घर पर बनाएं कुरकुरा और जालीदार घेवर

Monsoon का सीजन चल रहा है. जुलाई-अगस्त Monsoon का महीना होता है. अगस्त के महीने में त्यौहार भी आते है. आमतौर पर घेवर राजस्थान की प्रसिद्ध मिठाई है इसके अलावा उत्तर भारत में भी घेवर काफी मशहूर है. सावन और रक्षा बंधन के त्यौहार पर हर घर में घेवर को खूब पसंद किया जाता है.  इसे आप एक घंटे में घर में भी बना सकते हैं. इस मौनसून घर पर बनाएं टेस्टी मावेदार घेवर, घर में सब उंगलियां चाटते रह जाएंगे.

कितने लोगों के लिए – 4

घेवर की सामग्री

  1. 3 कप आटा
  2. 2 चम्मच घी
  3. 3-4 बर्फ के टुकड़े
  4. 4 कप पानी
  5. 1/2 कप दूध
  6. 1/4 टी स्पून फूड रंग (पीला)
  7. घी (डीप फ्राई के लिए)

सिरप के लिए

  • 1 कप चीनी
  • 1 कप पानी

टॉपिंग के लिए

  • 1 टी स्पून इलायची पाउडर
  • 1 टेबल स्पून बादाम और पिस्ता
  • एक बड़े चम्मच दूध में आधा छोटा चम्मच केसर दूध और केसर

घेवर बनाने की वि​धि

  • घेवर बनाने के लिए पहले आप एक तार वाली चाशनी बना लें.
  • फिर बाउल में  घी लें और सिर्फ एक बार में एक बर्फ का टुकड़ा डालें.  घी  को चलाते रहें, अगर घी  लगे तो और बर्फ के टुकड़े भी डालते रहें. जब तक घी सफेद न हो जाए.
  • इसके बाद आप  दूध, आटा और पानी लेकर पतला मिश्रण बना लें. थोड़े से पानी में खाने वाला पीला रंग  मिला लें. मिश्रण पतला हो
  • इसके बाद आप एक स्टील का बर्तन लें, फिर उसमे आधे बर्तन को घी से भरकर गर्म कर लें.
  • जब घी में से धुएं निकलने शुरू हो जाएं, तो 50 मि. ली ग्लास में मिश्रण भरकर बर्तन के बीच में डालें. एक पतली धार की तरह.
  • इसके बाद मिश्रण को सही से जमने दें तब तक एक और ग्लास मिश्रण का बर्तन में गोल घूमा कर किनारों में डालें.
  • घेवर बर्तन के किनारे छोड़ देगा और उसमें बीच में आपको छोटे-छोटे छेद दिखने लगे, तो उसे ध्यान से निकाल कर तार की छलनी पर रख दें.
  • चाशनी को एक खुले बर्तन में रख लें.
  • गर्म चाशनी में डिबो कर बाहर निकाल लें और ज्यादा चाशनी निचोड़ने के लिए तार पर रख दें.
  • ठंडा होने पर घेवर के ऊपरी भाग पर सिल्वर फॉइल लगा लें. इस पर केसर की थोड़ी-सी छींट दें, कटे हुए ड्राई फ्रूट्स और कुछ चुटकी इलायची पाउडर डालकर सर्व करें.

 

Raksha Bandhan: ज्योति- सुमित और उसके दोस्तों ने कैसे निभाया प्यारा रिश्ता

मनीष ने ज्योति की इस नसीहत का बुरा नहीं माना. वह खुद भी नेहा को इस तरह रुला कर अच्छा महसूस नहीं कर रहा था. एक लंबे अरसे से वह और नेहा एकदूसरे के करीब थे. दोनों ने एकदूसरे के साथ जीनेमरने के वादे किए थे. कितनी ही बार दोनों ने अलग होने का फैसला लिया, मगर कुछ पलों की जुदाई भी दोनों से बरदाश्त नहीं होती थी.

मनीष को ज्योति की बात में सचाई लगी. जातपांत के ढकोसलों में आ कर नेहा जैसी लड़की को खोना बहुत बड़ी बेवकूफी थी, जो उसे टूट कर चाहती थी और हर हाल में उस का साथ देने को तैयार थी.

‘‘अब चाहे कुछ भी हो जाए. नेहा ही मेरी जीवनसंगिनी बनेगी,’’ मनीष के शब्दों में सचाई की झलक थी.

ज्योति मुसकरा उठी. उस की एक कोशिश से 2 दिल टूटने से बच गए थे.

उसी दिन नेहा से माफी मांग कर मनीष ने उस से शादी का वादा किया. रही बात घरवालों की, तो उन्हें भी किसी तरह मानना होगा, और वह उन्हें राजी कर के रहेगा.

रक्षाबंधन से ठीक एक दिन पहले सुमित के लिए उस की छोटी बहन की राखी आई थी. रोहन और मनीष की कोई बहन नहीं थी. तो इस दिन उन दोनों की कलाई सूनी रह जाती थी. नहाधो कर नया कुरतापजामा पहन कर सुमित ने उल्लास से लिफाफा खोल कर राखी निकाली. ज्योति से उस ने छुटकी की भेजी राखी अपनी कलाई में बंधवा ली. एक राखी ज्योति ने भी उसे अपनी ओर से बांध दी.

रोहन मनीष के साथ बैठा मैच देख रहा था. हाथ में राखी के 2 चमकीले धागे लिए ज्योति आई.

‘‘भैया, मैं आप दोनों के लिए भी राखी लाई हूं. असल में, मेरा कोई सगा भाई नहीं है, तो आप तीनों  को ही मैं भाई मानती हूं.’’

रोहन और मनीष ने भी खुशीखुशी ज्योति से राखी बंधवाई.

उसी शाम तीनों दोस्त बैठ कर छुट्टी वाले दिन का आनंद ले रहे थे. ‘‘यार सुमित, नेहा से शादी कर के मुझे अलग फ्लैट लेना पड़ेगा, तुम लोगों के साथ बिताए ये दिन बहुत याद आएंगे,’’ मनीष ने कहा.

‘‘और हम क्या यों ही कुंआरे रहेंगे?’’ रोहन ने उस की पीठ पर धप्प से एक हाथ मारा, ‘‘क्यों, है न सुमित? तेरी और मेरी भी शादी हो जाएगी.’’

फिर सब अपनीअपनी जिंदगी में मस्त भविष्य के सपनों में तीनों कुछ देर के लिए खो गए. लेकिन सुमित कुछ और ही सोच रहा था.

शादी की बात पर उसे न जाने क्यों सुरेश का खयाल आ गया. इतने अच्छे स्वभाव वाला सुरेश अपने निजी जीवन में निपट अकेला था. ‘‘यार, मैं सोच रहा हूं किसी का घर बसाना अच्छा काम है, मेरी जानपहचान में एक सुरेश है, वही गैराज वाला,’’ सुमित ने रोहन की तरफ देखा. रोहन सुरेश को जानता था. ‘‘अगर कोई सलीकेदार महिला सुरेश की जिंदगी में आ जाए तो कितना अच्छा हो.’’

‘‘सही कहा तुम ने, बहुत भला है बेचारा,’’ रोहन समर्थन में बोला.

कुछ देर खामोशी छाई रही, शायद अपनेअपने तरीके से सब सोच रहे थे.

‘‘एक बहुत नेक औरत है मेरी नजर में,’’ तभी तपाक से रोहन बोला.

‘‘कौन?’’ मनीष और सुमित ने एकसाथ पूछा.

‘‘हमारी ज्योति दीदी, और कौन?’’

दोनों ने रोहन को अजीब सी नजरों से घूरा.

‘‘यार, ऐसे क्यों देख रहे हो. कुछ गलत थोड़े ही बोला मैं ने. एक चोरउचक्के को भी जिंदगी में दूसरा मौका मिल जाता है तो फिर एक विधवा क्यों दूसरी शादी नहीं कर सकती? औरत को भी दूसरी शादी करने का उतना ही हक है जितना मर्द को. और फिर मुन्नी के बारे में सोचो. इतनी छोटी सी उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, आखिर उस को भी तो एक पिता का प्यार मिलना चाहिए कि नहीं? बोलो, क्या कहते हो?’’

रोहन की बात सौ फीसदी सच थी. ज्योति कम उम्र में ही विधवा हो गई थी. उसे पूरा अधिकार था कि वह किसी के साथ एक नया जीवन शुरू कर सके, जो उस का और उस की बेटी का सहारा बन सके. उस के जैसी व्यवहारकुशल और भली औरत किसी का भी घर संवार सकती थी.

तीनों दोस्तों की नजर में सुरेश के लिए ज्योति एकदम फिट थी. ‘‘लेकिन ज्योति मानेगी क्या?’’ मनीष ने शंका जाहिर की.

‘‘मैं मनाऊंगा ज्योति दीदी को,’’ सुमित बोला.

उसी शाम जब ज्योति उन तीनों का खाना पका कर निपटी और मुन्नी भी अपनी पढ़ाई कर चुकी तो सुमित ने उसे रोक लिया.

‘‘बोलो, क्या बात करनी थी भैया,’’ ज्योति ने पूछा.

बड़े नापतोल कर शब्दों को चुन कर सुमित ने अपनी बात ज्योति के सामने रखी. वह कुछ अन्यथा न ले ले, इस बात का उस ने पूरा ध्यान रखा.

सिर झुकाए सुमित की बातों को चुपचाप सुनती रही ज्योति. आज तक उस के अपने सगे रिश्ते वालों ने उस का घर बसाने की चिंता नहीं की थी. वह अकेली ही अपने दम पर अपना और अपनी बेटी का पेट पाल रही थी. उस ने कभी किसी से सहारे की उम्मीद नहीं की थी. लेकिन खून का रिश्ता न होने पर भी उस के ये तीनों मुंहबोले भाई आज उस के भले के लिए इतने फिक्रमंद हैं, यह सोच कर ही ज्योति की आंखों से आंसू बह चले.

उसे इस तरह से रोता देख तीनों के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए. सुमित को लगा शायद उसे यह सब नहीं कहना चाहिए था.

‘‘देखो ज्योति, रो नहीं, हम तुम्हारी और मुन्नी की भलाई चाहते है, बस. एक बार सुरेश से मिल लो, फिर आगे जो तुम्हारी मरजी,’’ सुमित ने प्रयास किया उसे शांत कराने का.

‘‘भैया, मैं तो इसलिए रो रही हूं कि आज मुझे अपने और पराए की पहचान हो गई. जो मेरे अपने हैं, वे कभी मेरे सुखदुख में काम नहीं आए और एक आप हो, जिन से खून का रिश्ता नहीं है, फिर भी आप लोगों को मेरी और मेरी बेटी की चिंता है,’’ कुछ सयंत हो कर अपनी गीली आंखें पोंछती हुई वह बोली, ‘‘यह सच है कि एक पिता की जगह कोईर् नहीं ले सकता. मेरी बेटी पिता के प्यार से हमेशा महरूम रही है. मगर मैं ने उसे मां और बाप दोनों का प्यार दिया है. अगर आप लोगों को यकीन है कि कोई नेक इंसान मेरी बेटी को सगी बेटी की तरह प्यार देगा, तो मैं भी आप पर भरोसा करती हूं.’’

बात बनती देख तीनों के चेहरे खिल गए. 2 अधूरे लोगों को मिला कर उन के जीवन में खुशियों की बहार लाने से बढ़ कर भला और क्या नेकी हो सकती थी.

सुरेश और ज्योति की एक औपचारिक मुलाकात करवाई गई. तीनों ने पूरी तसल्ली के बाद ही ज्योति के लिए सुरेश जैसे इंसान को चुना था. सुरेश ने सहर्ष ज्योति और मुन्नी को अपना लिया, एकाकी जीवन के सूनेपन को भरने के लिए कोई तो चाहिए था.

बहुत ही सादगी के साथ सुरेश और ज्योति का विवाह संपन्न हुआ. तीनों दोस्तों ने शादी की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी. प्रीतिभोज पर वरवधू पक्ष के कुछेक रिश्तेदारों को भी बुलाया गया था.

सुमित ने मां और छुटकी को भी खास इस विवाह के लिए बुला रखा था. उस की मां गर्व का अनुभव कर रही थी सपूत के हाथों नेक काम होते देख कर.

विदाई के समय ज्योति सुमित, मनीष और रोहन के गले लग कर जारजार रोने लगी, तो तीनों को महसूस हुआ जैसे उन की सगी बहन विदा हो रही है.

अपने आंचल में बंधे खीलचावल को सिर के ऊपर से पीछे फेंक कर रस्म पूरी करती ज्योति विदा हो गईर् थी, साथ में देती गई ढेरों आशीर्वाद अपने तीनों भाइयों को.

Raksha Bandhan: ज्योति- सुमित और उसके दोस्तों ने कैसे निभाया प्यारा रिश्ता

दूसरी नौकरी की तलाश में सुबह का निकला रोहन देरशाम ही घर लौट पाता था. उस का दिनभर दफ्तरों के चक्कर लगाने में गुजर जाता. मगर नई नौकरी मिलना आसान नहीं था. कहीं मनमुताबिक तनख्वाह नहीं मिल रही थी तो कहीं काम उस की योग्यता के मुताबिक नहीं था. जिंदगी की कड़वी हकीकत जेब में पड़ी डिगरियों को मुंह चिढ़ा रही थी.

सुमित और मनीष ने रोहन की मदद करने के लिए अपने स्तर पर कोशिश की, मगर बात कहीं बन नहीं पा रही थी.

एक के बाद एक इंटरव्यू देदे कर रोहन का सब्र जवाब देने लगा था. अपने भविष्य की चिंता में उस का शरीर सूख कर कांटा हो चला था. पास में जो कुछ जमा पूंजी थी वह भी कब तक टिकती, 2 महीने से तो वह अपने हिस्से का किराया भी नहीं दे पा रहा था.

सुमित और मनीष उस की स्थिति समझ कर उसे कुछ कहते नहीं थे. मगर यों भी कब तक चलता.

सुबह का भूखाप्यासा रोहन एक दिन शाम को जब घर आया तो सारा बदन तप रहा था. उस के होंठ सूख रहे थे. उसे महसूस हुआ मानो शरीर में जान ही नहीं बची. ज्योति उसे कई दिनों से इस हालत में देख रही थी. इस वक्त वह शाम के खाने की तैयारी में जुटी थी. रोहन सुधबुध भुला कर मय जूते के बिस्तर पर निढाल पड़ गया.

ज्योति ने पास जा कर उस का माथा छुआ. रोहन को बहुत तेज बुखार था. वह पानी ले कर आई. उस ने रोहन को जरा सहारा दे कर उठाया और पानी का गिलास उस के मुंह से लगाया. ‘‘क्या हाल बना लिया है भैया आप ने अपना?’’

‘‘ज्योति, फ्रिज में दवाइयां रखी हैं, जरा मुझे ला कर दे दो,’’ अस्फुट स्वर में रोहन ने कहा.

दवाई खा कर रोहन फिर से लेट गया. सुबह से पेट में कुछ गया नहीं था, उसे उबकाई सी महसूस हुई. ‘‘रोहन भैया, पहले कुछ खा लो, फिर सो जाना,’’ हाथ में एक तश्तरी लिए ज्योति उस के पास आई.

रोहन को तकिए के सहारे बिठा कर ज्योति ने उसे चम्मच से खिचड़ी खिलाई बिलकुल किसी मां की तरह जैसे अपने बच्चों को खिलाती है.

रोहन को अपनी मां की याद आ गई. आज कई दिनों बाद उसी प्यार से किसी ने उसे खिलाया था. दूसरे दिन जब वह सो कर उठा तो उस की तबीयत में सुधार था. बुखार अब उतर चुका था, लेकिन कमजोरी की वजह से उसे चलनेफिरने में दिक्कत हो रही थी. सुमित और मनीष ने उसे कुछ दिन आराम करने की सलाह दी. साथ ही, हौसला भी बंधाया कि वह अकेला नहीं है.

ज्योति उस के लिए कभी दलिया तो कभी खिचड़ी पकाती और बड़े मनुहार से खिलाती. रोहन उसे अब दीदी बुलाने लगा था.

‘‘दीदी, आप को देने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं फिलहाल, मगर वादा करता हूं नौकरी लगते ही आप का सारा पैसा चुका दूंगा,’’ रोहन ने ज्योति से कहा.

‘‘कैसी बातें कर रहे हो रोहन भैया. आप बस, जल्दी से ठीक हो जाओ. मैं आप से पैसे नहीं लूंगी.’’

‘‘लेकिन, मुझे इस तरह मुफ्त का खाने में शर्म आती है,’’ रोहन उदास था.

‘‘भैया, मेरी एक बेटी है 10 साल की, स्कूल जाती है. मेरा सपना है कि मेरी बेटी पढ़लिख कर कुछ बने. पर मेरे पास इतना वक्त नहीं कि उसे घर पर पढ़ा सकूं और उसे ट्यूशन भेजने की मेरी हैसियत नहीं है. घर का किराया, मुन्नी के स्कूल की फीस और राशनपानी के बाद बचता ही क्या है. अगर आप मेरी बेटी को ट्यूशन पढ़ा देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी. आप से मैं खाना बनाने के पैसे नहीं लूंगी, समझ लूंगी वही मेरी पगार है.’’

बात तो ठीक थी. रोहन को भला क्या परेशानी होती. रोज शाम मुन्नी अब अपनी मां के साथ आने लगी. रोहन उसे दिल लगा कर पढ़ाता.

ज्योति कई घरों में काम करती थी. उस ने अपनी जानपहचान के एक बड़े साहब को रोहन का बायोडाटा दिया. रोहन को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. मेहनती और योग्य तो वह था ही, इस बार समय ने भी उस का साथ दिया और उस की नौकरी पक्की हो गई.

सुमित और मनीष भी खुश थे. रोहन सब से ज्यादा एहसानमंद ज्योति का था. जिस निस्वार्थ भाव से ज्योति ने उस की मदद की थी, रोहन के दिल में ज्योति का स्थान अब किसी सगी बहन से कम नहीं था. ज्योति भी रोहन की कामयाबी से खुश थी, साथ ही, उस की बेटी की पढ़ाई को ले कर चिंता भी हट चुकी थी. घर में जिस तरह बड़ी बहन का सम्मान होता है, कुछ ऐसा ही अब ज्योति का सुमित और उस के दोस्तों के घर में था.

ज्योति की उपस्थिति में ही बहुत बार नेहा मनीष से मिलने घर आती थी. शुरूशुरू में मनीष को कुछ झिझक हुई, मगर ज्योति अपने काम से मतलब रखती. वह दूसरी कामवाली बाइयों की तरह इन बातों को चुगली का साधन नहीं बनाती थी.

मनीष और नेहा की एक दिन किसी बात पर तूतूमैंमैं हो गई. ज्योति उस वक्त रसोई में अपना काम कर रही थी. दोनों की बातें उसे साफसाफ सुनाई दे रही थीं.

मनीष के व्यवहार से आहत, रोती हुई नेहा वहां से चली गई. उस के जाने के बाद मनीष भी गुमसुम बैठ गया.

ज्योति आमतौर पर ऐसे मामले में नहीं पड़ती थी. वह अपने काम से काम रखती थी, मगर नेहा और मनीष को इस तरह लड़ते देख कर उस से रहा नहीं गया. उस ने मनीष से पूछा तो मनीष ने बताया कि कुछ महीनों से शादी की बात को ले कर नेहा के साथ उस की खटपट चल रही है.

‘‘लेकिन भैया, इस में गलत क्या है? कभी न कभी तो आप नेहा दीदी से शादी करेंगे ही.’’

‘‘यह शादी होनी बहुत मुश्किल है ज्योति. तुम नहीं समझोगी, मेरे घर वाले जातपांत पर बहुत यकीन करते हैं और नेहा हमारी जाति की नहीं है.’’

‘‘वैसे तो मुझे आप के मामले में बोलने का कोई हक नहीं है मनीष भैया, मगर एक बात कहना चाहती हूं.’’

मनीष ने प्रश्नात्मक ढंग से उस की तरफ देखा.

‘‘मेरी बात का बुरा मत मानिए मनीष भैया. नेहा दीदी को तो आप बहुत पहले से जानते हैं, मगर जातपांत का खयाल आप को अब आ रहा है. मैं भी एक औरत हूं. मैं समझ सकती हूं कि नेहा दीदी को कैसा लग रहा होगा जब आप ने उन्हें शादी के लिए मना किया होगा. इतना आसान नहीं होता किसी भी लड़की के लिए इतने लंबे अरसे बाद अचानक संबंध तोड़ लेना. यह समाज सिर्फ लड़की पर ही उंगली उठाता है. आप दोनों के रिश्ते की बात जान कर क्या भविष्य में उन की शादी में अड़चन नहीं आएगी? क्या नेहा दीदी और आप एकदूसरे को भूल पाएंगे? जरा इन बातों को सोच कर देखिए.

‘‘अब आप को जातपांत का ध्यान आ रहा है, तब क्यों नहीं आया था जब नेहा दीदी के सामने प्रेम प्रस्ताव रखा?’’ ज्योति कुछ भावुक स्वर में बोली. उसे मन में थोड़ी शंका भी हुई कि कहीं मनीष उस की बातों का बुरा न मान जाए, आखिर वह इस घर में सिर्फ एक खाना पकाने वाली ही थी.

Raksha Bandhan: ज्योति- सुमित और उसके दोस्तों ने कैसे निभाया प्यारा रिश्ता

औरत ने सुमित को महीने की पगार बताई और साथ ही, यह भी कि वह एक पैसा भी कम नहीं लेगी.

दोनों दोस्तों ने सवालिया निगाहों से एकदूसरे की तरफ देखा. पगार थोड़ी ज्यादा थी, मगर और चारा भी क्या था. ‘‘हमें मंजूर है,’’ सुमित ने कहा. आखिरकार खाने की परेशानी तो हल हो जाएगी.

‘‘ठीक है, मैं कल से आ जाऊंगी,’’ कहते हुए वह जाने के लिए उठी.

‘‘आप ने नाम नहीं बताया?’’ सुमित ने उसे पीछे से आवाज दी.

‘‘मेरा नाम ज्योति है,’’ कुछ सकुचा कर उस औरत ने अपना नाम बताया और चली गई.

दूसरे दिन सुबह जल्दी ही ज्योति आ गई थी. रसोई में जो कुछ भी पड़ा था, उस से उस ने नाश्ता तैयार कर दिया.

आज कई दिनों बाद सुमित और मनीष ने गरम नाश्ता खाया तो उन्हें मजा आ गया. रोहन अभी तक सो रहा था, तो उस का नाश्ता ज्योति ने ढक कर रख दिया था.

‘‘भैयाजी, राशन की कुछ चीजें लानी पड़ेंगी. शाम का खाना कैसे बनेगा? रसोई में कुछ भी नहीं है,’’ ज्योति दुपट्टे से हाथ पोंछते हुए सुमित से बोली.

सुमित ने एक कागज पर वे सारी चीजें लिख लीं जो ज्योति ने बताई थीं. शाम को औफिस से लौटता हुआ वह ले आएगा.

रोहन को अब तक इस सब के बारे में कुछ नहीं पता था. उसे जब पता चला तो उस ने अपने हिस्से के पैसे देने से साफ इनकार कर दिया. ‘‘बहुत ज्यादा पगार मांग रही है वह, इस से कम पैसों में तो हम आराम से बाहर खाना खा सकते हैं.’’

‘‘रोहन, तुम को पता है कि बाहर का खाना खाने से मेरी तबीयत खराब हो जाती है. कुछ पैसे ज्यादा देने भी पड़ रहे तो क्या हुआ, सुविधा भी तो हमें ही होगी.’’

‘‘हां, सुमित ठीक कह रहा है. घर के बने खाने की बात ही कुछ और है,’’ सुबह के नाश्ते का स्वाद अभी तक मनीष की जबान पर था.

लेकिन रोहन पर इन दलीलों का कोई असर नहीं पड़ा. वह जिद पर अड़ा रहा कि वह अपने हिस्से के पैसे नहीं देगा और अपने खाने का इंतजाम खुद कर कर लेगा.

‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी मरजी’’, सुमित बोला, उसे पता था रोहन अपने मन की करता है.

थोड़े ही दिनों में ज्योति ने रसोई की बागडोर संभाल ली थी. ज्योति के हाथों के बने खाने में सुमित को मां के हाथों का स्वाद महसूस होता था.

ज्योति भी उन की पसंदनापसंद का पूरा ध्यान रखती. अपने परिवार से दूर रह रहे इन लड़कों पर उसे एक तरह से ममता हो आती. अन्नपूर्णा की तरह अपने हाथों के जादू से उस ने रसोई की काया ही पलट दी थी.

कई बार औफिस की भागदौड़ से सुमित को फुरसत नहीं मिल पाती तो वह अकसर ज्योति को ही सब्जी वगैरह लाने के पैसे दे देता.

जिन घरों में वह काम करती थी, उन में से अधिकांश घरों की मालकिनें अव्वल दर्जे की कंजूस और शक्की थीं. नापतौल कर हरेक चीज का हिसाब रख कर उसे खाना पकाना होता था. सुमित या मनीष ज्योति से कभी, किसी चीज का हिसाब नहीं पूछते थे. इस बात से उस के दिल में इन लड़कों के लिए एक स्नेह का भाव आ गया था.

अपनी हलकी बीमारी में भी वह उन के लिए खाना पकाने चली आती.

एक शाम औफिस से लौटते वक्त रास्ते में सुमित की बाइक खराब हो गई. किसी तरह घसीटते हुए उस ने बाइक को मोटर गैराज तक पहुंचाया.

‘‘क्या हुआ? फिर से खराब हो गई?,’’ गैराज में काम करने वाला नौजवान शकील ग्रीस से सने हाथ अपनी शर्ट से पोंछता हुआ सुमित के पास आया.

‘‘यार, सुरेश कहां है? यह तो उस के हाथ से ही ठीक होती है, सुरेश को बुलाओ.’’

जब भी उस की बाइक धोखा दे जाती, वह गैराज के सीनियर मेकैनिक सुरेश के ही पास आता और उस के अनुभवी हाथ लगते ही बाइक दुरुस्त चलने लगती.

शकील सुरेश को बुलाने के लिए गैराज के अंदर बने छोटे से केबिन में चला गया. थोड़ी ही देर में मध्यम कदकाठी के हंसमुख चेहरे वाला सुरेश बाहर आया. ‘‘माफ कीजिए सुमित बाबू, हम जरा अपने लिए दोपहर का खाना बना रहे थे.’’

‘‘आप अपना खाना यहां गैराज में बनाते हैं? परिवार से दूर रहते हैं क्या?’’ सुमित ने हैरानी से पूछा. इस गैराज में वह कई सालों से काम कर रहा था. अपने बरसों के अनुभव और कुशलता से आज वह इस गैराज का सीनियर मेकैनिक था. ऐसी कोई गाड़ी नहीं थी जिस का मर्ज उसे न पता हो, इसलिए हर ग्राहक उसे जानता था.

‘‘अब क्या बताएं, 2 साल पहले घरवाली कैंसर की बीमारी से चल बसी. तब से यह गैराज ही हमारा घर है. कोई बालबच्चा हुआ नहीं, तो परिवार के नाम पर हम अकेले हैं. बस, कट रही है किसी तरह. लाइए, देखूं क्या माजरा है?’’

‘‘सुरेश, पिछली बार आप नहीं थे तो राजू ने कुछ पार्ट्स बदल कर बाइक ठीक कर दी थी. अब तो तुम्हें ही अपने हाथों का कमाल दिखाना पड़ेगा,’’ सुमित बोला.

सुरेश ने दाएंबाएं सब चैक किया, इंजन, कार्बोरेटर सब खंगाल डाला. चाबी घुमा कर बाइक स्टार्ट की तो घरर्रर्र की आवाज के साथ बाइक चालू हो गई.

‘‘देखो भाई, ऐसा है सुमित बाबू, अब इस को तो बेच ही डालो. कई बरस चल चुकी है. अब कितना खींचोगे? अभी कुछ पार्ट्स भी बदलने पड़ेंगे. उस में जितना पैसा खर्च करोगे उस से तो अच्छा है नई गाड़ी ले लो.’’

‘‘तुम ही कोई अच्छी सी सैकंडहैंड दिला दो,’’ सुमित बोला.

‘‘अरे यार, पुरानी से अच्छा है नईर् ले लो,’’ सुरेश हंसते हुए बोला.

‘‘बात तो तुम्हारी सही है, मगर थोड़ा बजट का चक्कर है.’’

‘‘हूं,’’ सुरेश कुछ सोचने की मुद्रा में बोला, ‘‘कोई बात नहीं, बजट की चिंता मत करो. मेरा चचेरा भाई एक डीलर के पास काम करता है. उस को बोल कर कुछ डिस्काउंट दिलवा सकता हूं, अगर आप कहो तो.’’

सुमित खिल गया, कब से सोच रहा था नई बाइक लेने के लिए. कुछ डिस्काउंट के साथ नई बाइक मिल जाए, इस से बढि़या क्या हो सकता था. उस ने सुरेश का धन्यवाद किया और नई बाइक लेने का मन बना लिया.

‘‘ठीक है सुरेश, मैं अगले ही महीने ले लूंगा नई गाड़ी. बस, आप जरा डिस्काउंट अच्छा दिलवा देना.’’

‘‘उस की फिक्र मत करो सुमित बाबू, निश्ंिचत रहो.’’

लगभग 45 वर्ष का सुरेश नेकदिल इंसान था. सुमित ने उसे सदा हंसतेमुसकराते ही देखा था. मगर वह अपनी जिंदगी में एकदम अकेला है, इस बात का इल्म उसे आज ही हुआ.

इधर कुछ दिनों से रोहन बहुत परेशान था. औफिस में उस के साथ हो रहे भेदभाव ने उस की नींद उड़ा रखी थी. रोहन के वरिष्ठ मैनेजर ने रोहन के पद पर अपने किसी रिश्तेदार को रख लिया था और रोहन को दूसरा काम दे दिया गया जिस का न तो उसे खास अनुभव था न ही उस का मन उस काम में लग रहा था. अपने साथ हुई इस नाइंसाफी की शिकायत उस ने बड़े अधिकारियों से की, लेकिन उस की बातों को अनसुना कर दिया गया. नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह उस की शिकायतें दब कर रह गई थीं. आखिरकार, तंग आ कर उस ने नौकरी छोड़ दी.

Raksha Bandhan: ज्योति- सुमित और उसके दोस्तों ने कैसे निभाया प्यारा रिश्ता

‘‘हां मां, खाना खा लिया था औफिस की कैंटीन में. तुम बेकार ही इतनी चिंता करती हो मेरी. मैं अपना खयाल रखता हूं,’’ एक हाथ से औफिस की मोटीमोटी फाइलें संभालते हुए और दूसरे हाथ में मोबाइल कान से लगाए सुमित मां को समझाने की कोशिश में जुटा हुआ था.

‘‘देख, झूठ मत बोल मुझ से. कितना दुबला गया है तू. तेरी फोटो दिखाती रहती है छुटकी फेसबुक पर. अरे, इतना भी क्या काम होता है कि खानेपीने की सुध नहीं रहती तुझे.’’ घर से दूर रह रहे बेटे के लिए मां का चिंतित होना स्वाभाविक ही था, ‘‘देख, मेरी बात मान, छुटकी को बुला ले अपने पास, बहन के आने से तेरे खानेपीने की सब चिंता मिट जाएगी. वैसे भी 12वीं पास कर लेगी इस साल, तो वहीं किसी कालेज में दाखिला मिल जाएगा,’’ मां उत्साहित होते हुए बोलीं.

जिस बात से सुमित को सब से ज्यादा कोफ्त होती थी वह यही बात थी. पता नहीं मां क्यों नहीं समझतीं कि छुटकी के आने से उस की चिंताएं मिटेंगी नहीं, उलटे, बहन के आने से सुमित के ऊपर जिम्मेदारी का एक और बोझ आ पड़ेगा.

अभी तो वह परिवार से दूर अपने दोस्तों के साथ आजाद पंछी की तरह बेफिक्र जिंदगी का आनंद ले रहा था. उस के औफिस में ही काम करने वाले रोहन और मनीष के साथ मिल कर उस ने एक किराए पर फ्लैट ले लिया था. महीने का सारा खर्च तीनों तयशुदा हिसाब से बांट लेते थे. अविवाहित लड़कों को घरगृहस्थी का कोई ज्ञान तो था नहीं, मनमौजी में दिन गुजर रहे थे. जो जी में आता करते, किसी तरह की बंदिश, कोई रोकटोक नहीं थी उन की जिंदगी में. कपड़े धुले तो धुले, वरना यों ही पहन लिए. हफ्ते में एक बार मन हुआ तो घर की सफाई हो जाती थी, वरना वह भी नहीं.

सुमित से जब भी उस की मां छोटी बहन को साथ रखने की बात कहती, वह घोड़े सा बिदक जाता. छुटकी रहने आएगी तो सुमित को दोस्तों से अलग कमरा ले कर रहना पड़ेगा और ऊपर से उस की आजादी में खलल भी पड़ेगा. यही वजह थी कि वह कोई न कोई बहाना बना कर मां की बात टाल जाता.

‘‘मां, अभी बहुत काम है औफिस में, मैं बाद में फोन करता हूं,’’ कह कर सुमित ने फोन रख दिया.

वह सोच रहा था, कहीं मां सचमुच छुटकी को न भेज दें.

तीनों दोस्तों को यों तो कोई समस्या नहीं थी लेकिन खाना पकाने के मामले में तीनों ही अनाड़ी थे, ब्रैड, अंडा, दूध पर गुजारा करने वाले. रोजरोज एक ही तरह का खाना खा कर सुमित उकता गया था. बाहर का खाना अकसर उस का हाजमा खराब कर देता था. परिवार से दूर रहने का असर सचमुच उस की सेहत पर पड़ रहा था. मां का इस तरह चिंता करना वाजिब भी था. इस समस्या का कोई स्थायी हल निकालना पड़ेगा, वह मन ही मन सोचने लगा. फिलहाल तो 4 बजे उस की एक मीटिंग थी. खाने की चिंता से ध्यान हटा, वह एक बार फिर से फाइलों के ढेर में गुम हो गया.

सुमित के अलावा रोहन और मनीष की भी यही समस्या थी. उन के घर वाले भी अपने लाड़लों की सेहत की फिक्र में घुले जाते थे.

शाम को थकहार कर सुमित जब घर आया तो बड़ी देर तक घंटी बजाने पर भी दरवाजा नहीं खुला. एक तो दिनभर औफिस में माथापच्ची करने के बाद वह बुरी तरह थक गया था, उस पर घर की चाबी ले जाना आज वह भूल गया था. फ्लैट की एकएक चाबी तीनों दोस्तों के पास रहती थी, जिस से किसी को असुविधा न हो.

थकान से बुरी तरह झल्लाए सुमित ने एक बार फिर बड़ी जोर से घंटी पर हाथ दे मारा.

थोड़ी ही देर में इंचभर दरवाजे की आड़ से मनीष का चेहरा नजर आया. सुमित को देख कर उस ने हड़बड़ा कर दरवाजा पूरा खोल दिया.

‘‘क्यों? इतना टाइम लगता है क्या? बहरा हो गया था क्या जो घंटी सुनाई नहीं दी?’’ अंदर घुसते ही सुमित ने उसे आड़ेहाथों लिया.

गले में बंधी नैकटाई को ढीला कर सुमित बाथरूम की तरफ जा ही रहा था कि मनीष ने उसे टोक दिया, ‘‘यार, अभी रुक जा कुछ देर.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ सुमित ने पूछा, फिर मनीष को बगले झांकते देख कर वह सबकुछ समझ गया, ‘‘कोई है क्या, वहां?’’

‘‘हां यार, वह नेहा आई है. वही है बाथरूम में.’’

‘अरे, तो ऐसा बोल न,’’ सुमित ने फ्रिज खोल कर पानी की ठंडी बोतल निकाल ली.

मनीष की प्रेमिका नेहा नौकरी करती थी और एक वुमेन होस्टल में रह रही थी. जब भी सुमित और रोहन घर पर नहीं होते, मनीष नेहा को मिलने के लिए बुला लेता.

सुमित को इस बात से कोई एतराज नहीं था, मगर रोहन को यह बात पसंद नहीं आती थी. उस का मानना था कि मालिकमकान कभी भी इस बात को ले कर उन्हें घर खाली करने को कह सकता है.

जब कभी नेहा को ले कर मनीष और रोहन के बीच में तकरार होती, सुमित बीचबचाव से मामला शांत करवा लेता.

‘‘यार, बड़ी भूख लगी है, खाने को कुछ है क्या?’’ सुमित ने फ्रिज में झांका.

‘‘देख लो, सुबह की ब्रैड पड़ी होगी,’’ नेहा के जाने के बाद मनीष आराम से सोफे पर पसरा टीवी देख रहा था.

सुमित को जोरों की भूख लगी थी.

इस वक्त उसे मां के हाथ का

बना गरमागरम खाना याद आने लगा. वह जब भी कालेज से भूखाप्यासा घर आता था, मां उस की पसंद का खाना बना कर बड़े लाड़ से उसे खिलाती थीं. ‘काश, मां यहां होतीं,’ मन ही मन वह सोचने लगा.

‘‘बहुत हुआ, अब कुछ सोचना पड़ेगा. ऐसे काम नहीं चलने वाला,’’ सुमित ने कहा तो मनीष बोला, ‘‘मतलब?’’

‘‘यार, खानेपीने की दिक्कत हो रही है, मैं ने सोच लिया है किसी खाना बनाने वाले को रखते हैं,’’ सुमित बोला.

‘‘और उस को पगार भी तो देनी पड़ेगी?’’ मनीष ने कहा.

‘‘हां, तो दे देंगे न, आखिर कमा किसलिए रहे हैं.’’

‘‘लेकिन, हमें मिलेगा कहां कोई खाना बनाने वाला,’’ मनीष ने कहा.

‘‘मैं पता लगाता हूं,’’ सुमित ने जवाब दिया.

दूसरे दिन सुबह जब सुमित काम पर जाने के लिए तैयार हो रहा, किसी ने दरवाजा खटखटाया. करीब 30-32 साल की मझोले कद की एक औरत दरवाजे पर खड़ी थी.

सुमित के कुछ पूछने से पहले ही वह औरत बोल पड़ी, ‘‘मुझे चौकीदार ने भेजा है, खाना बनाने का काम करती हूं.’’

‘‘ओ हां, मैं ने ही चौकीदार से बोला था.’’

‘‘अंदर आ जाइए,’’ सुमित उसे रास्ता देते हुए बोला और कमरे में रखी कुरसी की तरफ बैठने का इशारा किया.

कुछ झिझकते हुए वह औरत अंदर आई. गेहुंए रंग की गठीले बदन वाली वह औरत नजरें चारों तरफ घुमा कर उस अस्तव्यस्त कमरे का बारीकी से मुआयना करने लगी. बेतरतीब पड़ी बिस्तर की चादर, कुरसी की पीठ पर लटका गीला तौलिया, फर्श पर उलटीसीधी पड़ी चप्पलें.

‘‘हमें सुबह का नाश्ता और रात का खाना चाहिए. दिन में हम लोग औफिस में होते हैं, तो बाहर ही खा लेते हैं,’’ सुमित ने उस का ध्यान खींचा.

मनीष भी सुमित के पास आ कर खड़ा हो गया.

‘‘कितने लोगों का खाना बनेगा?’’ औरत ने सुमित से पूछा.

‘‘कुल मिला कर 3 लोगों का, हमारा एक और दोस्त है, वह अभी घर पर नहीं है.’’

Raksha Bandhan: मां की परछाई है मेरा छोटा भाई…

वैसे तो लोग अक्सर बड़ी बहन को मां की परछाई मानते हैं. लेकिन मेरे मामले में ऐसा नहीं है बल्कि मेरे साथ तो उल्टा ही हाल है क्योंकि मेरे लिए मेरा छोटा भाई ही मां की परछाई है. जो न सिर्फ मां की तरह मेरा  ख्याल रखता है बल्कि मुझसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखता है. मेरी पसंद, नापसंद और मुझसे जुड़ी हर चीज के बारे में उसे पता है.

बचपन से ही समझदार…

अगर बचपन की बात करूं तो वो कभी बिगड़ैल भाई नहीं रहा बल्कि छोटे से ही अपनी हर चीज को संभालना, मेरे साथ शेयर करना और मेरी केयर करना उसके नेचर का हिस्सा था. बचपन में हम ज्यादा वक्त साथ नहीं बिता पाए क्योंकि मेरे पापा के निधन के बाद उसे होस्टल भेज दिया गया था. उसके बाद हम दोनों अपनी पढ़ाई में बिजी हो गए और हमारा मिलना कभी-कभी ही होता था. उस दौर में स्मार्ट फोन्स इतने एक्टिव नहीं थे. छुट्टियों में भी जब वो घर आता तो मां या बड़ी बहनों के साथ ही ज्यादा समय बिताता. कभी-कभी मुझे लगता था कि अब हम शायद पहले की तरह क्लोज नहीं थे लेकिन मैं कितनी गलत थी इसका एहसास मुझे बाद में हुआ.

हर मुश्किल में किया सपोर्ट…

ग्रेजुएशन के बाद मैं पढ़ने के लिए बाहर जाना चाहती थी लेकिन किसी ने मेरा सपोर्ट नहीं किया क्योंकि उस वक्त हमारे यहां लड़कियों को बाहर भेजना सही नहीं माना जाता था. उस वक्त मेरा छोटा भाई ही था जिसने मुझे पूरा सपोर्ट किया और मुझ पर भरोसा किया. मेरे दाखिले के लिए वहीं सबसे पहले मेरे कौलेज गया था. वो दौर काफी मुश्किल था पढ़ाई और करियर की टेंशन, पैसों की तंगी और डर इस बात का कि कहीं मेरा फैसला गलत न साबित हो जाए. उस वक्त भी वो मेरा सपोर्ट सिस्टम था. जब मां भी मेरे साथ नहीं थी तब मेरे भाई ने मुझे सपोर्ट किया.

अपनी जिंदगी की हर बड़ी खुशी मैंने सबसे पहले अपने भाई के साथ बांटी. क्योंकि वो भाई दोस्त भी था. दूसरे भाइयों की तरह नहीं जो हर वक्त हुक्म चलाए और बहनों को मजदूर ही समझे. जौब लगने के कई सालों बाद तक मेरा फोन वहीं रिचार्ज कराता था. पहली जौब से लेकर अपने ब्वौयफ्रेंड (जो अब पति हैं) को घरवालों से मिलवाने तक सबसे पहला राजदार वही था और आज भी है. लड़कियां अक्सर अपनी मां और अपनी बहनों के करीब होती हैं लेकिन मेरे लिए तो मेरा छोटा भाई ही मेरा पहला दोस्त था और आज भी है.

इस रक्षा बंधन पर मैं बस यहीं चाहती हूं कि तू हमेशा खुश रहे और हमेशा इस तरह मेरा दोस्त बनकर मुझे सपोर्ट करे. हर बहन को तेरे जैसा केयरिंग और सपोर्टिंग भाई मिले. तुझे लाइफ की हर खुशी मिले. लव यू बेटा…

गोलू (धनपुरी, मध्यप्रदेश)

Top 10 Raksha Bandhan Fashion Tips In Hindi: राखी पर फैशन के टॉप 10 बेस्ट टिप्स हिंदी में

Top 10 Raksha Bandhan Fashion Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Raksha Bandhan Fashion Tips in Hindi 2022. इन फैशन टिप्स से आप फेस्टिवल में अपने लुक को और भी खूबसूरत बना सकती हैं और फैमिली और फ्रैंडस की तारीफें बटोर सकती हैं. Raksha Bandhan की इन टॉप 10 Fashion Tips से अपने राखी लुक का चुनाव कर सकती हैं, जिसके लिए आपको कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. बौलीवुड से लेकर टीवी एक्ट्रेसेस के ये फैस्टिव लुक शादीशुदा से लेकर सिंगल महिलाओं के लिए परफेक्ट औप्शन है. अगर आप भी है फैशन की शौकीन हैं और फेस्टिव सीजन में अपने लुक को स्टाइलिश और फैशनेबल दिखाकर लोगों की तारीफ पाना चाहती हैं तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Raksha Bandhan Fashion Tips in Hindi.

1. फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट है नुसरत जहां के ये साड़ी लुक

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नुसरत साड़ियों की शौकीन हैं औऱ वह शादी के बाद अक्सर साड़ी पहनें नजर आती हैं. तो इसलिए आइए आपको दिखाते हैं नुसरत जहां के कुछ साड़ी लुक्स…

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2. फेस्टिवल स्पेशल: पहने सिल्क साड़ी और पाए रौयल लुक

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राजा-महाराजाओं का समय हो या आज काबदलता फैशन, सिल्क अभी भी लोगो की पहली पसंद है.सिल्क यानी रेशम एक ऐसा रेशा है जिसके बने कपड़े को पहनने के बाद पहनने वाले की खूबसूरती दोगुना निखर जाती है.सदाबाहर फैशन में शामिल सिल्क को महिलाएं हर फंक्शन में पहनना पसंद करती हैं. दरअसल, सिल्क एक ऐसा फेब्रिक है जिसकी खूबसूरती की तुलना  किसी अन्य फेब्रिक से नहीं कर सकते. एक समय था जब सिल्क सिर्फ रईसों के बदन पर ही चमकता था लेकिन 1990 के शुरुआती दौर में सैंडवाश्ड सिल्क के आगमन ने इसे मध्यवर्गीय लोगों तक पहुंचा दिया.इसके बाद सिल्क के क्षेत्र में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलें.

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3. Festive Special: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ‘अनुपमा गर्ल्स’ के ये 5 लुक्स  

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अगर आप इस फेस्टिव सीजन रेड के कौम्बिनेशन से अपनी फैमिली के आउटफिट का थीम चुनने की सोच रहे हैं तो सीरियल ‘अनुपमा’ की लेडी गैंग के ये लुक ट्राय करना ना भूलें.

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4. Raksha Bandhan Special: फेस्टिवल में ट्राय करें ये ट्रेंडी झुमके

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ज्वैलरी महिलाओं की खूबसूरती निखारने का एक उम्दा जरिया है. दीवाली करीब है और इस त्यौहार में तो महिलाएं गहने खरीदती भी हैं और पहनती भी हैं. ऐसे में लेटैस्ट डिजाइन की जानकारी होना जरूरी है. आइए जानते हैं, कुछ ऐसे फैशनेबल और ट्रैंडी ज्वैलरी डिज़ाइन्स के बारे में जिन्हें पहनने के बाद आप बेहद खूबसूरत नजर आएंगी.

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5. फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट हैं Bigg Boss 15 की Akasa Singh के ये लुक्स

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आज हम आपको अकासा सिंह के कुछ लुक्स दिखाएंगे, जिन्हें आप गरबा या फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

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6. ‘नागिन 4’ एक्ट्रेस सायंतनी के ये इंडियन लुक करें ट्राय

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आज हम आपको सायंतनी के कुछ ऐसे लुक बताएंगे, जिसे आप वेडिंग से लेकर फैमिली गैदरिंग में ट्राय कर सकती हैं.

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7. फेस्टिवल्स में ट्राय करें भोजपुरी क्वीन मोनालिसा के ये इंडियन लुक

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शार्ट ड्रेसेज में नजर आने वाली मोनालिसा (Monalisa) इंडियन आउटफिट में अपने फैंस का दिल जीत रही हैं. इसलिए आज हम मोनालिसा के कुछ इंडियन आउटफिट के बारे में आपको बताएंगे, जिसे आप इस फैस्टिवल पर घर बैठे आराम से ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं मोनालिसा के कुछ इंडियन आउटफिट, जिसे हेल्दी गर्ल से लेकर शादीशुदा लेडिज ट्राय कर सकती हैं.

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8. डस्की स्किन के लिए परफेक्ट हैं बिपाशा के ये इंडियन आउटफिट

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अक्सर महिलाएं अपने स्किन के कलर के चलते कईं बार अपने फैशन पर ध्यान नही देती. वहीं डस्की यानी सांवले रंग वाली लड़कियों की बात करें तो उनको लगता है कि वह कोई भी कलर पहन ले वो अच्छी नही लगेंगी, लेकिन रिसर्च का मानना है कि गोरे लोगों से ज्यादा सांवले रंग वाले लोग ज्यादा अट्रेक्टिव लगते हैं. बौलीवुड की बात करें तो कई एक्ट्रेसेस डस्की स्किन के बावजूद अपने फैशन से लोगों को अपनी दिवाना बनाती हैं, जिसमें बिपाशा बासु का नाम भी आता है. बिपाशा पति करण सिंह ग्रोवर के साथ अक्सर नए-नए आउटफिट्स में नजर आती हैं, जिसमें वह बहुत खूबसूरत दिखती है. इसीलिए आज हम आपको सांवली स्किन वाली लड़कियों के लिए बिपाशा के लहंगो के बारे में बताएंगे, जिसे आप वेडिंग या फेस्टिवल में ट्राय कर सकती हैं.

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9. Festive Special: इंडियन फैशन में ट्राय करें नोरा फतेही के ये लुक

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आज हम नोरा के किसी कौंट्रवर्सी की नही बल्कि उनके इंडियन फैशन की करेंगे. हर फंक्शन या पार्टी में खूबसूरत लुक में नजर आती है. इसीलिए आज हम आपको कुछ इंडियन फैशन के कुछ औप्शन बताएंगे, जिसे फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकते हैं.

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10. Festive Special: इंडियन लुक के लिए परफेक्ट हैं बिग बौस 14 की जैस्मीन भसीन के ये लुक

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आज हम एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन के किसी रिश्ते या शो की नही बल्कि उनके इंडियन लुक की बात करेंगे. सीरियल्स में सिंपल बहू के लुक में नजर आने वाली जैस्मीन के लुक्स आप फेस्टिव सीजन में आसानी से ट्राय कर सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं जैस्मीन भसीन के फेस्टिव इंडियन लुक्स.


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Top 10 Raksha Bandhan Makeup Tips In Hindi: राखी पर मेकअप के टॉप 10 बेस्ट टिप्स हिंदी में

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Raksha bandhan Special: ये हैं 7 लेटैस्ट आईलाइनर स्टाइल

अगर आप भी फैशन के साथ कदम से कदम मिला कर चलना पसंद करती हैं, तो रैग्युलर आईलाइनर स्टाइल को अलविदा कह कर आजमाएं आईलाइनर के लेटैस्ट स्टाइल्स और कहलाएं फैशन आईकोन. इन दिनों आईलाइनर के कौन से स्टाइल ट्रैंड में हैं, जानते हैं मेकअप आर्टिस्ट मनीष केरकर से :

फ्लोरल आईलाइनर

आई मेकअप को सुपर कूल लुक देने के लिए फ्लोरल आईलाइनर अच्छा औप्शन है. आई मेकअप के लिए ज्यादातर ब्लैक या ब्राउन शेड का आईलाइनर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फ्लोरल आईलाइनर स्टाइल में व्हाइट से ले कर यलो, पिंक, रैड, पर्पल जैसे बोल्ड शेड्स का जम कर इस्तेमाल होता है.

इन कलरफुल आईलाइनर्स से पलकों पर अलगअलग फ्लौवर्स की डिजाइन बनाई जाती है. इसलिए इसे फ्लोरल आईलाइनर स्टाइल कहते हैं. पूरी पलकों पर या फिर दोनों पलकों के अगले और पिछले छोर पर फ्लौवर्स की डिजाइन बना सकती हैं. आईलाइनर का यह स्टाइल डे पार्टी के लिए बिलकुल परफैक्ट है. फ्लोरल डिजाइन को सही शेप देने के लिए पैन और लिक्विड आईलाइनर का इस्तेमाल करें.

क्रिस्टल आईलाइनर

आप के डिजाइनर आउटफिट को टक्कर देने के लिए क्रिस्टल आईलाइनर हाल ही में फैशन में इन हुआ है. इस के लिए सब से पहले ब्लैक, ब्राउन, ब्लू या आउटफिट से मैच करता किसी भी एक शेड का आईलाइनर ऊपरनीचे दोनों तरफ पलकों पर लगाएं. अच्छे रिजल्ट के लिए लिक्विड आईलाइनर का इस्तेमाल करें.

जब यह सूख कर अच्छी तरह सैट हो जाए तो आईलाइनर के ठीक आसपास या ऊपर गोल्डन या सिल्वर शेड की छोटी बिंदियां कतार में चिपकाती जाएं. इस से आप के आईलाइनर को क्रिस्टल इफैक्ट मिलेगा और लाइट पड़ते ही आप का आई मेकअप चमकने लगेगा. शादीब्याह जैसे मौके के साथसाथ नाइट पार्टी, फंक्शन के लिए भी क्रिस्टल आईलाइनर स्टाइल बैस्ट है.

स्टिक औन आईलाइनर

अगर आप भी आईलाइनर के अलगअलग शेड्स और शेप्स ट्राई करना चाहती हैं, लेकिन बिना किसी प्रोफैशनल की सहायता से खुद अलग स्टाइल में आई मेकअप लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं या फिर आईलाइनर को सही शेप नहीं दे पातीं, तो समझ लीजिए कि स्टिक औन आईलाइनर खास आप के लिए ही है.

बाजार में उपलब्ध अलगअलग शेड्स, शेप्स और डिजाइन के स्टिक औन आईलाइनर्स लगा कर आप अपने आई मेकअप को आकर्षक लुक दे सकती हैं. इस के लिए आप को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. सिर्फ आईलाइनर स्टिकर को पलकों पर सही जगह अच्छी तरह चिपकाना होता है. स्टिक औन आईलाइनर डे के बजाय नाइट पार्टी में ज्यादा अट्रैक्टिव नजर आता है.

कैंडी केन आईलाइनर

अगर आप मस्ती या हौलिडे मूड में हैं और अपने आई मेकअप को जरा अलग लुक देना चाहती हैं तो कैंडी केन आईलाइनर से अपने आई मेकअप को कैंडी लुक दे सकती हैं. इस आईलाइनर स्टाइल के लिए आप को बहुत कुछ नहीं करना है. बस व्हाइट और रैड शेड का पैंसिल, लिक्विड, पैन आईलाइनर, जो मन करे खरीदें. अब ऊपर की पलकों पर पहले व्हाइट शेड का आईलाइनर लगाएं, उस पर रैड शेड के आईलाइनर से थोड़ीथोड़ी दूरी पर क्रौस लाइन बनाती जाएं.

डे पार्टी या गैटटुगैदर में फंकी लुक के लिए कैंडी केन आईलाइनर लगा सकती हैं. ब्यूटीफुल लुक के कैंडी केन आईलाइनर तभी लगाएं जब आप के आउटफिट का कलर व्हाइट या रैड अथवा व्हाइट ऐंड रैड हो.

बबल आईलाइनर

अगर आप रोजरोज स्ट्रेट आईलाइनर लगा कर ऊब गई हैं तो अब ट्राई करें बबल आईलाइनर. स्ट्रेट की तरह बबल आईलाइनर भी आप रोजाना लगा सकती हैं. इस के लिए आप को अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है. रोजाना इस्तेमाल करने वाले ब्लैक जैल या लिक्विड आईलाइनर को स्ट्रेट न लगा कर डौटडौट लगा कर बबल की तरह बनाएं ताकि वह सीधी लाइन न लग कर बबल की तरह ऊपरनीचे नजर आए.

आप चाहें तो बबल के ठीक बीच में व्हाइट पैन आईलाइनर से डौट बना कर उसे और भी आकर्षक लुक दे सकती हैं. बबल आईलाइनर स्टाइल डेली लगा सकती हैं और ये रैग्युलर आउटफिट पर भी मैच करता है.

रिबन आईलाइनर

स्ट्रेट, राउंड और फिश कट के अलावा कोई और आईलाइनर स्टाइल ट्राई करना चाहती हैं, तो आजमाइए रिबन आईलाइनर स्टाइल. इस के लिए ऊपर की पलकों पर ब्लैक लिक्विड या जैल आईलाइनर लगाएं. आकर्षक लुक के लिए लाइनर थोड़ा चौड़ा रखें. अब निचली पलकों पर ब्लैक और ब्राउन के अलावा किसी भी शेड का पैन आईलाइनर लगाएं और पिछले छोर पर पहुंचते ही उसे रिबन की तरह ऊपर लगे ब्लैक आईलाइनर पर लपेटते हुए घुमाएं.

रिबन आईलाइनर स्टाइल को आप किसी खास मौके के अलावा रैग्युलर डेज में भी लगा सकती हैं. इंडियन के मुकाबले यह वैस्टर्न वियर के साथ ज्यादा स्टाइलिश नजर आता है.

ग्लिटर आईलाइनर

ग्लिटर लिपस्टिक, ग्लिटर आईशैडो और ग्लिटर हेयर हाईलाइटर के साथ ही ग्लिटर आईलाइनर भी इन दिनों डिमांड में है. यह इंडियन और वैस्टर्न दोनों ही आउटफिट पर सूट करता है. इसे सिर्फ ऊपर या ऊपरनीचे दोनों पलकों पर लगाया जा सकता है. सिर्फ ग्लिटर आईलाइनर या फिर ब्लैक, ब्राउन, ब्लू जैसे दूसरे शेड का आईलाइनर लगा कर उस के ऊपर भी ग्लिटर आईलाइनर लगा सकती हैं.

सिल्वर, गोल्डन के साथसाथ पिंक, ब्लू, पर्पल, रैड, यलो जैसे शेड्स में भी ग्लिटर आईलाइनर उपलब्ध हैं. अट्रैक्टिव इफैक्ट के लिए जैल आईलाइनर यूज करें. नाइट पार्टी या फंक्शन में आई मेकअप को हाईलाइट करने के लिए ग्लिटर आईलाइनर स्टाइल से बढि़या औप्शन और कोई नहीं है.

भैया: 4 बहनों को मिला जब 1 भाई

कीर्ति ने निशा का चेहरा उतरा हुआ देखा और समझ गई कि अब फिर निशा कुछ दिनों तक यों ही गुमसुम रहने वाली है. ऐसा अकसर होता है. कीर्ति और निशा दोनों का मैडिकल कालेज में दाखिला एक ही दिन हुआ था और संयोग से होस्टल में भी दोनों को एक ही कमरा मिला. धीरेधीरे दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.

कीर्ति बरेली से आई थी और निशा गोरखपुर से. कीर्ति के पिता बैंक में अधिकारी थे और निशा के पिता महाविद्यालय में प्राचार्य.

गंभीर स्वभाव की कीर्ति को निशा का हंसमुख और सब की मदद करने वाला स्वभाव बहुत अच्छा लगा था. लेकिन कीर्ति को निशा की एक ही बात समझ में नहीं आती थी कि कभीकभी वह एकदम ही उदास हो जाती और 2-3 दिन तक किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

आज रक्षाबंधन की छुट्टी थी. कुछ लड़कियां घर गई थीं और बाकी होस्टल में ही थीं क्योंकि टर्मिनल परीक्षाएं सिर पर थीं. कीर्ति ने निश्चय किया कि आज वह निशा से जरूर पूछेगी. होस्टल में घर की याद तो सभी को आती है पर इतनी उदासी…

नाश्ता करने के बाद कीर्ति ने निशा से कहा, ‘‘चल यार, बड़ी बोरियत हो रही है घर की याद भी बहुत आ रही है. वहां तो सब त्योहार मना रहे होंगे और यहां हमें पता नहीं कि उन्हें हमारी राखी भी मिली होगी या नहीं.’’

निशा ने भी प्रतिवाद नहीं किया. दोनों औटो से पार्क पहुंचीं. वहां का माहौल बहुत खुशनुमा था. कई परिवार त्योहार मनाने के बाद शायद पिकनिक मनाने वहां पहुंचे थे. दोनों एक कोने में नीम के पेड़ के नीचे पड़ी खाली बैंच पर बैठ गईं. निशा चुपचाप खेलते हुए बच्चों को देख रही थी. कीर्ति ने पूछा, ‘‘निशा, अब हम और तुम अच्छे दोस्त बन गए हैं. मुझे अपनी बहन जैसी ही समझो. मैं ने कई बार नोट किया कि तुम कभीकभी बहुत ज्यादा उदास हो जाती हो. आखिर बात क्या है?’’

निशा बोली, ‘‘कुछ खास बात नहीं. बस, घर की याद आ रही थी. आज हलके बादलों ने काली घटाओं का रूप ले लिया था और जब भी ऐसा माहौल बनता है तो मुझ पर बहुत उदासी छा जाती है.’’

‘‘इस के पीछे ऐसी क्या बात है?’’ कीर्ति ने पूछा.

‘‘बस, मेरे घर की कहानी बहुत ही अनोखी और उदास है,’’ निशा कहने लगी, ‘‘सुनोगी तुम?’’

कीर्ति बोली, ‘‘तुम सुनाओगी तो जरूरी सुनूंगी.’’

‘‘हम 4 बहनें हैं. हमारा कोई भाई नहीं था. बड़ी दीदी रेखा स्कूल में टीचर हैं. दूसरी सुमेधा, जो एलआईसी में काम कर रही हैं. तीसरी मैं और सब से छोटी बल्ली. मां और पापा को बेटे की बहुत इच्छा थी इसीलिए हम एक के बाद एक 4 बहनें हो गईं. मां व पापा को बेटे की चाहत के अलावा दादी को पोते को खिलाने की इच्छा हरदम सताती रहती थी.

‘‘रक्षाबंधन आने वाला होता. उस के कई दिन पहले से घर में एक अजीब सी उदासी पसर जाती थी. अपने मामा, चाचा और बूआ के बेटों को हम बहनें पहले ही राखियां भेज देती थीं. मां ऐसे में बहुत असहाय हो जातीं, जो हम से देखा नहीं जाता था पर दादी की कुढ़न उन के व्यंग्यबाणों से बाहर निकलती. पापा तो स्कूल से आ कर ट्यूशन के बच्चों से घिरे रहते. पढ़ाईलिखाई के इसी माहौल में हम लोग पढ़ने में अच्छे निकले.

‘‘एक बार राखी के दिन हमेशा की तरह सुबह पापा ने दरवाजा खोला और एकाएक उन के मुंह से चीख निकल गई. मम्मी किचन छोड़ कर बाहर की ओर दौड़ीं और वहां का नजारा देख कर वे भी हैरान रह गईं. दरवाजे के पास एक छोटा सा बच्चा लेटा हुआ हाथपैर मार रहा था.

‘‘‘अरे, यह कहां से आया?’ पापा बोले, ‘शायद कोई रख गया है,’ मम्मी अभी भी हैरान थीं.

‘‘इतनी देर में दादी और हम सब भी वहां पहुंच गए. थोड़ी ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह पूरे महल्ले में फैल गई कि गुप्ताजी के दरवाजे पर कोई बच्चा रख गया है. बारिश के बावजूद बहुत से लोग इकट्ठा हो गए.

‘‘‘इसे अनाथाश्रम में दे दो,’ भीड़ से आवाज आई. ‘अरे, थोड़ी देर इंतजार करना चाहिए, शायद कोई इसे लेने आ जाए,’ नीरा आंटी बोलीं.

‘‘किसी ने कहा, ‘पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए.’

‘‘धीरेधीरे सब लोग जाने लगे. त्योहार भी मनाना था.

‘‘‘वैसे आप की मरजी प्रो. साहब, पर मेरी राय में दोपहर तक इंतजार के बाद आप को इसे बालवाड़ी अनाथ आश्रम को सौंप देना चाहिए,’ कालोनी के सैके्रटरी ने कहा.

‘‘‘तुम चलो भी…उन के यहां का मामला है, वे चाहे जो भी करें,’ सैक्रेटरी की बीवी ने उन्हें कोहनी मारी.

‘‘‘कुछ भी हो मिसेज गुप्ता…रक्षाबंधन के दिन बेटा घर आया है…कुछ भी करने से पहले सोच लेना,’ जातेजाते भीड़ में से कोई बोला.

‘‘इस हैरानीपरेशानी में दोपहर हो गई. खाना भी नहीं बना. बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी. लगता था जैसे किसी मजबूर के आंसू ही आसमान से बरस रहे हों. जाने किस मजबूरी में अपने कलेजे के टुकड़े को उस ने अपने से दूर किया होगा.

‘‘इधर लोग गए और उधर दादी और उन की ममता दोनों ही जैसे सोते से जागीं. उन्होंने उस नन्ही सी जान को गोद में ले कर पुचकारना और खिलाना शुरू कर दिया. उसे गरम पानी से नहलाया और जाने कहां से ढूंढ़ कर उसे हमारे पुराने धुले रखे कपड़े पहनाए. कटोरी में दूध ले कर उसे चम्मच से पिलाने लगीं.

‘‘पापा ने नहाधो कर जब बूआ की राखी हम लोगों से बंधवाई तब दादी बोलीं, ‘अब इस छोटे से भैया राजा को भी तुम लोग राखी बांध दो. रक्षाबंधन के दिन आया है. मैं तो कहती हूं तुम लोग इसे अपने पास ही रख लो.’

‘‘मम्मी को तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ कि कहां छुआछूत को मानने वाली उन की रूढि़वादी सास और कहां न जाने किस जात का बच्चा है फिर भी उसे ऐसे सीने से चिपकाए थीं कि मानो उन का सगा पोता हो. मम्मीपापा पसोपेश में थे पर दादी की इस बात पर कुछ नहीं बोले.

‘‘दोपहर बाद भी लोग आते रहे, जाते रहे और तरहतरह की नसीहतें देते रहे पर दादी इन सब बातों से बेखबर उस की नैपी बदलने और उसे दूध पिलाने की कोशिश में लगी रहीं.

‘‘अगली सुबह सब चिंतित थे कि क्या होगा पर मम्मी के चेहरे पर दृढ़ निश्चय था.

‘‘‘मैं अनाथ आश्रम में जा कर बात करता हूं,’ पापा  के यह कहते ही मम्मी बोल उठीं, ‘नहीं, नन्हा यहीं रहेगा,’ पापा ने भी प्रतिवाद नहीं किया और दादी तो खुश थीं ही.

‘‘बस, उसी दिन से भैया हमारे घर और जिंदगी में आ गया. मैं भैया के प्रति शुरू से ही बहुत तटस्थ थी, जबकि दोनों बड़ी बहनें थोड़ी नाखुश थीं. उन की बात भी कुछ हद तक सही थी. उन का कहना था कि मांपापा के अच्छे व्यवहार और इस घर की अच्छी साख का किसी ने फायदा उठाया है और वह यह भी जानता है कि इस घर को एक बेटे की तीव्र चाह थी.

‘‘खैर, उस गोलमटोल और सुंदर सी जान ने धीरेधीरे सब को अपना बना लिया.

‘‘मां और दादी जतन से उसे पालने लगीं. वह बड़ा तो हो रहा था पर साल भर का हो जाने पर भी जब उस ने चलना तो दूर, बैठना और गर्दन उठाना भी नहीं सीखा तब सब को चिंता हुई. फिर उसे बच्चों के डाक्टर को दिखाया गया.

‘‘डाक्टर ने कई टैस्ट कराए और तब पता चला कि उसे सेरेब्रल पाल्सी, यानी एक ऐसी बीमारी है जिस में दिमाग का शरीर पर कंट्रोल नहीं होता है.

‘‘उस दिन जैसे फिर एक बार हमारे घर पर बिजली गिरी. मां, पापा, दादी के साथ हम सभी बहनों के चेहरे भी उतर गए. पापा के अभिन्न मित्र ने फिर समझाया कि उसे किसी अनाथ आश्रम को सौंप दें पर अब यह असंभव था क्योंकि पापा को थोड़ा समाज के उपहास का डर था और मां, दादी को उस से बहुत अधिक मोह.

‘‘वैसे भी यह कहां ठीक होता कि अच्छा है तो अपना और खराब है तो गैर. इसलिए भैया घर में ही है, अब करीब 6 साल का हो गया है पर लेटा ही रहता है. मां को उस का सब काम बिस्तर पर ही करना पड़ता है. दादी तो अब रही नहीं, कुछ समय पहले ही उन का देहांत हुआ.

‘‘मां कभीकभी बहुत उदास हो जाती हैं. कहां तो भैया के आने से उन्हें आशा बंधी थी कि शायद बुढ़ापे में बेटा सेवा करेगा पर अब तो जब तक जीवन है, उन्हें ही भैया की सेवा करनी है.’’

निशा फफकफफक कर रो पड़ी. कीर्ति की आंखें भी नम थीं. थोड़ी देर खामोशी रही फिर कीर्ति ने उसे ढाढ़स बंधाया.

‘‘इसलिए मैं डाक्टर बन कर ऐसे बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हूं, पर सच कहूं तो भैया का आगमन हमारे घर न हुआ होता तो आज मेरे मांबाप ज्यादा सुखी होते. जीवन की संध्या समाज सेवा में बिताते पर बेटे के मोह ने उन से वह सुख भी छीन लिया.’’

कीर्ति चुपचाप उस की बातें सुनती रही फिर उदास कदमों से दोनों होस्टल की ओर चल पड़ीं.

Raksha bandhan Special: यूं बनाएं हेल्दी पनीर मंचूरियन

चाइनीज का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है बच्चे हो या बड़े चायनीज फूड सभी को पसंद आता है. पनीर मंचूरियन एक बहुत ही पॉपुलर इंडो चायनीज डिश है.

पनीर मंचूरियन का फ्राइड राइस के साथ परफेक्ट कॉम्बो माना जाता है. मंचूरियन को अलग-अलग तरह की सामाग्रियों से बनाकर तैयार करते है जैसे – मिक्स वेज मंचूरियन, एग मंचूरियन, गोभी मंचूरियन, बंदगोभी मंचूरियन, सोया मंचूरियन आदि. आज हम आसान और जल्द ही बनने वाली डिश पनीर मंचूरियन बनाने की विधि बताएंगे.

सामग्री

पनीर पीस को फ्राई करने के लिए

1. ढाई सौ ग्राम चौकोर टुकड़ो में कटे हुए पनीर

2. चौथाई कप कॉर्न फ्लोर

3. आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

4. दो चम्मच दही

5. नमक स्वादानुसार

6. पनीर फ्राई करनें के लिए तेल

मंचूरियन की ग्रेवी के लिए

7. चार-पांच चम्मच टोमेटो सॉस

8. एक चम्मच सफेद सिरका

9. दो-तीन चम्मच सोया सॉस

10. आधा कप बारीक कटी हुई हरी प्याज

11. आठ-दस बारीक कटा हुआ लहसुन

12. दो बारीक काटा हुआ प्याज

13. दो चम्मच कॉर्न फ्लोर

14. आधा चम्मच अजिनोमोटो पाउडर

15. नमक स्वादानुसार

16. तीन-चार चम्मच तेल

यू बनाएं पनीर मंचूरियन

– पनीर मंचूरियन बनाने के लिए सबसे पहले हम पनीर के पीस को डीप फ्राई करेंगें.

– पनीर के टुकड़ो को तैयार करने के लिए सबसे पहले अब एक कढ़ाही में तेल डालकर गरम करने के लिए गैस पर रखें.

– और अब कटे हुए पनीर के टुकड़ो को एक प्लेट में निकालकर करीब 10 मिनट के लिये मेरिनेट करेंगें.

– मेरिनेट करने के लिये पनीर के टुकड़ो के ऊपर लाल मिर्च पाउडर, नमक और दही डालकर के लिये रख दें.

– 10 मिनट के बाद पनीर टुकड़ो को अच्छी तरह से मिक्स करके एक एक टुकड़े को सूखे कॉर्न फ्लोर में लपेट लें, जब तेल अच्छी तरह से गरम हो जाये तब 2-3 पनीर के टुकड़ो को गरम तेल में डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई करके निकाल लें, इसी तरह से सभी पनीर के टुकड़ो को तलकर तैयार कर लें.

– अब हम मंचूरियन के लिए ग्रेवी बनाएगें, मंचूरियन की ग्रेवी बनाने के लिए एक कढ़ाही में तेल डालकर गरम करने के लिए गैस पर रखें, जब तेल अच्छी तरह से गरम हो जाये तब गरम तेल में कटा हुआ लहसुन डालकर थोड़ी देर के लिये भून लें और अब इसमें कटी हुई प्याज डालकर हल्का गुलाबी होने तक भून लें.

– इसके बाद भुनी हुई प्याज में कटी हुई हरी प्याज डालकर 1 मिनट के तक भून लें. इसके बाद इसमें सोया सॉस, टोमेटो सॉस को डालकर अच्छी तरह से मिक्स करते हुये 1 मिनट के लिए फ्राई कर लें.

– इसके बाद ग्रेवी में कॉर्न फ्लोर का घोल डालकर अच्छी तरह से मसाले में मिक्स कर लें और अब इसमें नमक अजिनोमोटो पाउडर डालकर मिक्स करके गैस बंद कर दें.

– पनीर मंचूरियन के लिए ग्रेवी बनकर तैयार हो गयी है. अब मंचूरियन ग्रेवी में फ्राई किये हुये पनीर के टुकड़ो को डालकर धीमी आँच पर अच्छी तरह से मिक्स कर लें जिससे मंचूरियन ग्रेवी की कोटिंग पनीर के टुकड़ो पर अच्छी तरह से आ जाये.

– स्वादिष्ट पनीर मंचूरियन बनकर तैयार हो गया है, गरमा गर्म पनीर मंचूरियन को सर्विंग बाउल में निकाल कर कटी हुई हरी प्याज के पत्ती और कद्दूकस किये हुए पनीर से गार्निश करके नूडल्स या फिर अपनी पसंद फ्राइड राइस के साथ सर्व करें.

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