कम उम्र में बालों के सफेद होने के ये हैं 5 बड़े कारण

आजकल के खराब खानपान और जीवनशैली का नतीजा है कि लोगों को बहुत सी परेशानियां उम्र से पहले होने लगी हैं. इनमें बाल का सफेद होना भी कुछ मुख्य समस्याओं में से एक है. कम उम्र में बाल सफेद होने को लेकर आम तौर पर लोगों की धारणा है कि ये परेशानी जेनेटिक है. पर ये पूरा सच नहीं है. समय से पहले बाल सफेद होने के और भी कई कारण होते हैं. इस खबर में हम आपको उन कारणों के बारे में बताएंगे.

तो आइए शुरू करते हैं.

धूम्रपान

धूम्रपान का सेवन करने वालों के बाल कम उम्र में सफेद हो जाते हैं. साल 2013 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनके बाल जल्दी सफेद होने की संभावना दूसरे लोगों के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा होती है. इसके अलावा भी धूम्रपान की आदत सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है.

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हार्मोन्स

शरीर में हार्मोन्स का स्तर बिगड़ने से भी बाल जल्दी सफेद होते हैं. हार्मोन्स के असंतुलित होने पर बाल रूखे सूखे हो जाते हैं, उनकी चमक खो जाती है.

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तनाव

सही उम्र से पहले बालों के सफेद होने का एक प्रमुख कारण तनाव भी है. अधिक तनाव लेने से आपके बाल अपना नेचुरल कलर खो देते हैं. बालों की अच्छी सेहत चाहते हैं तो तनाव से दूर रहें.

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प्रदूषण

आज के समय में बहुत सी परेशानियां गिर रहे वायु के स्तर की वजह से हो रही हैं. प्रदूषित हवा में मौजूद तत्व बालों को डैमेज करते हैं और उन्हें सफेद करते हैं. जानकारों की माने तो प्रदूषित हवा में मौजूद फ्री रेडिकल्स मेलानिन को डैमेज कर के बालों को सफेद करने का काम करते हैं.

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अनहेल्दी डाइट

डाइट का सीधा असर सेहत पर होता है. इसलिए खानपान का खासा ध्यान देने की जरूरत है, फास्टफूड्स और जंक फूड्स का अधिक सेवन ना करें. डाइट में न्यूट्रिएंट्स की कमी होने से बाल अपना नेचुरल कलर खो देते हैं.

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तेजी से आपका वजन कम करेंगे ये 5 मसाले

वजन कम करने के लिये हम अक्‍सर अपने आहार और फिटनेस पर ध्‍यान देते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह कसक रह जाती है कि शायद हम पूरी तरह से अपनी डाइट पर ध्‍यान नहीं दे रहे हैं. जिसका रिजल्‍ट होता है कि आप सही से आहार लेने के बावजूद भी अपना वजन कम नहीं कर पाते.

लेकिन अब आपको किसी नए डाइट प्‍लैन की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि आपके किचन में रखे कुछ मसाले वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं. आइये जानते हैं कैसे.

1 सरसों : सरसों का दाना शरीर का मैटाबौलिज्म बढाता है. यह शरीर में चर्बी को बड़ी ही तेजी से गलाता है. यह ना केवल टेस्‍टी ही होता है बल्कि हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिये भी बहुत अच्‍छा माना जाता है. बाजार से मसटर्ड सौस लाइये और फिर इसे अपने भोजन के साथ रोजाना मिला कर खाइये, फिर देखिये वजन कैसे कम होगा.

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2 हल्‍दी : भारतीय मसालों में हल्‍दी सबसे स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मसाला माना जाता है. यह हर्बल उपचार के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता आ रहा है. यह शरीर में कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करती है और पाचन में सुधार करती है. इसमें करक्‍यूमिन नामक तत्‍व पाया जाता है जो वसा ऊतकों को दूर रखता है. यह शरीर से सभी टौक्‍सिन को बाहर निकाल देती है.

3 लहसुन : यह ना केवल भोजन का ही स्‍वाद बढाता है बल्कि वजन पर भी काबू पाने में मदद करता है. इसमें एक तत्‍व पाया जाता है, जिसका नाम एलिसिन होता है. यह तत्‍व कोलेस्‍ट्रौल से लगड़ा है और ब्‍लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है.

4 दालचीनी : आप चीनी की जगह पर दालचीनी का प्रयोग कर सकती हैं. पर क्‍या आप को पता है कि दालचीनी के सेवन से मोटापा भी कम होता है. यह शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करती है. डाइट में शामिल कार्बोहाइड्रेट को यह आसानी से पचने में मदद करती है.

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5 अदकर : अदरक लगभग पूरी दुनिया में इस्‍तमाल किया जाने वाला मसाला है. इसको अपनी डाइट में लेने से भूख कंट्रोल होती है, शरीर से गंदगी साफ होती है, रोग-प्रतिरोधक शक्‍ति बढ़ती है और पाचन में सुधार आता है.

अदरक के तेल का फायदा जान हैरान रह जाएंगी आप

मासाले सिर्फ हमारे स्वाद के लिए जरूरी नहीं होते बल्कि इनका हमारी सेहत पर जरूरी असर होता है. इसी क्रम में आज हम आपको अदरक से होने वाले फायदों के बारे में बताने वाले हैं. अदरक में बहुत से पौष्टिक और जरूरी तत्व पाए जाते हैं. अदरक में मौजूद एंटी- बैक्टीरियल और एंटीऔक्सीडेंट गुण खांसी-जुकाम से भी राहत दिलाते हैं. इसके तत्व त्वचा और बालों के लिए काफी लाभकारी होते हैं. पर क्या आपको बता है कि अदरक का तेल भी बेहद असरदार होता है. सेहत संबंधित बहुत सी परेशानियों में ये बेहद लाभकारी होता है. सेहतंद रहने और इंम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए ये काफी असरदार होता है.

इस खबर में हम आपको अदरक के तेल के फायदों के बारे में बताएंगे.

ब्लड शुगर को करे कम

ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एंटी डायबैटिक गुण पाए जाते हैं जो दिल की बीमारियों को दूर करने में भी कारगर होते हैं.

कई तरह के दर्द में लाभकारी है

मांसपेशियों के दर्द में अदरक का तेल काफी असरदार होता है. इसके अलावा जोड़ों के दर्द में भी ये मदद करता है. शरीर में किसी भी तरह के सूजन को कम करने में ये काफी कामगर होता है. अगर आपको जोड़ों का दर्द या मांसपेशियों का दर्द है तो आप अदरक के तेल का इस्तेमाल बेझिझक कर सकती हैं.

कौलेस्ट्रोल को करे कम

कोलेस्ट्रौल दिल को काफी नुकसान पहुंचाता है. कौलेस्ट्रोल को कम करने में दरक का तेल कामगर है.

सांस की समस्या में है फायदेमंद

अदरक सांस की परेशानियों में भी असरदार होता है. गले और नाक के बलगम को साफ करने में ये उपयोगी है. खांसी और जुकाम में भी ये काफी राहत देता है. इस तरह की परेशानियों में आराम पाने के लिए आप अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं.

पाचन होता है अच्छा

अदरक के तेल के उपयोग से पाचनतंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है. इसके आलावा खाने क स्वाद बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है.

मौनसून में आंखों का संक्रमण ज्यादा हो रहा है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा 24 साल की कामकाजी महिला हूं. मौनसून का मौसम जल्द ही शुरू होने वाला है. मैं ने सुना है कि इस मौसम में आंखों के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. क्या यह सच है? यदि यह सच है तो कृपया इस से बचाव का उपाय बताएं?

 जवाब-

आप ने बिलकुल सही सुना है. दरअसल, बारिश के पानी में कई प्रकार के बैक्टीरिया जन्म लेते हैं और साथ ही इस मौसम में कीड़ेमकोड़ों की भरमार हो जाती है.

वातावरण में नमी और बैक्टीरिया के कारण आंखों के संक्रमण का खतरा बढ़ता है. इस से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वछता जरूरी है. आंखों को छुएं नहीं, रगड़ें नहीं और दिन में कम से कम 2-3 बार आंखों पर साफ और ठंडे पानी के छींटे मारें. इस से संक्रमण का खतरा कम होता है.

जिस जगह पानी भरा हो उस से दूर रहें, क्योंकि वहां पर बैक्टिरिया सब से ज्यादा पनपते हैं. आंखों में बारिश का पानी बिलकुल न जानें दें.

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कई बीमारियों के भी चपेट में आ जाते है. ऐसे में शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है क्योंकि आंखों में होने वाली जरा सी दिक्कत चिंता का सबब बन सकती है. अक्सर लोग आंख में धूल या मिट्टी चले जाने पर उसे तेजी से रगड़ने लगते हैं जिसके कारण आंखे लाल हो जाती है और उन्हें परेशानियां होने लगती है. गर्मी के मौसम में सबसे आम दिक्कत है एलर्जिक रिएक्शन. आंखों में एलर्जी होने से आंखों में पानी, चुभन होना और लालपन आने लगता है. एलर्जिक कांजेक्टिवआइटिस इस मौसम में सबसे आम है जो कि एलर्जिक रिएक्शन के कारण होता है.

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जंक फूड को कहें ना

एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन अच्छा पौष्टिक भोजन अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरी होता है लेकिन आज के आधुनिक युग में लगभग सभी लोग जंक फूड खा रहे हैं. इस के पीछे कारण यह भी है कि यह बाजार में हर जगह आसानी से उपलब्ध है, स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही दाम में कम होता है.

बच्चे से ले कर बड़े तक हर व्यक्ति जंक फूड खाने लगा है. विवाहपार्टी हो, बर्थडे पार्टी या गेट टूगेदर हो, जंक फूड बड़े शौक से खाया जाता है – जैसे कोल्ड ड्रिंक, नूडल, बर्गर, पिज्जा, चिप्स, नमकीन, मंचूरियन, समोसा, पकौड़े, केक, आइसक्रीम, चौकलेट आदि जंक फूड पार्टी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं.

पहले लोग जंक फूड को कभीकभी ही बाहर जाने पर खाया करते थे पर अब धीरेधीरे लोग इसे अपने घर का खाना बनाते जा रहे है जिस के कारण लोगों को कई प्रकार के स्वास्थ्य से जुड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या है जंक फूड

जंक फूड में बहुत ज्यादा कैलोरी होती है और विटामिन, प्रौटीन और मिनरल की मात्रा बहुत अधिक होती है. विटामिन और मिनरल जरूरत के अनुसार ही शरीर के लिए सही हैं. कुल मिला कर जंक फूड व्यक्ति के शरीर के लिए लाभदायक कम और हानिकारक ज्यादा है.

एक बात तो साफ है, ज्यादा और लगातार जंक फूड खाने से शरीर को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

वजन बढ़ना : जंक फूड बनाने में तेल, घी, बटर का अत्याधिक उपयोग होता है, जो मोटापे का कारण बनता है और मोटापा शरीर को कई अन्य बीमारियां देता है.

हाइपरटेंशन : जंक फूड में ज्यादा नमक का इस्तेमाल होता है जबकि घर में बने भोजन में हम जरूरत के अनुसार नमक की मात्रा का उपयोग करते हैं. ज्यादा नमक का सेवन हाइपरटेंशन काकारण बन सकता है.

टाइफाइड : घर में बना खाना साफसुथरा, साफ हाथों से बना होता है. होटल, फास्ट फूड सैंटर पर मिलने वाले जंक फूड बनाने में ज्यादा साफसफाई का ध्यान नहीं रखा जाता. अस्वच्छ तरीके से बनाए फूड से टाइफाइड, डायरिया होने का खतरा रहता है.

हृदय से जुड़े रोग : घर पर भोजन बनाने में हम कम तेल का इस्तेमाल करते हैं जबकि जंक फूड को ज्यादा तेल और घीयुक्त बनाया जाता है. ऐसा भोजन शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाता है, जिस से कई प्रकार के हृदय रोग होने का खतरा रहता है.

कुपोषण : लंबे समय तक बिना पौष्टिक तत्त्वों का जंक फूड खाते रहने से व्यक्ति की भूख कम हो जाती है, जिस से कुपोषण की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों का शारीरिक विकास सही प्रकार से नहीं हो पाता.

अंत : जंक फूड खाने के इतने भी शौकीन मत बनाइए कि अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर बैठे. महीने में एक बार स्वाद के लिए जंक फूड खा सकते है पर इस की आदत बना स्वयं के शरीर को स्वयं बरबाद करना है. इसलिए घर का स्वच्छ, स्वस्थ भोजन खाएं और स्वस्थ रहें.

बच्चे और जंक फूड

बच्चों को जंक फूड से अलग करना आज नामुमकिन सा हो गया है इसलिए चाहें तो मातापिता समझदारी से बच्चों को जंक फूड खाने को दे सकते हैं लेकिन इस की एक सीमा निर्धारित कर दें. बच्चों के साथ मिल कर एक दिन तय कर लें कि वह हफ्ते में एक दिन जंक फूड खा सकते हैं ताकि बच्चे भी छिप कर चोरी छिपे बाहर से जंक फूड नहीं खाएं.

यह डील करते समय क्वांटिटी का निर्णय भी मातापिता करें. मतलब कि बच्चा पूरा का पूरा चिप्स का पैकेट नहीं खाए बल्कि उसे कुछ पोर्शन ही दें. जंक फूड डे का मतलब यह भी नहीं कि सुबह से शाम तक बच्चा अपनी मरजी का ही खाए. नहीं, साथ में हैल्दी फूड भी खाने को दें.

इस तरीके से बच्चे को उस की मनपसंद चीज भी खाने को मिल जाएगी, साथ उस की सेहत को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा और उस के विकास में पौष्टिकता की किसी भी तरह की कमी नहीं रह पाएगी.

Holi Special 2020 : रंगों के त्योहार पर रखें इन बातों का खास ख्याल

होली खुशियों का त्योहार है. लोग इसके उमंग उल्लास में इस कदर डूब जाते हैं कि अपनी सेहत का नुकसान कर बैठते हैं. ज्यादा तेल का खाना, अधिक मिठाई खाना, अनहाइजीन व्यंजनों का सेवन और भी ना जाने कितनी लापरवाहियां इस त्योहार की रौनक को कम कर देती हैं. ऐसे में हम आपको कुछ खास टिप्स बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप इस होली को और भी बेहतर ढंग से एंजौय कर पाएंगी.

ओवर ईटिंग से बचें

होली में तरह तरह के पकवान और मिठाइयां बनते हैं. इस चक्कर में आप कुछ ना कुछ खाती रहती हैं. ये सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है. त्योहारों में बनने वाले व्यंजन काफी तेल वाले होते हैं, ये तले और भुने होते हैं, ये आसानी से नहीं पचते. इससे फूड प्वाइजनिंग की समस्या हो सकती है.

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पानी खूब पिएं

होली में हम खाते अधिक हैं पर पानी पीना भूल जाते हैं. खाने और होली की हुड़दंग से शरीर में पानी की कमी होती जाती है. इसका असर पाचन पर भी होता है. इस भागा दौड़ी में पानी पीना ना भूलें. दिन भर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं.

इसके अलावा इन बातों का भी रखें ख्याल:

  • ज्यादा मसालेदार और तले-भुने मसालों से दूर रहें.
  • भांग, ठंडई और किसी भी तरह के नशे से दूर रहें.
  • गुजिया का अधिक सेवन ना करें, ये मैदा और खोए से बने होते हैं. इनका अधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.
  • ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें. ये सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं.
  • बाजार की मिठाइयों से दूर रहें. ये मिलावट वाली हो सकती है, इनके सेवन से आपके स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.

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कम करना है वजन तो खाएं ये पांच चीजें

बढ़ते हुए वजन से अक्सर लोग परेशान रहते हैं. यही कारण है कि अपने वजन को समान्य करने  के लिए वो तरह तरह के उपाय करते रहते हैं. जैसे डाइटिंग और जिम. हालत से होती है कि लाख कोशिशों के बाद भी उनकी सेहत पर कुछ खास असर नहीं होता है और वो अवसादग्रस्त हो जाते हैं.

वजन कम करने के लिए लोग डाइटिंग करते हैं पर इससे कोई खास फायदा नहीं होता. उल्टे वो कमजोर होते जाते हैं. खानापीना कम करने से सेहत पर भी खासा बुरा असर पड़ता है. वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपकी डाइट काफी बैलेंस्ड हो. जिससे आपका वजन भी कंट्रोल में रहे और आपको जरूरी उर्जा भी मिलती रहे.

इस खबर में हम आपको ऐसी डाइट के बारे में बताएंगे जिससे आपको जरूरी उर्जा भी मिलेगी और आपका वजन भी काबू में होता. तो आइए जाने कि क्या खाना आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा.

1. वेजिटेबल और फ्रूट सैलड

जितना फैट हम बर्न करते हैं उससे ज्यादा कैलोरी कंज्यूम करते हैं जिसके कारण हमारा वजन बढ़ जाता है. हेल्दी रहने के लिए और वजन को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि हम हरे साग, सब्जियों और फलों का सेवन करें. आपको बता दें कि हरे साग सब्जियों और फलों में पानी की मात्रा भरपूर होती है. इसके अलावा इनमें फाइबर भी प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इनका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता और सेहत भी अच्छी रहती है.

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2. फलियां

आपको बता दें कि फलियों में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर का भी ये प्रमुख स्रोत है. मेटाबौलिज्म को मजबूत करने में इनका काफी अहम योगदान होता है. इनका सेवन करने से प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग नहीं होती, जिससे वजन काबू में रहता है.

3. नट्स

भरपूर मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन और अनसैचूरेटेड फैट का स्रोत होते हैं नट्स. कई तरह की बीमारियों में हमें बचाने में ये काफी कारगर होते हैं. हालांकि जरूरी है कि इनका प्रयोग सीमित मात्रा में हो.

4. पानी

अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो जरूरी है कि आप खूब पानी पिएं. डीहाइड्रेटड मांसपेशियां वजन कम करने में सबसे बड़ी बाधा होती हैं. कम पानी पीने से शरीर के मेटाबौलिज्म पर काफी बुरा असर होता है. ज्यादा पानी पीने से भूख भी काबू में रहती है जिससे वजन नहीं बढ़ता है.

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5. अंडा

लोगों में ये धारणा आम है कि अंडा खाने से वजन बढ़ता है. पर हम आपको बता दें कि आपका सोचना गलत है. अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, वहीं उसके पीले हिस्से में, जिसे जर्दी कहते हैं, प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. जानकारों की माने तो नाश्ते में अंडा खाना हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. इससे हमारे शरीर को जरूरी पोषण भी मिलता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. एक रिपोर्ट की माने तो जिन लोगों ने 5 दिनों तक ब्रेकफास्ट में अंडे खाए, उन लोगों का वजन दूसरे लोगों के मुकाबले 65 फीसदी ज्यादा कम हुआ.

बच्चे को चाय पिलाना अच्छा है या नहीं?

चाय एक बहुत साधारण पेय है. बहुत से लोगों में रोज सुबह शाम चाय पीने की आदत होती है. ऐसा माना जाता है कि चाय पीने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है. इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में और कमजोरी को दूर करने में बहुत कारगर होता है. जाहिर तौर पर चाय पीने के कई फायदे हैं. पर व्यस्क और बच्चों पर इसका असर बिल्कुल अलग अलग होता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि चाय बच्चे की सेहत को किस तरह से प्रभावित करता है.

कई जानकारों का मानना है कि व्यस्कों और बच्चों पर चाय का असर बिल्कुल अलग अलग होता है. अलबत्ता बच्चों की सेहत पर इसका नकारात्मक असर होता है. अगर आपका बच्चा ज्यादा चाय पीता है तो इसका असर उसके मांसपेशियों, मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है. शारीरिक विकास पर भी बुरा असर होता है.

जानकारों की माने तो बहुत अधिक चाय पीने वाले बच्चों में इन परेशानियों के होने का खतरा बढ़ जाता है:

  • कमजोर होती हैं हड्ड‍ियां
  • हड्ड‍ियों में दर्द रहता है, खासतौर पर पैरों में
  • व्यवहार में बदलाव होता है
  • मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं

ये रोग छीन सकते हैं आपके आंखों की रोशनी

जिस्म का हर अंग बेहद अहम है, लेकिन आंखों से ज्यादा अहम दूसरा अंग नहीं होता. आप के आंखों की रोशनी सही है, देखने में कोई दिक्कत नहीं है तो आप को इस बात की फिक्र नहीं होगी कि आंखों पर कोई आंच आ सकती है. यह और बात है कि उम्र बढ़ने के साथ आंखों की रोशनी आज जैसी मजबूत नहीं रहेगी.

आंखों के सिलसिले में आंख खोलने वाली बात यह है कि आंख से जुड़ी बीमारियों के अलावा भी कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो आंखों की रोशनी को इतना ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं कि इंसान अंधेपन के करीब पहुंच जाए.

विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि ऐसी कई बीमारियां हैं जो आंखों से जुड़ीं नहीं होती हैं लेकिन वे आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वे कहते हैं कि डायबिटीज और हाइपरटेनसिव रेटिनोपैथी, तम्बाकू और अल्कोहल एम्ब्लौयोपिया, स्टेरौयड का इस्तेमाल और ट्रामा इंसान को अंधा बना सकते हैं और लोगों को इस का पता बहुत देर से चलता है.

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गौरतलब है कि लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की पिछले साल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 3.6 करोड़ अंधे लोगों में से 88 लाख अंधे भारत में थे. भारत के राज्यों में ब्लाइंडनेस यानी अंधेपन को कंट्रोल करने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जाता है जो कहता है कि अंधेपन के करीब 80-90 फीसदी मामलों का या तो इलाज हो सकता है या उस की रोकथाम की जा सकती है.

जांच है अहम

आंखों को सेहतमंद रखने की लिए उन की जांच कराते रहना चाहिए और जांच के बाद डाक्टर जो सलाह दें उस पर अमल करना चाहिए. डाक्टरों का कहना है कि शुगर और ग्लूकोमा के मरीजों में अंधेपन के मामले रेगुलर जांच नहीं कराने के चलते होते हैं. रोग का इलाज जितना अहम होता है उतना ही अहम फौलो-अप होता है यानी रेगुलर जांच कराना.

बच्चों में रेफ्रेक्टिव एरर के कई मामलों में मातापिता उन्हें चश्मा पहनने के लिए हतोत्साहित करते हैं. कई बच्चों की आंखें कमजोर होती हैं, उन की आंखों का इलाज नेत्र विशेषज्ञ से कराना चाहिए.

वहीं, उम्र और मौडर्न लाइफ के तनावों से ज्यादातर लोगों को आंख पर दबाव महसूस होता है. इस बारे में डाक्टरों का कहना है कि अकसर लोगों को यह एहसास ही नहीं होता कि प्रदूषण, धूम्रपान, ज्यादा शराब पीने के अलावा डायबिटीज, मोटापा और हाइपरटेंशन जैसी जीवनशैली से जुड़ीं बीमारियां आंखों की रोशनी पर बुरा असर डालती हैं.

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20 से 25 साल की उम्र वाले काफी लोग आंखों की कमजोर रोशनी की समस्या से जूझ रहे होते हैं लेकिन उन्हें इस के बारे में पता तक नहीं होता है. वे अपनी आंखों की जांच कभी नहीं करवाते. उन्हें लगता है कि सिरदर्द तनाव से हो रहा है. यहां पर डाक्टरों का कहना है कि अगर मरीज को इस का एहसास हो जाए और वह फौरन अपनी आंखों की जांच कराए तो कभीकभी रोशनी खराब होने से रोका जा सकता है.

इस प्रकार, आप सावधान हो जाएं और कोई भी बीमारी होने पर डाक्टर से कंसल्ट करें और उन की बताई सलाह पर अमल करें ताकि आप की आंखें इस खूबसूरत दुनिया को आप की आखिरी सांस तक निहारती रहें.

ब्लड प्रेशर मरीज फायदेमंद है टमाटर

टमाटर हमारी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. इसके कई सेहत लाभ हैं. हाइपर टेंशन एक गंभीर बीमारी है जिससे आपको दिल संबंधी समस्याएं होती हैं. अपनी डाइट में टमाटर जोड़ कर इस समस्या का जोखिम कम किया जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि टमाटर कैसे ब्लड प्रेशर की परेशानी में फायदेमंद है.

अमेरिका के हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी औक्सीडेंट पाया जाता है. जो लोग टमाटर का नियमित तौर पर सेवन करते हैं, उनमें ब्लड प्रेशर की शिकायत कम देखी गई है.

जानिए कैसे लाभकारी है टमाटर

tomatoes for blood pressure patients

टमाटर में विटामिन ई प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इसके अलावा टमाटर पोटैशियम का भी महत्वपूर्ण स्रोत है. इससे शरीर में फ्लूइड इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है, साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. इसलिए अगर आप हाइपरटेंशन की मरीज हैं तो टमाटर का अधिक सेवन करें. आप इसे सलाद या सब्जियों में मिलाकर खा सकते हैं. इसके अलावा इसे टोमेटो सूप, रसम या चटनी के रूप में भी खाया जा सकता है.

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tomatoes for blood pressure patients

आपको बता दें कि टमाटर में लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन जैसे कैरोटीनौइड होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऔक्सीडेंट्स हैं. इनकी मदद से शरीर में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय हो कर आसानी से फ्लश हो जाते हैं. इससे न केवल एथेरोस्लेरोसिस की प्रगति धीमी होती है बल्कि औक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है.

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