तेजी से वजन कम करना है खतरनाक

मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए वजन कम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए लोग सब कुछ करने को तैयार होते हैं. वो एक्सरसाइज करते हैं, डाइटिंग करते हैं, दवाइयां लेते हैं, पर कई बार उन्हें इसका परिणाम मन मुताबिक नहीं मिलता. वजन जल्दी कम करने की इस जद्दोजहत में लोग कई गलत तरीके अपना बैठते हैं और उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर होता है.

आइए जाने कि जल्दी वजन कम करने के लालच में सेहत का क्या नुकसान होता है.

डिहाइड्रेशन

quick weight loss is dangerous to health

वेटलौस की कई डाइट्स से शरीर में डिहाइड्रेशन होता है. शरीर में पानी की कमी होने से कब्ज, सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और एनर्जी की कमी होने लगती है. साथ ही स्किन भी अधिक ड्राई हो जाती है.

ये भी पढ़ें : शादी से पहले कौंट्रासैप्टिव पिल लें या नहीं

शरीर में न्यूट्रिशन की कमी

वजन कम करने के लिए लोग अक्सर कैलोरी फ्री डाइट लेने लगते हैं, जिसका असर होता है कि उनके शरीर से न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है. जैसे कि कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट नहीं होता है, जो शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी होता है. यही कारण है कि जिन लोगों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट की कमी होती है, उन लोगों को जल्दी थकान महसूस होने लगती है. साथ ही ऐसे लोगों का मूड भी तेजी से स्विंग होता है. कई लोगों में खून की कमी भी हो जाती है.

दिमाग के लिए होता है बुरा

वेट लौस से शरीर के साथ साथ मानसिक सेहत भी बुरी तरह से प्रभावित होती है.  डाइट के बिगड़ने और शरीर में न्यूट्रिशन की कमी होने से कई प्रकार की मानसिक समस्याएं होने लगती हैं.

मेटाबौलिज्म के लिए सही नहीं

मोटापे से परेशान लोग वजन कम करने के चक्कर में अक्सर भूल जाते हैं कि वजन कम करने से मेटाबौलिज्म पर बुरा असर होता है. डाइट में कैलोरी की कमी होने से मेटाबॉलिज्म के काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है. बता दें, मेटाबौलिज्म के सही ढंग से काम ना करने की वजह से वजन कम होने के बजाए बढ़ने लगता है.

ये भी पढ़ें : पीरियड्स में पर्सनल हाइजीन का रखें ख्याल

मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं

वजन कम करने वाली डाइट से कई बार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. लंबे समय तक इस डाइट का सेवन मांसपेशियों के लिए अच्छा नहीं होता.

पीरियड्स में पर्सनल हाइजीन का रखें ख्याल

भारत में सिर्फ 12% महिलाएं ही पर्सनल हाइजीन यानी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं जो काफी चौंकाने वाला आंकड़ा है, क्योंकि अगर इस पर्सनल हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं तो यह हमें ढेरों बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. यहां तक कि हम यूटीआई, कैंसर जैसी घातक बीमारियों के भी शिकार हो जाते हैं.

‘द नैशनल हैल्थ मिशन औफ द मिनिस्ट्री औफ हैल्थ ऐंड फैमिली वैलफेयर औफ इंडिया’ स्वच्छ भारत अभियान के साथ मिल कर मैंस्ट्रुअल हाइजीन व सैनिटरी पैड्स के प्रति अवेयरनैस बढ़ाने का काम कर रहा है. आप को बता दें कि देश लंबे समय से प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है, जिस में प्लास्टिक पौल्यूशन चरम पर है और इस में सैनिटरी पैड्स का अहम रोल है, क्योंकि भारत में हर साल 11,300 टन प्लास्टिक बरबाद होता है. प्लास्टिक नौनबायोडिग्रेडेबल की श्रेणी में आता है. ऐसे में जरूरत है पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने वाले और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करने की.

ये भी पढ़ें : जानिए ज्यादा खाने पर भी क्यों नहीं मोटी होती हैं आप

पर्सनल हाईजीन से समझौता नहीं

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं माहवारी के समय सैनिटरी पैड्स की जगह कपड़ा, न्यूजपेपर, पत्ते, रेत या फिर राख का इस्तेमाल करती हैं, जिस से उन्हें इन्फैक्शन के साथसाथ गर्भाशय कैंसर तक हो सकता है. इसीलिए सरकार अब सस्ते पैड्स बना रही है ताकि माहवारी के दौरान हर महिला को कपड़े आदि के प्रयोग से छुटकारा मिले और वह सुरक्षित सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करे.

क्या होते हैं ईको फ्रैंडली पैड्स

वैसे तो आप को मार्केट में सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा पैड मिल जाएगा, लेकिन फर्क सिर्फ यह है कि जो सिंथैटिक पैड्स होते हैं उन में 90% प्लास्टिक, पौलिमर्स, परफ्यूम व कई कैमिकल होते हैं जो महिला की संवेदनशील त्वचा के लिए हानिकारक साबित होते हैं, जबकि ईको फ्रैंडली सैनिटरी पैड्स विभिन्न नैचुरल बायोडिग्रेडेबल पदार्थों से बनते हैं, जो पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इन की सोखने की क्षमता भी काफी ज्यादा होती है. बहुत ही सौफ्ट होने के कारण ये महिला की वैजाइना की सैंसिटिव त्वचा के लिए पूरी तरह सेफ हैं.

अब समय आ गया है ऐसे सैनिटरी नैपकिन को इस्तेमाल करने का जो उन दिनों में आप की पर्सनल हाइजीन का खयाल रखने के साथसाथ पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए.

ये भी पढ़ें : इन छोटे संकेतों से पहचाने दिल की बीमारी का खतरा

बायोडिग्रेडेबल पैड्स

ये पैड्स प्राकृतिक पौधों के फाइबर से बने होते हैं. ये डिस्पोजल के 6 महीनों से 2 साल के बीच में गल जाते हैं, जो पर्यावरण के लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है.

रीयूजेबल पैड्स

इन पैड्स को आप धो कर भी कई बार यूज कर सकती हैं. ये हाइजीनिक होने के साथसाथ स्किन पर भी किसी तरह की जलन व रैशेज नहीं होने देते.

अगर आप सफर पर जा रही हैं तो अब परेशान न हों कि सैनिटरी पैड्स को फेंकने के लिए पौलिथीन बैग्स या टिशू पेपर भी कैरी करना पड़ेगा, क्योंकि अब मार्केट में ऐसे पैड्स बनने लगे हैं जो डिस्पोजल बैग के साथ आते हैं ताकि आप पैड को यूज कर के आसानी से उस में फेंक सकें. ये बैग्स पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं.

माहवारी कोई समस्या नहीं है, बल्कि एक सामान्य शारीरिक क्रिया है. इस दौरान खुद को बंधन में बंधा महसूस करने के बजाए सुरक्षित सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें और जीएं जिंदगी खुल कर.

जानिए ज्यादा खाने पर भी क्यों नहीं मोटी होती हैं आप

बहुत से लोगों को शरीर में खाना नहीं लगता है. वो चाहे कितना भी खाना खा लें पर उनकी सेहत पर इसका असर नहीं होता है. क्या कभी आपने सोचा है कि कुछ लोगों का वजन बिना अनहेल्दी चीजें खाएं ही बढ़ने लगता है, तो वहीं कुछ लोग सब कुछ खाकर भी बिल्कुल स्लिम कैसे रहते हैं?  क्या आपको पता है कि ऐसा होता क्यों है? अगर नहीं तो हम आपको इसके पीछे का कारण बताएंगे.

हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो लोग बिना कुछ मेहनत किए ही स्लिम रहते हैं, उसके लिए उनकी जींस (genes) जिम्मेदार होती हैं. स्टडी में शोधकर्ताओं ने ये दावा किया है कि कुछ लोगों में जींस की ऐसी श्रृंखला होती है जो उनके मेटाबौलिज्म को बढ़ाती है. जिसके कारण उनके शरीर का फैट तेजी से कम होता है.

ये भी पढ़ें : गरमी में फूड पौइजनिंग से बचाएंगी ये 5 चीजें

स्टडी में इस जींस को करीब 1600 लोगों में देखा गया. कई लोगों में इसका असर ये भी हुआ कि उन्हें खाने में दिलचस्पी कम हो गई. ये भी एक कारण समझा गया जिससे लोग पतले हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें : अब स्पर्म डोनर्स को नहीं करना होगा मास्टरबेट

जबकि स्टडी में शामिल 40 फीसदी लोग ऐसे थे जो खाने के काफी शौकीन थे. जो भी उनकी मर्जी होती है वो खाते हैं पर इसके बाद भी उनका वजन नहीं बढ़ता. शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ लोगों में खास तरह की जींस होती हैं. इन जींस की जांच करने के लिए उन्हें स्टडी करनी होगी, जिसके माध्यम से वे पता लगा पाएंगे कि ज्यादा खाने के बाद उनका शरीर किस तरह से काम करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस स्टडी की मदद से वे ऐसी दवाई की खोज कर सकेंगे, जिससे मोटे लोग अपने वजन को कंट्रोल में रख सकेंगे.

जानिए क्यों खतरनाक है नाश्ता छोड़ना और देर रात खाना खाना

आजकल लोगों  की जैसी लाइफस्टाइल हो गई है, उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर हो रहा है. लोग सुबह में नाश्ता नहीं कर पा रहे या रात में खाना देरी से खा रही हैं. ये दोनों आदतें आपकी सेहत पर काफी बुरा असर डालती हैं. इससे आपको दिल की बीमारी के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि नाश्ता छोड़ने या रात में देरी से खाना खाने जैसी अस्वस्थयकारी आदतों से लोगों में असमय मौत होने का खतरा चार से पांच गुणा बढ़ जाता है, इसके साथ ही दिल की कई बीमरियों का खतरा भी अधिक हो जाता है.

ये भी पढ़ें : सुबह का नाश्ता तन और मन रखे स्वस्थ

ये भी पढ़ें : जानिए सुबह में नारियल पानी पीने के 5 बड़े फायदे

शोध में शामिल एक जानकार का कहना है कि, ‘हमारे शोध के नतीजों से पता चलता है कि खाना खाने के गलत तरीके को जारी रखने का नतीजा बहुत खराब हो सकता है, खासतौर से दिल के दौरे के बाद.’

इस आसान उपाय से दूर रखें दिल की बीमारी

जानिए क्यों कभी मिस नहीं करना चाहिए सुबह का नाश्ता

आपको बता दें कि इस शोध में दिल के दौरों के शिकार 113 मरीजों को शामिल किया गया था. इन सैंपल्स की उम्र 60 साल थी. इसमें 73 फीसदी सैंपल पुरुष थे. इसमें पाया गया कि सुबह का नाश्ता नहीं करनेवाले मरीज 58 फीसदी थे, जबकि रात का भोजन देर से करने वाले मरीज 51 फीसदी थे, और 48 फीसदी मरीजों में दोनों तरह की आदतें पाई गई.

जानिए क्या नाश्ता करें और क्या नहीं

ये भी पढ़ें : कम उम्र में बालों के सफेद होने के ये हैं 5 बड़े कारण

late dinner and skipping breakfast is dangerous to health

शोध कर रही टीम ने लोगों को सलाह देते हुए कहा है कि, खाने की आदत को सुधारने के लिए रात के भोजन और सोने के समय में कम से कम 2 घंटे का अंतर होना चाहिेए. टीम ने ये भी कहा कि, ‘एक अच्छे नाश्ते में ज्यादातर दुग्ध उत्पादों (फैट फ्री या लो फैट दूध, दही और पनीर), कार्बोहाइड्रेट (गेंहू की रोटी, सेंके हुए ब्रेड, अनाजों) और फलों को शामिल करना चाहिए’.

दांतों की सेंसिटिविटी का इन 5 तरीकों से करें इलाज

दांतों में सेंस्टिविटी अब  आम हो चुकी है. अक्सर ठंडा-गर्म खाने से लोगों को दांतों में झनझनाहट की शिकायत होती है. ये आपकी दांतों पर लगी इनेमल की कोटिंग के घिस जाने से होता है. इसी कोटिंग के बदौलत हम कठोर चीजों को खा पाते हैं. जब दांतों से इनेमल की कोटिंग हट जाती है तब दांतों में कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर बड़े जोर की टीस मचती है. इसके लिए दांतों के बैक्टीरिया और प्लेग भी जिम्मेदार होते हैं. अगर आपको भी ये परेशानी होती है तो हम आपके लिए लाए हैं घरेलू उपचार, जिनकी मदद से आप इस परेशानी का इलाज कर सकेंगे.

एसिडिक पदार्थों से रहें दूर

ऐसे किसी भी खाद्य या पेय से दूरी बनाए रखें जो प्राकृति में अम्लिय हों. जैसे फलों के रस, शीतल पेय, सिरका, रेड वाइन, चाय, आइसक्रीम जैसी चीजों से दूरी बनाएं. अगर आप इन्हें खाएं भी तो तुरंत ब्रश कर लें. ये आहार दांतों के इनेमल का काफी नुकसान करते हैं.

ये भी  पढ़ें : ये चीजें रखेंगी आपको तनाव से दूर

करें नर्म ब्रस का प्रयोग

ध्यान रखें कि ब्रश आपका नर्म हो. इससे आपके मसूढ़ों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा. दांत साफ करते वक्त हल्के हाथों का प्रयोग करें.

नमक का पानी का उपचार

गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक घोल लें. रोज सुबह और रात में इससे कुल्ला करें. सेंस्टिविटी की शिकायत में ये काफी लाभकारी तरीका है.

ये भी  पढ़ें : जानिए सुबह में नारियल पानी पीने के 5 बड़े फायदे

सरसो का तेल और नमक

एक चम्मच सरसो के तेल में एक छोटा चम्मच सेंधा नमक मिलाएं. मिश्रण से मसूढ़ों और दांतों में मसाज करें. ऐसा करने के 5 मिनट बाद मुंह धो लें.

फ्लोराइड माउथवाश या टूथब्रश का करें प्रयोग

फ्लोराइड हमारे दांतों के लिए काफी जरूरी होता है. इससे सड़न और टूथ इनेमल जैसी समस्याएं दूर रहती हैं. इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि ऐसा माउथवाश या टूथपेस्ट़ का प्रयोग करें जिसमें फ्लोराइड शामिल हो.

ये चीजें रखेंगी आपको तनाव से दूर

स्ट्रेस, तनाव, डिप्रेशन जैसी परेशानियां आज लोगों में बेहद आम हो गई हैं. इनके लिए प्रमुख वजहें हमारी लाइफस्टाइल और हमारा खानपान है. हमारा खानपान हमारे शारीरिक स्वास्थ के साथ साथ हमारे मानसिक स्वास्थ को भी काफी प्रभावित करती है. इस परेशानी को दूर रखने के लिए बेहद जरूरी है कि हम अपना खानपान बेहतर कर लें. कई स्टडीज में इस बात की पुष्टि हुई है कि अच्छे खानपान से आप तनाव की परेशानी से सुरक्षित रह सकते हैं. इसके अलावा स्टडी में ये भी सामने आया कि  हेल्दी डाइट से हमें न्यूट्रिएंट्स प्रचूर मात्रा में मिलते हैं जिससे हमारा वजन भी कंट्रोल में रहता है और डिप्रेशन की परेशानी भी कम होती है.

हाल ही में एक जर्नल में प्रकाशित हुई इस स्टडी के शोधकर्ताओं की टीम ने अभी तक मानसिक सेहत की जांच के लिए डाइट पर हुए क्लिनीकल ट्रायल के मौजूदा डेटा की जांच की है. नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक अच्छी और हेल्दी डाइट लेने से डिप्रेशन का खतरा कम होता है.

स्टडी के मुख्य लेखक ने बताया है कि, ‘ अभी इस स्टडी के रिजल्ट्स को पूरी तरह से सही साबित करने के लिए कुछ और स्टडीज करनी बाकी हैं. पर मौजूदा स्टडी के रिजल्ट्स के आधार पर ये कहा जा सकता है कि हेल्दी डाइट फौलो करने से मूड अच्छा रहता है.’

स्टडी में शामिल जानकारों की माने तो मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे डाइट में न्यूट्रिएंट्स की प्रचूरता हो. इसके अलावा जंक फूड और रिफाइंड शुगर के सेवन से जितना दूर रहा जाए सेहत के लिए अच्छा है.

जानिए सुबह में नारियल पानी पीने के 5 बड़े फायदे

नारियल का पानी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. इससे ना सिर्फ शरीर को ताकत मिलती है बल्कि इसमें विषैले तत्वों को शरीर से दूर रखने के गुण होते हैं. इसके अलावा बौडी इम्युनिटी को मजबूत करने में और बीमारियों से हमें सुरक्षित रखने में भी ये काफी कारगर होता है. अगर आप अपने बढ़े हुए वजन से परेशान हैं तो नारियल पानी पीने से आपको काफी फायदा होगा.

जानकारों की माने तो सुबह के समय में नारियल पानी पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है. अगर आप सुबह के समय नारियल पानी पीते हैं तो ये आपके शरीर को दिनभर स्फूर्तिवान बनाए रखता है.

इस खबर में हम आपको सुबह में नारियल पानी पीने के फायदों के बारे में बताएंगे.

  • किडनी की सेहत के लिए भी नारियल पानी का सेवन करना अच्छा रहता है. ये यूरीनरी ट्रैक को साफ रखने में मददगार होता है और साथ ही किडनी में स्टोन को नहीं पनपने देता है.
  • थायरौयड मरीजों के लिए ये काफी असरदार होता है. सुबह में नारियल पानी पीने से थायरौयड हार्मोंस संतुलित रहते हैं.
  • अगर आप वजम कम करना चाहती हैं तो ये आपके लिए काफी असरदार है. इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और फैट काफी कम होता है. नारियल पानी पीने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती, जिससे घड़ी-घड़ी खाने की जरूरत नहीं होती है.
  • त्वचा को पोषण देने के लिए भी नारियल पानी पीना फायदेमंद रहता है. नारियल पानी पीने से त्वचा में नमी भी बनी रहती है.
  • इसके नियमित सेवन से बौडी की इम्युनिटी अच्छी रहती है. इससे बहुत सी बीमारियों की आशंका कम हो जाती है.

अगर आप भी देर रात तक जागती हैं, तो ये खबर आपके लिए है

रात में खाना ठीक समय पर खाना बेहद जरूरी है. आम तौर पर भाग दौड़ भरी माहौल में ये कर पाना काफी मुश्किल हो गया है पर हमेशा सेहतमंद रहने के लिए आपको अपने खाने के समय पर खासा ध्यान रखना होगा. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि रात में जल्दी खाना क्यों फायदेमंद है.

आएगी अच्छी नींद

पूरे दिन थकने के बाद अगर आपको सही समय पर खाना मिल जाए तो आपको सोने के लिए भी पर्याप्त समय मिलेगा और सुबह में आप फ्रेश महसूस करेंगे.

ये भी पढ़ें : कम उम्र में बालों के सफेद होने के ये हैं 5 बड़े कारण

दिल रहेगा स्‍वस्‍थ

जब खाना अच्छे से हजम होगा तो फैट और कौलेस्ट्रौल की परेशानी नहीं होगी और आपका दिल स्वस्थ रहेगा.

सीने में नहीं होगी जलन

रात का खाना खाने के तुरंत बाद लोग बेड पर सोने चले जाते हैं. ऐसा करने से गैस की समस्या बढ़ती है.

ये भी पढ़ें : आपको भी आती है काम के बीच नींद तो पढ़ें ये खबर

वेट कंट्रोल होता है

वजन कम करने के लिहाज से रात में जल्दी खाना जरूरी है. रात में जल्दी खा के आप टहले जरूर. ऐसा करने से आपका खाना अच्छे से पचेगा और फैट भी इक्कठ्ठा नहीं होगा.

पेट की सभी बीमारियां दूर होती है

सही समय पर खाना खाने से जब वह पूरी हरह से हजम हो जाता है, तो उससे आपका पेट हमेशा सही रहता है. पेट में दर्द, गैस और अपच की समस्‍या नहीं रहती.

रहेंगे ज्यादा एनर्जेटिक

समय से खाना खाने और समय से नींद लेने से आप सुबह में खुद को ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करेंगे.

पेट रहेगा हल्का

समय पर खाना खाने से खाने को पचने का पूरा समय मिलता है. खाने के बाद टहलने से खाना अच्छे से पचता है और पेट हल्का रहता है. दूसरे दिन पेट हल्‍का रहता है और उसमें गैस की शिकायत नहीं होती.

posted by Shubham

इन चीजों को खाना शुरू कर दें, दूर होंगी ब्रेस्ट की समस्याएं

आज के समय में महिलाओं को ब्रेस्ट से जुड़ी बहुत सी परेशानियां सामने आने लगी हैं. इनसे बचने के लिए उन्हें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इसमें खास खानपान, दिनचर्या जैसी चीजें शामिल हैं.

आज हम बताएंगे आपको कि आप अपने ब्रेस्ट की देखभाल के लिए क्या जरूरी कदम उठा सकती हैं. सबसे पहले आपको ओइस्‍ट्रोजेन और प्रोजेस्‍ट्रौन हार्मोन का लेवल चेक करवाना होगा.

आपको बता दें कि हेल्‍दी ब्रेस्‍ट के लिये इन दोंनो हार्मोन्‍स का बैलेंस होना काफी जरुरी है. यदि आपके शरीर में टेस्‍टोस्‍ट्रौन का लेवल ज्‍यादा है तो आपको एस्ट्रोजन का भी लेवल बढ़ाना होगा. अब इसके लिये आपको ऐसे खाद्य पदार्थ खाने होंगे जिससे आपका एस्ट्रोजन लेवल बढ़ सकें.

ये भी पढ़ें : आपको भी आती है काम के बीच नींद तो पढ़ें ये खबर

हरी पत्‍तेदार सब्‍जियों में फाईटोस्ट्रोजेन प्रचूर मात्रा में पाई जाती हैं. इनके अलावा आपको यह जड़ी बूटियों, मेथी के दानों तथा स्‍प्राउट्स में मिल सकते हैं. अगर आपको चिकन आदि खाना पसंद है तो उन्‍हें बेशक अपनी डाइट में शामिल करें क्‍योंकि इनसे भी आपको एस्ट्रोजन प्राप्‍त होता है.

foods for healthy breast

ब्रेस्ट सेल्स को पोषण प्रदान करने के लिए जरूरी है कि आपके खाने में वो चीजें प्रमुखता से हों जिनमें एंटीऔक्सीडेंट पाए जाते हैं. ऐसे खाद्यों से आप ब्रेस्ट कैंसर से बच सकती हैं. ऐसे फूड में बैरीज़, आडू, प्लम, ब्रोकोली, अखरोट, जैतून का तेल, मछली, अजवायन और सेम आदि हैं.

ये भी पढ़ें : कम उम्र में बालों के सफेद होने के ये हैं 5 बड़े कारण

foods for healthy breast

रिसर्च से पता चला है कि अगर ऐसे खाद्य पदार्थों को महिलाओं की डाइट में शामिल किया जाए और व्‍यायाम को दिनचर्या का हिस्‍सा बना दिया जाए तो वह ब्रेस्‍ट कैंसर से सदा के लिये बची रह सकती हैं.

posted by Shubham

प्यार की वजह से तो नहीं बढ़ रहा आपका वजन? जानिए यहां

अक्सर महिलाओं को यह कहते सुना जाता है कि शादी से पहले तो मैं दुबली-पतली छरहरी सी थी, मगर शादी के बाद मोटी हो गयी. ये सच है कि ज्यादातर महिलाएं शादी के बाद मोटी हो जाती हैं. यही नहीं, किसी से नैन मिल जाएं और प्रेम का रोग लग जाए तो भी वजन बढ़ने लगता है. यूं तो किसी के प्यार में डूबना एक खूबसूरत अहसास होता है, लेकिन प्यार करने से अगर वजन बढ़ने लगे तो यह उन लड़कियों के लिए चिन्ता का सबब बन जाता है, जो अपने फिगर को लेकर काफी कौन्शस रहती हैं.

औस्ट्रेलिया की ‘सेंट्रल क्वींलैंड यूनिवर्सिटी’ की एक स्टडी के मुताबिक, जब लोग किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं या उनको किसी से प्यार हो जाता है, तो उनका वजन बढ़ने लगता है. शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में लगभग 15,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया. इसमें उन्होंने अलग-अलग जीवनशैली के सिंगल्स और कपल्स दोनों तरह के लोगों को शामिल किया और फिर पुरुष और महिलाओं के बौडी मास इंडेक्स की तुलना करके नतीजे घोषित किये. शोध के दौरान पाया गया कि जब लोग किसी रिश्ते में आ जाते हैं तो उनका मोटापा इसलिए बढ़ने लगता है, क्योंकि उनके अन्दर पार्टनर को इम्प्रेस करने की भावना लगभग खत्म हो जाती है और वह अपने बौडी शेप को बनाये रखने की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. शोध में शामिल ज्यादातर लोगों ने यह माना कि शादी के बाद या रिलेशनशिप में आने के बाद वे कसरत, जौगिंग या अन्य शारीरिक क्रियाकलापों की ओर कम ध्यान देने लगे थे. उनका ज्यादा ध्यान पार्टनर के साथ घूमने, मौज-मस्ती करने और विभिन्न प्रकार के पकवानों का लुत्फ उठाने में गुजरने लगा था, जिसके चलते उनका वजन बढ़ता गया. जो जोड़े अपनी शादी से खुश, संतुष्ट और सुरक्षित महसूस करते हैं उनमें वजन बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं क्योंकि उनके दिमाग पर किसी अन्य को आकर्षित करने का कोई दबाव नहीं होता.

ये भी पढ़ें : कम उम्र में बालों के सफेद होने के ये हैं 5 बड़े कारण

वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण यह भी है कि जो लोग प्यार के रिश्ते में होते हैं वो लोग जिम जाकर एक्सरसाइज करने के बजाए अपना ज्यादातर समय पार्टनर के साथ घर में रहकर ही गुजारना पसंद करते हैं. यह बदली हुई जीवनशैली भी वजन बढ़ने का एक अहम कारण है. इसके अलावा जब लोग प्यार में होते हैं तो वो बेहद खुश रहते हैं और अगर रिश्ता नया हो तो यह खुशी डबल हो जाती है. बता दें, जब हम खुश होते हैं तो हमारे शरीर में हैप्पी हार्मोन आॅक्सीटोसिन और डोपामाइन निकलते हैं. इन हैप्पी हार्मोन से चौकलेट, वाइन और ज्यादा कैलोरी वाली चीजें खाने की इच्छा बढ़ती है, जो वजन बढ़ाने का काम करती हैं. तो शादी के बाद जो लोग बहुत ज्यादा खुश रहते हैं, उनके मोटे होने की उतनी ज्यादा सम्भावनाएं होती हैं. शादीशुदा स्त्री अगर 20 साल की है तो अगले पांच सालों में उसका वजन 11 किलोग्राम के लगभग बढ़ने की सम्भावना होती है. वहीं इसी उम्र के पुरुष का वजन 13 किलोग्राम तक बढ़ने की सम्भावना होती है.

नींद की कमी

शादी के बाद लड़कियों का स्लीपिंग पैटर्न बदल जाता है. कई बार वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाती हैं, जो वजन बढ़ने का एक कारण है. अपना घर छोड़कर शादी के बाद किसी और जगह एडजस्ट करना सबसे कठिन काम है. नये घर में एडजस्ट करने में कुछ तनाव तो होता ही है जो कि अप्रत्यक्ष रुप से वजन पर प्रभाव डालता है.

ये भी पढ़ें : वरुण धवन से जानिए उनके 6 फिटनेस सीक्रेट्स

पकवानों का कमाल

शादी के बाद हमारी भारतीय नारियां पाक कला में खूब हाथ आजमाती हैं ताकि अपने जीवनसाथी और घर के बाकी सदस्यों को खुश कर सकें और तारीफ पा सकें. जब तरह-तरह के व्यंजन रोज बनाये और खाये जाते हैं तो वजन बढ़ना तो लाजिमी है. जरूरी नहीं कि हैप्पी मैरिज से ही वजन बढ़े, कभी-कभी मैरिज हैप्पी न भी हो तो भी हस्बैंड वाइफ दोनों का वजन बढ़ने लगता है, उसकी वजह किचेन में बनने वाले विभिन्न हाई कैलोरी पकवान हैं.

हार्मोन्स में बदलाव

जब लड़की शादीशुदा जीवन में प्रवेश करती है तो उसके शरीर में कई प्रकार के हार्मोन्स बदलाव होते है. सेक्सुयल लाइफ में एक्टिव होना वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण होता है. जीवनसाथी से शारीरिक नजदीकियां शरीर में हैप्पी हार्मोन्स यानी औक्सीटोसिन और डोपामाइन का स्राव बढ़ा देती हैं, इसके कारण शारीरिक संरचना में थोड़ा-बहुत बदलाव आता है.  महिलाएं जिससे प्यार करती हैं उसके साथ सेक्शुयल रिलेशनशिप बनाने से उनकी कमर और हिप्स की चौड़ाई बढ़ती है. आमतौर पर देखा गया है कि सेक्स के बाद भूख भी बढ़ने लगती है और इसके अलावा आप प्रेग्नेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का भी इस्तेमाल करने लगती हैं, जो आपके मोटापे का कारण बनती हैं. पति के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनने से हार्मोन्स में आये बदलाव का असर अंगों पर साफ दिखने लगता है, खासतौर पर ब्रेस्ट, कमर और हिप्स पर. शादी के बाद लड़कियों के हिप्स अपने सामान्य आकार से बढ़कर थोड़े बड़े हो जाते हैं. यह प्राकृतिक तौर पर होना जरूरी भी है क्योंकि शारीरिक सम्बन्ध के बाद गर्भधारण की प्रक्रिया होती है. प्राकृतिक तौर पर बड़े हिप्स की महिलाओं को डिलिवरी के वक्त अधिक दर्द नहीं होता है और वह आराम से बच्चे को जन्म देती हैं, जबकि छोटे हिप्स की दुबली-पतली महिलाओं को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है. सेक्शुअली एक्टिव होने पर महिलाओं के हिप्स की चौड़ाई का बढ़ना प्रकृति का नियम है. प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक खाने की सलाह भी दी जाती है, जिससे लड़कियों का वजन बढ़ जाता है और डिलिवरी के बाद इसको घटाने पर ठीक तरीके से ध्यान न दिये जाने की वजह से शरीर फूला रह जाता है.

ये भी पढ़ें : वजन कम करने के लिए करें घी का सेवन

कम खाओ, गम खाओ

दुबला पतला रहने के लिए एक कहावत मशहूर है कि – कम खाओ, गम खाओ. दरअसल शरीर को छरहरा रखने के लिए हमेशा भूख से थोड़ा कम खाने की सलाह दी जाती है. दूसरे, चिन्ता को चिता के समान इसलिए बताया गया है क्योंकि इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. चिन्ताग्रस्त व्यक्ति को भूख कम लगती है, जिसकी वजह से उस पर मोटापा नहीं चढ़ता. जब हम अकेले होते हैं, अविवाहित होते हैं, दुखी रहते हैं, हमारा कोई प्रेमी या पार्टनर नहीं होता तो हम अकेलेपन के अहसास से जूझते रहते हैं. यही सोचते रहते हैं कि – कोई होता, जिसको अपना, हम अपना कह लेते यारों…

इस गम का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. इसलिए तन्हा व्यक्ति अक्सर दुबला-पतला होता है. जबकि प्यार होने के बाद हम न सिर्फ खुश रहते हैं, घूमते-फिरते हैं, बल्कि अपने पार्टनर के साथ हर वक्त कुछ न कुछ पीजा, बर्गर, नौनवेज, आइसक्रीम, चौकलेट जैसी चीजें खाते-पीते रहते हैं. शादी के बाद लड़कियां पति के साथ रहकर बाहर का खाना ज्यादा पसन्द करती हैं. हनीमून के दौरान भी बाहर का खाना ही खाते हैं जो ज्यादा कैलोरी वाला होता है. ये सारे प्यार के साइड इफेक्ट हैं, जो आपके फिगर का सत्यानाश कर देते हैं. इसलिए प्यार करें, जम कर करें, मगर अपने खाने पर कंट्रोल रखें और एक्सर्साइज करना भी न छोड़ें.

edited by: Shubham

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें