होली के दिन आपका भी मन करता होगा रंगो में डूब जाने का और जी खोल कर मस्ती करने का. करें भी क्यों ना आखिर कितने इंतजार के बाद तो ये दिन आता है. तो खुद को जरा भी रोके बिना रंग का पूरा लुत्फ उठाइये पर जरा सानधानी से.
एक पुराना समय था जब लोग हल्दी, चदंन, गुलाब और टेसू के फूल से रंग बनाया करते थे पर आजकल तो रासायनिक रंगों का ही बोलबाला है. ऐसे मे सावधानी बरतना बहुत जरूरी है. ऐसे रंगों मे कई तरह के रासायनिक और विषैले पदार्थ मिले होते हैं, जो त्वचा, नाखून व मुंह से शरीर मे प्रवेश कर अदंरूनी हिस्सों को क्षति पहुंचा सकते हैं. ऐसे में अगर होली खेलने से पहले कुछ सावधानियां बरती जायें तो त्वचा को रासायनिक रंगों से होने वाले नुक्सान से काफी हद तक बचाया जा सकता है.
चलिए जानते हैं कि होली खेलने से पहले हमें क्या-क्या सावधानियां बरतने की जरुरत है-
1. होली खेलने से 20 मिनट पहले अपने शरीर पर खूब सारा तेल या फिर मौस्चराइजर लगा लें. इसके बाद अपने शरीर पर वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा कर ही होली खेलने निकलें.
2. होली के दिन आप पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनिए. अच्छा होगा कि कपड़े के अंदर कोई स्विम सूट पहन लें जिससे होली का रसायनयुक्त रंग अंदर जाने से बच जाए.
3. इस दिन बालों पर विशेष ध्यान देना जरुरी है. अपने बालों पर एक अच्छा तेल लगाएं जिससे नहाने के समय बालों पर रंग चिपके ना और आसानी से धुल भी जाए. चाहें तो टोपी भी पहन सकती हैं. तेल के अलावा अपने होंठों को हानिकारक रंगों से बचाने के लिए उस पर लिप बाम लगाना बिल्कुल न भूलें.
4. अपनी आखों का विशेष ध्यान रखें. आंखों को रंग, गुलाल, अबीर आदि से बचाएं क्योंकि इनमें मौजूद पोटेशियम हाईक्रोमेट नामक हानिकारक तत्व आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. यदि कुछ रंग आंख मे चला जाए तो आंखों को तब तक पानी से धोएं जब तक रंग ठीक से निकल न जाए.
5. नाखूनों पर जब रंग चढ़ जाते हैं तो जल्दी साफ नहीं होते. इसके लिए नाखूनों और उसके अंदर भी वैसलीन लगाएं. इससे नाखूनों और उसके अंदर रंग नहीं चढेगा. इसके अलावा महिलाएं किसी गहरे रंग की नेलपौलिश भी लगा सकती हैं.
6. जब भी रंग खरीदने जाएं तो कोशिश हमेशा यही होनी चाहिए कि हरा, बैगनी, पीला और नारंगी रंग न लेकर लाल या फिर गुलाबी रंग खरीदें. वह इसलिए क्योंकि इन सब गहरे रंगों में ज्यादा रसायन मिले हुए होते हैं.
7. रंग खेलने के बाद त्वचा रुखी हो जाती है, तो इसके लिए शरीर पर मलाई या बेसन का पेस्ट बना कर लगाया जा सकता है. अगर शरीर पर कोई घाव या चोट आदि है तो होली खेलने से बचें, क्योंकि रंगों में मिले रासायनिक तत्व घाव के माध्यम से शरीर के रक्त में मिलकर नुकसान पहुंचा सकते हैं.
इन दी गई सावधानी को बरते और खुलकर होली का मजा ले.
होली रंगों का त्योहार है. होली के मौके पर अगर आप किसी होली इवेंट में जा रही हैं तो आपके फैब्युलस लुक का होना जरूरी है. अगर आप इस बात से चिंतित हैं कि होली इवेंट में किस तरह से ड्रेसअप करना चाहिए या किस तरह का मेकअप करना चाहिए तो चलिए हम आपकी ये परेशानी भी दूर कर देते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स जिसमें आप फैब्युलस लग सकती हैं.
1. ड्रेसअप
व्हाइट कलर होली पर पहनने वाला एक पुराना फैशन बन चुका है. अब आप व्हाइट के साथ अलग-अलग कलर को पेयर करके अपने पहनावे को और भी वाइब्रेंट और आकर्षक बना सकती हैं. ऐसे ड्रेस चुनें जो आपको होली सेलिब्रेशन के दौरान कंफर्ट का एहसास कराये.
अगर आप टीशर्ट और टौप को फैशनेबल प्लाजो या ट्राउजर के साथ पेयरअप करना चाहती हैं या आप ढ़ीली कुर्ती, लूज टौप के साथ हौट पैंट या लाइट ब्लू जींस कैरी करना चाहते हैं तो इसे जरुर ट्राय करें. फ्लोरल प्रिंट आपको होली पर एक नया लुक और एहसास देगा. इसी तरह युनिक लुक पाने के लिए लाइट कलर जैसे पिंक, येलो, पर्पल, ग्रीन को भी अपना सकती हैं.
2. हेयरडू
होली की मस्ती के साथ इसके हानिकारक रंगों से अपने बालों को बचाना भी उतना ही जरुरी होता है. इसलिए अपने बालों को इनसे बचाने के लिए पहले अपने बालों को नारियल तेल से मौइश्चराइज कर लें इसके बाद कोई चिक स्टाइल हेयरडू बनायें. जैसे पोनीटेल, ब्रेडेड बन, फ्रेंच बन या उंची चोटी पर डबल ब्रेड भी कर सकती हैं. हाइ पोनी करके क्यूट ड्रेस के साथ आप और भी क्यूट लगेंगी.
3. नेलआर्ट
अपने नेल्स को नेलपेंट की मदद से कवर करें और इसे होली के रंगों से बचायें. इसके अलावा कुछ युनिक करना चाहते हैं तो होली नेल आर्ट डिजाइन अपने नाखूनों पर बनायें. बेस कोट के अलावा आप अलग-अलग रंगों के साथ अपने नेल्स को सजा सकती हैं.
4. फुटवियर
इस फेस्टिव में हाइ हील्स पहनना सोचें भी नहीं. क्योंकि इवेंट के दौरान आपको रनिंग और डांसिंग भी करनी पड़ेगी तो इसे ध्यान में रखते हुए ही अपनी कंफर्ट के मुताबिक फुटवेयर का चयन करें. शूज का चुनाव करें. बैली या खूबसूरत स्लिपर भी चुन सकती हैं. अगर आप जींस, शार्ट्स के साथ टौप पहन रही हैं तो स्नीकर्स, बैली, लोफर या सिंपल स्लिपर आजमा सकती हैं.
ऊंचाई पर मौसम के तेवर कुछ और थे. घाटियों में धुंध की चादरें बिछी थीं. जब भी गाड़ी बादलों के गुबार के बीच से गुजरती तो मुन्नू की रोमांचभरी किलकारी छूट जाती.
ऊंची खड़ी चढ़ाई पर डब्बे खींचते इंजन का दम फूल जाता, रफ्तार बिलकुल रेंगती सी रह जाती. छुकछुक की ध्वनि भकभक में बदल जाती, तो मुन्नू बेचैन हो जाता और कहता, ‘‘मां, गाड़ी थक गई क्या?’’
कहींकहीं पर सड़क पटरी के साथसाथ सरक आती. ऐसी ही एक जगह पर जब सामने खिड़की पर बैठी सलोनी सी लड़की ने बाहर निहारा तो समानांतर सड़क पर दौड़ती कार से एक सरदारजी ने फिकरा उछाला, ‘‘ओए, साड्डे सपनों की रानी तो मिल गई जी.’’
सरदारजी के कहे गए शब्दों को सुन कर लड़की ने सिर खिड़की से अंदर कर लिया.
यद्यपि सर्दी में वहां भीड़भाड़ कम थी, लेकिन फिर भी सर्दी के दार्जिलिंग ने कुछ अलग अंदाज से ही स्वागत किया. ऐसा भी नहीं कि पूरा शहर बिलकुल ही बियावान पड़ा हो. ‘औफ सीजन’ की एकांतता का आनंद उठाने के इच्छुक एक नहीं, अनेक लोग थे.
माल रोड पर मनभावन चहलपहल थी. कहीं हाथों में हाथ, कहीं बांहों में बांहें तो कहीं दिल पर निगाहें. धुंध में डूबी घाटियों की ओर खिड़कियां खोले खड़ा चौक रोमांस की रंगीनी से सरोबार था.
‘‘लगता है, देशभर के नवविवाहित जोड़े हनीमून मनाने यहीं आ गए हैं,’’ रोहित रश्मि का हाथ दबा कर आंख से इशारा करते हुए बोला, ‘‘क्यों, हो जाए एक बार और?’’
‘‘क्या पापा?’’ मुन्ने के अचानक बोलने पर रश्मि कसमसाई और रोहित ने अपनी मस्तीभरी निगाहें रश्मि के चेहरे से हटा कर दूर पहाड़ों पर जमा दीं.
‘‘पापा, आप क्या कह रहे हैं,’’ मुन्ने ने हठ की तो रश्मि ने बात बनाई, ‘‘पापा कह रहे हैं कि वापसी में एक बार और ‘टौय ट्रेन’ में चढ़ेंगे.’’
‘‘सच पापा,’’ किलक कर मुन्नू पापा से लिपट गया. फिर कुछ समय बाद बोला, ‘‘पापा, हनीमून क्या होता है?’’
इस से पहले कि रोहित कुछ कहे, रश्मि बोल पड़ी, ‘‘बेटा, हनीमून का मतलब होता है शादी के बाद पतिपत्नी का घर से कहीं बाहर जा कर घूमना.’’
‘‘मम्मी, क्या आप ने भी कहीं बाहर जा कर हनीमून किया था?’’
‘‘हां, किया था बेटे, नैनीताल में,’’ इस बार जवाब रोहित ने सहज हो कर दिया था.
‘‘क्या आप ने पहाड़ पर चढ़ कर गाना भी गाया था टैलीविजन वाले आंटीअंकल की तरह?’’
‘‘ओह,’’ बेटे के सामान्य ज्ञान पर रश्मि ने सिर थाम लिया और बात को बदलने का प्रयत्न किया.
‘‘नहीं, सब लोग टैलीविजन वाले आंटीअंकल जैसे गाना थोड़े ही गा सकते हैं. चलो, अब हम रोपवे पर घूमेंगे.’’
एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ के बीच की गहरी घाटियों के ऊपर झूलती ट्रालियों में सैर करने की सोच से मुन्ना रोमांचित हो उठा तो रश्मि ने राहत की सांस ली.
पर कहां? मुन्नू को तो नवविवाहित जोड़ों की अच्छी पहचान सी हो गई थी.
उस दिन होटल के ढलान को पार करने के बाद पहला मोड़ घूमते ही पहाड़ी कटाव के छोर पर एक नवविवाहित युगल को देख मुन्नू चहका और पिता के कान में फुसफुसाया, ‘‘पापा, पापा… हनीमून.’’
‘‘हिस,’’ होंठों पर उंगली रख कर रश्मि झेंपी. रोहित ने बेटे को गोद में उठा कर ऊपर हवा में उछाला.
दुनिया से बेखबर, बांहों में बाहें डाले प्रेमीयुगल एकदूसरे को आइसक्रीम खिलाने में मगन थे. उन की देखादेखी मुन्नू भी मचला, ‘‘पापा, हम भी आइसक्रीम खाएंगे.’’
‘‘अरे, इतनी सर्दी में आइसक्रीम?’’ रोहित ने बेटे को समझाया.
‘‘वे आंटीअंकल तो खा रहे हैं, पापा?’’ उस ने युगल की ओर उंगली उठा कर इशारा किया.
‘‘वह…वे तो हनीमून मना रहे हैं,’’ मौजमस्ती के मूड में रोहित फिर बहक रहा था.
‘‘हनीमून पर सर्दी नहीं लगती, पापा?’’ मुन्ने ने आश्चर्य जताया.
‘‘नहीं, बिलकुल नहीं,’’ रोहित ने शरारतभरा अट्टाहास किया और बेटे को उकसाया, ‘‘अपनी मां से पूछ लो.’’
गुस्से से रश्मि तिलमिला कर रह गई. उस समय तो किसी तरह बात को टाला, पर अवसर मिलते ही पति को लताड़ा, ‘‘तुम भी रोहित, बच्चे के सामने कुछ भी ऊटपटांग बोल देते हो.’’
‘‘शाश्वत तथ्यों का ज्ञान जरूरी नहीं क्या,’’ रोहित ने खींच कर पत्नी को पास बैठा लिया, पर रश्मि गंभीर ही बनी रही.
रश्मि की चुप्पी को तोड़ते हुए रोहित बोला, ‘‘तुम तो व्यर्थ में ही तिल का ताड़ बनाती रहती हो.’’
‘‘मैं तिल का ताड़ नहीं बना रही. तुम सांप को रस्सी समझ रहे हो. जब देखो, बेटे को बगल में बैठा कर टैलीविजन खोले रहते हो. ये छिछोरे गाने, ये अश्लील इशारे, हिंसा, मारधाड़ के नजारे. कभी सोचा है कि इन्हें देखदेख कर क्या कुछ सीखसमझ रहा है हमारा मुन्नू. और अब यहां हर समय का यह हनीमून पुराण के रूप में तुम्हारी ठिठोलबाजी मुझे जरा भी पसंद नहीं है.’’
‘‘अरे, हम छुट्टियां मना रहे हैं, मौजमस्ती का मूड तो बनेगा ही,’’ रोहित रश्मि को बांहों में बांधते हुए बोला.
दार्जिलिंग की वादियों में छुट्टियां बिता कर वापस लौटे तो रोहित कार्यालय के कामों में पहले से भी अधिक व्यस्त हो गया. चूंकि मुन्नू की कुछ छुट्टियां अभी बाकी थीं, इसलिए रश्मि मुन्नू को रचनात्मक रुचियों से जोड़ने के लिए रोज नईनई चीजों के बारे में बताती. चित्रमय किताबें, रंगारंग, क्रेयंस, कहानियां, कविताएं, लूडो, स्क्रेंबल, कैरम और नहीं तो अपने बचपन की बातें और घटनाएं मुन्नू को बताती.
एक दिन रश्मि बोली, ‘‘पता है मुन्नू, जब हम छोटे थे तब यह टैलीविजन नहीं था. हम तो, बस, रेडियो पर ही प्रोग्राम सुना करते थे.’’
‘‘पर मां, फिर आप छुट्टियों में क्या करती थीं?’’ हैरान मुन्नू ने पूछा.
‘‘छुट्टियों में हम घर के आंगन में तरहतरह के खेल खेलते, घर के पिछवाड़े में साइकिल चलाते और नीम पर रस्सी डाल कर झूला झूलते.’’
मां की बातें सुन कर मुन्नू की हैरानी और बढ़ जाती, ‘‘पर मां, झूला तो पार्क में झूलते हैं और साइकिल तुम चलाने ही नहीं देतीं,’’ इतना कह कर मुन्नू को जैसे कुछ याद आ गया और कोने में पड़े अपने तिपहिया वाहन को हसरतभरी निगाह से देखने लगा.
‘‘मां, मां, कल मैं भी साइकिल चलाऊंगा. शैला के साथ रेस होगी. तुम, बस, मेरी साइकिल नीचे छोड़ कर चली जाना.’’
रश्मि ने बात को हंसी में टालने का यत्न किया. स्वर को रहस्यमय रखते हुए वह बोली, ‘‘और पता है, क्याक्या करते थे हम छुट्टियों में…’’
‘‘क्या मां? क्या?’’ मुन्नू उत्सुकता से उछला.
‘‘गुड्डेगुडि़यों का ब्याह रचाते थे. नाचगाना करते थे. पैसे जोड़ कर पार्टी भी देते थे. इस तरह खूब मजा आता.’’
पर मुन्नू को इस तरह की बातों में उलझाए रखना बड़ा मुश्किल था. चाहे जितना मरजी बहलाओ, फुसलाओ, लेकिन घूमफिर कर वह टैलीविजन पर वापस आ जाता.
‘‘मां, अब मैं टीवी देख लूं?’’
रश्मि मनमसोस कर हामी भरती. कार्टून चैनल चला देती. डिस्कवरी पर कोई कार्यक्रम लगा देती, पर थोड़ी देर बाद इधरउधर होती तो मुन्नू पलक झपकते ही चैनल बदल देता और कमरे में बंदूकों की धायंधायं के साथ मुन्नू की उन्मुक्त हंसी सुनाई देती.
‘नासमझ बच्चे के साथ आखिर कोई कितना कठोर हो सकता है,’ रश्मि सोचती, ‘टैलीविजन न चलाने दूं तो दिनभर दोस्तों के पास पड़ा रहेगा. यह तो और भी बुरा होगा.’ इसी सोच से रश्मि ढीली पड़ जाती और बेटे की बातों में आ जाती.
‘‘मां, हम लोग बुधवार को पिकनिक पर जा रहे हैं,’’ उस दिन शाम को खेल से लौटते ही मुन्नू ने घोषणा की तो रश्मि को बहुत अच्छा लगा.
‘‘पर बेटे, बुधवार को कैसे चलेंगे, उस दिन तो तुम्हारे पापा की छुट्टी नहीं है.’’
‘‘नहीं मां, आप नहीं, हम सब दोस्त मिल कर जाएंगे,’’ मुन्नू ने स्पष्ट शब्दों में मां से कहा.
‘‘रविवार को पिकनिक मनाने हम सब एकसाथ चलेंगे बेटे. तुम अकेले कहां जाओगे?’’
‘‘हम सब जानते थे, यही होगा इसलिए हम लोगों ने छत पर पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बनाया है,’’ मुन्नू किसी वयस्क की तरह बोला.
‘‘ओह, छत पर,’’ रश्मि का विरोध उड़नछू हो गया. मन ही मन वह खुश थी.
‘‘मां…मां, हम लोग दिनभर पिकनिक मनाएंगे. सब दोस्त एकएक चीज ले कर आएंगे,’’ इतना कह कर मुन्नू मां के गले में बांहें डाल कर झूल गया.
‘‘पर तुम सब मिला कर कितने बच्चे हो?’’ रश्मि ने पूछा.
‘‘चिंटू, मिंटू, सोनल, मीनल, मेघा, विधा…’’ हाथ की उंगलियों पर मुन्नू पहले जल्दीजल्दी गिनता गया, फिर रुकरुक कर याद करने लगा, ‘‘सोनाक्षी, शैला, शालू वगैरह.’’
‘‘ऐसे नहीं,’’ रश्मि ने उसे टोका, ‘‘कागजपैंसिल ले कर याद कर के लिखते जाओ, फिर सब गिन कर बताओ.’’
काम उलझन से भरा था, पर मुन्नू फौरन मान गया.
‘‘सब दोस्त मिल कर बैठो, फिर जरूरी सामान की लिस्ट बना लो. इस से तुम्हें बारबार नीचे नहीं उतरना पड़ेगा,’’ रश्मि ने बेटे को समझाया.
अगले 3 दिन तैयारी और इंतजार में बीते. मुन्नू का मन टैलीविजन से हटा देख रश्मि भी रम गई. वह भी बच्चों के साथ नन्ही बच्ची बन गई. उस का बस चलता तो बच्चों के साथ वह भी पिकनिक पर पहुंच जाती, पर बच्चे बहुत चालाक थे. उन के पास बड़ों का प्रवेश वर्जित था.
नन्हेमुन्नों का उल्लास देखते ही बनता था. आखिर वादविवाद, शोरशराबेभरी तैयारियां पूरी हुईं. पिकनिक वाले दिन मुन्नू मां की एक आवाज पर जाग गया. दूध और नाश्ते का काम भी झट निबट गया. 9 भी नहीं बजे थे कि नहाने और बननेठनने की तैयारी शुरू हो गई.
नहाने के बाद मुन्नू बोला, ‘‘मां, मेरा कुरतापजामा निकालना और अचकन भी.’’
‘‘अरे, तू पिकनिक पर जा रहा है या किसी फैंसी ड्रैस शो में.’’
‘‘नहीं मां, आज तो मैं वही पहनूंगा…’’ स्वर की दृढ़ता से ही रश्मि समझ गई कि बहस की कोई गुंजाइश नहीं है.
‘मुझे क्या,’ वाले अंदाज में रश्मि ने कंधों को सिकोड़ा और नीचे दबे पड़े कुरतापजामा व अचकन को निकाल लाई और प्रैस कर उन की सलवटों को भी सीधा कर दिया.
अचकन का आखिरी बटन बंद कर के रश्मि ने बेटे को अनुराग से निहारा और दुलार से उस के गाल मसले तो बस, छोटे मियां तो एकदम ही लाड़ में आ कर बोले, ‘‘मां…मां, तुम्हें पता है, सिंह आंटी कितनी कंजूस हैं.’’
‘‘मुन्नू…, बुरी बात’’, मां ने टोका.
‘‘सच मां, सब दोस्त कह रहे थे, पता है अंकुश पिकनिक में सिर्फ बिछाने की दरी ला रहा है.’’
‘‘तो क्या? बिछाने की दरी भी तो जरूरी है. फिर सिंह आंटी तो काम
पर भी जाती हैं. कुछ बनाने का समय नहीं होगा.’’
‘‘नकुल की मम्मी औफिस नहीं जातीं क्या? वह भी तो केक और बिस्कुट ला रहा है.’’
‘‘अच्छा, चुप रहो. अंकुश से कुछ कहना नहीं. वह तुम्हारा दोस्त है, मिलजुल कर खेलना,’’ रश्मि बेटे को समझाते हुए बोली.
तभी सामान उठाए सजेधजे शोर मचाते बच्चों के झुंड ने प्रवेश किया. लहंगे, कोटी और गोटेकिनारी वाली चूनर में ठुमकती नन्ही सी विधा अलग ही चमक रही थी.
‘‘आज कितनी सुंदर लग रही है मेरी चुनमुन,’’ लाड़ में आ कर रश्मि ने उसे गोद में उठा लिया.
‘‘पता है आंटी, आज इस की…’’ शादाब कुछ बोलता, उस से पहले मनप्रीत ने उसे जोर से टोक दिया. कुछ बच्चे उंगली होंठों पर रख कर शादाब को चुप रहने का संकेत करने लगे.
रश्मि समझ गई कि जरूर कोई बात है, जो छिपाई जा रही है पर उस ने कुछ भी न कहा, क्योंकि वह जानती थी कि शाम तक इन के सारे भेद बिल्ंिडग का हर एक फ्लैट जान जाएगा. इन नन्हेमुन्नों के पेट में कोई बात आखिर पचेगी भी कब तक?
सभी बच्चे अपनीअपनी डलियाकंडिया उठाए खड़े थे. कुछ मोटामोटा सामान पहले ही छत पर पहुंचाया जा चुका था. रोल की हुई दरी उठाए खड़े 4 बच्चे चलोचलो का शोर मचा रहे थे. मुन्नू की टोकरी भी तैयार थी. लड्डू का डब्बा, मठरियों का डब्बा, पेपर प्लेट्स और पेपर नैपकिंस आदि सभी रखे थे. रश्मि ने टोकरी ऊपर तक पहुंचाने की पेशकश की, पर मुन्नू ने उसे बिलकुल ही नामंजूर कर दिया.
यद्यपि छत की बनावट इस प्रकार की थी कि कोई दुर्घटना न हो, फिर भी रश्मि ने बच्चों को हिदायतें दीं. सबक देना अभिभावकों का स्वभाव जो ठहरा.
‘‘दीवारों पर उचकना नहीं और न ही पानी की टंकी पर, न छत पर. पहुंचते ही लिफ्ट का दरवाजा और फैन बंद कर देना,’’ सुनीसुनाई हिदायतें बारबार सुन कर बच्चे परेशान हो गए थे.
‘‘हम सब देख लेंगे, आप चिंता न करो और आप ऊपर न आना.’’
बाहर बराबर लिफ्ट का दरवाजा धमाधम बज रहा था. ऊपर आनेजाने के चक्कर जारी थे. कुछ बच्चे अभी भी लिफ्ट के इंतजार में बाहर दरवाजे पर खड़े थे. मुन्नू भी उन में शामिल हो गया. तभी 10वीं मंजिल के रोशनजी ने सीढि़यों से उतरते हुए बच्चों को धमकाया, ‘‘क्या धमाचौकड़ी मचा रखी है. बंद करो यह तमाशा. कब से लिफ्ट के इंतजार में था, पर यहां तो तुम लोगों का आनाजाना ही बंद नहीं हो रहा है.’’
बच्चों को डांटते हुए रोशनजी सामने वाले अली साहब के फ्लैट में हो लिए. रश्मि दरवाजे की ओट में थी.
तभी लिफ्ट के वापस आते ही रेलपेल मच गई. वहां खड़े सभी बच्चे अपनीअपनी डलियाकंडिया संभाले लिफ्ट में समा गए.
‘बाय मां’, ‘बाय आंटी’ के स्वर के साथ रश्मि का स्वर भी उभरा, ‘‘बायबाय बच्चो, मजे करो.’’
लिफ्ट के सरकते ही सीढि़यों में सन्नाटा सा छा गया. फ्लैट का दरवाजा बंद करते ही ऊपर से आती आवाजों का आभास भी बंद हो गया.
‘छत कौन सी बहुत दूर है, दिन में कई बार तो चक्कर लगेंगे,’ सोचती हुई रश्मि गृहस्थी सहेजनेसमेटने में जुट गई. सुबह से ही मुन्नू के कार्यक्रम की वजह से घर तो यों फैला पड़ा था जैसे कोई आंधीअंधड़ गुजरा हो.
घर समेट कर रश्मि सुपर बाजार का चक्कर भी लगा आई. दाल, चावल, मिर्च, मसाले, कुछ फलसब्जियां सब खरीद ली. डेढ़ बजे तक सबकुछ साफ संजो कर जमा भी दिया. इस बीच किसी भी बच्चे ने एक बार भी मुंह न दिखाया तो रश्मि को कुछ खटका सा लगा. दबेपांव वह ऊपर जा पहुंची और चुपके से अंदर झांका.
पिकनिक पार्टी जोरों पर थी. सीडी प्लेयर पर ‘दिल तो पागल…’ पूरे जोरशोर से बज रहा था. कुछ बच्चे गाने की धुन पर खूब जोश में झूम रहे थे. अनुराग कैमरा संभाले फोटोग्राफर बना हुआ था. ज्यादातर बच्चे मुन्नू और विधा को घेर कर बैठे थे. कोई कुछ कह रहा था, कोई कुछ सुन रहा था. कुल मिला कर समां सुहाना था. अपनी उपस्थिति जता कर बच्चों की मौजमस्ती में विघ्न डालना रश्मि को उचित न लगा, वह प्रसन्न, निश्ंिचतमन के साथ वापस उतर आई और टैलीविजन पर ‘आंधी’ फिल्म देखने बैठ गई.
लगभग साढ़े 4 बजे के करीब फोन की घंटी ने फिल्म का तिलिस्म तोड़ा, ‘‘हैलो,’’ दूसरी तरफ दूसरी मंजिल की शेफाली थी. वह अपनी नन्ही सी बेटी विधा के लिए बहुत चिंतित थी.
‘‘रश्मि, प्लीज एक बार जा कर देख तो आ. बच्चे तो सुबह के चढ़े एक बार भी नहीं उतरे…’’
‘‘अरे, बताया न, मैं ऊपर गई थी. सब बच्चे मजे में हैं. विधा भी खेल रही थी. देखना कुछ ही देर में उतर आएंगे,’’ रश्मि का सारा ध्यान अपनी फिल्म पर था, पर शेफाली अड़ी रही.
‘‘बस, एक सीढ़ी ही तो ऊपर जाना है. एक बार झांक आ न, प्लीज. मैं ही चली जाती पर कुछ लोग आ गए हैं. विधा ने पता नहीं कुछ खाया भी है कि नहीं. मैं तो समझती हूं वह जरूर सो गई होगी.’’
‘‘अच्छा बाबा, जाती हूं,’’ यद्यपि रश्मि को यह व्यवधान बहुत अखरा था फिर भी टीवी बंद कर के चाबी उठा कर चल पड़ी.
दिनभर के खेल से बच्चे शायद थक चुके थे. ऊपर अपेक्षाकृत शांति थी. छोटेछोटे खेमों में बंटे बच्चे आपस में धीरेधीरे बोल रहे थे. रश्मि ने तलाशा पर विधा और मुन्नू कहीं न दिखे. रश्मि की दृष्टि छत का ओरछोर नाप आई, पर मुन्नू और विधा कहीं न दिखे.
तभी बच्चों की नजर उस पर पड़ी और वे उछलनेकूदने लगे.
‘‘अरे, वे दोनों कहां गए,’’ पलभर को उछलकूद बंद हो गई और एकदम खामोशी छा गई. कुछ बच्चे हंसे, कुछ खिलखिलाए कुछ केवल मुसकराए. अजब रहस्यमय समां बंध गया था. रश्मि को अचरज भी हुआ और मन में डर भी लगा. इस बार उस ने कुछ जोर से पूछा, ‘‘कहां हैं मुन्नू और विधा?’’
उस की उत्तेजना पर बच्चे कुछ सकपका से गए. तब सोनाली ने भेद खोल दिया, ‘‘आंटी, हम ने तो उन की शादी कर दी.’’
‘‘क्या?’’ कुतूहल से उस की ओर देखती हुई रश्मि ने पूछा.
‘‘हां आंटी, छोटे में जैसे आप गुड्डेगुडि़यों की शादी करते थे न, वैसे ही…’’ तनय ने बात को और अधिक स्पष्ट किया.
‘‘पार्टी भी हुई आंटी…’’ प्रियज नाश्ते की प्लेट सजा लाया.
‘‘चलो, बड़ा काम निबट गया,’’ रश्मि ने चैन की सांस ली और केक का टुकड़ा खाते हुए बोली, ‘‘वे दोनों हैं कहां?’’
‘‘वे दोनों तो हनीमून पर चले गए.’’
‘‘क्या?’’ केक गले में जा अटका. रश्मि को जोर की खांसी आ गई.
‘‘पर कहां?’’ सहमनेसकपकाने की बारी अब रश्मि की थी. क्या पूछे, शब्द उसे ढूंढ़े न मिल रहे थे कि तभी उस की नजर दूर पानी की टंकी के पार से झांकती दो जोड़ी नन्हीमुन्नी टांगों पर जा पड़ी.
‘‘हूं, नदी के किनारे नहीं तो पानी की टंकी के पार ही सही, पट्ठों ने क्या जगह चुनी है हनीमून के लिए. जरा देखूं तो सही…’’
बच्चों का इरादा भांपते देर न लगी. सभी एक स्वर में बोले, ‘‘आंटी, शेमशेम. आप उधर कैसे जाएंगी?’’ रश्मि भौचक रह गई.
अब इस वर्जना को चुनौती दे कर नए जोड़े की एकांतता में खलल डाल खलनायिका बनने का साहस रश्मि में न था. इसलिए उस ने सहज दिखने का यत्न किया.
‘‘ठीक है, जाती हूं,’’ कंधे उचका कर वह मुसकराई और वापस पलटी. अपनी जीत पर बच्चों ने जोर का हुल्लड़ किया.
बेटा बिना बताए ही हनीमून पर निकल जाए तो मां अपने दिल को
कैसे समझाए, रश्मि से भी रहा न
गया. रेलिंग के साथ लगी सीमेंट की जाली में से अंदर का दृश्य साफ दिखाई दे रहा था.
लहंगा इधर तो चूनर उधर. दुलहन नींद से निढाल थी, पर रोमांच की रंगीनी को कायम रखने के प्रयत्न में दूल्हे ने एकलौते साझे लौलीपौप को पहले खुद चाटा, फिर लुढ़कतीपुढ़कती दुलहन के मुंह में ठूंस दिया.
‘हाय, 21वीं सदी का यह लौलीपौप लव,’ रश्मि सिर पीट कर रह गई, ‘चलूं, शेफाली को उस की बेटी की करतूतें बता दूं तथा लगेहाथ उसे खुशखबरी भी सुना दूं कि अब हम समधिन बन गई हैं,’ यह सोच कर रश्मि शेफाली के घर चल दी.
होली वाले दिन सुबह से ही बच्चे धमाचौकड़ी मचाना प्रारम्भ कर देते हैं तो बड़े भी उत्साह से लबरेज नजर आते हैं, त्योहारों पर परिवार और दोस्तों के साथ पार्टी त्यौहार को और अधिक रंगीन बना देती हैं. कोई भी विशेष अवसर हो सबसे ज्यादा मुसीबत हम महिलाओं की होती है क्योंकि उनका तो अधिकांश समय किचिन में ही बीतता है जिससे वे पार्टी का आनन्द ही नहीं ले पातीं हैं परन्तु यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो आप भी होली की पार्टी का भरपूर आनन्द उठा सकतीं हैं.
1-परिवार के सभी सदस्यों के होली पर पहनने वाले कपड़े पहले से ही धो प्रेस करके रख दें ताकि होली वाले के दिन आपको परेशान न होना पड़े.
2-रंग, गुलाल, अबीर, पिचकारी आदि को एक ही स्थान पर रखकर परिवार के सभी सदस्यों को बता दें ताकि आप उनके प्रश्नों से बची रहकर अन्य कामों पर ध्यान दे सकें.
3-पानी की व्यवस्था घर से बाहर करने के साथ साथ बच्चों को बार बार घर में न आने की सख्त हिदायत दें ताकि घर गंदा होने से बचा रहे.
4-घर के सोफों, दीवान आदि के कवर आदि हटा दें या पुराने कवर लगा दें ताकि ये रंगों से बचे रहें, हो सके तो मेहमानों के बैठने के लिए प्लास्टिक की कुर्सियों का प्रयोग करें.
5-घर में आने वाले मेहमानों के लिए नाश्ता एक ट्रे में लगाकर पेपर से ढक दें यदि सम्भव हो तो सर्व करने के लिए डिस्पोजल प्लेट्स और कटोरियों का प्रयोग करें.
6-ठंडाई, शरबत, लस्सी, छाछ या मॉकटेल जो भी ड्रिंक आप मेहमानों को सर्व करना चाहतीं हैं उन्हें पहले से ही बनाकर मेहमानों की संख्या के अनुसार डिस्पोजल ग्लासों में डालकर सिल्वर फॉयल या क्लिंग फिल्म से कवर करके फ्रिज में रख दें.
7-ताजे नाश्ते की जगह गुझिया, मठरी, शकरपारे, सेव, सूखी बेसन कचौरी, समोसे, दही बड़ा जैसे सूखे नाश्ते को प्राथमिकता दें ताकि मेहमानों के आने पर आपको परेशान न होना पड़े.
8-डेजर्ट में आप फ्लेवर्ड कुल्फी, आइसक्रीम, रबड़ी आदि को प्राथमिकता दें, साथ ही इन्हें सर्विंग बाउल में डालकर सिल्वर फॉयल से ढककर रखें ताकि पार्टी के बीच में आपको परेशान न होना पड़ें.
9-यदि आप मेहमानों पर अपना प्रभाव जमाना चाहतीं हैं तो चुकन्दर, पालक, हरे धनिया, आदि का प्रयोग करके आलू स्टफ्ड इडली, पनीर स्टफ्ड अप्पे या टमाटरी सेव आदि बनाएं इन्हें आप पहले से बनाकर भी रख सकतीं हैं.
10-कचौरी, समोसे, आलू बोंडा, पेटीज आदि को आप तेज आंच पर आप तलकर रख दें और मेहमानों के आने पर अच्छी तरह गर्म तेल में एक बार डालकर बटर पेपर पर निकाल दें इससे आपको किचिन में बहुत देर तक नहीं रहना पड़ेगा और मेहमानों को गर्म नाश्ता भी मिल सकेगा.
होली रंगों का त्यौहार है, हर साल दोस्त और परिवारके साथ मिलकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाना,एक दूसरे को रंग लगाना,होली के गानों के साथ डांस करना, पानी के गुब्बारों और पिचकारी के साथ रंग खेलना आदि होता आया है, लेकिन पिछले दो सालों से कोविड ने इसे बेरंग बना दिया है, इसलिए इस बार कोविड के कम होने की वजह से सभी होली को मौज-मस्ती से मनाने की कोशिश कर रहे है, लेकिन आजकल होली के रंगों में केमिकल होने की वजह से त्वचा पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए रंगों की खुशियाँ कम न हो, कुछ बातों का ख्याल अवश्य रखें.
इस बारें में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट और ट्राइकोलॉजिस्टडॉ तृप्ति डी अग्रवाल कहती है कि मौजमस्ती और खुशियों के साथ मनाए जाने वाले इस त्यौहार के ख़त्म होने पर शुरू होता है,बहुत ही थका देने वाला समय, जिसमेंचेहरे और बालों पर लगे रासायनिक ज़िद्दी रंगों के दाग को निकालने की कोशिश करना. कठोर रसायनों और सूरज की रोशनी के संपर्क में आने की वजह से त्वचा रूखी पड़ सकती है और जलन भी पैदा होती है, ऐसी तकलीफें त्यौहार के बाद कई हफ़्तों तक जारी रह सकती है. होली का आनंदलेने के लिए अपने बालों, नाखूनों और त्वचा के रंग के प्रभाव के बारे में चिंतित न हो, इस उत्सव मनाने के लिए कुछ आसान टिप्स निम्न है,
• त्वचा को कठोर रसायनों से बचाने के लिए त्वचा और रंग के बीच एक अवरोध बनाना आवश्यक होता है. रंग खेलने के 10 से15 मिनट पहले सनस्क्रीन, नारियल या सरसों का तेल चेहरे, कानों, गर्दन आदि सभी स्थानों पर लगा लें, ताकि रंगों का पर्व का प्रभाव आप पर कम हो.
• रूखी त्वचा वाले लोगों को कठोर रसायनों से नुकसान होने का खतरा अधिक होता है. इससे बचने के लिए नियमित रूप से मॉइस्चराइज़ करना और सनस्क्रीन का उपयोग करना ज़रूरी है. होली से एक हफ्ते पहले ब्लीच या केमिकल पील न करें.
• अगर आप आरामदेह सूती कपड़ों का उपयोग करते है, तो होली का रंग कपड़े के भीतर भी जा सकता है, इससे बचने के लिए होली पर पहनने के लिए थोड़ा मोटा और पूरी आस्तीन वाला कपड़ा चुनें, ताकि आपकी त्वचा रंग के सीधे संपर्क में न आएं.
• होली का रंग कई दिनों तक आपके नाखूनों पर चिपका न रहें, इसलिए नाखूनों को ट्रिम करें और उन पर ग्लॉसी नेल पेंट या क्लियर-कोटेड नेल पेंट लगाएं. रंग नाखूनों में रिस न जाएं या फंसा न रहें,इसके लिए नाखूनों के आसपास की त्वचा पर भी पॉलिश लगाएं. इसके अलावा नाखूनों पर और उनके आस-पास वैसलीन जैसी साधारण पेट्रोलियम जेली का भी उपयोग कर सकते है.
• बालों पर तेल लगाएं, इससे बालों पर लगा रंग आसानी से निकल जाता है.
• कृत्रिम और सिंथेटिक रंगों के बजाय प्राकृतिक और जैविक रंगों से होली खेलें.
• खूब सारा पानी पिएं और होली के दिन खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें.
इसके आगे डॉ. तृप्ति कहती है कि होली के बाद त्वचा को फिर से खुबसूरत बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान दें, ताकि त्वचा पहले जैसी खिली-खिली लगे,
• चेहरे और शरीर पर रंगों को धीरे-धीरे हटाएं और उसके लिए माइल्ड साबुन या साबुन रहित क्लींज़र का उपयोग करें,
• स्क्रबिंग या त्वचा को ज़ोर लगाकर रगड़ने से त्वचा में जलन और रैशेस हो सकते है,
• जिद्दी रंग को हटाने के लिए तेल आधारित उत्पादों का इस्तेमाल करे,
• बालों को स्क्रब करने के लिए पैराबेन फ्री और सल्फेट फ्री सौम्य शैम्पू का इस्तेमाल करें,
• नहाने के बाद मॉइस्चराइज़र और सनस्क्रीन लगाएं,
• होली के लगभग 1 हफ्ते बाद तक केमिकल पील, हेयर रिडक्शन या कठोर रसायनों के प्रयोग से बचे,
• नियमित लेने वाली दवा को होली के दौरान बंद न करें, उन्हें पहले की तरह जारी रखें,
• जिन व्यक्ति को एक्ज़िमा, मुंहासें, सोरायसिस जैसी त्वचा सम्बन्धी समस्याएं है,उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरुरत होती है,रंगों और गुलाल का कम से कम इस्तेमाल करते हुए सूखी होली खेलना एक सुरक्षित विकल्प है, इसके अलावा त्वचा की स्थिति अगर बिगड़ रही है या नए ज़ख्म हुए हो, तो त्वचा विशेषज्ञ से तुरंत सम्पर्क करें.
कोविड की वजह से पिछले दो साल से होली नहीं मनाई गयी, लेकिन इस साल सभी इस त्यौहार के आने का इंतजार कर रहे है, क्योंकि इस बार कोविड के कम होने और सभी को वैक्सीन लगने की वजह से चिंता कम है और वे इस बार होली काभरपूर आनंद लेना चाहते है. इस बार सेलिब्रिटीज बहुत खुश है और अपने परिवार और दोस्तों के साथ इसे मनाना चाहते है. क्या है उनकी प्लानिंग, आइये जाने
आदित्य देशमुख
नाटी पिंकी की लम्बी लव स्टोरी फेम आदित्य देशमुख कहते है कि इस साल शूटिंग न होने पर मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ होली मना सकता हूँ. मेरी माँ इस दिन बहुत स्वादिष्ट पूरनपोली बनाती है, जिसमें केसर और गुड मिलाकर बनाया जाता है. इस बार मैं अपने को स्टार्स को भी खिलाने की इच्छा रखता हूँ. होली सकारात्मक सोच का त्यौहार है, उस दिन मैं सभी को थोडा गुलाल लगाता हूँ. बचपन में मैं छोटे-छोटे गुब्बारे में रंग भरकर सबके ऊपर फेंकता था और बहुत मज़ा आता था, लेकिन आज सोचता हूँ कि वह गलत था, किसी को चोट भी पहुँच सकती थी.
चारुल मलिक
अभिनेत्री चारुल मलिक कहती है कि मैने कुछ प्लान अभी नहीं बनाया है,होली के दिन भी मुझे शूटिंग पर जाना पड़ेगा. मैंने होली ‘भाभी जी घर पर है’ धारावाहिक के सेट पर होली ट्रैक पर धूमधाम से मनाई और शायरी की है. अगर उस दिन शूटिंग नहीं हुआ तो मैं अपने फ्रेंड्स के साथ आर्गेनिक रंगों से होली खेलूंगी. होली के दिन कोई डाइट नहीं करती, उस दिन मजे से अच्छे-अच्छे पकवान खाती हूँ. मेरे हिसाब से होली सबसे अधिक जीवंत और कलरफुल त्यौहार है. इसके अलावा ये त्यौहार सबको माफ़ कर देने वाला, दोस्ती करना और समानता का प्रतीक है. इसे हर व्यक्ति मनाता है, इसदिन बने गुजिया मुझे बहुत पसंद है.
अपर्णा दीक्षित
शो ‘ये दिल सुन रहा है’ से चर्चित होने वाली अपर्णा दीक्षित कहती है कि मैं हमेशा इस त्यौहार के आने का इंतजार करती हूँ. इसमें रंग खेलना, हँसना, डांस करना आदि सब मुझे पसंद है. मैं इस बार होली पर मुंबई में रहने वाली हूँ और अपने दोस्तों के साथ इसे मनाने वाली हूँ. ये त्यौहार किसी के साथ हुए मनमुटाव को दूर कर उसे दोस्ती का रूप देती है. सारे नकारात्मक सोच को पीछे छोड़कर आगे नई स्फूर्ति के साथ आगे बढ़ने का संकेत ये पर्व देती है. मेरी पसंदीदा रंग नीला है और मनपसंद गाना लेट्स प्ले होली…है, जिसमें अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा ने बहुत अच्छा परफॉर्म किया है.
हरजिंदर सिंह
अभिनेता हरजिंदर कहते है कि हर त्यौहार मेरे लिए फॅमिली टाइम होता है. मैं इस दिन को अपने परिवार के साथ बिताना पसंद करता हूँ, मुझे शावर्स, रंग, स्वादिष्ट फ़ूड आदि सब अच्छा लगता है. मेरा पसंदीदा रंग काला है, लेकिन मैं इसे होली के दिन प्रयोग नहीं करूँगा. इस बार मैं ग्रीन होली मनाने वाला हूँ और अच्छे- अच्छे गाने सुनने वाला हूँ. अधिक स्वीट्स मैं इस बार नहीं खाना चाहता, क्योंकि मुझे अपनी नई भूमिका में भी फिट बैठना है. असल में रंग खेलना एक फन है और मैं हर रंग को एन्जॉय करता हूँ.
हसन जैदी
धारावाहिक ‘जिंदगी मेरे घर आना’के अभिनेता हसन जैदी कहते है कि मुझे पता नही है कि मेरे बिल्डिंग वाले मुझे रंग खेलने देंगे या नहीं, क्योंकि कोविड की वजह से पिछले दो सालों से उन लोगों ने होली का त्यौहार मनाया नहीं है. पेंड़ेमिक से पहले वे होली को बहुत अच्छी तरह से मनाते थे, जिसमें रेन डांस , एक दूसरे पर पिचकारी से रंग डालना, स्वादिष्ट व्यंजन खाना आदि सब होता था. मेरा पूरा परिवार इसे एन्जॉय करता है, खासकर मेरी बेटी, माँ और पत्नी सभी बहुत एन्जॉय करती है. होली का पर्व बहुत सारी खुशियों को लेकर आती है, जिसमें न तो कोई गरीब है या न कोई अमीर, कोई हिन्दू है या कोई मुस्लिम. ये होली है, जिसके रंग में सभी एक समान हो जाते है. होली को एन्जॉय करें और यही हमारे देश की एसेंस है. बचपन से मैं इस त्यौहार को मनाता आया हूँ और ये मेरे दिल के बहुत करीब है. रंग बरसे….. मेरी प्रिय गाना है, क्योंकि इसके साथ मैं बड़ा हुआ और मेरा मनपसंद रंग पीला है.
वैशाली ठक्कर
अभिनेत्री वैशाली कहती है कि मैं इस साल होली पर अपने परिवार के साथ ट्रेवल कर रही हूँ. इस बार मैं अपने कजिन्स और दोस्तों के साथ रंग खेलने वाली हूँ. मुझे सफ़ेद और पीला रंग बहुत पसंद है. होली के लिए गाना ‘गो गो गोविंदा…. मुझे बहुत पसंद है.
बच्चों को हरदम भूख लगती ही रहती है. यूं भी गर्मियों के दिन लंबे होते हैं जिससे शाम होते होते भूख लग ही आती है. बच्चों को चीज से बनी पिज्जा, बर्गर, और पास्ता जैसी चीजें बहुत भाती हैं. बाजार से हरदम न तो कुछ लाया जा सकता है और न ही रेडीमेड फ़ूड बच्चों के लिए स्वास्थप्रद होता है. बेहतर है कि उनके लिए घर पर ही कुछ व्यंजन बना दिये जायें जिससे उनकी चीज की क्रेविंग भी बंद हो जाये और स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह न रहे. आज हम ऐसी ही 2 पिज्जा बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप झटपट घर पर बड़ी आसानी से बना सकतीं है यही नहीं इनमें आप अपनी इच्छानुसार कोई भी सब्जियां भी प्रयोग कर सकतीं हैं. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-
-जलपेनो पिज़्जा
कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
जलपेनो मिर्च 6
प्याज बारीक कटा 1
लाल, पीली व हरी शिमला मिर्च 1/2 कप
पेरी पेरी मसाला 1/2 टीस्पून
ऑरिगेनो 1/2 टीस्पून
चिली फ्लैक्स 1/2 टीस्पून
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काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
नमक 1/2 टीस्पून
चीज क्यूब्स 4
घी 1 टीस्पून
विधि
जलपेनो मिर्च को बीच से काटकर बीज निकाल दें. प्याज, शिमला मिर्च और सारे मसालों को एक साथ मिला दें. अब इस मिश्रण को कटी जलपेनो मिर्च के आधे कटे भाग में भरकर चीज किसें. इसी तरह सारे पिज्जा तैयार कर लें. बेकिंग ट्रे में रखने से पहले मिर्च को घी से ग्रीस कर लें और इन्हें ओवन में 180 डिग्री पर 20-25 मिनट तक बेक करें. स्वादिष्ट और हैल्दी पिज्जा तैयार है.
-ओपन ब्रेड पिज्जा
कितने लोगों के लिए 4
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
ब्रेड स्लाइस 4
बारीक कटी शिमला मिर्च 1
बारीक कटा प्याज 1
बारीक कटा टमाटर 1
टोमेटो सॉस 1 टेबलस्पून
शेजवान सॉस 1 टेबलस्पून
चिली फ्लैक्स 1/4 टीस्पून
नमक 1/4 टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
पिज्जा सीजनिंग 1/4 टीस्पून
बटर 1 टेबलस्पून
किसा मोजरेला चीज या चीज क्यूब्स 1 कप
विधि
प्याज, शिमला मिर्च, टमाटर, पिज्जा सीजनिंग, नमक और लाल मिर्च पाउडर को एक बाउल में अच्छी तरह मिक्स कर लें. टोमेटो सॉस, शेजवान सॉस और चिली फ्लैक्स को भी एक साथ मिला लें. अब ब्रेड स्लाइस पर अच्छी तरह बटर लगाकर तैयार सॉस लगाएं और कटी सब्जियां फैलाएं. ऊपर से किसे चीज से ढक दें. इसी प्रकार चारों स्लाइस तैयार कर लें. अब एक नॉनस्टिक तवे पर बटर लगाकर ब्रेड वाली साइड से पिज्जा को रखें. ढक्कन लगाकर एकदम धीमी आंच पर चीज के पिघलने तक पकाएं. बीच से काटकर सर्व करें. आप चाहें तो माइक्रोवेब ओवन में भी 180 डिग्री पर 20 मिनट तक बेक कर सकतीं हैं.
गरमी के मौसम में त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इन में सनबर्न के कारण चेहरे की रौनक खो जाती है. झुलसाती गरमी में त्वचा की नमी धीरेधीरे कम होने लगती है. इस दौरान महिलाओं को अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर चेहरे की रौनक वापस पाने के लिए ब्यूटीपार्लर जाना भी मुमकिन नहीं हो पाता है. ऐसे में वे कुछ आसान उपायों से चेहरे की सुंदरता दोबारा पा सकती हैं. इन के अलावा रैस्टिलेन विटाल जैसे स्किनबूस्टर्स भी उपलब्ध हैं, जो उन के लिए कारगर हो सकते हैं. स्किनबूस्टर रैस्टिलेन विटाल चंद मिनटों में ही और बहुत आसान तरीके से चमत्कारी परिणाम देता है. सब से अच्छी बात यह है कि इस का असर काफी समय तक रहता है.
हाइड्रोफिलिक ह्यालुरोनिक ऐसिड जैल, जिस में पर्याप्त जल बचाए रखने की क्षमता होती है, से त्वचा को मिलने वाली चमक तथा कोमलता 1 साल तक बनी रहती है. त्वचा की ऊपरी परत पर इंजैक्ट करने के बाद रैस्टिलेन विटाल त्वचा को गहराई तक नमीयुक्त बनाता है और उस का पोषण करता है. ह्यालुरोनिक ऐसिड जैल को माइक्रोइंजैक्शन की सहायता से त्वचा की बाहरी परतों में पिरोया जाता है. यह त्वचा को अंदर से नमीयुक्त बनाए रखने के लिए प्राकृतिक रूप से काम करता है. इस से त्वचा निखर उठती है.
महिलाओं को त्वचा की देखभाल अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार करनी चाहिए.
ड्राय त्वचा के लिए
ठंडे पानी की बौछार लें: तैलीय त्वचा पाने के लिए गरम पानी से न नहाएं, बल्कि कुछ देर तक ठंडे पानी की बौछारें लें. नहाने से पहले पूरे शरीर की बादाम के तेल से मालिश करें.
ग्लिसरीन: सोने से पहले पूरे चेहरे पर ग्लिसरीन लगाएं और उसे पूरी रात लगाए रखें.
हनी मसाज: चेहरे पर शहद का लेप लगाएं और 3-4 मिनट तक मालिश करने के बाद धो लें. त्वचा का अनिवार्य तेल वापस लाने के लिए इस प्रक्रिया को रोज अपनाएं.
जौ और खीरे का फेस मास्क: 3 चम्मच जौ या जई का पाउडर, 1 चम्मच खीरे का रस और 1 चम्मच दही को अच्छी तरह मिला लें. इस लेप को चेहरे पर लगा कर सूखने दें. उस के बाद सादे पानी से चेहरा धो लें.
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तैलीय त्वचा के लिए
क्लींजिंग: त्वचा को तेल मुक्त बनाने के लिए चेहरे को दिन में 2-3 बार क्लींजर से धोएं.
स्क्रबिंग: नाक और गालों के पास की मृत कोशिकाओं और ब्लैकहैड्स मिटाने के लिए इन हिस्सों को स्क्रब से अच्छी तरह रगड़ें.
सप्ताह में 1 बार फेस मास्क प्रयोग करें: फेस मास्क आसानी से त्वचा का अतिरिक्त तेल सोख लेता है. आप घर पर भी खुद मास्क बना सकती हैं. नीबू, सेब और अम्लीय औषधि: एक बरतन में थोड़ा पानी ले कर उस में कटे सेब को तब तक पीसें जब तक कि वह नरम न हो जाए. सेब पीसने के बाद उस में 1 चम्मच नीबू का रस और लैवेंडर या पिपरमिंट की सूखी पत्तियों का 1 चम्मच चूर्ण मिलाएं. इस मिश्रण को चेहरे पर लगा कर 15-20 मिनट छोड़ दें. फिर कुनकुने पानी से चेहरे को धो लें.
नाजुक त्वचा के लिए
क्लींजिंग: चेहरे को किसी ऐसे सौम्य क्लींजर से धोएं, जो आप की त्वचा को नुकसान न पहुंचाए.
प्रतिदिन मौइश्चराइज करें: नाजुक त्वचा वाले ऐंटीऔक्सीडेंट युक्त मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. इस से त्वचा जलयुक्त बनी रहेगी.
सनस्क्रीन: घर से बाहर निकलने से 20 मिनट पहले जिंक औक्साइड और टाइटेनियम डाईऔक्साइड के तत्त्वों तथा एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.
– डा. इंदु बलानी
डर्मैटोलौजिस्ट, दिल्ली
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