दूसरों से ही क्यों उम्मीद रखें

हम सबमें परफेक्ट ब्यूटी की चाह इस कदर घर कर गई है कि इसने एक पागलपन का रूप ले लिया है.इसके कारण लोग जैसे दिखते हैं,उसे वे या तो बदसूरत समझ लेते हैं या उसमें बहुत सुधार करने की कोशिश करने लगते हैं.वास्तव में यह सोच   हमारे आत्मसम्मान को कम कर देती है. यदि यह भावना हद से ज्यादा बढ़ जाये तो किसी के भी दिल और दिमाग पर इसका बुरा असर दिखने लगता है.अब अगर आप 40 बरस की हो गयी हैं तो दुनिया की कोई ऐसी ताकत नहीं है जो आपको ऐसा बना दे कि आप 21 साल की दिखने लगें. लेकिन हम हैं कि मानते ही नहीं हैं.अपने चेहरे पर उम्र के साथ आने वाली झुर्रियों को कम करने के लिए हम बेतहाशा एंटीरिंकल क्रीमों का इस्तेमाल करने लगती हैं.लेकिन इस सबसे हमें कुछ ख़ास हासिल नहीं होता. क्योंकि उम्र के साथ बुढ़ापा बहुत स्वभाविक है.इसे न स्वीकार करके हम अपनी सेहत से ही खिलवाड़ करने लगते हैं.

हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ब्यूटी प्रोडक्ट्स और क्रीम हमें सिर्फ इन उत्पादों की खूबियां बताते हैं.इनसे होने वाले बुरे असर को नहीं.वास्तव में  हमें अपने आपसे प्यार करना खुद ही सीखना होगा.खुद की तुलना खुद से करने के लिए निर्णय करने का अधिकार भी खुद को ही देना होगा.हम उन लोगों से ईर्ष्या करते हैं, जो मोटे दिखने के बावजूद खुश रहते हैं. हमें यह देखकर बड़ी हैरानी होती है कि एक मोटी लड़की आखिर ऐसा टॉप कैसे पहन सकती है जिसमें उसकी बड़ी टमी दिखायी देती है ?  यकीन मानिए यह वह लड़की है जो अपने आपको खुद की नजरों में बेहद ऊंचा समझती है.

वास्तव में हमारे भीतर की भावना ही हमें अपने आपके प्रति प्यार करना सिखाती है.यही हमें एक जीवन दृष्टि देती है.यदि हम अपने आपसे प्यार करना नहीं सीख पाते हैं तो हमारे भीतर का आत्मविश्वास चूर चूर हो जाता है. हिम्मत टूट जाती है.हम जीवन की चुनौतियों का सामना कर पाने में खुद को अक्षम पाते हैं.खुद को पसंद न कर पाने की यह भावना हमारे भीतर से ही आती है. धीरे धीरे यह हमारे व्यक्तित्व को छोटा साबित करती है.इस तरह धीरे धीरे हम खुद ही अपना विनाश करने लगते हैं.इसके विपरीत जब हम अपने आपसे प्यार करना सीख लेते हैं तो हम बेहद रचनात्मक और पॉजिटिव सोच रखने लगते हैं.सवाल है हम इस तरह के कंफर्ट जोन को आखिर कैसे हासिल करें?

खुद को स्वीकार करना सीखें

खुद से बार बार कहें मैं जैसी हूं.खुद को स्वीकार करती हूं. एक बार अगर आप इस बात को स्वीकार कर लेती हैं तो आपके भीतर एक नया आत्मविश्वास जागृत होता है जिससे आप एक नयी ताकत महसूस करती हैं.

ये भी पढ़ें- B’DAY SPL: दीपिका-रणवीर से सीखें परफेक्ट रिलेशनशिप टिप्स

कोई दूसरा भला आपका आकलन क्यों करें?

दूसरों में भला ऐसी कौन सी योग्यता है कि वह आपका आकलन  करें ? आप उन्हें ऐसा करने की छूट ही क्यों देते हैं ? खुद का आकलन करने के लिए अपना पैमाना, खुद ही निर्धारित करें.कल्पना कीजिये कि आप किसी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही  हैं,जिसमें आपकी भूमिका निर्णायक की है. इस काल्पनिक प्रतियोगिता में अपना आकलन बिना किसी भेदभाव के करें. साथ ही अपने लिए इस तरह का पैमाना निर्धारित करें जिसमें आप सौ प्रतिशत खरे उतरें.

अपनी मंजिल खुद तय करें

अपने भीतर छिपी प्रतिभा, योग्यता, पैशन को पहचानें. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके इर्दगिर्द कितने नेगेटिव सोच के लोग हैं.आप अपना रास्ता खुद बनायें.खुद से प्यार करना जिंदगी का वह जज्बा है जिसके बिना आप ताउम्र खुद को  प्यार ही नहीं कर पाते.

ये भी पढ़ें- इन 7 कारणों से शादी नहीं करना चाहती लड़कियां

अलविदा 2019: इस साल टूटे इन 6 फेमस जोड़ियों के रिश्ते

बौलीवुड कपल्स और उनके रिश्तों की बात करें तो अकसर ये देखने में आता है की एक-दूसरे के साथ रहते हुए भी सेलेब्स आपस में तालमेल बैठा नहीं पाते. इंडस्ट्री में ऐसे कपल बहुत देखे जाते हैं जिनकी शादी कुछ साल में ही टूट गई हो लेकिन कई ऐसे सेलेब्स भी हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी के कई साल पार्टनर को दिए और बाद में किसी कारणवश अलग हो गए. किसी की शादी 22 साल चली तो किसी की 10  आखिरकार इनके रिश्तों का अंत तलाक के रूप में हुआ. आज हम बात करेंगे उन सेलेब्स की जो की अपनी शादी को बचाने में असफल रहें.

1. दीया मिर्जा और साहिल सांघा

 

View this post on Instagram

 

Talking to me?

A post shared by Dia Mirza (@diamirzaofficial) on


इन दोनों बौलीवुड सेलेब्स कपल ने अपनी  5 साल की शादी को तोड़ दिया. दिया मिर्जा ने इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिये सभी को बताया की दिया और साहिल अब साथ नहीं है.  दोनों लोग एक दूसरे को लगभग 11 साल से जानते थे, और अक्टूबर 2014 में दोनों शादी के बंधन में बांध गए थे. दिया ने पोस्ट में बताया की दिया और साहिल अब साथ नहीं है और ये निर्णय दोनों की आपसी रज़ामंदी से लिया गया है.

2. इलियाना डिक्रूज और एंड्रयू नीबोन

 

View this post on Instagram

 

? @kadamajay

A post shared by Ileana D’Cruz (@ileana_official) on

इलियाना बौलीवुड के साथ साथ साउथ मूवीज की बहुत प्रसिद्ध अभिनेत्री है, और एंड्रयू नीबोन ऑस्ट्रेलियन फोटोग्राफर है.  एंड्रयू, इलियाना के साथ मुंबई में ही रहते है. कहा जाता है की दोनों ने चोरी-छुपे शादी कुछ साल पहले ही कर ली थी,  इलियाना  के फैंस ये सुनकर काफी हैरान थे की इलियाना  चोरी छुपे शादी कर ली , लेकिन कुछ ही समय बाद एक और चौकाने वाली न्यूज़ सामने आई की अब इलियाना  और उनके ऑस्ट्रेलियन पति एंड्रयू अलग हो चुके है यह खबर सितम्बर 2019 को इलियाना ने खुद ही बताया की अब वो और एंड्रयू  अब साथ नहीं है.  इलियाना इंस्टाग्राम पर बहुत एक्टिव है वे अक्सर अपने पति के साथ फोटो अपलोड करती रहती है लेकिन जब से दोनों अलग हुए है इलियाना ने अपने इंस्टाग्राम से एंड्रयू की सभी  फोटो  डिलीट कर दी है और दोनों कपल्स ने एक दूसरे को इंस्टाग्राम से unfollow कर दिया है.

3. श्वेता बासु और रोहित मित्तल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Shweta Basu Prasad (@shwetabasuprasad11) on

श्वेता बासु ने अपना फिल्मी करियर साल 2002 में मकड़ी मूवी के साथ किया था. श्वेता बासु और रोहित मित्तल ने साल 2018 , 13 दिसंबर को शादी के बंधन में बांध गए थे.  शादी बंगाली और मारवाड़ी दोनों ही रिवाजों से करी गयी थी. कहा जाता है की श्वेता और रोहित पिछले 4 साल से एक दूसरे को डेट कर रहे थे.  और दोनों ने साल 2017 में कुछ खास दोस्त और परिवार के सामने सगाई कर ली थी.  लेकिन अचानक ख़राब आई की ये दोनों कपल अब साथ नहीं है.  श्वेता ने यह खबर अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिये बताया की अब रोहित और श्वेता साथ नहीं है हालांकि श्वेता ने यह भी बताया की यह निर्णय दोनों की रज़ामंदी से लिया गया है. दोनों के अलग होने की खबर 9 दिसंबर 2019 को सामने आई. इन दोनों के रिश्ते को एक साल भी नहीं हुआ था और श्वेता बासु का यह पोस्ट काफी चौका देने वाला था.

4. फैज़ल खान और मुस्कान कटारिया

 

View this post on Instagram

 

Who’s the culprit? . . #FaisAan @muskaankataria #NachBaliye9 @starplus @banijayasia

A post shared by Faisal Khan (@faisalkhan30) on

फैज़ल खान टेलीविज़न इंडस्ट्री से है,  फैज़ल ने अपने करियर की शुरुआत एक डांस रियलिटी शो से की जहां वो विजेता भी रहे.  डांस रियलिटी शो के बाद फैज़ल ने कई टेलीविज़न शोज भी किये.  हाल ही में फैज़ल बहुत ही प्रसिद्ध डांस रियलिटी शो में अपने बलिये मुस्कान कटारिया के साथ नज़र आये. दोनों की  जोड़ी व डांस ऑडियंस को खूब पसंद आ रहा था लेकिन एक स्टंट के दौरान फैज़ल को शो बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा. कुछ दिन बाद यह खबर आई की  फैज़ल और मुस्कान दोनों का ब्रेकअप हो चुका है. सुनने में यह भी आया की फैज़ल ने अपनी चाइल्ड आर्टिस्ट इमेज हटाने के लिए वह मुस्कान के साथ थे और शो से निकलते ही फैज़ल ने अपने ब्रेकअप की खबर मीडिया को बताया की वे इस रिश्ते में खुश नहीं थे इसलिए वे मुस्कान से अलग हो गए.

5. रिद्धि डोगरा और राकेश बापट

टीवी कपल रिद्धि डोगरा और राकेश बापट के 7 साल बाद तलाक हो गया है. दोनों ने साझा बयान जारी करते हुए कंफर्म किया है. कि ”हां, हम अलग रह रहे हैं. हमने ये फैसला आपसी सम्मान, एक-दूसरे की और हमारी फैमिली की चिंता करते हुए लिया है. हम दो बेस्ट फ्रेंड हैं जो कि अब कपल नहीं रहे. लेकिन हमारी दोस्ती वैसी ही रहेगी जैसे कि पहले थी. हमें खुशी होगी अगर इस मुद्दे से जुड़ी कोई और अफवाह सामने ना आए. उन सभी लोगों का धन्यवाद, जिन्होंने हमें अपना प्यार दिया.”

6. श्वेता तिवारी और अभिनव कोहली

 

View this post on Instagram

 

The only people that deal with 2-3 hours of tardiness, @vikaaskalantri @priyankavikaaskalantri Love you guys?And Thank you ?

A post shared by Shweta Tiwari (@shweta.tiwari) on

कसौटी ज़िन्दगी की प्रसिद्ध अभिनत्री श्वेता तिवारी की दूसरी शादी टूटने की भी ख़बर सामने आई है.  श्वेता तिवारी की पहली शादी राजा चौधरी से हुई थी. राजा चौधरी और श्वेता तिवारी की एक बेटी भी जो की श्वेता के साथ ही रहती है. राजा चौधरी से तलाक़ का कारण घरेलू हिंसा था. अभिनव कोहली से शादी के साथ दोनों ने अपनी नई ज़िन्दगी की शुरुआत  की और अगस्त में यह ख़बर आई की अभिनव श्वेता की बेटी और श्वेता दोनों के साथ मारपीट करते है. अब अभिनव और श्वेता के दूसरे साथ नहीं है और  जल्द ही क़ानूनी तौर पर भी अलग हो जाएंगे.

बच्चे घर आएं तो न समझें मेहमान

पढ़ाई व नौकरी के सिलसिले में काफी बच्चे घर से बाहर रहने चले जाते हैं. मातापिता बच्चों  के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें भेज तो देते हैं लेकिन उन्हें हमेशा बच्चों के आने का इंतजार रहता है खासकर मां को. जब वे आते हैं तो मातापिता उन के लिए तरहतरह की तैयारियां करते हैं. बच्चों की हर इच्छा पूरी की जाती है. कभीकभी तो ऐसा भी होता है कि जब बच्चे आते हैं तब मातापिता इतना ज्यादा ध्यान रखने लगते हैं कि बच्चे को घर में ऊबन होने लगती है. वे चिड़चिड़ा व्यवहार करने लगते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली सपना कहती हैं, ‘‘जब मैं घर जाने वाली होती हूं तब 3-4 दिनों पहले से ही मेरी मम्मी फोन पर पूछने लगती हैं, क्या बनाऊं, तुझे क्या खाना है, कब आ रही है. जब मैं घर पहुंचती हूं तो हर 10 मिनट पर कहती रहती हैं ये खा लो, वो खा लो, अभी ये कर लो. 1-2 दिनों तक तो मुझे अच्छा लगता है, लेकिन फिर मुझे गुस्सा आने लगता है. गुस्से में कईर् बार मैं कह भी देती हूं कि क्या मम्मी, आप हमेशा ऐसे करती हैं, इसलिए मेरा घर आने का मन नहीं करता.’’

बच्चों के आने की खुशी में मांएं अकसर ऐसा करती हैं. यह ठीक है कि आप अपने बच्चे से बहुत प्यार करती हैं, घर आने पर उसे हर सुखसुविधा देना चाहती हैं लेकिन कईर् बार इस स्पैशल अटैंशन की वजह से बच्चे बिगड़ भी जाते हैं. उन्हें लगने लगता है कि वे घर जाएंगे तो उन की हर इच्छा पूरी होगी तो वे इस बात का फायदा उठाने लगते हैं. कभीकभी तो वे झूठ बोल कर चीजें खरीदवाने लगते हैं. बात नहीं मानने पर वे मातापिता से गुस्सा हो जाते हैं और घर नहीं आने की धमकी देने लगते हैं. इसलिए, जरूरी है कि आप संतुलन बना कर रखें. बच्चों के साथ सामान्य व्यवहार करें ताकि उन्हें यह न लगे कि वे अपने घर के बजाय किसी गैर के यहां मेहमान के रूप में रहने आए हैं.

क्या न करें

1. हर समय इर्दगिर्द रहने की कोशिश न करें

जब बच्चे घर आएं, उन से चिपके न रहें. हर समय उन के आसपास रहने की कोशिश न करें. इस बात को समझने की कोशिश करें कि अब आप के बच्चे अकेले रहते हैं, उन्हें अपने तरीके से जिंदगी जीने की आदत हो गई है. ऐसे में अगर आप रोकाटोकी करेंगी और हर बात के लिए पूछती रहेंगी कि क्या कर रहे हो, किस से चैट कर रहे हो, कौन से दोस्त से मिलने जा रहे हो, तो उन्हें अजीब लगेगा. वे आप के साथ रहना पसंद नहीं करेंगे. आप से कटेकटे रहेंगे. इसलिए उन्हें थोड़ा स्पेस दें. लेकिन हां, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि वे आप से छिपा कर कोई गलत काम न कर रहे हों.

ये भी पढ़ें- न जाने क्यों बोझ हो जाते हैं वो झुके हुए कंधे

2. गुस्से के डर से न भरें हामी

कई बच्चे ऐसे भी होते हैं कि जब पेरैंट्स उन की बात नहीं मानते तो वे गुस्सा हो जाते हैं, खानापीना छोड़ देते हैं. बच्चों की इन आदतों के चलते मातापिता उन की हर बात मान लेते हैं. वे नहीं चाहते कि छुट्टियों में बच्चे आए हैं तो किसी बात के लिए वे नाराज हों या गुस्सा करें और घर का माहौल खराब हो.

कई बार तो गुस्से के डर से मातापिता वैसी चीजों के लिए भी हामी भर देते हैं जो उन्हें पता है कि उन के बच्चे के लिए सही नहीं है. अगर आप ऐसा करते हैं तो करना बंद कर दें क्योंकि आप के ऐसा करने से बच्चे इस का फायदा उठा कर अपनी मनमानी करने लगते हैं.

3. हर वक्त खाना न बनाते रहें

बच्चे जब घर आते हैं तो मांएं सोचती हैं कि ज्यादा से ज्यादा चीजें बना कर खिलाएं. इसी वजह से वे अपना पूरा समय किचन में खाना बनाने में बिता देती हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि वे कई तरह की डिशेज बनाती हैं लेकिन बच्चे कुछ भी नहीं खाते. ऐसे में वे उदास हो जाती हैं कि पता नहीं, क्यों नहीं खा रहा है, पहले तो रोता था ये चीजें खाने के लिए. लेकिन आज एक भी चीज नहीं खा रहा है.

उन का इस तरह से सोचना गलत है क्योंकि बाहर रहने पर बच्चों की खाने की आदत में थोड़ा बदलाव आ जाता है. वे एक बार में कई तरह की चीजें नहीं खा पाते हैं. इसलिए, बहुत सारी डिशेज बनाने के बजाय एक ही डिश बनाएं ताकि सब खा भी पाएं और वे अपने बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकें.

4. गलतियां कर के सीखने दें

घर आने पर बच्चों को राजकुमार या राजकुमारी की तरह न रखें, बल्कि उन्हें तरहतरह के काम करने दें ताकि गलतियां करें और सीखें. यह न सोचें कि 4 दिनों के लिए आए हैं और आप ऐसी चीजें करवा रही हैं, बल्कि अगर वे आप के सामने काम करते हुए गलतियां करते हैं तो आप उन्हें सिखा सकती हैं. जरा सोचिए अगर वे अकेले में ऐसी गलतियां करेंगे तो क्या होगा. इसलिए, बेहतर है कि उन्हें छोटेछोटे काम करना सिखाएं.

5. तारीफ न करते रहें

अगर आप का बच्चा किसी कालेज में पढ़ाई कर रहा है या किसी अच्छी कंपनी में जौब करता है तो इस का यह मतलब नहीं है कि आप सब के सामने हमेशा उस की तारीफ करते रहें. ऐसा करने से बच्चों के अंदर घमंड आ जाता है.

6. भावनाएं न दिखाएं बारबार

बच्चे से कभी भी न कहें कि हम सब तुम्हें बहुत याद करते हैं, तुम्हारी मां तुम्हारे जाने के बाद रोती रहती है, कोई नहीं होता जिस से वे बात कर सकें. अगर कभी बच्चा भी अपनी किसी समस्या के बारे में बताता है तो उस से न कहें कि घर वापस आ जा, क्या जरूरत है परेशान होने की. इस से बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं. ऐसा करने से आप भी दुखी होती हैं और बच्चे भी.

7. समय को ले कर न हों पाबंद

घर में हर काम समय पर किया जाता है लेकिन जरूरी नहीं है कि बच्चे भी वही टाइमटेबल अपनाएं. इसलिए उन पर ऐसा कोई दबाव न डालें कि सुबह 6 बजे उठना है, देररात में घर से बाहर नहीं निकलना है, रात में टीवी नहीं देखना है आदि. बल्कि, उन्हें घर पर रिलैक्स होने दें.

8. बच्चों में न करें फर्क

ऐसा न करें कि बड़े बच्चे के आते ही छोटे बच्चे को भूल जाएं. वह कुछ भी कहें तो यह न कह दें कि तुम  घर में ही रहते हो, तुम्हारी बहन इतने दिनों के बाद आई है. आप के ऐसा करने से बच्चों के बीच में दूरी आने लगती है. वे सोचते हैं कि इस के आते ही इसे तो स्पैशल ट्रीटमैंट मिलने लगता है और मुझ पर कोई ध्यान नहीं देता.

क्या करें

गलती करें तो हक से डांटें  :  बच्चे जब गलती करते हैं तब आप की जिम्मेदारी बनती है कि आप उसे अधिकारपूर्ण डांटे, क्योंकि आप की एक छोटी सी भूल या हिचक उस के आगे की जिंदगी खराब कर सकती है. इतना ही नहीं, अगर उस की कुछ गलत आदतों के बारे में आप को पता चले तो सोचने न बैठ जाएं कि आप का बच्चा गलत रास्ते पर चला गया है अब क्या करें. सोचने में समय बरबाद करने के बजाय उसे समझाने की कोशिश करें.

1. क्वालिटी टाइम दें

ऐसा न हो कि आप के बच्चे घर आएं तो भी आप अपने कामों में ही व्यस्त रहें, औफिस से देर से घर आएं, मेड से कह दें कि बच्चों का ध्यान रखें. ऐसा न करें क्योंकि आप के ऐसा करने से बच्चों को लगने लगता है कि घर आने से बेहतर तो वे वहीं रह लेते. इसलिए, बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं. बेशक आप 1 घंटा ही समय साथ बिताएं, लेकिन उन के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें ताकि वे आप के साथ एंजौय करें.

ये भी पढ़ें- ये 5 गलतियां करती हैं रिश्तों को कमजोर

2. जो बने वही खिलाएं

हर दिन कुछ स्पैशल बना कर बच्चों की आदत न बिगाड़ें. 1-2 दिन तो ठीक है लेकिन अगर आप हर समय स्पैशल खिलाती रहेंगी तो बच्चे की आदत बिगड़ जाएगी. जब वह वापस जाएगा तो वहां उसे ऐडजस्ट करने में समस्या होगी. उसे वहां का खाना अच्छा नहीं लगेगा.

3. पति की उपेक्षा न करें

बच्चे जब घर आते हैं तो सारा ध्यान इसी बात पर रहता है कि क्या बनाना है, बच्चों को क्या चाहिए. इन सब के बीच अगर पति कुछ कहते हैं तो आप का जवाब होता है कि हमेशा तो आप के लिए ही करती हूं, अभी तो मुझे मेरे बेटे के लिए करने दो. कुछ महिलाएं तो पति को पूरी तरह से इग्नोर कर देती हैं. आप ऐसा करने के बजाय दोनों को समय दें.

अगर आप अपने बच्चे को खास मेहमान समझती हैं तो इस के कई नुकसान हैं जिन के बारे में शायद ही आप का ध्यान कभी जाता होगा.

4. बच्चे होते हैं भावनात्मक रूप से कमजोर

घर पर मातापिता बच्चों को ढेर सारा प्यार देने की कोशिश करते हैं लेकिन वास्तव में वे ऐसा कर के बच्चों को भावनात्मक रूप से कमजोर बनाते हैं. जब बच्चे उन्हें छोड़ कर वापस जाते हैं तब उन का मन नहीं लगता. वे हर समय घर के बारे में ही सोचते रहते हैं. वे हर चीज की तुलना घर से करते हैं. ऐसे में उन्हें ऐडजस्ट करने में समस्या होती है.

5. बिगड़ता है बजट

बच्चों के आने पर उन के लिए तरहतरह के पकवान बनाती हैं, उन्हें शौपिंग करवाने ले कर जाती हैं, उन की पसंदीदा चीजें खरीदती हैं, लेकिन, इन सब चीजों से आप का बजट बिगड़ता है और बाद में आप को परेशानी होती है. कुछ मातापिता तो ऐसे भी होते हैं जो अपने बच्चों को खास ट्रीटमैंट देने के लिए पैसे उधार ले लेते हैं और बाद में उधार चुकाने में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कुल मिला कर बच्चे जब बाहर से आएं तो उन्हें समय दें, प्यार दें लेकिन जरूरत से ज्यादा नहीं. उन्हें मेहमान न बनाएं, न उन्हें मेहमान समझें ताकि वे अनुशासित ही रहें और उन में व आप के बीच स्नेह और भी बढ़े.

ये भी पढ़ें- रिलेशनशिप सुधारने में ये 5 टिप्स करेंगे आपकी मदद

न जाने क्यों बोझ हो जाते हैं वो झुके हुए कंधे

एक दिन एक 94 वर्ष के बुजुर्ग अपने बेटे के साथ पार्क में बैठे थे. अचानक एक  चिड़िया सामने के पेड़ पर आकार बैठ गयी. पिता ने उस चिड़िया को देखा और अपने बेटे से पूछा , “यह क्या है बेटा ?” बेटे ने जवाब दिया “यह एक चिड़िया है”.

कुछ मिनटों के बाद, पिता ने अपने बेटे से दूसरी बार पूछा, “यह क्या है?” बेटे ने कहा “अभी तो आपको बताया कि यह एक चिड़िया है”.

थोड़ी देर के बाद, बूढ़े पिता ने फिर से अपने बेटे से तीसरी  बार पूछा, यह क्या है? ”

इस बार बेटे ने बहुत ही बुरे तरीके से उन्हे जवाब दिया और बोला “यह एक , चिड़िया है, चिड़िया है, चिड़िया है”.

आप मुझसे बार- बार एक ही सवाल क्यों पूछते रहते है. मैंने आपको बार-बार बताया कि यह एक चिड़िया है. क्या आपको समझ में नहीं आ रहा? अब घर चलिये.

वो दोनों घर आ गए. बुजुर्ग अपने कमरे में चले गए . कुछ देर बाद वो अपनी पुरानी डायरी  लेकर वापस आए ,जिसमे उन्होने अपने लड़के का पूरा बचपन संगो रखा था . एक पेज खोलकर, उन्होंने अपने बेटे को उस पेज को पढ़ने के लिए कहा.

जब बेटे ने उसे पढ़ा तो उसकी आंखो से आँसू निकलने लगे . उसमे लिखा था- “आज मेरा तीन साल का छोटा बेटा पार्क में मेरे साथ बैठा था. जब पेड़ पर एक कौवा बैठा तब मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा कि यह क्या है, और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया कि यह एक कौवा है. मैंने उसे हर बार प्यार से गले लगाया और मैंने अपने मासूम बच्चे के लिए प्यार महसूस किया ”.

ये भी पढ़ें- ये 5 गलतियां करती हैं रिश्तों को कमजोर

जब एक बेटे द्वारा एक ही सवाल 23  बार पूछने से पिता को जवाब देने में कोई झंझलाहट नहीं हुई तो जब आज पिता ने अपने बेटे से सिर्फ 3 बार यही सवाल पूछा, तो बेटे को चिढ़ और गुस्सा क्यों आया ?

दर्द होता है यह देखकर की जिन माँ बाप ने हमें बोलना सिखाया आज हम उन्ही  को चुप करा देते है . जिन माँ बाप ने हमें ज़िन्दगी दी ,खुद की  खुशियों  को मिटा के भी हमें सब कुछ दिया ,आज उनसे बात करने के लिए हमारे पास समय नहीं है.

अपने व्यस्त जीवन में से थोड़ा समय निकाल कर अपने माँ बाप को दीजिये क्योंकि ये वही लोग हैं जिन्होंने आपकी बातें तब सुनी थी जब आप बोलना भी नहीं जानते थे .

कैसी विडम्बना है कि एक माँ बाप मिलकर 4 बच्चों  को पाल सकते है पर 4 बच्चे मिलकर एक माँ बाप को नहीं पाल  सकते. जिन माँ बाप ने अपना सारा जीवन अपने बच्चों  के लिए कुर्बान किया आज उन्ही के लिए हमारे घरों में जगह नहीं है .माँ बाप का साथ में रहना एक बंधन सा लगता है . किसी से पूछो की कैसे हो तो कहते है की बहुत काम बढ़ गया है क्योंकि माता पिता हमारे यहाँ रहने आये है .

जो कुछ भी आप अपने माँ बाप के साथ करोगे ,वो आपके बच्चे भी आपके साथ करेंगे .दुनिया गोल है जहाँ से घूमना शुरू  होती है वहीँ पर आकर रूकती है.

अपनी भावना को बदलिए और यह कहिये की हम अपने माता पिता के साथ रहते है और हमें इस बात पर गर्व है.

आपके माँ बाप ने बचपन में आपको शहजादे  की तरह रखा अब ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप  उन्हें उनके बुढ़ापे में बादशाहों की तरह रखें.

माँ बाप की ज़िन्दगी गुजर जाती है आपकी जिंदगी बनाने में और बच्चा बड़ा होकर यह सवाल करता है कि  आपने  मेरे लिए किया ही  क्या? कभी भी अपनी ज़िन्दगी में अपनी सफलताओं का रौब अपने माँ बाप को मत  दिखाना क्योंकि उन्होंने अपनी  ज़िन्दगी हारकर तुमको जिताया है.

जब हम बड़े हो जाते हैं तब हम अपने जीवन के बड़े से बड़े फैसले खुद ही लेने लगते है ,एक बार भी अपने माँ बाप से पूछना जरूरी नहीं समझते पर याद रखिये  जिन घरों में पहले माँ बाप से सलाह नहीं ली  जाती, उन्ही घरों में बाद में वकीलों से सलाह ली जाती है.

माँ एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर दुःख, हर तकलीफ जमा करा सकते हैं और पिता एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास अगर बैलेंस न भी हो तो भी आपके सारे सपने पूरा करने की कोशिश करता है.

दुनिया में हर इंसान अपना दुःख किसी न किसी से साझा कर ही लेता है लेकिन एक पिता ही है जो अपना दुःख किसी से साझा नहीं करता. वो आपको डांटकर अपने गुस्से को कभी -कभी दिखा तो देता है पर कभी रोकर अपने दर्द को बयान नहीं करता,क्योंकि उसको पता है आपके भविष्य की मजबूत डोर उसकी हिम्मत से है. आँसू उसके अन्दर भी है पर उसके हौसले का जवाब नहीं .

माँ-बाप के होने का एहसास कभी नहीं होता पर उनके ना होने का एहसास बहुत होता है. आप इस दुनिया में किसी के बारे में सोचे या न सोचे लेकिन  उन माँ- बाप के बारे में जरूर सोचना जो बिना थके, बिना रुके, बिना अपनी तकलीफ किसी को बताये ईश्वर से आपकी कामयाबी की गुहार लगाते हैं.

ये भी पढ़ें- रिलेशनशिप सुधारने में ये 5 टिप्स करेंगे आपकी मदद

जिस दिन आपके माता- पिता को आप पर गर्व हो,समझ लेना उस दिन आपने  दुनिया जीत ली. दुनिया भर के रिश्ते निभाकर यह जाना कि माँ बाप के सिवाय अपना कोई नहीं.इस दुनिया में बिना स्वार्थ के केवल माता पिता की प्यार कर सकते  हैं. ये सच्चाई जिन लोगों को मालूम है वो लोग बहुत खुशनसीब  है और जो ये नहीं जानते उनसे बड़ा बदनसीब कोई नहीं.

“लोग कहते है कि पहला प्यार भुलाया नहीं जा सकता पर पता नहीं क्यों हम अपनी ज़िन्दगी के पहले प्यार को ही भूल जाते है.”

रिलेशनशिप सुधारने में ये 5 टिप्स करेंगे आपकी मदद

किसी ऐसे इंसान को ढूंढना जिसके साथ आप पूरी जिंदगी बिता सके, बहुत मुश्किल होता है. हर रिश्ते में उतार, चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि आप उन रिश्तों को वहीं खत्म कर दें. उन्हें सुधारने की कोशिश जरुर करना चाहिए. जिससे रिश्तों को बचाया जा सकता है. तो आइए आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं जिससे रिश्तों में सुधार लाया जा सकता है.

1. साथ में ज्यादा समय बिताए

अपने पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच मन-मुटाव दूर होगा और आप एक दूसरे को अच्छे से समझ भी पाएंगे. ज्यादा समय देने से आप अपने पार्टनर की अधिक देखभाल कर सकते हैं जिससे आपके बीच की बौडिंग भी मजबूत हो जाती है. आप साथ में कार्ड्स खेले, बाहर घूमने जाए, नयी-नयी चीजों को ट्राई करें, एक-दूसरे की मदद करें. कुछ ऐसा करें जो आप दोनों को ही पसंद हो और आप दोनों को उसे करने में बराबर की खुशी महसूस करते हों. साथ ही ऐसी चीजों को अवाइड करें जिससे आप दोनों में टेंशन बढ़ती है.

ये भी पढ़ें- ऐसे बनाएं रिश्ता अटूट

2. एक दूसरे को स्पेस दें

कभी-कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं जिनमें केवल आप खुद को समझ सकते हैं. उस वक्त अकेले रहने का मन होता है. ऐसे में आप अपने पार्टनर को समय दें. उन्हें उनकी लाइफ जीने दें और आप भी अपनी जिंदगी को थोड़ा समझें. अगर एक-दूसरे की लाइफ में आप ज्यादा दखल देंगे तो इससे आपको अपना रिश्ता बोझ लगने लगेंगा. अगर आपका पार्टनर अपने दोस्तों के साथ हैंग-आउट करना चाहता हैं तो उन्हें रोके-टोके नहीं. दोस्तों के साथ समय बिताना हम सबको अच्छा लगता है. वो आपसे प्यार करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उनके लिए दोस्त मायने नहीं रखते इसलिए रिश्तों में स्पेस देना बहुत जरूरी है.

3. भरोसा करें

किसी भी रिश्ते में जितना प्यार की जरूरत होती है उतना ही भरोसा भी होना चाहिए. अगर आपके रिश्ते में शक नाम की चीज आ जाएगी तो वो आपके रिश्ते को दीमक की तरह खा जाएगी. खासकर कि लौन्ग-डिस्टेन्स रिलेशन में. एक-दूसरे पर भरोसा होना बहुत जरूरी होता है. वरना आपका रिश्ता बहुत ही मुश्किल में पड़ सकता है. प्यार अगर कम भी हो तो रिश्ते निभाए जा सकते हैं लेकिन अगर भरोसा न हो तो रिश्तों को टूटने में ज़्यादा समय नहीं लगता. ऐसा कहा भी जाता है कि रिश्ते एक धागे की तरह होते हैं अगर आप उसे ज्यादा खीचेंगे तो उन्हें टूटने से कोई नहीं रोक सकता इसलिए अगर आप अपने रिश्ते में मजबूती चाहते हैं तो रिश्ते की डोर में थोड़ी ढील तो देनी ही होगी.

4. लगाव होना जरूरी

आप अपने साथी को कितना चाहते हैं ये उसे कैसे पता चलें? आप उनसे प्यार करते हैं ये उन्हें बताना भी जरुरी है. कहते हैं कि प्यार की कोई भाषा नहीं होती है लेकिन कभी-कभी शब्दों में इसे बयां करना जरुरी हो जाता है इसलिए उनसे अपना लगाव बढ़ाए. सेक्स और लगाव दो अलग-अलग चीजें होती हैं. बेडरूम के बाहर भी अपने पार्टनर के लिये आपको प्यार जताने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- एक बच्चे की अभिलाषा

5. एक दूसरे की बातें सुने

किसी भी विषय पर बहस करने की बजाय एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनें और समझे. बहस करने से किसी भी बात का हल तो निकलना नहीं है और आप बेवजह की लड़ाई करके बात को और बिगाड़ देंगे इसलिए एक-दूसरे की बातों को समझकर अपना पक्ष रखें. अगर आप सही हैं तो आपका साथी आपकी बात जरुर समझेगा. ऐसा करने से आपकी आपसी समझ अच्छी होगी. बस उन्हें समझने के लिए थोड़ा वक्त दें.

ऐसे बनाएं रिश्ता अटूट

शादी के कई साल बाद जब हनीमून फेज यादों में सिमट चुका होता है, कुछ मैरिटल इशूज सिर उठाने लगते हैं. ऐसे में रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी है कि समय रहते उन पर ध्यान दिया जाए.

जब आप पार्टनर कम रूममेट अधिक लगने लगें: शादी के काफी समय बाद एक समय आता है जब आप रोमांटिक पार्टनर्स कम और रूममेट्स की तरह ज्यादा व्यवहार करने लगते हैं. आप लंबे समय तक मजबूत रिश्ते में बंधे रहें, इस के लिए जरूरी है परस्पर आकर्षण कायम रखना.

इस के लिए प्रयास करने पड़ते हैं. कभी-कभी रोमांटिक ड्राइव पर जाएं. एकदूसरे को सरप्राइज दें. शारीरिक हावभाव द्वारा समयसमय पर एकदूसरे के प्रति प्यार प्रकट करें. जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग के लिए जाते रहें. ऐसे प्रयास एकदूसरे से जोड़े रखते हैं.

इस के विपरीत यदि आप अपना पूरा फोकस एकदूसरे के बजाय जिंदगी से जुड़ी दूसरी बातों पर करते हैं, तो समझिए कि वह दिन दूर नहीं जब आप पार्टनर कम रूममेट्स ज्यादा लगने लगेंगे.

1. एक-दूसरे से बोरियत

विवाह के कई साल बाद यह सोचना बेमानी है कि आप का हर दिन परियों की कहानियों जैसा खूबसूरत गुजरेगा. यदि आप अपनी वैवाहिक जिंदगी से बोर होने लगें तो इस का मतलब है कि आप ने एकदूसरे को फौर ग्रांटेड ले लिया है. आप एक रूटीन लाइफ जीने लगे हैं और किसी भी तरह का रिस्क लेने से बचने लगे हैं. सैक्स, एजिंग, इनलौज से जुड़े विषयों पर डिस्कशन करने या फिर अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाने से भी हिचकिचाने लगे हैं, तो जरूरी है कि आप खुद को बदलें. हर विषय पर बात करें और जीवन में विविधता लाएं.

ये भी पढ़ें- एक बच्चे की अभिलाषा

2. रोमांस और फिजिकल क्लोजनैस की कमी

अकसर शादी के कुछ साल बाद कपल्स की सैक्स लाइफ कम होती जाती है. इस के कई कारण हो सकते हैं जैसे फिजिकल और मैंटल हैल्थ इशूज, स्लीप इशूज, बच्चों का जन्म, दवा का असर, रिलेशनशिप से जुड़ी समस्याएं वगैरह.

शादी के कुछ सालों के बाद ऐसा होना अकसर स्वाभाविक माना जाता है. मगर यह स्थिति लंबे समय तक चले और दूरी बढ़ती जाए तो रिश्ते की मजबूती के लिए खतरा पैदा हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि कभीकभी पार्टनर को किस और हग कर के अपने प्यार का इजहार करें और उन्हें फिजिकली दूर न जाने दें.

3. मकसद से दूरी

शादी के 10-15 साल बाद आप के अंदर यह सोच कर असंतोष पैदा हो सकता है कि आप जिंदगी में कोई खास मकसद नहीं पा सके. जब आप की शादी होती है तो जिंदगी की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. आप का जीवनसाथी और बच्चे आप के लिए सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं. शादी के बाद हर किसी को छोटेमोटे त्याग और समझौते करने पड़ते हैं, जिन की वजह से कई दफा खासकर महिलाओं को अपने कैरियर और जिंदगी से जुड़े दूसरे मकसद जैसे अपना बिजनैस शुरू करना, टै्रवलिंग, मौडलिंग या दूसरी हौबीज को समय देना जैसी बातों से वंचित रहना पड़ता है.

अकसर कपल्स शादी के शुरुआती सालों में रिश्ते को मजबूत बनाने और परिवार आगे बढ़ाने के दौरान अपने सपनों की उड़ान पर बंदिशें लगा देते हैं ताकि वैवाहिक जिंदगी में स्थिरता कायम कर सकें. मगर 10-15 साल बीततेबीतते उन्हें इस बात का मलाल होने लगता है कि उन्होंने अपने सपनों से दूरी क्यों बनाई? उन्हें लगता है जैसे जिंदगी वापस बुला रही है.

सच तो यह है कि सही मानों में कपल्स को इस बारे में कुछ करना है तो उन्हें मिल कर कदम बढ़ाने होंगे, एकदूसरे को पूरी सपोर्ट देनी होगी.

4. सहनशक्ति का घटना

शादी के शुरुआती सालों में जब आप का पार्टनर कुछ इरिटेटिंग या डिस्टर्बिंग काम करता है तो आप उसे इग्नोर कर देते हैं. मगर जैसेजैसे समय बीतता जाता है ज्यादातर पार्टनर्स में एकदूसरे के द्वारा की गई गलतियों के प्रति सब्र बनाए रखने और माफ करने की प्रवृत्ति घटती जाती है. शुरुआत में वे जिन बातों को हंस कर टाल देते थे बाद में उन्हीं बातों पर एकदूसरे से नाराज रहने लगते हैं.

जरूरी है कि जैसे आप शादी के शुरुआती समय में एकदूसरे के प्रति जो प्यार और केयर दिखाते हैं, गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं वैसे ही बाद में भी इस प्रवृत्ति को कायम  रखना चाहिए.

5. छोटे-बड़े सैलिब्रेशन

शादी के शुरुआती दिनों में आप छोटे से छोटे मौके को भी सैलिब्रेट करते हैं. 6 माह की मैरिज ऐनिवर्सरी हो या फर्स्ट डेट ऐनिवर्सरी, वैलेंटाइनडे हो या बर्थडे सैलिब्रेशन हर मौके को खास बनाने का प्रयास करते हैं. मगर शादी के 10-12 साल बीततेबीतते सैलिब्रेशन कम होते जाते हैं.

जरूरी है कि हर छोटीबड़ी खुशी का आनंद उठाया जाए. सैलिब्रेशन का कारण बदले पर मिजाज नहीं. जैसे वर्क प्रमोशन, बच्चे का बर्थडे, बच्चे द्वारा ग्रैजुएशन डिग्री हासिल करने का सैलिब्रेशन, शादी के 10 साल गुजरने का सैलिब्रेशन आदि. कभी भी इन से बचने का प्रयास न करें. ऐसे मौके ही आप दोनों को करीब लाएंगे.

आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ गैटटुगैदर कर सकते हैं या फिर आपस में ही सैलिब्रेट कर सकते हैं. हर मौके को यादगार बनाएं. यह सैलिब्रेशन खर्चीला होना नहीं, बल्कि इस में दोनों ऐंजौय करें यह माने रखता है.

अपने प्यार को सैलिब्रेट करने के लिए कभीकभी लौंग ड्राइव पर जाएं, कंसर्ट अटैंड करें, मूवी देखें या फिर घर पर ही स्पा नाइट का आनंद लें. कभी डेट पर जाना बंद न करें.

ये भी पढ़ें- बच्चों से निभाएं दोस्ताना रिश्ता

6. बड़ी-बड़ी इच्छाएं पूरी करने का दबाव

शादी को 10-15 साल तक पहुंचतेपहुंचते कपल्स बड़ीबड़ी जिम्मेदारियों का बोझ उठा लेते हैं. बड़ेबड़े लक्ष्य बना लेते हैं. अपना घर, बच्चों की ऊंची शिक्षा जैसी बहुत सी योजनाएं उन के दिमाग में चल रही होती हैं. इन्हें पूरा करने की जद्दोजहद में अपने रिश्ते पर ध्यान देना कम कर देते हैं, जबकि ऐसे मामलों में संतुलन बना कर चलना बहुत जरूरी है. यदि आप एकदूसरे के साथ मिल कर अपनी योजनाओं पर काम करेंगे तो इस से रिश्ता भी प्रगाढ़ बनता है और लक्ष्य भी आसानी से हासिल हो जाता है.

एक बच्चे की अभिलाषा

“अनिक 10 साल का लड़का था . वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान  था . अनिक के पापा काफी व्यस्त बिजनेसमैन थे, जो अपने बेटे के साथ समय नहीं बिता पाते थे. वे अनिक के सोने के बाद घर आते और सुबह अनिक के जागने से पहले ऑफिस चले जाते . अनिक अपने पापा का ध्यान पाने के लिए तरस जाता . वह पार्क जाकर अपने दोस्तों की तरह ही अपने पापा के साथ खेलना था.

एकदिन अनिक अपने पापा को शाम को घर पर देखकर बहुत हैरान था.

“पापा, आपको घर पर देखकर बहुत अच्छा लगा ,” अनिक ने कहा.

“हाँ बेटा, मेरी मीटिंग कैंसिल हो गयी है. इसलिए मैं घर पर हूं लेकिन दो घंटे बाद मुझे एक फ्लाइट पकड़नी है , ”उसके पापा  ने जवाब दिया.

“आप वापिस कब आओगे?”

“कल दोपहर”

अनिक कुछ समय के लिए गहरी सोच में था.  फिर उसने पूछा, “पापा, एक साल में आप कितना कमाते हैं?”

उन्होंने कहा, “मेरे प्यारे बेटे, यह एक बहुत  बड़ी राशि है और आप इसे समझ नहीं पाएंगे.”

“ठीक है पापा , क्या आप जो कमाते हैं उससे खुश हैं?”

“हाँ मेरे बेटे मैं बहुत खुश हूं, और वास्तव में मैं कुछ महीनों में अपनी नई ब्रांच और एक नया बिज़नेस शुरू करने की योजना बना रहा हूं.

यह बहुत अच्छा है पापा मैं यह सुनकर खुश हूँ.

ये भी पढ़ें- बच्चों से निभाएं दोस्ताना रिश्ता

क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं? ”

“हाँ बेटा”

“पापा, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आप 1 घंटे में कितना कमाते हैं?”

“अनिक, आप यह सवाल क्यों पूछ रहे हो?” अनिक के पापा  हैरान थे.

लेकिन अनिक लगातार पूछ रहा था , “PLEASE मुझे जवाब दो. क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं? ”

अनिक के पापा ने जवाब दिया, ” यह लगभग 4000 रुपये/- प्रति घंटे होगा. ”

अनिक अपने कमरे में ऊपर चला गया और अपने गुल्लक के साथ नीचे आया जिसमें उसकी बचत थी.

“पापा , मेरे गुल्लक में 500 रुपए हैं.क्या आप इतने पैसो में ही मेरे लिए दो घंटे का समय दे सकते हैं? मैं आपके साथ बहार घूमने जाना चाहता हूं और शाम को आपके साथ खाना खाना चाहता हूँ.क्या आप मेरे लिए थोड़ा टाइम निकाल सकते है.

अनिक के पापा अवाक थे!”

दोस्तों ये सिर्फ एक घर की ही कहानी नहीं है. आजकल ये लगभग सभी घरों की कहानी बन चुकी है .एक तो हम दिनभर अपने कामों में व्यस्त रहते है और अगर हमारे पास टाइम रहता भी है तो हम अपने  स्मार्टफोन में लगे रहते  है . हम अपने बच्चे से कायदे से बैठ कर बात भी नहीं कर पाते और न ही ये जानने की कोशिश करते है की उनके मन में क्या चल रहा है या वो हमारे बारे में क्या सोचते है .

शायद कल को ऐसा दिन आएगा की हर बच्चा ये सोचेगा कि “काश मै एक SMARTPHONE होता “ .

“वो सोचेगा कि अगर मैं smartphone बन जाऊ तो घर में मेरी एक ख़ास जगह होगी और सारा परिवार मेरे आस पास रहेगा. जब मैं बोलूँगा तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे.पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद भी मेरे साथ बैठेंगे. मम्मी को जब तनाव होगा तो वो मुझे डाटेंगी नहीं बल्कि मेरे साथ रहना चाहेंगी. मेरे बड़े भाई-बहन  मुझे अपने पास रखने के लिए झगडा करेंगे, और हाँ phone के रूप में मैं सबको ख़ुशी भी दे पाऊँगा.”

कहीं ये किस्सा आपके बच्चे की भी तो नहीं ?

दोस्तों आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए बहुत कम टाइम मिल पाता है और अगर हम ये भी सिर्फ tv देखने, mobile पर खेलने और facebook में गंवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार को नहीं समझ पाएंगे

पैसा सब कुछ नहीं खरीद सकता है. एक स्वस्थ्य भविष्य की शुरूआत एक स्वस्थ्य मन से होती है .एक अभिभावक अपने बच्चे को जो सबसे बड़ा उपहार दे सकता है वह है ‘समय’.

मेरी आपसे गुज़ारिश है कि जिस जिसने भी इस लेख को पढ़ा है वो केवल इसे पढ़े  नहीं बल्कि  इस पर अमल भी करें.

ये भी पढ़ें- मौडलिंग: सपने बुनें स्टाइल से

बच्चों से निभाएं दोस्ताना रिश्ता

प्रिया अपनी 5 साल की बेटी मान्या से बहुत प्यार करती है . इसी कारण वे उसकी सारी जिद भी पूरी करती. लेकिन एक बात प्रिया को हर समय खलती थी कि जब माननीय गुस्सा हो जाती तो वह किसी की नहीं सुनती और बच्चों से लड़ती थी.और गुस्सा होने के कारण भी बहुत छोटे-छोटे थे जैसे किसी ने खेलने के लिए मना कर दिया यह प्रिया कहीं चली गई या किसी सामान को लाने के लिए मना कर दिया तो मान्या गुस्से में चीजों को तोड़ना फोड़ना फेंकना यह जोर जोर से चिल्लाना रोना शुरू कर देती.आखिर परेशान होकर प्रिया ने डॉक्टर से कंसल्ट करना ठीक समझा. क्योंकि उसके इतने अधिक गुस्से में वह किसी से की सुनती ही नहीं थी.

चाइल्ड साइकैट्रिस्ट का कहना है कि पहले के दशक के मुकाबले माता पिता  काफी फ्रैंडली हो गयें हैं. इसलिए बच्चे अपने मां-बाप से बिना किसी हिचक के बात मनवाना चाहते हैं. 2साल से 5 वर्ष तक के बच्चे में शारीरिक व मानसिक परिवर्तन बहुत ही तेजी से होते हैं और इस उम्र के बच्चे में ध्यान खींचने की प्रवृति एक आम बात है. जब बच्चा थोड़ा और बड़ा हो जाता है तब अक्सर अपने छोटे भाई बहन से या औरों से अपनी तुलना करता हैं. अमूमन जिद्दी होना,तोङफोङ करना अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए नये-नये हथकंडे अख्तियार करना इनकी आदत में शुमार हो जाता है. आइए जानते हैं कुछ सुझाव.

1. माता-पिता से तुलना

आजकल न्यूक्लीयर फैमिली का चलन अत्याधिक है और इन न्यूक्लियर फैमिली में एक या दो बच्चे होते हैं. यदि घर में एक ही बच्चा है तो वह बात बात परअपने माता पिता से ही खुद की तुलना करने लगता है. न्यूक्लियर फैमिली में खासतौर पर इस उम्र के बच्चे ज्दातर भावनात्मक रूप से उग्र हो जाते हैं और किसी भी बात को मनवाने के लिए सीमाएँ लांघ जाते हैं.

ये भी पढ़ें- मौडलिंग: सपने बुनें स्टाइल से

2. अपशब्द ना कहें

यदि आप स्वयं हाइपर होकर बच्चे को उल्टे सीधे शब्द यानी अपशब्द बोलने लगेंगे जैसे कि बेवकूफ नालायक डफर शरारती आदि तब ऐसे में बच्चा और ज्यादा गुस्सा दिखाएगा क्योंकि यह अपशब्द उसको गुस्सा बढ़ाने के लिए काफी हैं और अननेसेसरी आप भी अपना टेंपल लूज करेंगी और घर का माहौल अलग खराब होगा.

3. कनेक्ट हो

आज की अधिकतम व्यस्त दिनचर्या में माता पिता के पास इतना भी समय नहीं होता कि वह थोड़ा सा भी समय निकाल कर ,अपने बच्चों के साथ वार्ता करें .उनकी मनोदशा समझे या बच्चे को समझाएं. ऐसे में यदि बच्चा किसी बात पर अत्यधिक क्रोधित हो रहा है ,तो माता-पिता को सबसे आसान तरीका लगता है डांटना डपटना .जो सही नहीं है .जब बच्चा शांत हो जाए तब आप उसे प्यार से अपने पास बैठा कर  उससे बात करें .उसके गुस्से का कारण जानने की कोशिश करें और साथ ही उदाहरणों के साथ उसे  उसकी गलती समझाने की कोशिश करें.हालांकि यह आसान नहीं फिर भी कोशिश करके तो देखें आपको सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.

4. टेम्पर टैट्रम 

9 वर्ष से ऊपर की आयु के बच्चे उपयुक्त महौल न मिलने पर बङो के प्रति तिरस्कार की भावना रखने लगते  हैं. वह एक चीज पर स्थिर न होकर बहुत जगह अपना ध्यान लगाते हैं. जल्दी किसी से खुद को प्रभावित कर उसके विचार व व्यवहार को अपनाना चाहते है. बच्चे अपनी जिद्द के लिए परिवार के संस्कारों को भूलने लगते हैं. कुछ समय में ही वह हर बात बात पर अनावश्यक गुस्सा कभी भी ,किसी के सामने और कहीं भी करने लगते हैं.

5. आर्टीफिशियल इमोशंस

आजकल बच्चों में आर्टीफिशियल इमोशंस डालने का प्रचलन बढता जा रहा.मसलन थके हारे काम के मारे माता-पिता अपने बच्चों में लाङ-दुलार भी ऊपरी तौर पर देते हैं. सोसाइटी से लेकर शैक्षणिक संस्थानों, आस-पास के महौल से जब बनावटी भावनात्मक अहसास मिलने लगते हैं. तब बच्चों में असुरक्षा की भावनाएं धर करने लगती है ,यहीं से सेपरेशन एंगजाइटी का असर  व्यवहार में दिखने लगता है.

ये भी पढ़ें- आसान नहीं तलाक की राह

6. बच्चों का सम्मान करें

अंत में यही सलाह है कि बच्चे को एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए कितना स्पेशल है. उसके दोस्त बने. उसके खेलों में उसके कामों में रुचि ले. उसे सराहें, उसे प्यार करें .इससे बच्चा आपके ज्यादा करीब होगा और उसके खराब व्यवहार उसके क्रोधित स्वभाव में भी सुधार होगा.

चाइल्ड साइकैटरिस्ट डॉ मनोज कुमार से बातचीत पर आधारित.

मौडलिंग: सपने बुनें स्टाइल से

अगर आप सुंदर हैं,  फिट हैं, ग्लैमरस हैं और एक शानदार कैरियर बनाना चाहते हैं तो मौडलिंग आप के लिए बेहतर कैरियर हो सकता है. लड़कों के मुकाबले लड़कियों के लिए बेहतर अवसर यहां पर मौजूद हैं. मौडलिंग में सब से आसान है कि इस के लिए किसी तरह की ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती है. आप का लुक,  स्टाइल, ड्रैसिंग सैंस, व्यवहार और सही दिशा सफलता दिला सकता है. यहां पैसा और शोहरत दोनों ही मिलती है. प्रिंट और लाइव विज्ञापनों के साथ ही साथ ब्रैंड प्रमोशन, रैंप शो के अलावा टीवी और फिल्मों में काम करने का अवसर भी मिलता है. कुछ समय पहले तक फिल्मों में एक्टिंग करने के अवसर मौडल को कम मिलते थे. अब मौडलिंग में शोहरत हासिल करने के बाद टीवी और फिल्मों में काम मिलना सरल हो गया है.

मौडलिंग में तेजी से आगे बढ़ने के लिए सौंदर्य प्रतियोगिताओं को जीतना भी शौर्टकट रास्ता बन गया है. जब से प्रियंका चोपड़ा,  ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन को मौडलिंग और सौंदर्य प्रतियोगिताओं के जरिए फिल्मों में सफलता मिली है तब से मौडलिंग और सौंदर्य प्रतियोगिताओं को एक्टिंग में सफलता का जरिया मान लिया गया है. लोग पहले स्टेज और ड्रामा सीखने के बाद एक्टिंग में जाते थे, अब वे सौंदर्य प्रतियोगिता जीत कर एक्टिंग करने जा रहे हैं. इस में छोटे शहरों के लड़केलड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. मौडलिंग के जरिए एक्टिंग के क्षेत्र में जाने वालों को पहले जैसा संघर्ष नहीं करना पड़ता क्योंकि मौडलिंग के रूप में उन के पास एक रास्ता होता है.

सौंदर्य प्रतियोगिताओं से फिल्मों तक

लखनऊ की रहने वाली सागरिका त्रिपाठी को बचपन से ही फैशन की दुनिया में जाने का शौक था. सागरिका के पेरैंट्स चाहते थे कि वे पढ़लिख कर आईएएस बनें. लखनऊ से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद बायोटैक की पढ़ाई करने सागरिका दिल्ली चली गईं. उन्होंने सोचा इस बहाने घर से बाहर जाने का मौका मिलेगा. बायोटैक करने के बाद सागरिका मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई करने लगीं. इस बीच ही उन्हें दिल्ली में ब्यूटी कौंटैस्ट में हिस्सा लेने का मौका मिला. सागरिका ने ब्यूटी कौंटैस्ट जीत भी लिया. यहीं से उन्हें तमिल फिल्मों में काम करने का मौका मिला. वे हैदराबाद में रह कर तमिल फिल्में करने लगीं. तमिल फिल्मों में सागरिका के काम को देख कर घरपरिवार के लोग खुश हुए और फिर फैशन के क्षेत्र में कैरियर बनाने का विरोध घर में खत्म हो गया.

ये भी पढ़ें- आसान नहीं तलाक की राह

अब सागरिका को हिंदी टीवी सीरियलों में काम करने का मौका मिला. इन में दूरदर्शन और दूसरे चैनल शामिल थे. सागरिका कहती हैं, ‘‘अगर मैं ने ब्यूटी कौंटैस्ट नहीं जीता होता तो शायद इतनी जल्दी सफलता नहीं मिलती. लोगों ने मेरे काम को, मेरे किरदार को पसंद किया.’’ सागरिका की नई फिल्म ‘कीप सेफ डिस्टैंस’ आ रही है जो महिला मुद्दों की ज्वलंत समस्याओं पर बनी है.

बढ़ता है हौसला

मौडलिंग के जरिए एक्टिंग में कैरियर बनाने की राह में आगे बढ़ रही इशिका यादव कहती हैं कि फिल्म कलाकारों का संघर्ष देख कर हौसला बढ़ता है. वे कहती हैं, ‘‘फिल्मलाइन में जिस तरह से संघर्ष कर के कंगना रनौत ने सफलता हासिल की उस से मैं उन को अपना आदर्श मानती हूं.’’ इशिका को फिल्म, मौडलिंग और एक्टिंग का शौक है. वे फैशन डिजाइनर और मेकअप आर्टिस्ट बनने के लिए पढ़ाई भी कर रही हैं. इशिका ने एक्टिंग के लिए महेश देवा का ‘चबूतरा थिएटर’ जौइन किया है. वे कई थिएटर प्ले कर चुकी हैं. इशिका कहती हैं, ‘‘मु झे मौडलिंग से अधिक एक्टिंग की फील्ड में स्कोप नजर आता है. इस के अलावा मैं फैशन डिजाइनर और मेकअप आर्टिस्ट की शैली सीख रही हूं. मु झे भी संघर्ष कर के अपना मुकाम हासिल करना है. मैं एक्टिंग में खुद को सफल अभिनेत्रियों की लाइन में देखना चाहती हूं.’’

लखनऊ की रहने वाली आहाना सिंह रैंप मौडलिंग में सुपर मौडल हैं. वे 100 से ज्यादा शो कर चुकी हैं. इस के साथ ही साथ वे शो स्टौपर के रूप में फैशन शो में अपना जलवा बिखेर चुकी हैं. हर छोटेबड़े ड्रैस डिजाइनर के लिए वे सैलिब्रिटी मौडल की तरह रैंप पर ड्रैस को शोकेस करती हैं. केवल लखनऊ ही नहीं वे दिल्ली, मुंबई और बाकी शहरों में भी फैशन वीक के दौरान या फिर ड्रैस डिजाइनरों के शो में रैंप वौक करती हैं. आहाना कहती हैं, ‘‘मैं रैंप मौडलिंग पर ही फोकस कर के काम कर रही हूं. अगर कोई अच्छा रोल मिला तो एक्टिंग के बारे में सोच सकती हूं.’’ यानी ऐसे युवाओं की संख्या भी कम नहीं है जो केवल मौडलिंग और रैंप शो को ही अपना कैरियर मानते हैं.

फोटोशूट है जरूरी

‘क्लैम इंडिया’ की डायरैक्टर प्रीति शाही कहती हैं, ‘‘मौडलिंग में कैरियर बनाने वाले युवाओं को सब से पहले अपना एक पोर्टफोलियो शूट कराना चाहिए. कई बार कुछ लोगों का फेस या बौडी फिगर ऐसी होती है जिसे देख कर अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. जब किसी अच्छे फोटोग्राफर द्वारा शूट की गई फोटो देखने को मिलती हैं तो अंदाजा लग जाता है. कुछ युवाओं के फेस फोटोजेनिक होते हैं, यह अंदाजा फोटोशूट से ही लगता है. अब स्टिल फोटो के साथ वीडियो शूट भी होने लगे हैं जिस से युवाओं के बारे में मौडल या इवैंट कौऔर्डिनेटर को अंदाजा लगाना सरल हो जाता है.

मौडलिंग ग्लैमरस और आकर्षक कैरियर है. आकर्षक बनने के लिए सब से पहले अंदर से स्वस्थ बनें. इस के लिए हैल्दी डाइट और ऐक्सरसाइज बहुत जरूरी हैं. सब से बेहतर लुक के लिए बहुत जरूरी होता है हैल्दी डाइट में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, स्वस्थ वसा और प्रोटीन आहार के मूल पदार्थ ग्रहण करना. अपनी त्वचा को साफ और चमकदार बनाने पर ध्यान दें.

अपना चेहरा सुबह और रात में धोएं. एक सप्ताह में एक बार स्क्रब करें और सोने से पहले अपने मेकअप को धोना याद रखें. अपने बालों को चमकदार और स्वस्थ रखें. सफल मौडल के लिए बढि़या व्यक्तित्व के साथ एक खूबसूरत चेहरा भी होना चाहिए. महिलाओं के लिए बड़े स्तन लेकिन छोटे हिप्स की आवश्यकता होती है. पुरुषों के लिए चौड़े कंधे लेकिन पतली कमर की आवश्यकता होती है.

मौडलिंग की तैयारी है जरूरी

मौडलिंग इंडस्ट्री के बारे में जानकारी रखना बेहद जरूरी होता है. पत्रपत्रिकाएं, किताबें, लेख, और मौडलिंग के बारे में ब्लौग्स पढ़ें. इस के अलावा मौडलिंग एजेंसी के बारे में जानकारी रखें. अपनेआप को बढ़ावा देने और अवसरों की तलाश हर कदम बढ़ने, और अपनी क्षमताओं को साबित करने के लिए तैयार रहें. आप के पोर्टफोलियो की तसवीरों में क्लोजअप शौट्स बहुत मेकअप के बिना और एक सादे बैकग्राउंड पर लें जिस में नैचुरल लुक दिखना चाहिए. 8 से 10 अपने अच्छे फोटो पास में रखें.  इंटरव्यू से पहले या बाद में तसवीर छोड़ने के लिए कहा जाता है, तो पहले से तैयार रहें.

ये भी पढ़ें- महिलाओं की कमाई पर पुरुषों का हक क्यों

अपनी सही ऊंचाई, वजन और जूते के आकार, हिप्स, कमर, छाती या ब्रैस्ट का पता रखें. आंखों के रंग और स्किन टोन की जानकारी रखें. एक एजेंसी से काम न मिले तो निराश न हों. इस क्षेत्र में ठगी की भी संभावना होती है. ऐसे में सतर्क रहने की भी जरूरत होती है. बिना सहमति कागजात पर साइन न करें. अपने एक्सपोजर की सीमा रेखा आप को तय करनी होती है. कई लोग न्यूड या सैमीन्यूड शूट करने को तैयार होते हैं, तो कुछ लोग नहीं. ऐसे में यह पहले से तय करना आप का काम होता है. मौडल को अपनी स्किन का ध्यान देने की जरूरत होती है. ऐसे में कपड़े ऐसे पहनें जिस के निशान स्किन पर न पडें़े. टाइट कपड़ों में स्किन पर निशान पड़ जाते हैं.

आसान नहीं तलाक की राह

हाई सोसायटी में भी तलाक लेना अब आम बात हो गई है. ऐसी महिलाएं जो अपने कार्यक्षेत्र में उच्च पदों पर पहुंच चुकी हैं, आर्थिक रूप से काफी सक्षम हैं, वे पारिवारिक बंधनों से मुक्त हो कर आजाद हवा में सांस लेने के लिए उतावली हैं. जहां पैसा है, पावर है वहां तलाक जल्दी और आसानी से मिल जाता है, मगर निम्न और मध्यवर्गीय तबके में तलाक लेना एक मुश्किल, लंबी और खर्चीली प्रक्रिया है.

यह लंबी, तनावपूर्ण और खर्चीली काररवाई पुरुषों पर उतना असर नहीं डालती, जितना स्त्रियों पर बुरा प्रभाव छोड़ती है. तलाक दिलाने का माध्यम बनने वाले वकील का खर्च, तमाम तरह के कानूनी दस्तावेज, बारबार अदालत में पड़ने वाली तारीखें, काउंसलिंग सैशन, घर और बच्चों के छूट जाने का डर स्त्री को बुरी तरह तोड़ देता है.

तारीख पर तारीख

कम पढ़ीलिखी और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को वकीलों की फौज खूब बेवकूफ बनाती है. वकील के हत्थे चढ़ने के बाद शुरू हो जाता है अदालत में तारीख पर तारीख मिलने का सिलसिला. ज्यादातर पारिवारिक कोर्ट्स में वकील आपस में दोस्त होते हैं. वहां पतिपत्नी तलाक के लिए जिन्हें अपना वकील चुनते हैं, वे आपस में मिल जाते हैं और फिर दोनों पार्टियों से अच्छीखासी धनउगाही करते हैं.

वकीलों की कोशिश यही होती है कि केस लंबा खिंचे ताकि हर पेशी पर उन्हें फीस मिलती रहे. वहीं दस्तावेज तैयार करने के लिए भी वे अपने क्लाइंट से अच्छी धनराशि वसूलते हैं. कम पढ़ीलिखी, कानून की कम जानकार और सीधीसादी औरतें कभीकभी तो ऐसे वकीलों के चक्कर में फंस कर अपना सबकुछ गंवा बैठती हैं.

निशा और उस के पति अमित की शादी को 5 साल हो गए थे. उन का 3 साल का एक बेटा भी था. दोनों के वैवाहिक जीवन में शुरू से ही निशा की मां काफी दखलंदाजी करती थी. बेटी को अपने ससुराल वालों और पति के खिलाफ भड़काती रहती थी. निशा अपनी मां के बहकावे में आ कर अपने बेटे को अपने सासससुर से दूर रखती थी. उन्हें अपने बच्चे के साथ खानेखेलने भी नहीं देती थी. यह बात अमित को बुरी लगती थी और दोनों में अकसर इस बात को ले कर लड़ाई होती थी.

आखिरकार रोजरोज की खटपट से तंग आ कर अमित ने निशा से मुक्ति पाने के लिए तलाक लेने का फैसला कर लिया. उस ने पारिवारिक कोर्ट परिसर में बैठने वाले एक वकील को हायर किया और तलाक का वाद दाखिल कर दिया. निशा को तलाक का नोटिस मिला तो वह भी अपनी मां और भाई के साथ पारिवारिक कोर्ट पहुंची और उस ने भी एक वकील हायर कर लिया.

अमित और निशा के वकील आपस में दोस्त थे. अत: दोनों मिल गए और फिर उन्होंने कोर्ट में तारीख पर तारीख लेनी शुरू कर दी. पारिवारिक कोर्ट में भी दांपत्य रिश्ते को तोड़ने की अपेक्षा मिलाने पर ज्यादा विश्वास किया जाता है लिहाजा, जज ने मामले को काउंसलिंग में भेज दिया. अब काउंसलिंग की तारीखें पड़ने लगीं.

इस दौरान जहां दोनों की जेबों से अच्छीखासी धनराशि वकीलों पर खर्च होने लगी, वहीं निशा को बच्चे को ले कर मायके में भी रहना पड़ा. काउंसलिंग के दौरान उस की मां उस के साथ जाती थी, जो मामले को किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने ही नहीं देती थी. वह निशा के जरीए अमित पर उत्पीड़न का दोष लगवाती थी. निशा अपनी मां और वकील के बीच चकरघिन्नी बनी हुई थी.

ये भी पढ़ें- महिलाओं की कमाई पर पुरुषों का हक क्यों

उस की मां जहां तलाक के एवज में निशा को अमित से अच्छीखासी धनराशि दिलवाने की साजिश में लगी हुई थी, वहीं उस का वकील भी इस बात का आश्वासन दे कर निशा  से अच्छीखासी रकम वसूल रहा था. फिर बच्चे की कस्टडी का मुकदमा दोनों ने अलग से फाइल किया. केस को चलते 2 साल बीत गए. इस बीच निशा की सारी जमापूंजी खत्म हो गई, यहां तक कि वकील की फीस, बच्चे की परवरिश और अपने जरूरी खर्चे में उस के सारे गहने भी बिक गए.

4 साल बाद निशा को तलाक तो मिल गया, बच्चे की कस्टडी भी किसी तरह मिल गई, मगर अमित से वह बहुत बड़ी धनराशि प्राप्त नहीं कर पाई, जो उस के पूरे जीवन को सुचारु रूप से चला सके.

बच्चे को ठीक तरीके से पालने के लिए अब वह महल्ले के एक स्कूल में मिड डे मील बनाने का कार्य करती है. यही नहीं, बच्चे की कस्टडी भले ही निशा के पास हो, मगर कोर्ट ने महीने में 4 दिन पिता को बच्चे से मिलने का अवसर दिया है, जिस के लिए किसी पब्लिक प्लेस पर निशा को बच्चे को ले कर आना होता है, जहां 3-4 घंटे अमित बच्चे के साथ रहता है.

इस के लिए निशा को महीने में 4 दिन काम से छुट्टी लेनी पड़ती है. इस से उस की तनख्वाह कटती है.

निशा वहां अमित को सामने देख पूरा समय असहज रहती है. वह उस दिन को कोसती है जब उस ने मां की बातों में आ कर अमित से अलग होने का फैसला किया था. जबकि अमित उसे हमेशा खुश नजर आता था, बल्कि सच पूछें तो वह खुश ही है, क्योंकि निशा से तलाक लेने के बाद उस के घर में शांति आ गई है. रोजरोज की कलह खत्म हो गई है. निशा की मां और भाई की धमकियों से मुक्ति मिल गई है. निशा और बच्चे पर रोज होने वाला खर्च बचने लगा है. उसे तो हर महीने बस थोड़ा सा मैंटेनैंस का पैसा निशा के बैंक अकाउंट में डलवाना होता है.

महिलाओं की आर्थिक निर्भरता

दरअसल, भारत में ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से पुरुष पर ही निर्भर हैं. इसलिए तलाक के बाद उन की समस्याएं बहुत बढ़ जाती हैं. तलाक भावनात्मक स्तर पर महिलाओं को ही ज्यादा चोट पहुंचाता है और फिर उस के आर्थिक परिणाम भी कम गंभीर नहीं होते हैं. इमोशनल ट्रौमा की वजह से कई बार महिलाओं की सोच सही तरह से काम नहीं करती और न ही परिवार वाले उन्हें ठीक से सम झा पाते हैं. इसलिए वे तार्किक ढंग से फैसला नहीं ले पाती हैं और तलाक के बाद कई तरह की परेशानियों में घिर जाती हैं.

रजनी शिवाकांत ने जब अपने पति से शादी के 10 साल बाद अलग होने का फैसला किया, तब उस ने संपत्ति में से अपना हिस्सा नहीं मांगा, जिस पर दोनों का अधिकार था. रजनी वर्किंग वूमन थी और इस बात से ही संतुष्ट थी कि उस के पति ने उस का बेटा उस के पास ही रहने दिया. लिहाजा, रजनी ने उस संपत्ति की ओर देखा भी नहीं, जिस में वह घर भी शामिल था, जिस पर दोनों का बराबर का अधिकार था, क्योंकि घर खरीदने में उस के पति ने अपनी जमापूंजी के साथ उस की बचत के पैसे और उस के तमाम गहने बेच कर भी पैसे लगाए थे.

तब रजनी ने अपने आर्थिक पहलुओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब बेटे को ले कर अलग रहने के कारण उस पर भारी आर्थिक बो झ पड़ने लगा, तब उसे यह बात सम झ में आई कि सारी संपत्ति पति के पास छोड़ कर उस ने अच्छा नहीं किया. उसे लगा कि कम से कम वह उस घर में तो अपना हिस्सा मांग लेती जो दोनों ने मिल कर खरीदा था.

कानून के मुताबिक, अगर शादी के बाद कोई भी प्रौपर्टी खरीदी गई है, तो उस पर पत्नी का भी मालिकाना हिस्सा होता है. यह नियम तब भी लागू होता है, जब पत्नी ने एसेट खरीदने में आर्थिक मदद न दी हो. लेकिन रजनी के वकील ने कभी उसे इस बारे में कोई राय नहीं दी. वह तो उसे बस इतना सम झाता रहा कि बच्चा मिल गया है, यही बहुत बड़ी बात है. दरअसल, रजनी का वकील उस के पति के वकील से मिला था. उसे उधर से भी पैसा मिल रहा था. लिहाजा, प्रौपर्टी में हिस्से वाली बात या पति से मैंटेनैंस की मांग की ही नहीं गई.

तलाक के वक्त पति से बच्चे की परवरिश के लिए मुआवजे की मांग न करने के कारण अब रजनी को अपनी कमाई के बूते बच्चे की परवरिश में दिक्कत हो रही है. खासतौर पर तब, जब उसे बच्चे के साथ रहने के लिए अलग से घर किराए पर लेना पड़ा. अगर रजनी ने प्रौपर्टी में अपने हिस्से की मांग की होती, तो वह या तो अपने लिए नया घर खरीद सकती थी या फिर उसे सैटलमैंट के तौर पर पति से एकमुश्त बड़ी रकम मिली होती, जिसे बच्चे के नाम पर फिक्स कर के वह उस की चिंता से मुक्त हो सकती थी.

आसान नहीं प्रक्रिया

भारत में तलाक का प्रोसैस आसान नहीं है. इस में काफी दांवपेंच हैं. कई लूपहोल्स हैं, जो आमतौर पर महिलाओं को सम झ नहीं आते हैं. इसलिए जहां तलाक के लिए अपने अधिकारों और कानून की ठीक जानकारी जरूरी है, वहीं एक अच्छे और ईमानदार वकील की तलाश भी आवश्यक है. ऐसा कठिन निर्णय लेने की घड़ी में महिलाओं का भावनाओं में बहना उन की आगे की जिंदगी के लिए बहुत खतरनाक साबित होता है, इसलिए बहुत सोचसम झ कर कदम उठाने की जरूरत होती है.

ये भी पढ़ें- क्यों जरूरी है कोचिंग

तलाक के मामलों में कोर्ट को भी व्यावहारिक होने की जरूरत है. अदालतों को सोचना चाहिए कि 2 या 10 साल तलाक के मामले चलने पर पतिपत्नी दोनों की जिंदगियां तबाह हो जाती हैं. इतना लंबा वक्त उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी तोड़ देता है.

वकीलों की बदमाशियों और दांवपेंच पर भी कोर्ट को नजर और नियंत्रण रखने की जरूरत है. उसे सोचना चाहिए कि जब 2 व्यक्तियों का दिल आपस में नहीं मिल रहा है, तो साथ रहने का कोई फायदा नहीं है. ऐसे में अगर उन्होंने तलाक का फैसला कर ही लिया है तो उन्हें जल्दी तलाक मिल जाना चाहिए. बेवजह 10-10 साल तक कोर्ट के चक्कर काटते रहने से वे दूसरी शादी करने और जिंदगी को फिर से शुरू करने के बारे में भी नहीं सोच पाते हैं.

भारत में तलाक के बाद पुरुषों की शादी तो 40-45 या 50 की उम्र में भी आसानी से हो जाती है, मगर महिलाओं की दूसरी शादी आसानी से नहीं होती है. ज्यादातर महिलाएं तलाक लेने के बाद पूरा जीवन एकाकी ही व्यतीत करती हैं. ऐसे में अदालतों को चाहिए कि तलाक की प्रक्रिया को एक तय समयसीमा में खत्म कर के दोनों को नई जिंदगी शुरू करने का अवसर प्रदान करें.

आमतौर पर पारिवारिक कोर्ट में तलाक की याचिका दायर करने के बाद अदालत दंपती को अपने रिश्ते को बचाने का एक और मौका देने के लिए 6 माह का समय और सलाह देता है. इन 6 महीनों में दंपती का मन बदल जाए और वे एकदूसरे के साथ रहने के लिए फिर से तैयार हों तो वे तलाक की याचिका वापस ले सकते हैं. लेकिन अगर 6 महीने की अवधि के बाद भी वे एकसाथ रहने के लिए तैयार नहीं हैं तो अदालत उन्हें उन की सुनवाई और जांच के बाद तलाक देती है. इस के बाद वे कानूनी तौर पर अलग हो जाते हैं. यह प्रक्रिया कभीकभी 6 महीने से ले कर 1 साल के भीतर खत्म हो जाती है तो कभीकभी बच्चे, प्रौपर्टी, क्रिमिनल ऐक्टिविटी आदि के कारण 10-10, 12-12 साल तक चलती रहती है.

तलाक के तरीके

देश में तलाक के 2 तरीके हैं- एक आपसी सहमति से तलाक और दूसरा एकतरफा अर्जी लगा कर. आपसी सहमति से तलाक प्राप्त करने की प्रक्रिया थोड़ी आसान है, लेकिन इस में अपने बच्चों की जिंदगी, कस्टडी, प्रौपर्टी जैसे मामलों को उन्हें आपस में निबटाना होता है वरना मामला कोर्ट में लंबा खिंच सकता है. आपसी सहमति में दोनों की राजीखुशी से संबंध खत्म होते हैं. इस में वादविवाद, एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप जैसी बातें नहीं होती हैं. इस वजह से इस बेहद अहम रिश्ते से निकलना अपेक्षाकृत आसान होता है.

आपसी सहमति से तलाक में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना होता है. इस में गुजाराभत्ता सब से अहम है. पति या पत्नी में से एक अगर आर्थिक तौर पर दूसरे पर निर्भर है तो तलाक के बाद जीवनयापन के लिए सक्षम साथी को दूसरे को गुजाराभत्ता देना होता है. इस भत्ते की कोई सीमा नहीं होती है. यह दोनों पक्षों की आपसी सम झ और जरूरतों पर निर्भर करता है. इसी तरह से अगर शादी से बच्चे हैं तो उन की कस्टडी भी एक अहम मसला है. चाइल्ड कस्टडी शेयर्ड यानी मिलजुल कर या अलगअलग हो सकती है. कोई एक पेरैंट भी बच्चों को संभालने का जिम्मा ले सकता है, लेकिन दूसरे पेरैंट को उस की आर्थिक मदद करनी होती है.

आसानी से नहीं मिलता रास्ता

तलाक लेने से पहले कई बार सोच लें. तलाक का फैसला लेने के बाद वकील से मिल कर उस का आधार तय करें. जिस वजह से तलाक चाहते हैं उस के पर्याप्त सुबूत आप के पास होने चाहिए. साक्ष्यों की कमी से केस कमजोर हो सकता है और प्रक्रिया ज्यादा मुश्किल और लंबी हो जाएगी.

अर्जी देने के बाद कोर्ट की ओर से दूसरे पक्ष को नोटिस दिया जाता है. इस के बाद अगर दोनों पार्टियां कोर्ट में हाजिर हों तो कोर्ट की ओर से सारा मामला सुन कर पहली कोशिश सुलह की होती है. अगर ऐसा न हो तो कोर्ट में लिखित में बयान देना होता है. लिखित काररवाई के बाद कोर्ट में सुनवाई शुरू होती है. इस में मामले की जटिलता के आधार पर कम या ज्यादा वक्त लग सकता है.

हिंदू विवाह अधिनियम

हिंदुओं में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है और हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में भी इसे इसी रूप में बनाए रखने की चेष्टा की गई है, किंतु विवाह, जो पहले एक पवित्र एवं अटूट बंधन था, अधिनियम के अंतर्गत ऐसा नहीं रह गया है. यह विचारधारा अब शिथिल पड़ गई है. अब यह जन्मजन्मांतर का संबंध अथवा बंधन नहीं रह गया है, बल्कि विशेष परिस्थितियों के उत्पन्न होने पर यह संबंध अधिनियम के अंतर्गत विघटित किया जा सकता है.

भारत की संसद द्वारा 1955 में हिंदू विवाह अधिनियम पारित हुआ. इसी कालावधि में 3 अन्य महत्त्पूर्ण कानून पारित हुए-हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1955), हिंदू अल्पसंख्यक तथा अभिभावक अधिनियम (1956) और हिंदू ऐडौप्शन और भरणपोषण अधिनियम (1956). ये सभी नियम हिंदुओं की वैधिक परंपराओं को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से लागू किए गए थे. न्यायालयों पर यह वैधानिक कर्तव्य नियत किया गया कि हर वैवाहिक  झगड़े में प्रथम प्रयास सुलह कराने का करें. इस के लिए काउंसलर्स की व्यवस्था की गई. न्यायालयों को इस बात का अधिकार दे दिया गया है कि अवयस्क बच्चों की देखरेख एवं भरणपोषण की व्यवस्था करें.

ये भी पढ़ें- क्यों भा रहीं पुरुषों को बड़ी उम्र की महिलाएं

अधिनियम की धारा 10 के अनुसार न्यायिक पृथक्करण इन आधारों पर न्यायालय से प्राप्त हो सकता है. 2 वर्ष से अधिक समय से पति पत्नी अलग रह रहे हों, पति या पत्नी एकदूसरे को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताडि़त करे, 1 वर्ष से ज्यादा समय से कुष्ठ रोग हो, 3 वर्ष से अधिक रतिजरोग, विकृतिमन 2 वर्ष तथा परपुरुष अथवा परस्त्री गमन 1 बार में भी.

अधिनियम की धारा 13 के अनुसार, संसर्ग, धर्मपरिवर्तन, पागलपन (3 वर्ष), कुष्ट रोग (3 वर्ष), रतिज रोग (3 वर्ष), संन्यास, मृत्यु निष्कर्ष (7 वर्ष), पर नैयायिक पृथक्करण की डिक्री पास होने के 2 वर्ष बाद तथा दांपत्याधिकार प्रदान करने वाली डिक्री पास होने के 2 साल बाद ‘संबंधविच्छेद’ प्राप्त हो सकता है.

स्त्रियों को निम्न आधारों पर भी संबंधविच्छेद प्राप्त हो सकता है- द्विविवाह, बलात्कार, पुंमैथुन तथा पशुमैथुन. धारा 11 एवं 12 के अंतर्गत न्यायालय ‘विवाहशून्यता’ की घोषणा कर सकता है.

धारा 125 – दंड प्रक्रिया संहिता

दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के अंतर्गत पत्नी अपने पति से भरणपोषण पाने का दावा करती है. इस कानून के कुछ आधार हैं, जो अगर किसी महिला के भरणपोषण के दावे में मौजूद नहीं हैं तो फिर हो सकता है कि पति भरणपोषण देने के दायित्व से मुक्त हो जाए.

भरणपोषण राशि को निश्चित करने के लिए अदालत कई कारणों को ध्यान में रख कर अपना फैसला देती है. इस के अंतर्गत अदालत देखती है-

– भरणपोषण देने और मांगने वाले दोनों की आय और दूसरी संपत्तियां.

– भरणपोषण देने और मांगने वाले दोनों की कमाई के साधन.

– भरणपोषण मांगने वाले की उचित जरूरतें.

– यदि दोनों अलग रह रहे हैं तो उस के उचित कारण.

– भरणपोषण मांगने वाले उचित हकदारों की संख्या.

वह पत्नी भरणपोषण मांगने की हकदार नहीं है, जो परगमन में रह रही हो या वह बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति के साथ रहने से इनकार करती है या आपसी सम झौते से अलग रह रही हो.

अनिल बनाम मिसेज सुनीता के केस में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह कह कर भरणपोषण के आवेदन को खारिज कर दिया था कि पत्नी बिना किसी उचित कारण के अपने पति से दूर रह रही थी.

पति लेते हैं इस तर्क से प्रतिरक्षा

यदि पत्नी नौकरी कर रही है तो कई बार पति की ओर से यह तर्क  दे कर अपना बचाव किया जाता है कि पत्नी अपने भरणपोषण लायक स्वयं कमा रही है. दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 में भी कहा गया है कि पति उस पत्नी को भरणपोषण देगा जो खुद अपना भरणपोषण करने में असमर्थ है. अगर पत्नी नौकरी करती है तो भरणपोषण के केस में पति की ओर से यह प्रतिरक्षा आमतौर पर ली जाती है कि पत्नी असमर्थ नहीं है जैसाकि अधिनियम में कहा गया है. यही नहीं, अलग रहने के दौरान बेरोजगार पति अपनी कमाऊ पत्नी से भरणपोषण की मांग कर सकता है.

भरणपोषण के केस में जिस पक्ष के पास पूर्ण तथ्य हैं और अदालत में अगर वे साबित किए जाते हैं तो फैसला उस के पक्ष में हो सकता है.

मुस्लिम  विवाह

मुस्लिम  विवाह (निकाह) मुस्लिम  पर्सनल लौ (शरीयत) के तहत होता है. शिया और सुन्नी समुदायों के लिए कई प्रावधान अलगअलग हैं.

मुस्लिम  विवाह में यह जरूरी है कि एक पक्ष विवाह का प्रस्ताव रखे और दूसरा उसे स्वीकार करे. इसे इजब व कबूल कहते हैं. प्रस्ताव और स्वीकृति लिखित और मौखिक दोनों प्रकार से हो सकती है. हनफी विचारधारा के मुताबिक सुन्नी मुस्लिम  विवाह 2 मुसलमान पुरुष गवाह या 1 पुरुष और 2 स्त्री गवाहों की मौजूदगी में होना जरूरी है. मुस्लिम  विवाह की वैधता के लिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती है. कोई पुरुष अथवा महिला 15 वर्ष की उम्र होने पर विवाह कर सकती है. 15 साल से कम उम्र का पुरुष या महिला निकाह नहीं कर सकती है.

सुन्नी मुसलमान पुरुष पर दूसरे धर्म की महिला से विवाह करने पर पाबंदी है. लेकिन सुन्नी पुरुष यहूदी अथवा ईसाई महिला से विवाह कर सकता है. लेकिन सुन्नी मुसलमान महिला किसी अन्य धर्म के पुरुष से विवाह नहीं कर सकती है.

शिया मुसलमान गैरमुस्लिम  महिला से अस्थाई ढंग से विवाह कर सकता है, जिसे मुक्ता कहते हैं. शिया महिला गैरमुसलमान पुरुष से किसी भी ढंग से विवाह नहीं कर सकती है. वर्जित नजदीकी रिश्तों में निकाह नहीं हो सकता है.

मुस्लिम  पुरुष अपनी मां या दादी से, अपनी बेटी या पोती से, अपनी बहन से, अपनी भानजी, भतीजी, पोती या नातिन से, अपनी बूआ या चाची या पिता की बूआ या चाची से, मुंह बोली मां या बेटी से, अपनी पत्नी के पूर्वज या वंशज से शादी नहीं कर सकता है.

चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेन ऐक्ट 1929 के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के लड़के तथा 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह संपन्न कराना अपराध है. इस निषेध के भंग होने का भी मुस्लिम  विवाह की वैधता पर कोई प्रभाव नहीं है.

ये भी पढ़ें- बौयफ्रैंड के साथ ट्राय करें ये 8 प्रैंक्स 

मुस्लिम  विवाह में तलाक

मुस्लिम  तलाक की 2 विधियां हैं – तलाकएसुन्ना (मान्य विधि) और तलाकउलबिद्दत (अमान्य विधि).

तलाकएसुन्ना (मान्य विधि)- अहसन पद्धति में पति 2ऋतुकालों (मासिकधर्म के बीच) की अवधि तुहर के बीच 1 बार तलाक देता है और इद्दत (तलाक के बाद के करीब 3 महीनों की अवधि) में पत्नी से शारीरिक संबंध नहीं बनाता है, तो इद्दत की अवधि खत्म होने पर तलाक हो जाता है.

हसन पद्धति में पति 3 तुहरों के दौरान 3 बार तलाक देने के अपने इरादे की घोषणा करता है और पत्नी से शारीरिक संबंध नहीं बनाता है तो तीसरी बार तलाक कहने के उपरांत विवाह विच्छेद हो जाता है.

तलाकउलबिद्दत (अमान्य विधि)- इस विधि में पति एक ही तुहर में मैं तुम्हें 3 बार तलाक देता हूं या 3 बार ‘मैं तुम्हें तलाक देता हूं’ कह कर तलाक दे सकता था. इस विधि को अब समाप्त कर इसे दंडनीय अपराध घोषित किया जा चुका है.

खुला- (पत्नी की ओर से तलाक) के द्वारा मुस्लिम  पत्नी अपने पति को तलाक दे सकती है. इस के लिए शर्त यह है कि पत्नी को पति से जो मेहर (इवद) मिली है, वह उसे लौटा दे. मुस्लिम  पत्नी अपने पति की रजामंदी से तलाक हासिल कर सकती है. मुस्लिम  पत्नी कुछ प्रतिफल के बदले भी तलाक हासिल कर सकती है. भविष्य में किसी घटना के होने या न होने की स्थिति में भी दंपती तलाक के लिए रजामंद हो सकते हैं.

स्पैशल मैरिज एक्ट

इस ऐक्ट के तहत किसी भी धर्म के लोग आपस में शादी के बंधन में बंध सकते हैं और इस के लिए उन्हें अपना धर्म बदलने की जरूरत नहीं है. दोनों का अपनाअपना धर्म शादी के बाद भी कायम रहता है. शादी चाहे किसी भी तरीके से हो, शादी के बाद पत्नी को तमाम कानूनी अधिकार मिल जाते हैं.

अगर लड़का और लड़की दोनों पहले से शादीशुदा न हों, दोनों बालिग हों और आपसी सहमति देने लायक मानसिक स्थिति में हों, तो वे स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954 के तहत शादी कर सकते हैं.

स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत विदेशी लोग भी भारतीय लोगों से शादी कर सकते हैं. इस के लिए दोनों को इलाके के एडीएम औफिस में शादी की अर्जी दाखिल करनी होती है. इस अर्जी के साथ उम्र का सर्टिफिकेट लगता है और साथ ही यह ऐफिडैविट देना होता है कि दोनों बालिग हैं. दोनों की फिजिकल वैरिफिकेशन कर उन्हें 1 महीने बाद आने के लिए कहा जाता है.

इस दौरान नोटिस बोर्ड पर उन के बारे में सूचना चिपकाई जाती है अगर किसी को आपत्ति है तो बताए. नोटिस पीरियड के बाद गवाहों के सामने मैरिज रजिस्ट्रार उन से शपथ दिलवाते हैं और फिर शादी का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है.

कैसे देते हैं तलाक की अर्जी

आपसी सहमति से तलाक की अपील तभी संभव है जब पतिपत्नी सालभर से अलगअलग रह रहे हों. पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में याचिका दायर करनी होती है. दूसरे चरण में दोनों पक्षों के अलगअलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है. तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वे अपने फैसले को ले कर दोबारा सोच सकें. कई बार इसी दौरान मेल हो जाता है और घर दोबारा बस जाता है. 6 महीने के बाद दोनों पक्षों को फिर से कोर्ट में बुलाया जाता है. इसी दौरान फैसला बदल जाए तो अलग तरह की औपचारिकताएं होती हैं. आखिरी चरण में कोर्ट अपना फैसला सुनाता है और रिश्ते के खात्मे पर कानूनी मुहर लग जाती है.

स्पैशल मैरिज ऐक्ट की जरूरी बातें

वर और वधू क्रमश: 21 और 18 वर्ष के होने चाहिए और मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए.

– समान या अलग धर्मो के प्रेमी इस ऐक्ट के तहत शादी कर सकते हैं और इस के लिए उन्हें अपना धर्म बदलने की आवश्यकता नहीं है.

– यह शादी कोर्ट में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) या ऐडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा संपन्न कराई जाती है.

– इस ऐक्ट के तहत शादी कराने के लिए कोई पंडित, मौलवी या पादरी अथवा किसी धर्मग्रंथ की जरूरत नहीं पड़ती.

– इस के तहत विवाह के वक्त 3 गवाहों का होना अनिवार्य है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें