हेल्दी रहना है तो इन टिप्स को फौलो करें, कभी नहीं होंगी बीमार

हेल्दी रहना कौन नहीं चाहता. सभी चाहते हैं कि वो रोगमुक्त रहें. शारीरिक और मानसिक तौर पर वो फिट रहें. पर जिस तरह की लोगों की जीवनशैली बन गई है, स्वस्थ रहना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में हम आपको कुछ टिप्स देने वाले हैं जिन्हे फौलो कर के आप खुद को हेल्दी और फिट रख सकेंगी.

रहें जंक फूड से दूर

आधुनिक जीवन में जमक फूड का सेवन अधिक होने लगा है. आज के युवा की सबसे बड़ी चुनौती है जंक फूड से दूरी बनाने की. ये आदत बहुत से लोगों का काफी नुकसान कर रही है. ऐसे में जरूरी है कि आप जंक फूड से दूरी बनाएं और अपनी डाइट में हरे साग सब्जियों को शामिल करें.

रोजाना करें फलों और सब्जियों का सेवन

अपनी डाइट में फलों और सब्जियों को जरूर ऐड करें. ये ना सिर्फ आपके शरीर को हेल्दी रखती हैं बल्कि आपका दिमाग भी अधिक सक्रिय और तेज रहेगा. हरी साग सब्जियों से आपकी सेहत के लिए खासकर के जरूरी होती हैं. इनके नियमित सेवन से आप बीमारियों से दूर रहेंगी और कैंसर, दिल की बीमारी जैसी चीजों का खतरा भी दूर रहेगा.

एक्सरसाइज को अपनाएं

सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि हेल्दी डाइट के साथ साथ आप एक्सरसाइज करें. इससे सेहत का काफी लाभ होता है. एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं. खाने के बाद कम से कम वौक जरूर करें.

एक रूटीन बनाएं

स्वस्थ रहने की चाबी है खुद को एक रूटीन में रखना. खाने का, सोने का, जगने का, खलने कूदने, एक्सरसाइज सारी चीजों को एक तय समय में करें. इससे आपकी सेहत का काफी फायदा होगा.

खूब पिएं पानी

पानी पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार ना करें. दिन भर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं. इसके अलावा कभी कभी पानी में नींबू का रस मिला कर पिएं. इससे आप हमेशा हाइड्रेटेट रहेंगे और वजन भी कंट्रोल में रहेगा.

गर्दन और पीठ में होता है दर्द तो आज ही बदलें अपनी ये आदत

जो लोग कामगर हैं, जिन्हें पूरे दिन कंप्यूटर पर बैठ के काम करना पड़ता है उन्हें गर्दन और पीठ दर्द की शिकायत रहती है. पर क्या आपको पता है कि अपने बैठने की आदत में बदलाव कर के आप इस परेशानी से निजात पा सकती हैं. आपको बता दें कि कंप्यूटर के सामने अधिक देर तक बैठने से आपके गर्दन और रीढ़ की हड्डियों पर काफी नुकसान पहुंचता है. इससे आपको अधिक थकान, सिर में दर्द और एकाग्रता में कमी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर आप अधिक देर तक इसी अवस्था में बैठी रहती हैं तो आपके स्पाइनल कौर्ड में भी घाव हो सकता है.

इस मुद्दे पर शोध कर रहे जानकारों का मानना है कि इन परेशानियों के लिए बैठने का गलत तरीका जिम्मेदार है. अगर आप सीधे बैठें तो इन परेशानियों से निजात पा सकती हैं. अगर आप सीधे बैठती हैं तो आपकी पीछे की मांसपेशियां आपके गर्दन और सिर के भार को सहारा देती हैं.

जानकारों की माने तो अगर आप सिर को 45 डिग्री के कोण पर आगे करती हैं तो आपकी गर्दन आधार की तौर पर कार्य करती हैं. इससे आपके गर्दन पर काफी भार आता है. ऐसी स्थिति में आपके सिर और गर्दन का वजन 45 पाउंड हो जाता है. इससे आपको दर्द और कई तरह की परेशानियां होती हैं.

करती हैं अधिक सफर तो एक्सरसाइज है बेहद जरूरी

अगर आप अलग अलग शिफ्ट में काम करती हैं या लंबी यात्राएं करती हैं तो आपको कई तरह के रोगों का सामना करना पड़ सकता है. इससे आपकी नींद सबसे अधिक नकारात्मक ढंग से प्रभावित होती है. इस दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है. व्यायाम व्यस्त दिनचर्या से पैदा होने वाली थकान को मिटाने में काफी कारगर होता है.

हाल ही में अमेरिका में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि व्यस्त दिनचर्या के बाद भी व्यायाम शरीर के लिए काफी अहम होता है. इस शोध में पांच दिनों तक करीब 101 प्रतिभागियों पर प्रयोग किए गए. इनपर इनकी दिनचर्या के बाद व्यायाम करने को कहा गया और शरीर की गतिविधियों का परीक्षण किया गया.

इस अध्ययन में पचा चला कि सुबह में सात बजे से पहले या दिन में एक से चार बजे के बीच किए व्यायाम बौडी क्लौक को थोड़ा पहले कर देते हैं. जबकि शाम सात बजे से रात दस बजे के बीच व्यायाम करने से बौडी क्लौक और आगे हो जाता है.

जानकारों की माने तो ‘बौडी क्लौक’ पर व्यायाम के प्रभाव की तुलना करने वाला यह पहला अध्ययन है और यह अध्ययन ‘जेट लैग’ और अलग अलग पाली में काम करने के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद हेतु व्यायाम के इस्तेमाल की संभावना बता सकता है.

सर्दियों में बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा, जानिए क्या करें

सर्दियों में स्ट्रोक की संभावनाएं 30 फीसदी अधिक हो जाती हैं. इस बात का खुलासा कई जानकारों ने हाल ही में किया है. जानकारों की माने तो ठंड में सभी प्रकार के स्ट्रोक की संभावनाएं अधिक हो सकती है.

इस मामले पर पहले भी बहुत से शोध हुए हैं जिसमें ये सामने आया है कि सर्दियों में इंफेक्शन दर में वृद्धि होती है, लोगों के  व्यायाम में भी काफी कटौती होती है, हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी बढ़ती है. जिसके कारण लोगों में स्ट्रोक की शिकायत अधिक हो जाती है. इसके अलावा सर्दियों के दौरान वायु काफी हद तक प्रदूषित रहती है. प्रदूषित वायु के कारण लोगों की छाती और हृदय की स्थिति और भी बिगड़ जाती है.

जानकारों के मुताबिक स्ट्रोक से खुद को कैसे बचाया जाए और विकलांगता को रोकने के लिए क्या उपचार करने चाहिए, ऐसी अवधि में किसी भी व्यक्ति को अगर सही इलाज मिले तो उसमें काफी सुधार हो सकता है. इसके लक्षण पर बात करते हुए एक डाक्टर ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अगर हाथ में कमजोरी या कभी बोलने में कठिनाई होती है तो बिल्कुल सतर्क रहना चाहिए. ऐसी स्थिति में रोगी को किसी पास के अस्पताल में ले जाना चाहिए, जहां 24 गुना 7 सीटी स्कैन, एमआरआई की सेवा उपलब्ध हो. लक्षण के शुरुआती घंटे के भीतर उसका इलाज कर बचाया जा सकता है.

तो 2070 तक इस कैंसर से मुक्त हो जाएगा भारत

देश की महिलाओं में पिछले कुछ वर्षों में कार्विकल  कैंसर की शिकायत तेजी से बढ़ी है. पर हाल ही में एक स्टडी में जो बातें सामने आई हैं वो देश की महिलाओं के लिए राहत लाई है. लैसेंट के एक अध्ययन में ये स्पष्ट हुआ कि अगले 60 वर्षों में भारत कार्विकल कैंसर से मुक्त हो जाएगा.

अध्ययन में कहा गया कि भारत ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण और गर्भाशय ग्रीवा की जांच को अधिक सुगम बनाकर 2079 तक गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की समस्या से निजात पा लेगा. इसके अलावा अध्ययन में ये बात भी सामने आई कि अगर भारत 2020 तक इसके रोकथाम के प्रयासों में तेजी रखता है तो आने वाले 50 वर्षों में असके करीब एक करोड़ से अधिक मामलों को रोका जाना संभव होगा.

इस अध्ययन के अनुसार भारत, वियतनाम और फिलिपीन जैसे विकासशील राष्ट्रों में 2070 से 2079 तक कार्विकल कैंसर पर काबू पाया जा सकता है. वहीं एक और अध्ययन में पाया गया है कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से 181 में से 149 देशों में वर्ष 2100 तक निजात पाई जा सकती है. इसके अलावा अमेरिका, फिनलैंड, ब्रिटेन जैसे विकसित राष्ट्र इस बीमारी को आने वाले 25 से 40 सालों में काबू कर सकते हैं.

आपको बता दें कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर महिलाओं को होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है. वर्ष 2018 में इसके करीब 5,70,000 नए मामलों का पता चला था.

प्रेग्नेंसी में प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल है खतरनाक

प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है. इसी से जुड़े एक शोध में ये बात सामने आई कि प्रेग्नेंसी के दौरान खराब क्वालिटी की बोतलें या बीपीए युक्त प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीना अजन्में की सेहत के लिए काफी खतरनाक है. प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से पेट में पल रहे बच्चे को आगे के जीवन में पेट से संबंधित कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

आपको बता दें कि प्लास्टिक में पाए जाने वाले बीपीए रसायन पेट में मौजूद अच्छे और बुरे जिवाणुओं का संतुलन बिगाड़ देते हैं. इससे लिवर का भी काफी नुकसान होता है. ये शोध अमेरिका में हुआ.

शोध में ये बात सामने आई कि जन्म से पहले गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए प्लास्टिक की बोतल का पानी काफी हानिकारक होता है.  इससे बच्चे खतरनाक रसायनों के संपर्क में आ जाते हैं. जानकारों का कहना है कि बच्चों को मां का दूध भी प्लास्टिक की बोतल में ना दें. खतरनाक रसायनों का प्रवाह मां के दूध से भी हो सकता है.

अधय्यनकर्ताओं के मुताबिक जन्म लेने के ठीक बाद मां के दूध से रसायनों के संपर्क में आए बच्चों को आगे की लाइफ में पेट से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं.

आपको बता दें कि BPA प्लास्ट‍िक के कई कंटेनरों और बोतलों में पाया जाता है. खासतौर सस्ते और खराब क्वालिटी वाले बोतलों में इसका मिलना आम है. शोध में दावा किया गया है कि ऐसे ऐसे प्लास्ट‍िक के बर्तनों में रखा गया खाना आसानी से बीपीए रसायन को सोख लेता है.

देर रात खाने की आदत बदल दें, है खतरनाक

हमें कई बीमारियां हमारे खाने की गलत आदतों की वजह से होता है. गलत खाना, खाने का वक्त गलत, खाने का तरीका गलत, जैसे कई कारणों से हेल्थ संबंधी कई परेशानियां होती हैं. इन अनियमितताओं के कारण आपके वजन के बढ़ने का खतरा भी अधिक रहता है.

वजन बढ़ने के कई कारणों में से एक है देर रात में खाना खाना. अगर आपकी आदत देर रात में खाने की है तो आज ही इसे बदलें. इससे वजन तो बढ़ता है इसके साथ ही कई तरह की बीमारियों का खतरा भी अधिक हो जाता है. जानकारों की माने तो दिन भर के खाने की साइकल में सुबह का नाश्ता बेहद अहम होता है. इससे इतर आच्छे स्वास्थ के लिए हल्का लंच और डिनर करें.

हाल ही में एक जर्नल में छपी रिपोर्ट की माने तो देर रात में खाना खाने से आपका वजन तेजी से बढ़ता है. इसके अलावा आपमें कौलेस्ट्रौल के बढ़ने की संभावना बहुत अधिक होती है. जानकारों का ये भी मानना है कि रात में अधिक खाना खाने से हम शरीर को अधिक कैलोरीज का भार देते हैं. रात के वक्त इस तरह का डाइट लेने से हम अपने शरीर का नुकसान करते हैं.

एक्स्पर्ट्स की माने तो एक व्याक्ति को दिन भर में लगभग 1800 से 3000 कैलोरी की जरूरत होती है. इसे आप लंच, ब्रेकफास्ट और डिनर के तौर पर बांट सकती हैं. रात में शरीर को 450-650 कैलोरी की जरूरत होती है. इस लिए जरूरी है कि रात में देरी से भोजन लेने से हम बचें.

अंडे की जर्दी खाएं या नहीं? यहां मिलेगा जवाब

अंडा अच्छी सेहत के लिहाज से एक बेहत महत्वपूर्ण खाद्य है. इसमें पाए जाने वाले न्यूट्रिएंट्स शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. बौडी बिल्डिंग के दौरान भी इसके नियमित सेवन की बात कही जाती है. पर अंडे के सेवन को लेकर लोगों के बीच राय बटे हुए हैं. आपको बता दें कि अंडे में कौलेस्ट्रौल की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण लोग इसे सेहत के लिए हानिकारक भी मानते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वजन कम करने और बौडी बिल्डिंग के लिए अंडे के सफेद हिस्से का सेवन करते हैं. इस खबर में हम अंडे के पीले हिस्से के सेवन के बारे में चर्चा करेंगे. हम बात करेंगे कि अंडे के पीले हिस्से का सेवन सेहत के लिए अच्छा है या नहीं.

क्या अंडे की जर्दी सेहत के लिए फायदेमंद होती है?

एक अंडे में 186 मिलिग्राम कोलेस्ट्रोल पया जाता है. ये कोलेस्ट्रोल अंडे की जर्दी में होता है. पर ये शरीर के लिए हानिकारक नहीं होते. ऐसा इस लिए क्योंकि शरीर में टेस्टोस्टेरोन के निर्माण में कोलेस्ट्रोल की आवश्यकता होती है. इससे शरीर में एनर्जी बढ़ती है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं.

आपको बता दें कि अंडे के सफेद हिस्से में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. वहीं इसकी जर्दी में आयरन, विटामिन बी-2, बी-12 और विटामिन डी पाया जाता है, जो अंडे के सफेद हिस्से में नहीं होता है. इसलिए जब आप केवल इसके सफेद हिस्से को खाएंगे तो आप इसके बाकी जरूरी तत्व आपको नहीं मिल पाएंगे.

हाल ही में एक स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अंडे की जर्दी में मौजूद फैट शरीर से बेड कोलेस्ट्रोल को कम करता है. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तब भी आप अंडे की जर्दी का सेवन कर सकते हैं.

महिलाओं के लिए डाइट ड्रिंक है जानलेवा, जानिए कारण

आज लोगों में डाइट सोडा या आर्टिफिशियल स्वीटनर ड्रिंक्स का फैशन तेज हुआ है. इसके पीछे वजह है वजन के बढ़ने का डर. लोग पने वजन को कम रखने के लिए या कहें तो अपने वजन को काबू में रखने के लिए इस तरह के ड्रिंक्स का इस्तेमाल शुरु किया है. पर हाल ही में हुई एक स्टडी में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है. अमेरिका में हुई एक स्टडी के रिपोर्ट्स की माने तो  दिनभर में दो या उससे ज्यादा आर्टिफिशियल ड्रिंक्स का सेवन करने वाली महिलाओं में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और जल्दी मौत होने का खतरा अधिक होता है.

इस स्टडी के मुताबिक महिलाएं जो दिन में दो या इससे अधिक बार डाइट सोडा का सेवन करती हैं उनमें स्ट्रोक का खतरा 31 फीसदी अधिक होता है, उनकी तुलना में जो इस तरह के किसी भी ड्रिंक का सेवन नहीं करती हैं. इसके अलावा इन ड्रिंक्स का सेवन करने वाली औरतों में 29 फीसदी अधिक दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, वहीं 16 फीसदी समय से पहले मौत होने का खतरा दूसरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होता है.

स्टडी में ये बात भी सामने आई कि जिन महिलाओं को पहले से दिल की बीमारी है या डायबिटीज है, उनमें डाइट ड्रिंक के सेवन से अधिक नुकसान पहुंचता है. मोटापा से पीड़ित लोग भी इससे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.

आपको बता दें कि इस स्टडी में करीब 80,000 महिलाओं को शामिल किया गया है. इससे महिलाओं के तीन महीने के ड्रींक हिस्ट्री के बारे में जानकारी मांगी गई.  शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछली स्टडीज में डाइट ड्रिंक्स से होने वाली दिल की बीमारी के खतरे पर ज्यादा जोर दिया गया है. लेकिन नई स्टडी में इसके कारण अलग-अलग तरह के स्ट्रोक के खतरों के बारे में बताया गया है. इसके अलावा इस स्टडी में ये भी बताया गया है कि किन लोगों में ये खतरा अधिक होता है.

इन 7 टिप्स को अपनाएं, नहीं होगी पीरियड्स में कोई परेशानी

ज्यादातर महिलाएं अपने पीरियड्स के बारे में बात नहीं करना चाहतीं. यही कारण है कि इस दौरान वे हाइजीन के महत्त्व पर ध्यान नहीं देतीं और नई परेशानियों की शिकार हो जाती हैं.

माहवारी को ले कर जागरूकता का न होना भी इन परेशानियों की बड़ी वजह है. पेश हैं, कुछ सुझाव जिन पर गौर कर वे पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों से बच सकती हैं:

नियमित रूप से बदलें: आमतौर पर हर 6 घंटे में सैनिटरी पैड बदलना चाहिए और अगर आप टैंपोन का इस्तेमाल कर रही हैं, तो हर 2 घंटे में इसे बदलें. इस के अलावा आप को अपनी जरूरत के अनुसार भी सैनिटरी प्रोडक्ट बदलना चाहिए. जैसे हैवी फ्लो के दौरान आप को बारबार प्रोडक्ट बदलना पड़ता है, लेकिन अगर फ्लो कम है तो बारबार बदलने की जरूरत नहीं होती. फिर भी हर 4 से 8 घंटे में सैनिटरी प्रोडक्ट बदलती रहें ताकि आप अपनेआप को इन्फैक्शन से बचा सकें.

अपने गुप्तांग को नियमित रूप से धो कर साफ करें: पीरियड्स के दौरान गुप्तांग के आसपास की त्वचा में खून समा जाता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है, इसलिए गुप्तांग को नियमित रूप से धो कर साफ करें. इस से वैजाइना से दुर्गंध भी नहीं आएगी. हर बार पैड बदलने से पहले गुप्तांग को अच्छी तरह साफ करें.

हाइजीन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें: वैजाइना में अपनेआप को साफ रखने का नैचुरल सिस्टम होता है, जो अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखता है. साबुन योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है इसलिए इस का इस्तेमाल न करें. आप सिर्फ पानी का इस्तेमाल कर सकती हैं.

धोने का सही तरीका अपनाएं: गुप्तांग को साफ करने के लिए योनि से गुदा की ओर साफ करें यानी आगे से पीछे की ओर जाएं. उलटी दिशा में कभी न धोएं. उलटी दिशा में धोने से गुदा में मौजूद बैक्टीरिया योनि में जा सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं.

इस्तेमाल किए गए सैनिटरी प्रोडक्ट को सही जगह फेंकें: इस्तेमाल किए गए प्रोडक्ट को सही तरीके से और सही जगह फेंकें, क्योंकि यह संक्रमण का कारण बन सकता है. फेंकने से पहले लपेट लें ताकि दुर्गंध या संक्रमण न फैले. पैड या टैंपोन को फ्लश न करें, क्योंकि इस से टौयलेट ब्लौक हो सकता है. नैपकिन फेंकने के बाद हाथों को अच्छी तरह धो लें.

पैड के कारण होने वाले रैश से बचें: पीरियड्स में हैवी फ्लो के दौरान पैड से रैश होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब पैड लंबे समय तक गीला रहे और त्वचा से रगड़ खाता रहे. इसलिए अपनेआप को सूखा रखें, नियमित रूप से पैड चेंज करें. अगर रैश हो जाए तो नहाने के बाद और सोने से पहले ऐंटीसैप्टिक औइंटमैंट लगाएं. इस से रैश ठीक हो जाएगा. अगर औइंटमैंट लगाने के बाद भी रैश ठीक न हो तो तुरंत डाक्टर से मिलें.

एक समय में एक ही तरह का सैनिटरी प्रोडक्ट इस्तेमाल करें: कुछ महिलाएं जिन्हें हैवी फ्लो होता है, वे एकसाथ 2 पैड्स या 1 पैड के साथ टैंपोन इस्तेमाल करती हैं या कभीकभी सैनिटरी पैड के साथ कपड़ा भी इस्तेमाल करती हैं यानी ऐसा करने से उन्हें लंबे समय तक पैड बदलने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन बेहतर होगा कि आप एक समय में एक ही प्रोडकट इस्तेमाल करें और इसे बारबार बदलती रहें. जब एकसाथ 2 प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जाते हैं, तो आप बारबार इन्हें बदलती नहीं, जिस कारण रैश, इन्फैक्शन की संभावना बढ़ जाती है. अगर आप पैड के साथ कपड़ा भी इस्तेमाल करती हैं, तो संक्रमण की संभावना और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि पुराना कपड़ा अकसर हाइजीनिक नहीं होता. पैड्स के प्रयोग की बात करें तो ये असहज हो सकते हैं और रैश का कारण भी बन सकते हैं.

-डा. रंजना शर्मा, सीनियर कंसलटैंट, ओब्स्टेट्रिशियन एवं गाइनेकोलौजिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो

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