कहीं आपका पार्टनर चीटिंग तो नहीं कर रहा ?

इस दुनिया में किसी के लिए भी सबसे मीठा एहसास होता है प्यार.  आप किसी शख्स को दिल से चाहें और वह भी आपको उतनी ही निष्ठा के साथ प्रेम करे, तो इससे अच्छी और कोई फिलिंग हो ही नहीं सकती. प्रेम करने वाला बदले में प्रेम की ही आस रखता है. लेकिन इंसान प्यार में हमेशा वफादार रहे, ये जरूरी नहीं है. विश्वासघात, बेवफाई, धोखा, चीटिंग ये सब सिर्फ शब्द नहीं हैं बल्कि मजबूत से मजबूत रिश्ते के नींव हिलाने के लिए काफी हैं. कई लोग अपने पार्टनर को चीट करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, कुछ सालो में ऐसे काफी सारे केसेस सामने आए हैं, जिनमें अक्सर शादी के बाद पार्टनर चीट करते हैं और आज के समय तो ये समस्या बेहद आम हो गई है.

लेकिन इस बात का पता लगाना कि आपका पार्टनर वास्तव में आपके साथ चीट कर रहा है या नहीं, जानना थोड़ा मुश्किल है. कटा-कटा रहना, आदतों में एकदम से बदलाव, काफी हद तक रिलेशनशिप में चीटिंग को दर्शता है. आपका पार्टनर विश्वासपात्र है या नहीं और कहीं वो अपकों धोखा तो नहीं दे रहा. जानिए इन संकेतों से जो बताते हैं कि कहीं आपका पार्टनर आपके साथ चीटिंग तो नहीं कर रहा.

1. व्यवहार में बदलाव

सबसे बड़ी पहचान यही है कि पार्टनर के व्यवहार में बदलाव होने लगता है. ‘मैं बोर हो गया हूँ’ जैसे शब्दों से समझ में आने लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. दीप्ति माखीजा के अनुसार, पार्टनर जब चीट करने लगता है तो अपने आप ही कुछ क्लू या बातें सामने आने लगती है, जिन्हें बस समझने की देरी है. जैसे उसके बोल होने लगते हैं, ‘तुम्हें बोलने का तरीका नहीं है ? अपना वजन कम करो, मोटी हो गई हो. साथ ही, आपके पार्टनर आपकी तुलना किसी दूसरे-तीसरे से करने लगते हों, बेवजह आपकी गलती निकालने लगे हों, आपकी किसी एक छोटी सी गलती पर आपको गैरजिम्मेदार ठहराने लगें हों, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए, खासकर तब जब ऐसा पहले कभी नहीं होता था. यह न समझें कि अब वह ऐसा करके आपको शर्मिंदा महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा कोई इंसान तभी करता है जब वह अपने पुराने रिश्ते को तोड़ कर किसी और के साथ रिश्ते बनाना चाहता है.

2. दिनचर्या में बदलाव

दैनिक दिनचर्या में लगातार आने वाले बदलाव भी पार्टनर के आपको धोखा देने के संकेत हो सकते हैं.  जैसे, अचानक अपने वोडरोब में कपड़ों को बदलना, खुद पर ज्यादा ध्यान देने लगना, आईने में खुद को निहारते रहना, आपके आने पर सतर्क हो जाना, मतलब कुछ तो गड़बड़ है. पहले की तरह आपमें रुचि न दिखाना, क्योंकि पहले आप दोनों एकदूसरे के नजदीक जाने के बहाने ढूंढा करते थे और अब आपका पार्टनर आपसे दूर जाने के बहाने ढूँढने लगें, कमीटमेंट से घबराने लगे तो समझिए वह आपको धोखा दे रहे हैं.  इसके अलावा आपसे बेवजह लड़ाइयाँ होने लगना, आपके हर काम में नुख्स निकालने लगना,, पहले की तरह व्यक्तिगत बातें, करियर-संबन्धित बातें आदि आपसे समझा न करने लगें, तो समझ लीजिये कि वह आपसे दूर होने की कोशिश कर रहे हैं.

3. आपके प्रति प्यार कम होना

पहले जहां आपकी हर बातें उन्हें प्यारी लगती थी, पर अब आपकी हर बात पर वह झल्लाने लगें, मूवी देखने या कहीं बाहर जाने में आना-कानी करने लगें, ज्यादा समय ऑफिस में बिताने लगें, जैसी बातों से साफ पता चलता है कि आपका पार्टनर आपको चीट कर रहा है. इसके अलावा अचानक अकेले ट्रिप पर जाना आदि कारण हो सकता है कि अब उनका ध्यान कहीं और लग गया है. जरूरी नहीं यह धोखे का ही संकेत हो. हो सकता है आपका पार्टनर किसी और बात को लेकर परेशान हो या कुछ और वजह हो सकती है. लेकिन अगर इस सबके साथ आपका पार्टनर कोई फैसला लेने में आपसे आपकी राय नहीं पूछते या आपसे अपनी बातें शेयर नहीं करते, तो यह धोखे का संकेत हो सकता हैं.

4. फोन से जुड़े बदलाव

यदि आप अपने पार्टनर की फोन से जुड़ी गतिविधियों में बदलाव को नोटिस करते हैं, तो यह धोखा देने का संकेत हो सकता है. जैसे आपका पार्टनर जरूरत से ज्यादा फोन पर व्यस्त रहने लगें. ऑफिस में उनका फोन कई-कई घंटों तक एंगेज आता हो. आप से अपने फोन और मैसेज छुपाने लगे हों.  फोन का पसवोर्ड बदल दिये हों और आपको अपना पसवोर्ड न बताएं और न ही अपना फोन छूने दें, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है. इसके अलावा उनके सोशल मीडिया की आदतों में भी बदलाव हो सकता है, जैसे ज्यादा फोटो अपलोड करना या बार-बार अपनी प्रोफाइल बदलते रहना, बार-बार मैसेज अलर्ट चेक करना, जैसे कई छोटे-छोटे बदलाव धोखे का संकेत हो सकता हैं.

5. छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलने लगना

यदि आपका साथी आपसे हर छोटी-छोटी बात पर झूठ बोलने लगें, बातें छुपाने लगें, तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है.

6. आँखें चुराने लगे

यदि आपका साथी आपसे बात करने से बचने लगे या बात करते वक़्त अपनी आँखें न मिला पाए, इधर-उधर देखने लगे, आपकी बातों को अनसुना करने लगे, आपकी के किसी भी बात को गंभीरता से न लेने लगे, वही काम करे जो आपको पसंद नहीं है, अपनी गलती न मनाने के बजाय आपकी ही गलती निकालने लगे, आपका फोन न उठाए और न ही आपके किसी मैसेज का जवाब दे, तो समझ लेना चाहिए की आपका पार्टनर आपको नजरंदाज कराने की कोशिश कर रह है.

धोखा देने वाला हमेशा कोई करीबी ही होता है और शायद यही वजह है कि जब इंसान को धोखा मिलता है तो सबकुछ बिखर जाता है. खासतौर पर जब धोखा देने वाला आपका पार्टनर हो. फिर क्या करें जब पार्टनर के धोखे का पता चल जाए

7. पूरा समय लें

अगर आप अपने पार्टनर के धोखा देने की बात से परेशान हैं तो जल्दबाज़ी करने से बचें. पूरा समय लें. आपको किसी से भी इस बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. अपने पार्टनर से तो बिल्कुल नहीं. आपको गुस्सा तो आ रहा होगा, लेकिन नाराजगी में कहें शब्द नुकसान अधिक पहुँचाते हैं.

8. न तो बहस करें, न लड़े

विरोध दर्ज़ करना जरूरी है और सामने वाले को भी तो पता चलना चाहिए कि कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से आप परेशान हैं. लेकिन अपनी आवाज और शब्दों पर संयम रखें. पार्टनर को यह जरूर बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.

9. वोको दोष न दें

ज़्यादातर मामलों में धोखा देने वाले पार्टनर को दोषी मानने के बजाय उस लड़की या लड़के को दोषी मान लिया जाता है, जिसकी वजह से धोखा दिया गया. ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि जो शख्स आपके प्यार को झुठलाकर आगे निकल गया, तो गलती उसकी है.

 

10. अपने मामले में किसी और को बोलने न दें

अगर आप चाहते हैं कि आपके और आपके पार्टनर के बीच सब कुछ ठीक हो जाए तो बेहतर यही होगा कि आप इस बात की चर्चा किसी और से न करें. किसी तीसरे को इन बातों में शामिल करना आपके लिए ही खतरनाक हो सकता है.

11. एक मौका और दें

अगर आपको लगे कि आपके पार्टनर को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सबकुछ ठीक करना चाहता है तो उसे वक़्त दें. हो सकता है सब फिर पहले जैसा हो जाए. इसके लिए आपदोनों का साथ रहना और साथ वक़्त बिताना जरूरी है, ताकि आप दोनों के बीच की गलतफहमी खत्म हो सके.

डे केयर में भेजने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

कुछ दिन पहले नवी मुंबई के एक क्रेच में 10 महीने की एक बच्ची को पीटने और पटकने की दिल दहलाने वाली घटना सामने आई थी. जब पुलिस एवं बच्ची के अभिभावकों ने क्रेच के सीसी टीवी कैमरे में फुटेज देखीं तो वे हैरान रह गए. फुटेज में डे केयर सैंटर की आया बच्ची की पिटाई कर रही थी. उसे लातें और थप्पड़ मार रही थी. वैसे यह पहली घटना नहीं है जब क्रेच में बच्चों के साथ ऐसा किया गया हो. इस से पहले भी दिल्ली में पुलिस ने क्रेच चलाने वाले करीब 70 साल के एक शख्स को गिरफ्तार किया था, जिस पर आरोप था कि वह क्रेच में 5 साल की बच्ची के साथ छेड़छाड़ करता था.

आए दिन इस तरह की घटनाएं घटती हैं, जिन में क्रेच में बच्चों के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है.

दरअसल, आज महिलाएं सासससुर के साथ रहना पसंद नहीं करतीं और न ही अपने कैरियर के साथ किसी तरह का समझौता करती हैं. उन्हें लगता है क्रेच तो हैं ही, जहां उन के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं. वहां उन के खानेपीने से ले कर खेलने, आराम करने और ऐक्टिविटीज सीखने तक का पूरा इंतजाम होता है. वे सुबह औफिस जाते समय बच्चे को क्रेच में छोड़ देती हैं और शाम को घर लौटते समय साथ ले आती हैं. अगर किसी दिन वे लेट हो जाती हैं, तो क्रेच संचालक को फोन कर के बता देती हैं.

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जब बच्चे को घर ले कर आती हैं तब उस के साथ समय बिताने के बजाय अन्य कामों में व्यस्त हो जाती हैं, सिर्फ संडे को ही बच्चे के साथ समय बिताती हैं.

मगर अपने बच्चे को पूरी तरह से डे केयर के हवाले छोड़ना सही नहीं है. ऐसा करने से आप के और बच्चे के बीच बौंडिंग नहीं बन पाती है. वह आप से अपनी बातें शेयर नहीं कर पाता, उदास रहने लगता है. कई बार तो बच्चा अपने साथ हो रहे शोषण को समझ ही नहीं पाता कि उस के साथ क्या हो रहा है.

क्रेच में बच्चे का अच्छी तरह ध्यान रखा जाता है, वह वहां नईनई चीजें भी सीखता है, लेकिन इस के बावजूद हर दिन बच्चे की मौनिटरिंग करें कि क्रेच में उसे किस तरह से रखा जाता है, उसे वहां कोई परेशानी तो नहीं होती, क्योंकि बच्चे कुछ कहते नहीं हैं, बस रोते रहते हैं और मातापिता को लगता है कि वे वहां जाना नहीं चाहते, इसलिए रो रहे हैं. यह आप की जिम्मेदारी है कि आप जानें कि आखिर बच्चा वहां क्यों नहीं जाना चाहता.

हर दिन करें ये काम

– औफिस से घर आने के बाद आप कितनी भी क्यों न थक गई हों, अपने बच्चे के साथ समय जरूर बिताएं. उस से बातें करें कि आज क्रेच में क्या किया, क्या खाया, क्या सीखा? वहां मजा आता है या नहीं? अगर बच्चा कुछ अजीब सा जवाब दे तो उसे हलके में न लें, बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि बच्चा ऐसा क्यों कह रहा है.

– बच्चा जब क्रेच से वापस आए तो जरूर चैक करें कि उस के शरीर पर कोई निशान तो नहीं है. अगर है तो बच्चे से पूछें कि निशान कैसे पड़ा, साथ ही यह भी देखें कि उस का नैपी बदला गया है या नहीं. आप ने लंच में उसे जो खाने के लिए दिया था क्या उस ने वह खाया है या नहीं.

जब करें क्रेच का चयन

– बिजली व पानी की कैसी व्यवस्था है, बिस्तर साफ है या नहीं, बच्चे के खेलने के लिए किस तरह के खिलौने हैं, यह जरूर देखें.

– क्रेच हमेशा हवादार, खुला और रोशनी वाला होना चाहिए.

– यह भी देखें कि क्रेच में जो बच्चे का ध्यान रखती है वह कैसी है, बच्चों के प्रति उस का व्यवहार कैसा है.

– वहां आने वाले बच्चों के मातापिता से बात करें कि क्रेच कैसा है, वे संतुष्ट हैं कि नहीं, वे अपने बच्चे को कब से वहां भेज रहे हैं आदि.

– सस्ते व घर के पास के चक्कर में अपने बच्चे को किसी भी क्रेच में न रखें, क्योंकि वहां आप के बच्चे को रहना है, इसलिए कोशिश करें क्रेच साफसुथरा हो.

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शादी के बाद मुझे किसी और से प्यार हो गया है?

सवाल-

मैं कालेज टाइम में किसी लड़के से बहुत प्यार करती थी. मगर कभी उस से अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकी. बाद में मेरी अरेंज्ड मैरिज हो गई. पति काफी अंडरस्टैंडिंग और केयरिंग नेचर के हैं. मैं अपनी जिंदगी में काफी खुश थी, मगर एक दिन अचानक जिंदगी में तूफान आ गया. दरअसल, फेसबुक पर उसी लड़के का मैसेज आया कि वह मु  झ से बात करना चाहता है. मेरे मन में दबा प्यार फिर से जाग उठा. मैं ने तुरंत उस के मैसेज का जवाब दिया. फेसबुक पर हमारी दोस्ती फिर से परवान चढ़ने लगी. मैं अपना खाली समय उस से बातें करने में गुजारने लगी. धीरेधीरे शर्म और संकोच की दीवारें गिरने लगीं. फिर एक दिन उस ने मु  झे अकेले में मिलने बुलाया. मैं उस के इरादों से वाकिफ हूं, इसलिए हिम्मत नहीं हो रही कि इतना बड़ा कदम उठाऊं या नहीं. उधर मन में दबा प्यार मु  झे यह कदम उठाने की जिद कर रहा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

यह बात सच है कि पहले प्यार को इंसान कभी नहीं भूल पाता, मगर जब जिंदगी आगे बढ़ चुकी हो तो लौट कर उस राह जाना मूर्खता होगी. वैसे भी आप को कोई अपने पति से शिकायत नहीं है. ऐसे में प्रेमी से रिश्ता जोड़ कर नाहक अपनी परेशानियां न बढ़ाएं.

उस लड़के को स्पष्ट रूप से ताकीद कर दें कि आप उस से केवल हैल्दी फ्रैंडशिप की उम्मीद रखती हैं, जो आप के जीवन की एकरसता दूर कर मन को सुकून और प्रेरणा दे. मगर शारीरिक रूप से जुड़ कर आप इस रिश्ते के साथसाथ अपने वैवाहिक रिश्ते के साथ भी अन्याय करेंगी. इसलिए देर न करते हुए बिना किसी तरह की दुविधा मन में लिए अपने प्रेमी से इस बारे में बात कर उसे अपना फैसला सुनाएं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

गर्भनिरोधक से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताएं?

सवाल

मेरे आप से 2 सवाल हैं. पहला यह कि क्या वीर्यपात से पहले पुरुष से अलग हो जाने पर बगैर गर्भनिरोध भी काम चल सकता है? दूसरा यह कि स्त्री के शारीरिक मिलन में एचआईवी एड्स होने का रिस्क किसे अधिक होता है?

जवाब

यद्यपि कुछ दंपती गर्भनिरोध युक्तियों से बचने के लिए यह तरीका अपनाते हैं कि वीर्यपात होने से पहले स्त्री पुरुष से अलग हो जाती है, पर यह तरीका जरा भी भरोसे का नहीं है. उस में भूल होने का हमेशा खतरा रहता है. यौनोत्तेजना के क्षणों में स्खलन से पहले भी वीर्य की बूंद छूटने से गर्भ ठहर सकता है. समय से अलग न हो पाने पर तो अवांछित गर्भ ठहरने की तब तक चिंता बनी रहती है जब तक कि अगला महीना नहीं हो जाता. अत: गर्भनिरोध के लिए कोई बेहतर विधि अपनाना ही अच्छा है.

जहां तक स्त्रीपुरुष के शारीरिक मिलन में एचआईवी एड्स होने के रिस्क का सवाल है, तो दोनों में से कोई भी एचआईवी से संक्रमित है तो दूसरे को रोग हो सकता है, लेकिन पुरुष से स्त्री में एचआईवी विषाणु जाने का रिस्क अधिक होता है. इस का ठोस कारण भी है. शारीरिक मिलन के बाद पुरुष से स्खलित हुआ वीर्य लंबे समय तक स्त्री की योनि में रहता है. यदि यह वीर्य एचआईवी से संक्रमित है, तो वायरस के स्त्री में पैठ करने का रिस्क बढ़ जाता है.

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कुछ दिनों से आलोक कुछ बदलेबदले से नजर आ रहे हैं. वे पहले से ज्यादा खुश रहने लगे हैं. आजकल उन की सक्रियता देख कर युवक दंग रह जाते हैं. असल में उन के घर में एक नन्ही सी खुशी आई है. वे पिता बन गए हैं. 52 साल की उम्र में एक बार फिर पिता बनने का एहसास उन को हर पल रोमांचित किए रखता है. इस खुशी को चारचांद लगाती हैं उन की 38 वर्षीय पत्नी सुदर्शना. सुदर्शना की हालांकि यह पहली संतान है लेकिन आलोक की यह तीसरी है.

दरअसल, आलोक की पहली पत्नी को गुजरे 5 साल बीत चुके हैं. उन के बच्चे जवान हो चुके हैं और अपनीअपनी गृहस्थी बखूबी संभाल रहे हैं. कुछ दशक पहले की बात होती तो इन हालात में आलोक के दिल और दिमाग में बच्चों के सही से सैटलमैंट के आगे कोई बात नहीं आती. इस उम्र में अपनी खुशी के लिए फिर से शादी की ख्वाहिश भले ही उन के दिल में होती लेकिन समाज के दबाव के चलते इस खुशी को वे अमलीजामा न पहना पाते. अब जमाना बदल चुका है. लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं, एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम से बाहर निकल रहे हैं. और अपनी खुशियों को ले कर भी वे ज्यादा स्पष्ट और मुखर हैं. अब लोग 70 साल तक स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं.

जब आलोक ने देखा कि उन के बच्चों का उन के प्रति दिनप्रतिदिन व्यवहार बिगड़ता जा रहा है. अपने कैरियर व भावी जिंदगी को बेहतर बनाने की आपाधापी में बच्चों के पास उन की खुशियों को जानने व महसूस करने की फुरसत नहीं है तो आलोक ने न केवल उन से अलग रहने का निर्णय लिया बल्कि एक बार फिर से अपनी जिंदगी को व्यवस्थित करने का मन बनाया.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मैट्रिमोनियल साइट्स पर कहीं आप भी न हो जाएं ठगी के शिकार

गौरव धमीजा नाम का यह शख्स कार के पार्ट्स बेचने का काम करता था. साइट पर अपनेआप को एक हैंडसम पुरुष की तरह दिखाता था जिस की सालाना इनकम 25-30 लाख हो. इस व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने वाली महिला ने बताया कि इस शख्स ने रुउस के प्रोफाइल में रुचि दिखाई थी. महिला द्वारा स्वीकार करने पर धमीजा ने उस से अपने खाते में पैसे डलवाए. फिर धमीजा ने महिला को भावनाओं के जाल में फंसाया और कहा कि वह अपनी पत्नी से पीड़ित है. साथ ही वादा किया कि वह उसे महंगे तोहफे देगा.’

जब पीड़िता पूरी तरह धमीजा के झांसे में फंस गई तो इस ने अलगअलग बहाने कर महिला से पैसे मांगने शुरू कर दिए. मसलन मातापिता का इलाज, व्यवसाय में निवेश और अन्य बहाने. इस तरह वह महिला को लम्बे समय तक ठगता रहा.

वस्तुतः एक आदर्श जीवनसाथी की कामना करना एक बात है और वास्तव में उसे ढूंढना एक मुश्किल काम है. आज के समय में जब लड़कियां पढ़लिख कर जॉब करती हैं और आत्मनिर्भर बन जाती हैं तो रिश्तेदारियों में लड़का खोजने के बजाय वे वैवाहिक साइटस की तरफ रुख करती हैं जहाँ अपने हिसाब से जीवनसाथी तलाश कर सकें. पर इस तरह की साइट्स पर भी अक्सर धोखाधड़ी के मामले आते रहते हैं.

कुछ धोखेबाज औनलाइन वैवाहिक साइटों पर लोगों को धोखा देते हैं. वे नकली प्रोफाइल बना कर जीवनसाथी की तलाश करने वाले निर्दोष लोगों को धोखा दे कर अपना उल्लू सीधा करते हैं. पिछले साल फ्रौडस्टर तन्मय गोस्वामी के मामले ने भी मीडिया का ध्यान खींचा था क्यों कि विभिन्न शहरों की 8 महिलाओं ने शादी का वादा कर के पैसे की धोखाधड़ी करने के लिए इस शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. पुलिस का अनुमान है कि उस ने उन से कम से कम 1.25 करोड़ रुपये ठग लिये थे. इस तरह की घटनाएं न केवल किसी व्यक्ति को आर्थिक रूप से प्रभावित करती हैं बल्कि गंभीर भावनात्मक क्षति भी पहुंचा सकती हैं. जरुरी है कि ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी से बचने के लिए आप सजग हो कर ही कदम आगे बढ़ाएं. अल्ट्रा रिच मैच के संस्थापक-निदेशक सौरभ गोस्वामी के मुताबिक़ कुछ बुनियादी उपायों पर ध्यान दे कर आप ऐसी धोखाधड़ी से बच सकती हैं;

1. औनलाइन बैकग्राउंड चेक करें

अगर आप किसी से बात आगे बढ़ाने की सोच रही हैं तो सब से पहला कदम यह है कि आप को उस व्यक्ति के सोशल मीडिया लिंक की पूरी खबर रखनी चाहिए. फेसबुक / ट्विटर / इंस्टाग्राम / लिंक्डइन आदि माध्यम से आप उसे बहुत अच्छी तरह से जान सकती हैं. उस की प्रोफ़ाइल कितनी पुरानी है, कोई विसंगति तो नजर नहीं आ रही,  तस्वीरें कितनी वास्तविक लगती हैं, दोस्तों की संख्या क्या है आदि के आधार पर व्यक्ति को समझा जा सकता है. किसी भी तरह का संदेह पैदा होने पर सीधे उस व्यक्ति से पूछें. यदि वह कोई स्पष्ट उत्तर देने में विफल होता है तो उस से दूरी बढ़ा लेना ही उचित होगा. ऐसे व्यक्तियों को तुरंत ब्लॉक करें और आगे बढ़ें.

2. व्यक्तिगत विवरण साझा न करें

इस तरह के औनलाइन प्लेटफ़ौर्मस पर भूल कर भी अपने बैंक खातों से जुड़ी ईमेल आईडी का उपयोग न करें. कोई और ऐसी निजी जानकारी भी न दें जिन का गलत उपयोग हो सकता है. क्योंकि ऐसे में धोखेबाजों के लिए आप की व्यक्तिगत जानकारी ढूंढना और खातों को हैक करना बहुत आसान हो जाता है.

3. किसी को कोई पैसा उधार न दें

सामने वाला कितनी भी इमरजेंसी दिखाए, वह छोटी सी रकम ही क्यों न मांग रहा हो, आप उस की बातों पर ऐतबार न करें. ये जालसाज तरहतरह की रणनीति का उपयोग कर महिलाओं को फंसाने का प्रयास करते हैं. ऐसे लोगों को इनकार और ब्लॉक किया जाना ही धोखों से बचने का एकमात्र तरीका है.

4. हमेशा सतर्क रहें

अगर प्रारंभिक बातचीत के किसी भी बिंदु पर आप को लगता है कि व्यक्ति बहुत अधिक अनुचित व्यक्तिगत विवरणों के लिए पूछ रहा है तो उन्हें स्पष्ट रूप से बताएं कि आप अभी इन सवालों का जवाब देने में सहज नहीं हैं. सुनिश्चित करें कि उन्हें अपनी सीमा का एहसास हो.

5. ’बहुत संवेदनशीलया बहुत अधिक समझ वाले व्यक्तियों रहें सावधान

’बहुत संवेदनशील’ या ’बहुत अधिक समझ वाले व्यक्तियों’ से सावधान रहें. ये धोखेबाज होते हैं. वे कुछ देर बात कर के ही सामने वाले के कमजोर पहलुओं को समझ लेते हैं और मौका मिलते ही उन का शोषण करना शुरू कर देते हैं. वे आप को भावनात्मक रूप से समर्थन देने का दिखावा करते हैं जब कि उस का मकसद धोखाधड़ी से लेकर ब्लैकमेल तक होता है.

6. हमेशा सार्वजनिक स्थानों पर मिलें

अगर उस से मिलने का प्लान बने तो प्रयास करें कि आप उस से हमेशा सार्वजनिक स्थानों पर मिलें. कभी भी अपनेआप को किसी भी तरह का  समझौता करने की स्थिति में न रखें. पहली या दूसरी मीटिंग में किसी दोस्त या सहेली को साथ ले जाएँ तो अच्छा होगा. यहां तक कि अगर आप उस के लिए गंभीर हो रही हैं तो भी मातापिता या घरवालों की सहमति और जानकारी के बिना किसी भी निजी स्थान पर मिलने जाने से बचें.

7. अपनी हिम्मत पर भरोसा करें

अगर उस के साथ रहते हुए आप को कभी भी कुछ गलत महसूस होता है तो तुरंत सतर्क हो जाएं. इस भावना को अनदेखा न करें. याद रखें आप का अवचेतन मन हमेशा आप के एहसासो की तुलना में बहुत अधिक सक्रिय रहता है और किसी व्यक्ति के बारे में छोटे संकेतो को भी समझ सकता है.

8.बैकग्राउंड चेक करें

आज के समय में ऐसी कितनी ही एजेंसियां हैं जो किसी भी व्यक्ति के बैकग्राउंड और ऑथेंटिटी की खोजखबर लेने का काम करती है. इस के लिए वे बहुत मामूली सा शुल्क वसूलती हैं. यदि आप को लगता है कि चीजें गंभीर हो रही हैं और आप उस के साथ जिंदगी बिताने को तैयार हो सकती हैं तो किसी फैसले से पहले ऐसी सेवाओं के लिए जाना हमेशा विवेकपूर्ण होता है. आप को लग सकता हैं कि इस तरह के कदम से कहीं आप के संभावित साथी की भावना आहत न हो जाए मगर यकीन रखिये जीवन में किसी बड़े धोखे का शिकार होने से लाख गुना बेहतर है कि पहले अच्छी तरह से छानबीन कर ली जाएतभी कदम बढ़ाया जाए.

9. भरोसेमंद मैट्रिमोनियल्स चुनें

शादी करना जीवन भर का सौदा है. आगे पछताना न पड़े इस के लिए जरुरी है कि केवल विश्वसनीय वैवाहिक साइटों को चुनें. उन के पर्सनल पैकेज लें. केवल उन मैट्रिमोनियल्स पर विचार करें जो अपने ग्राहकों के विवरण को सत्यापित करने की जिम्मेदारी लेते हैं. यही नहीं उन ‘सत्यापित’ प्रोफाइल में से भुगतान किए गए सदस्यों को चुनें. धोखेबाज सदस्य आमतौर पर पेड सदस्यता नहीं लेते.

लड़कियों को क्यों पसंद आते हैं गिटार बजाने वाले लड़के

आजकल प्यार करना कोई बड़ी बात नही है. हर किसी को कैसे न कैसे प्यार हो जाता है. जैसे अगर कौलेज की ही बात करें आपको कईं लवर्स मिल जाएंगे, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि अक्सर लड़कियों को गिटार बजाने वाले लड़ते हैं. लड़कियों का मानना होता है कि इस तरह के लड़के लविंग और केयरिंग होते हैं. जो लड़कियों की नजर में ज्यादा काबिल होते हैं. इसी तरह गिटार बजाने वाले लड़को को पसंद करने के और भी कारण हैं, जिसके बारे में हम आपको बताएंगे.

1. गिटार बजाने वाले लड़के होते हैं टैलेंटिड

गिटार बजाने के लिए बुद्धि और प्रतिभा की आवश्यकता होती है. तो जो व्यक्ति गिटार बजाता है निश्चित रूप से वह प्रतिभाशाली और कुशल होगा ही, इस कारण लड़कियां उन्हें पसंद करती हैं.

2. गिटार से अट्रेक्शन होता है जल्दी

जो लड़के गिटार बजाते हैं वह बड़े ही आसान तरीके से सबका ध्यान अपनी तरफ खींच सकता है. जो पुरुष गिटार बजाते हैं वो अपने आस-पास सकारात्मक उर्जा का संचार करते हैं जिससे लोग उनके पास रहना पसंद करते हैं. साइकोलौजी के अनुसार, महिलाएं उन लोगों को पसंद करती हैं जो कि समूह बना पाते हैं.

3. दिल को सूकून देता है गिटार

संगीत का प्रभाव काफी सुखदायक होता है. जो व्यक्ति गिटार बजाते हैं वह अपने संगीत से दूसरे लोगों की भावनाओं और एहसासों को जगा सकता है और आसानी से सेन्सुअस वाइब्स(sensuous vibe) बना सकता है.

4. गिटार बजाने वाले लड़के होते हैं सेंटीमेंटल

किसी भी म्यूजिक इंसट्रूमेंट को बजाने के लिए संवेदनशील होने की जरुरत होती है. जो लोग गिटार बजाते हैं वो बाकी लोगों की तुलना में अधिक संवेदनशील होते हैं और जो लड़के संवेदनशील होते हैं वो अधिक आकर्षक, केयरिंग और दिलचस्प होते हैं जो लड़कियों को भाते हैं.

5. गिटार बजाते टाइम लड़के लगते हैं अट्रेक्टिव

एक गिटार के साथ अगर आप किसी लड़के को देखेंगे को वह दिखने में ज्यादा आकर्षक और सुदंर लगते हैं जिसके कारण लड़कियों का ध्यान उनकी तरफ चला जाता है. गिटार बजाने वाले लड़के अधिक उर्जावान भी होते हैं. गिटार बजाते टाइम लड़के ज्यादा एनर्जी और खुश नजर आते हैं जो कि गर्ल्स को अट्रैक्ट करता है.

मेरे पति पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं, क्या ऐसा करना सही होगा?

सवाल

मैं 29 वर्षीय और 2 बच्चों की मां हूं. हम आगे बच्चा नहीं चाहते और इस के लिए मेरे पति स्वयं पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं. कृपया बताएं कि इस से वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

जवाब

आज जबकि सरकारें पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन दे रही हैं, आप के पति का इस के लिए स्वयं पहल करना काफी सुखद है. आमतौर पर पुरुष नसबंदी को ले कर समाज में अफवाहें ज्यादा हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि भारत में पुरुष नसबंदी कराने वालों का प्रतिशत काफी निराशाजनक है.

दरअसल, पुरुष नसबंदी अथवा वासेक्टोमी पुरुषों के लिए सर्जरी द्वारा परिवार नियोजन की एक प्रक्रिया है. इस क्रिया से पुरुषों की शुक्रवाहक नलिका अवरुद्ध यानी बंद कर दी जाती है ताकि शुक्राणु वीर्य (स्पर्म) के साथ पुरुष अंग तक नहीं पहुंच सकें.

यह बेहद ही आसान व कम खर्च में संपन्न होने वाली सर्जरी है, जिस में सर्जरी के 2-3 दिनों बाद ही पुरुष सामान्य कामकाज कर सकता है. सरकारी अस्पतालों में तो यह सर्जरी मुफ्त की जाती है. अपने मन से किसी भी तरह का भय निकाल दें और पति के इस निर्णय का स्वागत करें.

लड़के वाले दहेज की मांग कर रहे हैं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. मेरी सगाई हुए 7 महीने हो चुके हैं. मेरे घर वालों ने सगाई में काफी पैसा लगाया था. शायद इसीलिए लड़के वाले बेशर्मी से मुंह खोल कर विवाह में लेनदेन की मांग कर रहे हैं. अपनी हैसियत से तो मेरे घर वाले करेंगे ही पर इस तरह से अनापशनाप मांगें सुन कर मेरा इस शादी से मन उठ गया है. मैं ने मां से साफसाफ कहा है कि वे इस रिश्ते को तोड़ दें पर उन का कहना है कि इस से बदनामी होगी और फिर मेरा भविष्य में कहीं रिश्ता नहीं होगा. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप को इस बारे में अपने मंगेतर से बात करनी चाहिए. हो सकता है कि लड़का घर वालों की इस मंशा से बेखबर हो. यदि लड़का भी इस सब में शामिल है तो आप को उस से शादी कतई नहीं करनी चाहिए. ऐसे लालची लोग ताउम्र आप को और आप के घर वालों को परेशान करते रहेंगे. सगाई तोड़ने के बाद आप की बदनामी होगी और फिर कहीं और रिश्ता नहीं होगा, यह बात सरासर गलत है. ऐसा कुछ नहीं होगा. हां, नया रिश्ता मिलने में थोड़ा समय लग सकता है. पर अभी आप की उम्र बहुत कम है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.

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दहेज प्रथा भारत में प्रचलित कोई अनोखी प्रथा नहीं है. अलगअलग नाम और रूप से यह प्राचीन रोम, ग्रीस, यूनान, मिस्र जैसे दूसरे देशों में भी प्रचलित रही. यूरोप में प्रचलित दहेज प्रथा की झलक शेक्सपियर के नाटकों में मिलती है. एशियाई देशों में भी कमोबेश अंतर के साथ दहेज लेनादेना कायम रहा है.

दहेज का मूल उद्देश्य नवविवाहित दंपती को गृहस्थी जमाने में मदद करना होता है. कुछ लोग इसे उपहार का नाम भी देते हैं. यह प्रथा आज से नहीं, सदियों से चली आ रही है. उदाहरण के लिए रामायण काल का जिक्र किया जा सकता है. वाल्मीकि रामायण में साफ लिखा है कि विदेहराज ने सीता के विवाह में दहेज में बहुत सा धन और कई लाख गाएं दीं. इस के अतिरिक्त अच्छेअच्छे कंबल, रेशमी कपड़े, हाथीघोड़े, रथ, दासी के रूप में परम सुंदरी 100 कन्याएं काफी सेना, मूंगा आदि भेंट स्वरूपप्रदान किए.

आज भी समाज के पढ़ेलिखे वर्ग के लोग हों या मध्यवर्गीय, विवाह तय करते समय दहेज को चर्चा का आवश्यक हिस्सा बनाया जाता है. विवाह के समय दहेज की चीजों को सामाजिक हैसियत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है. मुंहमांगा दहेज न मिलने पर लड़की की जिंदगी नरक बना दी जाती है. बात सिर्फ मारपीट तक ही सीमित नहीं रहती, वरन उसे जलाने या खुदकुशी के लिए मजबूर कर देने की घटनाएं भी आम हैं.

पौपुलेशन फाउंडेशन औफ इंडिया की ऐग्जिक्यूटिव डायरैक्टर, पूनम मुटरेजा कहती हैं, ‘‘भारत में दहेज प्रथा का ही परिणाम है कि औरतों को परिवार पर आर्थिक बोझ समझा जाता है. इस वजह से उन के साथ मारपीट जैसे अपराध किए जाते हैं. लिंग चयन और घरेलू हिंसा महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव का ही प्रदर्शन है.’’

क्या कहते हैं आंकड़े

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2012 में देश भर में कुल 8,233 दहेज हत्या के मामले दर्ज हुए. पुलिस थाने में पहुंची रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन हर घंटे एक औरत दहेज की बलि चढ़ा दी गई. वर्ष 2007 में यह संख्या 8,093 थी जो 2010 में 8,391 और 2011 में 8,618 हो गई.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी, 2001 से दिसंबर, 2012 तक दहेज हत्या के 91,202 मामले दर्ज कराए गए, जिन में से 84,013 पर कार्यवाही हुई. बाकी या तो तफतीश के दौरान छूट गए या उन की तफतीश की ही नहीं गई. 5,081 केसेज ऐसे भी थे, जो झूठे पाए गए थे.

रिट फाउंडेशन की प्रैसिडैंट, डा. चित्रा अवस्थी कहती हैं, ‘‘दहेज के मूल में पितृ सत्तात्मक पुरुषप्रधान समाज है. विवाह के बाद वधू वर के परिवार का हिस्सा बन जाती है और या तो उस के घर चली जाती है या उस के साथ नया घर बसाती है. पहले पत्नी स्वयं धनार्जन नहीं करती थी, इसलिए नए घर और गृहस्थी को बसाने में मदद के रूप में दहेज का रिवाज बना.

डेटिंग से करना चाहते हैं इंकार, तो Disrespect बिना करें मना

अक्सर एक लड़की और लड़के के बीच में धोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगती हैं, तो वो एक दूसरे को डेट करने के बारे में सोचते हैं लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि बढ़ती हुई नजदीकियों का मतलब लव एंगल ही हो. हो सकता है कि यह एक तरफा प्रेम हो जिसके चलते आप सामने वाले को डेट करना ही नहीं चाहते हों.और आप सामने से उसे डेट के लिए मना कर दें. मुमकिन है कि आपका डेट परपोज़ल ठुकराना उसे अच्छा ना लगे.इसलिए अगर आप किसी के साथ डेटिंग के लिए नहीं जाना चाहते हैं, तो कुछ आसान टिप्स अपना सकते हैं. जिससे आप सामने वाले शख्स की भावनाओं को तकलीफ भी नहीं पहुंचाएंगे और अपनी बात भी कह देंगे.

आमने सामने करें बात

जब दो लोग आमने सामने बैठकर किसी विषय पर बात करते हैं तो उसका हल निकालना आसान भी होता है और एक दूसरे के प्रति गलत फ़हमी कि कुंजाइस भी कम हो जाती है इसलिए फोन या मैसेज के द्वारा नहीं बल्कि आमने सामने बैठकर डेटिंग के परपोज़ल को मना करें और हो सकें तो उसे मना करने का रिज़न भी बताएं.जिससे वो आपकी परेशानी को समझ सकें.

निंदा ना करें

अगर आप रिश्ते में नहीं आना चाहते हैं तो आप सामने वाले में खामियां ना निकालें बल्कि आप उसे जताएं कि आप उसकी भावनाओं की कदर करते हैं लेकिन आप उसके साथ इस रिश्ते को नहीं निभा पाएंगे .

दोस्त बने रहने का रखें प्रस्ताव

यदि सामने वाले इंसान की आपको लेकर सोच अच्छी है व व्यवहार में भी वह अच्छा है तो उसे हमेशा अच्छा दोस्त बने रहने का प्रस्ताव अवश्य रखें.ऐसा करने से उसकी फीलिंग्स भी हर्ट नहीं होगी और आपको एक अच्छा दोस्त भी मिलेगा.क्योंकि जरूरी नहीं की हर रिश्ता रोमांस से ही जुडा हो बल्कि कुछ रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं.

तीसरे को ना जोड़े

जब कोई रिश्ता दो लोगो की सोच मिलने से बनता है उसमे किसी तीसरे का काम नहीं होता, उसी तरह यदि आप सामने वाले से रिश्ता ना रखने की बात करते हैं तो उसमे भी किसी तीसरे को ना जोड़े क्योंकि ऐसा करने से सामने वाले को अधिक दुख पहुँचता है जिससे वह खुद को या आपको तकलीफ पहुंचाने तक की सोच सकता है.

टाले नहीं

अगर आप सामने वाले को लव पार्टनर नहीं बना सकते तो उसकी भावनाओं के साथ खेलें नहीं. कई लोग होते हैं जो डेट पर नहीं जाना चाहते और सामने वाले के प्रपोज़ल को टालते रहते हैं या इग्नोर करते हैं व उसे पैसे खर्च कराने का जरिया समझते हैं सच्चाई का पता चलने पर ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि प्यार में धोखा खाने पर सामने वाला आपके प्रति आक्रमक भी हो सकता है.इसलिए उसकी फीलिंग्स को हर्ट ना करें.

विवाह का सुख तभी जब पतिपत्नी स्वतंत्र हों

रिद्धिमा अकसर बीमार रहने लगी है. मनोज के साथ उस की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए हैं, मगर ससुराल में शुरू के 1 साल ठीकठाक रहने के बाद वह मुरझने सी लगी. शादी से पहले रिद्धिमा एक सुंदर, खुशमिजाज और स्वस्थ लड़की थी. अनेक गुणों और कलाओं से भरी हुई लड़की. लेकिन शादी कर के जब वह मनोज के परिवार में आई तो कुछ ही दिनों में उसे वहां गुलामी का एहसास होने लगा. दरअसल, उस की सास बड़ी तुनकमिजाज और गुस्से वाली है.

वह उस के हर काम में नुक्स निकालती है. बातबात पर उसे टोकती है. घर के सारे काम उस से करवाती है और हर काम में तमाम तानेउलाहने देती है कि तेरी मां ने तुझे यह नहीं सिखाया, तेरी मां ने तुझे वह नहीं सिखाया, तेरे घर में ऐसा होता होगा हमारे यहां ऐसा नहीं चलेगा जैसे कटु वचनों से उस का दिल छलनी करती रहती है.

रिद्धिमा बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती है मगर उस की सास और ननद को उस के हाथ का बना खाना कभी अच्छा नहीं लगा. वह उस में कोई न कोई कमी निकालती ही रहती है. कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा का राग अलापती है. शुरू में ससुर ने बहू के कामों की दबे सुरों में तारीफ की मगर पत्नी की चढ़ी हुई भृकुटि ने उन्हें चुप करा दिया. बाद में तो वे भी रिद्धिमा के कामों में मीनमेख निकालने लगे.

रिद्धिमा का पति मनोज सब देखता है कि उस की पत्नी पर अत्याचार हो रहा है मगर मांबाप और बहन के आगे उस की जबान नहीं खुलती. मनोज के घर में रिद्धिमा खुद को एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती है और वह भी बिना तनख्वाह की. इस घर में वह अपनी मरजी से कुछ नहीं कर सकती है.

ऐसी सोच क्यों

यहां तक कि अपने कमरे को भी यदि रिद्धिमा अपनी रुचि के अनुसार सजाना चाहे तो उस पर भी उस की सास नाराज हो जाती है और कहती है कि इस घर को मैं ने अपने खूनपसीने की कमाई से बनाया है, इसलिए इस में परिवर्तन की कोशिश भूल कर भी मत करना. मैं ने जो चीज जहां सजाई है वह वहीं रहेगी.

रिद्धिमा की सास ने हरकतों और अपनी कड़वी बातों से यह जता दिया है कि घर उस का है और उस के मुताबिक चलेगा. यहां रिद्धिमा या मनोज की पसंद कोई मतलब नहीं रखती है.

5 साल लगातार गुस्सा, तनाव और अवसाद में ग्रस्त रिद्धिमा आखिरकार ब्लडप्रैशर की मरीज बन चुकी है. इस शहर में न तो उस का मायका है और न दोस्तों की टोली, जिन से मिल कर वह अपने तनाव से थोड़ा मुक्त हो जाए. उस की तकलीफ दिनबदिन बढ़ रही है. सिर के बाल ?ाड़ने लगे हैं. चेहरे पर ?ांइयां आ गई हैं.

सजनेसंवरने का शौक तो पहले ही खत्म हो गया था अब तो कईकई दिन कपड़े भी नहीं बदलती है. सच पूछो तो वह सचमुच नौकरानी सी दिखने लगी है. काम और तनाव के कारण 3 बार मिसकैरिज हो चुका है. बच्चा न होने के ताने सास से अलग सुनने पड़ते हैं. अब तो मनोज की भी उस में दिलचस्पी कम हो गई है. उस की मां जब घर में टैंशन पैदा करती है तो उस की खीज वह रिद्धिमा पर निकालता है.

परंपरा के नाम पर शोषण

वहीं रिद्धिमा की बड़ी बहन कामिनी जो शादी के बाद से ही अपने सास, ससुर, देवर और ननद से दूर दूसरे शहर में अपने पति के साथ अपने घर में रहती है, बहुत सुखी, संपन्न और खुश है. चेहरे से नूर टपकता है. छोटीछोटी खुशियां ऐंजौए करती है. बातबात पर दिल खोल कर खिलखिला कर हंसती है. कामिनी जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही है. अपने घर की और अपनी मरजी की मालकिन है.

उस के काम में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है. अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार अपना घर सजाती है. घर को डैकोरेट करने के लिए अपनी पसंद की चीजें बाजार से लाती है. पति भी उस की रुचि और कलात्मकता पर मुग्ध रहता है. बच्चों को भी अपने अनुसार बड़ा कर रही है. इस आजादी का ही परिणाम है कि कामिनी उम्र में बड़ी होते हुए भी रिद्धिमा से छोटी और ऊर्जावान दिखती है.

दरअसल, महिलाओं के स्वास्थ्य, सुंदरता, गुण और कला के विकास के लिए शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहना ही ठीक है. सास, ससुर, देवर, जेठ, ननदों से भरे परिवार में उन की स्वतंत्रता छिन जाती है.  हर वक्त एक अदृश्य डंडा सिर पर रहता है. उन पर घर के काम का भारी बोझ होता है. काम के बोझ के अलावा उन के ऊपर हर वक्त पहरा सा लगा रहता है.

हर वक्त पहरा क्यों

सासससुर की नजरें हर वक्त यही देखती रहती हैं कि बहू क्या कर रही है. अगर घर में ननद भी हो तो सास शेरनी बन कर बहू को हर वक्त खाने को तैयार रहती है. बेटी की तारीफ और बहू की बुराइयां करते उस की जबान नहीं थकती. ये हरकतें बहू को अवसादग्रस्त कर देती हैं. जबकि पति के साथ अलग रहने पर औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है. वह अपने निर्णय स्वयं लेती है. अपनी रुचि से अपना घर सजाती है.

अपने अनुसार अपने बच्चे पालती है और पति के साथ भी रिश्ता अलग ही रंग ले कर आता है. पतिपत्नी अलग घर में रहें तो वहां काम का दबाव बहुत कम होता है. काम भी अपनी सुविधानुसार और पसंद के अनुरूप होता है. इसलिए कोई मानसिक तनाव और थकान नहीं होती.

बच्चों पर बुरा असर

घर में ढेर सारे सदस्य हों तो बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है. उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सहीगलत की राय देता है, जिस से वे कन्फ्यूज हो कर रह जाते हैं. वे अपनी सोच के अनुसार सहीगलत का निर्णय नहीं ले पाते. एकल परिवार में सिर्फ मातापिता होते हैं जो बच्चे से प्यार भी करते हैं और उसे समझते भी हैं, तो बच्चा अपने फैसले लेने में कन्फ्यूज नहीं होता और सहीगलत का निर्णय कर पाता है.

लेकिन जहां ससुराल में सासबहू की आपस में नहीं बनती है तो वे दोनों बच्चों को 2 एकदूसरे के खिलाफ भड़काती रहती हैं. वे अपनी लड़ाई में बच्चों को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं.

इस से बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. उन का विकास प्रभावित होता है. देखा गया है कि ऐसे घरों के बच्चे बहुत उग्र स्वभाव के, चिड़चिड़े, आक्रामक और जिद्दी हो जाते हैं. उन के अंदर अच्छे मानवीय गुणों जैसे मेलमिलाप, भाईचारा, प्रेम और सौहार्द की कमी होती है. वे अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते.

अपना घर तो खर्चा कम

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अपने घर में रहें तो खर्च कम होने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होता है. मनोज का ही उदाहरण लें तो यदि किसी दिन उस को मिठाई खाने का मन होता है तो  सिर्फ अपने और पत्नी के लिए नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार के लिए मिठाई खरीदनी पड़ती है.

पत्नी के लिए साड़ी लाए तो उस से पहले मां और बहन के लिए भी खरीदनी पड़ती है. पतिपत्ती कभी अकेले होटल में खाना खाने या थिएटर में फिल्म देखने नहीं जाते क्योंकि पूरे परिवार को ले कर जाना पड़ेगा. जबकि कामिनी अपने पति और दोनों बच्चों के साथ अकसर बाहर घूमने जाती है. वे रेस्तरां में मनचाहा खाना खाते हैं, फिल्म देखते हैं, शौपिंग करते हैं. उन्हें किसी बात के लिए सोचना नहीं पड़ता.

ऐसे अनेक घर हैं जहां 2 या 3 भाइयों की फैमिली एक ही छत के नीचे रहती है. वहां आए दिन ?ागड़े और मनमुटाव होती है. घर में कोई खाने की चीज आ रही है तो सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि भाइयों के बच्चों के लिए भी लानी पड़ती है. सभी के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. यदि परिवार में कोई कमजोर है तो दूसरा ज्यादा खर्च नहीं करता ताकि उसे बुरा महसूस न हो.

मनोरंजन का अभाव

ससुराल में आमतौर पर बहुओं के मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. उन्हें किचन और बैडरूम तक सीमित कर दिया जाता है. घर का टीवी अगर ड्राइंगरूम में रखा है तो उस जगह सासससुर और बच्चों का कब्जा रहता है. बहू अगर अपनी पसंद का कोई कार्यक्रम देखना चाहे तो नहीं देख सकती है.

अगर कभी पतिपत्नी अकेले कहीं जाना चाहें तो सब की निगाहों में सवाल होते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कब तक आओगे? इस से बाहर जाने का उत्साह ही ठंडा हो जाता है.

ससुराल में बहुएं अपनी सहेलियों को घर नहीं बुलातीं, उन के साथ पार्टी नहीं करतीं, जबकि पतिपत्नी अलग घर में रहें तो दोनों ही अपने फ्रैंड्स को घर में बुलावे करते हैं, पार्टियां देते हैं और खुल कर ऐंजौए करते हैं.

जगह की कमी

एकल परिवारों में जगह की कमी नहीं रहती. वन बैडरूम फ्लैट में भी पर्याप्त जगह मिलती है. कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है. बहू खाली वक्त में ड्राइंगरूम में बैठे या बालकनी में, सब जगह उस की होती है, जबकि सासससुर की उपस्थिति में बहू अपने ही दायरे में सिमट जाती है. बच्चे भी दादादादी के कारण फंसाफंसा अनुभव करते हैं. खेलें या शोरगुल करें तो डांट पड़ती है.

स्वतंत्रता खुशी देती है

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अलग घर ले कर रहें तो वहां हर चीज, हर काम की पूरी आजादी रहती है. किसी की कोई रोकटोक नहीं होती. जहां मन चाहा वहां घूम आए. जो मन किया वह बनाया और खाया. पकाने का मन नहीं है तो बाजार से और्डर कर दिया. जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनें.

सासससुर के साथ रहने पर नौकरीपेशा महिलाएं उन की इज्जत का खयाल रखते हुए साड़ी या चुन्नी वाला सूट ही पहनती हैं, जबकि स्वतंत्र रूप से अलग रहने वाली औरतें सुविधा और फैशन के अनुसार जींसटौप, स्कर्ट, मिडी सब पहन सकती हैं. घर में पति के साथ अकेली हैं तो नाइट सूट या सैक्सी नाइटी में रह सकती हैं.

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