ननद का पति मुझे गलत तरीके से टच करता है और धमकी भी देता है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरे ननद का पति मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश करता है. जब मैंने ये बात अपने ननद और सास से बताई, तो वह दोनों ही उल्टा में मुझे बुरा कहने लगे. मेरे पति घर से दूर रहते हैं, ऐसे में वह मुझे मेरे पति के खिलाफ भड़काता है और मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने की बात कहता है, जब मैं मना करती हूं, तो वह मुझे धमकी भी देता है, समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं?

जवाब

आपके ननद के हसबैंड एक तो आपके साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं और धमकी भी दे रहे हैं. आपको उनसे थोड़ा संभल कर रहने की जरूरत है. आपके पति घर से बाहर रहते हैं, लेकिन आपको ये बात उनसे शेयर करना चाहिए, ताकि वह आपका सपोर्ट करें और उस आदमी की सच्चाई जान सकें. कई लोग रिश्ते के आड़ में ही महिलाओं का फायदा उठाते हैं. वह आपके रिश्तेदार है, ये सोचकर आप बिलकुल चुप न बैठें. आजकल तो मोबाइल का जमाना है, जब भी वह आपके पास आते हैं, ये आपको धमकी देते हैं, तो आप चुपके से मोबाइल रिकौर्डिंग भी औन कर सकती हैं. इस सच्चाई को सामने लाने के लिए आपके पास कोई प्रूफ होना जरूरी है, तभी आपके परिवार के लोग विश्वास कर पाएंगे.

रिश्ते में भूलकर भी न बोलें ये झूठ

बीमारियां कभीकभी जिंदगीभर तक जुड़ी रहती हैं. इसलिए अगर आप किसी ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है तो अपने पार्टनर को इस के बारे में बताना बेहद जरूरी है. कभीकभी झूठ बोलना ठीक होता है. मान लीजिए किसी का भला हो रहा है तो फिर भी वह झूठ सहन किया जा सकता है लेकिन अगर आप हर बात पर झूठ बोलेंगे तो पार्टनर के मन पर गलत असर पड़ेगा. इससे आपके रिश्ते में शक की दीवार बनेगी. धीरेधीरे शायद वह आप की किसी बात पर विश्वास न करे और हर बात की पहले पड़ताल करे. इसलिए कभी ऐसा न करें. जिस रिश्ते की बुनियाद झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता ज्यादा देर तक नहीं चलता है.

कई बार झूठ बोलेने की वजह से रिश्ते टूटने लगते हैं. हर किसी के लाइफ में एक ऐसा शख्स होना चाहिए, जिससे हम अपने मन की हर बात शेयर कर सकें और लाइफ पार्टनर को आप सच्चा दोस्त बना सकते हैं.

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कहीं आपने गलत बौयफ्रेंड को तो नहीं चुन लिया है? तो खुद को इस तरह बचाएं

प्यार बेशक दिल से होता है. जब किसी से दिल के तार जुड़ते हैं, तो उससे हर एक पल शेयर करना अच्छा लगता है, उसे हर तरह से खुश करने की कोशिश करते हैं. चाहे वह शख्स हमारे लिए सही हो या नहीं?
कुछ ऐसा ही हुआ था रिया के साथ.

उसे आदित्य से पहले ही नजर में प्यार हो गया था. रिया उससे पागलों की तरह प्यार करती थी. शौपिंग, पार्टी या कहीं घूमने जाना हो, हर चीज का खर्चा रिया उठाती थी. यों कहें तो वह आदित्य पर अपने कमाई का पूरा पैसा खर्च करती थी. वह अपने पैरेंट्स की सिंगल चाइल्ड थी. उसके पैसों की कोई कमी नहीं थी और यह बात आदित्य को पता था. आदित्य इसी का फायदा उठाता था. एक दिन आदित्य का फोन गलती से रिया के पास छूट गया था और उसमें पासवर्ड नहीं था. रिया ने उसका फोन चेक करने लगी. मैसेज से पता चला कि वह किसी और लड़की के साथ इंगेज्ड है और वह सिर्फ पैसों के लिए रिया के साथ प्यार का नाटक कर रहा है. ये जानकर रिया के पैरों तले जमीन खिसक गई.

रिया जैसी कई लड़कियां होती हैं, जो किसी लड़के को कुछ दिनों डेट करती हैं, उसके बाद समझ आता है कि उन्होंने गलत बौयफ्रैंड (Boyfriend) को चुन लिया है. ऐसे में आप डेटिंग के शुरुआती दिनों में ही लड़के को कुछ ट्रिक से चेक कर सकती हैं ताकि आगे बौयफ्रेंड बदलने की नौबत न आए.

हालांकि किसी भी इंसान को एक या दो बार की मुलाकातों में पहचानना मुश्किल है, खासकर जहां दिल का मामला हो.. अधिकत्तर लड़कियां इसी सोच के कारण धोखा खा जाती हैं, इसलिए जिस लड़के को आप डेट कर रही हैं, उसे कुछ मुलाकातों में ही जानने की कोशिश करें. उसे परखें कि आप जितना उससे प्यार करती हैं, वह भी आपसे उतना ही प्यार करता है, कहा जाता है कि लड़कियों का सेंस औफ ह्यूमर तेज होता है, तो जहां आपके लाइफ का सवाल है, वहां अपना दिमाग जरूर लगाएं.

जैसे – आप दोनों कहीं बाहर रेस्टोरैंट में खाना खा रहे हों और आप थोड़ी देर शांत रहें, और उसे परखें कि बिल देते समय देखें वह पैसे पहले देता है या नहीं?

आप उससे कोई मदद मांगे और देखें कि वह इमीडीएटली मदद करने के लिए तैयार होता है या नहीं.. या कभी आपको पैसों की जरूरत पड़ती है, तो वह उस समय आपके साथ खड़ा रहता है ? जब आप अपने रिलेशनशिप की शुरुआत कर रही हैं, तो इन छोटीछोटी चीजों पर जरूर ध्यान दें.

विचारों को सम्मान न करना

कपल में विचारों को लेकर मतभेद होना आम बात है, लेकिन अपने पार्टनर के विचारों को सुनना और असहमति के बावजूद भी उसकी बातों को रिसपैक्ट देना एक स्ट्रौंग रिलेशनशिप की निशानी है. अगर आपका पार्टनर आपकी बातों का सम्मान न करता हो, तो आगे चलकर आपके लिए समस्या खड़ी हो सकती है, इसलिए समय रहते ही आपके पार्टनर को पहचानने की कोशिश करें.

छोटीछोटी बातों पर गुस्‍सा दिखाना

गुस्सैल स्वभाव होने के कारण पार्टनर हर बात पर सुनाते रहते हैं. अगर आपका भी पार्टनर ऐसा करता है, तो इस तरह के टौक्सिक रिश्ते से खुद को बचा लें. क्योंकि इस तरह के लोग मानसिक रूप से भी बीमार हो सकते हैं.

महिला पार्टनर को कमजोर समझना

अगर आपको डेटिंग के दौरान ये अहसास हो रहा है कि आपका होने वाला पार्टनर हर बात पर आपको कमजोर दिखाने की कोशिश करता है और बारबार आपसे महिला होने की कहता है. जितना जल्दी हो सके, ऐसे लोगों से सतर्क हो जाएं. इस तरह के लोग महिलाओं को अबला नारि समझकर उन्हें घर के चारदीवारी में कैद करने की सोच रखते हैं.

बातबात पर अपने पुरुष और आपके महिला होने की बात करता है और आपको कमजोर दिखाने की कोशिश करता है तो भी ऐसे लोगों से सकर्त हो जाएं. ऐसे लोग जीवन के कुछ मोड़ पर काफी डौमिनेटिंग हो जाते हैं और महिलाओं को घर के अंदर रहने वाली सोच रखते हैं.

मैंने अपनी दोस्त की बहन के साथ संबंध बनाया है, कहीं फ्रैंड मुझे धोखेबाज न समझ लें…. मैं क्या करूं?

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सवाल

मेरा एक बचपन का दोस्त था, जो मुझे सालों बाद मिला. अब हमारे बीच गहरी दोस्ती हो गई है. वह अपनी बहन के साथ रहता है. मैं अक्सर अपने दोस्त के घर जाता हूं, वह भी मेरे घर आता है. एक दिन उसकी बहन रास्ते में मुझे मिल गई, मैंने उसे घर छोड़ दिया उस दिन से हमारी बातचीत शुरू हुई. लेकिन मैं अपने दोस्त के सामने उसकी बहन से ज्यादा बात नहीं करता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कहीं वह मुझे गलत न समझ लें.

कुछ दिनों पहले मेरा दोस्त शहर से कहीं बाहर गया था और उसकी बहन को तेज बुखार था, मेरा दोस्त मुझे फोन कर के बताया और उसने कहा कि मेरे घर चले जाओ और उसे डौक्टर से दिखा देना. उसकी बहन मुझे मैसेज काल करती है, हमारे बातचीत बढ़ती जा रही है. जब उसका भाई नहीं रहता है, तो हम मिलते भी हैं, हमारे बीच फिजिकल रिलेशन भी बन चुका है. लेकिन मेरे दोस्त को इस बारे में कुछ नहीं पता है. आजकल मुझे डर लग रहा है कि अगर मेरे दोस्त उसकी बहन के साथ अफेयर के बारे में पता चल गया तो हमारी दोस्ती तो टूटेगी ही और पता नहीं वह मेरे साथ क्या करेगा?

मेरी दोस्त की बहन ये भी कहती है कि मैं अपने भैया से हमारी शादी की बात करूंगी. मुझे ये बात भी परेशान कर रहा कि वह क्या सोचेगा कि उसकी पीठ पीछे मैंने उसकी बहन को बहकाया.

जवाब

देखिए आपके सवाल से लगता है आप अपने दोस्ती को नहीं खोना चाहते हैं और बीच में आपका प्यार भी है. दोस्ती और प्यार दोनों जरूरी रिश्ते हैं, इन दोनों में से किसी एक को चुनना बहुत कठिन है.
अगर आप और आपके दोस्त की बहन दोनों मिलकर बात करें और आप अपने दोस्त से अपने रिश्ते की सच्चाई बताएं, तो ये भी हो सकता है कि आपका दोस्त दोनों के रिश्ते को खुशीखुशी स्वीकार कर लें.

लेकिन आप अपने रिलेशनशिप की सच्चाई अपने दोस्त से छिपाए नहीं क्योंकि अगर उन्हें किसी तीसरे से इस बारे में पता चलता है, ज्यादा तकलीफ हो सकती है. उनकी सोच भी आपके प्रति गलत साबित हो सकती है. इसलिए जितना जल्दी हो सके आप अपने दोस्त से उनकी बहन के साथ रिलेशनशिप के बारे में बता दें.

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जिस लड़की से मेरी शादी होने वाली है उसका फोन हमेशा बिजी रहता है, कहीं किसी के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा ?

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सवाल

कुछ महीनों पहले मेरी शादी तय हुई थी, लेकिन मेरे पिताजी की तबियत खराब हो गई, जिस वजह से शादी की डेट आगे बढ़ानी पड़ी.

दरअसल, मेरी मंगेतर घंटों बातें किया करती थी, लेकिन अब वह मेरा फोन कट कर देती है और कहती है कि बाद में बात करूंगी. दोबारा कौल करने पर उसका नम्बर बिजी बताता है, Whatspp पर भी औनलाइन दिखती है, लेकिन मेरे मैसेज और काल का जवाब नहीं देती है. मुझे लगता है कि उसका किसी के साथ चक्कर चल रहा है. मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं ? आप ही इस समस्या का हल बताएं.

जवाब

जैसा कि आपने बताया आपकी मंगेतर पहले घंटों बातें किया करती थी. शादी टलने की वजह से आपको उसमें कई बदलाव नजर आ रहे हैं. आपके सवाल से लग रहा है कि आपकी शादी नहीं टूटी है. अगर संभव हो, तो आप अपनी मंगेतर से मिल सकते हैं, और आप दोनों के बीच जो भी गलतफहमियां हुई हैं, उसे दूर करें.

आप ये भी कह रहे हैं कि वह अक्सर फोन पर बिजी रहती है, हो सकता है कि वह अपने फ्रैंड्स या काम की वजह से भी बिजी हो. शादी से पहल आप उससे पूछ सकते हैं कि उसके लाइफ में कोई है तो नहीं ? ये नौर्मल बात है.. बात करने से ही पता चलेगा कि आखिर शादी को लेकर उस लड़की के मन में क्या चल रहा है.

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क्या आप भी हैं वन साइडेड रिलेशनशिप में ?

अपने एकतरफा प्यार का इजहार करने में जहां लड़के उतावले रहते हैं वहीं लड़कियों में शर्मझिझक होने से वे इस का इजहार नहीं कर पातीं. आमतौर पर लड़कियां इस की पहल नहीं करतीं या करती भी हैं तो किसी को माध्यम बना कर.

कई बार जब आप किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो उस आकर्षण को ही प्यार समझने लगते हैं. लेकिन ये दोनों अलगअलग बातें हैं. आकर्षण छलावा होता है जबकि प्यार गहराई लिए होता है. प्यार भावनाओं पर आधारित होता है जबकि आकर्षण वासना पर. वासना को प्यार का नाम देना बुद्धिमानी नहीं है.

एकतरफा प्यार में मिली असफलता को धोखे का नाम नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह तो इस बात से अनजान है. जब आप उसे इस बारे में बताते हैं तो उस की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह नहीं कह सकते. हो सकता है कि उस का जवाब सकारात्मक हो. यदि आप का प्यार स्वीकार हो जाता है तो आप के मन की इच्छा पूरी हो सकती है वरना सामने वाले को दोष देना ठीक नहीं. इसलिए, प्यार में इतने बेवकूफ न बनें कि आप अपना आपा ही खो दें.

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मेरे हसबैंड चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त के साथ सैक्स करूं…

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सवाल

मेरी शादी को 15 साल हो गए, हम हाल ही में लखनऊ शिफ्ट हुए हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए हमें गांव से इस शहर में आना पड़ा. पति को नई जौब भी मिल गई और एक आदमी से उनकी गहरी दोस्ती भी हो गई है. दोनों एकदूसरे के घर आते-जाते हैं. लेकिन समस्या यह है कि मेरे पति ने एक दिन मुझसे कहा कि मैंने अपने दोस्त की बीवी के साथ सैक्स किया है, वह भी तुम्हारे साथ सैक्स करने के लिए किसी दिन आएगा. ये सुनकर मेरे होश उड़ गए है. मैं उन पर बहुत चिल्लाई कि आपकी हिम्मत कैसे हुई, दोस्त की बीवी के साथ सैक्स करने की, तो उन्होंने कहा कि ये आजकल नौर्मल बात है. तुम भी मेरे दोस्त के साथ सैक्स कर लेना. वह मेरी कोई भी बात समझने को तैयार ही नहीं है… अब मैं उनकी हरकतों के कारण उनसे अलग होना चाहती हूं, कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे क्या करूं?

जवाब

आपके हसबैंड ने सबसे बड़ी गलती की, अपनी दोस्त की बीवी के साथ सैक्स किया, अब वह आपसे डिमांड कर रहे हैं कि आप भी उनके दोस्त के साथ सैक्स करें, यह बहुत ही गलत है. अभी आप अलग होने की बात न सोचें… आप पहले आराम से अपने पति को समझाएं, अगर वह आपकी बात नहीं मानते हैं, तो आप अपने परिवार वालों से मदद ले सकती हैं. शायद किसी दूसरे व्यक्ती के कहने पर वह ये बात समझ जाएं कि उन्होंने खुद गलत किया और आपसे भी गलत डिमांड कर रहे हैं.

अगर वह अपनी गलत आदत नहीं छोड़ते हैं, तो आप उनसे तलाक ले सकती हैं. शादी में हसबैंड-वाइफ को एक दूसरे की सम्मान करना बेहद जरूरी है. यह बराबरी का रिश्ता है, सिर्फ पति का आदेश मानना जरूरी नहीं है, महिलाओं का भी उतना ही हक जितना कि एक पुरुष का..

पत्नी कोई प्रौपर्टी नहीं है कि अदलबदल कर उसे एक दूसरे को इस्तेमाल करने के लिए दिया जा सके. ऐसा पति कभी भरोसे लायक नहीं होगा, यह याद रखें.

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प्यार कितना भी गहरा हो पर कोई भी कपल हर समय एकदूसरे के प्यार में डूबे नहीं रहते. उन्हें अपनी जिम्मेदारियां भी निभानी होती है. कामकाज पर जाना पड़ता है. जिंदगी के उतारचढ़ाव सहने पड़ते हैं. मगर इन वजहों से प्यार का एहसास नहीं घटता. जब भी मिलते हैं उतनी ही शिद्दत से प्यार महसूस करते हैं.

मगर कभीकभी ऐसी परिस्थितियां भी आती हैं जब अपने प्रेमी या पति के करीब हो कर भी आप को प्यार महसूस न हो. करीब हो कर भी वे आप को दूर लगें. अगर ऐसा है तो समझ जाइए कि वह  वाकई आप से दूर जा रहे हैं यानी आप का ब्रेकअप होने वाला है.

पहले से इस बात का आभास रहे तो इस दर्द को सहना थोड़ा आसान हो जाता है. ध्यान दीजिए आप के करीब रहने पर उन की कुछ खास शारीरिक गतिविधियों पर.

जब आप किसी के साथ रिलेशन में होते हैं या प्यार करते हैं तो रातदिन उसे ही देखना और महसूस करना चाहते हैं. मगर जब कोई आप का दिल तोड़ जाता है या उस के लिए आप के मन में प्यार नहीं रह जाता तो उस का सामना करने या उस की तरफ देखने से भी कतराने लगते हैं.

प्यार में इंसान करीब जाने और बातें करने के बहाने ढूंढता है मगर दूरी बढ़ने पर एकदूसरे से दूर जाने के बहाने ढूंढने लगता है. कपल्स जो इमोशनली जुड़े होते हैं उन की बौडी लैंग्वेज ही अलग होती है. जैसे कि अनजाने ही एकदूसरे की ओर सर झुकाना, गीत गुनगुनाना, केयर करना और एकदूसरे की बातें ध्यान दे कर सुनना आदि.

मगर जब रिश्ता बैकअप के कगार पर पहुंच चुका होता है तो वे बातें कम और बहस ज्यादा करने लगते हैं. एकदूसरे के बगल में बैठने के बजाय आमनेसामने बैठते हैं और केयर करने के बजाए इग्नोर करने लगते हैं.

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फैस्टिवल की तैयारी में लें पति की मदद, इस तरह समझाएं काम का महत्व

अकसर यह देखा जाता है कि घर के काम विशेष रूप से किचन का काम, महिलाओं की जिम्मेदारी मान ली जाती है. त्योहार का सीजन आने पर महिलाओं पर घर के दूसरे कामों के साथसाथ किचन में पकवानों के बनाने की दोहरी जिम्मेदारी भी आ जाती है. ऐसे में त्योहार का मजा बाकी घर के लोग तो उठा लेते हैं लेकिन महिलाएं घर और किचन से ही फ्री नहीं हो पातीं.

पति और पत्नी दोनों कामकाजी हों या नहीं, घरेलू जिम्मेदारियों को मिल कर साझा करना एक खुशहाल और संतुलित रिश्ते की कुंजी हो सकता है. आज के समय में जब महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपनी प्रोफैशनल जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं तो घर के कामों में भी साझेदारी की उम्मीद होना स्वाभाविक है.

एक संतुलित और स्वस्थ रिश्ते के लिए यह जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों मिल कर घर की जिम्मेदारियों को बांटें खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए किचन का काम अकेले संभालना थकान भरा हो सकता है. ऐसे में पति को किचन में मदद के लिए तैयार करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है.

संवाद से करें शुरुआत

सब से पहले पति से इस मुद्दे पर खुलकर बात करें. अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें कि किचन का काम सिर्फ एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए.

चाहिए बल्कि यह साझेदारी का काम है. उन्हें बताएं कि एक वर्किंग महिला के रूप में आप के पास समय और ऊर्जा की सीमाएं होती हैं और उन की मदद से काम जल्दी और आसानी से निबट सकता है. यह बातचीत शिकायत या नाराजगी के बजाय समझदारी और सहयोग पर आधारित होनी चाहिए.

समझदारी से जिम्मेदारी का महत्त्व बताएं

घर के काम केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं होते. यह जरूरी है कि आप का पति यह सम?ो कि घर और किचन का काम दोनों की जिम्मेदारी है. यह साझेदारी न केवल आप के काम को हलका करेगी बल्कि आप दोनों को एक टीम की तरह काम करने में भी मदद मिलेगी. इस से आप दोनों को एकदूसरे के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलेगा जो रिश्ते को भी मजबूत बनाएगा.

काम बांटने की योजना

अपने पति के साथ मिल कर किचन के कामों को बांटने का एक व्यवस्थित तरीका बनाएं. उदाहरण के लिए आप दोनों इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि एक दिन आप खाना बनाएंगी और दूसरे दिन आप के पति सब्जियां काटेंगे या सफाई करेंगे, त्योहार के पकवानों को बनाने से पहले की तैयारी में पति सहायता करेंगे. इस से किचन का बो?ा सिर्फ आप पर नहीं पड़ेगा और दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियों को संतुलित कर सकेंगे.

शेयर है केयर

कभीकभी पति किचन में काम करने से घबराते हैं क्योंकि वे इसे मुश्किल या समय लेने वाला मानते हैं. इसलिए शुरुआत में छोटे और सरल कामों से शुरू करें जैसे बरतन निकालना, सब्जियां धोना या टेबल लगाना. जब वे इन कामों में सहज हो जाएंगे तो धीरेधीरे बड़े कामों में भी मदद करने के लिए तैयार हो सकते हैं.

प्रशंसा जरूर करें

जब भी पति किचन में मदद करें उन की सराहना जरूर करें. चाहे वे कितना ही छोटा काम क्यों न करें उन की मदद की प्रशंसा करने से उन्हें और मदद करने की प्रेरणा मिलेगी. उदाहरण के लिए अगर पति ने कुछ अच्छा किया हो तो उन्हें बताएं कि उन की मदद ने आप का काम कितना आसान कर दिया. सकारात्मक फीडबैक हमेशा प्रेरणा का काम करती है.

काम को मजेदार बनाएं

किचन के काम को उबाऊ न होने दें. आप इसे एक मजेदार गतिविधि बना सकती हैं जिस में आप दोनों साथ में म्यूजिक सुनते हुए या हंसीमजाक करते हुए काम करें. इस से किचन का काम बो?िल नहीं लगेगा और आप के पति भी इसे बोझ की तरह नहीं लेंगे बल्कि एक अच्छा अनुभव मानेंगे.

संतुलित जीवन का महत्त्व समझाएं

एक वर्किंग महिला के रूप में संतुलित जीवन जीना बहुत जरूरी है. यह बात अपने पति को भी सम?ाएं कि अगर दोनों मिल कर घर और किचन का काम करेंगे तो आप के पास एकदूसरे के साथ समय बिताने और अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को भी संतुलित रखने का मौका होगा.

इस से न केवल घर का काम सुचारू रूप से चलेगा, बल्कि दोनों के बीच समझ और आपसी सहयोग भी बढ़ेगा. जब पति को यह एहसास होता है कि किचन में मदद करना उन के परिवार की भलाई और सुखशांति के लिए है तो वे इसे बिना किसी दबाव के करने को तैयार होते हैं.

रूटीन बनाएं

अगर आप अपने पति को यह दिखा सकें कि रूटीन और टाइम मैनेजमैंट से किचन का काम जल्दी और प्रभावी ढंग से किया जा सकता है तो वे इसे करने के लिए अधिक इच्छुक हो सकते हैं. उदाहरण के लिए आप किचन में समय बचाने के लिए आसान और जल्दी बनने वाली रैसिपी आजमा सकते हैं या फिर एक दिन आप के पति सब्जी काट सकते हैं और आप खाना बना सकती हैं. इस से न केवल काम जल्दी निबट जाएगा बल्कि दोनों को यह भी महसूस होगा कि यह उन की साझ जिम्मेदारी है.

रोल मौडल्स का उदाहरण दें

कभीकभी अपने आसपास के उदाहरण दिखा कर भी आप अपने पति को प्रेरित कर सकती हैं. अगर आप के आसपास ऐसे कपल्स हैं जहां पति भी किचन के काम में मदद करते हैं तो आप उन उदाहरणों को सा?ा कर सकती हैं. यह दिखाने से कि समाज में ऐसे भी परिवार हैं जो घर के कामों को सा?ा कर के एक खुशहाल जीवन जीते हैं, उन्हें प्रेरणा मिल सकती है.

धैर्य और समर्थन

अपने पति को किचन के काम में पूरी तरह शामिल करने में समय लग सकता है. हो सकता है कि शुरुआत में वे ?ि?ाकें या काम में कम रुचि दिखाएं लेकिन धैर्य और लगातार समर्थन से वह धीरेधीरे इस जिम्मेदारी को अपनाने लगेंगे. उन्हें दोषी महसूस कराने के बजाय सहयोग और समर्थन दें ताकि वे इसे स्वाभाविक रूप से अपनाएं. अपने पति को किचन में मदद करने के लिए तैयार करना एक सकारात्मक और संतुलित घरेलू जीवन की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है.

कई बार समाज और पारंपरिक सोच के कारण पुरुष किचन के काम में हाथ नहीं बंटाते लेकिन बदलते समय के साथ यह धारणा भी बदल रही है. जब पतिपत्नी दोनों घर के कामों में मिल कर हाथ बंटाते हैं तो न केवल घर का माहौल सुखद होता है बल्कि रिश्ते में भी एक गहरी समझ और सहयोग का भाव विकसित होता है. इस उत्सवी सीजन से ही इस बेहतरीन काम को शुरू करें और आपसी रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं.

दूर रह कर भी रिश्तों को कैसे बनाएं मजबूत, ‘छोटेछोटे पलों को करें सेलिब्रैट’

परिवार हमेशा खास होता है,चाहे वह पास रहे या दूर. लेकिन जब हम अपने जीवनसाथी के परिवार से दूर रहते हैं, जैसे सास, ननद या जेठानी, तो उन से दोस्ताना संबंध बनाए रखना मुश्किल तो हो सकता है लेकिन नामुमकिन नहीं.

रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव भी माने रखता है इसलिए दूर होने के बावजूद रिश्तों को बनाए रखना संभव है, बशर्ते हम समझदारी और संवेदनशीलता से काम लें. दोस्ताना व्यवहार, संवाद और सम्मान इन रिश्तों की नींव को मजबूत बनाए रखते हैं.

ऐसे में, सवाल उठता है कि जब परिवार के सदस्य एकदूसरे से दूर हों, तो रिश्तों में मिठास और जुड़ाव कैसे बनाए रखें. इस के लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो रिश्तों को मजबूत और खुशहाल बनाए रखते हैं.

नियमित बातचीत है जरूरी

कई बार पति की नौकरी के चलते परिवार को छोड़ कर बहू को अपनी नई गृहस्थी बसाने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ता है. ऐसे में परिवार से दूर रहने पर सास, ननद या जेठानी से अपनेपन का जुड़ाव कम हो जाता है लेकिन दूरी होने के बावजूद रिश्तों में गरमाहट बनाए रखने का सब से सरल तरीका है, नियमित बातचीत. परिवार की सभी औरतों के साथ व्हाट्सऐप ग्रुप बना कर बातचीत जारी रखें और आप जो भी कुछ नई डिश बना रही हैं उसे ग्रुप पर शेयर करें, उन से सलाह लें.

इस के अलावा आप फोन कौल, वीडियो कौल के माध्यम से सास, ननद या जेठानी से संपर्क में रह सकती हैं. इस से उन्हें लगेगा कि आप उन के बारे में सोचती हैं और उनवका ध्यान रखती हैं.

छोटेछोटे पलों को खास बनाएं

रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखने के लिए छोटेछोटे मौके बहुत अहम होते हैं. जैसे उन की सालगिरह, जन्मदिन या किसी खास अवसर पर शुभकामनाएं भेजना. इस से उन्हें यह एहसास होगा कि आप दूर रह कर भी उन के जीवन के महत्त्वपूर्ण पलों का हिस्सा बन रहे हैं.

छोटीछोटी खुशियों को बांटना रिश्तों में मिठास लाता है. आप विशेष अवसरों पर या बिना किसी विशेष कारण के भी सास, ननद या जेठानी को छोटेछोटे उपहार भेज सकती हैं. इस से उन्हें लगेगा कि आप उन के प्रति स्नेह और प्रेम रखती हैं.

बराबर का समझें

आप अलग शहर में हों या एक ही शहर में, कभी न कभी एकदूसरे के घर जाने क मौका मिलता ही है. ऐसे में बराबरी से ही बात बन सकती है. काम करने में छोटा या बड़ापन न जताएं बल्कि बराबर का समझें.

अगर आप अपनी जेठानी के घर में या ननद के घर में जाएं तो खुद को मेहमान न समझें बल्कि हर काम में उन का हाथ बटाएं और यही बात ननद के लिए भी है कि भाभी को यह एहसास कराएं कि वह ननद है तो क्या पूरी हैल्प करने को तैयार है.

अनुभवों में दिलचस्पी दिखाएं

यदि आप की सास, ननद या जेठानी को किसी खास काम में महारत हासिल है, तो उन के कार्यों के बारे में पूछें और दिलचस्पी दिखाएं. उन के अनुभवों, शौकों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी लेना और तारीफ करना आप के रिश्तों को और भी मधुर बना सकता है.

मिलने के मौके ढूंढ़ें

कभीकभी दूरी के कारण मिलने के मौके कम हो सकते हैं, लेकिन जब भी समय मिले परिवार के साथ रहने का मौका न चूकें. छुट्टियों, त्योहारों या किसी खास अवसर पर एकदूसरे से मिलने की योजना बनाएं. परिवार के साथ बिताया गया समय रिश्तों को ताजगी देता है और भावनात्मक रूप से आप को करीब लाता है.
डिस्टैंश बस का हो या रेल का या फिर ओवरनाइट जर्नी ही क्यों न हो, आप उन्हें मिलने जाएं या वे आप से मिलने आएं, उस समय को पूरी तरह से ऐंजौय करें. परिवार के साथ बिताया गया समय, हंसीमजाक, बातचीत और साथ में भोजन करने से रिश्ते और भी मजबूत बनते हैं. ये क्षण दूरी को भरने का काम करते हैं.

एकदूसरे के प्रति सहानुभूति रखें

जब हम अपनों से दूर रहते हैं तो दूरी के कारण कई बार गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं. ऐसे में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखना बहुत महत्त्वपूर्ण है. जब भी कोई समस्या हो या किसी तरह का मतभेद हो, तो धैर्यपूर्वक बात करें और एकदूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करें. सहानुभूति रिश्तों में मिठास और सामंजस्य बनाए रखने में मदद करती है.

पारिवारिक परंपराओं को बनाए रखें

परिवार की पुरानी परंपराओं को बनाए रखना रिश्तों को मजबूत करता है. चाहे त्योहार मनाने की परंपरा हो या विशेष अवसरों पर एकदूसरे को बधाई देने की, इन्हें जारी रखना आप के रिश्तों में मिठास घोलता है. यदि परिवार के सदस्य दूर हैं, तो भी आप वर्चुअल तरीकों से इन परंपराओं को निभा सकते हैं.

कितना जरूरी है किसी का साथ

वह जमाना गया जब प्रेम को वासना कहा जाता था और किसी का मधुर स्पर्श कोई वर्जित अपराध जैसा हुआ करता था. आज तो मनोवैज्ञानिक सलाहकार अपने हर सुझाव में यही बात कहते हैं कि कोई साथी होना चाहिए जो आप को प्रेम करे.

तकनीक, वैज्ञानिक सोच, पूंजीवाद आदि ने मानव को ऐसा व्याकुल किया है कि समाज किसी सुकून देते हुए स्पर्श की तरफ झुका चला जाता है.

भागदौड़ करती और आत्मनिर्भर बनती नई पीढ़ी को अब यह बिलकुल डरावना नहीं लगता कि किसी की मधुर संगति में रहने से कुछ गलत हो जाएगा. अकेलेपन से जूझतेजूझते जब मन किसी की जरूरत महसूस करता है तो इस में कौन सी बुराई है कि वह कोई अपना बिलकुल नजदीक ही बैठा हो. महानगरीय जीवन में रोज 15 घंटे तक खपने वाली युवा पीढ़ी अब ऐसा दर्शन बिलकुल नहीं समझना चाहती कि तनहाई में जिस की आस लगाए बैठे हैं वह न मिले तो ऐसी दशा में हम क्या करें? निराश हो जाएं? यह तक तय नहीं है कि जीवन कल या परसों कौन सा मोड़ लेने वाला है. प्रकृति का मिजाज भी ठीकठाक मालूम नहीं.

क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि इस जीवन का मूल उद्देश्य आनंद की खोज ही है और यह आनंद प्रयोजनातीत है. किसी के पास बैठ कर मनचाही सुंदर बातें करनेसुनने से हमें आनंद प्राप्त होता है और उस से हमारा मन संतोष ही नहीं पाता बल्कि दिल को गहराई तक एक अपूर्व शांति भी प्राप्त होती है.

तो हमें यह जरूरी क्यों लगता है? इस का कोई कारण नहीं बताया जा सकता. वह केवल अनुभव ही किया जा सकता है. ‘ज्यों गूंगे मीठे फल को रस अंतर्गत ही भावै,’ आनंद का भाव वाणी और मन की पहुंच के बिलकुल अतीत है. ‘यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह पर प्रेम, स्नेह, मधुर छुअन इन सब का संबंध मन के साथ है. मन बिना साथी के, आनंद के सहज भाव को ग्रहण नहीं करना चाहता.

उस को एक साक्षात प्रेमी चाहिए जिस के साथ वह कुछ देर मौन भी रह सकता है पर उस का आनंद बना रहता है. बावरा मन अपना बैंक बैलेंस देख कर भी कुछ अतृप्त ही रहता है. मन ही मन वह खोज में लग जाता है कि कहीं कोई ऐसा हो जिस के पास जा कर स्वर्ग सा सुख मिले. वह यह नहीं समझना चाहता कि इस में आनंद का जो अमिश्रित रस है वह समय मांग रहा है या कोई मूल्य. पर जो लोग इस बेचैन मन को समझ लेने में समर्थ होते हैं, वे एक प्रिय के पास जा कर आनंद के ‘आनंदरूपमृतम’ का अनुभव कर लेते हैं.

अब यह तो एक अकाट्य सत्य है ही कि प्यार इस जीवन की प्राण वायु है. किसी प्रिय संग बैठना, बतियाना यह सब तो मानव सभ्यता के आरंभ में भी रहा है. हमारे समाज में वही कथा बारबार कहीसुनी जाती है जिस में प्यार का  किस्सा हो, ऐसा कोई जिक्र हो. मनुष्य कहीं भी हो, कैसा भी हो वह हर हाल में सहज हो कर ही जीना चाहता है. अगर उसे बहुत दिनों तक प्रेम न मिले तो उस की मानसिक दशा पर कुप्रभाव पड़ता ही है.

दूसरों को अपना बनाएं

दो मीठे बोल और किसी के आसपास रहने  की जो खूबसूरती है वह सौ फीसदी एक टौनिक का काम करती है. इसीलिए प्रेम सामान्य रूप से हर किसी को आकर्षित करता है. यही कारण है कि देशविदेश में ऐसे लोगों का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है जो कुछ देर प्रीत से लबालब गपशप करना चाहते हैं या किसी से मिल कर उसे देख कर अपना दैहिक, मानसिक दुख भूल ही जाते हैं.

मनोविज्ञान के अनुसार किसी विपरीतलिंगी के पास होना शरीर में सकारात्मक परिवर्तन शुरू कर देता है यह एक प्राकृतिक मांग है जो जीवन की निशानी और सेहत का प्रतीक भी है. किसी की मनभावन या मनपसंद संगति को औषधि का प्रतीक मान कर उस पर कायम रहना चाहिए. इस से न केवल पागलपन तथा अवसाद कम होता है बल्कि आत्महत्या जैसे मामले भी रुकने लगते हैं. समाज में लोग जब किसी के साथ मनपसंद वार्त्तालाप का सुख पा लेते हैं तो समाज में जातिधर्मों के बीच भी प्रेम बढ़ता है, नफरत कम होती है और सहानुभूति का खयाल ही बारबार आता है.

बहुत से लोग अपनी इच्छा को दबाने लगते हैं या अपनेआप को घर में कैद कर के फिल्म या धारावाहिक में मन लगाते हैं या फिर घर की दीवार पर कुछ तसवीरें लगाते हैं ताकि जो बेचैनी है वह कम होने लगे. मगर मनोविज्ञान कहता है कि इस तरह की तसवीरें और घर पर अकेले कैद हो जाना पागलपन को बढ़ाता है.

यह समझदारी नहीं

इस का कारण यह है कि समाज इस तरह की चीजों, ऐसे साथियों पर प्रश्न उठाता है और यह एक धारणा बन गई है कि किसी मनचाहे की  संगति चरित्रहीनता है. यह समाज की दृष्टि में पतन  को दर्शाता है. समाज के मामले में आदमी जितना विनम्र, सौम्य होगा वह चरित्रवान होगा भले ही  यह उस इंसान की मानसिक खुशहाली के लिए कभी बेहतर नहीं होता.

बस एक अच्छी छवि बनी रहे और सब परिचय देते हुए अच्छा ही कहें यह तो मूर्खता है. सामाजिक तालमेल के लिए खुद को तकलीफ में रखना, दुख पहुंचाना यह सम?ादारी नहीं है.

उथलपुथल से उबर कर संपूर्ण शांति, शांत मन, भावनाओं में तरंग और हलकापन, स्वस्थ शरीर, सदा सहयोग के लिए तैयार हृदय और हमारे व्यवहार में संतुष्टि को इंगित करता है. यह संतुष्टि तभी आती है जब प्रेम भरपूर मिल रहा हो. आज समय का पहिया कुछ इस तरह चल रहा है कि आजीविका के लिए अपनों से, अपने गांव, शहर, कसबे से दूर रहना ही पड़ता है.

ऐसे में हरकोई अपने परिवार, समूह या संबंधियों के साथ नहीं रह पाता. अब समय ऐसा है कि अपने मन की दुनिया को एक सुंदर आकार देने के लिए जीवन ऊर्जा की ओर बढ़ने का समय है जो किसी भी मानसिक सेहत का आधार है.

आंतरिक संतोष से ही बाहरी शांति संभव है. यही आंतरिक चैन और सुकून लंबी आयु की कुंजी भी है. यह जागरूकता कि जीवन का सब सुख  एक साथी के पास जा कर पल दो पल बतिया कर सौगुना होने जा रहा है, तो यह काम मन की चिंतात्मक प्रवृत्ति को मिटा सकता है. अकेलेपन से दिल में बहुत सी दुखदाई चीजें हो जाती हैं.

क्या है सही तरीका

मन को मन की विविधता पसंद है. एक अकेले और संतोषी आदमी का मन भी हमेशा गतिशील और चंचल रहता है. अत: मन को किसी घबराहट में ही सीमित नहीं करना चाहिए. स्नेह और प्रेम कर के सृजन की विविधता का आनंद लेना एक ईमानदार लेनदेन है.

हम अकसर मन का आराम शब्द का उपयोग करते रहे हैं. यही है उस का सही तरीका. यही आज स्वस्थ समाज की निशानी और जरूरत दोनों है.

पति से अलग रहना चाहती हूं, लेकिन वह मुझे कभी तलाक नहीं देंगे, क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 35 वर्षीय विवाहिता और एक 13 वर्षीय बेटे की मां हूं. मेरे पति सरकारी अधिकारी हैं. रोज शराब पी कर लड़ाईझगड़ा करते हैं. अब तो मारपीट भी करने लगे हैं. मैं 15 सालों से यातनापूर्ण जीवन जी रही हूं. मातापिता बिरादरी में अपनी इज्जत की खातिर मायके में नहीं रखना चाहते. विवाहपूर्व में सरकारी स्कूल में टीचर थी. चाहती हूं कि पति से अलग हो कर दोबारा से किसी स्कूल में नौकरी कर लूं और अपने बच्चे को सही ढंग से पालूं. मेरे पिता सेवानिवृत्त हैं. वे या मां बीचबीच में मेरे पास आ कर रह सकते हैं. क्या मेरा निर्णय सही है? मैं जानती हूं कि मेरे पति मुझे कभी तलाक नहीं देंगे पर मुझे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता.

जवाब-

यदि आप को लगता है कि आप के पति सुधरने वाले नहीं हैं तो उन का अत्याचार सहने और बच्चे को स्वस्थ वातावरण देने के लिए आप यह कदम उठा सकती हैं. आप को चाहिए कि पहले आप अपने लिए नौकरी तलाशें. उस के बाद ही रहने की व्यवस्था हो जाने के बाद पति को अपने निर्णय से अवगत कराएं. संभव है आप के इस कठोर निर्णय से आप के पति को अपराधबोध हो और वे सुधर जाएं. कई बार दूर जाने से भी रिश्तों में मधुरता लौट आती है. 

सवाल-

मैं जानना चाहती हूं कि 2 लड़कियों के परस्पर चुंबन करने से कोई नुकसान तो नहीं होता?

जवाब-

रोमांचित होने पर एकदूसरे का चुंबन लेने से कोई नुकसान नहीं होता. यह खुशी का इजहार करने का एक तरीका है.

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स्मिता को जिस तलाक की चाह थी वह मिल गया था, लेकिन जिस रूप, जवानी पर उसे घमंड था वह वक्त के साथ ढल चुकी थी. अब वह जाए तो जाए किस के पास, कौन था उस का हाथ थामने वाला?

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बौयफ्रैंड हो या बैस्ट फ्रैंड कितना करें भरोसा

बी कौम औनर्स की पढ़ाई कर रही 23 साल की निष्ठा तिवारी के साथ घटी घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है. महिला सशक्तीकरण के बीच इस तरह की घटनाएं घरपरिवार और समाज को सचेत करती हैं कि लड़कियों को अपनी सुरक्षा का खुद ध्यान रखना पड़ेगा. जैसेजैसे लड़कियां सशक्त हो रही हैं वैसेवैसे उन के खिलाफ अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं. पुलिस, कानून और समाज से पहले लड़कियों को अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी. इस के लिए उन्हें मानसिक रूप से जागरूक होना पड़ेगा. बौयफ्रैंड हो या बैस्ट फ्रैंड के इमोशन में पड़ कर कोई फैसला लेने से पहले सावधानी बरतनी होगी.

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की ही सदर कोतवाली निवासी 23 साल की निष्ठा तिवारी बीकौम औनर्स की पढ़ाई करने लखनऊ आई थी. यहां की बीबीडी यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया. उस के पिता संतोष तिवारी यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक में सीनियर मैनेजर के रूप में काम करते हैं. निष्ठा तिवारी कुछ समय तक कालेज  के होस्टल में रही. इस के बाद होस्टल छोड़ कर 2 महीने पहले ही पारस नाथ सिटी में किराए पर रहने लगी.

यहां निष्ठा के साथ 2 लड़कियां और रहती थीं. 4 दिन पहले ही निष्ठा तिवारी अपने घर से 25 दिन की छुट्टी बिता कर लखनऊ आई थी. गणेश उत्सव चल रहा था. गणेश उत्सव में हिस्सा लेने की बात कह कर निष्ठा अपने दोस्त आदित्य पाठक के दयाल रैजीडैंसी स्थित फ्लैट पर पहुंच गई. वहां दोस्तों के साथ पार्टी चल रही थी. इसी दौरान गोली लगने से उस की मौत हो गई.

अस्पताल में छोड़ भाग गए दोस्त

पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो पता चला कि गोली जानबूझ कर मारी गई थी. इस के बाद गंभीर हालत में घायल निष्ठा को उस के दोस्त लोहिया अस्पताल ले गए. लोहिया में छात्रा और उस के परिवार के बारे में लिखापढ़ी करा कर दोस्त भाग लिए. डाक्टरों ने निष्ठा को मृत घोषित कर दिया. सुबह करीब 3 बजे हौस्पिटल स्टाफ ने पुलिस को सूचना दी.

पुलिस ने निष्ठा तिवारी के पिता को फोन पर यह सूचना दी. हरदोई से लखनऊ पहुंचे पिता ने चिनहट थाने में उस के दोस्त आदित्य पाठक पर हत्या का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने आरोपी आदित्य को गिरफ्तार कर लिया.

निष्ठा तिवारी को जिस फ्लैट में गोली लगी, वह पुलिसकर्मी हिमांशु श्रीवास्तव का था. इस में आदित्य पाठक किराए पर रहता है. किचन में खाने का सामान और दारू की बोतलें मिलीं जिस से पता लगा कि यहां पार्टी हुई थी. इसी दौरान किसी बात पर विवाद पर गोली चलने से युवती की मौत हो गई.

अपराधी किस्म के दबंग दोस्तों से रहें दूर

निष्ठा के पिता संतोष तिवारी कस कहना है, मेरी बेटी को धोखे से गोली नहीं लगी, उस की हत्या हुई है. पढ़ने वाले बच्चों के पास पिस्टल कैसे पहुंची? इस से साफ है कि आदित्य पाठक क्रिमिनल माइंडेड है, उस ने मेरी बेटी को किसी गलत इरादे से मार डाला.

आदित्य पिछले 7 दिनों से निष्ठा को इंस्ट्राग्राम पर मैसेज कर के परेशान कर रहा था, जिस की शिकायत बेटी ने की थी. उस के बाद उस का नंबर ब्लौक करने को कहा था. पता होता कि वह बेटी को अपनी बातों में फंसा या धमका कर अपने फ्लैट पर ला कर मार देगा तो मैं उसे घर से ही नहीं आने देता.’’

एडीसीपी पूर्वी लखनऊ अली अब्बास ने बताया कि छात्रा की गोली लगने से मौत हुई है. जांच और दोनों के इंस्ट्राग्राम के मैसेज से सामने आया है कि इन लोगों ने पिछले 5 दिनों में ही मिलनाजुलना शुरू किया था. हालांकि दोनों की कई महीने पहले अपने कौमन फ्रैंड के माध्यम से मुलाकात हुई थी. कुछ अलग किस्म की जानकारी में यह बात सामने आ रही कि बाथरूम में वीडियो बनाने को ले कर हुए विवाद में गोलीकांड हो गया.

आदित्य ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह काफी दिनों से निष्ठा को आतेजाते देखता था. इसी दौरान पहचान दोस्ती में बदली. उस के बाद इंस्ट्राग्राम पर मैसेज के बाद पिछले हफ्ते ही मिलना शुरू हुआ.

आदित्य मूलरूप से बलिया का रहने वाला है. इलाके में दबदबा बनाने और रंगदारी वसूलने के लिए पिस्टल लगा कर घूमता था. वह रंगदारी के मामले में करीब 3 माह बाद जेल से 31 अगस्त को ही छूट कर आया था.

आदित्य ने पुलिस को बताया, ‘‘जब रात को दोस्तों के साथ फ्लैट पर पहुंचा तो निष्ठा वहीं थी. उस की रूम पार्टनर अमीषा पेपर खत्म होने के चलते घर चली गई. वहीं दूसरी पार्टनर कीर्ति डेंगू के चलते घर गई है. इसी दौरान निष्ठा ने अलमारी में रखी पिस्टल देख ली और उस से खेलने लगी. पिस्टल छीनने के दौरान गोली चल गई.’’

अगर आदित्य की बात को सही मान लिया जाए तो इन लोगों को निष्ठा को अस्पताल में छोड़ कर भागना नहीं चाहिए था. इस के साथ ही साथ घटना के तुरंत बाद निष्ठा के घर वालों को सूचना देनी चाहिए थी.

लड़कियों के सामने बढ़ रही चुनौतियां

पढ़ाई, कोचिंग और जौब करने के दौरान लड़कियों का घर से दूर रहना कोई नई बात नहीं है. पहले लड़कियां केवल होस्टल में ही रहती थीं. वहां सुरक्षा व्यवस्था होती है. समयबेसमय आनेजाने पर रोकटोक होती है. इस के अलावा कई होस्टल में खानेपीने की सुविधाएं अच्छी नहीं होती है. इस के अलावा होस्टल में घरपरिवार के लोग आनेजाने पर रह नहीं सकते. ऐसे में कई बार लड़कियां किराए के फ्लैट ले कर रहती हैं.

इन का किराया क्व10 से क्व12 हजार के करीब होता है, जिस में एकसाथ 2 या फिर 3 लड़कियां रह लेती है. जिस से यह बजट में आ जाता है.

कई बार लड़कियां यहां आजादी का लाभ उठाने लगती हैं. वे अपनी सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखतीं और गलत संगत में पड़ जाती हैं. सोशल मीडिया के जरीए वे बाहरी लड़कों के संपर्क में आ जाती हैं जो पहले फ्रैंडलिस्ट में जगह बनाते हैं और फिर बैस्ट फ्रैंड और बौयफ्रैंड बन जाते हैं. लड़कियां अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना इन के इमोशन में पड़ जाती हैं. इस के बाद कई बार इन्हें धोखा मिलता है.

जरूरी है अपना बचाव

असिस्टैंट प्रोफैसर डाक्टर जयंती श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘महिलाओं और लड़कियों ने आर्थिक बराबरी हासिल कर ली है. आज वे उच्च शिक्षा हासिल कर रहीं, नौकरी कर रहीं, दूर शहरों में अकेले रह रहीं, अपने परिवार का बोझ उठा रही हैं.

मगर अब लड़कियों को अपनी सुरक्षा की चिंता करनी है क्योंकि वे समाज में हर जगह काम कर रहीं. उन पर तमाम लोगों की निगाहें हैं. ऐसे में यह जरूरी जान लें कि कौन सी नजर कैसे उन्हें देख रही है? कहीं भी आनेजाने से पहले यह जरूर सोचें कि आप कितना सुरक्षित हैं? अगर अचानक वहां असमान्य हालत पैदा हो जाएं तो खुद को कैसे बचाएंगी?’’

आंख बंद कर के भरोसा न करें. कहीं भी जा रही हों कितनी ही गोपनीय जगह पर जा रही हों इस बात को हमेशा अपने करीबी लोगों के साथ शेयर करें. किस के साथ जा रही हैं यह भी बताएं. जहां पार्टी हो और लड़कों की ही संख्या हो वहां कभी भी न जाएं. भले ही आप का दोस्त कितना ही भरोसेमंद क्यों न हो.

जब लड़के गु्रप और नशे में रहते हैं तो अपराध की संभावना और साहस हमेशा बढ़ जाता है. दोस्त की अपराधिक छवि हो तो उस से दूर रहने में ही भलाई होती है. अगर सवधानी नहीं बरतेंगी तो अपनी जान से हाथ धोना पडे़गा. बदनामी होगी. घरपरिवार को रोने के लिए छोड़ जाएंगी. दूसरी लडकियों पर बंदिशें बढ़ेंगी जिस से लड़कियों का आगे बढ़ना मुशिकल हो जाएगा.

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