’’

ईवा बोली, ‘‘थैंक्स, बोथ औफ यू. मैं अपनी प्रौपर्टी और बैंक डिपौजिट्स की पावर औफ अटौर्नी तुम दोनों के नाम कर दूंगी. डेविड के एडल्ट होने तक इस की देखभाल तुम लोग करोगे. तुम्हें डेविड के लिए पैसों की चिंता नहीं करनी होगी, प्रौमिस.’’

रीता और प्रदीप ने प्रौमिस किया. और फिर रीता ने अपनी प्रैग्नैंसी की बात बताते हुए कहा, ‘‘हम लोग इसीलिए थोड़ा चिंतित थे. शादी, प्रैग्नैंसी और डेविड सब एकसाथ.’’

ईवा बोली, ‘‘मुबारक हो तुम दोनों को. यह अच्छा ही है डेविड को एक भाई या बहन मिल जाएगी.’’

2 सप्ताह बाद रीता और प्रदीप ने शादी कर ली. डेविड तो पहले से ही रीता से काफी घुलमिल चुका था. अब प्रदीप भी उसे काफी प्यार करने लगा था. ईवा ने छोटे से डेविड को समझाना शुरू कर दिया था कि वह अगर बहुत दूर चली जाए, जहां से वह लौट कर न आ सके, तो रीता और प्रदीप के साथ रहना और उन्हें परेशान मत करना. पता नहीं डेविड ईवा की बातों को कितना समझ रहा था, पर अपना सिर बारबार हिला कर हां करता और मां के सीने से चिपक जाता था.

3 महीने के अंदर ही ईवा का निधन हो गया. रीता ने ईवा के घर को रैंट पर दे कर डेविड को अपने घर में शिफ्ट करा लिया. शुरू के कुछ दिनों तक तो डेविड उदास रहता था, पर रीता और प्रदीप दोनों का प्यार पा कर धीरेधीरे नौर्मल हो गया.

रीता ने एक बच्चे को जन्म दिया. उस का नाम अनुज रखा गया. अनुज के जन्म के कुछ दिनों बाद तक ईवा उसी के साथ व्यस्त रही थी. डेविड कुछ अकेला और उदास दिखता था. रीता ने उसे अपने पास बुला कर प्यार किया और कहा, ‘‘तुम्हारे लिए छोटा भाई लाई हूं. कुछ ही महीनों में तुम इस के साथ बात कर सकोगे और फिर बाद में इस के साथ खेल भी सकते हो.’’

रीता और प्रदीप ने डेविड की देखभाल में कोई कमी नहीं की थी. अनुज भी अब चलने लगा था. घर में वह डेविड के पीछेपीछे लगा रहता था. डेविड के खानपान व रहनसहन पर भारतीय संस्कृति की स्पष्ट छाप थी. शुरू में तो वह रीता को रीता आंटी कहता था, पर बाद में अनुज को मम्मी कहते देख वह भी मम्मी ही कहने लगा था. शुरू के कुछ महीनों तक डेविड की मामी और चाचा उस से मिलने आते थे, पर बाद में उन्होंने आना बंद कर दिया था.

डेविड अब बड़ा हो गया था और कालेज में पढ़ रहा था. रीता ने उस से कहा कि वह अपना बैंक अकाउंट खुद औपरेट किया करे, लेकिन डेविड ने मना कर दिया और कहा कि आप की बहू आने तक आप को ही सबकुछ देखना होगा. रीता भी डेविड के जवाब से खुश हुई थी. अनुज कालेज के फाइनल ईयर में था.

3 वर्षों बाद डेविड को वेस्टकोस्ट, कैलिफोर्निया में नौकरी मिली. वह रीता से बोला, ‘‘मम्मी, कैलिफोर्निया तो दूसरे छोर पर है. 5 घंटे तो प्लेन से जाने में लग जाते हैं. आप से बहुत दूर चला जाऊंगा. आप कहें तो यह नौकरी जौइन ही न करूं. इधर टैक्सास में ही ट्राई करता हूं.’’

रीता ने कहा, ‘‘बेटे, अगर यह नौकरी तुम्हें पसंद है तो जरूर जाओ.’’

प्रदीप ने भी उसे यही सलाह दी. डेविड के जाते समय रीता बोली, ‘‘तुम अब अपना बैंक अकाउंट संभालो.’’

डेविड बोला ‘‘क्या मम्मी, कुछ दिन और तुम्हीं देखो यह सब. कम से कम मेरी शादी तक. वैसे भी आप का दिया क्रैडिट कार्ड तो है ही मेरे पास. मैं जानता हूं मुझे पैसों की कमी नहीं होगी.’’

रीता ने पूछा कि शादी कब करोगे तो वह बोला, ‘‘मेरी गर्लफ्रैंड भी कैलिफोर्निया की ही है. यहां ह्यूस्टन में राइस यूनिवर्सिटी में पढ़ने आई थी. वह भी अब कैलिफोर्निया जा रही है.’’

रीता बोली, ‘‘अच्छा बच्चू, तो यह राज है तेरे कैलिफोर्निया जाने का?’’

डेविड बोला, ‘‘नो मम्मी, नौट ऐट औल. तुम ऐसा बोलोगी तो मैं नहीं जाऊंगा. वैसे, मैं तुम्हें सरप्राइज देने वाला था.’’

‘‘नहीं, तुम कैलिफोर्निया जाओ, मैं ने यों ही कहा था. वैसे, तुम क्या सरप्राइज देने वाले हो.’’

‘‘मेरी गर्लफ्रैंड भी इंडियन अमेरिकन है. मगर तुम उसे पसंद करोगी, तभी शादी की बात होगी.’’

रीता बोली, ‘‘तुम ने नापतोल कर ही पसंद किया होगा, मुझे पूरा भरोसा है.’’

इसी बीच अनुज भी वहां आया. वह बोला, ‘‘मैं ने देखा है भैया की गर्लफ्रैंड को. उस का नाम प्रिया है. डेविड और प्रिया दोनों को लाइब्रेरी में अनेक बार देर तक साथ देखा है. देखनेसुनने में बहुत अच्छी लगती है.’’

डेविड कैलिफोर्निया चला गया.

उस के जाने के कुछ महीनों बाद

ही प्रदीप का सीरियस रोड ऐक्सिडैंट हो गया था. उस की लोअर बौडी को लकवा मार गया था. वह अब बिस्तर पर ही था. डेविड खबर मिलते ही तुरंत आया. एक सप्ताह रुक कर प्रदीप के लिए घर पर ही नर्स रख दी. नर्स दिनभर घर पर देखभाल करती थी और शाम के बाद रीता देखती थीं.

रीता को पहले से ही ब्लडप्रैशर की शिकायत थी. प्रदीप के अपंग होने के कारण वह अंदर ही अंदर बहुत दुखी और चिंतित रहती थी. उसे एक माइल्ड अटैक भी पड़ गया, तब डेविड और प्रिया दोनों मिलने आए थे. रीता और प्रदीप दोनों ने उन्हें जल्द ही शादी करने की सलाह दी. वे दोनों तो इस के लिए तैयार हो कर ही आए थे.

शादी के बाद रीता ने डेविड को उस की प्रौपर्टी और बैंक डिपौजिट्स के पेपर सौंप दिए. डेविड और प्रिया कुछ दिनों बाद लौट गए थे. इधर अनुज भी कालेज के फाइनल ईयर में था. पर रीता और प्रदीप दोनों ने महसूस किया कि डेविड उतनी दूर रह कर भी उन का हमेशा खयाल रखता है, जबकि उन का अपना बेटा, बस, औपचारिकताभर निभाता है. इसी बीच, रीता को दूसरा हार्ट अटैक पड़ा, डेविड इस बार अकेले मिलने आया था. प्रिया प्रैग्नैंसी के कारण नहीं आ सकी थी. रीता को 2 स्टेंट हार्ट के आर्टरी में लगाने पड़े थे, पर डाक्टर ने बताया था कि उस के हार्ट की मसल्स बहुत कमजोर हो गई हैं. सावधानी बरतनी होगी. किसी प्रकार की चिंता जानलेवा हो सकती है.

रीता ने डेविड से कहा, ‘‘मुझे तो प्रदीप की चिंता हो रही है. रातरात भर नींद नहीं आती है. मेरे बाद इन का क्या होगा? अनुज तो उतना ध्यान नहीं देता हमारी ओर.’’

डेविड बोला, ‘‘मम्मी, अनुज की तुम बिलकुल चिंता न करो. तुम को भी कुछ नहीं होगा, बस, चिंता छोड़ दो. चिंता करना तुम्हारे लिए खतरनाक है. आप, आराम करो.’’

कुछ महीने बाद थैंक्सगिविंग की छुट्टियों में डेविड और प्रिया रीता के पास आए. साथ में उन का 4 महीने का बेटा भी आया. रीता और प्रदीप दोनों ही बहुत खुश थे. इसी बीच रीता को मैसिव हार्ट अटैक हुआ. आईसीयू में भरती थी. डेविड, प्रिया और अनुज तीनों उस के पास थे. डाक्टर बोल गया कि रीता की हालत नाजुक है. डाक्टर ने मरीज से बातचीत न करने को भी कहा.

रीता ने डाक्टर से कहा, ‘‘अब अंतिम समय में तो अपने बच्चों से थोड़ी देर बात करने दो डाक्टर, प्लीज.’’

फिर रीता किसी तरह डेविड से बोल पाई, ‘‘मुझे अपनी चिंता नहीं है. पर प्रदीप का क्या होगा?’’ डेविड बोला, ‘‘मम्मी, तुम चुप रहो. परेशान मत हो.’’  वहीं अनुज बोला, ‘‘मम्मा, यहां अच्छे ओल्डएज होम्स हैं. हम पापा को वहां शिफ्ट कर देंगे. हम लोग पापा से बीचबीच में मिलते रहेंगे.’’

ओल्डएज होम्स का नाम सुनते ही रीता की आंखों से आंसू गिरने लगे. उसे अपने बेटे से बाप के लिए ऐसी सोच की कतई उम्मीद नहीं थी. उस की सांसें और धड़कन काफी तेज हो गईं.

डेविड अनुज को डांट रहा था, प्रिया ने कहा, ‘‘मम्मी, जब से आप की तबीयत बिगड़ी है, हम लोग भी पापा को ले कर चिंतित हैं. हम लोगों ने आप को और पापा को कैलिफोर्निया में अपने साथ रखने का फैसला किया है. वहां आप लोगों की जरूरतों के लिए खास इंतजाम कर रखा है. बस, आप यहां से ठीक हो कर निकलें, बाकी आगे सब डेविड और मैं संभाल लेंगे.’’

रीता ने डेविड और प्रिया दोनों को अपने पास बुलाया, उन के हाथ पकड़ कर कुछ कहने की कोशिश कर रही थी, उस की सांसें बहुत तेज हो गईं. अनुज दौड़ कर डाक्टर को बुलाने गया. इस बीच रीता किसी तरह टूटतीफूटती बोली में बोली, ‘‘अब मुझे कोई चिंता नहीं है. चैन से मर सकूंगी. मेरा प्यारा अमेरिकन बेटा.’’ इस के आगे वह कुछ नहीं बोल सकी.

जब तक अनुज डाक्टर के साथ आया, रीता की सांसें रुक चुकी थीं. डाक्टर ने चैक कर रहा, ‘‘शी इज नो मोर.’’

Mother’s Day Special: कंगारू केयर से प्रीमेच्योर बेबी को बचाएं, कुछ ऐसे

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ हर साल, विश्व की तुलना में सबसे अधिक प्रीमेच्योर जन्म लेने वाले बच्चे की मृत्यु होती है, इसकी वजह गर्भधारण के बाद से मां को सही पोषण न मिलना, गर्भधारण के बाद भी मां का वजनी काम करना, प्रीमच्योर बच्चा जन्म लेने के बाद आधुनिक तकनीकी व्यवस्था का अस्पताल में न होना आदि कई है. इसके अलावा कुछ प्रीमेच्योर बच्चे एक महिना ही जीवित रह पाते है. ऐसे में कंगारू केयर नवजात शिशु के लिए वरदान से अधिक कुछ भी नहीं है.

तकनीक है आसान

इस बारें में नियोनेटोलॉजी चैप्टर, इंडियन एकेडेमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नवीन बजाज ‘इंटरनेशनल कंगारू केयर अवेयरनेस डे’ पर कहते है कि कंगारू केयर प्रीमेच्योर और नवजात शिशुओं के देखभाल की एक तकनीक है. अधिकतर जिन शिशुओं का जन्म समय से पहले होने पर वज़न कम हो, उनके लिए कंगारू केयर का प्रयोग किया जाता है. इसमें बच्चे को माता-पिता के खुले सीने से चिपकाकर रखा जाता है, जिससे पैरेंट की त्वचा से शिशु की त्वचा का सीधा संपर्क होता रहता है, जो बहुत प्रभावशाली होने के साथ-साथ प्रयोग में भी आसान होता है और शिशु का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. इस तकनीक को समय से पहले या समय पूरा होने के बाद पैदा हुए सभी बच्चों की अच्छी देखभाल के लिए कंगारू केयर लाभकारी होता है.

जरुरी है स्वस्थ और हायजिन होना

इसके आगे डॉ.नवीन कहते है कि कंगारू केयर तकनीक से शिशु की देखभाल के लिए सबसे सही व्यक्ति उसकी मां होती है, लेकिन कई बार कुछ वजह से मां बच्चे को कंगारू केयर नहीं दे पाती, ऐसे में पिता या परिवार का कोई भी करीबी सदस्य, जो बच्चे की जिम्मेदारी सम्हाल सकें, मसलन भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, चाची, मौसी, बुआ, चाचा आदि में से कोई भी बच्चे को कंगारू केयर देकर मां की जिम्मेदारी का कुछ भाग बाँट सकते है. इसके अलावा कंगारू केयर दे रहे व्यक्ति को स्वच्छता के कुछ सामान्य मानकों का पालन करना आवश्यक होता है, जैसे हर दिन नहाना, साफ़ कपड़ें पहनना, हाथों को नियमित रूप से धोकर स्वच्छ रखना, हाथों के नाख़ून कटे हुए और साफ़ होना आदि बहुत जरूरी होता है.

कब शुरू करें कंगारू केयर

डॉक्टर का मानना है कि कंगारू केयर या त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक की शुरूआत बच्चे के जन्म से ही करनी चाहिए और आगे पूरी पोस्टपार्टम अवधि तक इसे जारी रखा जा सकता है. इस तकनीक की इस्तेमाल की अवधि शुरूआत में कम रखनी चाहिए. पहले 30 से 60 मिनट, इसके बाद धीरे-धीरे मां को इसकी आदत पड़ जाने इस तकनीक के इस्तेमाल का आत्मविश्वास मां में आ जाने पर जितना हो सकें, उतने लंबे समय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. खास कर कम वज़न के शिशुओं के लिए कंगारू केयर की अवधि जितनी ज़्यादा हो, उतनी अच्छी होती है, बच्चे को कंगारू केयर देते हुए मां खुद भी आराम कर सकती है या आधा लेटकर सो सकती है.

कंगारू केयर की प्रक्रिया

मां के स्तनों के बीच शिशु को रखना चाहिए, उसका सिर एक तरफ झुका हो, ताकि उसे साँस लेने में आसानी हो. बच्चे का पेट मां के पेट के ऊपरी भाग से चिपका हो, हाथ और पैर मुड़े हुए हो. शिशु को बेस देने के लिए स्वच्छ, सूती कपड़ा या कंगारू बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है. समय से पहले पैदा हुए या कम वज़न के बच्चों की देखभाल के लिए कंगारू केयर की शुरूआत हुई, लेकिन समय पूरा होकर पैदा हुए या सही वज़न के बच्चों के लिए भी यह तकनीक लाभकारी है.

पिता और कंगारू केयर का संपर्क

डॉक्टर बजाज आगे कहते है कि माताओं की तरह, पिता भी त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक से बच्चे की देखभाल कर सकते है. यह शिशु और पिता दोनों के लिए फायदेमंद है. पिता के लिए कुछ प्रमुख लाभ यह है कि वे बच्चे की देखभाल अच्छी तरह से कर सकेंगे और अपने आप को असहाय महसूस नहीं करेंगे. इससे शिशु और पिता के बीच अपनापन बढ़ता है और बच्चे की देखभाल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा पाने की ख़ुशी पिता को मिलती है, ये तकनीक पिता को बच्चे के भूख और तनाव के संकेतों को समझने में भी मदद करती है. जब पिता कंगारू केयर दे रहे हो, तब मां आराम कर सकती है और बच्चे की अच्छी देखभाल के लिए अपनी ऊर्जा और उत्साह को बनाए रख सकती है. कंगारू केयर के फायदे निम्न है,

• शिशु की अच्छी देखभाल और उसमें अपनेपन का एहसास स्टाब्लिश करने का यह सबसे बेहतरीन तरीका है. इस तकनीक से देखभाल किए गए बच्चों का अपने मातापिता के साथ जुड़ाव काफी करीबी रहता है,
• त्वचा से त्वचा का संपर्क होने से मस्तिष्क के विकास और भावनात्मक संबंधों के निर्माण को बढ़ावा मिलता है, आँखों से आँखों का कॉन्टैक्ट होते रहने से, प्यार, अपनापन और विश्वास से सामाजिक प्रतिभा का भी विकास होने में मदद मिलती है,
• इस तकनीक के इस्तेमाल से स्तनपान को भी बढ़ावा मिलता है, बच्चा और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, इसके अलावा बच्चे के पोषण और विकास में स्तनपान का योगदान महत्वपूर्ण होता है,
• साथ ही सर्दियों में कम वज़न के बच्चों में बच्चे के शरीर के तापमान को स्थिर रखा जाता है,
• इस तकनीक से देखभाल किए गए बच्चों का वज़न अच्छे से बढ़ता है, वे लंबे समय तक शांत सोते हैं, जागने पर भी शांत रहते हैं और रोते भी कम है.
• इसके अलावा कंगारू केयर तकनीक से देखभाल किए जाने वाले बच्चें ज़्यादा स्वस्थ, ज़्यादा होशियार होते हैं और अपने परिवार के प्रति उनके मन में ज़्यादा अपनापन होता है. यह तकनीक शिशु के साथ-साथ मां, परिवार, समाज और पूरे देश के लिए लाभकारी है.
इसलिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनजेशन और चिकित्सकों ने सलाह दी है कि सभी बच्चों के लिए कंगारू केयर तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि बच्चे का विकास सही तरीके से हो सकें.

Mother’s Day Special: मां को दें स्किन केयर से जुड़ा ये तोहफा

एक मां अपने बच्चे की खुशी के लिए क्या कुछ नहीं करती. कभी उस के लिए अपनी नींद से समझता करती है, तो कभी उस के लिए खुद भूखी रह जाती है. उस के कहीं बाहर जाने पर उस के इंतजार में बैठी रहती है. बच्चे की एक डिमांड पर वह अपनी सारी थकान को भूल कर उस की डिमांड को पूरा करने में जुट जाती है.

दुनियाभर से उस के लिए फाइट करने में भी पीछे नहीं रहती. उस की खुशी के लिए अपनी सारी खुशियां कुरबान करने के लिए तैयार हो जाती है.

भले ही हम मां को बहुत कुछ नहीं दे सकते, लेकिन मदर्स डे एक बेटी होने के नाते आप अपनी मां की इनर ब्यूटी की तरह आउटर ब्यूटी को बैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स गिफ्ट में दे कर निखार सकती हैं क्योंकि वह खुद को हमेशा टिपटौप तो रखना पसंद करती है, लेकिन परिवार व बच्चों से हमेशा घिरी रहने के कारण खुद को संवारने पर ध्यान ही नहीं देती है. ऐसे में आप के ये गिफ्ट्स मां के चेहरे पर मुसकान लाने के काम करेंगे. तो आइए जानते हैं कैसे:

1 फेशिअल केयर बौक्स

अपने चेहरे को निखारना व अपनी खूबसूरती की तारीफ बटोरना हर मौम को अच्छा लगता है. लेकिन घरपरिवार में बिजी रहने के चक्कर में व पैसों के कारण हमेशा खुद की स्किन से समझता कर ही लेती हैं. ऐसे में आप उन्हें इस मदर्स डे पर फेशियल केयर बौक्स गिफ्ट कर के उन के होंठों पर मुसकान लौटाने के साथसाथ उन के चेहरे की खोई रौनक को भी लौटा सकती हैं क्योंकि इस बौक्स में होता है फेशियल क्लींजर, टोनर, पैक से ले कर नाइट ट्रीटमैंट क्रीम तक और सन प्रोटैक्शन देने वाला सनस्क्रीन भी जो उन की स्किन को क्लीन, डैड स्किन को रिमूव करने के साथसाथ फेस पर ग्लो तो लाएगा ही, साथ ही स्किन पर एजिंग को भी कम करने का काम करता है.

नाइट क्रीम स्किन को लंबे समय तक हाइड्रेट रखने के साथसाथ स्किन सैल्स को रिपेयर करने का भी काम करती है. ऐसे में आप मार्केट से फौरैस्ट ऐसैंशियल की फेशियल केयर किट, जस्ट हर्ब की फेशियल केयर, मामा एअर्थ की किट खरीद सकती हैं. ये बजट में होने के साथसाथ स्किन पर काफी अमेजिंग असर भी दिखाने का काम करती हैं.

2 एम टू पीएम स्किन केयर रूटीन

एक मां पैसों की बचत के लिए अपने डेली स्किनकेयर रूटीन से समझता कर लेती है. उसे लगता है कि इस से भले ही ज्यादा नहीं, लेकिन थोड़ीबहुत बजट तो होगा ही. इस के लिए वह फेसवाश की जगह फेस पर साबुन को भी अप्लाई करने में झिझकती नहीं है. जबकि बढ़ती उम्र में स्किन की खास केयर की जरूरत होती है.

साबुन का ऐल्कलाइन नेचर फेस के नैचुरल मौइस्चर को चुरा कर फेस को ड्राई बनाने का काम करता है, जिस से फेस फलेकी यहां तक कि स्किन पर ब्रेकाउट्स तक हो जाते हैं, जबकि फेसवाश स्किन के पीएच लैवल को बैलेंस में रखने का काम करता है और अगर उस में ह्यलुरोनिक ऐसिड हो, फिर तो स्किन की ड्राइनैस दूर होने के साथसाथ फाइन लाइंस व झर्रियों की समस्या भी जल्दी दूर हो जाती है, साथ ही इस के बाद विटामिंस व ह्यलुरोनिक ऐसिड रिच फेस क्रीम स्किन को मौइस्चराइज करने के साथसाथ स्किन को ब्राइट बनाने का भी काम करती है.

ऐसे में आप इन इनग्रीडिएंट्स से युक्त फेसवाश व फेस क्रीम के मार्केट में मिलने वाले ब्रैंडेड पैक्स को मौम को गिफ्ट दे कर उन को स्किन की केयर का खास गिफ्ट दे सकती हैं.

3 कोलेजन मास्क

हमारे शरीर की तरह हमारी स्किन को भी सुपर फूड की जरूरत होती है. ऐसे में आप की मौम की स्किन के लिए कोलेजन मास्क सुपर फूड है. कोलेजन हमारी स्किन का मेन स्ट्रक्चर है, जो प्रोटीन का बना होता है और इस के बेहतर संतुलन से ही हमारी स्किन टाइट, ग्लोइंग और एजिंग से बची रहती है. लेकिन मौम्स इस बात को भूल जाती हैं कि बढ़ती उम्र व स्किन की केयर नहीं करने के कारण स्किन अपना कोलेजन खोने लगती है, जिस से वह समय से पहले बूढ़ी दिखने लगती है.

ऐसे में कोलेजन मास्क आप की मां की स्किन से गंदगी व डैड स्किन सैल्स को रिमूव कर के स्किन को क्लीयर व सौफ्ट बनाने का काम करता है, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को भी इंप्रूव करने में मददगार होता है. इस से स्किन टाइट भी होती है, जो स्किन पर एजिंग को कम कर के व आंखों के आसपास के डार्कसर्कल्स को रिमूव कर के उसे यंग दिखाने का काम करती है.

इस स्पैशल डे मौम को दें कोलेजन मास्क गिफ्ट में ताकि आप की मौम अंदर व बाहर दोनों जगह से हमेशा यंग बनी रहें. इस के लिए आप मार्केट से इनटुर कोलेजन फेशियल मास्क, द डर्मा कंपनी का कोलेजन मास्क व इसी तरह आप को और भी ब्रैंडेड कंपनी के कोलेजन फेस मास्क मिल जाएंगे, जिन्हें दे कर आप अपनी मौम की स्किन को फिर से यंग बना सकती हैं.

4 फेस सीरम

आप मां को फेस सीरम जैसा यूजफुल ब्यूटी प्रोडक्ट गिफ्ट दें क्योंकि यह आसानी से स्किन में अब्सौर्ब होने के साथ इजी टू यूज मी है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप की मौम को किस तरह की स्किन प्रौब्लम है. जैसे अगर स्किन में कोलेजन और इलास्टिक ब्रैंड को टूटने से बचाने के लिए उन के लिए ऐसा सीरम लें, जिस में रेटिनोल व ऐंटीऔक्सीडैंट्स मौजूद हों.

वहीं फ्री रैडिकल्स डैमेज की समस्या के लिए कौफी इन्फुसेड सीरम गिफ्ट में दें और अगर उन के चेहरे पर दागधब्बे व पिगमैंटेशन की समस्या हो, तो विटामिन सी युक्त सीरम गिफ्ट में दें. इसी के साथ अगर उन का चेहरा हमेशा ड्राईड्राई रहता है तो उन्हें ह्यालूरोनिक ऐसिड युक्त सीरम गिफ्ट में दें.

5 लिपस्टिक किट

अकसर हम सभी ने देखा है कि मौम के पास 1 या फिर ज्यादा से ज्यादा 2 लिपस्टिक ही होती हैं, जिन्हें वे हर पार्टी, फंक्शन में रिपीट करती हैं. बहुत बार तो वे सस्ते के चक्कर में ब्रैंड को भी इग्नोर कर के लोकल ब्रैंड की लिपस्टिक खरीद लेती हैं, जिस से उन्हें उन की पसंद का शेड तो मिल जाता है, लेकिन इस से उन के लिप्स पर कई बार टैनिंग तक हो जाती है.

लेकिन फिर भी वे इसे इग्नोर कर देती हैं. ऐसे में आप इस मदर्स डे पर उन्हें लिपस्टिक किट गिफ्ट कर सकती हैं, जिस में मैट, ग्लौसी हर तरह की लिपस्टिक हो ताकि जब मन करे वे अपनी ड्रैस के साथ मैच कर लगा लें. साथ ही ब्रैंडेड लिपस्टिक उन के लिप्स की ड्राइनैस व पिगमैंटेशन को भी कम करने का काम करती है यानी साथसाथ लिप ट्रीटमैंट भी मिल जाता है. यही नहीं वे इन्हें लिप्स पर लगाने के साथसाथ चिक्स को भी हाईलाइट कर सकती हैं. इस के लिए लैक्मे, स्विस ब्यूटी, नायका, शुगर कौस्मैटिक, जस्ट हर्ब्स जैसे ब्रैंड्स चूज कर सकती हैं.

यकीन मानिए इतने स्पैशल डे पर ये गिफ्ट पा कर वे खुशी से झम उठेंगी और आप भी उन की खुशी को देख कर मुसकराए बिना नहीं रह पाएंगी.

6 हेयर ट्रीटमैंट के लिए हेयर किट

मौम्स अपने बच्चों की केयर में तो कोई भी लापरवाही नहीं बरतती हैं, लेकिन जब उन की अपनी केयर की बात आती है तो वे सब से ज्यादा लापरवाह हो जाती हैं जैसे प्रौपर डाइट नहीं लेने की वजह से, प्रदूषण, सूर्य की हानिकारक किरणों की वजह से हेयर फौल की समस्या के साथसाथ बालों का मौइस्चर भी खत्म होने के कारण बाल डल व बेजान लगने लगते हैं, जो उन की सुंदरता को कम करने का काम करते हैं. फिर भी वे एक ही शैंपू पर टिकी रहती हैं ताकि बजट न बिगड़ जाए  या फिर यह सोचती हैं कि उन्हें देखने वाला ही कौन है, जो इतनी केयर करें.

ऐसे में आप उन्हें हेयर ट्रीटमैंट गिफ्ट में दे कर उन की खोई सुंदरता को लौटा सकती हैं. इस के लिए आप उन्हें हेयर मास्क गिफ्ट करने के साथसाथ हेयर किट भी दे सकती हैं, जिस में यूजफुल इनग्रीडिएंट्स से बने शैंपू, कंडीशनर, स्क्रब, हेयर मास्क आदि हों, जो उन के बालों को फुल केयर देने का काम करते हैं. शैंपू, कंडीशनर के साथसाथ स्क्रब व हेयर मास्क बालों की केयर के लिए बहुत ही जरूरी प्रोडक्ट है क्योंकि जहां स्क्त्रब स्कैल्प से गंदगी व डैड स्किन को रिमूव करता है, वहीं हेयर मास्क बालों को मजबूती देने के साथसाथ उन्हें सौफ्ट, शाइनी व मौइस्चराइज करने का काम भी करता है.

ऐसे में आप उन्हें एम कैफीन, मामाएअर्थ, वाओ जैसे ब्रैंड्स के हेयर प्रोडक्ट्स गिफ्ट में दे कर उन के बालों को घर बैठे केयर दे कर खूबसूरत बना सकती हैं.

7 रिंकल क्रीम

उम्र बढ़ने के साथसाथ आंखों के नीचे काले घेरे होने के साथसाथ चेहरे पर झर्रियां व फाइन लाइंस की समस्या देखने को मिलती है, जो सुंदरता में तो कमी लाने का काम करती ही है, साथ ही केयर के आभाव में हमारी मौम को समय से पहले बूढ़ा दिखाने का भी काम करती है.

ऐसे में चीजों में इतनी अधिक घिरी रहने के कारण कई बार वे घरेलू नुसखों को भी अपने फेस पर अप्लाई करने में लापरवाही करने लगती हैं. ऐसे में आप उन की सुंदरता व जवानी को फिर से जवां बनाए रखने के लिए उन्हें इस खास दिन पर  रिंकल क्रीम गिफ्ट कर सकती हैं, जिस के बारे में अकसर आप से पूछती होंगी या फिर आप के रिंकल क्रीम के बारे में जिक्र करने पर वे उस का प्राइस पूछ कर चुप हो जाती होंगी. ऐसे में यह गिफ्ट उन के लिए खास होगा क्योंकि उन की बेटी ने उन का इतना ध्यान जो रखा है.

Mother’s Day Special: मदर्स डे पर कुछ ऐसा हो आपकी मदर का मेकओवर

मदर्स डे आने में अब कुछ ही दिन बचे है ऐसे में आप अपनी मदर को स्पेशल फील कराने के लिए कुछ न कुछ तो जरूर कर रहे होंगे कोई मदरस डे अपनी माँ को फूल गिफ्ट करेंगा, कोई ब्यूटीफुल ड्रेस, कोई मेकअप प्रोडक्ट्स, कोई अच्छी सी पार्टी देगा, कोई मूवी दिखाने ले जाएगा ऐसे में मां के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना आपके साथ आपकी मदर को बहुत अच्छा लगेगा अगर आप इस ओकेजन के लिए उनको एक खूबसूरत मेकओवर भी दें और उनके मेकअप और लुक को क्रिएट करने  में उनकी मदद करें, और उन्हें स्पेशल फील करवाएं तो उनको और भी अच्छा लगेगा. जब आप खुद उन्हे तैयार करेंगी और घुमाने ले जाएँगी तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा. इस खास ओकेजन में आइये जाने कि मदर्स डे आप अपनी मदर के लिए कैसा मेकअप कर सकती हैं और उन्हे एक फ्रेश लुक दे सकती हैं.

ब्यूटी एक्सपर्ट रिचा अग्रवाल कुछ ऐसे टिप्स आपकी मदर्स के लिए शेयर कर रही हैं जिससे वो एक समर रेडी और पार्टी रेडी लुक अचीव कर सकती हैं.

 मॉइश्चराइजिंग

स्किन को यूथफुल और खिला-खिला रखने के लिए स्किन को हाइड्रेट रखना बहुत ज़रूरी है, इसके लिए सबसे पहले तैयार होने से पहले चेहरे को मॉइस्चराइज़ ज़रूर करें, इससे स्किन फ्रेश भी दिखेगी और साथ ही मेकअप भी अच्छे से ब्लेंड होगा.

अंडर आई क्रीम 

इसके साथ ही आँखों के नीचे के एरिया में अंडर आई क्रीम का इस्तेमाल ज़रूर करें, इससे पहले आई क्रीम को पैच टेस्ट कर के ज़रूर देख लें. अंडर आई क्रीम लगाने के बाद मेकअप बेस ज़रूर लगाए, इससे अंडर आई पफीनेस, डार्क सर्कल्स आदि कवर हो जाएंगे.

वाटरप्रूफ कंसीलर और फाउंडेशन

इसके बाद पूरे चेहरे पर फेस कंसीलर और या फिर फाउंडेशन लगाएं और खूब अच्छी तरह से ब्रश से ब्लेंड करें, चेहरे पर बेस लगाते हुए आप गर्दन पर भी बेस को अच्छे से स्प्रे करें. समर के लिए एसपीएफ युक्त लाइट और ऑयल फ्री फाउंडेशन ही लगाए.जिससे स्किन चिपचिपी नहीं दिखेगी और साथ ही सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी आप अपनी स्किन को प्रोटेक्ट रख पाएंगी.

फॉर लॉन्ग लास्टिंग मेकअप

अगर आप चाहती हैं की मेकअप  इवन लगे तो मेकअप से पहले स्किन पर आइस रब ज़रूर कर लें. इसके उपयोग से आपकी स्किन ऑयली और चिपचिपी नहीं दिखेगी.  साथ ही स्किन सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से  भी बची रहेगी. क्यूंकि गर्मियों का समय  तो आप आयल फ्री मॉस्चराइज़र का ही इस्तेमाल करें, और यदि आपको एक्ने और पिम्पल्स आदि की समस्या रहती है तो आप जेल बेस्ड मॉइस्चराइज़र भी लगा सकती हैं.

आई मेकअप

अपनी मां का वाटरप्रूफ आई मेकअप ही करें इसके बाद आँखों पर माइल्ड मेकअप कर सकते हैं, आइब्रो को शेप में रखने के लिए ब्रश की मदद से आई ब्रो के बाल सेट करें और फिर फिलर से आई ब्रो फिल  करे, डार्क ब्लैक कलर का इस्तेमाल ना करें और इसकी जगह डार्क ब्राउन कलर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

 आई शैडो हो खास

इसके बाद आँखों पर माइल्ड ब्राउन या पीच कलर का आई  शैडो लगाएं जो स्किन के टोन से एक टोन डार्क हो. समर में हैवी आई मेकअप करने से परहेज़ ही करें क्यूंकि आई मेकअप करते समय आईशैडो के लिए लाइट व न्यूट्रल शेड्स चुनें.  समर में आई मेकअप को फैलने से बचाने के लिए आप वाटरप्रूफ आई मेकअप का इस्तेमाल करें और सारे मेकअप को वाटरप्रूफ रखे. इवनिंग पार्टी का मेकअप हो बाइब्रेंट अगर आप इवनिंग पार्टी को एन्जॉय कर रही हैं , तो आई मेकअप के लिए हल्के ब्राइट शेड्स या फिर थोड़े वाइब्रंट शेड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. इवनिंग पार्टी में आई मेकअप के लिए ग्रे,  नेवी ब्लू जैसे शेड्स बहुत अच्छे दिखते हैं और इन शेड्स स्मोकी आई मेकअप इस्तेमाल कर सकते हैं.

इसके बाद आप अपने आई ब्रोस को हाईलाइट ज़रूर करें, आप लाइनर को स्किप भी कर सकते हैं और गर्मियों का समय है तो काजल भी स्किप करें, और सिंगल कोट मस्कारा लगा सकती हैं और आई लाश कर्लर का इस्तेमाल कर सकते हैं. समर में फ्रेश लुक के लिए आप ब्लैक का इस्तेमाल ना करते हुए  सॉफ्ट ब्राउन कलर का  मस्कारा लगाएं और आप चाहे तो आप ट्रांसपेरेंट मस्कारा भी लगा सकती हैं जो आर्टिफिशल नहीं लगेगा और नेचुरल दिखेगा और साथ ही आपकी आई लेसेज भी घनी दिखेंगी.

ब्लशर और लिपस्टिक के कलर को करें कोऑर्डिनेट

स्किन से एक टोन डार्क ब्लशर का इस्तेमाल करें, और लिपस्टिक भी ब्लशर से मिलते हुए कलर की ही लगाए. लिपस्टिक लगाने से पहले लिप लाइनर से शेप दें और फिर अपने लिप्स को उससे फिल कर दें, गर्मियों का समय है तो हल्के शेड की लिपस्टिक का ही चयन करें आप लिपस्टिक के लिए पीच, पिंक, लाईट ब्राऊन कलर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं , और इसके ऊपर लिप ग्लॉस ज़रूर लगा लें.  याद रखे समर में लाईट मेकअप करें जिससे आप और अधिक यंग और फ्रेश नज़र आएंगी.  आप चाहे तो समर में लिपस्टिक की जगह सिर्फ लिप ग्लॉस ही अप्लाई कर सकते हैं. समर में ऑरेंज और कोरल कलर्स अप्लाई करें क्यूंकि डीप और हैवी कलर्स इस मौसम में अच्छे नहीं लगते.करें नेचुरल मेकअप सेटर का इस्तेमाल करें.

मेकअप में ले ब्लॉटिंग पेपर की मदद

आप चाहती हैं की मेकअप स्किन पर ज़्यादा देर तक टिके तो फिर मेकअप पूरा होने के बाद आधे फ़ीट की दूरी से पानी का स्प्रे सिर्फ एक सेकंड के लिए कर दें यह नेचुरल मेकअप सेटर का काम करेगा आपकी स्किन पर. इसके साथ ही आप अपने पास ब्लॉटिंग पेपर ज़रूर रखे ताकि आप एक्सेस आयल को समय समय पर ब्लॉटिंग पेपर की मदद से हटा सके.

हेयर स्टाइल

इस ओकेजन पर और गर्मी को देखते हुए आपकी मां का हेयर स्टाइल ऐसा हो जिससे वह कंफरटेबल हो  आप हाई बन बना कर खूबसूरत स्टाइल दे सकती हैं.इसके अलावा ये स्टाइल भी अपना सकती है.

फ्रेंच बन

ये स्टाइल दिखने में जितना स्‍टाइलिश होता है उतना कंफरटेबल भी , यह गर्मी के दिनों में बालों को बिखरने से भी बचाए रखता है. इससे गर्मी भी कम लगती है. इसे बनाते समय बालों को घुमाते हुए ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है और जूड़ा पिन की मदद से अंदर की ओर दबाकर लॉक कर दिया जाता है.

फिश टेल स्‍टाइल

अगर आपके बाल लंबे है तो आपके लिए ये हेयर स्‍टाइल बेहतरीन है. इस हेयर स्‍टाइल की मदद से आपके बाल समेटे रहेंगे और बार बार खुलेंगे नहीं. फिश टेल बनाने में भले ही थोड़ा मेहनत है लेकिन एक बार बनाने के बाद आप चाहें तो पूरे दो दिन चोटी बनाने से बच सकती हैं. इसे बनाते समय कई बारीक लेयरिंग की जाती है.

आउटफिट्स भी हो स्टाइलिश

आप मदर्स डे के दिन अपनी मां के साथ मैचिंग आउटफिट्स भी स्टाइल कर सकती हैं. आजकल ट्विनिंग ड्रेसेस का काफी ट्रेंड देखा जा रहा है, जिसे आप भी अपनी मां के साथ स्टाइल कर सकती हैं. आप अपनी मां को शरारा सूट, प्लाजो सूट वियर करा सकती है इसके अलावा यंग और स्मार्ट लुक के लिए लांग वन पीस अपनी मैचिंग का भी पहन सकती है इससे मां-बेटी का लुक और बॉन्डिंग और भी स्ट्रांग लगेगी.

Mother’s Day Special: बढ़ती बेटियों को दें ये ब्यूटी मंत्र

पार्टी से घर लौट सोनम जब अपने बैडरूम में घुसी, तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गई. ड्रैसिंगटेबल पर कौस्मैटिक का सामान बिखरा पड़ा था और उस की 13 वर्ष की बेटी आलिया सजधज कर खुद को आईने में निहार रही थी. गुस्से में तमतमाई सोनम ने आलिया के गाल पर थप्पड़ जड़ते हुए कहा कि ये कोई बच्चों के इस्तेमाल की चीजें नहीं हैं.

यह वाक्या था पहले के जमाने की मम्मी का. मगर आजकल की मम्मियां ऐसी नहीं होती हैं. वे खुद तो सजतीसंवरती हैं ही, साथ ही अपनी बेटी को भी कौस्मैटिक्स के इस्तेमाल से नहीं रोकतीं खासतौर पर जब लड़कियां टीनऐजर हो जाती हैं, तो अपनी मांओं को यों सजतेसंवरते देख कर उन का मन भी उन चीजों को इस्तेमाल करने को करने लगता है.

इस बारे में कौस्मैटोलौजिस्ट एवं माइंड थेरैपिस्ट अवलीन खोकर कहती हैं, ‘‘आजकल स्कूलों में बहुत सारी ऐक्टिविटीज होती रहती हैं और उन में बच्चों को सजाने और प्रेजैंटेबल दिखाने के लिए मेकअप का इस्तेमाल किया जाता है. इस के अतिरिक्त आजकल टीवी सीरियल्स और फिल्मों में भी कम उम्र की ऐक्ट्रैसेज और मौडल्स दिख रही हैं. 13 से 16 वर्ष की उम्र ऐसी होती है, जब लड़कियां अपने लुक्स पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती हैं. यह उम्र फिल्म ऐक्ट्रैसेज और मौडल्स को कुछ ज्यादा ही प्रभावित करती है.

‘‘फिल्म या सीरियल में कौन सा नया लुक आया है, उसे आजमाने से मां भी अपनी बेटी को नहीं रोक सकती, क्योंकि वह खुद भी उस लुक को खुद पर आजमा रही होती है. ऐसे में बेटी को लगता है कि जब मां कर रही हैं, तो मैं भी कर सकती हूं. बस यही बात मांओं को अपनी बेटियों को समझानी है कि हर वह प्रोडक्ट, जो मां इस्तेमाल कर रही हैं उसे उन की बेटी इस्तेमाल नहीं कर सकती, क्योंकि उस की त्वचा अभी कैमिकल्स की हार्डनैस को झेलने लायक नहीं बनी है.

मांओं को भी पता होना चाहिए कि उन की बेटी की त्वचा पर कौन से प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं. बहुत जरूरी है कि बच्चे की त्वचा पर कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पूर्व उस पर लिखी इनग्रीडिएंट्स पर गौर कर लिया जाए. उत्पाद यदि डर्मेटोलौजिस्ट द्वारा अप्रूव्ड है, उस में सल्फैटिक ऐसिड और मिंट एजेंट हैं, तब ही उस उत्पाद को अपनी बेटी की त्वचा पर इस्तेमाल करें. जिन प्रोडक्ट्स में पैराबीन, पैथोलेट्स ट्रिक्लोसन, पर्कोलेट जैसे तत्त्व होते हैं उन्हें कभी बच्चे को इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि ये त्वचा को ड्राई करते हैं और ऐक्ने की समस्या को बढ़ाते हैं.

फेयरनैस क्रीम का भ्रम

इस उम्र की लड़कियों में खासकर सांवली लड़कियों में फेयरनैस क्रीम का बहुत क्रेज होता है. बाजार में भी फेयरनैस क्रीम के इतने विकल्प मौजूद हैं कि किसी एक का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आंख मूंद कर और ब्रैंड के भरोसे क्रीम खरीदना और उस के इस्तेमाल के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता. लेकिन इस संबंध में अवलीन की मानें तो स्किन कलर मैलानिन से बनता है. यह कुदरती होता है. हां, इसे निखारा जरूर जा सकता है. कोई भी क्रीम डस्की स्किन को फेयर नहीं बना सकती. यह सिर्फ कौस्मैटिक सर्जरी के द्वारा ही संभव है, जो इस उम्र की लड़कियों को तो बिलकुल नहीं करानी चाहिए. हां, त्वचा के रंग को निखारने के लिए मांओं को अपनी बेटियों पर ये टिप्स जरूर आजमाने चाहिए:

– धूप में निकलें या न निकलें दिन में रोज 3 बार चेहरे को साफ कर के सनस्क्रीन जरूर लगाएं. दरअसल, जब त्वचा सूर्य के संपर्क में आती है, तो उस में मैलानिन बनने लगता है, जिस से त्वचा की रंगत डल होती जाती है. सनस्क्रीन त्वचा के लिए सुरक्षाकवच का काम करता है. यह त्वचा में मैलानिन बनने से रोकता है. सुबह स्कूल जाते वक्त बेटी को सनस्क्रीन जरूर लगाने को कहें. यदि बेटी की त्वचा औयली है, तो उसे जैल बेस्ड सनस्क्रीन लगाने को कहें. ध्यान रखें कौस्मैटिक ब्रैंड्स का सनस्क्रीन लेने की जगह मैडिकेटिड सनस्क्रीन को बेटी के लिए चुनें. कौस्मेस्यूटिकल सनस्क्रीन लेने से बचें. जब बेटी घर आए तब भी उसे सनस्क्रीन लगाने को कहें, क्योंकि ट्यूबलाइट और बल्ब में भी अल्ट्रावायलेट किरणें होती हैं, जो त्वचा में मैलानिन बनाती हैं.

– अधिकतर मांएं बेटी की रंगत को निखारने के लिए अखबारों और टीवी पर आने वाले फेयरनैस क्रीम के विज्ञापनों से भ्रमित हो महंगीमहंगी क्रीमें खरीद तो लेती हैं, लेकिन उन का असर बेटी की त्वचा पर नहीं दिखता. अत:बारबार क्रीमें बदलने से बेहतर है कि जो भी क्रीम खरीदें उस के पैक पर लिखी इनग्रीडिएंट्स को पढ़ लें. दरअसल, ब्लीच एजेंट, हाइड्रोक्यानिक और कोजिक ऐसिड वाली फेयरनैस क्रीम लेने की जगह लाइकोरिस, नियासिनेमाइड और ऐलोवेरा युक्त फेयरनैस क्रीमें ही खरीदें. ये चेहरे की रंगत को एक लैवल फेयर कर देती हैं.

त्वचा के टैक्स्चर को पहचानें

इस उम्र की लगभग सभी लड़कियों को मासिकधर्म शुरू हो जाता है. इस से उन में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जिन का असर त्वचा पर भी पड़ता है.

साउथ दिल्ली स्थित द स्किन सैंटर के डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर वरुण कतियाल कहते हैं, ‘‘त्वचा का टैक्स्चर 4 तरह का होता है- औयली, नौर्मल, कौंबिनेशन और सैंसिटिव. यदि आप अपनी बेटी के स्किन टैक्स्चर को पहचानना चाहती हैं, तो सुबह जब वह सो कर उठे तो उस के चहरे के टी जोन और यू जोन पर एक टिशू पेपर लगाएं. देखें कि कहां ज्यादा औयल है. यदि टी और यू दोनों जोन पर औयल है, तो त्वचा औयली है, यदि टी पर औयल है और यू पर नहीं, तो त्वचा का टैक्स्चर कौंबिनेशन है.

‘‘बाजार में हर त्वचा के हिसाब से प्रोडक्ट उपलब्ध हैं. फिर भी हर प्रोडक्ट के पीछे लिखा होता है कि प्रोडक्ट कोमैडोजेनिक है या नौनकोमैडोजेनिक है. कभी भी बेटी को कोमैडोजेनिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि यह त्वचा के पोर्स ब्लौक कर देता है, जिस से मुंहासे होने का डर रहता है.’’

खुशबूदार उत्पाद हैं नुकसानदायक

इस उम्र के बच्चे रंग और खुशबू से बहुत प्रभावित होते हैं खासकर लड़कियां. उन्हें इस बात का भ्रम होता है कि रंग और खुशबू के असर से उन की त्वचा खूबसूरत हो जाएगी. लेकिन असल में यही नुकसानदायक होते हैं. एक मां ही अपनी बेटी को यह समझा सकती है कि यह उम्र सिर्फ त्वचा की ठीक तरह से सफाई करने की है न कि उसे आर्टिफिशियल लुक देने की.

इस बाबत एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के कंसल्टैंट डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर अमित बांगिया कहते हैं, ‘‘बाजार में बहुत सारे उत्पाद आते हैं और उन पर लिखा होता है  कि यह उत्पाद ऐलोवेरा, रोजमैरी, जैसमिन या फिर कोकोनट युक्त है. साथ ही उन उत्पादों से वैसी ही खुशबू भी आ रही होती है. लेकिन असल में खुशबू वाले उत्पादों में केवल ऐसेंस और कैमिकल्स के अलावा कुछ नहीं होता है. इतना ही नहीं, ये फ्रैगरैंस वाले उत्पाद आप की बेटी के ऐस्ट्रोजन हारमोन को भी प्रभावित करते हैं, जिस से वह चिड़चिड़ी हो सकती है और उस का वजन भी बढ़ सकता है. त्वचा पर जो असर पड़ता है वह अलग. इसलिए बाजार में उपलब्ध और्गेनिक उत्पादों का ही इस्तेमाल बेटी की त्वचा पर करें.

Mother’s Day Special: माई मौम माई दीवा

‘‘सुबह 5 बजे का अलार्म बजा नहीं कि मम्मी तुरंत उठ खड़ी होतीं. फिर जब वे हमें उठाने लगती हैं तो हम सब हर बार बस 5 मिनट और सोने दो कह कर उन्हें रूम से चले जाने का इशारा कर देते हैं. जब तक हम उठते हैं हमें लंच व ब्रेकफास्ट तैयार मिलता है. तैयार होते भी हम मां से कभी जूते लाने को कहते हैं तो कभी कहते हैं मां प्लीज मेरी ड्रैस प्रैस कर दो. ‘‘हम ही नहीं पापा व घर के अन्य सदस्यों की भी इस तरह की फरमाइशें जारी रहती हैं. मां चेहरे पर मुसकान लिए खुशीखुशी हम सब की फरमाइशें पूरी कर देती हैं, जबकि उन्हें खुद भी औफिस जाना होता है. मगर वे जानती हैं कि खुद के साथसाथ परिवार की सारी चीजों को कैसे मैनेज कर के चलना है.

‘‘घर की सारी जरूरतें पूरी करने के बाद उन्हें अपने औफिस भी जाना होता है. कभीकभी तो मुझे आश्चर्य होता है कि इतने व्यवस्थित तरीके से वे ये सब कैसे मैनेज करती हैं. मैं भी उन से सीख कर उन के जैसा बनना चाहती हूं. सच में मौम सिर्फ एक परफैक्ट वूमन

नहीं, बल्कि मेरी स्ट्रैंथ भी हैं और उन्हीं से मैं आयरन की तरह मजबूत बन जीवन जीने का व्यवस्थित तरीका भी सीख रही हूं,’’ यह कहना है 17 वर्षीया रिया का. फिटनैस से नो कंप्रोमाइज अगर औफिस पहुंचने की जल्दी के चक्कर में हैल्थ को इग्नोर किया तो आगे चल कर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए सुबह की सैर स्किप करने का तो सवाल ही नहीं उठता, भले ही सुबह आधा घंटा जल्दी क्यों न उठना पड़े.

ऐसा सिर्फ मां अकेले नहीं करतीं, बल्कि इस में परिवार के सभी सदस्यों को भी शामिल करना नहीं भूलती, क्योंकि वे जानती हैं कि फिटनैस सिर्फ उन के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए जरूरी है. सभी को समझाती भी हैं कि सुबह की फ्रैश हवा में घूमने से हम खुद को न सिर्फ बीमारियों से दूर रख सकते हैं, बल्कि पूरा दिन फ्रैश महसूस करते हुए चुस्ती से काम भी कर सकते हैं. मां यह बात अच्छी तरह जानती है कि परिवार की सेहत का ध्यान रखने के लिए उस का भी सेहतमंद रहना जरूरी है.

वर्किंग मदर्स खासतौर पर इस बात का खयाल रखती हैं. उन्हें पता है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को शरीर में आयरन, कैल्सियम इत्यादि की कमी से दोचार होना पड़ता है. ऐसे में वे अपनी डाइट के प्रति सजग हैं. चीजों का स्किप करना नहीं सीखा

कहावत है कि मां के पास जादू की छड़ी होती है जिस से वह हर मुश्किल आसान बना देती है. कुनाल ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि मम्मी की औफिस में मीटिंग और उसी दिन स्कूल में हमारी पार्टी होने के कारण मुझे घर से राइस ले जाने थे. मेड को भी उसी दिन छुट्टी करनी थी. पापा ने भी सुबह ही बताया कि आज उन का आलूमटर खाने का मन है. इतने सारे काम. फिर भी मेरी सुपर मौम ने किसी को रूठने नहीं दिया.

घर का कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा. फिर टाइम पर औफिस भी पहुंच गईं. ये सब हमें उन के शाम को घर लौटने पर पता चला. तब हमें लगा कि हमें भी अपनी स्वीट मौम के लिए कुछ करना चाहिए. तब मैं ने और पापा ने उन के लिए डिनर तैयार कर के उन्हें सरप्राइज दिया. ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं, बल्कि कई बार किया है. मैं उन्हें ऐसा करता देख कर इंस्पायर होता हूं. और उन की तरह बनना चाहता हूं.

खुद को रखती हैं हरदम टिपटौप

मां यह बात भली प्रकार समझती है कि उस की बेटी उसे अपनी स्ट्रैंथ के साथसाथ उसे अपना रोल मौडल भी मानती है. ऐसे में वह अपने अपीयरैंस से समझौता नहीं करती. अपनी मां के पर्सनल केयर रूटीन के बारे में कृति कहती हैं कि मौम हर समय किसी की भी एक आवाज पर हाजिर हो जाती हैं. पूरा दिन घर व औफिस के कामों में लगी रहती हैं. फिर भी खुद को टिपटौप रखती हैं. लेटैस्ट आउटफिट्स को कैरी करना नहीं भूलतीं. भले ही बाहर जाने का टाइम न भी मिले, फिर भी अपनी स्किन की केयर के लिए होममेड चीजें चेहरे पर प्रयोग करती रहती हैं ताकि स्किन हर उम्र में चमकतीदमकती रहे.

वे हमें भी त्वचा को जवां बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देती हैं. सिर्फ सलाह ही नहीं, बल्कि उन्हें जबरदस्ती करवाती भी हैं ताकि हम धीरेधीरे उसे अपने रूटीन में शामिल कर सकें. मैं जब भी अपनी मौम के साथ जाती हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है कि ये मेरी मौम हैं. उन की पर्सनैलिटी की हर कोई तारीफ करते नहीं थकता. परिवार की हर बात का खयाल मां को फैमिली की स्ट्रैंथ यों ही नहीं कहते, उस के पास परिवार के एकएक सदस्य की पसंदनापसंद का लेखाजोखा रहता है. कब और किसे क्या चाहिए, वह बिना बताए ही समझ जाती है.

आदर्श अपनी परीक्षा के दिन याद करते हुए बताता है कि पिछले हफ्ते मेरी परीक्षा थी. मैं ने देर रात तक पढ़ाई की. मम्मी को मेरी आदत के बारे में पता था कि मैं जल्दीजल्दी में अपना एडमिट कार्ड ले जाना भूल जाऊंगा, इसलिए उन्होंने पहले ही मेरे बैग में मेरा एडमिट कार्ड रख दिया था. जब परीक्षा केंद्र में मुझे याद आया तो मेरे होश उड़ गए. लेकिन ‘माई मौम इज ग्रेट’ यह सोच जब मैं ने अपना बैग चैक किया तो वह उस में था. यही नहीं जब भी पापा को जरूरी डौक्यूमैंट्स की जरूरत होती है, तो मम्मी ही उन्हें ढूंढ़ कर देती हैं. यानी हम उन के बिना अधूरे हैं.

बच्चों को बनाए वैल बिहैव्ड

मां को बच्चों के साथ समय बिताने का भले ही कम समय मिल पाता है, फिर भी वे अपने बच्चों को पूरी तरह वैल मैनर्ड बनाने की कोशिश करती हैं. किस तरह बड़ों के सामने पेश आते हैं, घर आए मेहमान को कैसे ऐंटरटेन करते हैं, अगर कोई आप के साथ बदतमीजी करता है तो कैसे प्यार से उसे अपनी गलती महसूस करवानी है, पेरैंट्स अगर कुछ कहें तो उलट कर जवाब नहीं देना है, हमेशा सब की मदद के लिए तैयार रहना है वगैरावगैरा सिखाती रहती हैं. मां से बेहतर भला यह बात कौन समझेगा कि बच्चे के लिए उस की पहली पाठशाला उस के मातापिता ही होते हैं. उन के बोलचाल के तरीके और व्यवहार पर पेरैंट्स की ही छाप होगी. मां यह सुनिश्चित करती है कि घर का कोई भी सदस्य बच्चों के सामने अनापशनाप बात या व्यवहार करे.

समझाए पढ़ाई का महत्त्व

मांएं ट्यूशन तक ही बच्चों की पढ़ाई को सीमित नहीं रखतीं, बल्कि खुद भी उन की पढ़ाई पर समय देती हैं ताकि वे उन की वीकनैस व स्ट्रैंथ को पहचान सकें. जहां भी उन्हें उन में कमजोरी नजर आती है उन्हें टीचर की तरह समझाने की कोशिश करती हैं ताकि उन का बच्चा अव्वल आ सके.

बच्चे के उज्जवल भविष्य की नींव रखने में मां की भूमिका को नकारा नहीं सकता. उस के प्रतिदिन के प्रयास का फल बच्चे के काबिल बन जाने पर ही मिलता है.

फैमिली संग क्वालिटी टाइम भी

वे घर में सभी के साथ क्वालिटी टाइम व्यतीत करने में विश्वास रखती हैं ताकि अगर थोड़ा सा समय भी साथ बिताने को मिले तो वह समय उन के लिए पूरे दिन का बैस्ट समय हो और परिवार का कोई भी सदस्य खुद को इग्नोर महसूस न करे. मां की भूमिका परिवार में धागे की तरह होती है जिस से परिवार का हर एक सदस्य मोतियों की तरह पिरोया हुआ रहता है. ऐसे में वह सुनिश्चित करती है कि दिन में भले कुछ समय के लिए ही, मगर परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठ कर कुछ पल जरूर बताएं.

फंक्शंस भी मिस नहीं करतीं आजकल की व्यस्त जीवनशैली अपनों, नातेरिश्तेदारों से मिलनेजुलने के मौके बहुत कम देती है. मां की जिम्मेदारी यहां और भी बढ़ जाती है क्योंकि जब वह खुद व्यस्त होने का बहाना बना कर गैटटुगैदर मिस करेगी तो बच्चे भी अपनों को जाननेसमझने से वंचित रह जाएंगे.

मां यह सुनिश्चित करती है कि पारिवारिक समारोहों में सपरिवार शामिल हो कर फैमिली बौंडिंग को और मजबूत बनाया जाए. इस बारे में श्रेया कहती है कि मैं थकी हुई हूं या फिर मेरे पास ढेरों काम हैं, कह कर मेरी मौम ने कभी फैमिली फंक्शंस मिस करने का बहाना नहीं बनाया, बल्कि हर फंक्शन अटैंड करती हैं. यही नहीं, घर आए मेहमानों की भी खुशीखुशी आवभगत करती हैं. वे हमें भी यही सिखाती हैं कि रिश्तों, परिवार का महत्त्व समझो, क्योंकि एकजुट परिवार में जो ताकत होती है वह अलगथलग रहने में नहीं.

सिखाती है टाइम मैनेजमैंट समय का सही प्रबंधन

किस तरह करना है, यह तो कोई मां से सीखे. अपना अनुभव शेयर करते हुए राज का कहना है कि मैं अपने पेरैंट्स का सिंगल चाइल्ड हूं, जिस कारण मुझे अपने पेरैंट्स से ऐक्स्ट्रा केयर मिलती है. मेरे मौमडैड दोनों वर्किंग हैं. इस के बावजूद मेरी मौम ने घर में पूरा अनुशासन बना कर रखा है. मैं जब भी कोई गलती करता हूं तो वे मुझे आंखों से इशारा कर अपनी नाराजगी बता देती हैं, जिस से मैं उस काम को दोबारा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. मेरी मौम चीजों को बहुत अच्छी तरह मैनेज करना जानती हैं. उन्हीं से मैं ने टाइम मैनेजमैंट सीखा है. मैं तो यही कहूंगा कि अब तक मैं ने जो अचीव किया है सिर्फ अपनी मां के कारण.

बोल्ड बनाती है मां

जिस तरह मां हर परिस्थिति का सामना डट कर करती है उसी तरह बच्चों को भी हर हालात से लड़ना सिखाती है. अनुभव बताते हैं कि जब मेरी मां की ऐंजौय करने की उम्र थी तब हमारे पापा का देहांत हो गया. ऐसी स्थिति में मां ने खुद को संभालते हुए हमें कभी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी. उन्होंने जौब कर के हमारी हर जरूरत को पूरा किया.

वे हमें भी बोल्ड बनाने की कोशिश करती रहती हैं. वे अंदर से भले ही टूट गई थीं, लेकिन हमारे सामने कभी आंखों से आंसू नहीं आने दिए. उन का संघर्ष और मेहनत देख मेरे मुंह से उन के लिए तारीफ के शब्द निकलने रुकते नहीं हैं. मैं अपनी मौम से बस यही कहूंगा कि आप को दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करूंगा.

Mother’s Day पर इन एक्ट्रेसेस ने शेयर की बेबी की First फोटो, देखें पोस्ट

बीते दिन दुनिया में मदर्स डे सेलिब्रेट किया गया. इस मौके पर बौलीवुड से लेकर टीवी के सेलेब्स ने अपनी मां संग फोटोज शेयर कीं. वहीं कई एक्ट्रेसेस और सेलेब्स ने पहली बार अपने बच्चे के साथ फोटोज शेयर की हैं, जो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं बौलीवुड से लेकर टीवी सेलेब्स के बच्चों की पहली बार शेयर की गई फोटोज की झलक….

बेटी और पति संग शेयर की फोटोज

 

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बीते दिनों सरोगेसी के जरिए बेटी के पिता बने एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) और सिंगर निक जोनस ने मदर्स डे के मौके पर बेटी संग फोटो शेयर करते हुए स्पेशल पोस्ट किया है. दरअसल, फोटो में प्रियंका जहां अपनी बेटी मालती मैरी चोपड़ा जोनस के साथ बैठी दिख रही हैं. तो वहीं निक जोनस बेटी का हाथ थामे नजर आ रहे हैं. इसके अलावा प्रियंका चोपड़ा ने पोस्ट में बताया है कि उनकी बेटी 100 दिन अस्पताल में रहने के बाद मदर्स डे के मौके पर घर आई हैं, जिसे सुनकर फैंस और सेलेब्स उन्हें बधाई दे रहे हैं.

मोहेना ने भी शेयर की बेटे की फोटो

 

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सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्ट्रेस मोहेना कुमारी सिंह  (Mohena Kumari Singh) ने भी मदर्स डे के मौके पर अपने बेटे के साथ पहली फोटो शेयर की हैं, जिसे देखकर फैंस बेहद खुश हैं और फोटोज पर जमकर प्यार लुटा रहे हैं.

बेटे संग शेयर की काजल अग्रवाल ने फोटोज

प्रैग्नेंसी के चलते सोशलमीडिया पर एक्टिव रहने वाली साउथ और बौलीवुड एक्ट्रेस काजल अग्रवाल (Kajal Aggarwal) ने भी मदर्स डे के मौके पर बेटे नील किचलू संग फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह बेटे को गले लगाती हुई नजर आ रही हैं. वहीं इसके अलावा कुछ फोटोज में एक्ट्रेस की मां और बेटा साथ नजर आ रहे हैं. हालांकि फोटोज में बेटे का चेहरा छिपाया हुआ दिख रहा है.

जुड़वां बच्चों की शेयर की फोटो

 

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मदर्स डे के मौके पर एक्ट्रेस प्रीति जिंटा (Preity Zinta)  ने भी अपने जुड़वां बच्चों की फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह अपनी मां और बच्चों के साथ नजर आ रही हैं. फोटोज को देखकर फैंस बेहद खुश हैं.

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Mother’s Day Special: 42 की उम्र में भी कम नही हुआ ‘पुरानी कोमोलिका’ का जलवा

दो बच्चों की मां होने के साथ-साथ 41 साल की उर्वशी किसी भी एक्ट्रेस से फैशन के मामले में पीछे नहीं हैं. 24 साल के जुड़वा बच्चों की मां उर्वशी पार्टी हो या कोई शादी उर्वशी का हर जगह परफेक्ट लुक में नजर आती हैं, जिसका अंदाजा उनके इंस्टाग्राम पेज को देखकर लगाया जा सकता है. आज हम उर्वशी के इंडियन और वेस्टर्न के कम्फरटेबल फैशन के बारे में बताएंगे.

1. सिंपल फिशकट जींस के साथ वाइट का कौम्बिनेशन है बेस्ट

आजकल फिशकट जींस लोगों के बीच बहुत पौपुलर है. उर्वशी भी इस फैशन का इस्तेमाल करने में पीछे नही हैं. हाल ही में उर्वशी फिशकट जींस के साथ सिंपल वाइट फ्रिल टौप का कौम्बिनेशन ट्राय करती नजर आईं. आप चाहे तो अपने कम्फर्ट के लिए इस लुक के साथ शूज का पेयर ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को परफेक्ट बनाएगा.

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2. फ्लोरल प्रिंट का कौम्बिनेशन है परफेक्ट

आजकल फ्लोरल प्रिंट की डिमांड हर मार्केट में है. फ्लोरल प्रिंट की खास बात यह है कि ये हर ड्रेस के साथ परफेक्ट मैच करता है. उर्वशी ने भी फ्लोरल प्रिंट के वाइट पैटर्न को पिंक प्लाजो के साथ मैच किया. जिसमें वह बहुत खूबसूरत लग रही थीं.

3. उर्वशी का लहंगा है परफेक्ट

अगर आप भी लहंगे के पैटर्न का कुछ नया डिजाइन ट्राय करने की सोच रही हैं तो उर्वशी  की ये ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औपशन है. सिंपल ग्रीन कलर के साथ नेट की चुन्नी आपको सिंपल के साथ-साथ स्टाइलिश लुक देगी.

4. उर्वशी का लाइट कलर का शाइनिंग शरारा है परफेक्ट

अगर आप कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो उर्वशी का ये शरारा औप्शन आपके लिए बेस्ट रहेगा. सिंपल ब्लू कलर के कुर्ते के साथ शरारा आप के लिए अच्छा औपशन है. ये लुक आपको एलीगेंट के साथ-साथ स्टाइलिश भी बनाएगा. आप चाहें तो ये किसी शादी या फैमिली गैदरिंग में ट्राय कर सकती हैं.

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बता दें, एक्ट्रेस उर्वशी ढोलकिया स्टार प्लस में आने वाले कसौटी जिंदगी की में कोमोलिका के रोल में फेमस हुई थीं, जिसके बाद वह कईं सीरियल्स में नजर आईं. वहीं उर्वशी ढोलकिया सलमान खान के पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बौस’ के एक सीजन में विनर का खिताब हासिल कर चुकीं हैं.

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