Mother’s Day Special: बच्चों की परवरिश बनाएं आसान इन 7 टिप्स से

अकसर कामकाजी महिलाएं अपराधबोध से ग्रस्त रहती हैं. यह अपराधबोध उन्हें इस बात को ले कर होता है कि पता नहीं वे अपने कैरियर की वजह से घर की जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वाह कर पाएंगी या नहीं. उस पर यह अपराधबोध तब और बढ़ जाता है जब वे अपने दुधमुंहे बच्चे के हाथ से अपना आंचल छुड़ा कर काम पर जाती हैं. तब उन्हें हर पल अपने बच्चे की चिंता सताती है. एकल परिवारों में जहां पारिवारिक सहयोग की कतई गुंजाइश नहीं होती है, वहां तो नौबत यहां तक आ जाती है कि उन्हें अपने बच्चे या कैरियर में से किसी एक का चुनाव करना पड़ता है और फिर हमारे समाज में बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी मां पर ही होती है इसलिए मां चाहे कितने भी बड़े पद पर आसीन क्यों न हो, चाहे उस की तनख्वाह कितनी भी ज्यादा क्यों न हो समझौता उसे ही करना पड़ता है. ऐसे में होता यह है कि यदि वह अपने बच्चे की परवरिश के बारे में सोच कर अपने कैरियर पर विराम लगाती है, तो उसे अपराधबोध होता है कि उस ने अपने कैरियर के लिए कुछ नहीं किया. यदि वह बच्चे के पालनपोषण के लिए बेबीसिटर (दाई) पर भरोसा करती है, तो इस एहसास से उबरना मुश्किल होता है कि उस ने अपने कैरियर और भविष्य के लिए अपने बच्चे की परवरिश पर ध्यान नहीं दिया. ऐसे में एक कामकाजी महिला करे तो करे क्या?

इस का कोई तयशुदा जवाब नहीं हो सकता ह. इस मामले में हरेक की अपने हालात, इच्छाओं और प्राथमिकताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. यों भी मां बनना किसी भी लड़की की जिंदगी का बड़ा बदलाव होता है. कुछ लड़कियां ऐसी भी होती हैं जो किसी भी तरह मैनेज कर अपनी जौब करना चाहती हैं तो कुछ ऐसी भी होती हैं जो किसी भी कीमत पर अपने बच्चे पर ध्यान देना चाहती हैं. वनस्थली विद्यापीठ में ऐसोसिएट प्रोफैसर डा. सुधा मोरवाल कहती हैं, ‘‘मां बनने के बाद मैं ने अपना काम फिर से शुरू किया. चूंकि मुझे पारिवारिक सहयोग मिला था, इसलिए मेरे कैरियर ने फिर से गति पकड़ ली. हालांकि शुरुआती दौर में मुझे थोड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था और बच्चे को अपना पूरा समय न दे पाने का अपराधबोध होता था. पर हां, घर के कामकाज का बोझ मुझ पर कभी भी ज्यादा नहीं पड़ा.’’

डा. सुधा के उलट मीना मिलिंद को अपनी जौब छोड़नी पड़ी, क्योंकि उस के बच्चे को संभालने वाला कोई नहीं था और वह यह भी नहीं चाहती थी कि उसे बच्चे को ले कर कोई गिल्ट हो. मगर काम छोड़ने की कसक भी कम नहीं थी. बच्चे के छोटे होने की वजह से वे अभी तक जौब शुरू नहीं कर पाईं, क्योंकि वे एकल परिवार में रह

Mother’s Day Special: कंगारू केयर से प्रीमेच्योर बेबी को बचाएं, कुछ ऐसे

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ हर साल, विश्व की तुलना में सबसे अधिक प्रीमेच्योर जन्म लेने वाले बच्चे की मृत्यु होती है, इसकी वजह गर्भधारण के बाद से मां को सही पोषण न मिलना, गर्भधारण के बाद भी मां का वजनी काम करना, प्रीमच्योर बच्चा जन्म लेने के बाद आधुनिक तकनीकी व्यवस्था का अस्पताल में न होना आदि कई है. इसके अलावा कुछ प्रीमेच्योर बच्चे एक महिना ही जीवित रह पाते है. ऐसे में कंगारू केयर नवजात शिशु के लिए वरदान से अधिक कुछ भी नहीं है.

तकनीक है आसान

इस बारें में नियोनेटोलॉजी चैप्टर, इंडियन एकेडेमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नवीन बजाज ‘इंटरनेशनल कंगारू केयर अवेयरनेस डे’ पर कहते है कि कंगारू केयर प्रीमेच्योर और नवजात शिशुओं के देखभाल की एक तकनीक है. अधिकतर जिन शिशुओं का जन्म समय से पहले होने पर वज़न कम हो, उनके लिए कंगारू केयर का प्रयोग किया जाता है. इसमें बच्चे को माता-पिता के खुले सीने से चिपकाकर रखा जाता है, जिससे पैरेंट की त्वचा से शिशु की त्वचा का सीधा संपर्क होता रहता है, जो बहुत प्रभावशाली होने के साथ-साथ प्रयोग में भी आसान होता है और शिशु का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. इस तकनीक को समय से पहले या समय पूरा होने के बाद पैदा हुए सभी बच्चों की अच्छी देखभाल के लिए कंगारू केयर लाभकारी होता है.

जरुरी है स्वस्थ और हायजिन होना

इसके आगे डॉ.नवीन कहते है कि कंगारू केयर तकनीक से शिशु की देखभाल के लिए सबसे सही व्यक्ति उसकी मां होती है, लेकिन कई बार कुछ वजह से मां बच्चे को कंगारू केयर नहीं दे पाती, ऐसे में पिता या परिवार का कोई भी करीबी सदस्य, जो बच्चे की जिम्मेदारी सम्हाल सकें, मसलन भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, चाची, मौसी, बुआ, चाचा आदि में से कोई भी बच्चे को कंगारू केयर देकर मां की जिम्मेदारी का कुछ भाग बाँट सकते है. इसके अलावा कंगारू केयर दे रहे व्यक्ति को स्वच्छता के कुछ सामान्य मानकों का पालन करना आवश्यक होता है, जैसे हर दिन नहाना, साफ़ कपड़ें पहनना, हाथों को नियमित रूप से धोकर स्वच्छ रखना, हाथों के नाख़ून कटे हुए और साफ़ होना आदि बहुत जरूरी होता है.

कब शुरू करें कंगारू केयर

डॉक्टर का मानना है कि कंगारू केयर या त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक की शुरूआत बच्चे के जन्म से ही करनी चाहिए और आगे पूरी पोस्टपार्टम अवधि तक इसे जारी रखा जा सकता है. इस तकनीक की इस्तेमाल की अवधि शुरूआत में कम रखनी चाहिए. पहले 30 से 60 मिनट, इसके बाद धीरे-धीरे मां को इसकी आदत पड़ जाने इस तकनीक के इस्तेमाल का आत्मविश्वास मां में आ जाने पर जितना हो सकें, उतने लंबे समय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. खास कर कम वज़न के शिशुओं के लिए कंगारू केयर की अवधि जितनी ज़्यादा हो, उतनी अच्छी होती है, बच्चे को कंगारू केयर देते हुए मां खुद भी आराम कर सकती है या आधा लेटकर सो सकती है.

कंगारू केयर की प्रक्रिया

मां के स्तनों के बीच शिशु को रखना चाहिए, उसका सिर एक तरफ झुका हो, ताकि उसे साँस लेने में आसानी हो. बच्चे का पेट मां के पेट के ऊपरी भाग से चिपका हो, हाथ और पैर मुड़े हुए हो. शिशु को बेस देने के लिए स्वच्छ, सूती कपड़ा या कंगारू बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है. समय से पहले पैदा हुए या कम वज़न के बच्चों की देखभाल के लिए कंगारू केयर की शुरूआत हुई, लेकिन समय पूरा होकर पैदा हुए या सही वज़न के बच्चों के लिए भी यह तकनीक लाभकारी है.

पिता और कंगारू केयर का संपर्क

डॉक्टर बजाज आगे कहते है कि माताओं की तरह, पिता भी त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक से बच्चे की देखभाल कर सकते है. यह शिशु और पिता दोनों के लिए फायदेमंद है. पिता के लिए कुछ प्रमुख लाभ यह है कि वे बच्चे की देखभाल अच्छी तरह से कर सकेंगे और अपने आप को असहाय महसूस नहीं करेंगे. इससे शिशु और पिता के बीच अपनापन बढ़ता है और बच्चे की देखभाल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा पाने की ख़ुशी पिता को मिलती है, ये तकनीक पिता को बच्चे के भूख और तनाव के संकेतों को समझने में भी मदद करती है. जब पिता कंगारू केयर दे रहे हो, तब मां आराम कर सकती है और बच्चे की अच्छी देखभाल के लिए अपनी ऊर्जा और उत्साह को बनाए रख सकती है. कंगारू केयर के फायदे निम्न है,

• शिशु की अच्छी देखभाल और उसमें अपनेपन का एहसास स्टाब्लिश करने का यह सबसे बेहतरीन तरीका है. इस तकनीक से देखभाल किए गए बच्चों का अपने मातापिता के साथ जुड़ाव काफी करीबी रहता है,
• त्वचा से त्वचा का संपर्क होने से मस्तिष्क के विकास और भावनात्मक संबंधों के निर्माण को बढ़ावा मिलता है, आँखों से आँखों का कॉन्टैक्ट होते रहने से, प्यार, अपनापन और विश्वास से सामाजिक प्रतिभा का भी विकास होने में मदद मिलती है,
• इस तकनीक के इस्तेमाल से स्तनपान को भी बढ़ावा मिलता है, बच्चा और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, इसके अलावा बच्चे के पोषण और विकास में स्तनपान का योगदान महत्वपूर्ण होता है,
• साथ ही सर्दियों में कम वज़न के बच्चों में बच्चे के शरीर के तापमान को स्थिर रखा जाता है,
• इस तकनीक से देखभाल किए गए बच्चों का वज़न अच्छे से बढ़ता है, वे लंबे समय तक शांत सोते हैं, जागने पर भी शांत रहते हैं और रोते भी कम है.
• इसके अलावा कंगारू केयर तकनीक से देखभाल किए जाने वाले बच्चें ज़्यादा स्वस्थ, ज़्यादा होशियार होते हैं और अपने परिवार के प्रति उनके मन में ज़्यादा अपनापन होता है. यह तकनीक शिशु के साथ-साथ मां, परिवार, समाज और पूरे देश के लिए लाभकारी है.
इसलिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनजेशन और चिकित्सकों ने सलाह दी है कि सभी बच्चों के लिए कंगारू केयर तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि बच्चे का विकास सही तरीके से हो सकें.

Mother’s Day Special: मां को दें स्किन केयर से जुड़ा ये तोहफा

एक मां अपने बच्चे की खुशी के लिए क्या कुछ नहीं करती. कभी उस के लिए अपनी नींद से समझता करती है, तो कभी उस के लिए खुद भूखी रह जाती है. उस के कहीं बाहर जाने पर उस के इंतजार में बैठी रहती है. बच्चे की एक डिमांड पर वह अपनी सारी थकान को भूल कर उस की डिमांड को पूरा करने में जुट जाती है.

दुनियाभर से उस के लिए फाइट करने में भी पीछे नहीं रहती. उस की खुशी के लिए अपनी सारी खुशियां कुरबान करने के लिए तैयार हो जाती है.

भले ही हम मां को बहुत कुछ नहीं दे सकते, लेकिन मदर्स डे एक बेटी होने के नाते आप अपनी मां की इनर ब्यूटी की तरह आउटर ब्यूटी को बैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स गिफ्ट में दे कर निखार सकती हैं क्योंकि वह खुद को हमेशा टिपटौप तो रखना पसंद करती है, लेकिन परिवार व बच्चों से हमेशा घिरी रहने के कारण खुद को संवारने पर ध्यान ही नहीं देती है. ऐसे में आप के ये गिफ्ट्स मां के चेहरे पर मुसकान लाने के काम करेंगे. तो आइए जानते हैं कैसे:

1 फेशिअल केयर बौक्स

अपने चेहरे को निखारना व अपनी खूबसूरती की तारीफ बटोरना हर मौम को अच्छा लगता है. लेकिन घरपरिवार में बिजी रहने के चक्कर में व पैसों के कारण हमेशा खुद की स्किन से समझता कर ही लेती हैं. ऐसे में आप उन्हें इस मदर्स डे पर फेशियल केयर बौक्स गिफ्ट कर के उन के होंठों पर मुसकान लौटाने के साथसाथ उन के चेहरे की खोई रौनक को भी लौटा सकती हैं क्योंकि इस बौक्स में होता है फेशियल क्लींजर, टोनर, पैक से ले कर नाइट ट्रीटमैंट क्रीम तक और सन प्रोटैक्शन देने वाला सनस्क्रीन भी जो उन की स्किन को क्लीन, डैड स्किन को रिमूव करने के साथसाथ फेस पर ग्लो तो लाएगा ही, साथ ही स्किन पर एजिंग को भी कम करने का काम करता है.

नाइट क्रीम स्किन को लंबे समय तक हाइड्रेट रखने के साथसाथ स्किन सैल्स को रिपेयर करने का भी काम करती है. ऐसे में आप मार्केट से फौरैस्ट ऐसैंशियल की फेशियल केयर किट, जस्ट हर्ब की फेशियल केयर, मामा एअर्थ की किट खरीद सकती हैं. ये बजट में होने के साथसाथ स्किन पर काफी अमेजिंग असर भी दिखाने का काम करती हैं.

2 एम टू पीएम स्किन केयर रूटीन

एक मां पैसों की बचत के लिए अपने डेली स्किनकेयर रूटीन से समझता कर लेती है. उसे लगता है कि इस से भले ही ज्यादा नहीं, लेकिन थोड़ीबहुत बजट तो होगा ही. इस के लिए वह फेसवाश की जगह फेस पर साबुन को भी अप्लाई करने में झिझकती नहीं है. जबकि बढ़ती उम्र में स्किन की खास केयर की जरूरत होती है.

साबुन का ऐल्कलाइन नेचर फेस के नैचुरल मौइस्चर को चुरा कर फेस को ड्राई बनाने का काम करता है, जिस से फेस फलेकी यहां तक कि स्किन पर ब्रेकाउट्स तक हो जाते हैं, जबकि फेसवाश स्किन के पीएच लैवल को बैलेंस में रखने का काम करता है और अगर उस में ह्यलुरोनिक ऐसिड हो, फिर तो स्किन की ड्राइनैस दूर होने के साथसाथ फाइन लाइंस व झर्रियों की समस्या भी जल्दी दूर हो जाती है, साथ ही इस के बाद विटामिंस व ह्यलुरोनिक ऐसिड रिच फेस क्रीम स्किन को मौइस्चराइज करने के साथसाथ स्किन को ब्राइट बनाने का भी काम करती है.

ऐसे में आप इन इनग्रीडिएंट्स से युक्त फेसवाश व फेस क्रीम के मार्केट में मिलने वाले ब्रैंडेड पैक्स को मौम को गिफ्ट दे कर उन को स्किन की केयर का खास गिफ्ट दे सकती हैं.

3 कोलेजन मास्क

हमारे शरीर की तरह हमारी स्किन को भी सुपर फूड की जरूरत होती है. ऐसे में आप की मौम की स्किन के लिए कोलेजन मास्क सुपर फूड है. कोलेजन हमारी स्किन का मेन स्ट्रक्चर है, जो प्रोटीन का बना होता है और इस के बेहतर संतुलन से ही हमारी स्किन टाइट, ग्लोइंग और एजिंग से बची रहती है. लेकिन मौम्स इस बात को भूल जाती हैं कि बढ़ती उम्र व स्किन की केयर नहीं करने के कारण स्किन अपना कोलेजन खोने लगती है, जिस से वह समय से पहले बूढ़ी दिखने लगती है.

ऐसे में कोलेजन मास्क आप की मां की स्किन से गंदगी व डैड स्किन सैल्स को रिमूव कर के स्किन को क्लीयर व सौफ्ट बनाने का काम करता है, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को भी इंप्रूव करने में मददगार होता है. इस से स्किन टाइट भी होती है, जो स्किन पर एजिंग को कम कर के व आंखों के आसपास के डार्कसर्कल्स को रिमूव कर के उसे यंग दिखाने का काम करती है.

इस स्पैशल डे मौम को दें कोलेजन मास्क गिफ्ट में ताकि आप की मौम अंदर व बाहर दोनों जगह से हमेशा यंग बनी रहें. इस के लिए आप मार्केट से इनटुर कोलेजन फेशियल मास्क, द डर्मा कंपनी का कोलेजन मास्क व इसी तरह आप को और भी ब्रैंडेड कंपनी के कोलेजन फेस मास्क मिल जाएंगे, जिन्हें दे कर आप अपनी मौम की स्किन को फिर से यंग बना सकती हैं.

4 फेस सीरम

आप मां को फेस सीरम जैसा यूजफुल ब्यूटी प्रोडक्ट गिफ्ट दें क्योंकि यह आसानी से स्किन में अब्सौर्ब होने के साथ इजी टू यूज मी है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप की मौम को किस तरह की स्किन प्रौब्लम है. जैसे अगर स्किन में कोलेजन और इलास्टिक ब्रैंड को टूटने से बचाने के लिए उन के लिए ऐसा सीरम लें, जिस में रेटिनोल व ऐंटीऔक्सीडैंट्स मौजूद हों.

वहीं फ्री रैडिकल्स डैमेज की समस्या के लिए कौफी इन्फुसेड सीरम गिफ्ट में दें और अगर उन के चेहरे पर दागधब्बे व पिगमैंटेशन की समस्या हो, तो विटामिन सी युक्त सीरम गिफ्ट में दें. इसी के साथ अगर उन का चेहरा हमेशा ड्राईड्राई रहता है तो उन्हें ह्यालूरोनिक ऐसिड युक्त सीरम गिफ्ट में दें.

5 लिपस्टिक किट

अकसर हम सभी ने देखा है कि मौम के पास 1 या फिर ज्यादा से ज्यादा 2 लिपस्टिक ही होती हैं, जिन्हें वे हर पार्टी, फंक्शन में रिपीट करती हैं. बहुत बार तो वे सस्ते के चक्कर में ब्रैंड को भी इग्नोर कर के लोकल ब्रैंड की लिपस्टिक खरीद लेती हैं, जिस से उन्हें उन की पसंद का शेड तो मिल जाता है, लेकिन इस से उन के लिप्स पर कई बार टैनिंग तक हो जाती है.

लेकिन फिर भी वे इसे इग्नोर कर देती हैं. ऐसे में आप इस मदर्स डे पर उन्हें लिपस्टिक किट गिफ्ट कर सकती हैं, जिस में मैट, ग्लौसी हर तरह की लिपस्टिक हो ताकि जब मन करे वे अपनी ड्रैस के साथ मैच कर लगा लें. साथ ही ब्रैंडेड लिपस्टिक उन के लिप्स की ड्राइनैस व पिगमैंटेशन को भी कम करने का काम करती है यानी साथसाथ लिप ट्रीटमैंट भी मिल जाता है. यही नहीं वे इन्हें लिप्स पर लगाने के साथसाथ चिक्स को भी हाईलाइट कर सकती हैं. इस के लिए लैक्मे, स्विस ब्यूटी, नायका, शुगर कौस्मैटिक, जस्ट हर्ब्स जैसे ब्रैंड्स चूज कर सकती हैं.

यकीन मानिए इतने स्पैशल डे पर ये गिफ्ट पा कर वे खुशी से झम उठेंगी और आप भी उन की खुशी को देख कर मुसकराए बिना नहीं रह पाएंगी.

6 हेयर ट्रीटमैंट के लिए हेयर किट

मौम्स अपने बच्चों की केयर में तो कोई भी लापरवाही नहीं बरतती हैं, लेकिन जब उन की अपनी केयर की बात आती है तो वे सब से ज्यादा लापरवाह हो जाती हैं जैसे प्रौपर डाइट नहीं लेने की वजह से, प्रदूषण, सूर्य की हानिकारक किरणों की वजह से हेयर फौल की समस्या के साथसाथ बालों का मौइस्चर भी खत्म होने के कारण बाल डल व बेजान लगने लगते हैं, जो उन की सुंदरता को कम करने का काम करते हैं. फिर भी वे एक ही शैंपू पर टिकी रहती हैं ताकि बजट न बिगड़ जाए  या फिर यह सोचती हैं कि उन्हें देखने वाला ही कौन है, जो इतनी केयर करें.

ऐसे में आप उन्हें हेयर ट्रीटमैंट गिफ्ट में दे कर उन की खोई सुंदरता को लौटा सकती हैं. इस के लिए आप उन्हें हेयर मास्क गिफ्ट करने के साथसाथ हेयर किट भी दे सकती हैं, जिस में यूजफुल इनग्रीडिएंट्स से बने शैंपू, कंडीशनर, स्क्रब, हेयर मास्क आदि हों, जो उन के बालों को फुल केयर देने का काम करते हैं. शैंपू, कंडीशनर के साथसाथ स्क्रब व हेयर मास्क बालों की केयर के लिए बहुत ही जरूरी प्रोडक्ट है क्योंकि जहां स्क्त्रब स्कैल्प से गंदगी व डैड स्किन को रिमूव करता है, वहीं हेयर मास्क बालों को मजबूती देने के साथसाथ उन्हें सौफ्ट, शाइनी व मौइस्चराइज करने का काम भी करता है.

ऐसे में आप उन्हें एम कैफीन, मामाएअर्थ, वाओ जैसे ब्रैंड्स के हेयर प्रोडक्ट्स गिफ्ट में दे कर उन के बालों को घर बैठे केयर दे कर खूबसूरत बना सकती हैं.

7 रिंकल क्रीम

उम्र बढ़ने के साथसाथ आंखों के नीचे काले घेरे होने के साथसाथ चेहरे पर झर्रियां व फाइन लाइंस की समस्या देखने को मिलती है, जो सुंदरता में तो कमी लाने का काम करती ही है, साथ ही केयर के आभाव में हमारी मौम को समय से पहले बूढ़ा दिखाने का भी काम करती है.

ऐसे में चीजों में इतनी अधिक घिरी रहने के कारण कई बार वे घरेलू नुसखों को भी अपने फेस पर अप्लाई करने में लापरवाही करने लगती हैं. ऐसे में आप उन की सुंदरता व जवानी को फिर से जवां बनाए रखने के लिए उन्हें इस खास दिन पर  रिंकल क्रीम गिफ्ट कर सकती हैं, जिस के बारे में अकसर आप से पूछती होंगी या फिर आप के रिंकल क्रीम के बारे में जिक्र करने पर वे उस का प्राइस पूछ कर चुप हो जाती होंगी. ऐसे में यह गिफ्ट उन के लिए खास होगा क्योंकि उन की बेटी ने उन का इतना ध्यान जो रखा है.

Mother’s Day Special: सरप्राइज- मां और बेटी की अनोखी कहानी

family story in hindi

Mother’s Day Special: मदर्स डे पर कुछ ऐसा हो आपकी मदर का मेकओवर

मदर्स डे आने में अब कुछ ही दिन बचे है ऐसे में आप अपनी मदर को स्पेशल फील कराने के लिए कुछ न कुछ तो जरूर कर रहे होंगे कोई मदरस डे अपनी माँ को फूल गिफ्ट करेंगा, कोई ब्यूटीफुल ड्रेस, कोई मेकअप प्रोडक्ट्स, कोई अच्छी सी पार्टी देगा, कोई मूवी दिखाने ले जाएगा ऐसे में मां के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना आपके साथ आपकी मदर को बहुत अच्छा लगेगा अगर आप इस ओकेजन के लिए उनको एक खूबसूरत मेकओवर भी दें और उनके मेकअप और लुक को क्रिएट करने  में उनकी मदद करें, और उन्हें स्पेशल फील करवाएं तो उनको और भी अच्छा लगेगा. जब आप खुद उन्हे तैयार करेंगी और घुमाने ले जाएँगी तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा. इस खास ओकेजन में आइये जाने कि मदर्स डे आप अपनी मदर के लिए कैसा मेकअप कर सकती हैं और उन्हे एक फ्रेश लुक दे सकती हैं.

ब्यूटी एक्सपर्ट रिचा अग्रवाल कुछ ऐसे टिप्स आपकी मदर्स के लिए शेयर कर रही हैं जिससे वो एक समर रेडी और पार्टी रेडी लुक अचीव कर सकती हैं.

 मॉइश्चराइजिंग

स्किन को यूथफुल और खिला-खिला रखने के लिए स्किन को हाइड्रेट रखना बहुत ज़रूरी है, इसके लिए सबसे पहले तैयार होने से पहले चेहरे को मॉइस्चराइज़ ज़रूर करें, इससे स्किन फ्रेश भी दिखेगी और साथ ही मेकअप भी अच्छे से ब्लेंड होगा.

अंडर आई क्रीम 

इसके साथ ही आँखों के नीचे के एरिया में अंडर आई क्रीम का इस्तेमाल ज़रूर करें, इससे पहले आई क्रीम को पैच टेस्ट कर के ज़रूर देख लें. अंडर आई क्रीम लगाने के बाद मेकअप बेस ज़रूर लगाए, इससे अंडर आई पफीनेस, डार्क सर्कल्स आदि कवर हो जाएंगे.

वाटरप्रूफ कंसीलर और फाउंडेशन

इसके बाद पूरे चेहरे पर फेस कंसीलर और या फिर फाउंडेशन लगाएं और खूब अच्छी तरह से ब्रश से ब्लेंड करें, चेहरे पर बेस लगाते हुए आप गर्दन पर भी बेस को अच्छे से स्प्रे करें. समर के लिए एसपीएफ युक्त लाइट और ऑयल फ्री फाउंडेशन ही लगाए.जिससे स्किन चिपचिपी नहीं दिखेगी और साथ ही सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी आप अपनी स्किन को प्रोटेक्ट रख पाएंगी.

फॉर लॉन्ग लास्टिंग मेकअप

अगर आप चाहती हैं की मेकअप  इवन लगे तो मेकअप से पहले स्किन पर आइस रब ज़रूर कर लें. इसके उपयोग से आपकी स्किन ऑयली और चिपचिपी नहीं दिखेगी.  साथ ही स्किन सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से  भी बची रहेगी. क्यूंकि गर्मियों का समय  तो आप आयल फ्री मॉस्चराइज़र का ही इस्तेमाल करें, और यदि आपको एक्ने और पिम्पल्स आदि की समस्या रहती है तो आप जेल बेस्ड मॉइस्चराइज़र भी लगा सकती हैं.

आई मेकअप

अपनी मां का वाटरप्रूफ आई मेकअप ही करें इसके बाद आँखों पर माइल्ड मेकअप कर सकते हैं, आइब्रो को शेप में रखने के लिए ब्रश की मदद से आई ब्रो के बाल सेट करें और फिर फिलर से आई ब्रो फिल  करे, डार्क ब्लैक कलर का इस्तेमाल ना करें और इसकी जगह डार्क ब्राउन कलर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

 आई शैडो हो खास

इसके बाद आँखों पर माइल्ड ब्राउन या पीच कलर का आई  शैडो लगाएं जो स्किन के टोन से एक टोन डार्क हो. समर में हैवी आई मेकअप करने से परहेज़ ही करें क्यूंकि आई मेकअप करते समय आईशैडो के लिए लाइट व न्यूट्रल शेड्स चुनें.  समर में आई मेकअप को फैलने से बचाने के लिए आप वाटरप्रूफ आई मेकअप का इस्तेमाल करें और सारे मेकअप को वाटरप्रूफ रखे. इवनिंग पार्टी का मेकअप हो बाइब्रेंट अगर आप इवनिंग पार्टी को एन्जॉय कर रही हैं , तो आई मेकअप के लिए हल्के ब्राइट शेड्स या फिर थोड़े वाइब्रंट शेड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. इवनिंग पार्टी में आई मेकअप के लिए ग्रे,  नेवी ब्लू जैसे शेड्स बहुत अच्छे दिखते हैं और इन शेड्स स्मोकी आई मेकअप इस्तेमाल कर सकते हैं.

इसके बाद आप अपने आई ब्रोस को हाईलाइट ज़रूर करें, आप लाइनर को स्किप भी कर सकते हैं और गर्मियों का समय है तो काजल भी स्किप करें, और सिंगल कोट मस्कारा लगा सकती हैं और आई लाश कर्लर का इस्तेमाल कर सकते हैं. समर में फ्रेश लुक के लिए आप ब्लैक का इस्तेमाल ना करते हुए  सॉफ्ट ब्राउन कलर का  मस्कारा लगाएं और आप चाहे तो आप ट्रांसपेरेंट मस्कारा भी लगा सकती हैं जो आर्टिफिशल नहीं लगेगा और नेचुरल दिखेगा और साथ ही आपकी आई लेसेज भी घनी दिखेंगी.

ब्लशर और लिपस्टिक के कलर को करें कोऑर्डिनेट

स्किन से एक टोन डार्क ब्लशर का इस्तेमाल करें, और लिपस्टिक भी ब्लशर से मिलते हुए कलर की ही लगाए. लिपस्टिक लगाने से पहले लिप लाइनर से शेप दें और फिर अपने लिप्स को उससे फिल कर दें, गर्मियों का समय है तो हल्के शेड की लिपस्टिक का ही चयन करें आप लिपस्टिक के लिए पीच, पिंक, लाईट ब्राऊन कलर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं , और इसके ऊपर लिप ग्लॉस ज़रूर लगा लें.  याद रखे समर में लाईट मेकअप करें जिससे आप और अधिक यंग और फ्रेश नज़र आएंगी.  आप चाहे तो समर में लिपस्टिक की जगह सिर्फ लिप ग्लॉस ही अप्लाई कर सकते हैं. समर में ऑरेंज और कोरल कलर्स अप्लाई करें क्यूंकि डीप और हैवी कलर्स इस मौसम में अच्छे नहीं लगते.करें नेचुरल मेकअप सेटर का इस्तेमाल करें.

मेकअप में ले ब्लॉटिंग पेपर की मदद

आप चाहती हैं की मेकअप स्किन पर ज़्यादा देर तक टिके तो फिर मेकअप पूरा होने के बाद आधे फ़ीट की दूरी से पानी का स्प्रे सिर्फ एक सेकंड के लिए कर दें यह नेचुरल मेकअप सेटर का काम करेगा आपकी स्किन पर. इसके साथ ही आप अपने पास ब्लॉटिंग पेपर ज़रूर रखे ताकि आप एक्सेस आयल को समय समय पर ब्लॉटिंग पेपर की मदद से हटा सके.

हेयर स्टाइल

इस ओकेजन पर और गर्मी को देखते हुए आपकी मां का हेयर स्टाइल ऐसा हो जिससे वह कंफरटेबल हो  आप हाई बन बना कर खूबसूरत स्टाइल दे सकती हैं.इसके अलावा ये स्टाइल भी अपना सकती है.

फ्रेंच बन

ये स्टाइल दिखने में जितना स्‍टाइलिश होता है उतना कंफरटेबल भी , यह गर्मी के दिनों में बालों को बिखरने से भी बचाए रखता है. इससे गर्मी भी कम लगती है. इसे बनाते समय बालों को घुमाते हुए ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है और जूड़ा पिन की मदद से अंदर की ओर दबाकर लॉक कर दिया जाता है.

फिश टेल स्‍टाइल

अगर आपके बाल लंबे है तो आपके लिए ये हेयर स्‍टाइल बेहतरीन है. इस हेयर स्‍टाइल की मदद से आपके बाल समेटे रहेंगे और बार बार खुलेंगे नहीं. फिश टेल बनाने में भले ही थोड़ा मेहनत है लेकिन एक बार बनाने के बाद आप चाहें तो पूरे दो दिन चोटी बनाने से बच सकती हैं. इसे बनाते समय कई बारीक लेयरिंग की जाती है.

आउटफिट्स भी हो स्टाइलिश

आप मदर्स डे के दिन अपनी मां के साथ मैचिंग आउटफिट्स भी स्टाइल कर सकती हैं. आजकल ट्विनिंग ड्रेसेस का काफी ट्रेंड देखा जा रहा है, जिसे आप भी अपनी मां के साथ स्टाइल कर सकती हैं. आप अपनी मां को शरारा सूट, प्लाजो सूट वियर करा सकती है इसके अलावा यंग और स्मार्ट लुक के लिए लांग वन पीस अपनी मैचिंग का भी पहन सकती है इससे मां-बेटी का लुक और बॉन्डिंग और भी स्ट्रांग लगेगी.

Mother’s Day Special: बढ़ती बेटियों को दें ये ब्यूटी मंत्र

पार्टी से घर लौट सोनम जब अपने बैडरूम में घुसी, तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गई. ड्रैसिंगटेबल पर कौस्मैटिक का सामान बिखरा पड़ा था और उस की 13 वर्ष की बेटी आलिया सजधज कर खुद को आईने में निहार रही थी. गुस्से में तमतमाई सोनम ने आलिया के गाल पर थप्पड़ जड़ते हुए कहा कि ये कोई बच्चों के इस्तेमाल की चीजें नहीं हैं.

यह वाक्या था पहले के जमाने की मम्मी का. मगर आजकल की मम्मियां ऐसी नहीं होती हैं. वे खुद तो सजतीसंवरती हैं ही, साथ ही अपनी बेटी को भी कौस्मैटिक्स के इस्तेमाल से नहीं रोकतीं खासतौर पर जब लड़कियां टीनऐजर हो जाती हैं, तो अपनी मांओं को यों सजतेसंवरते देख कर उन का मन भी उन चीजों को इस्तेमाल करने को करने लगता है.

इस बारे में कौस्मैटोलौजिस्ट एवं माइंड थेरैपिस्ट अवलीन खोकर कहती हैं, ‘‘आजकल स्कूलों में बहुत सारी ऐक्टिविटीज होती रहती हैं और उन में बच्चों को सजाने और प्रेजैंटेबल दिखाने के लिए मेकअप का इस्तेमाल किया जाता है. इस के अतिरिक्त आजकल टीवी सीरियल्स और फिल्मों में भी कम उम्र की ऐक्ट्रैसेज और मौडल्स दिख रही हैं. 13 से 16 वर्ष की उम्र ऐसी होती है, जब लड़कियां अपने लुक्स पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती हैं. यह उम्र फिल्म ऐक्ट्रैसेज और मौडल्स को कुछ ज्यादा ही प्रभावित करती है.

‘‘फिल्म या सीरियल में कौन सा नया लुक आया है, उसे आजमाने से मां भी अपनी बेटी को नहीं रोक सकती, क्योंकि वह खुद भी उस लुक को खुद पर आजमा रही होती है. ऐसे में बेटी को लगता है कि जब मां कर रही हैं, तो मैं भी कर सकती हूं. बस यही बात मांओं को अपनी बेटियों को समझानी है कि हर वह प्रोडक्ट, जो मां इस्तेमाल कर रही हैं उसे उन की बेटी इस्तेमाल नहीं कर सकती, क्योंकि उस की त्वचा अभी कैमिकल्स की हार्डनैस को झेलने लायक नहीं बनी है.

मांओं को भी पता होना चाहिए कि उन की बेटी की त्वचा पर कौन से प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं. बहुत जरूरी है कि बच्चे की त्वचा पर कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पूर्व उस पर लिखी इनग्रीडिएंट्स पर गौर कर लिया जाए. उत्पाद यदि डर्मेटोलौजिस्ट द्वारा अप्रूव्ड है, उस में सल्फैटिक ऐसिड और मिंट एजेंट हैं, तब ही उस उत्पाद को अपनी बेटी की त्वचा पर इस्तेमाल करें. जिन प्रोडक्ट्स में पैराबीन, पैथोलेट्स ट्रिक्लोसन, पर्कोलेट जैसे तत्त्व होते हैं उन्हें कभी बच्चे को इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि ये त्वचा को ड्राई करते हैं और ऐक्ने की समस्या को बढ़ाते हैं.

फेयरनैस क्रीम का भ्रम

इस उम्र की लड़कियों में खासकर सांवली लड़कियों में फेयरनैस क्रीम का बहुत क्रेज होता है. बाजार में भी फेयरनैस क्रीम के इतने विकल्प मौजूद हैं कि किसी एक का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आंख मूंद कर और ब्रैंड के भरोसे क्रीम खरीदना और उस के इस्तेमाल के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता. लेकिन इस संबंध में अवलीन की मानें तो स्किन कलर मैलानिन से बनता है. यह कुदरती होता है. हां, इसे निखारा जरूर जा सकता है. कोई भी क्रीम डस्की स्किन को फेयर नहीं बना सकती. यह सिर्फ कौस्मैटिक सर्जरी के द्वारा ही संभव है, जो इस उम्र की लड़कियों को तो बिलकुल नहीं करानी चाहिए. हां, त्वचा के रंग को निखारने के लिए मांओं को अपनी बेटियों पर ये टिप्स जरूर आजमाने चाहिए:

– धूप में निकलें या न निकलें दिन में रोज 3 बार चेहरे को साफ कर के सनस्क्रीन जरूर लगाएं. दरअसल, जब त्वचा सूर्य के संपर्क में आती है, तो उस में मैलानिन बनने लगता है, जिस से त्वचा की रंगत डल होती जाती है. सनस्क्रीन त्वचा के लिए सुरक्षाकवच का काम करता है. यह त्वचा में मैलानिन बनने से रोकता है. सुबह स्कूल जाते वक्त बेटी को सनस्क्रीन जरूर लगाने को कहें. यदि बेटी की त्वचा औयली है, तो उसे जैल बेस्ड सनस्क्रीन लगाने को कहें. ध्यान रखें कौस्मैटिक ब्रैंड्स का सनस्क्रीन लेने की जगह मैडिकेटिड सनस्क्रीन को बेटी के लिए चुनें. कौस्मेस्यूटिकल सनस्क्रीन लेने से बचें. जब बेटी घर आए तब भी उसे सनस्क्रीन लगाने को कहें, क्योंकि ट्यूबलाइट और बल्ब में भी अल्ट्रावायलेट किरणें होती हैं, जो त्वचा में मैलानिन बनाती हैं.

– अधिकतर मांएं बेटी की रंगत को निखारने के लिए अखबारों और टीवी पर आने वाले फेयरनैस क्रीम के विज्ञापनों से भ्रमित हो महंगीमहंगी क्रीमें खरीद तो लेती हैं, लेकिन उन का असर बेटी की त्वचा पर नहीं दिखता. अत:बारबार क्रीमें बदलने से बेहतर है कि जो भी क्रीम खरीदें उस के पैक पर लिखी इनग्रीडिएंट्स को पढ़ लें. दरअसल, ब्लीच एजेंट, हाइड्रोक्यानिक और कोजिक ऐसिड वाली फेयरनैस क्रीम लेने की जगह लाइकोरिस, नियासिनेमाइड और ऐलोवेरा युक्त फेयरनैस क्रीमें ही खरीदें. ये चेहरे की रंगत को एक लैवल फेयर कर देती हैं.

त्वचा के टैक्स्चर को पहचानें

इस उम्र की लगभग सभी लड़कियों को मासिकधर्म शुरू हो जाता है. इस से उन में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जिन का असर त्वचा पर भी पड़ता है.

साउथ दिल्ली स्थित द स्किन सैंटर के डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर वरुण कतियाल कहते हैं, ‘‘त्वचा का टैक्स्चर 4 तरह का होता है- औयली, नौर्मल, कौंबिनेशन और सैंसिटिव. यदि आप अपनी बेटी के स्किन टैक्स्चर को पहचानना चाहती हैं, तो सुबह जब वह सो कर उठे तो उस के चहरे के टी जोन और यू जोन पर एक टिशू पेपर लगाएं. देखें कि कहां ज्यादा औयल है. यदि टी और यू दोनों जोन पर औयल है, तो त्वचा औयली है, यदि टी पर औयल है और यू पर नहीं, तो त्वचा का टैक्स्चर कौंबिनेशन है.

‘‘बाजार में हर त्वचा के हिसाब से प्रोडक्ट उपलब्ध हैं. फिर भी हर प्रोडक्ट के पीछे लिखा होता है कि प्रोडक्ट कोमैडोजेनिक है या नौनकोमैडोजेनिक है. कभी भी बेटी को कोमैडोजेनिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि यह त्वचा के पोर्स ब्लौक कर देता है, जिस से मुंहासे होने का डर रहता है.’’

खुशबूदार उत्पाद हैं नुकसानदायक

इस उम्र के बच्चे रंग और खुशबू से बहुत प्रभावित होते हैं खासकर लड़कियां. उन्हें इस बात का भ्रम होता है कि रंग और खुशबू के असर से उन की त्वचा खूबसूरत हो जाएगी. लेकिन असल में यही नुकसानदायक होते हैं. एक मां ही अपनी बेटी को यह समझा सकती है कि यह उम्र सिर्फ त्वचा की ठीक तरह से सफाई करने की है न कि उसे आर्टिफिशियल लुक देने की.

इस बाबत एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के कंसल्टैंट डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर अमित बांगिया कहते हैं, ‘‘बाजार में बहुत सारे उत्पाद आते हैं और उन पर लिखा होता है  कि यह उत्पाद ऐलोवेरा, रोजमैरी, जैसमिन या फिर कोकोनट युक्त है. साथ ही उन उत्पादों से वैसी ही खुशबू भी आ रही होती है. लेकिन असल में खुशबू वाले उत्पादों में केवल ऐसेंस और कैमिकल्स के अलावा कुछ नहीं होता है. इतना ही नहीं, ये फ्रैगरैंस वाले उत्पाद आप की बेटी के ऐस्ट्रोजन हारमोन को भी प्रभावित करते हैं, जिस से वह चिड़चिड़ी हो सकती है और उस का वजन भी बढ़ सकता है. त्वचा पर जो असर पड़ता है वह अलग. इसलिए बाजार में उपलब्ध और्गेनिक उत्पादों का ही इस्तेमाल बेटी की त्वचा पर करें.

Mother’s Day Special: माई मौम माई दीवा

‘‘सुबह 5 बजे का अलार्म बजा नहीं कि मम्मी तुरंत उठ खड़ी होतीं. फिर जब वे हमें उठाने लगती हैं तो हम सब हर बार बस 5 मिनट और सोने दो कह कर उन्हें रूम से चले जाने का इशारा कर देते हैं. जब तक हम उठते हैं हमें लंच व ब्रेकफास्ट तैयार मिलता है. तैयार होते भी हम मां से कभी जूते लाने को कहते हैं तो कभी कहते हैं मां प्लीज मेरी ड्रैस प्रैस कर दो. ‘‘हम ही नहीं पापा व घर के अन्य सदस्यों की भी इस तरह की फरमाइशें जारी रहती हैं. मां चेहरे पर मुसकान लिए खुशीखुशी हम सब की फरमाइशें पूरी कर देती हैं, जबकि उन्हें खुद भी औफिस जाना होता है. मगर वे जानती हैं कि खुद के साथसाथ परिवार की सारी चीजों को कैसे मैनेज कर के चलना है.

‘‘घर की सारी जरूरतें पूरी करने के बाद उन्हें अपने औफिस भी जाना होता है. कभीकभी तो मुझे आश्चर्य होता है कि इतने व्यवस्थित तरीके से वे ये सब कैसे मैनेज करती हैं. मैं भी उन से सीख कर उन के जैसा बनना चाहती हूं. सच में मौम सिर्फ एक परफैक्ट वूमन

नहीं, बल्कि मेरी स्ट्रैंथ भी हैं और उन्हीं से मैं आयरन की तरह मजबूत बन जीवन जीने का व्यवस्थित तरीका भी सीख रही हूं,’’ यह कहना है 17 वर्षीया रिया का. फिटनैस से नो कंप्रोमाइज अगर औफिस पहुंचने की जल्दी के चक्कर में हैल्थ को इग्नोर किया तो आगे चल कर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए सुबह की सैर स्किप करने का तो सवाल ही नहीं उठता, भले ही सुबह आधा घंटा जल्दी क्यों न उठना पड़े.

ऐसा सिर्फ मां अकेले नहीं करतीं, बल्कि इस में परिवार के सभी सदस्यों को भी शामिल करना नहीं भूलती, क्योंकि वे जानती हैं कि फिटनैस सिर्फ उन के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए जरूरी है. सभी को समझाती भी हैं कि सुबह की फ्रैश हवा में घूमने से हम खुद को न सिर्फ बीमारियों से दूर रख सकते हैं, बल्कि पूरा दिन फ्रैश महसूस करते हुए चुस्ती से काम भी कर सकते हैं. मां यह बात अच्छी तरह जानती है कि परिवार की सेहत का ध्यान रखने के लिए उस का भी सेहतमंद रहना जरूरी है.

वर्किंग मदर्स खासतौर पर इस बात का खयाल रखती हैं. उन्हें पता है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को शरीर में आयरन, कैल्सियम इत्यादि की कमी से दोचार होना पड़ता है. ऐसे में वे अपनी डाइट के प्रति सजग हैं. चीजों का स्किप करना नहीं सीखा

कहावत है कि मां के पास जादू की छड़ी होती है जिस से वह हर मुश्किल आसान बना देती है. कुनाल ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि मम्मी की औफिस में मीटिंग और उसी दिन स्कूल में हमारी पार्टी होने के कारण मुझे घर से राइस ले जाने थे. मेड को भी उसी दिन छुट्टी करनी थी. पापा ने भी सुबह ही बताया कि आज उन का आलूमटर खाने का मन है. इतने सारे काम. फिर भी मेरी सुपर मौम ने किसी को रूठने नहीं दिया.

घर का कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा. फिर टाइम पर औफिस भी पहुंच गईं. ये सब हमें उन के शाम को घर लौटने पर पता चला. तब हमें लगा कि हमें भी अपनी स्वीट मौम के लिए कुछ करना चाहिए. तब मैं ने और पापा ने उन के लिए डिनर तैयार कर के उन्हें सरप्राइज दिया. ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं, बल्कि कई बार किया है. मैं उन्हें ऐसा करता देख कर इंस्पायर होता हूं. और उन की तरह बनना चाहता हूं.

खुद को रखती हैं हरदम टिपटौप

मां यह बात भली प्रकार समझती है कि उस की बेटी उसे अपनी स्ट्रैंथ के साथसाथ उसे अपना रोल मौडल भी मानती है. ऐसे में वह अपने अपीयरैंस से समझौता नहीं करती. अपनी मां के पर्सनल केयर रूटीन के बारे में कृति कहती हैं कि मौम हर समय किसी की भी एक आवाज पर हाजिर हो जाती हैं. पूरा दिन घर व औफिस के कामों में लगी रहती हैं. फिर भी खुद को टिपटौप रखती हैं. लेटैस्ट आउटफिट्स को कैरी करना नहीं भूलतीं. भले ही बाहर जाने का टाइम न भी मिले, फिर भी अपनी स्किन की केयर के लिए होममेड चीजें चेहरे पर प्रयोग करती रहती हैं ताकि स्किन हर उम्र में चमकतीदमकती रहे.

वे हमें भी त्वचा को जवां बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देती हैं. सिर्फ सलाह ही नहीं, बल्कि उन्हें जबरदस्ती करवाती भी हैं ताकि हम धीरेधीरे उसे अपने रूटीन में शामिल कर सकें. मैं जब भी अपनी मौम के साथ जाती हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है कि ये मेरी मौम हैं. उन की पर्सनैलिटी की हर कोई तारीफ करते नहीं थकता. परिवार की हर बात का खयाल मां को फैमिली की स्ट्रैंथ यों ही नहीं कहते, उस के पास परिवार के एकएक सदस्य की पसंदनापसंद का लेखाजोखा रहता है. कब और किसे क्या चाहिए, वह बिना बताए ही समझ जाती है.

आदर्श अपनी परीक्षा के दिन याद करते हुए बताता है कि पिछले हफ्ते मेरी परीक्षा थी. मैं ने देर रात तक पढ़ाई की. मम्मी को मेरी आदत के बारे में पता था कि मैं जल्दीजल्दी में अपना एडमिट कार्ड ले जाना भूल जाऊंगा, इसलिए उन्होंने पहले ही मेरे बैग में मेरा एडमिट कार्ड रख दिया था. जब परीक्षा केंद्र में मुझे याद आया तो मेरे होश उड़ गए. लेकिन ‘माई मौम इज ग्रेट’ यह सोच जब मैं ने अपना बैग चैक किया तो वह उस में था. यही नहीं जब भी पापा को जरूरी डौक्यूमैंट्स की जरूरत होती है, तो मम्मी ही उन्हें ढूंढ़ कर देती हैं. यानी हम उन के बिना अधूरे हैं.

बच्चों को बनाए वैल बिहैव्ड

मां को बच्चों के साथ समय बिताने का भले ही कम समय मिल पाता है, फिर भी वे अपने बच्चों को पूरी तरह वैल मैनर्ड बनाने की कोशिश करती हैं. किस तरह बड़ों के सामने पेश आते हैं, घर आए मेहमान को कैसे ऐंटरटेन करते हैं, अगर कोई आप के साथ बदतमीजी करता है तो कैसे प्यार से उसे अपनी गलती महसूस करवानी है, पेरैंट्स अगर कुछ कहें तो उलट कर जवाब नहीं देना है, हमेशा सब की मदद के लिए तैयार रहना है वगैरावगैरा सिखाती रहती हैं. मां से बेहतर भला यह बात कौन समझेगा कि बच्चे के लिए उस की पहली पाठशाला उस के मातापिता ही होते हैं. उन के बोलचाल के तरीके और व्यवहार पर पेरैंट्स की ही छाप होगी. मां यह सुनिश्चित करती है कि घर का कोई भी सदस्य बच्चों के सामने अनापशनाप बात या व्यवहार करे.

समझाए पढ़ाई का महत्त्व

मांएं ट्यूशन तक ही बच्चों की पढ़ाई को सीमित नहीं रखतीं, बल्कि खुद भी उन की पढ़ाई पर समय देती हैं ताकि वे उन की वीकनैस व स्ट्रैंथ को पहचान सकें. जहां भी उन्हें उन में कमजोरी नजर आती है उन्हें टीचर की तरह समझाने की कोशिश करती हैं ताकि उन का बच्चा अव्वल आ सके.

बच्चे के उज्जवल भविष्य की नींव रखने में मां की भूमिका को नकारा नहीं सकता. उस के प्रतिदिन के प्रयास का फल बच्चे के काबिल बन जाने पर ही मिलता है.

फैमिली संग क्वालिटी टाइम भी

वे घर में सभी के साथ क्वालिटी टाइम व्यतीत करने में विश्वास रखती हैं ताकि अगर थोड़ा सा समय भी साथ बिताने को मिले तो वह समय उन के लिए पूरे दिन का बैस्ट समय हो और परिवार का कोई भी सदस्य खुद को इग्नोर महसूस न करे. मां की भूमिका परिवार में धागे की तरह होती है जिस से परिवार का हर एक सदस्य मोतियों की तरह पिरोया हुआ रहता है. ऐसे में वह सुनिश्चित करती है कि दिन में भले कुछ समय के लिए ही, मगर परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठ कर कुछ पल जरूर बताएं.

फंक्शंस भी मिस नहीं करतीं आजकल की व्यस्त जीवनशैली अपनों, नातेरिश्तेदारों से मिलनेजुलने के मौके बहुत कम देती है. मां की जिम्मेदारी यहां और भी बढ़ जाती है क्योंकि जब वह खुद व्यस्त होने का बहाना बना कर गैटटुगैदर मिस करेगी तो बच्चे भी अपनों को जाननेसमझने से वंचित रह जाएंगे.

मां यह सुनिश्चित करती है कि पारिवारिक समारोहों में सपरिवार शामिल हो कर फैमिली बौंडिंग को और मजबूत बनाया जाए. इस बारे में श्रेया कहती है कि मैं थकी हुई हूं या फिर मेरे पास ढेरों काम हैं, कह कर मेरी मौम ने कभी फैमिली फंक्शंस मिस करने का बहाना नहीं बनाया, बल्कि हर फंक्शन अटैंड करती हैं. यही नहीं, घर आए मेहमानों की भी खुशीखुशी आवभगत करती हैं. वे हमें भी यही सिखाती हैं कि रिश्तों, परिवार का महत्त्व समझो, क्योंकि एकजुट परिवार में जो ताकत होती है वह अलगथलग रहने में नहीं.

सिखाती है टाइम मैनेजमैंट समय का सही प्रबंधन

किस तरह करना है, यह तो कोई मां से सीखे. अपना अनुभव शेयर करते हुए राज का कहना है कि मैं अपने पेरैंट्स का सिंगल चाइल्ड हूं, जिस कारण मुझे अपने पेरैंट्स से ऐक्स्ट्रा केयर मिलती है. मेरे मौमडैड दोनों वर्किंग हैं. इस के बावजूद मेरी मौम ने घर में पूरा अनुशासन बना कर रखा है. मैं जब भी कोई गलती करता हूं तो वे मुझे आंखों से इशारा कर अपनी नाराजगी बता देती हैं, जिस से मैं उस काम को दोबारा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. मेरी मौम चीजों को बहुत अच्छी तरह मैनेज करना जानती हैं. उन्हीं से मैं ने टाइम मैनेजमैंट सीखा है. मैं तो यही कहूंगा कि अब तक मैं ने जो अचीव किया है सिर्फ अपनी मां के कारण.

बोल्ड बनाती है मां

जिस तरह मां हर परिस्थिति का सामना डट कर करती है उसी तरह बच्चों को भी हर हालात से लड़ना सिखाती है. अनुभव बताते हैं कि जब मेरी मां की ऐंजौय करने की उम्र थी तब हमारे पापा का देहांत हो गया. ऐसी स्थिति में मां ने खुद को संभालते हुए हमें कभी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी. उन्होंने जौब कर के हमारी हर जरूरत को पूरा किया.

वे हमें भी बोल्ड बनाने की कोशिश करती रहती हैं. वे अंदर से भले ही टूट गई थीं, लेकिन हमारे सामने कभी आंखों से आंसू नहीं आने दिए. उन का संघर्ष और मेहनत देख मेरे मुंह से उन के लिए तारीफ के शब्द निकलने रुकते नहीं हैं. मैं अपनी मौम से बस यही कहूंगा कि आप को दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करूंगा.

सरप्राइज: मां और बेटी की अनोखी कहानी- भाग 3

उधर पलभर के लिए सन्नाटा छाया तो तनुजा ने कहा, ‘‘अरे बेटा, सौरी, प्लीज रिनी को मत बताना कि मेरे मुंह से ये सब निकल गया है. उस ने मुझे धमकी दी है कि अगर मैं ने अपना मुंह खोला तो वह हम मांबेटे पर झूठा केस कर के फंसवा देगी.’’

अरुण को जैसे धक्का लगा था, ‘‘आंटी, रिनी के मेरी तरह और दोस्त भी हैं?’’

‘‘नहीं बेटा, मुझे कुछ नहीं पता,’’ घबराने की ऐक्टिंग करते हुए कह कर तनुजा ने फोन रख कर गहरी सांस ली.

पलभर बाद ही अरुण का फिर फोन आ गया, ‘‘आंटी, आप मुझे इन लोगों के फोन नंबर दे सकती हैं?’’

‘‘नहीं बेटा, मुझे नहीं पता.’’

‘‘ठीक है आंटी, आप मेरा नंबर लिख लें. जब भी इन में से कोई आए आप प्लीज मुझे फोन पर बता देना… मेरी रिक्वैस्ट है आप से. अब मेरी समझ में आ रहा है कि क्या हो रहा है. आप मेरे हैल्प करें आंटी, मैं आप की हैल्प करूंगा.’’

‘‘ठीक है बेटा, तुम तो मेरे बेटे की तरह हो.’’

2 दिन बाद ही यश आया था. दोनों ‘बार्बेक्यूनेशन’ डिनर के लिए जा रहे हैं, तनुजा ने सुन लिया. उन्होंने अरुण को फोन पर बता दिया. यह भी कहा, ‘‘बस बेटा, मेरा नाम न लेना. यह लड़की हमें फंसा देगी.’’

‘‘नहीं आंटी, आप चिंता न करें, थैक्स.’’

‘बार्बेक्यूनेशन’ में जो हुआ उस की तो रिनी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. अरुण ने रिनी और यश को वहां ऐसा लताड़ा कि रिनी के मुंह से बोल न फूटा. यश की आंखों से भी परदा हट गया था. अरुण और यश ने मिल कर रिनी को ऐसीऐसी गालियां दीं कि म्यूजिक तेज था, इसलिए तमाशा नहीं बना वरना वह लोगों की नजरों का सामना ही न कर पाती. वह तो वहां से भाग ही गई. उस के बाद अरुण और यश जो मिले तो पहली बार थे पर रिनी से मिले धोखे का, बेवकूफ  बनने का जो दुख था, दोनों ने जबदरदस्त डिनर कर शेयर किया.

रिनी घर पहुंची तो उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं, जिसे देख कर तनुजा के

दिल को कुछ सुकून मिला, तसल्ली हुई. अंदाजा लगाया कि कुछ तो हुआ है. रिनी ने न कुछ खायापीया, न कोई बात की, बस, अपने कमरे में पड़ी रही.

तनुजा ने अपना मोबाइल नंबर अरुण को दे दिया था. देर रात उस ने फोन किया. कहा, ‘‘आंटी, थैक्यू वैरी मच. आज यश और मेरे सामने रिनी की पोल खुल गई. वह वहां से भाग ही गई और हां आंटी, यश और मेरी दोस्ती भी हो गई. आंटी, लड़के ऐसा करते हैं तो कितना तमाशा होता है… यहां एक विवाहित लड़की 4-4 लड़कों को मूर्ख बना रही थी. उस के नाटकों का अंत अभी हुआ नहीं है… मेरी यश से बात हो गई है… हम उसे सबक सिखा कर रहेंगे, आप का पीछा छुड़वाएंगे.’’

‘‘जीते रहो, बेटा.’’

‘‘अभी बहुत कुछ बाकी है. बस, ईशान और अनिल का पता चल जाए तो आगे काम करें.’’

‘‘अनिल अकसर जिम में रिनी के साथ ही वर्कआउट करता है और ईशान का साडि़यों का कोई शोरूम है, शायद ‘नारी’ नाम है.’’

‘‘आंटी, बस हो गया काम.’’

‘‘हां बातों में मैं ने इतना सुना है.’’

‘‘बस, अब हम ढूंढ़ लेंगे.’’

अरुण और यश ने दोनों का पता लगा ही लिया. इतना भी मुश्किल नहीं था. चारों जब साथ बैठे तो रिनी की असलियत जान कर पहले तो हैरान हुए, फिर गुस्सा हुए और फिर हंसने लगे. ईशान ने कहा, ‘‘यार, बदनाम हम हैं और ये लड़कियां क्या कम हैं? कितनी साडि़यां ले गई मुझ से और पहनी तुम लोगों के सामने.’’

चारों अब एकदूसरे के साथ हंसीमजाक कर रहे थे.

अनिल बोला, ‘‘मैं तो जिम में वर्कआउट करतेकरते फंस गया, यार सिर्फ शरीर की नहीं, दुष्ट लड़की ने पैसों की भी अच्छी ऐक्सरसाइज करवा दी.’’

अरुण ने कहा, ‘‘ऐसी लड़की को इतनी आसानी से हम भी नहीं छोड़ेंगे. भला हो उन आंटी का जिन्होंने हमें सब सच बता दिया.

चलो, अगर 5वां मूर्ख नहीं मिला होगा तो इस समय घर पर ही होगी. चल कर उस का थोड़ा इलाज कर आते हैं. तभी चैन मिलेगा. आंटी तो हमारा ही साथ देंगी. बेचारे मांबेटा बुरे फंसे. चलो, उन्होंने हमारी आंखें खोलीं. हम भी उन की हैल्प कर आते हैं,’’ और फिर चारों हंसते हुए खड़े हो गए.

दरवाजा तनुजा ने ही खोला, रिनी तो अपने बैडरूम में थी. तनुजा मुसकराते हुए फुसफुसाई, ‘‘तुम सब को ढेर सा धन्यवाद.’’

अरुण भी फुसफुसाया, ‘‘आप को भी धन्यवाद आंटी. आप ने हमें और मूर्ख बनने से बचा लिया… कहां है मैडम?’’ तनुजा ने बैडरूम की तरफ इशारा कर दिया.

ईशान ने कहा, ‘‘अब आप चुप रहना आंटी. आज हम आप की परेशानी भी खत्म करते हैं. बस, अब आप देखना.’’

अनिल जोर से चिल्लाया, ‘‘कहां है धोखेबाज लड़की?’’ रिनी ने अंदर सुना तो बदहवास सी बाहर आई. चारों लड़कों को साथ खड़ा देख उस की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. कांपते स्वर में बोली, ‘‘क्या है? यहां क्यों आए सब?’’

‘‘तुम लड़कों को धोखा देती हो, पैसे लूटती हो, सास को धमकी देती हो, हम सब तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट करने पुलिस स्टेशन जा रहे हैं.’’

रिनी पुलिस के नाम से घबरा गई. फिर तनुजा की तरफ देख कर बोली, ‘‘सौरी, प्लीज हैल्प मी.’’

यश चिल्ला रहा था, ‘‘तुम्हारी पोल हम खोल कर रहेंगे. हम सब के पास तुम्हारे साथ खिंचे बहुत फोटो हैं… मैरिड होते हुए 4-4 बौयफ्रैंड्स को बेवकूफ बना रखा था. मैं तो न्यूजपेपर में छपवाऊंगा तुम्हारे कारनामे.’’

रिनी सचमुच घबरा रही थी. तनुजा को बोलने का यही सही समय लगा. कहा, ‘‘चलो बच्चो, मुझे भी इस के खिलाफ रिपोर्ट करनी है… धमकियां दे दे कर इस ने हमें बहुत परेशान किया है… अब तो तुम लोग भी गवाह हो, चलो, पुलिस स्टेशन चलते हैं.’’

रिनी ने धीरे से कहा, ‘‘प्लीज, आई एम सौरी.’’

तनुजा ने कहा, ‘‘एक ही शर्त है कि इसी समय इस घर से दफा हो जाओ. अजय आए तो तलाक के पेपर आराम से साइन कर देना नहीं तो तुम अब बच नहीं पाओगी. तुम्हें केस करने का बहुत शौक था न? मैं करूं अब केस? ये सब गवाही देंगे.’’

‘‘ठीक है, मैं कल ही चली जाऊंगी.’’

‘‘नहीं, अभी जाओ,’’ चारों लड़के घूरते हुए रिनी की हालत पस्त कर रहे थे.

रिनी ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं अपना सामान ले लूं.’’

‘‘कोई सामान नहीं ले जाओगी,’’ तनुजा ने कठोर स्वर में कहा, ‘‘बस, अब जाओ.’’

रिनी अंदर गई अपना पर्स और एक बैग में जल्दी से अपने कपड़े डाल कर बाहर आई.

तनुजा ने लड़कों से कहा, ‘‘तुम भी जाओ बच्चो… भविष्य में तुम लोगों की जरूरत होगी तो फोन करूंगी.’’

‘‘हां आंटी, यह जरा भी परेशान करे तो हमें जरूर बताना. हमारे पास इस के खिलाफ बहुत सुबूत हैं.’’

रिनी सिर झुकाए चली गई. लड़के भी चले गए. तनुजा सोफे पर बैठ गईं. चैन की सांस ली. सब एक सपना सा लग रहा था. कितने दिनों से वे किस मानसिक यंत्रणा में जी रही थीं, यह वही जानती थीं.

अजय को तनुजा ने फोन पर ये सब नहीं बताया. विदेश गए बेटे को वे किसी भी तरह का तनाव नहीं देना चाहती थीं.

जब अजय लौटा तो घर में रिनी को न देख तनुजा से पूछा तो उन्होंने पूरी बात बेटे को बताई. सुन कर वह तो मां का मुंह ही देखता रह गया. फिर दोनों खूब जोरजोर से हंस पड़े और एकदूसरे के गले लग गए.

अजय ने कहा, ‘‘मां, बड़ा कमाल किया. इतनी बड़ी मुसीबत से इतनी जल्दी छुटकारा मिल गया, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है.’’

‘‘बेटे की मुसीबत दूर करने के लिए थोड़ा नाटक किया, जो सफल रहा. ये सब जरूरी था. मेरी कोशिश यही थी कि मैं तुम्हें तुम्हारे लौटने पर यह सरप्राइज दे सकूं? कैसा रहा सरप्राइज?’’

‘‘शानदार,’’ अजय ने मां के गले लगते हुए कहा, ‘‘थैंक्यू, मां.’’

सरप्राइज: मां और बेटी की अनोखी कहानी- भाग 2

अजय से असलियत ज्यादा दिन छिपी न रह सकी. एक दिन अजय को उस का सहयोगी हार्दिक जबरदस्ती लंच के लिए बाहर ले गया. रेस्तरां में जाते ही उस ने एक कोने में किसी लड़के के साथ बैठी रिनी को देख लिया, हार्दिक ने भी देख लिया था, हार्दिक अजय का बहुत अच्छा दोस्त था. थोड़ी दूर एक कोने में बैठ कर अजय ने रिनी को फोन किया.

रिनी ने फोन उठाया.

‘‘रिनी, कहां हो?’’

‘‘एक फ्रैंड के घर.’’

‘‘घर कब तक आओगी?’’

‘‘देखती हूं.’’

फोन पर बात करते हुए अजय रिनी की टेबल पर जा कर खड़ा हो गया. उस का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.

रिनी ने बेशर्मी से कहा, ‘‘अच्छा तो मेरी जासूसी हो रही है? तुम्हारी मां ने भेजा होगा?’’

‘‘शटअप.’’

‘‘इस से मिलो, यह है मेरा खास दोस्त, यश.’’

अजय ने कुछ कहने के लिए जैसी ही मुंह खोला, रिनी ने चेतावनी दी, ‘‘यहां तमाशा खड़ा कर के अपना ही नुकसान करोगे अजय.’’

अजय ने माहौल पर नजर डाली, लंचटाइम था, रेस्तरां पूरा भर चुका था.

‘‘मैं तुम से घर पर बात करूंगा, उठो, चलो.’’

‘‘नहीं मैं तो अभी लंच कर रही हूं. शाम को मिलते हैं.’’

रिनी की बेहयाई देख अजय का गुस्सा काबू के बाहर हो रहा था. हार्दिक उस का हाथ पकड़ उसे रेस्तरां से बाहर ले गया. पास के ही किसी और रेस्तरां में बैठ कर हार्दिक ने कहा, ‘‘जो हुआ, बुरा हुआ. ठंडे दिमाग से काम लेना, अजय. रिनी के तेवर मुझे ठीक नहीं लग रहे.’’

अजय फिर औफिस नहीं गया. सीधा घर आ गया. हार्दिक को ही उस ने

अपना सामान संभालने के लिए बोल दिया.

बेटे को असमय आए देख तनुजा चौंकी. अजय ने पूरी बात मां को बता दी. दोनों सिर पकड़ कर बैठे रह गए. रिनी घर में घुसी. मजाक उड़ाते हुए बोली, ‘‘मांबेटे ने पंचायत कर ली?’’

अजय दहाड़ उठा, ‘‘निकल जाओ यहां से.’’

पर्स सोफे पर पटकते हुए आराम से पसर गई रिनी, ‘‘कौन निकालेगा मुझे?’’ ज्यादा होशियारी की तो मांबेटे को ऐसी चक्की पिसवाऊंगी कि दोनों बाहर आने के लिए तरस जाओगे. मेरी लाइफ में दखलंदाजी न करना ही तुम दोनों के लिए अच्छा रहेगा.’’

‘‘तुम ने मुझ से शादी क्यों की थी? कोई जोरजबरदस्ती तो थी नहीं.’’

‘‘हां, मुझे कौन मजबूर कर सकता है. पति का नाम चाहिए था, घरपैसा चाहिए था, नौकरी करने का मुझे शौक नहीं… मेरे नखरे उठाने के लिए इतने बेवकूफ घूमते हैं. मैं बस ऐंजौय करती हूं,’’ फिर गुनगुनाते हुए अपने बैडरूम में चली गई.

तनुजा को बेटे पर बड़ा तरस आया. क्या करें… वे दोनों तो फंस गए थे. सारे अरमान चूरचूर हो गए थे. अजय ने रिनी से बात करना ही बंद कर दिया. इस के 10 दिन बाद ही अजय को 15 दिनों के लिए सिंगापुर जाना पड़ा. उस का तो वैसे ही आजकल दम घुट रहा था. सोचा, टूर पर रह कर आराम से सोचूंगा कि क्या किया जाए. मां को ढेर सारी हिदायतें दे कर अजय चला गया. रिनी की जैसे लौटरी निकल आई.

रातदिन तनुजा की आंखों के आगे बेटे का उदास चेहरा घूमता रहता. फोन

पर उस की गंभीर, उदास आवाज पर दिल रो उठता.

नहीं, ऐसे तो नहीं चलेगा. वह अपने बेटे का जीवन यों खराब होते नहीं देख सकती. रिनी के मातापिता से बात करनी चाहिए, इस से पहले उन से बहुत कम ही बात होती थी. उन के बात करने का ढंग तनुजा को कभी पसंद तो नहीं आया था पर अभी मजबूरी थी शायद कोई रास्ता निकले, यह सोच कर तनुजा ने रिनी की मम्मी दीप्ति को सब बता कर अपनी परेशानी का कोई हल बताने के लिए कहा तो तनुजा को हैरत का एक तेज झटका लगा जब दीप्ति ने कहा, ‘‘हमारी बेटी ऐसी ही है. एक के साथ बंधना उस का स्वभाव ही नहीं और हम पतिपत्नी तो बहुत बिजी रहते हैं… हमारा तो बड़ी मुश्किल से रिनी से पीछा छूटा है… आप जानें वह जानें. हां यह बात तो है कि कानून उस की ही सुनेगा इसलिए आप मांबेटा अपना मुंह बंद ही रखो तो अच्छा होगा.’’

इस चेतावनी के बाद फोन रख कर तनुजा सिर पकड़े बैठी रह गईं. समझ गईं उस के मातापिता ने अपनी बला उन के सिर टाल दी है.

दिनरात सोचने के बाद रातदिन रिनी की हरकतें देख तनुजा के मन में कई योजनाएं आ ही गईं, जिन पर अमल करने के लिए वे मन ही मन तैयार हो गईं. वे अपने बेटे के जीवन से यह धोखा देने वाली, झूठे इलजाम लगाने की धमकी देने वाली लड़की को भगा कर रहेंगी. यश, अरुण, ईशान और अनिल… में से एक समय पर एक ही आता था, रिनी के लिए ये सब गिफ्ट्स लाते, उसे बाहर घुमाने ले जाते, रिनी इन लड़कों को खूब मूर्ख बनाती है, समझ गई थीं तनुजा.

एक दिन तनुजा ने फोन पर सुन लिया कि ईशान रिनी को लेने 3 बजे नीचे आएगा. तनुजा जान गई थीं कि रिनी को टाइम पर तैयार रहने की आदत नहीं है. वह लेट करती है.

अपनी योजना को रूप देने के लिए मार्केट से घर के सामान का भारी बैग लाते हुए नीचे ही ईशान को मिल गईं, तनुजा को यह लड़का हमेशा कुछ भला सा लगता था. उन्हें देखते ही उस ने बाइक खड़ी की और पास आ कर बोला, ‘‘अरे आंटी, आप इतना सामान अकेले ला रही हैं?’’

‘‘और कौन लाएगा, बेटा? पिछली बार तो सब अनिल ले आया था… अब वह काफी दिन से आया नहीं. खैर, थैंक्स, बेटा.’’

‘‘कौन अनिल आंटी?’’

‘‘अनिल को नहीं जानते? जैसे रिनी के पास तुम आते हो, जैसे तुम दोस्त हो, वैसे ही अनिल, यश और अरुण भी तो हैं.’’

‘‘मैं समझा नहीं आंटी… ये लोग कौन हैं?’’

‘‘नहीं बेटा, सौरी, मेरे मुंह से निकल गया. प्लीज रिनी को मत बताना, उस ने कहा है कि मैं ने उस की कोई भी हरकत किसी को बताई तो वह मांबेटे को झूठे इलजाम में फंसा कर जेल भेज देगी.’’

ईशान सचमुच शरीफ  ही था. उसे तो रिनी ने अपने प्यार की दुहाई दे कर फंसाया था. उस के मन में पहले ही एक विवाहित लड़की से संबंध रखने का अपराधबोध था. युवा था, गलती कर बैठा था, रिनी के रूपजाल में फंस गया था पर अब एक सभ्य, संभ्रांत महिला के मुंह से जो भी सुना, धक्का लगा.

तभी रिनी नीचे उतर आई. माथे पर त्योरियां डाल कर तनुजा से पूछा, ‘‘आप यहां क्या कर रही हैं?’’

‘‘कुछ नहीं, घर का सामान लेने गई थी,’’ रिनी ईशान की बाइक पर बैठ कर बेशर्मी से बिना बात किए हंसती हुई चली गई. तनुजा ने नोट किया कि ईशान का चेहरा गंभीर है.

तनुजा ने फोन पर तो सुना था कि रिनी ईशान के साथ मूवी जाएगी पर 1 घंटे में ही रिनी पैर पटकते हुए वापस आई और सीधे अपने बैडरूम में चली गई. शायद ईशान पर तनुजा के कहे की कुछ प्रतिक्रिया हुई है, यह सोच कर तनुजा को बड़ी आशा बंधी कि वह कोशिश करेगी तो अपनी योजना में जरूर सफल होगी.

एक दिन अरुण ने घर के लैंडलाइन पर फोन कर दिया. फोन ये लड़क अकसर करते

रहते थे, कभी भी. रिनी देर तक सो रही होती थी और उस का फोन बंद होता था तो भी अकसर कोई न कोई लैंडलाइन पर फोन कर लेता था. तनुजा अब ऐसे ही किसी मौके की तलाश में थी.

अरुण ने संकोचपूर्वक पूछा, ‘‘आंटी, रिनी कहां है?’’ फोन नहीं उठा रही है.

तनुजा अलर्ट हुईं. कहा, ‘‘बेटा, यश, अनिल या ईशान के साथ ही होगी.’’

‘‘ये लोग कौन हैं, आंटी? आप के रिश्तेदार हैं?’’

‘‘न… न… बेटा, जैसे तुम हो, ऐसे ही लोग हैं… उस की दोस्ती तो कई लोगों से है न, बेटा.’’

आगे पढ़ें- सच जानने के बाद क्या था अरूण का फैसला

सरप्राइज: मां और बेटी की अनोखी कहानी- भाग 1

अजयटूर पर जाने से पहले पास खड़ी अपनी मां तनुजा को गंभीर देख मुसकराते हुए बोला, ‘‘अरे मां, 1 हफ्ते के लिए ही तो जा रहा हूं, आप क्यों मेरे हर बार जाने पर इतना चुप, उदास हो जाती हैं?’’

तनुजा ने फीकी हंसी हंस कर पास खड़ी अजय की पत्नी रिनी को देखा जो उन्हें घूरघूर कर देख रही थी.

अजय ने फिर कहा, ‘‘मां, रिनी को देखो, इस ने कितनी जल्दी मेरी टूरिंग जौब से एडजस्ट कर लिया है,’’ फिर तनुजा के गले में प्यार से बाहें डाल दीं. कहा, ‘‘टेक केयर, मां. शनिवार को सुबह आ ही जाऊंगा. बाय रिनी, तुम दोनों अपनाअपना ध्यान रखना.’’

अजय चला गया, घर का दरवाजा बंद कर रिनी ने फौरन अपने नाइट सूट की जेब में रखा अपना मोबाइल निकाला और कोई नंबर मिलाया और फिर अपने बैडरूम की तरफ चली गई. तनुजा वहीं सोफे पर बैठ गईं. रिनी ने भले ही अपने बैडरूम का दरवाजा बंद कर लिया था पर वह इतनी धीरे नहीं बोल रही थी कि तनुजा को सुनाई न पड़े. टू बैडरूम फ्लैट में रिनी दरवाजा बंद कर के कितना भी यह सोचे कि वह अकेले में बात कर रही है पर आवाज तनुजा के कानों तक पहुंच ही जाती है हमेशा. इस का रिनी को अंदाजा ही नहीं है.

तनुजा ने सुन लिया कि अब रिनी अपने बौयफ्रैंड यश के साथ मूवी और लंच के लिए जा रही है. आधे घंटे के अंदर रिनी सजीधजी पर्स उठा कर बाहर निकल गई, तनुजा से एक शब्द भी बिना बोले. तनाव से तनुजा का सिर भारी होने लगा. बैठीबैठी सोचने लगीं कि मांबेटे के जीवन पर यह लड़की ग्रहण बन कर कहां से आ गई. अजय ने जब तनुजा को रिनी के बारे में बताया था तो तनुजा को खुशी ही हुई थी. उन के मेहनती, सरल से बेटे के जीवन में आई इस लड़की का तनुजा ने दिल खोल कर स्वागत किया था.

इस घर में 2 ही तो जने थे, मांबेटा. अजय के पिता तो एक सड़क दुर्घटना में सालों

पहले इस दुनिया से जा चुके थे. रिनी को उन्होंने खूब लाड़प्यार से बहू स्वीकारा था. उस के मातापिता भी इसी शहर में थे. दोनों कामकाजी थे. रिनी अकेली संतान थी. तनुजा मौडर्न, सुशिक्षित महिला  थीं. वे काफी साल अध्यापन में व्यस्त रही थीं.

आज तनुजा बैठ कर पिछले साथ की घटनाओं पर फिर एक बार नजर डाल रही थीं. विवाह के बाद कुछ दिन तो सामान्य ही बीते थे पर रिनी का रवैया उन्हें तब खटकने लगा था जब अजय के टूर पर जाते ही रिनी का कोई न कोई दोस्त घर जा जाता था. लड़कियां तो कभीकभार इक्कादुक्का ही आती थीं, लड़के कई आते थे. तनुजा पुराने विचारों की भी नहीं थीं कि लड़कीलड़के की दोस्ती को गलत ही समझे पर यहां कुछ तो था जो उन्हें खटक रहा था. यही यश एक दिन आया था. उन्हें हैलो आंटी कहता हुआ सीधे रिनी के बैडरूम में चला गया था. तनुजा को बहुत गुस्सा आया था कि यह कौन सा तरीका है. तनुजा ने रिनी को आवाज दी तो यश ने बैडरूम के बाहर आ कर कहा, ‘‘आंटी, रिनी के सिर में दर्द है, वह आराम कर रही है.’’

तनुजा ने पूछ लिया, ‘‘तुम क्या कर रहेझ्र हो फिर?’’

‘‘उस के पास बैठा हूं, रिनी ने ही मुझे फोन पर बुलाया है,’’ कह कर यश ने बैडरूम का दरवाजा बंद कर लिया.

तनुजा के तनमन में अपमान व क्रोध की एक ज्वाला सी उठी. उन का मन हुआ कि रिनी के बैडरूम का दरवाजा भड़भड़ा कर खुलवा दें और यश को घर के बाहर कर दें पर ऐसा कुछ करने की नौबत ही नहीं आई.

रिनी ही स्लीवलैस पारदर्शी गाउन में उन के सामने पैर पटकते हुए खड़ी हो गई, ‘‘आप आज यह बात साफसाफ जान ही लें कि मैं अपनी मरजी से जीने वाली लड़की हूं, मैं किसी से नहीं डरती. और हां, अपने बेटे से मेरी शिकायत करने के लिए मुंह खोला तो अंजाम क्या होगा, इस की कल्पना भी आप नहीं कर सकतीं.’’

तनुजा ने डांट कर पूछा, ‘‘क्या कर लोगी? बेशर्म लड़की.’’

‘‘आप और आप के बेटे के खिलाफ पुलिस स्टेशन जा कर शिकायत कर दूंगी… मारपिटाई और दहेज का केस कर मांबेटे को जेल में डलवा दूंगी… जानती हैं न कानून आजकल लड़की की पहले सुनता है.’’

तनुजा पसीने से नहा गईं कि यह बित्ती सी लड़की उन्हें धमकी दे रही है. उफ, हम कहां फंस गए? मेरे शरीफ बेटे के जीवन में यह लड़की कहां से आ गई. थोड़ी देर बाद रिनी यश के साथ बाहर चली गई.

और एक अकेला यश ही नहीं, अरुण, ईशान और अनिल भी रिनी के पास आतेजाते रहते थे. तनुजा के रातदिन तो आजकल इसी चिंता में बीत रहे थे कि किस तरह बेटे को इस से छुटकारा मिले. उन्होंने एक दिन रिनी से कहा, ‘‘तुम अजय के जीवन से चली क्यों नहीं जाती? इन्हीं में से एक के साथ रहना.’’

रिनी ने टका सा जवाब दिया, ‘‘नहीं, रहूंगी तो यहीं, मैं एक के साथ बंध कर नहीं रह सकती.’’

‘‘तो फिर अजय से विवाह क्यों किया?’’

‘‘मम्मीपापा मुझ से परेशान थे. कहते थे शादी कर यहां से जाओ. यहां सिर्फ आप थीं. बंधना मेरा स्वभाव ही नहीं. अच्छा होगा, आप मुंह बंद रखें और जैसे मुझे जीना है, जीने दें. इसी में मांबेटे की भलाई है.’’

टूर पर अजय रोज तनुजा से बात करता था, रिनी से भी संपर्क में रहता था.

तनुजा रिनी के अभिनय पर हैरान रह जाती थी.

अजय टूर से आया तो शनिवार, रविवार दोनों दिन रिनी आदर्श पत्नी की तरह अजय के आगेपीछे घूमती रही, उस की पसंद की चीजें बनाती रही. तनुजा को गंभीर देख अजय ने हंस कर पूछा, ‘‘क्यों मां, मेरे पीछे सासबहू में झगड़ा हुआ क्या?’’

रिनी फौरन बोली, ‘‘हम सासबहू हैं ही नहीं, हम तो मांबेटी हैं.’’

तनुजा चुप रहीं. कई बार मन में आया कि अजय को सब सचसच बता दें… रिनी के चरित्र की पोलपट्टी खोल कर रख दें पर रिनी ने कानून की धमकी दी थी और वे जानती थीं कि मांबेटा दोनों परेशानी में पड़ सकते हैं. आजकल वे रातदिन यही सोच रही थीं कि कैसे इस बेलगाम लड़की से छुटकारा मिले.

आगे पढ़ें- क्या अजय को पता चली रिनी की सच्चाई?

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें