लेखक- राजेश कुमार सिन्हा
एक संडे कोमल पूरा लंच बना कर सपरिवार मेरे घर आ गई और फिर वहीं सब ने लंच किया. हमारी शादी की तारीख तय हो गई. शादी मुंबई में ही होनी थी. तय यही हुआ कि एंगेजमेंट और शादी सब एकसाथ ही हो जाएगी.
जब मैं ने इस की जानकारी अपने औफिस के लोगों ने दी, तो सभी खुश हुए क्योंकि शादी यहीं होनी थी तो सभी उस में शामिल हो सकते थे.
शादी की तारीख में जब 15 दिन बचे तो उस ने बूआ को भी मुंबई ही बुला लिया. फ्लैट के लिए सभी जरूरी सामान की शौपिंग कोमल, उस की मम्मी और उस ने साथ मिल कर ही की थी, बाकी तैयारियां कोमल के पापा और उन के करीबी मिल कर कर रहे थे. उस की अपनी शौपिंग भी उस ने कोमल के साथ मिल कर ही की थी.
शादी की तारीख के 2 दिन पहले एंगेजमेंट की रस्म हुई. उस की तरफ से औफिस के कुछ लोग थे और कोमल की तरफ से काफी लोग थे और उसी दिन उस का सभी से परिचय भी हुआ. कार्यक्रम काफी अच्छा रहा. सभी ने ऐंज्वाय किया और उन के सुखमय जीवन की कामना की. 2 दिन बाद ही शादी थी. उस के कुछ पुराने दोस्त भी आ गए थे, जो उस के घर ही रुके हुए थे. ऐसे में पूरा माहौल खुशनुमा बना हुआ था.
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शादी के दिन बरात के लिए सभी को शाम 7 बजे हाल पहुंचना था और उसी के अनुसार उस ने सभी को आमंत्रित किया हुआ था. वह अपने दोस्तों और बूआजी के साथ शाम 6 बजे ही पहुंच गया था. कोमल के परिवार के भी सभी करीबी लोग हाल पहुंच चुके थे. बरात में उस के औफिस के लगभग सभी लोग शामिल हुए. सबकुछ समायानुसार बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ.
अनुज के दोस्तों ने जब कोमल को देखा, तो उन्होंने अनुज को सही मामले में लकी माना.
शादी का मुहूर्त रात का था. खाने की व्यव्स्था बहुत ही बढिया थी. सभी लोग पूरे आयोजन की दिल से तारीफ कर रहे थे.
मुहूर्त के अनुसार सात फेरे के साथ शादी संपन्न हो गई और विदाई की रस्म के साथ वह कोमल को ले कर अपने घर आ गया. उस के दोस्त भी अगले दिन ही लौट गए, पर उस ने बूआजी को एक हफ्ते के लिए और रोक लिया था. उस ने एक हफ्ते की छुट्टी ले रखी थी. इस बीच जैसा बूआ या कोमल की मम्मी कहती थी, वैसा ही दोनों कर लिया करते थे.
अगले संडे को बूआ को भोपाल लौटना था. उस दिन कोमल के पैरेंट्स भी आ गए और सब लोग साथ ही एयरपोर्ट गए. बूआ ने दोनों को जी भर कर आशीर्वाद दिया और कोमल से कहा, “मैं इसे तुम्हारे हवाले कर रही हूं. अब तुम्हीं इस की सबकुछ हो.”
कोमल ने भी हंसते हुए बूआ को इस का आश्वासन दिया.
कोमल का साथ मिलते ही अनुज की जिंदगी को मानो पर लग गया था. वह बहुत ही खुश रहने लगा था. कोमल वाकई बूआ को दिए गए प्रोमिस को पूरा कर रही थी. वह औफिस की अपनी जिम्मेदारियों के साथसाथ अनुज का भी पूरा खयाल रखती थी. आमतौर पर दोनों के औफिस से वापस आने का समय एक ही था और मेड भी उसी समय आती थी, जिस के जिम्मे डिनर का काम था. लंच के लिए दोनों का डब्बा कोमल खुद तैयार करती थी और ब्रेकफास्ट का जिम्मा अनुज ने खुद ले रखा था.
इस तरह जिंदगी की गाड़ी एक पटरी पर चलने लगी थी. अनुज जब कभी टूर पर जाता था तो कोमल अपने घर चली जाती थी. इस से अनुज भी टेंशन फ्री रहता था और घर लौटने पर कोमल उस का ऐसे स्वागत करती थी मानो वह कई दिनों बाद लौटा हो.
एक दिन कोमल ने औफिस से लौट कर बहुत उत्साहित हो कर बताया कि उस की कंपनी को एक बहुत बड़ा प्रोजैक्ट मिला है और इसी सिलसिले में उसे अगले हफ्ते एक महीने के लिए सिंगापुर जाना होगा.
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यह सुनते ही अनुज का मन छोटा हो गया, जिस की गवाही उस का चेहरा दे रहा था. कोमल ने पूछा भी, “क्यों तुम्हें मेरी इस कामयाबी से खुशी नहीं हुई?”
“नहींनहीं, ऐसी बात नहीं है. कौंग्रेट्स, इन्फैक्ट मैं यह सोच रहा था कि हमारी नईनई शादी हुई है. ऐसे में तुम्हारा इतने दिनों के लिए जाना परेशान कर रहा है. मुझे तुम्हारी चिंता हो रही है.”
“इस में चिंता की क्या बात है? मैं बच्ची थोड़े ही हूं. मैं अपना खयाल रख सकती हूं और मैं ने मम्मी से भी बात कर ली है. उन्होंने तो यहां तक कहा है कि इसी बहाने अनुज कुछ दिनों के लिए हमारे साथ रह लेगा तो हमारा भी अच्छा टाइम निकल जाएगा और उसे भी खानेपीने की तकलीफ नहीं होगी.”
“कोमल, मैं यहीं ठीक हूं. ऐसी कोई बात नहीं है, हां, बीचबीच में जा कर मिल जरूर लूंगा. चलो, नो टेंशन. तुम जरूर जाओ.”
“थैंक्स डीयर, तुम ने मेरी टेंशन कम कर दी. मैं तुम को ले कर रियली बहुत परेशान थी,” कोमल ने हंसते हुए कहा.
“चलो, आज डिनर के लिए कहीं बाहर चलते हैं,” अनुज ने कोमल को जाने के लिए कह तो दिया था, पर वह अंदर ही अंदर बहुत दुखी था. उसे लग रहा था कि उस से बिना पूछे कोमल ने इतना बड़ा निर्णय कैसे ले लिया? क्या कोमल के लिए उस की कोई अहमियत नहीं? अगर ऐसा ही हर बार होता रहा, तो क्या जिंदगी की गाड़ी चल पाएगी?
ऐसे तमाम सवाल उसे बारबार परेशान कर रहे थे, पर वह बाहर से खुद को बहुत खुश दिखाने की कोशिश जरूर कर रहा था. एक हफ्ता कुछ जल्दी ही गुजर गया. सिंगापुर के लिए संडे अर्ली मार्निंग की फ्लाइट थी, जिस का टिकट क्लाइंट ने ही बिजनेस क्लास में बुक किया था, जिसे ले कर कोमल बहुत उत्साहित थी. उस के पापा गाड़ी लेकर आ गए थे और हम सब मिल कर उसे छोड़ने एयरपोर्ट गए थे. चेकइन के लिए अंदर जाते वक्त उस की आंखें गीली हो गई थीं. वह बारबार कह रही थी, “अनुज, तुम ठीक से रहना. मम्मी के पास चले जाओ ना… अकेले तुम टेंशन में ही रहोगे, पर मुझे उस समय यह सब नाटकीय लग रहा था.
“एयरपोर्ट से लौटते वक्त मम्मीजी ने भी मुझे घर चलने के लिए कहा था, पर मैं ने कह दिया था कि छुट्टियों के दिन आ जाया करूंगा.
घर पहुंचने पर ऐसा लगा कि जैसे घर काटने को आमादा हो, कोमल मेरे लिए पूरे 2 दिन का खाना फ्रिज में रख कर गई थी, इसलिए खाना बनाने का टेंशन तो नहीं था, पर ऐसा लगता था मानो कोई ऐसी चीज अचानक गायब हो गई हो जो मेरी आदत में शुमार हो.
कोमल ने सिंगापुर पहुंचते ही उसे मैसेज कर दिया था, इसलिए एक टेंशन से उसे मुक्ति मिल गई थी. किसी तरह संडे का दिन बीता. मंडे सुबह जब वह औफिस पहुंचा, तो उस का मूड उखड़ाउखड़ा सा था. पूरे दिन उस का काम में मन नहीं लगा.
कोमल ने सुबह ही उसे मैसेज किया था कि उस के लिए जो अरेंजमेंटस वहां किए गए हैं, उस से वह संतुष्ट है और वह पूरी कोशिश करेगी कि अपना बेस्ट दे सके. साथ ही, उस ने यह भी लिखा था कि वह उसे बहुत मिस कर रही है.
अनुज के जेहन में एक बात बारबार आ रही थी कि अगर कोमल इतनी कैरियर माइंडेड है तो आगे सबकुछ कैसे चलेगा. हालांकि यह सही है कि उस ने पहले ही सबकुछ क्लीयर किया था. पर, अमूमन शादी के पहले लड़कियां अपने कैरियर को ले कर सीरियस रहती हैं, पर शादी के बाद भी इतना सीरियसनेस… इस बात को वह स्वीकार नहीं कर पा रहा था.
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आज कोमल को गए 15 दिन हो गए थे और इस बीच शायद ही कोई ऐसा दिन नहीं रहा होगा, जब कोमल ने उस से यह नहीं कहा होगा कि उस के बगैर उसे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है, पर अनुज को लगता था कि कोमल कम से कम उस से एक बार पूछ तो लेती कि उसे औफिस के काम से सिंगापुर जाना है. वह थोड़े ही उसे मना करता, उसे यही बात बारबार परेशान करती थी.
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