Raksha bandhan Special: घर पर ऐसे करें मैनीक्योर और पैडीक्योर

खूबसूरत चेहरे के साथसाथ हाथों और पैरों का सुंदर होना भी बहुत जरूरी होता है. कोमल, नाजुक, खूबसूरत हाथों और पैरों की खातिर महिलाएं कितना कुछ करती हैं. कभी क्रीम, कभी उबटन, कभी सनस्क्रीन और अकसर ब्यूटीपार्लर जाना. मगर बारबार ब्यूटीपार्लर जा कर अपने हाथपैरों की खूबसूरती के लिए पैडीक्योरमैनीक्योर कराना काफी खर्चीला हो जाता है. इस से समय और पैसे दोनों की बरबादी होती है. इसलिए बेहतर है कि घर पर ही मैनीक्योरपैडीक्योर करती रहें ताकि आप अपने पूरे शरीर की खूबसूरती हमेशा बरकरार रख सकें.

मैनीक्योर क्यों जरूरी

सफाई के लिए जरूरी मैनीक्योर:

कोई भी काम करने में हमें अपने हाथों का उपयोग करना होता है जिस से उन में धूल और गंदगी लगना स्वाभाविक है. हम अपने हाथ नियमित रूप से साबुन से धो कर साफ करते हैं लेकिन यह हमारे नाखूनों में छिपी गंदगी को दूर नहीं करता. ऐसी गंदगी समय के साथ इकट्ठा होती जाती है और संक्रमण का कारण बन सकती है. नियमित मैनीक्योर नाखूनों में छिपी गंदगी और कीटाणुओं को दूर करने में मदद करती है.

मैनीक्योर से हाथ मुलायम बनते हैं:

मैनीक्योर के बाद हाथ इतने कोमल और मुलायम हो जाते हैं और रंग में निखार आता है कि आप को अपने ही हाथों से प्यार हो जाएगा. मैनीक्योर के दौरान होने वाली मसाज में स्क्रबिंग और ऐक्सफौलिएटिंग शामिल होती है जो आप के हाथों को एक बच्चे के हाथों की तरह नर्म और साफ कर देती है.

मैनीक्योर क्यूटिकल्स को पोषण देता है:

क्यूटिकल्स वह डैड स्किन है जो आप के नाखूनों के किनारे वाली स्किन के पास इकट्ठा होती है. यह आप के नाखूनों के आसपास की स्किन की मोटी परतों के बीच कीटाणुअवरोधक के रूप में कार्य करती है. यदि नियमित रूप से आप घर पर मैनीक्योर करती हैं तो यह क्यूटिकल्स को नर्म, पोषित और उन्हें अच्छे आकार में रखेगी.

रिलैक्सेशन के लिए मैनीक्योर:

नियमित मसाज आप को रिलैक्स रखने के लिए बहुत आवश्यक है. खासतौर पर आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इस से पूरे शरीर को आराम मिलता है.

मैनीक्योर ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है:

मात्र 15-20 मिनट की मालिश जोकि किसी भी मैनीक्योर का एक आवश्यक स्टैप है यह हमारे हाथों में रक्त के प्रवाह को उत्तेजित करती है और उंगलियों और कलाइयों के जोड़ों में गतिशीलता प्रदान करती है.

आइए, जानते हैं सिंपल तरीके से आप घर पर मैनीक्योरपैडीक्योर कैसे कर सकती हैं:

मैनीक्योर के लिए जरूरी टूल्स

नेलपौलिश रिमूवर, नेल फाइलर और कटर, कौटन पैड्स, क्यूटिकल क्रीम, क्यूटिकल पुशर, नेलपौलिश, हाथों को भिगो कर रखने के लिए एक बड़ा बाउल, शैंपू या बौडी वाश, नींबू का रस, शहद, घर पर मैनीक्योर स्क्रब बनाने के लिए चीनी, जैतून का तेल, नीबू का रस.

मैनीक्योर करने का तरीका

नेलपौलिश हटाएं और नाखूनों को ट्रिम करें:

सब से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं और फिर एक अच्छे नेल पेंट रिमूवर और कौटन की मदद से पुराने नेल पेंट को हटा दें. लंबाई को कम करने के लिए नेल फाइलर से नाखूनों के कोनों को सैट करते हुए नाखूनों को ट्रिम करें. आप चाहें तो अपने नाखूनों को गोल, चौकोर या ओवल शेप दे सकती हैं.

हाथों को थोड़ी देर भिगो कर रखें:

एक बाउल में कुनकुना पानी भर लें. इस पानी में थोड़ा सा शैंपू डाल कर हाथों को 3-4 मिनट के लिए भिगो कर रख सकती हैं या फिर उस में 2 बड़े चम्मच शहद और 1 चम्मच नींबू का रस डालें. नीबू एक बेहतरीन डी-टैनिंग और व्हाइटनिंग एजेंट के रूप में काम करता है जबकि शहद एक अच्छा मौइस्चराइजर है. इस घोल में अपने हाथों को 5 मिनट के लिए भिगोएं और उन्हें सौफ्ट होने दें. एक सौफ्ट ब्रश से नाखून और क्यूटिकल्स साफ करें.

इस के बाद अपने नाखूनों में फाइलर के हैंडल का उपयोग कर के क्यूटिकल्स को प्रैस कर पीछे की तरफ करें.

स्क्रब करें:

वैसे तो आप घर पर कई तरह के मैनीक्योर स्क्रब बना सकती हैं, लेकिन सब से सरल और असरदार तरीका है नीबू, चीनी और जैतून के तेल का स्क्रब जो सभी प्रकार की स्किन के लिए उपयुक्त होता है. एक छोटी कटोरी में 2 चम्मच चीनी, 1/2 चम्मच जैतून का तेल और एक चम्मच नीबू का रस मिलाएं. जैतून का तेल आप के हाथों में नमी को बरकरार रखने में मदद करता है. अपने हाथों को 2 मिनट तक स्क्रब करें और फिर कुनकुने पानी से धो लें. फिर उन्हें एक नर्म तौलिए से सुखाएं.

क्लीयर नेलपौलिश लगाएं:

अब अपने नाखूनों पर नेलपौलिश लगाएं. पहले क्लियर नेलपौलिश से बेस कोट लगाएं. आप बेस कोट के लिए व्हाइट नेलपौलिश भी लगा सकती हैं. इस से आप का नेल कलर पौप होगा. बेस कोट लगाने से नेलपौलिश लंबे समय तक चलती है.

टौप कोट अप्लाई करें:

जब बेस कोट सूख जाए तो अपनी पसंद की नेलपौलिश का एक पतला कोट लगाएं. इसे सूखने के बाद एक और कोट लगाएं. इसे अच्छी तरह से सूखने दें और फिर इस के ऊपर क्लीयर नेलपौलिश की एक लेयर और लगाएं.

पैडीक्योर

हम दिन भर इतने सारे काम करते हैं, कितनी जगह जाते हैं, सीढि़यां चढ़ते हैं, दौड़तेभागते हैं, इन सारी गतिविधियों में सब से ज्यादा प्रभावित पैर ही होते हैं. इसलिए इन का खयाल रखना भी हमारी जिम्मेदारी बनती है. साफसुथरे और कोमल पैर शरीर की खूबसूरती बढ़ा देते हैं. पैरों की देखभाल का सब से अच्छा तरीका है पैडीक्योर. इस से न सिर्फ गंदगी दूर होती है बल्कि पैरों को आकर्षक भी बनाया जा सकता है.

पैडीक्योर के फायदे

पैडीक्योर एक कारगर ऐक्सफौलिएट के रूप में काम करता है, जिस से पैरों खासकर एडि़यों की मृत त्वचा आसानी से हट जाती है. साथ ही यह नाखूनों की पौलिशिंग भी करता है.

एडि़यों में दरार और सूखी त्वचा के लिए भी यह उपचार फायदेमंद है. पैडीक्योर दरारों को भरने और सूखी त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटा कर आराम पहुंचा सकती है.

पैडीक्योर की प्रक्रिया में मसाज भी आती है. मसाज से पैरों खासकर तलवों और एड़ियों को आराम मिलता है. पैडिक्योर में की जाने वाली फुट मसाज से रक्तप्रवाह में सुधार होता है.

घर पर पैडीक्योर करने का तरीका

यह जरूरी नहीं है कि पैडीक्योर के लिए हमेशा पार्लर ही जाया जाए. कम समय और कम पैसे में घर पर भी पैडीक्योर कर सकती हैं.

घर पर पैडीक्योर करने की सामग्री:

एक टब में कुनकुना पानी, फुट स्क्रब, नेल क्लिपर, क्यूटिकल पुशर, नेल फाइल, प्यूमिक स्टोन/फुट फाइल, नेल स्क्रबर, नेलपौलिश रिमूवर, क्यूटिकल क्रीम, एक साफ तौलिया, मौइस्चराइजर, कौटन पैड, शहद, मौइस्चराइजिंग क्रीम, नीबू कटे हुए.

नाखूनों को ट्रिम और फाइल करें:

नाखूनों को साफ करने के बाद अतिरिक्त बाहर निकले नाखूनों के हिस्सों को नेल कटर से काटें. नाखून को बराबर तरीके से काटें ताकि ये देखने में भद्दे न लगें. नाखूनों को खास शेप भी दे सकती हैं जैसे चौकोर, अंडाकार, नुकीला. नाखून काटने के बाद नेल फाइलर से धीरेधीरे नाखूनों को फाइल कर अच्छी शेप दें.

पैरों को पानी में डुबोएं:

नाखूनों को काटने के बाद अब पैरों को आराम देने के लिए उन्हें हलके गरम पानी में कुछ देर डुबा कर रखें. इस के लिए एक टब को हलके गरम पानी से भर दें और इस में थोड़ा सौल्ट या माइल्ड क्लींजर डाल दें. यह पैरों को भरपूर आराम देने का काम करता है, जिस से पैरों की सूजन व जलन ठीक हो जाती है और पैर मुलायम नजर आते हैं. आप इस पानी में नीबू का रस या ऐसैंशियल औयल की कुछ बूंदें भी पानी में डाल सकती हैं. नीबू और ऐसैंशियल औयल ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीफंगल गुणों से समृद्ध होते हैं जो किसी भी तरह के बैक्टीरियल या फंगल के प्रभाव को कम कर सकते हैं. गरम पानी में पैरों को डुबो कर रखने की प्रक्रिया पैरों को आराम देने के साथसाथ रक्तसंचार को बढ़ावा देने में भी सहायक है. पैरों को पानी में कम से कम 15 मिनट तक रखें और बाद में साफ तौलिए से पोंछ लें.

पैरों को स्क्रब करें:

पैर सूख जाने के बाद नाखूनों पर क्यूटिकल क्रीम लगाएं और कुछ देर धीरेधीरे मसाज करें. जब मृत त्वचा नर्म हो जाए तो क्यूटिकल पुशर की मदद से क्यूटिकल्स को हटा कर साफ करें. अब पैरों की मृत त्वचा को हटाने के लिए फुट स्क्रब का इस्तेमाल करें. लगभग 3-4 मिनट तक एडि़यों, तलवों, पैरों की उंगलियों और बाकी जगह को धीरेधीरे स्क्रब करें.

पैरों को मौइस्चराइज करें:

अब पैर बिलकुल साफ हैं, लेकिन इन को मौइस्चराइज करना बहुत जरूरी है. मौइस्चराइजर लगाने से पहले लगभग 10 मिनट तक पैरों, एडि़यों और नाखूनों की हलकी मसाज करें. अगर मौइस्चराइजर नहीं है तो जैतून तेल का प्रयोग कर सकती हैं.

अब्दुल मामा

भारतीय सैन्य अकादमी में आज ‘पासिंग आउट परेड’ थी. सभी कैडेट्स के चेहरों पर खुशी झलक रही थी. 2 वर्ष के कठिन परिश्रम का प्रतिफल आज उन्हें मिलने वाला था. लेफ्टिनेंट जनरल जेरथ खुद परेड के निरीक्षण के लिए आए थे. अधिकांश कैडेट्स के मातापिता, भाईबहन भी अपने बच्चों की खुशी में सम्मिलित होने के लिए देहरादून आए हुए थे. चारों ओर खुशी का माहौल था.

नमिता आज बहुत गर्व महसूस कर रही थी. उस की खुशी का पारावार न था. वर्षों पूर्व संजोया उस का सपना आज साकार होने जा रहा था. वह ‘बैस्ट कैडेट’ चुनी गई थी. जैसे ही उसे ‘सोवार्ड औफ औनर’ प्रदान किया गया, तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा ग्राउंड गूंज उठा.

परेड की समाप्ति के बाद टोपियां उछालउछाल कर नए अफसर खुशी जाहिर कर रहे थे. महिला अफसरों की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था. उन्होंने दिखा दिया था कि वे भी किसी से कम नहीं हैं. नमिता की नजरें भी अपनों को तलाश रही थीं. परिवारजनों की भीड़ में उस की नजरें अपने प्यारे अब्दुल मामा और अपनी दोनों छोटी बहनों नव्या व शमा को खोजने लगीं. जैसे ही उस की नजर दूर खड़े अब्दुल मामा व अपनी बहनों पर पड़ी वह बेतहाशा उन की ओर दौड़ पड़ी.

अब्दुल मामा ने नमिता के सिर पर हाथ रखा और फिर उसे गले लगा लिया. आशीर्वाद के शब्द रुंधे गले से बाहर न निकल पाए. खुशी के आंसुओं से ही उन की भावनाएं व्यक्त हो गई थीं. नमिता भी अब्दुल मामा की ऊष्णता पा कर फफक पड़ी थी.

‘अब्दुल मामा, यह सब आप ही की तो बदौलत हुआ है, आप न होते तो हम तीनों बहनें न तो पढ़लिख पातीं और न ही इस योग्य बन पातीं. आप ही हमारे मातापिता, दादादादी और भैया सबकुछ हैं. सचमुच महान हैं आप,’ कहतेकहते नमिता की आंखों  से एक बार फिर अश्रुधारा बह निकली. उस की पलकें कुछ देर के लिए मुंद गईं और वह अतीत में डूबनेउतराने लगी.

मास्टर रामलगन दुबे एक सरकारी स्कूल में अध्यापक थे. नमिता, नव्या व शमा उन की 3 प्यारीप्यारी बेटियां थीं. पढ़ने में एक से बढ़ कर एक. मास्टरजी को उन पर बहुत गर्व था. मास्टरजी की पत्नी रामदुलारी पढ़ीलिखी तो न थी, पर बेटियों को पढ़ने के लिए अकसर प्रेरित करती रहती. बेटियों की परवरिश में वह कभी कमी न छोड़ती. मास्टरजी का यहांवहां तबादला होता रहता, पर रामदुलारी मास्टरजी के पुश्तैनी कसबाई मकान में ही बेटियों के साथ रहती. मास्टरजी बस, छुट्टियों में ही घर आते थे.

पासपड़ोस के सभी लोग मास्टरजी और उन के परिवार की बहुत इज्जत करते थे. पूरा परिवार एक आदर्श परिवार के रूप में जाना जाता था. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. मास्टरजी की तीनों बेटियां मनोयोग से अपनीअपनी पढ़ाई कर रही थीं.

एक दिन मास्टरजी को अपनी पत्नी के साथ किसी रिश्तेदार की शादी में जाना पड़ा. पढ़ाई के कारण तीनोें बेटियां घर पर ही रहीं. शादी से लौटते समय जिस बस में मास्टरजी आ रहे थे, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई. नहर के पुल पर ड्राइवर नियंत्रण खो बैठा. बस रेलिंग तोड़ती हुई नहर में जा गिरी. मास्टरजी, उन की पत्नी व कई अन्य लोगों की दुर्घटनास्थल पर ही मौत हो गई.

जैसे ही दुर्घटना की खबर मास्टरजी के घर पहुंची, तीनों बेटियां तो मानो जड़वत हो गईं. उन्हें अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. जैसे ही उन की तंद्रा लौटी तो तीनों के सब्र का बांध टूट गया. रोरो कर उन का बुरा हाल हो गया.

जब नमिता ने अपने मातापिता की चिता को मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं. सभी सोच रहे थे कि कैसे ये तीनों लड़कियां इस भारी मुश्किल से पार पाएंगी. सभी की जबान पर एक ही बात थी कि इतने भले परिवार को पता नहीं किस की नजर लग गई. सभी लोग तीनों बहनों को दिलासा दे रहे थे.

नमिता ने जैसेतैसे खुद पर नियंत्रण किया. वह सब से बड़ी जो थी. दोनों छोटी बहनों को ढाढ़स बंधाया. तीनों ने मुसीबत का बहादुरी से सामना करने की ठान ली.

तेरहवीं की रस्मक्रिया के बाद तीनों बहनें दोगुने उत्साह से पढ़ाई करने में जुट गईं. उन्होंने अपने मातापिता के सपने को साकार करने का दृढ़ निश्चय कर लिया था. उन्हें आर्थिक चिंता तो नहीं थी, पर मातापिता का अभाव उन्हेें सालता रहता.

अगले वर्ष नमिता ने कालेज में प्रवेश ले लिया था. अपनी प्रतिभा के बल पर वह जल्दी ही सभी शिक्षकों की चहेती बन गई. पढ़ाई के साथसाथ वह अन्य कार्यक्रमों में भी  भाग लेती थी. उस की हार्दिक इच्छा सेना में अफसर बनने की थी. इसी के वशीभूत नमिता ने एनसीसी ले ली. अपने समर्पण के बल पर उस ने शीघ्र ही अपनेआप को श्रेष्ठ कैडेट के रूप में स्थापित कर लिया.

परेड के बाद अकसर नमिता को घर पहुंचने में देर हो जाती. उस दिन भी परेड समाप्त होते ही वह चलने की तैयारी करने लगी. शाम हो गई थी. कालेज के गेट के बाहर वह देर तक खड़ी रही, पर कोई रिकशा नहीं दिखाई दिया. आकाश में बादल घिर आए थे. बूंदाबांदी के आसार बढ़ गए थे. वह चिंतित हो गई थी, तभी एक रिकशा उस के पास आ कर रुका. चेकदार लुंगी पहने, सफेद कुरता, सिर पर टोपी लगाए रिकशा चालक ने अपनी रस घोलती आवाज में पूछा, ‘बिटिया, कहां जाना है?’

‘भैया, घंटाघर के पीछे मोतियों वाली गली तक जाना है, कितने पैसे लेंगे?’ नमिता ने पूछा.

‘बिटिया पहले बैठो तो, घर पहुंच जाएं, फिर पैसे भी ले लेंगे.’

नमिता चुपचाप रिकशे में बैठ गई.

बूंदाबांदी शुरू हो गई. हवा भी तेज गति से बहने लगी थी. अंधेरा घिरने लगा था.

‘भैया, तेजी से चलो,’ नमिता ने चिंतित स्वर में कहा.

‘भैया कहा न बिटिया, तनिक धीरज रखो और विश्वास भी. जल्दी ही आप को घर पहुंचा देंगे,’ रिकशे वाले भैया ने नमिता को आश्वस्त करते हुए कहा.

कुछ ही देर बाद बारिश तेज हो गई. नमिता तो रिकशे की छत की वजह से थोड़ाबहुत भीगने से बच रही थी, लेकिन रिकशे वाला भैया पूरी तरह भीग गया था. जल्दी ही नमिता का घर आ गया था. नव्या और शमा दरवाजे पर खड़ी उस का इंतजार कर रही थीं. रिकशे से उतरते ही भावावेश में दोनों बहनें नमिता से लिपट गईं. रिकशे वाला भैया भावविभोर हो कर उस दृश्य को देख रहा था.

‘भैया, कितने पैसे हुए… आज आप देवदूत बन कर आए. हां, आप भीग गए हो न, चाय पी कर जाइएगा,’ नमिता एक ही सांस में कह गई.

‘बिटवा, आज हम आप से किसी भी कीमत पर पैसे नहीं लेंगे. भाई कहती हो तो फिर आज हमारी बात भी रख लो. रही बात चाय की तो कभी मौका मिला तो जरूरी पीएंगे,’ कहते हुए रिकशे वाले भैया ने अपने कुरते से आंखें पोंछते हुए तीनों बहनों से विदा ली. तीनों बहनें आंखों से ओझल होने तक उस भले आदमी को जाते हुए देखती रहीं. वे सोच रही थीं कि आज के इस निष्ठुर समाज में क्या ऐसे व्यक्ति भी मौजूद हैं.

जब भी एनसीसी की परेड होती और नमिता को देर हो जाती तो उस की आंखें उसी रिकशे वाले भैया को तलाशतीं. एक बार अचानक फिर वह मिल गया. बस, उस के बाद तो नमिता को फिर कभी परेड वाले दिन किसी रिकशे का इंतजार ही नहीं करना पड़ा. वह नियमित रूप से नमिता को लेने कालेज पहुंच जाता.

नमिता को उस का नाम भी पता चल गया था, अब्दुल. हां, यही नाम था उस के रिकशे वाले भैया का. वह निसंतान था. पत्नी भी कई वर्ष पूर्व चल बसी थी. जब अब्दुल को नमिता के मातापिता के बारे में पता चला तो तीनों बहनों के प्रति उस का स्नेहबंधन और प्रगाढ़ हो गया था.

नमिता को तो मानो अब्दुल रूपी परिवार का सहारा मिल गया था. एक दिन अब्दुल के रिकशे से घर लौटते नमिता ने कहा, ‘अब्दुल भैया, अगर आप को मैं अब्दुल मामा कहूं तो आप को बुरा तो नहीं लगेगा?’

‘अरे पगली, मेरी लल्ली, तुम मुझे भैया, मामा, चाचा कुछ भी कह कर  पुकारो, मुझे अच्छा ही नहीं, बहुत अच्छा लगेगा,’ भावविह्वल हो कर अब्दुल बोला.

अब्दुल मामा नमिता, नव्या व शमा के परिवार के चौथे सदस्य बन गए थे. तीनों बहनों को कोई कठिनाई होती, कहीं भी जाना होता, अब्दुल मामा तैयार रहते. पैसे की बात वे हमेशा टाल दिया करते. एकदूसरे के धार्मिक उत्सवों व त्योहारों का वे खूब ध्यान रखते.

रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक था. तीनों बहनें कुछ उदास थीं. अब्दुल मामा ने उन के मन की बात पढ़ ली थी. रक्षाबंधन वाले दिन नहाधो कर नमाज पढ़ी और फिर अब्दुल मामा जा पहुंचे सीधे नमिता के घर. रास्ते से थोड़ी सी मिठाई भी लेते गए.

‘नमिता थाली लाओ, तिलक की सामग्री भी लगाओ,’ अब्दुल मामा ने घर पहुंचते ही नमिता से आग्रह किया. नमिता आश्चर्यचकित मामा को देखती रही. वह झटपट थाली ले आई. अब्दुल मामा ने कुरते की जेब से 3 राखियां निकाल कर थाली में डाल दीं और साथ लाई मिठाई भी.

‘नमिता, नव्या, शमा तीनों बहनें बारीबारी से मुझे राखी बांधो,’ अब्दुल मामा ने तीनों बहनों को माधुर्यपूर्ण आदेश दिया.

‘मामा… लेकिन…’ नमिता कुछ सकुचाते हुए कहना चाहती थी, पर कह न पाई.

‘सोच क्या रही हो लल्ली, तुम्हीं ने तो एक दिन कहा था आप हमारे मामा, भैया, चाचा, मातापिता सभी कुछ हो. फिर आज राखी बांधने में सकुचाहट क्यों,’ अब्दुल मामा ने नमिता को याद दिलाया.

नमिता ने झट से अब्दुल मामा की कलाई पर राखी बांध उन्हें तिलक कर उन का मुंह मीठा कराया व आशीर्वाद लिया. नव्या व शमा ने भी नमिता का अनुसरण किया. तीनों बहनों ने मातापिता के चित्र को नमन किया और उन का अब्दुल मामा को भेजने के लिए धन्यवाद किया.

उस दिन ‘ईद-उल-फितर’ के त्योहार पर अब्दुल मामा बड़ा कटोरा भर मीठी सेंवइयां ले आए थे. तीनों बहनों ने उन्हें ईद की मुबारकबाद दी और ईदी भी मांगी, फिर भरपेट सेंवइयां खाईं.

अब्दुल मामा तीनों बहनों की जीवन नैया के खेवनहार बन गए थे. जब भी जरूरत पड़ती वे हाजिर हो जाते. तीनों बहनों की मदद करना उन्होंने अपने जीवन का परम लक्ष्य बना लिया था. तीनों बहनों को अब्दुल मामा ने भी मातापिता की कमी का एहसास नहीं होने दिया. किसी की क्या मजाल जो तीनों बहनों के प्रति जरा भी गलत शब्द बोल दे.

अब्दुल मामा जातिधर्म की दीवारों से परे तीनों बहनों के लिए एक संबल बन गए थे. उन की जिंदगी के मुरझाए पुष्प एक बार फिर खिल उठे. तीनों बहनें अपनेअपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समर्पण भाव से पढ़ती रहीं व आगे बढ़ती रहीं.

नमिता ने बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण कर भारतीय सैन्य अकादमी की परीक्षा दी. अपनी प्रतिभा, एनसीसी के प्रति समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर उस का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया. नव्या और शमा भी अब कालेज में आ गई थीं.

आज नमिता को देहरादून के लिए रवाना होना था. अब्दुल मामा के साथ नव्या और शमा भी स्टेशन पर नमिता को विदा करने आए थे. सभी की आंखें नम थीं. अव्यक्त पीड़ा चेहरों पर परिलक्षित हो रही थी.

‘अब्दुल मामा, नव्या और शमा का ध्यान रखना. दोनों आप ही के भरोसे हैं और हां, मैं भी तो आप के आशीर्वाद से ही ट्रेनिंग पर जा रही हूं,’ सजल नेत्रों से नमिता ने मामा से कहा.

‘तुम घबराना नहीं मेरी बच्ची, 2 वर्ष पलक झपकते ही बीत जाएंगे. आप को सद्बुद्धि प्राप्त हो और आगे बढ़ने की शक्ति मिले. छुटकी बहनों की चिंता मत करना. मैं जीतेजी इन्हें कष्ट नहीं होने दूंगा,’ नमिता को ढाढ़स बंधाते हुए अब्दुल मामा ने दोनों बहनों को गले लगा लिया.

गाड़ी धीरेधीरे आगे बढ़ रही थी. नमिता धीरेधीरे आंखों से ओझल हो गई. अब्दुल मामा ने जीजान से दोनों बहनों की देखभाल का मन ही मन संकल्प ले लिया था. 2 वर्ष तक वे उस संकल्प को मूर्त्तरूप देते रहे.

अचानक नमिता की तंद्रा टूटी तो उस ने पाया, अब्दुल मामा के आंसुओं से उस की फौजी वरदी भीग चुकी थी. मामा गर्व से नमिता को निहार रहे थे.

‘‘तुम ने अपने दिवंगत मातापिता और हम सभी का नाम रोशन कर दिया है नमिता. तुम बहुत तरक्की करोगी. मैं तुम्हारी उन्नति की कामना करता हूं. तुम्हारी छोटी बहनें भी एक दिन तुम्हारी ही तरह अफसर बनेंगी, मुझे पूरा यकीन है,’’ अब्दुल मामा रुंधे कंठ से बोले.

‘‘मामा… हम धन्य हैं, जो हमें आप जैसा मामा मिला,’’ तीनों बहनें एकसाथ बोल उठीं.

‘‘एक मामा के लिए या एक भाई के लिए इस से बढि़या सौगात क्या हो सकती है जो तुम जैसी होनहार बच्चियां मिलीं. तुम कहा करती थी न नमिता कि मुझ पर तुम्हारा उधार बाकी है. हां, बाकी है और उस दिन उतरेगा जब तुम तीनों अपनेअपने घरबार में चली जाओगी. मैं इन्हीं बूढ़े हाथों से तुम्हें डोली में बिठाऊंगा,’’ अब्दुल मामा कह कर एकाएक चुप हो गए.

तीनों बहनें एकटक मामा को देखे जा रही थीं और मन ही मन प्रार्थना कर रही थीं कि उन्हें अब्दुल मामा जैसा सज्जन पुरुष मिला. तीनों बहनें और अब्दुल मामा मौन थे. उन का मौन, मौन से कहीं अधिक मुखरित था. उन सभी के आंसू जमीन पर गिर कर एकाकार हो रहे थे. जातिधर्म की दीवारें भरभरा कर गिरती हुई प्रतीत हो रही थीं.

Raksha bandhan Special: हेयरस्टाइल हो ऐसा

अपने पुराने लुक से अगर आप बोर हो चुकी हैं तो अपनाइए कुछ ऐसे हेयरस्टाइल, जो आप के व्यक्तित्व में एक नई ताजगी भर दें और आप पहले से ज्यादा हसीन और स्मार्ट लगें. लेकिन यह तभी संभव है जब आप अपनाएंगी कुछ डिफरैंट हेयरस्टाइल.

फ्लिक स्टाइल: केशों की अच्छी तरह से कौंबिंग कर के हेयर स्प्रे डालें और फिर कौंबिंग कर के सीरम लगाएं. इस के बाद फिर कौंबिंग कर के केशों को नीचे से बराबरी से कट करें. अब केशों की छोटीछोटी लटों को ले कर बराबरी से उंगलियों में फंसा कर उन की कटिंग करें. इस में पहले एक बेस कटिंग करें फिर वन लैंथ कटिंग करें. फिर स्प्रे डालें और बीच की मांग निकाल कर कौंबिंग करें.

अब क्राउन एरिया में एक बौक्स बना कर उसे आगे चेहरे की तरफ ला कर स्टे्रट कौंब में फंसा कर काटें. कान के ऊपर के केशों को स्लाइन में काटें. ऐसा ही कट कान के दूसरी तरफ के केशों का भी करें.

अब पीछे की तरफ के केशों को ऊपर की तरफ करते हुए स्लाइन में दोनों तरफ से काटें. कटिंग के बाद हेयर ड्रायर लगा कर केशों को अच्छे से सैट करें.

फ्रिंज स्टाइल: केशों की कौंबिंग कर के हेयर स्प्रे डालें. फिर टौप से एक सैक्शन ले कर केशों को आगे नाक के पास ला कर काटें. इस कटिंग में सिर्फ आगे से ही कट किया जाएगा. पीछे के केशों का अपनी इच्छानुसार छोटा या लंबा कट किया जा सकता है या बराबर कट भी कर सकते हैं.

साइड फ्लिक स्टाइल: केशों की अच्छी तरह से कौंबिंग कर के स्प्रे डालें. फिर आधे केशों का एक बौक्स सैक्शन बना कर कट करें. आगे के केशों की इयर टू इयर पार्टिंग करें और उसे पिन से फोल्ड कर दें. पीछे के केशों की एक गाइड लाइन बना कर ऊपर की तरफ लेते हुए कट करें. इस में केशों के 3 बौक्स बनाएं.

अब पहले वाले बौक्स को खोल कर कट करें. टौप क्राउन एरिया के केशों को एक साइड में करते हुए कट करें. इयर टू इयर केशों को फेस के अनुसार ही आगे से काटें. अब ड्रायर की मदद से केशों को अच्छी तरह से सैट करें. यह स्टाइल आप के लुक में चार चांद लगाएगा.

स्टे्रट हेयर में वी कट: स्टे्रट हेयर में कोई भी कट बहुत ध्यान से करना होता है, क्योंकि ऐसे केशों में कोई भी कट फ्लैट ही लगता है. इस में लंबे केश ही खूबसूरत लगते हैं, अगर सिरे से उन की कटिंग अच्छी हो.

स्ट्रेट हेयर में अपने सिर को नीचे कर के केशों को आगे की तरफ पूरा झुका कर ही कट करें. इस से नीचे के केश छोटे फिर उस से बड़े फिर उस से थोड़े बड़े केश कटेंगे.

कान की तरफ के केशों को कौंब में फंसा कर नीचे से ऊपर की तरफ तिरछा कट करें. अब सिर सीधा करने पर पीछे से पूरा वी लुक ही नजर आएगा.

फेब वर्कशौप में यूनीसैक्स सैलून के हेयर डिजाइनर सलीम अहमद से आभा यादव द्वारा की गई बातचीत पर आधारित.

Raksha bandhan Special: यूं बनाएं पनीर तवा मसाला

पनीर तो सभी को खाना पसंद होता है चाहे वह जिस तरह भी खाई गई हो. पनीर से कई तरह के पकवान और मिठाई बनाई जाती है जिसे हम बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन आज हम आपको पनीर की बनी डिश के बारे में बता रहें है जो खाने में बहुत टेस्टी और हेल्दी है.

सामग्री

1. 300 ग्राम छोटे टुकडों में कटा हुआ पनीर

2. चार टमाटर का पेस्ट

3. एक बारीक काटा शिमला मिर्च

4. पांच चम्मच दही

5. एक बारीक कटा प्याज

6. तीन चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट

7. एक चम्मच हल्दी पाउडर

8. दो चम्मच लाल मिर्च पाउडर

9. एक चम्मच जीरा

10. एक चम्मच गरम मसाला

11. एक चम्मच चाट मसाला

12. आधा चम्मच मेथी

13. स्वादानुसार नमक

14. अवश्यकतानुसार तेल

15. हरा धनिया पत्ता

ऐसे बनाएं पनीर तवा मसाला

– सबसे पहलें एक बड़ा बाउल लें और उसमें पनीर, दही, थोड़ा-थोड़ा नमक, गरम मसाला, मेथी, हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाए 30 मिनट के लिए रख दें, फिर एक तवा में थोड़ा सा तेल डाल कर इस मिश्रण को ब्राउन होने तक तलें. इसके बाद इसे एक बाउल में निकाल लें.

– अब एक कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करें और जब गर्म हो जाए तो थोड़ा जीरा,प्याज और हरी मिर्च डालें. इसके बाद लहसुन-अदरक पेस्ट, शिमला मिर्च, थोड़ा नमक, थोड़ी हल्दी डाल कर 1 मिनट तक फ्राई करें.

– इसके बाद टमाटर का पेस्ट आधा कप पानी में मिलाकर इसमें डालें और तीन से चार मिनट पकाएं.

– इसके बाद इसमें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में  लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर, चाट मसाला पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिलाए फिर पनीर को डाले और थोड़ा पकाने के बाद गैस बंद कर दें. अब इसे सर्विंग बाउल में निकालकर हरा धनिया डालकर गरमा-गरम सर्व करें.

Rakhi Special: ऐसे पहचानें BB, CC और DD क्रीम्स में फर्क

बात जब ब्यूटी कि आती है तो, महिलाएं ऐसा हर ब्यूटी प्रॉडेक्ट इस्तेमाल करने से नहीं चूकती जो उन्हें और खूबसूरत बनाए. बाजार में लगभग हर रोज महिलाओं कि जरूरत के मुताबिक नए ब्यूटी प्रॉडेक्ट्स कि भरमार होती रहती है, लेकिन ऐसे में अक्सर वे ये जांचना भूल जाती हैं कि आखिर यह कैसे काम करेगा, इसका क्या इफेक्ट होगा? और इन सब नए ब्यूटी प्रॉडेक्ट्स के चक्करों में आप मात खा जाती हैं.

अधिकतर महिलाएं तो मार्केट में आया नया प्रॉडेक्ट तो सिर्फ ट्राई करने के नाम ही खरीद लेंती है. जबकि जब बात आपकी सुदंरता और त्वचा कि होती है तो आपको थोड़ा सर्तक रहना होता है. हालांकि आप ये तय नहीं कर सकती कि आपके ब्यूटी किट में क्या होना चाहिए और क्या नहीं.

आज हम आपको मार्केट में मौजूद क्रीम्स में फर्क करना जरूर बताएंगे जो इन दिनों बाजार में धड़ल्ले से बिक रहीं है और शायद आप भी इसका भरपूर इस्तेमाल करती हैं. हर रोज इस्तेमाल में आने वाली इन ब्यूटी क्रीम्स में आसानी से अंतर समझिए.

अब जैसे कि बीबी (BB) क्रीम, सीसी क्रीम और डीडी क्रीम यह तमाम नाम आपने सुने-सुने लग रहें है, लेकिन इनकी चॉइस में आप अक्सर कंफ्युज रहती है. आज यहां हम आपका यही कंफ्युजन दूर करने की कोशिश कर रहें है, ताकि अगली बार आप सोच समझकर इन क्रीम्स का इस्तेमाल कर सके.

1. बीबी क्रीम ब्यूटी बाम या फिर ब्यूटी बेनिफिट के नाम से पहचाने जाने वाली यह क्रीम अब मार्केट में बहुत कॉमन हो चुकी है. स्किन को मीडियम व लाईट करवरेज देने वाली यह क्रीम स्किन टोन को भी बनाए रखती हैं. साथ ही डेली मॉइश्चराइजर कि तरह काम करने वाली यह क्रीम त्वचा का सूरज से भी बचाव करती है. जिन्हें ज्यादा मेकअप लगाना का रास नहीं आता उनके लिए यह क्रीम बिलकुल सही चॉइस है.

इन दिनों कुछ बीबी क्रीम्स ऐसी भी है जो स्किन को लाइट इफेक्ट भी देती है. लास्ट मिनट में फिक्स हुई डेट या मिटिंग में यह क्रीम आपको परफेक्ट लुक दे सकती है. बस अच्छे से मुंह धोकर बीबी क्रीम लगाकर पसंदीदा लिपस्टिक लगाकर लुक को पूरा कर सकती हैं.

2. सीसी क्रीम भारतीय बाजार में धीरे-धीरे पैर जमाती सीसी क्रीम में सीसी का मतलब है कवरेज कंट्रोल या फिर कलर कंट्रोल. यह नेक्स्ट जनरेशन क्रीम मल्टीपर्पज है, क्योंकि यह फेस के लिए फाउंडेशन, प्राइमर, ब्राइटनर कि तरह काम करने के साथ ही, फेस को सन प्रॉटेक्शन देती है और स्किन को एंटी एजिंग जैसे स्किन समस्याओं से बचाती है. कुछ सीसी क्रीम्स में तो फ्री रेडिकल फाइटर्स होते है, जो आपकी त्वचा को झाईयों के साथ ही सूरज से भी रक्षा करते है. ऐसे में यह क्रीम उनके लिए परफेक्ट है, जिन्हें रोज मेकअप करना पसंद है.

3. डीडी क्रीम डीडी का यहां मतलब है डेली डिफेंस, हालांकि यह क्रीम अभी इंडियन मार्केट के लिए बिलकुल नयी है. भले ही यह क्रीम सूरज से रक्षा नहीं करती, लेकिन यह चेहरे, हाथ और पैरों में नमी बनाएं रखती है. इस क्रीम को खासकर शरीर के रूखे अंगों के लिए ही बनाया गया है, जैसे कि कोहनी, अंगुलियां, पैर, घुटने इत्यादि. इतना ही नहीं विदेशी बाजार में तो कुछ एडवांस डीडी क्रीम्स भी उपलब्ध है, जो त्वचा को मुलायम बनाने के साथ ही स्किन के एंटी एंजिंग से भी लड़ती है.

Rakhi Special: रेडी टू गो पार्टी मेकअप टिप्स

अगर आपको एक बेहद खास पार्टी का हिस्सा बनना है और पार्लर बंद है. ऐसी स्थि‍ति में कोई भी परेशान हो सकता है. खासतौर पर वो महिलाएं जिन्हें मेकअप करना बिल्कुल भी नहीं आता है. पर अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है.

हर पार्टी के लिए पार्लर जा पाना तो संभव नहीं होता इसलिए पार्टी मेकअप के कुछ फटाफट टिप्‍स पता चल जाएं तो सारी उलझन मिनटों में सुलझ जाएगी. यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे टिप्‍स जो आपके लुक और इमेज को पार्टी में खराब नहीं होने देंगे.

नैचुरल लुक के लिए लगाएं कंसीलर

चेहरे को फ्रेश और नैचुरल लुक देने के लिए कंसीलर का इस्‍तेमाल करें. इसके लिए कंसीलर के दो शेड का इस्तेमाल करें. लाइट कंसीलर को आंखों के पास लगाएं और डार्क कंसीलर को चेहरे के बाकी हिस्‍सों पर एप्‍लाई करें. इसके बाद बाकी के मेकअप को एप्‍लाई करें.

फेस और होठों के मेकअप का रखें ध्‍यान

अगर चेहरे की खूबसूरती को निखराना चाहती हैं तो हमेशा ध्‍यान रखें कि लिप्‍स पर डार्क लिपस्टिक लगाएं और चेहरे का मेकअप हल्‍का रखें.

आंखों का मेकअप

आपकी आंखें आपके चेहरे की पहचान होती हैं इसलिए इनका मेकअप करते समय खास ख्‍याल रखें. सबसे पहले लाइट कलर के फाउंडेशन से बेस तैयार कर लें. इसके बाद हल्‍के ग्रे कलर की आईलाइनर पेंसिल से ऊपर से नीचे की ओर लाइनर लगाएं. बाद में इसे उंगलियों की सहायता से स्‍मज कर दें. इससे स्‍मोकी लुक आता जाता है. इसके बाद मस्‍कारा लगाएं.

लिप्‍स को बनाएं ड्रामाटिक

अपने लिप्‍स को सुंदर और बोल्‍ड दिखाने के लिए सबसे पहले लिप्‍स पर कंसीलर लगाएं. उसके बाद जिस कलर की लिपस्टिक आप लगाने जा रही हैं उसी कलर के लिपलाइनर से होठों की आउटलाइनिंग करें. ऐसा करने से आपके लिप्‍स बहुत आकर्षक लगेंगे और आपकी लिपस्टिक लंबे समय तक टिकी रहेगी.

ग्‍लॉसी लिप्‍स

अगर आपके होंठ पतले हैं तो उनकी वास्‍तविक शेप से हटकर लाईनिंग करें और होठों को भरा हुआ दिखाने के लिप ग्‍लॉस का इस्‍तेमाल करें. इससे लिप्‍स बड़े और सुंदर लगते हैं.

बालों के लिए

थोड़ी सी फेस क्रीम लगाने से बालो में चमक आ जाएगी और बाल फटाफट सेट हो जाएंगे. ऐसा करने से रूखे बाल भी सही दिखने लगते हैं. आप चाहें तो रूखे बालों के लिए सीरम या फिर जेल लगाकर भी बालों को सेट कर सकती हैं. कोई नई हेयर स्‍टाइल बनाने से अच्‍छा है कि आप बालों को खुला ही रहने दें.

अनुपमा: ‘किंजल-समर’ से लेकर ‘बा-मामा जी’ तक, बेहद पॉपुलर है भाई-बहन की ये 5 जोड़ियां

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ TRP चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं सीरियल में रिश्तों में दिखने वाली बौंडिग के भी सभी कायल हैं. इसी बीच रक्षाबंधन के मौके पर हम आपको अनुपमा के सितारों की रियल और रील लाइफ बौंडिग की झलक दिखाएंगे, जिसके फैंस कायल हैं. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल अनुपमा के पौपुलर भाई बहन की जोड़ी…

बा-मामा जी

 

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अनुपमा सीरियल में बा और मामाजी की भाई-बहन की जोड़ी काफी मजेदार है. दोनों हर कदम पर एक-दूसरे का साथ देते हैं और मजाक मस्ती की ये जोड़ी फैंस को काफी एंटरटेन भी करती है, जिसके कारण दर्शक इस जोड़ी को देखना पसंद करते हैं.

किंजल-समर

देवर और भाई की ये जोड़ी फैंस के बीच काफी पौपुलर है. अनुपमा में समर हर कदम पर किंजल का साथ देता है, जिसके कारण फैंस इस जोड़ी को देखना पसंद करते हैं. वहीं सोशलमीडिया पर भी रियल लाइफ में काफी अच्छे दोस्त हैं, जिसके चलते यह अपनी काफी फोटोज मस्ती करते हुए फैंस के साथ शेयर करते हैं.

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तोषू-समर-स्वीटी

तोषू और समर अपनी छोटी बहन स्वीटी यानी पाखी पर जान छिड़कते हैं. हां कभी-कभी तीनों की लड़ाई भी फैंस को देखने को मिलती हैं. लेकिन वह बाद में फिर एक साथ हो जाते हैं. भाई बहन की यह तिगड़ी साथ में अक्सर मस्ती करती हुई नजर आती है, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

वनराज- डॉली

 

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सीरियल अनुपमा में भाई-बहन की जोड़ी में नजर आ रहे वनराज और डौली की जोड़ी भी काफी पौपुलर है. सोशलमीडिया पर दोनों की फोटोज साथ में अक्सर वायरल होती है, जिसके चलते शो में भी इनकी जोड़ी काफी दर्शकों को पसंद आती है.

अनुपमा-डॉली के पति

 

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सीरियल में अनुपमा की जिंदगी में कई परेशानियां आती हैं. हालांकि डौली के पति एक भाई की तरह उनका हर कदम पर साथ देते हैं, जिसके चलते फैंस इस जोड़ी को देखना पसंद करते हैं. हालांकि कुछ दिनों से दोनों की जोड़ी को काफी मिस कर रहे हैं. लेकिन जल्द ये जोड़ी फैंस को देखने को मिलेगी.

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Top 10 Best Raksha Bandhan Story in Hindi: टॉप 10 बेस्ट रक्षा बंधन कहानियां हिंदी में

Raksha Bandhan Stories in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Raksha Bandhan Stories in Hindi 2021. इन कहानियों में भाई-बहन के प्यार और रिश्तों से जुड़ी 10 दिलचस्प कहानियां हैं जो आपके दिल को छू लेगी और जिससे आपको रिश्तों का नया मतलब जानने को मिलेगा. इन Raksha Bandhan Stories से आप कई अहम बाते भी जान सकते हैं कि आखिर भाई-बहन के प्यार की जिंदगी में क्या अहमियत है और क्या होता है जब किसी की जिंदगी में ये प्यार नही होता. तो अगर आपको भी है संजीदा कहानियां पढ़ने का शौक तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Raksha Bandhan Stories in Hindi.

1. समय चक्र- अकेलेपन की पीड़ा क्यों झेल रहे थे बिल्लू भैया?

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शिमला अब केवल 5 किलोमीटर दूर था…य-पि पहाड़ी घुमाव- दार रास्ते की चढ़ाई पर बस की गति बेहद धीमी हो गई थी…फिर भी मेरा मन कल्पनाओं की उड़ान भरता जाने कितना आगे उड़ा जा रहा था. कैसे लगते होंगे बिल्लू भैया? जो घर हमेशा रिश्तेदारों से भरा रहता था…उस में अब केवल 2 लोग रहते हैं…अब वह कितना सूना व वीरान लगता होगा, इस की कल्पना करना भी मेरे लिए बेहद पीड़ादायक था. अब लग रहा था कि क्यों यहां आई और जब घर को देखूंगी तो कैसे सह पाऊंगी? जैसे इतने वर्ष कटे, कुछ और कट जाते.

कभी सोचा भी न था कि ‘अपने घर’ और ‘अपनों’ से इतने वर्षों बाद मिलना होगा. ऐसा नहीं था कि घर की याद नहीं आती थी, कैसे न आती? बचपन की यादों से अपना दामन कौन छुड़ा पाया है? परंतु परिस्थितियां ही तो हैं, जो ऐसा करने पर मजबूर करती हैं कि हम उस बेहतरीन समय को भुलाने में ही सुकून महसूस करते हैं. अगर बिल्लू भैया का पत्र न आया होता तो मैं शायद ही कभी शिमला आने के लिए अपने कदम बढ़ाती.

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2. चमत्कार- क्या बड़ा भाई रतन करवा पाया मोहिनी की शादी?

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‘‘मोहिनी दीदी पधार रही हैं,’’ रतन, जो दूसरी मंजिल की बालकनी में मोहिनी के लिए पलकपांवडे़ बिछाए बैठा था, एकाएक नाटकीय स्वर में चीखा और एकसाथ 3-3 सीढि़यां कूदता हुआ सीधा सड़क पर आ गया.

उस के ऐलान के साथ ही सुबह से इंतजार कर रहे घर और आसपड़ोस के लोग रमन के यहां जमा होने लगे.

‘‘एक बार अपनी आंखों से बिटिया को देख लें तो चैन आ जाए,’’ श्यामा दादी ने सिर का पल्ला संवारा और इधरउधर देखते हुए अपनी बहू सपना को पुकारा.

‘‘क्या है, अम्मां?’’ मोहिनी की मां सपना लपक कर आई थीं.

‘‘होना क्या है आंटी, दादी को सिर के पल्ले की चिंता है. क्या मजाल जो अपने स्थान से जरा सा भी खिसक जाए,’’ आपस में बतियाती खिलखिलाती मोहिनी की सहेलियों, ऋचा और रीमा ने व्यंग्य किया था.

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3. भैया- 4 बहनों को मिला जब 1 भाई

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कीर्ति ने निशा का चेहरा उतरा हुआ देखा और समझ गई कि अब फिर निशा कुछ दिनों तक यों ही गुमसुम रहने वाली है. ऐसा अकसर होता है. कीर्ति और निशा दोनों का मैडिकल कालेज में दाखिला एक ही दिन हुआ था और संयोग से होस्टल में भी दोनों को एक ही कमरा मिला. धीरेधीरे दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.

कीर्ति बरेली से आई थी और निशा गोरखपुर से. कीर्ति के पिता बैंक में अधिकारी थे और निशा के पिता महाविद्यालय में प्राचार्य.

गंभीर स्वभाव की कीर्ति को निशा का हंसमुख और सब की मदद करने वाला स्वभाव बहुत अच्छा लगा था. लेकिन कीर्ति को निशा की एक ही बात समझ में नहीं आती थी कि कभीकभी वह एकदम ही उदास हो जाती और 2-3 दिन तक किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

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4. तोबा मेरी तोबा- अंजली के भाई के साथ क्या हुआ?

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मेरे सिगरेट छोड़ देने से सभी हैरान थे. जिस पर डांटफटकार और समझानेबुझाने का भी कोई असर नहीं हुआ वह अचानक कैसे सुधर गया? जब मेरे दोस्त इस की वजह पूछते तो मैं बड़ी भोली सूरत बना कर कहता, ‘‘सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है, इसलिए छोड़ दी. तुम लोग भी मेरी बात मानो और बाज आओ इस गंदी आदत से.’’

मुझे पता है, मेरे फ्रैंड्स  मुझ पर हंसते होंगे और यही कहते होंगे, ‘नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली. बड़ा आया हमें उपदेश देने वाला.’ मेरे मम्मीडैडी मेरे इस फैसले से बहुत खुश थे लेकिन आपस में वे भी यही कहते होंगे कि इस गधे को यह अक्ल पहले क्यों नहीं आई? अब मैं उन से क्या कहूं? यह अक्ल मुझे जिंदगी भर न आती अगर उस रोज मेरे साथ वह हादसा न हुआ होता.

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5. रेतीला सच- शिखा की बिदाई के बाद क्या था अनंत का हाल

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‘तुम्हें वह पसंद तो है न?’’ मैं  ने पूछा तो मेरे भाई अनंत  के चेहरे पर लजीली सी मुसकान तैर गई. मैं ने देखा उस की आंखों में सपने उमड़ रहे थे. कौन कहता है कि सपने उम्र के मुहताज होते हैं. दिनरात सतरंगी बादलों पर पैर रख कर तैरते किसी किशोर की आंखों की सी उस की आंखें कहीं किसी और ही दुनिया की सैर कर रही थीं. मैं ने सुकून महसूस किया, क्योंकि शिखा के जाने के बाद पहली बार अनंत को इस तरह मुसकराते हुए देख रही थी.

शिखा अनंत की पत्नी थी. दोनों की प्यारी सी गृहस्थी आराम से चल रही थी कि एक दर्दनाक एहसास दे कर यह साथ छूट गया. शिखा 5 साल पहले अनंत पर उदासी का ऐसा साया छोड़ गई कि उस के बाद से अनंत मानो मुसकराना ही भूल गया.

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6. मेरे भैया- अंतिम खत में क्या लिखा था खास

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सावनका महीना था. दोपहर के 3 बजे थे. रिमझिम शुरू होने से मौसम सुहावना पर बाजार सुनसान हो गया था. साइबर कैफे में काम करने वाले तीनों युवक चाय की चुसकियां लेते हुए इधरउधर की बातों में वक्त गुजार रहे थे. अंदर 1-2 कैबिनों में बच्चे वीडियो गेम खेलने में व्यस्त थे. 1-2 किशोर दोपहर की वीरानगी का लाभ उठा कर मनपसंद साइट खोल कर बैठे थे.  तभी वहां एक महिला ने प्रवेश किया. युवक महिला को देख कर चौंके, क्योंकि शायद बहुत दिनों बाद एक महिला और वह भी दोपहर के समय, उन के कैफे पर आई थी. वे व्यस्त होने का नाटक करने लगे और तितरबितर हो गए.

महिला किसी संभ्रांत घराने की लग रही थी. चालढाल व वेशभूषा से पढ़ीलिखी भी दिख रही थी. छाता एक तरफ रख कर उस ने अपने बालों को जो वर्षा की बूंदों व तेज हवा से बिखर गए थे, कुछ ठीक किए. फिर काउंटर पर बैठे लड़के से बोली, ‘‘मुझे एक संदेश टाइप करवाना है. मैं खुद कर लेती पर हिंदी टाइपिंग नहीं आती है.’’

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7. तृप्त मन- राजन ने कैसे बचाया बहन का घर

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पिछले दिनों से थकेहारे घर के सभी सदस्य जैसे घोड़े बेच कर सो रहे थे. राशी की शादी में डौली ने भी खूब इंज्वाय किया लेकिन राजन की पत्नी बन कर नहीं बल्कि उस की मित्र बन कर.

अमेरिका में स्थायी रूप से रह रहे राजन के ताऊ धर्म प्रकाश को जब खबर मिली कि उन के भतीजे राजन ने आई.टी. परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है तो उन्होंने फौरन फोन से अपने छोटे भाई चंद्र प्रकाश को कहा कि वह राजन को अमेरिका भेज दे…यहां प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण के बाद नौकरी का बहुत अच्छा स्कोप है.

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8. राखी का उपहार

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इस समय रात के 12 बज रहे हैं. सारा घर सो रहा है पर मेरी आंखों से नींद गायब है. जब मुझे नींद नहीं आई, तब मैं उठ कर बाहर आ गया. अंदर की उमस से बाहर चलती बयार बेहतर लगी, तो मैं बरामदे में रखी आरामकुरसी पर बैठ गया. वहां जब मैं ने आंखें मूंद लीं तो मेरे मन के घोड़े बेलगाम दौड़ने लगे. सच ही तो कह रही थी नेहा, आखिर मुझे अपनी व्यस्त जिंदगी में इतनी फुरसत ही कहां है कि मैं अपनी पत्नी स्वाति की तरफ देख सकूं.

‘‘भैया, मशीन बन कर रह गए हैं आप. घर को भी आप ने एक कारखाने में तबदील कर दिया है,’’ आज सुबह चाय देते वक्त मेरी बहन नेहा मुझ से उलझ पड़ी थी. ‘‘तू इन बेकार की बातों में मत उलझ. अमेरिका से 5 साल बाद लौटी है तू. घूम, मौजमस्ती कर. और सुन, मेरी गाड़ी ले जा. और हां, रक्षाबंधन पर जो भी तुझे चाहिए, प्लीज वह भी खरीद लेना और मुझ से पैसे ले लेना.’’

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9. स्लीपिंग पार्टनर- मनु की नजरों में अनुपम भैया

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मनु को एक दिन पत्र मिलता है जिसे देख कर वह चौंक जाती है कि उस की भाभी यानी अनुपम भैया की पत्नी नहीं रहीं. वह भैया, जो उसे बचपन में ‘डोर कीपर’ कह कर चिढ़ाया करते थे.

पत्र पढ़ते ही मनु अतीत के गलियारे में भटकती हुई पुराने घर में जा पहुंचती है, जहां उस का बचपन बीता था, लेकिन पति दिवाकर की आवाज सुन कर वह वर्तमान में लौट आती है. वह अनुपम भैया के पत्र के बारे में दिवाकर को बताती है और फिर अतीत में खो जाती है कि उस की मौसी अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ दिन सपरिवार रहने आ रही हैं. और सारा इंतजाम उन्हें करने को कहती हैं.

आखिर वह दिन भी आ जाता है जब मौसी आ जाती हैं. घर में आते ही वह पूरे घर का निरीक्षण करना शुरू कर देती हैं और पूरे घर की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले लेती हैं. पूरे घर में उन का हुक्म चलता है.

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10. मत बरसो इंदर राजाजी

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भाई की चिट्ठी हाथ में लिए ऋतु उधेड़बुन में खड़ी थी. बड़ी  प्यारी सी चिट्ठी थी और आग्रह भी इतना मधुर, ‘इस बार रक्षाबंधन इकट्ठे हो कर मनाएंगे, तुम अवश्य पहुंच जाना…’

उस की शादी के 20 वर्षों  आज तक उस के 3 भाइयों में से किसी ने भी कभी उस से ऐसा आग्रह नहीं किया था और वह तरसतरस कर रह गई थी.  उस की ससुराल में लड़कियों के यहां आनाजाना, तीजत्योहारों का लेनादेना अभी तक कायम था. वह भी अपनी इकलौती ननद को बुलाया करती थी. उस की ननद तो थी ही इतनी प्यारी और उस की सास कितनी स्नेहशील.  जब भी ऋतु ने मायके में अपनी ससुराल की तारीफ की तो उस की मंझली भाभी उषा, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ रहती थीं, कहने लगीं, ‘‘जीजी, ससुराल में आप की इसलिए निभ गई क्योंकि आप की सासननद अच्छी हैं, हमारी तो सासननदें बहुत ही तेज हैं.’’

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Raksha Bandhan 2021: एक अटूट बंधन है राखी

हर रिश्ते का कोई ना कोई नाम होता है, ठीक उसी प्रकार एक पावन रिश्ता भी होता है एक औरत और आदमी के बीच. वो रिश्ता सब से पवित्र और अनूठा होता है, जिसे हम भाई बहन का रिश्ता कहते है. यह रिश्ता हर रिश्ते से मीठा होता है ,और सच्चा होता है, यह रिश्ता केवल धागे से बंधी डौर पर ही निर्भर नही करता, उस डौर में छुपा होता है एक अटूट विश्वास और स्नेह. यह रिश्ता भले ही कच्चे  धागे से बंधा हो लेकिन इसकी मिठास दोनों के दिलो में पक्के विश्वास से बंधी होती है. जो हर रिश्ते से मजबूत डौर होती है. यही प्यार रक्षाबंधन के दिन भाई को अपनी बहन के पास खीच लाता है. राखी के अटूट बंधन पर प्रकाश डाल रहे है –

सभी त्यौहार में रक्षाबंधन एक अनूठा त्यौहार है. यह केवल त्यौहार ही नही बल्कि हमारी परम्पराओ का प्रतीक है, जो आज भी हमें अपने देश,, परिवार व संस्कृति से जोड़े रखे हुए है. चाहे भाई विदेश में हो या बहन लेकिन वह राखी के इस त्यौहार पर एक दुसरे को याद जरुर करते है. बहन  राखी भी भेजना नही भूलती. यही सब त्यौहार आज भी हमें अपने देश की मिटी से जोड़े हुए है.

रक्षाबंधन बहन की प्रतिबद्धता का दिन है, जिस दिन भाई अपनी बहन को हर मुसीबत से बचाने का  वचन देता है. उसका साथ निभाने का और उसका ख्याल रखने का वचन देता है. साल भर बहन   अपने भाई से मिलने के लिए इस दिन की रहा तकती है, क्योंकि जब बहन की शादी हो  जाती है या भाई कही दूर रहता है तो उनके मिलन का दिन यही होता है. इस दिन वो सब काम छोड़ कर एक दुसरे  से मिलते है, और बहन  भाई की कलाई पर राखी बांध कर अपने रिश्ते को और भी मजबूत  बनती है और भाई सदा उसका साथ निभाने का वादा करता है.

कब और कैसे मनाते है राखी का त्यौहार

यह त्यौहार श्रवण मास की पूर्णिमा (जुलाई -अगस्त ) को मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बंधती है और उसके माथे पर रोली का तिलक लगाती  है और उसे मीठा खिलाती है तथा सदैव  उसकी दीर्घ आयु की कामना करती है व विजयी होने  की कामना करती है. भाई अपनी लाडली बहन को कोई ना कोई तोहफा या पैसे देता है ,लेकिन असल तोहफा  उसका वह  वचन ही होता है कि वह हर प्रकार के अहित से उसकी रक्षा करेगा और अपनी बहन का सदैव ख्याल रखेगा और हर दु:ख सुख मे उसका साथ निभाएगा.

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गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने 1905 में शान्तिनिकेतन रक्षाबंधन की शुरुआत की थी.  और यह परम्परा आज भी शांति निकेतन  मे चल रही है, लेकिन वहा भाई बहन के बीच राखी नही बल्कि मित्रो के बीच यह त्यौहार मनाया जाता है. ताकि उनके बीच मधुर सम्बन्ध  बने रहे.

बदलता ट्रेंड

इस साल यह त्यौहार 03 अगस्त को मनाया जायेगा. हर साल दुकानों पर नये नये डिजाईन की राखी आती है, जो सभी बहनो को खूब लुभाती है.  सभी बहन चाहती है कि वो अपने भाई को ऐसी राखी बांधे जो सब से सुन्दर हो और मजबूत हो जो पुरे साल उसके भाई की कलाई पर सजी रहे. बाज़ार मे रेशम के धागे से लेकर सोने चांदी की राखी उपलब्ध है और अब तो हीरे   की राखी भी बजारों मे मिल रही है. वैसे देखा जाये तो असल राखी कलावे की होती है. लेकिन आज-कल नई  चीजो का दौर  है, तो त्यौहार को ही क्यों ना नये जमाने के चार चाँद लगाएं.  पहले बहन   मिठाई का डब्बा दिया करती थी, लेकिन अब वो  अपने भाई को चाकलेट, अप्पी, फ्रूटी ,बिस्कुट के पक्केट भी देने लगी है क्योंकि आज कल के लोगो को स्नैक्स  जैसी चीजे अधिक पसंद होती है, इसलिए वो भी चाहते  है की जो उनके भाई को पसंद हो और यही नया ट्रेंड बनता जा रहा है.

मुहबोली बहन अथवा भाई बनाने का फैशन ही भाई बहन के पवित्रता से बने  रिश्ते को संदेहस्पद  बनाता है. बहनों और भाइयों दोनों को रिश्तों कि नाजुकता को ध्यान मे रखना चाहिये, नये पीढ़ी अभी इन बातों से वंचित है कि भावनओं का अनादर एवं विश्वास के साथ घात अशोभनीय है.

इतिहास के पन्नो में 

रक्षा बंधन का जिक्र इतिहास की कहानियों में भी मिलता है महाभारत में द्रौपदी ने श्री क्रषण के हाथ में अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था. जब श्री कृष्ण ने खुद को घायल कर लिया था और उनके हाथों से खून बहने लगा था. तब द्रौपदी ने ही अपना पल्ला फाड़ कर बांधा इसी प्रकार उन दोनों के बीच भाई- बहन का रिश्ता विकसित  हुआ. श्री कृष्ण  ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था. इस त्यौहार को विश्वास की डौर ने परस्पर आज भी बांधा हुआ है. रक्षा का अर्थ होता है- बचाव करना.

हुमायूँ के समय  मे चित्तोड़  की रानी कर्मावती ने दिल्ली   के मुग़ल बादशाह हुमांयू को राखी भेज कर भाई बनाया था. उस समय चित्तोड़ पर गुजरात के राजा ने आक्रमण किया था. तब कर्मावती ने हुमांयू को राखी भेज कर मद्दद की गुजारिस की थी.  इस राखी से भावुक हुआ हुमायूँ फ़ौरन रानी की मदद के लिये पहुचा और राखी की इज्ज़त  और सम्मान के लिये गुजरात के बादशाह से युद्ध किया.

पुरु बने ग्रीक की रानी के भाई

300 बीसी में अलेक्ज़ेन्डर की पत्नी ने भारत में राखी के महत्व को जानकर पुरु को अपना भाई बनाया था. जो की पश्चिमी  भारत के एक महान युधा  थे. उन्हे राखी बांधी और अलेक्ज़ेन्डर पर हमला ना करने की गुजारिश की. पुरु ने भी ग्रीक की रानी को बहन मानते हुए उनके सुहाग की रक्षा की और उनकी राखी का सम्मान किया.

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राजपूतों का इतिहास

कहा जाता है कि जब राजपूत युद्ध के लिए निकलते थे, तो पहले औरते उनके माथे पर तिलक और हाथों  मे कलाई पर रक्षा का धागा बंधती थी.   यह धागा जीत का शुभ चिन्ह माना जाता था. कई बार राजपूत और मराठी रानियों ने मुस्लिम राजाओं को अपना भाई बनाया था, जिससे वो उनके पति के खिलाफ युद्ध  करने से रुक जाएँ. वो उस  धागे को  भेज कर राजाओं से भाई बनने की पेशकश करती थी  और उन्होने अपने सुहाग की रक्षा की गुहार लगाई.

भाई बहन का लगाव व स्नेह  ताउम्र बरकरार रहता है, क्योंकि बहन कभी बाल सखा तो कभी माँ तो कभी पथ प्रदर्शक बन भाई को सिखाती है. हमेशा उसकी विपत्ति मे, उसको हर मुश्किल का सामना करना सिखाती है, उसे जिन्दगी मे आगे बढऩा सिखाती है.  इस उत्सव का मुख्य उदेश्य  परिवारों को जोडऩा है हमेशा रिश्ते बनाये रखना है.

Raksha Bandhan Special: ईवनिंग स्नैक्स में बनाएं सत्तू चीज बॉल्स

आजकल के दिन बड़े होते हैं, दोपहर का भोजन किये भी 3-4 घण्टे हो जाते हैं ऐसे में शाम को भूख लगना स्वाभाविक सी बात है. हर दिन तला भुना खाना भी सेहतमंद नहीं होता तो क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए कि वह सेहतमंद भी हो और सबको पसन्द भी आये. आज हम आपको ऐसे ही एक स्नैक के बारे में बता रहे हैं जिसे हमने सत्तू से बनाया है. सत्तू भुने चने और भुने गेहूं व जौ से बना खाद्य पदार्थ है जो बहुत सेहतमंद और लो कैलोरी वाला होता है. यह बिहार, उड़ीसा और उत्तरप्रदेश में बहुत प्रयोग किया जाता है चूंकि इसमें नाममात्र की कैलोरी होती है इसलिए यह वजन को संतुलित रखने में भी कारगर है. तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए           6

 बनने में लगने वाला समय    30मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

सत्तू का आटा                  1 कप

बारीक कटा प्याज             1

कटी हरी मिर्च                   4

मोटी किसी गाजर              1

बारीक कटी शिमला मिर्च     1

किसा अदरक                      1 इंच

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नमक                             स्वादानुसार

जीरा                                 1/4 टीस्पून

हल्दी पाउडर                       1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर                 1/2 टीस्पून

गरम मसाला                        1/4 टीस्पून

अमचूर पाउडर                     1/2 टीस्पून

कटा हरा धनिया                   2 टेबलस्पून

चीज क्यूब्स                         3

ब्रेड क्रम्ब्स                           1/2 कप

कॉर्नफ्लोर                           2 टेबलस्पून

तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में

विधि

सत्तू को एक बाउल में डालकर सभी मसाले व सब्जियां डाल दें. इन्हें हाथ से अच्छी तरह मिलाएं. अब पानी की सहायता से इसे रोटी के आटे जैसा गूंध लें. चीज को किसकर 6 छोटे छोटे बॉल्स बना लें. अब तैयार सत्तू के मिश्रण में से 1 टेबलस्पून मिश्रण लेकर हथेली पर फैलाएं.बीच में चीज की बॉल रखकर चारों तरफ से दबाकर गोल कर लें. इसी तरह सारे बॉल्स तैयार करें. अब कॉर्नफ्लोर को 1 टेबलस्पून पानी में घोल लें. तैयार बॉल्स को कॉर्नफ्लोर में डुबोकर ब्रेड क्रम्ब्स में लपेट लें. गरम तेल में डालकर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. गर्मागर्म बॉल्स को टोमेटो सॉस या हरे धनिये की चटनी के साथ सर्व करें.

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