5 टिप्स: रिश्तों को सुधारें ऐसे

रिश्तें बनाना जितना आसान होता हैं उन्हें निभाना उतना ही मुश्किल होता है. जीवन में खुशियां अच्छे रिश्तों से ही आती हैं. ऐसा माना गया है कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं. आपके रिश्ते आपके व्यवहार, आपकी सूझ-बूझ और एक दूसरों की समझने पर निर्भर करते हैं.

किसी ऐसे इंसान को ढूंढना जिसके साथ आप पूरी ज़िंदगी बिता सके ऐसा बहुत मुश्किल होता है. हर रिश्ते में उतार, चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि आप उन रिश्तों को वहीं खत्म कर दें. उन्हें सुधारने का प्रयास जरुर करना चाहिए. जिससे रिश्तों को बचाया जा सकता है. तो आइए आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं जिससे रिश्तों में सुधार लाया जा सकता है.

1. साथ में ज्यादा समय व्यतीत करें

अपने पार्टनर के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच मन-मुटाव दूर होगा और आप एक दूसरे को अच्छे से समझ भी पाएंगे. ज्यादा समय देने से आप अपने पार्टनर की अधिक देखभाल कर सकते हैं जिससे आपके बीच की बॉडिंग भी मजबूत हो जाती है.

ये भी पढ़ें- अगर रिश्तों में हो जलन की भावना

आप साथ में कार्ड्स खेले, बाहर घूमने जाए, नयी-नयी चीजों को ट्राई करें, एक-दूसरे की मदद करें. कुछ ऐसा करें जो आप दोनों को ही पसंद हो और आप दोनों को उसे करने में बराबर की खुशी महसूस करते हों. साथ ही ऐसी चीजों को अवॉइड करें जिससे आप दोनों में टेंशन बढ़ती है.

2. एक दूसरे को स्पेस दें

कभी-कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं जिनमें केवल आप खुद को समझ सकते हैं. उस वक्त अकेले रहने का मन होता है. ऐसे में आप अपने पार्टनर को समय दें. उन्हें उनकी लाइफ जीने दें और आप भी अपनी ज़िंदगी को थोड़ा समझें. अगर एक-दूसरे की लाइफ में आप ज़्यादा दखल देंगे तो इससे आपको अपना रिश्ता बोझ लगने लगेंगा.

अगर आपका पार्टनर अपने दोस्तों के साथ हैंग-आउट करना चाहता हैं तो उन्हें रोके-टोके नहीं. दोस्तों के साथ समय बिताना हम सबको अच्छा लगता है. वो आपसे प्यार करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उनके लिए दोस्त मायने नहीं रखते इसलिए रिश्तों में स्पेस देना बहुत जरूरी है.

3. भरोसा करें

किसी भी रिश्ते में जितना प्यार की जरूरत होती है उतना ही भरोसा भी होना चाहिए. अगर आपके रिश्ते में शक नाम की चीज आ जाएगी तो वो आपके रिश्ते को दीमक की तरह खा जाएगी. खासकर कि लॉन्ग-डिस्टेन्स रिलेशन में. एक-दूसरे पर भरोसा होना बहुत जरूरी होता है. वरना आपका रिश्ता बहुत ही मुश्किल में पड़ सकता है.

प्यार अगर कम भी हो तो रिश्ते निभाए जा सकते हैं लेकिन अगर भरोसा न हो तो रिश्तों को टूटने में ज़्यादा समय नहीं लगता. ऐसा कहा भी जाता है कि रिश्ते एक धागे की तरह होते हैं अगर आप उसे ज़्यादा खीचेंगे तो उन्हें टूटने से कोई नहीं रोक सकता इसलिए अगर आप अपने रिश्ते में मजबूती चाहते हैं तो रिश्ते की डोर में थोड़ी ढ़ील तो देनी ही होगी.

4. लगाव होना भी है जरुरी

आप अपने साथी को कितना चाहते हैं ये उसे कैसे पता चलें? आप उनसे प्यार करते हैं ये उन्हें बताना भी जरुरी है. कहते हैं कि प्यार की कोई भाषा नहीं होती है लेकिन कभी-कभी शब्दों में इसे बयां करना ज़रुरी हो जाता है इसलिए उनसे अपना लगाव बढ़ाए. सेक्स और लगाव दो अलग-अलग चीज़ें होती हैं. बेडरूम के बाहर भी अपने पार्टनर के लिये आपको प्यार जताने की ज़रूरत है.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया से क्यों दूर रहना चाहते हैं हैप्पी कपल्स

5. एक दूसरे की बातें सुने

किसी भी विषय पर बहस करने की बजाय एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनें और समझे. बहस करने से किसी भी बात का हल तो निकलना नहीं है और आप बेवजह की लड़ाई करके बात को और बिगाड़ देंगे इसलिए एक-दूसरे की बातों को समझकर अपना पक्ष रखें. अगर आप सही हैं तो आपका साथी आपकी बात जरुर समझेगा. ऐसा करने से आपकी आपसी समझ अच्छी होगी. बस उन्हें समझने के लिए थोड़ा वक्त दें.

पहली बार जा रही हैं डेट पर तो न करें ये काम

हर महिला के लिए उनकी पहली डेट यादगार होती है और आप किसी भी कीमत पर इस दिन को बिगाड़ना नहीं चाहेंगी. अपने पार्टनर के साथ पहली डेट पर जा रही हैं तो इस दौरान ये चिंता होना लाजमी है कि कुछ गलत ना हो जाएं. हालांकि आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. आप जब डेट पर जा रही हैं तो अपने मन में सकारात्मकता रखें और आत्मविश्वास के साथ इसका सामना करें.

अगर आप अपनी पहली डेट यादगार बनाना चाहती हैं तो कुछ सावधानियां बरतनी होगी. आइए जानते हैं कि क्या हैं वो काम जो पहली डेट पर जाते वक्त महिलाओं को नहीं करने चाहिए.

1. अपने बारे में ज्यादा ना बोलें

जब आप पहली डेट पर जा रही हैं तो अपने साथी को अपने बारे में बताना ठीक है लेकिन आपको अपने डेटिंग पार्टनर की बातें भी सुननी जरूरी है. आपको केवल अपने बारे में बाते नहीं करनी चाहिए. डेट पर होते समय जरुरी है कि आप दोनों एक दूसरे के बारे में जानें इसलिए अपने पार्टनर को भी उनके बारे में बाते करने और आपको समझने का मौका दें.

ये भी पढ़ें- दीवानगी जब हद से जाए गुजर

2. देरी से ना जाएं

ऐसा कहा जाता है कि डेट के लिए महिलाएं देरी से जा सकती हैं क्योंकि ये एक फैशन है. लेकिन आपको बता दें कि अब समय बदल चुका है और अगर आप देरी से जाती हैं तो यह आपके पार्टनर पर आपकी पहली छवि को खराब कर सकता है. हर किसी के लिए समय कीमती है. आपका पार्टनर समय निकाल कर ही आपसे मिलने आया है और आपको इसका सम्मान करना चाहिए. इसलिए उसे इंतजार कराना उचित नहीं होगा.

3. डेट के दौरान फोन अलग रख दें

पहली डेट पर आप एक-दूसरे को समझते और जानते हैं. अगर डेट के दौरान आप पूरा वक्त फोन में लगे रहेंगे तो आप अपना और अपने साथी दोनों का समय बेकार करेंगी. इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने फोन को अलग रखकर अपने साथी से बात करें.

4. जरूरत से ज्यादा मेकअप ना लगाएं

जब आप पहली बार डेट पर जा रही हैं तो आप सुंदर दिखना तो चाहेंगी ही. साथ ही उस वक्त मेकअप लगाना भी स्वभाविक है लेकिन मेकअप अप्लाई करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि ये लाइट शैड में हो. जरूरत से ज्यादा मेकअप करने से आपका साथी आपके साथ सहज महसूस नहीं करेगा. अगर आप नेचुरल दिखने वाला मेकअप लगाएंगे तो आपका लुक अधिक रियल होगा और आपका प्रभाव भी अच्छा पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- जानिए अपनी प्रेमिका को धोखा क्यों देते हैं पुरुष

5. अपने पहले साथी के बारे में बात ना करें

आपकी पहली डेट आपके रिश्ते के भविष्य को तय करती है. इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने पुराने रिश्ते या अपने एक्स के बारे में बात ना करें. अगर आप आने वाले समय में भी साथ रहेंगे तो आपको काफी समय मिल पाएगा जिसमें आप इन सभी बातों के बारे में बात कर सकती हैं. अगर आप किसी के साथ अपनी पहली डेट पर अपने एक्स के बारे में बात करती हैं तो आपका पार्टनर सोचेगा कि अभी भी आपके जहन में पहले रिश्ते के लेकर फिक्र है.

जानिए अपनी प्रेमिका को धोखा क्यों देते हैं पुरुष

एक रिलेशनशिप में एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरुरी होता है, तभी एक रिश्ता सही रहता है. एक-दूसरे की भावनाओं को समझना रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के समय में बहुत से पुरुष अपने रिश्ते के प्रति वफादार नहीं रहते हैं और अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. जो पुरुष अपनी साथी को धोखा देने के बारे में सोचते हैं उन्हें इस बात का बिल्कुल आभास नहीं होता है कि वे कुछ गलत कर रहें हैं. पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अपने साथी को कम धोखा देती हैं.

1. अपने साथी के प्रति वफादार नहीं होते हैं:

कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने साथी के लिए वफादार होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती. इस तरह के पुरुष सिर्फ अपनी महिला साथी का इस्तेमाल करते हैं. वे उन्हें स्पेशल महसूस कराते हैं. लेकिन वास्तव में वह अपनी साथी के लिए बिल्कुल भी ईमानदार नहीं होते हैं.

2. अपने साथी को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं

हर व्यक्ति धोखा दे ऐसा जरुरी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने रिश्ते को लेकर थोड़े असुरक्षित होते हैं. जिसके कारण ना चाहते हुए भी वह अपने पार्टनर के साथ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इस बात का डर होता है कि कहीं वे अपने साथी को खो तो नहीं देंगे. इस डर की वजह से वे अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं और अपने पार्टनर को धोखा दे बैठते हैं.

ये भी पढ़ें- इज्जत बनाने में क्या बुराई है

3. वह नहीं समझते हैं कि उनके पास जो है कितना अनमोल है:

हमेशा लोगों को जितना मिलता है उससे अधिक पाने कि इच्छा होती है. और इनके पास जो होता है वह उसकी कद्र नहीं करते हैं. ऐसा पुरूषों के साथ भी होता है कि उन्हें जैसी पार्टर मिली होती है वह उन्हें कम ही लगता है. उनके दिमाग में हमेशा यह बात होती है कि जो मिला है उन्हें उससे और बेहतर मिल सकता है. ऐसे पुरूषों में अपने पार्टनर को धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि इन्हें जितना मिलता है उसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है.

4. पुरुष भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं:

पुरुष भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनमें सेल्फ कंट्रोल की कमी होती है इस वजह से उनके लिए अपने पार्टनर को धोखा देना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित हो जाते हैं और कभी-कभी दूसरे की बातें सुनकर अपने पार्टनर की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं.

ये भी पढ़ें- कब आती है दोस्ती में दरार

वर्किंग वुमन से कम नहीं हाउस वाइफ

टीवी पर आप ने एक विज्ञापन देखा होगा, जिस में 2 सहेलियां बहुत दिनों बाद मिलती हैं. पहली दूसरी से पूछती है, ‘‘क्या कर रही है तू?’’

दूसरी गर्व से कहती हैं, ‘‘बैंक में नौकरी कर रही हूं और तू?’’

पहली कुछ झेंपते हुए कहती है, ‘‘मैं… मैं तो बस हाउसवाइफ हूं.’’

यह विज्ञापन दिखाता है कि हमारे समाज में हाउसवाइफ को किस तरह कमतर आंका जाता है या यों कहें कि वह स्वयं भी खुद को कमतर समझती है, जबकि उस का योगदान वर्किंग वुमन के मुकाबले कम नहीं होता है. एक हाउसवाइफ की नौकरी ऐसी नौकरी है जहां उसे पूरा दिन काम करना पड़ता है, जहां उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती, कोई प्रमोशन नहीं मिलती, कोई सैलरी नहीं मिलती.

हजारों रुपए ले कर भी यह काम कोई उतने लगाव से नहीं कर पाता

आज महानगरों में ही नहीं, छोटेछोटे शहरों में भी घरेलू कार्यों के लिए हजारों का भुगतान करना पड़ता है. साफसफाई करने वाली नौकरानी इस मामूली से काम के भुगतान के रूप में क्व500 से क्व1000 तक लेती है. खाना बनाने के लिए और ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं. ऐसे ही बच्चों के लिए ट्यूशन की बात हो या फिर घर में बीमार मांबाप की सेवा की, कपड़े धोने की बात हो या फिर 24 घंटे परिवार के सदस्यों की सेवा के लिए खड़े होने की, हाउसवाइफ द्वारा किए जाने वाले कामों की लिस्ट लंबी है.

ये भी पढ़ें- ताकि मुसीबत न बने होस्टल लाइफ

पत्नी को अर्द्धांगिनी कहा जाता है, पर वह उस से बढ़ कर है. तमाम मामलों में पति के लिए पत्नी की वही भूमिका होती है, जो बच्चे के लिए मां की. प्रतिदिन सुबह उठें तो चाय चाहिए, नहाने के लिए गरम पानी चाहिए या फिर नहाने के बाद तौलिया, जिम जाते समय स्पोर्ट्स शूज की जरूरत या फिर औफिस जाते समय रूमाल की, हर कदम पर पत्नी की दरकरार.

बच्चे के सुबह उठते ही दूध पिलाने से ले कर नहलाने, खाना खिलाने, स्कूल के लिए तैयार करने या फिर बच्चे के स्कूल से लौटने पर होमवर्क कराने और उस के साथ बच्चा बन कर खेलने तक की जिम्मेदारी हाउसवाइफ ही निभाती है. सब से अहम बात यह है कि हाउसवाइफ मां के रूप में बच्चे को जो देती है, वह लाखों रुपए ले कर भी कोई नहीं दे सकता.

पत्नी के सहयोग से ही मैं अपने काम में सफल हूं: एक टीचर जो सचिन को सचिन, शिवाजी को शिवाजी या विवेकानंद को विवेकानंद बनाती है क्या आप उस की फाइनैंशियल वैल्यू निकाल सकते हैं? नहीं न? तो फिर बच्चे को पूरा समय दे कर उसे भावनात्मक रूप से पूर्ण बनाने वाली, अच्छे संस्कार देने वाली हाउसवाइफ का मूल्यांकन आप धन से कैसे कर सकते हैं? यह कहना है अंजू भाटिया का, जिन्होंने अपने आईटी हैंड पति की व्यस्त दिनचर्या देख कर अपनी मल्टीनैशनल कंपनी की नौकरी इसीलिए छोड़ी, ताकि अपने वृद्ध सासससुर की देखभाल और दोनों बच्चों की परवरिश भली प्रकार कर सके.

उस के पति कहते हैं, ‘‘पत्नी के सहयोग से मैं अपने हर काम में सफल हूं. अगर वह इतना सब न करती तो न मेरा कैरियर संभलता और न ही घरपरिवार.’’

पूर्व में मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर कहती हैं कि माताओं को दुनिया में सब से ज्यादा सैलरी मिलनी चाहिए. उन के अनुसार, महिलाओं के द्वारा किए गए कामों की न तो प्रशंसा होती है और न ही उन्हें उस के लिए तनख्वाह मिलती है.

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की डार्क रिपोर्ट के अनुसार, एक औसत भारतीय महिला दिन में करीब 6 घंटे ऐसे काम करती हैं, जिन के लिए उसे मेहनताना नहीं मिलता. यदि ये काम बाहर से किसी से कराएं जाएं तो इन की एक निश्चित कीमत होगी.

ये भी पढ़ें- थोड़ा हम बदलें, थोड़ा आप

कुछ वर्ष पूर्व महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रहीं कृष्णा तीरथ ने कहा था कि महिलाओं द्वारा किए जाने वाले घर के काम का मौद्रिक आंकलन किया जाना चाहिए और इस के बराबर मूल्य उन्हें अपने पतियों द्वारा मिलना चाहिए.

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भले ही गृहिणी को काम के लिए कोई मेहनताना न मिलता हो, मगर उस के द्वारा किया गया काम भी आर्थिक गतिविधियों में शामिल होता है और इसे भी राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाना चाहिए. ऐसा न कर हम आर्थिक विकास में महिलाओं की हिस्सेदारी कम कर रहे हैं.

हाउसवाइफ की फाइनैंशियल वैल्यू के संदर्भ में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी गौरतलब है. कोर्ट के अनुसार, एक हाउसवाइफ के काम को अनुत्पादक मानना महिलाओं के प्रति भेदभाव को दर्शाता है और यह सामाजिक ही नहीं, सरकारी स्तर पर भी है.

कोर्ट ने एक रिसर्च की भी चर्चा की, जिस में भारत की करीब 36 करोड़ हाउसवाइफ के कार्यों का वार्षिक मूल्य करीब 612.8 डौलर आंका गया है घरेलू काम की कीमत न आंके जाने के कारण ही महिलाओं की स्थिति उपेक्षित रही है. अत: इस ओर हर किसी को ध्यान देने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- पैट पालें स्वस्थ रहें

8 टिप्स: परिवार की खुशियां ऐसे करें अनब्लौक

लेखक- दीप्ति अंगरीश

बहुत याद आता है गुजरा जमाना. जब मम्मी, चाची, बूआ, ताई, अम्मां, दादी, नानी सब साथ होते थे. अब काम की मजबूरियों ने सब छीन लिया है. परिवार की बातें सिर्फ यादें बन कर रह गई हैं या कभीकभार टीवी पर दिखता है भरापूरा परिवार. आज के परिवार में 5-6 सदस्य ही होते हैं. और तो और परिवार से मिलना भी त्योहारों तक ही सीमित हो गया है. अब परिवार का प्यार, डांट, शाबाशी, सलाह आंगन में बिछे तख्त पर नहीं व्हाट्सऐप पर होती है या यो कहें कि परिवार डिजिटल हो गया है.

जहां तकनीक ने बहुत कुछ दिया है, वहीं बहुत कुछ छीन भी लिया है. याद करें नानी, दादी, चाची, बूआ का लाड़प्यार. पहले प्यार रियल लाइफ में मिलता था, जो कभी शाबाशी से पीठ थपथपाता था, तो कभी दुलार से गालों को खींचता था. समय के साथ सबकुछ तकनीकी हो गया यानी प्यार, डांट, शाबाशी, अच्छेबुरे की समझ, दुनियादारी, जज्बा, उमंग, उत्साह सब व्हाट्सऐप जैसे तमाम ऐप्स में समाहित हो गया है. यह तकनीक बिछडों को जोड़ रही है, ज्ञान का अपार भंडार दे रही, लेकिन रियल लाइफ की भावनाओं से दूर भी कर रही है. नतीजतन साथ रहते हुए भी परिवार का हर सदस्य एकदूसरे से अनजान है. तो आइए, जानते हैं इन दूरियां को पाटने के कुछ कारगर टिप्स:

1. रोज की मंचिंग

सप्ताह में डिनर टाइम के अलावा आप एक मंचिंग टाइम फिक्स करें. इस के सेहतमंद फायदे के अलावा बौडिंग फायदे भी मिलेंगे. यानी छोटीछोटी भूख में हों सूखा मेवा, दूध और फल. माना ये चीजें आप को पसंद नहीं, लेकिन जब साथ में खाएंगे तो रिश्तों का प्यार भी इन में घुलेगा.

ये भी पढ़ें- कभी भी इन कारणों से न करें शादी

2. संडे के संडे

अब तक जो हुआ उसे भूल जाएं. परिवार में आई दूरियों का रोना न रोएं, बल्कि उन्हें रोकने के कारगर उपाय खोजें. इस का बैस्ट उपाय है संडे यानी आप और पूरा परिवार सप्ताहभर कामकाज में व्यस्त रहता है. ऐसे में सदस्यों को शनिवार रात ही बता दें कि अगले दिन सब को जल्दी उठना है और आउटडोर खेलने जाएंगे. यहां आउटडोर आप को सेहत और बौडिंग देगा.

3. फूड ऐक्टिविटी

आप सब व्यस्त रहते हैं, लेकिन संडे  को अलग तरीके से सैलिब्रेट करें. इस की जिम्मेदारी आप को लेनी होगी. कोशिश करें संडे को खाना बाहर न खा कर सब मिल कर पकाएं. यकीन मानिए इस फूड ऐक्टिविटी से आप सब करीब आएंगे.

4. नो गैजेट जोन

आप परिवार में सख्त नियम बनाएं कि जब पूरा परिवार एक साथ हो तब गैजेट्स की ऐंट्री पर बैन हो. वैसे भी साथ होने के मौके कम मिलते हैं. उस में आई पैड, मोबाइल, लैपटाप आदि गैजेट्स साथ होंगे तो परिवार एकसाथ नहीं अलगथलग ही रहेगा, साथ ही परिवार वालों को बोलें कि डिनर सब साथ करेंगे, जिस में परिवार गैजेट्स फ्री रहेगा. यकीनन तब एकदूसरे को करीब से जान पाएंगे, हंसा पाएंगे, दुख बांट पाएंगे.

ये भी पढ़ें- तौबा यह गुस्सा

5. लाइफ गोल्स

आप जिंदगी में छोटेछोटे लक्ष्य बनाते हैं. ताकि बड़े लक्ष्य तक पहुंचना असान हो. लेकिन ये लक्ष्य सिर्फ कद और पैसे तक ही सीमित होते हैं. हैप्पी फैमिली के लिए छोटेछोटे लक्ष्य बनाएं, फिर देखिए कैसे परिवार में हमेशा के लिए प्यार घुल जाएगा. ये छोटे लक्ष्य हो सकते हैं जैसे साथ में कुकिंग करना, साथ में जौगिंग पर जाना, साथ में परिवार सहित लौंग ड्राइव पर जाना आदि.

6. फैमिली नोट्स बनाएं

माना कि पूरा परिवार व्हाट्सऐप पर फैमिली गु्रप से जुड़ा हुआ है, लेकिन याद कीजिए जिन के साथ आप रहते हैं उन से रियल लाइफ में कितने जुड़े हुए है. आप चाहते हैं परिवार मिलजुल कर रहे तो इस के लिए अपनी हर कोशिश के नोट्स बनाएं और मोबाइल में अलार्म लगाएं. अलार्म याद दिलाएगा कि किस समय क्याक्या करना है.

7. थकान मिटाएं

रोज थकान मिटाने के लिए आप बहुत कुछ करते होंगे. कभी बुक रीडिंग तो कभी यहांवहां की चहलकदमी. फिर भी थकान नहीं मिटती. और तो और करवटें बदलतेबदलते रात कट जाती है और सुबह थकान जस की तस. ऐसे में ऐनर्जी बूस्टर है रोजाना की फैमिली गैदरिंग. इस के लिए एक टाइम फिक्स कर लें. लिविंगरूम में सब के साथ कोई भी शो देखें और दिन भर का सुखदुख साझा करें. ऐसा करने से आप को ऐनर्जी मिलेगी जो अगले दिन के लिए बौडी फुल चार्ज करेगी. और दोस्तों से आगे होगी आप की फैमिली.

ये भी पढ़ें- वर्कप्लेस को ऐसे बनाएं खास

8. आउटिंग तो बनती है

त्योहारों का सीजन शुरू होते ही लौंग वीकैंड या 4-5 दिनों की छुट्टी निकल ही आती है. ऐसे में फैमिली आउटिंग से बेहतर कुछ नहीं हो सकता. पहले से योजना बना कर सारी तैयारियां कर लें. पूरे साल में एक ट्रिप जरूर प्लान करें, क्योंकि जितनी दूर जाएंगे अपनों के उतना ही करीब आ जाएंगे.

रिश्ता टूटने का सबसे बड़ा कारण है ससुराल में मायके वालों की दखलअंदाजी

शादी एक खूबसूरत सा बंधन होता है और यह बंधन कुछ समय  का नहीं होता है. यह सात जन्मों का बंधन होता है. पर इस बंधन में भी कई बार दरारें पड़ने शुरू हो जाती हैं और दरारे कई बार इतनी गहरी हो जाती हैं कि पूरा का पूरा रिश्ता ढह जाता है.

यह रिश्ता टूटने के होते तो बहुत सारे कारण हैं लेकिन उनमे से वो  कारण जो सबसे महत्वपूर्ण है वो है ;-“ससुराल में मायके वालों की दखलअंदाजी उनकी इंटरफेरेंस”. शादी हो जाने के बाद लड़की के ससुराल में लड़की के पैरंट्स की बहुत ज्यादा दखलंदाजी  होती है. इस वजह से इतने ज्यादा तलाक होते हैं कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते. आज मैं आपसे वो कारण शेयर करूंगी जिनकी वज़ह से अक्सर रिश्तों में दरारे आ जाती है-

1-मायके वाले इनसिक्योर फील करते हैं

अक्सर मायके वाले ये सोचते हैं की बेटी की शादी हो गई. अब उसका प्यार हमारी तरफ कम हो जाएगा. इसलिए उसका और ज्यादा ख्याल रखते हैं… इसलिए उसको और ज्यादा प्यार करते हैं… इसलिए उसकी और ज्यादा केयर करने लगते हैं. . और यह वजह बनती है दखलंदाजी की.

एक बात हमेशा याद रखिये की अगर आप अपनी लड़की को बहुत ज्यादा प्यार दिखाओगे तो कहीं ना कहीं उसके मन में कंपैरिजन की भावना आ जाएगी . वो हमेशा अपने मायके की तुलना  अपने ससुराल से करने लगेगी. और कभी भी अपने ससुराल वालों से इमोशनली  attach नहीं हो पायेगी.

ये भी पढ़ें- झगड़ों की वजह से अलग हो जाना सोल्यूशन नहीं

2- बहुत ज्यादा इमोशनली डिस्टर्ब करना

अक्सर माँ का phone आता  है की -आज तो तेरे पापा ने खाना ही नहीं खाया… आज तो उनको तेरी बहुत याद आ रही थी ..आज मेरा भी कुछ काम करने का मन नहीं हुआ पता नहीं क्यों तेरी आज बहुत याद आ रही थी …,आज बगल वाली आंटी से तेरे ही  बारे में बात हो रही थी  सब तुझको बहुत याद करते हैं.

यह  सब बातें सुनकर लड़की बहुत ज्यादा इमोशनली डिस्टर्ब हो जाती है और उसका न तो अपने ससुराल में मन लगता है और तो और उसके मन में हमेशा यही आ जाता है कि देखो वहां तो इतना प्यार करते हैं यहां तो कोई मुझे पूछता नहीं.

यह चीजें नहीं होनी चाहिए. जब इन चीजों की अति हो जाती है तब  फैमिली डिस्टर्ब हो जाती है .

3-मायके वालों का लड़की को एडजस्ट होने का टाइम ही न देना

बार-बार  फोन करना , बार-बार लड़की के घर आ जाना-‘ की याद आ रही है मन नहीं लग रहा ‘.

तो वो एडजस्ट कैसे होगी. वह खुद नए घर में गई है .वहां पर उसको एडजस्ट होना है. उसको सब का ख्याल रखना है.ऐसे में  अगर माता-पिता की बार-बार एंट्री  होगी तो वह कैसे अपने आपको उस नए घर नए रिश्तों के साथ  एडजस्ट कर पाएगी ?

4 -उसको गिल्टी फील करवाना

एक लड़की है ,शादी होने के बाद वह वह अपने ससुराल में बहुत अच्छे से एडजस्ट हो गई है. सबका ख्याल रख रही है… काम भी करती है …अच्छे से रह रही है . बच्चे भी हैं उसके तो हो सकता है की वो फोन नहीं कर पा रही है अपने मायके में. तो ऐसे में मायके से फोन आता है और कहा जाता है कि क्या जादू कर दिया तेरे ससुराल वालों ने .तेरे मां बाप भी है इस दुनिया में ..तू तो हमें भूल ही गयी . यह बातें उसे कहीं ना कहीं गिल्टी फील कराती हैं.

बल्कि यह तो एक माता पिता के लिए खुशी की बात है कि उनकी लड़की अपने ससुराल में एडजस्ट हो रही है. इस पर आकर उसे गिल्टी फील कराना, उसको यह एहसास दिलाना कि तू तो अपने मायके वाले को भूल ही गई है कि. ये कहां तक सही है?

5-रिश्तों में कोई पारदर्शिता न रखना

मान लीजिए कि मायके वाले अपनी लड़की से  1 घंटे के लिए मिलने गए है.  आधा घंटा, पौना घंटा अकेले कमरे में जाकर सिर्फ अपनी लड़की से बातें करते रहे. और मान लीजिए उसी समय लड़की के ससुराल वाला कोई भी सदस्य अगर वहां आता है तो बातें करना बंद. एकदम चुप.. इससे  सामने वाले को लगता है कि कहीं ना कहीं यह क्या बात कर रहे हैं जो मेरे आने पर चुप हो गए.

दोस्तों पारदर्शिता बहुत जरूरी होती है चाहे वह कोई भी रिश्ता हो .जब लड़की के घर जाओ ना तो सबके साथ बैठो .ज्यादा से ज्यादा टाइम उसके ससुराल वालों के साथ बिताओ .इससे दोनों परिवारों के बीच विश्वास बहुत बढेगा.

6-बार-बार फोन पर बात करना

बार-बार लड़की को फोन करना कहां तक सही है .अब आप सोच रहे होंगे कि क्या बात भी ना करें ?माना कि माता-पिता अलग शहर में रहते हैं, रोज मिलना पॉसिबल नहीं है लेकिन बार- बार phone करते रहना भी सही नहीं है.

फोन तो इस रिश्ते के टूटने की इतनी जबरदस्त जड़ है ना जो बहुत ज्यादा तनाव देती है. लड़की के सुबह उठने से रात में सोने तक न जाने कितनी बार फोन करते  हैं और सारी बातें पूछते हैं  कि क्या नाश्ता किया आज तूने..? क्या पहना ..? अगर गलती से लड़की ने कह दिया कि मैं रसोई में हूं तो बोलना… अरे तू अकेले काम कर रही है.. तेरी ननद कहां है..? तेरी सास कहां है…? वह क्यों नहीं काम कर रही.? तू क्यों लगी रहती है सारा दिन …?ये सब बिलकुल भी सही नहीं है.

अगर एक बार बात नहीं भी  हुई तो कोई बहुत बड़ा इशू  नहीं है. वह ठीक है. उसको अच्छे से रहने दो .उसको सेट होने दो ससुराल में .इस बात को समझो. हम तो सास- बहू, सास- बहू में उलझे हुए हैं पर यहां तो अपनी मां की वजह से ही रिश्तो में दरार आ रही है, तलाक हो रहे हैं. घर टूट रहे हैं..

7-अपनी लड़की को उकसाना

दोस्तों अगर दिन में इतनी बार बात होगी तो कोई कितनी बार हाल चाल पूछेगा.यहाँ वहां की ही बातें होंगी न.

अगर लड़का अपने माता-पिता का  बहुत ख्याल रखता है, बहुत प्यार करता है तो लड़की की मां कहती है की तुम्हारा पति तो माँ बाप का गुलाम है ,तुम्हारा कोई ख्याल नहीं रखता. अब यह बातें सुनकर उस लड़की के मन में भी नेगेटिव फीलिंग आएगी .उसको लगेगा कि मेरे माँ बाप के  अलावा तो मुझे कोई प्यार करता ही नहीं है. कोई मेरी देखभाल करता ही नहीं है. यह मेरी कितनी केयर करते हैं बात बात पर मेरा ख्याल पूछते हैं. पर जाने अनजाने उसके रिश्तों में दरार आना शुरू हो जाती है .

ये भी पढ़ें- 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

8-लड़की के मायके वालों का उसके ससुराल वालो  से स्टेटस में compare  करना

अक्सर लड़की के मायके वाले अपनी लड़की को प्यार दिखाने के लिए हमेशा उसके ससुराल वालो से ज्यादा करने की कोशिश करते है.वो अपनी लड़की को महंगे- महंगे गिफ्ट देते है.

इससे कहीं न कहीं ससुराल वालों के मन में काम्प्लेक्स आ जाता है.और यहीं से  उनकेरिश्तों के बीच दरार आना शुरू हो जाती है.

सबसे आखिर में, मै ये नहीं कहती कि  माता-पिता को शादी के बाद अपनी बेटियों से दूरी बना लेनी चाहिए ..या उनकी किसी भी परेशानी में उनका साथ नहीं देना चाहिए . बेशक, आपको उसका साथ देना चाहिए . आप उसके माता पिता है और वह वही राजकुमारी है जो आपके सामने पली-बढ़ी है.लेकिन आपको अपने स्वार्थ को किनारे रखकर उसका सही मार्गदर्शन भी करना है  और उसे उस रानी में बदलना है  जो वह किस्मत में थी या जो आपने बचपन से उसके लिए सोचा था.

झगड़ों की वजह से अलग हो जाना सोल्यूशन नहीं

सुनीता और रंजन और उन के 2 बच्चे- एकदम परफैक्ट फैमिली. संयुक्त परिवार का कोई झंझट नहीं, पर पुनीता और रंजन की फिर भी अकसर लड़ाई हो जाती है. रंजन इस बात को ले कर नाराज रहता है कि वह दिन भर खटता है और पुनीता का पैसे खर्चने पर कोई अंकुश नहीं है. वह चाहता है कि पुनीता भी नौकरी करे, पर बच्चों को कौन संभालेगा, यह सवाल उछाल कर वह चुप हो जाती है. वैसे भी वह नौकरी के झंझट में नहीं पड़ना चाहती है.

पैसा कहां और किस तरह खर्चा जाए, इस बात पर जब भी उन की लड़ाई होती है, वह अपने मायके चली जाती है. बच्चों पर, घर पर और अपने शौक पूरे करने में खर्च होने वाले पैसे को ले कर झगड़ा होना उन के जीवन में आम बात हो गई है. वह कई बार रंजन से अलग हो जाने के बारे में सोच चुकी है. रंजन उसे बहुत हिसाब से पैसे देता है और 1-1 पैसे का हिसाब भी लेता है. पुनीता को लगता है इस तरह तो उस का दम घुट जाएगा. रंजन की कंजूसी की आदत उसे खलती है.

सीमा हाउसवाइफ है और उस के पति मेहुल की अच्छी नौकरी और कमाई है, इसलिए पैसे को ले कर उन के जीवन में कोई किचकिच नहीं है. लेकिन उन के बीच इस बात को ले कर लड़ाई होती है कि मेहुल उसे समय नहीं देता है. वह अकसर टूर पर रहता है और जब शहर में होता है तो भी घर लेट आता है. छुट्टी वाले दिन भी वह अपना लैपटौप लिए बैठा रहता है. उस का कहना है कि उस की कंपनी उसे काम के ही पैसे देती है और जैसी शान की जिंदगी वे जी रहे हैं, उस के लिए 24 घंटे भी काम करें तो कम हैं.

सीमा मेहुल के घर आते ही उस से समय न देने के लिए लड़ना शुरू कर देती है. वह तो उसे धमकी भी देती है कि वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. इस बात को मेहुल हंसी में उड़ा देता है कि उसे कोई परवाह नहीं है.

सोनिया को अपने पति से कोई शिकायत नहीं है, न ही संयुक्त परिवार में रहने पर उसे कोई आपत्ति है. विवाह को 6 वर्ष हो गए हैं, 2 बच्चे भी हैं. लेकिन इन दिनों वह महसूस कर रही है कि उस के और उस के पति के बीच बेवजह लड़ाई होने लगी है और उस की वजह हैं उन के रिश्तेदार, जो उन के बीच के संबंधों को बिगाड़ने में लगे हैं. कभी उस की ननद आ कर कोई कड़वी बात कह जाती है, तो कभी बूआसास उस के पति को उस के खिलाफ भड़काने लगती हैं.

रिश्तेदारों की वजह से बिगड़ते उन के संबंध धीरेधीरे टूटने के कगार तक पहुंच चुके हैं. वह कई बार अपने पति को समझा चुकी है कि इन फुजूल की बातों पर ध्यान न दें, पर वह सोनिया की कमियां गिनाने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ता है.

नमिता और समीर के झगड़े की वजह है समीर की फ्लर्ट करने की आदत. वह नमिता के रिश्ते की बहनों और भाभियों से तो फ्लर्ट करता ही है, उस की सहेलियों पर भी लाइन मारता है. इस बात को ले कर उन का अकसर झगड़ा हो जाता है. नमिता उस की इस आदत से इतनी तंग आ चुकी है कि वह उस से अलग होना चाहती है.

1. गलत आप भी हो सकती हैं

इन चारों उदाहरणों में आपसी झगड़े की वजहें बेशक अलगअलग हैं, पर पति की ज्यादतियों की वजह से पत्नियां पति से अलग हो जाने की बात सोचती हैं. उन की नजरों में उन के पति सब से बड़े खलनायक हैं, जिन से अलग हो कर ही उन को सुकून मिलेगा. लेकिन अलग हो जाना, मायके चले जाना या फिर तलाक लेना परेशानी का सही हल हो सकता है? कहना आसान है कि आपस में नहीं बनती, इसलिए अलग होना चाहती हूं, पर उस से क्या होगा? पति से अलग हो कर आजादी की सांस लेने से क्या सारी मुसीबतों से छुटकारा मिल जाएगा?

ये भी पढ़ें- जब छूट जाए नौकरी

एक बार अपने भीतर झांक कर तो देखिए कि क्या आप के पति ही इन झगड़ों के लिए दोषी हैं या आप भी उस में बराबर की दोषी हैं. सीधी सी बात है कि ताली एक हाथ से नहीं बजती. फिर रिश्ता तोड़ कर क्या हासिल हो जाएगा? आप तो जैसी हैं, वैसी रहेंगी. इस तरह तो किसी के साथ भी ऐडजस्ट करने में आप को दिक्कत आ सकती है.

तलाक का अर्थ ही है बदलाव और यह समझ लें कि किसी भी तरह के बदलाव का सामना करना आसान नहीं होता है. कई बार मन पीछे की तरफ भी देखता है. नई जिंदगी की शुरुआत करते समय जब दिक्कतें आती हैं तो मन कई बार बीती जिंदगी को याद कर एक गिल्ट से भी भर जाता है. पति की गल्तियां निकालने से पहले यह तो सोचें कि क्या आप अपने को बदल सकती हैं? अगर नहीं तो पति से इस तरह की उम्मीद क्यों रखती हैं? उस के लिए भी तो बदलना आसान नहीं है, फिर झगड़े से क्या फायदा?

2. कोई साथ नहीं देता

झगड़े से तंग आ कर तलाक लेने का फैसला अकसर हम गुस्से में या दूसरों के भड़काने पर करते हैं, पर उस के दूरगामी परिणामों से पूरी तरह बेखबर होते हैं. मायके वाले या रिश्तेदार कुछ समय तो साथ देते हैं, फिर यह कह कर पीछे हट जाते हैं कि अब आगे जो होगा उसे स्वयं भुगतने के लिए तैयार रहो.

अंजना की ही बात लें. उस का पति से विवाह के बाद से किसी न किसी बात पर झगड़ा होता रहता था. वह उस की किसी बात को सुनती ही नहीं थी, क्योंकि उसे इस बात पर घमंड था कि उस के मायके वाले बहुत पैसे वाले हैं और जब वह चाहे वहां जा कर रह सकती है. एक बार बात बहुत बढ़ जाने पर भाई ने उस के पति को घर से निकल जाने को कहा तो वह अड़ गया कि बिना कोर्ट के फैसले के वह यहां से नहीं जाएगा. जब भाई जाने लगे तो अंजना ने पूछा कि अगर रात को उस के पति ने उसे मारापीटा तो वह क्या करेगी? इस पर भाई बोला कि 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस को बुला लेना.

उस के बाद कुछ दिन तो भाई उसे फोन पर अदालत में केस फाइल करने की सलाह देते रहे. पर जब उस ने कहा कि वह अकेली अदालत नहीं जा सकती है तो भाई व्यस्तता का रोना ले कर बैठ गया. अंजना ने 1-2 बार अदालत के चक्कर अकेले काटे, पर उसे जल्द ही एहसास हो गया कि तलाक लेना आसान नहीं है. आज वह अपने पति के साथ ही रह रही है और समझ चुकी है कि जिन मायके वालों के सिर पर वह नाचती थी, वे दूर तक उस का साथ नहीं देंगे. न ही वह अकेले अदालत के चक्कर लगा सकती है.

3. ऐडजस्ट कर लें

तलाक की प्रक्रिया कितनी कठिन है, यह वही जान सकते हैं, जो इस से गुजरते हैं. अखबारों में पढ़ें तो पता चल जाएगा कि तलाक के मुकदमे कितनेकितने साल चलते हैं. मैंटेनैंस पाने के लिए क्याक्या करना पड़ता है. फिर बच्चों की कस्टडी का सवाल आता है. बच्चे आप को मिल भी जाते हैं तो उन की परवरिश कैसे करेंगी? जहां एक ओर वकीलों की जिरहें परेशान करती हैं, वहीं दूसरी ओर अदालतों के चक्कर लगाते हुए बरसों निकल जाते हैं. अलग हो जाने के बाद भय सब से ज्यादा घेर लेता है. बदलाव का डर, पैसा कमाने का डर, मानसिक स्थिरता का डर, समाज की सोच और सुरक्षा का डर, ये भय हर तरह से आप को कमजोर बना सकते हैं.

ये भी पढ़ें- बिठाएं मां और पत्नी में सामंजस्य

कोई भी कदम उठाने से पहले यह अच्छी तरह सोच लें कि क्या आप आने वाली जिंदगी अकेली काट सकती हैं. नातेरिश्तेदार कुछ दिन या महीनों तक आप का साथ देंगे, फिर कोई आगे बढ़ कर आप की मुश्किलों का समाधान करने नहीं आएगा.

आप का मनोबल बनाए रखने के लिए हर समय कोई भी आप के साथ नहीं होगा. कोई भी फैसला लेने से पहले जिस से आप की जिंदगी पूरी तरह से बदल सकती हो, ठंडे दिमाग से आने वाली दिक्कतों के बारे में हर कोण से सोचें. बच्चे अगर आप के साथ हैं तो भी वे आप को कभी माफ नहीं कर पाएंगे. वे आप को हमेशा अपने पिता से दूर करने के लिए जिम्मेदार मानते रहेंगे. हो सकता है कि बड़े हो कर वे आप को छोड़ पिता का पास चले जाएं.

मान लेते हैं कि आप दूसरा विवाह कर लेती हैं तब क्या वहां आप को ऐडजस्ट नहीं करना पड़ेगा? बदलना तो तब भी आप को पड़ेगा और हो सकता है पहले से ज्यादा, क्योंकि हर बार तो तलाक नहीं लिया जा सकता. फिर पहले ही क्यों न ऐडजस्ट कर लिया जाए. पहले ही थोड़ा दब कर रह लें तो नौबत यहां तक क्यों पहुंचेगी. पति जैसा भी है उसे अपनाने में ही समझदारी है, वरना बाकी जिंदगी जीना आसान नहीं होगा.

झगड़ा होता भी है तो होने दें, चाहें तो आपस में एकदूसरे को लाख भलाबुरा कह लें, पर अलग होने की बात अपने मन में न लाएं. घर तोड़ना आसान है पर दोबारा बसाना बहुत मुश्किल है. जिंदगी में तब हर चीज को नए सिरे से ढालना होता है. जब आप तब ढलने के लिए तैयार है, तो पहले ही यह कदम क्यों न उठा लें.

ये भी पढ़ें- उनकी जरूरत आपका उपहार और बहुत सारा प्यार

पड़ोसी के झगड़े में क्यों दें दखल

आ ए दिन पड़ोस से आती लड़ाईझगड़े की आवाजें सुरभि को परेशान कर देती थीं. उस दिन भी सुरभि झगड़ने की आवाजें सुन कर परेशान हो उठी. कुछ दिनों पहले ही एक जोड़ा पड़ोस के घर में किराए पर रहने आया था. 2-3 बार मुलाकात भी हुई थी सुरभि से उन की. वे पढ़ेलिखे सभ्य नागरिक जान पड़ते थे. दोनों की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. दोनों ही नौकरी करते थे. पत्नी होटल में रिसैप्शनिस्ट व पति मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर था. सुरभि को विश्वास करना मुश्किल हो रहा था कि आवाजें उन के घर से ही आ रही हैं. परेशान हो कर उस ने शाम को अपने पति रचित से बात की तो उस ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए पड़ोसी होने के नाते कोई कदम उठाने की आवश्यकता जताई.

रात को सुरभि रचित के साथ उस कपल के घर जा पहुंची. वंशिका और गौरव नाम के ये पतिपत्नी किसी भी सामान्य जोड़े की तरह खुश दिख रहे थे. उन के विवाह को 2 वर्ष हुए थे और अभी कोई संतान नहीं थी. वंशिका जब चाय बनाने किचन में गई तो सुरभि ने बातचीत के दौरान उस से गौरव के साथ हो रही अनबन के विषय में जान लिया. इसी दौरान रचित ने गौरव को विश्वास में लेते हुए उस की वंशिका के प्रति शिकायतों का अंदाज लगा लिया. इस के बाद कुछ दिनों तक वे वंशिका तथा गौरव से बराबर मिलते रहे और उन के विश्वासपात्र बन उन के विषय में काफी कुछ जान गए.

इस बीच वे उन दोनों की बताई समस्याओं पर चर्चा करते रहते. वंशिका व गौरव द्वारा एकदूसरे की शिकायतों से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वास्तविक समस्या दोनों में आपसी समझ की है. छोटेछोटे मुद्दों को ले कर दोनों के बीच बहस छिड़ जाती और फिर उग्र होने लगते. दोनों अपनीअपनी जगह स्वयं को सही समझते हुए एकदूसरे को सुधरने की शिक्षा देने लगते. अपने को सही दिखाने के लिए दोनों गुस्से का सहारा लेते. दोनों में से कोई भी झगड़े को निबटाने का प्रयास नहीं करता था. गौरव अपने गुस्सैल स्वभाव के कारण जल्द ही आपा खो देता और फिर वंशिका पर हाथ उठा देता.

ये भी पढ़ें- 9 टिप्स: ऐसे रहेंगे खुश

सुरभि और रचित ने अपने कुछ परिचितों से पड़ोसी जोड़े की पहचान छिपाते हुए उन की समस्याओं पर बातचीत की और हल खोजने के लिए उन सभी के विचार जाने. सही मौका पा कर एक दिन उन दोनों ने वंशिका व गौरव को उन के बीच उपज रही भ्रांतियों को दूर करने के लिए कुछ सुझाव दिए.

पहला व सब से महत्त्वपूर्ण सुझाव यह था कि घरेलू हिंसा से गौरव को पूरी तरह दूर रहना होगा. यदि वह अपने वैवाहिक जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से जीना चाहता है और नहीं चाहता कि उस का और वंशिका का साथ कभी छूटे तो उसे गुस्सा आने पर हाथ उठाने की अपनी आदत को पूरी तरह से छोड़ना होगा. एक अन्य सुझाव के रूप में दोनों से कहा गया कि उन्हें अब अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर एकदूसरे के अनुसार ढलने की कोशिश करनी होगी.

कुछ अन्य मुद्दों पर सुझाव

समस्या: गौरव जब कभी औफिस में देर तक काम कर घर लौटता तो वंशिका उसे घर के प्रति लापरवाह कहते हुए तंज कस दिया करती. ऐसे में गौरव बुरी तरह तिलमिला उठता.

सुझाव: प्रतियोगिता के इस युग में प्राइवेट कंपनियां एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ में अपने कर्मचारियों पर दबाव डालती हैं. ऐसे में टारगेट पूरा करने के लिए वर्कर्स को औफिस में अतिरिक्त समय देना ही पड़ता है. गौरव का व्यस्त रहना उस के उत्तरदायित्व को दर्शाता है. लेकिन गौरव को यह नहीं भूलना चाहिए वह कंपनी का मैनेजर होने के साथसाथ एक पति भी है. उसे अब अपना समय वंशिका को भी देना चाहिए और निश्चित समय पर औफिस से घर आने का प्रयास करना चाहिए. मजबूरी में यदि रुकना पड़े तो इस की जानकारी विनम्र शब्दों में वंशिका को देनी चाहिए.

समस्या: वंशिका की शिकायत थी कि गौरव लोगों का हमदर्द बनता है, मित्रों की सहायता को सदैव तत्पर रहता है, लेकिन उस पर हमेशा रोब गांठता है. इतना ही नहीं कभीकभी वह दोस्तों व रिश्तेदारों के सामने भी वंशिका को बेइज्जत कर देता है. गौरव की अपमानित करने की आदत से हताश वंशिका यद्यपि सब के सामने तो उसे अपमानित नहीं करती थी, किंतु अकेले में गौरव से उस बात की शिकायत करते हुए वह उत्तेजित हो जाती. इस का परिणाम यह होता कि गौरव का गुस्सा बढ़ जाता और फिर वंशिका मारपीट की शिकार हो जाती.

सुझाव: विवाह के बाद पतिपत्नी दोनों को यह सोचना चाहिए कि एकदूसरे का सम्मान करना न केवल एक कर्तव्य है, अपितु यह समाज में उन की प्रतिष्ठा भी बढ़ाता है. इस के अलावा यह दोनों के बीच प्रेम उपजाने का कार्य भी करता है. गौरव जैसे पतियों को यह समझना होगा कि जो लोग गौरव पत्नी पर भड़कता देख उस समय चुप रहते हैं, वे बाद में उस के स्वभाव की निंदा अवश्य करते होंगे. दूसरों के सामने पत्नी पर गुस्सा दिखाने से कोई भी समस्या सुलझने के बजाय बढ़ती ही जाएगी. लोगों के सामने अपने रिश्ते का तमाशा बनाने से बेहतर है कि अकेले में अपने मन की बात जीवनसाथी के समक्ष रख हल खोजा जाए.

समस्या: वंशिका को जब गौरव अपने बौस या किसी कुलीग के दुर्व्यवहार से जुड़ी कोई बात बताता तो वंशिका बहुत कुछ पूछने लगती, जबकि गौरव सीमित शब्दों में अपनी बात समाप्त कर किसी भी प्रकार की चर्चा से दूर ही रहना चाहता था. ऐसे में वह वंशिका की बात बीच में काट देता और वहीं चर्चा खत्म करने को कहता. अगली बार जब गौरव ऐसी कोई समस्या बताने लगता तो वंशिका सुनने से इनकार कर देती.

सुझाव: कुछ लोग स्वभाव से कम बोलने वाले होते हैं, तो कुछ बहुत बोलते हैं. गौरव हर बात सीमित शब्दों में कहने वाला व्यक्ति था. वंशिका की प्रवृति हर बात की तह तक जाने व किसी भी विषय को समझ कर विस्तार से अपने विचार प्रकट करने की थी. स्वभाव के इस अंतर को स्वीकार कर दोनों को आपसी तालमेल विकसित करना चाहिए. गौरव द्वारा चर्चा को आगे न बढ़ाए जाने का एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है.

कभीकभी व्यक्ति केवल अपनी समस्या बता कर मन हलका करना चाहता है. गौरव भी ऐसे समय में केवल इतना ही चाहता था कि वंशिका उस की प्रौब्लम को समझे और उस की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा पाए. वंशिका जजमैंटल हो जाए, ऐसा वह नहीं चाहता था.

ये भी पढ़ें- अगर मुझे अपनी बेटी ही बनाये रखना था तो मुझे किसी की पत्नी क्यों बनने दिया?

ऐसे में वंशिका को उस समय केवल गौरव की बात सुनने व किसी अन्य अवसर पर उस विषय में अपने विचार प्रकट करने की सलाह दी गई.

समस्या: गौरव वंशिका की कभी प्रशंसा नहीं करता था, जबकि वंशिका छोटी सी बात में भी उस का शुक्रिया अदा कर तारीफ के दो शब्द बोल ही देती थी. उस के हाथ के बने खाने में तो गौरव अकसर कमियां ही निकालता रहता था.

सुझाव: पार्टनर की कमियों को नजरअंदाज कर प्रशंसा करने के कई लाभ होते हैं. एक तो इस से एकदूसरे में गुणों को ढूंढ़ने की आदत पड़ती है और दूसरा इस से पार्टनर को खुशी मिलती है. इस प्रकार एकदूसरे को स्पैशल फील करवाने से प्रेम का बढ़ना तय होता है.

समस्या: वंशिका को तब बहुत खराब लगता था जब गौरव उस की सीधीसादी बात का गलत मतलब निकाल लेता था. इस संबंध में वंशिका ने एक घटना का जिक्र भी किया. गौरव को अपनी प्रमोशन पर औफिस के साथियों द्वारा दिए गए उपहारों में से वंशिका को एक मग का सैट बहुत सुंदर लगा था. उस में एक मग को पुरुष तो दूसरे को स्त्री का रूप दिया गया था. इस सैट को ‘ओपन माइंडेड कपल’ का नाम दिया गया था. जब वंशिका ने पूछा कि उसे वह मग सैट किस ने दिया, तो गौरव का जवाब था किसी दोस्त ने.

वंशिका द्वारा दोस्त का नाम पूछे जाने पर गौरव ने उस पर आरोप मढ़ दिया कि वह उसे संदेह की नजर से देख रही है और इसे किसी स्त्री द्वारा दिया हुआ गिफ्ट समझ रही है. जब वह उस के सभी मित्रों को जानती ही नहीं तो यह प्रश्न पूछना इस ओर ही इशारा कर रहा है.

सुझाव: पतिपत्नी का रिश्ता केवल विश्वास पर ही टिका रह सकता है. यदि वंशिका ने कभी भी गौरव पर उस के चरित्र को ले कर कोई आरोप नहीं लगाया तो गौरव को सोचना चाहिए कि उस के मन में गौरव के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है. उसे वंशिका की बातों का गलत अर्थ निकाल कर विश्वास की नींव को हिलाना नहीं चाहिए. उस समय गौरव को उपहार देने वाले मित्र का परिचय वंशिका को देना चाहिए था.

समस्या: कभीकभी गौरव औफिस से सीधा किसी काम या पार्टी अथवा फंक्शन में चला जाता. वंशिका को उस समय वह फोन करना भी जरूरी नहीं समझता था.

सुझाव: यदि वंशिका भी ऐसा ही करने लगे तो गौरव कैसा महसूस करेगा? इसी प्रश्न के माध्यम से वंशिका की मानसिक स्थिति गौरव के सामने रखी तो उस ने भी स्वीकार किया कि भविष्य में फोन या मैसेज द्वारा वंशिका को औफिस से कहीं और जाने की सूचना देना सही कदम होगा.

समस्या: गौरव को वंशिका से एक शिकायत यह थी कि उस की रखी गई वस्तुओं को वह उठा कर किसी अन्य जगह रख देती है, जिस से उसे अकसर असुविधा होती है.

सुझाव: वंशिका सफाईपसंद स्त्री थी, किंतु जरूरत से कुछ अधिक ही. गौरव की मेज पर सामान देख वह उसे अलमारी में रख देती और फिर गौरव ढूंढ़ता रह जाता. वंशिका को समझाया गया कि यदि मेज पर सामान बिखरा हो तो खराब लगेगा, किंतु करीने से लगा सामान सफाई का ही अंग समझा जाएगा.

ये भी पढ़ें- औफिस में इन 5 चीजों को करें इग्नोर

अंत में दोनों से कहा गया कि पतिपत्नी के विचारों में मतभेद होना स्वाभाविक है. विभिन्न विचारधाराएं अपने अलग अस्तित्व की पहचान हैं. वैवाहिक जीवन में अलगअलग सोच एकाकार हो जीवन में संपूर्णता ला सकती है. लेकिन जिस समय विचार टकराएं व दोनों में से किसी को गुस्सा आ रहा हो तो दूसरे को उस समय बहस को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. यह सुझाव दोनों के लिए था.

अब सुरभि को पड़ोस के उस घर से पहले की तरह मारपीट और लड़ाईझगड़े की जगह हंसीठहाकों की आवाजें आती हैं, तो उन्हें सुन सुरभि और रचित मुसकरा देते हैं.

अगर मुझे अपनी बेटी ही बनाये रखना था तो मुझे किसी की पत्नी क्यों बनने दिया?

इस लेख के माध्यम से आपको यह बताना चाहती हूं कि लड़की की शादी के बाद उसके मायके वालों की उसके वैवाहिक जीवन में क्या भूमिका होनी चाहिए. ये बताने से पहले मै आपको ये कहानी सुनाना चाहती हूँ .शायद बहुत से लोगों ने ये कहानी सुनी होगी. मेरी आप सबसे गुज़ारिश है की आप मेरा ये लेख पढ़े और इस पर अमल भी करें-

दोस्तों भारत में नियमित सास-बहू गाथा सुनना आम है और उनमें से अधिकांश एक बहू की तरफ से होती है.  जिसकी सास हस्तक्षेप करती है. इस रिश्ते के टूटने और इसे सुधारने के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है. यह किस्सा एक दामाद के बारे में है जिसे अपनी सास से परेशानी है और वह उसके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करती है.

“रोमा और शोभित एक दूसरे को बहुत चाहते थे .उन दोनों के परिवारों ने भी ख़ुशी-ख़ुशी उनकी इस चाहत पर शादी की मुहर  लगा दी .दोनों शादी के बाद सुखी जीवन बिता रहे थे. रोमा शोभित के साथ खुश तो थी पर उसे अपने ससुराल में एडजस्ट होने में बहुत प्रॉब्लम हो रही थी.वो अपनी सारी बातें अपनी माँ को बताती थी.आज साँस ने क्या कहा….आज नन्द ने क्या comment किया….यहाँ तक की अपने और शोभित की छोटी छोटी बातें भी अपनी माँ को बताती थी.और उसकी माँ उसको समझाने के बजाय बहुत emotional सपोर्ट करती थी. वो उसकी हर गलत बात में अपनी सहमती दिखाती थी.

शादी को अभी 3  महीने  ही हुए थे ,की रोमा और शोभित के बीच किसी बात को लेकर बहसा-बहसी हो गयी.रोमा ने तुरंत अपनी माँ को phone किया और रो रोकर सारी बातें अपनी माँ को बताई .उसकी माँ ने कहा-की तुम तुरंत अपना सामान पैक करो और मेरे पास आ जाओ. तब इनको सबक मिलेगा और फिर  ये तुमसे कभी भी ऊँची आवाज़ में बात करने की कोशिश नहीं करेंगे.

ये भी पढ़ें- औफिस में इन 5 चीजों को करें इग्नोर

रोमा ने ऐसा ही किया.सब उसको रोकते रह गए ,यहाँ तक की शोभित की आँखों में आंसू भी आ गए .पर रोमा कहाँ रुकने वाली थी उसके दिमाग में तो अपनी माँ के कहे हुए शब्द गूँज रहे थे.उसने तो शोभित को सबक सिखाने की ठान रखी थी.

अब रोमा अपने मायके में थी . रोमा शोभित को छोड़कर अपने मायके  आ तो  गयी थी पर न जाने क्यूँ उसे एक बेचैनी सी हो रही थी .जिस शोभित से बात किये बगैर वो रह नहीं सकती थी आज वो उसे छोड़ कर आ गयी थी.वो बार -बार अपना phone उठाती .शोभित का नंबर डायल करती और फिर phone काट देती.

शोभित भी रोमा के बगैर रह नहीं पा रहा था. वो बहुत दुखी था उसके इस कदम से क्यूंकि ये कोई पहली बार नहीं हुआ था ,शादी से पहले भी वो एक दूसरे से रूठते रहते थे पर एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते थे .पर उसको समझ नहीं आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हो गया की रोमा ने इतना बड़ा कदम उठा लिया.

उधर रोमा की माँ की कुछ दोस्तों ने उन्हें सलाह दी की एक बार इन सबकी पुलिस में रिपोर्ट करा दो फिर सब अपनी लिमिट में रहेंगे और दोबारा  हिम्मत नहीं करेंगे रोमा से तेज़ आवाज़ में बात करने की.

रोमा की माँ  ने रोमा को अपने साथ पुलिस स्टेशन चलने को कहा .रोमा भौचक्की रह गयी .उसने पूछा -किसलिए?रोमा की माँ ने कहा की तुम्हारे पति और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करनी है .जब पुलिस स्टेशन आना पड़ेगा न तब उन्हें पता चलेगा .फिर वो अपनी लिमिट में रहेंगे .

रोमा का दिल बैठा जा रहा था वो सबकुछ छोड़ कर अपने शोभित के पास लौटना चाह रही थी.उसने अपनी माँ से कहा की माँ इसकी क्या जरूरत है?

उसकी माँ ने कहा –अगर तुझे नहीं चलना है तो ठीक है,फिर मत आना मेरे पास रोते हुए. देख क्या शोभित ने तुझे एक भी बार phone किया?उसे तेरी कोई पड़ी ही नहीं है.वो तो अपने माँ बाप के हाथों की कठपुतली है.तू इन लोगों को नहीं जानती .आज बहस हुई है कल को हाथ भी उठा सकते है.तू मेरी बेटी है .इतने नाजों से पाला है तुझको.मुझसे ज्यादा तेरा कोई ख्याल नहीं रखेगा.

रोमा न चाहते हुए भी  अपनी मां के साथ पुलिस स्टेशन जाने को तैयार हो गयी . रास्ते  भर रोमा का मन बेचैन था.पूरे रास्ते  उसका ध्यान सिर्फ अपने mobile पर था.वो सोच रही थी कि –काश !शोभित एक बार मुझे कॉल कर लो .मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.

अब रोमा पुलिस स्टेशन पहुँच चुकी थी.उसकी दिल की धडकने बहुत तेज़ हो रही थी.वहां की ऑफिसर ने रोमा  से पूछा ….

क्या तुम्हारा पति तुम्हें मारता है ?

क्या वह तुमसे अपने मां- बाप से कुछ मांग कर लाने को कहता है ?

क्या वह तुम्हें खाने पहनने को नहीं देता ?

क्या तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हे कुछ भला बुरा कहते हैं ?

क्या वह तुम्हारा ख्याल नहीं रखता?

इन सब सवालों का जवाब रोमा  ने नहीं में दिया !

इस पर रोमा  की मां बोली कि मेरी बेटी बहुत परेशान है !

इसके ससुराल वाले इसे  घर की हर छोटी-छोटी बातों पर टोका टोकी करते हैं .मोबाइल पर बात करने पर भी आपत्ति करते हैं. वह इसे टॉर्चर करते हैं !

पुलिस अफसर समझ गई! उसने रोमा  की मां से पूछा- क्या आप बेटी से दिन में 4-5 बार फोन पर बात करती  हैं?

मां ने कहा- हां, मैं अपनी बेटी का पराए घर में ध्यान तो रखूंगी न , कितने नाजों  से पाला है उसे!!

पुलिस अफसर सारा मामला समझ गई और फिर उसने पूछा -बहन जी क्या आप घर में दही जमातीं  हैं?

रोमा  की मां ने कहा -हां इसमें कौन सी बड़ी बात है!

अफसर बोली : तो जब आप दही जमाती हैं  तो बार-बार दही को उंगली मार कर जांचती है .

रोमा  की मां बोली: जी अगर मैं बार-बार उंगली मार करजाचूंगी   तो दही कैसे जमेगा? वो तो खराब हो जाएगा

तो बहन जी इस बात को समझिए शादी से पहले लड़की दूध थी! अब उसको जमकर दही बनना है ! आप बार-बार उंगली मारेगी तो  आपकी लड़की ससुराल में कैसे बसेगी  ?वहां के रहन-सहन को सीखेगी  कैसे? आप की लड़की ससुराल में परेशान नहीं है! आप की दखलअंदाजी ही उसके घर की परेशानी का कारण है!

ये भी पढ़ें- जौइंट परिवार में कैसे जोड़ें रिश्तों के तार

उसे उसके ससुराल में एडजस्ट होने की शिक्षा दीजिए ! उसको वहां के हिसाब से रचने -बसने दीजिए.

रोमा ये सब सुनकर पुलिस स्टेशन से बहार आ गयी .पीछे से उसकी माँ ने आकर कहा ,”चलो अन्दर रिपोर्ट नहीं लिखवानी है क्या? फिर मत आना मेरे …… ! ये शब्द पूरे होने से पहले ही रोमा ने कहा ,”नहीं आऊँगी  माँ… कभी नहीं आउंगी.

बस मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ की ‘अगर मुझे अपनी लड़की ही बनाये रखना था तो मुझे किसी की पत्नी क्यों  बनने दिया’?

शायद रोमा की माँ ये बात समझ चुकी थी .रोमा की माँ रोमा को उसके ससुराल ले गयी . रोमा के दिल में एक सुकून का भाव था. अब वो अपने घर पहुँच चुकी थी.वो जाकर शोभित के गले लग गयी.शोभित बहुत खुश  था क्योंकि उसने जिसको दिल से चाहां था आज वो सही रूप में उसके पास थी….”

दोस्तों ये तो सिर्फ एक कहानी थी.शोभित और रोमा की तरह सभी लोग सौभाग्शाली नहीं होते हैं.

एक कहावत है कि “विवाह दो लोगों का मिलन नहीं है बल्कि दो परिवारों का मिलन  है”. जब एक लड़की  और एक लड़के  की शादी होती है, तो दोनों परिवारों के बीच एक नया बंधन बनता है. यह बंधन दूल्हा और दुल्हन दोनों के जीवन में नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है, जिसमें एक-दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी होती है. दुल्हन के लिए, यह उसके जीवन में  अपने साथी के साथ एक पूरी नई ज़िंदगी की शुरुआत है, जब वह दुल्हन अपने ससुराल की दहलीज़ पर  कदम रखती है न ,तब उसके नाज़ुक कंधो पर -एक बहू की – एक पत्नी की  और कुछ समय  बाद एक माँ की ज़िम्मेदारी आ जाती है. उसे एक साथ बहुत सारे रिश्ते निभाने होते है.

ऐसे में उस लड़की को उन रिश्तों की सबसे ज्यादा ज़रुरत होती है जो उसका आत्मविश्वास बढ़ाएं और उसको सही और गलत के बीच का फर्क बताये.

इसलिए आप न केवल  अपनी लड़की को  एक अच्छी पत्नी या बहू बनने के लिए सशक्त बनाएं, बल्कि एक समझदार दोस्त, एक साथी, एक अच्छी माँ के दायित्वों को भी समझाए.

ये भी पढ़ें- जब पार्टनर हो Emotionless तो क्या करें

औफिस में इन 5 चीजों को करें इग्नोर

अक्सर कुछ ऐसी बातें या कुछ मैटर होते रहते हैं ऑफिस में जिस पर आपका ध्यान जाता रहता है लेकिन आप इन चीजों को इग्नोर करें. क्योंकि ऐसी चीजें आपका ध्यान काम से भटकाती हैं और काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है.ऑफिस में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आपको पीछे करना चाहते हैं और अगर आप आगे बढ़ रहे हैं तो वो आपसे आगे निकलने की होड़ में आपको दूसरों की नजरों में गिरा भी सकते हैं..लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें आपको वर्किंग प्लेस पर इग्नोर करना चाहिए यही आपके लिए बेहतर होगा.

1. किसी के दबाव में काम ना करें

कभी भी किसी के दबाव में आकर कोई काम ना करें.अक्सर कुछ सीनियर आपको जबरदस्ती कहते हैं ये काम करो लेकिन अगर वो काम आपका है ही नहीं तो सीधा मना करें लेकिन वो भी सलीके से ताकि सामने वाले को बुरा भी ना लगे.अक्सर कुछ बॉस आप पर दबाव बनाना चाहते हैं लेकिन फिर भी आप उनकी बातों को इग्नोर करें आपना काम करें ऐसा करें कि आपके काम को लेकर कोई आपर उंगली ना उठा सके.

2. दूसरे की गॉसिप से दूर रहें

अक्सर कुछ लोग दूसरों की बातें करते हैं उन्हें दूसरों की गॉसिप्स में बड़ा मज़ा आता है.लेकिन ये चीजें आपको भारी पड़ सकती हैं और आपकी जॉब पर भी खतरा पड़ सकता है.क्योंकि कब कौन आपकी बातें कहां पहुंचा दें ये कोई जानता और कब आपकी कही हुई बात आप पर ही भारी पड़ जाए तो सावधान रहें.

ये भी पढ़ें- जौइंट परिवार में कैसे जोड़ें रिश्तों के तार

3. स्मार्ट वर्क

मेहनत तो बहुत लोग करते हैं लेकिन आपको स्मार्ट वर्क करना चाहिए ताकि लोग आपके काम की तारीफ करें उसकी सराहना करें.मेहनत तो हर कोई करता है जो पैसे कमाना चाहता हैं ऑफिस में भी कुछ लोग लगे रहते हैं इसी तरह लेकिन अगर आप स्मार्टनेेस के साथ काम करेंगे तो लोग आपके काम को देखेंगे ये नहीं कि आपने कितने घंटे दिए हैं ऑफिस में इसलिए स्मार्ट वर्क पर ज्यादा ध्यान दें फालतू की मेहनत को इग्नोर करें.

4. दूसरों के काम में ना पड़ें

हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि कभी भी दूसरों के काम में ज्यादा उंगली ना करें.उसकी मदद करना अलग बात होती है लेकिन उसके काम में पड़ना अलग बात होती है.क्योंकि कई बार ऐसा भी होता कोई गलती हो जाती है तो सामने वाला आप पर ही इल्जाम लगा सकता है कि आपने मेरा काम बिगाड़ा.इसलिए कोशिश करें कि आपको जो काम दिया जाए जो काम असाइन किया जाए वहीं करें.

ये भी पढ़ें- जब पार्टनर हो Emotionless तो क्या करें

5. दूसरों की बातों को इग्नोर करें

यहां पर दूसरों की बातों को इग्नोर करने का मतलब ये है कि लोग आपके बारें में क्या कह रहें हैं ये क्या सोच रहें हैं इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि बहुत से लोग आपके बारे में बहुत कुछ बोलते हैं अगर आप उनपर ध्यान देंगे तो आप अपने काम में मन नहीं लगा पाएंगे इसलिए सिर्फ अपना काम करें लेकिन साथ ही ऐसा काम करें कि लोगों को आपके बारें में कुछ बोलने का मौका ही ना मिले.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें