9 टिप्स पति को बनाएं अपना दीवाना

दिव्या ने जब विवाह के बाद अपनी ससुराल में पहला कदम रखा तो अपनी मम्मी की हिदायतों के अनुसार उस ने संजीव पर कम और उस के घर वालों पर अधिक ध्यान दिया. इस का नतीजा यह निकला कि विवाह के कुछ दिनों बाद ही संजीव दिव्या से खिंचाखिंचा सा रहने लगा.

दिव्या की रातदिन की जीहुजूरी के कारण ससुराल वालों की उम्मीदें भी बढ़ती चली गईं और जब दिव्या उन की उम्मीदों को पूरी कर पाने में असमर्थ रहने लगी तो वे उस की संजीव से शिकायतें करने लगे. दिव्या को लगा, संजीव उस का साथ देगा मगर उस ने तो कभी संजीव के साथ ऐसा संवाद ही नहीं रखा था.रश्मि ने भी विवाह होते ही बहू नंबर वन बनने की सोची. वह अपनी ननद, देवर, सासससुर के साथ इतनी घुलमिल गई कि इस बीच उस का पति साकेत कहीं खो सा गया. जब भी घूमनेफिरने की बात होती तो रश्मि अपने साथ अपनी ननद और देवर को भी ले कर जाती. साकेत रश्मि की इन हरकतों से चिढ़ जाता. उसे हर आउटिंग रोमांटिक नहीं बल्कि फैमिली पिकनिक लगती और जल्द ही साकेत अपनी रोमांस की जरूरतों के लिए अपनी सहकर्मी पर निर्भर होने लगा.

विवाह बाद एक महिला अपने नए जीवनसाथी के साथ संयुक्त होती है. महिला के इस नए रूप में दुलहन का एक महत्त्वपूर्ण निर्णय होता है कि उसे किन मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक मामलों पर ध्यान देना चाहिए. एक नई शादीशुदा महिला के लिए एक नए परिवार में आधारभूत सामाजिक, मानसिक और पारिवारिक स्थितियां उत्पन्न होती हैं. इस मामले में एक दुलहन का पति पर ध्यान परिवार के अन्य सदस्यों से अधिक होना चाहिए.

ये कुछ कारण दुलहन को अपने पति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं:

  1. पारिवारिक नवजात

जब एक महिला विवाह के बंधन में बंधती है, तो वह नए परिवार की भावनाओं, संस्कृति और प्रथाओं के साथ भी बंधती है. उसे इस नए परिवार की संपूर्णता और विशेषता में सम्मिलित होना चाहिए.

2. साझा बनाए रखें रिश्ते

एक स्वस्थ विवाह में पतिपत्नी के बीच एक अच्छा और स्नेहपूर्ण संबंध होना चाहिए. दुलहन को अपने पति के साथ एक नियमित और सजीला संबंध रखना चाहिए और पति के परिवार के सदस्यों के साथ भी नए और स्वीकार्य संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

3. स्वतंत्रता और स्वाधीनता

एक दुलहन को अपने व्यक्तिगत विकास और स्वतंत्रता की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जब एक महिला अपने पति के साथ संयुक्त होती है, तो वह मन में अपनी स्वाधीनता के खोने का डर रखती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह अपने स्वयं के विकास के लिए अपनी अधिकारिता बनाए रख सकती है.

4. विशेष अभिवावक नहीं

जब एक महिला दुलहन बनती है, तो उसे अपने पति के विशेष अभिवावक नहीं, बल्कि एक समान पार्टनर की भूमिका में अपनेआप को स्थापित करना चाहिए. दुलहन को अपने पति के साथ भागीदारी में रहना चाहिए और अपने बीच एक सामंजस्यपूर्ण और समान संबंध बनाना चाहिए.

5. पति के सपोर्ट में रहना

विवाहित जीवन में सफलता के लिए पत्नी को अपने पति की सपोर्ट में रहना जरूरी है. पति की प्राथमिकता को और उन की इच्छाओं को समझना आवश्यक है. आप को उन के सपनों को पूरा करने में उन की सहायता करनी चाहिए.

6.पति के संग वक्त बिताना

नई दुलहन का अपने पति के साथ समय बिताना बेहद महत्त्वपूर्ण है. विवाह के बाद नए परिवार के साथ रहने में वह नई है, लेकिन इस दौरान पति के साथ संवाद में रहने से संघर्षों को सम?ाने मे मदद मिलती है.

7. सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना

नई दुलहन को परिवार के साथ सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना चाहिए. ध्यान रखने योग्य बात है कि उसे अपने पति के साथ संबंधों को बनाए रखने के लिए समय देना चाहिए. इस से खुशहाल और समृद्ध जीवन जीने में मदद मिल सकती है.

8. परिवार के मामूली मुद्दों पर ध्यान न देना

नए दुलहन को पति के साथ विवाहित जीवन का आनंद उठाने के लिए परिवार के मामूली मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए. वह अपने पति के साथ रिश्ते को स्थाई बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है.

9. संबंधों में संवाद

विवाहित जीवन में संवाद का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. जब आप अपने पति के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं और उन्हें अपने मन की बातें बताते हैं तो आप के बीच समझता हो सकता है और इस विवाहित जीवन को खुशनुमा बनाने में मदद मिल सकती है. संबंधों में समझदारी और संवाद समृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं

.एक दुलहन के जीवन का यह समय खास और यादगार होता है. इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर एक दुलहन को ध्यान देने की जरूरत है कि वह अपने पति पर ध्यान केंद्रित करे पति के परिवार पर नहीं. एक संतुष्ट और संयुक्त शादीशुदा जीवन के लिए दुलहन को पति और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ स्नेहपूर्ण संबंध बनाने का प्रयास करना चाहिए. इस से अपने नए जीवन को संतुष्ट, सफलतापूर्वक और खुशहाली से जीने में मदद मिल सकती है.

कम शब्दों में बोला जाए तो यह कि अगर आप बीवी नंबर वन बन जाती हैं तो बहू नंबर वन तो अपनेआप ही बन जाएंगी.

5 टिप्स से पहचानें सच्चा रिश्ता

पारिवारिक रिश्तों के साथसाथ कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम अपने लिए खुद चुनते हैं. लेकिन कई बार जिन रिश्तों पर हम आंख बंद कर के भरोसा करते हैं वे ही समय पर हमारे काम नहीं आते.

जानिए, सच्चे और झूठे रिश्ते की पहचान करने के कुछ सुझाव:

  1. आप को हमेशा उन के बचाव में आना होता है

यदि परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के आगे अकसर आप को उन के बचाव के लिए आगे आना पड़ता है और वादों की जमानत देनी पड़ती हो तो यह एक संकेत है कि सामने वाला आप का इस्तेमाल कर रहा है. कुछ लोग किसी रिश्ते में इसलिए बंधे होने का ढोंग करते हैं क्योंकि उन्हें अपनी गलतियों को छिपाने के लिए ढाल के रूप में आप का इस्तेमाल करना होता है. इस तरह ढाल बनने से इनकार कीजिए और फिर देखिए सामने वाले का रिएक्शन.

2. वे कभी धन्यवाद नहीं कहते

चाहे आप उन का काम निबटाएं, अच्छा खाना खिलाएं, उन के मातापिता की देखभाल करें, उन के दोस्तों के साथ अच्छा रिश्ता बनाएं, सरप्राइज गिफ्ट ले कर आएं. आप उन के लिए लगातार अच्छा करने का प्रयास करती रहें और बदले में सराहना की उम्मीद करें मगर उन की जबान से तारीफ का एक शब्द भी न निकले तो यह स्थिति स्पष्ट करती है कि आप का साथी कृतज्ञता व्यक्त नहीं करता. जाहिर है उस के मन में आप के प्रयासों की कोई इज्जत नहीं. वह केवल रिश्ता ढो रहा है ताकि आप का जितना हो सके इस्तेमाल कर सके.

3. वे हमेशा एहसान मांग रहे हैं

अगर कोई आप से लगातार एहसान मांगता रहता है और जब आप को उस की मदद की जरूरत होती है तो वह मदद करने को तैयार नहीं होता. यह एक स्पष्ट संकेत है कि सामने वाला आप का उपयोग कर रहा है. रिश्तों में एकदूसरे की सहायता करना बहुत स्वाभाविक होता है, मगर यह दोतरफा होना चाहिए. एक हाथ से कभी ताली बजती.

4. नाराजगी

ध्यान दें कि क्या सामने वाला बेवजह आप से मुंह फुला लेता है? डा. किम क्रोनिस्टर के मुताबिक नाराजगी एकतरफा रिश्तों के साथ आ सकती है. यदि आप दोनों समानरूप से रिश्ते के प्रति सीरियस हैं तो किसी एक व्यक्ति को दूसरे के प्रति बहुत अधिक या लंबे समय तक नाराजगी महसूस नहीं करनी चाहिए.

5. भावनात्मक सपोर्ट

एक ऐसे रिश्ते में जो संतुलित और स्वस्थ हो (और जिस में 2 इंसान वास्तव में एकदूसरे को पसंद करते हैं), दोनों की भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जाता है. यदि आप जिस रिश्ते में हैं उस में आप की भावनात्मक जरूरतें कभी पूरी नहीं की जातीं तो यह एक संकेत है कि वह व्यक्ति आप का महज इस्तेमाल कर रहा है, उस का आप से कोई जुड़ाव नहीं है.

परिवार से दूर दोस्त क्यों जरूरी है

दोस्ती एक ऐसा मीठा रिश्ता है जो जिंदगी में चाशनी सी घोल जाता है… जब हम अपने परिवार से दूर होते हैं तो वहां पर कोई हमारा अपना होता है तो वो दोस्त ही होते हैं जो हमारा परिवार बनते हैं.अक्सर ऐसा होता है जब पढ़ाई करने या जौब करने के लिए हम घर से बाहर चले जाते हैं और घर से कोसो दूर होते हैं तो उस वक्त वहां दोस्त मिलते हैं जो सुख में दुख में हमारा साथ देते हैं…..

कभी-कभी मन बहुत उदास होता है घर वालों की याद आती है हम उनके बारे में सोचते हैं और रो भी देते हैं ऐसे में दोस्त ही होतें हैं जो हमारा सहारा बनते हैं ,हमें हंसाते हैं,हमारा मूड अच्छा करते हैं.कुछ ऐसी बातें होती हैं जो हम अपने परिवार से नहीं कह सकते हैं लेकिन अपने दोस्तों से शेयर करते हैं और उनसे सलाह भी लेते हैं. अब अगर कौलेज की बात करें तो बहुत सी गॉसिप होती हैं भाई लड़कियों को तो चाहिए वही और वो ये गॉसिप्स अपने दोस्तों से ही शेयर करती हैं.लड़कों का तो लेवल पूछो ही मत भाई उनके तो अपने अलग-अलग कांड ही होते हैं.साथ में मिलकर पार्टी करना दोस्तों के सोथ मिलकर हंसी-मज़ाक करना,और अगर ब्रेकप हो गया तो उसका दुखड़ा भी रोना..कोई पसंद आ गया तो उसकी सेंटिंग करवाना …अब आपको हंसी तो आ ही रही होगी लेकिन आजकल की सच्चाई यही है और होता भी यही है.

जब आप किसी प्रौबलम में होते हैं तो दूसरे दोस्त ही हेल्प करते हैं चाहे पैसे की दिक्कत हो या फिर आप बिमार हैं तो आपका ध्यान भी रखते हैं.या फिर कॉलेज में दोस्त के लिए टीचर से झूठ बोलते हैं या फिर ऑफिस में बॉस…ये सब थोड़ा अजीब भले लगे लेकिन दोस्त होते ही ऐसे हैं और  ये सब खट्टी-मीठी सी यादें होती हैं जब आप अपने दोस्तों से अलग होते हैं तो यही सारी यादें आपके साथ रहती हैं जिन्हें आप अपने घर परिवार या कुछ दूसरे दोस्तों से शेयर करते हो कि अरे हम तो ऐसा किया करते थें..हमने साथ में बहुत मस्तियां की हैं…घर से दूर हमारा परिवार हमारे दोस्त ही होते हैं वरना दुनिया में अकेले रहना बहुत मुश्किल है.अकेले होने पर आपके अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है क्योंकि आप सबकुछ अपने अंदर ही दबा कर रखते हो कुछ भी किसी से शेयर नहीं करते.इसलिए लाइफ में एक ऐसा साथी होना जरूरी है जो हर कदम पर आपके साथ हो अगर बोलो हां तो वो भी बोले हां…मज़े की बात तो ये हैं कि दोस्त एक-दूसरे को छेड़ते भी बहुत है लेकिन उसी में उनका जीना है जिसमें वो बहुत खुश रहते हैं.एक-दूसरे को गाली बिना तो बुला ही नहीं सकते लेकिन उसी गाली में उनका प्यार होता है उनका अपनापन होता है….शायद इसलिए ही कहते हैं कि दोस्ती वो अनमोल तोहफा है जिसे जितनी शिद्दत से निभाओगे उतना ही खुश रहोगे और सभी की जिंदगी में एक ऐसा दोस्त होना जरूरी है…..वो कहते हैं न ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…तोड़ेंगे हम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे.

Married Life में इसकी हो नो ऐंट्री

शक लाइलाज बीमारी है. अगर एक बार यह किसी को, खासकर पतिपत्नी में से किसी को अपनी चपेट में ले ले, तो वह उसे हैवान बना सकती है. ऐसी एक घटना हाल ही में हैदराबाद में देखने को मिली जहां अवैध संबंधों के शक पर एक महिला ने अपने पति को ऐसी सजा दी जिस का दर्द वह शायद जिंदगी भर नहीं भूल पाएगा.

आप यह जान कर दंग रह जाएंगे कि 30 साल की इस आरोपी महिला ने पति से विवाद होने पर चाकू से उस का प्राइवेट पार्ट काटने की कोशिश की, जिस के चलते पति को गंभीर चोटें आईं.

ऐसा ही एक अन्य मामला दिल्ली के निहाल विहार इलाके में भी सामने आया, जहां पति ने ही अपनी पत्नी का मर्डर कर दिया. पकड़े जाने पर पति ने सारी बात पुलिस को बता दी. उस ने साफ किया कि उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर शक था. दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन पति को लगता था कि उस की पत्नी की दोस्ती कई लड़कों से है. इस बात को ले कर अकसर दोनों में झगड़ा होता था.

टूटते परिवार बिखरते रिश्ते

शक न जाने कितने हंसतेखेलते परिवारों को तबाह कर देता है. दांपत्य जीवन, जो विश्वास की बुनियाद पर टिका होता है, उस में शक की आहट जहर घोल देती है. हाल के दिलों में अवैध संबंधों के शक में लाइफपार्टनर पर हमले और हत्या करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. मनोवैज्ञानिक इस के पीछे संयुक्त परिवारों के बिखरने को एक बड़ा कारण मानते हैं.

दरअसल, संयुक्त परिवारों में जब पतिपत्नी के बीच मनमुटाव होता था तो घर के बड़े उसे आपसी बातचीत से सुलझा देते थे या बड़ों की उपस्थिति में पतिपत्नी का झगड़ा बड़ा रूप नहीं ले पाता था, जबकि आज पतिपत्नी अकेले रहते हैं, आपसी झगड़ों में वे एकदूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं. वहां उन के आपसी संबंधों में शक की दीवार को हटाने वाला कोई नहीं होता.

ऐसे में शक गहराने के कारण पतिपत्नी का रिश्ता दम तोड़ने लगता है. वर्तमान लाइफस्टाइल में जहां पतिपत्नी दोनों कामकाजी है और दिन में 8-10 घंटे वे घर से बाहर रहते हैं और उन का विपरीत सैक्स के साथ उठनाबैठना होता है, जो दोनों के बीच शक का कारण बनता है. ऐसे में पतिपत्नी दोनों को एकदूसरे पर विश्वास रखना होगा.

बिजी लाइफस्टाइल

शादी के बाद जहां वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में पतिपत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है, वहीं इसे खत्म करने में भी दोनों का ही हाथ होता है. शादी के कुछ वर्षों बाद जब दोनों अपनी रूटीन लाइफ से बोर हो कर और जिम्मेदारियों से बचने के लिए किसी तीसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं यानी ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखते हैं, तो वैवाहिक रिश्ते का अंत शक से शुरू हो कर एकदूसरे को शारीरिक नुकसान पहुंचाने और हत्या तक पहुंच जाता है.

कई बार परिवार की जिम्मेदारियों के बीच फंसे होने के कारण जब पतिपत्नी जिंदगी की उलझनों को सुलझा नहीं पाते तो उन के बीच अनबन होने लगती है और उस के लिए वे बाहरी संबंधों को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. उन के दिमाग में शक घर करने लगता है. धीरेधीरे शक गहराता जाता है और झगड़ा बढ़ जाता है. यदि कोई उन्हें समझाए तो शक और सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं, लेकिन एकल परिवार में उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता. इस कारण हालात मारपीट से ले कर हत्या तक पहुंच जाते हैं.

तुम सिर्फ मेरे हो वाली सोच

लाइफपार्टनर के प्रति अधिक पजैसिव होना भी शक का बड़ा कारण बनता है. आज के माहौल में जहां महिलाएं और पुरुष औफिस में साथ में बड़ीबड़ी जिम्मेदारियां संभालते हैं, ऐसे में उन का आपसी मेलजोल होना स्वाभाविक है. फिर पति या पत्नी में से जब भी कोई एकदूसरे को किसी बाहरी व्यक्ति से मेलजोल बढ़ाते देखता है तो उस पर शक करने लगता है और उसे यह बरदाश्त नहीं होता कि उस का लाइफपार्टनर, जिसे वह प्यार करता है, वह किसी और से मिलेजुले, क्योंकि वह उस पर सिर्फ अपना अधिकार समझता है.

इस तरह की मानसिकता संबंधों में कड़वाहट भर देती है. पति या पत्नी जब फोन पर किसी अन्य महिला या पुरुष का मैसेज या कौल देखते हैं तो एकदूसरे पर शक करने लगते हैं. भले ही वास्तविकता कुछ और ही हो, लेकिन शक का बीज दोनों के संबंध में दरार डाल देता है, जिस का अंत मारपीट और हत्या जैसी घटनाओं में

होता है.

जासूसी का जरीया बनते ऐप्स

पतिपत्नी के रिश्ते में दूरी लाने में स्मार्टफोन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. जहां सोशल मीडिया ने वैवाहिक जोड़ों को शादी के बंधन से अलग किसी और के साथ प्यार की पींगें बढ़ाने का मौका दिया है, वहीं स्मार्ट फोन में ऐसे ऐप्स भी आ गए हैं, जो पतिपत्नी को एकदूसरे की जासूसी करने का पूरा अवसर देते हैं.

इन ऐप्स द्वारा पति या पत्नी जान सकती है कि उस का लाइफपार्टनर उस के अतिरिक्त किस से फोन पर सब से ज्यादा बातें करता है यानी किस से आजकल उस की नजदीकियां बढ़ रही हैं, उन के बीच क्या बातें होती हैं, वे कौन सी इमेज या वीडियो शेयर करते हैं. यानी लाइफपार्टनर के फोन पर कंट्रोल करने का पूरा इंतजाम है. ये ऐप्स लाइफपार्टनर की हर ऐक्टिविटी पर नजर रखने का पूरा मौका देते हैं. इन ऐप्स की मदद से लाइफपार्टनर का फोन पूरी तरह आप का हो सकता है.

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप तकनीक का सदुपयोग आपसी रिश्तों में नजदीकी लाने में करें या उसे रिश्ते में दूरी बनाने का कारण बनाएं?

8 लव मेकिंग मिस्टेक्स

क्या  औफिस से घर पहुंचने पर आप थक कर चूर हो जाते हैं और आप के पार्टनर का प्यार भरा स्पर्श भी आप में उत्तेजना पैदा नहीं करता? क्या उस के साथ प्यार करना आप को पहाड़ खोदने जैसा लगता है?

जी हां, शाम को थक कर चूर हुए कई कपल्स अकसर घर आ कर अपने पार्टनर से मुंह बिचकाते नजर आते हैं. अगर आप के साथ भी ऐसा होता है तो मुंह बिचकाने से पहले सोचें कि शादी का मतलब यह कतई नहीं है कि रोमांटिक फीलिंग्स ही हवा हो जाएं. प्यार का एहसास उस समय कंप्लीट होता है, जब 2 जिस्म 1 जान बन जाते हैं. तब उन के बीच लव की फीलिंग इतनी होती है कि उन की बौडी भी एकदूसरे को ऐक्सैप्ट कर लेती है और तब वे लव मेकिंग करने लगते हैं.

इस दौरान कपल्स ऐसी कई गलतियां कर बैठते हैं, जिस से वे सैक्स को पूरी तरह ऐंजौय नहीं कर पाते. जानिए कैसे इन गलतियों से बचा जाए और लव मेकिंग से पहले किन बातों का ध्यान रखा जाए, ताकि जोड़ा दुनिया की सब से प्यारी फीलिंग को सम झ पाए और उसे दिल से अपना सके.

डिस्कस करने में हिचकिचाहट

कभीकभी एक पार्टनर अपनी लव मेकिंग को स्पाइसी तो बनाना चाहता है, लेकिन वह अपने पार्टनर से कुछ कहने में हिचकिचाता है. हो सकता है आप के साथ भी ऐसा होता हो. आप मानें या न मानें 90प्रतिशत केसेज में आप का पार्टनर भी नई चीजें करना पसंद करता है, लेकिन आप की ही तरह उसे भी बात करने में हिचकिचाहट या घबराहट होती है.

डिस्कस करने से घबराएं नहीं और यह कोई रूल नहीं है कि मेल पार्टनर ही पहल करे. दोनों में से कोई भी पहल कर सकता है और दर्जनों तरीकों में से किसी एक तरीके को चुन कर पूरे जोश से उसे ट्राई कर सकता है. सैक्स के बारे में डिस्कशन से जोड़े लव मेकिंग तो ऐंजौय करेंगे ही, अपने रिश्तों में मिठास भी लाएंगे.

कनविंस करना न आना

अगर एक पार्टनर थका हुआ है और सैक्स के मूड में नहीं है तो दूसरा कई बार उसे रेडी करने में असफल हो जाता है. एक सच यह भी है कि सैक्स के लिए जब कोई रेडी होता है, तो उस समय उस की बौडी से ऐड्रीनलीन कैमिकल रिलीज होता है, जो प्यार या सैक्स करने की भरपूर ऐनर्जी देता है.

पार्टनर को शाम को मूड में लाने के लिए सुबह 9 से 10 बजे के बीच उसे मैनुअली कई बार बेमतलब छुएं. दिन भर में इस समय टैस्टोस्टेरौन अपने हाई लैवल पर होता है. शाम को बैटर रिजल्ट के लिए आप सैक्सी गारमैंट्स पहनना भी न भूलें. यह उन्हें जरूर पसंद आएगा. ऐसा कर के आप अपनी लव मेकिंग को हमेशा के लिए स्ट्रौंग बना सकेंगे और पार्टनर में दिन भर के काम में थकान के बावजूद सैक्स की इच्छा बनी रहेगी.

जल्दबाजी का चक्कर

तुरंत मजे के चक्कर में कई पुरुष फोरप्ले अवौइड कर देते हैं. उन की कोशिश होती है कि वे जल्द से एक ही बाइट में पूरा सेब खा लें. लेकिन क्या आप को पता है कि फोरप्ले और्गेज्म की ओर बढ़ने में बहुत मदद करता है? अपने पार्टनर के साथ किसिंग, लव बाइट और टच करना आप की लव मेकिंग को ज्यादा मजेदार बनाता है, इसलिए स्पीड कम करिए, पूरा टाइम दीजिए और अपने पार्टनर को छेडि़ए. यह फौर्मूला शर्तिया ही काम करेगा और दोनों का मजा दोगुना हो जाएगा.

अगर आप को लगे कि किसी खास भूमिका में आप के पार्टनर को ज्यादा मजा आ रहा है, तो रुकें और उसे दोबारा करें. जितना ज्यादा आप उसे करेंगे, उतना ज्यादा मजा उसे आएगा और यह आप को भी अच्छा लगेगा. इस ढंग से आप यह गेम खेल कर पार्टनर को पूरे तौर पर सैटिस्फाई कर सकते हैं. इस से प्यार का मजा दोगुना भी हो जाएगा.

पोर्न मूवीज या टौय इस्तेमाल करना

सैक्स के दौरान कई लोगों को लगता है कि पोर्न मूवीज, वीडियो या फिर प्लास्टिक या रबर के टौय से मजा चरम पर पहुंचेगा. ऐसा सोचना या ऐसा करना गलत है. हालांकि टौयज का लव मेकिंग में खास महत्त्व है, लेकिन उन पर निर्भर होना खतरनाक हो सकता है. प्लेजर के लिए बाहरी सोर्स आप को कम मजा देंगे क्योंकि यह तो आप भी नहीं चाहेंगे कि आप के पार्टनर को आप के बजाय किसी सैक्स टौय से प्लेजर मिले.

कपल्स को अपने पार्टनर को सैटिस्फाई करने के लिए बाहरी चीजों के बजाय अपनी बौडी की मदद लेनी चाहिए. सैक्स टौयज को महज स्पाइस के तौर पर इस्तेमाल करें.

और्गेज्म के बारे में गलतफहमी

फीमेल पार्टनर को सैक्स से सैटिस्फाई न कर पाना, कई मेल पार्टनर्स को अपनी तौहीन लगती है, लेकिन उन को सम झने की जरूरत है कि ज्यादातर औरतें सिंपल या नौर्मल सैक्स से और्गेज्म हासिल नहीं कर पाती हैं. अगर पुरुष यह बात सम झ लें तो उन का यह प्रैशर जरूर कम हो जाएगा. अगर स्त्री और्गेज्म तक नहीं पहुंचती है, तो इस से परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस के बजाय पुरुष को बड़ी चतुराई के साथ स्त्री को डाउन पोस्चर में ला कर सैटिस्फाई करना चाहिए.

एकसाथ फिनिश करने की कोशिश

पार्टनर्स की एकसाथ फिनिश करने की कोशिश जैसी बातें हवाहवाई हैं. ऐसा होता नहीं है. इस के बजाय एक पार्टनर को पहले सैटिस्फाई करने की कोशिश होनी चहिए. इस में फीमेल पार्टनर पहले सैटिस्फाई हो तो बेहतर. ऐसे में दोनों को खूब मजा आएगा.

हर बार सैट रूटीन से चलना

अगर आप की सारी कसरत कपड़े उतारने और ‘प्लग’ को ‘सौकेट’ में फिट करने की कुछ मिनट की मेहनत तक है, तो यह काफी बासी और सैट रूटीन है. ऐसे में आप की लव मेकिंग चाहे कितनी भी फैंटास्टिक हो कुछ सालों के बाद बोरिंग हो ही जाती है, जिस का आप के रिश्ते पर भी असर पड़ सकता है. आप की लव लाइफ को बचाने का तरीका नए आइडियाज में छिपा है. अगर आप नए टिप्स और नई तकनीकें अपनाते हैं, तो इसे दोनों ऐंजौय करेंगे और आप हर बार प्यार में खो जाना चाहेंगे.

बेमतलब की बातें करना

अगर आप बिस्तर पर रोजाना लड़ाई झगड़े की या नैगेटिव बातें करेंगे, तो उस समय हो सकता है कि आप का मूड सैक्स से हट कर फ्यूचर प्लानिंग या लड़ाई झगड़े की बातें सुनने में रह जाए. अगर ऐसा कुछ करना हो तो बिस्तर

पर जाने के करीब 1 घंटा पहले कर लें. इस के लिए दोनों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए. दोनों पार्टनर्स की यही कोशिश हो कि वे एकदूसरे के मूड को स्पाइसअप करें और दोनों को चिल रखें, ताकि आप के बीच का प्यार बढ़ता

बड़ी उम्र में शादी: जरूरी या मजबूरी

तथाकथित सभ्य समाज में भी विवाह जैसे बेहद निजी मामले में लोगों की राय बिन बुलाए मेहमान की तरह तुरंत आ टपकती है. उस पर भी बात यदि बड़ी आयु में हो रहे विवाह की हो तो सभी की नजरें उस व्यक्तिविशेष पर यों उठ जाती हैं जैसे उस ने इस उम्र में शादी कर के कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो. अपराधी न होते हुए भी उसे लोगों की घूरती निगाहों और व्यंग्य बाणों का सामना करना पड़ता है.

समाज में इस तरह के विवाह को रंगीलेपन की श्रेणी में ही रखा जाता है. उस व्यक्ति के चरित्र पर हर तरफ से उंगलियां उठने लगती हैं. सभी ऐसा जताते हैं जैसे बड़ी उम्र में उस के विवाह कर लेने से विवाह की पवित्रता के भंग हो जाने का पूरापूरा खतरा है. बड़ी उम्र में हुए इस विवाह के कारण लोगों का विवाह के इस बंधन से भरोसा ही उठ जाएगा. क्या बड़ी उम्र में की गई यह शादी टिक पाएगी या इस उम्र में शादी कर के उन्हें क्या हासिल होगा जैसे प्रश्नों की झड़ी सी लग जाती है, जिन के उत्तर में व्यक्ति घबरा जाता है. समाज के ठेकेदार कहे जाने वालों की यह सोच उन की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती है. उन के हिसाब से उम्र के इस आखिरी पड़ाव को बिताने का रामभजन ही सर्वोत्तम तरीका है. क्या जरूरत है कि शादी की ही जाए?

क्या है वास्तविकता

मगर वास्तविकता कुछ और है. जीवन की अनुभवजनित सचाई यही कहती है कि बढ़ती उम्र के इस दौर में इनसान का अकेलापन भी बढ़ता जाता है. विशेषकर उन हालात में जब कोई बुजुर्ग अपने जीवनसाथी को खो चुका हो या उस से अलग हो चुका हो.

कुछ शारीरिक थकान और कुछ मानसिक तौर पर असुरक्षा का भाव इनसान को अंदर ही अंदर भयभीत कर देता है. उम्र के इस पड़ाव पर व्यक्ति को एक साथी की जरूरत होती है, जो उसे मानसिक व भावनात्मक संबल दे सके, उस के दुखदर्द या मनोदशा को समझ सके और यह काम एक जीवनसाथी ही कर सकता है.

यह वह समय होता है जब बुजुर्गों के पास अनुभवों का भंडार होता है और सुनने वाले सिर्फ गिनती के. अत: एक बार युवावस्था तो अकेले बिताई जा सकती है, परंतु बड़ी उम्र के इस दौर में व्यक्ति को एक अदद साथी की जरूरत होती ही है, जो न सिर्फ न्यायसंगत है, बल्कि सुरक्षित भी. तो क्या गलत है अगर कोई बुजुर्ग अकेले होने पर किसी का दामन थाम उस के साथ जिंदगी बिताना चाहे. क्या बड़ी उम्र में वह अपनी खुशी के लिए अपनी जिंदगी के फैसले नहीं कर सकता?

जैसे तैसे क्यों जीना

वृद्धावस्था उम्र का वह दौर होता है जब व्यक्ति अपने सभी कर्तव्यों से निवृत्त हो चुका होता है. जैसे बच्चों को पढ़ालिखा, योग्य बना कर उन की शादीब्याह कर चुका होता है. बच्चे भी शादीब्याह कर अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं. उन की प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं. वे चाह कर भी अपने बुजुर्गों के साथ अधिक समय नहीं बिता पाते. तो ऐसे में क्या उन को अपनी बढ़ती उम्र के चलते जिंदगी को बोझ समझ कर जैसेतैसे जीते रहना चाहिए, या उन्हें जिंदगी के एक नए दौर की शुरुआत करनी चाहिए? इस उम्र में शादी करने का फैसला एक अहम फैसला होता है, जिस का तहेदिल से स्वागत होना चाहिए.

यहां पर फिल्म इंडस्ट्री के जानेमाने कलाकार और फिल्म मेकर करीब बेदी द्वारा 70 साल की उम्र में 42 साल की परवीन दुसांज से की गई शादी इस का बेहतरीन उदाहरण है. यह कबीर बेदी की चौथी शादी है. उन की पिछली तीनों शादियां क्यों सफल नहीं हो पाईं या उन के टूटने के क्या कारण थे, उन का नितांत व्यक्तिगत मसला है. उन रिश्तों की हकीकत कुछ भी हो, उन पर सवाल उठाना बेमानी होगा, उन के निजी मामलों में दखल होगा. लोगों द्वारा ये कयास जरूर लगाए जा रहे होंगे कि क्या यह शादी सफल होगी या फिर पिछली तीनों शादियों की तरह यह भी बिखर जाएगी?

इस बारे में रोचिका अपनी बेबाक राय देते हुए कहती हैं कि कबीर बेदी की 3 शादियां नहीं टिकीं तो चौथी शादी के टिकने में भी बड़ा संशय है. आकांक्षा का भी यही कहना है कि क्या गारंटी है कि कबीर की चौथी शादी टिकेगी ही? ऐसे में यहां एक प्रश्न उठाना चाहूंगी कि माना कि करीब बेदी की चौथी शादी के टिकने की संभावना बहुत कम है, पर जिन नवविवाहित जोड़ों की शादी महीने भर में ही तलाक के कगार पर आ खड़ी होती है. क्या उन की शादी के टिकने की गारंटी आप ले सकते हैं? यदि नहीं तो बड़ी उम्र की शादी पर इतना बवाल क्यों? किशोर कुमार की 4 शादियों के बाद भी उन की लोकप्रियता में कहीं कोई कमी नहीं हुई. आज भी उन को एक महान गायक और कलाकार के रूप में जाना जाता है.

राय जुदाजुदा

समझ व अनुभव में काफी बड़ी सुधा का कहना है कि अगर किशोर कुमार 4 विवाह कर के भी लोगों में लोकप्रिय हैं, तो इसलिए कि आम जनता उन के कार्यक्षेत्र से प्रभावित है, उन की पर्सनल लाइफ से उसे कुछ लेनादेना नहीं है. लोग किशोर कुमार की आवाज के दीवाने हैं. तो यहां पर सुधा ने अनजाने में खुद ही मेरी बात का समर्थन कर दिया, जिसे मैं पहले ही उदाहरणस्वरूप पेश कर चुकी थी. हां, सुधा  की इस बात से अवश्य सहमत हुआ जा सकता कि है शादी के नाम पर इस संस्था का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए.

फिल्म जगत में किया जाने वाला कोई भी कार्य हमारे समाज खासकर युवाओं पर गहरा असर डालने वाला होता है. फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों- दिलीप कुमार व अमिताभ बच्चन के आर्दश जीवन का नमूना भी पेश है.

पूनम अहमद इस बात से पूरा इत्तफाक रखते हुए कहती हैं कि हर किसी के हालात अलग होते हैं. यह जरूरी नहीं है कि अगर कुछ लोगों की शादी एक आर्दश बनी हो तो सभी उसी नक्शेकदम पर चल पाएं. पूनम ने एक और तर्क दिया कि वे दोनों जब तक लिव इन में रहे कोई नहीं बोला, लेकिन जैसे ही रिश्ते को नाम दिया तो हंगामा क्यों बरपा? यहां यह बात माने नहीं रखती कि किस कारण से व्यक्तिविशेष की शादी टूटी है, बल्कि बात यहां प्रौढ़ावस्था में अपनेपन व सहारे की जरूरत की है, जिसे चाहना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार भी है क्योंकि इस उम्र में इनसान के लिए सिर्फ भावनाओं की अहमियत होती है न कि दैहिक सुख की. बड़ी आयु की शादी की सार्थकता और प्राथमिकता इसी में समाई है.

बढ़ती उम्र में भी व्यक्ति अपने जीवन से प्यार करे और उसे जिंदादिली से जीए. एकदूसरे का सच्चा साथी, हमदर्द बन कर एकदूसरे का सहारा बने. इस से अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती है और धीरेधीरे ही सही समाज भी बदलाव को स्वीकार अवश्य करेगा.

मेरे औफिस का सहकर्मी मुझे परेशान करता है?

सवाल

मैं 27 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती हूं. औफिस का माहौल ठीक है पर अपने एक सहकर्मी से परेशान रहती हूं. दरअसल, वह मुझे व्हाट्सऐप पर दिनरात मैसेज भेजता रहता है. वह रिप्लाई भी करने को कहता है पर मुझे झुंझलाहट होती है. एक तो समय का अभाव दूसरा काम का बोझ. हालांकि उस के मैसेज मर्यादा से बाहर नहीं होते पर बारबार मैसेज आने से मैं परेशान हो जाती हूं. मेरा ध्यान भी काम से बंट जाता है. मैं नहीं चाहती कि उस सहकर्मी से मेरे औफिशियल व्यवहार पर ग्रहण लगे, पर साथ ही यह भी चाहती हूं कि वह मुझे इस तरह परेशान न करे. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

अगर आप को उस सहकर्मी का व्हाट्सऐप करना पसंद नहीं है, तो आप उसे सीधे तौर पर मना कर दें. आप कह सकती हैं कि संदेश काम से संबंधित हों तो ठीक है अन्यथा उलजलूल व्हाट्सऐप न करें. आप उसे यह भी कह सकती हैं कि औफिस के टाइम में व्हाट्सऐप पर टाइमपास करने से उस की छवि गलत बनेगी और बौस तक बात पहुंचने पर तरक्की पर ग्रहण लग जाएगा. वैसे लगातार उस के भेजे गए व्हाट्सऐप मैसेज को इग्नौर करेंगी और कोई जवाब नहीं देंगी तो कुछ दिनों बाद वह खुद ही व्हाट्सऐप करना बंद कर देगा. इस से सांप भी मर जाएगा और लाठी भी न टूटेगी.

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औफिस में कई बार कठिन परिस्थितियां आती हैं क्योंकि यहां आप को कैरियर के साथसाथ कलीग्स और बौस का भी खयाल रखना पड़ता है. इन मुश्किलों से निबटने के लिए काफी सावधानी और संयम बरतने की जरूरत पड़ती है. जानिए ऐसी ही कुछ मुश्किल सिचुएशंस और उन के समाधान के बारे में.

1. आप का पूर्व बौस आप का जूनियर बन जाए

आप जिस कंपनी में काम करते थे, वहां के बौस का आप बड़ा सम्मान करते थे. अचानक एक दिन आप को पता लगता है कि वही बौस आप की मौजूदा कंपनी में काम करने लगा है और अब वह आप को रिपोर्ट करेगा यानी अब वह आप का जूनियर है. ऐसी स्थिति में आप को सिचुएशन को बहुत ही आराम से हैंडिल करना होगा. इस बात का खयाल रखें कि पूर्व बौस को इंडस्ट्री में आप से ज्यादा अनुभव है और मौजूदा स्थिति में उसे कंफर्टेबल होना चाहिए. आप को उस से सलाह लेनी चाहिए. अगर आप अपने पूर्व बौस के साथ काम करने में सहज नहीं हैं तो आप प्रबंधन की मंजूरी से एक अलग टीम के साथ काम कर सकते हैं. अगर आप को मौजूदा स्थिति में ही काम करना है तो पूर्व बौस से काम की चुनौतियों को ले कर चर्चा करें. आप अब भी अपने पर्सनल स्पेस में पूर्व बौस का सम्मान करते रहें. अपने नियोक्ता को इस बारे में बता दें कि वह शख्स आप का बौस रह चुका है. अगर आप खुद ऐसे व्यक्ति को रिपोर्ट कर रहे हैं, जो पहले आप के जूनियर के तौर पर काम कर चुका है तो प्रोफैशनल की तरह व्यवहार करें.

सुंदर बीवी से कैसे निभे

दिनेश वर्मा ने कभी नहीं चाहा था कि उस की पत्नी कृति नौकरी करे. वह तो हर वक्त कृति को अपनी नजरों के सामने रखना चाहता था. कृति उस के लिए वह अनमोल हीरा थी जिसे खो देने के डर से वह अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था. उस की निगरानी के चक्कर में अंतत: घर के आर्थिक हालात इतने बिगड़ गए कि कृति को ही नौकरी करने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा.

कृति 24 साल की पढ़ीलिखी, सुलझी हुई, सुंदर और सलीकेदार लड़की है. ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद उस ने नर्सिंग की ट्रेनिंग भी की थी. दिनेश से उस की शादी हुई तो उस ने नौकरी करने के बजाय गृहस्थी को प्राथमिकता दी. दिनेश भी यही चाहता था कि कृति घर पर ही रहे. वह सोचता था कि कहीं उस की सुंदर पत्नी को कोई दूसरा न पटा ले. वह तो कृति को घर के दरवाजे पर भी खड़ा होने पर टोक देता था.

कभी वह कहती कि वह थोड़ी देर छत पर टहल आए तो दिनेश भी उस के साथ जाता. कुल जमा यह कि दिनेश एक सुंदर स्त्री को ब्याह कर ले तो आया मगर उस की सुंदरता ने दिनेश के अंदर असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया.

2015 में जब दिनेश की शादी कृति से हुई थी, तब रिश्तेदारों, दोस्तों और महल्ले वालों के मुंह से अपनी पत्नी की खूबसूरती की तारीफ सुन कर उस की छाती फूल जाती थी. हाय कितनी सुंदर दुलहन लाया है. दिनेश तेरे तो आंगन में चांद उतर आया है. ऐसी बातें सुनसुन कर वह फूला नहीं समाता.

असुरक्षा की भावना

दिनेश एक प्राइवेट जौब में था. सैलरी अच्छी थी. काम के सिलसिले में उसे कभीकभी टूर पर भी जाना पड़ता था. घर में उस के और कृति के अलावा मां और छोटा भाई राघव थे. राघव दिनेश से 2 साल ही छोटा है और ग्रैजुएशन कर रहा है. अपनी भाभी के साथ राघव खूब हंसीठिठोली कर लेता है. कृति उम्र में राघव से छोटी है तो कभीकभी उस की बातों से लजा भी जाती है.

इन बातों को दिनेश ने कई बार नोट किया है. कृति के आने के बाद राघव के दोस्तों का भी घर में आनाजाना बढ़ गया था. कृति सब से हंस कर बात करती और एक अच्छी बहू की तरह सब की सेवासत्कार में लगी रहती. लेकिन बाहरी लड़कों का यों घर में जमघट लगना दिनेश को अच्छा नहीं लगता था.

कृति की सुंदरता ने दिनेश के अंदर शक और असुरक्षा की भावना भर दी थी. वह जितनी देर औफिस में होता था, उस की नजर फाइलों पर कम दीवार घड़ी पर ज्यादा रहती थी कि कब 6 बजें और वह घर भागे. दिनेश छुट्टियां भी बहुत लेने लगा था. आएदिन कोई न कोई बहाना बना कर मैनेजर के पास पहुंच जाता. औफिस के काम के संबंध में पहले वह हर महीने टूर पर जाता था, मगर शादी के बाद टूर पर भी नहीं जाना चाहता था. बहाने बना देता था.

मैनेजर जोरजबरदस्ती कर के भेज दे तो उलटापुलटा काम निबटा कर अगले दिन वापस आ जाता था. 6 महीने तो मैनेजर ने उसे औब्जर्व किया और फिर काम से निकाल बाहर किया. बीवी की रखवाली के चक्कर में दिनेश ने न सिर्फ अपना कैरियर बरबाद कर लिया बल्कि दोस्तों और घर वालों की नजर में उसे बीवी का पिछलग्गू भी समझ जाने लगा.

घर में कमाने वाला सिर्फ दिनेश ही था. उस की तनख्वाह से घर का खर्च और छोटे भाई की पढ़ाई ठीकठाक चल रही थी. जौब छूटने के बाद दिनेश ने कई जगह इंटरव्यू दिए, मगर नौकरी पाने में सफल नहीं हुआ. इधर बचत के पैसे खत्म होने लगे और उधर कृति की डिलिवरी की तारीख भी नजदीक आ गई. दिनेश की आर्थिक स्थिति इतनी जर्जर हो गई कि उस ने महल्ले वालों को घर में बच्चा होने की खुशी की मिठाई एक दोस्त से उधार पैसे ले कर खिलाई.

शक जब गहराने लगे

दिनेश के सिर पर कर्ज बढ़ रहा था. कृति को इस का एहसास था. खर्चा चलाने के लिए वह अपनी सोने की चेन दिनेश को दे चुकी थी. अम्मां ने भी अपनी चेन गिरवी रखवाई थी क्योंकि छोटे की फीस जमा होनी थी. कुछ दिन बाद कृति ने सोने की चूडि़यां भी दे दीं. दिनेश ने भारी मन से उन्हें बेचा.

धीरेधीरे डेढ़ साल गुजर गया. दिनेश को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली. कभी ट्यूशन पढ़ा कर तो कभी किसी और तरीके से वह थोड़ाबहुत पैसा कमा रहा था, मगर इस थोड़ी सी पूंजी से घर का खर्च चलाना संभव नहीं हो रहा था.

एक दिन कृति ने दिनेश से कहा कि अगर उसे जौब नहीं मिल रही है तो क्यों न वह कहीं जौब कर ले. आखिर नर्सिंग ट्रेनिंग किस दिन काम आएगी. दिनेश को जब जौब मिल जाएगी तो कृति छोड़ देगी.

दिनेश राजी हो गया तो कृति ने 2-3 प्राइवेट अस्पतालों में अपना आवेदन भेज दिया. जल्द ही एक अस्पताल से इंटरव्यू की कौल आ गई. कृति दिनेश के साथ इंटरव्यू देने गई और पहले ही इंटरव्यू में उस का चयन हो गया. इंटरव्यू लेने वालों पर उस की डिगरियों से ज्यादा उस की सुंदरता और सलीके ने प्रभाव डाला. मां बनने के बाद कृति पहले से ज्यादा निखर गई थी.

कृति नौकरी पर जाने लगी तो दिनेश के मन में असुरक्षा की भावना और ज्यादा बढ़ गई. अस्पताल में तमाम जवान डाक्टर हैं. कहीं किसी के साथ कृति के संबंध न हो जाएं. सुबह जब कृति अस्पताल जाने के लिए तैयार हो कर निकलती तो दिनेश उस के दमकते शरीर को आंखें फाड़ कर देखता रह जाता. इस हीरे को कोई गपक न ले इस चिंता में वह घुला जाता था. कृति को अस्पताल छोड़ने और लेने वह खुद जाता था.

अब हाल यह हो गया कि अपने लिए नौकरी तलाशने के बजाय दिनेश दिन में कईकई चक्कर कृति के अस्पताल के लगाने लगा. 1-2 बार फोन भी कर लेता था. इस पर कृति को झंझलाहट भी होती थी. अगर किसी गंभीर केस की वजह से कृति को अंदर देर होती तो दिनेश की बेचैनी 7वें आसमान पर पहुंच जाती थी.

सुंदरता को ज्यादा महत्त्व

समाज चाहे जितना आधुनिक हो गया हो किंतु कुछ मामलों में सोच अभी भी पुरानी ही है. शादीविवाह के मामलों में आज भी स्त्री की पढ़ाई और योग्यता से ज्यादा उस की सुंदरता को तरजीह दी जाती है. सुंदर लड़कियों की शादी भी चटपट तय हो जाती है. लेकिन यह सुंदरता कभीकभी पति पर बहुत भारी पड़ती है. पति साधारण शक्लसूरत का हो और पत्नी हीरोइन जैसी दिखती हो तो पति चौकीदार बन कर रह जाता है.

आशंकित पति

पत्नी सुंदर हो तो पति उसे कहीं अकेले नहीं जाने देता बल्कि खुद साथ जाता है और कभीकभी तो ऐसा होता है कि जहां पत्नी को जाने की आवश्यकता भी नहीं होती, वहां भी वह यह सोच कर उसे साथ ले जाता है कि कहीं उस के घर में अकेले होने पर कोई अनहोनी न हो जाए, कहीं किसी पड़ोसी या छोटे या बड़े भाई से उस के संबंध न बन जाएं.

खूबसूरत और चिरजवां पत्नी पति के हाथ में एटम बम की तरह होती है जिस के प्रति वह हमेशा आशंकित रहता है कि पता नहीं कब दुर्घटना घट जाए.

सुंदरता और फरमाइशें

सुंदर पत्नी के कारण पति को पैसे भी ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं. मसलन, खूबसूरत बीवी की सुंदरता कायम रखने के लिए अच्छे कपड़े, आधुनिक और महंगे कौस्मैटिक्स तथा अन्य सौंदर्य प्रसाधनों इत्यादि पर खर्च करना पड़ता है. खूबसूरत बीवी की सुंदरता में चार चांद लगाने के लिए त्योहारों या सालगिरह के मौके पर हीरे या सोने के आभूषण खरीदने पड़ते हैं. खासतौर पर दीवाली के मौके पर खूबसूरत पत्नी गहनों की डिमांड जरूर करती है.

खुद को फिट रखने की मजबूरी

सुंदर बीवी हो तो पति को अपने जीवन में भी कई बदलाव करने पड़ते हैं. अपनी फिटनैस की तरफ ध्यान देना पड़ता है. मनचाहे भोजन का त्याग कर के ऐसी डाइट लेनी पड़ती है जिस से उस की तोंद न निकले. कुछ पति तो खुद को स्लिमट्रिम रखने के चक्कर में केवल सलाद या बेस्वाद खाने से काम चलाने लगते हैं.

देखा गया है कि सुंदर पत्नी वाले पति के परिवार में शादीब्याह या कोई अन्य फंक्शन हो तो वह 1-2 महीने पहले से ही कसरत या गू्रमिं सैशन में जा कर अपने को फिट करने लगता है ताकि कोई उन की जोड़ी को बेमेल न कह दे.

सार्वजनिक जगह पर असुविधा

खूबसूरत बीवी साथ में होने पर सार्वजनिक जगह पर आप को असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है. कई नौजवान और तरसे हुए लोगों को अपनी बीवी की ओर ताकते पाएंगे जो आप को असुरक्षा और हीनता का बोध कराएगा. खूबसूरत बीवी साथ में होने से आप उन लोगों को अपने आसपास ‘भाभीजी’ कहते हुए मंडराते पाएंगे, जिन्हें आप फूटी आंख भी पसंद नहीं करते हैं. पत्नी खूबसूरत मिल जाए तो रिश्तेदार और दोस्त भी आप में हीनभावना भरने का काम करने लगते हैं फिर चाहे आप अपने कार्यक्षेत्र में कितना ही सफल क्यों न हों.

क्या पहनें

खूबसूरत बीवी के साथ आप अपनी शौपिंग करने में भी सहज नहीं होते हैं. कपड़ों की दुकानों में सेल्समैन आप को महंगे कपड़े यह कह कर बेचने की कोशिश करेगा कि सर आप इस में भाभीजी के साथ जंचेंगे. मानों इन के महंगे कपड़े आप ने न पहने तो इन की नजर में आप की जोड़ी ‘हूर के साथ लंगूर वाली’ होगी.

औफिस और अन्य जगहों पर असहजता

आप चाहे जितने भी अक्लमंद और खुद्दार क्यों न हों, आप की तमाम खूबियां आप की खूबसूरत बीवी के आगे फीकी पड़ जाएंगी. आप चाहे जितने सफल हों औफिस की सालाना पार्टी में जब अपनी बीवी के साथ जाएंगे तो कई मातहत और वरिष्ठजन अनावश्यक रूप से आप की पत्नी की ओर काफी ध्यान देंगे जो आप को और आप की पत्नी को असहज कर देगा.

धर्मस्थलों पर कई स्वयं घोषित साधुसंन्यासी अथवा ज्योतिषी भी आप की जोड़ी की ओर आकृष्ट होंगे और आप की पत्नी से कहेंगे कि बेटी हाथ दिखाओ हम भविष्य देख कर बताएंगे कि तुम कब मां बनोगी.

यही ज्योतिषी जब आप का हाथ या कुंडली देखेंगे तो कहेंगे कि आप पूर्व जन्म में दुराचारी, दुष्ट पापी रहे हों और इसीलिए आप जिंदगी में कुछ बन नहीं रहे. पिछले जन्म में किए गए केवल एक पुण्य के चलते आप को यह सुंदर व सुशील स्त्री पत्नी रूप में मिली है. इस तरह की बकवास कर के आप से रुपएपैसे ऐंठने की कोशिश करेंगे और आप के तनाव को बढ़ा देंगे.

बावजूद इन सब बातों के लगभग हर आदमी की यही इच्छा होती हैं कि जब भी उस की शादी हो तो किसी सुंदर कन्या से ही हो. सिर्फ शादी करने वाला लड़का ही नहीं, बल्कि उस की मां और पिता भी यही चाहते हैं कि उन के घर में बेहद खूबसूरत बहू कदम रखे.

आजकल के जमाने में घर में खूबसूरत बीवी या बहू रखना एक तरह का शोऔफ सा हो गया है. लोग लड़की की योग्यता, शिक्षा या कैरियर की बजाय उस की सुंदरता के पीछे भागते हैं, जबकि बाहरी खूबसूरती ही सबकुछ नहीं होती हैं, आंतरिक सुंदरता और अच्छा व्यवहार भी माने रखता है.

शादी के 3-4 साल बीत जाने के बाद बहू का अच्छा व्यवहार और समझ ही रिश्तों को दूर तक निभाने में सहायक होती है. अगर अति सुंदर बहू घर के काम न करे, सासससुर से अच्छा व्यवहार न करे, पति की परेशानियों को न समझ पाए तो ऐसी सुंदरता कुछ समय बाद जहर लगने लगती है. समझदार वही पुरुष है जो लड़की के रूप के साथसाथ उस के गुण भी देखे. रूप भले कुछ कम हो मगर गुण और व्यवहार ही शादी को लंबे समय तक चलाते हैं.

लव सैंटर क्यों बन रहे जिम

प्यार उम्र नहीं देखता, सरहदें नहीं देखता, बंधन नहीं देखता. जो एक बार प्यार में पड़ जाता है वह हर बंदिश को तोड़ कर अपने इश्क को मुकम्मल करने की पुरजोर कोशिश में लग जाता है. जी हां, ऐसी ही कहानी है राजस्थान की कनिका सोनी की जिसे बिहार के जिम ट्रेनर लक्की से प्यार हो गया और दोनों ने भाग कर शादी कर ली.

पहले लोगों का प्यार स्कूलकालेज, औफिस या फिर शादीब्याह के मौकों पर परवान चढ़ता था, लेकिन अब इस की जगह जिम सैंटरों ने ले ली है. लोग जिम में पसीना बहाते हुए प्यार में पड़ जाते हैं. बिहार के जमुई के रहने वाले मातापिता ने बेटी को शहर के सब से बड़े जिम में कसरत करने भेजा. लेकिन बेटी को उसी जिम ट्रेनर से प्यार हो गया और दोनों ने मातापिता के मरजी के खिलाफ जा कर शादी कर ली.

सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि शादीशुदा लोग भी जिम ट्रेनर के प्यार में पड़ जाते हैं. एक शादीशुदा महिला का कहना है कि उसे अपने जिम ट्रेनर से प्यार हो गया, लेकिन यह बात वह अपने पति को कैसे बताए सम?ा नहीं आता. सिर्फ आम घरों की लड़कियों या महिलाओं का दिल ही अपने जिम ट्रेनर पर नहीं आया, बल्कि वर्कआउट करतेकरते अपने जिम ट्रेनर को दिल दे बैठी ये हसीनाएं भी:

  1. आयरा खान

अमीर खान की बेटी आयरा खान की फिलफाल शादी तो नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही वह जिम ट्रेनर नुपुर शिखरे के साथ शादी के बंधन में बंधने वाली हैं. नुपुर शिखरे आयरा के पापा के जिम ट्रेनर थे. आयरा नुपुर को 3 साल से डेट कर रही हैं.

सुष्मिता सेन: मिस यूनिवर्स का टाइटल अपने नाम करवा चुकीं बौलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन एक समय पहले मौडल रोहमान शौल को डेट कर रही थीं. दोनों के बीच इतना प्यार बढ़ गया कि रोहमान शौल सुष्मिता सेन के जिम ट्रेनर बन गए थे. रोहमान सुष्मिता को जिम ट्रेनिंग देते थे जिस के कई वीडियो सुष्मिता ने खुद अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किए.

2. निगार खान

ऐक्ट्रैस निगार खान ने साहिल खान से शादी की थी. कभी बौलीवुड में ऐक्टिंग करने वाले साहिल खान जिम ट्रेनर हैं. बता दें कि जैकी श्रौफ की पत्नी आयशा श्रौफ का भी नाम जिम ट्रेनर साहिल के साथ जुड़ चुका है. हालांकि आयशा ने इसे अफवाह बताया था.

3. अलाया एफ

अलाया एफ का बौयफ्रैंड ऐश्वर्य ठाकरे भी पहले जिम ट्रेनर था. उन का भी ऐक्टर को छोड़ जिम ट्रेनर पर दिल आ गया.

4. मैडोना

हौलीवुड ऐक्ट्रैस मैडोना का ऐक्स बौयफ्रैंड कालोंस लियोन भी जिम ट्रेनर है. हालांकि अब मैडोना किसी और को डेट कर रही हैं.

5. दिशा पाटनी

बौलीवुड की सब से फिट ऐक्ट्रैसेज में शुमार दिशा पाटनी कभी टाइगर श्रौफ के संग रिलेशन में थीं. लेकिन इन दोनों उन्हें अपने नए हैंडसम बौयफ्रैंड के साथ देखा जा रहा है. वे अपने नए बौयफ्रैंड ऐलैक्जैंडर ऐलैक्स को डेट कर रही हैं. दोनों साथ वर्कआउट करते हैं. ऐलैक्जैंडर जिम ट्रेनर भी हैं.

6. देवोलीना भटाचार्जी

टीवी ऐक्ट्रैस देवोलीना भट्टाचार्जी ने अपने जिम ट्रेनर शाहनवाज शेख से शादी कर सभी को चौंका दिया. देवोलीना ने अपने प्यार की खातिर धर्म की दीवार को गिरा कर मुसलिम ट्रेनर शाहनवाज को हमसफर बना लिया.

प्यार तो वही पर उस का पैटर्न बदल रहा है

औनलाइन प्यार का क्रेज तो है ही, पर इस के अलावा अब प्यार की तलाश में लोग जिम सैंटर का रुख करने लगे खासकर सिंगल लोग इसे एक पंथ दो काज की तरह लेते हैं कि शरीर भी फिट रहेगा और इमोशनल सेहत भी शानदार हो जाएगी. जिम चाहेअनचाहे एक ऐसी जगह बन गई है कि जहां कोई अकेला सप्ताह में 1/2 या 7 दिन चला जाए, तो कोई आंख उठा कर नहीं देखने वाला. आप यहां आराम से अपने जिम ट्रेनर प्रेमी से नैनमटक्का कर सकते हैं, कोई कुछ नहीं बोलेगा क्योंकि कोई शंका ही नहीं करेगा कि आप वहां पर अपने प्रेमी के साथ प्रेमआलाप करने जा रहे हैं.

वहीं क्लब में अगर आप की मैंबरशिप भी है, तो वहां जाओ खाओपीओ बस. स्पोर्ट्स में भी पार्टनर चाहिए. लेकिन जिम में आप पूरे सप्ताह अकेले जा सकते हैं और फिर भी अकेले ही रह जाएं आप का कोई दोस्त न बने, तो भी कोई आंख नहीं उठती. यह सोशलाइजिंग की सब से सुलभ जगह है.

जिम में मी टाइम

वैसे तो कोई भी इंसान यह सोच कर जिम नहीं जाता कि वहां उसे कोई साथी मिल जाएगा और वह उस के साथ इश्क लड़ाएगा. वह तो वहां सिर्फ अपनी फिटनैस के लिए आता है, लेकिन जिम में आने वाला कोई शख्स अगर सचमुच अपने रिश्ते को ले कर उदास है तो जिम का माहौल उस की मदद जरूर करता है. जिम ट्रेनर या कोई और उस व्यक्ति को अकेलेपन से जू?ाते देख उस के साथ सिंपैथी दिखाने लगता है, उस का ध्यान रखने लगता है, तो वह उस की ओर आकर्षित होता चला जाता है और एक दिन वह प्यार का रूप ले लेता है.

परेशानियों की वजह भी

मगर जिम वाला प्यार परेशानियों की वजह भी बन रहा है. ऐसे कई मामले देखने को मिल रहे हैं जैसे पिछले साल ही पटना के नामीगिरामी डाक्टर राजीव कुमार सिंह की पत्नी खुशबू सिंह, जो 2 बच्चों की मां है वह 26 साल के जिम ट्रेनर के प्यार में पागल हो गई. दोनों लेट नाइट तक फोन पर बातें करते रहते थे. लेकिन यह बात डाक्टर पति को नागवार गुजरी और उस ने जिम ट्रेनर को जान से मारने की धमकी दे डाली.

उस के बाद उस की सुपारी दे कर उस पर अज्ञात बदमाशों से एक के बाद एक दनादन 5 गोलियां दगवा दीं. यह जानकारी खुद जिम ट्रेनर विक्रम ने पुलिस को दी. गोली लगने के बाद खून से लथपथ वह खुद स्कूटी चला कर अस्पताल पहुंचा तब उस की जान बच पाई.

ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के देहरादून का है जहां जिम ट्रेनर के प्यार में पागल एक पत्नी ने पति को नींद की गोलियां खिला कर उस की जान ले ली. हरियाणा के यमुनानगर में जिम ट्रेनर के प्यार में पड़ी एक महिला ने 10 लाख रुपयों में अपने पति की जान का सौदा कर डाला.

बीते साल एक व्यापारी की हत्या का बड़ा खुलासा हुआ. पुलिस जांच के मुताबिक पत्नी के जिम ट्रेनर से संबंध और उन की ब्लैकमेलिंग से परेशान पति ने खुद को ही खत्म कर डाला.

इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते

कहते हैं इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते और आज के टैक्नोलौजी के युग में तो तुरंत प्यार पर पड़ा परदा बेपरदा हो जाता है. हम कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, किस से मिल रहे हैं टैक्नोलौजी के जरीए आसानी से पता लगाया जा सकता है. जिम में होने वाले अफेयर को ले कर कई बार पतिपत्नी के बीच जासूसी भी की जाती है. इस में जिम के तौलिए को खोज निकालना या साक्ष्य के तौर पर कोई मैसेज तलाशने की कोशिश की जाती है.

धोखा दे रहे पार्टनर के ईमेल तक पहुंचने के लिए एक खास तरह के सौफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया जाता है. पिछले साल ही 15 अक्तूबर में मध्य प्रदेश के भोपाल के कोहेफिजा में एक फिटनैस सैंटर में ऐसा ही मामला देखने को मिला, जहां पतिपत्नी के बीच जम कर हंगामा हुआ. जब पत्नी को पता चला कि फिटनैस सैंटर में पति का किसी अन्य लड़की से अफेयर चल रहा है तो वह वहां पहुंच गई और पतिपत्नी और वो के बीच जम कर जूतमपैजार हो गई.

पुलिस के मुताबिक, महिला के पति का जिम में आने वाली एक लड़की के साथ अफेयर चल रहा था, जिस का पत्नी को पता चल गया और फिर उस के जिम सैंटर आ कर उस लड़की की चप्पलों से जम कर पिटाई कर डाली.

बढ़ने लगे हैं जिम में प्यार के मामले

महिलाओं को ले कर किए गए एक सर्वे में पाया गया है कि 90 फीसदी महिलाओं का फिटनैस ट्रेनर पर कभी न कभी क्रश रहा. वहीं जिम ट्रेनर का भी वहां आने वाली लड़कियों पर क्रश रहा. जिम न सिर्फ बौडी को ले कर आप की चिंता खत्म कर सकता है बल्कि आप के शादीशुदा जीवन का भी अंत कर सकता है.

आज तलाक के मामलों की बड़ी वजह फिटनैस ट्रेनर्स के साथ अफेयर को देखा जा रहा है. एक वकील का कहना है कि अकसर विवाहित जीवन के अंत की वजह ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स होते हैं. इस तरह के मामलों में सामने आया है कि ट्रेनर के साथ ‘पर्सनल’ हो कर महिलाएं पहले से मुश्किलों से गुजर रहे विवाहित जीवन में परेशानी को और बढ़ा देती हैं. नतीजा यह होता है कि कपल तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं. आमतौर पर ऐसे शादीशुदा जोड़े संपन्न परिवारों से होते हैं, जहां पति बिजनैस में बिजी रहता है.

ऐसे में साथ और सुख तलाश रही महिला को पर्सनल ट्रेनर में यह सब नजर आने लगता है, तो वह उस की ओर आकर्षित होने लगती है.

‘यूनिवर्सिटी औफ ओंटारियो’ की एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग अपने पार्टनर के साथ जिम जाते हैं उन के लिए इस दौरान किया गया वर्कआउट काफी इफैक्टिव हो सकता है. अगर आप अपने पार्टनर के साथ जिम जाते हैं तो आप के लिए यह एक प्लस पौइंट है क्योंकि एकसाथ ऐक्सरसाइज करने से आप फिट तो रहेंगे ही आपस का रिश्ता भी मजबूत बनेगा. जो कपल कुछ चीजें एकसाथ करते हैं जैसे साथ में सैर पर जाना, डिनर करना, घूमने जाना उन के रिश्ते काफी अच्छे होते हैं. जो कपल समय की कमी के कारण साथ समय नहीं बिता पाते वे साथ में वर्कआउट करते वक्त अपने लाइफपार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं.

देवर है आशिक नहीं

अलकेश न केवल सगे भाई की पत्नी बल्कि चाचाताऊ के बड़े भाई की पत्नियों को भी फ्लाइंग किस और उन से फ्लर्टिंग करता रहता है. उस की इस आदत का बुरा मानना भी छोड़ दिया है. अपनी हमउम्र भाभी के साथ घंटों मोबाइल पर बात करता है. भाई को शक होता पर मुंह बंद कर लेता वरना जीवन दांव पर लग जाएगा.

मंटी भाभी को खूब उपहार दे कर उन का दिल जीत बैठा है. भाभी भी उस का बहुत ध्यान रखती है. अचानक एक दिन नव दंपती को अलग रहने का फरमान जारी कर दिया गया. जब दोनों ने बहुत पूछा तो मां को कहना पड़ा कि देवरभाभी में कभी भी खिचड़ी पक सकती है. इस की उम्र ही ऐसी है. वह अनजाने बहक सकता है. कामधाम करता नहीं कि उस की भी शादी कर दी जाए. अत: यही विकल्प है. तब दोनों ओर से रिश्तों को ताकीद किया गया तब वे सहज हुए. भाभी ने उचित दूरी बना कर गृहस्थी बना ली.

क्यों होता है ऐसा

हमउम्र या कम उम्र मेें सहज रूप से भी देवरभौजाई में आकर्षण की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में देवर आशिकमिजाज हो तो यह संभावना बहुत अधिक बढ़ सकती है. सदैव देवर जानबूझ कर ही भौजाइयों के प्रति आकर्षण का शिकार नहीं होते अनजाने भी होते हैं. ऐसे में उन्हें समय रहते समझना जरूरी है. भाभी हमारे घर आई ही इस काम के लिए है यह सोच देवर की हो ठीक नहीं है. भाभियों के खुलेपन को भी देवर आशिकमिजाजी उभारने का आधार बना लेते हैं.

पतिपत्नी की आपसी कलह भी आशिकमिजाज देवरों को अपने लिए स्कोप के रूप में दिखाई देती है. ऐसी स्थिति में उन की आशिकमिजाजी फूलतीफलती है.

भाभी द्वारा आशिकमिजाजी पहचान न पाना या उसे ही सहज व्यवहार सम?ा लेना आशिकमिजाजी देवर को स्वीकृति लगती है. हमारे लोकगीतों में देवरों की रोमांटिक छवि बखान की गई है जो जीवन की हकीकत से मेल नहीं खाती.

देवर दूसरा वर नहीं देवर भाभी दोनों ही कुछ खुलेपन को सहज मानते हैं. कई भाभियां इसी सोच में आशिकमिजाज देवरों की करतूतें पहचान नहीं पातीं. कभी आभास हो भी जाता है तो प्रतिरोध नहीं कर पातीं. उन्हीं ही दोषी माना जाएगा, इस डर से वे मुंह नहीं खोलतीं.

एक अनुभवी प्रिंसिपल शिवराम गौड कहते हैं कि ये स्थितियां वहां ज्यादा कौमन और सहज हैं जिस समाज में पति की मृत्यु के बाद देवर से शादी का रिवाज है. वहां स्थितियों को सहज स्वीकारने की ये स्थितियां बनी होंगी मगर अब वे बंदिशें कम होती जा रही हैं.

पति के अन्य रिश्तों जैसा ही ये रिश्ता भी पति के मांबाप, भाईबहन, बूआ, मामा आदि सभी रिश्ते वधू को उसी रूप में मानते हैं तो भाई का रिश्ता भी भाई ही माना जाना चाहिए.

शिप्रा के पति का निधन हो गया. उस के हमउम्र कुंआरे देवर से सब ने शादी के लिए कहा पर उन दोनों में भाईबहनों का सा नाता था. दोनों ने इस सच को उजागर किया. सम?ाने पर अपनी भावनाएं मुखर कीं. देवर कहता था कि

वह भाई के बच्चे पालेगा पर भाभी ने उस पर कहीं और शादी करने का दबाव बनाया. कई लड़कियां दिखाईं.

देवर इसी शर्त पर शादी के लिए माना जब भाभी भी शादी के लिए तैयार हुईं. दोनों ने एकदूसरे के जीवनसाथी देखे पसंद किए. आज उन का जीवन बेहद खुशहाल है. दोनों के जीवनसाथी भी इस रिश्ते को अटूट मानसम्मान देते हैं. शिप्रा के भाई कहते हैं कि सचमुच हम से भी आगे है यह रिश्ता.

गृहस्थी टूट सकती है

आशिकमिजाज देवर भले लुभाता हो पर यह आकर्षण गृहस्थी को चौपट कर सकता है, उस में दीमक लग सकती है. आशिकमिजाज देवर कुंआरा हो या शादीशुदा उसे शुरू से ही अपनी मर्यादा बता दें. रिजर्व रहें. एक सीमा तक ही संबंधों का विस्तार करें.

कैसे निबटें

आशिकमिजाजी कतई न सहें. तुरंत प्रतिरोध करें. पति व सास को बताएं. अपने पीहर के बजाय ससुराल वालों से कहें अन्यथा उन्हें लगेगा कि आप उन के घर की बदनामी कर रही हैं. बेहतर होगा कि ननदों को राजदार बनाएं. उन्हें आसपास रखें.

  •  प्रतिरोध करने पर भी देवर न माने तो उस से बोलना छोड़ देने में भी कोई बुराई नहीं है.
  •  हदों की हिदायत देने पर भी उस की आशिकमिजाजी पर कोई असर न हो तो मनोवैज्ञानिक तक पहुंचाने में पति की मदद ली जा सकती है. देवर का यह आचरण सहना या स्वीकारना अथवा उसे छिपाना किसी भी नजरिए से उपयुक्त नहीं है
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