Top 10 Best Relationship Tips in hindi: रिश्तों की प्रौब्लम से जुड़ी टौप 10 खबरें हिंदी में

Relationship Tips in hindi: रिश्ते हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है. हर व्यक्ति किसी न किसी रिश्ते से जुड़ा होता है. चाहे वह माता-पिता हो या पति पत्नी. ये रिश्ते हर सुख-दुख में आपका सपोर्ट सिस्टम बनती है. लेकिन कई बार रिश्तों में खटास आ जाती है, जिसके चलते हमारा सपोर्ट सिस्टम टूट जाता है. इसीलिए आज हम आपको गृहशोभा की 10 Best Relationship Tips in Hindi के बारे में बताएंगे. इन Relationship Tips से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है रिश्तों से जुड़ी टिप्स जाननी है तो पढ़िए Grihshobha की Best Relationship Tips in Hindi.

1. 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

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जीवन की खुशियों के लिए पति-पत्नी के रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटी-छोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल के समय में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे…

1 मैसेज पर नहीं बातचीत पर निर्भर रहे…

ब्राइघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपत्ति जीवन के छोटे-बड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करना हो तो मैसेजेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज, ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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2. शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

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धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

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3. जानें कैसे करें लव मैरिज

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राशि और अमन का अफेयर पिछले 2 साल से चल रहा है. अब उन्होंने शादी करने का फैसला ले लिया, लेकिन वे इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि उन के पेरैंट्स इस रिश्ते के सख्त खिलाफ होंगे और वे चाह कर भी घर वालों की रजामंदी से शादी नहीं कर पाएंगे. इसलिए उन्होंने कोर्टमैरिज के बारे में सोचा, लेकिन कोर्ट में शादी की क्या औपचारिकताएं होती हैं, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं था. उन्होंने अपने एक कौमन फ्रैंड राजेश से बात की जिस ने अभी कुछ साल पहले ही कोर्टमैरिज की थी, लेकिन उस से भी उन्हें आधीअधूरी जानकारी ही मिली.

ऐसा कई जोड़ों के साथ होता है, वे शादी करना तो चाहते हैं, लेकिन उस का क्या प्रोसीजर है, इस के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं होता और संकोचवश वे खुद इस की जांचपड़ताल करने से हिचकिचाते हैं. आइए जानें कि अगर पेरैंट्स राजी नहीं हैं और आप शादी के फैसले तक पहुंच गए हैं, तो आप विवाह कैसे कर सकते हैं.

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4. सास-बहू के रिश्तों में बैलेंस के 80 टिप्स

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अकसर देखा जाता है कि घर में सासबहू के झगड़े के बीच पुरुष बेचारे फंस जाते हैं और परिवार की खुशियां दांव पर लग जाती हैं. पर यदि रिश्तों को थोड़े प्यार और समझदारी से जिया जाए तो यही रिश्ते हमारी जिंदगी को खुशनुमा बना देते हैं.

जानिए, कुछ ऐसे टिप्स जो सासबहू के बीच बनाएं संतुलन रखेंगे.

कैसे बनें अच्छी बहू

1. मैरिज काउंसलर कमल खुराना के मुताबिक, बेटा, जो शुरू से ही मां के इतना करीब था कि उस का हर काम मां खुद करती थीं, वही शादी के बाद किसी और का होने लगता है. ऐसे में न चाहते हुए भी मां के दिल में असुरक्षा की भावना आ जाती है. आप अपनी सास की इस स्थिति को समझते हुए शुरू से ही उन से सदभाव का व्यवहार करेंगी तो यकीनन रिश्ते की बुनियाद मजबूत बनेगी.

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5. KISS से जानें साथी का प्यार

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रिलेशनशिप में जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसेवैसे रिश्ता और गहरा होता जाता है और प्यार में पड़ कर जब लोग छोटीछोटी हरकतें करते हैं, तो उस से उन की पर्सनैलिटी के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा सकता है.

अगर आप को पता करना है कि आप का रिश्ता कितना गहरा और अटूट है तो आप यह तरीका अपना सकते हैं.

जब शब्द हमारी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, तो लोग अलगअलग तरीके से अपने प्यार को जाहिर करने की कोशिश करते हैं. अपने प्यारभरे संदेश को पार्टनर तक पहुंचाने के लिए किस से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है. किसिंग किसी भी रिश्ते का अहम हिस्सा है और इस में कोई शक नहीं कि लोग दुनियाभर में अलगअलग तरीके से किस करते हैं.

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6. जब मायके से न लौटे बीवी

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पेशे से मैकैनिक 22 साल का शफीक खान भोपाल की अकबर कालोनी में परिवार के साथ रहता था. उस की कमाई भी ठीकठाक थी और दूसरी परेशानी भी नहीं थी. लेकिन बीते 18 अक्तूबर को उस ने घर में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. ऐशबाग थाने की पुलिस ने जब मामला दर्ज कर तफतीश शुरू की तो पता चला कि शरीफ की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी और उस की बीवी शादी के बाद पहली बार मायके गई तो फिर नहीं लौटी.

शरीफ और उस के घर वालों ने पूरी कोशिश की थी कि बहू घर लौट आए. लेकिन कई दफा बुलाने और लाने जाने पर भी उस ने ससुराल आने से इनकार कर दिया तो शरीफ परेशान हो उठा और वह तनाव में रहने लगा. फिर उसे परेशानी और तनाव से बचने का बेहतर रास्ता खुदकुशी करना ही लगा.

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7. Married Life में क्या है बिखराव के संकेत

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Married Life में प्रेम की ऊष्मा जब कम होने लगती है तब पतिपत्नी के जीवन में ऐसी छोटीछोटी बातें होने लगती हैं, जो इस बात की ओर संकेत करती हैं कि उन के बीच दूरियां बननी शुरू हो रही हैं. अधिकतर दंपती इन संकेतों पर ध्यान नहीं देते या फिर वे समझ नहीं पाते हैं. समय रहते इन संकेतों पर ध्यान न दिया जाए तो उन के बीच प्यार, अपनापन, समर्पण की भावना कम होती जाती है और फिर एक दिन उन का दांपत्य जीवन टूट जाता है. इन संकेतों के प्रति संवेदनशील रह कर संबंधों के बीच पनप रही खाई को गहरा होने से रोका जा सकता है. बिखराव के ये संकेत दांपत्य जीवन के हर छोटेबड़े पहलू से जुड़े हो सकते हैं.

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8. शादी किसी से भी करें, आपका हक है

दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में रहने वाले प्रतीक (29) ने जब अपने घर में सिया (25,बदला नाम) के बारे में बताया तो मानो घर में पहाड़ टूट पड़ा हो. सिया के बारे में सुनते ही प्रतीक के घरवाले खुद को दोतरफा चोट खाया हुआ महसूस करने लगे. एक, सिया उन के अपने राज्य उत्तराखंड से नहीं थी, वह यूपी से ताल्लुक रखती थी. दूसरी व बड़ी बात यह कि वह जाति से भी अलग थी. दरअसल प्रतीक और सिया काफी समय से एकदुसरे से प्रेम कर रहे थे. साथ में समय बिताते हुए दोनों के बीच आपसी अंडरस्टेंडिंग काफी अच्छी हो गई थी. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. लेकिन उन दोनों के प्रेम सम्बन्ध और शादी के बंधन के बीच उन की जाति आड़े आ रही थी. जहां प्रतीक ऊंची जाति से था वहीँ सिया कथित नीची जाती से थी.

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9. मिलन की पहली रात जरूरी नहीं बनाएं बात

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दूध का गिलास लिए दुलहन कमरे में प्रवेश करती है. कमरा सुंदर रंगबिरंगे फूलों और लाइट से सजा व मंदमंद खुशबू से महक रहा होता है और माहौल में नशा सा छाया होता है. दूल्हा बेसब्री से दुलहन के आने का इंतजार कर रहा होता है. उस के आते ही वह दूध का गिलास लेने के बहाने उस को बांहों में भरने के लिए लपकता है. वह भी लजातीसकुचाती हुई उस की बांहों में समा जाती है. इस के बाद पतिपत्नी के प्यार से कमरा सराबोर हो उठता है. यह दृश्य है हिंदी फिल्मों के हीरोहीरोइन पर फिल्माई गई मिलन की पहली रात का. विवाह और यौन संबंध बेहद नाजुक विषय है. पतिपत्नी का शारीरिक मिलन तभी सफल माना जाएगा, जब दोनों इस के लिए तैयार हों. अगर ऐसा न हो तो उसे एकतरफा भोग कहा जाएगा. विवाह के बाद पतिपत्नी अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं. ऐसे में दोनों का एकदूसरे पर भरोसा और आपसी संवाद उन के आपसी संबंध को अधिक मजबूत बनाता है.

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10. डोमिनेशन: पत्नी का हो या पति का, रिश्तों में पैदा करता है दरार

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आप दोनो कामकाजी हैं. आपका बच्चा बीमार है. आपके पति बच्चे की देखरेख के लिए छुट्टी न ले पाने की अपनी मजबूरी बताते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको उसकी देखभाल के लिए छुट्टी लेनी होगी. ऐसे में आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है? दूसरी और आपके पति आपको आॅफिस से घर लौटकर आकर बताते हैं कि कल रात उन्होंने अपने दोस्तों को डिनर के लिए आमंत्रित किया है. ऐसे में आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है? इस तरह की स्थितियां अकसर विवाहित पति पत्नी के जीवन में आती ही हैं और उस दौरान इनके जवाब किस तरह दिये जाते हैं. इसी से पता चलता है कि पति और पत्नी दोनो में से कौन डोमिनेटिंग हैं. सवाल पैदा होता है ये डोमिनेशन क्या है? डोमिनेशन का मतलब है अपने पार्टनर की इच्छाओं का सम्मान न करना, जबरन उसपर अपनी मर्जी थोपना. यह पति और पत्नी दोनो पर ही लागू होता है. कंसलटेंट साइकेट्रिक्ट डाॅ. समीर पारिख, डोमिनेशन को शारीरिक, वित्तीय, वरबल और साइकोलाॅजिकल इन तमाम श्रेणियों में विभाजित करते हैं. मसलन पति का यह कहना कि तुम आज किट्टी पार्टी के लिए नहीं जा सकती; क्योंकि तुम्हें मेरी मां को डाॅक्टर के पास लेकर जाना है. इस कथन के द्वारा पति अपनी इच्छा या अपेक्षा को जबरदस्ती पत्नी पर थोपता है. कई घरों में ऐसा भी देखा गया है कि पत्नी पति के इजाजत के बगैर अपने माता-पिता से मिल नहीं सकती.

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ताकि ताउम्र निभे रिश्ता

पतिपत्नी मिठास भरे पलों का तो सुख अनुभव करते ही हैं, खटास भी एक चुनौती की तरह उन्हें एकदूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण में रहने की प्रेरणा देती है. बिना विवाहप्रथा के दुनिया एक तमाशा बन कर रह जाती. विवाह ने स्त्रीपुरुष के संबंधों को समाज में एक स्थायी स्थान दिया है. पश्चिम में पहले पहचान और प्रेम फिर शादी, लेकिन हमारे यहां पहले शादी, फिर प्यारमोहब्बत होती थी. उत्तर में अधिकतर विवाह अभी तक अजनबी परिवारों के लड़केलड़कियों के बीच ही होते हैं. आजकल के विवाहों में अधिकतर लड़केलड़कियां एकदूसरे को पहले से ही जान जाते हैं. आपस में प्यार होता है या नहीं यह जरूरी नहीं, प्रेम विवाहों को प्राथमिकता भी दी जा रही है.

खुशी से निभे रिश्ता

विवाह चाहे किसी का भी हो, कहीं भी हो, एक बात तो तय है कि लड़के और लड़की का एकदूसरे को पहचानना निहायत जरूरी है, क्योंकि प्यारपूर्वक अपना जीवन साथसाथ, लंबे अरसे तक निभाना है. जीवन में खुशियां कहीं बाहर से नहीं टपकतीं, दोनों को मिल कर एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करते हुए सारे काम पूरे करने होते हैं. यह तभी मुमकिन है जब दोनों ऐसा चाहें. घर के किसी भी काम की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं होती. यह बात और है कि सहूलत के लिए हम कुछ काम बांट लें. समय के साथ बदलाव आ रहे हैं और खुशी है कि पति इस बात को समझने लगे हैं. मिसाल के तौर पर खाना बनाने में पत्नी की मदद करना, पत्नी की नौकरी पर एतराज न करना व घर के कामों में हाथ बंटाना इत्यादि.

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खटपट के कारण

मतभेद के कारणों पर नजर डालें तो पाएंगे कि ज्यादातर केसेज में या तो एकदूसरे के परिवारों को ले कर झगड़े होते हैं या पति/पत्नी के जीवन में कोई दूसरी/दूसरा आ जाती/जाता है. शादी के बाद पत्नी को सरनेम तो पति का ही लेना होता है, हालांकि कुछ पत्नियां मायके का सरनेम रिटेन करती हैं. परिवारों में अकसर यह देखा गया है कि लड़का अपने मांबाप से खुल कर अपनी पत्नी की पसंदनापसंद कह नहीं पाता. उलटे हर दफा पत्नी को ही चुप करा देता है. ऐसे में दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझेंगे तभी बात बनेगी. हर हालत में रिश्ता पहले पति और पत्नी का भरोसेमंद होना चाहिए, तभी वातावरण अच्छा बनता है और बच्चे अच्छे संस्कार पाते हैं.

अकसर यह देखा गया है कि मातापिता बच्चों की शादी की पहले जमाने के हिसाब से तुलना करते हैं, जो ठीक नहीं है. पहले झगड़े होने के मौके ही नहीं आते थे. पति परमेश्वर माना जाता था. जो फैसला उस ने कर दिया वही पत्नी को मान्य होता था. पर अब जमाना बदल चुका है. लड़कियां पढ़लिख कर अच्छी नौकरियां कर रही हैं और खूब पैसा कमा रही हैं. पतिपत्नी का रिश्ता ब्लड रिलेशन न होते हुए भी जीवन में सब से अधिक अहमियत रखता है. आखिर तक साथ निभाने का आश्वासन. जो लोग इस रिश्ते की अहमियत न समझ कर खिलवाड़ की तरह लेते हैं, एकदूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, उन से बड़ा बेवकूफ कोई नहीं. वहां परिवार के टूटने की नौबत आना स्वाभाविक है.

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जानें क्या हैं सफल Married Life के 6 सूत्र

‘‘समीर, कितनी देर कर दी लौटने में? तुम्हारा इंतजार मुझे बेचैन कर देता है.’’

‘‘ओह सीमा, क्या सचमुच मुझ से इतना प्यार करती हो?’’ समीर भावुक हो उठे.

‘‘देखो, कितने मैसेज भेजे हैं तुम्हें?’’

‘‘क्या करूं, डार्लिंग. दफ्तर में काम बहुत ज्यादा है,’’ समीर ने सीमा को कस कर अपनी बांहों में भींच लिया. फिर जेब से फिल्म के 2 टिकट निकाल कर बोले, ‘‘आज की शाम तुम्हारे नाम. पहले एक कप गरम कौफी हो जाए, फिर फिल्म. डिनर किसी अच्छे रेस्तरां में करेंगे.’’ समीर ने प्यार से पत्नी की आंखों में झांका तो उस ने अपना सिर समीर की चौड़ी छाती पर टिका दिया. करीब 4 साल बाद.

‘‘समीर, आज एटीएम से कुछ पैसे निकाल लेना.’’

‘‘हद करती हो. पिछले हफ्ते ही तो 2 हजार रुपए निकाल कर दिए थे.’’

‘‘2 हजार में कोई इलास्टिक तो लगी नहीं थी कि पूरा महीना चल जाते.’’

‘‘फिर भी, थोड़ा कायदे से खर्चा किया करो. बैंक में नोटों का पेड़ तो लगा नहीं है कि जब चाहा तोड़ लिए.’’ रोजमर्रा की जिंदगी में अपने इर्दगिर्द हम ऐसे कई उदाहरण देखते हैं. अपनी निजी जिंदगी में भी ऐसा ही कुछ महसूस करते हैं. दरअसल, विवाह के शुरुआती दिनों में, पतिपत्नी एकदूसरे के गुणों और आकर्षण से इस कदर प्रभावित होते हैं कि अवगुणों की तरफ उन का ध्यान जाता ही नहीं. जाता भी है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं. धीरेधीरे जब घर बसाने और घर चलाने की जिम्मेदारी आ पड़ती है तो तकरार, बहस और समझौते की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और दोनों एकदूसरे पर दोष मढ़ना शुरू कर देते हैं, जबकि सचाई यह है कि शादी के शुरू के बरसों में सैक्स का आकर्षण तीव्र होने के कारण ये नजदीकियां बनी रहती हैं और धीरेधीरे जब सैक्स में संतुष्टि होने लगती है तो उत्तेजना कम होने लगती है और पहले वाला आकर्षण नहीं रह पाता. फलत: उन के संबंध उबाऊ होने लगते हैं.

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रौबर्ट स्टर्नबर्ग ने ‘टैं्रगुलर थ्योरी औफ लव’ के अंतर्गत कहा है कि आदर्श विवाह वह है, जिस में 3 गुणों का समावेश हो- इंटीमेसी (घनिष्ठता), कमिटमैंट (समर्पण) और पैशन (एकदूसरे के नजदीक रहने की गहरी इच्छा). तीनों गुणों का संतुलन ही वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है. विवाह के कुछ सालों बाद यदि पति शेव कर रहा हो और बगल से गुजरती पत्नी की उस से टक्कर हो जाए तो उसे बाहुपाश में लेने के बजाय, ‘‘अरे यार, जरा देख कर चलो,’’ यही वाक्य उस के मुंह से निकलेगा. ऐसा नहीं है कि एक अंतराल के बाद उभरती दूरी को मिटाया नहीं जा सकता. आदर्श स्थिति तो यह होगी कि ऐसी दूरी ही न आए. कैसे, आइए, देखें:

1. स्वयं को आकर्षक बनाए रखें

यदि आप अपनेआप को घर में आकर्षक बना कर नहीं रखतीं तो आप के पति यह समझ सकते हैं कि आप उन की पसंद की चिंता नहीं करतीं. ‘विवाह के 10 साल बाद भी आप अपने पति को आकर्षित कर सकती हैं’ यह फीलिंग ही आप को गुदगुदा देती है. पति के मुंह से ‘लुकिंग ब्यूटीफुल’ सुन कर आप स्वयं को मिस यूनीवर्स से कम नहीं समझेंगी.

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2. प्यार के समय को बदलिए

अगर आप प्यार के समय को, रात के लिए और अंतिम कार्य के रूप में छोड़ती हैं तो इसे सुबह अपनाइए. प्यार को शयनकक्ष तक सीमित रखने के बजाय प्यार के क्षणों को पहचानिए और उन का उपयोग कीजिए. ड्राइंगरूम, रसोई, बगीचा या जहां कहीं भी आप को मौका मिले, आप इन क्षणों का उपयोग कीजिए.

3. एकांत का सदुपयोग करें

यदि परिवार संयुक्त हो या बच्चे दिन भर आप के पास रहते हों तो आप को एकांत नहीं मिलता. कुछ समय के लिए बच्चों को घर से बाहर भेज दें या खुद घर से बाहर निकल कर कुछ समय एकसाथ एकांत में बिताएं, नजदीकियां बढ़ेंगी.

4. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाएं

प्यार को नीरस या उबाऊ नित्यक्रिया बनाने के बजाय, अच्छा होगा कि सप्ताह 2 सप्ताह के लिए इसे बंद कर दें और जब आप की वास्तविक इच्छा हो तभी प्यार के क्षणों का आनंद लें. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाइए, इस से भी संबंधों में नवीनता आएगी.

5. दूर करें भ्रांतियां

दरअसल, संस्कार और परंपरागत मूल्यों के नाम पर हमेशा से ही सैक्स के प्रति हमारे मनमस्तिष्क में अनावश्यक भ्रांतियां भर दी जाती हैं. इस के कारण हम में से कुछ लोग सैक्स को अनैतिक समझने लगते हैं और एक मजबूरी के तौर पर निभाते हैं. यह ठीक है कि सैक्स के प्रति संयम और शालीनता का व्यवहार आवश्यक है, लेकिन जब यही भाव दांपत्य जीवन में मानसिक ग्रंथि का रूप धारण कर लेता है, तब पतिपत्नी दोनों का जीवन भी पूरी तरह अव्यवस्थित हो जाता है.

6. एकदूसरे की भावनाओं को समझें

दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि दंपती एकदूसरे की शारीरिक जरूरतों को ही नहीं, भावनात्मक जरूरतों को भी समझें. यदि आप के मन में किसी विषय को ले कर किसी प्रकार का संशय या सवाल है तो इस बारे में अपने जीवनसाथी से खुल कर बात करें. अपनी इच्छाओं का खुल कर इजहार करें. लेकिन हर बार केवल अपनी बात मनवाने की जिद से आप के साथी के मन में झुंझलाहट पैदा हो सकती है. इसलिए अपनी इच्छाओं की संतुष्टि के साथसाथ अपने साथी की संतुष्टि का भी ध्यान रखें.

इन बातों का भी ध्यान रखें:

एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करें.

रोजमर्रा की समस्याएं बेडरूम तक न ले जाएं.

अनावश्यक थकाने वाले कामों से बचें.

अगर प्यार को आप वास्तव में महत्त्व देती हैं तो अनावश्यक व्यस्तताओं से बचें.

मीठीमीठी, प्यारीप्यारी बातें कर के, स्पर्श या चुंबन द्वारा आप अपने साथी को सैक्स के लिए धीरेधीरे प्रेरित करें.

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यदि किसी कारणवश आप की इच्छा न हो तो आप के इनकार में भी प्यार और वह अदा होनी चाहिए कि आप का जीवनसाथी बिना किसी नाराजगी के आप की बात मान ले.

समय के साथसाथ आप के जीवनसाथी में परिपक्वता और परिस्थितियों का विश्लेषण और आकलन करने की क्षमता बढ़ती जाती है. जिस बात के लिए ब्याह के शुरुआती दिनों में वह तुरंत हामी भर देता था, अब सोचविचार कर हां या न कहेगा. इसलिए किसी भी मसले को धैर्यपूर्वक सुलझाएं. यकीन मानिए, इस तरह आप दोनों का रिश्ता न सिर्फ प्रगाढ़ होता जाएगा, बल्कि इस के साथ ही आप का दांपत्य जीवन भी नीरस नहीं होगा. उस में बेशुमार खुशियां भी शामिल हो पाएंगी.

मैरिड लाइफ की प्रौब्लम के लिए कोई आसान टिप्स बताएं?

सवाल-

मैं 37 साल की हूं. सैक्स के दौरान चरम पर नहीं पहुंच पाती. इस से मन बेचैन रहने लगा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

यह महिलाओं में एक आम समस्या है, जिसे दवा से ज्यादा आप खुद ही दूर कर सकती हैं.

इस बारे में आप पति से बात करें. सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएं और हलका भोजन करें. सैक्स के दौरान जल्दबाजी दिखाने से भी यह समस्या होती है. इसलिए बेहतर होगा कि सैक्स से पहले फोरप्ले की प्रक्रिया अपनाएं, जो लंबी हो.

इस मामले में गलती पुरुषों की भी होती है. सैक्स को निबटाने की सोच रखने वाले ऐसे पुरुषों की संख्या ज्यादा है, जो खुद की संतुष्टि को ही ज्यादा तवज्जो देते हैं और सैक्स के तुरंत बाद करवट बदल कर सो जाते हैं.

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बेहतर होगा कि सैक्स से पहले ऐसा माहौल बनाएं जो सैक्स प्रक्रिया को उबाऊ न बना कर प्यारभरा व रोमांचक बनाए.

सैक्स से पहले कमरे में मध्यम रोशनी के बीच मधुर आवाज में संगीत चला दें, एकदूसरे से प्यारभरी बातें करें, एकदूसरे के अंगों की तारीफ करें यानी देर तक फोरप्ले करने के बाद ही सैक्स करें. यकीनन ऐसा करने से आप की समस्या दूर हो जाएगी.

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कोरोना काल में सेक्स सबसे बडी परेशानी का सबब बन गया है. बिना तैयारी के सेक्स से गर्भ ठहरने लगाहै. उम्रदराज लोगों के सामने ऐसी परेशानियां खडी हो गई है. स्कूल बंद होने से बच्चों के घर पर रहने से पति पत्नी को अपने लिये समय निकालना मुश्किल होने लगा. बाहर आना जाना बंद हो गया. कभी पति के पास समय है तो कभी पत्नी का मूड नहीं. कभी पत्नी का मूड बना तो पति को औनलाइन वर्क से समय नहीं. ऐसे में आपसी तनाव, झगडे और जल्दी सेक्स की आदत आम होने लगी है. जिस वजह से आपसी झगडे बढने लगे है. ऐसे में जरूरी है कि आपस में समय तय करके सेक्स करे. जिससे आपसी झगडे कम होगे तालमेल बढेगा.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

रिश्तों में दरार डालता इंटरनैट

ऋतु के घर पार्टी थी. 20-25 लोगों को बुलाया था. पार्टी की 2 वजहें थीं, पहली पति को प्रमोशन मिली थी और दूसरी बेटे का पीएमटी में सिलैक्शन हो गया था. पार्टी में ऋ तु ने कुछ पड़ोसी, कुछ करीबी रिश्तेदार, कुछ सहेलियों और बेटे के दोस्तों को आमंत्रित किया था.

तय समय पर सारे उपस्थित थे, मगर हाल में शोरशराबा, हंसीमजाक या बातचीत की जगह एक अजीब सी खामोशी थी. ज्यादातर लोग अपने मोबाइल फोन पर ही बिजी थे. अंदर आए, मेजबान से हायहैलो की, बधाई दी और फिर एक कोना पकड़ मोबाइल में आंखें गड़ा कर बैठ गए. यहां तक कि ऋ तु की सहेलियां जो पहले इकट्ठा होती थीं तो क्या हंगामा बरपाती थीं, चुगली, शिकायत, ताने, हंसीठिठोली थमती ही न थी.

एकदूसरे की साड़ी, गहनों पर उन की नजर रहती थी, पर अब वे नजरें भी मोबाइल में ही अटकी हैं. कोई वीडियो देख रही है, कोई यूट्यूब तो कोई फोन पर बात करने में मशगूल है.

एक कोने में बेटे के 2 दोस्त एकदूसरे से सिर सटाए मोबाइल पर फुटबाल मैच देख रहे हैं. राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले डिबेट शो में मगन है तो कोई न्यूज बुलेटिन देख रहा है. आपस में बातचीत के लिए तो जैसे किसी के पास न वक्त है न जरूरत. हकीकत की दुनिया से दूर सब आभासी दुनिया के मनोरंजन में डूबे हैं.

बदलती जीवनशैली

पहले दोपहर का भोजन बनाने और चौका समेटने के बाद गृहिणियां पड़ोस में जा कर बैठती थीं. एकदूसरे का दुखसुख बांटती थीं. जाड़ों के दिनों में जिधर देखो 5-6 औरतों का जमावड़ा लगा होता था. बुनाई के नएनए डिजाइनें सिखाई जाती थीं. नईनई रैसिपीज बातोंबातों में सीख ली जाती थीं. अचार, मुरब्बा, पापड़ एकसाथ मिल कर बनाए जाते थे. मगर अब दोपहर का खाना बनाने के बाद गृहिणी पड़ोस में ?ांकती तक नहीं. बस मोबाइल फोन ले कर बैठ जाती है.

व्हाट्सऐप, फेसबुक, यूट्यूब में जिंदगी के अनमोल क्षण कैसे एकाकी बीते जा रहे हैं. स्मार्ट फोन और इंटरनैट ने तो घर के सदस्यों के बीच भी एक चुप्पी बिखेर दी है. खाली वक्त में अब कोई किसी से बात नहीं करता, बल्कि अपना मोबाइल फोन ले कर बैठ जाता है. चाय की खाने की मेज पर बस हम हैं और हमारा मोबाइल फोन है. आसपास कौन बैठा है इस की हमें परवाह नहीं.

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बेटा शाम को औफिस से घर आ कर मांबाप के पास नहीं बैठता. नहीं पूछता कि उन का सारा दिन कैसा बीता. उन्होंने क्याक्या किया. नहीं बताता कि औफिस में उस का दिन कैसा रहा. वह आता है और लैपटौप खोल कर बैठ जाता है.

नहीं रही रिश्तों में मिठास

बहुएं अब सास से नहीं पूछतीं कि अमुक अचार में कौनकौन से मसाले पड़ते हैं. अब अचार बनाने की सारी विधियां यूट्यूब पर मिल जाती हैं. सास के अनुभव धरे के धरे रह जाते हैं. अचार की खटास रिश्तों में जो मिठास घोलती उस से बहुएं वंचित रह जाती हैं.

जी हां, हम सब का आजकल यही हाल है. न वक्त है, न ही फुरसत क्योंकि जिंदगी ने जो रफ्तार पकड़ ली है, उसे धीमा करना अब मुमकिन नहीं. इस रफ्तार के बीच जो कभीकभार कुछ पल मिलते थे, वे भी छिन चुके हैं क्योंकि हमारे हाथों में, हमारे कमरे में और हमारे खाने की मेज पर एक चीज हम से हमेशा चिपकी रहती है और वह है इंटरनैट.

हालांकि इंटरनैट किसी वरदान से कम नहीं है. आजकल तो सारे काम इसी के भरोसे चलते हैं. जहां यह रुका, वहां लगता है मानो सांसें ही रुक गई हों. कभी जरूरी मेल भेजना होता है, तो कभी किसी सोशल साइट पर कोई स्टेटस या पिक्चर अपडेट करनी होती है. कभी वाट्सएप कौल करनी है, कभी कोई वीडियो देखना है.

इंटरनैट के बिना जहां जीना मुश्किल सा हो गया है वहीं यह इंटरनैट हमारे निजी पलों को हम से छीन रहा है. हमारे फुरसत के क्षणों को हम से दूर कर रहा है., हमारे रिश्तों को प्रभावित कर रहा है, अपनों के बीच दूरियां बढ़ा रहा है. इस की वजह से बहुत बड़ा कम्युनिकेशन गैप पैदा हो रहा है.

छिन गए हैं फुरसत के पल

चाहे औफिस हो या स्कूलकालेज, पहले अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद का जो भी समय हुआ करता था, वह अपनों के बीच, अपनों के साथ बीतता था. आज का दिन कैसा रहा, किस ने क्या कहा, किस से क्या बहस हुई जैसी तमाम बातें हम घर पर अपनों से शेयर करते थे, जिस से हमारा स्ट्रैस रिलीज हो जाता था. लेकिन अब समय मिलने पर अपनों से बात करना या उन के साथ समय बिताना भी हमें वेस्ट औफ टाइम लगता है. हम जल्द से जल्द अपना मोबाइल या लैपटौप लपक लेते हैं कि देखें डिजिटल वर्ल्ड में क्या चल रहा है.

कहीं कोई हम से ज्यादा पौपुलर तो नहीं हो गया है, कहीं किसी की पिक्चर को हमारी पिक्चर से ज्यादा कमैंट्स या लाइक्स तो नहीं मिल गए हैं, हम इन्हीं चक्करों में अपना वक्त जाया कर रहे हैं और अगर ऐसा हो जाता है, तो हम प्रतियोगिता पर उतर आते हैं. हम कोशिशों में जुट जाते हैं फिर कोई ऐसा धमाका करने की, जिस से हमें इस डिजिटल वर्ल्ड में लोग और फौलो करें.

भले ही हमारे निजी रिश्ते कितने ही दूर क्यों न हो रहे हों, हम उन्हें ठीक करने पर उतना ध्यान नहीं देते, जितना डिजिटल वर्र्ल्ड के रिश्तों को संजोने पर देते हैं.

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आउटडेटेड हो गया है औफलाइन मोड

–  आजकल हम औनलाइन मोड पर ही ज्यादा जीते हैं, औफलाइन मोड जैसे आउटडेटेड सा हो गया है.

–  यह सही है कि इंटरनैट की बदौलत ही हम सोशल साइट्स से जुड़ पाए और उन के जरीए अपने वर्षों पुराने दोस्तों व रिश्तेदारों से फिर से कनैक्ट हो पाए, लेकिन कहीं न कहीं यह भी

सच है कि इन सब के बीच हम ने निजी रिश्तों और फुरसत के पलों को खो दिया है.

–  शायद ही आप को याद आता हो कि आखिरी बार आप ने अपनी मां के साथ बैठ कर चाय पीते हुए सिर्फ इधरउधर की बातें कब की थीं या अपने छोटे भाईबहन के साथ यों ही टहलते हुए मार्केट से सब्जी लाने आप कब गए थे?

–  बिना मोबाइल के आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ कब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे?

–  अपनी पत्नी के साथ बैडरूम में बिना लैपटाप के बिना ईमेल चैक करते हुए कब यों ही शरारतभरी बातें की थीं?

–  अपने बच्चे के लिए घोड़ा बन कर उसे हंसाने का जो मजा है वह शायद इस जैनरेशन और अगली जैनरशन के पिता जान भी नहीं पाएंगे.

–  आजकल सिर्फ पिता ही नहीं, मांएं भी इंटरनैट के बोझ तले दबी हैं. वर्किंग वूमन के लिए  भी अपने घर पर टाइम देना और फुरसत में परिवार के साथ समय बिताना नामुमकिन सा हो गया है.

–  युवा तो पूरी तरह इंटरनैट की गिरफ्त में हैं और वहां से बाहर निकलना भी नहीं चाहते. आजकल जिन लोगों के पास इंटरनैट कनैक्शन नहीं होता या फिर जो लोग सोशल साइट्स पर नहीं होते, उन पर लोग हंसते हैं और उन्हें आउटडेटेड व बोरिंग समझ जाता है.

स्वास्थ्य के लिए जहर बनता इंटरनैट

–  डाक्टर की मानें तो सोशल साइट्स पर बहुत ज्यादा समय बिताना एक तरह का एडिक्शन है. यह ऐडिक्शन ब्रेन के उस हिस्से को एक्टिवेट करता है, जो कोकीन जैसे नशीले पदार्थ के एडिक्शन पर होता है.

–  ‘यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन’ की एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग सोशल साइट्स पर अधिक समय बिताते हैं, वे अधिक अकेलापन और अवसादग्रस्त महसूस करते हैं क्योंकि जितना अधिक वे औनलाइन इंटरैक्शन करते हैं, उतना ही उन का फेस टु फेस संपर्क लोगों से कम होता जाता है.

–  इंटरनैट का अधिक इस्तेमाल करने वालों में स्ट्रैस, निराशा, डिप्रैशन और चिड़चिड़ापन पनपने लगता है. उन की नींद भी डिस्टर्ब रहती है. वे अधिक थकेथके रहते हैं.

–  इन सब के बीच आजकल सैल्फी भी एक क्रेज बन गया है, जिस के चलते सब से ज्यादा मौतें भारत में ही होने लगी हैं.

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–  लोग यदि परिवार के साथ कहीं घूमने भी जाते हैं, तो उस जगह का मजा लेने के बजाय पिक्चर्स क्लिक करने के लिए बैकड्रौप्स ढूंढ़ने में ज्यादा समय बिताते हैं. एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम गुजारने की जगह सैल्फी क्लिक करने पर ही सब का ध्यान रहता है, जिस से ये फुरसत के पल बो?िल हो कर गुजर जाते हैं और हमें लगता है कि इतने घूमने के बाद भी रिलैक्स्ड फील नहीं कर रहे हैं.

–  मूवी देखने या डिनर पर जाते हैं, तो सोशल साइट्स के चैकइन्स पर ही हमारा ध्यान ज्यादा रहता है.

–  सार्वजनिक जगहों पर भी लोग एकदूसरे को देख कर अब मुसकराते नहीं क्योंकि सब की नजरें अपने मोबाइल फोन पर ही टिकी रहती हैं. रास्ते में चलते हुए या मौल में जहां तक भी नजर दौड़ाएंगे, लोगों की ?ाकी गरदनें ही पाएंगे. इसी के चलते कई ऐक्सीडैंट भी होते हैं.

  इंटरनैट से बढ़ते अपराध 

–  इंटरनैट ने साइबर अपराधों को इस कदर बढ़ा दिया है कि अब हर जिले में साइबर सैल बनाने जरूरी हो गए हैं. बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग साइबर अपराधों की चपेट में सब से ज्यादा हैं.

–  इंटरनैट पर आजकल आसानी से पोर्न वीडियो देखे जा सकते हैं. चाहे आप किसी भी उम्र के हों, अगर आप के हाथ में स्मार्ट फोन है तो आप पोर्न वीडियो देख सकते हैं. इंटरनैट के घटते रेट्स ने इन साइट्स की डिमांड और बढ़ा दी है. बच्चों पर जहां इस तरह की साइट्स बुरा असर डालती हैं, वहीं बड़े भी इन की गिरफ्त में आते ही अपनी सैक्स व पर्सनल लाइफ को रिस्क पर ला देते हैं. इस की लत ऐसी लगती है कि वे रियल लाइफ में भी अपने पार्टनर से यही सब उम्मीद करने लगते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि इन वीडियोज को किस तरह से बनाया जाता है. इन में गलत जानकारी दी जाती है, जिस का उपयोग निजी जीवन में संभव नहीं है.

–  अकसर ऐक्स्ट्रामैरिटल अफेयर्स भी औनलाइन ही होने लगे हैं. चैटिंग कल्चर लोगों को इतना भा रहा है कि अपने पार्टनर को चीट करने से भी वे हिचकिचाते नहीं हैं. इस से रिश्ते टूट रहे हैं, दूरियां बढ़ रही हैं.

–  कुछ युवतियां अधिक पैसा कमाने के चक्कर में गलत साइट्स के मायाजाल में फंस जाती हैं. बाद में उन्हें ब्लैकमेल कर के ऐसे काम करवाए जाते हैं, जिन से बाहर निकलना उन के लिए संभव नहीं होता है.

–  इंटरनैट बैंकिंग फ्रौड के केसेज भी अब आम हो गए हैं. आप की बैंक डिटेल पता कर के अपराधी आप के अकाउंट से सारा पैसा औनलाइन ही अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेता है और आप देखते रह जाते हैं. ये तमाम बातें स्पष्ट करती हैं कि इंटरनैट सुविधा की जगह मुसीबत ज्यादा बन गया है. इस ने हम से हमारे रिश्ते छीन लिए हैं, हमारी सुरक्षा छीन ली है, हमारे फुरसत के क्षण छीन लिए हैं और हमें अपनों के बीच अकेला कर दिया है.

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पति के वर्कहोलिज्म को समझना है जरुरी

भावना शाह का विवाह एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत ऐग्जीक्यूटिव से हुआ था, जो 2 साल से अधिक नहीं चला. वजह थी पति का काम से अत्यधिक प्यार. अपने वर्कहोलिक पति से दुखी भावना 16 घंटे अकेले गुजारती थी, क्योंकि उस का पति आधी रात को घर आता था. उस की जिंदगी में न कोई उत्साह रहा था, न रोमांस के लिए समय बचा था. इस कारण उन की सैक्स लाइफ पूरी तरह से प्रभावित हो रही थी. भावना चाहती थी कि कुछ घंटे तो कम से कम पति के साथ बिताए और इसीलिए उस ने अपनी नौकरी भी छोड़ी थी ताकि दोनों की व्यस्तता उन के वैवाहिक जीवन में कड़वाहट न घोल दे.

हफ्ते के 5 दिन मुश्किल से दोनों में कुछ मिनट बात हो पाती और शनिवार, रविवार घर के किसी काम, मेहमानों की आवभगत में गुजर जाते. तब भावना ने तंग आ कर अपने पति से तलाक ले लिया. हालांकि तलाक लेना समस्या का समाधान नहीं है, पर पति की हर समय काम करने की आदत से अधिकांश पत्नियां परेशान रहती हैं. वर्कहोलिक पति वे होते हैं, जिन के लिए उन का काम सब से पहले होता है और उस के सामने पूरा परिवार या अन्य सामाजिक सरोकार गौण होता है. ऐसे पति की पत्नी उस के साथ के लिए तरसती रहती है और वह काम में डूबा रहता है वर्कहोलिक पति की पत्नी अकसर तनाव में रहती है या पति का साथ न मिल पाने की वजह से हर समय चिड़चिड़ी रहती है. बातबात पर लड़ाई करना उस की आदत बन जाता है, जिस से चिढ़ कर पति और देर तक घर से बाहर रहने लगता है.

‘‘मैं अपने पति की हर समय काम में डूबे रहने की आदत से इस कदर परेशान हो गई थी कि कभीकभी तो मुझे लगता था कि जैसे मैं शोकेस में रखी कोई चीज हूं, जिसे 5-10 मिनट के लिए मेरे पति नजर उठा कर देख लेते हैं. वे घर में होते तब भी मैं उन से बात न कर पाने के कारण बोरियत महसूस करती. कितनी ही छोटीछोटी बातें मैं उन से करना चाहती, पर उन के पास टाइम ही कहां था मेरी बातोें के लिए.लड़ाईझगड़ा करने का भी जब उन पर कोई असर नहीं हुआ तो मुझे एहसास हुआ कि वे भी टाइम इज मनी के इस दौर का शिकार हैं. मैं ने धीरेधीरे जब उन के वर्कहोलिज्म को समझना शुरू किया तो मुझे उन का काम करना अब उतना बुरा नहीं लगता, बल्कि अब मैं उन्हें काम में सहयोग देने की कोशिश भी करती हूं,’’ यह कहना है हाउसवाइफ शालू का.

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मैरिड टू वर्क

आज के समय में हम अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने में इतने व्यस्त हैं कि हमारी सारी भावनात्मक ऊर्जाएं काम की ओर लगी हैं. हम काम के प्रति इतने आसक्त हो जाते हैं कि अपने निजी संबंधों के बारे में सोचना तक भूल जाते हैं. काम इस तरह हावी हो जाता है कि यह भी याद नहीं रहता कि पत्नी भी साथ व समय चाहती है. मैरिड टू वर्क की वजह से कई युगलों का वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ जाता है दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के मनोविज्ञान विभाग की सीनियर कंसल्टैंट डा. स्वाति कश्यप का कहना है, ‘‘अगर आप का पति वर्कहोलिक है, तो उसे इस बात के लिए ताना देने या उस से लड़ने के बजाय उस के साथ बैठ कर बातचीत करें. फिर ऐसा समाधान ढूंढ़ें, जो आप दोनों के लिए उपयुक्त हो. जब बात करने बैठें तो आमनेसामने बैठने के बजाय साथसाथ बैठें और मैं या तुम के बजाय हम का प्रयोग करें. बात करते हुए अपने पति को उन की इस आदत के लिए दोष न दें, न ही अपने प्रश्नों से उन्हें आहत करने की कोशिश करें. आप कह सकती हैं कि उन का साथ आप को अच्छा लगता है और आप उन के साथ अधिक से अधिक समय गुजारना चाहती हैं.’’

स्थिति का पता लगाएं

सब से पहले पति के वर्कहोलिक होने के कारण को समझना जरूरी है. क्या यह व्यवहार स्थायी है या कुछ समय के लिए? हो सकता है पति को प्रोमोशन मिलने वाला हो और इस के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही हो या किसी प्रोजैक्ट की डैडलाइन हो या फिर उन के बौस का दबाव उन पर ज्यादा हो. बौस को खुश करने और उन की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए वे काम में डूबे रहते हों. यह देखें कि किसी एक महीने या त्योहारों के समय वे ज्यादा काम करते हैं क्या? अगर ऐसा है तो यह स्थिति अस्थायी हो सकती है. यह समझने का प्रयास करें कि वे क्या सचमुच काम को ले कर गंभीर हैं या झगड़ालू बीवी से तंग आ कर ज्यादा समय औफिस में बिताते हैं. जब पति को घर में सुकून नहीं मिलता है, तो वह जल्दी घर आने से कतराता है. अगर पत्नी उस के वर्कहोलिज्म का कारण है तो समाधान मिलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी. अगर सचमुच पति को काम की लत है और वे आप को नजरअंदाज करने या आप से बचने के लिए काम में नहीं डूबे रहते तो यह स्वीकार कर लें कि आप अपने पति को नहीं बदल सकती हैं. आप स्वयं को बदल सकती हैं. आप के व्यवहार के बदले में आप के पति में परिवर्तन आ सकता है.

कैसे निबटें पति के Workaholism से

पति के काम की कद्र करें:

अगर आप के पति ही अकेले कमाने वाले हैं और उन पर पूरे परिवार का दायित्व है, तो यह समझना आवश्यक है कि उन का काम उन के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है. वे आप की और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही दिनरात मेहनत करते हैं. अगर आप उन के काम में सहयोग दे सकती हैं तो दें, लेकिन उन्हें उलाहने देते हुए परेशान न करें. दिन में 1-2 बार फोन कर के उन का हालचाल पूछें ताकि उन्हें एहसास हो कि आप उन की चिंता करती हैं और उन के काम की कद्र भी. काम शेयर करें: अगर पति औफिस के काम में उलझे रहते हैं, तो घर के अन्य कामों को करने के लिए उन पर जोर न डालें. घर के अन्य दायित्व अपने ऊपर ले लें ताकि वे निश्चिंत हो कर काम कर सकें.

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पानी या बिजली का बिल आदि जमा करने या घर के लिए खरीदारी का काम अपने हाथ में ले कर उन के काम को शेयर करें. आप के इस सहयोग को वे समझेंगे और आप के लिए समय निकालने का प्रयास अवश्य करेेंगे. घरपरिवार या बच्चों की छोटीछोटी समस्याओं का समाधान खुद कर लें. पति को परेशान न करें. घर का माहौल सुखद बनाएं: अकसर पत्नी के तानों व हर समय बड़बड़ाने की आदत से परेशान हो कर पति काम को उस से दूर रहने का जरिया बना लेता है. अगर घर में शांति का माहौल नहीं होता तो उस का घर आने का मन नहीं करता. घर का वातावरण सुकून भरा हो और अपनेपन की खुशबू उस में बहती हो, ऐसा करना पत्नी का दायित्व होता है. अगर घर में उसे प्यार मिलेगा तो वह घर आने के लिए लालायित रहेगा. कोई हौबी अपनाएं : अगर पति के लिए इतना काम करना अनिवार्य है, तो अपने समय को काटने के लिए किसी हौबी को अपनाएं. किताबें पढ़ें, अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाएं. कुछ ऐसा करें, जिस में आप को खुशी मिले. इस से आप पति को ताने देने से भी बच जाएंगी और कुछ रचनात्मक काम करने का भी मौका मिलेगा. फिर जितना भी समय आप साथ होंगे, वह दोष देने व शिकायतें करने में ही नहीं बीतेगा.

शादी: दो दिलों का खेल या दो दिलों का बंधन?

शादी के पहले हम हज़ारों सपने देखते हैं कि हम अपनी शादी में यह करेंगे वह करेंगे, सारी रस्मे निभाएंगे. हम बहुत खुश होते हैं. लेकिन क्या होता है शादी के बाद? हमारे अंदर ईगो आ जाता है क्यों?

क्या ईगो हमारे प्यार से ज्यादा जरूरी है हमारे आत्म सम्मान से ज्यादा जरूरी है?

अहंवाद में आकर शादी के जोड़े अपनी शादी को बर्बाद कर देते हैं. आत्म सम्मान और अहंकार के बीच एक ऐसी रेखा है जिसकी दूर दूर तक कोई समानता नहीं है.

कुछ लोग तो आत्म सम्मान और अहंकार में फर्क ही नहीं समझते . दोनों के बीच कोई समानता नहीं है यह दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग है. आत्मसम्मान का मतलब खुद का सम्मान करना और ईगो का मतलब दूसरों का अनादर करना .

अहंवाद एक ऐसी समस्या है जिससे ना जाने कितने रिश्ते टूटते और बिखरते हैं.

इस अहंकार की वजह से ही रिश्तों की खनक नहीं गूंजती. अपने हो पार्टनर के सामने किसी और की तारीफ करना ये डिवोर्स का बड़ा कारण हैं.

अपनी सीमा को मत लांघे , क्यूंकि एक सीमा से कोई भी चीज उपयुक्त नहीं है.

कैसे इगो को खत्म करें :

अगर आपको अपने पार्टनर की कोई चीज अच्छी लगती है तो उसकी तारीफ करने से कभी नहीं हिचकिचाएं. ऐसा करने से आपके बीच में प्यार बढ़ेगा और दूरियां कम होंगी.

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हम सब जानते हैं कि दो पार्टनर एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन कहने से हिचकिचाते हैं. ये हिचक आपके लिए अनावश्यक समस्याओं को जन्म दे सकती है.

बोलना बहुत जरूरी है.

अपने पार्टनर को कभी भी किसी के लिए ignore मत करें और किसी बाहर वाले के सामने सिर्फ अपनी तारीफ मत करो अपने पार्टनर की तारीफ भी करें. अगर ऐसा नहीं है तो यही तलाक का बहुत बड़ा कारण बन सकता है.

तारीफ करें

अपने आपको अपने पार्टनर के सामने सबसे अच्छा बताना तो यह करने की वजह है अगर आप उससे यह कहे कि तुम मेरी जिंदगी के सबसे लकी पर्सन हो तो यह आपके रिश्ते के लिए अच्छा होगा.

क्योंकि अहम इंसान का ना सिर्फ ईगो बनाता है बल्कि उसे दलदल में धकेल देता है जिससे हमारा रिश्ता टूटने में मिनट भी नहीं लगता.

एक दूसरे  को समझें

एक दूसरे की भावनाओं को समझें एक दूसरे की गलतियां एनालाइज करें और आपस में सुलझा लें. अगर किसी एक को कोई समस्या है तो वह अपने पार्टनर से शेयर करें खुद में मत उलझे रहे वरना वह समस्या और बढ़ जाएगी और आपके अलगाव की दूरियां और कम हो जाएंगी.

अगर आपके पास कोई फाइनेंशियल प्रॉब्लम आ भी जा जाए तो एक दूसरे पर चिल्लाने की बजाए एक दूसरे का साथ दें, उसका हल निकाले. क्योंकि अक्सर इंसान जब परेशान होता है तो वह अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पाता है और चिल्लाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. लेकिन यह हमारे रिश्ते पर भारी पड़ सकता है और हमारा रिश्ता टूट कर बिखर जाता है.

थोड़ा सा टाइम निकालें

कभी-कभी क्या होता है कि हमारे पार्टनर के पास टाइम नहीं होता है तो वही हमें बहुत तकलीफ देता है तो इस समस्या का भी हल निकले अगर अपने रिश्ते को बचाना चाहते हैं तो.

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अगर आप अपने काम में बिजी हैं तो थोड़ा सा टाइम निकालें ताकि अपने पार्टनर के साथ बैठकर कुछ बातें कर सके कुछ प्यार के पल बिता सकें इससे आपके पार्टनर को अच्छा फील होगा. अपने पार्टनर के साथ बैठे कुछ प्यार भरी बातें करें एक दूसरे को समझे. इससे आपके अंदर ही हो कब होगा और आपके बीच की दूरियां भी कम होंगी.

अगर आपका पार्टनर कोई नया काम करने जा रहा है तो उसे सराहें. उस को प्रोत्साहित करें. कभी भी हतोत्साहित मत करें . इससे आपका प्यार और बढ़ेगा आपके रिश्ते में चार चांद लगेंगे और उसका काम करने में ही मन लगेगा. क्योंकि क्या होता है ना कि जब हम को नया काम करने जाते हैं तो हमें अंदर से डर रहता है तो कुछ देर अपने पार्टनर के पास बैठे और इस बारे में सलाह करें.

व्यक्तिगत सुख की गारंटी नहीं शादी

माहिरा एक मध्यमवर्गीय परिवार की पढ़ीलिखी और समझदार लड़की थी. पढ़ाई खत्म होते ही उस के मांबाप ने एक संपन्न घराने के इकलौते वारिस से उस की शादी करा दी. मांबाप ने अपनी तरफ से बेटी के लिए अच्छा घरबार और कमाऊ पति की तलाश की थी. वे निश्चिंत थे कि अब उन की बेटी का जीवन सुखमय बीतेगा मगर ऐसा हो न सका. शादी के कुछ समय बाद ही माहिरा को पता चल गया कि उस के पति का संबंध किसी दूसरी औरत से भी है.

माहिरा ने जब सवाल किया तो उस के पति ने दो टूक शब्दों में जवाब दिया,” मैं सिर्फ तुम्हारा नहीं हो सकता. मेरे जीवन में कोई और है जो तुम से बहुत ज्यादा अहमियत रखती है. उस के बिना मैं जी ही नहीं सकता.”

“तो फिर शादी भी उसी से करते,” चिढ़े हुए स्वर में माहिरा ने कहा.

“मेरे मॉमडैड ने करने नहीं दिया. सो टेक इट इजी और जैसा चल रहा है वैसा चलने दो. वरना जो है उस से भी हाथ धो बैठोगी,” बेशर्मी से उस के पति ने कहा.

अपने पति का जवाब सुन कर माहिरा के पास कहने को कुछ भी नहीं रह गया. उसे एक शादीशुदा जिंदगी का सुख मिल कर भी नहीं मिला था. कहने को वह एक बहुत बड़े घर की बहू बन कर आई थी मगर उस की जिंदगी से सुख और सुकून हमेशा के लिए जा चुके थे. वह खुद को कितना भी समझाने की कोशिश करती पर पति की अवहेलना उस के दिल को कचोटती रहती. वह छिपछिप कर रोती पर मांबाप से कुछ भी कह नहीं पाती. आखिर उन्हें बुढ़ापे में तकलीफ कैसे दे सकती थी.

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कई महीने ऐसे ही बीत गए पर हालात नहीं बदले तो माहिरा ने एक फैसला लिया. वह ऑनलाइन जौब सर्च करने लगी. जैसे ही उसे जौब कंफर्म हुई उस ने ससुराल छोड़ने और किराए का घर ले कर अलग रहने का फैसला किया. हिम्मत कर के उस ने अपना यह फैसला अपने पैरेंट्स को बताया. पहले तो उन्होंने उसी को एडजस्ट करने की सलाह दी पर माहिरा के इनकार करने पर वे उसे अपने पास बुलाने लगे.

माहिरा ने उन्हें समझाया, “आप लोग मेरी चिंता न करें. मैं पढ़ीलिखी हूं, जॉब कर के आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहती हूं. आप के ऊपर बोझ बन कर नहीं रह सकती. प्लीज मुझे मेरी खुशियां चुनने का अधिकार दें. ”

मांबाप ने फिर कुछ नहीं कहा. माहिरा अपनी खुशियों की तलाश में निकल पड़ी. शादी के बाद माहिरा जैसी परिस्थितियां किसी के साथ भी आ सकती हैं. जिस तरह माहिरा ने इस अप्रत्याशित स्थिति से निकलने का सम्मानजनक रास्ता चुना वैसा ही हर स्त्री को करना चाहिए. खुद को हर परिस्थिति के लिए तैयार रखना चाहिए.

शादी ख़ुशी का सर्टिफ़िकेट नहीं

लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर( जो एक हैप्पीनेस एक्सपर्ट भी हैं ) पॉल डोलन के शब्दों में ‘शादी पुरुषों के लिए तो फायदेमंद है लेकिन महिलाओं के लिए नहीं. इसलिए महिलाओं को शादी के लिए परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि वे बिना पति के ज्यादा खुश रह सकती हैं. खासकर मध्यम आयु वर्ग की विवाहित महिलाओं में अपनी हमउम्र अविवाहित महिलाओं की तुलना में शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने का ज्यादा खतरा होता है. इस से वे जल्दी मर भी सकती हैं.’

विवाहित महिलाओं की तुलना में अविवाहित महिलाएं ज्यादा खुश रहती हैं

शादीशुदा, कंवारे, तलाक़शुदा, विधवा और अलग रहने वाले लोगों पर किए गए सर्वे के आधार पर पॉल डोलन का कहना है कि आबादी में जो हिस्सा सब से स्वस्थ और खुशहाल रहता है वह उन महिलाओं का है जिन्होंने कभी शादी नहीं की और जिन के बच्चे नहीं हैं. उन के मुताबिक़ जब पतिपत्नी एक साथ होते हैं और उन से पूछा जाए कि वे कितने खुश हैं तो उन का कहना होता है कि वे बहुत खुश हैं. लेकिन जब पति या पत्नी साथ में नहीं हो तो वे स्वाभाविक रूप से यह कहते सुने जा सकते हैं कि जिंदगी हराम हो गई है.

कहीं भी अगर शादी की बात पर बहस होती है तो शादी की जरुरत के कई कारण बताए जाते हैं, जैसे नई सृष्टि की रचना, भावनात्मक सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, औरत मां बन कर ही पूरी होती हैं, नारी पुरूष एकदूसरे के पूरक हैं, समाज में अराजकता रोकने मे सहायक आदि. ये सारे कारण शादी को महज एक जरुरत का दर्जा देते हैं मगर कोई यह नहीं कहता कि हम ने शादी अपनी खुशी के लिये की है.

ज्यादातर घरों में लड़कियों को बचपन से शादी कर के खुशीखुशी घर बसाने के सपने दिखाए जाते हैं. हर बात पीछे उन्हें समझाया जाता है कि शादी के बाद वह अपने मन का कर सकेगी, शादी के बाद उसे बहुत प्यार मिलेगा, शादी के बाद वह अपने घर जाएगी या फिर शादी के बाद ही उस का जीवन सार्थक होगा वगैरहवगैरह. मगर सच तो यह है कि शादी के बाद भी बहुत सी लड़कियों के सपने हकीक़त के आईने में बेरंग ही नजर आते हैं ——

अपना घर

घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा लड़कियों के मन में बचपन से यह बात भरी जाती है कि मां का घर उस का अपना नहीं है. उसे मायका छोड़ कर ससुराल जाना पड़ेगा और वही उस का अपना घर कहलाएगा. ससुराल पहुंच कर लड़की को पता चलता है कि वह इस घर में बाहर से आई है और कभी सगी नहीं कहलाएगी. वह बहू ही रहेगी कभी बेटी नहीं हो सकती. मायके में जब उसे किसी चीज की कमी होती है या वह कुछ जिद करती है तो मांबाप समझाते हैं कि ससुराल में हर ख्वाहिश पूरी कर लेना. मायके के पास पैसों की कितनी भी कमी हो पर लड़की को कभी महसूस नहीं होने देते. जबकि ससुराल कितना भी धनदौलत से पूर्ण हो पर लड़की को अपनी सीमा में रहना होता है. शुरुआत में कई साल उसे घरपरिवार के किसी भी मसले में बोलने का हक नहीं दिया जाता. ससुराल वाले कितने भी एडवांस हों मगर बहू तो बहू ही होती है. वह बेटे या बेटी की बराबरी नहीं कर सकती.

अकेलापन

लड़कियों को बचपन से शादी के सपने दिखाए जाते हैं. जिस लड़की की किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती या फिर वह स्वयं शादी करना नहीं चाहती तो मांबाप या रिश्तेदारों के साथसाथ सारा समाज उसे सिखाता है कि शादी के बाद ही लाइफ सेटल हो पाती है. शादी के बिना जीवन में कुछ भी नहीं रखा. भले ही वह लड़की सेल्फ डिपेंडेंट हो, अच्छा कमा रही हो मगर उसे बुढ़ापे का डर जरूर दिखाया जाता है. उसे बताया जाता है कि जब घर में सब खुद के परिवारों में व्यस्त हो जाएंगे तो वह अकेली रह जाएगी. यह सोच काफी हद तक सही है क्योंकि समय के साथ जब मांबाप चले जाते हैं और भाईबहन अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं तब अविवाहित लड़की खुद को अकेला महसूस करती है. मगर इस का समाधान कठिन नहीं. वह यदि अपने काम में व्यस्त रहे और रिश्तेदारों व दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बना कर रखे तो इस तरह की समस्या नहीं आती. दूसरी तरफ शादी करने के बावजूद यदि वह पति और ससुराल वालों के साथ बना कर नहीं रख पाती या वह विधवा हो जाती है या उस का तलाक हो जाता है तब क्या वह अकेली नहीं हो जाती? इसी तरह मान लीजिये कि उस के बच्चे नहीं होते और बुढ़ापे में पतिपत्नी ही रह जाते हैं. बाद में पति के जाने के बाद भी उसे अकेले ही जीवन गुजारना होता है. कहने का मतलब है कि आप ऐसा नहीं कह सकते कि शादी कर के उसे कभी अकेला नहीं रहना पड़ेगा. जीवन में कुछ भी अप्रत्याशित हो सकता है.

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महत्वपूर्ण यह नहीं होता कि अविवाहित लड़की अकेली रह जाएगी या शादीशुदा. महत्वपूर्ण यह है कि वह उस परिस्थिति को हैंडल कैसे करती है. यदि वह किसी भी हालत में पॉजिटिव रह सकती हैं, सेल्फ डिपेंडेंट है और आत्मविश्वास बनाए रखती है तो फिर उसे घबराने की जरूरत नहीं.

मां बनना जरूरी

लड़कियों को बचपन से यह भी सिखाया जाता है कि एक औरत मां बनने के बाद ही पूर्ण होती है. लड़कियों पर कम उम्र में ही शादी के लिए दवाब डाला जाता है ताकि वह सही उम्र में मां बन जाए. मां बनना जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. मगर जरा सोचिए इस के कारण लड़की को सब से पहले तो अपनी पढ़ाई और करियर बीच में छोड़ना पड़ता है. फिर वह शादी कर दूसरे घर आ जाती है और वहां एडजस्टमेंट कर ही रही होती है कि हर तरफ से बच्चे के लिए दबाव पड़ने लगते हैं. सही समय पर बच्चे हो गए तो सब अच्छा है पर मान लीजिए किसी कारण से बेबी नहीं हुए तब क्या होता है? दबी आवाज़ में उस पर ही इल्जाम लगाए जाते हैं. उसे भाग्यहीना और बांझ कह कर पुकारा जाता है. सालों साल बच्चे की चाह में घरवाले उसे पंडेपुजारियों और झाड़फूंक वालों के पास ले जाते हैं. इन सब के बीच उस महिला को कितना मेंटल स्ट्रेस होता होगा यह बात समझनी भी जरूरी है.

पति गलत आदतों का शिकार निकल जाए

शादी के बाद जरूरी नहीं कि आप की जिंदगी खुशहाल ही रहेगी. शादी के समय आप को यह पता नहीं होता कि आप का पति कैसा है ? पति अच्छा निकला तो लड़की सुकून भरी जिंदगी जीती है मगर जरूरी नहीं कि हमेशा ऐसा ही हो. कितनी ही लड़कियां शादी के बाद अपने शराबी पति के अत्याचारों का शिकार बन जाती हैं तो कुछ पति की बेवफ़ाई से परेशान रहती हैं. कुछ के पति बिज़नेस डुबो देते हैं तो कुछ दोस्तबाजी के चक्कर में बीवी को रुलाते रहते हैं. बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो पत्नी के साथ मारपीट करते हैं और उन्हें अपने पैरों की जूती से ज्यादा नहीं समझते. ऐसे में आप यह कैसे कह सकते हैं कि शादी के बाद लड़की को सुख ही मिलेगा और उस का जीवन संवर जाएगा. संभव तो यह भी है न कि उस की जिंदगी बर्बाद ही हो जाए और उसे उम्र भर घुटघुट कर जीना पड़े.

ससुराल वालों के सितम

कई बार ऐसा भी होता है कि मांबाप तो अच्छा घर देख कर बेटी की शादी करते हैं मगर नतीजा उल्टा निकलता है. बहुत से मामलों में ससुराल वाले लड़की पर जुल्म करते हैं. कभी दहेज के लिए धमकाते हैं तो कभी घरेलू हिंसा करते हैं. बहुत सी लड़कियों को ससुराल में जिंदा जला दिया जाता है. कुछ घरों में ऊपरी तौर पर भले ही कुछ न किया जाए पर दिनरात ताने दिए जाते हैं, बुराभला कहा जाता है. अक्सर सास बहू के खिलाफ बेटे के कान भरती पाई जाती है. ऐसे हालातों में लड़की को शादी के बाद घुटघुट कर जीना पड़ता है और उन की जिंदगी खुशहाल होने के बजाय और भी बर्बाद हो जाती है.

मांबाप का कर्तव्य है कि वे अपनी बेटियों को हमेशा अप्रत्याशित के लिए तैयार रहने के काबिल बनाएं. शादी के बाद भी ऐसा बहुत कुछ हो सकता है जिस का मुकाबला करने के लिए खुद को मजबूत बनाना पड़ता है, दिमाग से ही नहीं, मन से और तन से भी . बेहतर होगा कि लोग बेटियों पर शादी के लिए दबाव डालने के बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएं.

लड़कियों को भी खुद को इस लायक बना कर रखना चाहिए कि वे ऐसे हालातों में भी सहजता से अपना जीवनयापन कर सकें. कोई कठिन परिस्थिति आए तो उस से निबट सकें. खुद को फाइनेंशली स्ट्रौंग बना कर रखें. पढ़ाई पूरी नहीं की है तो कोई हुनर सीखें ताकि जरूरत पड़ने पर खुद को आत्मनिर्भर बना सकें. हमेशा बचत करने की आदत रखें. दिमाग से भी इतने स्ट्रौंग बन कर रहें कि छोटी सी बात पर घबड़ाने या हिम्मत हारने के बजाए नए रास्ते खोज सकें.

शादी करनी मजबूरी क्यों

एक शादीशुदा महिला ही जानती है कि असल में उसे क्याक्या झेलना पड़ता है. यही वजह है कि आज बहुत सी लड़कियां शादी करना नहीं चाहतीं. उन का मानना है कि जब वे खुद कमा रही हैं और शांति से जी रही हैं तो फिर शादी कर के अपनी परेशानियां क्यों बढ़ाएं. दरअसल हमारा सामाजिक तानाबाना ही इस तरह का रहा है जहां यह माना जाता है कि महिलाओं का काम घर संभालना और बच्चे पैदा करना होता है जबकि पुरुषों का काम कमाना और महिलाओं को संरक्षण देना है. लेकिन वक्त के साथ महिलाओं और पुरुषों के रोल बदल रहे हैं ऐसे में सोच बदलना भी लाज़िमी है. यह सही है कि अविवाहित जीवन में महिलाओं को अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. मगर शादी भी इंसान को अनेक सामाजिक व पारिवारिक झंझटों में फंसाती है. तो फिर अविवाहित जीवन को गलत या हेय क्यों माना जाए? क्यों न लड़कियों को खुद तय करने दिया जाए कि उसे क्या करना है.

30 – 35 साल से ऊपर की अविवाहित महिला अब भी लोगों की आंखों में खटकती है. लड़की भले ही कितना भी पढ़लिख ले और ऊँचे पद पर पहुँच जाए लेकिन उसे ससुराल भेज कर ही मातापिता के सिर से बोझ उतरता है. ज्यादातर लोगों की सोच यह होती है कि 30 साल से ऊपर की अविवाहित लड़की सुखी हो ही नहीं सकती. सुख का सीधा संबंध शादी से है. मगर सच तो यह है कि सुखी या दुखी और खुश या नाखुश होने की परिभाषा सब के लिये अलग अलग होती है. ऐसी बहुत सी अविवाहित महिलाएं हैं जो तीस के ऊपर हैं और अपनेआप मे पूर्ण हैं . आप मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, पीनाज़ मसानी, बरखा दत्त, सोनल मान सिंह जैसी बहुत सी महिलाओं का नाम ले सकते हैं. हम यदि कहीं भी अचीवर्स लिस्ट ढूंढते हैं तो कभी भी शादी क्राइटेरिया नहीं होता. यानी जीवन में आप की ख़ुशी शादी पर निर्भर नहीं करती.

यह सच है कि पुराने समय से भारत में नारी को केवल माँ /बहन /बेटी और पत्नी के रूप मे देखा जाता रहा है लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि जिस ने इस परंपरा को नहीं अपनाया वह ग़लत है. शादी किसी भी तरीके से समाज मे अपना स्थान बनाने का कोई मापदंड नहीं हैं. शादी करना या न करना अपना व्यकिगत निर्णय होना चाहिये. इसे सामाजिक व्यवस्था का निर्णय मान कर या व्यक्तिगत सुख की गारंटी मान कर नहीं चला जा सकता. मातापिता का कर्तव्य हैं की बच्चों को शिक्षित करें, आत्म निर्भर बनाए और उस के बाद अपने जीवन के निर्णय ख़ुद लेने दें. सब के सुख अलगअलग होते हैं. सुख को अगर परिभाषित करे तो कोई भी इंसान जब अपने मन की करता है या कर पाता है शायद तभी वह सब से सुखद स्थिति में होता है.

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विवाह तभी करना चाहिए जब आप किसी को इतना चाहें कि उस के साथ जीवन बिताना चाहें. मगर जिसे शादी में रुचि न हो उसे कभी भी नहीं करना चाहिए. प्रेम हो तो शादी करें मगर उस में भी खुशी मिलेगी ही यह कहा नहीं जा सकता. जीवन में ख़ुशियाँ चुननी पड़ती हैं. कोई हाथ में रख कर नहीं देता. खुशियाँ पाने का यत्न हम सभी करते हैं. कभी सफल होते हैं तो कभी असफल. विवाह करना या न करना व्यक्ति का निजी मामला है. इस में कोई कुछ नहीं कह सकता. हमारे समाज में शादीशुदा, अविवाहित और समलैगिक के लिये व्यक्ति के स्तर पर समान इज़्ज़त होनी चाहिये. कोई क्या चुनता है यह व्यक्तिगत मसला है.

थोड़ी सी बेवफ़ाई में क्या है बुराई

हाल ही में सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी का एक पुराना वीडियो काफ़ी वायरल हो गया. इस वीडियो में ममता महिलाओं के प्रति अपने खुले विचारों का प्रदर्शन करती हुई नज़र आईं. वायरल वीडियो में ममता कहती हुई दिख रही हैं कि अगर कोई भी महिला अपने पसंद के पुरुष के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखना चाहती है तो वह बिलकुल रख सकती है.

उन के शब्दों में ,’ मैं सभी गृहिणियों को यह बताना चाहती हूँ कि यदि आप कभी भी एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध में रहना चाहती हैं तो आप यह कर सकती हैं. इस के लिए मैं आप को अनुमति दूँगी.’

ममता बनर्जी द्वारा दिए गए इस टेंपटेशन का बहुत से लोगों ने विरोध किया, नाकभौं सिकोड़े. बहुतों ने इसे नैतिकता विरोधी बताया तो कुछ लोग महिलाओं के जीवन में सच्चरित्रता की आवश्यकता पर उपदेश देने बैठ गए. लोगों को यह बात हजम ही नहीं हुई कि औरतों को ऐसे संबंधों की छूट भी मिल सकती है.

पर जरा सोचिये क्या हमारे समाज में इस मामले में पूरी तरह से दोहरे मानदंड नहीं हैं? पुरुष वैश्याओं के पास जाएं, अपनी यौन क्षुधा की पूर्ति के लिए रेप करें, वासना की आग में जल कर छोटीछोटी बच्चियों की जिंदगी बर्बाद कर डालें तो भी ज्यादातर लोग मुंह पर टेप लगा कर बैठे रहते हैं. उस वक्त महिलाओं पर हो रहे शोषण को देख कर उन का खून नहीं खौलता. उस वक्त पुरुषों की सच्चरित्रता की आवश्यकता भी महसूस नहीं होती. पर जब बात स्त्रियों की आती है तो लोगों का नजरिया ही बदल जाता है. स्त्रियों पर नैतिकता के झूठे मानदंड स्थापित किये जाते हैं. सच्चरित्रता के नाम पर स्त्रियों पर बंधन डालना एक तरह से धार्मिक षड्यंत्र ही है. धर्मग्रंथों ने हमेशा हमें यही सिखाया है कि स्त्रियां पुरुषों की दासी हैं. पुरुष हर जगह अपनी मनमरजी से चल सकते हैं मगर स्त्रियों को एकएक कदम भी पूछ कर ही आगे बढ़ाना चाहिए.

यह वही समाज है जहां नीयत पुरुषों की खराब होती है और घूँघट औरतों को लगा दिया जाता है. बदचलनी पुरुष करते हैं और बदनाम औरतों को कर दिया जाता है. ऐसे में अगर कोई बराबरी की बात करे, महिलाओं को खुल कर जीने का मौका देने की वकालत करे तो धर्म के तथाकथित रक्षकों के सीने पर सांप लोटने लगते हैं. जब पुरुष बेवफाई करे तो मसला बड़ा नहीं होता मगर स्त्री बात भी कर ले तो हायतौबा मच जाती है.

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आज के समय में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर कोई बड़ी बात नहीं रह गई है. बड़े शहर हों या छोटे जब स्त्री पुरुष मिल कर काम करते हैं, एकदूसरे के साथ वक्त बिताते हैं तो ऐसे रिश्ते बनने बहुत स्वाभाविक हैं. अस्वाभाविक बस इतना है कि स्त्रियां ऐसा करें या करने की बात भी कर दें तो नैतिकता का पालन कराने वाले तथाकथित धर्म रक्षकों के सीने में आग लग जाती है.

शादी में समर्पण का बोझ सिर्फ महिलाओं पर

अगर एक पुरुष एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स में इन्वॉल्व होता है और इस की जानकारी घरवालों को होती है तो भी कोई कुछ नहीं कहता. मगर यही काम एक औरत करे तो हल्ला मच जाता है. समाज के तथाकथित संचालक और धर्म व संस्कारों के रक्षक हंगामे खड़े कर देते हैं. उस महिला का समाज में निकलना दूभर कर दिया जाता है. घरवाले उस पर तोहमतें लगाने लगते हैं. आज अगर औरतें कह रही हैं कि हमें अपने पति के अलावा भी बाहर कहीं रिश्ता बनाने का हक़ है तो यह बात लोगों को हजम नहीं होती. लेकिन आदमी को सारी छूटें मिली हुई हैं. इस तरह के भेदभाव पूर्ण रवैये ने हमेशा ही औरतों को शिकंजे में रखा है. शादी होती है तो यह वचन लिया जाता है कि दोनों अपने साथी के लिए ही समर्पित रहेंगे. लेकिन इस वचन का पालन सिर्फ औरतों से ही कराया जाता है.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से कुछ लोगों को मिलती है खुशी

अमेरिका की एक रिसर्च बताती है कि विवाहेतर संबंध रखने वाले कुछ लोग ज्‍यादा खुश रहते हैं. अमेरिका की मिसौरी स्‍टेट यूनिवर्सिटी की डॉ. एलीसिया वॉकर ने एश्‍ले मेडिसीन नामक एक डेटिंग साइट के एक हजार से ज्यादा यूजर्स के बीच एक सर्वे किया. यह डेटिंग साइट भी अनोखी है जो केवल विवाहित जोड़ों या रिलेशनशिप में रह रहे कपल्स के लिए डेटिंग सुविधा उपलब्ध कराती है. सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि अपनी गृहस्‍थी से बाहर किसी से संबंध बनाने के बाद उन के जीवन की संतुष्टि’ पर क्या असर पड़ा.

10 में से 7 लोगों ने कहा कि विवाहेतर संबंध करने के बाद वे अपनी शादीशुदा जिंदगी से ज्‍यादा संतुष्ट हैं. आंकड़ों के मुताबिक पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं अपने विवाहेतर संबंधों की वजह से ‍ज्यादा खुश थीं. इस संतुष्टि को प्रभावित करने वाले बहुत से कारकों में सर्वप्रमुख था, अपनी गृहस्थी में पार्टनर से यौन संतुष्टि न मिल पाना लेकिन बाहर वाले पार्टनर से इस खुशी का मिलना.

अफेयर खत्म होने के बाद और खुशी

जब यह विवाहेतर संबंध खत्म हो जाते हैं तब क्‍या अपने पार्टनर को धोखा देने वाले को पछतावा होता है? इस सवाल का जवाब भी हैरान करने वाला था. शोध में शामिल लोगों ने कहा कि विवाहेतर संबंध खत‍म होने पर तो जीवन में पहले से भी ज्यादा संतुष्टि का अनुभव होता है.

PubMed नामक एक जर्नल में भी इसी तरह की एक रिसर्च छपी थी जिस में कहा गया था कि जो लोग अपनी शादी के बाहर किसी से अफेयर करते हैं, लेकिन इस की जानकारी अपने पार्टनर को नहीं देते, वे ज्यादा खुश रहते हैं.

थोड़ी सी बेवफ़ाई

इस का मतलब यह नहीं कि शादीशुदा जिंदगी की समस्‍याओं से निपटने का यह सही समाधान है. अपने पार्टनर को धोखा दे कर मिलने वाली खुशी अस्‍थायी होती है. पहले बातचीत कर के आप को अपनी शादीशुदा जिंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए. मगर परिणाम बेहतर न निकलें तो खुद परेशान होते रहने से बेहतर है कि जीवन में कुछ रोमांच लाएं भले ही इस के लिए थोड़ी सी बेवफ़ाई ही क्यों न करनी पड़े.

पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं के एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप

आप को एक सच और बता दें और वो यह कि इस मामले में स्त्रियां आगे हैं. एक्स्ट्रा मैरिटल डेटिंग ऐप ग्लीडन ने एक रिसर्च किया जिस में 53 फीसदी भारतीय महिलाओं ने माना है कि वे अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ इंटिमेट रिलेशनशिप में हैं. जबकि शादी के बाहर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखने वाले पुरुषों की संख्या 43 फीसदी थी.

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ग्लीडन का यह रिसर्च ऑनलाइन कराया गया था जिस में दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के 1500 लोगों ने भाग लिया. रिसर्च में खुलासा हुआ कि पुरुषों के मुकाबले उन महिलाओं की संख्या ज्यादा थी जो नियमित रूप से अपने पति के अलावा अन्य पुरुषों से रिश्ता रखती हैं.

सर्वे के मुताबिक़ 77 प्रतिशत भारतीय महिलाओं का कहना था कि उन के द्वारा पति को धोखा देने की वजह उन की शादी का नीरस हो जाना था. जब कि कुछ ने इसलिए धोखा दिया क्योंकि पति घरेलू कामों में हिस्सा नहीं लेते हैं. वहीं कुछ को शादी से बाहर एक साथी को खोजने से जीवन में उत्साह का अहसास हुआ. 10 में से 4 महिलाओं का मानना है कि अजनबियों के साथ मौजमस्ती के बाद जीवनसाथी के साथ उन का रिश्ता और अधिक मजबूत हुआ है.

प्रश्न यह उठता है कि क्या शादी जैसी संस्था महिलाओं के लिए बोझ बन रही है और क्या इस के लिए पुरुष ज्यादा जिम्मेदार हैं या फिर यह समाज की दकियानूसी सोच के खिलाफ महिलाओं की बगावत है.

बराबरी के नहीं पतिपत्नी के रिश्ते

भारत में पतिपत्नी के रिश्तों में बहुत भेदभाव है. ये रिश्ते बराबरी के नहीं हैं. ज्यादातर घरों में पति को मुखिया और पत्नी को दासी बना दिया जाता है. पति दूसरी औरत के साथ हंसीमजाक करे तो यह स्वाभाविक है और औरत करे तो वह वैश्या हो जाती है. पति रूपए कमाए तो वह सर्वेसर्वा बन जाता है मगर पत्नी कमाई करे फिर भी नौकरानी की तरह घर को भी संभाले. पति के लिए ऑफिस चले जाना ही उन की ड्यूटी है जो वह कर रहा है. वहीं पत्नी अगर वर्किंग है तो भी पूरे घर के काम कर के ही ऑफिस जा सकती है. वह बीमार है तो भी कोई मदद करने नहीं आता. यही वजह है कि अब महिलाऐं अपने बारे में भी सोचना चाहती हैं ताकि उन के जीवन में कुछ एक्साइटमेंट आए.

प्यार और तारीफ की जरूरत सब को होती है

शादीशुदा जिंदगी एक वक्त के बाद नीरस हो जाती है. देखा जाए तो महिला की जिंदगी काफी कठिन है. पुरुष ऑफिस जा कर फ्री हो जाते हैं. लेकिन महिलाओं को घर की हर छोटीछोटी ज़रूरतों का ख्याल रखना पड़ता है और बदले में तारीफ के दो शब्द भी नहीं मिलते. ऐसे में महिलाएं ऐसा शख्स ढूंढने लगती हैं उन्हें कहे कि वे सब से ज्यादा सुंदर हैं. शादी के कुछ दिन बाद या फिर बच्चे होने के बाद से ही पति उन्हें भाव नहीं देते. दो शब्द तारीफ़ के भी नहीं कहते. पहले की तरह रोमांस में समय भी नहीं बिताते. ऐसे में अपने अंदर पहले सी ताजगी और उत्साह लाने के लिए दूसरे पुरुष की तरफ उन का झुकाव हो सकता है.

महिलाएं क्‍यों करती हैं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स

पति/पत्नी यानी जीवनसाथी से इंसान अपने मन की हर बात शेयर करता है. हर राज खोल देता है. खासकर महिलाएं जब तक किसी से अपना सुखदुख शेयर न कर लें उन्हें चैन नहीं पड़ता. मगर कई बार जब पत्नी को अपने पति का पूरा साथ नहीं मिल पाता और पति उसे इग्नोर करता है तो पत्नियां अपने दिल की बातें शेयर करने के लिए किसी और को तलाशती हैं और इस में ऐसा कुछ बुरा भी नहीं है. इस से उन की जिंदगी में वह उत्साह, उमंग और तरंग फिर से जागने लगती हैं जो अन्यथा उन की रोजाना की वैवाहिक जिंदगी से गायब हो चुकी थी.

जब विवाहित जिंदगी में सेक्स रोजाना का एक बोझिल रूटीन बन जाता है तो समझिये वह समय आ गया है जब महिलाएं अपने जीवन में खुशियां और उत्साह वापस लाने के लिए किसी अफेयर से जुड़ने की ख्वाहिश रखने लगती हैं. यह लव अफेयर उन्हें किसी सौगात से कम नहीं लगता.

अक्सर अपने बिजी शेड्यूल के कारण पति और पत्नी समानांतर जिंदगी जीने लगते हैं. उन्हें आपस में बातचीत करने का भी समय नहीं मिल पाता. यहां तक कि वीकेंड और छुट्टी के दिन भी वे एकदूसरे से कटेकटे ही रहते हैं. बच्चों के जन्म के बाद भी कई पति अपनी पत्नी से पहले सा प्यार नहीं कर पाते. वे उन्हें एक बच्चे की मां के रूप में देखने लगते हैं. अपनी पत्नी या प्रेमिका के रूप में नहीं देख पाते. ऐसे में महिलाओं के मन में अवसाद और निराशा पनपने लगती है. इस से निकलने के लिए ही वे ऐसे रिश्ते की तलाश करती हैं.

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वस्तुतः महिलाएं अपने पति से प्यार और आत्मीयता चाहती है और जब यह आत्मीयता महिलाओं को अपनी जिंदगी में नहीं मिलती तो उन के पास शादी से बाहर प्यार की तलाश करने के अलावा और कोई विकल्प बाकी नहीं रहता.

सच तो यह है कि महिलाओं के लिए असफल शादी की स्थिति को झेलने से ज्यादा बुरा कुछ नहीं होता. जिस शादी में अपनापन, इज़्ज़त और पति के प्यार की कमी होती है वहां महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. वे अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं. ऐसे में शादी से बाहर प्रेम संबंध बना कर वे अपनी उबाऊ और असफल शादी के दर्द को भुलाने का प्रयास करती हैं. महिलाएं किसी अपने जैसे पार्टनर की तलाश करने का प्रयास करती हैं जिन की रुचियां और आदतें उन से मिलतीजुलती हों. इस में गलत क्या है?

जब पति या प्रेमी हो Narrow Minded

कहीं आप भी तो किसी संकीर्ण मानसिकता को डेट नहीं कर रहीं? क्या आप अपने पार्टनर यानि की प्रेमी के साथ पूरा दिन टाइम स्पेंड करने के बाद भी अच्छा फील नहीं करती? तो समझ जाइए कि आपका पार्टनर संकीर्ण मानसिकता है. संकीर्ण मानसिकता इंसान हमेशा सिर्फ खुद की तारीफ ही सुनना पसंद करता है. वो समझता है कि वह सबसे श्रेष्ठ है. शोध के मुताबिक संकीर्ण मानसिकता कोई अचानक या एकदम से आई बीमारी नहीं होती. ये बचपन से ही होती है. इसमें इंसान अपनी कमियों को दूर करने के लिए खुद को प्यार करने लगता है और खुद को पैम्पर करने लगता है. संकीर्ण मानसिकता समस्या तब बनती है जब, वो आत्मकेन्द्रित हो जाता है और दूसरों की भावनाएं उसके लिए कोई मायने नहीं रखती. इन्हें सिर्फ अपनी तारीफ ही सुनना पसंद होती है. आज का हमारा ये लेख खास इस विषय पर आधारित है. जहां हम आपको संकीर्ण मानसिकता से निपने के तरीके बताएंगे जो आपके रिलेशन शिप में काफी काम आने वाले हैं.

1. दें अच्छी सीख-

आप इस बात को अच्छे से समझ लें कि संकीर्ण मानसिकता किसी की भी अचानक से नहीं होती. ये बचपन से ही पनपने लगती है. ऐसे में आप उउनके प्रति अपना व्यवहार संतुलित रखें. जब वो कोई अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ करें, लेकिन गलती पर उसे उसकी गलती का एहसास भी दिलाएं. उसे जितना तैयार आप जीत के लिए करती हैं, उतना ही तैयार हार को अपनाने के लिए भी करें. अच्छी जिन्दगी की अच्छाई और बुराई के बीच सही संतुलन की सीख दें.

2. काउंसलिंग आएगी काम-

अगर आप रिलेशनशिप में हैं. और अगर आपको अपने पार्टनर के अंदर संकीर्ण मानसिकता की भावना नजर आने लगे तो उसे इग्नोर ना करें उनकी बेहतरी के लिए उन्हें काउंसलिंग के लिए ले जाएं. अगर समय रहते इसका उपचार शुरू किया गया तो इस समय पर काबू पाना भी आसान हो जाएगा.

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3. भावनाओं का रखें ख्याल-

संकीर्ण मानसिकता इंसान के साथ किसी भी रिश्ते में रहना आसान नहीं होता. आपका साथी हमेशा आपकी भावनाओं को अनदेखा करता है. उसकी सोच काफी छोटी लग सकती है. ऐसी स्थिति में आप अपनी भावनाओं को ना खोएं. बेबाकी से अपनी बात को उसी तरह रखें. जिस तरह आपका पार्टनर रखता है. यही एक मात्र ऐसा जरिया है, जिसकी मदद से आप अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकती हैं.

4. सीमाएं करें निर्धारित-

रिश्ता कैसा भी हो उसमें कहीं ना कहीं एक सीमा का निर्धारित होना जरूरी है. इसकी जरूरत तब और भी ज्यादा हो जाती है जब आपका पार्टनर संकीर्ण मानसिकता वाला हो. वो सिर्फ अपनी ही चलाने की कोशिश करता हो. सिर्फ अपनी इच्छाओं की ही बात करता हो. आप इसे खुद पर थोपे ना. आप खुद को इससे दूर रखने के लिए सीमाओं को निर्धारित करें. साथ ही उन्हें इस बात का भी एहसास दिलाएं की आपका भी कुछ पर्सनल स्पेस है. जिसके अंदर किसी को भी आने की परमीशन नहीं है.

5. बहस से रहें दूर-

हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि संकीर्ण मानसिकता वाले इंसान के साथ रहना ये उससे किसी भी तरह की बहस करनी काफी मुश्किल हो सकती है. आपको जब भी लगे कि आपके पार्टनर से आपकी बहस शुरू होने वाली है तो आप उस बहस से खुद को साइड में रखकर दूरी बना लें. आप इसका मतलब ये बिलकुल भी ना समझें कि आप हार गयीं या आपकी गलती है. आप इसे समझदारी समझें. क्योंकि संकीर्ण मानसिकता का इंसान हर हाल में आपको गलत साबित करेगा. जिससे आपका आत्मबल भी टूट सकता है.

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6. ना करें माफ़ी की उम्मीद-

संकीर्ण मानसिकता इंसान सिर्फ अपनी केयर करता है. ऐसे में कई बार वो आपकी भावनाओं को भी ठेस पहुंचा सकता है. जिसके बाद भी वो आपसे माफ़ी नहीं मांगता. लगातर झूठ बोलना उसकी आदत होती है. तो आपके लिए ये सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप उनके इस व्यवहार को लेकर कोई भी उम्मीद ना लगाएं. आप उन्हने यूं ही माफ़ी करने के बजाय उनकी गलतियों का उन्हें एहसास दिलाएं.

तो ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनकी मदद से आप खुद को संकीर्ण मानसिकता इंसान से बचा सकती हैं. अगर आप किसी संकीर्ण मानसिकता के साथ डेट कर रही हैं तो पीछे हटने के बजाए आप खुद के व्यवहार में बदलाव करें. जो आपके लिए भी सही रहेगा.

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