Summer Special: जाए वहां जहां ज्यादा लोग नहीं जाते

भारत में घूमने के लिए ऐसी जगह है की आपको बाहर जाने की जरूरत ही नही है. प्रकृति की गोद में बसा भारत की खुबसूरत जगहों की बात ही औरौं से जुदा है. यहां पर कुछ ऐसी खुबसूरत जगह हैं जिनके बारे में आपको पता नहीं होगा. अगर आप रोमांच प्रेमी है और एक बार कुछ नई जगह घूमना चाहते हैं तो एक बार इन जगहों पर जरूर जायें.

1. थॉसेघर फॉल्स, सतारा

अगर आप लोनावला या खंडाला गए हैं और थॉसेघर फॉल्स नहीं गए तो आपने बहुत ही खास चीज़ मिस कर दी. यह जगह बेहद ही छोटे से खेड़े में है. सतारा सिटी से 20 किमी की दूरी पर थॉसेघर फॉल्स है. यहां जाकर आप पानी में मस्ती कर सकते हैं. यहां का माहौल आपको काफी पसंद आएगा. यहां की ठंडी हवाएं आपको दिल को खुश कर देंगी. यहां इतनी शांति है कि आप सुकून के लिए बार-बार इस जगह पर आना चाहेंगे.

2. कास का पठार, महाराष्ट्र

पर्यटन की दृष्टि से कास का पठार नया नहीं. इस पठार की ख़ास बात यह है यहां के 850 अलग अलग प्रजातियों के फूल. अक्टूबर से नवम्बर का समय इस पठार की यात्रा का सबसे अच्छा समय है.

3. संदकफू, दार्जिलिंग

इस जगह को जहरीले पेड़ों का जंगल कहा जाता है क्योंकि यहां के पहाड़ों की चोटियों पर जहरीले एकोनाइट पेड़ पाए जाते हैं. इसलिए इसे संदकफू कहा जाता है जिसका मतलब है जहरीले पेड़-पौधों. इसे ‘पैराडाइज ऑफ ट्रैकर्स’ के नाम से भी जाना जाता है क्योकि यहां ट्रेकिंग होती है. दार्जिलिंग में स्थित संदकफू जंगल समुद्र तल से 3,636 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से आप एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू और ल्ओत्से की ऊंची चोटियों को देख सकते है.

4. द्रास, लद्दाख

द्रास को भारत देश की सबसे ठंडी जगह और दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी जगह माना जाता है. सर्दियों में यहां का तापमान -45 तक होता है. जम्मू व कश्मीर के कारगिल जिले में स्थित एक बस्ती है द्रास. 10760 फीट की ऊंचाई पर बसा द्रास पहाड़ों से घिरा हुआ है. कश्मीर से लद्दाख जाने के लिए द्रास वादी से गुजरना पड़ता है. जिसके कारण इसे ‘लद्दाख का द्वार’ भी कहा जाता है.

5. इमामबाड़ा, लखनऊ

यह इमारत नवाबों के शहर लखनऊ में है. अपनी खासियत के कारण यह पूरी दुनिया में फेमस है. इस इमारत में ही दुनिया का सबसे बड़ा हॉल है जिसमें न खंभे है और न लोहा है और न ही लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. इसका रहस्य जानने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते है. इस इमारत के अलावा यहां का गार्डन भी देखने लायक है. शाही हमाम नामक यह बावड़ी गोमती नदी से जुड़ी है. इसमें पानी से ऊपर केवल दो मंज़िले हैं, शेष तल पानी के अंदर पूरे साल डूबे रहते हैं.

6. लाहौल, हिमाचल प्रदेश

लाहौल हिमाचल प्रदेश राज्‍य में भारत-तिब्‍बत सीमा पर स्थित है. लाहौल और स्‍पीति पहले दो जिले थे, जिन्‍हे बाद में 1960 में एकीकृत कर दिया गया था. यहां कि प्राकृतिक सुंदरता आपको अशांत मन को बहुत शांति देगी.

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Summer Special: खूबसूरती का खजाना है मध्य प्रदेश का हिल स्टेशन ‘पचमढ़ी’

इतिहास और खूबसूरती का अद्भुत रंग समेटे मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी के नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा की पहाडि़यों के बीच पहाड़ों और जंगलों से घिरे हिल स्टेशन पचमढ़ी में पर्यटकों को कश्मीर जैसी खूबसूरती व नेपाल की शांति मिलती है. अगर आप भी कुदरत के सौंदर्य को नजदीक से निहारना चाहते हैं तो सुकून और प्रदूषणरहित वातावरण से भरपूर पचमढ़ी एक बेहतर प्लेस है. यहां की खूबसूरती और आबोहवा सिर चढ़ कर बोलती है. खुशबूदार हवा, फाउंटेन, मनमोहक पेड़पौधे, पहाड़ और दूरदूर तक फैली हरियाली आंखों के सामने नैसर्गिक सौंदर्य का संसार प्रस्तुत करते हैं. यहां का तापमान सर्दी में 4.5 डिगरी सैल्सियस और गरमी में अधिकतम 35 डिगरी सैल्सियस होता है.

यहां आप वर्षभर किसी भी मौसम में जा सकते हैं. यहां की गुफाएं पुरातात्त्विक महत्त्व की हैं क्योंकि यहां की गुफाओं में शैलचित्र मिले हैं. यहां की प्राकृतिक संपदा को पचमढ़ी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संजोया गया है. पर्यावरण की दृष्टि से पचमढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए यहां पौलिथीन का उपयोग नहीं करने दिया जाता.

दर्शनीय स्थल

पांडव गुफा

पचमढ़ी की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित 5 गुफाओं को पांडव गुफा के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि ये गुफाएं गुप्तकाल की हैं और इन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था. ऐसी भी मान्यता है कि 5 पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इन गुफाओं में कुछ समय बिताया था. गुफा के ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से पूरी पचमढ़ी के सौंदर्य को निहारा जा सकता है.

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अप्सरा विहार

पांडव गुफा से आगे 30 फुट गहरा एक ताल है जहां नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है. बच्चों के साथ घूमने के लिए यह एक बेहतरीन पिकनिक स्पौट है.

रजत प्रपात

अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस प्रपात से 350 फुट की ऊंचाई से गिरता इस का पानी एकदम दूध की तरह दिखाई देता है. अपने साथ एक जोड़ा कपड़ा ले जाएं ताकि इस प्रपात में स्नान कर सकें.

हांडी खोह

300 फुट गहरी यह खाई पचमढ़ी की सब से गहरी खाई है. खाई का अंतिम छोर जंगल के ऊंचेऊंचे पेड़ों के कारण दिखाई नहीं देता. घने जंगलों में ढकी इस खाई के आसपास कलकल बहते झरनों की आवाज सुनना अद्भुत आनंद देता है. ऊपर से देखने पर एक रोमांचभरी सिहरन पैदा होती है. स्थानीय लोग इसे अंधी खोह के नाम से भी पुकारते हैं. यहां बनी रेलिंग प्लेटफौर्म से पूरी घाटी का नजारा दिखाई देता है.

धूपगढ़

धूपगढ़ सतपुड़ा रेंज की सब से ऊंची चोटी है. यहां से सनसैट का व्यू काफी सुंदर दिखाई देता है. धूपगढ़ तक जाने के लिए अंतिम 3 किलोमीटर का रास्ता काफी घुमावदार है. बादलों के बीच में ही धीरेधीरे मलिन होते सूरज को देखना एक अनोखा अनुभव होता है.

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान

524 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह उद्यान जहां चीड़, देवदार, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य छोटेबड़े वृक्षों से ढका हुआ है वहीं यहां आप को बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू और रंगबिरंगे पक्षियों के भी दर्शन हो जाएंगे.

डचेश फौल्स

यह पचमढ़ी का सब से दुर्गम स्पौट है. यहां पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है. 700 मीटर का रास्ता जहां घने जंगलों के बीच से पार करना पड़ता है वहीं करीब 800 मीटर का रास्ता पहाड़ पर से सीधा ढलान का है, इसलिए काफी संभलसंभल कर चलना पड़ता है. लेकिन नीचे उतरने के बाद फौल में नहाने से सारी थकान पल में छूमंतर हो जाती है.

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इस का नाम बी फौल्स इसलिए पड़ा क्योंकि पहाड़ी से गिरते समय यह झरना बिलकुल मधुमक्खी की तरह दिखता है. यहां आते समय अपने साथ स्पोर्ट्स शूज लाना न भूलें क्योंकि पहाड़ी रास्तों पर चलने के दौरान उन की जरूरत पड़ती है. यह 3 बजे बंद हो जाता है.

समुद्रतल से 1,100 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस शहर की आबादी लगभग 12 हजार है और यहां की जीवनशैली आज भी बाहरी चकाचौंध से अछूती है. प्रदूषणरहित वातावरण में कुदरत के सौंदर्य को निहारने के लिए इस छोटी सी सैरगाह में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें. इन में कई जगह कैमरे या हैंडीकैम का शुल्क है, इसलिए गाइड से पूछ लें कि यह शुल्क कहां जमा कराया जाए.

कहां ठहरें

पचमढ़ी में ठहरने की बहुत अच्छी व्यवस्था है. मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के भी हेरिटेज होटल और गेस्ट हाउस हैं जो विभिन्न आयुवर्ग की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं.

इन जगहों पर संभल कर जाएं नहीं तो..

भारत के हर कोने में प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है जो यात्रियों का मनमोह लेता है लेकिन यहां कि कई जगहें ऐसी हैं जहां पर जाने से पहले एक बार सोच लेना ही बेहतर है. भारत की खूबसूरती देसी-विदेशी पर्यटकों को ये जगह खूब लुभाती है और हर रोज हजारों की तादाद में विदेशी पर्यटक यहां घूमने आते हैं.

फुगताल मोनेस्ट्री, लद्दाख

इसे फुगताल गोस्पा के नाम से भी जाना जाता है. ऊंची खड़ी पहाड़ी के एक तरफ बनी हुई इस मोनेस्ट्री पर बाहरी लोगों का पहुंचना खतरे से खाली नहीं.

दमस बीच, गुजरात

गुजरात के समुद्री तट पर स्थ‍ित दमस बीच जिसे लोग डुमस बीच भी कहते हैं अपनी रहस्‍यमयी पहचान के लिए पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बना रहता है. यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार इस बीच पर रूहों का बसेरा है और सूर्य अस्त होने के बाद यहां पर चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई देती हैं.

अकसई चिन, जम्‍मू-कश्‍मीर

अक्साई चिन या अक्सेचिन चीन, पाकिस्तान और भारत की सीमा पर स्थित तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है. यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है. किसी खूबसूरती आपको यहां जाने पर मजबूर कर देगी लेकिन क्‍या आप जानते हैं यह दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक है.

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द्रास, लद्दाख

इसको लद्दाख का द्वार भी कहते है. यह दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी जगह है और इसी के साथ यह आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र भी है. यहां अगर आप आतंकियों की गोलियों से बच गए तो ठंड से बचना मुश्किल है.

चंबल घाटी, मध्‍यप्रदेश

चंबल घाटी अपने खौफनाक इतिहास के लिए जानी जाती है क्‍योंकि एक जमाने में यहां पर डाकुओं का राज था और कहा जाता है कि अभी भी यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं है.

खरदुंग ला, लद्दाख

खरदुंग ला दुनिया की सबसे ऊंची रोड है. यहां पर सीधी चमकती धूप, तेज हवा और कम ऑक्सीजन अधिकतर लोगों को यहां से जल्द ही वापस लौटने पर मजबूर कर देती हैं.

मानस नेशनल पार्क, असम

मानस नेशनल पार्क असम का एक प्रसिद्ध पार्क है. इसे यूनेस्को नेचुरल वर्ल्ड हेरिटेज साइट के साथ-साथ प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व, बायोस्फियर रिजर्व और एलिफेंट रिजर्व घोषित किया गया है. इसकी सुंदरता में खो मत जाइएगा क्‍योंकि यहां पर बोडो उग्रवादियों का कब्‍जा है जो आपका स्‍वागत करने के लिए तैयार हैं.

निकोबार, आयलैंड

इस आयलैंड में समुद्री तट की खूबसूरती देखने के लिए पर्यटकों को प‍रमिशन की जरूरत होती है. यहां के जंगलों में आदिवासियों का कब्‍जा है इसलिए यहां जाने से पहले सारी जानकारी इकट्ठा कर लें.

फुलबानी, ओडिशा

भुवनेश्‍वर से 200 किलोमीटर दूर इस गांव का नैसर्गिक सौंदर्य आपको अपनी ओर खींचने के लिए काफी है लेकिन यहां जाना खतरे से खाली नहीं है. यहां पर भी माओवादी हर कोने पर फैले हुए हैं.

साइलेंट वैली, केरल

साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान उत्तरी केरल के पालक्काड जि‍ले के मन्नारकाड से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. पिछले कुछ समय से माओवादी हमलों के बाद इस जगह को पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है.

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बस्‍तर, छत्‍तीसगढ़

भारत का नियाग्रा फाल कहा जाने वाला चित्राकूट बस्‍मर में ही स्थित है लेकिन यहां पर फैला नक्‍सली आतंक पर्यटन के लिहाज से बहुत खतरनाक है.

तुरा, मेघालय

तुरा में फैला प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है लेकिन यहां पर भी आतंक का खौफ फैला हुआ है.

बेरेन आयलैंड, अंडमान

अंडमान बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत के अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह का उत्तरी भाग है. अंडमान के आंचल में मूंगे की दीवारों, साफ-स्वच्छ सागर तट, पुरानी यादों से जुड़े खंडहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां मौजूद हैं और इसी के साथ यहां पर भारत का एक मात्र ज्‍वालामुखी भी है.

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प्रकृति की गोद में बसे हैं भारत के ये 5 Tourist Spot

बात अगर इको फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में की जाए तो भारत में ऐसी कई जगहें है जहां जाकर आप प्रकृति का पूरा आनंद उठा सकतीं हैं. वैसे तो इन जगहों पर साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है लेकिन कुछ कुछ मौसमों में तो ये और भी रोमांटिक लगने लगते हैं. इन जगहों पर आने के बाद आपको एहसास होगा की आप प्रकृति की गोद में बैठी हैं.

तो आज हम आपको ऐसे ही भारत के कुछ इको फ्रेंडली पर्यटन स्थलों के बारें में बताएंगे और उम्मीद करते हैं आपको ये जगहें पसंद आएंगी, क्योकि ये ट्रिप आपके लिये पैसा वसूल ट्रिप होगा.

केरल

इको फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिस्ट में केरल का नाम पहले आता है, केरल बहुत ही खूबसूरत और हरी भरी जगह है. यहां किसी भी मौसम में घूमा जा सकता है. केरल में प्रकृति‍ का एक अनोखा रूप देखने को मिलता है. इको-फ्रेंडली टूरिस्‍ट प्‍लेस पसंद करने वाले पयर्टकों के लिए यहां खूबसूरत रेतीले समुद्र तट, ताड़ के पेड़ और बैकवौटर जैसी चीजे हैं. जिनका अच्‍छे से मजा लिया जा सकता है. यहां की संस्कृति और परंपराएं भी पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

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कुर्ग

कुर्ग भी इको-फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है. यह भारत के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में भी गिना जाता है. यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. मिस्टी पहाड़ियों, घने जंगल और कोहरे वाली शाम पयर्टकों को बहुत पसंद आती हैं. इतना ही नहीं यहां बहने वाली कावेरी नदी इस स्थान को और ज्‍यादा खूबसूरत बनाती है. इसके अलावा वन्य जीव स्‍थल पुष्‍पागिरि वन्‍यजीव अभयारण्‍य भी घूमा जा सकता है.

गोवा

इको-फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में गोवा का नाम न हो ऐसा शायद ही हो. यह भी भारत के खूबसूरत पयर्टन स्‍थलों में से एक है. गोवा की प्राकृतिक सुंदरता की भी जितनी तारीफ की जाए कम है. समुद्र तट के अलावा यहां बोंडला या कोटीगाओ वन्यजीव अभयारण्य जैसे स्‍थानों पर पयर्टकों को बहुत अच्‍छा लगता है. गोवा की यात्रा में सुंदर मंदिरों, चर्चों, किले और ऐतिहासिक स्मारकों को घूमा जा सकता है.

सिक्किम

हिमालय में एक छोटा सा पहाड़ी राज्य सिक्किम अपनी हरी भरी वनस्पति, घने जंगलों और असख्‍ंय किस्‍मों के फूलों से पयर्टकों को आकर्षित करता है. इसके अलावा यहां पयर्टकों को गहरी घाटियों, खूबसूरत झरनों और लहराती नदियों के किनारे शाम के समय वक्‍त बिताना अच्‍छा लगता है. एक खूबसूरत पयर्टन स्‍थल के रूप में सिक्किम के पास सबकुछ है. यहां पर विदेशी पयर्टकों की भी भीड़ रहती है.

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उत्तराखंड

उत्तराखंड धरती का स्वर्ग है. यह राज्‍य पूरे पहाड़ी इलाकों और खूबसूरत परिदृश्यों के लिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. गंगा और यमुना दो नदियां हैं जो उत्तराखंड में हिमालयी ग्लेशियरों से शुरू होती हैं. उत्तराखंड बहुत समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का घर है. यहां हमेशा शुष्क सा मौसम बना रहता है. जिस वजह से पर्यटक इन जगहों के मुरीद हैं.

रोमांटिक और रौयल दोनों तरह का है Rajasthan का बीकानेर

क्या आप कभी राजस्थान के शहर बीकानेर गईं हैं, अगर नहीं गईं हैं तो ये जगह अपने लाईफ पार्टनर के साथ या अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिये बेहद दिलचस्प है. आप किसी रोमांटिक और ऐतिहासिक जगह पर घूमना चाहती हैं, तो बीकानेर में आप अपना वीकेंड दिलचस्प बना सकती हैं. बीकानेर में रजवाड़ों की अनोखी विरासत है. यहां पर आपको कई शाही हवेलियां मिलेंगी. यह राठौर राजकुमार, राव बीकाजी द्वारा वर्ष 1488 में स्थापित किया गया था. यह शहर अपनी समृद्ध राजपूत, संस्कृति स्वादिष्ट भुजिया नमकीन रंगीन त्योहारों, भव्य महलों, सुंदर मूर्तियों और विशाल रेत के पत्थर के बने किलों के लिए प्रसिद्ध है.

बीकानेर में क्या है खास

ऊंट, लोकप्रिय ‘रेगिस्तान के जहाज’ के रूप में जाना जाता है. यह त्यौहार जूनागढ़ किले की पृष्ठभूमि में आयोजित एक शानदार जुलूस के साथ शुरू होता है. इस त्योहार के दौरान ऊंट गहने और रंगीन कपड़े के साथ सजाया जाता है. ऊंट दौड़, ऊंट दुहना, फर डिजाइन, सबसे अच्छी नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट कलाबाजी, और ऊंट बैंड अदि त्योहार के सबसे लोकप्रिय आकर्षण हैं.

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बीकानेर वाला ब्रांड यहीं से हुआ शुरू

बीकानेर विशाल भुजिया उद्योग का उद्गम स्थल रहा है, जो कि 1877 में राजा, श्री डूगर सिंह के शासनकाल में शुरू किया गया. भुजिया सबसे पहले डूगरशाही के नाम से शुरू की गई, जो कि राजा के मेहमानों की सेवा के तहत बनाया जाता था. बीकानेर,जो कि बीकानेरी भुजिया, मिठाई और नमकीन के लिए जाना जाता है. यह शहर ‘बीकाजी’ और ‘हल्दीराम जैसे विश्व प्रसिद्ध वैश्विक ब्रांडों का उद्गम स्थल रहा है.

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क्या देखें

आप यहां पर गजनेर पैलेस, शिव वारी मंदिर, कालीबंगन, लालगढ़ पैलेस, जूनागढ़ किला इन तमाम जगहों को देख तथा ऊंट की सवारी कर सकती हैं.

घूमने के लिए बेस्ट टाइम

नवम्बर से फरवरी का वक्त बीकानेर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय है. गर्मी का मौसम यहां पर मार्च के महीने से जून तक रहता है. इस जगह का अधिकतम और न्यूनतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस और 28.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है, इस वजह से गर्मी में यहां जाने से बचना चाहिए.

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कैसे पहुंचे

पर्यटक बस सेवा द्वारा भी गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. राज्य परिवहन की और निजी बसें दिल्ली, जोधपुर, आगरा, अजमेर, अहमदाबाद, जयपुर, झुंझुनू, जैसलमेर, बाड़मेर, उदयपुर और कोटा से बीकानेर के लिए उपलब्ध हैं. लालगढ़ पैलेस के पास बस स्टैंड है. बीकानेर रेलवे स्टेशन लगातार गाड़ियों द्वारा जयपुर, चुरू, जोधपुर, दिल्ली, कालका, हावड़ा और भटिंडा जैसे प्रमुख भारतीय स्थलों से जुड़ा हुआ है.

बीकानेर रेलवे स्टेशन से शहर के लिए कैब उपलब्ध हैं. जोधपुर हवाई अड्डा यहां सबसे नजदीक है, जो कि बीकानेर से लगभग 250 किमी की दूरी पर स्थित है. विदेशी पर्यटकों के लिए नई दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे निकट है.

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कुतुबमीनार से भी ऊंचा है ये किला, यहां से दिखता है पाकिस्तान

भारत में घूमने के लिए इतने खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं, कि आपकी पूरी जिंदगी कम पड़ जाएगी.यहां ऐतिहासिक किलों को देखने के लिए आपको सालों-साल लग जाएंगे. आज हम आपको ऐसे ही दिलचस्प किले के बारे में बताने जा रहे हैं.

राजस्थान के जोधपुर और मेहरानगढ़ किला की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक थी. जब राव जोधा जी को अपने पिता की मृत्यु के बाद मंडोर का राज्य खोना पड़ा तब वे लगातार पंद्रह सालों तक मेवाड़ की फौजों से युद्ध करते रहे और 1453 ई. में उन्होंने मंडोर पर अधिकार किया. जिसके लिए राव जोधा उत्तराधिकारी बने थे. उन्हें अपनी राजधानी के लिए एक किले का निर्माण करना था.

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इसी बीच उन्होंने एक जगह हिरण को शेर से लड़ते देखा और किले का निर्माण कराया. बता दें कि जोधपुर का मेहरानगढ़ किला 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है. इस तरह से यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई (73मीटर) से भी ऊंचा है. किले के परिसर में सती माता का मंदिर भी है.

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क्या है खास

इस किले के दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर तक फैली है. इनकी ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट तथा चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है. इसके परकोटे में दुर्गम रास्तों वाले सात आरक्षित दुर्ग बने हुए थे. घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं. किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे, जालीदार खिड़कियां हैं.

जोधपुर शासक राव जोधा ने 12 मई 1459 को इस किले की नींव डाली और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया. यानि इस किले का इतिहास 500 साल पुराना है.

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हो चुकी है हौलीवुड फिल्मों की शूटिंग

  • कामयाब अंग्रेजी फिल्म डार्क नाइट के कुछ हिस्से भी मेहरानगढ़ में फिल्माए जाने के बाद यह हौलीवुड के लिए भी एक शानदार डेस्टीनेशन बन गया.
  • यहां ब्रूस वेन को कैद करने, जेल पर हमला करने आदि के दृश्य फिल्माए गए थे.

किले से दिखता है पाकिस्तान

1965 में भारत-पाक के युद्ध में सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था. लेकिन माना जाता है कि माता की कृपा से यहां किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ. यहां किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखती है.

कैसे पहुंचे

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फ्लाइट से जा रहे हैं, तो आप जोधपुर एयरपोर्ट द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं. वहीं ट्रेन से जाने के लिए जोधपुर स्टेशन से ट्रेन सभी मुख्य शहरों के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी. आप यहां बस से भी पहुंच सकते हैं. नई दिल्ली  और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती हैं. दिल्ली और आगरा के बीच का यह सड़क मार्ग गोल्डन ट्रैवल क्षेत्र का हिस्सा है.

घूमने के लिए बेस्ट टाइम : अक्टूबर से मार्च

कहां ठहरें : आपको यहां कई होटल, रिसौर्ट मिल जाएंगे. इसके अलावा अगर आपका बजट थोड़ा कम है तो यहां धर्मशालाएं भी बनाई गई हैं.

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निजामों का शहर हैदराबाद, अगर जाएं तो इन जगहों पर जरूर घूमें

तेलंगाना तथा आन्ध्रप्रदेश की राजधानी है हैदराबाद. जिसे निजामों का शहर भी कहा जाता है. इसे मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने बनवाया था और अपनी प्रेमिका भागमती के नाम पर हैदराबाद का नाम ‘भाग्य नगर’ रखा था. जब भागमती का नाम ‘हैदरी बेगम’ पड़ा तो भाग्य नगर नाम बदलकर ‘हैदराबाद’ हो गया. तब से हैदराबाद को इसी नाम से जाना जाता है.

हैदराबाद को बेहतरीन ‘निजामों का शहर’ तथा ‘मोतियों का शहर’ भी कहा जाता है. हैदराबाद की खूबसूरती चारों तरफ खड़ी पहाड़ियों और उनके बीचो-बीच बहती मूसा नदी में देखी जा सकती है. आइए, हम आपको बताते हैं हैदराबाद की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में.

चारमीनार

चारमीनार का निर्माण 1591 में नवाब कुली कुतुबशाह ने करवाया था. कहा जाता है हैदराबाद में भयंकर महामारी प्लेग पर विजय पाने की खुशी में नवाब कुली कुतुबशाह ने इसे बनवाया था. इस मीनार की ऊंचाई 180 फुट है.

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मक्का मस्जिद

मक्का मस्जिद यह मस्जिद इस्लामिक कला का बेहद खूबसूरत और बेजोड़ नमूना है. चारमीनार के कुछ ही दूरी पर है. यह मक्का मस्जिद जिसे पर्यटक आसानी से देख सकती हैं. इस मस्जिद की खासियत यह है कि इसमें 10 हजार एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.

गोलकुंडा का किला

गोलकुंडा का किला गोलकुंडा कभी हीरों की खानों के लिए मशहूर है. 11 किलोमीटर के एरिये में फैले इस किले को मजबूत ग्रेनाइट दीवार जो किले को चारों ओर से घेरे हुए है. इसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इस किले की खासियत यह है कि यहां के मुख्य प्रवेश द्वार पर गुंबद के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से उसकी आवाज को किले के सबसे ऊपरी हिस्से तक सुना जा सकता है.

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हुसैन सागर झील

हुसैन सागर झील इस झील के बीचो-बीच महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा बेहद खूबसूरत है. इस झील का निर्माण हजरत हुसैन शाह वली ने इब्राहिम कुतुबशाह के काल में करवाया गया था.

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय बिड़ला तारा गृह पूरे देश के ताराग्रहों में से एक हैं. यह तारागृह हिंदी,अंग्रेजी और तेलुगु में स्काई शो आयोजित करता है.

नेहरू चिड़ियाघर

नेहरू चिड़ियाघर नेहरू चिड़ियाघर देश का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक है. यहां आप लायन सफारी तथा सफेद शेर लुफ्त उठा सकती हैं.

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कैसे पहुंचे

राष्ट्रीय राजमार्ग 2 गया से होकर गुजरता है, इस मार्ग का काम अभी चल रहा है, इसके प्रोजेक्ट को गोल्ड न क्वाहड्रिलैट्ररल प्रोजेक्ट कहा गया है. जो गया शहर से 30 किमी. की दूरी पर है. इस प्रकार, गया कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और दिल्ली आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. गया में रेलवे स्टेाशन स्थित है. जहां से देश के कई हिस्सों जैसे कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, मुम्बई आदि के लिए महत्वसपूर्ण ब्रौड गेज मार्ग की ट्रेन मिल जाती है. गया, भारत के कई शहरों व राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.

चखना न भूलें स्ट्रीट फूड

हैदराबादी बिरयानी के अलावा आप हलीम, फिरनी बोटी कबाब, मिर्ची का सालन ट्राई कर सकती हैं.

अगर कश्मीर जाएं तो लें इन 5 जायकों का स्वाद लेना ना भूलें

कहते हैं अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो कश्मीर में है. कश्मीर प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है. अगर आप कभी कश्मीर नहीं गए, तो जल्दी से ट्रिप प्लान कर लीजिए. साथ ही अगर आप कश्मीर घूमने जाएं, तो कश्मीरी जायकों का लुफ्त उठाना न भूलें. आइए, हम आपको बताते हैं कश्मीर के खास जायके. जिन्हें अगर आप एक बार चखेंगी तो पूरी जिंदगी उनका स्वाद आपके जुबान से नहीं उतरेगा.

1. रोगन जोश

नौन-वेज खाने के शौकीनों को रोगन जोश डिश जरूर पसंद आएगी. आप इस जायकेदार रेसिपी को चावल या तंदूरी रोटी के साथ ट्राई कर सकती हैं. यह काफी जल्दी बन जाता और तो और इसमें कई प्रकार के मसाले होते है जिससे यह बेहद स्वादिष्ट हो जाता है. यह कश्मीर का बेहद चर्चित व्यंजन है.

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2. दम उलाव

इस डिश को बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता इसे बनाने के लिये सबसे पहले दही और कश्मीरी लाल मिर्च के पेस्ट का प्रयोग होता है जिसकी वजह से दम उलाव काफी स्वादिष्ट हो जाता है. इसे बनाने के लिये सबसे पहले आलू को उबाल लिया जाता है फिर ज्यों का त्यों उसे गर्म तेल में फ्राई कर लिया जाता है उसके बाद इसे बनाने की मुख्य प्रक्रिया शुरू होती है. इस व्यंजन को स्वादिष्ट बनाने में सबसे ज्यादा योगदान इसमें डलने वाले मसालों का होता है, ये देखने में आलू-दम की तरह ही होता है लेकिन बेहद स्वादिष्ट होता है.

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3. मोदूर पुलाव

अगर आप कभी भी कश्मीर जाएं तो एक बात जरूर ध्यान में रखियेगा और वो है वहां की पुलाव. इसका स्वाद मीठा होता है इसमें तमाम प्रकार के मसालों के साथ साथ काफी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स तथा शुद्ध देसी घी का प्रयोग किया जाता है. इस चावल का रंग केसरिया होता है और यह चावल मीठा होता है जिसकी वजह से इस व्यंजन का स्वाद मीठा होता है. अगर आप कश्मीर जाएं, तो मीठे जायके का मजा जरूर लें.

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4. थुकपा

इस डिश को बनाना जितना आसान है उतना ही स्वादिष्ट इसका स्वाद है जिसे एक बार चखने बाद शायद आप इस नूडल से बने डिश को कभी ना भूल पाएं. यह नौनवेज और वेज दोनो ही प्रकार का होता है. गाढ़ी नूडल्स की ग्रेवी वाली इस डिश को आप सूप की तरह खा सकती हैं.

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5. कहवा और बटर-टी

कश्मीर के सबसे मशहूर जायकों में से एक. अगर आपने कश्मीर में जाकर कहवा या बटर टी का मजा नहीं लिया, तो समझिए आप बहुत कुछ मिस कर दिया. तो कश्मीर घूमने जाएं, तो यहां के इन जायकों को चखना न भूलें. क्योंकि ठंड में गर्मा गरम चाय या कौफी का मजा ही कुछ अलग हो जाता है.

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अगर जा रही हैं श्रीनगर घूमने, तो यहां जाना ना भूलें

सर्दियों में घूमने-फिरने का मजा ही कुछ और है. कश्मीर के दिल में बसा श्रीनगर दरिया झेलम के दोनों किनारों पर फैला हुआ है. नगीन और डल जैसी विश्व प्रसिद्ध झीलें श्रीनगर की जान कही जा सकती हैं, जबकि अपने लुभावने मौसम के कारण श्रीनगर पर्यटकों को सारा वर्ष आकर्षित करता रहता है.

आज कश्मीर का सबसे खूबसूरत शहर श्रीनगर विश्वभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जो 103.93 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ और समुद्र तल से 1730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अगर आप भी श्रीनगर जा रही हैं, तो ये 5 जगह देखना न भूलें.

डल झील

डल झील अपने हाउसबोट और शिकारे के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय है. यह झील लगभग 26 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुई है. यह पानी सर्फिंग, हाउसबोट और शिकारा सवारी, तैराकी, मछली पकड़ना, कैनोइंग के लिए सबसे बेहतरीन जगह है.

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इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन

श्रीनगर में स्थित इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन अपने वार्षिक ट्यूलिप महोत्सव के लिए बहुत मशहूर है. यह जाबारवन पर्वत की तलहटी में स्थित है. यहां देखने के लिए निशात गार्डन, शालीमार गार्डन, अचाबल बाग, चश्मा शाही गार्डन वर्ल्ड फेमस है.

निशात बाग

निशात बाग डल झील के किनारे पर स्थित है. इसका निर्माण 1633 में अब्दुल हसन आसफ खान ने किया था और यह सबसे बड़ा मुगल गार्डन है. यह पर्यटकों को अपने सौंदर्य की वजह से अपनी ओर खींचता है.

शंकराचार्य मंदिर

शंकराचार्य मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यह श्रीनगर का एक अन्य पर्यटन स्थल है. यह मंदिर कई पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह माना जाता है कि इसे 200 ईसा में सम्राट अशोक के बेटे जलुका द्वारा निर्माणित किया गया था. पहाड़ी से शीर्ष आगंतुकों पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की बर्फ से ढकी पहाड़ों की एक शानदार दृश्य प्राप्त कर सकते हैं.

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कैसे पहुंचे

श्रीनगर आने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 290 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह रेलवे स्टेशन देश के कई प्रमुख शहरों जैसे-बंगलौर, चेन्नई, त्रिवेंद्रम और अन्यं से भली-भांति जुड़ा हुआ है. पर्यटक रेलवे स्टेशन से श्रीनगर के लिए प्राईवेट टैक्सी भी हायर कर सकते हैं.

यहां का एयरपोर्ट शेख- उल- आलम एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, जो शहर से 14 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह एयरपोर्ट एक नेशनल एयरपोर्ट है जो देश के कई शहरों और राज्यों जैसे- मुम्बई, दिल्ली, शिमला और चंडीगढ़ आदि से जुड़ा हुआ है. एयरपोर्ट के बाहर खडी टैक्सी आपको वाजिब दाम में शहर की सैर या होटल तक पहुंचा देगी. विदेश से आने वाले पर्यटक दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरें और वहां से 876 किमी. का सफर तय करके श्रीनगर पहुंचें.

घूमने का सबसे बेस्ट टाइम : आप पूरे साल श्रीनगर में घूम सकते हैं, लेकिन सर्दियों में मौसम ज्यादा खुशगवार रहता है.

Couples के लिए जन्नत से कम नहीं है ऊटी, ये है बेस्ट Honeymoon Spot

शिमला में बर्फ पड़ते ही ज्यादातर लोग शिमला में स्नोफौल देखने की प्लानिंग करते हुए नजर आते हैं. ऐसे में सीजन में घाटा उठा रहा शिमला टूरिज्म फिर से गुलजार हो गया है. लेकिन दूसरी तरफ शिमला जाने वाले लोगों की संख्या एकाएक बढ़ गई है.

अगर आप भी शिमला घूमने का प्लान बना रही हैं, तो वहां जाने से पहले अपनी विश लिस्ट थोड़ी बढ़ा लीजिए, क्योंकि वहां आपको काफी भीड़ मिल सकती है.

आइए, हम आपको शिमला की तरह ही खूबसूरत एक और जगह के बारे में बताते हैं. ऊटी एक ऐसी खूबसूरत जगह जिसे कपल्स की फेवरेट हनीमून डेस्टिनेशन माना जाता है. आइए, जानते हैं क्या है यहां खास.

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यह दक्षिण भारत का प्रमुख हिल स्टेशन है, जो हनीमून हौट स्पौट के रूप में भी प्रसिद्ध है. यह शहर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले का एक भाग है. ऊटी शहर के चारों ओर स्थित नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता बढ़ जाती है. इन पहाड़ियों को ब्लू माउन्टेन (नीले पर्वत) भी कहा जाता है. कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहां की घाटियों में 12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा. ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं तो घाटियों को नीले रंग में रंग देते हैं.

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क्या है खास

बोटेनिकल गार्डन, डोडाबेट्टा उद्यान, ऊटी झील, कलहट्टी प्रपात और फ्लौवर शो आदि कई कारण हैं जिनके लिए ऊटी पूरे विश्व में मशहूर है. एवलेंच, ग्लेंमोर्गन का शांत और प्यारा गांव मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान आदि ऊटी के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.

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कैसे पहुंचे

ऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर 89 किलोमीटर दूर है. मुंबई, कालीकट, चेन्नई व मदुरै के लिए यहां से नियमित उड़ानें हैं. चेन्नई व कोयंबटूर से ट्रेनें भी हैं. बस-टैक्सी लेकर मदुरै,  तिरुअंनतपुरम, रामेश्वरम, कोच्चि, कोयंबटूर से यहां पहुंचा जा सकता है.

अगर आप भी अपने पार्टनर के साथ किसी खास जगह पर घूमना चाहते हैं, तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकती है.

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