12वीं का रिजल्ट आ गया, रश्मि ने स्कूल में टौप किया था. रश्मि के साथ घर वाले भी बहुत खुश थे. खुश भी क्यों न हों, बेटी ने उन का सिर फख्र से ऊंचा जो कर दिया था.
भोपाल के अच्छे कालेज में रश्मि का बीकौम में एडमिशन हो गया. वह पीजी में रहने लगी. उस का कालेज पीजी से आधे घंटे के फासले पर था, जिसे वह बस से तय करती.
रश्मि को आए हुए अभी 2 माह हुए थे कि 5 सितंबर नजदीक आ गया. यानी टीचर्स डे. इस के लिए क्लास के कई लड़केलड़कियों ने तरहतरह के सांस्कृतिक प्रोग्राम करने के लिए तैयारियां शुरू कर दीं. रश्मि को बड़ी जगह पर हुनर दिखाने का पहला मौका हाथ आया था, इसलिए वह किसी भी कीमत पर इसे गंवाना नहीं चाहती थी.
लिहाजा वह भी डांस की प्रैक्टिस में जीतोड़ मेहनत करने लगी. कालेज में प्रोग्राम के दौरान सभी ने एक से बढ़ कर एक झलकियां दिखा कर खूब वाहवाही लूटी, लेकिन अभी महफिल लूटने के लिए किसी का आना बाकी था.
‘तू शायर है, मैं तेरी शायरी…’ माधुरी की तरह डांस करती रश्मि की परफौर्मैंस देख हर तरफ तालियों की ताल सुनाई देने लगी.
सभी की जबां पर यही गीत खुदबखुद चलने लगा था. खैर, जब रश्मि स्टेज से ओझल हुई तब जा कर स्टुडैंट्स शांत हुए. लगभग एक बजे तक प्रोग्राम चला.
सभी टीचर्स के साथ ही लड़कों के बीच रश्मि को मुबारकबाद देने की होड़ सी लग गई. रश्मि के लिए ऐसा एहसास था जैसे हकीकत में वह कोई बड़ी सैलिब्रिटी हो. जितने भी लड़के थे, सभी उस के एकदम करीब हो जाना चाहते थे और यही मंशा रश्मि की थी.
घंटेभर बाद जब भीड़ कम हुई, तभी किसी की आवाज ने उस के कानों में दस्तक दी. उस ने मुड़ कर पीछे देखा, एक हैंडसम लड़के ने उसे मुबारकबाद देने के लिए हाथ बढ़ाया. रश्मि उसे नजरअंदाज न कर सकी और अपने नर्म व नाजुक हाथों को आगे बढ़ा दिया.
‘‘आप बहुत अच्छा डांस करती हैं, देख कर ऐसा लगा कि स्टेज पर माधुरी खुद ही परफौर्मैंस दे रही हों,’’ उस ने बड़ी सादगी से तारीफ की.
‘‘जी, शुक्रिया, मैं इतनी तारीफ के लायक नहीं कि आप मेरी इतनी तारीफ करें,’’ रश्मि सकुचाते हुए बोली.
‘‘मैं सच कह रहा हूं, आप ने वाकई में बहुत अच्छी परफौर्मैंस दी है,’’ अनजान लड़के ने बेबाकी से अपनी बात कही, ‘‘वैसे मेरा नाम राहुल है, और आप का?’’
‘‘इतनी जल्दी भी क्या है,’’ रश्मि मुसकराई.
‘‘सोच रहा हूं जो दिखने में इतनी खूबसूरत है, उस का नाम कितना खूबसूरत होगा.’’
‘‘मेरा नाम रश्मि है,’’ रश्मि ने अपनी कातिल निगाहों से उस की तरफ देखा. राहुल ने भी रश्मि की आंखों में आंखें डाल दीं. काफी देर तक दोनों एकदूसरे को बिना पलक झपकाए देखते रहे, जब तक कि राहुल ने रश्मि की आंखों के सामने अपनी हथेलियों को ऊपरनीचे कर के कई बार इशारा नहीं किया.
तब जा कर रश्मि सपने से जागी और लजा गई. ‘‘आप से मिल कर खुशी हुई,’’ राहुल ने रश्मि के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा, ‘‘मैं पढ़ाई के साथ मौडलिंग करता हूं.’’ इतना सुनते ही रश्मि राहुल को देखते हुए सपनों के सागर में अठखेलियां खेलने लगी, उस ने कुछ ही देर में न जाने कितने सपने अकेले ही बुन लिए थे.
‘‘आप कहां खो गईं,’’ बोलते हुए राहुल का चेहरा रश्मि के इतना करीब हो गया था कि गरम सांसें एकदूसरे को महसूस होने लगीं. तभी रश्मि जागी, एक ऐसे सपने से जिस से वह जागना नहीं चाहती थी.
‘‘जी, कहिए क्या बात है,’’ रश्मि हड़बड़ा कर बोली.
‘‘आप किस दुनिया में खो गई थीं, मैं ने आप को कई बार पुकारा,’’ राहुल मुसकराया.
तभी उस का दोस्त रेहान आ गया और प्रैक्टिस पर जाने की बात कही. ‘‘अच्छा रश्मिजी, मैं चलता हूं, अब आप से कब मुलाकात होगी? अगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं आप का नंबर ले सकता हूं.’’
‘‘जी, क्यों नहीं,’’ और रश्मि ने उसे अपना नंबर दे दिया. शायद यही उस के खुले आसमानों में परवाज करने के लिए कोई खुली फिजा मुहैया करा दे.
रश्मि का राहुल को नंबर देना भर था कि कुछ ही दिनों में दोनों काफी देर तक बातें करने लगे, जो पहले कुछ सैकंड से शुरू हो कर मिनटों पर सवार हो कर अब घंटों का सफर तय करते हुए, मंजिल की तरफ तेजी से बढ़े जा रहे थे.
अब सवाल उठता है कि आखिर वे दोनों कौन से सफर को अपनी मंजिल मान बैठे थे. एकदूसरे का हमसाया बन कर औरों की आंखों में खटकने लगे. लेकिन इन सब बातों से रश्मि और राहुल बेपरवा अपनी जिंदगी में मस्तमौला हो कर हंसीखुशी वक्त बिताने लगे.
एक शाम रश्मि ने राहुल को कौल किया, लेकिन उस के किसी दोस्त ने कौल रिसीव की. ‘‘हैलो, आप कौन? आप किस से बात करना चाहती हैं,’’ उधर से किसी लड़के की आवाज आई.
‘‘मैं रश्मि बोल रही हूं, मुझे राहुल से बात करनी है.’’
‘‘अभी वे बिजी हैं, ऐसा करें आप कुछ वक्त बाद फोन कर लीजिएगा.’’
‘‘जी, आप का शुक्रिया,’’ रश्मि अपनी आवाज में मिठास घोल कर बोली.
करीब आधे घंटे के बाद उधर से राहुल का कौल आया, ‘‘हैलो डार्लिंग, यार, क्या बताऊं थोड़ा काम में बिजी हो गया था.’’
‘‘कोई बात नहीं,’’ रश्मि रूखेपन से बोली.
‘‘समझने की कोशिश करो, रश्मि,’’ राहुल मनाने के अंदाज में बोला, ‘‘सच कह रहा हूं, एक जरूरी काम में बिजी था.’’
‘‘अच्छा, ठीक है,’’ रश्मि ने तंज कसा.
‘‘अभी तक आप का मूड सही नहीं हुआ, अच्छा, कौफी पीने आओगी?’’ राहुल विनम्रता से बोला.
‘‘ठीक है, एक घंटे बाद मिलते हैं,’’ इतना कह कर रश्मि ने कौल काट दी.
एक घंटे बाद जब रश्मि बताए गए पते पर पहुंची तो राहुल पहले से उस के इंतजार में बैठा था.
‘‘क्या लोगी?’’ राहुल ने पूछा.
‘‘कुछ भी मंगा लो,’’ रश्मि नजर उठा कर बोली.
‘‘ठीक है,’’ और राहुल ने 2 कौफी का और्डर दे दिया.
‘‘राहुल, मुझे तुम से एक बात करनी है,’’ रश्मि संजीदगी से बोली.
‘‘हां, बोलो, क्या बात करनी है?’’
‘‘बात यह है कि मैं मौडल बनना चाहती हूं और इस काम में तुम ही मेरी मदद कर सकते हो,’’ रश्मि उस की तरफ देखने लगी.
‘‘अच्छा, यह बात है, मैडम को मौडल बनना है,’’ राहुल बोला.
‘‘हां, मेरी दिलीख्वाहिश है.’’
‘‘ठीक है, मेरी कई लोगों से पहचान है और मैं खुद मौडलिंग करता हूं. इसलिए डोंट वरी. मैडम अब मुसकरा भी दो,’’ राहुल उसे छेड़ते हुए बोला.
इस बात पर रश्मि हंस दी और उस की हंसी ने चारों तरफ अपनी चमक बिखेर दी. थोड़ी देर में कौफी भी आ गई. दोनों गर्मजोशी से बातें करते हुए गर्म कौफी का मजा लेने लगे. रश्मि को अब सुकून था, लेकिन एक डर भी. यह डर कैसा था, खुद रश्मि को नहीं मालूम था. फिर भी उस ने आगे बढ़ने का फैसला कर लिया था.
रश्मि, राहुल के कदमों को फौलो करते हुए पीछेपीछे तेजी से आगे बढ़ी जा रही थी. इन दोनों के पैर पहले फ्लोर में जा कर थमे.
‘‘हैलो राहुल,’’ उस अनजान आदमी ने कहा.
‘‘हैलो सर,’’ राहुल ने जवाब में हाथ बढ़ा दिया.
‘‘सर, ये हैं रश्मि, मिस रश्मि,’’ राहुल ने परिचय कराया.
‘‘और रश्मि, आप हैं विकास सर,’’ राहुल ने उस अनजान की तरफ इशारा करते हुए कहा.
‘‘हैलो सर,’’ रश्मि मुसकरा कर बोली.
‘‘सर, रश्मि की बचपन से बड़ी ख्वाहिश थी कि वह बड़ी हो कर मौडल बने, इसलिए मैं आप से मिलाने लाया हूं, आप इस की मदद कर सकते हैं.’’
‘‘ठीक है, मैं इस के लिए कुछ करता हूं,’’ विकास सर बोले. इस के बाद विकास सर ने रश्मि से कुछ सवाल पूछे. सभी चायनाश्ता कर के वहां से चल दिए. विकास सर अपने काम से दूसरी तरफ चले गए.