कहीं बोझ न बन जाए प्यार

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. जिंदगी तब बेहद हसीन लगने लगती है जब हम किसी के ख्यालों में खोए होते हैं. इस के विपरीत वही प्यार जब जी का जंजाल बन जाता है तो एकएक पल गुजारना कठिन लगने लगता है. कई दफा प्यार को भार बनाने में हमारी कुछ छोटीछोटी भूल जिम्मेदार होती हैं.

ओवर पजेसिव नेचर

कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रेंड / बौयफ्रेंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं. जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रेंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रेंड से नाराज हो जाती है ऐसे में बौयफ्रेंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना. वह छुप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा. यही नहीं बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रेंड को बुरी लगती है उन सब को छुपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलते बोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आज़ादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढने लगेगा.

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तीसरे का वजूद

पति पत्नी हो या गर्लफ्रेंड बौयफ्रेंड, जब भी दो के बीच किसी तीसरे के आने की सुगबुगाहट होती है तो रिश्तो में खटास आने लगती है. शक का कीड़ा अच्छेखासे रिश्तों की भी नींव खोदने में वक्त नहीं लगाता.

जहां विश्वास नहीं वहां शक तुरंत अपनी जड़ जमा लेता है. तीसरे की उपस्थिति अक्सर रिश्तों के टूटने की वजह बनती है. किसी तीसरे के आने से सिर्फ रिश्ता ही नहीं टूटता कई दफा नतीजे बेहद खतरनाक भी निकलते हैं. तीसरे को रास्ते से हटाने के लिए व्यक्ति किसी भी सीमा तक जा सकता है.

अपने अनुसार ढालने का प्रयास

प्यार का अर्थ है जो जैसा है उसे उसी रूप में पसंद करना. यदि बदलने का प्रयास किया जाए तो वह प्यार नहीं समझौता होता है. जब प्यार का दंभ भरते हुए व्यक्ति सामने वाले की कमियां निकालने लगता है और उसे बदलने को प्रेरित करता है तो यहां जज्बात फीके पड़ने लगते हैं. प्यार भार लगने लगता है.

बातबात पर चिढ़ना

प्यार में रूठने मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है. मगर जब कोई बातबात पर मुंह बनाने लगे या भला बुरा सुनाने लगे तो लाजमी है कि सामने वाले के सब्र का बांध टूट जाएगा. इंसान किसी की नाराजगियां एक हद तक सहन कर सकता है. मगर जब यह रोज की आदत बन जाए तो प्यार जी का जंजाल लगने लगता है.

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तालमेल की कमी

प्यार में इंसान को काफी तालमेल बिठाने होते हैं. दो बिल्कुल अलगअलग व्यक्ति जब एक दूसरे के बनना चाहते हैं तो बहुत सी बातों में समझौते करने होते हैं. खानपान, बातचीत, पहनावा, रहनसहन हर
तरह से एकदूसरे की परवाह करनी होती है. तालमेल की कमी रिश्ते में खटास ला सकती है.

मेरी बीवी का कोई प्रेमी है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 28 साल का हूं. मेरी शादी को 14 महीने हो चुके हैं. मुझे शक है कि मेरी बीवी का कोई प्रेमी है. बीवी कहती है कि वह उसे छोड़ चुकी है. मैं उस से बहुत प्यार करता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
शादी का रिश्ता प्यार व यकीन पर ही चल पाता है. जब बीवी कह रही है कि वह प्रेमी का साथ छोड़ चुकी है, तो आप को यकीन करना चाहिए. आप उसे प्यार करते ही हैं, तो अपने प्यार को इतना ज्यादा कर दें कि उस में दूसरे की गुंजाइश न रहे.

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यार के लिए पत्नी का वार

कृष्णा आगरा के थाना सदर के अंतर्गत आने वाले मधुनगर इलाके में अपने मांबाप और भाई अवनीत के साथ रहता था. इटौरा में उस की स्टील रेलिंग की दुकान थी जो काफी अच्छी चल रही थी. कृष्णा की अभी शादी नहीं हुई थी. उस की शादी के लिए जिला मैनपुरी के कस्बा बेवर की युवती प्रतिभा से बात चल रही थी. कृष्णा ने अपने परिवार के साथ जा कर लड़की देखी तो सब को लड़की पसंद आ गई. देखभाल के बाद शादी की तारीख भी नियत कर दी गई. फिर हंसीखुशी से शादी हो गई.

नई दुलहन को सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन कृष्णा की मां ने महसूस किया कि दुलहन के चेहरे पर जो खुशी होनी चाहिए थी, वह नहीं है. जबकि कृष्णा बहुत खुश था. मां ने सोचा कि प्रतिभा जब घर में सब से घुलमिल जाएगी तो ठीक हो जाएगी.

हफ्ते भर बाद जब सारे रिश्तेदार अपनेअपने घर चले गए तो प्रतिभा का भाई उसे लेने के लिए आ गया. किसी ने भी इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया कि प्रतिभा आम लड़कियों की तरह खुश क्यों नहीं है.

वह भाई के साथ पगफेरे के लिए चली गई और 4-6 दिन बाद कृष्णा उसे फिर ले आया. इस के बाद कृष्णा की पुरानी दिनचर्या शुरू हो गई. इसी बीच आगरा की आवासविकास कालोनी का रहने वाला ऋषि कठेरिया उस की दुकान पर आनेजाने लगा. ऋषि ठेके पर मकान बना कर देता था.

धीरेधीरे कृष्णा का ऋषि के साथ व्यापारिक संबंध जुड़ने लगा. ऋषि कृष्णा को स्टील रेलिंग के ठेके दिलवाने लगा.

दूसरी ओर प्रतिभा का व्यवहार परिवार वालों की समझ में नहीं आ रहा था. वह जबतब मायके जाने की जिद करने लगती तो सास उसे समझाती कि शादी के बाद बारबार मायके जाना ठीक नहीं है, ससुराल की जिम्मेदारियां भी संभालनी होती हैं.

एक दिन प्रतिभा ने कृष्णा से कहा कि उसे अपने मांबाप की याद आ रही है, वह अपने मायके जाना चाहती है. इस पर कृष्णा ने कहा कि जब उसे फुरसत मिलेगी, वह उसे छोड़ आएगा.

ठीक उसी समय प्रतिभा के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो प्रतिभा ने फोन यह कह कर काट दिया कि वह फिर बात करेगी. लेकिन मायके जाने की बात पर वह अड़ी रही. आखिर कृष्णा ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी कर लो, मैं तुम्हें कल तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा.’’

अगले दिन घर वालों की इच्छा के खिलाफ कृष्णा उसे ससुराल ले गया. बस में बैठते ही प्रतिभा का मूड एकदम बदल गया. अब वह काफी खुश थी. शादी के 4 महीने बाद भी कृष्णा अपनी पत्नी के मूड को समझ नहीं पाया था. पर कृष्णा की मां की समझ में यह बात अच्छी तरह आ गई थी कि बहू कुछ तो उन से छिपा रही है.

प्रतिभा ने मायके जाने से पहले फोन द्वारा किसी को खबर तक नहीं दी थी. अत: जब वह मायके पहुंची तो उसे देख कर उस की मां हैरान हो कर बोली, ‘‘अरे दामादजी, आप अचानक ही… फोन कर के खबर तो कर दी होती.’’

इस से पहले कि कृष्णा कुछ कहता प्रतिभा बोली, ‘‘मम्मी, हमारा फोन खराब था, इसलिए खबर नहीं कर पाई.’’

कृष्णा पत्नी की इस बात पर हैरान था कि प्रतिभा मां से झूठ क्यों बोली. उस ने महसूस किया कि उस की सास लक्ष्मी के माथे पर बल पड़े हुए थे.

पत्नी को मायके छोड़ने के बाद कृष्णा जैसे ही आगरा वापस जाने के लिए घर से निकला तो उसे ऋषि दिख गया. उस ने पूछा, ‘‘अरे ऋषि, तुम यहां कैसे?’’

‘‘मैं गुप्ताजी से मिलने आया हूं.’’ उस ने एक घर की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘वह रहा गुप्ताजी का घर.’’

‘‘अरे वो तो प्रतिभा के चाचा का घर है.’’ कृष्णा बोला.

‘‘हां, वही गुप्ताजी. मेरे पुराने जानकार हैं.’’ ऋषि ने कहा.

कृष्णा हैरान था. तभी उस ने पूछा, ‘‘तब तो तुम यह भी जानते होगे कि गुप्ताजी के बड़े भाई मेरे ससुर हैं?’’

‘‘हांहां जानता हूं, प्रतिभा उन की ही तो बेटी है.’’ ऋषि ने लापरवाही से कहा.

‘‘लेकिन तुम ने यह बात मुझे पहले कभी नहीं बताई.’’ ऋषि ने पूछा.

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी.’’ ऋषि ने  कहा तो कृष्णा ने मुड़ कर प्रतिभा को देखा. शक का एक कीड़ा उस के दिमाग में घुस चुका था.

उस ने सामने से जाते हुए ईरिक्शा को रोका और बसअड्डे पहुंच गया. रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि यदि ऋषि का प्रतिभा के चाचा के घर आनाजाना था तो यह बात उस ने या प्रतिभा ने उसे क्यों नहीं बताई.

उस के जेहन में यह बात भी खटकने लगी कि मां ने उसे एकदो बार बताया था कि ऋषि उस की गैरमौजूदगी में भी कई बार उस के घर आया था. यह बातें सोच कर वह काफी तनाव में आ गया.

अभी तक तो वह यह समझ रहा था कि नईनई शादी होने की वजह से प्रतिभा को मायके वालों की याद आती होगी, इसलिए उस का मन नहीं लग रहा होगा, लेकिन अब उसे लगने लगा कि उस का जल्दीजल्दी मायके आने का कोई और ही मकसद है.

इसी तनाव में वह घर पहुंचा तो मां ने छूटते ही कहा, ‘‘बेटा, तेरी बीवी के रंगढंग हमें समझ नहीं आ रहे. उस का रोजरोज मायके जाना ठीक नहीं है.’’

उस समय कृष्णा ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि अभी उसे केवल शक ही था, जब तक वह मामले की तह तक नहीं पहुंचता तब तक घर में बता कर बेकार का फसाद फैलाना ठीक नहीं था.

हफ्ते भर बाद वह पत्नी को मायके से लिवा लाया. कुछ दिन बाद पता चला कि प्रतिभा गर्भवती है. पिता बनने की चाह में कृष्णा के मन की कड़वाहट पिघलने लगी. लेकिन उस ने अब ऋषि से घुलमिल कर बातें करनी बंद कर दीं. इधर ऋषि भी समझ गया था कि कृष्णा के तेवर कुछ बदले हुए से हैं, इसलिए वह भी सतर्क हो गया.

शक का कीड़ा जो कृष्णा के दिमाग में रेंग रहा था, वह उसे चैन से नहीं रहने दे रहा था. वह अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं सकता था.

एक दिन कृष्णा के बहनबहनोई घर आए तो बहनोई ने बातों ही बातों में कृष्णा से पूछा, ‘‘आजकल लगता है दुकान पर तुम्हारा मन नहीं लगता. क्या कोई परेशानी है?’’

‘‘नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल तबीयत कुछ ठीक नहीं है.’’ कृष्णा ने जवाब दिया.

‘‘लगता है, प्रतिभा तुम्हारा ठीक से खयाल नहीं रखती.’’ बहनोई ने पूछा तो कृष्णा की मां ने कह दिया, ‘‘अरे दामादजी, खयाल तो वो तब रखे जब उसे मायके आनेजाने से फुरसत मिले.’’

सास की बात प्रतिभा को अच्छी नहीं लगी. उस ने छूटते ही कहा, ‘‘इस घर में किसी को मेरी खुशी भी नहीं सुहाती.’’ कह कर वह दनदनाती हुई अपने कमरे में चली गई. इस से कृष्णा के बहनबइनोई समझ गए कि पतिपत्नी के संबंध सामान्य नहीं हैं.

कृष्णा को पत्नी का यह व्यवहार बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. बहनबहनोई तो चले गए, लेकिन कमरे में आने के बाद उस ने प्रतिभा को दो  तमाचे जड़ते हुए कहा, ‘‘अपना व्यवहार सुधारो वरना अच्छा नहीं होगा.’’

‘‘अब इस से ज्यादा बुरा क्या होगा कि तुम्हारे जैसे आदमी के साथ मेरी शादी हो गई.’’ कह कर प्रतिभा बैड पर जा कर बैठ गई. उस दिन के बाद उन दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

दूसरी ओर प्रतिभा रात में देरदेर तक ऋषि के साथ मोबाइल पर बातें करती. एक दिन कृष्णा की नींद खुल गई तो उस ने देखा कि प्रतिभा किसी से बातें कर रही थी. वह समझ गया कि ऋषि से ही बातें कर रही होगी. कृष्णा समझ गया कि प्रतिभा अब आपे से बाहर होती जा रही है. पर करे तो क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था.

इसी बीच प्रतिभा ने एक बेटी को जन्म दिया. पूरे घर में जैसे खुशी छा गई. बच्ची का नाम राधिका रखा गया. कृष्णा को उम्मीद थी कि मां बन जाने के बाद शायद प्रतिभा के व्यवहार में कोई फर्क आ जाए, पर ऐसा हुआ नहीं. कृष्णा को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि ऋषि के साथ प्रतिभा के नाजायज संबंध शादी से पहले से थे. चूंकि ऋषि शादीशुदा था, इसलिए उस के साथ शादी करना प्रतिभा की मजबूरी थी.

प्रतिभा के मांबाप को सब कुछ मालूम था, इसीलिए उन्होंने बेटी को कृष्णा के गले बांध दिया और सोचा कि शादी के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन प्रतिभा का रवैया नहीं बदला.

कृष्णा अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था. वह प्रतिभा को भी खुश रखने का भरसक प्रयास करता था लेकिन अपनी परेशानी घर में किसी को बता नहीं पा रहा था. जबकि प्रतिभा के व्यवहार से कोई भी खुश नहीं था.

धीरेधीरे समय गुजर रहा था. मौका मिलते ही प्रतिभा चोरीछिपे ऋषि से यहांवहां मिल लेती पर वह जानती थी कि कृष्णा जैसे व्यक्ति के साथ वह पूरा जीवन नहीं गुजार सकती. दूसरी ओर ऋषि भी शादीशुदा था, उसे लगता था कि उस का जीवन कटी पतंग की तरह है. प्रेमी ने कभी उसे इस बात के लिए आश्वस्त नहीं किया कि वह उसे अपने साथ रख सकता है.

संभवत: इसी कशमकश में प्रतिभा भी समझ नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे. कृष्णा से छुटकारा पाने के बारे में वह सोचने लगी पर वह जानती थी कि मायके वाले भी ऋषि के कारण उस के खिलाफ थे.

इसी बीच कृष्णा ने 25 लाख रुपए में अपनी एक जमीन बेच दी. वह रकम उस ने घर में ही रख दी थी. यह बात प्रतिभा को पता चल गई थी और अचानक उसे लगा कि पति के इस पैसे से वह प्रेमी को बाध्य कर देगी कि वह उस के साथ अपनी दुनिया बसा ले.

प्रेमी को पाने की धुन में वह गुनहगार बनने को भी तैयार हो गई. एक दिन उस ने ऋषि को फोन कर के कहा कि वह उसे बड़ा फायदा करा सकती है.

ऋषि हंसने लगा, ‘‘अरे तुम तो हमेशा ही मुझे खुशियां देती हो.’’

‘‘लेकिन तुम तो मुझे केवल सपने ही दिखाते हो जो आंखें खुलते ही टूट जाते हैं.’’ प्रतिभा ने तल्ख स्वर में कहा.

‘‘प्रतिभा, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो कि मेरी मजबूरियां क्या हैं. मेरी पत्नी है, बच्चे हैं. मैं उन्हें किस के सहारे छोड़ सकता हूं.’’ ऋषि ने कहा.

प्रतिभा गुस्से में भर उठी, ‘‘तो मुझ से प्यार क्यों किया? क्यों मुझे झूठे सपने दिखाए? तुम ने तो सिर्फ अपना मतलब पूरा किया है. तुम्हें तो कभी मुझ से प्यार था ही नहीं.’’

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प्रतिभा ने उस दिन ऋषि को साफसाफ कह दिया, ‘‘या तो तुम मुझे अपने साथ रखो अन्यथा मैं तुम्हारी जिंदगी से दूर चली जाऊंगी. समझ लो मैं आत्महत्या भी कर सकती हूं, जिस का दोष तुम्हारे ऊपर आएगा.’’

ऋषि ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था. अत: उस ने उस दिन प्रतिभा को किसी तरह समझाबुझा दिया कि वह कुछ सोचेगा. तभी प्रतिभा ने धीरे से कहा, ‘‘कृष्णा ने अपनी जमीन बेची है. 25 लाख की बिकी है.’’

ऋषि के कान खड़े हो गए. प्रतिभा ने आगे कहा, ‘‘इन 25 लाख के सहारे हम कहीं दूर जा कर अपनी दुनिया बसा सकते हैं.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो क्या, चोरी के इलजाम में जेल भिजवाओगी हमें.’’ ऋषि ने कहा. लेकिन वह जानता था कि प्रतिभा उस के प्यार में अंधी है और थोड़ाबहुत लाभ उसे हो सकता है. ऋषि ने उसे 2 दिन बाद किसी होटल में मिलने को कहा.

इस के बाद ऋषि को भी लालच आ गया. उस ने प्रतिभा से फोन पर बात की. प्रतिभा ने उस से साफ कह दिया, ‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं. लेकिन कृष्णा हमारी खुशियों की राह में रोड़ा बना हुआ है.’’

फिर एक दिन बेटी को डाक्टर को दिखाने का बहाना कर प्रतिभा घर से निकली और एक कौफीहाउस में ऋषि से मिली. दोनों ने मिल कर एक षडयंत्र रचा, जिस में कृष्णा को रास्ते से हटाने की बात तय कर ली गई.

नादान प्रतिभा प्रेमी की आशिकी में अंधी हो चुकी थी. उसे भलाबुरा नहीं सूझ रहा था. उस ने यह भी नहीं सोचा कि उस की 9 माह की बेटी का क्या होगा. इधर प्रतिभा के बदले हुए तेवर देख कर एक दिन सास ने कहा, ‘‘बहू, क्या बात है आजकल तू हर वक्त घर से निकलने के बहाने ढूंढती रहती है?’’

‘‘नहीं तो मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है. राधिका की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए परेशान रहती हूं.’’ प्रतिभा ने बहाना बनाया.

‘‘देख बहू, हमारे परिवार का समाज में सम्मान है. हमारे परिवार में बहुएं सिर्फ घर के बच्चों और पति के लिए ही जीतीमरती हैं.’’ कह कर सास अपने कमरे में चली गई.

कृष्णा को रास्ते से हटाने की योजना बन चुकी थी और 25 लाख रुपए में से 5 लाख रुपए देने का वादा कर ऋषि ने इस साजिश में अपने दोस्त पवन निवासी रायमा, जिला मथुरा को भी शामिल कर लिया था.

13 फरवरी, 2018 को कृष्णा के पास ऋषि का फोन आया. उस ने बताया कि उसे एक बहुत बड़ा ठेका मिला है. उस बिल्डिंग में स्टील ग्रिल भी लगनी है. अगर तुम यह काम करना चाहते हो तो बात करने के लिए रायमा आ जाओ. कृष्णा ने पहले तो सोचा कि वह उस से कोई संबंध नहीं रखना चाहता, क्योंकि वह विश्वास के काबिल नहीं है. पर फिर उसे लगा कि पारिवारिक बातों को व्यापार से अलग ही रखना चाहिए. अत: उस ने कह दिया कि वह शाम तक रायमा पहुंच जाएगा.

कृष्णा ने घर से निकलते वक्त अपनी मां को बता दिया कि एक सौदा करने के लिए वह रायमा जा रहा है. पति के घर से निकलने के बाद प्रतिभा ने अपने प्रेमी ऋषि को फोन कर के बता दिया कि कृष्णा घर से चल दिया है.

घर में किसी को भी नहीं मालूम था कि कौन सा कहर टूटने वाला था. कृष्णा रायमा पहुंचा तो वहां ऋषि, पवन और रायमा निवासी टिल्लू बातों में उलझा कर कृष्णा को खेतों की ओर ले गए. लेकिन तभी वहां कुछ लोग आ गए और वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके. जब रात में कृष्णा घर पहुंचा तो उसे देख कर प्रतिभा हैरान रह गई. देर रात को प्रतिभा ने ऋषि को फोन किया तो उस ने प्रेमिका को सारी बात बता दी.

अगले दिन ऋषि ने कृष्णा के फोन पर बता दिया कि उस की पवन से बात हो गई है. वह अब अपने घर में रेलिंग लगाने का ठेका देने को तैयार हो गया है, तुम आ जाओ.

सीधासादा कृष्णा बिना कुछ सोचेसमझे 14 फरवरी, 2018 को अपनी मां से रायमा जाने की बात कह कर घर से निकल गया, जहां स्टेशन पर ही उसे ऋषि मिल गया. ऋषि उसे बातों में लगा कर इधरउधर घुमाता रहा. तब तक शाम हो गई. तभी पवन का फोन आ गया. उस के कहे मुताबिक, ऋषि कृष्णा को खेतों की तरफ ले गया. तब तक अंधेरा होने लगा था.

तभी वहां उसे पवन दिखाई दिया, जिस ने इशारा कर के उन्हें सड़क पार कर खेत में आने को कहा. कृष्णा को जब तक कुछ समझ में आता तब तक काफी देर हो चुकी थी. वहीं टिल्लू भी आ गया तो कृष्णा ने कहा, ‘‘अगर तुम्हें सौदा मंजूर है तो अब जल्दी से कुछ एडवांस दे दो. रात भी हो रही है, मुझे घर पहुंचना है. प्रतिभा इंतजार कर रही होगी.’’

यह सुनते ही पवन हंसने लगा, ‘‘ओह क्या सचमुच तेरी बीवी तेरा इंतजार करती है. हमें तो यह पता है कि वह ऋषि का इंतजार करती है.’’

कृष्णा की समझ में अब कुछकुछ आने लगा था. उस ने कहा, ‘‘यह क्या बदतमीजी है, जल्दी करो मुझे जाना है.’’ यह कहते हुए वह अपनी बाइक की तरफ बढ़ा लेकिन तीनों झपट कर उसे खेत के अंदर ले गए और डंडों से उस की पिटाई शुरू कर दी. डंडों से पीटपीट कर उन्होंने उस की हत्या कर लाश वहीं छोड़ दी और चले गए.

इधर कृष्णा घर नहीं पहुंचा था. घर से जाने के बाद उस ने कोई फोन भी नहीं किया था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था. सभी रिश्तेदारों को फोन कर पूछ लिया गया, पर वह कहीं नहीं था. अंतत: आगरा के थाना सदर में उस की गुमशुदगी लिखवा दी गई.

प्रतिभा के मायके वालों को फोन किया गया तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि ऋषि से पूछताछ करें. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने सभी थानों को वायरलैस द्वारा कृष्णा की गुमशुदगी की सूचना दे दी.

16 फरवरी को पुलिस को रायमा के खेत में एक लाश मिलने की सूचना मिली, जिसे कृष्णा के भाई अवनीश ने पहचान कर शिनाख्त कर दी.

घर वालों से पूछताछ की गई तो कृष्णा की मां ने कहा कि कृष्णा ने उसे बताया था कि रेलिंग का ठेका लेने के लिए वह रायमा जा रहा है. पर वह कहां जा रहा था, उसे पता नहीं था. 13 और 14 फरवरी को भी वह रायमा गया था. 13 को वह देर रात घर लौटा था. वह नहीं बता पाई कि कृष्णा रायमा में किस के पास गया था.

पुलिस टीम हत्यारे की खोजबीन में लग गई. पुलिस की एक टीम बेवर भेजी गई तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता, लेकिन यदि कृष्णा के दोस्त ऋषि से पूछताछ की जाए तो कुछ पता चल सकता है. जांच अधिकारी ने महसूस किया कि प्रतिभा के मायके वाले कुछ छिपा रहे हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने कृष्णा के घर जा कर प्रतिभा से पूछताछ की तो महसूस किया कि उसे पति की मौत का जैसे कोई दुख नहीं था. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने बताया कि ऋषि की दोस्ती रायमा निवासी पवन के साथ है. अगर उसे हिरासत में लिया जाए तो केस खुल सकता है.

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पुलिस ने रायमा में पवन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतक की पत्नी प्रतिभा के साथ ऋषि के नाजायज संबंध थे. मृतक की पत्नी प्रतिभा ने ऋषि को बता दिया था कि कृष्णा ने जो 25 लाख रुपए की जमीन बेची है, उन पैसों से वे एक अच्छी जिंदगी की बुनियाद रख सकते हैं. इस के बाद पवन ने कृष्णा की हत्या की सारी कहानी बता दी.

पुलिस ने 18 फरवरी को प्रतिभा को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस बीच पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि ऋषि ने बाह थाने में अपने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिस में उस ने बताया था कि वह किसी तरह अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूट कर भागा है. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने ऋषि और टिल्लू को भी गिरफ्तार कर लिया.

प्रतिभा ने योजना बना कर अपने हाथों अपना सुहाग तो उजाड़ दिया, लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिन 25 लाख रुपयों के लालच में उस ने यह सब किया, वह रकम कृष्णा ने अपने कमरे में न रख कर अपनी मां के पास रख दी थी.

पुलिस ने ऋषि, प्रतिभा, पवन और टिल्लू से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. 9 माह की राधिका अनाथ हो चुकी है. मां जेल में है और पिता की हत्या कर दी गई है. बूढ़ी दादी अब कैसे उसे पाल पाएगी, यह बड़ा सवाल है.

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क्या मुझे अपनी ननद की लव लाइफ के बारे में पति और सास को बतानी चाहिए?

सवाल-

मेरी ननद किसी लड़के से 8 सालों से रिलेशनशिप में है. हालांकि वह कहती है कि उन्होंने कभी मर्यादा की सीमारेखा नहीं लांघी है, फिर भी मुझ डर लगता है कि वह कभी कोई गलत फैसला न ले ले. उस ने यह बात घर में सभी से छिपा रखी है. मुझे भी इस बात की जानकारी अनजाने में ही हो गई है. अब मुझे लगता है कि यह बात मुझे अपने पति व सास को बता देनी चाहिए. पर कहीं ननद मुझ से हमेशा के लिए खफा न हो जाए. क्या यह ठीक रहेगा?

जवाब-

आप अपनी ननद की नाराजगी की चिंता किए बगैर इस बात से घर वालों को अवगत कराएं, क्योंकि यदि जानेअनजाने कल को उस के जीवन में कुछ गलत होता है तो आप को सारी उम्र इस बात का मलाल रहेगा.

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मुंबई के ठाणे की हाइलैंड सोसाइटी में रजत और रीना ने एक बिल्डिंग में यह सोच कर फ्लैट लिए कि दोनों भाईबहनों का साथ बना रहेगा. दोनों के 2-2 बच्चे थे, सब बहुत खुश थे कि यह साथ बना रहेगा, पर जैसेजैसे समय बीत रहा था, रजत की पत्नी सीमा की रीना से कुछ खटपट होने लगी जो दिनबदिन बढ़ती गई. कुछ समय बीतने पर रीना के पति की डैथ हो गई दुख के उन पलों में सब भूल रजत और सीमा रीना के साथ खड़े थे.

कुछ दिन सामान्य ही बीते थे कि ननदभाभी का पुराना रवैया शुरू हो गया. रजत बीच में पिसता, सो अलग, बच्चे भी एकदूसरे से दूर होते रहे. दूरियां खूब बढ़ीं, इतनी कि रीना और सीमा की बातचीत ही बंद हो गई. रजत कभीकभी आता, रीना के हालचाल पूछता और चला जाता, पहले जैसी बात ही नहीं रही, फिर जब कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ, ठाणे में केसेज का बुरा हाल था. ऐसे में एक रात सीमा के पेट में अचानक दर्द शुरू हुआ जो किसी भी दवा से ठीक नहीं हुआ. हौस्पिटल जाना खतरे से खाली नहीं था, वायरस का डर था, बच्चे छोटे, रजत बहुत परेशान हुआ, सीमा का दर्द रुक ही नहीं रहा था, रात के 1 बजे किसे फोन करें, क्या करें, कुछ सम झ नहीं आ रहा था.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ननद-भाभी: रिश्ता है प्यार का

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पार्टनर सही या गलत: कैसे परखें अपने सही पार्टनर को

आप की सगाई पक्की हो चुकी है. शादी में अभी समय है. सपने हैं, इच्छाएं हैं, उमंगें हैं, ललक है… आजकल आप को कोई अच्छा लगने लगा है. वह भी आप को कनखियों से देखता है. मिल्स ऐंड बून का रोमांस किताबों में ही नहीं, असल जीवन में भी होता है, ऐसा आप को लगने लगा है. उस रात पार्टी में जब आप बेहद खूबसूरत लग रही थीं, उस ने प्रपोज कर दिया वह भी आकर्षक अंदाज में. आप हवा में उड़ रही हैं. जिंदगी में इतने अच्छे पल पहले कभी नहीं आए थे. चाहा जाना किसे अच्छा नहीं लगता. फिर चाहने वाला विपरीतलिंगी हो, तो कहना ही क्या.

प्यार करना अच्छा एहसास है पर आज के माहौल को देखते हुए जहां लवजिहाद, फेक मैरिज, एसिड अटैक जैसे केसेज हो रहे हों, वहां थोड़ा सावधान रहना अच्छा है.

आप कैसे जान सकती हैं कि आप का बौयफ्रैंड, मंगेतर या लवर आप को चीट तो नहीं कर रहा? मनोचिकित्सकों, परिवार के परामर्शदाताओं, समाजसेवकों और पुलिस अधिकारियों से बातचीत के आधार पर कुछ बिंदु उभरे हैं, जिन्हें यदि आप देखपरख लें तो धोखा खाने से बच सकती हैं :

दिखावा ज्यादा करता हो

आप का पार्टनर चाहे रईस न हो, पर महंगे शौक रखता हो. उन का हर जगह प्रदर्शन करता हो. खुद को हाइप्रोफाइल कहलाना उसे पसंद हो. उधार ले कर स्टैंडर्ड लाइफ जीने में उसे आनंद आता हो तो सावधान हो जाएं. ऐसा शख्स भविष्य में किसी को भी संकट में डाल सकता है.

पैसों की खातिर गलत काम करने में वह हिचकिचाएगा नहीं. हो सकता है आप को भी उस ने सब्जबाग दिखा रखे हों, जितना आप उसे जानती हो, वह वैसा भी न हो.

ऐसे व्यक्ति को ध्यानपूर्वक नोटिस कीजिए. उस के बाद अपनी धारणा बनाइए.

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फिजिकल क्लोजनैस चाहता हो

अकसर उस की तारीफ में आप के हुस्न की तारीफ छिपी रहती हो. साथ घूमने जाने या मिलने के लिए वह एकांत स्थल या ऐक्सक्लूसिव प्लेस चुनता हो. मौका पाते ही आप को हाथ लगाने, चूमने या स्पर्शसुख प्राप्त करने से न चूकता हो. रिवीलिंग ड्रैसेज आप को गिफ्ट करता हो और उन्हें पहनने की फरमाइश करता हो. फोन पर सैक्सी मैसेज भेजता हो तो सावधान हो जाइए. जो मजनूं सीमाएं लांघते हैं वे विश्वसनीय नहीं होते. कौन जाने आप से फिजिकल प्लेजर हासिल करने के बाद वह आप को छोड़ दे. बेहतर है लिमिट में रहिए और उस की ऐसी हरकतों पर पैनी नजर रखिए.

अकसर पैसे उधार लेता हो

जमाना कामकाजी महिलापुरुष का बेशक है, पर जो पुरुष अपनी गर्लफ्रैंड, प्रेमिका, मंगेतर से पैसे उधार मांगता रहता हो उस से सावधान रहिए. मैरिज के बाद  वह आप पर पूर्णतया आर्थिक रूप से आश्रित नहीं हो जाएगा, इस की क्या गारंटी है. स्वावलंबी व आत्मनिर्भर पुरुष, पति या बौयफ्रैंड हर महिला चाहती है. पत्नियों पर आश्रित पुरुषों के साथ रिश्ते स्थायी तौर पर नहीं टिक पाते.

बातें छिपाता हो

लंबे रिश्ते के बाद भी यदि वह आप से बातें छिपाए, टालमटोल करे, दोस्तों से न मिलवाए, मोबाइल को न छूने दे तो सावधान रहिए. दाल में कुछ काला है. यदि मंगेतर या बौयफ्रैंड विदेश में काम करता हो तो उस के स्थानीय मित्रों, घर वालों, रिश्तेदारों से उस की कारगुजारियों पर नजर रखिए.

विदेश में जहां वह काम करता है उस संस्थान और दोस्तों के बारे में खंगालिए. जानकारी जुटाइए. उस के पैतृक गांव या कसबे से भी आप जानकारी जुटा सकती हैं. फेसबुक अकाउंट, व्हाट्सऐप या ईमेल से भी आप पता लगा सकती हैं. बात उसे बुरा लगने की नहीं, बल्कि खुद का भविष्य सुरक्षित रखने की है.

अजीबोगरीब व्यवहार करता हो

अचानक यों ही किसी दिन उस ने अपनी सगाई की अंगूठी उतार दी. आप को टाइम दे कर वह निर्धारित स्थल पर पहुंचना भूल गया, सार्वजनिक स्थल पर आप को बेइज्जत कर दिया या आप से ज्यादा अपनी भावनाओं को तवज्जुह देता हो तो चिंता की बात है.

दोहरा चरित्र या व्यवहार खतरे की घंटी है. व्यक्ति का असम्मानजनक व्यवहार या तो आप को डीवैल्यू करने के लिए या स्वयं स्थिर न हो पाने का नतीजा हो सकता है.

सामने कुछ, पीठ पीछे कुछ

दोहरापन, चुगलखोरी, छल किसी भी रिश्ते में दरार डाल सकते हैं. आप के सामने अच्छा और पीठ पीछे बुरा कहने वाला आप का अपना कैसे बन सकता है. आप का पार्टनर भी यदि ऐसा करता है तो वह यकीनन इस रिश्ते को ले कर सीरियस नहीं है.

उस के मित्रों के टच में रहिए ताकि फीडबैक मिल सके. यदि वह सामने पौजिटिव और पीठ पीछे नैगेटिव हो तो उसे खतरे की घंटी समझिए.

अकाउंट्स के बारे में न बताता हो

पार्टनर यदि वित्तीय मामलों में आप को शामिल नहीं करना चाहता हो, आप से छिपाए या बहाने बनाए, तो पड़ताल कर लीजिए. कोई भी रिलेशन विश्वास के आधार पर ही टिकता है.

बातें शेयर न करता हो

यदि पार्टनर अपनी बातें छिपाए और पूछने पर भी न बताए, उलटे, आप ही को टौंट करे और ओवरक्यूरियस कहे तो जाग जाइए. स्पष्टवादिता और सचाई रिश्ते की आधारशिला होती हैं.

महिला मित्र बनाम पुरुष सहकर्मी

पार्टनर खुद तो मित्रों के साथ काफी फ्री हो, वैस्टर्न व मौडर्न तरीकों से पेश आता हो पर आप के मेल कलीग्स को शक की दृष्टि से देखता हो तो सावधान हो जाइए. ऐसे पुरुष शादी के बाद भी फ्लर्ट करने की आदत नहीं छोड़ते.

बातबात पर झूठ बोलता हो

वजहबेवजह जब आप का पार्टनर छोटीछोटी बातों पर झूठ बोलता हो तो यह इस बात का संकेत है कि कुछ तो संदिग्ध है. उस के साथ रहने वाले, उस के मैसेज, उस के फोन कौल्स, उस के संपर्क…यदि इन बातों पर वह झूठ बोलता हो तो निसंदेह कहीं कुछ गड़बड़ है.

अचानक व्यवहार में बदलाव

पार्टनर अचानक सफाईपसंद हो जाए, गाड़ी अपेक्षाकृत साफ रखने लग जाए, अपने पुराने परफ्यूम को छोड़ कर दूसरा लगाने लग जाए, बेहद रूमानी हो जाए या बिलकुल रूखा हो जाए तो किसी महिला मित्र की उपस्थिति अवश्यंभावी है. सावधान हो जाइए. आप से ध्यान हटना, आप को इग्नोर करना, आप में रुचि न लेना किसी अन्य महिला की उपस्थिति का प्रभाव है.

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जनूनी हो

यदि पार्टनर आप को दिलोजान से चाहता हो. किसी और की आप कभी नहीं हो पाएंगी, यह जताता रहता हो. आप की जुदाई को जीवनमरण का प्रश्न बना लेता हो तो सावधान हो जाइए. किसी कारणवश यदि यह रिश्ता टूट गया तो वह किसी भी सीमा तक जा सकता है. ऐसे प्रेमी से सावधान रहें. ऐसे जनूनी पुरुष असफल होने पर कुछ भी कर सकते हैं.

पार्टनर की कई बातें आप को अजीब लग सकती हैं. दिल से काम मत लीजिए, दिमाग से काम करें. जहां थोड़ा भी संशय हो, तसल्ली कर लीजिए. पार्टनर को बुरा लगेगा यह मत सोचिए. अपना विवेक रखिए. आखिर, थोड़ी सी सावधानी आप को भावी जीवन के दुखों से बचा सकती है.

खाने की टेबल पर साथ मिलकर लें स्वाद और संवाद का आनंद

खाने की मेज सिर्फ रोटी, भाजी, खीरपूड़ी आदि का संगम नहीं है, बल्कि बातचीत और गिलेशिकवे सुधारने की एक जिंदा इकाई भी है. यहां पर हर सदस्य को स्वाद और संवाद दोनों ही मिलते हैं.

किसी ने खूब कहा भी है कि परिवार ही वह पहली पाठशाला है जहां जीवन का हर छोटाबड़ा सबक सीखा जा सकता है. इसलिए जब भी अवसर मिले परिवार के साथ ही बैठना चाहिए. इस का सब से आसान उपाय यही है कि भोजन ग्रहण करते समय सब साथ ही बैठें.

अनमोल पल

जब पूरा परिवार साथ बैठ कर भोजन का आनंद लेता है तो उस समय हर पल अनमोल होता है. मनोवैज्ञानिक इसे गुणवत्ता का समय मानते हैं.साथसाथ भोजन करना कई मामलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

आजकल सभी अपने कामों और जिंदगी में इतना बिजी रहते हैं कि एकसाथ रहते हुए भी परिवार के साथ बैठने का समय तक नहीं मिल पाता है. इसी वजह से परिवार के साथ बैठ कर भोजन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, लेकिन ऐसा करना बच्चोंे और परिवार के लिए बहुत जरूरी है.

परिवार के साथ खाना खाने से आपस में दोस्ताना संबंध बनता है, स्वानस्य्वा की तरफ से लापरवाही में कमी आती है, शांतिपूर्ण विचार मन में पनपते हैं और मानसिक स्तर जैसे उदासी, ऊब, बेचैनी, घबराहट आदि महसूस नहीं होते.

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बेहतर चलन है

अगर कुछ ऐसे पारिवारिक मसले आ गए हैं जिन का हल नहीं निकल रहा है तो साथ खाने का चलन जरूर शुरू करें. यह बहुत अच्छा तरीका है, फैमिली यूनिट बनाने का और बच्चों के साथ अपने रिश्ते सुधारने का.

आप के लिए एक बेहतरीन अभिभावक बनने का यह अच्छा मौका है. नए रिश्तों को मजबूत करना चाहें तो साथ बैठ कर खाना खाएं. जैसे नया मेहमान या कोई पुराना रिश्तेदार भी आया है तो उस के साथ संबंध पक्का करने के लिए तो यह सब से बढ़िया तरीका है.

साथ खाने से बच्चों में टेबल मैनर्स भी सुधारे जा सकते हैं. आप के बच्चे सीखेंगे कि टेबल पर समय से जाना है जिस से परिवार के बाकी सदस्य भूखे नहीं बैठे रहें.

वहां पर किस तरह बैठना है, चम्मचकटोरी कैसे इस्तेमाल करना है वगैरह बच्चे बगैर किसी निर्देशन के सहज ही सीख जाते हैं.

यादगार रहेगा

जब आप के बच्चे बड़े होंगे तब वे आप के साथ बिताए हुए इस भोजन समय को कभी नहीं भूलेंगे. उन्हें इस बात का एहसास रहेगा कि परिवार का साथ बैठ कर खाना कितना जरूरी है और आगे चल कर वे भी अपने बच्चों में यही आदत डालेंगे.

वैसे तो आजकल कुछ न कुछ उपलब्धता के चलते हरकोई भरपेट खाना तो खा लेता है लेकिन उस से पोषण कम ही मिल पाता है. ऐसे में घर पर या बाहर जब भी मौका हो परिवार के साथ मिल कर खाने से न केवल बड़े बल्कि बच्चे भी पोषित खाना खाते हैं, उन में भी पोषित खाना खाने की आदत पैदा होती है.

परिवार के साथ डिनर करने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसेकि निराशा, हताशा, मोटापा, बारबार खाने की आदत, नशीले पदार्थों के सेवन आदि से किशोर दूर ही रहते हैं.

मिल कर भोजन करना कई बातों को पारदर्शी भी बनाता है क्योंकि एक बात एक बार ही कही जाती है और सब के सामने रखी जाती है. अतः यह आपसी समझ बनाने के लिए भी काफी अच्छा होता है.

न फोन न इंटरनैट

डाइनिंग टेबल पर खाना खाते समय फोन या इंटरनैट का इस्तेमाल नहीं के बराबर होता है. इस से इस दौरान ऐसा आनंद उत्पन्न होता है कि हरकोई खुशी महसूस करता है.

परिवार जब साथ मिल कर खाना खाए तो टीवी सहज ही बंद कर दिया जाता है और बच्चे मातापिता की निगरानी में क्वालिटी डाइट लेते हैं.इतना ही नहीं पारिवारिक समागम में भोजन को ले कर कुछ अलग ही तरह का सकारात्मक माहौल देखा जा सकता है.

शोध के बाद एक बात और सामने आई है कि एकसाथ खाने से मातापिता को अपने बेटे और बेटियों के स्वभाव, उन की अभिरुचि आदि का पता लगाने में मदद मिल सकती है.

बढ़ता है आत्मविश्वास

इस के अलावा जो बच्चे हमेशा अपने मातापिता के साथ खाते हैं, वे अपने कैरियर, दुनियादारी, मित्रों से सुकून भरे संबंध, स्वास्थ्य आदि के बारे में निर्णय लेने में काफी समझदार हो जाते हैं.

एकसाथ बैठ कर भोजन करने से न सिर्फ पारिवारिक सुकून व आनंद बढ़ता है, बल्कि यह स्वस्थ और तनावमुक्त रहने का भी एक आसान व प्रभावी तरीका है.

खाने की मेज पर जब पूरा परिवार एकसाथ होता है, तो एकदूसरे के बीच संवाद बढ़ता है, परिवार के लोग एक दूसरे के सुखदुख के बारे में जान पाते हैं. किसी के मन में कुछ भार है तो वह कम हो जाता है.

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घर के सदस्य अगर मिल कर भोजन करने की आदत डालें, तो इस से न केवल परिवार में खुशी बढ़ेगी उन में सामंजस्य भी बना रहेगा.

मातापिता बच्चों से बातचीत करते हैं, उन की दिनचर्या आदि पर चर्चा करते हैं तो इस का मानसिक प्रभाव बहुत अच्छा होता है. परिवार के साथ मन बांट लेने से बच्चों का आत्माविश्वाुस भी बढ़ता है. उन में जीवन के प्रति रूझान बढ़ता है और वे मेहनती बनते हैं.

तलाक के बाद सवालों के घेरे में

एक सफल शादी का सपना किसका नहीं होता, समय बदल रहा है और इस बदलते हुए समय में शादी टूटना कोई बड़ी बात नहीं है. यह सच है कि डाइवोर्स दोनो ही तरफ से एक दुखभरा समय होता है. परंतु यह और भी दुखभरा तब होता है जब आप को पता नहीं होता है कि आप के रिश्ते में क्या गलत हो रहा है और आप का पार्टनर या आप तलाक दे देते हैं. हालांकि यह समय आप के लिए बहुत कठिन समय होता है. पर  यह दुख हमेशा के लिए नहीं रहता है. हो सकता है आप उस समय बिल्कुल टूट जायें और अकेला महसूस करें.

वैसे भी पहले के मुकाबले अब तलाक के ग्राफ ज्यादा बढ़ गये हैं. जहां तलाक तो आसानी से हो जाते हैं, लेकिन मुश्किलें खड़ी होती हैं,तलाक के बाद. तलाक के बाद भी अक्सर लोग अपने पति-या पत्नी या अपने निजी कारणों को लेकर परेशानियां व सवालों के घरों में रहते हैं जैसे- अब क्या करें? कैसे सामना करें इन सवालों का? स्वयं को कैसे सम्भालें?  और इस दुख से कैसे खुद को बाहर लायें? आदि.

उदाहरण-

वाराणसी की रहने वाली 38 साल की रेनू तलाक शुदा हैं, और वो अपने माता-पिता के साथ रहती हैं. उनका कहना है कि, मैं मेरे परिवार में खुलकर नहीं रह पा रही हूं, क्योंकि मेरे सगे सम्बंधी ही मुझे बेवजह की सलाह देते हैं या अजीब अजीब से सवाल करते हैं. जिससे मुझे सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ये परिवार और रिश्तेदार ही मुझे तलाकशुदा महिला होने का बार-बार एहसास करवाते हैं, परेशान हो जाते हो समझ नहीं आता कि मैं, मेरी इस समस्या से कैसे निपटूंगी?

जवाब-

तलाक के बाद सबसे ज्यादा जरूरत होती है एक परिवार की, जो आपको आपको उस भयानक स्थिति से बाहर निकालने में मदद करता है. लेकिन रिश्तेदारों के ताने भी आम बात होते हैं. जो सपोर्ट के बाद भी कहीं न कहीं सामाजिक रूप से झुकाने का प्रयास करते हैं. इन सब से बचने के लिए आपको सबसे ज्यादा खुद की स्थिति समझने की जरूरत है, और वो कैसे समझेंगे जानिए.

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पहले अपनी स्थिति को समझें

आप अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं और तलाकशुदा हैं. आपके कोई बच्चे नहीं हैं, लेकिन आप उनके बच्चे हैं. वे समाज के प्रति जवाबदेह हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने स्वतंत्र या अग्रगामी सोच वाले व्यक्ति हैं. यह कलंक भारत में एक वास्तविकता है. इन लोगों से आपको बचने की कोई सलाह नहीं है. आपको इसका सामना करना सीखना होगा.

अपने आप पर कुछ दया कीजिए

आप को यह जानना चाहिए कि एक न एक दिन सभी के रिश्ते खत्म हो ही जाते हैं, चाहे उनके पीछे किसी की मौत हो या कोई गलत फहमी. परंतु यदि डाइवोर्स आप की वजह से हुआ है और अब आप स्वयं को दोषी मानते हैं तो आप को अपने आप पर थोड़ा प्यार दिखाना चाहिए. स्वयं को दोषी भरी निगाहों से न देखें. आपने जो भी फैसला लिया है वह आप के लिए सही है. अब आप उस स्ट्रेस भरे रिश्ते से निकल चुके हैं, अतः अपने आप पर फोकस करें, स्वयं को प्यार करें.

स्वयं को शोक जताने दे

किसी से बिछड़ने का दर्द बहुत दुखभरा होता है और यह ऐसा महसूस होता है मानो हमने किसी अपने को इस दुनिया से खो दिया है. किसी एक इंसान का आप की जिंदगी से पूरी तरह चले जाना जो आप की जिंदगी का कभी अहम हिस्सा हुआ करते थे, दुख तो देता है. इसलिए बेशक आप  बहुत ही मजबूत  हों, लेकिन आप को कभी कभार अपना दिल हल्का कर लेना चाहिए. यदि आप को उनकी याद आती है या डाइवोर्स के कारण बुरा लगता है तो आप को यह अनुभव दबा कर नहीं रखना चाहिए. आप को इसे बाहर निकालना चाहिए. अपने शोक को जाहिर करना कोई बुरी बात नहीं है. अतः स्वयं को शोक जताने दे.

कुछ अन्य आकांक्षाओं पर ध्यान दें

यदि आप उन्हे या इस समय को भूल ही नहीं पा रहे हैं तो ऐसा होता है कि जब आप की नई नई शादी होती है तो आप अपनी शादी व अपने पार्टनर के लिए अपनी कुछ आदतें व अपनी कुछ इच्छाएं छोड़ देतीं हैं. अधिकांश महिलाएं ऐसा ही करतीं हैं. वह शादी के समय अपनी शिक्षा, अपना कैरियर व अपने सपने छोड़ देती हैं. परंतु अब स्वयं को व्यस्त रखने व उन पुरानी यादों को भुलाने के लिए आप को अपने वह सपने पूरे करने का समय है, जो आपने किसी और के लिए अधूरे छोड़ दिए थे.

खुद को अपने पैरों पर खड़ा करें

तलाक के बाद इंसान पूरी तरह टूट जाता है. एक महिला के लिए ये सब सहन करना आसान नहीं है. लेकिन समय के साथ-साथ खुद को मजबूत भी आपको ही करना होगा. इसके लिए कुछ समय अपना मन शांत करने के बाद आप किसी व्यवसाय या नौकरी से जुड़िये, क्योंकि यही एक मात्र ऐसा विकल्प है जो आपको सामाजिक और आर्थिक नजरिये से उठने में मदद करता है. और अगर आप व्यस्त रहेंगी तो तनाव भी कम होगा.

जीवन में तय कीजिये दिशा

आपको सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो पहले खुद को जानने और समझने की. इसके लिए आप खुद से एक सवाल कीजिये कि आखिर आप अपने जीवन से क्या चाहती हैं. जिस दिन आपने अपने जीवन में एक सकारात्मक दिशा निर्धारित कर ली, उस दिन आपके व्यक्तिव पर सवाल उठाने वालों के हाथ झुक जाएंगे.

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कुछ समय बाद किसी दूसरे को डेट करना चाहिए

यदि आप भी मूव ऑन करके किसी अन्य व्यक्ति को डेट करने की सोच रहीं हैं तो लगभग आप को एक साल का इंतजार करना चाहिए. क्योंकि इस दौरान आप स्वयं को अपने साथ, खुश रखना सीख लेंगी. फिर आपको एक नए रिश्ते के लिए तैयार होने में किचन नहीं होगी. यदि आप डाइवोर्स के तुरन्त बाद किसी अन्य को केवल अपने अकेलेपन व बोरियत के लिए डेट कर रहीं हैं तो फिर आप उन के साथ भी वैसा ही कर रहीं हैं जैसा आप के साथ हो चुका है.

तलाक शब्द कहने में जितना छोटा होता है, उसकी चोट उतनी ही गहरी होती है. जब भी आप नया काम शुरू करते हैं, या फिर आप अपने पैरों पर खड़े होते हैं. तो आप अपने माता-पिता का आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं, और आप खुद को सामाजिक रूप से सक्रिय भी हो जाते हैं. इस लिए आप अपने जीवन में एक अच्छी पकड़ जरुर प्राप्त करें, जिसके बाद आप अपने व्यक्तित्व के जरिये शांत रह कर भी कुछ लोगों के मुंह पर ताला जड़ सकते हैं.

मैं भतीजी से प्यार करता हूं, क्या हम दोनों का विवाह संभव नहीं है?

सवाल

मैं 28 वर्षीय युवक हूं. एक लड़की से 2 साल से प्यार करता हूं. वह भी मुझे चाहती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं. लड़की के घर वालों को एतराज नहीं है, परंतु मेरे घर वाले इस शादी का विरोध कर रहे हैं. कारण लड़की दूर के रिश्ते में मेरी भतीजी लगती है. क्या हम दोनों का विवाह संभव नहीं है? यदि है तो मैं अपने घर वालों को कैसे मनाऊं?

जवाब

लड़की से चूंकि आप की दूर की रिश्तेदारी है, इसलिए यह आप के रिश्ते में आड़े नहीं आएगी. खासकर तब जब लड़की वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं है. आप को अपने घर वालों पर दबाव बनाना होगा. यदि आप की बात वे नहीं सुन रहे तो किसी सगेसंबंधी या पारिवारिक मित्र से मदद ले सकते हैं. वे उन्हें समझा सकते हैं कि इतनी दूर की रिश्तेदारी माने नहीं रखती. यदि लड़की आप के लिए उपयुक्त जीवनसंगिनी है और विवाह के लिए गंभीर है, तो घर वाले देरसवेर मान ही जाएंगे. लड़की के घर वाले भी उन्हें मना सकते हैं.

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‘‘सुनो, आप को याद है न कि आज शाम को राहुल की शादी में जाना है. टाइम से घर आ जाना. फार्म हाउस में शादी है. वहां पहुंचने में कम से कम 1 घंटा तो लग ही जाएगा,’’ सुकन्या ने सुरेश को नाश्ते की टेबल पर बैठते ही कहा.

‘‘मैं तो भूल ही गया था, अच्छा हुआ जो तुम ने याद दिला दिया,’’ सुरेश ने आलू का परांठा तोड़ते हुए कहा.

‘‘आजकल आप बातों को भूलने बहुत लगे हैं, क्या बात है?’’ सुकन्या ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा.

‘‘आफिस में काम बहुत ज्यादा हो गया है और कंपनी वाले कम स्टाफ से काम चलाना चाहते हैं. दम मारने की फुरसत नहीं होती है. अच्छा सुनो, एक काम करना, 5 बजे मुझे फोन करना. मैं समय से आ जाऊंगा.’’

‘‘क्या कहते हो, 5 बजे,’’ सुकन्या ने आश्चर्य से कहा, ‘‘आफिस से घर आने में ही तुम्हें 1 घंटा लग जाता है. फिर तैयार हो कर शादी में जाना है. आप आज आफिस से जल्दी निकलना. 5 बजे तक घर आ जाना.’’

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पत्नी को डांट कर नहीं तर्क से मनाएं

आज यशी बहुत अपसेट थी. उसे मयंक का चिल्लाना नागवार गुजरा था. सुबहसुबह उसे डांट कर मयंक तो चला गया मगर यशी का पूरा दिन बर्बाद हो गया. न तो उसे किसी काम में मन लगा और न ही उस ने किसी के साथ बात की. वह चुपचाप अपने कमरे में बैठी आंसू बहाती रही.

शाम को जब मयंक ऑफिस से लौटा तो यशी की सूजी हुई आंखें उस के दिल का सारा दर्द बयां कर रही थी. यशी की यह हालत देख कर मयंक का दिल भी तड़प उठा. उस ने यशी से बात करनी चाही और उस का हाथ पकड़ कर पास में बिठाया तो वह हाथ झटक कर वहां से चली गई. रात में मयंक ने बुझे मन से खाना खाया. उधर मयंक के मांबाप भी अपने कमरे में कैद रहे.

रात में जब यशी कमरे में आई तो मयंक ने कहा,” यशी बस एक बार मेरी बात तो सुन लो.”

यशी ने एक नजर उस की तरफ देखा और फिर चुपचाप नजरें फेर कर वहीं पास में बैठ गई.

मयंक ने समझाने के अंदाज में कहा,” देखो यशी मैं मानता हूं कि मुझ से गलती हुई है. सुबह जब तुम ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने की अपनी इच्छा जाहिर की तो मैं ने साफ मना कर दिया. तुम ने अपना पक्ष रखना चाहा और मैं तुम्हें डांट कर चला गया. यह गलत हुआ. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. अब मैं चाहता हूं कि हम इस विषय पर फिर से चर्चा करें. यशी पहले तुम अपनी बात कहो प्लीज.”

” मुझे जो कहना था कह चुकी और उस का जवाब भी मिल गया,” नाराजगी के साथ यशी ने कहा.

“देखो यशी ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें आगे बढ़ते देखना नहीं चाहता या फिर मुझे यह पता नहीं है कि तुम्हें फैशन डिजाइनिंग का कितना शौक है. ”

“फिर तुम ने साफसाफ मना क्यों कर दिया मुझे ?” यशी ने सवाल किया.

” देखो यशी मेरे न कहने की वजह केवल यही है कि अभी कोर्स करने का यह सही समय नहीं है.”

” लेकिन मयंक सही समय कब आएगा ? बाद में तो मैं घरगृहस्थी में और भी फंस जाऊंगी न.” यशी ने पूछा.

” लेकिन यशी तुम यह मत भूलो कि अभी बड़ी भाभी प्रेग्नेंट है और भाभी की अपनी मां भी जिंदा नहीं है. ऐसे में मेरी मां को ही उन्हें संभालने जाना होगा. नए बच्चे के आने पर बहुत सी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. भाभी अकेली वह सब संभाल नहीं पाएंगी. इसलिए मम्मी को कुछ महीने उन के यहां रहना पड़ सकता है.”

” हां यह तो मैं ने सोचा नहीं.”

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मयंक ने आगे समझाया,” देखो यशी हम दोनों को भी अब बेबी प्लान करना है. हमारी उम्र इतनी है कि अभी बेबी के आने का सब से अच्छा समय है”

” हाँ वह तो है.” शरमाते हुए यशी ने हामी भरी.

” फिर सोचो यशी अभी तुम्हारे पास कोई नया कोर्स ज्वाइन करने का वक्त कहां है ? भाभी की डिलीवरी के बाद जब मां यहां नहीं रहेंगी तो तुम अकेली सब कुछ कैसे संभालोगी ? तुम अपनी पढ़ाई को उतना समय नहीं दे पाओगी जितना जरूरी है. फिर जब तुम खुद प्रेग्नेंट रहोगी तब भी पढ़ाई के साथ सब कुछ संभालना बहुत मुश्किल होगा.”

” तो क्या मैं यह सपना कभी पूरा नहीं कर पाऊंगी?”

“ऐसा नहीं है यशी. फैशन डिजाइनिंग कोर्स तो कभी भी किया जा सकता है. ऐसा तो है नहीं कि तुम्हारी उम्र निकल जाएगी. चारपांच साल घरगृहस्थी को देने के बाद फिर आराम से कोर्स करना और डिज़ाइनर बन जाना. तब तक बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाएगा तो मां उसे आराम से संभाल लेंगी. तब निश्चिंत हो कर तुम यह पढ़ाई कर सकोगी. तब तक घर में रह कर ही अपने हुनर को निखारने का प्रयास करो. नएनए एक्सपेरिमेंट्स करो और डिजाइनर कपड़े तैयार करो. तुम्हारा एक आधार भी बन जाएगा और मन का काम भी कर सकोगी.”

यह सब सुनने के बाद अचानक यशी मयंक के गले लगती हुई बोली,” सॉरी मयंक मैं तुम्हें समझ नहीं पाई. तुम्हारा कहना सही है. मैं ऐसा ही करूंगी.”

अब जरा इस घटना पर गौर करें. मयंक यदि अपनी पत्नी यशी को इस तरह समय रहते समझाता नहीं और तर्क के साथ अपनी बात न रखता तो पतिपत्नी के बीच का तनाव लंबे समय तक यूं ही कायम रहता. धीरेधीरे इस तरह के छोटेछोटे तनाव ही रिश्तों में बड़ी दरारें पैदा करती हैं.

जरूरी है कि पति अपनी पत्नी को डांटने के बजाय तर्क से समझाने का प्रयास करें. इस से पत्नी बात अच्छी तरह समझ भी जाएगी और उसे बुरा भी नहीं लगेगा. घर भी लड़ाई का अखाड़ा बनने से बच जाएगा.

पतियों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी विषय पर जब पत्नी के साथ आप सहमत नहीं है तो उन्हें दूसरों के आगे डांटने चुप कराने या खुद मुंह फुला लेने से बेहतर है कि ऐसी नौबत ही न आने दें. यदि पत्नी किसी बात पर नाराज हो भी गई है तो झगड़े को लंबा खींचने के बजाय पतिपत्नी आपस में बात करें और तर्क के साथ अपना पक्ष रखें. पत्नी को भी बोलने का मौका दें कुछ इस तरह——-

1. सब से पहले अपनी व्यस्त दिनचर्या में से थोड़ा फ्री समय निकालें. इस वक्त न तो आप का मोबाइल पास में हो और न ही लैपटॉप. केवल आप हों और आप की पत्नी.

2. अब अपनी पत्नी के पास बैठें. डांट कर नहीं बल्कि शांति और प्यार से बातचीत की पहल करें.
जब भी पत्नी को मनाने की शुरुआत करें तो सब से पहले पत्नी को बोलने का मौका दें. शांत दिमाग से उस की पूरी बात सुनें. फिर अपनी बात सामने रखें. बात करते समय पुराने अनुभवों और मजबूत तर्कों का सहारा ले.

3. पत्नी कुछ विरोध करे तो तुरंत उस की बात काट कर अपनी बात थोपें नहीं बल्कि उस की बात गौर से सुने और फिर पुराने अनुभवों की याद दिला कर अपनी बात समझाने का प्रयास करें.

4. हर बात के 2 पक्ष होते हैं. पत्नी के सामने दोनों पक्ष रखें और फिर तर्क से साबित करें कि क्या उचित है.

5. अपना तर्क पुख्ता करने के लिए किसी तीसरे की जरूरत हो तभी तीसरे को बुलाएं. वरना आपस में ही समझदारी से अपने झगड़े सुलझाने का प्रयास करें.

6. इस सारी बातचीत के दौरान अपनी टोन पर खास ध्यान रखें. किसी भी बात पर जोर से न बोले. हमेशा आराम से और प्यार से बात करें.

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7. यदि कभी आप को लगे कि वाकई पत्नी सही है, उस के तर्क भारी पड़ रहे हैं तो पत्नी की बात मानने से हिचकिचाएं नहीं. जरूरी नहीं कि हमेशा आप ही सही हों. कई बार पत्नी भी सही हो सकती है.

याद रखें

आप अपनी पत्नी को जीवनसाथी बना कर लाए हैं. वह आप की अर्धांगिनी है. उस की इज्जत का ख्याल रखना आप का दायित्व है.

आप जिस माहौल में पलेबढ़े हैं उसी अनुरूप किसी चीज को देखने का आप का नजरिया विकसित होगा. मगर आप को अपनी बीवी की सोच और तर्कों को भी तरजीह देनी चाहिए. महिलाएं भी तर्कसंगत बातें कर सकती हैं. उन्हें अपने तर्क रखने का मौका दें.

आप को पत्नी के साथ पूरा जीवन गुजारना है. उसे डिप्रेशन का मरीज न बनाएं. डांटने पर उसे लगेगा कि आप प्यार नहीं करते. इस से तनाव बढ़ेगा. यदि आप उस की भी कुछ बातें मान लेंगे तो आप की सेल्फ रिस्पैक्ट में कोई कमी नहीं आ जाएगी.

जलन क्यों नहीं जाती मन से

जलन एक सामान्य भावना है. सब का अपने जीवन में इस भावना से सामना होता ही है, चाहे कोई इसे स्वीकार करे या न करे, पर यह भावना एक स्वस्थ भाव से अस्वस्थ और हानिकारक भाव में बदल जाए, तब चिंता की बात है.

जलन के भी अनेक रूप होते हैं. यह केवल दूसरों की उपलब्धियों को सहन कर पाने की अक्षमता के रूप में हो सकती है या इस में यह इच्छा भी शामिल हो सकती है कि वे उपलब्धियां हमें हासिल हों. हम यह चाहें कि हमारे पास वह हो जो दूसरों के पास हो और हम यह भी चाह सकते हैं कि उस के पास वह चीज न रहे.

जलन अकसर ही क्रोध, आक्रोश, अपर्याप्तता, लाचारी और नफरत के रूप में भावनाओं का एक संयोजन होता है. यह एक मानसिक कैंसर है.

‘जलन तू न गई मेरे मन से…‘ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित एक निबंध है. इस में लेखक ने जलन होने के कारण और उस से होने वाले नुकसानों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है. जलनलु व्यक्ति असंतोषी प्रवृत्ति के होते हैं.

लेखक रामधारी सिंह दिनकर ने जलन की बड़ी बेटी का नाम निंदा बताया है. जलन के कारण ही व्यक्ति दूसरों की निंदा करता है. जो व्यक्ति सादा व सरल होता है, वह यह सोच कर परेशान होता है कि दूसरा व्यक्ति मुझ से क्यों जलन करता है.

ईश्वर चंद्र विद्या सागर ने भी एक बार कहा था कि, ‘‘तुम्हारी निंदा वही करता है, जिस की तुम ने भलाई की है.‘‘

और जब महान लेखक नीत्से इस से हो कर गुजरे, तो इसे उन्होंने बाजार में भिनभिनाने वाली मक्खी बताया, जो सामने व्यक्ति की तारीफ और पीठ पीछे उसी की बुराई करती है. वे कहते हैं, ‘‘ये मक्खियां हमारे अंदर व्याप्त गुणों के लिए सजा देती हैं और बुराइयों को माफ कर देती हैं.’’

नीत्से ने कहा है, आदमी के गुणों के कारण लोग उन से जलते हैं.

जलन जब किसी अजनबी के कारण आप तक पहुंचे तो भी तकलीफ देती है. तो जरा सोचिए, जब जलन किसी प्यार भरे रिश्ते में अपने पैर पसार ले तो कितने दुख की बात होगी.

जब पति को ही अपनी पत्नी से किसी बात पर जलन होने लगेगी तो जलन की यह भावना आप के विवाह में कितनी अशांति ला सकती है. थोड़ीबहुत जलन की भावना सभी के अंदर हो सकती है, पर जब यह बढ़ जाए तो खतरनाक चीजों की शुरुआत कर सकती है, जैसे स्टाकिंग, हिंसा या मानसिक प्रताड़ना.

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मुंबई निवासी संजना देशमुख बताती हैं, ‘‘मेरे पति और मैं एक ही बिजनैस में थे और हम दोनों को ही बहुत टैलेंटेड समझा जाता था, वे शुरू के दिन थे और हम ने बहुत अच्छा काम किया. हम हर चीज शेयर करते थे. मुझे एक अवार्ड भी मिला और मेरी खूब तारीफ हुई.

‘‘मुझे महसूस हुआ कि मेरे पति को कुछ जलन हुई, पर मैं इस खयाल को झटक फिर खूब काम करती रही, फिर हम ने बच्चों के बारे में सोचा और मैं ने करीब 20 साल तक काम नहीं किया, घरगृहस्थी में व्यस्त रही.

‘‘यह मैं ने अपनी मरजी से किया था. मेरे पति बहुत खुश थे और मुझे सपोर्ट करते. फिर मैं ने दोबारा कैरियर शुरू किया और फिर मुझे अच्छे रिव्यूज मिले और नई सफलता मिलने लगी.

‘‘अब मेरे पति को इन सब से परेशानी होने लगी. वे मेरी सफलता को ले कर कमैंट्स करने लगे और हर समय मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करने लगे. इस से हमारे रिश्ते पर बहुत असर हुआ. मैं अब खुद को उन से जुड़ा हुआ नहीं पाती. ऐसा लगता है कि मुझे अपने रिश्ते या कैरियर में से किसी एक को चुनना पड़ेगा.‘’

कभीकभी पति में यह भाव इस कदर हावी हो जाता है कि वे अपनी पत्नी की हर बात कंट्रोल करना शुरू कर देते हैं और अपनी यह जलन की भावना छुपाने के लिए उसे आर्थिक रूप से परेशान भी करते हैं या हाथ भी उठाने लगते हैं और बुराभला भी कहते रहते हैं.

कारण क्या हो सकते हैं

अकसर जलनलु पतियों में डर, क्रोध, दुख, चिंता, शक की भावना होती है. उन में असफलता का डर भी छुपा हो सकता है. जलन कई कारणों से हो सकती है, कुछ कारण हैं –

– असुरक्षित महसूस करना या अपने अंदर हीनता की भावना होना.

– किसी धोखे का डर.

– बहुत ज्यादा पजेसिव होना या कंट्रोल करने की इच्छा.

– विवाह में कुछ ज्यादा ही आशाएं रखना.

– अतीत का कोई बुरा अनुभव.

– किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को खो देने की चिंता

यह जलन रिश्ते को नुकसान पहुंचाती है. यह भावना जलनलु व्यक्ति को शारीरिक रूप से भी परेशान करती है. वह डिप्रेशन या नींद न आने का शिकार हो सकता है. यह रिश्ता हाथ से निकले, इस से पहले इस के बारे में कुछ कदम उठाने चाहिए. जलन से कैसे निबटें, आइए जानते हैं :

– कई लोग या कई स्थितियां कभीकभी ऐसी होती हैं, जब विवाह की सिक्योरिटी पर सवाल उठाती हैं, चाहे वो कोई कलीग हो या टूर पर जाने वाला जौब. इस में थोड़ीबहुत जलन नौर्मल है.

यहां यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने पार्टनर से इस बारे में बात करती रहें और कुछ बाउंड्रीज सेट हो, जो आप के विवाह और आप के दिलों को जोड़े रखे.

जैसे आप दोनों इस बात से सहमत हों कि फ्लर्ट कलीग से एक दूरी रखनी है और टूर पर होने पर रोज बेडटाइम पर बात करनी है और कोई समस्या होने पर शांति से उसे सुलझाना है.

– जब पति को बारबार किसी बात पर जलन हो रही हो तो कारण का पता लगाना बहुत जरूरी है. जैसे अगर आप उन के साथ ज्यादा टाइम नहीं बिता पा रही हैं, तो क्या वे इनसिक्योर हो रहे हैं? या विवाह में अनैतिकता के कारण ट्रस्ट इश्यूज हैं, बात करें, कारण जानें, विश्वास का माहौल बना कर रखें. साथ ही साथ ज्यादा टाइम बिताएं.

– विवाह का मतलब साथ रहना या बेड शेयर करना ही नहीं होता. पर, अगर जलन का कोई कारण ही नहीं है तो खतरे को समझें, फिर यह स्वभाव ही है, जिस में बारबार जलन रखने की आदत है.

40 वर्षीया सोमा बताती हैं, ‘‘मैं और मेरे पति दोनों ही मैथ्स के टीचर हैं. मेरे पास ट्यूशन्स के ज्यादा बच्चे आते गए. वे अच्छा पढ़ाते हैं, पर मेरे पास ज्यादा स्टूडेंट्स हैं. अकसर ही वे मुझ पर बिना बात के गुस्सा करने लगे, बातबेबात नाराज हो जाते. मुझे कारण समझ आ रहा था. मैं खुद ही ट्यूशन्स कम लेने लगी, जबकि मैं बच्चों को पढ़ाना बहुत ऐंजौय करती हूं.‘‘

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कभीकभी यह इनसिक्युरिटी बढ़ जाती है, जब पार्टनर आप की लोकप्रियता, कौन्फिडेंस और लुक्स के मामले में अपने को कम समझने लगा हो.

मनोवैज्ञानिक डाक्टर कुलकर्णी कहते हैं, ‘‘रोज 1-2 कपल ऐसे आते हैं, जिन के रिश्ते में झगडे़, कम बातचीत और प्यार खोता जा रहा है. ऐसे मामलों में अकसर जलन देखने को मिल रही है. पार्टनर की प्रोग्रेस सहन नहीं होती है, विशेष रूप से जब पत्नी ज्यादा सफल होती जा रही हो, क्योंकि पुरुष को तो यही सिखाया जाता है कि सबकुछ उस के कंट्रोल में होना चाहिए. जब पत्नी की प्रोफेशनल रैंक और सैलरी पति से ज्यादा हो जाए, तो पति को कंट्रोल खोने का डर सताने लगता है.

जलन एक ऐसा शब्द है जो औरों के जीवन में भी परेशानियां ले आता है और खुद को भी बहुत नुकसान पहुंचाता है. यदि आप किसी को खुशी नहीं दे सकते तो कम से कम दूसरों की खुशी देख कर जलिए मत. खुद को जलन की आग में न जलाएं. पति को ही अपनी पत्नी से जलन नहीं हो सकती, बल्कि आप के साथ काम करने वाले कलीग्स, जिन्हें आप अपना दोस्त समझने लगते हैं, उन के अंदर तो जलन की भावना बहुत ही आम है. लगभग हर इनसान को अपने जीवन में किसी न किसी जलनलु कलीग का सामना करना ही पड़ जाता है. कोई आगे बढ़ रहा है, किसी की उन्नति हो रही है, नाम हो रहा है, तो अधिकांश लोग ऐसे देखने को मिल जाएंगे, जो पहले यह सोचेंगे, कैसे बढ़ते हुए लोगों की राह का रोड़ा बना जाए, उन्हें कैसे नीचे दिखाया जाए, कैसे समाज में उन का मजाक बने, कैसे उन्हें दुखी किया जाए. जो कलीग्स आप से जलते हैं, उन की पहचान करना जरूरी है, कौन आप से जलता है, कौन नहीं, इन लक्षणों से पहचानिए:

– जलनलु व्यक्ति हमेशा आप के मुंह पर आप की तारीफ करेगा, चाहे यह आप की ड्रेसिंग सेंस हो या काम से संबंधित आप की अचीवमेंट्स. वह आप को बड़े उत्साह से खूब बधाई देगा. वह आप को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा. आप के लिए यह पता लगाना मुश्किल होगा कि वह आप से जलता है या नहीं.

ऐसे व्यक्ति से कैसे निबटें

– जब आप महसूस करें कि नकली बधाइयां दी जा रही हैं, तनाव में न आएं. उन के फ्लैटरिंग कमैंट्स को इग्नोर करें, सीधेसीधे बात करें और कह दें कि फेक कंप्लीमेंट्स न दें.

– जब आप की औफिस में तारीफ हो रही होगी, जलनलु लोग हमेशा आप की मेहनत के बजाय किस्मत को क्रेडिट देंगे और अपनी किस्मत को कोसेंगे. उन के लिए आप की सफलता सिर्फ लक बाय चांस ही है.

– जब कभी ऐसा हो, तो अपनी सफलता के कारण ऐसे लोगों को न बताएं. वे जल्दी ही आप के बारे में बात करना बंद कर देंगे.

– अगर आप किसी वजह से परफौर्म नहीं कर पाए, तो इन्हें बड़ा संतोष मिलता है. वे आप की हार पर खुश होंगे. वे आप की असफलता का जश्न मना कर खुश होते हैं. ये जेलस कलीग्स आप की पर्सनल लाइफ में भी रुचि रखते हैं और हर बात में आप की नकल करने की भी कोशिश करते हैं.

– ऐसे लोगों को इग्नोर करें और उन की बातों में कोई रुचि न लें.

– ऐसे लोग आप की पीठ पीछे बुराई करते हैं. जब आप अपने बारे में ही कोई अफवाह सुनें तो ऐसे दोस्तों से अलर्ट हो जाएं, जिन के डबल स्टैंडर्ड हैं. उन की जलन बहुत हद तक खतरनाक हो सकती है, इतनी कि वे अपनी सारी ऐनर्जी आप की इमेज खराब करने में लगा सकते हैं.

उन की ऐसी हरकतों से आप तनाव में आ कर दुखी हो कर एक कोने में न बैठें, उन्हें कंफ्रंट करें, उन्हें अपनी हरकतें बंद करने के लिए कहें. आप शालीनता से अपने मैनेजर से भी इस बारे में बात कर सकती हैं.

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– जीवन में किसी न किसी जलनलु व्यक्ति से सामना होता ही रहेगा. इस भावना से खुद को प्रभावित न होने दें. मुश्किल है, असंभव नहीं.

– आप अपना काम मेहनत से करते रहें, खुद को जलन के नेगेटिव टच से दूर रखने की कोशिश करें, इग्नोर करना सब से अच्छा है.

बीवी कोई रसोइया नहीं

आज आधुनिक शिक्षा स्त्री एवं पुरुष को एकजैसी योग्यता और हुनर प्रदान करती है. दोनों घर से बाहर काम पर जाते हैं, एकसाथ मिल कर घर चलाते हैं पर जब बात खाना बनाने की होती है तो आमतौर पर किचन में घर की महिला ही खाना बनाती है जबकि खाना बनाना सिर्फ महिलाओं का ही एकाधिकार नहीं है बल्कि एक जरूरत है.

यह महिलाओं के अंदर ममता एवं सेवा की एक अभिव्यक्ति जरूर है और जिस का कोई अन्य विकल्प नहीं, पर यह विडंबना ही है कि आज भी हमारे समाज में एक औरत से ही यह उम्मीद की जाती है कि रसोई में वही खाना बना सकती है और यही उस का दायित्व है.

औरत का काम सिर्फ खाना बनाना नहीं

एक मशहूर कहावत है कि पैर की मोच और छोटी सोच आदमी को आगे नहीं बढ़ने देती. यह किसी पुरुष पर उंगली उठाने की बात नहीं है, बल्कि समाज की उस सोच की बात है जो यह मानती रही है कि आदमी का काम है पैसा कमाना और औरत तो घर का काम करने के लिए ही बनी है.

जमाना काफी बदल गया है पर आज भी इस सोच वाले बहुत हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गर्व से कहते हैं कि वे घर के काम में अपनी मां या पत्नी की सहायता करते हैं, लेकिन इस सोच वाले पुरुषों की संख्या बेहद कम है.

‘केवल पत्नी ही किचन के लिए बनी है, पति नहीं’ ऐसी सोच रखने का कारण क्या है और यह भारतीय समाज की ही सोच क्यों बन कर रह गई?

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एक कारण तो यही है कि सदियों से महिलाओं को भारतीय समाज में चारदीवारी के अंदर रहना सिखाया गया है. ऐसा नहीं है कि इस मामले में बदलाव की हवा नहीं चली. कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो इस गुलामी की मानसिकता से आजाद हो चुकी हैं पर उन की गिनती उंगलियों पर गिनने लायक है.

महिलाओं और किचन के बीच उन के काम, समाज में उन की स्थिति, उन के शौक, उन की रूचि, घर का वातावरण और रीतिरिवाजों से ले कर बाजार तक बहुत कुछ आ जाता है. इन सब के चक्कर में वे खुद को ही भूलने सी लगती हैं.

मशीनी जिंदगी और…

जैसे शुक्रवार शाम से ही अंजलि भी कुछ रिलैक्स करने के मूड में आ गई. बच्चे रिंकी व मोनू और उस के पति विकास आजकल घर से ही औनलाइन काम कर रहे थे. बच्चों की औनलाइन क्लासेज रहतीं पर उस के काम बहुत बढ़ गए थे.

लौकडाउन के चलते कामवाली भी नहीं आ रही थी. सब घर पर ही थे. मगर इधर फरमाइशें कभी खत्म ही न होती थीं.

उस का भी मन हो आया कि वैसे तो तीनों सुबह 8 बजे अपनेअपने काम पर बैठ जाते हैं और वह पूरे सप्ताह ही भागदौड़ में लगी रहती है मगर अब उस का मन भी हो गया कि स्कूल और औफिस की छुट्टी है तो वह भी कुछ आराम करेगी. उसे भी अपने रूटीन में कुछ बदलाव तो लगे. वही मशीनी जिंदगी… कुछ तो छुटकारा मिले.

इतने में विकास और बच्चे भी उस के पास आ कर बैठ गए. बच्चों ने कहा,”मम्मी, देखो अनु ने फोन से अपनी मम्मी की कुकिंग की पिक्स भेजी हैं. उस की मम्मी ने पिज्जा  और कटलैट्स बनाए हैं. आप भी कल जरूर बनाना.‘’

”मैं तो थोड़ा आराम करने की सोच रही हूं, कुकिंग तो चलती ही रहती है. थोड़ा स्किन केयर की सोच रही थी, ब्यूटी पार्लर्स बंद हैं. कल थोड़ी केयर अपनेआप ही करती हूं. मन हो रहा है कुछ खुद पर ध्यान देने का.”

विकास ने कहा ,”अरे छोड़ो, ठीक तो लग रही हो तुम. बस, वीकेंड पर बढ़ियाबढ़िया चीजें बनाओ.”

अंजलि का मन बुझ गया. घर के ढेरों कामों के साथ किसी की कोई सहायता नहीं. बस फरमाइशें. उसे बड़ी कोफ्त हुई. वह चुप रही तो विकास ने कहा,”अरे, इतना बङा मुंह बनाने की बात नहीं है. लो, मेरे फोन में देखो, अनिल की बीवी ने आज क्या बनाया है…”

बच्चे चौंक गए,”पापा, हमें भी दिखाओ…”

विकास ने अपने फोन में उन्हें रसमलाई की फोटो दिखाई तो बच्चों के साथ विकास भी शुरू हो गए,”अब तुम भी कल बना ही लो. बाजार से तो अभी कुछ आ नहीं सकता. अब क्या हम अच्छी चीजें औरों की तरह नहीं खा सकते?”

अंजलि ने कहा,” उस की पत्नी को शौक है कुकिंग का. मुझे तो ज्यादा कुछ बनाना आता भी नहीं.”

”तो क्या हुआ,अंजलि. गूगल है न… यू ट्यूब में देख कर कुछ भी बना सकती हो.”

फिर हमेशा की तरह वही हुआ जो इतने दिनों से होता आ रहा था. वह वीकेंड में भी किचन से निकल नहीं पाई. उस का कोई वीकेंड नहीं, कोई छुट्टी नहीं.

इच्छाओं का दमन न करें

पति और बच्चों के खाने के शौक से वह थक चुकी है. ज्यादा न कहते नहीं बनता. बस फिर अपनी इच्छाएं ही दबानी पड़ती हैं. सोचती ही रह जाती है कि कुछ समय अपने लिए चैन से मिल जाए तो कभी खुद के लिए भी कुछ कर ले. पर इस लौकडाउन में इन तीनों के शौकों ने उसे तोड़ कर रख दिया है.

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मंजू का तो जब से विवाह हुआ वह पति अजय और उस के दोस्तों को खाना खिलाने में ही जीवन के 20 साल खर्च चुकी है.

वह अपना अनुभव कुछ यों बताती है,”शुरूशुरू में मुझे भी अच्छा लगता था कि अजय को मेरा बनाया खाना पसंद है. मुझे भी यह अच्छा लगता कि उस के दोस्त मेरी कुकिंग की तारीफ करते हैं. बच्चे भी अपने दोस्तों को बुला कर खूब पार्टी करते.मैं जोश में सौस, अचार, पापड़ सब घर पर ही बनाती. इस से मेरी खूब तारीफ होती. धीरेधीरे मेरा मन ही कुकिंग से उचटने लगा. जहां मैं कुकिंग की इतनी शौकीन थी, वहीं अब एक समय ऐसा आया कि खाना बनाने का मन ही नहीं करता. सोचती कि क्या खाना ही बनाती रहूंगी जीवन भर?

“फरमाइशें तो रुकने वाली नहीं, क्या अपने किसी भी शौक को समय नहीं दे पाऊंगी? पैंटिंग, म्यूजिक, डांस, रीडिंग आदि सब भूल चुकी थी मैं. अब अजीब सा लगने लगता कि कर क्या रही हूं मैं? अगर कोई मुझ से मेरी उपलब्धि पूछे तो क्या है बताने को? यही कि बस खाना ही बनाया है जीवनभर… यह तो मेरी कम पढ़ीलिखी सासूमां और मां भी करती रही हैं.

“मुझे अचानक कुछ और करने का मन करता रहता. मैं थोड़ी उदास होने लगी.

एक दिन रविवार को बच्चों और पति ने लंबीचौड़ी फरमाइशों की लिस्ट पकड़ाई, तो मेरे मुंह से निकल ही गया कि मैं कोई रसोइया नहीं हूं. मुझे भी तुम लोगों की तरह रविवार को कभी आराम करने का मौका नहीं  मिल सकता?

“मेरी बात पर सब का ध्यान गया तो सब सोचने पर मजबूर हुए. मैं ने फिर कहा कि ऐसा भी कभी हो सकता है कि एक दिन मुझे छुट्टी दो और एकएक कर के खुद कुछ बनाओ. अब तो बच्चे भी बड़े हो गए हैं.‘’

“मैं बड़ी हैरान हुई जब मेरा यह प्रस्ताव मान लिया गया. उस दिन से सब कुछ न कुछ बनाने लगे. कभी मिल कर, कभी अकेले किचन में घुस जाते. फिर मुझे जब सब का सहयोग मिलने लगा तो मैं ने कुछ दिन अपने डांस की खुद प्रैक्टिस की, फिर घर में ही क्लासिकल डांस सिखाने लगी.

इस काम में मुझे बहुत संतोष मिलने लगा. बहुत खुशी होती है कि आखिरकार कुछ क्रिएटिव तो कर रही हूं. अब खाली समय में कुकिंग करना बुरा भी नहीं लग रहा है.”

न भूलें अपनी प्रतिभा

हम में से कई महिलाएं अकसर यह गलती कर देती हैं कि अपने शौक, अपनी रूचि, अपनी प्रतिभा को भूल कर बस परिवार को खुश करने के लिए अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बिता देती हैं.

परिवार का ध्यान रखना, उन की पसंदनापसंद का ध्यान रखना कोई बुरी या छोटी बात नहीं है. एक स्त्री अपना अस्तित्व भुला कर यह सब करती है, पर आजकल यह भी देखा गया है कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें यह कहने में जरा भी संकोच नहीं लगता कि मां,आप को क्या पता है, किचन के सिवा आप को कुछ भी तो नहीं आता.

यही हुआ नीरा के साथ, जब उस की बेटी एक दिन कालेज से आई, तो उस से पूछ लिया, “प्रोजैक्ट कैसा चल रहा है, कितना बाकी है?”

बेटी का जवाब था,”मां, आप प्रोजैक्ट रहने दो, खाना बनाओ.”

नीरा कहती हैं,”यह वही बच्चे हैं जिन के लिए मैं ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. आज मुझे इस बात का बहुत दुख है. मैं जिस कुकिंग को अपना टेलैंट समझती रही, वह तो एक आम चीज है, जो कोई भी बना लेता है. अपने पैरों पर खड़े हो कर जो संतोष मिलता है, उस की बात ही अलग होती है.”

आजकल के पति और बच्चे भी इस बात में गर्व महसूस करते हैं जब उन की पत्नी या मां कुछ क्रिएटिव कर रही हों.

25 साल की नेहा का कहना है, ”मम्मी जब गणित की ट्यूशन लेती हैं, तो बड़ा अच्छा लगता है. मेरे दोस्त कहते हैं कि आंटी कितनी इंटैलीजैंट हैं, 12वीं का मैथ्स पढ़ाना आसान नहीं.

“मम्मी जब ज्यादा थकी होती हैं, तो हमलोग खाना बाहर से और्डर कर लेते हैं या उस दिन सभी मिल कर खाना बना लेते हैं.”

सोशल मीडिया पर प्रदर्शन क्यों

सर्वगुण संपन्न होने की उपाधि लेने के लिए अनावश्यक तनाव अपने ऊपर न लें. कुक द्वारा बनाए खाने को भी प्यार से सब को परोस कर घर का माहौल प्यारभरा बनाया जा सकता है.

गुस्से में बनाया हुआ खाना यदि तनावपूर्ण माहौल में खाया जाए तो वह तनमन पर अच्छा प्रभाव नहीं डालता है.

किचन की बात हो और वह भी इस लौकडाउन टाइम में, महिलाओं ने अपनी कुकिंग स्किल्स की सारी की सारी भड़ास जैसे सोशल मीडिया पर ही निकाल दी. कभी अजीब सा लगता है कि यह क्या, कुकिंग ही कर कर के लौकडाउन बिताया जाता रहेगा?

वहीं अंजना को कुकिंग का बहुत शौक है. वह खुद मीठा नहीं खाती फिर भी अपने पति और बच्चों के लिए उसे कुछ बना कर खुशी मिलती है. उस का कहना है कि उस के पति और बेटा मना करते रह जाते हैं कि हमारे लिए मेहनत मत करो, जो खुद खाना हो वही बना लो, पर उसे अच्छा लगता है उन दोनों के लिए बनाना. जब वे दोनों सो रहे होते हैं तो वह चुपचाप उन्हें सरप्राइज देने के लिए कुछ न कुछ बना कर रखती है, जिस से लौकडाउन के समय में कोई बाहर की चीज के लिए न तरसे.

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सपनों को पंख दें

कुकिंग का शौक आप को है तो अलग बात है पर यह नहीं होना चाहिए कि सब अपनी लिस्ट आप को देते रहें और आप को कुकिंग का शौक ही न हो. कुकिंग आप पर लादी नहीं जानी चाहिए. किचन के रास्ते पर जाना आप की पसंद पर होना चाहिए, मजबूरी नहीं.

ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप कुछ और क्रिएटिव करना चाहती हैं और आप को उस का मौका ही न मिले. आप को अगर सचमुच कुछ क्रिएटिव करने का मन है तो जरूर करें.

रोजरोज की फरमाइशों से तंग आ चुकी हैं तो अपने परिवार को प्यार से समझाइए कि आप सहयोगी बन कर जीना चाहती हैं, रसोइया बन कर नहीं. आप को और भी कुछ करना है. किचन के बाहर भी आप की एक दुनिया हो सकती है. आप को बस उस का रास्ता खुद बनाना है. आप ही किचन से बाहर नहीं निकलना चाहेंगी तो दूसरा आप के लिए रास्ता नहीं बना सकता, इसलिए कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश जरूर करें. घर के कामों में सब से हैल्प लेना कोई शर्म की बात नहीं. अब वह जमाना नहीं है कि घर की हर चीज एक औरत के सिर पर ही टिकी है. सब मिल कर कर सकते हैं ताकि आप अपने सपने को पंख दे सकें.

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