महिलाओं के लिए खतरनाक हैं तली हुई चीजें, पढ़ें ये रिपोर्ट

अगर आप भी तले हुए खाने जैसे फ्राई चिकन या फिश, के शौकीन हैं तो आपको सतर्क हो जाने की जरूरत है. हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि इस तरह का ज्यादा खानपान आपकी सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है. अमेरिका में मेनोपौज के बाद महिलाओं पर हुई एक स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित तौर पर तली हुई मछली या चिकन खाने वाली महिलाओं में दूसरी महिलाओं के मुकाबले जल्दी मौत होने का खतरा 13 फीसदी अधिक होता है.

इस स्टडी की माने तो तली हुई मछली या चिकन का कम प्रयोग करना लोगों की सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. शोध में कहा गया कि जब किसी भी खाद्य पदार्थ को तलते हैं तो वो अधिक मात्रा में फैट सोखता है. वहीं, तलने के बाद खाने की चीज ज्यादा क्रंची हो जाती है, जिसका लोग जरूरत से ज्यादा सेवन कर लेते हैं जिसके कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं.

इसके अलावा ऐसी बहुत सी स्टडीज रही हैं जिनमें ये बात सामने आई है कि तले हुए खाने हमारी सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं.

इस शोध में 50 से 79 वर्ष  की लगभग 107,000 महिलाओं की खाने की आदतों की जांच की. इसमें स्टडी में शामिल सभी महिलाओं से पूछा गया कि वो किन चीजों को कितना सेवन करती हैं. नतीजे में ये बात सामने आई कि अधिक तले खाद्य पदार्थों को खाने साली महिलाओं में जल्दी मौत का खतरा 13 फीसदी अधिक हो जाता है. जबकि दिल की बीमारी का खतरा 12 फीसदी तक अधिक होता है.

जानिए नारियल पानी के फायदे

नारियल का पानी सेहत के लिए काफी लाभकारी है. ब्लड सर्कुलेशन की परेशानियों में ये बेहद लाभकारी है. इसके अलावा कई तरह की बीमारियों में ये बेहद असरदार है. अच्छी सेहत के साथ साथ ये आपको खूबसूरत और आकर्षक दिखने में भी काफी मदद करता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे नारियल पानी से होने वाल फायदों के बारे में.

किडनी के लिए है फायदेमंद

इसमें मौजूद मिनरल्स, पोटैशियम, मैग्नीशियम की वजह से किडनी से होने वाली बीमारियों में राहत मिलती है. यह यूरीन के उत्पादन और प्रवाह को दुरुस्त रखता है.

त्वचा के लिए है फायदेमंद

त्वचा संबंधी कई बीमारियों में, जैसे पिंपल या दाग-धब्बों में नारियल पानी काफी असरदार होता है. नारियल पानी को आप सीधे अपने चेहरे पर भी लगा सकती हैं.

अच्छा होता है इम्यून

नीरियल पानी में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. इसके पाए जाने वाले कई एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रमुख आहार बन जाता है नारियल. नारियल पानी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है व फ्लू जैसी बीमारियों से बचाता है.

प्रेग्नेंसी में है लाभदायक

जानकारों की माने तो प्रेग्नेंसी में नारियल पानी सेहत के लिए अच्छा होता है.  प्रेंग्नेंसी में होने वाले कब्ज, हार्ट बर्न जैसी परेशानियों में बेहद कारगर होता है नारियल पानी.

वजन घटाने में करता है मदद

अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं तो आज ही अपनी डाइट में नारियल पानी को शामि कर लें. इसके सेवन से आपको ज्यादा भूख भी नहीं लगती और साथ में आपका वजन भी काफी कम रहता है.

प्लास्टिक की बोतल पर होती है टौयलेट से ज्यादा गंदगी

हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि जिस प्लास्ट‍िक के बोतल का इस्तेमाल लोग बार-बार पीने के पानी के लिए करते हैं, उसमें दरअसल टौयलेट सीट से भी ज्यादा कीटाणु होते हैं, जो बीमारियों का कारण बनते हैं.

इस अध्ययन की मानें तो बोतलों में पाए जाने वाले कीटाणुओं में ज्यादातर ऐसे होते हैं जिससे लोगों को गंभीर बीमारियां होती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ जरूरी बातों का खासा ख्याल रखें जिससे आप खुद को इन बीमारियों से दूर रख सकें.

प्लास्टिक बोतलों से होने वाली परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप यूज्ड बोतलों का दोबारा इस्तेमाल ना करें. खासतौर पर बाजार में मिलने वाले बोतलों का दोबारा इस्तेमाल करने से बचें.

सबसे जरूरी बात कि घर की जरूरतों के लिए आप बीपीए फ्री प्लास्टिक की बोतलों को ही खरीदें. इसके अलावा शीशे और स्टेनलेस स्टील वाली बोतलों का इस्तेमाल सेहत के लिए अच्छा होता है.

मानसिक रूप से कमजोर करती है सेल्फी लेने की आदत

आजकल लोगों के बीच, खास कर के युवाओं के बीच सेल्फी को लेकर जिस तरह की दीवानगी देखी जाती है वो हैरान करने वाला है. लोगों की ये आदत अब जानलेवा बन चुकी है. हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई कि सेल्फी लोगों में कौस्मेटिक सर्जरी के लिए प्रौत्साहित करती है.

स्टडी के मुताबिक, सेल्फी लेने के बाद लोगों में मानसिक दबाव अधिक हो जाता है. ज्यादा सेल्फी लेने वाले लोग अधिक चिंतित महसूस करते हैं. उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और वे शारीरिक आकर्षक में कमी महसूस करते हैं. ज्यादा सेल्फी लेने वाले लोगों में अपने लुक्स को लेकर काफी हीन भावना बढ़ जाती है, ये भावना इतनी तीव्र होती है कि वो अपनी कौस्मेटिक सर्जरी कराने की सोचने लगते हैं.

इस स्टडी में करीब 300 लोगों को शामिल किया गया है.  अध्ययन में पाया गया कि किसी फिल्टर का उपयोग किए बिना सेल्फी पोस्ट करने वाले लोगों में चिंता बढ़ने और आत्मविश्वास में कमी देखी जाती है. सेल्फी लेने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद मूड खराब होता है और इसका सीधा असर आत्मविश्वास पर पड़ता है.

स्टडी में ये भी देखा गया है कि ये मरीज सेल्फी लेने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद अधिक चिंतित, आत्मविश्वास में कमी और शारीरिक आकर्षण में खुद को कमतर आंकते हैं. यही नहीं, जब मरीजों ने अपनी सेल्फी बार-बार ली तथा अपनी सेल्फी में बदलाव की तो सेल्फी के हानिकारक प्रभाव को महसूस किया.

बाईं करवट सोने के फायदों को जान हैरान हो जाएंगी आप

सभी लोगों के सोने का तरीका अलग अलग होता है. कुछ लोग दाईं ओर करवट ले कर सोते हैं तो कुछ बाईं ओर. कई लोग पेट के बल सोना ज्यादा पसंद करते हैं. पर क्या आपको पता है कि आपके सोने के तरीके में आपकी सेहत का राज छिपा है. सोने का तरीका आपकी सेहत को काफी प्रभावित करता है. पर क्या आपको पता है कि बाईं करवट सोना कितना फायदेमंद होता है?

इस खबर में हम आपको बाईं करवट सोने का फायदे बताएंगे.

  • डाइजेशन के लिए भी बाईं ओर करवट कर के सोना अच्छा होता है. असल में बाईं तरफ करवट लेकर सोने से शरीर में मौजूद वेस्ट मटेरियल आसानी से छोटी आंत से बड़ी आंत तक पहुंच जाता है. इसके बाद वेस्ट मटेरियल शरीर से आसानी से बाहर निकल जाता है और व्यक्ति को पेट संबंधी समस्याएं होने का खतरा कम होता है.
  • जिन लोगों को सोते वक्त खर्राटा लेने की समस्या होती है उनके लिए ये जेस्चर काफी अच्छा होता है. दरअसल, बाईं करवट लेकर सोने से जुबान और गला न्यूट्रल पोजिशन में रहते हैं, जिससे सोते समय सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती है.
  • इन सारे फायदों के अलावा बाईं करवट लेकर सोने से गर्दन और कमर दर्द से राहत मिलती है. किडनी और लिवर बेहतर तरीके से काम करते हैं. गैस और सीने में जलन की समस्या नहीं होती है. अल्जाइमर का खतरा भी कम होता है.
  • जानकारों की माने तो बाईं करवट हो कर सोना सेहत के लिहाज से काफी अच्छा होता है. इस पोजिशन में सोने से पाचन अंग बेहतर काम करते हैं.
  • हमारा दिल बाईं ओर होता है. जब हम उसी तरफ करवट कर के सोते हैं को हमारे दिल पर कम दबाव होता है और हमारी सेहत के लिए ये फायदेमंद होता है.
  • प्रेग्नेंसी में महिलाओं को खास तौर पर बाईं करवट के सोना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस जेस्चर में उनकी कमर पर कम दबाव पड़ता है साथ ही गर्भाशय और भ्रूण में खून का बहाव अच्छे से होता है.

ये एक चीज आपको देगी सुकून भरी नींद

देशभर में ठंड अपनी चरम पर है. कई हिस्सों में तापमान काफी कम होने के कारण लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ठंड में कई लोगों को नींद के बार बार खुलने की समस्या होती है. उन्हें सोने में काफी परेशानी होती है. ऐसे में जरूरी होता है कि वो अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करें. इस खबर में हम आपको एक ऐसी  खास चीज के बारे में बताएंगे जिससे आप सुकून की नींद ले सकेंगी.

अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है. अगर आप अच्छी नींद नहीं ले रही तो कई तरह की बीमारियों के होने की संभावना अधिक हो जाती है. इसमें दिल की बीमारी, मोटापा और डाइबिटीज जैसी परेशानियां प्रमुख हैं. ऐसे में नींद पूरी करने के लिए बादाम का प्रयोग काफी असरदार होता है. ठंड के मौसम में बादाम का सेवन कर आप सुकून की नींद ले सकती हैं. हाल ही में हुए एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है.

आपको बता दें कि बादाम में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो शरीर में मैग्निशियम की 19 फीसदी जरूरत को पूरा करता है. जो लोग इंसौम्नियां की बीमारी से ग्रसित हैं उनके लिए ये बेहद फायदेमंद है.

एक स्टडी से ये बात सामने आई है कि बादाम के सेवन से नींद में दखल देने वाला स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है. इसके अलावा आप अच्छी नींद के लिए सोने से पहले गुनगुने पानी से नहा सकती हैं. इससे शरीर को गर्माहट मिलेगी और आपको अच्छी नींद आएगी.

त्वचा के जल जाने पर करें ये उपाय, होगा तुरंत फायदा

अक्सर हमारे शरीर का कोई ना कोई हिस्सा जल जाता है. ये जलन धूप, बिजली, गर्म पानी, भाप या किसी रसायन से हो सकती है. कई बार किचन में काम करते वक्त आपका कोई हिस्सा गर्म बर्तन या भाप से जल जाता है. कभी नंगा तार के संपर्क में आने से तो कभी धूप से भी त्वचा जल जाती है. ये सब बेहद तकलीफदेह होते हैं. इस खबर में हम आपको उन उपायों के बारे में बताएंगे जिससे आप किसी भी तरह से जल जाने पर आपको कौन से उपाय करने चाहिए.

जब आप भाप से जल जाएं

अक्सर आप भाप से जल जाती हैं, ऐसे में उस हिस्से पर जलन का निशान बन जाता है. ये निशान देखने में भद्दे लगते हैं. भाप से जलने की सूरत में ये उपाय बेहद प्रभावित होते हैं.

  • भाप से जलने पर जले हिस्से को कम से कम 10 मिनट तक रखें.
  • जले हिस्से पर घड़ी, कड़ा जैसी चीजें ना पहने.
  • जले हुए हिस्से को किसी स्वच्छ कपड़े से ढंक लें

बिजली से जल जाने पर

  • बिजली से जलने पर व्यक्ति को सबसे पहले बिजली वाली जगह से दूर करें और जले भाग को ठंडे पानी से धोएं.
  • जले हुए हिस्से को बर्न शीट से ढंक लें.

किसी रसायन से जलने पर

  • अगर किसी भी रसायन से आपकी आंखें प्रभावित हुई हैं तो सबसे पहले आंख को नीचे कर के पानी से धोएं.
  • आंख को स्वच्छ पट्टी से ढंक लें.
  • रक्षात्मक दस्ताना पहन के शरीर पर लगा रसायन झाड़ लें.

धूप से जल जाने पर

  • धूप से जलने पर किसी छांव वाली जगह पर बैठ जाएं और शरीर को समान्य तापमान पर लाने की कोशिश करें.
  • लगातार ठंडा पानी पिएं. इससे शरीर हाइड्रेट रहेगा.
  • छाला हो जाने पर उसे फोड़े नहीं. अगर छाला फूट जाता है तो उसे साबुन से धो लें.

भूखे पेट क्यों आता है गुस्सा ?

जब व्यक्ति को तेज भूख लगती है उसे तेज गुस्सा आता है. इस खास स्थिति में लोगों की ये प्रतिक्रिया बेहद ही आम है. आखिरकार वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि हमें भूख लगने पर गुस्सा क्यों आने लगता है. जानकारों की माने तो ऐसा जीवविज्ञान की परस्पर क्रिया, व्यक्तित्व और आसपास के माहौल की वजह से होता है.

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में हुए हालिया शोध में शामिल शोधार्थी ने बताया कि, “हम सभी जानते हैं कि भूखा महसूस करने से कभी-कभी हमारी भावनाएं और दुनिया को लेकर हमारे विचार भी प्रभावित होते हैं. हाल ही में ‘हैंगरी ’शब्द आक्सफोर्ड शब्दकोष ने स्वीकार किया है, जिसका मतलबा होता है कि भूख की वजह से गुस्सा आना. ”

शोध में शामिल जानकारों की माने तो “हमारे अनुसंधान का उद्देश्य भूख से जुड़ी हुई भावनात्मक स्थितियों का मनोवैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करना है. जैसे कि कोई कैसे भूखा होने के साथ ही गुस्सा भी हो जाता है.”

इन लोगों में कम होती है गुस्सा  होने की संभावना

400 से ज्यादा लोगों पर किए गए इस शोध में पता चला है कि सिर्फ माहौल ही इस बात पर असर नहीं डालता है कि क्यों कोई भूखे होने से गुस्सा हो जाएगा. यह लोगों के भावनात्मक जागरुकता के स्तर से भी तय होता है. वे लोग जो इस बात के प्रति अधिक जागरूक होते हैं कि उन्हें भूख लगी है या नहीं, ऐसे लोगों में गुस्सा होने की संभावना कम होती है.

बच्चों को चलाएं नंगे पांव, ये होते हैं फायदे

आजकल के मां बाप अपने बच्चे की सेहत को लेकर इतने ज्यादा सचेत रहते हैं कि कई बार उन्हें अच्छी चीजों से भी दूर कर देते हैं. आमतौर पर मां बाप छोटे बच्चों का नंगे पांव घूमना गलत मानते हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई कि नंगे पांव रहने वाले बच्चों में कूदने और संतुलन बनाने की क्षमता उन बच्चों के मुकाबले बेहतर होती है जो ज्यादा समय तक जूते पहने रहते हैं. हालांकि ज्यादा समय तक जूते पहनने वाले मुख्य रूप से 6 से 10 साल तक के बच्चों ने परीक्षण के दौरान अच्छे परिणाम दिए हैं.

शोधकर्ताओं ने बताया कि बच्चों ने कूदने और संतुलन बनाने में बेहतर प्रदर्शन किया है, जो यह दर्शाता है कि बचपन किशोरावस्था में बुनियादी संतुलन का विकास लंबे समय तक नंगे पैर रहने से बेहतर होता है.

जानकारों की माने तो नंगे पैर रहने से ज्यादा प्रकृति के करीब रहने का एहसास होता है और पैरों में कुछ पहनकर चलने से पैरों के स्वास्थ्य और संचालन की प्रगति प्रभावित होती है.

आपको बता दें कि इस स्टडी में संतुलन, लंबी कूद और 20 मीटर दौड़ की गतिविधियों के लिए ग्रामीण दक्षिण अफ्रीका तथा उत्तरी जर्मनी के शहरी क्षेत्रों के 6-18 आयु वर्ग के 810 लोगों को शामिल किया गया है. नतीजों में सामने आया है कि नंगे पैर चलने वाले लोगों ने संतुलन और ऊंची कूद में जूते पहनकर चलने वाले लोगों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है.

आइए जाने कि नंगे पैर चलने के और कौन से फायदे हो सकते हैं

  • नंगे पैर चलने से बौडी पोश्चर सही रहता है. इससे कमर भी सीधी रहती है. इससे कमर और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बहुत सी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
  • पैरों में होने वाले दर्द में भी नंगे पांव चलने से फायदा होता है.
  • नंगे पैर चलने से खून का प्रवाह सही रहता है. इससे पैरों का निचला हिस्सा मजबूत होता है.
  • एक शोध के अनुसार, नंगे पैर चलने से तनाव भी कम होता है और दिमाग शांत होता है.

देश के 15 करोड़ लोग हैं इस बीमारी से पीड़ित, आप भी करें चेक

देश के करीब 15 करोड़ लोगों को मानसिक स्वास्थ से संबंधित देख भाल की जरूरत होती है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के आंकड़ों में ये बात सामने आई है. मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जागरूकता में कमी के कारण देश में उपचार के बीच अंतर पैदा हुआ है.

जानकारों के मुताबिक ज्यादातर लोगों की ये परेशानी केवल देखभाल से ठीक हो सकती है. आपको बता दें कि इस तरह की बीमारियों के लक्षण में तनाव, थकान, शरीर का दर्द है. इसके अलावा किसी के साथ बैठने या बस बात करते रहने का दिल करता है. इस तरह की बीमारियों का समय पर इलाज शुरू नहीं किया गाया तो बीमारी समय के साथ गंभीर होती जाती है.

इन परेशानियों के पीछे अवसाद के अलावा मानसिक स्वास्थ्य, गरीबी, घरेलू हिंसा और कम उम्र में विवाह जैसी समस्याएं जुड़ी हो सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि इसको बड़े पैमाने पर देखा जाए. आपको बता दें कि सरकार की ओर से भी इस तरह की परेशानियों के लिए कुछ प्रभावशाली कदम नहीं देखा गया है. यही कारण है कि देश के केवल 27 प्रतिशत जिलों में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम है, जबकि कई जगहों पर इसकी पूरी टीम तक नहीं है. भारतीय लोग मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति इम्यून नहीं है, लेकिन इस बात में भरोसा नहीं करते कि उन्हें भी यह समस्या हो सकती है.

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ये करें

  • खड़े या साबूत अनाजों से तैयार आहार का उपभोग करें
  • अपने आहार में हरी साग सब्जियों, प्रटीन युक्त, स्वस्थ वसा और जटिल कार्बोहाइड्रेट वाले आहारों को शामिल करें
  • खूब पानी पिएं. ज्यादा पानी पीने से लिम्फैटिक सिस्टम से विषाक्त पदार्थ दूर होते हैं
  • यह ऊतकों को डिटौक्सीफाई और फिर से बनाने के लिए आवश्यक हैं
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