अगर आप भी देर रात तक जागती हैं, तो ये खबर आपके लिए है

रात में खाना ठीक समय पर खाना बेहद जरूरी है. आम तौर पर भाग दौड़ भरी माहौल में ये कर पाना काफी मुश्किल हो गया है पर हमेशा सेहतमंद रहने के लिए आपको अपने खाने के समय पर खासा ध्यान रखना होगा. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि रात में जल्दी खाना क्यों फायदेमंद है.

आएगी अच्छी नींद

पूरे दिन थकने के बाद अगर आपको सही समय पर खाना मिल जाए तो आपको सोने के लिए भी पर्याप्त समय मिलेगा और सुबह में आप फ्रेश महसूस करेंगे.

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दिल रहेगा स्‍वस्‍थ

जब खाना अच्छे से हजम होगा तो फैट और कौलेस्ट्रौल की परेशानी नहीं होगी और आपका दिल स्वस्थ रहेगा.

सीने में नहीं होगी जलन

रात का खाना खाने के तुरंत बाद लोग बेड पर सोने चले जाते हैं. ऐसा करने से गैस की समस्या बढ़ती है.

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वेट कंट्रोल होता है

वजन कम करने के लिहाज से रात में जल्दी खाना जरूरी है. रात में जल्दी खा के आप टहले जरूर. ऐसा करने से आपका खाना अच्छे से पचेगा और फैट भी इक्कठ्ठा नहीं होगा.

पेट की सभी बीमारियां दूर होती है

सही समय पर खाना खाने से जब वह पूरी हरह से हजम हो जाता है, तो उससे आपका पेट हमेशा सही रहता है. पेट में दर्द, गैस और अपच की समस्‍या नहीं रहती.

रहेंगे ज्यादा एनर्जेटिक

समय से खाना खाने और समय से नींद लेने से आप सुबह में खुद को ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करेंगे.

पेट रहेगा हल्का

समय पर खाना खाने से खाने को पचने का पूरा समय मिलता है. खाने के बाद टहलने से खाना अच्छे से पचता है और पेट हल्का रहता है. दूसरे दिन पेट हल्‍का रहता है और उसमें गैस की शिकायत नहीं होती.

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इन चीजों को खाना शुरू कर दें, दूर होंगी ब्रेस्ट की समस्याएं

आज के समय में महिलाओं को ब्रेस्ट से जुड़ी बहुत सी परेशानियां सामने आने लगी हैं. इनसे बचने के लिए उन्हें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इसमें खास खानपान, दिनचर्या जैसी चीजें शामिल हैं.

आज हम बताएंगे आपको कि आप अपने ब्रेस्ट की देखभाल के लिए क्या जरूरी कदम उठा सकती हैं. सबसे पहले आपको ओइस्‍ट्रोजेन और प्रोजेस्‍ट्रौन हार्मोन का लेवल चेक करवाना होगा.

आपको बता दें कि हेल्‍दी ब्रेस्‍ट के लिये इन दोंनो हार्मोन्‍स का बैलेंस होना काफी जरुरी है. यदि आपके शरीर में टेस्‍टोस्‍ट्रौन का लेवल ज्‍यादा है तो आपको एस्ट्रोजन का भी लेवल बढ़ाना होगा. अब इसके लिये आपको ऐसे खाद्य पदार्थ खाने होंगे जिससे आपका एस्ट्रोजन लेवल बढ़ सकें.

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हरी पत्‍तेदार सब्‍जियों में फाईटोस्ट्रोजेन प्रचूर मात्रा में पाई जाती हैं. इनके अलावा आपको यह जड़ी बूटियों, मेथी के दानों तथा स्‍प्राउट्स में मिल सकते हैं. अगर आपको चिकन आदि खाना पसंद है तो उन्‍हें बेशक अपनी डाइट में शामिल करें क्‍योंकि इनसे भी आपको एस्ट्रोजन प्राप्‍त होता है.

foods for healthy breast

ब्रेस्ट सेल्स को पोषण प्रदान करने के लिए जरूरी है कि आपके खाने में वो चीजें प्रमुखता से हों जिनमें एंटीऔक्सीडेंट पाए जाते हैं. ऐसे खाद्यों से आप ब्रेस्ट कैंसर से बच सकती हैं. ऐसे फूड में बैरीज़, आडू, प्लम, ब्रोकोली, अखरोट, जैतून का तेल, मछली, अजवायन और सेम आदि हैं.

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foods for healthy breast

रिसर्च से पता चला है कि अगर ऐसे खाद्य पदार्थों को महिलाओं की डाइट में शामिल किया जाए और व्‍यायाम को दिनचर्या का हिस्‍सा बना दिया जाए तो वह ब्रेस्‍ट कैंसर से सदा के लिये बची रह सकती हैं.

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प्यार की वजह से तो नहीं बढ़ रहा आपका वजन? जानिए यहां

अक्सर महिलाओं को यह कहते सुना जाता है कि शादी से पहले तो मैं दुबली-पतली छरहरी सी थी, मगर शादी के बाद मोटी हो गयी. ये सच है कि ज्यादातर महिलाएं शादी के बाद मोटी हो जाती हैं. यही नहीं, किसी से नैन मिल जाएं और प्रेम का रोग लग जाए तो भी वजन बढ़ने लगता है. यूं तो किसी के प्यार में डूबना एक खूबसूरत अहसास होता है, लेकिन प्यार करने से अगर वजन बढ़ने लगे तो यह उन लड़कियों के लिए चिन्ता का सबब बन जाता है, जो अपने फिगर को लेकर काफी कौन्शस रहती हैं.

औस्ट्रेलिया की ‘सेंट्रल क्वींलैंड यूनिवर्सिटी’ की एक स्टडी के मुताबिक, जब लोग किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं या उनको किसी से प्यार हो जाता है, तो उनका वजन बढ़ने लगता है. शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में लगभग 15,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया. इसमें उन्होंने अलग-अलग जीवनशैली के सिंगल्स और कपल्स दोनों तरह के लोगों को शामिल किया और फिर पुरुष और महिलाओं के बौडी मास इंडेक्स की तुलना करके नतीजे घोषित किये. शोध के दौरान पाया गया कि जब लोग किसी रिश्ते में आ जाते हैं तो उनका मोटापा इसलिए बढ़ने लगता है, क्योंकि उनके अन्दर पार्टनर को इम्प्रेस करने की भावना लगभग खत्म हो जाती है और वह अपने बौडी शेप को बनाये रखने की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. शोध में शामिल ज्यादातर लोगों ने यह माना कि शादी के बाद या रिलेशनशिप में आने के बाद वे कसरत, जौगिंग या अन्य शारीरिक क्रियाकलापों की ओर कम ध्यान देने लगे थे. उनका ज्यादा ध्यान पार्टनर के साथ घूमने, मौज-मस्ती करने और विभिन्न प्रकार के पकवानों का लुत्फ उठाने में गुजरने लगा था, जिसके चलते उनका वजन बढ़ता गया. जो जोड़े अपनी शादी से खुश, संतुष्ट और सुरक्षित महसूस करते हैं उनमें वजन बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं क्योंकि उनके दिमाग पर किसी अन्य को आकर्षित करने का कोई दबाव नहीं होता.

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वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण यह भी है कि जो लोग प्यार के रिश्ते में होते हैं वो लोग जिम जाकर एक्सरसाइज करने के बजाए अपना ज्यादातर समय पार्टनर के साथ घर में रहकर ही गुजारना पसंद करते हैं. यह बदली हुई जीवनशैली भी वजन बढ़ने का एक अहम कारण है. इसके अलावा जब लोग प्यार में होते हैं तो वो बेहद खुश रहते हैं और अगर रिश्ता नया हो तो यह खुशी डबल हो जाती है. बता दें, जब हम खुश होते हैं तो हमारे शरीर में हैप्पी हार्मोन आॅक्सीटोसिन और डोपामाइन निकलते हैं. इन हैप्पी हार्मोन से चौकलेट, वाइन और ज्यादा कैलोरी वाली चीजें खाने की इच्छा बढ़ती है, जो वजन बढ़ाने का काम करती हैं. तो शादी के बाद जो लोग बहुत ज्यादा खुश रहते हैं, उनके मोटे होने की उतनी ज्यादा सम्भावनाएं होती हैं. शादीशुदा स्त्री अगर 20 साल की है तो अगले पांच सालों में उसका वजन 11 किलोग्राम के लगभग बढ़ने की सम्भावना होती है. वहीं इसी उम्र के पुरुष का वजन 13 किलोग्राम तक बढ़ने की सम्भावना होती है.

नींद की कमी

शादी के बाद लड़कियों का स्लीपिंग पैटर्न बदल जाता है. कई बार वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाती हैं, जो वजन बढ़ने का एक कारण है. अपना घर छोड़कर शादी के बाद किसी और जगह एडजस्ट करना सबसे कठिन काम है. नये घर में एडजस्ट करने में कुछ तनाव तो होता ही है जो कि अप्रत्यक्ष रुप से वजन पर प्रभाव डालता है.

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पकवानों का कमाल

शादी के बाद हमारी भारतीय नारियां पाक कला में खूब हाथ आजमाती हैं ताकि अपने जीवनसाथी और घर के बाकी सदस्यों को खुश कर सकें और तारीफ पा सकें. जब तरह-तरह के व्यंजन रोज बनाये और खाये जाते हैं तो वजन बढ़ना तो लाजिमी है. जरूरी नहीं कि हैप्पी मैरिज से ही वजन बढ़े, कभी-कभी मैरिज हैप्पी न भी हो तो भी हस्बैंड वाइफ दोनों का वजन बढ़ने लगता है, उसकी वजह किचेन में बनने वाले विभिन्न हाई कैलोरी पकवान हैं.

हार्मोन्स में बदलाव

जब लड़की शादीशुदा जीवन में प्रवेश करती है तो उसके शरीर में कई प्रकार के हार्मोन्स बदलाव होते है. सेक्सुयल लाइफ में एक्टिव होना वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण होता है. जीवनसाथी से शारीरिक नजदीकियां शरीर में हैप्पी हार्मोन्स यानी औक्सीटोसिन और डोपामाइन का स्राव बढ़ा देती हैं, इसके कारण शारीरिक संरचना में थोड़ा-बहुत बदलाव आता है.  महिलाएं जिससे प्यार करती हैं उसके साथ सेक्शुयल रिलेशनशिप बनाने से उनकी कमर और हिप्स की चौड़ाई बढ़ती है. आमतौर पर देखा गया है कि सेक्स के बाद भूख भी बढ़ने लगती है और इसके अलावा आप प्रेग्नेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का भी इस्तेमाल करने लगती हैं, जो आपके मोटापे का कारण बनती हैं. पति के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनने से हार्मोन्स में आये बदलाव का असर अंगों पर साफ दिखने लगता है, खासतौर पर ब्रेस्ट, कमर और हिप्स पर. शादी के बाद लड़कियों के हिप्स अपने सामान्य आकार से बढ़कर थोड़े बड़े हो जाते हैं. यह प्राकृतिक तौर पर होना जरूरी भी है क्योंकि शारीरिक सम्बन्ध के बाद गर्भधारण की प्रक्रिया होती है. प्राकृतिक तौर पर बड़े हिप्स की महिलाओं को डिलिवरी के वक्त अधिक दर्द नहीं होता है और वह आराम से बच्चे को जन्म देती हैं, जबकि छोटे हिप्स की दुबली-पतली महिलाओं को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है. सेक्शुअली एक्टिव होने पर महिलाओं के हिप्स की चौड़ाई का बढ़ना प्रकृति का नियम है. प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक खाने की सलाह भी दी जाती है, जिससे लड़कियों का वजन बढ़ जाता है और डिलिवरी के बाद इसको घटाने पर ठीक तरीके से ध्यान न दिये जाने की वजह से शरीर फूला रह जाता है.

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कम खाओ, गम खाओ

दुबला पतला रहने के लिए एक कहावत मशहूर है कि – कम खाओ, गम खाओ. दरअसल शरीर को छरहरा रखने के लिए हमेशा भूख से थोड़ा कम खाने की सलाह दी जाती है. दूसरे, चिन्ता को चिता के समान इसलिए बताया गया है क्योंकि इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. चिन्ताग्रस्त व्यक्ति को भूख कम लगती है, जिसकी वजह से उस पर मोटापा नहीं चढ़ता. जब हम अकेले होते हैं, अविवाहित होते हैं, दुखी रहते हैं, हमारा कोई प्रेमी या पार्टनर नहीं होता तो हम अकेलेपन के अहसास से जूझते रहते हैं. यही सोचते रहते हैं कि – कोई होता, जिसको अपना, हम अपना कह लेते यारों…

इस गम का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. इसलिए तन्हा व्यक्ति अक्सर दुबला-पतला होता है. जबकि प्यार होने के बाद हम न सिर्फ खुश रहते हैं, घूमते-फिरते हैं, बल्कि अपने पार्टनर के साथ हर वक्त कुछ न कुछ पीजा, बर्गर, नौनवेज, आइसक्रीम, चौकलेट जैसी चीजें खाते-पीते रहते हैं. शादी के बाद लड़कियां पति के साथ रहकर बाहर का खाना ज्यादा पसन्द करती हैं. हनीमून के दौरान भी बाहर का खाना ही खाते हैं जो ज्यादा कैलोरी वाला होता है. ये सारे प्यार के साइड इफेक्ट हैं, जो आपके फिगर का सत्यानाश कर देते हैं. इसलिए प्यार करें, जम कर करें, मगर अपने खाने पर कंट्रोल रखें और एक्सर्साइज करना भी न छोड़ें.

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कहीं बांझपन का कारण न बन जाए मोबाइल

31 साल की कामकाजी महिला नीलम शादी के 3 वर्षों बाद भी बच्चा न होने से घबराई. वह डाक्टर के पास गई. शुरुआती जांच के बाद डाक्टर ने पाया कि सबकुछ ठीक है. सिर्फ औव्यूलेशन सही समय पर नहीं हो रहा है. उस की काउंसलिंग की गई, तो पता चला कि उस के मासिकधर्म का समय ठीक नहीं. इस की वजह जानने पर पता चला कि उस का कैरियर ही उस की इस समस्या की जड़ है. उस की चिंता और मूड स्विंग इतना ज्यादा था कि उसे नौर्मल होने में समय लगा और करीब एक साल के इलाज के बाद वह आईवीएफ द्वारा ही मां बन पाई.

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में पूरे दिन का बड़ा भाग इंसान अपने मोबाइल फोन से चिपके हुए बिताता है. खासकर, आज के युवा पूरे दिन डिजिटल वर्ल्ड में व्यस्त रहते हैं. ऐसे में उन की शारीरिक अवस्था धीरेधीरे बिगड़ती जाती है, जिस में फर्टिलिटी की समस्या सब से अधिक दिखाई पड़ रही है.

वर्ल्ड औफ वूमन की फर्टिलिटी ऐक्सपर्ट डा. बंदिता सिन्हा का कहना है, ‘‘डिजिटल वर्ल्ड के आने से इस की लत सब से अधिक युवाओं को लगी है. वे दिनभर मोबाइल पर व्यस्त रहती हैं. 19 से 25 तक की युवतियां कुछ सुनना भी नहीं चाहतीं, मना करने पर वे विद्रोही हो जाती हैं. इस वजह से आज 5 में से एक लड़की को कोई न कोई स्त्रीरोग जनित समस्या है.’’

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mobile phone causing infertility

वे आगे बताती हैं, ‘‘25 साल की लड़की मेरे पास आई जो बहुत परेशान थी, क्योंकि उस का मासिकधर्म रुक चुका था. उसे नींद नहीं आती थी. वह पौलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज की शिकार थी. जिस में उस का वजन बढ़ने के साथसाथ, डिप्रैशन, मूड स्विंग और हार्मोनल समस्या थी. इसे ठीक करने में 2 साल का समय लगा. आज वह एक अच्छी जिंदगी जी रही है. लेकिन यही बीमारी अगर अधिक दिनों तक चलती, तो उसे फर्टिलिटी की समस्या हो सकती थी.’’

यह समस्या केवल महिलाओं में ही नहीं, पुरुषों में भी काफी है. इस बारे में मनिपाल फर्टिलिटी के चेयरमैन और यूरो एंड्रोलौजिस्ट डा. वासन एस एस बताते हैं, ‘‘वैज्ञानिकों ने सालों से इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रैडिएशन (ईएमआर) का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में शोध किया है. यह हमारे आसपास के वातावरण और घरेलू उपकरणों ओवन, टीवी, लैपटौप, मैडिकल ऐक्सरे आदि सभी से कुछ न कुछ मात्रा में आता रहता है. लेकिन इन में सब से खतरनाक है हमारा मोबाइल फोन, जिसे इंसान ने आजकल अपने जीवन का खास अंग बना लिया है.

अध्ययन कहता है कि इलैक्ट्रोमैग्नेटिक के अधिक समय तक शरीर में प्रवेश करने से कैंसर, सिरदर्द और फर्टिलिटी की समस्या सब से अधिक होती है.’’

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गंभीर बीमारी की आहट

डा. वासन आगे बताते हैं, ‘‘ऐसा देखा गया है कि जिन पुरुषों ने अपने से आधे मीटर की दूरी पर सैलफोन रखा, उन के भी स्पर्मकाउंट पहले से कम हुए. इतना ही नहीं, 47 प्रतिशत लोग जिन्होंने मोबाइल फोन को अपनी पैंट की जेब में पूरे दिन रखा, उन का स्पर्मकाउंट अस्वाभाविक रूप से 11 प्रतिशत आम पुरुषों से कम था और यही कमी उन्हें धीरेधीरे इन्फर्टिलिटी की ओर ले जाती है.’’

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रिसर्च यह भी बताती है कि पूरे विश्व में 14 प्रतिशत मध्यम व उच्च आयवर्ग के कपल, जिन्होंने मोबाइल फोन का लगातार प्रयोग किया है, को गर्भधारण करने में मुश्किल आई. सैलफोन पुरुष और महिला दोनों के लिए समानरूप से घातक है.

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इस के आगे डा. वासन कहते हैं, ‘‘मोबाइल के इस्तेमाल से फर्टिलिटी के कम होने की वजह को ले कर भी कई मत हैं. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि मोबाइल से निकले इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रैडिएशन स्पर्म के चक्र को पूरा करने में बाधित करता है या यह डीएनए को कम कर देता है, जबकि दूसरे मानते हैं कि मोबाइल से निकले रैडिएशन द्वारा उपजी हीट से स्पर्मकाउंट कम होता जाता है. 30 से 40 प्रतिशत फर्टिलिटी के मामलों में अधिकतर पुरुषों में ही पुअर क्वालिटी का स्पर्म देखा गया, जो चिंता का विषय है.’’

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कोई भी व्यक्ति चौबीस घंटे चुस्त नहीं रह सकता है. रात में कम से कम आठ घंटे की नींद शरीर और दिमाग को ऊर्जावान बनाये रखने के लिए नितांत जरूरी है, मगर दिन में काम के दौरान महसूस होने वाली छोटी-छोटी नींद को भी हरगिज नजरअंदाज न करें. ये चंद मिनटों की झपकी शरीर और दिमाग को दुरुस्त रखने के लिए बेहद जरूरी है, जिसे पावर नैप कहते हैं. फ्रेश फील करने के लिए पावर नैप अति आवश्यक है. पावर नैप यानि दिन के वक्त दस मिनट से लेकर आधे घंटे तक की नींद, जो शरीर और दिमाग को कार्य करने के लिए पुन: ताजगी से भर देती है.

अक्सर औफिस में लंच के बाद आलस्य या नींद हावी हो जाती है. ऐसे में कुछ काम करते ही नहीं सूझता. बार-बार आंखें बंद हो जाती हैं. मन करता है कि कोई एकांत कोना मिल जाए जहां कुछ देर की झपकी ले जी जाये. इसी झपकी को वैज्ञानिक पावर नैप कहते हैं, जिसे ले लेना बहुत जरूरी है. इससे आपका काम बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होता है, बल्कि पावर नैप लेने के बाद आप दुगनी ऊर्जा के साथ तेजी से अपना काम निपटा सकते हैं.

take a power nap between work

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पावर नैप कितनी देर

आपको फिर से तरोताजा करने वाली पावर नैप जरूरत के अनुसार 10 मिनट, 20 मिनट या फिर एक घंटा तक की हो सकती है. आदर्श पावर नैप बीस मिनट की मानी जाती है. लगातार 7 से 8 घंटे काम करने के बाद कुछ देर के लिए ली गई एक पॉवर नैप आपको दोबारा घंटों के लिए रिचार्ज कर देती है और आप बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं. इंसान पूरे दिन में दो बार ऐसा महसूस करता है कि उसे नींद आ रही है. यह मानव शरीर का एक स्वाभाव है. आप चाहे भी तो इसे रोक नहीं सकते हैं. दिन में ली गई एक झपकी वास्तव में पूरी रात की नींद के बराबर आपको एनर्जी देती है. अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार 26 मिनट तक कौकपिट में सोने वाला पायलट बाकी पायलटों की तुलना में  54 प्रतिशत सतर्क और नौकरी के प्रदर्शन में 34 प्रतिशत ज्यादा बेहतर देखा गया है. नासा में नींद के विशेषज्ञों ने नैप के प्रभावों पर शोध करते हुए पाया कि नैप लेने से व्यक्ति के मूड, सतर्कता और प्रदर्शन में काफी सुधार होता है. दस मिनट की झपकी आपको पूरी रात की नींद जैसा फ्रेश महसूस करवा सकती है. आप 10 से 20 मिनट के बीच लिए गए पावर नैप से  बिना सोए रात भर की नींद जैसा फायदा उठा सकते हैं. खास बात यह है कि 10 मिनट की झपकी लेने से मांसपेशियों के बनने से लेकर याद्दाश्त तक मजबूत होने में सहायता मिलती है. दोपहर के वक्त लंच के बाद 20 से 30 मिनट की पावर नैप सबसे अच्छी है, मगर ज्यादा नींद आती हो तो भी एक घंटे से ज्यादा नहीं सोना चाहिए, वरना आपके शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित हो जाएगी और रात की नींद में खलल पड़ेगा.

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नैप के लिए शान्त कोना ढूंढें

पावर-नैप से अधिकतम लाभ पाने के लिए, आपको एक शांतिपूर्ण, ठंडी और आरामदायक जगह ढूंढनी चाहिए, जहां दूसरे लोग आपको परेशान न करें. औफिस में कौन्फ्रेंस रूम का कोना हो या कार पार्किंग स्थल, दस से पंद्रह मिनट यहां खामोशी से आंख बंद करके बिताये जा सकते हैं. लगभग 30 प्रतिशत कौरपोरेट औफिस में लंच के बाद एम्प्लौइज को आधा घंटे का वक्त पावर नैप के लिए दिया जाता है. इससे उनके काम की गति और क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है. अगर आप किसी स्कूल-कौलेज में पढ़ाते हैं, तो वहां की लाइब्रेरी इस काम के लिए सबसे बेहतर जगह है, जहां शांति और खाली जगह होती है.

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आप सड़क पर जा रहे हों और आपको झपकी लगी हो तो किसी पार्किंग स्थल पर कार खड़ी करके दस-पन्द्रह मिनट की झपकी ले लेनी चाहिए. अक्सर देखा गया है कि कार ड्राइव करने वाले लोग नींद आने पर तम्बाकू-गुटका आदि का सेवन नींद भगाने के लिए करते हैं, जो सेहत के लिए बहुत खतरनाक है. इससे बेहतर है कि नींद आने पर किसी सेफ जगह पर गाड़ी खड़ी करके झपकी मार ली जाए, इससे नींद तो भागती ही है, शरीर और दिमाग पहले से अधिक ऊर्जा महसूस करने लगते हैं.

कम रोशनी का स्थान चुनें

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पावर नैप लेते वक्त लाइट औफ कर दें. बेहतर हो कि आप कोई अंधेरा कमरा चुनें ताकि आंख बंद करते ही आपको नींद आ जाए. अंधेरा होने से आपकी आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलेगा और दिमागी तनाव भी दूर होगा. यदि अंधेरा स्थान उपलब्ध न हो तो आप स्लीप-मास्क या धूप का चश्मा आंखों पर चढ़ा लें और आराम से सो जाएं. इसके अलावा जिस जगह आप पावर नैप लें वह स्थान बहुत गर्म या बहुत ठंडा नहीं होना चाहिए. आपकी नैपिंग आरामदायक हो, इसलिए एक शीतल लेकिन आरामदायक जगह तलाश करिये. ज्यादातर लोग 65 डिग्री फारेनहाइट या 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास सबसे अच्छी नींद लेते हैं. यदि आपकी नैपिंग की जगह बहुत ठंडी है, तो एक कंबल रखें या आरामदायक जैकेट साथ रखें, जिसे पहन कर आप आराम महसूस करें. यदि आपकी नैपिंग की जगह बहुत गर्म है तो कमरे में एक पंखा रखने पर विचार करें.

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शांतिदायक संगीत सुनें

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रिलैक्सिंग म्यूजिक आपके दिमाग को सही स्थिति में ला सकता है. यदि आप अपनी कार में पावर नैप ले रहे  हैं, तो कोई हल्का संगीत लगा लें, इससे नींद अच्छी आती है. हल्की आवाज में वौकमैन पर भी हल्का म्यूजिक सुन सकते हैं. सिर्फ इन्ट्रूमेंटल म्यूजिक भी शरीर और दिमाग को तरोताजा करने में कारगर साबित होता है. अगर आप काम की वजह से ज्यादा तनाव में हैं और आंख बंद करने पर भी आपको नींद नहीं आती है तो कुछ मेडिटेशन करें. आंख बंद करके एक से सौ तक गिनती गिनें या कोई मनपसंद गीत गुनगुनाएं. इसके बाद आपको जल्द ही नींद आ जाएगी और जागने पर दिमाग तनावमुक्त महसूस होगा.

नैप की अवधि

आप खुद तय करें कि आप कितनी देर तक नैप लेना चाहते हैं. एक पावर नैप 10 से 30 मिनट के बीच का होना चाहिए. वैसे तो, छोटे और लंबे नैप्स भी विभिन्न लाभ प्रदान कर सकते हैं. आपका शरीर खुद आपको बता देगा कि आपको कितनी देर तक नैप लेनी है. बस उस समय-सीमा का पालन आप हर दिन समान रूप से करें. यदि आपके पास अधिक समय नहीं है, लेकिन आप इतनी नींद में हैं कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे जारी नहीं रख पा रहे हैं, तो दो से पांच मिनट की नैप, जिसे “नैनो-नैप” कहा जाता है, आपको नींद से निपटने में मदद कर सकती है.

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पांच से बीस मिनट के लिए नैप आपकी सतर्कता, स्टैमिना, और मोटर-परफौर्मेंस बढ़ाने के लिए बहुत अच्छी होती है. इन नैप्स को “मिनी-नैप्स” के रूप में जाना जाता है. बीस मिनट की नींद बहुत आदर्श नैप मानी जाती है. एक पावर-नैप, मस्तिष्क को अपने शौर्ट-टर्म मेमोरी में एकत्रित अनावश्यक जानकारी से छुटकारा पाने में भी मदद करती है, और मसल-मेमोरी में भी सुधार लाती है. बीस मिनट की पावर नैप आपके नर्वस सिस्टेम में मौजूद इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स, आपको अधिक आराम किया हुआ और सतर्क महसूस कराने के अलावा, आपके मसल-मेमोरी में शामिल न्यूरौन्स के बीच के संबंध को भी मजबूत करता है, जिससे आपका मस्तिष्क तेजी से और अधिक सटीक तरीके से काम करने लगता है. यदि आप बहुत से महत्वपूर्ण तथ्यों को याद करने की कोशिश कर रहे हैं, उदाहरणस्वरूप किसी परीक्षा के लिए, तो पावर-नैप लेना विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है.

पावर नैप से पहले कौफी पियें

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यह बात अजीब लग सकती है क्योंकि कौफी का इस्तेमाल नींद को दूर भगाने के लिए किया जाता है. परन्तु बीस मिनट की पावर नैप लेने से पहले अगर आप कौफी का एक प्याला पी लेते हैं तो यह कौफी आपके शरीर में तुरंत अवशोषित नहीं होती है. कौफी पहले आहार नाल से गुजरती है और फिर शरीर में अवशोषित होने में उसे 45 मिनट का वक्त लगता है. इस दौरान आप बीस-पच्चीस मिनट की पावर नैप ले लें तो जागने के बाद शरीर में मौजूद कौफी आपको और ज्यादा ताजगी से भर देगी और आप दुगनी ऊर्जा के साथ अपने काम का संचालन कर सकते हैं. इस प्रयोग से आप 7 से 8 घंटे तक बिना रुके काम कर सकते हैं.

वरुण धवन से जानिए उनके 6 फिटनेस सीक्रेट्स

वरुण धवन यंगस्टर्स के फिटनेस आइकन हैं. अपनी फिटनेस और बौडी की बदौलत वो केवल लड़कियों के ही नहीं बल्कि लड़कों के भी फेवरेट हैं. लड़के उनकी तरह बौडी बनाने के लिए दिनरात कोशिशें करते हैं, पर अधिकतर लोगों को निराशा हाथ लगती है.

अगर आप फिटनेस फ्रीक हैं और आपको भी वरुण की तरह बौडी बनानी है तो हम आपका काम आसान करने वाले हैं. हम आपके लिए ला रहे हैं वरुण के सीक्रेट फिटनेस टिप्स जिन्हें खुद वरुण ने हमसे साझा किया.

तो आइए शुरू करें.

फिट रहने के लिए जरूरी है डांस

fitness secret of varun dhawan

वरुण की माने तो उनकी फिटनेस का राज डांसिंग है. उनके हिसाब से डांसिंग से सारे बौडी पार्ट एक्टिव रहते हैं. वरूण फिट रहने के लिए स्पोर्ट्स को भी बहुत जरूरी मानते हैं. स्पोर्ट्स से शरीर के मेटाबौलिज्म हाई रहती हैं.

दिन में नियमित एक घंटा वर्कआउट जरूर करें

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फिट रहने के लिए केवल वर्कआउट करते रहना काफी नहीं है. बल्कि मेहनत के साथ डिसिप्लिन जरूरी होता है. जरूरी नहीं कि आप दिन में 5-6 घंटे मेहनत करें, पर नियमित रूप से रोज एक घंटे का वर्क आउट जरूरी करें.

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स्ट्रेचिंग और पानी पीना बहुत जरुरी है

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वरुण की माने तो अच्छी फिटनेस के लिए स्ट्रेचिंग और वाटर इनटेक जरूरी है. जानकार भी अच्छी सेहत के लिए स्ट्रेचिंग को जरूरी मानते हैं. जानकारों की माने तो मसल्स को फ्लेक्सिबल और एक्टिव रखने के लिए स्ट्रेचिंग जरूरी है. इसके अलावा बौडी को हाइड्रेट रखने के लिए पानी खूब पिएं. पानी पीने से मसल्स हाइड्रेटेड रहते हैं और एक्स्ट्रा फैट बौडी से बाहर होता है.

कभी न लें स्टेरौयड

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आमतौर पर फिटनेस ट्रेनर्स जल्दी बौडी बनाने के लिए लोगों को स्टेरौयड लेने की सलाह देते हैं, पर वरुण का मानना बिल्कुल अलग है. जानकार भी इसके सेवन को हेल्दी नहीं मानते. स्टेरौयड सेवन से कुछ वक्त के लिए तो आपको फायदा दिखेगा पर लंबे वक्त के लिए ये काफी हानिकारक होता है. स्टेरौयड का इस्तेमाल करने से त्वचा और मसल्स का बहुत नुकसान होता है.

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किसी भी चोट को सिरियसली लें

fitness secret of varun dhawan

जब आप वर्कआउट करते है और उस दौरान अगर मसल्स में चोटें आती रहती हैं, तो उसे रिकवरी के लिए रेस्ट करना जरूरी होता है. चोट लगने के बाद भी अगर आप वर्कआउट करते है, तो मसल्स और अधिक डैमेज होता है. जब मसल्स टूटता है तो ठीक होने के बाद ही वह बड़ा बनता है. इसलिए अपनी बौडी को रिपेयर करने के लिए समय देना पड़ता है.

फूड में प्रोटीन नैचुरली लेने की जरुरत होती है

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बाजार में भारी मात्रा में आर्टिफिशियल प्रोटीन्स मिलते हैं. पर वरुण प्रोटीन के नेचुरल सोर्सेज को बेहतर मानते हैं. एक्सपर्ट्स की माने तो बौडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीन का इनटेक जरूरी है. मसल्स बिल्डिंग, सेल्स बिल्डिंग में इसका अहम रोल होता है. अच्छी सेहत के लिए वरुण नेचुरल प्रोटीन को बेहद जरूरी मानते है. नट्स, दाल, अंडे, केला, मीट जैसे खाद्य पदार्थ प्रोटीन के प्रमुख स्रोत होते हैं. इनके सेवन से शरीर को पर्याप्त प्रोटीन मिलती है.

जानिए कैसे स्मार्टफोन्स बर्बाद कर रहे हैं नींद

तकनीक ने हमारे जीवन को बदल कर रख दिया है. इसने सबको काफी प्रभावित किया है. इसी क्रम में स्मार्टफोन्स और कंप्यूटर जैसी चीजों ने इंसानी जीवन में काफी बदलाव लाया है. जिस हिसाब से लोगों ने इन तकनीक को  हाथो हाथ लिया,  आलम है कि अब ये हमारे जीवन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित कर रहे हैं.

हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि कंप्यूटर और स्मार्टफोन से निकलने वाली किरणें हमारी सेहत पर बुरा असर डालती हैं. इनसे निकलने वाली आर्टिफीशियल लाइट हमारी नींद पर बुरा असर करती हैं.  जिसके कारण लोगों में अनिद्रा, माइग्रेन जैसी परेशानियां होने लगी हैं. वैज्ञानिकों के इस शोध से इन समस्याओं का इलाज भी संभव है.

शरीर को कैसे प्रभावित करती है आर्टिफीशियल लाइट

शोधकर्ताओं ने इस शोध में पाया कि आंखों की कुछ कोशिकाएं हमारे आसपास की रोशनी को प्रोसेस कर हमारे बौडी क्लौक को फिर से फिर से तय करती हैं. आंखों की ये कोशिकाएं जब देर रात को इन किरणों के संपर्क में आती हैं, हमारा आंतरिक समय चक्र प्रभावित हो जाता है. जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा होने लगती हैं.

इस अनुसंधान की मदद से माइग्रेन, अनिद्रा और बौडी क्लौक संबंधी शिकायतों का इलाज किया जा सकता है.

महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है बांझपन, ऐसे करें इलाज

औरतों के लिए मां बनना किसी सपने से कम नहीं होता. पर आज की खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण महिलाओं को प्रेग्नेंसी में काफी परेशानियां आ रही हैं. इस खबर में हम आपको इनफर्टिलिटी के बारे में और इसके इलाज के बारे में बताएंगे. तो आइए शुरू करें.

क्या होती है इनफर्टिलिटी

इनफर्टिलिटी यानी बांझपन एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी होती है. अगर कोई महिला लगातार कोशिशों के बाद भी एक साल से अधिक समय तक कंसीव नहीं कर पा रही है तो इसका मतलब हुआ वो इनफर्टिलिटी या बांझपन का शिकार हो सकती है.

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क्या हो सकते हैं बांझपन के कारण

  • बांझपन के कई कारण हो सकते हैं कई बार खाने से जुड़ा कोई रोग या एन्‍डोमीट्रीओसिस (महिलाओं से संबंधित बीमारी जिसमें पीरियड्स और सेक्स के दौरान महिला को दर्द होता है) भी बांझपन की वजह बन सकता है.
  • इसके अलावा तनाव के कारण कई बार महिलाएं इनफर्टाइल हो जाती हैं.
  • हार्मोनल इमबैलेंस भी बांझपन का कारण हो सकता है. इस अवस्था में शरीर में सामान्‍य हार्मोनल परिवर्तन ना हो पाने की वजह से अंडाशय से अंडे नहीं निकल पाते हैं.
  • पीसीओएस भी एक वजह है महिलाओं के बांझपन का. इस बीमारी में फैलोपियन ट्यूब में सिस्‍ट बन जाते हैं जिसके कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं.
  • शादी में होने वाली देरी भी इस परेशानी का कारण हो सकती है. आज महिलाएं शादी करने से पहले अपना करियर बनाना चाहती हैं, जिसके कारण उनकी शादी में देरी होती है. बता दें, महिलाओं की ओवरी 40 वर्ष की आयु के बाद काम करना बंद कर देती है. अगर इस उम्र से पहले किसी महिला की ओवरी काम करना बंद कर देती है तो इसकी वजह कोई बीमारी, सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन हो सकती है. अत्यधिक जंकफूड का सेवन करने से भी महिलाओं को बांझपन की परेशानी होती है.

कैसे बचें बांझपन से

जानकारों की माने तो बांझपन से बचने के लिए अपनी जीवनशैली को दुरुस्त करना जरूरी है. इसके अलावा महिलाओं को अपने खानपान पर भी खासा ध्यान देना होगा. फास्टफूड या जंकफूड का अत्यधिक इस्तेमाल उनकी इस परेशानी का कारण है.

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मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करने से भी महिलाएं अपनी फर्टिलिटी बढ़ा सकती हैं. जानकारों का मानना है कि इस समस्या से बचने के लिए महिलाओं को अपने आहार में जस्ता, नाइट्रिक ऑक्साइड और विटामिन सी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए.  इसके अलावा महिलाओं को अपनी दिनचर्या में वाटर इन्टेक भी बढ़ना चाहिए.

मां की इस एक गलती से बच्चे हो सकते हैं मोटापे का शिकार

धूम्रपान सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है, फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला, धूम्रपान सभी की सेहत को बुरी तरह से प्रभावित करता है. खास कर के गर्भवती महिलाओं को और अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए. जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के वक्त स्मोकिंग करती हैं वो अपनी सेहत के साथ साथ अपने बच्चे की भी सेहत के साथ खिलवाड़ करती हैं. हाल ही में सामने आई एक स्टडी में ये बात सामने आई की जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के वक्त धूम्रपान करती हैं, उनके बच्चे बड़े हो कर मोटापे का शिकार हो सकते हैं.

क्या कहती है रिपोर्ट

स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान धूम्रपान करती हैं उनके बच्चे की स्किन में केम्रीन प्रोटीन फैल जाता है. बता दें यह एक तरह का प्रोटीन है जो शरीर में फैट कोशिकाओं द्वारा बनता है.

smoking of mother causes obesity in child

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कहीं आपके प्रेग्नेंट ना होने का कारण आपके पति की ये कमी तो नहीं?

क्या कहती है पहले की रिपोर्ट

इसी मामले में आई पिछली रिपोर्ट में कहा गया था कि मोटापे से पीड़ित लोगों के ब्लड में केम्रीन प्रोटीन भारी मात्रा में पाया जाता है. जबकि हाल में इसपर आई नई रिपोर्ट के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करने से बच्चों की जींस में बदलाव आते हैं, जो शरीर की फैट कोशिकाओं को बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं.

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बच्चों की अच्छी सेहत के लिए इस खबर को पढ़ें

क्या कहते हैं जानकार

शोध में शामिल जानकारों की माने तो स्टडी के आधार पर ये कहा जा सकता है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान धूम्रपान करती हैं, उनके बच्चों को मोटे होने का अधिक खतरा होता है. हालांकि, इसके पीछे के कारण की अभी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है.

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ये हैं सैंपल

बता दें, इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 65 प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल किया. नतीजों में सामने आया कि स्टडी में शामिल आधी से ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान धूम्रपान करती थीं.

अगर मां को है डायबिटिज तो बच्चों को हो सकती है ये बीमारी

आजकल लोगों में शुगर की शिकायत बेहद आम हो गई है. खानपान और खराब लाइफस्टाइल इसका सबसे बड़ा कारण है. ये परेशानी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. ऐसे में गर्भवती महिलाएं जो शुगर से पीड़ित हैं उनके लिए खतरा और अधिक हो जाता है. हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि गर्भवती महिलाएं जिनको शुगर की बीमारी है उनके बच्चों में अटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऔर्डर (एएसडी) का खतरा बढ़ जाता है.

क्या है अटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऔर्डर (एएसडी)

ये एक तरह की मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति को समाजिक संवाद स्थपित करने में परेशानी आती है और वो आत्मकेंद्रित बन जाता है.

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क्या कहता है शोध

इस शोध में ये बात सामने आई कि यह खतरा टाइप-1 और टाइप-2 के विकार और गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित होने से संबंधित है. शोध में पाया गया कि एएसडी का खतरा मधुमेह रहित महिलाओं के बच्चों की तुलना में उन गर्भवती महिलाओं के बच्चों में ज्यादा होता है, जिनमें 26 सप्ताह के गर्भ के दौरान मधुमेह की शिकायत पाई जाती है.

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कौन हैं सैंपल

इस शोध में 4,19,425 बच्चों को शामिल किया गया, जिनका जन्म 28 से 44 सप्ताह के भीतर हुआ था. यह शोध 1995 से लेकर 2012 के दौरान किया गया.

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