Diwali Special: दीवाली पर चाकलेट पुडिंग से करें मुंह मीठा

आप हर दीवाली मेहमानों, रिश्तेदारों, बच्चों के लिए कुछ ना कुछ मीठा जरूर बनाती होंगी. लेकिन हर दीवाली आप एक ही तरह की मिठाई बनाकर और खिला कर थक चुकी है. अगर इस दीवाली औरों से कुछ अलग बनाना चाहती हैं तो चाकलेट पुडिंग जरूर ट्राई करें. इसे खाकर बच्चों के साथ साथ मेहमान भी खुश हो जाएंगे. तो आइए जानते हैं चाकलेट पुडिंग बनाने की रेसिपी.

सामग्री

दूध – 2 कप

बिना मिठास वाला कोको पाउडर – 4 चम्मच

कार्न स्टार्च – 3 चम्मच

चीनी – 1 1/2 कप

बिना नमक वाला बटर – 2 चम्मच

वैनीला एक्सट्रैक्ट – 1 चम्मच

नमक – 1 चुटकी

ड्राई फ्रूट्स

चाकलेट चिप्स

विधि

एक गहरा पैन लें और उसमें दूध गरम करें. दूध को हल्की आंच पर उबालें. उसी समय उसमें कोको पाउडर, कार्न स्टार्च, चीनी और नमक मिलाएं.

अब इसे लगातार चलाती रहें जिससे इसमें गांठे ना बने और घोल गाढा भी हो जाए. इसे कम आंच पर पकने दें. इसे पकने में करीब 5-7 मिनट का समय लगेगा. अब पैन को आंच से हटा दें और फिर उसमें बटर तथा वैनीला एक्स्ट्रैक्ट मिलाएं.

बटर डालने के बाद इसको दुबारा चलाएं. आपका पुडिंग बनकर बिल्कुल तैयार है.

इसे बाउल में डाल कर रूम टम्परेचर पर ठंडा होने दें और फिर 2 घंटे के लिये फ्रिज में रख दें. अब ड्राई फ्रूट्स और चाकलेट चिप्स से गार्निश कर इसे सर्व करें.

Festival Special: दिवाली पर इन तरीकों से सजाएं अपना घर

दिवाली आते ही सबसे पहले शुरु होती है घर की साफ-सफाई और सफाई के बाद नंबर आता है घर की सजावट का. अगर आप अपने घर के वही पुराने ओल्ड लुक से बोर हो चुकी हैं तो इस दिवाली अपने घर को दीजिए एक ट्रडिशनल न्यू लुक.

फूलों से सजावट

घर को ज्यादा फूलों से सजाने की बजाएं आप एक या दो लड़ियों को घर के दरवाजे पर लगा दें. इससे आपके घर को सिंपल के साथ-साथ फेस्टिवल डेकोरेशन भी मिल जाएगी.

रंगोली

घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने से घर तो सुंदर लगता ही है, आने वाले मेहमान भी इसे देखकर बेहद खुश हो जाएंगे. वैसे तो आप पारंपरिक रंगों और फूलों का इस्तेमाल कर अपने हाथों से रंगोली बना सकती हैं. लेकिन अगर आप ये नहीं कर सकतीं तो बाजार में एक से बढ़कर एक रेडीमेड रंगोली भी मौजूद है जिनका आप इस्तेमाल कर सकती हैं. एंट्रेंस के साथ ही लिविंग रूम के सेंटर में भी रंगोली बनाकर घर की शोभा बढ़ायी जा सकती है.

कार्नर को दीए से सजाएं

ये तो आप भी मानेंगी कि सिर्फ घर की लाइटें बदल देने से ही घर का पूरा लुक चेंज हो जाता है. और इसमें दीए अहम रोल अदा करते हैं. ऐसे में इस दिवाली पर घर को सजाने के लिए आर्टिफिशियल लाइट्स की जगह दीयों का इस्तेमाल करें. और घर के हर एक कार्नर को दीए से सजाएं.

तोरण और कंदील

घर के मुख्य द्वार के साथ ही हर कमरे के दरवाजे पर तोरण लगाएं. इसके लिए आप पारंपरिक पत्तों और फूल के तोरण का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. या फिर बाजार में मिलने वाले डिजाइनर तोरण का भी. इसके साथ ही घर के मेन हौल को सजाने के लिए कंदील का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

कैंडल डेकोरेशन

आजकल तो बजार में कई तरह की कैंडल मिल जाती है. आप उससे घर को डिफरेंट और सिंपल लुक दे सकती हैं. इन कैंडल को आप खिड़की और छतों पर सजा सकती हैं.

टी लाइट्स का करें इस्तेमाल

रंगीन कांच के कंटेनर में टी लाइट्स रखकर उसे ड्राइंग रूम और डाइनिंग रूम की सीलिंग से लटका दें. इससे किसी के इनसे टकराने का खतरा भी नहीं रहेगा और ये घर को बेहद सुंदर लुक भी देंगे.

Festival Special: कब्ज सताए तो हैं न उपाय

आज के वैज्ञानिक युग में जहां साधन बढ़े हैं, जिंदगी सुखसुविधाओं से लैस हो गई है, वहीं कुछ लाइफस्टाइल सिंड्रोम भी जन्मे हैं. किसी को कामकाज की व्यस्तता के कारण स्लीप सिंड्रोम यानी नींद न आने की समस्या है, तो किसी को खानपान की वजह से बावैल सिंड्रोम यानी कब्ज की.

एक दिन मैं ने देखा कि मेरे साथ रोज सुबह सैर करने वाली मिसेज वडैच ने सैर के बाद घर लौटते ही 3-4 गिलास कुनकुना पानी पिया और 1 गिलास मुझे भी दिया. फिर मेरे साथ बिना दूध की ग्रीन पत्ती वाली चाय ली. मैं उठने लगी तो वे बोलीं कि नहींनहीं नाश्ता कर के जाना. मैं ने मना किया लेकिन उन के साथ बैठ गई. उन्होंने रात की चोकर वाली बासी रोटी मंगवाई, उस पर घर का बना सफेद मक्खन लगाया, कालीमिर्च, कालानमक और भुना हुआ जीरा डाला और चबाचबा कर खाने लगीं.

मेरे मन में सवाल उठा कि ये इतनी अमीर औरत, बहुत बड़ी जमीन की मालकिन, गेहूं के खेत हैं इन के और नाश्ते में रात की बासी रोटी खा रही हैं? चेहरा दमक रहा है, शरीर गठा हुआ है. 60 से ऊपर हैं पर उम्र का असर कहीं दिखता ही नहीं.

वे मेरी ओर देखते हुए कहने लगीं कि खाओ न. देखो, पानी जीरो कैलोरी ड्रिंक है, इसलिए मेरा शरीर कहीं से फूला नहीं है. हमारे गुरदे पानी को फ्लश इन/फ्लश आउट का काम नियमित रूप से करते रहते हैं. इस से टौक्सिंस निकल जाते हैं, जिस से कब्ज नहीं रहता. पेट साफ हो जाता है. यह व्हीट ब्रान की बासी रोटी जिसे तुम घूर रही थीं, इसे न्यूट्रिशनल पावर हाउस यानी पौष्टिकता का पावर हाउस कहते हैं. आजकल जहां देखो व्हीट ब्रान का चलन है. ऐसा इस में होने वाले स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फौलिक ऐसिड और फाइबर की गुणवत्ता के कारण हुआ है. चोकर की ब्रैड, चोकर के बिस्कुट और न जाने क्याक्या बाजार में पेट साफ रखने के लिए मिलते हैं.

वडैच कहने लगीं कि जानती हो, ये जो आजकल लाइफस्टाइल डिजीज, बावैल सिंड्रोम पैदा हो गई है, उस का निदान इस व्हीट ब्रान की रोटी यानी चोकर वाली रोटी के पास है. दरअसल, यह ब्रान/चोकर की रोटी पेट की अंतडि़यों में ल्यूब्रीकैंट का कार्य करते हुए कब्ज को दूर करती है. यह फाइबरयुक्त है इसलिए पेट साफ रहता है.

आज के दौर में व्हीट ब्रान का प्रयोग बहुत जरूरी है, क्योंकि दादीनानी के नुसखे तो यह कहते ही हैं. आज की आधुनिक चिकित्सा पद्धति के डाक्टरों का भी यही मानना है कि कब्ज आधी बीमारियों की जनक है. इस में मौजूद ग्लूटेन पेट में अफारा, गैस व अपच जैसे रोगों को भी बायबाय कहता है.

चोकरयुक्त आटे के फायदे

चंडीगढ़ की डायबिटिक डाइटीशियन ऐंड न्यूट्रिशियनिस्ट डा. हरलीन बख्शी कहती हैं कि यदि 3 मुट्ठी आटे में एक मुट्ठी चोकर डाल कर गूंधा जाए तो इस आटे से बनी चपाती अधिक संतुष्टि देती है. चोकरयुक्त आटे का इस्तेमाल किया जाए, तो यकीनन रोटियां पौष्टिकता देने के साथसाथ वजन भी कम करेंगी और पेट भी साफ रहेगा.

डा. बख्शी आगे कहती हैं कि आजकल बाजार में विज्ञापनों ने भ्रांतियां फैला रखी हैं. यह कोलैस्ट्रौलफ्री फूड है, यह शुगरफ्री चावल है, जैसी बातों से प्रभावित हो कर हम ऐसे फूड को कोलैस्ट्रौलफ्री फूड समझ कर शान से खाते और खिलाते हैं. पर क्या आप ने कभी सोचा है कि हो सकता है कि अमुक फूड कोलैस्ट्रौलफ्री फूड हो, परंतु उस में अन्य सैचुरेटेड फैट हों, जो ब्लड कोलैस्ट्रौल को बढ़ाते हैं. कई बार सैचुरेटेड फैट नहीं होता, परंतु उस में अनसैचुरेटेड औयल्स, फैट्स और शुगर होने के कारण वजन भी बढ़ने लगता है, साथ ही पेट साफ न रहने के लक्षण भी?

जरूरत है तो यह जानने कि कब खाएं, कितना खाएं? यदि डाइबिटिक पेशैंट हैं तो थोड़ेथोड़े अंतराल पर जरूर कुछ खाएं. ऐसा कर के बिना किसी डाइटीशियन की सलाह के भी खुद को फिट रखा जा सकता है. किसी भी चीज की अति हो जाने पर शरीर को नुकसान पहुंचता है. शुरुआत पेट से होती है.

ओट्स से लाभ

डाइटीशियन डा. नीती मुंजाल कहती हैं कि केवल डाइटीशियन ही खानपान की आदतों में सुधार व नियंत्रित जीवनशैली के लिए सलाह नहीं देते आए हैं, कई फूड कंपनियां भी इसी बात को अपने तरीके से कहती आ रही हैं. नतीजा, कई बार तो ग्राहकों के मन में खाद्यपदार्थों के बारे में मिथक पैदा हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ ओट्स के बारे में है.

ओट्स गेहूं की ही एक किस्म है, वैज्ञानिक तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं. ओट्स के सेवन से एलडीएल (खराब) कोलैस्ट्रौल को कम करने में मदद मिलती है, जिस से हृदयरोग की आशंका कम हो जाती है परंतु यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम ओट्स किस रूप में खाते हैं. ओट्स में मौजूद घुलनशील डाइटरी फाइबर पाचनक्रिया को सुचारु रखता है, जिस से भोजन आसानी से पच जाता है. इस से कब्ज की शिकायत नहीं रहती. लेकिन कई लोग केवल यह सोच कर ही ओट्स खाते हैं कि यह संपूर्ण आहार है, जबकि ऐसा नहीं है.

ओट्स में अन्य कोई भी पौष्टिक तत्त्व और खनिजलवण नहीं होता, जो इसे संपूर्ण आहार बना सके. इसलिए यदि नाश्ते में सुबह केवल ओट्स लेती हैं, तो साथ में सूखे फल और ताजा मौसमी फल जैसे, सेब, नाशपाती, आम, स्ट्राबैरी, केला, ब्ल्यूबैरी

इत्यादि अवश्य लें. ऐसा करना पौष्टिकता देने के साथ पेट भी साफ रखेगा.

बावैल मूवमैंट हर व्यक्ति में अलग रहता है. किसी के दिन में 1 बार तो किसी के 2 बार टौयलेट जाने से पेट साफ रहता है. कई बार अधिक तनाव, अनिद्रा, कसरत न करने, दवाओं के सेवन, आर्टिफिशल स्वीटनर के सेवन और फाइबरयुक्त भोजन न खाने से मधुमेह या फिर बढ़ती उम्र के कारण बावैल सिंड्रोम हो सकता है.

अन्य उपाय

किसी भी दवा का सेवन शुरू करने से पहले यदि आप चाहें तो प्रतिदिन सुबह 1 गिलास गरम पानी सेंधा नमक या साधारण नमक डाल कर पिएं. पेट साफ होगा. ऐसा करने से हो सकता है कि कब्ज तो दूर होगी ही, कुछ हैल्पफुल बैक्टीरिया भी बाहर निकल जाएं. इस की पूर्ति के लिए थोड़ी देर बाद 1 कटोरी सादा दही का सेवन अवश्य कर लें.

पानी की कमी के कारण भी कई बार ऐसा होता है. इसलिए यदि अच्छा गरम वैज सूप पिया जाए तो बावैल सिंड्रोम में काफी राहत मिलती है. किसी ऐक्युपै्रशर स्पैशलिस्ट से भी संपर्क किया जा सकता है, जो सही प्रैशर पौइंट्स पर आप को प्रैशर डालने की तकनीक सिखा सकता है.

‘‘यदि आप के पास समय हो तो सुबह उठते ही सीधी लेट जाएं. फिर एक तौलिया ठंडे पानी में भिगो कर पेट पर रखें. उस के ऊपर गरम शौल लपेट लें. 10 मिनट के बाद ठंडा तौलिया हटा कर उस के स्थान पर गरम पानी में भीगा निचोड़ा तौलिया पेट पर रख कर उस के ऊपर शौल लपेट कर 10-15 मिनट लेटें. यह प्रक्रिया हो सके तो 2-3 बार शुरूशुरू में करें. आप देखेंगे बहुत जल्द ही आप के बावैल सिंड्रोम व बावैल मूवमैंट में फर्क पड़ेगा,’’ कहती हैं डा. आशा महेश्वरी. उन के अनुसार सर्दगरम पेट की पट्टी, हलकीफुलकी कसरत और धनियापुदीना चटनी के सेवन से भी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

डा. आशा महेश्वरी कहती हैं कि सुनीसुनाई बातों पर न जा कर तथ्यों को जानें. सब से अहम बात है अपनेआप को, अपनी शारीरिक जरूरतों को पहचानें. आप को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि जिस प्राकृतिक रूप से तैयार अनाज व सब्जी को आप अपने भोजन में शामिल करने वाली हैं क्या उस में जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, थियामाइन, राइबोफ्लेविन फोलेट, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर मौजूद है? आप स्वस्थ व प्रसन्न रह सकें, इस के लिए यह जानना बेहद जरूरी है.

Festival special: दिवाली पकवान खा कर भी रहें फिट

रोशनी और उल्लास से भरा दिवाली का त्यौहार भी नजदीक आ रहा है. एक ऐसा त्यौहार जिसमें मिठाईयों और नमकीन की भरमार होती है. जो कि सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. लेकिन अगर आपने अपना और अपने परिवार का थोड़ा ध्यान रखा, तो ये रोशनी का त्यौहार आपके लिए काफी खुशियां ला सकता है. जानिए इस रोशनी के त्योहार में कैसे रखें अपनी सेहत को ठीक.

कम मात्रा में ले चीना और वसा

इस सीजन में में सबसे ज्यादा मिठाईयां खाते है. जिसे मार्केट में खरीदने पर भरपूर मात्रा में वसा और चीनी का इस्तेमाल होता है. इसलिए कोशिश करें कि मिठाईयां घर पर ही बनाएं. इसके साथ ही कम मात्रा में घी, तेल का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो शुगर फ्री भी उपयोग कर सकते हैं या शहद का प्रयोग कर सकते हैं. अगर मीठी डिश में मिठाइयों की जगह फ्रूट्स लें. कोल्ड ड्रिंक्स के जगह पर नींबू पानी, नारियल पानी या अन्य फ्रूट्स जूस आदि नेचुरल ड्रिंक्स लें.

कम से कम खाएं

त्यौहारों के मौसम में हम खाने के मामले में सबसे आगे होते है. ये भी भूल जाते है कि इससे हमारी सेहत में बुरा प्रभाव पड़ता है. यहां तक कि हम अपनी डाइट चार्ट को यह कह कर भूल जाते हैं कि त्योहार एक-दो दिन का ही तो होता है. जिसके कारण हमारे शरीर में भरपूर मात्रा में कैलोरीज चली जाती हैं. दिवाली के मौके में हम भरपूर मात्रा में मिठाई, चॉकलेट और पकवान खाते हैं. जो कि वजन बढ़ने का एक कारण बन सकता है. इसलिए इस मौसम में खाना को नियंत्रित करके ही खाएं.

ज्यादा से ज्यादा लें प्रोटीन

इस मौसम में हम सबसे ज्यादा कैलोरी वाली चीजें खाते है. सभी डेयरी प्रोडक्ट में भरपूर मात्रा में कैलोरी होता है. इसलि इनकी जगह प्रोटीन वाली चीजें खाने की कोशिश करें. जैसे कि ड्राई फ्रूट्स में बादाम, अंजीर आदि. या फिर आप ब्राउन राइस, रागी, सूप के पैकेट आदि मिलाकर बना सकते है. यह आपकी सेहत के लिए एक गिफ्ट होगा.

यूरिया साफ करें

यूरिया शरीर के लिए विषाक्त होता है, तो शरीर में अतिरिक्त यूरिया होने से ऊर्जा का ह्रास होगा. और शरीर में ऊर्जा का निम्न स्तर, चीनी की लालसा को बढ़ाता है. तो इस त्यौहार के दौरान अधिक से अधिक पान पियें और अन्य पौष्टिक पेय जैसे, जूस नींबू पानी आदि पीते रहें.

अगर हो प्री-दिवाली पार्टी

अगर आपकी दिवाली की रात को बाहर पार्टी का प्लान है, तो थोड़ा सचेत रहें. घर से निकलने से पहले पौष्टिक सा आहार ले लें. इससे न सिर्फ आप अनावश्यक और हानिकारक खाद्य पदार्थ खाने से बचेंगे बल्कि, एल्कोहॉल के अतिरिक्त सेवन से भी बचेंगे.

न होने दें पानी की कमी

त्योहार के सीजन में काम अधिक होने जाने के कारण भागदौड़ करना पड़ता है. जिसके कारण हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जिससे शरीर में एनर्जी और थकान सी महसूस होने लगती है. इसलिए काम के साथ-साथ समय निकाल पानी पीतें रहें.

करें छोटी प्लेट का इस्तेमाल

कई बार होता है कि हम बड़ी प्लेट लेकर खाना लगते है. जिसके कारण हम अधिक खाना खा लेते है. इसलिए जहां तक संभव हो तो छोटे बर्तनों का इस्तेमाल करें. साथ ही दुबारा खाना खाने से बचें.

एक्सरसाइज

भाग-दौड़ में हम अपनी रूटीन को भूल ही जाते हैं. इसलिए साथ में एक्सरसाइज जरूर करते रहें. नहीं तो आपको थकावट और अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

Festival Special: नए अंदाज में बनाएं ब्रेड उत्तपम

Festival  मे अकसर कुछ ऐसा खाने को जी चाहता है, जो टेस्टी होने के साथ हेल्दी भी हो. ऐसे में आप ये रेसिपी ट्राई कर सकती हैं.

सामग्री :

– 6 स्लाइस ब्रेड

– 4 टेबलस्पून सूजी

– 1 टेबल स्पून मैदा

– 2 टेबलस्पून दही

– 1 कटोरी बारीक कटी प्याज

– टमाटर और शिमला मिर्च (बारीक कटा)

बारीक कटा हरा धनिया और हरी मिर्च

– 2 टेबलस्पून कुकिंग औयल

– नमक (स्वादानुसार)

विधि :

– ब्रेड के किनारों को चाकू की सहायता से काटकर अलग कर लें.

– किसी गहरे बर्तन में ब्रेड, मैदा, सूजी, नमक, दही और ज़रूरत भर पानी मिलाकर पेस्ट तैयार करें.

– ध्यान रहे कि यह घोल न तो बहुत गाढ़ा या ही अधिक पतला हो.

– नौन स्टिक तवे पर चारों ओर रिफाइंड औयल लगाकर घोल को अच्छी तरह फैलाएं.

– अब दोनों तरफ से सेंक लें.

आप इसे अपने मनपसंद चटनी या सौस के साथ गर्मागर्म सर्व करें.

Festival Special: इस दीवाली करें घर को जर्म फ्री

क्या आप प्रतिदिन खुद के नहाने, घर में झाड़ूपोंछा करने और बरतनों व कपड़ों की सफाई को ही घर का रोगाणुरहित होना मानती हैं? अगर हां तो आप गलत हैं. कभी आप ने सोचा है कि ऐसा करने के बावजूद आप या घर के दूसरे सदस्य बारबार बीमार क्यों पड़ते हैं? उदाहरण के लिए आप नहाने की ही बात करें तो क्या जिस बालटी व मग का प्रयोग आप नहाने के लिए करती हैं या शावर से नहाती हैं उसे प्रतिदिन ऐंटीसेप्टिक लोशन से साफ किया जाता है? यहां भी बैक्टीरिया पनपते हैं.

यद्यपि बढ़ते प्रदूषण और बदलते लाइफस्टाइल के चलते घर को जर्म फ्री रखना किसी चुनौती से कम नहीं है और फिर वातावरण को पूरी तरह से नहीं बदला जा सकता पर फिर भी घर व घर के सदस्यों का थोड़ीबहुत सूझबूझ व थोड़ा सा ज्यादा समय लगा कर बचाव तो किया ही जा सकता है. रोगाणुरहित बनना है तो शारीरिक हाइजीन, पर्सनल हाइजीन व घर के हाइजीन के बारे में जानना ही होगा.

घर को बनाएं जर्म फ्री

घर की बात करें तो लिविंगरूम या ड्राइंगरूम, बैडरूम, किचन और बाथरूम का जिक्र अनिवार्य है. यहां पर ही पनपते हैं जर्म्स और इन के संपर्क में आने से हम हो जाते हैं बीमार.

लिविंगरूम/ड्राइंगरूम

इस जगह का प्रयोग घर के सदस्यों के द्वारा सर्वाधिक किया जाता है. यहां की खिड़कियां, दरवाजे अकसर लोग बंद रखते हैं ताकि धूल अंदर न आए. पर ऐसा होता नहीं है. कुशन कवर, सोफे की गद्दियों, सैंटर टेबल, डाइनिंग टेबल कवर पर धूल जम ही जाती है, जो हमें दिखाई नहीं देती. कालीन तो सब से अधिक धूल अब्जौर्ब करता है. इसी तरह परदों पर भी धूल इकट्ठा होती रहती है. आप भले ही कितनी डस्टिंग करें धूल पुन: उड़ कर आ जाएगी और इसी से उपजते हैं बैक्टीरिया. पंखे, स्विचबोर्ड आदि पर भी धूल की परत साफ देखी जा सकती है.

रोकथाम

  1.  सब से अधिक जरूरी यह है कि ड्राइंगरूम की खिड़कियों को कुछ देर खुला रखें ताकि ताजा हवा का सर्कुलेशन अच्छी तरह हो.
  2.  वैज्ञानिकों का कहना है कि कमरे में इनडोर प्लांट्स रखें, जो वायु क्वालिटी को बढ़ाते हैं और टौक्सिन को अब्जार्ब कर लेते हैं. इनडोर प्लांट्स में मनी प्लांट सब से अधिक उपयुक्त हैं.
  3.  कारपेट बिछाया है तो उसे सप्ताह में एक बार अवश्य वैक्यूम क्लीनर से साफ करें व 1 या 2 महीने बाद ड्राईक्लीन करवाएं. या फिर 1 महीने बाद धूप अवश्य दिखाएं.
  4.  कुशन कवर, टेबल कवर आदि को 10 दिनों बाद अवश्य धोएं.
  5.  परदों को हर महीने धोएं और अच्छा हो यदि सूती परदों का इस्तेमाल करें.
  6.  लकड़ी के फर्नीचर को प्रतिदिन पहले गीले कपड़े से और फिर सूखे से पोछें. हर चौथे महीने वार्निश करवाएं.
  7.  सजावटी सामान को भी प्रतिदिन ऐंटीसैप्टिक लोशन लगा कर कपड़े से पोंछें.
  8.  एअरकंडीशन की जाली को सप्ताह में 1 बार अवश्य धोएं. पंखों की सफाई सप्ताह में 1 बार जरूर करें.
  9.  फर्श की रोज सफाई करें. इस के लिए पानी में थोड़ा सा डिसइन्फैक्टैंट क्लीनर अवश्य डालें.
  10.  मेनडोर पर धूलमिट्टी सोखने वाला डोरमैट लगाएं. इस से घर में बाहर से आने वाली डस्ट से बचा जा सकता है.
  11.  सप्ताह में कम से कम 2 बार घर की खिड़कियों को अच्छी तरह साफ करें. अंदर वाले हिस्सों को लंबाई में व बाहर वालों को चौड़ाई में साफ करें. ऐसा करने पर अगर दागधब्बा न छूटा हो तो यह पता चल जाता है.
  12.  स्विचबोर्ड, खिड़कियों के हैंडल आदि को डिसइन्फैक्टैंट कपड़े से प्रतिदिन साफ करें, क्योंकि दिन में कितनी ही बार हमारे हाथ इन चीजों के संपर्क में आते हैं. अत: इन का साफसुथरा रहना बहुत जरूरी है.

बैडरूम

बैडरूम में धूल के कणों से उपजे कीटाणु गद्दों और तकियों में अपनी जगह बनाते हैं. इन्हीं में ये अपना भोजन लेते हैं. डा. फिलिप टियरनो ने अपनी पुस्तक ‘द सीक्रेट लाइफ औफ जर्म्स’ में लिखा है कि बिस्तर पर पसीना और वीर्य के अलावा कुछ और पदार्थ भी गिरते रहते हैं, जिन से बैक्टीरिया पनपते हैं.

दिल्ली के अपोलो अस्पताल ईएनटी स्पैशलिस्ट डा. कविता नागपाल का भी यह मानना है कि त्वचा संबंधी रोगों व ऐलर्जी होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया ही है.

रोकथाम

  1.  तकियों और गद्दों पर कवर चढ़ाएं. हर महीने गद्दों को पलट दें. महीने में 1 बार धूप दिखाएं.
  2.  तकियों व गद्दों के कवरों को सप्ताह में 1 बार गरम पानी से धोएं ताकि कीटाणु नष्ट हो सकें.
  3.  ध्यान रहे, एक तकिए की उम्र 3 से 5 साल होती है. इंटरनैशनल कंज्यूमर हाइजीन सर्वे के अनुसार 5 साल में 1 तकिए में 10% धूल जमा हो जाती है. अत: 5 साल बाद उसे जरूर बदल देना चाहिए.
  4.  पिलो कवर, चादर व बैड कवर को हर हफ्ते बदलें.
  5.  ओढ़ने वाली चादरों को भी सप्ताह में 1 बार धोएं. कंबल को भी सप्ताह में 1 बार वैक्यूम क्लीनर से साफ करें और 1 महीने बाद ड्राइक्लीन करवाएं अथवा उस पर भी कवर चढ़ा कर रखें और उसे नियमित धोएं.

बाथरूम

बाथरूम एरिया में टौयलेट सीट, वाशबेसिन, शावर, कर्टेन, शावर हैड, बालटी, मग, डोर हैंडल, फ्लश हैंडल, शीशा, स्विचबोर्ड आदि पर बैक्टीरिया बहुत ज्यादा पाए जाते हैं और सही वातावरण मिलने पर कुछ ही समय में दोगुने हो जाते हैं.

उपचार

  1.  नहाने की प्लास्टिक की बालटी, मग को प्रतिदिन थोड़े से साबुन से अवश्य साफ करें, बाद में 2 बूंदें ऐंटीसेप्टिक लोशन डाल कर रिंस करें.
  2.  नहाने के बाद बाथरूम को वाइपर से साफ करें और ऐक्जौस्ट व पंखा चला दें ताकि बाथरूम गीला न रहे.
  3.  नहाने के लिए बाथटब है तो सप्ताह में 3 बार उस का पानी हटा कर ऐंटीसेप्टिक लोशन डाल कर साफ करें.
  4.  तौलिए को प्रतिदिन गरम पानी से धोएं.
  5.  प्रतिदिन थोड़ी देर बाथरूम की खिड़कियां खुली रखें ताकि ताजा हवा व धूप की किरणें अंदर आ सकें.
  6.  जूते, चप्पलों को शू रैक में रखें, बैडरूम में न रखें.
  7.  बैडरूम में रखी अलमारियों को सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें.
  8.  बच्चों के सौफ्ट टौयज को 10-15 दिन में साफ करें. उन्हें तकिए के कवर में बंद कर वाशिंग मशीन में धो लें.
  9.  सप्ताह में 3 बार फ्लश हैंडल, टौयलेट सीट, डोर हैंडल लाइट स्विच आदि को ऐंटीसैप्टिक वाइप्स से अवश्य पोंछें.
  10.  शावर हैड्स पर कीटाणु बहुत जल्दी पनपते हैं. अत: यदि कम प्रयोग में आता हो तो 2 मिनट हौट सैटिंग पर पानी के साथ चलाएं ताकि कीटाणु मर जाएं.
  11.  बाथरूम की नाली में कूड़ा पड़ा न रहने दें. नाली को साफ कर 2 कप सिरका डालें. सिरका लगभग 99% बैक्टीरिया को समाप्त कर देता है.

किचन

एरिजोना विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने किचन में बरतन साफ करने वाले स्पंज, बरतनों को पोंछने वाले कपड़े और सिंक में सब से ज्यादा कीटाणु पाए. इस के अलावा कूड़ेदान, रैफ्रीजरेटर, डिश रैक आदि पर भी. हम सोचते हैं कि हमारे बरतन साफ हैं, पोंछने वाला कपड़ा साफ है पर यह सही नहीं है. रोगाणुरहित बनना है तो किचन की भी सफाई ठीक प्रकार से होनी चाहिए.

उपचार

  1.  किचन स्लैब व गैस चूल्हे को पहले साबुन वाले स्पंज से साफ करें फिर 2 बार दूसरे कपड़े से ताकि वर्किंग स्पेस साफसुथरी रहे.
  2.  किचन सिंक को हमेशा साफ रखें. बरतन धोने से पहले व उस के बाद उसे विम पाउडर से साफ करें और काम के बाद पोंछ दें.
  3.  किचन सिंक को जर्म फ्री बनाने के लिए एकचौथाई कप सिरके में समभाग पानी मिलाएं और सिंक में फैला दें. थोड़ी देर बाद साफ करें.
  4.  बरतन पोंछने के लिए डस्टर, हाथ पोंछने के लिए तौलिए और स्लैब पोंछने के लिए नेपकिंस अलग रखें. प्रतिदिन सुबहशाम अलग धुला नैपकिन प्रयोग में लाएं.
  5.  बरतन धोने वाले स्क्रब को काम करने के बाद ऐंटीसैप्टिक लोशन से रिंस कर के सुखा लें. विप को भी ढक कर रखें.
  6.  किचन ऐक्जौस्ट फैन, कैबिनेट हैंडल, चिमनी आदि को भी सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें.
  7.  फ्रिज को भी सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें. इस के लिए मैडिकेटेड डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें.
  8.  किचन की खिड़कियां व जालियों को साफ करने के लिए एकतिहाई कप सिरके में एकचौथाई कप अल्कोहल मिलाएं और मिश्रण से खिड़कियां व जालियां साफ करें.
  9.  माइक्रोवेव ओवन, आदि को भी सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें.
  10.  किचन के डस्टबिन में सूखा विम पाउडर और सिरका डाल कर सप्ताह में 1 बार रगड़ें और धो कर सुखाएं. कचरा डालने से पहले उस में डस्टबिन वाला थैला अवश्य लगाएं.
  11.  किचन की नालियों को साफ रखें. उन में कूड़ाकचरा न रहने दें ताकि बैक्टीरिया न पनपें.
  12.  सब्जी काटने वाले बोर्ड की भी सफाई करें, क्योंकि सब से अधिक बैक्टीरिया यहीं पनपते हैं. वैज और नौनवैज काटने के लिए अलगअलग चौपिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें.

अन्य सावधानियां

  1.  वाशिंग मशीन में भी बैक्टीरिया बहुत जल्दी पनपते हैं. अत: कपड़े धोने के बाद वाशर ड्रम को डिसइन्फैक्टैंट से पोंछें.
  2.  ऐसे आइटम्स जो ज्यादा प्रयोग में आते हैं जैसे रिमोट कंट्रोल, टैलीफोन रिसीवर, फ्रिज का हैंडल, मोबाइल, डोर की बैल आदि को प्रतिदिन ऐंटीबैक्टीरियल वाइप्स से पोंछें.
  3.  मोबाइल, कंप्यूटर की बोर्ड को तो दिन में 4-5 बार साफ करें.

बौडी हाइजीन

सिर्फ घर को साफसुथरा रखने से ही काम नहीं चलता स्वयं की सफाई भी आवश्यक है. शारीरिक हाइजीन में हाथों की अहम भूमिका है. यह बात कम लोग ही जानते हैं कि घरों में संक्रमण फैलाने में हाथ सब से अधिक जिम्मेदार होते हैं. उस के बाद नाखूनों की, बालों की व शरीर के अन्य अंगों की सफाई.

उपचार

बाहर से आने के तुरंत बाद, खांसनेछींकने के बाद, टौयलेट से आने के बाद, पालतू जानवर को छूने के बाद, बच्चों को खिलाने और खुद खाना खाने से पहले हाथ अवश्य धो लें.

हाथ धोने के लिए मैडिकेटेड लिक्विड सोप सब से अधिक उपयुक्त रहता है.

नहाने के पानी में कुछ बूंदें ऐंटीबैक्टीरियल लोशन अवश्य डालें.

पसीना ज्यादा आता हो तो अंडरआर्म्स की सफाई पर पूरा ध्यान दें. प्यूबिक एरिया के बालों की सफाई भी समयसमय पर करें.

नहाने के लिए अपना सोप अलग रखें. नाखूनों को समयसमय पर जरूर काटें. गंदे नाखूनों से भी अस्वस्थ होने की संभावना ज्यादा रहती है.

पर्सनल हाइजीन

  1.  हमेशा साफ कपड़े पहनें, जो सिर्फ धुले ही नहीं वरन संक्रमण रहित भी हों.
  2.  दूसरे का तौलिया, कपड़े, चश्मा, कंघा, लिपस्टिक आदि प्रयोग न करें.
  3.  मेकअप किट में भी जर्म्स पाए जाते हैं. अत: मेकअप ब्रश, पफ, आईब्रो पैंसिल आदि को भी प्रयोग में लाने से पहले ऐंटीसैप्टिक वाइप्स से पोंछ लें.
  4.  महिलाओं के पर्स के हैंडल में उतने ही जर्म्स पाए जाते हैं जितने एक टौयलेट सीट पर. यह बात हाल ही में हुए सर्वे में पता चली. अत: अपने पर्स की भी नियमित सफाई करती रहें.

Festival Special: Acidity दूर भगाने के 10 हर्बल उपचार

लाजबाव, स्‍वादिष्‍ट भोजन करने के बाद अक्‍सर आपको गैस और एसिडिटी की समस्‍या हो जाती है. पेट में गुड़गुड़ होती रहती है, हल्‍का सा दर्द होता है और गैस बनती है जिसकी वजह से किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता है.

दुनिया भर के लोगों को इस समस्‍या से कभी न कभी दो चार होना पड़ता है. अगर आपका भी चटपटे और तला भोजन को खाने के बाद यही हाल होता है तो यहां हम आपको कुछेक आयुर्वेदिक टिप्‍स बता रहे हैं जो पेट की जलन को शांत करके, एसिडिटी को भी दूर भगा देते हैं.

1. आजवाइन: दो चम्‍मच आजवाइन लें और उसे एक कप पानी में उबाल लें. इस पानी को आधा होने तक उबालें और बाद में छानकर पी जाएं. पेट में होने वाली गड़बड़ सही हो जाएगी.

2. आंवला: सूखा हुआ आंवला, यूं ही चबा लें. इससे पेट दर्द में आराम मिलता है. सूखा हुआ आवंला, बाजार में उपलब्‍ध होता है. आप चाहें तो इसे आंवलें के सीज़न में घर पर भी उबालकर धूप में सुखाकर इस्‍तेमाल कर सकती है.

3. लौंग: लौंग से पाचनक्रिया दुरूस्‍त बनी रहती है. लौंग का सेवन करके पानी पी लें. इससे राहत मिलेगी.

4. काली मिर्च: काली मिर्च, पेट में होने वाली ऐंठन व गैस की समस्‍या को दूर कर देती है. छाछ के साथ काली मिर्च का सेवन करने पर फायदा होता है. काली मिर्च के पाउडर को छाछ में डालकर पी जाएं.

5. अदरक: अदरक में पाचन क्रिया दुरूस्‍त करने के गुण होते हैं. अदरक को कच्‍चा खाने या चाय में डालकर पीने से पेट की जलन में आराम मिलती है. आप चाहें तो अदरक की जगह सोंठ का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

6. तुलसी: तुलसी में बहुत सारे हर्बल गुण होते हैं. इसकी चार पत्तियां खाने से पेट में एसिडिटी की समस्‍या नहीं रहती है.

7. जीरा: जीरा, पेट दर्द और गैस का तुंरत उपचार करने के लिए सबसे अच्‍छा माना जाता है. काले नमक के साथ इसका सेवन लाभकारी होता है.

8. आर्टिचोक का पत्‍ता: आर्टिचोक के पत्‍ते को कच्‍चा ही चबा जाने से पेट में एसिडिटी की समस्‍या दूर हो जाती है. साथ ही कब्‍ज भी नहीं होता है.

9. कैमोमाइल: कैमोमाइल टी, पाचन क्रिया के लिए अच्‍छी मानी जाती है. इसे बनाकर पीने से जलन, पेट दर्द और एसिडिटी की समस्‍या दूर हो जाती है.

10. हल्‍दी: हल्‍दी को दही में मिलाकर सेवन करें, इससे पेट दर्द और ऐंठन व एसिडिटी में राहत मिलती है.

Festival Special: इस त्योहार सजे घरसंसार

फैस्टिव सीजन में हर कोई अपना घर खूबसूरत सजावट और रोशनी से गुलजार करना चाहता है. लेकिन डैकोर के सही तरीकों व तकनीकों के बिना घर की सजावट अधूरी ही रहती है. ऐसे में इस त्योहार पर अपने आशियाने में कैसे लगाएं चारचांद, बता रहे हैं राजेश कुमार.

घर की सजावट से जुड़ी 3 चीजें अहम हैं. आप की पसंद, घर का साइज और आप का बजट. मार्केट में ऐसे औप्शंस की कमी नहीं है जो आप को कन्फ्यूज कर देंगे. जरूरी नहीं है घर की सजावट में सिर्फ नई चीजें ही इस्तेमाल की जाएं, कुछ पुरानी और विंटेज कलैक्शन टाइप चीजें भी आप के घर को एकदम नया लुक दे सकती हैं. दीवाली के मौके पर सजावट के लिए जरूरी सामान की बात करें तो इस में कैंडल्स, फल, दीए, बंदनवार, रंगोली, लाइटिंग, मोटिफ्स, फ्लोटिंग कैंडल्स के अलावा घर के इंटीरियर के लिए रंगीन कुशंस, परदे, प्लांट्स और रंगबिरंगी इलैक्ट्रिक ?ालरें प्रमुख तौर पर काम आती हैं. इन के इर्दगिर्द ही घर की सारी साजसज्जा सिमटती है.

रोशनी से गुलजार आशियाना

दीवाली में सजावट की सब से अहम चीज है रोशनी. चूंकि यह त्योहार ही रोशनी का है इसलिए इस दिन दीप, कैंडल्स और इलैक्ट्रिक लाइट्स वगैरह हर घरमें जगमगाहट भरती हैं. लाइटिंग काफी महत्त्वपूर्ण है, ध्यान रखें कि यह खूबसूरत तो हो लेकिन भारीभरकम रंगों व चुभने वाले प्रकाश वाली न हों. बैडरूम घर का मुख्य भाग होता है, वहां सफेद रोशनी ही करें. इस से आप रिलैक्स फील करेंगे.

घर के किसी कोने को उभारने के लिए ट्रैक लाइट जबकि स्टाइलिश लुक के लिए फेयरी लाइट्स का विकल्प ठीक होता है. इस के अलावा घर के हर कोने में रोज जलने वाले दीए मिट्टी के बने हों और उन पर कुछ पेंट या ड्राइंग कर उन्हें नया लुक दें. दीए के साथसाथ कैंडल की जगमगाहट भी जरूरी है. इसलिए कई रंगों और डिजाइंस की कैंडल्स प्रयोग में लाएं, घर जगमगा उठेगा. लडि़यों और दीयों का कौंबिनेशन भी बनाया जा सकता है. इस का इफैक्ट अच्छा लगता है.

घर का बदलें इंटीरियर

दीवाली पर घर सिर्फ पेंट करने से ही नहीं चमकता. आप घर की दीवारों को कई तरह के वाल पेपर्स और सीनरी के जरिए भी नया लुक दे सकते हैं. फर्नीचर के साथ भी कई क्रिएटिव ऐक्सपैरीमैंट कर सकते हैं. मसलन, ऐंटीक लुक का फर्नीचर आजमाएं. कोई कलर थीम चुन लें और फिर उसी के अनुसार घर की साजसज्जा करें. मैचिंग का विशेष ध्यान रखें. नक्काशीदार सामान के जरिए भी घर को डिफरैंट लुक दे सकते हैं. कुछ और तरीके भी अपनाए जा सकते हैं, मसलन, घर के पायदान बदल कर नए लगाएं, सोफों के कुशन कवर बदलें, फर्नीचर को रिअरेंज करें, घर के इनडोर प्लांट्स के गमले पेंट करें, परदों का कौंबिनेशन और कलर थीम बदलें, किचन को मौड्यूलर अंदाज में सजाएं.

फूलों से सजेमहके घर

रंग और रोशनी के अलावा फूल डैकोरेशन में नया आकर्षण जोड़ते हैं. दीए तो रात में ही जगमगाते हैं जबकि फूल तो घर को दिनरात सजाते व महकाते रहते हैं. फूलों को घर में कई तरह से सजाया जा सकता है. पानी के टब से ले कर थाली तक, फूल अपने रंग और खुशबू से घर का कोनाकोना महका देते हैं. स्टील के प्लैटर के किनारे पर ताजा फूल रखें और फिर मिठाइयां सजा दें या फिर बेंत की टोकरी ले कर उस में नीचे फूल सजा कर, अलगअलग तरह की ढेर सारी चौकलेट्स भर कर मेज पर रख सकते हैं.

किसी पानी भरे गुलदान में किनारों पर ही फूल या पंखडि़यां बिछा कर बीचोंबीच पानी पर तैरते दीए या कैंडल रखने से रोशनी, रंग और खुशबू से आप का आशियाना अलग ही रंगत में रोशन होगा. हां, सजाने से पहले फूलों को ताजा बनाए रखने के लिए फूलों की डंडियों को किसी गहरे बरतन में पानी में डुबो कर रखें, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा पानी सोख सकें. जब आप इन की डंडियों को अरेंजमैंट के लिए काटेंगी तो इन का नीचे से जल्दी सूखना शुरू हो जाएगा.

पुराने कांच के डिजाइनर गिलासों, पौट या होल्डर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. फूलों की सजावट के लिए रचनात्मकता और थोड़े से तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है. सजावट के बाद फूलों की नमी बनाए रखने के लिए उन पर पानी छिड़कते रहें.

रंग, रंगोली और शौपिंग

बिना रंगोली के दीवाली की हर सजावट अधूरी है. आमतौर पर रंगोली बनाने में कलई का सफेद रंग, गेरू का लाल रंग, पीली मिट्टी का पीला रंग व कई रंगबिरंगे गुलाल उपयोग में ला सकते हैं. आजकल बाजार में मिलने वाली रैडीमेड रंगोलियां भी इस्तेमाल की जा सकती हैं. मुख्यद्वार या फर्श का एक छोटा हिस्सा इस्तेमाल करें और गीली चौक से रंगोली का आकार बनाएं. इस के बाद गुलाल के विभिन्न रंगों व चावलों से उसे सजाएं. चावलों को कई रंगों में रंग कर भी रंगोली बना सकते हैं. समतल रंगोली बनाएं, स्थान को अच्छी तरह धो कर सुखा लें. अगर आप को रंगोली बनानी नहीं आती तो कोई बात नहीं, मार्केट में डिजाइनर खांचे मौजूद हैं.

रही बात खरीदारी की, तो शौपिंग लोकल मार्केट के बजाय थोक बाजारों से करें. इन जगहों से सस्ता और वैरायटी वाला सामान मिलेगा. सजावटी कैंडल्स जहां 50 से 350 रुपए के बीच मिलती हैं वहीं रंगोली के पैटर्न स्टिकर्स आप को महज 15 से 20 रुपए में मिल जाएंगे. इस के अलावा सजावट की लरें और कैंडल भी 50 रुपए से शुरू हो कर 800 रुपए तक में मिल जाएंगी. दीवारों पर लगाने के लिए चाइनीज 3डी पेंटिंग्स भी 40 रुपए से ले कर 500 रुपए तक में खरीदी जा सकती हैं.

कुल मिला कर इस दीवाली पर आप अपने घर को बिना किसी इंटीरियर डिजाइनर की मदद के भी रंग, रोशनी, और फूलों से न सिर्फ महका व सजा सकते हैं बल्कि इस त्योहार को सजावट के खास अंदाज से कुछ अलग और यादगार भी

Festival Special: ऐसे करें नकली मिठाई की पहचान

अभी भी त्योहार का मजा मिठाइयों से ही आता है. केवल खुद खाने में ही नहीं, फैस्टिवल में मिठाइयां उपहार में भी देने का रिवाज है. दशहरा से ले कर दीवाली तक मिठाइयों की खरीदारी सब से अधिक होती है. इन की दुकानों के आगे लगी भीड़ इस बात की गवाह होती है कि लोग फैस्टिवल सीजन में कितनी मिठाई खरीदते हैं. मगर मिठाई की बढ़ी हुई खपत को पूरा करने और ज्यादा मुनाफे के लिए फैस्टिव सीजन में नकली मिठाई बनाने का काम बढ़ जाता है. मिठाई में सब से ज्यादा खोया ही नकली यानी मिलावटी होता है. इस के अलावा मिठाई में डाला जाने वाला रंग भी नकली होता है. बेसन और बूंदी से तैयार होने वाले लड्डू और बालू शाही तक मिलावटी हो जाती हैं.

यही वजह है कि अब मिठाई कम खरीदी जा रही है. अब ज्यादातर लोग ड्राईफ्रूट्स, चौकलेट और मेवे से तैयार मिठाई उपहार में देने लगे हैं. यह महंगी होने के बावजूद लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है.

मिलावट की वजह से फैस्टिवल में मिठाई का मजा किरकिरा न हो ऐसे में उसे खाने से पहले उस की जांच कर लेनी जरूरी होती है. अब यह जांच आप खुद भी कर सकते हैं, जिस से सेहत को नुकसान नहीं होता है.

1. कैसे बनता है नकली खोया

1 किलोग्राम दूध से सिर्फ 200 ग्राम खोया ही निकलता है. इस से खोया बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. अत: ज्यादा लाभ के लिए मिलावटी खोया बनाया जाता है. इसे बनाने में शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है. आलू का प्रयोग सब से ज्यादा होता है.

नकली खोए से बनने वाली मिठाई जल्दी खराब हो जाती है. इस के अलावा नकली खोया बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि खोए का वजन बढ़ जाए. इस के अलावा खोए का वजन बढ़ाने के लिए उस में आटा भी मिलाया जाता है.

नकली खोया असली खोए की तरह दिखे इस के लिए उस में कैमिकल भी मिलाया जाता है. कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिला कर खोया तैयार करते हैं. इस के लिए सिंथैटिक दूध का प्रयोग किया जाता है. फैस्टिवल से पहले बाजार में सिंथैटिक दूध का भी आतंक बढ़ जाता है.

सिंथैटिक दूध बनाने के लिए सब से पहले उस में यूरिया डाल कर उसे हलकी आंच पर उबाला जाता है. उस के बाद उस में कपड़े धोने वाला डिटर्जैंट, सोडा स्टार्च, वाशिंग पाउडर आदि मिलाया जाता है. उस के बाद थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है. इस दूध से तैयार होने वाला खोया सब से खराब होता है.

2. शरीर को नुकसान देती मिलावटी मिठाई

मिलावटी खोए और सिंथैटिक दूध से फूड पौइजनिंग हो सकती है. इस से उलटी और दस्त की शिकायत भी हो सकती है. ये किडनी और लिवर पर भी बहुत असर डालते हैं. इन से स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है. अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाई खाने से लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है. लिवर का साइज बढ़ जाता है. इस से कैंसर तक का खतरा हो सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि खाने से पहले असली दूध और नकली दूध में फर्क करना समझ लें. इस के लिए थोड़ा सजग रह कर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते हैं.

सिंथैटिक दूध से साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कोई खास गंध नहीं आती. असली दूध का स्वाद हलका मीठा होता है जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जैंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है.

इस के साथ ही साथ असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है. अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो यह हलके पीले रंग का ही होता है. वहीं अगर सिंथैटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो यह गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है. अगर असली दूध को उबालें तो उस का रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है. असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होगी. मिलावट का यह महाजाल त्योहारों के मौसम में खासतौर से रचा जाता है. इस में मिठाई, मावा, दूध, पनीर और घी के तो पूरे पैसे लिए जाते हैं, लेकिन इस के बदले मिलती बीमारियां हैं.

3. आसान है असली-नकली की पहचान

दूध में मिलावट की पहचान करना आसान है. थोड़े से दूध में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं. अगर उस में झाग आए तो समझ लें कि इस में डिटर्जैंट की मिलावट है. सिंथैटिक दूध की पहचान करने के लिए दूध को हथेलियों के बीच रगड़ें. अगर साबुन जैसा लगे तो दूध सिंथैटिक हो सकता है. सिंथैटिक दूध गरम करने पर हलका पीला हो जाता है.

ऐेसे ही मिलावटी खोए की पहचान के लिए फिल्टर पर आयोडीन की 2-3 बूंदें डालें. अगर वह काला पड़ जाए तो समझ लें कि मिलावटी है. खोया अगर दानेदार है तो वह मिलावटी हो सकता है. इस की पहचान के लिए उंगलियों के बीच उसे मसलें. दाने जैसे लगें तो खोया मिलावटी है.

मिलावटी घी की पहचान के लिए उस में कुछ बूंदें आयोडीन टिंचर की मिला दें. अगर घी का रंग नीला हो जाए तो वह मिलावटी हो सकता है.

पनीर को पानी में उबाल कर ठंडा कर लें. इस में कुछ बूंदें आयोडीन टिंचर की डालें. अगर पनीर का रंग नीला हो जाए तो समझ लें कि वह मिलावटी है. मिठाई पर चढ़े चांदी के वर्क में ऐल्यूमिनियम धातु की मिलावट की जाती है, जो सेहत के लिए अच्छी नहीं होती. ऐल्यूमिनियम की मिलावट की आसानी से जांच की जा सकती है. चांदी के वर्क को जलाने से वह उतने ही वजन का छोटे से गेंद जैसा हो जाता है. अगर वर्क मिलावटी हुआ तो वह स्लेटी रंग का जला हुआ कागज बन जाएगा.

चौकलेट, कौफी या चौकलेट पाउडर में चिकोरी और गुड़ की मिलावट की जाती है. चौकलेट का पाउडर बना लें और उस पाउडर पर 1 गिलास पानी छिड़कें. कौफी और चौकलेट पाउडर पानी के ऊपर तैरने लगेगा और चिकोरी नीचे बैठ जाएगी. यही हाल गुड़ की मिलावट का है. पानी में चौकलेट डालिए. अगर गुड़ हुआ तो चिकना मीठा सा लिसलिसा पदार्थ पानी में घुल जाएगा.

Festive Season में खानपान ऐसे रखें Health का ध्यान

भारत अपनी विविधता और पूरे सालभर अलगअलग आस्थाओं तथा जातियोंधर्मों के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों की वजह से जाना जाता है. साल में अपने त्योहारों को मनाने के लिए परिवार और दोस्त अकसर भोजन के इर्दगिर्द जमा होते हैं और साथ मिल कर खातेपीते, मौज करते हैं. ऐसा घर पर, रैस्टोरैंट में या बारबेक्यू में हो सकता है. साथ मिलजुल कर खानेपीने के बहुत फायदे हैं. सब से बड़ा फायदा तो सामाजिक मेलमिलाप है जोकि मानसिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है.

त्योहारों के अवसर पर हम सिर्फ अच्छे और खास व्यंजनों के बारे में सोचते हैं. लेकिन त्योहार और छुट्टियों के मौसम में ही हम सभी से कई बार चूक भी हो जाती है. हम सेहतमंद खानपान के बजाय ज्यादा मात्रा में भोजन, मिठाई, प्रोसैस्ड फूड वगैरह का सेवन करते हैं यानी हमारे शरीर में कैलोरी की अधिक मात्रा पहुंचती है.

अधिक कैलोरीयुक्त भोजन का मतलब है अधिक मात्रा में फैट, शुगर, अत्यधिक कंसंट्रेटेड ड्रिंक्सतथा अधिक नमकयुक्त यानी सोडियम से भरपूर भोजन का सेवन. ऐसे में जो आम

समस्याएं सामने आती हैं, उन में प्रमुख हैं: वजन बढ़ना या पाचन संबंधी समस्याएं जैसेकि ऐसिडिटी, गैस्ट्राइटिस, कब्ज, शरीर में पानी की कमी होना आदि.

त्योहारों के बीतने के बाद वजन कम करने को ले कर बढ़ता तनाव वास्तव में ज्यादा वजन बढ़ाता है क्योंकि तनाव की वजह से भूख का एहसास बढ़ाने वाले हारमोन ज्यादा बनते हैं. इसलिए त्योहारी सीजन में कुछ सावधानियों के साथ उन खास पलों का आनंद उठाएं, आगामी त्योहारों के मद्देनजर आप के लिए कुछ आसान उपायों की जानकारी दी जा रही है.

खाली पेट रहने से बचे

दिन की सेहतमंद और संतुलित शुरुआत के लिए ब्रेकफास्ट में साबूत अनाज, लो फैट प्रोटीन तथा फलों का सेवन करें. कहीं किसी से मिलनेजुलने के लिए खाली पेट न जा कर भरे पेट जाएंगे तो फैस्टिव ट्रीट्स के नाम पर अनापशनाप खाने से बचेंगे.

अकसर होता यह है कि व्यंजनों का लुत्फ उठाने के लिए हम मील्स स्किप करते हैं और इस के चलते ओवरईटिंग हो जाती है. खाली पेट होने पर सैरोटानिन लैवल गिरता है. इसलिए जब भी हम बिना कुछ खाएपीए हुए लंबे समय तक रहते हैं तो स्ट्रैस बढ़ने लगता है और यही से बिना सोचेसमझे हुए लगातार कुछ न कुछ खाते रहने की शुरुआत होती है और हम जरूरत से ज्यादा भोजन पेट में ठूंस लेते हैं.

इसलिए ओवरईटिंग से बचने और वजन को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित रूप से (1 बड़ा मील+2 स्नैक मील्स) खाना खाएं.

मात्रा नियंत्रित करें

जो भी खाएं उस की मात्रा का भरपूर ध्यान रखें यानी ‘पोर्शन कंट्रोल’ करें क्योंकि आप का पेट भर चुका है यह एहसास शरीर को कुछ देर से होता है. इसलिए अगर आप तब तक खाते रहेंगे जब तक कि पेट भरने का एहसास न हो जाए तो आप ओवरईटिंग करेंगे.

इसलिए जरूरी है कि एक बार में कम मात्रा में ही खाएं. धीरेधीरे खाने से आप के शरीर को यह पता चलता रहता है कि आप ने पर्याप्त मात्रा में खा लिया और आप ओवरईट नहीं करते.

सही भोजन करें

यह सब से महत्त्वपूर्ण है. सही चयन/विकल्प का चुनाव करने से आप त्योहारों की मस्ती और मजे को दोगुना कर सकते हैं क्योंकि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और जोखिम वाले कारकों से दूर रहते हैं.

अधिक फाइबरयुक्त भोजन: ऐसा भोजन चुनें जो फाइबरयुक्त हो क्योंकि फाइबरयुक्त भोजन आप को तृप्ति का एहसास दिलाता है, आप देर तक पेट भरा हुआ महसूस करते हैं और इस तरह ओवरईटिंग से बचते हैं तथा अपने भोजन की मात्रा को भी नियंत्रित रखते हैं.

साबूत अनाज पोषण से भरपूर होता है, उस में कैलोरी की मात्रा कम होती है और पैकेज्ड एवं प्रोसैस्ड फूड्स की तुलना में इस के सेवन से पेट अधिक भरा हुआ महसूस होता है. साथ ही कैलोरीयुक्त मेन कोर्स मील शुरू करने से पहले किसी हैल्दी डिश का सेवन करें और कम ऐनर्जी वाले खाद्यपदार्थों जैसेकि सलाद या वैजिटेबल सूप आदि लें.

सब्जियों में विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है यानी इन के सेवन से आप अपने पेट को भरा हुआ महसूस करते हैं और इस तरह खुद ही अपनी प्लेट में भोजन की मात्रा को नियंत्रित रखते हैं.

हर मील में प्रोटीन लें. प्रोटीन न सिर्फ शरीर के विभिन्न ऊतकों की बढ़त के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं, बल्कि लीन बौडी मास (एलबीएम) के लिए भी फायदेमंद होते हैं.

हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि मील्स के बीच फिलर्स के तौर पर सही मात्रा में प्रोटीन के पर्याप्त सेवन से ब्लड शुगर लैवल में उतारचढ़ाव को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. इसलिए मेवे और बीजों का सेवन करने से खाने के बीच हैल्दी स्नैकिंग का विकल्प मिलता है.

फू्रटी डैजर्ट: खाने के बाद मीठा (डैजर्ट) खाने की तलब स्वाभाविक है और यह भोजन को पूरा करने खासतौर से त्योहारी सीजन में बेहतरीन तरीका भी है. लेकिन चीनी और मैदे से बने डैजर्ट स्वास्थ्य केलिए अच्छे नहीं होते. इसलिए साबूत अनाज के आटे जैसेकि गेहूं और गुड़ (सीमित मात्रा में) का प्रयोग सेहतमंद विकल्प है. इसी तरह फल आधारित डैजर्ट जैसेकि फ्रूट योगर्ट शरबत पेट के लिए हलके होते हैं और सच तो यह है कि चाशनी में डूबे रसगुल्लों और जलेबियों जैसे तले हुए डैजर्ट की तुलना में ये काफी सेहतमंद भी होते हैं.

चांदी का वर्क लगी मिठाई खाने से बचें क्योंकि इस में ऐल्युमीनियम की मिलावट होती है जोकि सेहत के लिए अच्छी नहीं है. इसी तरह कृत्रिम रंगों के इस्तेमाल से बनी मिठाई खाने से भी बचना चाहिए. इन की जगह विभिन्न फू्रट आइटम्स के प्राकृतिक और स्वस्थ  रंगों के इस्तेमाल से बनी मिठाई का प्रयोग करें.

ऐसी गलती न करें: हम सभी एक बड़ी गलती यह करते हैं कि तलने के बाद बच गए तेल को दोबारा इस्तेमाल करते हैं. इस प्रकार तेल को दोबारा इस्तेमाल करने से फ्री रैडिकल्स बनते हैं जो शरीर की रक्तवाहिकाओं को अवरुद्ध करने के साथसाथ ऐसिडिटी का कारण भी बनते हैं. हो सके तो चीजों को तलने से बचना चाहिए और इन के बजाय स्नैक्स तथा मील्स के लिए स्टीमिंग, ग्रिलिंग, रोस्टिंग आदि को अपनाना सेहतमंद विकल्प है.

शरीर में पानी का पर्याप्त स्तर

कैलोरी को सीमित करने का एक आसान उपाय है- कैलोरी पीएं नहीं यानी सौफ्ट ड्रिंक्स पीने के बजाय पानी पीएं जिस से आप का पेट भर जाएगा और शरीर में फालतू कैलोरी भी नहीं जाएगी. इसलिए जूस की बोतल, सोडा/ऐरेटेड ड्रिंक्स या अलकोहलिक ड्रिंक लेने की बजाय पानी का सेवन करना अच्छा विकल्प है. ऐसा कर आप न सिर्फ कैलोरी की मात्रा नियंत्रित रखते हैं बल्कि अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से हाइड्रेट भी रखते हैं. इस से भूख पर नियंत्रण आसान होता है.

खेलकूद या व्यायाम से शरीर को अधिक ऊर्जावान बनाया जा सकता है. गैस्ट्राइटिस से बचाव होता है, साथ ही कब्ज की शिकायत भी नहीं होती क्योंकि सभी प्रकार के ऐरेटेड ड्रिंक्स/ जूस ऐसिडिक होते हैं. इसी तरह नैचुरल ड्रिंक्स जैसेकि स्मूदी/ लस्सी/ मिल्कशेक (लो फैट, अतिरिक्त शुगर रहित), शिकंजी (चीनी रहित) आदि त्योहारों के मौसम में अच्छे विकल्प होते हैं.

शारीरिक गतिविधि

वजन को नियंत्रित करने के लिए डाइट कंट्रोल के साथसाथ शारीरिक व्यायाम करना महत्त्वपूर्ण होता है. इस से तनाव घटता है और उस का सीधा या परोक्ष असर आप की खानपान की आदतों पर पड़ता है. व्यायाम करने से ऐंडोमार्फिंस को बढ़ावा मिलता है जो आप को हर दिन सकारात्मक और ऊर्जावान बने रहने में मदद करते हैं.

साथ ही नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां आप के मसल एनाबौलिज्म के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं जिस से मसल लौस से बचाव होता है. अच्छी सेहत के लिए सप्ताह में 5-6 दिन 30-45 मिनट तक शारीरिक व्यायाम करने की सलाह दी जाती है.

हम सभी को त्योहारों के उल्लास का हिस्सा बनना और समाज में खुशहाली बढ़ाने का कारण बनना अच्छा लगता है. खानपान जीवन के उत्सव का अहम हिस्सा है.

अच्छा भोजन अच्छी सेहत को बढ़ावा देता है, इसलिए समझदारी से भोजन कर सेहतमंद रहें.

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