दीवान का भतीजा शकील 5-6 साल की उम्र से ही दीवान के साथ बंगले पर रोज हाजिरी देता. मैडम उसे कुछ अच्छा खाने के लिए या कभीकभी अठन्नी दे देती थीं जिस के लालच में वह अपने नन्हेमुन्हे हाथों से मैडम के पैर दबाने का काम बड़ी मुस्तैदी से करता था.
दीवान के जिम्मे फैक्टरी पर ड्यूटी देने के अलावा कई घरेलू काम भी थे जैसे मैडम के आदेश पर किसी महिला को बुलवाना या कोई सामान लाना आदि. जिस के बदले में वे दीवान को हर महीने फैक्टरी की तनख्वाह के अलावा 1 हजार रुपए किसी बहाने से पकड़ा देतीं. चूंकि वह मैडम का करीबी था इसलिए फैक्टरी के कर्मचारियों में उस की इज्जत थी. वह फैक्टरी के लोगों के छोटेमोटे काम साहब से करवाने में अकसर कामयाब हो जाता था.
दीवान के रास्ते पर चलतेचलते शकील भी जब 18 साल का हुआ तो मैडम ने खाली जगह पर उसे दिहाड़ी मजदूर के रूप में रखवा दिया. गांव वालों में वह भी अब हैसियत वाला माना जाने लगा. पहली वजह फैक्टरी में 2,500 रुपए का मुलाजिम, दूसरी, बड़े साहब के बंगले तक पहुंच. हर किसी को पक्का विश्वास था कि जल्द ही उसे पक्की नौकरी मिल जाएगी.
करीमन की इकलौती बेटी नसीबन 10वीं पास थी. 16 वसंत पार करतेकरते उस का झुकाव शकील की तरफ होने लगा. दोनों की जाति एक थी और उन में 2 साल का फर्क था. बिना कुछ लिएदिए काम चल जाए तो क्या हर्ज. उस की मां ने तो उसे उल्टे ढील दे रखी थी. हालांकि दीवान कभीकभी शकील को दिखावे के लिए डांटता.
नसीबन बड़ी समझदार थी. लड़के गांव में बहुत थे. झुकी तो सोचसमझ कर, हमउम्र, फैक्टरी का मुलाजिम, बचपन से मैडम का मुंहचढ़ा, गजब की कदकाठी. शकील का चौड़ा सीना…जब देखो, दिल सटने को चाहे. ताकत इतनी कि दीवान का एक बैल मर गया तो दूसरे का तब तक हल में साथ दिया जब तक कि उस ने दूसरा बैल खरीद न लिया. नसीबन को इस बात से कुछ लेना न था कि शकील सिर्फ चौथी तक पढ़ा है.
नसीबन के पिता कभी फरीदाबाद में राजमिस्त्री का काम कर के अच्छा पैसा कमा लेते थे. इकलौती बेटी को अच्छा पढ़ाते व पहनाते थे. फालिज की मार ऐसी पड़ी की वे चल बसे. आमदनी का जरिया जाता रहा तो मजबूर हो कर नसीबन की मां को खेतों में काम कर के गुजारा करना पड़ा.
एक दिन शकील के घर के सामने वाले आम के पेड़ से कईकई बार कूद कर भी नसीबन सिर्फ 2 कच्चे आम तोड़ पाई थी कि शकील ने उस की कलाई पकड़ कर कहा, ‘‘मांग के आम नहीं ले सकती थी. सिर्फ 2 आम के लिए अपनी प्यारीप्यारी टांगें तुड़वाती. ला, दबा दूं… चोट तो नहीं लगी.’’
नसीबन ने हाथ छुड़ाना जरूरी नहीं समझा. उसे शकील के पकड़ते ही करंट लग चुका था. फटी कमीज में यों ही नसीबन की जवानी फूट रही थी. धीरे से बोली, ‘‘टांगें दबानी हैं तो पहले निकाह पढ़.’’
उपयुक्त वातावरण देख कर शकील ने अंधेरे का फायदा उठा कर कहा, ‘‘आम क्या चीज है तू मेरी जान मांग के तो देख.’’
‘‘देख शकील, आगे न बढ़ना,’’ नसीबन के इतना कहते ही शकील ने पकड़ ढीली कर दी. फिर बोला, ‘‘किसी से कहना नहीं, मैं तेरे लिए आम लाता हूं. 2 मिनट चैन से यहीं बैठ कर दिल की बातें करेंगे,’’ उस के बाद शकील ने उसे गोद में लिटा कर एक आम खुद खाया और एक उसे अपने हाथ से खिलाया.
काफी देर दोनों अंधेरे में एकदूसरे में खोए रहे. वह शकील के बालों में उंगलियां फिराती बोली, ‘‘चचा से कहो न, मां से मेरा हाथ मांगें.’’
‘‘जल्दी क्या पड़ी है. देख, पहली पगार से तेरे लिए सोने की अंगूठी लाया हूं,’’ अंगूठी पहना कर शकील ने उस का गाल चूमा तो उस ने फटी कमीज की तरफ इशारा कर के कहा, ‘‘यहां.’’
शकील ने अपने होंठ उस के सीने के उभार पर रख दिए.
तभी नसीबन की मां की आवाज आई, ‘‘नसीबन? कहां है?’’
कपड़े ठीक कर के वह बोली, ‘‘मां, अभी आई.’’
सुबह बेटी की उंगली में सोने की अंगूठी देख कर मां बोलीं. ‘‘यह तुझे किस ने दी.’’
‘‘शकील ने,’’ खुश हो कर वह बोली.
‘‘4-5 हजार से कम की नहीं होगी. बेटी, लेकिन निकाह के पहले कमर के नीचे न छूने देना.’’
‘‘मां,’’ कह कर वह करीमन से लिपट गई.
शकील के प्रस्ताव पर दीवान ने भतीजे को समझा दिया कि वह करीमन से कहेगा कि वह बेटी की अभी कहीं जबान न दे. तुम्हारी पक्की नौकरी हो जाए. 1-2 कमरे बन जाएं तो निकाह पढ़वा लेंगे. शकील तब खुश हो गया.
दीवान ने अगले ही दिन करीमन से बात की, ‘‘करीमन, 4-6 महीने अपनी लौंडिया नहीं रोक सकती. शकील की पक्की नौकरी होने दे. 1-2 कमरे पक्के बनवा दूं. आखिर कहां रखेंगे. क्या शकील को घरदामाद बनाने का इरादा है और साफसाफ सुन ले, रात में बेटी को बगीचे में भेजेगी तो तू समझना, जवान लड़का है, मैं नहीं रोक पाऊंगा. कुछ ऊंचनीच हो गई तो, मुझे मत कहना.’’
‘‘दीवान भाई, मैं क्यों घरदामाद बनाती. मेरे बाद तो यह घर उसी का है. बात पक्की समझूं.’’
‘‘हां, पक्की.’’
एक बार किसी जरूरी काम से शकील को बुलाने के लिए मैडम गाड़ी से खुद आई. गाड़ी की आवाज सुन कर नसीबन भी दरवाजे से बाहर निकल आई. शकील को मोटर की तरफ जाते देख कर नसीबन जोर से बोली, ‘‘शकील, सुन तो जरा, इधर आ.’’
वह गर्व से गरदन उठाए अपनी प्रेमिका के पास आया जैसे मोटर उसी की हो, ‘‘क्या है?’’
‘‘क्या मुझे भी अपने साहब का बंगला दिखाएगा?’’ नसीबन बोली.
‘‘आ चल,’’ इतना कह कर शकील ने बांह को इतने ऊपर से पकड़ा कि उस के हाथ नसीबन के वक्षों से छू गए.
‘‘हाथ छोड़, सीधा चल. मैं कोई अंधीलंगड़ी हूं.’’
‘‘मेम साहब, यह करीमन की बेटी नसीबन है. 10वीं पास है. कहने लगी तेरे साहब का बंगला देखूंगी तो साथ ले आया. मैडम ने मुसकराकर नसीबन के सिर पर हाथ रखा और बोली, ‘‘जा घुमा दे.’’
‘‘यह फ्रिज है,’’ खोल कर शकील ने उसे रसगुल्ला खिलाया और ठंडा पानी पिलाया.
‘‘यह ए.सी. है,’’ बैडरूम में ले गया. पलंग के गद्दे पर नसीबन बैठी तो धंस गई और कूद कर बोली, ‘‘शकील, तेरी मैडम तो रोज यहां धंस जाती होंगी.’’ नसीबन को बागबगीचा दिखा कर शकील वापस लाया तो मैडम ने उसे 500 रुपए कपड़े सिलवाने को दिए और बोलीं, ‘‘नसीबन भी खजूरी की?’’
‘‘जी मैडम, हम दोनों के घर पासपास हैं.’’
‘‘कभीकभी आ जाया कर,’’ मैडम बोलीं.
अब नसीबन का भी बंगले पर आनाजाना शुरू हो गया. मैडम के पांव दबाना और बाल सेट करना उस की खास ड्यूटी थी. उसे भी 1 हजार रुपए महीने के मिलने लगे थे. मां खुश थीं कि शकील ने बड़े घर की शरीफ औरत के पास काम दिला दिया, जहां किसी तरह का कोई खतरा न था.
साहब ने एक बार मैडम से कहा भी, ‘‘तुम अजीबअजीब हरकतें करती हो. यह आग और घी एकसाथ क्यों इकट्ठे कर लिए हैं?’’
‘‘शकील की हिम्मत है कि मेरी बिटिया की तरफ आंख भी उठा सके,’’ यह सच है कि सब पर मैडम का खौफ था.
एक दिन नसीबन ने लौन से गुलाब का फूल तोड़ लिया तो माली नातीराम ने डांटा, ‘‘मैडम, पता नहीं कहां से जंगली चिडि़या पकड़ लाई हैं.’’
नसीबन ड्राइंगरूम के सोफे पर बैठी तो नौकरानी ने हाथ पकड़ कर उठा दिया. मैडम के लिए तेल लगे हाथ से गाड़ी का दरवाजा खोला तो ड्राइवर ने डांटा, ‘‘हाथ धो कर गाड़ी छू.’’ वह कुछ ही दिन में बंगले के तौरतरीकों से वाकिफ हो गई.
मैडम की सख्त हिदायत थी कि उसे सूरज डूबने से पहले कार से रोज घर पहुंचवा दिया जाए और यह कि शकील को अगर जाना है तो साइकिल से जाए, साथ न बैठे.
वक्त गुजरता गया मैडम ने नसीबन को प्राइवेट इंटर और बी.ए. करवा कर कालोनी के प्राइमरी स्कूल में टीचर रखवा दिया. शकील की भी पक्की नौकरी हो गई. उसे ग्रेड भी मिलने लगा था. दोनों ही मैडम के कृतज्ञ थे और हमेशा की तरह उन की खिदमत में लगे रहते.
नसीबन पर जवानी क्या चढ़ी कि आईने के सामने अंगड़ाई लेते समय हाथ उठाते ही वह शर्मा जाती. उस का दिल चाहता कि वह शकील के पेड़ से आम चुराए और वह सजा के तौर पर उसे अपनी बाजुओं में भींच ले. शकील पढ़ालिखा न होने की वजह से हीनभावना में रहता और नसीबन से कटाकटा रहता.
मैडम ने बंगले पर रहने के लिए उसे अलग कमरा दिया था. बेचारा रातदिन मेहनत कर के खुद को नसीबन के योग्य बनाने की कोशिश करता उस ने भी हाई- स्कूल पास कर लिया था.
एक शाम मां ने यह कह कर नसीबन का चैन छीन लिया कि अरब से शमीम आया है. मुझ से भी मिलने यहां आया था. 50-60 हजार महीना कमाता है. तुझे देख कर मुझ से बोला कि नसीबन जवान हो गई है. जबरदस्ती 1 लाख की गड्डी आंचल में डाल गया और बोला 3 दिन में जाना है निकाह जल्दी पढ़वा दो.
‘‘मां, उन्हें शायद यह मालूम नहीं होगा कि हमारे ऊपर मैडम का हाथ है.’’
‘‘बेटी क्या हर्ज है. ऐश करेगी और यों भी ज्यादा उम्र के मर्द कम उम्र लड़कियों को सिर पर बिठाते हैं.’’
‘‘मां, साफ सुन लो, जितनी लड़कियां अरेबियन दूल्हों के साथ गईं, सब कैसे अपनी रात गुजारती हैं तुम्हें बताने की जरूरत नहीं. तुम उस के रुपए वापस कर दो वरना मैं जहर खा लूंगी. मैं शकील के अलावा किसी मर्द को अपना बदन नहीं छूने दूंगी. अगर तुम ने रुपए वापस नहीं किए तो मैं नोटों की इस गड्डी में आग लगा दूंगी.’’
मां समझ गईं कि बेटी के सिर पर शकील के इश्क का जनून सवार है. शमीम को 4 आदमियों के साथ तीसरे दिन उस ने नसीबन को ले जाने की इजाजत दे दी.
आधी पैंट और आधी शर्ट में शकील को अपने कमरे की ओर जाता देख कर नसीबन बोली, ‘‘शकील, मैडम से इजाजत ले कर अभी आती हूं. कुछ जरूरी बातें करनी हैं. प्लीज, कमरे ही में कुछ देर रहना.’’
‘‘आओ बेटी, बैठो,’’ मैडम बोलीं.
‘‘मैडम, गुस्ताखी माफ हो तो कुछ अर्ज करूं.’’ नसीबन बोली, ‘‘मैं बहुत सालों से आप के साथ हूं, आप मुझे अच्छी तरह जानती और मानती हैं. जब से मैं जवान हुई मुझे शकील से लगाव है. मेरी मां मुझ से 20 साल बड़े मर्द से, जो अरब में काम करता है, मेरी शादी के नाम पर 1 लाख रुपए ले चुकी हैं. जो लड़कियां इस तरह के लोगों से ब्याही गई हैं उन की हालत आप को मालूम है. मेरी मां रुपए देख कर अंधी हो गई हैं. मेरी जवानी का सौदा करना चाहती हैं. मेरी मदद कीजिए वरना मेरी जिंदगी खराब हो जाएगी. आप शकील के साथ मेरी शादी करवा दीजिए.’’
बेटी, अच्छा किया बता दिया. मैं खुद भी तुझ से यही कहना चाहती थी. हरगिज अरब की मुलाजमत देख कर शादी पर राजी न होना. ये लोग अकसर ऐयाश होते हैं. औरतों को इस्तेमाल कर के बेच देते हैं. यों भी 5-6 साल में लड़कियों की दिमागी और जिस्मानी हालत बदल जाती है. बेटी, मैं तेरी हर मुमकिन मदद करूंगी. जा तू खुल के शकील से बात कर ले.
अब नसीबन शकील के कमरे में गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. वह अभी भी फैक्टरी के कपड़ों में उस के इंतजार में बैठा हुआ था.
वह पलंग पर उस से सट कर बैठ गई. अपना एक हाथ उस के हाथ पर रख कर बोली, ‘‘मैं जब से जवान हुई, तुम्हारे सिवा किसी मर्द का हाथ अपने बदन को नहीं लगने दिया. तुम्हारी ही मेहरबानी से यह दरवाजा देखा. मुझ से ख्ंिचेख्ंिचे क्यों रहते हो. आज भी मेरा दिल होता है कि तुम मेरे बाल खींचो, मुझे मारो, अपनी बांहों में कैद कर के मुझे सीने से सटाओ.’’
‘‘नसीबन, वह और वक्त था.’’ शकील बोला, ‘‘उस वक्त तुम्हें 2 आम दरकार थे, आज तुम पढ़ीलिखी हैसियतदार औरत हो. 50-60 हजार कमाने वाले अरेबियन दूल्हे का रिश्ता आ रहा है. सुना है शमीन तुम्हें लाखों के जेवर दे रहा है. 6,500 रुपए प्रतिमाह पाने वाला मैं कहां? क्या मैं तुम्हारी मां को रातोंरात दौलतमंद बनाने योग्य हूं.’’
‘‘शकील, आज मैं कल से ज्यादा गरीब हूं. अपना प्यार मुझे भीख में दे दो मैं तुम्हारे बगैर जिंदा नहीं रह सकती. पढ़ाईलिखाई अगर मेरेतुम्हारे बीच दीवार है तो मैं अपने प्रमाणपत्र अभी जलाने को तैयार हूं,’’ कह कर नसीबन उस के सीने पर सिर रख कर काफी देर तक रोती रही.
शकील ने उस के चेहरे को अपनी हथेलियों के बीच में ले कर पहली बार उस के होंठों को चूमा तो वह आंखें बंद कर के उस से लिपट गई और तेजतेज सांसें लेने लगी. शकील को पहली बार उस के बदन की गरमी का एहसास हुआ और उस के हाथ नसीबन के अंगों को आजाद करने में व्यस्त हो गए. नसीबन के सीने में मुंह धंसा कर शकील बोला कि तू मेरे दिल पर राज करेगी.
इस बीच नसीबन ने अपनेआप को पूरी तरह उसे सौंप दिया और जल्द ही नसीबन को यह एहसास हो गया कि क्यों औरत मर्द पर अपनी जान तक निछावर करने के लिए तैयार रहती है. शकील उस के लिए जो था वह वही जानती थी. वह सारी रात शकील को सीने से चिपटाए रही.
नसीबन के बालों में उंगलियां फिरा कर शकील बोला, ‘‘नसीबन, यह हम क्या कर बैठे.’’
वह मदहोश थी. गरदन में बाहें डाल कर बोली, ‘‘जानी, तौबा कर लेंगे और निकाह पढ़ लेंगे. मेरी जान, तू तो पूरा लोहा निकला. मुझे कहीं ले चल शकील जहां तू और मैं हों. मुझे सिर्फ तेरी नौकरी करनी है.’’
शारीरिक संबंध के बाद नसीबन को जाने शकील ने ऐसा क्या दे दिया, एक ही रात में वह उस की गुलाम और दीवानी हो गई.
‘‘मां, शमीम से मेरी शादी को साफ मना कर दो,’’ नसीबन बोली, ‘‘1 लाख रुपए शकील देने को तैयार है.’’
‘‘क्या कहीं डकैती डाल आया.’
‘‘उस ने कुछ भी किया हो पर कान खोल कर सुन लो मां, मैं रात भर शकील के साथ रह कर आ रही हूं.’’
मां बोलीं, ‘‘क्या शकील की जूठन शमीम 1 लाख रुपए में लेगा.’’
उत्तेजना के चलते नसीबन अपने आपे से बाहर थी. सामने किस से क्या बात कर रही थी उसे कुछ पता नहीं था. उस के दिमाग में 42 वर्षीय शमीम का थुलथुल शरीर घूम रहा था.
‘‘परसों निकाह है और आज गैर मर्द के साथ मुंह काला कर के आ रही है. किस बेशरमी से उस का बयान कर रही है. हाय, यह सब करने से पहले तू मर क्यों न गई?’’ मां बोली.
‘‘जिंदा रहने के लिए यह काम किया है,’’ नसीबन बोली.
‘‘आखिर तुम भी तो इसी काम के लिए 42 साल के अरबी दूल्हे से लाख रुपए लेने को मचल रही हो.’’
अब मां कुछ धीमी पड़ीं. ‘‘बेटा, और किसी को न बतलाना. चल डाक्टर को दिखा दूं. बेटी, मैं उसे राजी कर लूंगी. वह तुझे ले जाएगा.’’
‘‘और किसी अरब शेख को 10 लाख में बेच कर 9 लाख कमा लेगा फिर कोई दूसरी कुंआरी 2 लाख में खोजेगा जिस की मां घर पक्का कराने और लड़की को जेवर पहनाने की गरज से अरब के शेखों की खिदमत के लिए भेजने को तैयार हो जाएगी.’’
गुंडे जैसे 4-5 लोगों को साथ ले कर किराए की गाड़ी से शमीम आया. उन में से एक टोपी वाला काजी भी था. नसीबन ने शमीम को निकाह से पहले अंदर बुलाया और बोली, ‘‘आप मुझ से निकाह करने जा रहे हैं. मैं आप को धोखे में नहीं रखना चाहती. साफ कह दूं तो बेहतर है. मैं शकील के साथ रातभर सो चुकी हूं. अगर आप को यह गुमान हो कि आप का निकाह किसी कुंआरी लड़की से हो रहा है तो मेहरबानी कर के पैसा वापस ले सकते हैं.’’
‘‘बेगम आप कैसी बातें करती हैं,’’ उस ने बेहयायी से उस के गाल चूमे और जो होना था वही हुआ. नसीबन उस की दुलहन बनी मगर उस रात वह लाश की तरह पड़ी रही. उस का खयाल था कि लड़की की मां ने धोखा दिया. लड़की ठंडी है. यों शमीम भी उसे बीवी बनाने योग्य साबित न हो सका था.
शकील ने नसीबन से शादी का इरादा छोड़ दिया था. वह अपने काम में मगन था. कमरे में नसीबन की तसवीर लगी थी मगर उस ने उस पर परदा डाल दिया था. नसीबन से बहुत कम बात करता और मिसेज शमीम कह कर उस से मुखातिब होता.
नसीबन ने मां को सही हालात बतला दिए थे और यह कि अगले 6 महीने में पासपोर्ट बनाने की जिद होगी और वही हुआ. सबकुछ बताए अनुसार होता देख मां रास्ते पर आ गईं. मां की भी आंखें खुलीं, जब उन्हें सचाई पता चली.
‘‘बेटी, ‘खुला’ ले ले. जमीर भाई के 3 बेटे सऊदी में हैं. उन्होंने बताया कि शमीम के साथ दरभंगा की एक औरत भी रहती है. अरब शेख के बरतन धोने के लिए शौहर व 4 बच्चों को छोड़ कर आई थी. बाद में उस की रखैल बन गई. हुकूमत ने वीजा खत्म होने पर निकालना चाहा तो शमीम से निकाह पढ़ कर वहीं की हो ली.’’
शमीम के बारे में सबकुछ सुन कर नसीबन बोली, ‘‘तुम ने मुझे किस दलदल में फेंक दिया. मेरी और शकील दोनों की जिंदगी खराब कर दी. सच बतलाओ मां, मैं तुम्हारे पेट से हूं भी या नहीं.’’
मां के आंसू निकल पड़े. गले लगा कर बोली, ‘‘बेटी, माफ कर दे.’’
मां जी.एम. साहब के पास ‘तलाक’ दिलाने में मदद के लिए गई थीं. बेटी को कहा कि किसी तरह शकील को राजी कर ले.
नसीबन तड़प कर बोली, ‘‘मां तुम्हारी ख्वाहिश के लिए मेरी जवानी का सौदा हुआ था. अगर दोबारा शकील से शादी के लिए मुझे मजबूर किया गया तो मैं जहर खा लूंगी.’’
उसे रोज उदास देख कर साहब ने नसीबन के मना करने के बावजूद सऊदी अरब दूतावास के प्रथम सेके्रटरी से मुलाकात की और हालात बतला कर शमीम का सऊदी से देश निकाला करवा के ‘खुला’ लिखवाया. जिस पर सब से ज्यादा शकील खुश था. बंगले के खास लोगों को छिप कर उस ने मिठाई भी बांटी थी. नसीबन को घर जा कर दी तो वह बोली, ‘‘इतने दिनों बाद खुशीखुशी लड्डू खिला रहे हो, किस बात के हैं? क्या कहीं शादी तय हो गई?’’
‘‘यों ही समझ लो.’’
उस ने लड्डू खा तो लिया मगर चेहरा उदास हो गया.
मांसिर पर हाथ फिरा कर कमरे से यह कह कर चली गईं, ‘‘शकील बेटा, रात का खाना खा कर जाना. बहुत दिनों के बाद आए हो.’’
‘‘बोलो न, आज बड़े खुश हो, कोई खास बात हो गई?’’ नसीबन ने उत्सुकता के चलते पूछा.
‘‘पहले एक लड्डू मेरे हाथ से खाने का वादा करो तो बताऊंगा.’’
नसीबन समझ तो गई मगर अनजान बन कर बोली, ‘‘बहुत खुश हो तो तुम्हारी खुशी में शरीक होना भी जरूरी है, आखिर जिंदगी के बेहतरीन क्षण तुम्हारे साथ ही तो गुजारे थे.’’
शकील एक हाथ से नसीबन के बालों में उंगलियां फिरा रहा था दूसरे से लड्डू खिला रहा था. नसीबन के आंसू जारी थे फिर भी उस के हाथ का लड्डू शौक से खा रही थी.
नसीबन को पलंग पर लिटा कर अपना सीना उस के सीने पर रख कर शकील बोला, ‘‘अच्छा, एक बात बतलाओ कि तुम्हारे साथ मेरी शादी हो गई होती और कोई डाकू तुम्हारी इज्जत जबरदस्ती लूट लेता तो क्या तुम मेरे योग्य न रहतीं?’’
वह उत्तर न दे सकी.
‘‘जान, खामोशी को रजामंदी समझूं और कल बरात ले कर आऊं.’’
नसीबन ने शकील के गले में बांहें डाल कर उसे सख्ती से भींच लिया. लिपट कर दिल से दिल मिला और सारे शिकवे- शिकायतें गायब.
‘‘मां, शकील का खाना.’’
यह आवाज नसीबन के मुंह से रात के 3 बजे निकली. वह अब भी उस के ऊपर लेटी, उसे प्यार भरी नजरों से देखे जा रही थी.
‘‘बेटी, 4 बार गरम कर चुकी हूं.’’
दोनों ने एकदूसरे को निवाले खिलाए. सुबह मसजिद के इमाम साहब ने निकाह पढ़ा दिया.
गांव के लोगों ने करीमन के दरवाजे पर जम कर बकरे के मांस की दावत की.
…रात हसीन थी.
‘‘अब हटो, मेरी हड्डीपसली तोड़ दी. कौन सी दुश्मनी निकाल रहे हो. सुबह हो गई, अब तो पीछा छोड़ो.’’
सुन कर शकील ने हटना चाहा तो नसीबन ने फिर उसे सीने से लिपटा लिया.