कम करना है वजन तो खाएं ये पांच चीजें

बढ़ते हुए वजन से अक्सर लोग परेशान रहते हैं. यही कारण है कि अपने वजन को समान्य करने  के लिए वो तरह तरह के उपाय करते रहते हैं. जैसे डाइटिंग और जिम. हालत से होती है कि लाख कोशिशों के बाद भी उनकी सेहत पर कुछ खास असर नहीं होता है और वो अवसादग्रस्त हो जाते हैं.

वजन कम करने के लिए लोग डाइटिंग करते हैं पर इससे कोई खास फायदा नहीं होता. उल्टे वो कमजोर होते जाते हैं. खानापीना कम करने से सेहत पर भी खासा बुरा असर पड़ता है. वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपकी डाइट काफी बैलेंस्ड हो. जिससे आपका वजन भी कंट्रोल में रहे और आपको जरूरी उर्जा भी मिलती रहे.

इस खबर में हम आपको ऐसी डाइट के बारे में बताएंगे जिससे आपको जरूरी उर्जा भी मिलेगी और आपका वजन भी काबू में होता. तो आइए जाने कि क्या खाना आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा.

1. वेजिटेबल और फ्रूट सैलड

जितना फैट हम बर्न करते हैं उससे ज्यादा कैलोरी कंज्यूम करते हैं जिसके कारण हमारा वजन बढ़ जाता है. हेल्दी रहने के लिए और वजन को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि हम हरे साग, सब्जियों और फलों का सेवन करें. आपको बता दें कि हरे साग सब्जियों और फलों में पानी की मात्रा भरपूर होती है. इसके अलावा इनमें फाइबर भी प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इनका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता और सेहत भी अच्छी रहती है.

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2. फलियां

आपको बता दें कि फलियों में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर का भी ये प्रमुख स्रोत है. मेटाबौलिज्म को मजबूत करने में इनका काफी अहम योगदान होता है. इनका सेवन करने से प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग नहीं होती, जिससे वजन काबू में रहता है.

3. नट्स

भरपूर मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन और अनसैचूरेटेड फैट का स्रोत होते हैं नट्स. कई तरह की बीमारियों में हमें बचाने में ये काफी कारगर होते हैं. हालांकि जरूरी है कि इनका प्रयोग सीमित मात्रा में हो.

4. पानी

अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो जरूरी है कि आप खूब पानी पिएं. डीहाइड्रेटड मांसपेशियां वजन कम करने में सबसे बड़ी बाधा होती हैं. कम पानी पीने से शरीर के मेटाबौलिज्म पर काफी बुरा असर होता है. ज्यादा पानी पीने से भूख भी काबू में रहती है जिससे वजन नहीं बढ़ता है.

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5. अंडा

लोगों में ये धारणा आम है कि अंडा खाने से वजन बढ़ता है. पर हम आपको बता दें कि आपका सोचना गलत है. अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, वहीं उसके पीले हिस्से में, जिसे जर्दी कहते हैं, प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. जानकारों की माने तो नाश्ते में अंडा खाना हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. इससे हमारे शरीर को जरूरी पोषण भी मिलता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. एक रिपोर्ट की माने तो जिन लोगों ने 5 दिनों तक ब्रेकफास्ट में अंडे खाए, उन लोगों का वजन दूसरे लोगों के मुकाबले 65 फीसदी ज्यादा कम हुआ.

ब्लड प्रेशर मरीज फायदेमंद है टमाटर

टमाटर हमारी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. इसके कई सेहत लाभ हैं. हाइपर टेंशन एक गंभीर बीमारी है जिससे आपको दिल संबंधी समस्याएं होती हैं. अपनी डाइट में टमाटर जोड़ कर इस समस्या का जोखिम कम किया जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि टमाटर कैसे ब्लड प्रेशर की परेशानी में फायदेमंद है.

अमेरिका के हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी औक्सीडेंट पाया जाता है. जो लोग टमाटर का नियमित तौर पर सेवन करते हैं, उनमें ब्लड प्रेशर की शिकायत कम देखी गई है.

जानिए कैसे लाभकारी है टमाटर

tomatoes for blood pressure patients

टमाटर में विटामिन ई प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इसके अलावा टमाटर पोटैशियम का भी महत्वपूर्ण स्रोत है. इससे शरीर में फ्लूइड इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है, साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. इसलिए अगर आप हाइपरटेंशन की मरीज हैं तो टमाटर का अधिक सेवन करें. आप इसे सलाद या सब्जियों में मिलाकर खा सकते हैं. इसके अलावा इसे टोमेटो सूप, रसम या चटनी के रूप में भी खाया जा सकता है.

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tomatoes for blood pressure patients

आपको बता दें कि टमाटर में लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन जैसे कैरोटीनौइड होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऔक्सीडेंट्स हैं. इनकी मदद से शरीर में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय हो कर आसानी से फ्लश हो जाते हैं. इससे न केवल एथेरोस्लेरोसिस की प्रगति धीमी होती है बल्कि औक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है.

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मां-बाप को रखना है तनाव से दूर तो उन्हें सिनेमा दिखाएं

सिनेमा किसे नहीं पसंद होता. पर फिल्में हमेशा मनोरंजन के लिए नहीं होती, ये हमें बहुत कुछ सिखाती भी हैं. कई शोधों में ये बात सामने आई है कि जो लोग सिनेमा देखते हैं, ना देखने वालों की तुलना में उनका दिमाग ज्यादा सक्रिय रहता है, उनमें रचनात्मकता अच्छी होती है और मानसिक तौर पर वो ज्यादा स्वस्थ होते हैं. इस खबर में हम आपको सिनेमा से जुड़ा एक रोचक जानकारी देने वाले हैं.

हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि सिनेमा, थिएटर जैसे माध्यमों से नियमित रूप से संपर्क में रहने वाले बुजुर्ग तनाव से दूर रहते हैं. तनाव एक गंभीर समस्या है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं, विशेषकर बुजुर्ग.

शोध में 50 वर्ष से ज्यादा के करीब ढाई सौ लोगों को शामिल किया गया था. इस अध्ययन में ये बात सामने आई कि लोग जो प्रत्येक दो-तीन महीने में फिल्म, नाटक या प्रदर्शनी देखते हैं, उनमें तनाव विकसित होने का जोखिम 32 फीसदी कम होता है, वहीं जो महीने में एक बार जरूर इन सब चीजों का लुत्फ उठाते हैं, उनमें 48 फीसदी से कम जोखिम रहता है.

ब्रिटेन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इन सांस्कृतिक गतिविधियों की शक्ति सामाजिक संपर्क, रचनात्मकता, मानसिक उत्तेजना और सौम्य शारीरिक गतिविधि के संयोजन में बेहद लाभकारी है.

जानकारों के मुताबिक, ये सारे माध्यम कई तरह के मानसिक विकारों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. जब आप इन माध्यमों से जुड़ते हैं तो आपके दिमाग को काफी आराम मिलता है. वो रिलैक्स पोजिशन में होता है. खास कर के जो लोग उम्र के एक खास पड़ाव पर खड़े हैं उन्हें जरूरत है कि खुद को तनाव से दूर रखने के लिए इस तरह के माध्यमों का सहारा लें.

तेजी से वजन कम करना है खतरनाक

मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए वजन कम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए लोग सब कुछ करने को तैयार होते हैं. वो एक्सरसाइज करते हैं, डाइटिंग करते हैं, दवाइयां लेते हैं, पर कई बार उन्हें इसका परिणाम मन मुताबिक नहीं मिलता. वजन जल्दी कम करने की इस जद्दोजहत में लोग कई गलत तरीके अपना बैठते हैं और उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर होता है.

आइए जाने कि जल्दी वजन कम करने के लालच में सेहत का क्या नुकसान होता है.

डिहाइड्रेशन

quick weight loss is dangerous to health

वेटलौस की कई डाइट्स से शरीर में डिहाइड्रेशन होता है. शरीर में पानी की कमी होने से कब्ज, सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और एनर्जी की कमी होने लगती है. साथ ही स्किन भी अधिक ड्राई हो जाती है.

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शरीर में न्यूट्रिशन की कमी

वजन कम करने के लिए लोग अक्सर कैलोरी फ्री डाइट लेने लगते हैं, जिसका असर होता है कि उनके शरीर से न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है. जैसे कि कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट नहीं होता है, जो शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी होता है. यही कारण है कि जिन लोगों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट की कमी होती है, उन लोगों को जल्दी थकान महसूस होने लगती है. साथ ही ऐसे लोगों का मूड भी तेजी से स्विंग होता है. कई लोगों में खून की कमी भी हो जाती है.

दिमाग के लिए होता है बुरा

वेट लौस से शरीर के साथ साथ मानसिक सेहत भी बुरी तरह से प्रभावित होती है.  डाइट के बिगड़ने और शरीर में न्यूट्रिशन की कमी होने से कई प्रकार की मानसिक समस्याएं होने लगती हैं.

मेटाबौलिज्म के लिए सही नहीं

मोटापे से परेशान लोग वजन कम करने के चक्कर में अक्सर भूल जाते हैं कि वजन कम करने से मेटाबौलिज्म पर बुरा असर होता है. डाइट में कैलोरी की कमी होने से मेटाबॉलिज्म के काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है. बता दें, मेटाबौलिज्म के सही ढंग से काम ना करने की वजह से वजन कम होने के बजाए बढ़ने लगता है.

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मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं

वजन कम करने वाली डाइट से कई बार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. लंबे समय तक इस डाइट का सेवन मांसपेशियों के लिए अच्छा नहीं होता.

पीरियड्स में पर्सनल हाइजीन का रखें ख्याल

भारत में सिर्फ 12% महिलाएं ही पर्सनल हाइजीन यानी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं जो काफी चौंकाने वाला आंकड़ा है, क्योंकि अगर इस पर्सनल हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं तो यह हमें ढेरों बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. यहां तक कि हम यूटीआई, कैंसर जैसी घातक बीमारियों के भी शिकार हो जाते हैं.

‘द नैशनल हैल्थ मिशन औफ द मिनिस्ट्री औफ हैल्थ ऐंड फैमिली वैलफेयर औफ इंडिया’ स्वच्छ भारत अभियान के साथ मिल कर मैंस्ट्रुअल हाइजीन व सैनिटरी पैड्स के प्रति अवेयरनैस बढ़ाने का काम कर रहा है. आप को बता दें कि देश लंबे समय से प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है, जिस में प्लास्टिक पौल्यूशन चरम पर है और इस में सैनिटरी पैड्स का अहम रोल है, क्योंकि भारत में हर साल 11,300 टन प्लास्टिक बरबाद होता है. प्लास्टिक नौनबायोडिग्रेडेबल की श्रेणी में आता है. ऐसे में जरूरत है पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने वाले और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करने की.

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पर्सनल हाईजीन से समझौता नहीं

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं माहवारी के समय सैनिटरी पैड्स की जगह कपड़ा, न्यूजपेपर, पत्ते, रेत या फिर राख का इस्तेमाल करती हैं, जिस से उन्हें इन्फैक्शन के साथसाथ गर्भाशय कैंसर तक हो सकता है. इसीलिए सरकार अब सस्ते पैड्स बना रही है ताकि माहवारी के दौरान हर महिला को कपड़े आदि के प्रयोग से छुटकारा मिले और वह सुरक्षित सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करे.

क्या होते हैं ईको फ्रैंडली पैड्स

वैसे तो आप को मार्केट में सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा पैड मिल जाएगा, लेकिन फर्क सिर्फ यह है कि जो सिंथैटिक पैड्स होते हैं उन में 90% प्लास्टिक, पौलिमर्स, परफ्यूम व कई कैमिकल होते हैं जो महिला की संवेदनशील त्वचा के लिए हानिकारक साबित होते हैं, जबकि ईको फ्रैंडली सैनिटरी पैड्स विभिन्न नैचुरल बायोडिग्रेडेबल पदार्थों से बनते हैं, जो पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इन की सोखने की क्षमता भी काफी ज्यादा होती है. बहुत ही सौफ्ट होने के कारण ये महिला की वैजाइना की सैंसिटिव त्वचा के लिए पूरी तरह सेफ हैं.

अब समय आ गया है ऐसे सैनिटरी नैपकिन को इस्तेमाल करने का जो उन दिनों में आप की पर्सनल हाइजीन का खयाल रखने के साथसाथ पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए.

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बायोडिग्रेडेबल पैड्स

ये पैड्स प्राकृतिक पौधों के फाइबर से बने होते हैं. ये डिस्पोजल के 6 महीनों से 2 साल के बीच में गल जाते हैं, जो पर्यावरण के लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है.

रीयूजेबल पैड्स

इन पैड्स को आप धो कर भी कई बार यूज कर सकती हैं. ये हाइजीनिक होने के साथसाथ स्किन पर भी किसी तरह की जलन व रैशेज नहीं होने देते.

अगर आप सफर पर जा रही हैं तो अब परेशान न हों कि सैनिटरी पैड्स को फेंकने के लिए पौलिथीन बैग्स या टिशू पेपर भी कैरी करना पड़ेगा, क्योंकि अब मार्केट में ऐसे पैड्स बनने लगे हैं जो डिस्पोजल बैग के साथ आते हैं ताकि आप पैड को यूज कर के आसानी से उस में फेंक सकें. ये बैग्स पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं.

माहवारी कोई समस्या नहीं है, बल्कि एक सामान्य शारीरिक क्रिया है. इस दौरान खुद को बंधन में बंधा महसूस करने के बजाए सुरक्षित सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें और जीएं जिंदगी खुल कर.

जानिए ज्यादा खाने पर भी क्यों नहीं मोटी होती हैं आप

बहुत से लोगों को शरीर में खाना नहीं लगता है. वो चाहे कितना भी खाना खा लें पर उनकी सेहत पर इसका असर नहीं होता है. क्या कभी आपने सोचा है कि कुछ लोगों का वजन बिना अनहेल्दी चीजें खाएं ही बढ़ने लगता है, तो वहीं कुछ लोग सब कुछ खाकर भी बिल्कुल स्लिम कैसे रहते हैं?  क्या आपको पता है कि ऐसा होता क्यों है? अगर नहीं तो हम आपको इसके पीछे का कारण बताएंगे.

हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो लोग बिना कुछ मेहनत किए ही स्लिम रहते हैं, उसके लिए उनकी जींस (genes) जिम्मेदार होती हैं. स्टडी में शोधकर्ताओं ने ये दावा किया है कि कुछ लोगों में जींस की ऐसी श्रृंखला होती है जो उनके मेटाबौलिज्म को बढ़ाती है. जिसके कारण उनके शरीर का फैट तेजी से कम होता है.

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स्टडी में इस जींस को करीब 1600 लोगों में देखा गया. कई लोगों में इसका असर ये भी हुआ कि उन्हें खाने में दिलचस्पी कम हो गई. ये भी एक कारण समझा गया जिससे लोग पतले हो जाते हैं.

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जबकि स्टडी में शामिल 40 फीसदी लोग ऐसे थे जो खाने के काफी शौकीन थे. जो भी उनकी मर्जी होती है वो खाते हैं पर इसके बाद भी उनका वजन नहीं बढ़ता. शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ लोगों में खास तरह की जींस होती हैं. इन जींस की जांच करने के लिए उन्हें स्टडी करनी होगी, जिसके माध्यम से वे पता लगा पाएंगे कि ज्यादा खाने के बाद उनका शरीर किस तरह से काम करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस स्टडी की मदद से वे ऐसी दवाई की खोज कर सकेंगे, जिससे मोटे लोग अपने वजन को कंट्रोल में रख सकेंगे.

जानिए क्यों खतरनाक है नाश्ता छोड़ना और देर रात खाना खाना

आजकल लोगों  की जैसी लाइफस्टाइल हो गई है, उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर हो रहा है. लोग सुबह में नाश्ता नहीं कर पा रहे या रात में खाना देरी से खा रही हैं. ये दोनों आदतें आपकी सेहत पर काफी बुरा असर डालती हैं. इससे आपको दिल की बीमारी के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि नाश्ता छोड़ने या रात में देरी से खाना खाने जैसी अस्वस्थयकारी आदतों से लोगों में असमय मौत होने का खतरा चार से पांच गुणा बढ़ जाता है, इसके साथ ही दिल की कई बीमरियों का खतरा भी अधिक हो जाता है.

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शोध में शामिल एक जानकार का कहना है कि, ‘हमारे शोध के नतीजों से पता चलता है कि खाना खाने के गलत तरीके को जारी रखने का नतीजा बहुत खराब हो सकता है, खासतौर से दिल के दौरे के बाद.’

इस आसान उपाय से दूर रखें दिल की बीमारी

जानिए क्यों कभी मिस नहीं करना चाहिए सुबह का नाश्ता

आपको बता दें कि इस शोध में दिल के दौरों के शिकार 113 मरीजों को शामिल किया गया था. इन सैंपल्स की उम्र 60 साल थी. इसमें 73 फीसदी सैंपल पुरुष थे. इसमें पाया गया कि सुबह का नाश्ता नहीं करनेवाले मरीज 58 फीसदी थे, जबकि रात का भोजन देर से करने वाले मरीज 51 फीसदी थे, और 48 फीसदी मरीजों में दोनों तरह की आदतें पाई गई.

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late dinner and skipping breakfast is dangerous to health

शोध कर रही टीम ने लोगों को सलाह देते हुए कहा है कि, खाने की आदत को सुधारने के लिए रात के भोजन और सोने के समय में कम से कम 2 घंटे का अंतर होना चाहिेए. टीम ने ये भी कहा कि, ‘एक अच्छे नाश्ते में ज्यादातर दुग्ध उत्पादों (फैट फ्री या लो फैट दूध, दही और पनीर), कार्बोहाइड्रेट (गेंहू की रोटी, सेंके हुए ब्रेड, अनाजों) और फलों को शामिल करना चाहिए’.

दांतों की सेंसिटिविटी का इन 5 तरीकों से करें इलाज

दांतों में सेंस्टिविटी अब  आम हो चुकी है. अक्सर ठंडा-गर्म खाने से लोगों को दांतों में झनझनाहट की शिकायत होती है. ये आपकी दांतों पर लगी इनेमल की कोटिंग के घिस जाने से होता है. इसी कोटिंग के बदौलत हम कठोर चीजों को खा पाते हैं. जब दांतों से इनेमल की कोटिंग हट जाती है तब दांतों में कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर बड़े जोर की टीस मचती है. इसके लिए दांतों के बैक्टीरिया और प्लेग भी जिम्मेदार होते हैं. अगर आपको भी ये परेशानी होती है तो हम आपके लिए लाए हैं घरेलू उपचार, जिनकी मदद से आप इस परेशानी का इलाज कर सकेंगे.

एसिडिक पदार्थों से रहें दूर

ऐसे किसी भी खाद्य या पेय से दूरी बनाए रखें जो प्राकृति में अम्लिय हों. जैसे फलों के रस, शीतल पेय, सिरका, रेड वाइन, चाय, आइसक्रीम जैसी चीजों से दूरी बनाएं. अगर आप इन्हें खाएं भी तो तुरंत ब्रश कर लें. ये आहार दांतों के इनेमल का काफी नुकसान करते हैं.

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करें नर्म ब्रस का प्रयोग

ध्यान रखें कि ब्रश आपका नर्म हो. इससे आपके मसूढ़ों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा. दांत साफ करते वक्त हल्के हाथों का प्रयोग करें.

नमक का पानी का उपचार

गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक घोल लें. रोज सुबह और रात में इससे कुल्ला करें. सेंस्टिविटी की शिकायत में ये काफी लाभकारी तरीका है.

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सरसो का तेल और नमक

एक चम्मच सरसो के तेल में एक छोटा चम्मच सेंधा नमक मिलाएं. मिश्रण से मसूढ़ों और दांतों में मसाज करें. ऐसा करने के 5 मिनट बाद मुंह धो लें.

फ्लोराइड माउथवाश या टूथब्रश का करें प्रयोग

फ्लोराइड हमारे दांतों के लिए काफी जरूरी होता है. इससे सड़न और टूथ इनेमल जैसी समस्याएं दूर रहती हैं. इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि ऐसा माउथवाश या टूथपेस्ट़ का प्रयोग करें जिसमें फ्लोराइड शामिल हो.

ये चीजें रखेंगी आपको तनाव से दूर

स्ट्रेस, तनाव, डिप्रेशन जैसी परेशानियां आज लोगों में बेहद आम हो गई हैं. इनके लिए प्रमुख वजहें हमारी लाइफस्टाइल और हमारा खानपान है. हमारा खानपान हमारे शारीरिक स्वास्थ के साथ साथ हमारे मानसिक स्वास्थ को भी काफी प्रभावित करती है. इस परेशानी को दूर रखने के लिए बेहद जरूरी है कि हम अपना खानपान बेहतर कर लें. कई स्टडीज में इस बात की पुष्टि हुई है कि अच्छे खानपान से आप तनाव की परेशानी से सुरक्षित रह सकते हैं. इसके अलावा स्टडी में ये भी सामने आया कि  हेल्दी डाइट से हमें न्यूट्रिएंट्स प्रचूर मात्रा में मिलते हैं जिससे हमारा वजन भी कंट्रोल में रहता है और डिप्रेशन की परेशानी भी कम होती है.

हाल ही में एक जर्नल में प्रकाशित हुई इस स्टडी के शोधकर्ताओं की टीम ने अभी तक मानसिक सेहत की जांच के लिए डाइट पर हुए क्लिनीकल ट्रायल के मौजूदा डेटा की जांच की है. नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक अच्छी और हेल्दी डाइट लेने से डिप्रेशन का खतरा कम होता है.

स्टडी के मुख्य लेखक ने बताया है कि, ‘ अभी इस स्टडी के रिजल्ट्स को पूरी तरह से सही साबित करने के लिए कुछ और स्टडीज करनी बाकी हैं. पर मौजूदा स्टडी के रिजल्ट्स के आधार पर ये कहा जा सकता है कि हेल्दी डाइट फौलो करने से मूड अच्छा रहता है.’

स्टडी में शामिल जानकारों की माने तो मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे डाइट में न्यूट्रिएंट्स की प्रचूरता हो. इसके अलावा जंक फूड और रिफाइंड शुगर के सेवन से जितना दूर रहा जाए सेहत के लिए अच्छा है.

जानिए सुबह में नारियल पानी पीने के 5 बड़े फायदे

नारियल का पानी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. इससे ना सिर्फ शरीर को ताकत मिलती है बल्कि इसमें विषैले तत्वों को शरीर से दूर रखने के गुण होते हैं. इसके अलावा बौडी इम्युनिटी को मजबूत करने में और बीमारियों से हमें सुरक्षित रखने में भी ये काफी कारगर होता है. अगर आप अपने बढ़े हुए वजन से परेशान हैं तो नारियल पानी पीने से आपको काफी फायदा होगा.

जानकारों की माने तो सुबह के समय में नारियल पानी पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है. अगर आप सुबह के समय नारियल पानी पीते हैं तो ये आपके शरीर को दिनभर स्फूर्तिवान बनाए रखता है.

इस खबर में हम आपको सुबह में नारियल पानी पीने के फायदों के बारे में बताएंगे.

  • किडनी की सेहत के लिए भी नारियल पानी का सेवन करना अच्छा रहता है. ये यूरीनरी ट्रैक को साफ रखने में मददगार होता है और साथ ही किडनी में स्टोन को नहीं पनपने देता है.
  • थायरौयड मरीजों के लिए ये काफी असरदार होता है. सुबह में नारियल पानी पीने से थायरौयड हार्मोंस संतुलित रहते हैं.
  • अगर आप वजम कम करना चाहती हैं तो ये आपके लिए काफी असरदार है. इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और फैट काफी कम होता है. नारियल पानी पीने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती, जिससे घड़ी-घड़ी खाने की जरूरत नहीं होती है.
  • त्वचा को पोषण देने के लिए भी नारियल पानी पीना फायदेमंद रहता है. नारियल पानी पीने से त्वचा में नमी भी बनी रहती है.
  • इसके नियमित सेवन से बौडी की इम्युनिटी अच्छी रहती है. इससे बहुत सी बीमारियों की आशंका कम हो जाती है.
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