बदल रहे हैं नई पीढ़ी के पति-पत्नी

 ऋचा की सास उस के पास 1 महीने के लिए रहने आई थीं. उन के वापस जाते ही ऋचा मेरे पास आई और रोंआसे स्वर में बोली, ‘‘आज मुझे 1 महीने बाद चैन मिला है. पता नहीं ये सासें बहुओं को लोहे का बना क्यों समझती हैं, यार. हम भी इंसान हैं. खुद तो कोई काम करना नहीं चाहती और यदि उन का बेटा जरा भी मदद करे तो भी अपने जमाने की दुहाई दे कर तानों की बौछार से कलेजा छलनी कर देती हैं. वे यह नहीं समझतीं कि उन के जमाने में उन के कार्य घर तक ही सीमित थे, लेकिन अब हमें जीवन के हर क्षेत्र में पति का सहयोग करना पड़ता है. आर्थिक सहयोग करने के साथसाथ बाहर के अन्य सभी कार्यों में कंधे से कंधा मिला कर भी चलना पड़ता है. ऐसे में पति घर के कार्यों में अपनी पत्नी का सहयोग करे तो सास को क्यों बुरा लगता है? उन की सोच समय की मांग के अनुसार क्यों नहीं बदलती? बेटे भी अपनी मां के सामने मुंह नहीं खोलते.’’

उस के धाराप्रवाह बोलने के बाद मैं सोच में पड़ गई कि सच ही तो है कि पुरानी पीढ़ी की सोच में आज की पीढ़ी की महिलाओं की जीवनशैली में बदलाव के अनुसार परिवर्तन आना बहुत आवश्यक है.

1. पतिपत्नी की बदली जीवनशैली

नई टैक्नोलौजी के कारण एकल परिवार होने के कारण युवा पीढ़ी के पतिपत्नी की जीवनशैली में अत्यधिक बदलाव हो रहे हैं, लेकिन अधिकतर नई पीढ़ी की जीवनशैली के इस बदलाव को पुरानी पीढ़ी द्वारा नकारात्मक दृष्टिकोण से ही आंका जा रहा है, क्योंकि सदियों से चली आई परंपराओं के इतर उन्हें देखने की आदत ही नहीं है, इसलिए बदलाव को वे स्वीकार नहीं कर पाते, लेकिन समय के साथ हमारे शरीर में परिवर्तन आना अनिवार्य है. प्रकृति में भी बदलाव आता है, तो अपने आसपास के बदले नए परिवेश के अनुसार अपनी सोच में भी बदलाव को अनिवार्य क्यों नहीं मानते? क्यों हम पुरानी मान्यताओं का बोझ ढोते रहना ही पसंद करते हैं? जो हम देखते आए हैं, सुनते आए हैं, सहते आए हैं. वह उस समय के परिवेश के अनुकूल था, लेकिन आज के परिवेश के अनुसार बदलाव को हम क्यों पुराने चश्मे से ही धुंधला देख कर उन के क्रियाकलापों पर टिप्पणी कर रहे हैं? अफसोस है कि युवा पीढ़ी की अच्छी बातों की तारीफ करने के लिए न तो हमारे पास दृष्टि है न मन, है तो सिर्फ आलोचनाओं का भंडार.

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2. पुरानी पीढ़ी में कार्यों का विभाजन

पहले जमाने में लड़के और लड़की के कार्यों का विभाजन रहता था, क्योंकि लड़कियां घर से निकलती ही नहीं थी. इसलिए गृहकार्यों का भार पूर्णतया उन के जिम्मे रहता था और इस के लिए उन दोनों के बीच अच्छीखासी लक्ष्मण रेखा खींच दी जाती थी, लेकिन अब जब लड़कियां लड़कों के बराबर पढ़ाई के साथसाथ नौकरी भी कर रही है तो यह विभाजन समाप्त हो जाना चाहिए.

3. आधुनिक युवा पीढ़ी में कार्यविभाजन नहीं

युवा पीढ़ी की लड़कियों ने पढ़लिख कर आत्मनिर्भर हो कर जागरूकता के कारण कार्यविभाजन के लिए विद्रोह करना आरंभ किया ही था कि कब समय ने बदलाव की अंगड़ाई ली और यह सोच दबे पांव हमारे घरों में घुसपैठ करने लगी, कब पुरुष सोफे से उठ कर किचन में दखल देने पहुंच गया, पता ही नहीं चला, क्योंकि इस की चाल कछुए की चाल थी. निश्चित रूप से यह पश्चिमी सभ्यता की देन है, जहां कार्य विभाजन होता ही नहीं है.

4. स्त्रीपुरुष की बराबरी को लेकर शोध

स्त्रीपुरुष की बराबरी को ले कर शोधों में भले ही सकारात्मक नतीजे दिख रहे हों, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है. पिछले दिनों नेल्सन इंडिया द्वारा भारत के 5 अलगअलग शहरों में कराए गए एक सर्वे में लगभग दोतिहाई स्त्रियों ने माना कि उन्हें घर में असमानता का सामना करना पड़ता है. इस सर्वे में मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और बैंगलुरु जैसे बड़े शहर शामिल हैं. सर्वे में शिल्पा शेट्टी, मंदिरा बेदी और नेहा धूपिया जैसी सैलिब्रिटीज को भी शामिल किया गया. लगभग 70% स्त्रियों ने कहा कि उन का ज्यादातर समय घर के कामों में बीत जाता है और पति के साथ वक्त नहीं बिता पातीं.

दिलचस्प बात यह है कि 76% पुरुष भी यही मानते हैं कि खाना बनाने, कपड़े धोने या बच्चों की देखभाल जैसे कार्य स्त्रियों के हैं. छोटे शहरों में तो अभी भी पुरुष यदि स्त्रियों के घरेलू कार्यों में मदद करें तो उन का मजाक उड़ाया जाता है. नौकरी करने वाली औरतें दोगुनी जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर हैं. वैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ने से थोड़ा बदलाव भी दिख रहा है. पुरुष घरेलू कार्यों में सहयोग दे रहे हैं लेकिन इसे पूरी तरह बराबरी नहीं माना जा सकता.

5. इस बदलाव की शुरुआत अच्छी है

अभी यह बदलाव कुछ प्रतिशत तक ही सीमित है, लेकिन यह शुरुआत अच्छी है और पूरा विश्वास है कि यह सुखद बदलाव की आंधी पूरे भारत को अपनी गिरफ्त में ले लेगी. यह बदलाव पतिपत्नी के रिश्तों में भी सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है. उन के बीच स्वस्थ दोस्ती का रिश्ता कायम हो रहा है. उन में आपस में एकदूसरे के लिए समर्पण की, त्याग की भावना और सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ने के साथसाथ स्त्री का सामाजिक स्तर भी बढ़ रहा है.

6. पतिपत्नी के रिश्ते दोस्ताना

आरंभ में इस ने उच्चवर्गीय समाज में पांव पसारे, जहां समाज का हस्तक्षेप न के बराबर होता है. उस के बाद मध्यवर्गीय परिवारों में भी इस बदलाव के लिए क्रांति सी आ गई. अब पतिपत्नी मानने लगे हैं कि उन्हें एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए. समय के साथ पुराने मूल्यों, मान्यताओं, परंपराओं को बदलना आवश्यक है.

7. युवा पीढ़ी के पिता की भूमिका बदली

पहले जमाने के विपरीत पिता की भूमिका बच्चों के बाहरी कार्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों की तरह अस्पतालों में प्रसव के समय मां के साथ पिता को भी बच्चों के पालनपोषण से संबंधित हर क्रियाकलाप करने की ट्रेनिंग दी जाने लगी है. औफिस वाले भी कर्मचारी की पत्नी के प्रसव के समय बच्चे और मां की देखरेख के लिए उसे छुट्टियों से भी लाभान्वित करते हैं. अब बच्चे का पालनपोषण करना केवल मां का ही कर्तव्य नहीं रह गया, बल्कि पति भी बराबर का भागीदार हो रहा है. पहले बच्चों के डायपर बदलना पुरुषों की शान के खिलाफ था, लेकिन अब वे सार्वजनिक रूप से भी ऐसा करने में संकोच नहीं करते. शोध यह भी कहते हैं कि चाइल्ड केयर के मामले में स्त्रियों की जिम्मेदारियां हमेशा पुरुषों से अधिक रही हैं. भले ही वे होममेकर हों या नौकरीपेशा.

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8. बदलाव के परिणाम परिवार के लिए सुखद

जौर्जिया यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ता डेनियल कार्लसन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘दृष्टिकोण को बदलना और एकदूसरे को सहयोग देना परिवार और रिश्तों की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है. यदि पतिपत्नी में एक खुश और दूसरा नाखुश होगा तो रिश्ते कभी बेहतर नहीं होंगे. पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की नींव को मजबूत बनाए रखने के लिए भी ऐसा जरूरी होता है. दोनों परिवाररूपी गाड़ी के 2 पहिए हैं. परिवार को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है. नए परीक्षणों, शोधों के बाद समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस नतीजे तक पहुंच रहे हैं कि पत्नी को बराबरी का दर्जा देने वाले पुरुष ज्यादा सुखी रहते हैं. ऐसे पुरुषों का सैक्स जीवन औरों के मुकाबले बेहतर होता है.

9. पुरानी पीढ़ी भी लाभान्वित

स्त्रीपुरुष में घरेलू कार्यों को ले कर तालमेल रहे तो पुरानी पीढ़ी को भी बहुत लाभ हैं. पुरुष भी रिटायरमैंट के बाद स्त्रियों की तरह घरेलू कार्यों में व्यस्त रह कर अपने खालीपन को भर सकते हैं. परिवार के बड़ेबूढ़ों को पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने के कारण आरंभ में उन्हें यह बदलाव अजीब सा लगा. लेकिन धीरेधीरे उन की आंखों को सब देखने की आदत सी पड़ रही है. रिटायरमैंट के बाद बेटेबहू द्वारा सारे कार्य सुचारू रूप से करने के कारण उन की जिम्मेदारी कम हो रही है और वे अपनी उम्र के इस पड़ाव को समय दे पा रहे हैं. इसलिए इस बदलाव को हितकर समझ कर स्वीकार करना ही उचित है और इस का स्वागत किया जाने लगा है. इस बदलाव को जिस पति और उस के परिवार वालों ने स्वीकार लिया, वे ही रिश्ते स्थाई होते हैं वरन तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में देर नहीं होती.

Mother’s Day 2020: काश ! तुम भी मुझे अपनी मां की तरह चाहो, सास- बहू का रिश्ता मुझे अच्छा नहीं लगता

प्रिया और आर्यन ने दो महीने पहले शादी कर ली थी. यह एक प्रेम विवाह था. उनके माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे लेकिन आर्यन प्रिया  को सच्चे दिल से प्यार करता  था ,उसने  हार नहीं मानी. उसने प्रिया के माता-पिता और अपनी माँ को  सहमत करने के सभी प्रयास किए . अंत में किसी तरह दोनों के परिवार इस शादी के लिए राज़ी हो गए.

दोनों सुखी जीवन बिता रहे थे. एक  दोपहर, प्रिया रसोई में काम कर रही थी, जबकि आर्यन अपने कमरे में सो रहा था. उसने अपना काम पूरा कर लिया और अपनी सास को लंच के लिए बुलाने चली गई. उसने दरवाजा खोला, और कई फोटो एलबमों के बीच, उसने अपनी सास को  बिस्तर पर बैठा पाया.

वह अपनी सास के पास जाकर  बिस्तर पर बैठ गई. हालाँकि उनके बीच कुछ भी नकारात्मक नहीं था, लेकिन दोनों के रिश्ते में बर्फ की एक परत थी, जो  उन्हें एक-दूसरे के प्रति अनुकूल होने से रोक रही थी.

प्रिया ने अपनी सास से कहा , “क्या कर रहे हो माँ?”

उसकी सास ने कहा , “अरे प्रिया, कुछ नहीं, बस पुरानी तस्वीरों को देख रही  थी”.

प्रिया ने कहा , “क्या मैं भी उन्हें देख सकती हूँ?”

उसकी सास ने मुस्कुराते हुए कहा , “ज़रूर”

वे दोनों ही पुरानी तस्वीरों  को  देखने लगी . प्रिया की सास  प्रिया को उन सभी यादों के बारे में बता रही थी जो  उन तस्वीरों  के साथ संबंधित थीं. उन्होंने प्रिया को आर्यन  की बचपन की वो तस्वीरें दिखाईं, जब वह पैदा हुआ था, जब वह एक फ्रॉक पहने हुए था, जब वह नहा रहा था. प्रिया आर्यन की बचपन की तस्वीरों को  बेहद प्यार से देख रही थी. कुछ देर बाद प्रिया ने अपनी साससे कहा, “माँ, क्या मैं कुछ पूछ सकती हूँ?”

उसकी सासने कहा,”हाँ प्रिया पूछो”.

प्रिया ने कहा , ” माँ क्या आप मुझसे खुश हैं?”

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प्रिया की सासने कहा , “बेशक, तुमने  ऐसा क्यों पूछा? क्या तुम इस  घर में सहज नहीं हो ? क्या आर्यन ने कुछ कहा? ”

प्रिया ने कहा,” नहीं माँ  ,मैं बहूत खुश हूँ. आर्यन मुझे  बहूत प्यार करता है. माँ बात सिर्फ इतनी है की आप दिन के अधिकांश समय कमरे के अंदर ही रहते हो , ऐसा लगता है कि आपने खुद को सीमित कर लिया है. आप हम लोगों से ज्यादा बात भी नहीं करते हो. क्या आप मुझसे खुश नहीं हो? ”

प्रिया की सासने  निगाहें चुराते हुए कहा , “नहीं, ऐसा कुछ नहीं है.”

प्रिया ने अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लिया.उसने महसूस किया की उस  साठ वर्षीय महिला का हाथ नरम और मोटा था. उसके हाथों का खुरदरापन उस कठिन जीवन का दर्पण था जिसे उस बूढ़ी औरत ने देखा है, और झुर्रियों की कोमलता उसकी उम्र बढ़ने की याद दिलाती थी.

प्रिया भावुक हो गयी उसने कहा ,”सच बताओ न माँ , प्लीज.”

प्रिया की सासने कहा ,“आज कल की पीढ़ी परिवारों के साथ रहना पसंद नहीं करती है, उन्हें एकांत चाहिए होता है और जो कुछ हम  पुराने लोग कहते हैं वो उन्हें हमारा  हस्तक्षेप लगता  हैं.मेरी दोनों बेटे पहले से ही शादीशुदा हैं, और उन्होंने मुझे छोड़ दिया. अब मेरे पास केवल आर्यन है, और मैं उसे इस उम्र में नहीं खो सकती.

प्रिया ने कहा , “आप आर्यन को क्यों खोयेंगी ?”

प्रिया की सासने कहा, “हर कोई मुझे आर्यन की शादी से पहले कह रहा था की आर्यन को उसकी पसंद की लड़की मिल रही है, और अब वह अपनी पत्नी और फिर बच्चों के साथ व्यस्त हो जाएगा.

मैं यही सोच के डर गयी थी की तुम लोगों का अपना जीवन जीने का तरीका है और अगर मैं कुछ भी कहूँगी  तो तुम भी  मुझे अकेला छोड़कर चले जाओगे , इसलिए मैंने सोचा कि मै तुम लोगों की लाइफ में ज्यादा disturbe न करू और तुम लोगों को अपना जीवन जीने दूं .इसलिए ही मै ज्यादा वक़्त अपने कमरे में ही रहती हूँ ताकि तुम्हे  एकांत मिले. कम से कम इस तरह से तुम  लोग मुझे अकेले छोड़कर तो कहीं नहीं जाओगे  ”

यह सुनकर प्रिया की आँखें गीली हो गईं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे.

उसको वो वक़्त याद आया जब  उसकी  दोस्तों ने सास-बहू के रिश्ते के बारे  में चेतावनी दी थी, लेकिन यह औरत  जो उसके सामने बैठी थी वो समाज की छवि से बहूत अलग थी.

वह बुरी नहीं थी, वह सिर्फ एक बूढ़ी औरत थी, जो एक माँ थी, जो सिर्फ अपने बच्चों का साथ ,उनका प्यार, देखभाल और अपने प्रति उनका  सम्मान चाहती थी.

प्रिया ने अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लिया और रोते हुए कहा,” माँ  अब आपके दो बच्चे हैं, पहला आर्यन और दूसरी मै . मैं आपकी  बेटी हूँ, मैं आपको  आर्यन  से अधिक प्यार करूंगी, जब भी आपको मेरी आवश्यकता होगी, मैं आपकी  देखभाल करूंगी, आप  मेरी माँ हो, जिस दिन मैंने आर्यन को स्वीकार किया था वह दिन था जब मैंने आपको अपनी माँ के रूप में स्वीकार किया था. अब आप अकेली नहीं हैं, आप मुझे स्वीकार करें या न करें  मैं आपकी बेटी हूं.

और एक चीज़ माँ , हम आपको कभी नहीं छोड़ेंगे. हम हमेशा यहां रहेंगे. आप हमारे बच्चों के साथ खेलेंगी और उन्हें कहानियाँ सुनाएंगी .आप पेड़ हैं और हम सिर्फ शाखाएं हैं. हमें आपकी आवश्यकता है.”

प्रिया की सास ने प्रिया की  ओर देखा. अब उन्हें  समझ में आया कि उनका बेटा इस लड़की से इतना प्यार क्यों करता है.उन्होंने प्रिया को अपने गले लगा लिया.

दरवाजे पर खड़े आर्यन ने चुपचाप अपनी आँखें पोंछ लीं. जिन दो औरतों से वह सबसे ज्यादा प्यार करता था , वे आखिरकार खुद को एक नए रिश्ते में बाँध रही थी.

दोस्तों, दरसअल हमारे समाज में एक सोच पत्थर की लकीर बन गयी है चाहे जितना भी सर पटक लो,लकीर नहीं मिटती. चूंकि लकीर को मिटाने की कोशिश भी पूरे दिल से नहीं की जाती . तो लकीर जस की तस रहती हैं और हां उसके आगे एक लंबी लकीर खींच दी जाती हैं, और फिर लंबी,लंबी और फिर लंबी.. ……. तो क्या आपको लगता हैं कि लकीर कभी मिट पाएगी??बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वो छोटी लकीर तो अब भी वहीं हैं.

समाज की इस भ्रांति को तोड़ अगर सास और बहू  अपने रिश्ते के बीच कोई भी लकीर ना खिचने दें और ज्यों ही लकीर जैसी चीज समझ आए तो समझदारी से उसे मिटा दे तो ना रहेगी लकीर और ना रहेंगे लकीर के निशान.

जहां तक मुझे लगता है की सास और बहू का रिश्ता केवल प्यार और अधिकार के ऊपर आधारित होता है.दोनों ही एक ही व्यक्ति के प्रति अपने अधिकारों को लेकर कुछ ज्यादा ही सजग होती हैं.

उनकी यह अधिकारों की लड़ाई धीरे-धीरे तकरार में बदल जाती है. शादी के बाद अक्सर मां को लगता है की उनका बेटा बदल गया है और अब वह सिर्फ अपनी बीवी और उसके घर के बारे में सोच रहा है.

अगर गहराई से सोचे तो एक माँ जो पूरे लाड़-प्यार से अपने पुत्र को बड़ा करती है और उसका विवाह करती है वह  आखिर अपनी बहू से बैर क्यों रखेगी.दोस्तों यह कोई बैर नहीं है ,  यह सिर्फ उस माँ का अपने बेटे को खोने का डर है जो उस माँ के अन्दर असुरक्षा की भावना को पैदा करता है.

आप अपनी सास की असुरक्षा को दूर करें. उन्हें  एक अतिरिक्त के रूप में न देखें. वह परिवार की जड़ है. उन्होंने  अपने बेटे को जन्म दिया है और उसका पालन-पोषण किया है, और फिर उन्होंने  उसे आपको उपहार में दिया है. उनके  साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसे आप अपने भाई की पत्नी से अपनी माँ के लिए चाहती  हैं. वैसे भी किसी भी वृक्ष को उसकी जड़ से काट कर हम हरा-भरा नहीं रख सकते.

जैसे आप डांट-डपट और झगड़ने के बाद  अपनी मां के खिलाफ कोई शिकायत नहीं रखती  हैं, और आप सब कुछ भूल जाती हैं, वैसे ही आप अपनी सास  के लिए  कोई शिकायत न रखें.वह आपकी माँ जैसी   ही  है.

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यदि वो आपके लिए 10% भी अपने आप को ढालती  है, तो आप अपने आप को भाग्यशाली समझें, क्योंकि यदि आपको खुद को 25 की उम्र में बदलना मुश्किल लगता है, तो कल्पना करें कि 55 की उम्र में बदलना उनके  लिए कितना मुश्किल होगा.

आज के इस लेख के माध्यम से मेरी आप सभी औरतों से जो किसी न  किसी घर की बहू है , ये गुज़ारिश है की अपनी सास को अपने पति की माँ के रूप में न देखें.पहले उसे एक महिला के रूप में देखें और  उसके जीवन और उसके संघर्षों के बारे में जानें . फिर स्वतः ही आप उसका सम्मान करना शुरू कर देंगी .

दोस्तों एक माँ अपने बेटे का मुंह देखने के लिए 9 महीने इंतज़ार करती है ,तो वो उसे इतना प्यार करती है.और वही माँ अपनी बहू का मुंह देखने के लिए 25 साल इंतज़ार करती है, तो सोचो वो उसे कितना प्यार करेगी.

ब्रेकअप के बाद एक्स पार्टनर एक दूसरे से बार बार पूछते हैं जो सवाल

ब्रेकअप हो जाने के बाद भी ब्रेकअप से सम्बन्धित न तो सवाल खत्म होते हैं और न ही जवाब.यह बात उन तथाकथित सेलेब्स पर भी लागू होती है,जो खुद को ब्रेकअप के बाद भी अच्छा दोस्त बताते नहीं थकते.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्रेकअप सच में पीड़ादायी होता है और यह बात हम सब जानते हैं.लेकिन एक बात जो हम या तो कम जानते हैं वो है ब्रेकअप के बाद पैदा होने वाले अनगिनत सवाल.मनोविद कहते हैं चाहे जितनी स्पष्ट वजहों और आरोपों के चलते यह ब्रेकअप हुआ हो लेकिन  बदहवास सवालों की लम्बी सूची फिर भी बन ही जाती है.हाँ यह बात है कि उसी एक्स पार्टनर के बाद ज्यादा सवाल होते हैं,जिसे उस ब्रेकअप से ज्यादा पीड़ा हुई होती है.

हार्वर्ड की एक स्टडी के मुताबिक ब्रेकअप में ज्यादा टूटते तो लड़के हैं,लेकिन वे किसी से अपनी टूटन का जिक्र नहीं करते. मन ही मन घुलते रहते हैं.जबकि लड़कियों के ब्रेकअप के बारे में कम से कम उनकी 2 सहेलियों को तो पता ही होता है.हद तो यह है कि कई बार रोजाना एक ही बस या ट्रेन से सफर करने वाली उनकी सफरी सहेली को भी यह सब पता होता है.इससे उन्हें इस गम से उबरने में आसानी होती है.दूसरी तरफ लड़कों का आलम यह होता है कि उनके रूममेट तक को उनकी यह करूण कथा नहीं मालुम होती,जिससे वह इससे अकेलेद-अकेले ही घुलते रहते हैं.

जहां तक ब्रेकअप के बाद किसी एक पार्टनर द्वारा लगायी जाने वाली बदहवास सवालों की झड़ी का सवाल है तो स्टडी कहती है कि यूँ तो ब्रेकअप के बाद दोनों ही पार्टनरों को लगता है कि उन्हें एक दूसरे से बहुत से सवालों के जवाब जानने हैं,लेकिन ऐसे सवालों को पूछने की झड़ी किसी एक पार्टनर द्वारा ही लगाई जाती है.इसका सीधा सा निष्कर्ष यह होता है कि उन दोनों उसे इससे ज्यादा पीड़ा हुई होती है.मनोविद सवालों की इस झड़ी को फिर से एक साथ होने के लिए लगाईं गयी गुहार कहते हैं.आइये जानते हैं कि ये किस तरह के सावल होते हैं.

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ये अच्छा नहीं किया तुमने ?

यह सवाल भले आरोप की शक्ल में सामने आता हो लेकिन इसका आशय यही होता है कि तुमने ऐसा क्यों किआ ? यह सवाल कोई एक एक्स पार्टनर एक हजारवीं बार भी पहली बार के जैसे आश्चर्य के साथ कर सकता है.अपने इस सवाल का साथ देने के लिए वह साथ में इन सवालों को भी जोड़ता है-

क्या तुम मेरे बिन खुश हो ? जिंदगी में क्या तुम मुझे याद रखोगे ? भले ब्रेकअप के पहले ब्वायफ्रेंड और गर्लफ्रेंड एक दूसरे को कितनी ही बार कहते हों- ‘आई मिस यू’ लेकिन ब्रेकअप के बाद यह सवाल स्थाई हो जाता है.लड़कियां तो खासतौर पर इस सवाल का जवाब जानना चाहती हैं कि उनका एक्स आखिर उन्हें कितना मिस करता है ?

तुम्हें कब लगा कि हमारी स्टोरी खत्म होनी चाहिए ?

स्टडी बताती है कि बहुत अजीब मनःस्थिति होती है हम जिस सवाल से बचना चाहते हैं,उसी को बार बार दोहराते हैं. शायद यह गुहार सुलह के लिए होती है.जो पार्टनर फिर से सुलह करना चाहता है वह विशेष तौरपर यह जानना चाहता है कि वह कौन सी स्थिति रही होगी जब उनके साथी को लगा होगा कि बस बहुत हो गया,अब यह रिश्ता आगे नहीं जा सकता.

क्या हमारा रिश्ता एक गुनाह था ?

ब्रेकअप के बाद आप चाहे जितने आत्मविश्वास वाले हों आपका आत्मविश्वास गड़बड़ा जाता है.इसलिए यह सवाल अक्सर जेहन में आता है.खासकर तब जब दोनों में से कोई एक दूसरे को इस ब्रेकअप से परेशान नहीं पाता.दरअसल स्टडी कहती है कि जो पार्टनर इस ब्रेकअप को खत्म करना चाहता है,उसे इस रिश्ते में अब भी संभावना दिखती है  इसलिए वह बारदृबार यह सवाल पूछता है.

क्या मेरे साथ रहना वाकई मुश्किल हो गया था?

अगर जिससे सवाल किया गया है वह पहली बार में ही जवाब के तौर पर हाँ कह दे तब भी यह सवाल बार बार पूछा जाएगा,पूछा जाता है. क्योंकि जो पार्टनर यह रिश्ता ब्रेक नहीं करना चाहता वह इस स्थिति को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा होता.इसलिए वह फिर फिर दोहराता है-

क्या मेरे साथ रहना वाकई मुश्किल हो गया था ? 

असल में सवाल पूछने वाला जवाब सुनना चाहता है- नहीं ऐसा नहीं था.

क्या मुझसे अलग होकर तुम्हें अफसोस हुआ?

लड़कियां ही नहीं लड़के भी अपने एक्स से यह जानना चाहते हैं कि क्या अलग होकर उनके एक्स पार्टनर को जरा भी अफसोस है?

लड़के तो आमतौर पर सवाल करके ही संतुष्ट हो जाते हैं,भले जवाब न मिले. लेकिन लड़कियां इस सवाल का जवाब भी हर हाल में चाहती हैं ताकि वे अब भी इस एहसास से राहत महसूस कर सकें कि जानना चाहती हैं कि वाकई कभी वह किसी की जिंदगी के लिए कितनी अहम थीं.

ये तुमने क्या स्टाइल बना रखी है ?

ये सवाल नहीं बल्कि एक किस्म से अब भी एक्स साथी के पास बची अधिकार की भावना होती है.खास तौरपर यह अधिकार लडकियां ज्यादा जताती नजर आती हैं.मतलब अब भी वह सिखाना नहीं छोड़तीं.

अब तुम्हारी लाइफ स्टाइल कैसी है ?

अकसर अपने एक्स को खोने के बाद लोगों के जेहन में यह सवाल कौंधता है.वह जानना चाहते हैं कि उनका एक्स, पार्टनर क्या अब भी उन्हें याद करता है ? क्या कहीं उसकी कमी महसूस करता है ?

मेरे बाद तुमने नया क्या किया ?

एक्स पार्टनर इस सवाल के जवाब में सुनना चाहता है कुछ नहीं. दरअसल इस सवाल के पीछे यह जानने की इच्छा बनी रहती है कि कहीं सब कुछ सही तो नहीं चल रहा जिससे उसकी याद का रस्ता ही बंद हो जाए ?

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क्या मुझसे मिलने का कभी मन करता है ?

यह भी वैसा ही सवाल है जिसका हर एक्स पार्टनर हाँ में जवाब सुनना चाहता है,भले अब इस जवाब का कोई मतलब न रह गया हो.

मैरिड लाइफ में हो सफल

आप ने अपने पासपड़ोस में देखा होगा कि कुछ विवाहित जोड़े सदैव खुश तथा सुखी दिखाई देते हैं, तो कुछ दुखी. सुखी पतिपत्नी सदैव सुखी रहते हैं, चाहे शादी हुए एक लंबा समय ही क्यों न बीत गया हो और दुखी पतिपत्नी दुखी ही रहते हैं, चाहे शादी का पहला साल ही क्यों न हो.

ऐसा क्यों होता है? इस का उत्तर ढूंढ़ने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक शोध, सर्वेक्षण तथा अध्ययन किए. इन अनुसंधानों, सर्वेक्षणों तथा अध्ययनों से प्राप्त सार को हम अपने पाठकों तक पहुंचा रहे हैं. हमारा उद्देश्य यही है कि हमारे पाठक सदैव सुखी वैवाहिक जीवन जीएं.

हम इस लेख में सुखी दंपती और दुखी दंपती दोनों का ही विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं :

सुखी जीवन जीने वाले दंपती विवाह को ‘आनंद’ के रूप में स्वीकार करते हैं. यह आनंद बातों द्वारा भी उठाया जा सकता है और किसी कार्य को साथसाथ कर के भी उठाया जा सकता है. दुखी दंपती इसे एक रिश्ते के रूप में देखते हैं. आपस में बातें करना उन्हें समय की बरबादी लगता है. यदि काम करना ही हो तो बस काम निबटाने की सोचते हैं. वे कर्म में आनंद महसूस नहीं करते.

अपनी पत्नी या पति को आनंद के स्रोत के रूप में देखें. यदि एक बार आप के मन में रसिक भाव जाग्रत हो गया तो बुढ़ापे तक यह रसिकता या जिंदादिली काम आती है और आप की पत्नी या पति सदैव आप के लिए आकर्षण का स्रोत बना रहता है. दुखी दंपती शुरू से ही एकदूसरे से ऊब जाते हैं तथा यह उबाऊपन जीवन भर उन का साथ नहीं छोड़ता है.

सुखी दंपती जिंदगी के अन्य मुद्दों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, नातेरिश्तेदारों आदि को दूसरा स्थान देते हैं, जबकि दुखी दंपती इन्हें पहला स्थान देते हैं. समाजसेवा या दोस्तों में मशगूल रहने वाले वास्तव में दुखी पत्नी या पति ही अधिक होते हैं. अत: अपने साथी को ही मित्र बनाइए और जीवन को रंगीन बनाइए.

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सुखी दंपती सैक्स को पूरा महत्त्व देते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे सिर्फ शारीरिक मिलन से अधिक कुछ नहीं समझते. अत: सुखी दंपती सैक्स से ही आनंद प्राप्त करते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे मात्र जैविक क्रिया मानते हैं व इस से दूर भागने का प्रयास करते हैं. सुखी दंपती अपने निजी संबंधों के लिए ही एकांत क्षणों की खोज में रहते हैं, परंतु दुखी दंपतियों को इन क्षणों की चाह ही नहीं होती है.

तर्कवितर्क सुखी दंपती में भी होते हैं व दुखी में भी. लेकिन सुखी दंपती तर्क को तर्क से हल करते हैं, जबकि दुखी दंपती तर्क में कुतर्क कर लड़ाई की स्थिति पैदा कर लेते हैं.

झगडे़ं मगर प्यार से

सुखी जीवन के लिए तर्क करें पर तर्क करने का तरीका संयत रखें. यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि तर्क क्यों किया, बल्कि यह महत्त्वपूर्ण होता है कि तर्क कैसा किया अर्थात झगड़ें जरूर पर प्यार से.

सुखी जीवन के लिए ऊंचे स्वर में न बोलें. धीमे बोलें, प्यार से बोलें, मीठा बोलें. याद रखें कभी आप को अपने शब्दों को निगलना भी पड़ सकता है.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को सम्मान दें.

पतिपत्नी एकदूसरे के मित्रों के बारे में अपनी राय एक दूसरे पर न थोपें. इसे नितांत निजी मामला मान कर चुप रहें. दुखी दंपती आधा समय तो एकदूसरे के दोस्तों के बारे में ही अपनीअपनी राय दे कर झगड़ते रहते हैं.

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सुखी पतिपत्नी बारबार अपने प्रेम का इजहार करते हैं, प्रेम भरे बोल बोलते हैं, एकदूसरे की इच्छाओं, शौकों इत्यादि का ध्यान रखते हैं तथा जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर उत्सव मनाते हैं. इस से दोनों पक्षों में प्रेम और अधिक प्रगाढ़ होता है, जबकि दुखी पतिपत्नी इन सब को आडंबर मान कर कोई महत्त्व नहीं देते हैं. बारबार यह कहने से कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं/करती हूं से प्यार सचमुच बढ़ता है. कभीकभी उपहार लाने और नई खाने की चीज ला कर साथसाथ खाने का भी अपना अलग ही आनंद होता है. अत: सुखी दंपती सदैव एकदूसरे के प्रति सजग व समर्पित होने के साथसाथ प्यार की अभिव्यक्ति में भी आगे रहते हैं.

भावनाओं को दें सम्मान

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति सम्मान दो व सम्मान लो की नीति अपनाते हैं. एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं व एकदूसरे की रुचियों में रुचि लेते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे की आय, उस के कार्य, उस की प्रतिष्ठा से संतुष्ट रहते हैं. यदि कोई पत्नी अपने कम पढ़ेलिखे पति को यह कह दे कि तुम सचमुच विद्वान हो तो पति की खुशी का ठिकाना न रहेगा व वह विद्वान होने का प्रयास करेगा. इसी प्रकार पति अपनी रणचंडी जैसी पत्नी को बहुत ही शांत स्वभाव की कहे तो ऐसा कहना उन के बीच के विरोध को पाटने में सफल होगा. परंतु ध्यान रखें कि अतिशयोक्ति न हो. एकदूसरे की आय के प्रति सदैव संतुष्टि बनाए रखें. यही सुखी रहने का रहस्य है.

सुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति भिन्न विचारधारा नहीं रखते हैं. दोनों मिलजुल कर ऐसा रास्ता निकालते हैं, जिस से बच्चों का भविष्य भी न खराब हो और उन के अहं को भी चोट न पहुंचे. जबकि दुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति अडि़यल रुख अपना लेते हैं. इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, पतिपत्नी में भी मनमुटाव हो जाता है.

सुखी दंपती अपने साथी से कुछ भी नहीं छिपाते हैं. वे एकदूसरे को अपना सब से बड़ा हितैषी व मित्र मानते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति अटूट विश्वास व निष्ठा रखते हैं, जबकि दुखी दंपती एकदूसरे से बहुत कुछ छिपाते हैं. एकदूसरे पर संदेह करते हैं तथा इन में निष्ठा का भी अभाव होता है. यदि आप सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इन सूत्रों को अपनाते हैं, तो हमें पूरा विश्वास है कि आप का दांपत्य जीवन भी आनंद से भर उठेगा.

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आर-बाम्बिंग’ रिलेशनशिप सही नहीं

कहीं आप भी तो आर-बोम्बिंग रिलेशनशिप का शिकार तो नहीं? आप जानते हैं इस रिलेशनशिप के बारे में?आपको उत्सुकता होगी जानने की, कि आखिर आर-बोम्बिंग रिलेशनशिप क्या बला है?

दरअसल आज के समय में रिलेशनशिप को एक अलग ही तरीके से और बिल्कुल अलग नजरिए से देखा जा रहा है .आप ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि इस कदर रिश्तो की परिभाषाएं बदल जाएगी.

क्या आपको जानकर विश्वास होगा कि रिलेशनशिप में भी ट्रेंड का दौर चल चुका है? कभी ब्रेकअप पार्टी ,कभी डबल डेटिंग ,कभी ऑनलाइन चैटिंग, कभी डाइवोर्स पार्टी ,तो कभी वन नाइट स्टैंड. लेकिन अब आप इसमें एक ट्रेंड और जोड़ लीजिए वह है आर-बोम्बिंग.

काफी लोगों के लिए यह रिलेशनशिप ट्रेंड किसी पहेली से कम नहीं. आइए जानते हैं क्या है ये आर-बोम्बिंग रिलेशनशिप ? वास्तव में यह टर्म जुड़ी हुई है मोबाइल रिलेशनशिप के साथ.

इसके अनुसार जब डेटिंग कपल के बीच प्यार भरे संदेशों का आदान-प्रदान चलता है तो, इसी दौरान कुछ ऐसा घटित होता है. जो इस नई संभावना यानी आर-बोम्बिंग रिलेशनशिप को जन्म देता है.

कैसे जाने

वैसे आप भी किसी रिलेशनशिप में है? तो जरूर ध्यान कीजिए. कहीं आपके साथ भी तो ऐसा कुछ नहीं हो रहा है? इस रिलेशनशिप में जब आप अपने पार्टनर को कोई मैसेज भेजते हैं और आपको यह पता चल जाए कि मैसेज पढ़ लिया गया है.

लेकिन रिप्लाई नहीं आया तो इसमें आशंकाओं ,दुविधा और असमंजस की संभावना बढ़ती चली जाती है.

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क्या मैसेज पढ़ने के बाद भी यदि आपको उसका रिप्लाई नहीं मिलता.चलिये माना एक बार ऐसा हो सकता है .दोबारा ऐसा हो सकता है. लेकिन बार-बार तो यह नहीं हो सकता .

तो समझ जाएं कि आप आर बोम्बिंग रिलेशनशिप में हैं. जब आपकी पार्टनर आपको इस तरह से बार-बार इग्नोर करें. तो आप मान लीजिए कि आर-बोम्बर बन चुके हैं.

कारण आर-बोम्बिंग रिलेशनशिप के

आर-बोम्बिंग बहुत कुछ घोस्टिंग ट्रेंड से मिलती जुलती हैं. जानते हैं ना घोस्टिंग क्या है ? घोस्टिंग रिलेशनशिप के अंतर्गत सोशल मीडिया पर आपको अनफॉलो या ब्लॉक कर दिया जाता है.

यह बात भी हालांकि दिल तोड़ने वाली है लेकिन आर-बोम्बिंग के मुकाबले कम .आर-बोम्बिंग का मतलब है कि आपकी पार्टनर या फ्रेंड आपसे दूर होना चाहती है .लेकिन आपको हर्ट भी नहीं करना चाहती.

असमंजस भरा रिश्ता

यानी बता भी नहीं पा रही और छिपा भी नहीं पा रही. इसका सबसे पहला कारण तो यह है कि आपकी दोस्त आपसे उकता गयी है और वह इस रिश्ते से बोर होकर आपसे दूर जाना चाहती हैं.

लेकिन वह किसी भी लफड़े में पड़ने से बेहतर समझती है चुप रहना. ‘R-bomb’ attitude वाले लोगों में बुनियादी कम्युनिकेशन स्किल की कमी होती है.

वे वास्तव में क्या चल रहा है सांझा करने के बजाय चुप रहना चुनती हैं. वे किसी प्रकार के झगड़े से डरती हैं और धोखा देती रहती है.

दूसरे की तरफ आकर्षण(Attraction to the other side)

किसी और के प्रति आकर्षण का बढ़ना भी हो सकता है. यानी कि आपकी पार्टनर किसी अन्य व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो चुकी है .लेकिन आपको बताने में हिचक रही है .शायद आपका प्यार या लगाव इतना गहरा है कि वह आपको हर्ट भी नहीं करना चाहती.

बिजी शेड्यूल(busy schedule)

तीसरा कारण है जो शायद सही भी है आपकी पार्टनर इतनी बिजी या काम में उलझी हुई रहती है कि आपके मैसेज पढ़ने का मौका ही नहीं मिल पाता. या कोई और परेशानी भी हो सकती है.

क्या है इस रिलेशनशिप का ट्रीटमेंट

सबसे आसान तरीका है बातचीत करें

अगर आपको महसूस हो रहा है कि आप आर-बोम्बिंग रिलेशनशिप का टारगेट बन गए हैं .तो आपको इस बारे में अपने पार्टनर से बात करनी चाहिए.

खुद अलग हो जाएं

इसके अलावा आप अपने रास्ते अलग कर लें. ऐसी फ्रेंड के साथ रिलेशनशिप में रहने से कोई फायदा नहीं .हो सके तो एक काउंसलर की भी सलाह ले सकते हैं.

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अपने को धोखे में ना रखें

खुद को टॉर्चर करने से कोई फायदा नहीं. मैसेज के रिप्लाई का इंतजार करना छोड़ दें.जीवन में प्यार जरूरी है लेकिन एक तरफा नहीं. प्रेम की कशिश यदि दोनों और बराबर हो ,तभी इस रिलेशनशिप में रहने का मजा है.

नए मित्र की तलाश

अच्छा है कि आप एक प्यार करने वाले पार्टनर की तलाश शुरू कर दें. अगर आप आर-बांबर बन चुके हैं तो अपनी पार्टनर का पीछा करना छोड़ दें. उससे सारे कांटेक्ट्स खत्म कर दे.

कम उम्र का प्यार और परेशानियां

लेखक- शंभू सरण सत्यार्थी

अमरेश और बबिता दशम वर्ग में एक ही कोचिंग संस्थान में पढ़ते थे. अमरेश अपने क्लास में पढ़ने में सबसे तेज था. बबिता भी कम नहीं थी. वह भी मेधावी थी. शिक्षकों के हर सवाल का जवाब ये दोनों देते. शिक्षक लोग भी दोनों को प्रोत्साहित और तारीफ करते रहते. बबिता सभी लड़कियों में मेधावी के साथ साथ सुंदर भी थी. लड़के जब भी मौका मिलता उसे भर नजर देखा करते. उसके पिता कस्बे के नामी ब्यापारी थे. वह एक से एक सुंदर और महंगी टॉप जीन्स और अलग अलग वेरायटी का कपड़े पहनकर आती. कोचिंग में जब कोई फ़ंक्शन होता तो लड़के लड़कियां यहां तक कि शिक्षक तक उसका ड्रेस देखकर दंग रहते.

लड़के लड़कियां देखकर दंग रहते. बबिता एक दिन अमरेश से मैथ का कॉपी मांगी.  अमरेश खुश होकर दे दिया. अब बराबर दोनों एक दूसरे को कॉपी नोटस दिया करते. इसी बहाने घनिष्टता बढ़ते गयी. एक दिन अमरेश के कॉपी पर बबिता आई लव यू लिखकर भेज दी. अमरेश देखते ही इतना खुश हुआ कि जिसका कोई जवाब नहीं. अमरेश ने भी आई लव यू लिखकर जवाब दिया. उसके बाद बबिता कॉपी पर अपना मोबाइल नम्बर दी. अमरेश के पास मोबाइल नहीं था. अमरेश के पिता साधारण किसान थे. अमरेश ने कॉपी पर लिख दिया मेरे पास मोबाइल नहीं है.  पुनः बबिता लिखी उसका इंतजाम हम करेंगे. उसके बाद उसने अपने नाम से एक सिम ली और एक मोबाइल खरीदकर अमरेश को  दिया. अब अमरेश और बबिता की बात मोबाइल पर होने लगी.

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दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों मैट्रिक का परीक्षा दे दिए. बबिता अमरेश के साथ भाग जाने के लिए बोलने लगी. अमरेश बोलने लगा. हमलोग बाहर भाग कर क्या करेंगे. इसपर बबिता बोलने लगी तुम कहीं काम पकड़ लेना और हम भी कुछ काम पकड़ लेंगे. इसलिए कि तुम्हारे साथ में हमारे माता पिता शादी करने के लिए कभी राजी नहीं होंगे. हम तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकते. अमरेश पहले तो तैयार नहीं हो रहा था. लेकिन जब बबिता रोकर यही बात एक दिन मोबाइल पर कहने लगी तो वह भावुक हो गया. अमरेश के पिताजी धान बेचकर बीस हजार रुपये रखे थे. वह लेकर निकल गया. बबिता भी अपने घर से अपने पापा के गोदरेज से एक लाख रुपये निकाल कर दोनों निकल गए. दोनों ट्रेन पकड़कर कोलकत्ता चले गए. वहां एक होटल में एक कमरा लेकर रहने लगे. इधर बबिता के पिता ने स्थानीय थाना में मुकदमा दर्ज कर दिया. मोबाइल के लोकेशन से चौथे ही दिन पुलिस वाले ने कोलकत्ता होटल से गिरफ्तार कर लिया. बबिता के पिता और उसके परिजनों ने अमरेश के परिवार वाले को धमकी भी दी. अमरेश के ऊपर मुकदमा दायर हुआ और उसे जेल भेज दिया गया. अभी भी जुवेनाइल कोर्ट में मामला चल रहा है.

बिंदु दशम वर्ग की छात्रा है.  इसके पिता प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी हैं.  बिंदु को ट्यूशन पढ़ाने के लिए मनीष नामक युवा आता है.  मनीष कम्पीटिशन की तैयारी करता है.  अपना पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए वह तीन चार घरों में ट्यूशन भी पढ़ाता है.  मनीष के पापा छोटी सी गुमटी में फल बेंचते हैं.  बिंदु स्वर्ण जाति की है.  जबकि मनीष दलित वर्ग का. एक दिन मनीष बायोलॉजी में प्रजनन क्रिया से सम्बंधित चेप्टर पढ़ा रहा था. किशोरावस्था में होने वाले बदलाव के सम्बंध में जब बताने लगा तो बिंदु काफी इंटरेस्ट के साथ बार बार सवाल पूछने लगी. मनीष सकुचाते हुवे बताने लगा कि किशोरावस्था में लड़कियों को गुप्तांगो के पास बाल आने लगते हैं. बिंदु पूछने लगी सच में ऐसा होता है.  तो मनीष भी रोमांचित हो गया और बोला तुम खुद अपना देख लेना. इतना सुनते ही वह मुस्कुराकर और हँसकर बोलने लगी. जी सर सही बात है.  हमें भी है.  वह खुलने लगी थी. मनीष भी युवा था. उसने उसका हाँथ पकड़कर चांपा तो वह भी उसके हाथों को कसकर जकड़ लिया.  मौका मिलते ही. मनीष ने किश कर लिया. इसके बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा.  इसी बीच मनीष के पिता इसकी शादी की बातचीत करने लगा. यह बात उसने बिंदु को बता दिया. बिंदु को ज्योहीं मालूम हुआ. वह घर से भाग जाने के लिए प्लानिंग करने लगे. बिंदु के माता पिता एक रिलेशन में शादी विवाह के लिए गए हुवे थे. इसी बीच दोनों फरार हो गए. दोनों लुधियाना मनीष के दोस्त के पास चले गए. इधर बिंदु के पिता ने थाना में अपहरण का मुकदमा दर्ज कर दिया. लड़की नाबालिग थी. 18 वर्ष नहीं हुआ था. पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर लिया. मनीष के ऊपर अपहरण और यौन शोषण के साथ बलात्कार का मामला चला. उसे कोर्ट ने सात वर्ष की सजा सुना दी.

चंपा और रवि का घर आमने सामने था. दोनों एक ही जाती बिरादरी के भी थे. दोनों के पिता की आपस में दोस्ती थी. चंपा और रवि भी एक दूसरे घर आते जाते रहते थे. दोनों को एक दूसरे का देखना आपस में बातचीत करना जारी रहा. यह बातचीत और मेलजोल प्यार में बदल गया. रवि का उम्र 22 वर्ष और चंपा का 16 वर्ष था. रवि की शादी जब तय हुवी तो चंपा जहर खाकर मर जाने की बात कहने लगी. बोलने लगी रवि मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती . चलो हमलोग किसी शहर में भाग चलें. दोनों अपने घरों से माता पिता का पैसा लेकर दिल्ली चले गए. वहां दोनों एक किराया का कमरा लेकर रहने लगे. चंपा के पिता ने केस कर दिया . पुलिस ने दोनों को पकड़कर दिल्ली से लेकर आयी.  लड़के के ऊपर अपहरण और रेप का मुकदमा चला. रवि अभी भी जेल के सलाखों में बंद है.

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इस तरह बहुतेरे किशोर उम्र के लड़के लड़कियां प्यार के चक्कर में पड़कर घरों से भाग जाते हैं. लड़की के माता पिता मुकदमा करते हैं.  लड़की नाबालिग रहने पर अपहरण और बलात्कार का मुकदमा चलता है. प्यार के चक्कर में पड़कर हजारों लड़के जेल की हवा खा रहे हैं.  इन्हें समाज के लोग भी साथ नहीं देते. इन किशोरों को नहीं मालूम होता कि सही क्या है.  भावनात्मक लगाव और शारीरिक आकर्षण के चक्कर में पड़कर इनका पूरा जीवन नारकीय बन जाता है.

इन किशोरों को मालूम नहीं होता कि पति पत्नी और पारिवारिक रिश्ता क्या होता है ? घर परिवार चलाने के लिए पहले अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है.  शादी विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष होना जरूरी है.  अगर कानून रूप से जब उम्र सही हो और अपने स्वयं नौकरी या रोजगार में हो तो अपने माता पिता और लड़की के माता पिता और रिश्तेदारों को विस्वास में लेना जरूरी है. तभी प्रेम विवाह सफल हो सकता है.

जब प्यार होने लगे गहरा

प्यारकरना तो आसान है मगर उसे निभाना और कायम रखना बहुत मुश्किल होता है. प्यार तभी सफल हो पाता है जब दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझनेजानने लगते हैं. एकदूसरे के प्रति पूरा विश्वास बना कर रखते हैं और छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं. प्यार जब गहरा होने लगे तो कुछ बातों का खयाल जरूर रखें.

1. सीक्रेट करें जाहिर

जब आप एकदूसरे के साथ गहराई से जुड़ जाते हैं तब आप दोनों के बीच कोई राज नहीं रहना चाहिए. आप वास्तव में किसी के करीब हैं तो अपनी खूबियों के साथसाथ अपने व्यक्तित्व के नकारात्मक पहलू को उजागर करने से न घबराएं. भले ही एकसाथ अपनी सारी नैगेटिव बातें न बताएं मगर धीरेधीरे हर राज खोलने शुरू करें. शुरुआत में आप इस बात पर भी गौर करें कि जब आप अपने साथी को अपनी कुछ नैगेटिव बातें बताते हैं तो उस का क्या रिऐक्शन होता है. यदि वह आप से सचमुच प्यार करता होगा तो आप के  व्यक्तित्व के अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को स्वीकार करेगा और उस के प्यार में कोई कमी नहीं आएगी.

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2. दिल की बातें

कई बार जिसे हम चाहते हैं, उस से अपनी अपेक्षाओं और मन में चल रही उलझन को शेयर नहीं कर पाते. संभव है कि आप का पार्टनर कुछ समय से आप को औफिस के बाद फोन नहीं कर रहा है, जबकि पहले वह हरदिन एक घंटे बात करता था. ऐसे में आप महसूस करेंगी कि जैसे अब उस का प्यार कम हो गया है. वह आप से बोर हो गया है और आप इस रिश्ते को ले कर इनसिक्योर फील करती हैं. यह सोच गलत है. आप साफतौर पर उसे अपनी इच्छा से अवगत कराएं कि औफिस के बाद आप उस के फोन का इंतजार करती हैं. हो सकता है कि वह अपने किसी प्रोजैक्ट में व्यस्त होने से ऐसा नहीं कर पा रहा. इस तरह बेवजह दूरी बनाने से अच्छा है कि बात स्पष्ट रूप से कर ली जाए.

3. पार्टनर पर हक न जताएं

अकसर हम सोचते हैं कि जिसे हम प्यार करते हैं उस का सारा वक्त सिर्फ हमारे लिए है, पर ऐसा नहीं होता. यह समझना बहुत जरूरी है कि आप का पार्टनर भी इंसान है और उस की अपनी अलग जिंदगी है. अपनी पसंद, अपने शौक और रिश्तेनाते भी हैं. हर समय अपने पल्लू से बांध कर रखने या अपनी इच्छानुसार उसे चलाने के बजाय उसे भी थोड़ी स्वतंत्रता और स्पेस दें, ताकि वह खुद को बंधा महसूस न करे और खुल कर आप के साथ एंजौय करे.

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4. झगड़ा प्यार से सुलझाएं

रिश्ते की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि आप उस झगड़े को कैसे सुलझाते हैं. यह नियम बनाएं कि जब भी झगड़ा हो, दोनों में से एक शांत रहे, चुप हो जाए. कुछ देर के लिए एकदूसरे से दूर हो जाएं. 24 घंटे के अंदर उस मुद्दे पर फिर दोबारा डिस्कशन जरूर करें. क्रोध के समय झगड़ा सुलझाने का प्रयास उलटा असर दिखाता है, इसलिए कुछ घंटे बाद जब दोनों का दिमाग शांत हो जाए तब उस बात पर विचार करें.

बौयफ्रेंड से शादी करने से पहले जान लें ये बातें

अगर आप अपने प्रेमी के साथ शादी करने की सोच रही हैं तो बेहतर है कि आप उसके परिवार के लोगों से भी मिलना शुरू कर दें. किसी भी संबंध में रहना एक अलग बात है और शादी के बंधन में बंधना एक अलग बात है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि शादी के बाद आपको उसी परिवार के साथ रहना है.

अगर आपको शादी के बाद पता चले कि आपने जिससे शादी की है वो व्यक्ति तो अच्छा है लेकिन उसका परिवार वैसा नहीं है, जैसा आप चाहती हैं तो आप क्या करेंगी. इसलिए चलिए आज जानते हैं कि आपको कौन-सी खास चीजें अपने साथी के परिवार के बारे में पता होनी चाहिए.

1. क्या परिवार का स्वभाव डोमिनेटिंग है

कोई भी इंसान आप पर अपने फैसले थोपने लगे या आप पर हावी होने लगे तो शायद उनका यह स्वभाव आपको बिल्कुल पसंद नहीं आएगा. इसलिए आप पहले ही जान लें कि कहीं उसके परिवार के सदस्यों का स्वभाव डोमिनेट करने वाला तो नहीं हैं. ऐसा कोई भी हो सकता है जैसे उसके पिता, मां, भाई या बहन. अगर ऐसा है तो अभी भी समय है कि आप एक बार फिर सोच लें, क्योंकि इस तरह के माहौल में आप खुद को एडजस्ट नहीं कर पाएंगी और फिर इससे आपके रिश्ते भी परेशानी में आ जाएंगे.

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2. क्या मां अपने बेटे पर बहुत हक जताती है

अगर आपके बौयफ्रेंड की मां उस पर जरुरत से अधिक हक जताती है तो आपके लिए उनके साथ रहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. अगर आप एक-दूसरे को पसंद करते हैं तो फिर आपको कोई परेशानी नहीं होगी. अगर मां उसके हर फैसले को नियंत्रित करती है तो हो सकता है कि आपको उनका दखलअंदाज करना पसंद ना आए. ऐसा हो सकता है कि आपका बौयफ्रेंड चाहे कि आप उसकी मां को हर चीज के लिए मनाएं लेकिन आप हर बार ऐसा नहीं कर पाएंगी और परेशान हो जाएंगी. इसलिए बेहतर है कि आप उसके परिवार से पहले ही मिल लें और उनके व्यवहार के बारे में जान लें.

3. पिता कहीं औथोरिटेरियन तो नहीं

शादी के बाद ऐसा ना हो कि उसके पिता अपने फैसलों को लेकर काफी संवेदनशील हो. बहुत परिवारों में बुजुर्ग इंसान चाहते हैं कि सभी लोग उनकी कही बात माने और उनके फैसलों का अनुसरण करें. अगर ऐसा होगा तो वो अपने बेटे के लिए खुद ही सारे फैसले लेना चाहेंगे जिससे आगे चलकर आपको समस्या हो सकती है.

4. क्या वो आपको बदलने की कोशिश कर रहे हैं 

जिस तरह आप किसी को बदल तो नहीं सकते हैं उसी तरह आप भी इस तरह के लोगों से साथ रहना पसंद नहीं करेंगे जो आपको बदलने की कोशिश करें. आपका अपना अलग स्वरुप और मिजाज है और अगर उसे कोई पसंद नहीं करता है तो वो उनकी समस्या है. इसलिए उनसे पहले मिलें और समझें कि क्या वो ऐसे लोग हैं जो आपको बदलने की कोशिश कर सकते हैं या कर रहे हैं. अगर हां तो बेहतर होगा कि खुद को उनसे दूर ही रखें.

5. भाई-बहन – अगर आप पहले ही उसके परिवार के सदस्यों से मिल लेंगी तो आप जान पाएंगी कि उसके भाई-बहन का स्वभाव कैसा है. क्या वो सबसे घुल-मिल कर रहते हैं या किसी नए इंसान का होना उनकी आंख में खलता है. इससे आप अंदाजा लगा पाएंगी कि शादी के बाद वो आपके साथ किस तरह से पेश आएंगे और आप उन्हें किस तरह ट्रीट करें. आपके बौयफ्रेंड को उसके भाई बहनों से काफी लगाव होगा जैसा कि हर इंसान को होता है इसलिए जरुरी है कि आप भी उन लोगों के साथ अच्छी समझ बना सके. इसके लिए मुलाकात करना आवश्यक है.

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6. सगे-सम्बंधी – उसके परिवार के सभी सदस्यों से मिलकर आप जानेंगी कि कहीं उसके सगे-सम्बंधियों का स्वभाव हर बात में दखलअंदाजी करने वाला तो नहीं है. अगर वो उसके परिवार के हर मामले में दखल देते हैं तो इससे आपको परेशानी हो सकती है. इसमें कोई शक नहीं है कि सगे-सम्बंधियों का स्वभाव मदद करने से ज्यादा परेशानी देने वाला होता है.

#lockdown: ब्यॉयफ्रैंड के Birthday पर मंगेतर ने दिया सरप्राइज गिफ्ट, दुनिया कर रही तारीफ

एक समय ही है जो कभी ठहरता नहीं है. आपने भी बड़े बुजुर्गों से सुना होगा कि समय बहुत बलवान होता, चाहे दुख की घड़ी हो या फिर सुख के पल, कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता है. यह हमारे उपर डिपैंड करता है कि किस क्षण को किस रूप में लेना है. सुख के पल को तो हम सभी मिलकर एंजौय करते हैं लेकिन जैसे ही कोई कठिन परिस्थिति आती है हम घबरा जाते हैं. जबकि हमें इसे भी सकारात्मक रूप में लेकर ये सोचना चाहिए कि बुरा वक्त भी कट जाएगा और सब ठीक हो जाएगा.

कोरोना के कारण एक तरफ जहां दुनिया थम सी गई हैं वहीं कुछ लोग इस समय को भी अपने-अपने तरीके से मजेदार बना रहे हैं और लोगों को मोटिवेट करने का काम कर रहे हैं. कोरोना को हराने के लिए देश भर में लौकडाउन है, लेकिन तारीख कब रूकी है जो अब रूकेगी. ऐसे में कई लोगों के बर्थ डे और एनिवर्सिरी की तारीख आनी भी तय  है. हमारे सामने कई लोगों के उदाहरण आए जिन्होंने अपना बर्थ डे सेलेब्रेट नहीं किया, लेकिन बात जब प्यार की होती है सारे दुनिया एक तरफ और प्यार एक तरफ. जब दो लोग सच्चे प्यार में होते हैं तो एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं. छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रखते हैं और ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते जब अपने पार्टनर को स्पैशल महसूस करवा सकें. ऐसे में जब पार्टनर का बर्थ डे हो तो क्या ही कहने.

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कपल्स एक महीने पहले से ही बर्थ डे की तैयारी में जुट जाते हैं और अपने पार्टनर को सबसे स्पैशल गिफ्ट देना चाहते हैं. लेकिन जब हालात लौकडाउन जैसे हों तो सारी प्लानिंग फेल हो जाती है. हम ऐसे ही एक कपल की बात कर रहे हैं जो बर्थ डे मनाने के तरीके को लेकर लोगों से तारीफ बटोर रहे हैं.

दरअसल, Hannah Chugh कैलिफोर्निया में रहते हैं. मौका था इनके जन्मदिन का और इनकी मंगेतर इन्हें कुछ खास तोहफा देना चाहती थीं लेकिन ऐसे समय में वह तोहफा लाती तो लाती कहां से. बंद घर में रहने के बावजूद उनकी मंगेतर ने गिप्ट देने की ठानी और घर बैठे पूरी प्लानिंग कर डाली और ऐसा सरप्राइज गिफ्ट दिया कि पूरा दुनिया कहने लगी भई ऐसी गर्लफ्रैंड सभी को मिलनी चाहिए. दरअसल, मंगेतर ने उनके अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के घरों में दरवाजे के नीचे से नोट्स डालें.  लगभग 76 नोट्स घरों में पहुंच गए. उन्होंने नोट्स पर लोगों से रिक्वैस्ट की थी कि, Hannah के खिड़की खोलते ही सभी लोग अपने घरों की खिड़की से हैपी बर्थ डे विश करें. लोगों ने भी ठीक वैसे ही किया, जैसे ही हनाह ने खिड़की खोली सभी लोगों ने हैपी बर्थ डे गाना शुरू कर दिया. साथ ही लोगों ने वीडियो शूट करके उनकी गर्लफ्रैंड को भी भेजा.

इस वीडियो को हनाह ने अपने इंस्टा अकाउंट पर भी शेयर किया है. जिसे पूरी दुनिया देख रही है, लोगों ने कमेंट कर उन्हें बर्थ डे विश किया है और उनकी मंगेतर की तारीफ भी कर रहे हैं. आप भी याद रखिए ये तारीखें भी निकल जाएगी और कोरोना भी हार जाएगा. घर पर रहिए और सकारात्मक सोच के साथ अपनों के साथ समय व्यतीत कीजिए.

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5 टिप्स: रिश्तों को सुधारें ऐसे

रिश्तें बनाना जितना आसान होता हैं उन्हें निभाना उतना ही मुश्किल होता है. जीवन में खुशियां अच्छे रिश्तों से ही आती हैं. ऐसा माना गया है कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं. आपके रिश्ते आपके व्यवहार, आपकी सूझ-बूझ और एक दूसरों की समझने पर निर्भर करते हैं.

किसी ऐसे इंसान को ढूंढना जिसके साथ आप पूरी ज़िंदगी बिता सके ऐसा बहुत मुश्किल होता है. हर रिश्ते में उतार, चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि आप उन रिश्तों को वहीं खत्म कर दें. उन्हें सुधारने का प्रयास जरुर करना चाहिए. जिससे रिश्तों को बचाया जा सकता है. तो आइए आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं जिससे रिश्तों में सुधार लाया जा सकता है.

1. साथ में ज्यादा समय व्यतीत करें

अपने पार्टनर के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच मन-मुटाव दूर होगा और आप एक दूसरे को अच्छे से समझ भी पाएंगे. ज्यादा समय देने से आप अपने पार्टनर की अधिक देखभाल कर सकते हैं जिससे आपके बीच की बॉडिंग भी मजबूत हो जाती है.

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आप साथ में कार्ड्स खेले, बाहर घूमने जाए, नयी-नयी चीजों को ट्राई करें, एक-दूसरे की मदद करें. कुछ ऐसा करें जो आप दोनों को ही पसंद हो और आप दोनों को उसे करने में बराबर की खुशी महसूस करते हों. साथ ही ऐसी चीजों को अवॉइड करें जिससे आप दोनों में टेंशन बढ़ती है.

2. एक दूसरे को स्पेस दें

कभी-कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं जिनमें केवल आप खुद को समझ सकते हैं. उस वक्त अकेले रहने का मन होता है. ऐसे में आप अपने पार्टनर को समय दें. उन्हें उनकी लाइफ जीने दें और आप भी अपनी ज़िंदगी को थोड़ा समझें. अगर एक-दूसरे की लाइफ में आप ज़्यादा दखल देंगे तो इससे आपको अपना रिश्ता बोझ लगने लगेंगा.

अगर आपका पार्टनर अपने दोस्तों के साथ हैंग-आउट करना चाहता हैं तो उन्हें रोके-टोके नहीं. दोस्तों के साथ समय बिताना हम सबको अच्छा लगता है. वो आपसे प्यार करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उनके लिए दोस्त मायने नहीं रखते इसलिए रिश्तों में स्पेस देना बहुत जरूरी है.

3. भरोसा करें

किसी भी रिश्ते में जितना प्यार की जरूरत होती है उतना ही भरोसा भी होना चाहिए. अगर आपके रिश्ते में शक नाम की चीज आ जाएगी तो वो आपके रिश्ते को दीमक की तरह खा जाएगी. खासकर कि लॉन्ग-डिस्टेन्स रिलेशन में. एक-दूसरे पर भरोसा होना बहुत जरूरी होता है. वरना आपका रिश्ता बहुत ही मुश्किल में पड़ सकता है.

प्यार अगर कम भी हो तो रिश्ते निभाए जा सकते हैं लेकिन अगर भरोसा न हो तो रिश्तों को टूटने में ज़्यादा समय नहीं लगता. ऐसा कहा भी जाता है कि रिश्ते एक धागे की तरह होते हैं अगर आप उसे ज़्यादा खीचेंगे तो उन्हें टूटने से कोई नहीं रोक सकता इसलिए अगर आप अपने रिश्ते में मजबूती चाहते हैं तो रिश्ते की डोर में थोड़ी ढ़ील तो देनी ही होगी.

4. लगाव होना भी है जरुरी

आप अपने साथी को कितना चाहते हैं ये उसे कैसे पता चलें? आप उनसे प्यार करते हैं ये उन्हें बताना भी जरुरी है. कहते हैं कि प्यार की कोई भाषा नहीं होती है लेकिन कभी-कभी शब्दों में इसे बयां करना ज़रुरी हो जाता है इसलिए उनसे अपना लगाव बढ़ाए. सेक्स और लगाव दो अलग-अलग चीज़ें होती हैं. बेडरूम के बाहर भी अपने पार्टनर के लिये आपको प्यार जताने की ज़रूरत है.

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5. एक दूसरे की बातें सुने

किसी भी विषय पर बहस करने की बजाय एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनें और समझे. बहस करने से किसी भी बात का हल तो निकलना नहीं है और आप बेवजह की लड़ाई करके बात को और बिगाड़ देंगे इसलिए एक-दूसरे की बातों को समझकर अपना पक्ष रखें. अगर आप सही हैं तो आपका साथी आपकी बात जरुर समझेगा. ऐसा करने से आपकी आपसी समझ अच्छी होगी. बस उन्हें समझने के लिए थोड़ा वक्त दें.

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