पूर्व कथा
एक रोज जौन सुबहसुबह अपने कुत्ते डोरा के साथ जंगल में सैर के लिए गया, तो वहां नीले परदे में लिपटी सड़ीगली लाश देख कर वह बुरी तरह घबरा गया. उस ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. बिना सिर और हाथ की लाश की पहचान करना पुलिस के लिए नामुमकिन हो रहा था. ऐसे में हत्यारे तक पहुंचने का जरिया सिर्फ वह नीला परदा था, जिस में उस लड़की की लाश थी. इंस्पैक्टर क्रिस्टी ने टीवी पर वह नीला परदा बारबार दिखाया, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा.
एक रोज क्रिस्टी के पास किसी जैनेट नाम की लड़की का फोन आया, जो पेशे से नर्स थी. वह क्रिस्टी से मिल कर नीले परदे के बारे में कुछ बताना चाहती थी.
जैनेट ने क्रिस्टी को जिस लड़की का फोटो दिखाया उस का नाम फैमी था. फोटो में वह अपने 3 साल के बेटे को गाल से सटाए बैठी थी. जैनेट ने बताया कि वह छुट्टियों में अपने वतन मोरक्को गई थी. क्रिस्टी ने मोरक्को से यहां आ कर बसी लड़कियों की खोजबीन शुरू की. आखिरकार क्रिस्टी को फहमीदा नाम की एक महिला की जानकारी मिली. क्रिस्टी फहमीदा के परिवार से मिलने मोरक्को गया. वहां फहमीदा की मां ने लंदन में बसे अपने
2-3 जानकारों के पते दिए. क्रिस्टी को लारेन नाम की औरत ने बताया कि फहमीदा किसी मुहम्मद नाम के व्यक्ति से प्यार करती थी. वह उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.
एक रोज लारेन ने क्रिस्टी को बताया कि उस ने मुहम्मद को देखा है. क्रिस्टी और लारेन जब उस जगह पहुंचे तो पता चला कि यह दुकान मुहम्मद की नहीं, बल्कि साफिया की थी, जिस के दूसरे पति का नाम नासेर था. अब सवाल यह उठ रहा था, आखिर साफिया दुकान बेच कर कहां चली गई?
एक रोज डेविड एक कबाब की दुकान पर गया तो अचानक दुकान के मालिक को देख उस के दिमाग में लारेन का बताया हुलिया कुलबुलाने लगा.
नासेर के बारे में एकएक कर के जो बातें उजागर हो रही थीं, वे उसे कठघरे की तरफ धकेलती जा रही थीं. कांस्टेबल एंडी ने नासेर का पीछा किया तो मालूम पड़ा कि उस की बीवी और 3 बच्चे वहीं रहते हैं. डेविड ने एंडी को उस की बीवी का पीछा करने की सलाह दी. एंडी ने उस की बीवी, दुकान व बच्चों का ब्योरा डेविड को दिया. डेविड ने स्कूल से बच्चे का बर्थसर्टिफिकेट निकलवाया तो कई बातें उजागर हो गईं. डेविड ने नासेर से फहमीदा नाम की औरत का जिक्र किया, तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया. मौयरा ने स्कूल के हैडमास्टर की मदद से बच्चे को फैमी का फोटो दिखाया तो बच्चे ने तुरंत उसे पहचान लिया.
-अब आगे पढ़ें…
शकूर की तारीफें सुन कर साफिया बहुत खुश हुई. मौयरा ने कहा कि वह उस के घर के वातावरण से परिचित होना चाहती है. साफिया ने झट से उसे बुलावा दे डाला, अगले ही दिन सुबह लंच से पहले.
घर बड़े करीने से सजा था. साफिया ने मौयरा को बताया कि वह 2 साल पहले ही यहां आई है. इस से पहले वह पति की दुकान के ऊपर फ्लैट में रहती थी. वह दुकान ग्रोसरी की थी.
उस का पिता टर्की से आया था और उस ने काफी अच्छा पैसा बनाया लंदन में. उसी दौरान उस ने एक मोरक्कन मुसलमान से शादी कर ली. वह भी अच्छे घरपरिवार से था, मगर उसे सिगरेट पीने की बुरी लत थी. इसलिए
वह फेफड़े के कैंसर से मर गया. उन की 3 बेटियां थीं.
पति के मरने के बाद साफिया ने उस की फलसब्जी की दुकान संभाली. मगर 3 बच्चों को पालना और दुकान चलाना काफी भारी पड़ता था. कुछ साल बाद उस के पति के रिश्ते का भाई अली नासेर स्टूडैंट वीजा पर लंदन आया. पति का भाई होने के नाते साफिया ने उसे घर में रखा. बाद में उस से शादी कर ली. अली से भी उसे 2 बेटियां हुईं. अली हर हालत में एक लड़का चाहता था ताकि वह अपनी पुश्तैनी जायदाद का हक न खो दे.
‘‘फिर?’’ मौयरा ने पूछा.
साफिया थोड़ा अटकी फिर सोच कर बोली, ‘‘फिर क्या, शकूर आ गया, बस.’’
साफिया की कहानी हूबहू लारेन की बताई कहानी से मिलती थी. मौयरा ने अपने बैग में रखे टेपरिकौर्डर पर उस की सारी बातें रिकौर्ड कर ली थीं.
मौयरा ने आगे पूछा, ‘‘तुम किसी मुहम्मद नाम के आदमी को जानती हो?’’
‘‘वह तो मेरा पहला पति था, जो मर गया.’’
‘‘अली मुहम्मद?’’
‘‘नहीं, मुहम्मद जब्बार नासेर. यह नाम था उस का.’’
‘‘किसी अब्दुल नाम के बच्चे को जानती हो, वह भी मोरक्को से आया है?’’
‘‘नहीं, यहां कोई मोरक्कन नहीं है.’’
‘‘उस की मां का नाम फहमीदा है.’’
‘‘नहीं, मैं नहीं जानती.’’
साफिया की बातचीत एकदम निश्छल लगी.
‘‘तुम्हारी बड़ी बेटियां?’’
साफिया उदासी को छिपाते हुए बोली, ‘‘वे अलग रहती हैं. दरअसल, मेरे पिता ने उन के लिए अलग से बिजनैस शुरू करवा दिया और फ्लैट खरीद कर दे दिया. दरअसल, ग्रोसरी ही हमारा पुराना धंधा है, जिसे अब वे तीनों मिल कर चलाती हैं और मैं भी वहां जा कर उन की मदद कर आती हूं. ये तीनों छोटे बच्चे मेरे दूसरे पति नासेर की जिम्मेदारी हैं. अब कोई तकरार नहीं.’’
‘‘क्या पहले तकरार होती थी?’’
साफिया मुसकरा कर चुप हो गई.
‘‘नासेर क्या करता है?’’
‘‘उसी दुकान में है मगर डोनर कबाब बेचता है.’’
‘‘फ्लैट में कौन रहता है?’’
‘‘कोई नहीं, पिछले क्रिसमस के बाद उस ने उसे रंगरोगन करवाया था मगर खाली ही पड़ा है.’’
मौयरा ने सारी रिपोर्ट क्रिस्टी को दे दी.
क्रिस्टी सावधान था. लारेन को चकमा दे कर दुकान से निकलने के बाद नासेर का अगला कदम होगा कि वह भाग जाए. क्रिस्टी
ने चारों तरफ से नाकेबंदी कर दी और वह सीधा दुकान पहुंचा. लारेन भी उस के साथ
थी. लारेन ने ऐसा दिखावा किया जैसे वह क्रिस्टी की बीवी हो और वह नासेर को पहचानती ही न हो.
मगर उसे देख कर नासेर का रंग उड़ गया.
क्रिस्टी ने उस से पूछा, ‘‘क्या तुम हमें पसंद नहीं करते?’’
नासेर संभल कर सामान्य होते हुए बोला, ‘‘नहीं, वह बात नहीं. दरअसल, आप की मित्र को देख कर मुझे किसी और का भ्रम हो गया था. आप गोरी चमड़ी के लोग न कभीकभी एकदूसरे से काफी मिलते हो.’’
‘‘मुझे भी तुम सारे मोरक्कन एकजैसे लगते हो.’’
सुन कर नासेर जोरजोर से हंसने लगा, मगर उस की घबराहट छिपी नहीं रही. क्रिस्टी ने लारेन को अभी तक नहीं बताया था कि फैमी गायब थी. मगर उस का शक एकदम पक्का हो गया कि नासेर अपराधी है. सिवा उसे हिरासत में ले कर सवालजवाब करने के, क्रिस्टी के पास दूसरा चारा नहीं बचा था.
नासेर और साफिया दोनों की इंक्वायरी अलगअलग तरीकों से की गई थी. दोनों को जरा भी शक नहीं हुआ कि यह सब तहकीकात एक ही गुत्थी को सुलझाने का प्रयास था. साफिया ने नासेर को मनोवैज्ञानिक टीचर के बारे में सब बताया मगर नासेर अपनी ही परेशानी में उलझा रहा.
लारेन को देखने के बाद वह बदहवास हो गया था. हालांकि लारेन ने उसे जरा भी यह एहसास नहीं होने दिया कि वह उसे पहचानती है. साफिया से बहाना बना कर वह अगले दिन चंपत हो गया. साफिया अपने दूर के किसी रिश्तेदार को दुकान खोलने के लिए कह कर स्वयं अपनी दुकान में चली गई.
क्रिस्टी इस के लिए तैयार था. जिस टे्रन से नासेर भागा वह उसी पर चढ़ गया. उस की तैनात की हुई पुलिस फोर्स ने उसे नासेर के स्टेशन पर गाड़ी पकड़ने की इत्तला तुरंत दे दी थी. अगले स्टेशन पर क्रिस्टी उस में चढ़ा और ऐसा दिखाया, जैसे यह इत्तफाक हो. नासेर उसे देख कर बेबसी से मुसकराया और उस से पूछा कि आप कहां तक जाएंगे?
क्रिस्टी ने कहा कि जहां तक यह टे्रन जाएगी.
मुझे तो पास ही जाना है, कह कर नासेर फटाफट अगले ही स्टेशन पर उतर गया.
मगर जैसे ही वह उतरा, क्रिस्टी ने इंटरकाम पर पुलिस को आगाह कर दिया. लंदन के बाहरी इलाकों में छोटे शहरों में उतरने वाले इक्केदुक्के लोग ही होते हैं. नासेर का पीछा करना आसान नहीं तो दुष्कर भी नहीं था.
अगले स्टेशन पर उतर कर वह झट से कार से पिछले स्टेशन पर लौट गया. पुलिस ने नासेर को एक टैक्सी में बैठते देखा था. पुलिस चुपचाप एक अन्य कार से उस का पीछा कर रही थी. क्रिस्टी भी कार से उस के पीछे लग गया.
नासेर ने सोचा, कहीं भागने से बेहतर वह वापस दुकान पर ही पहुंच जाए. आखिर उस के खिलाफ पुलिस के पास कोई सुबूत भी नहीं है. अत: वह वापस अपने ठिकाने लौट आया.
करीब आधे घंटे बाद क्रिस्टी सीधा उस की दुकान में दाखिल हो गया और अपना पुलिस बैज दिखा कर बोला, ‘‘अली नासेर, मुझे तुम से एक गुमशुदा लड़की फैमी के बारे में पूछताछ करनी है.’’
‘‘मैं इस नाम की किसी लड़की को नहीं जानता, तुम मेरा पीछा छोड़ दो.’’
‘‘तुम जानते नहीं हो तो लारेन को देख कर घबराए क्यों? तुम्हें उस ने पहचान लिया है, तुम्हारा एक नाम मुहम्मद है.’’
‘‘सब गलत, मुझे तंग मत करो.’’
‘‘ठीक है, तुम यहां नहीं तो पुलिस स्टेशन में अपनी सफाई दे देना, हमें अच्छी तरह पता है कि तुम और भी कई लड़कियों से संबंध रखते हो, इसलिए तुम ने 2-3 रोज पहले एक अंगरेज लड़की को भी फंसाने की कोशिश की थी. हम सब तुम्हारी बीवी साफिया को बताने वाले हैं, क्योंकि हम ने तुम्हारी बातचीत रिकौर्ड कर ली है.’’
अब अली नासेर कुछ ढीला पड़ा, उस ने क्रिस्टी से कहा, ‘‘चलो, ऊपर चल कर इतमीनान से बातें करते हैं.’’
क्रिस्टी उस के साथ ऊपर फ्लैट में अकेला चला गया, मगर अपनी जेब में रखे अलार्म बटन को दबा कर उस ने एंडी और मौयरा को इत्तला दे दी.
‘‘इतनी अच्छी साजसज्जा कितने पैसों में कराई?’’
‘‘नहीं, यह सब तो मैं ने खुद किया है.’’
फ्लैट बहुत शानदार ढंग से सजा था. हलके पीले रंग की दीवारें, सफेद रंग की खिड़कियां, दरवाजे, शानदार सफेद लैदर का सोफा उस पर हरेफीरोजी रंग के खूबसूरत कुशन. वैसे ही हरेफीरोजी परदे, बड़ीबड़ी पेंटिंग, हलके क्रीम रंग का गलीचा. सब बेहद साफसुथरा मगर क्रिस्टी की नजर सिटिंग रूम की बड़ी सी खिड़की पर अटक गई, जिस पर जाली का मेहराबदार परदा पड़ा हुआ था. उस के हरेफीरोजी परदे खुदबखुद मानो रंग बदलने लगे और नीले हो गए. सामने का सफेद सोफा काले रंग में बदल गया, जिस पर बैठी फैमी अपने बच्चे को गालों से सटाए मुसकराने लगी. क्रिस्टी मन ही मन उस तसवीर की असलियत को पहचान गया.
अली नासेर ने पूछताछ में इतना कबूल किया कि एक पेशा करने वाली मोरक्कन लड़की से उस के शारीरिक संबंध थे, क्योंकि उस की पत्नी उस से काफी बड़ी थी और दूसरा पति होने के नाते उस से उस की तृप्ति नहीं होती थी. उस औरत का नाम उसे नहीं मालूम, क्योंकि मोरक्कन होने के कारण वह अपना असली नाम नहीं बताती थी और न ही वह उस की असल जिंदगी के बारे में कुछ जानता था.
‘‘तो फिर तुम उसे कैसे बुलाते थे? अब वह कहां मिलेगी?’’
‘‘फोन नंबर था उस का. मगर वह कुछ महीनों पहले मोरक्को गई थी और अभी तक वापस नहीं आई.’’
‘‘तुम्हें कैसे पता कि वह अभी तक नहीं आई? तुम ने उसे उस के नंबर पर फोन किया? मुझे वह नंबर दो.’’
‘‘मेरे पास नहीं है. बेकार परेशान मत करो,’’ नासेर उठ कर जाने लगा तो क्रिस्टी ने कड़क कर उसे बैठ जाने को कहा. तभी एंडी भी ऊपर आ गया. नासेर के पास कोई चारा नहीं बचा था.
उस ने नासेर को पुलिस की हिरासत में लेने के लिए एक और सुबूत सामने रखा.
मौयरा स्कूल के हैडमास्टर की इजाजत और असिस्टैंट टीचर की मदद से अब्दुल को ले आई और उस से सब के सामने उस तसवीर के बारे में पूछा, बच्चा फिर रोने लगा और उस ने बताया कि वह आंटी थी. यह सब अली नासेर के सामने किया. बच्चे से पूछा कि क्या तुम्हारे डैड इसे जानते थे? उस ने कहा कि हां वह यहां आती थी और डैड के साथ घूमने जाती थी.
अब अली नासेर के पास कोई जवाब नहीं था. वह मान गया कि अब्दुल फैमी को जानता था. क्रिस्टी ने बच्चे को सुरक्षित घर भिजवा दिया और कड़क कर कहा कि मिस्टर अली नासेर फैमी गायब है. तुम उसे जानते थे और उस के साथ तुम्हारे शारीरिक संबंध थे. उस के गुम हो जाने में तुम्हारा हाथ है. तुम्हें हम गिरफ्तार करते हैं. तुम्हें जो कुछ कहना है अदालत में कहना.
नासेर गिरफ्तार हो गया और थोड़ी सख्ती के बाद उसे सब बताना पड़ा. उस ने फैमी को अपना असली नाम नहीं बताया था और मुहम्मद नाम से उसे फंसा रखा था.
इस देश में वह स्टूडैंट वीजा ले कर मोरक्को से आया था. यहां वह अपने दूर के भाई मुहम्मद जब्बार नासेर का पता ले कर आया था, मगर जब वह उस से मिलने गया तो पता चला कि वह 2-3 साल पहले मर चुका था और उस की विधवा पत्नी साफिया अपनी 3 बेटियों के साथ अकेली गृहस्थी और बिजनैस दोनों चला रही थी.
अली नासेर ने उस से हमदर्दी दिखाई और उस के बिजनैस में हाथ बंटाने का बहाना कर के उस का विश्वास जीत लिया. जल्द ही साफिया ने उसे अपना पेइंग गैस्ट बना लिया. अली हंसमुख जवान लड़का था. साफिया की बेटियां उसे अंकल कहने लगीं और एक दिन साफिया के बूढ़े मांबाप ने उस से पूछा कि वह क्या यहां बस जाना पसंद करेगा?
अंधे को क्या चाहिए 2 आंखें. अली ने बताया कि वह एक अच्छे खातेपीते परिवार का लड़का है. बाप कपड़े का व्यापारी है. घर में सिलाई की दुकान है. मोरक्को से उस ने स्नातक क्रिमिनल ला में किया है और इधर आगे की पढ़ाई करना चाहता है.
साफिया के बाप ने उसे साफिया से शादी करने के लिए कहा और बताया कि मुहम्मद जब्बार अच्छाखासा पैसा छोड़ कर मरा है, इसलिए उस की बेटियां बेसहारा नहीं रहेंगी और वह शादी कर के यहां की नागरिकता पा जाएगा और घर व बिजनैस भी. अगर वह चारों तरफ से माली सुरक्षा पा जाएगा तो उसे पढ़ाई का खूब वक्त मिलेगा.
हालांकि साफिया उस से उम्र में 5-7 साल बड़ी थी, लेकिन उस ने उस से शादी कर ली. इस शादी से 2 बेटियां और पैदा हो गईं.
इधर अली को कालेज में फहमीदा मिल गई. एक ही देश के होने के कारण दोस्ती और फिर प्रेम होते देर न लगी. साफिया का पैसा तो उसे चाहिए था और उसी शादी की बिना पर उसे यू.के. में रहने का वीजा मिला था. भाई की बीवी से शादी करने पर उसे अपने और जब्बार नासेर दोनों के परिवारों से बहुत मानसम्मान मिला था. सब उसे ऊंचे खयालात का इज्जतदार शरीफ समझते थे. पारिवारिक रूप से जुड़े होने के कारण नासेर अपने भाई के बच्चों की जिम्मेदारी से मुंह नहीं चुरा सकता था.
इसलिए उस ने फैमी को अपना असली नाम व पता नहीं बताया. अपना नाम मुहम्मद अली बताया और अपनी शादी की बात छिपाए रखी. फहमीदा से वह मोरक्को जा कर शादी करने के वादे करता रहा. फिर उसे पता चला कि फैमी गर्भवती है. बस यहीं से उस की सचाई पकड़ी गई. पहले तो बहाने बना कर उस ने गर्भ गिरा देने की मांग की मगर फैमी अड़ी रही. उस की दलील थी कि बच्चे के रहते वह शादी क्यों नहीं कर सकता जबकि वह उन की पाक मुहब्बत का नतीजा था.
तब नासेर झुंझला गया और उस ने साफिया से अपनी शादी की बात बताई.
फैमी का दिल टूट गया. वह चुपचाप नौकरी छोड़ कर कहीं अज्ञात रूप से रहने लगी. नासेर को इस बात का खौफ था कि कहीं वह उस का राज का परदाफाश न कर दे और पुलिस को न बता दे. वह उसे ढूंढ़ता रहा,
उस की सहेलियों से पूछता रहा फिर जब वह नहीं मिली तो उस के जानने वालों को उस के बारे में अनर्गल बातें बता कर उस का चरित्र हनन किया.
फैमी ने एक बेटे को जन्म दिया और अपनी प्रिय सहेली लारेन को बताया. मगर लारेन ने यह खबर मुहम्मद तक पहुंचा दी और उसे कानून से भी डराया.
इधर नासेर की अपनी बीवी साफिया से अनबन हो गई. साफिया 5 बेटियों की मां बन चुकी थी मगर अब उसे गर्भधारण करने में कठिनाइयां आने लगी थीं. हालांकि वह भी हर औरत की तरह एक पुत्र चाहती थी. पुत्र होने पर ही उसे अली नासेर का उत्तराधिकार मिल सकता था. नासेर उसे कई बार यह कह चुका था.
जब मुहम्मद को पता चला कि फैमी ने पुत्र को जन्म दिया है तो उस की नीयत डोल गई. यह उस का बच्चा था, कदाचित एकमात्र पुत्र, अत: उस ने फहमीदा को फिर से अपने प्रेमजाल में लपेट लिया. हजारों माफियां मांगी, कसमें खाईं और बच्चे के लिए उपहारों के ढेर लगा दिए. उस ने कसम खाई कि कभी वह अपने बेटे से अलग नहीं रहेगा और साफिया को कुछ भी पता नहीं होने देगा. वह फहमीदा को हर तरह से मदद करने लगा. ताकि वह बेटे की देखभाल ठीक से कर सके और उसे मदद के लिए कहीं भटकना न पड़े.
वह रोज बेटे से मिलने जाने लगा. फहमीदा उस के लाड़प्यार को देख कर आश्वस्त हो गई. कुछ दिन बाद नासेर ने पासा फेंका.
‘‘मुझ जैसा अभागा कौन है दुनिया में जो अपने बेटे को बेटा न कह सके.’’
इधर फहमीदा बदनामी के डर से घुली जा रही थी. वह न तो खुल्लमखुल्ला किसी से मिल सकती थी, न ही नौकरी कर सकती थी. न ही वह अपने देश वापस मां से मिलने जा सकती थी.
एक दिन नासेर ने साफिया को केवल बेटियां पैदा करने के लिए बहुत शर्मिंदा किया. कहा कि उस का पुश्तैनी हक का पैसा तो बिना वारिस के डूब ही जाएगा. साफिया बहुत रोईधोई. साफिया के बूढ़े मांबाप भी बहुत
दुखी हुए.
नासेर ने पासा फेंका, ‘‘मुझे लगता है कि अब बस यही सूरत है कि हम एक मोरक्कन बच्चा गोद ले लें.’’
साफिया डर गई कि कहीं नासेर उसेछोड़ कर दूसरी शादी न कर बैठे. हालांकि उसे पता था कि नासेर जैसा खुदगर्ज कभी भी उसे नहीं छोड़ेगा. वही तो उस की सोने का अंडा देने वाली मुरगी थी. एक तो मांबाप का पैसा, दूसरी अपने पहले पति की कमाई और तीसरी उस की खुद की कमाई. नासेर के पौबारह थे.
साफिया के मांबाप ने भी उसे समझाया कि अगर वह नासेर को रखना चाहती है तो उसे बात माननी पड़ेगी. पहले तो वह घबराई फिर रजामंदी दे दी. उस ने सोचा कौन सा कोई बच्चा हथेली पर उग रहा है. देखी जाएगी जब मिलेगा.
साफिया के हां कहते ही मुहम्मद ने फहमीदा को समझाना शुरू किया. उस ने कहा कि वह ऐसा इंतजाम करेगा कि फहमीदा बच्चे से मिल भी सकेगी और वह बाप के पास भी रह सकेगा.
जानबूझ कर नासेर ने फहमीदा को साफिया से नहीं मिलवाया. फहमीदा ने दूर से साफिया को देखा जरूर था मगर साफिया के तो सपने में भी कोई नासेर की चहेती नहीं थी. अकसर बीवियों से धोखा करने वाले ऊंचेऊंचे वादे करते हैं और अपने झूठे प्यार का इजहार करते हैं.
नासेर ने फहमीदा से भी झूठा नाटक खेला. उसे लालच दिया कि वह उसे
मोरक्को मां से मिलने जाने देगा. बस, वह बच्चा उस के पास छोड़ दे. फहमीदा राजी हो गई. उस का बच्चा अपने बाप के पास पलेगा. वह उस से मिलती रहेगी. उसे कोई कमी नहीं होगी कभी, न ही वह अवैध संतान कहलाएगा. वरना भविष्य में वह अपने ही बेटे को क्या जवाब देगी, अपनी मां को क्या जवाब देगी वगैरहवगैरह…
बच्चा 5-6 महीने का हो चला था. फहमीदा उसे बोतल से दूध पिलाने लगी थी. एक दिन मुहम्मद उसे साफिया को दिखाने ले गया. आंखों से आंसू भर कर फैमी ने उसे ले जाने दिया.
साफिया और उस की बेटियों ने जब गोलमटोल प्यारा सा बच्चा देखा तो वे उस की दीवानी हो गईं. नासेर ने बताया कि उस बच्चे की मां मोरोक्को की है. उस की उम्र अभी 20 वर्ष भी नहीं है, लेकिन उस का आदमी एक मोटरसाइकिल ऐक्सीडैंट में मर गया.
अगर साफिया बच्चा गोद ले लेती है, तो वह बेचारी दूसरी शादी कर लेगी या आगे पढ़ाई कर लेगी.
– क्रमश: