Valentine’s Day: नया सवेरा- भाग 3

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‘‘तुम्हारे पिता ने हमारी आर्थिक रूप से बहुत मदद की. इस खातिर, मैं चुप हो गई. उस के बाद मेरे पापा को तो मौका मिल गया. तुम्हारे पिता दारू पीने के लिए उन्हें खूब पैसे देते. कितना स्वार्थी होता है न इंसान, प्रीति? अपने बच्चे का दर्द देख कर भी अनजान बन जाता है और सिर्फ अपने बारे में सोचता है.

‘‘खैर, धीरेधीरे यहां आ कर कुछ समय के पश्चात मैं ने सबकुछ भूल कर तुम्हारे पिता को दिल से अपनाना चाहा. परंतु उन्हें तो सिर्फ मेरी खूबसूरती से प्यार था. मात्र खिलौना भर थी मैं उन के लिए. बहुत कोशिश की प्रीति, पर निराशा ही हाथ लगी. जब उन का मन करता, वे मु झ से मिलते अन्यथा महीनों वे मु झ से बात तक नहीं करते. यदि मैं कुछ कहती तो वे मु झे अपनी औकात में रहने को कहते. मु झ से कहते कि मु झे तो उन का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने मु झ से शादी की, मु झे इस बंगले में आश्रय दिया. चूंकि उन्होंने दीदी के इलाज के लिए पैसे दिए थे. मैं चुप हो जाती. उस के बाद मैं ने चुप रहना सीख लिया. तुम्हारे पिताजी जो चाहते थे, वह हो गया. सबकुछ उन के हिसाब से हो रहा था और यही तो वह चाहते थे.’’

वे आगे बोलीं, ‘‘फिर तुम भी मु झ से बात नहीं करना चाहती थीं और तब तक मैं इस कदर टूट चुकी थी कि तुम्हारे करीब जाने, तुम्हें सम झने की मैं ने कोशिश भी नहीं की. मु झे लगा कि न मेरे पिता अपने हुए, न मेरे पति अपने हुए तो तुम तो किसी और का खून हो, तुम कैसे मेरी अपनी हो सकती हो. फिर क्यों मैं यह बेकार की कोशिश करूं. क्यों हर बार अपना हमदर्द तलाशने की कोशिश करूं. मैं ने तुम में अपनी खुशी तलाशने के बजाय खुद को एक गहरे अंधकार में धकेल दिया. मु झे माफ कर देना, प्रीति.

‘‘तुम्हारे प्रति मेरी जिम्मेदारी थी जिसे मैं ने कभी पूरा नहीं किया. कभीकभी लगता है पापा की तरह मैं भी तो स्वार्थी ही थी जो अपने गमों में इस कदर खो गई कि तुम्हारे गमों को देख कर भी हमेशा मैं ने अनदेखा किया है. लेकिन देखो न, इतना कुछ होने के बावजूद जब पापा की मौत की खबर सुनी, मु झे बहुत रोना आया. मैं फूटफूट कर रोई. ऐसे क्यों होता है प्रीति? कहां से हम औरतों में इतना स्नेह आता है? और क्यों आता है? क्यों हम लोग बेरहम नहीं हो सकते?’’

यह कह कर छोटी मां रोने लगीं. मेरा भी गला भर आया. मैं वहीं बालकनी में फर्श पर बैठ गई. मैं ने छोटी मां का हाथ अपने हाथ में लिया और कहा, ‘‘मां, आप चिंता मत करिए. अब सब ठीक होने वाला है. हमारे जीवन में खुशियां लौटेंगी. कितना कीमती समय हम ने ऐसे ही जाया कर दिया, जबकि आप और मैं, हम दोनों उसी दर्द से गुजर रहे थे. फिर भी हम एकदूसरे के हमदर्द नहीं बन पाए. गलती सिर्फ आप की नहीं थी मां, गलती तो मेरी भी थी.

‘‘मैं ने भी तय कर लिया था कि कभी आप को मां के रूप में नहीं स्वीकारूंगी. मां, हमारा जीवन के प्रति दृष्टिकोण ही नकारात्मक था. यदि हम कोशिश करते तो एकदूसरे के दोस्त बन सकते थे. हम अपना दर्द बांट सकते थे. लेकिन हम ने ऐसा नहीं किया.’’

मां ने मु झ से सहमति जताई. मैं ने किचन से एक गिलास ठंडा पानी ले कर मां को दिया. आज हम एक अनोखे दोस्ती के रिश्ते से बंध रहे थे. सबकुछ कितना अच्छा और नया लग रहा था. मैं वहीं मां के पास नीचे बैठी. घड़ी ने सुबह के 4:30 बजा दिए. तभी मेरे मोबाइल पर रोहित का मैसेज आया. उस ने लिखा था, ‘कब तक इंतजार करवाओगी प्रीति? कब तक मेरे प्यार की परीक्षा लोगी? 2 साल से हम एकदूसरे को जानते हैं. अब वक्त आ गया है कि हम पतिपत्नी के बंधन में बंध कर सदा के लिए एक हो जाएं. तुम्हारी हां के इंतजार में, तुम्हारा और सदा तुम्हारा, रोहित.’ मेरे चेहरे की प्रसन्नता से मां सम झ गईं कि कुछ न कुछ बात जरूर है. मैं ने रोहित को मैसेज किया, ‘रोहित, तुम ने मेरा बहुत इंतजार किया है. एक दिन और कर लो. आज मु झे मां को ले कर उन के पिता के दाहसंस्कार में जाना है. मैं तुम से कल मिलती हूं.’

मां के पूछने पर मैं ने मां को रोहित के बारे में सबकुछ बता दिया कि हम लोग 2 साल से एक ही औफिस में काम करते हैं. एकदूसरे को पसंद भी करते हैं और रोहित चाहता है कि हम विवाह बंधन में बंध जाएं. मगर रिश्तों से डर लगने लगा है. तब मां ने मु झे प्यार से सम झाया, ‘‘मेरे हिसाब से यदि रोहित तुम से सच्चा प्यार नहीं करता तो तुम्हारा इंतजार भी नहीं करता. वह विवाह करना चाहता है तुम से. तुम्हें प्यार से अपनाना चाहता है. फिर भी मैं एक बार उस से मिलना चाहूंगी.’’ मां का यह कहना था कि मेरी खुशी की सीमा न रही. मैं ने मां से कहा, ‘‘मां, आप को पूरा अधिकार है और आप को यह अधिकार देते हुए मु झे अजीब सा सुकून महसूस हो रहा है. आज लग रहा है कि मेरी जिंदगी में भी अच्छेबुरे का निर्णय लेने वाला कोई है. कोई है जो अब मु झे गलत काम के लिए डांट सकता है,’’ कहतेकहते मेरा गला भर आया.

आज हम मांबेटी खूब रोए. अब सूरज की पहली लालिमा निकल रही थी. ऐसा लग रहा था कि प्रकृति भी आज प्रसन्न है. नया दिन आज आशा का नया सवेरा ला कर हमारी जिंदगी में आया था. मैं ने मां से जल्दी तैयार हो जाने को कहा. मां ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरा. कुछ ही देर बाद हमारी गाड़ी मां के मायके में आ कर रुकी. मां ने अपने पिताजी को अंतिम बार प्रणाम किया. वहां उन की बहनें पहले ही पहुंच चुकी थीं. मैं उन सब से मिली. मैं अगले दिन घर आ गई और मां कुछ दिन वहीं रुक गईं. फिर मैं रोहित से मिलने गई. रोहित मु झे देख बहुत खुश हो गया. फिर हम कौफी हाउस गए. वहां कौफी का और्डर दिया.

मैं ने रोहित से कहा, ‘‘रोहित, मैं बहुत खुश हूं. अब मु झे मेरे परिवार के रूप में छोटी मां का प्यार मिला है. मैं ने तुम से अपने परिवार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया था. लेकिन तुम्हें सबकुछ जानने का अधिकार है,’’ यह कह कर मैं ने रोहित को सारी बात बता दी. मैं ने रोहित से यह भी कहा कि शादी के बाद भी मां मेरे साथ ही रहेंगी. अब मैं उन को और अकेला नहीं छोड़ सकती. मैं ने एक मां का प्यार तो खो दिया, अब दूसरी मां का नहीं खोना चाहती. यह सब जान लेने के बाद ही वह मु झ से शादी करने का फैसला ले. कोई जल्दबाजी न करे.

‘‘मु झे तुम्हारे जवाब का इंतजार रहेगा, रोहित,’’ मैं यह कह कर उठने ही वाली थी कि रोहित ने मेरा हाथ थाम लिया. उस ने मु झ से कहा, ‘‘प्रीति, पहले मैं केवल तुम से प्यार करता था परंतु अब तुम्हारी इज्जत भी करता हूं. जहां तक मां का सवाल है, मां यदि अपने बच्चों के पास नहीं रहेंगी तो कहां रहेंगी? और यकीन मानो, हम लोग मां को ढेर सारी खुशियां देंगे, जिन की वे हकदार हैं.’’

रोहित का इतना कहना था कि मैं रोहित के गले लग गई. मां उम्र के हिसाब से मेरी बड़ी बहन जैसी थीं. अब हमें अपने साथ उन का भी भविष्य संवारना था. 2 दिनों बाद रोहित मां से मिला. मां को रोहित अच्छा लगा. उन की तरफ से हरी  झंडी मिलते ही हम नए जीवन की हसीन कल्पनाओं में खो गए.

‘‘अरे, अरे…अभी से सपनों में खो गए तुम दोनों, अभी बहुत काम है. मेरी बेटी की शादी है, मु झे बहुत सारी तैयारियां करनी हैं,’’ मां का यह कहना था कि हम सब खिलखिला कर हंस पड़े.

Valentine’s Special: एक रिश्ता किताब का- क्या सोमेश के लिए शुभ्रा का फैसला सही था

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Valentine’s Special: पासवर्ड- क्या आगे बढ़ पाया प्रकाश और श्रुति का रिश्ता

लिफ्ट की साफसफाई चल रही थी, इसलिए प्रकाश तीसरी मंजिल पर स्थित अपने फ्लैट में जाने के लिए सीढि़यां चढ़ने लगा. वह 2-4 सीढि़यां चढ़ा ही था कि उसे लगा उस के पीछे कोई आ रहा है.

उस ने पलट कर देखा तो उस के पीछे एक लड़की सीढि़यां चढ़ रही थी. उस ने उसे देखा तो उस की नजर उस के चेहरे से फिसल कर कहीं और ही मुड़ गई. उसे यह अनुभव पहली नजर में ही नहीं बल्कि उस ने जब भी लड़की को देखा, तबतब हुआ था. पता नहीं उस के चेहरे में ऐसा क्या था कि वह जब भी दिखाई दे जाती, अनायास प्रकाश की आंखें उस की ओर चली जाती थीं. मगर टिकी नहीं रहती थीं. क्या यह उस के आकर्षण की वजह से था. लेकिन उसे लगता था, आकर्षण के अलावा भी उस में कुछ और था.

सहज आत्मविश्वास और हर किसी के प्रति अवहेलना का भाव. अपने आकर्षक होने की सहज अनुभूति और मिलीजुली मासूमियत. जैसे उसे इस बात का गहरा अहसास हो कि वह युवा है, पर उसे इस का अहसास न हो कि जवानी क्या है. उस के चेहरे का खोजता हुआ भाव उस की सुंदरता को और बढ़ा देता था. उस की आंखों से ऐसा लगता था, जैसे वह बाहर कम अपने अंदर ज्यादा देखती है. चुस्त जींस और चुस्त टौप, मानो उस ने अपनी नजरों से नहीं, दूसरों की नजरों से प्रकाश की ओर देखा हो.

उस के बड़ेबड़े बालों और सुंदर चेहरे की बड़ीबड़ी आंखों के अलावा प्रकाश की नजर फिसल कर जहां मुड़ी थी, वह उसी में खो गया था, जिस की वजह से उस की चाल धीमी हो गई थी. पर उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था. वह उसी तरह तेजी से सीढि़यां चढ़ती हुई उस के बगल से निकल गई.

प्रकाश को लगा, अब उसे भी चाल बढ़ानी होगी. क्योंकि अब वह यह देखे बिना नहीं रह सकता था कि वह किस फ्लैट में जाती है.यह जानने के लिए प्रकाश ने अपनी चाल बढ़ा दी. वह उसी तीसरी मंजिल पर पहुंच कर रुक गई, जहां प्रकाश को जाना था. वह फ्लैट नंबर था 303. प्रकाश का फ्लैट नंबर 301 था. वह लड़की सामने वाले फ्लैट में आई है, यह जान कर उसे बहुत खुशी हुई. पर यह कौन है, क्योंकि उस फ्लैट में प्रकाश ने उसे आज पहली बार देखा था.

उसे लगा, कोई रिश्तेदार होगी, किसी काम से आई होगी. वह प्रकाश के मन को भा गई थी, इसलिए एक बार और देखने के लोभ में उस ने अपने फ्लैट का मुख्य दरवाजा खुला छोड़ दिया. इस में वक्त ने उस का साथ यह दिया कि उस दिन उस के फ्लैट में कोई नहीं था. सभी एक शादी में गए हुए थे. प्रकाश दरवाजे के बाहर नजरें टिकाए बेचैनी से ताक रहा था कि वह बाहर निकले ताकि वह उसे एक नजर देख ले.

घंटों बीत गए, पर वह नहीं निकली. वह टकटकी लगाए उस के फ्लैट का दरवाजा ताकता रहा. धीरेधीरे वह निराश होने लगा.

पर शाम होते ही फ्लैट का दरवाजा खुला. प्रकाश के शरीर में जैसे जान आ गई. एक बार उसे और देखने के लिए वह फुरती से उठा और बाहर आ गया. तब तक वह लिफ्ट में घुस गई थी. प्रकाश ने फटाफट दरवाजा लौक किया और लिफ्ट के चक्कर में न पड़ कर तेजी से सीढि़यां उतरने लगा. उस के ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचने के साथ ही लिफ्ट भी नीचे पहुंच गई थी. लिफ्ट का दरवाजा खोल कर वह बाहर निकली और सामने सड़क की ओर चल पड़ी.

लड़की के रेशम जैसे काले लंबे बाल, सुडौल देह, वह लड़की सुंदर ही नहीं प्रकाश को अद्भुत भी लगी. उस की चाल गजब की थी. उसे देख कर कोई भी उस के प्रेम में पड़ सकता था. प्रकाश की नजर उस पर से हट नहीं रही थी. वह मेनरोड पार कर के सामने दुकान पर पहुंच गई. अब प्रकाश उसे सामने से मन भर कर देखना चाहता था. इसलिए वह वहीं सोसाइटी के गेट पर खड़ा रहा. उसे सामने से आता देख वह खो गया.

इस के बाद तो क्रम सा बन गया. प्रकाश उस के आगेपीछे चक्कर लगाने लगा. इसी के साथ उस ने लड़की के बारे में एकएक जानकारी जुटा ली. उस का नाम श्रुति था. उस के सामने वाले फ्लैट में उस की मौसी रहती थीं. वह मौसी के यहां रह कर बीटेक की अपनी पढ़ाई कर रही थी. इस के पहले वह हौस्टल में रह कर पढ़ रही थी. वहां कोई बवाल हो गया था, जिस की वजह से वह मौसी के यहां रहने आ गई थी.

प्रकाश ने उस से बात करने की कोशिश शुरू कर दी. पर उस की बातों का वह छोटा सा जवाब दे कर उसे टाल देती थी. फिर भी वह उस के पीछे पड़ा रहा. प्रकाश अकसर देखता, वह उस के फ्लैट के दरवाजे के पास खड़ी हो कर अपने मोबाइल में कुछ करती रहती थी. ऐसे में जब प्रकाश से उस का सामना होता तो धीरे से मुसकरा देती. इस से प्रकाश को लगा कि शायद वह उसे पसंद करने लगी है. पर क्यों, यह उसे पता नहीं था.

पर एक दिन जब प्रकाश ने अपने ओपन वाईफाई में पासवर्ड सेट कर दिया तो सच्चाई का पता चल गया. उस के पासवर्ड सेट करने के बाद जब वह बाहर निकला तो वह उस की ओर बढ़ी. उसे अपनी ओर आते देख प्रकाश के दिल की धड़कन बढ़ गई. शरीर में रोमांच सा हुआ.

प्रकाश के पास आ कर उस ने अपनी आवाज में शहद सी मिठास लाते हुए कहा, ‘‘आप अपने वाईफाई का पासवर्ड दे देंगे क्या?’’

‘‘क्यों नहीं, श्योर. लाइए, मैं आप के मोबाइल में कनेक्ट कर देता हूं.’’

श्रुति ने मोबाइल दिया, तो प्रकाश ने कांपते हाथों से वाईफाई का पासवर्ड सेट कर दिया. उस ने थैंक्स कहते हुए उस का मोबाइल नंबर मांगा तो प्रकाश ने फटाफट अपना नंबर सेव करा दिया. प्रकाश ने उस का नंबर मांगा तो उस ने भी बेहिचक अपना नंबर बता दिया. प्रकाश को उस का नाम पता था, फिर भी बात को आगे बढ़ाने के लिए उस ने उस का नाम पूछा.

‘‘मेरा नाम श्रुति है.’’ कह कर वह चली गई.

नंबर मिलने के बाद प्रकाश वाट्सऐप पर गुडमौर्निंग और गुडनाइट के मैसेज भेजने लगा. श्रुति की ओर से बराबर जवाब भी आता था. अकसर जानबूझ कर प्रकाश पासवर्ड बदल देता था. श्रुति का तुरंत फोन आ जाता था. कभीकभार वह वाट्सऐप पर मैसेज कर के पूछ लेती थी. एक दिन पासवर्ड बदल कर जैसे ही प्रकाश बाहर निकला, श्रुति सामने आ गई. उस ने पासवर्ड पूछा तो जवाब में प्रकाश ने कहा, ‘‘आई लव यू.’’

गुस्सा हो कर श्रुति ने कहा, ‘‘मैं वाईफाई का पासवर्ड पूछ रही हूं और तुम ‘आई लव यू’ कह रहे हो. तुम इस तरह की बात करोगे, मैं ने कभी सोचा भी नहीं था.’’

इस के अलावा भी श्रुति ने बहुत कुछ कहा. प्रकाश जवाब में जो कुछ कहना चाहता था, वह उसे सुनने को तैयार ही नहीं थी. अपनी बात कह कर वह पैर पटकती हुई चली गई. प्रकाश ने वाट्सऐप पर रिक्वेस्ट की, पर उस ने मैसेज खोल कर देखा ही नहीं. अंत में प्रकाश ने टेक्स्ट मैसेज भेजा कि ‘आई लव यू’ मैं ने तुम्हें नहीं कहा, वह तो वाईफाई का पासवर्ड है.

अगले दिन श्रुति मिली तो उस ने कहा, ‘‘तुम ने ऐसा जानबूझ कर किया था न? ऐसा कर के मुझे परेशान किया. तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. तुम्हें बता दूं कि मुझे ऐसी बातों में रुचि नहीं है.’’

‘‘अगर किसी को किसी से पहली नजर में प्यार हो जाए तो…’’ प्रकाश ने कहा.

‘‘और दूसरी नजर में ब्रेकअप हो जाए तो…’’ जवाब में श्रुति ने कहा.

‘‘यह तुम्हारा वहम है.’’

‘‘और प्रेम हो जाए यह?’’ श्रुति ने कहा.

‘‘यह मेरा अनुभव है. किस से हुआ है प्रेम?’’ प्रकाश ने पूछा.

‘‘मैं यह नहीं बताऊंगी. पर हुआ है, यह निश्चित है.’’

‘‘क्यों नहीं बता सकती?’’ प्रकाश ने सवाल कर दिया.

‘‘अगर वह मांगे तो जीवन ही नहीं, सांसें भी दे दूं,‘‘ श्रुति ने कहा, ‘‘तुम ने कभी किसी से प्यार किया है या सिर्फ वाईफाई का पासवर्ड ही ‘आई लव यू’ रखा है?’’

‘‘किया है न, तभी तो  ‘आई लव यू’ पासवर्ड रखा है. सीधेसीधे कहने की हिम्मत नहीं पड़ी तो पासवर्ड के बहाने कह दिया. अब तुम कहो, उस दिन तो तुम ने बहुत कुछ कह दिया. उस से तो..’’

‘‘मुझे अच्छे तो तुम भी लगते थे, पर तब तक इस बारे में कुछ सोचा नहीं था. पर जब सोचा तो लगा कि तुम ने यह पासवर्ड सेट करने के बजाय सच में ‘आई लव यू’ कहा होता तो…’’ श्रुति ने कहा.

उस की बात बीच में ही काट कर प्रकाश ने कहा, ‘‘तो क्या तुम भी..?’’

‘‘हां, पर अब यह पासवर्ड किसी दूसरी लड़की को मत बताना.’’ श्रुति ने कहा.

इसी के साथ दोनों हंस पड़े.

5 टिप्स से बनाएं वेलेंटाइन डे को खास

वेलेंटाइन डे (Valentines day) मतलब प्यार करने बांटने वालों का दिन.. सब इसे अलग तरीके से मनाने की योजना बनाते हैं.. वैसे तो मार्केट तरह तरह के महंगे गिफ्ट से भरी हुई है.. मगर ये महंगे गिफ्ट तो केवल कुछ पल की खुशी देते हैं.. इस बार कुछ ऐसा खास करें जो आपके वेलेंटाइन को हमेशा याद रह जाए..

आज हम आपको बताएंगे कि आप कैसे Valentine’s Day को खास और यादगार बना सकते हैं

1. खास कार्ड बनाएं

अगर आप थोड़े से भी क्रिएटिव है तो आप handmade कार्ड बना सकते हैं. अगर आपके पास कोई आइडिया नहीं आ रहा है तो आप यूट्यूब की मदद ले सकती है जहां कार्ड बनाने की ढेरों वीडियो मौजूद हैं. वीडियो सुनकर आप उसमें लगने वाले सामान नोट करके ले आए और फिर अच्छे से वीडियो समझ कर कार्ड बनाए और उसमें कहीं किसी कोने में अपने वेलेंटाइन की फोटो लगाना न भूले.

2. कमरें को सजाएं

इस समय वॉल स्टीकर ट्रेंड में हैं.. आप भी अपने वेलेंटाइन के रूम के कलर के हिसाब से कलर्ड या प्लेन पेपर ले जाए.. पेपर पर हार्ट शेप, फ्लावर, butterfly आदि की डिजाइन बना ले और पतली नोक की कैची लेकर काट कर वॉल के हिसाब से स्टीकर बनाए.. अगर आप हाथ से डिजाइन नहीं बना सकती तो नेट से डिजाइन का प्रिंट आउट लेकर उसे पेपर पर ट्रेस भी कर सकती है.

3. हैंड मेड चीजें बनाएं

अगर आपके पास ढेर सारे आपके साथी की फोटो है तो वॉल हैंगिग भी बना सकती है. इसके लिए वुड की क्लिप खरीद ले और साथ में लाइट वाली लडि़या भी.. ये सभी मार्केट में आसानी से मिल जाएंगी. अब लाइट की लड़ी में क्लिप से फोटो हैंग करके इसे वॉल पर लगा सकते हैं. इसे double sided टेप से वॉल पर चिपका सकते हैं और बाद में चाहे तो फोटो वापस निकाल कर रख ले. फोटो के बीच बीच में handmade या artifical flowers भी लगा सकते हैं.

4. बनाएं मनपसंद खाना

अगर आप बेहतरीन कुक है तो अपने पार्टनर का मनपसंद खाना बनाकर candel light डिनर के लिए टेबल सजा कर surprise दे सकते हैं.

5. घूमने का करें प्लान

कहीं बाहर घूमने का भी प्लान कर सकते हैं जहां आप एक दूसरे की पसंद के गाने गुनगुना सकते हैं या अगर आप लिखते हैं तो अपने loved ones के लिए कोई खूबसूरत कविता लिख सकते हैं पिछले सुहाने पल को समेट कर. जिसे सुनाकर surprise दिया जा सकता है. एक दिन की आउटिंग आपको तरो ताजा कर देगी मगर खाने पीने से लेकर हर चीज़ की तैयारी करके ले जाए. ये आउटिंग में आप उन दोस्तों का ग्रुप भी बना सकते हैं जिन्हें वेलेंटाइन celebrate करना हो.

Valentine’s Day: खास दिन के लिए ट्राय करें कियारा आडवाणी की ये 5 ड्रैसेस

Valentines Day के मौके पर लड़किया खूबसूरत दिखने के लिए नए-नए ट्रैंड ट्राय करती हैं, जिसके लिए वह बौलीवुड एक्ट्रेसेस के फैशन ट्रैंड को फौलो करती हैं. जहां इन दिनों सारा अली खान और कियारा आडवाणी जैसी एक्ट्रेसेस के फैशन को काफी सराहा जाता है. इसीलिए आज हम आपको कियारा आडवाणी के कुछ लुक्स बताएगें, जिसे आप Valentines Day के खास मौके पर ट्राय कर सकती हैं.

1. सूट लुक करें ट्राय

अगर आप वेलेंटाइन डे पर खास लुक ट्राय करना चाहती हैं तो कियार आडवाणी का ये रेड सूट लुक ट्राय करना ना भूलें. ये ट्रैंडी के साथ-साथ स्टाइलिश भी है. इसके साथ हिल्स आपके लुक को परफेक्ट बनाने में मदद करेंगे.

 

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2. रेड ड्रैस करें ट्राय

 

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कियारा की ये डीप नेक वाली रेड कलर की ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल एंड शाइनी पैटर्न वाली इस रेड ड्रैस के साथ आप स्टड इयरिंग्स और हील्स परफेक्ट औप्शन रहेंगे.

3. पिंक कलर करें ट्राय

 

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वेलेंटाइन डे पर जरुरी नहीं की रेड कलर ही पहना जाए. कियारा की वन औफ शोल्डर ड्रैस भी आप ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को सिंपल के साथ-साथ स्टाइलिश बनाने में मदद करेगा. इसके साथ आप शूज ट्राय कर सकती हैं, जो कि आपके लुक को कम्फरटेबल भी बनाएगा.

4. लौंग स्कर्ट करें ट्राय

 

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अगर आप ड्रैसेस पहनने में कम्फरटेबल नही हैं तो कियारा की ये वाइट शर्ट और लौंग स्कर्ट का कौम्बिनेशन ट्राय कर सकती हैं. इसके साथ आप बूट शूज कैरी कर सकती हैं.

5. ब्लैक या प्रिंटेड ड्रैस करें ट्राय

 

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आजकल ड्रैसेस के काफी सारे औप्शन मार्केट में मौजूद हैं, जिन्हें आप ट्राय कर सकते हैं. कियारा की ब्लैक नेट पैटर्न ड्रैस हो या फ्लावर प्रिेटेड ड्रेस. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा.

 

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Valentine’s Special: प्रपोज करते वक्त इन 5 मिस्टेक्स से बचें

वैलेंटाइन वीक आने ही वाला है. ऐसे में कोई अपनी पार्टनर को बेस्ट गिफ्ट देने की तैयारी में है , तो कोई अपने दिल में बस जाने वाली को प्रपोज करने की तैयारी में. सब अपने अपने तरीके से वैलेंटाइन वीक व वैलेंटाइन डे को यादगार बनाना चाहते हैं. ऐसे में अगर आप भी अपने प्यार का इजहार करने के लिए इन 5 तरीकों को अपनाने की सोच रहे हैं तो जरा संभल जाएं , वरना बात बनने की जगह बिगड़ भी सकती हैं. तो आइए जानते हैं –

प्रपोज मिस्टेक 1 – फ्रेंड के सामने करें प्रपोज 

अकसर हम खुद को ज्यादा बोल्ड दिखाने या फिर फ्रेंड के सामने ज्यादा टशन दिखाने के चक्कर में अकसर लड़की को दोस्त के सामने प्रपोज करने की भूल कर बैठते हैं , जो लड़की को गवारा नहीं होता. उसे लगता है कि जिसमें अकेले अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं है वह प्यार क्या करेगा. साथ ही अगर लड़की ज्यादा शर्मीली टाइप की है तो वह चाहा कर भी आपके इस प्रपोजल को हां में मंजूरी नहीं देगी. इसलिए उसे दोस्त के सामने नहीं बल्कि अकेले में प्रपोज करें. ताकि आप दोनों अपने मन की कह सके और आपको पोजिटिव जवाब मिलने के ज्यादा चांसेस हो.

प्रपोज मिस्टेक 2  –  सिर्फ गिफ्ट्स से करें इंप्रेस 

भले ही लड़कियां गिफ्ट्स की दीवानी होती हैं , लेकिन हर बात को गिफ्ट से आंककर उसके मतलब को खत्म करना ठीक नहीं होता. इससे हो सकता है कि आप उससे सच्चा प्यार करते हो, लेकिन वह गिफ्ट के लालच में आकर आपके सामने हां तो कर दे , लेकिन उसके दिल में आपके लिए कुछ भी न हो. या फिर हो सकता है कि गिफ्ट से प्रपोज करने का तरीका उसे पसंद ही न आए और वह आपको न कह दे. क्योंकि इससे उसे आपके पैसों की या फिर लालच का आभास होता हो. इसलिए प्यार का इजहार जब भी करें तो उसमें सच्चे भाव के साथ आपके मन में उसके लिए क्या फीलिंग्स हैं ये भी अच्छे से व्यक्त करें.

प्रपोज मिस्टेक 3   –  आंखों में इशारा करके 

हो सकता है कि आप काफी रोमांटिक मिजाज के हो, जिसके कारण आप लड़की को प्रपोज करने के लिए सीधे ही उसकी आंखों में आंखें डालकर इशारा करना शुरू कर दें. आपकी ये हरकत अगर वह सोबर है तो लड़की को आपके करीब नहीं बल्कि दूर ले जाने का काम करेगी. क्योंकि इशारे करने वाले लड़कों को लड़कियां रोमांटिक नहीं बल्कि गलत नजरिए से भापने वाला समझती हैं. इसलिए इशारों से इंप्रेस  करने की गलती न करें.

प्रपोज मिस्टेक 4    –  पीछा करके 

कहते हैं न कि प्यार अंधा होता है और प्यार की खातिर कुछ भी किया जा सकता है. लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं कि आप अपने प्यार को पाने के लिए यानि लड़की को प्रपोज करने के लिए उसका पीछा करना ही शुरू कर दें. क्योंकि आपकी ऐसी हरकत उसमें डर का माहौल पैदा करने का काम करेगी. वे खुद को आप से असुरक्षित महसूस करने लगेगी. उसे लगने लगेगा  कि आप उसके साथ  कुछ गलत हरकत करने के उद्देश्य से उसका पीछा कर रहे हैं. ऐसे में प्रपोज करने की बात तो बहुत दूर की है, हो सकता है कि आपकी ये हरकत से आप अपने प्यार को तो खोए ही , साथ ही बहुत बुरे भी फंसे. इसलिए पीछा करके प्रपोज करने की भूल न करें.

प्रपोज मिस्टेक 5   – अपना गुणगान करके 

आप लड़की को प्रपोज करने जा रहे हैं न कि आप कितने हैंडसम हैं या फिर कितनी लड़कियां आपसे फ्रेंडशिप करने  के लिए आपके आगेपीछे घूमती हैं इस बात का बखान करने. अगर आप लड़की को प्रपोज करने के दौरान अपना गुणगान करने बैठ गए कि मैं यहां रहता हूं , मैं नामी कंपनी में काम करता हूं , मेरी सैलरी बहुत अच्छी है. मेरे पीछे लड़कियां पड़ती हैं , लेकिन मेरी पसंद तुम हो वगैरावगैरा. तो एक समझदार लड़की समझ जाएगी कि आप का इंटरेस्ट प्रपोज करने में कम व अपना गुणगान करने में ज्यादा है. जो आपके प्रपोजल को न में बदलने में देर नहीं लगाएगा.  इसलिए प्रपोज करते वक्त इन चीजों से बचें.

Valentine’s Special: Facepack से खोया निखार लाएं वापस

स्वाद, सुगंध और रंग के लिए तो ज्यादातर घरों में केसर का इस्तेमाल होता है. केसर के इस्तेमाल से न केवल चेहरे पर निखार आता है बल्क‍ि स्क‍िन से जुड़ी कई प्रॉब्लम्स भी दूर हो जाती हैं. केसर रंगत निखारने के काम आता है और अगर आपको झांइयां हैं तो इससे बेहतर कोई दूसरा उपाय हो ही नहीं सकता है.

अगर आप चाहें तो केसर को शहद के साथ या फिर ग्ल‍िसरीन के साथ मिलाकर लगा सकती हैं लेकिन अगर आपको स्कि‍न से जुड़ी प्रॉब्लम है तो आपके लिए दूध और केसर का पैक सबसे अधिक फायदेमंद रहेगा.

कैसे तैयार करें ये फेसपैक?

केसर और दूध का फेसपैक तैयार करना बहुत ही आसान है. दो चम्मच दूध में एक चम्मच केसर मिलाकर रख लें. इस पैक को चेहरे और गर्दन पर लगाएं. पैक को सूखने दें. जब पैक सूख जाए तो इसे हल्के गुनगुने पानी से धोकर साफ कर लें.

दूध और केसर का पैक चेहरे पर लगाने के फायदे:

1. केसर और दूध के फेसपैक के नियमित इस्तेमाल से बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं. इसके इस्तेमाल से कोलाजिन का प्रोडक्शन बढ़ता है जिससे त्वचा जवान और खूबसूरत नजर आती है.

2. अगर आपकी स्किन बहुत अधि‍क ड्राई है तो ये फेसपैक लगाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. एक ओर जहां केसर रंगत निखारने में मददगार है वहीं दूध मॉइश्चर को खोने नहीं देता है. इस पैक के इस्तेमाल से ड्राईनेस कम होती है.

3. भले ही आप सबसे अच्छी सनस्क्रीन लगाकर बाहर निकलें, बावजूद इसके टैनिंग तो हो ही जाती है. ऐसे में केसर और दूध का फेसपैक लगाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. इससे टैनिंग दूर हो जाएगी.

4. अगर आपके चेहरे पर झांइयां हो गई हैं तो भी ये फेसपैक आपके लिए है. केसर और दूध का मिश्रण झांइयों को दूर करने का काम करता है.

5. त्वचा में कसावट लाने के लिए भी इस पै‍क का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा. केसर में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो मुंहासों को ठीक करता है और उन्हें बढ़ने से रोकता है.

Valentine’s Special: मिठाई पर भारी पड़ती चौकलेट ब्राउनी

अगर आप वेलेंटाइन्स डे के मौके पर अपने पार्टनर के लिए कुछ टेस्टी बनाना चाहते हैं तो चौकलेट ब्राउनी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. भारत में चौकलेट अब सब से ज्यादा पसंद किया जाने लगा है. घर से ले कर बाजार तक हर जगह इस को ले कर नए प्रयोग हो रहेहैं. गुझिया चौकलेट इस का उदाहरण है. भारत में चौकलेट के इस्तेमाल से तैयार होने वाले व्यंजनों की तादाद बढ़ गई है. अब मिठाई की दुकानों में ज्यादा कुकीज और बिसकुट को देखा जाने लगा है यानी बहुत से लोग इस का बिजनेस घरों से करने लगे हैं. ऐसे में चौकलेट से तैयार होने वाले व्यंजनों का कारोबार बढ़ रहा है. फैस्टिवल सीजन में ही नहीं, बल्कि शादी, जन्मदिन और खुशियों की दूसरी पार्टियों में चौकलेट का कारोबार बढ़ गया है. इसीलिए आज हम आपको टेस्टी चौकलेट को घर पर बनाने की रेसिपी बताएंगे.

हमें चाहिए

2 कप मैदा,

2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

2 बड़े चम्मच कोको पाउडर

2 बड़े चम्मच दूध

1 छोटा चम्मच तेल

2 बड़े चम्मच कटे हुए मेवे जैसे काजू, बादाम, अखरोट,

2 बड़े चम्मच चौकलेट सिरप

बनाने का तरीका

-सबसे पहले एक कटोरे में मैदा, चीनी पाउडर, कोको पाउडर और सूखे मेवे डाल कर मिला लें. फिर इस में दूध, चौकलेट सिरप और तेल डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें.

-अब इस बरतन को 2 मिनट के लिए माइक्रोवेव में 180 डिगरी सैल्सियस पर रख कर बेक कर लें. चौकलेट ब्राउनी तैयार है. थोड़ा ठंडा होने के बाद खाने के लिए यह तैयार है.

-मेवे का इस्तेमाल इस के स्वाद को बढ़ाता?है. साथ ही,  इस को टेस्टी और हैल्दी भी बनाता है.

Valentine’s Special: गलतफहमी- क्या टूट गया रिया का रिश्ता

 कहानी- सुवर्णा पाटिल

आ ज नौकरी का पहला दिन था. रिया ने सुबह उठ कर तैयारी की और औफिस के लिए निकल पड़ी. पिताजी के गुजरने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उस पर ही थी. इंजीनियरिंग कालेज में अकसर अव्वल रहने वाली रिया के बड़ेबड़े सपने थे. लेकिन परिस्थितिवश उसे इस राह पर चलना पड़ा था. इस के पहले छोटी नौकरी में घर की जिम्मेदारियां पूरी न हो पाती थीं. ऐसे में एक दिन औनलाइन इंटरव्यू के इश्तिहार पर उस का ध्यान गया. उस ने फौर्म भर दिया और उस कंपनी में उसे चुन लिया गया.

रिया जब औफिस में पहुंची तो औफिस के कुछ कर्मी थोड़े समय से थोड़ा पहले ही आ गए थे. वहीं, रिसैप्शन पर बैठी अंजली ने रिया से पूछा, ‘‘गुडमौर्निंग मैडम, आप को किस से मिलना है?’’

‘‘मैं इस कंपनी में औनलाइन इंटरव्यू से चुनी गईर् हूं. आज से मु झे औफिस जौइन करने लिए कहा गया था, यह लैटर…’’

‘‘ओके, कौंग्रेट्स. आप का इस कंपनी में स्वागत है. थोड़ी देर बैठिए. मैं मैनेजर साहब से पूछ कर आप को बताती हूं.’’

रिया वहीं बैठ कर कंपनी का निरीक्षण करने लगी. उसी वक्त कंपनी में काफी जगह लगा हुआ आर जे का लोगो उस का बारबार ध्यान खींच रहा था. उतने में अंजली आई, ‘‘आप को मैनेजर साहब ने बुलाया है. वे आप को आगे का प्रोसीजर बताएंगे.’’

‘‘अंजली मैडम, एक सवाल पूछूं? कंपनी में जगहजगह आर जे लोगो क्यों लगाया गया है?’’

‘‘आर जे लोगो कंपनी के सर्वेसर्वा मजूमदार साहब के एकलौते सुपुत्र के नाम के अक्षर हैं. औनलाइन इंटरव्यू उन का ही आइडिया था. आज उन का भी कंपनी में पहला दिन है. चलो, अब हम अपने काम की ओर ध्यान दें.’’

‘‘हां, बिलकुल, चलो.’’

कंपनी के मैनेजर, सुलझे हुए इंसान थे. उन की बातों से और काम सम झाने के तरीके से रिया के मन का तनाव काफी कम हुआ. उस ने सबकुछ समझ लिया और काम शुरू कर लिया. शुरू के कुछ दिनों में ही रिया ने अपने हंसमुख स्वभाव से और काम के प्रति ईमानदारी से सब को अपना बना लिया. लेकिन अभी तक उस की कंपनी के मालिक आर जे सर से मुलाकात नहीं हुई थी. कंपनी की मीटिंग हो या और कोई अवसर, जहां पर उस की आर जे सर के साथ मुलाकात होने की गुंजाइश थी, वहां उसे जानबू झ कर इग्नोर किया जा रहा था. ऐसा क्यों, यह बात उस के लिए पहेली थी.

एक दिन रोज की फाइल्स देखते समय चपरासी ने संदेश दिया, ‘‘मैनेजर साहब, आप को बुला रहे हैं.’’

‘‘आइए, रिया मैडम, आप से काम के बारे में बात करनी थी. आज आप को इस कंपनी में आए कितने दिन हुए?’’

‘‘क्यों, क्या हुआ सर? मैं ने कुछ गलत किया क्या?’’

‘‘गलत हुआ, ऐसा मैं नहीं कह सकता, मगर अपने काम की गति बढ़ाइए और हां, इस जगह हम काम करने की तनख्वाह देते हैं, गपशप की नहीं. यह ध्यान में रखिए. जाइए आप.’’

रिया के मन को यह बात बहुत बुरी लगी. वैसे तो मैनेजर साहब ने कभी भी उस के साथ इस तरीके से बात नहीं की थी लेकिन वह कुछ नहीं बोल सकी. अपनी जगह पर वापस आ गई.

थोड़ी देर में चपरासी ने उस के विभाग की सारी फाइलें उस की टेबल पर रख दीं. ‘‘इस में जो सुधार करने के लिए कहे हैं वे आज ही पूरे करने हैं, ऐसा साहब ने कहा है.’’

‘‘लेकिन यह काम एक दिन में कैसे पूरा होगा?’’

‘‘बड़े साहब ने यही कहा है.’’

‘‘बड़े साहब…?’’

‘‘हां मैडम, बड़े साहब यानी अपने आर जे साहब, आप को नहीं मालूम?’’

अब रिया को सारी बातें ध्यान में आईं. उस के किए हुए काम में आर जे सर ने गलतियां निकाली थीं, हालांकि वह अब तक उन से मिली भी नहीं थी. फिर वे ऐसा बरताव क्यों कर रहे थे, यह सवाल रिया को परेशान कर रहा था.

उस ने मन के सारे विचारों को  झटक दिया और काम शुरू किया. औफिस का वक्त खत्म होने को था, फिर भी रिया का काम खत्म नहीं हुआ था. उस ने एक बार मैनेजर साहब से पूछा, मगर उन्होंने आज ही काम पूरा करने की कड़ी चेतावनी दी. बाकी सारा स्टाफ चला गया. अब औफिस में रिया, चपरासी और आर जे सर के केबिन की लाइट जल रही थी यानी वे भी औफिस में ही थे. काम पूरा करतेकरते रिया को काफी वक्त लगा.

उस दिन के बाद रिया को तकरीबन हर दिन ज्यादा काम करना पड़ता था. उस की बरदाश्त करने की ताकत अब खत्म हो रही थी. एक दिन उस ने तय किया कि आज अगर उसे हमेशा की तरह ज्यादा काम मिला तो सीधे जा कर आर जे सर से मिलेगी. हुआ भी वैसा ही. उसे आज भी काम के लिए रुकना था. उस ने काम बंद किया और आर जे सर के केबिन की ओर जाने लगी. चपरासी ने उसे रोका, मगर वह सीधे केबिन में घुस गई.

‘‘सौरी सर, मैं बिना पूछे आप से मिलने चली आई. क्या आप मु झे बता सकेंगे कि निश्चितरूप से मेरा कौन सा काम आप को गलत लगता है? मैं कहां गलत कर रही हूं? एक बार बता दीजिए. मैं उस के मुताबिक काम करूंगी, मगर बारबार ऐसा…’’

रिया के आगे के लफ्ज मुंह में ही रह गए क्योंकि रिया केबिन में आई थी तब आर जे सर कुरसी पर उस की ओर पीठ कर के बैठे थे. उन्होंने रिया के शुरुआती लफ्ज सुन लिए थे. बाद में उन की कुरसी रिया की ओर मुड़ी ‘‘सर…आप…तुम…राज…कैसे मुमकिन है? तुम यहां कैसे?’’ रिया हैरान रह गई. उस का अतीत अचानक उस के सामने आएगा, ऐसी कल्पना भी उस ने नहीं की थी. उसे लगने लगा कि वह चक्कर खा कर वहीं गिर जाएगी.

‘‘हां, बोलिए रिया मैडम, क्या तकलीफ है आप को?’’

राज के इस सवाल से वह अतीत से बाहर आई और चुपचाप केबिन के बाहर चली गई. उस का अतीत ऐसे अचानक उस के सामने आएगा, यह उस ने सोचा भी नहीं था.

आर जे सर कोई और नहीं उस का नजदीकी दोस्त राज था. उस दोस्ती में प्यार के धागे कब बुन गए, यह दोनों सम झे नहीं थे. रिया को वह कालेज का पहला दिन याद आया. कालेज के गेट के पास ही सीनियर लड़कों के एक गैंग ने उसे रोका था.

‘आइए मैडम, कहां जा रही हो? कालेज के नए छात्र को अपनी पहचान देनी होती है. उस के बाद आगे बढि़ए.’

रिया पहली बार गांव से पढ़ाई के लिए शहर आई थी और आते ही इस सामने आए संकट से वह घबरा गई.

‘अरे हीरो, तू कहां जा रहा है? तु झे दिख नहीं रहा यहां पहचान परेड चल रही है. चल, ऐसा कर ये मैडम जरा ज्यादा ही घबरा गई हैं. तू इन्हें प्रपोज कर. उन का डर भी चला जाएगा.’

अभीअभी आया राज जरा भी घबराया नहीं. उस ने तुरंत रिया की ओर देखा. एक स्माइल दे कर बोला. ‘हाय, मैं राज. घबराओ मत. बड़ेबड़े शहरों में ऐसी छोटीछोटी बातें होती रहती हैं.’

रिया उसे देखती ही रह गई.

‘आज हमारे कालेज का पहला दिन है. इस वर्षा ऋतु के साक्षी से मेरी दोस्ती को स्वीकार करोगी.’ रिया के मुंह से अनजाने में कब ‘हां’ निकल गई यह वह सम झ ही नहीं पाई. उस के हामी भरने से सीनियर गैंग  झूम उठा.

‘वाह, क्या बात है. यह है रियल हीरो. तुम से मोहब्बत के लैसंस लेने पड़ेंगे.’

‘बिलकुल… कभी भी…’

रिया की ओर एक नजर डाल कर राज कालेज की भीड़ में कब गुम हुआ, यह उसे मालूम ही नहीं हुआ. एक ही कालेज में, एक ही कक्षा में होने की वजह से वे बारबार मिलते थे. राज अपने स्वभाव के कारण सब को अच्छा लगता था. कालेज की हर लड़की उस से बात करने के लिए बेताब रहती थी. मगर राज किसी दूसरे ही रिश्ते में उल झ रहा था.

यह रिश्ता रिया के साथ जुड़ा था. एक अव्यक्त रिश्ता. उस का शांत स्वभाव, उस का मनमोहता रूप जिसे शहर की हवा छू भी नहीं पाई थी. उस का यही निरालापन राज को उस की ओर खींचता था.

एक दिन दोनों कालेज कैंटीन में बैठे थे. तब राज ने कहा, ‘रिया, तुम कितनी अलग हो. हमारा कालेज का तीसरा साल शुरू है. लेकिन तुम्हें यहां के लटके झटके अभी भी नहीं आते…’

‘मैं ऐसी ही ठीक हूं. वैसे भी मैं कालेज में पढ़ने आई हूं. पढ़ाई पूरी करने के बाद मु झे नौकरी कर के अपने पिताजी का सपना पूरा करना है. उन्होंने मेरे लिए काफी कष्ट उठाए हैं.’

रिया की बातें सुन कर राज को रिया के प्रति प्रेम के साथ आदर भी महसूस हुआ. तीसरे साल के आखिरी पेपर के समय राज ने रिया को बताया, ‘मु झे तुम्हें कुछ बताना है. शाम को मिलते हैं.’ हालांकि उस की आंखें ही सब बोल रही थीं. रिया भी इसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. इसी खुशी में वह होस्टल आई. मगर तभी मैट्रन ने बताया, ‘तुम्हारे घर से फोन था. तुम्हें तुरंत घर बुलाया है.’

रिया ने सामान बांधा और गांव की ओर निकल पड़ी. घर में क्या हुआ होगा, इस सोच में वह परेशान थी. इन सब बातों में वह राज को भूल गई. घर पहुंची तो सामने पिताजी का शव, उस सदमे से बेहोश पड़ी मां और रोता हुआ छोटा भाई. अब किसे संभाले, खुद की भावनाओं पर कैसे काबू पाए, यह उस की सम झ में नहीं आ रहा था. एक ऐक्सिडैंट में उस के पिताजी का देहांत हो गया था. घर में सब से बड़ी होने की वजह से उस ने अपनी भावनाओं पर बहुत ही मुश्किल से काबू पाया.

इस घटना के बाद उस ने पढ़ाई आधी ही छोड़ दी और एक छोटी नौकरी कर घर की जिम्मेदारी संभाली.

इधर राज बेचैन हो गया. सारी रात रिया का इंतजार करता रहा. मगर वह आई नहीं. उस ने कालेज, होस्टल सब जगह ढूंढ़ा मगर उस का कुछ पता नहीं चला. रिया ने ही ऐसी व्यवस्था कर रखी थी. वह राज पर बो झ नहीं बनना चाहती थी. पर राज इस सब से अनजान था. उस के दिल को ठेस पहुंची थी. इसलिए उस ने भी कालेज छोड़ दिया और आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया.

‘‘मैडम, आप का काम हो गया क्या? मु झे औफिस बंद करना है. बड़े साहब कब के चले गए.’’

चपरासी की आवाज से रिया यादों की दुनिया से बाहर आई. उस ने सब सामान इकट्ठा किया और घर के लिए निकल पड़ी. उस के मन में एक ही खयाल था कि राज की गलतफहमी कैसे दूर करे. उसे उस का कहना रास आएगा या नहीं? वह नौकरी भी छोड़ नहीं सकती. क्या करे. इन खयालों में वह पूरी रात जागती रही.

दूसरे दिन औफिस में अंजली ने रिसैप्शन पर ही रिया से पूछा, ‘‘अरे रिया, क्या हुआ? तुम्हारी आंखें ऐसी क्यों लग रही हैं? खैरियत तो है न?’’

‘‘अरे कुछ नहीं, थोड़ी थकान महसूस कर रही हूं, बस. आज का शैड्यूल क्या है?’’

‘‘आज अपनी कंपनी को एक बड़ा प्रोजैक्ट मिला है. इसलिए कल पूरे स्टाफ के लिए आर जे सर ने पार्टी रखी है. हरेक को पार्टी में आना ही है.’’

‘‘हां, आऊंगी.’’

दू सरे दिन शाम को पार्टी शुरू हुई. रिया बस केवल हाजिरी लगा कर निकलने की सोच रही थी. राज का पूरा ध्यान उसी पर था. अचानक उसे एक परिचित  आवाज आई.

‘‘हाय राज, तुम यहां कैसे? कितने दिनों बाद मिल रहे हो. मगर तुम्हारी हमेशा की मुसकराहट किधर गई?’’

‘‘ओ मेरी मां, हांहां, कितने सवाल पूछोगी. स्नेहल तुम तो बिलकुल नहीं बदलीं. कालेज में जैसी थीं वैसी ही हो, सवालों की खदान. अच्छा, तुम यहां कैसे…?’’

‘‘अरे, मैं अपने पति के साथ आई हूं. आज उन के आर जे सर ने पूरे स्टाफ को परिवार सहित बुलाया है. इसलिए मैं आई. तुम किस के साथ आए हो?’’

‘‘मैं अकेला ही आया हूं. मैं ही तुम्हारे पति का आर जे सर हूं.’’

‘‘सच, क्या कह रहे हो. तुम ने तो मु झे हैरान कर दिया. अरे हां, रिया भी इसी कंपनी में है न. तुम लोगों की सब गलतफहमियां दूर हो गईं न.’’

‘‘गलतफहमी? कौन सी गलतफहमी?’’

‘‘अरे, रिया अचानक कालेज छोड़ कर क्यों गई, उस के पिताजी का ऐक्सिडैंट में देहांत हो गया था, ये सब…’’

‘‘क्या, मैं तो ये सब जानता ही नहीं.’’

स्नेहल रिया और राज की कालेज की सहेली थी. उन दोनों की दोस्ती, प्यार, दूरी इन सब घटनाओं की साक्षी थी. उसे रिया के बारे में सब मालूम हुआ था. उस ने ये सब राज को बताया.

राज को यह सब सुन कर बहुत दुख हुआ. उस ने रिया के बारे में कितना गलत सोचा था. हालांकि, उस की इस में कुछ भी गलती नहीं थी. अब उस की नजर पार्टी में रिया को ढूंढ़ने लगी. मगर तब तक रिया वहां से निकल चुकी थी.

वह उसे ढूंढ़ने बसस्टौप की ओर भागा.

बारिश के दिन थे. रिया एक पेड़ के नीचे खड़ी थी. उस ने दूर से ही रिया को आवाज लगाई.

‘‘रिया…रिया…’’

‘‘क्या हुआ सर? आप यहां क्यों आए? आप को कुछ काम था क्या?’’

‘‘नहीं, सर मत पुकारो, मैं तुम्हारा पहले का राज ही हूं. अभीअभी मु झे स्नेहल ने सबकुछ बताया. मु झे माफ कर दो, रिया.’’

‘‘नहीं राज, इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है. उस समय हालात ही ऐसे थे.’’

‘‘रिया, आज मैं तुम से पूछता हूं, क्या मेरे प्यार को स्वीकार करोगी?’’

रिया की आंसूभरी आंखों से राज को जवाब मिल गया.

राज ने उसे अपनी बांहों में भर लिया. उन के इस मिलन में बारिश भी उन का साथ दे रही थी. इस बारिश की  झड़ी में उन के बीच की दूरियां, गलतफहमियां पूरी तरह बह गई थीं.

Valentine’s Special: यह कैसा प्यार- रमा और विजय के प्यार का क्या हुआ अंजाम

वे दोनों बचपन से एक ही कालोनी में आसपड़ोस में रहते हुए बड़े हुए थे. दोनों ने एकसाथ स्कूल व कालेज की पढ़ाई पूरी की. उन के संबंध मित्रता तक सीमित थे, वो भी सीमित मात्रा में. दोनों एक ही जाति के थे. सो, स्कूल समय तक एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. कालेज में भी एकदूसरे की पढ़ाई में मदद कर देते थे. एकदूसरे के छोटेमोटे कामों में भी सहयोग कर देते थे. लेकिन कालेज के समय से उन का एकदूसरे के घर आनाजाना बहुत कम हो गया. जाना हुआ भी तो अपने काम के साथ में एकदूसरे के परिवार से मिलना मुख्य होता था.

दोनों अपने समाज, जाति की मर्यादा जानते थे. अब दोनों जवानी की उम्र से गुजर रहे थे. रमा तभी विजय के घर जाती जब विजय की बहन से उसे काम होता. विजय से तो एक औपचारिक सी हैलो ही होती. कालेज में भी उन का मिलना बहुत जरूरत पर ही होता. रमा को यदि विजय से कोई काम होता तो वह विजय की बहन या मां से कहती. विजय को वैसे तो जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी रमा के घर, पर कई बार ऐसे मौके आते कि जाना पड़ता. जैसे रमा को नोट्स देने हों या कालेज की लाइब्रेरी से निकाल कर पुस्तकें देनी हों.

विजय जाता तो रमा के मम्मी या पापा घर पर मिलते. रमा चाय बना कर दे जाती. विजय पुस्तकें रमा के मातापिता को दे देता. रमा के मातापिता उसे बैठा कर घरपरिवार, पढ़ाईलिखाई, भविष्य की बातें पूछते, कुछ अपनी बताते. विजय वापस आ जाता.

रमा के मातापिता अपनी इकलौती बेटी के लिए अच्छे वर की तलाश में जुटे थे. बात विजय की भी निकली. रमा के पिता ने कहा, ‘‘लड़का तो ठीकठाक है लेकिन करता तो कुछ नहीं है फिलहाल.’’

रमा की मां ने कहा, ‘‘अभी तो पढ़ाई कर रहा है. पास का देखापरखा लड़का है. रमा से पटती भी है.’’ मां की बातें रमा के कानों से होती हुईं उस के दिल में पहुंचीं, पहली बार. और पहली बार ही रमा के हृदय में कंपन सी हुई. रमा के पिता ने एक सिरे से नकारते हुए कहा, ‘‘पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी की कोई गांरटी नहीं है और मैं अपनी इकलौती बेटी का विवाह किसी बेरोजगार से नहीं कर सकता. फिर इतनी पास रिश्ता करना भी ठीक नहीं है. अभी तो विजय की बहन बैठी हुई है शादी के लिए. मुझे विजय के पिता का व्यवहार और उन की क्लर्की की नौकरी दोनों खास पसंद नहीं हैं.’’

रमा की मां ने कहा, ‘‘मैं ने तो ऐसे ही बात कह दी थी. आप उस के परिवार के बारे में क्यों उलटासीधा कह रहे हैं?’’

रमा के पिता ने कहा, ‘‘उलटासीधा नहीं, सच कह रहा हूं. मैं अपनी हैसियत वाले घर में ही रिश्ता करूंगा. इंजीनियर हूं. क्लर्क के घर में क्यों रिश्ता करूं?’’

पति को आवेश में देख रमा की मां किचन में जा कर घरेलू कामों में जुट गई. विजय को जब मालूम हुआ कि रमा के लिए लड़के वाले देखने आ रहे हैं तो पता नहीं क्यों पहली बार उसे लगा कि उस की प्रियवस्तु कोई उस से छीन रहा है. उस ने हिम्मत कर के अपनी मां से रमा के साथ शादी की बात चलाने के लिए कहा.

विजय की मां ने कहा, ‘‘बेटा, पहले नौकरी करो. फिर बहन के हाथ पीले करो. उस के बाद अपनी शादी के विषय में सोचना.’’ मां ने कह तो दिया लेकिन बेटे के चेहरे को भी पढ़ लिया. उन्हें स्पष्ट नजर आया कि उन का बेटा रमा से प्रेम करता है. बेटे की तसल्ली के लिए मां ने कहा, ‘‘अच्छा, देखती हूं, तुम्हारे पिता से बात करती हूं.’’ विजय के चेहरे पर प्रसन्नता छा गई, जिसे मां से छिपाने के लिए वह दूसरे कमरे में चला गया.

विजय की मां ने रात को भोजन के बाद अपने कमरे में पति से बेटे के मन की बात कही. पति ने कहा, ‘‘वे लोग ऊंची हैसियत वाले हैं. अपने से बड़े घर की लड़की लाने का मतलब समझती हो. सह पाओगी बड़े घर की बेटी के नखरे. फिर इतनी पास में रिश्ता. घर में जवान बेटी बैठी है. बेटा बेरोजगार है. किस मुंह से शादी का रिश्ता ले कर जाएंगे. अपना अपमान नहीं कराना मुझे. फिर मैं ठहरा ईमानदार आदमी और मामूली सा क्लर्क. वे हैं इंजीनियर और 2 नंबर के पैसे वाले.’’

विजय की मां ने कहा, ‘‘वो मैं समझती हूं. बेटे के दिल में है कुछ रमा के लिए, इसलिए कहा.’’

विजय के पिता ने कुछ पल ठहर कर कहा, ‘‘मैं तो बात करने नहीं जाऊंगा. तुम चाहो तो किसी और के माध्यम से बात चलवा कर देख लो. बेटे की तरफदारी करने से अच्छा है, बेटे को समझाओ कि अपने पैरों पर खड़े हो कर उन के बराबर बन कर दिखाए.’’

पत्नी ने करवट ली और सोने का प्रयास करने लगी. वे इस बात को यहीं खत्म कर देना चाहती थी.

बाजार से जरूरी सामान मंगवाना था. रमा के पिता कुछ अस्वस्थ थे. रमा की मां ने विजय को आवाज दे कर बुलाया और कहा, ‘‘रमा को देखने वाले आ रहे हैं. यह लिस्ट ले जाओ. बाजार से सामान ले कर जल्दी आना.’’

सामान की लिस्ट और रुपए ले कर विजय बाजार की ओर चल दिया. लेकिन मन उस का उदास था. वह सोच रहा था कि रमा किस तरह उसे मिलेगी. कैसे वह रमा को अपना जीवनसाथी बनाएगा. एमएससी का अंतिम वर्ष था उस का. नौकरी मिलने में समय लगेगा.

विजय के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह रमा के पिता से अपने विवाह की बात कर पाता. मां ने अपने एक परिचित से रिश्ते की खबर भेजी थी, लेकिन उत्तर अनुकूल न था. बात औकात, हैसियत, बेरोजगारी पर आ कर अटक गई थी. विजय के मन में अजीब से अंधड़ चल रहे थे. स्वयं को संभालते हुए बाजार से सामान ला कर उस ने रमा के पिता को सौंप दिया. लड़के वाले आ चुके थे, इसलिए रमा के मातापिता ने विजय को बैठने को भी नहीं कहा.

विजय पास के गार्डन में पहुंचा. थकेहारे, टूटे हुए व्यक्ति की तरह मन में सोचने लगा, ‘रमा का ये रिश्ता टूट जाए, रमा का विवाह हो तो मुझ से, अन्यथा न हो.’

हार से गुस्सा उपजता है और गुस्से से मस्तिष्क बेकाबू हो कर किसी भी दिशा में भटकने लगता है. पास बैठे एक अंकल से उस ने कहा, ‘‘क्या जिंदगी में जिसे चाहो वह मिल जाता है?’’

अंकल ने रूखे स्वर में कहा ‘‘हां, शायद.’’

अंकल की बात से असंतुष्ट विजय उठ कर घर की तरफ चल दिया. रातभर वह यही सोचता रहा कि उसे रमा से इतना लगाव, इतना प्यार कैसे हो गया? यदि पहले से था तो उसे पता क्यों नहीं चला? यही तड़प पहले होती तो वह रमा से इस विषय में कालेज में बात कर लेता. क्या पता रमा के मन में कुछ है भी या नहीं. होता तो कभी तो वह कहती बातों में, इशारों में. प्रेम कहां छिपता है? कहीं यह एकतरफा प्यार का मामला तो नहीं. वह खुद से कहने लगा, ‘रमा का ग्रैजुएशन का अंतिम वर्ष है. शादी आज नहीं तो कल हो ही जाएगी. फिर मेरा क्या होगा? क्या मैं रमा से बात करूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि बात और बिगड़ जाए.’

विचारों के आंधीतूफान से उलझता विजय घर आ गया. रात में बिस्तर पर उसे नींद नहीं आई. वह करवटें बदलते हुए सोचने लगा कि रमा को कैसे हासिल किया जाए. पत्रपत्रिकाओं में छपने वाले तांत्रिक बाबाओं, वशीकरण विधा के जानकारों वाले विज्ञापन उस के दिमाग में कौंधने लगे. बाजार से उस ने कुछ तंत्रमंत्र की किताबें खरीद कर उन्हें आजमाने पर विचार किया. यदि लड़की वशीभूत हो कर विवाह के लिए तैयार हो जाए तो फिर कोई क्या कर सकता है?

तंत्रमंत्र की पुस्तकें पढ़ कर विजय को निराशा हाथ लगी. वशीकरण मंत्र के लाखों की संख्या में जाप कर के  उन्हें सिद्ध करना, फिर पूरे नियम से उन का दसवां हिस्सा हवनतर्पण, मार्जन करना, उस के बाद विशेष तिथि, योग में ऐसी सामग्री जुटाना जो उस के लिए क्या, किसी भी साधारण आदमी के लिए संभव नहीं थी. विजय ने पुस्तकें एकतरफ फेंक कर इंटरनैट पर वशीकरण संबंधी प्रयोग तलाशने शुरू किए, उसे मिले भी. सारे प्रयोग एकएक कर के किए भी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

विजय समझ गया कि सारे प्रयोग झूठे हैं. फिर उस ने तंत्रमंत्र, वशीकरण के विज्ञापनों पर दृष्टि डाली जहां 24 घंटे से ले कर 4 मिनट में वशीकरण के दावे किए गए थे. विजय ने कई बाबाओं से मुलाकात की. रुपए इधरउधर से इंतजाम कर के फीस भरी. कभी नीबू के प्रयोग, कभी नारियल वशीकरण, कभी लौंग वशीकरण प्रयोग बाबाओं द्वारा बताए गए. लेकिन नतीजा शून्य निकला.

रमा की तरफ से उसे कोई जवाब नहीं मिला. विजय समझ गया कि वशीकरण, तंत्रमंत्र जैसा कुछ नहीं, सब बेवकूफ बनाते हैं. लेकिन रमा की तरफ विजय का लगाव निरंतर बढ़ता जा रहा था. फिर वह सोचने लगा कि शायद मुझ से ही कोई चूक हो गई हो. सब तो गलत नहीं हो सकते. क्यों न अब की बार प्रयोग तांत्रिक से ही करवाया जाए.

विजय ने बंगाली बाबा नाम के व्यक्ति को फोन लगाया. बाबा ने कहा, ‘‘मैं सौ टके तुम्हारा काम कर दूंगा. लेकिन तुम्हें श्मशान की राख, उल्लू का जिगर, किसी मुर्दे की हड्डी लानी पड़ेगी. यदि नहीं ला सकते तो हम सामान की अलग से फीस लेंगे. साथ में, हमारी फीस. जिस का वशीकरण करना है उस की पूरी जानकारी नाम, पता, फोटो, मोबाइल सब हमारे मेल पर भेजना होगा. और अपना विवरण भी. फीस हमारे बताए अकाउंट में जमा करनी होगी.’’

विजय जानतेसमझते हुए भी बेवफूफ बन गया. रमा की फोटो कालेज फंक्शन के गु्रप में उस के पास थी. उस ने उस फोटो की एक और फोटो निकाल कर पोस्टकार्ड साइज में रमा की फोटो स्टूडियो से बनवा ली. सारी सामग्री बाबा को मेल कर दी. फीस अकाउंट में जमा कर दी. लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ. विजय समझ गया कि तंत्रमंत्र का बाजार झूठ और धोखे पर आधारित है.

रमा के पिता ने विजय को घर बुला कर कहा, ‘‘तुम घर के लड़के हो. रमा के लिए लड़के वाले देखने आए थे. उन्होंने रमा को पसंद कर लिया है. मैं चाहता हूं तुम मेरे साथ चलो. हम भी उन का घरपरिवार देख आएं.’’

विजय चाह कर भी मना न कर सका. लड़के वालों ने अच्छा स्वागतसत्कार किया. रमा के पिता ने विवाह की स्वीकृति दे दी.

विजय ने बातोंबातों में लड़के का मोबाइल नंबर ले लिया. साथ ही, घर का पता दिमाग में नोट कर लिया. विजय भलीभांति जानता था कि वह जो कर रहा है और करने वाला है, वह गलत है. लेकिन उस ने स्वयं को समझाया कि रास्ता गलत है, पर मकसद तो अपने प्यार को पाना है. विजय ने रमा के चरित्रहनन की झूठी कहानी बना कर लड़के के पते पर भेजी. साथ ही, रमा को पढ़ाने वाले प्रोफैसर, उस की सहेलियों को भी रमा के विषय में लिख भेजा.

एकदो पत्र तो उस ने महल्ले के लड़कों के नाम, एक अधेड़ प्रोफैसर के नाम इस तरह भेजे मानो रमा अपने प्रेम का इजहार कर रही हो. बात तेजी से फैली. कुछ लोगों ने रमा को पत्र का जवाब लिखा. कुछ लोगों ने उस के पिता को पत्र दिखाया. न जाने कितने प्रकार के अश्लील पत्र रमा की तरफ से विजय ने भेजे.

कालेज, महल्ले में तमाशा खड़ा हो गया. रमा को समझ ही नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है. जितनी सफाई रमा और उस का परिवार देता, मामला उतना ही उछलता. लड़कियों को ले कर भारतीय समाज संवेदनहीन है. सब मजे लेले कर एकदूसरे को किस्से सुना रहे थे.

हालांकि समझने वाले समझ गए थे कि किसी ने शरारत की है लेकिन समझने के बाद भी लोग अश्लील पत्रों का आनंद ले कर एकदूसरे को सुना रहे थे. प्रोफैसर ने तो अपने कक्ष में बुला कर रमा को अपने सीने से लगा लिया और कहा, ‘‘मैं भी तुम से प्यार करता हूं.’’ जब रमा ने थप्पड़ जमाया तब प्रोफैसर को समझ आया कि वे धोखा खा गए.

लड़के के मोबाइल पर अज्ञात नंबर से रमा का प्रेमी बन कर विजय ने यह कहते हुए जान से मारने की धमकी दी कि रमा और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं पर घर वाले उस की जबरदस्ती शादी कर रहे हैं. यदि तुम ने शादी की तो मार दिए जाओगे.

लड़के वालों के परिवार ने रिश्ता तोड़ दिया. अच्छीभली लड़की का पूरे महल्ले में तमाशा बन गया. बेगुनाह होते हुए भी रमा और उस का परिवार किसी से नजर नहीं मिला पा रहे थे.

विजय को अनोखा आनंद आ रहा था. उस के मातापिता का उजाड़ चेहरा देख कर उसे लग रहा था कि मंजिल अब करीब है.

रमा के पिता तो शहर छोड़ने का मन मना चुके थे. पुलिस में रिपोर्ट करने पर पुलिस अधिकारी ने उलटा उन्हें ही समझा दिया, ‘‘लड़की का मामला है, आप लोगों की खामोशी ही सब से बढि़या उत्तर है. जितनी आप सफाई देंगे, जांच करवाएंगे, आप की ही मुसीबत बढ़ेगी.’’

विजय को फोन कर के रमा के पिता ने अपने घर बुलाया. रमा की मां का रोरो कर बुरा हाल था. रमा के पिता ने उदास स्वर में विजय से कहा, ‘‘पता नहीं मेरी बेटी से किस की क्या दुश्मनी है कि उसे चरित्रहीन घोषित कर दिया. उस की शादी टूट गई. हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. बेटा, तुम तो जानते हो रमा को अच्छी तरह से.’’

विजय ने अपनी खुशी को छिपाते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘‘जी अकंलजी, मैं तो बचपन से देख रहा हूं. रमा पाकपवित्र लड़की है. मैं तो आंख बंद कर के विश्वास करता हूं रमा पर.’’

‘‘बेटा, तुम रमा से शादी कर लो,’’ रमा के पिता ने हाथ जोड़ते हुए विजय से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा जीवनभर ऋणी रहूंगा. अन्यथा हम तो शहर छोड़ कर जाने की सोच रहे हैं.’’ रमा दरवाजे के पास छिप कर सुन रही थी और देख रही थी अपने दबंग पिता को नतमस्तक होते हुए.

‘‘अंकल, आप कैसी बातें कर रहे हैं? आप की इज्जत मेरी इज्जत. रमा मेरी पत्नी बने, मेरे लिए गर्व की बात होगी.’’

विजय की बात सुन कर रमा के मन में फिर से एक बार कंपन हुई. इस कंपन में प्यार के साथ सम्मान भी था और आभार भी. विजय ने अपने घर में दोटूक उत्तर दिया, ‘‘मैं रमा से ही शादी करूंगा. यह मेरा पहला और आखिरी फैसला है. आप मना करेंगे तो भी मैं शादी करूंगा, चाहे कोर्ट में ही क्यों न करनी पडे़?’’

विजय के परिवार के लोग भी सहमत हो गए. शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. रमा खुश थी, बहुत खुश. उसे बचपन से जवानी तक देखाभला युवक पति के रूप में मिल रहा था. रही विजय के बेरोजगार होने की बात, तो रमा के पिता ने स्पष्ट कह दिया कि ऐसे नेक लड़के के रोजगार लगने की प्रतीक्षा की जा सकती है. यदि नौकरी नहीं मिली तो अपनी जमा पूंजी से विजय के लिए रोजगार की व्यवस्था मैं करूंगा.

रमा के मोबाइल की रिंगटोन बजी. रमा ने मोबाइल उठा कर पूछा ‘‘हैलो कौन?’’

‘‘आप का शुभचिंतक.’’

‘‘नाम बताइए.’’

‘‘मैं बंगाली बाबा. आप को वशीभूत करने के लिए एक व्यक्ति ने मुझे रुपए दिए थे. यदि आप नाम जानना चाहें तो 10 हजार रुपए मेरे अकाउंट में जमा करवा दीजिए.’’

‘‘मुझे नहीं जानना.’’

‘‘हो सकता है जो तंत्रमंत्र के द्वारा आप का वशीकरण चाहता हो, कल आप को दूसरे तरीके से भी नुकसान पहुंचा दे.’’

‘‘कौन है वह?’’

‘‘पहले अकाउंट में रुपए.’’

‘‘आप सच कह रहे हैं, इस का क्या सुबूत है?’’

‘‘मेरे पास आप का फोटो, घर का पता, मातापिता का नाम, सारी जानकारी है आप की.’’

रमा का माथा ठनका. पिछले दिनों जो कुछ उस के साथ हुआ कहीं ये सब उसी व्यक्ति का कियाधरा तो नहीं है. रमा ने उस के अकाउंट में रुपए जमा करवा कर नाम पूछा. नाम सुन कर रमा भौचक्की रह गई. रमा सीधे पुलिसस्टेशन पहुंची. थाना इंचार्ज सीमा तिवारी से मिली. अपनी बदनामी और उन पत्रों की जानकारी दे कर बाबा द्वारा बताया गया नाम भी बताया.

‘‘आप चिंता मत करिए. मैं बारीकी से जांच कर के अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगी.’’

पुलिस ने अपनी जांच शुरू की. रमा की शादी जिस लड़के से होने वाली थी उस लड़के और उस के परिवार वालों को थाने बुला कर पूछताछ की. लड़के को जिस नंबर से फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी, उस नंबर की जांच के साथ उन तमाम पत्रों की भी जांच की गई जो रमा के विरुद्ध महल्ले, कालेज में और लड़के वालों के घर भेजे गए थे. जांच का परिणाम यह निकला कि सबकुछ विजय द्वारा किया गया था. पुलिस की थर्ड डिगरी के आरंभिक दौर में ही विजय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. रमा ने गुस्से में आ कर कई थप्पड़ विजय को जड़ दिए.

‘‘क्यों किया तुम ने ऐसा?’’

‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं. तुम्हें पाने के लिए, तुम से शादी करने के लिए किया सब.’’

‘‘शर्म आनी चाहिए तुम्हें. जिस से प्यार करते हो उसी को सारे शहर में बदनाम कर दिया. यह कैसा प्यार है? यह प्यार है तो नफरत किसे कहते हो? कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा. मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती रही. तुम पर भरोसा करती रही और तुम ने भरोसा तोड़ा, मेरी शादी तुड़वाई. गिर चुके हो तुम मेरी नजरों से. मैं चाहूं तो जेल भिजवा सकती हूं अभी लेकिन फिर तुम्हारी बहन की शादी कैसे होगी? तुम्हारे मातापिता कैसे जी पाएंगे?’’

रमा ने थाना प्रभारी सीमा तिवारी से निवेदन किया, ‘‘मैडम, आप का बहुतबहुत धन्यवाद. मैं इस व्यक्ति के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं करना चाहती. इसे क्षमा करना ही इस की सब से बड़ी सजा होगी.’’

विजय नजरें झुकाएं हवालात में खड़ा था. रमा की डांट से, थप्पड़ से वह अंदर ही अंदर टूट चुका था. रमा थाने के बाहर आई. सामने शादी तोड़ने वाला परिवार खड़ा था. रमा से माफी मांग कर लड़के ने कहा, ‘‘दूसरे के बहकावे में आ कर मैं ने बहुत बड़ी गलती कर दी. मैं शादी करने को तैयार हूं.’’

‘‘लेकिन मैं तैयार नहीं हूं. किसी के बहकावे में आ कर शादी तोड़ने वालों पर विश्वास नहीं कर सकती. शादी के बाद यदि यही बातें तुम तक पहुंचतीं तब क्या करते, तलाक दे देते? विवाह के लिए भरोसा जरूरी है. पहले विश्वास करना सीखिए.’’

रमा ने अपनी स्कूटी उठाई और घर की ओर चल दी. धीरेधीरे यह बात सब जगह पहुंच गई कि रमा को बदनाम करने में विजय का हाथ था. वह तो रमा भली लड़की है जिस ने विजय के परिवार को ध्यान में रख कर उस पर कोई केस नहीं किया.

रमा अब सरकारी नौकरी करती है. इसी शहर में उस का विवाह हो चुका है एक डाक्टर से. रमा के 2 बच्चे हैं. वह खुशहाल भरापूरा जीवन जी रही है. पुलिस थाने से निकलने के बाद विजय न घर आया न किसी ने उसे देखा. विजय की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज है.

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