अनियमित मासिकधर्म का गर्भावस्था पर असर

असामान्य मासिकधर्म न केवल आप के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि गर्भवती होने की आप की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. अपने मासिकधर्म चक्र पर ध्यान रखने से खुद के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है.

मासिकधर्म चक्र क्या है

यदि शरीर प्राकृतिक नियमों और उन के क्रियाकलापों का पालन करता है, तो हर लड़की और महिला को पीरियड 21 से 35 दिनों के अंदर होता है. इस का साफ मतलब यह भी हो सकता है कि आप को एक कैलेंडर महीने में 2 बार पीरियड हो सकता है. प्रत्येक चक्र को 2 चरणों में विभाजित किया जा सकता है- फौलिक्यूलर फेज और ल्यूटियल फेज.

आप के पीरियड का पहला दिन आप के चक्र का पहला दिन है और फौलिक्यूलर फेज की शुरुआत को चिन्हित करता है, जिस के दौरान मस्तिष्क के उत्तेजित हारमोन (एफएसएच), जोकि फीमेल सैक्स हारमोन है, मस्तिष्क से निकलता है ताकि एक प्रमुख फौलिकल (कूप) जिस में एक अंडाणु होता है उस के विकास को प्रोत्साहित कर सके. चूंकि अंडाणु परिपक्व होता है, फौलिकल गर्भाशय के स्तर की वृद्धि को उत्तेजित करने के लिए ऐस्ट्रोजन को निर्गत करता है.

दूसरे चरण की शुरुआत ओव्युलेशन की शुरुआत के साथ होती है जो ल्यूटियल फेज की शुरुआत को चिन्हित करता है. इस फेज के दौरान अंडाशय गर्भाशय की परत को परिपक्व करने के लिए प्रोजेस्टेरौन को निर्गत करता है और इसे भ्रूण के प्रत्यारोपण के लिए तैयार करता है. अगर गर्भावस्था अस्तित्व में नहीं आती है, तो प्रोजेस्टेरौन का स्तर गिरता है और रक्तस्राव 14 दिनों के अंदर होता है जब ल्यूटियल फेज समाप्त हो जाता है.

21 से 35 दिनों का सामान्य मासिकचक्र यह दर्शाता है कि ओव्युलेशन अस्तित्व में आया और सभी यौन हारमोन प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने के लिए संतुलित हैं. 35 दिनों या इस से अधिक समय तक जारी लंबे या अनियमित मासिकधर्म चक्र से यह संकेत मिलता है कि ओव्युलेशन नियमित नहीं है या यह अस्तित्व में ही नहीं आ रहा है. ऐसा तब होता है जब एक फौलिकल परिपक्व और अंडाकार नहीं होता है और प्रोजेस्टेरौन को निर्गत करने की अनुमति नहीं देता है.

गर्भाशय की परत ऐस्ट्रोजन के कारण निर्माण जारी रखती है और इतनी मोटी हो जाती है कि यह अस्थिर हो जाती है और अंत में इस की वजह से रक्तस्राव होता है. अकसर भारी रक्तस्राव होता है.

एक छोटा मासिकधर्म चक्र 21 दिनों से कम समय में होता है जो इंगित करता है कि ओव्युलेशन बिलकुल अस्तित्व में नहीं आया. यह यह भी संकेत दे सकता है कि आप के अंडाशय में सामान्य से कम अंडाणु पैदा हो रहे हैं और रजोनिवृत्ति समीप आने वाली है. इस की पुष्टि करने के लिए आप को खून की जांच करने की जरूरत होती है. अंडाशय में अंडाणुओं की घटती संख्या के साथ मस्तिष्क एक फौलिकल विकसित करने के लिए अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए अधिक एफएसएच निर्गत करता है. इस का परिणाम समय से पहले फौलिकल और ओव्युलेशन के विकास में होता है. इस के अलावा कभीकभी रक्तस्राव तब भी हो सकता है जब आप छोटे मासिकचक्र की वजह से ओव्युलेट की स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाती हैं.

यदि आप को रक्तस्राव 5 से 7 दिनों से अधिक समय तक हो रहा है, जिस के परिणामस्वरूप सिलसिलेवार तरीके से यह दर्शाता है कि आप को ओव्युलेशन प्राप्त नहीं हुआ है. यदि आप को इस से अधिक समय तक या फिर पीरियड के बीच में रक्तस्राव होता है, तो यह गर्भाशय या गर्भाशय के भीतर संभावित पौलिप्स, फाइब्रौयड, कैंसर या फिर संक्रमण के कारण हो सकता है. यदि भू्रण इस समय गर्भाशय में प्रवेश करता है, तो गर्भधारण कर पाने में अक्षमता या गर्भपात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

छोटा मासिकचक्र

छोटा मासिकचक्र निम्नलिखित में से किसी एक को इंगित कर सकता है:

अंडाणु की खराब गुणवत्ता: छोटा चक्र विशेषरूप से उम्रदराज महिलाओं में डिंबग्रंथि की गुणवत्ता में कमी को दर्शाता है. आप का मासिकधर्म चक्र उम्र के साथ घटता जाता है. खासतौर से पहले भाग के समय जिस के दौरान अंडाणु परिपक्व होता है और ओव्युलेशन के लिए तैयार होता है. एक अविकसित अंडाणु पूरी तरह परिपक्व नहीं हो सकता है और इस की वजह से गर्भाधान की स्थिति कमजोर हो सकती है.

गर्भपात का जोखिम: छोटे मासिकधर्म चक्र वाली महिलाओं की तुलना में 30 से 31 दिनों के मासिकधर्म चक्र वाली महिलाओं में गर्भधारण करने की अत्यधिक संभावना होती है. जिन महिलाओं का मासिकधर्म छोटा होता है वे गर्भधारण तो कर लेती हैं, लेकिन उन में गर्भावस्था के नुकसान या फिर गर्भपात होने की संभावना अधिक रहती है. यदि ल्यूटियल फेज छोटा होता है, तो गर्भावस्था के अवसर को बढ़ाने वाली स्थिति के लिए छोटी जगह ही मिलती है.

 

अनियमित हो रहे पीरियड्स तो करें ये घरेलू उपाय

महिलाओं में असमय पीरियड्य की समस्या एक समान्य बात है. पीरियड्स में कभी कभी अनियमितता आम है पर जब ये परेशानी हमेशा होने लगे तो आपको सचेत हो जाना चाहिए. कई महिलाओं में पीरियड्स में 15 से 20 दिनों की देरी हो जाती है. अगर महिलाओं को इतने दिनों तक पीरियड्स ना आएं तो उन्हें कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं. इसमें बदन दर्द,पीठ में दर्द,बालों का झड़ना, घबराहट प्रमुख परेशानियां हैं.

इस दौरान आपको बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है ये सब हार्मोन परिवर्तन होने की वजह से होता है. इस खबर में हम बताएंगे कि मासिक धर्म या पीरियड की होने वाली परेशानियों का घरेलू उपचार आप कैसे कर सकती हैं. इन नुस्खों से आपके पीरियड की समस्या दूर हो जाएगी.

जीरा

home made remedies for irregular periods

पीरियड्स से होने वाली परेशानियों में जीरा काफी कारगर होता है. इसके अलावा उस दौरान होने वाले दर्द में भी काफी राहत देता है. इससे आपको आयरन मिलता है जो महिलाओं में पीरियड्स के दौरान कम हो जाता है. एक चम्‍मच जीरे में साथ 1 चम्‍मच शहद का सेवन हर रोज करें.

बादाम

home made remedies for irregular periods

रात को 2 छुआरे और 4 बादाम को पानी में भिगो कर रख दें. सुबह इनके साथ थोड़ा सी मिश्री के साथ इन्हें पीस लें और मक्खन के साथ इसका सेवन करें. मासिक धर्म से जुडी समस्याएं दूर हो जाएंगी.

अदरक

home made remedies for irregular periods

पीरियड्स को नियमित करने के लिए अदरक बेहद लाभकारी है. इससे पीरियड्स में होने वाले दर्द में भी काफी आराम मिलता है. इसके लिए आप आधा चम्मच अदरक को पीस लें और 1 कप पानी में सात मिनट तक उबालें. अब इसमें थोड़ी शक्कर डालें और खाना खाने के बाद इसे दिन में 3 बार पिएं. ऐसा कम से कम 1 महीने तक करे.

कच्‍चा पपीता

पीरियड्स की परेशानी में कच्चा पपिता काफी कारगर होता है. इसमें ढेर सारा पोषण, एंटीऔक्‍सीडेंट और बीमारी को ठीक करने वाले गुण होते हैं. कच्‍चे पपीते का सेवन मासिक धर्म से जुड़ी हर समस्‍याएं ठीक हो सकती हैं.

पीरियड्स के दौरान भूल कर भी ना खाएं ये चीजें, कम होगी परेशानी

महिलाओं को मासिक धर्म यानि पीरियड्स में काफी परेशानी होती है. सुस्ती और मूड स्विग्स के अलावा उन्हें काफी तेज दर्द का सामना भी करना पड़ता है. कई लड़कियां इस वक्त में इसता परेशान होती हैं कि वो डिप्रेशन में चली जाती हैं. इन दिनों में आपको काफी सोच समझ कर और संतुलित खान पान रखना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान अपनी सेहत को बनाए रखने के लिए आपको पौष्टिक आहार लेना चाहिए. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि इस दौरान आप किस तरह की खानपान से दूरी बनाएं जिससे आपको ज्यादा परेशान ना होना पड़े.

  • चीनी युक्‍त खाद्य पदार्थों से बनाएं दूरी

avoid these eatables during periods

कोशिश करें कि स दौरान चीनी युक्‍त खाद्य पदार्थ पीरियड्स के समय ना खाएं. ये और भी ज्‍यादा दर्द पैदा करते हैं.पर अगर मीठा खाने का मन करे भी तो, आप मीठे फल जैसे, आम, तरबूज या सेब आदि खा सकती हैं.

  • फैट वाले खानों से रहे दूर

avoid these eatables during periods

इस दौरान आप फैट वाले खानों से दूर रहें. जैसे मीट में भारी मात्रा में सैच्यूरेटेड फैट पाया जाता है. इसके सेवन से आपके पेट में सूजन और दर्द हो सकता है. पिरीयड्य में ये परेशानी काफी ज्यदा बढ़ जाती है. इस दौरान अगर आपको नौन वेज में कुछ खाना हो तो आप मछली का सेवन कर सकती हैं.

  • शराब

avoid these eatables during periods

शराब हमेशा नुकसानदायक होता है. इसे कभी भी हाथ नहीं लगाना चाहिए. पर खास कर के इस वक्त शराब को और भी ज्‍यादा नुकसानदायक होती है. इससे ये डिप्रेशन होती है. यह खून को और भी ज्‍यादा पतला बनाती है, जिससे पीरियड्स कई दिनों के लिये बढ़ सकते हैं. चाय पीजिये ना कि शराब.

  • बेक किया हुआ फूड

avoid these eatables during periods

बेक्ड फूड हमेशा लोगों को काफी आकर्षित करते हैं. ये काफी टेस्टी होते हैं. पर इसमें भी ट्रांस फैट भारी मात्रा में होता है. पीरियड्स के दौरान इससे दूरी बनाएं क्योंकि यह आपके एस्‍ट्रोजन लेवल को बढ़ा सकता है और इससे यूट्रस में दर्द होता है. इसकी जगह पर आप ब्रेड खा सकती हैं, जिससे आपको काफी सारा फाइबर मिले.

  • गैस बनाने वाले खानों को कहें ना

avoid these eatables during periods

पीरियड्य के दौरान ऐसे सभी खाद्य पदार्थों से आप दूरी बना लें जो गैस बनाती हों. फास्ट फूड, तले हुए खानोंसे बचें और साबुत आहार खाएं जो कि हेल्‍दी होते हैं. असके अलावा आप मेवे भी खा सकती हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें