जब शादीशुदा जिंदगी पर भारी हो दोस्ती

हफ्ते के 5 दिन का बेहद टाइट शेड्यूल, घर और आफिस के बीच की भागमभाग. लेकिन आने वाले वीकेंड को सेलीब्रेट करने का प्रोग्राम बनातेबनाते प्रिया अपनी सारी थकान भूल जाती है. उस के पिछले 2 वीकेंड तो उस के अपने और शिवम के रिश्तेदारों पर ही निछावर हो गए थे. 20 दिन की ऊब के बाद ये दोनों दिन उस ने सिर्फ शिवम के साथ भरपूर एेंजौय करने की प्लानिंग कर ली थी. लेकिन शुक्रवार की शाम जब उस ने अपने प्रोग्राम के बारे में पति को बताया तो उस ने बड़ी आसानी से उस के उत्साह पर घड़ों पानी फेर दिया.

‘‘अरे प्रिया, आज ही आफिस में गौरव का फोन आ गया था. सब दोस्तों ने इस वीकेंड अलीबाग जाने का प्रोग्राम बनाया है. अब इतने दिनों बाद दोस्तों के साथ प्रोग्राम बन रहा था तो मैं मना भी नहीं कर सका.’’ऐसा कोई पहली बार नहीं था. अपने 2 साल के वैवाहिक जीवन में न जाने कितनी बार शिवम ने अपने बचपन की दोस्ती का हवाला दे कर प्रिया की कीमती छुट्टियों का कबाड़ा किया है. जब प्रिया शिकायत करती तो उस का एक ही जवाब होता, ‘‘तुम्हारे साथ तो मैं हमेशा रहता हूं और रहूंगा भी. लेकिन दोस्तों का साथ तो कभीकभी ही मिलता होता है.’’

शिवम के ज्यादातर दोस्त अविवाहित थे, अत: उन का वीकेंड भी किसी बैचलर्स पार्टी की तरह ही सेलीब्रेट होता था. दोस्तों की धमाचौकड़ी में वह भूल ही जाता था कि उस की पत्नी को उस के साथ छुट्टियां बिताने की कितनी जरूरत है.

बहुत से दंपतियों के साथ अकसर ऐसा ही घटता है. कहीं जानबू कर तो कहीं अनजाने में. पतिपत्नी अकसर अपने कीमती समय का एक बड़ा सा हिस्सा अपने दोस्तों पर खर्च कर देते हैं, चाहे वे उन के स्कूल कालेज के दिनों के दोस्त हों अथवा नौकरीबिजनेस से जुड़े सहकर्मी. कुछ महिलाएं भी अपनी सहेलियों के चक्कर में अपने घरपरिवार को हाशिए पर रखती हैं.थोड़े समय के लिए तो यह सब चल सकता है, किंतु इस तरह के रिश्ते जब दांपत्य पर हावी होने लगते हैं तो समस्या बढ़ने लगती है.

यारी है ईमान मेरा…

दोस्त हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं, इस में कोई शक नहीं. वे जीवनसाथी से कहीं बहुत पहले हमारी जिंदगी में आ चुके होते हैं. इसलिए उन की एक निश्चित और प्रभावशाली भूमिका होती है. हम अपने बहुत सारे सुखदुख उन के साथ शेयर करते हैं. यहां तक कि कई ऐसे संवेदनशील मुद्दे, जो हम अपने जीवनसाथी को भी नहीं बताते, वे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं, क्योंकि जीवनसाथी के साथ हमारा रिश्ता एक कमिटमेंट और बंधन के तहत होता है, जबकि दोस्ती में ऐसा कोई नियमकानून नहीं होता, जो हमारे दायरे को सीमित करे. दोस्ती का आकाश बहुत विस्तृत होता है, जहां हम बेलगाम आवारा बादलों की तरह मस्ती कर सकते हैं. फिर भला कौन चाहेगा ऐसी दोस्ती की दुनिया को अलविदा कहना या उन से दूर जाना.

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लेकिन हर रिश्ते की तरह दोस्ती की भी अपनी मर्यादा होती है. उसे अपनी सीमा में ही रहना ठीक होता है. कहीं ऐसा न हो कि आप के दोस्ताना रवैए से आप का जीवनसाथी आहत होने लगे और आप का दांपत्य चरमराने लगे. विशेषकर आज के व्यस्त और भागदौड़ की जीवनशैली में अपने वीकेंड अथवा छुट्टी के दिनों को अपने मित्रों के सुपुर्द कर देना अपने जीवनसाथी की जरूरतों और प्यार का अपमान करना है. अपनी व्यस्त दिनचर्या में यदि आप को अपना कीमती समय दोस्तों को सौंपना बहुत जरूरी है तो उस के लिए अपने जीवनसाथी से अनुमति लेना उस से भी अधिक जरूरी है.

ये दोस्ती…

कुछ पुरुष तथा महिलाएं अपने बचपन के दोस्तों के प्रति बहुत पजेसिव होते हैं तो कुछ अपने आफिस के सहकर्मियों के प्रति. श्वेता अपने स्कूल के दिनों की सहेलियों के प्रति इतनी ज्यादा संवेदनशील है कि अगर किसी सहेली का फोन आ जाए तो शायद पतिबच्चों को भूखा ही आफिस स्कूल जाना पड़े. और यदि कोई सहेली घर पर आ गई तो वह भूल जाएगी कि उस का कोई परिवार भी है.

दूसरी ओर कुछ लोग किसी गेटटूगेदर में अपने आफिस के सहकर्मियों के साथ बातों में ऐसा मशगूल हो जाएंगे कि उन की प्रोफेशनल बातें उन के जीवनसाथी के सिर के ऊपर से निकल रही हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं होती.

इस के अलावा आफिस में काम के दौरान अकसर लोगों का विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण और दोस्ती एक अलग गुल खिलाती है. इस तरह का याराना बहुधा पतिपत्नी के बीच अच्छीखासी समस्या खड़ी कर देता है. कहीं देर रात की पार्टी में उन के साथ मौजमस्ती, कहीं आफिशियल टूर. कभी वक्तबेवक्त उन का फोन, एस.एम.एस., ईमेल अथवा रात तक चैटिंग. इस तरह की दोस्ती पर जब दूसरे पक्ष को आब्जेक्शन होता है तो उन का यही कहना होता है कि वे बस, एक अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं. फिर भी दोनों में से किसी को भी इस ‘सिर्फ दोस्ती’ को पचा पाना आसान नहीं होता.

दोस्ती अपनी जगह है दांपत्य अपनी जगह

यह सच है कि दोस्ती के जज्बे को किसी तरह कम नहीं आंका जा सकता, फिर भी दोस्तों की किसी के दांपत्य में दखलअंदाजी करना अथवा दांपत्य पर उन का हावी होना काफी हद तक नुकसानदायक साबित हो सकता है. शादी से पहले हमारे अच्छेबुरे प्रत्येक क्रियाकलाप की जवाबदेही सिर्फ हमारी होती है. अत: हम अपनी मनमानी कर सकते हैं. किंतु शादी के बाद हमारी प्रत्येक गतिविधि का सीधा प्रभाव हमारे जीवनसाथी पर पड़ता है. अत: उन सारे रिश्तों को, जो हमारे दांपत्य को प्रभावित करते हैं, सीमित कर देना ही बेहतर होगा.

कुछ पति तो चाहते हुए भी अपने पुराने दोस्तों को मना नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें ‘जोरू का गुलाम’ अथवा ‘बीवी के आगे दोस्तों को भूल गए, बेटा’ जैसे कमेंट सुनना अच्छा नहीं लगता. ऐसे पतियों को इस प्रकार के दोस्तों को जवाब देना आना चाहिए, ध्यान रहे ऐसे कमेंट देने वाले अकसर खुद ही जोरू के सताए हुए होते हैं या फिर उन्होंने दांपत्य जीवन की आवश्यकताओं का प्रैक्टिकल अनुभव ही नहीं किया होता.

सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे

जरूरत से ज्यादा यारीदोस्ती में बहुत सारी गलतफहमियां भी बढ़ती हैं. साथ ही यह जरूरी तो नहीं कि हमारे अपने दोस्तों को हमारा जीवनसाथी भी खुलेदिल से स्वीकार करे. इस के लिए उन पर अनावश्यक दबाव डालने का परिणाम भी बुरा हो सकता है. अत: इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय अपनाए जा सकते हैं :

अपने बचपन की दोस्ती को जबरदस्ती अपने जीवनसाथी पर न थोपें.

अगर आप के दोस्त आप के लिए बहुत अहम हों तब भी उन से मिलने अथवा गेटटूगेदर का वह वक्त तय करें, जो आप के साथी को सूट करे.

बेहतर होगा कि जैसे आप ने एकदूसरे को अपनाया है वैसे एकदूसरे के दोस्तों को भी स्वीकार करें. इस से आप के साथी को खुशी होगी.

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जीवनसाथी के दोस्तों के प्रति कोई पूर्वाग्रह न पालें. बेवजह उन पर चिढ़ने के बजाय उन की इच्छाओं पर ध्यान दें.

‘तुम्हारे दोस्त’, ‘तुम्हारी सहेलिया’ के बदले कौमन दोस्ती पर अधिक जोर दें.

अपने बेस्ट फ्रेंड को भी अपनी सीमाएं न लांघने दें. उसे अपने दांपत्य में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी की छूट न दें.

आफिस के सहकर्मियों की भी सीमाएं तय करें.

अपने दांपत्य की निजी बातें कभी अपने दोस्तों पर जाहिर न करें.

जब पति फ्लर्टी हो

रेखा ने अपने विवाह के पहले साल में ही यह नोट कर लिया था कि उस के पति अनिल को दूसरी महिलाओं से फ्लर्ट करने की आदत है. पहले तो उस ने सोचा कि शादी से पहले सभी लड़के फ्लर्ट करते ही हैं. अनिल की आदत भी धीरेधीरे छूट ही जाएगी, पर ऐसा हुआ नहीं.

वह हैरान थी कि कैसे उस की मौजूदगी में भी अनिल दूसरी महिलाओं से फ्लर्ट करने का मौका नहीं छोड़ता. दोनों के 2 बच्चे भी हो गए.

रेखा सोचती, मेरे सामने ही जब यह हाल है, तो औफिस में या बाहर क्याक्या करते होंगे? अनिल की हरकतें देख वह एक अजीब से अवसाद में रहती.

एक दिन तो हद ही हो गई. उसी की सोसाइटी में रहने वाली एक खास फ्रैंड रीना शाम को उस के घर आई. अनिल घर पर ही था. जब तक रीना के लिए रेखा चाय ले कर आई, अनिल रीना से खुल कर फ्लर्ट करने वाली हरकतें कर रहा था. रेखा को बहुत गुस्सा आया.

रीना के जाने के बाद उस ने अनिल से गुस्से में पूछा, ‘‘रीना से इतनी फालतू बातें करने की क्या जरूरत थी?’’

अनिल ने कहा, ‘‘मैं तो सिर्फ उस से बातें कर रहा था. वह हमारी मेहमान थी.‘‘

जब बरदाश्त से बाहर हो जाए

ऐसा फिर हुआ, अनिल नहीं माना. रीना जब भी घर आती और अनिल घर पर होता, तो वह वहीं डटा रहता. न कभी वह उठ कर अंदर जाता कि अपना कोई काम कर ले.

और एक दिन तो हद ही हो गई, जब उस ने रीना का मजाकमजाक में हाथ पकड़ लिया. जब वह घर जाने के लिए उठी, तो अनिल ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘अरे, थोड़ी देर और बैठो. यहीं सोसाइटी में ही तो जाना है.‘’

रीना तो झेंपती हुई चली गई. रेखा अपने पति की इस हरकत पर बहुत शर्मिंदा थी. वह रीना के जाने के बाद अनिल से बहुत झगड़ी. लेकिन अनिल पर जरा भी असर नहीं हुआ.

रेखा और रीना बहुत अच्छी सहेली थीं. अकेले में रेखा ने अपने पति की इस हरकत के लिए उस से माफी मांगी और उसे यह भी कहना पड़ा, ‘‘रेखा, अगर अनिल घर पर हों, तब तुम आया ही मत करो. मुझे फोन करना, मैं ही आ जाया करूंगी.‘‘

बन जाती है दुखद स्थिति

उस दिन के बाद से रीना कभी भी अनिल की उपस्थिति में रेखा के घर नहीं आई. इस में और भी दुखद स्थिति तब हो गई, जब रीना ने कई लोगों को यह कह दिया कि रेखा अपने पति की दिलफेंक हरकतों के कारण सुंदर औरतों को घर आने के लिए मना कर देती है.‘’

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एक कंपनी में बतौर अधिकारी अनिल और सरल स्वभाव की रेखा अनिल की फ्लर्टिंग की आदत के कारण अपनी छवि खराब करा बैठे. रेखा कभी इस बात को नहीं भूली और दुखी होती रही. दोनों में अकसर मनमुटाव होता रहा.

यह आदत यहीं नहीं रुकी. दोनों के बच्चे बड़े हो गए, बेटी की सहेलियां अब घर आतीं तो अनिल उन के आगेपीछे घूमता, अजीब से कमैंट्स करता, बेटी को अच्छा नहीं लगता.

एक दिन बेटी ने भी यह कह ही दिया, ‘‘पापा, मेरी फ्रैंड्स आएं, तो आप अपने कमरे में ही रहा करो…‘’

बेटे की शादी हुई. अब बहू घर में आई, तो अनिल कभी नई बहू का हाथ बातोंबातों में पकड़ कर बैठा लेता, कभी उस के कंधे पर हाथ रख देता. रेखा को यह सब सहन नहीं हुआ.

एक दिन वह अकेले में सख्त शब्दों में बोली,”तुम ने किसी भी तरह से यह आदत नहीं छोड़ी, तो अब अंजाम बहुत बुरा होगा, सोच लेना.‘’

रेखा से बात करने पर उस ने अपनी लाइफ की ये सब बातें बताते हुए यह भी कहा, ‘‘मैं जीवनभर अनिल की फ्लर्टिंग की आदत छुड़ा ही नहीं पाई. पता नहीं क्या कारण रहा कि इतनी उम्र में भी अनिल दूसरी महिलाओं से फ्लर्टिंग का मौका आज भी नहीं छोड़ते. इन के इसी स्वभाव के कारण मैं न कभी अपने मायके चैन से जा कर रह पाई और ससुराल में तो जैसे अपनी भाभियों के साथ फ्लर्टिंग करने का लाइसैंस ही था इन के पास. इस आदत ने मुझे जीवनभर एक दुख से भरे रखा है.”

वहीं आरती भी अपने पति की फ्लर्टिंग की आदत से बहुत परेशान है. वह बताती है, ‘‘अगर कहीं किसी काउंटर पर लड़के, लड़की दोनों हैं, तो मेरे पति कपिल लड़की वाले काउंटर पर ही अटक जाते हैं. पता नहीं, कितनी बातें करने के बहाने खोज लेते हैं.

“यह देख मुझे शर्मिंदगी सी होती है, जब मैं उस लड़की की आंखों में चिढ़ देखती हूं, किसी लड़के से बात करते हुए काम की बात करते हैं और फोन रख देते हैं, पर अगर किसी लड़की का फोन हो तो उन के सुर ही बदले हुए होते हैं.

“एक बार तो किसी लड़की का रौंग नंबर आने पर भी जनाब शुरू हो चुके थे. कोफ्त होती है फ्लर्टिंग की इस आदत से. पता नहीं क्या मिल जाता है 2 मिनट किसी लड़की के बिना बात के मुंह लग कर?”

रिश्ते में उपजा एक असंतोष

सिल्वरमैन के अनुसार, फ्लर्टेशन किसी रिश्ते में उपजा एक असंतोष है. वे कहते हैं, ‘‘जो उसे फ्लर्टिंग से मिल रहा है. उसे अपनी पत्नी से बात करनी चाहिए कि वह यह क्यों कर रहा है?‘‘

पुरुष फ्लर्ट करते हैं, यह एक फैक्ट है, पर जब मैरिड पुरुष फ्लर्टिंग करते हैं, तो फ्लर्टिंग किसे कहा जा सकता है?

सैक्स रोल्स में छपी एक नई रिसर्च के अनुसार, पुरुष इन कारणों से फ्लर्ट करते हैं- सैक्स के लिए, रिलेशनशिप में होना कैसा लगेगा, किसी रिलेशनशिप को मजबूत करने के लिए, किसी चीज को ट्राई करने के लिए, सैल्फ इस्टीम बढ़ाने के लिए या फिर मौजमस्ती करने के लिए.

फैमिली थेरैपिस्ट कसेंड्रा लेन के अनुसार, ‘‘एक पुरुष अपने पार्टनर को बहुत प्यार और उस की केयर करता है, पर वह ऐक्ससाइटमैंट या ईगो बूस्ट के लिए फ्लर्ट भी कर सकता है.”

लाइफ कोच ऐंड लव गुरु टोन्या का कहना है कि फ्लर्टिंग चीटिंग नहीं है, पर फ्लर्टिंग प्रौब्लम दे सकती है, फ्लर्टी पार्टनर्स के साथ सैल्फ इस्टीम कम हो सकती है.

ठीक समय और जगह पर अपने पार्टनर पर कोई आरोप लगाए बिना बात करें. उसे बताएं कि आप क्या नोटिस करते हैं? लोग आप को उस की फ्लर्टिंग की आदत पर क्या कहते हैं? आप क्या फील करते हैं? कभीकभी फ्लर्टी पार्टनर को एहसास ही नहीं होता कि उन की हरकतें उन के पार्टनर को हर्ट कर रही हैं. यदि एक व्यक्ति खुश नहीं है तो वह इस तरह से खुशी की तलाश में फ्लर्टिंग कर सकता है, अपने पर ध्यान दें, पूरी स्थिति को गौर से समझें.

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आप की हर बात पर कोशिश करने के बावजूद भी पार्टनर फ्लर्टिंग से बाज नहीं आता तो गंभीरता से इन पर बात करें और फैसला लें :

• पति की फ्लर्टिंग की आदत आप को ईर्ष्या, इमोशनल असुरक्षा की भावना से भर सकती है. आप को लगता है कि आप का पति विश्वास के लायक नहीं है. पर, अगर ऐसा कुछ है, तो आप इस फ्लर्टिंग की आदत को इग्नोर कर सकती हैं.

• आप जानती हैं कि वह फ्लर्ट करता है और सभी से वह इसी तरह पेश आता है. कुछ पुरुष सब से फ्लर्ट करते हैं, चाहे वेट्रेस हो या पास से जाती कोई महिला या लड़की, इस का कोई मतलब ही नहीं होता, कभीकभी वे फ्रेंडली होने के लिए फ्लर्टिंग करते हैं या कुछ अटेंशन पाने के लिए. आउटगोइंग पर्सनैलिटी वाले पुरुष अकसर ऐसा करते हैं.

• कभीकभी वह आप को जलाने के लिए भी फ्लर्ट करता है. फ्लर्टिंग अगर आप के सामने ही की जा रही है तो यह गंभीर बात नहीं है, पर कभीकभी बात कुछ अलग भी हो सकती है.

• हो सकता है कि वे दोनों जानबूझ कर आप के सामने हलकीफुलकी फ्लर्टिंग कोई अफेयर छिपाने के लिए कर रहे हों.

• कभीकभी पुरुष यह दिखाने के लिए भी फ्लर्टिंग करते हैं कि अभी भी उन में बहुतकुछ है. प्रौढ़ पुरुष, जिन की लाइफ में सैक्स कम है, वे इस कमी को दूर करने के लिए फ्लर्टिंग का सहारा लेते हैं.

• कई बार ऐसा होता है कि आप के पति यह महसूस करते हैं कि जब आप जेलस होती हैं, तो आप उन के शारीरिक रूप से ज्यादा करीब आती हैं, तो वे आप के सामने दूसरी महिलाओं से फ्लर्ट करते हैं. वे समझ जाते हैं कि आप जेलस हो रही हैं. इस स्थिति में आप के पति सिर्फ दूसरी महिलाओं से ही नहीं, आप से भी फ्लर्ट कर रहे होते हैं.

• आप अपने पार्टनर का फ्लर्टिंग बिहैवियर नोट करें. उसे एकदम से ब्लेम न करें. थोड़ा फनी तरीके से उन्हें इस आदत पर टोकने की कोशिश करें.

ऐसे ही एक मनगढंत उदाहरण रख कर पूछें कि एक पति और एक पत्नी दोनों ही फ्लर्टिंग के शौकीन हों तो कितना मजा आएगा, दोनों को ही फ्लर्टिंग एंजौय करना चाहिए न? अपने पार्टनर के चेहरे का रंग बदलते देखें, वह फौरन अपने को सुधारने की कोशिश कर सकता है, कुछ इस तरह के उदाहरण देती रहें.

• अगर स्थिति कंट्रोल से बाहर हो, तो साफसाफ बात करें. उन्हें बताएं कि आप को कितना दुख होता है, जब आप उन्हें दूसरी महिलाओं से बेकार की फ्लर्टिंग करते देखती हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि उन की इस आदत से आप को तकलीफ पहुंचती है, और आप साफसाफ अपने मन की बात उन से कर रही हैं और इस इशू को बढ़ाना नहीं चाहती हैं.

• यदि आप का पति फ्लर्टिंग करता है, तो आप को पूरा हक है कि उस से इस बारे में खुल कर बात करें. वैवाहिक जीवन में समयसमय पर कोई न कोई चैलेंज आते ही रहते हैं, यह आम बात है. आप इस विषय पर अपने मन की परेशानी को उन से शेयर कर के कोई गलती नहीं कर रही हैं.

• रिश्तों में बाहर से मिलने वाला अटेंशन हमें एक उत्साह से भर देता है, तो इस बात का ध्यान रखते हुए अपने व्यवहार पर भी नजर डालती रहें. आप का व्यवहार अपने पति के साथ कैसा है, इस पर जरूर ध्यान दें.

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• अपने पति से इस विषय पर चर्चा करते हुए उन्हें एक कौम्पलीमैंट देते हुए बात शुरू करें, अपने मन की बात शांत, अच्छे शब्दों में करें. बात खत्म करते हुए भी उन्हें एक कौम्पलीमैंट दें, इस से आप का बात करने का तरीका परफैक्ट रहेगा और आप के पति की फ्लर्टिंग करने की आदत से दूरी रखने का मन करेगा. बड़ी से बड़ी समस्याएं खत्म हो सकती हैं, जब आप शांत मन से इस का समाधान सोचती हैं.

नेक्स्ट डोर महिला जब पति में कुछ ज्यादा  रुचि लेने लगे

मेघा ने अपने नए पड़ोसियों का स्वागत खुले दिल से किया, फ्लोर पर ही सामने वाले फ्लैट में आए अंजलि, उस के पति सुनील और उन की 4 साल की बेटी विनी भी उन से अच्छी तरह बात करते, सामना होने पर हंसते, मुसकराते, सुनील का टूरिंग जौब था, मेघा के पति विनय और उन का युवा बेटा यश थोड़े इंट्रोवर्ट किस्म के इंसान थे.

कुछ ही दिन हुए कि मेघा ने नोट किया कि अंजलि जानबूझ कर उसी समय पार्किंग में टहल रही होती है जब विनय का औफिस से आने का समय होता है. पहले तो उस ने इसे सिर्फ इत्तेफाक समझा पर जब विनय ने एक दिन आ कर बताया कि अंजलि उस से बातें करने की कोशिश भी करती है, उन का फोन नंबर भी यह कह कर ले लिया कि अकेली ज्यादा रहती हूं, पड़ोसियों का नंबर होना ही चाहिए तो मेघा हैरान हुई कि कितनी बार तो उस से उस का आमनासामना होता है, उस से तो कभी ऐसी बात नहीं की.

अंजलि अकसर उस टाइम आ धमकने भी लगी जब वह किचन में बिजी होती, विनय टीवी देख रहे होते. उस के रंगढंग मेघा को कुछ खटकने लगे. एक दिन विनय ने बताया कि वह उन्हें मैसेज, जोक्स भी भेजने लगी है. पहले तो मेघा को बहुत गुस्सा आया फिर उस ने शांत मन से विनय को छेड़ा, ‘‘तुम इस चीज को एेंजौय तो नहीं करने लगे?’’

‘‘ऐंजौय कर रहा होता तो बताता क्यों,’’ विनय ने भी मजाक किया, ‘‘मतलब तुम्हारा पति इस लायक है कि कोई पड़ोसन उस से फ्लर्ट करने के मूड में है, माय डियर प्राउड वाइफ.’’

‘‘चलो, फिर पड़ोसन का फ्लर्टिंग का भूत उतारना तो मेरे बाएं हाथ का काम है. अच्छा है, तुम्हें इस में मजा नहीं आ रहा नहीं तो 2 का भूत उतारना पड़ता,’’ मेघा की बात पर विनय ने हंस कर हाथ जोड़ दिए.

अगले दिन मेघा विनय के आने के समय पार्किंग प्लेस के आसपास टहल रही थी. उसे अंजलि दिखी, अचानक अंजलि उसे देख कर थोड़ी सकपका गई, फिर हायहैलो के बाद जल्दी ही वहां से हट गई. मेघा मन ही मन मुसकरा कर रह गई. शाम के समय विनय और यश टीवी में मैच देख रहे थे, वह भी आ धमकी और यह कहते हुए विनय के आसपास ही बैठ गई कि

उसे भी मैच देखने का शौक है. उस के पति को तो स्पोर्ट्स में जरा भी रुचि नहीं. उस की बात सुनते ही मेघा बोली, ‘‘आओ अंजलि, हम लोग अंदर बैठते हैं. इन दोनों को मैच देखने में क्या डिस्टर्ब करना.

‘‘नहीं, मैं अब चलती हूं, विनी अकेली है.’’

‘‘हां, उसे अकेली ज्यादा मत छोड़ा करो.’’

उस दिन तो जल्दी ही अंजलि चली गई. फिर एक दिन विनय ने कहा, ‘‘यार, काफी मैसेज भेजती रहती है, कभी गुडमौर्निंग, कभी जोक्स.’’

‘‘दिखाना,’’ मेघा ने विनय के फोन पर अंजलि के भेजे मैसेज पढ़े, सभी ऐडल्ट जोक्स वीडियो भी आपत्तिजनक, जिन्हें विनय ने देखा ही नहीं था अभी तक, क्योंकि विनय औफिस में ज्यादा ही बिजी रहता था और वह उसे बिलकुल भी लिफ्ट देने के मूड में था ही नहीं. अब मेघा गंभीर हुई.

अगले दिन यों ही अंजलि के फ्लैट पर गई. थोड़ी देर बैठने के बाद उस ने बातोंबातों में कहा, ‘‘तुम शायद बहुत बोर होती हो. विनय बता रहे थे कि उन्हें खूब वीडियो, जोक्स भेजती रहती हो. उन्हें तो देखने का भी टाइम नहीं, मैं ने ही देखे वे वीडियो, उन्हें भेजने का क्या फायदा मुझे भेज दिया करो, मैं देख लूंगी. विनय कुछ अलग टाइप के इंसान हैं, मुझ से कुछ छिपाते नहीं, तुम मेरा फोन नंबर ले लो.’’ अंजलि को बात संभालना मुश्किल हो गया. बुरी तरह शर्मिंदा होती रही. मेघा घर लौट आई. उस दिन से कभी अंजलि ने विनय को एक मैसेज भी नहीं भेजा, न उस के आसपास मंडराई. उस का किस्सा मेघा की लाइफ से खत्म हुआ.

मामला अलग स्थिति अलग

अगर यहां विनय पड़ोसन के साथ फ्लर्ट कर रहा ?होता तो बात दूसरी होती, समस्या पड़ोसन की नहीं, पति की होती पर यहां मामला अलग था. ऐसी स्थिति को बहुत जल्दी ही संभाल लेना चाहिए, फ्लर्टिंग को अफेयर बनते देर नहीं लगती.

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ट्रेसी कौक्स जो डेटिंग, सैक्स और रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट हैं, का कहना है कि महिलाएं विवाहित पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं, कोई महिला आप के पति के साथ फ्लर्ट कर रही है या नहीं, कैसे समझ सकते हैं, जानिए:

– यदि आप का पति उस की कौल्स और मैसेज के बारे में आप को बता देता है तो इस का मतलब है कि वह आप को प्यार करता है, पर यदि आप को खुद ही यह सब पता चला है तो इस का मतलब है कि आप के पति भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं.

– जब वह आप के पति के आसपास मंडराती

है तो वह कुछ अलग ही मेकअप, कपड़ों में होती है, वह उस में रुचि ले रही हैं तो उस

का ध्यान आप के पति को आकर्षित करने

में होगा.

– कोई भी महिला जो किसी विवाहित पुरुष में रुचि लेती है, वह हमेशा यह दिखाने की कोशिश करती है कि वह उस की पत्नी से

बैटर है, अगर उसे पता चलता है कि पति

को कोई शौक है और पत्नी को नहीं है तो वह पति वाले शौक को ही अपना बताने की कोशिश करेगी.

क्या करें

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में एक पत्नी को क्या करना चाहिए, अपने पति पर शक करते हुए उस से सवालजवाब करने से आप के वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है, उसे ऐसा लगेगा कि आप उस पर विश्वास नहीं करतीं, यह बात आप को नुकसान पहुंचा सकती है, पति के साथ फ्लर्ट करने वाली महिला के साथ कैसे व्यवहार करें, ऐसी कुछ टिप्स जानिए:

– पड़ोसन को सीधेसीधे कुछ कहेंगीं तो आप सनकी, इन्सेक्युर पत्नी लगेंगी. उस के साथ अच्छी तरह पेश आइए, ऐसे कि वह असहज हो जाए. सच यही है कि वह आप को पसंद नहीं करती होगी क्योंकि उस की रुचि आप के पति में है. उसे यह न महसूस होने दें कि आप भी उसे पसंद नहीं करतीं, उस की अच्छी फ्रैंड होने का नाटक करें, उसे अपने पति के साथ टाइम बिताने का मौका बिलकुल न दें. वह खुद ही अनकंफर्टेबल हो कर पीछे हट जाएगी.

– अपने पति से बात करें. उस के इरादों के बारे में आप के पति को भी संदेह हो सकता है. अपने पति पर सवालों की बौछार न करते हुए शांति से बात करें. याद रखें, यहां विक्टिम वह है, उस से पूछें कि क्या उसे भी यही लग रहा है कि पड़ोसन उस के साथ फ्लर्ट कर रही है. यदि पति कहे कि आप को ही बेकार का शक हो रहा तो उन्हें घटनाओं के साथ स्पष्ट करें कि वह फ्लर्ट कर रही थी. अपने पति की इस स्थिति को समझने में हैल्प करें और मिल कर इस से निबटें.

– इस स्थिति पर हंसना सीखें. कोई महिला उस पुरुष के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है जो आप को प्यार करता है, यह तो फनी है.  अपने विवाह पर फोकस रखें, हर समय इस महिला के बारे में सोच कर तनाव में न रहें.

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– ऐसी महिलाएं आप के और आप के पति के बीच मिसिंग स्पार्क का फायदा उठाने की कोशिश करती हैं. इसलिए उन्हें ऐसा करने का मौका न दें.

अपने पति पर विश्वास रखें, उसे बताएं कि आप को उस पर विश्वास है भले ही कोई भी स्थिति हो. यदि वह गलत नहीं है तो उसे अच्छा लगेगा कि उस की पत्नी को उस पर विश्वास है.

जब बारबार उठे फैमिली प्लानिंग की बात

शादी के कुछ महीने बीते नहीं कि न्यूली वेड कपल से हर कोई बस यही सवाल पूछता रहता है कि कब सुना रहे हो गुड न्यूज, जल्दी से मुंह मीठा करवा दो, अब तो दादीचाची सुनने को कान तरस रहे हैं. ज्यादा देर मत करना वरना बाद में दिक्कत हो सकती है. अकसर ऐसी बातें सुन कर कान थक जाते हैं. और ये सवाल कई बार रिश्ते में मन मुटाव का कारण भी बन जाते हैं. ऐसे में आप के लिए जरूरी है कि इन सवालों के जवाब बहुत ही स्मार्टली दें, जिस से किसी को बुरा नहीं लगेगा और आप खुद को स्ट्रेस से भी दूर रख पाएंगे.

कैसे करें स्मार्टली हैंडिल

1. जब हो डिनर टेबल पर:

अकसर इस तरह की बातें डिनर टेबल पर ही होती हैं क्योंकि जहां पूरा परिवार साथ होता है वहीं सब रिलैक्स मूड में होते हैं. ऐसे में जब आप की मां आप से बोले कि अब फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचो तो आप अपना मूड खराब न करें. क्योंकि बड़ों से हम इसी तरह के सवालों की उम्मीद करते हैं. बल्कि उन्हें हां बोल कर बात को कुछ इस तरह घुमाएं कि मोम आज तो खाना कुछ ज्यादा ही टैस्टी बना है, मोम आप तो वर्ल्ड की बैस्ट शेफ हो वगैरहवगैरह बोल कर उन्हें टौपिक से दूसरी जगह ले जाएं. इस से आप का मूड भी खराब नहीं होगा और बात भी टल जाएगी.

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2. मजाकमजाक में करें बोलती बंद:

इंडियन कल्चर ऐसा है कि यहां लोगों को खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता होती है. आप की लड़की या लड़का इतने का हो गया है या अभी तक शादी नहीं हुई, शादी को 4 साल हो गए और अभी तक बच्चा नहीं हुआ. यहां तक कि कभीकभी फ्रैंड्स भी ऐसे ताने मारे बिना नहीं रहते. ऐसे में खुद पर बातों को हावी न होने दें बल्कि उन्हें मजाकमजाक में बोलें यार तू पालेगी मेरे बच्चे को तो मैं आज ही प्लेन कर लेती हूं, यह बोलबोल कर हंसने लगे, इस से उस की बोलती भी बंद हो जाएगी और मजाकमजाक में आप का काम हो जाएगा.

3. रिश्तेदारों के सामने बोल्ड रहें:

जहां परिवार के लोग इकट्ठा हुए नहीं फिर चाहे उस में बच्चे हों या बड़े सब मस्ती के मूड में आ जाते हैं. क्योंकि लंबे समय के बाद जो सब मिलते हैं. ऐसे में रिश्तेदार हंसीहंसी में बच्चे के बारे में ञ्चया विचार है पूछे बिना रह नहीं पाते. ऐसे में आप इस बात पर भड़क कर माहोल को खराब न करें बल्कि बोलें अभी तो हम बच्चे हैं, अभी तो तो हमारी उम्र मस्ती करने की है. आप के इस जवाब को सुन कर बोलने वालों को समझ आ जाएगा कि इन्हें अभी इस बारे में कहने का कोई फायदा नहीं है.

4. खुद को रखें मेंटली प्रपेयर:

जब शादी हुई है तो बच्चे भी होंगे ओर इस बारे में सवाल भी पूछे जाएंगे. इसलिए जब भी कोई इस बारे में पूछे तो मुंह बनाने के बजाय उन्हें प्यार से बताएं कि अभीअभी तो हमारी नई जिंदगी शुरू हुई है और अभी चीजों को सैटल करने में थोड़ा वक्त लगेगा. जब सब कुछ अच्छे से मैनेज हो जाएगा तब प्लान करने के बारे में सोचेंगे. आप के इस

जवाब के बाद कोई भी आप से बारबार इस बारे में नहीं पूछेगा.

5. शर्माएं नहीं खुल कर करें बात:

जब भी इस टौपिक पर बात होती है तो या तो हम शरमा जाते हैं या फिर उस जगह से उठ कर चले जाते हैं. भले ही ये टौपिक झिझक का होता है लेकिन अगर आप ने अपनी बात खुल कर सब के सामने नहीं रखी तो लोग कुछ का कुछ भी समझ सकते हैं. यह जान लें कि इस बारे में फैसला आप का ही होगा, कोई भी आप पर अपना फैसला नहीं थोप पाएगा. इसलिए जब भी बात हो तो उन्हें बताएं कि अभी हम इस बारे में नहीं सोच रहे हैं, जब गुड न्यूज होगी तो आप को ही सब से पहले बताएंगे.

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6. हमेशा साथ निभाएं:

शादी के कई साल हो गए हैं और कंसीव करने में दिक्कत आ रही है तो ये बात जहां कपल को अंदर ही अंदर परेशान किए रहती है वहीं दूसरों के द्वारा इस बारे में बारबार पूछे जाने पर कई बार इतना अधिक गुस्सा आ जाता हैन् कि पलट कर जवाब देने को दिल करता है. लेकिन आप ऐसा भूल कर भी न करें, क्योंकि ये दूसरों के सामने आप की इमेज को बिगाड़ने का काम करेगा. इसलिए एकदूसरे की हिम्मत बने. एकदूसरे का हर दम साथ निभाएं और फैसला करें कि अगर कोई इस बारे में पूछेगा तो क्या जवाब देना है. आप का यही साथ आप को भीतर से मजबूत बनाने का काम करेगा और दूसरों के सामने आप बोल्ड बन कर जवाब दे पाएंगे.

इस तरह आप खुद को स्ट्रेस फ्री रख पाएंगे.

मायके और ससुराल वाले भी दूसरी शादी करने पर अड़े हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 35 वर्षीय महिला और 9 साल की बेटी की मां हूं. पति की 5 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. मायके और यहां तक कि ससुराल वाले भी दूसरी शादी करने पर अड़े हैं पर दिल से पति का चेहरा उतर ही नहीं पाता. एक लड़के को मेरे मायके और ससुराल वाले दोनों ही पसंद करते हैं. लड़का भी बिना शर्त शादी करने को तैयार है. मैं क्या करूं?

जवाब-

किसी की यादों और भरोसे में जिंदगी नहीं चलती न ही रुकती है. आप की बेटी अभी छोटी है. कल को बेटी की शादी होगी और वह भी अपने परिवार में रम जाएगी. तब आप नितांत ही खुद को अकेला महसूस करेंगी.

अभी आप के पास समय है. इसलिए दूसरी शादी करने में कोई बुराई नहीं. बेटी को सही तालीम देने और उस की शादी करने जैसी जिम्मेदारियां आप समय पर तब भी निभा सकती हैं जब आप की घरगृहस्थी जम चुकी हो. आप चाहें तो बेटी की परवरिश के लिए भावी पति से पहले ही बात कर सकती हैं.

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भोर हुई तो चिरैया का मीठासुरीला स्वर सुन कर पूर्वा की नींद उचट गई. उस की रिस्टवाच पर नजर गई तो उस ने देखा अभी तो 6 भी नहीं बजे हैं. ‘छुट्टी का दिन है. न अरुण को दफ्तर जाना है और न सूर्य को स्कूल. फिर क्या करूंगी इतनी जल्दी उठ कर? क्यों न कुछ देर और सो लिया जाए,’ सोच कर उस ने चादर तान ली और करवट बदल कर फिर से सोने की कोशिश करने लगी. लेकिन फोन की बजती घंटी ने उस के छुट्टी के मूड की मिठास में कुनैन घोल दी. सुस्त मन के साथ वह फोन की ओर बढ़ी. इंदु भाभी का फोन था.

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अधिक उम्र में शादी कहां तक सही

शादी की सही उम्र क्या हो? यह ऐसा मुद्दा है जिस में देश के साथ ही दुनिया के तमाम मुल्कों में लड़के और लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र अलगअलग है. वैसे हमारे देश में लड़के की शादी की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष रखी गई है. देश में आज भी ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. देश में पहले बालविवाह का काफी चलन था, लेकिन लोगों में जागरूकता आने से अब बालविवाह में कमी आई है.

समाज में कुछ लोगों की शादी अधेड़ उम्र में होती है. इस का एक कारण यह भी है कि लड़का पढ़ाई के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो जाए. आज के आधुनिक दौर में लड़कियां उच्चशिक्षा हासिल करने के लिए गांवों और छोटे शहरों से जा कर देश के बड़े संस्थानों में पढ़ाई कर अपना भविष्य बना रही हैं.

यही कारण है कि अब पढ़ेलिखे ज्यादातर लोग 25 साल की उम्र के बाद ही शादी के बंधन में बंध रहे हैं. इस का सब से अहम पहलू अपने भविष्य को ले कर सुरक्षा का है. शिक्षा ने समाज में जागरूकता का काम किया और नतीजा यह निकला कि लड़का और लड़की में फर्क किया जाना कम होने लगा. अब लड़कियां भी पढ़ कर नौकरी कर रही हैं. वे अच्छी तरह सैटल हो रही हैं और जीवनसाथी चुनने में जल्दबाजी नहीं कर रही हैं. इस वजह से भी शादी की उम्र में असर देखने को मिल रहा है.

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लड़के और लड़की के बीच आमतौर पर 3 से 5 साल का अंतर हो तो उस जोड़ी को अच्छा माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि कम उम्र की लड़की बेहतर होती है, लेकिन अब जमाना बदल रहा है और उसी के साथ मान्यताएं व सोच भी. आज उम्र कोई बहुत बड़ा मसला नहीं रह गया है. आजकल तो कई पत्नियां अपने पति से उम्र में कई साल बड़ी भी हैं. बौलीवुड के स्टार शाहिद कपूर और मीरा राजपूत की शादी भी इसी तरह का एक उदाहरण है. उन के बीच 13 साल का अंतर है. जानेमाने अभिनेता सैफ अली खान ने अमृता सिंह और आमिर खान ने रीना से शादी की. दोनों जोडि़यों में उम्र का काफी फासला था. मशहूर मौडल व ऐक्टर मिलिंद सोमन ने भी 52 साल की उम्र में खुद से 25 साल छोटी गर्लफ्रैंड अंकिता कोंवर को विवाह के लिए चुना है.

इसी तरह, ज्यादा उम्र में शादी के जहां अनेक फायदे हैं तो वहीं कई नुकसान भी हैं. दुनिया के कई देशों में शादी की औसत आयु अलगअलग है. हमारे देश में शादी की औसत आयु

26 वर्ष है. सरकार ने बालविवाह रोकने के लिए कानून के साथ ही लोगों में शिक्षा का प्रसार कर के जागरूक करने का काम किया है. पहले मांबाप अपने बच्चों की कम उम्र में शादी कर के मुक्ति पा लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. समाज में लड़के के साथ लड़कियों को ले कर नजरिया बदला है और इस का सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है.

फायदे

बड़ी उम्र में शादी करना एक समझदारी भरा फैसला होता है. इस के कई फायदे हैं जिन का असर आप के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है.

–               उम्रदराज पुरुष के साथ शादी करने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि लड़की को अपने शौक पूरे करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि ऐसे लोग जौब में होते हैं. उस के पति का कैरियर सैट होता है और उसे नौकरी के चक्कर में इधरउधर भागना नहीं होता. ऐसे में लड़की आराम की जिंदगी बिता सकती है. हर लड़की को ऐसी ही ससुराल की ख्वाहिश रहती है जहां उसे आर्थिक रूप से परेशानी का सामना न करना पड़े.

–       ज्यादा उम्र में शादी करने का दूसरा फायदा यह होता है कि ऐेसे लोग कम उम्र के लोगों के मुकाबले ज्यादा समझदार होते हैं. किसी भी बात को गहराई से समझ कर फैसला करते हैं और सहनशील भी होते हैं. इस से यह फायदा होता है कि वैवाहिक जीवन सफल होेने के साथ ही खुशहाल भी होता है. पतिपत्नी में अकसर किसी न किसी बात पर तकरार हो जाती है, ऐसे में अगर सोचसमझ कर फैसला न लिया जाए तो जिंदगी दुश्वार हो जाती है.

–       उम्रदराज होने का फायदा यह भी होता है कि अनुभवी होने के नाते आप के पार्टनर को सैक्सलाइफ में आने वाली परेशानियों का ज्ञान होता है, जिस से कई बातों का घर बैठे समाधान पाया जा सकता है.

–       अधिक उम्र में शादी करने से दोनों के बीच अपनी पसंद को थोपने की मंशा नहीं रहती, बल्कि  एकदूसरे की पसंद को समझ कर रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिश होती है.

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नुकसान

हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, एक पहलू वह होता है जिस में आप को फायदा नजर आता है और दूसरा पहलू यह है कि आप को किसी न किसी रूप में नुकसान उठाना पड़ सकता है. कुछ ऐसा ही अधिक उम्र में शादी को ले  कर है.

–       अधिक उम्र में शादी करने का पहला नुकसान यह होता है कि आप अपने पार्टनर को समय कम दे पाते हैं, जिस वजह से एकदूसरे को समझने में जिंदगी गुजर जाती है. ऐसा होने से आप के वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है.

–       अधिक उम्र की वजह से पति और पत्नी दोनों ही मैच्योर होते हैं, इसलिए विवाद होने पर समझने की कोशिश कम करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वही सही हैं. कोई भी अपनी बात से पीछे नहीं हटना चाहता और बात तूल पकड़ लेती है जिस का रिश्ते पर नकारात्मक असर होता है.

–       हर पतिपत्नी की दिली ख्वाहिश होती है कि शादी के बाद जल्द से जल्द मांबाप बनने का सुख मिल जाए. अनेक शोधों से यह साबित हो चुका है कि ज्यादा उम्र में शादी करने से बच्चे होने की उम्मीद कम रहती है. 35 से 40 वर्ष की उम्र में गर्भधारण करना वास्तव में एक समस्या है क्योंकि इस उम्र में बांझपन की आशंका 15 से 32 फीसदी तक बढ़ जाती है और महिलाओं के गर्भवती होने के अवसर केवल 33 फीसदी तक रह जाते हैं, जबकि 35 से कम उम्र में यह अवसर 50 फीसदी होते हैं.

–       ज्यादा उम्र में शादी करने से वैवाहिक जीवन पर सब से बुरा प्रभाव यह पड़ता है कि सैक्स की ख्वाहिश में कमी होने लगती है, जिस वजह से पतिपत्नी के बीच इन बातों को ले कर काफी तनातनी रहती है.

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कैसे पकड़ें किसी का झूठ

शाम 7 बजे प्रिया जैसे ही घर में घुसी उस की भाभी नताशा सामने खड़ी हो गई. प्रिया नजरें चुराती हुई अंदर जाने लगी, तो नताशा ने टोका, “ननद जी, जरा यह तो बताइए कि इतनी देर तक आप कहां थीं?”

“भाभी, मैं वह… एक्चुअली वह मैं… हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी.”

“अच्छा, किस विषय की ?”

“भाभी, …वह… ‌फिजिक्स की. निभा मैम हैं न, उन्होंने कहा था कि आज शाम को एक्स्ट्रा क्लास लेंगी, तो सारी लड़कियां वहीं चली गई थीं.”

“मगर तुम्हारी सहेली तो कुछ और ही कह रही थी.”

प्रिया पर नजरें जमाए नताशा ने पूछा तो प्रिया हड़बड़ा गई. सच उस की जबान पर आ गया. “जी भाभी, मैं अपनी फ्रेंड के साथ बर्थडे पार्टी के लिए गई थी. रजनी का बर्थडे था. वही हमें जिद कर के मौल ले गई थी.”

“प्रिया, तुम मौल गई या बर्थडे पार्टी में शामिल हुई या कुछ और किया, इस से मुझे कोई प्रौब्लम नहीं है. मुझे प्रौब्लम है झूठ बोलने से. मैं कई बार पहले भी कह चुकी हूं कि मुझ से हमेशा सच बोला करो.”

“जी भाभी, आइंदा खयाल रखूंगी,” कह कर प्रिया तेजी से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गई.

विकास ने प्यार से पत्नी नताशा को निहारते पूछा, “नताशा, तुम्हें यह पता कैसे चल जाता है कि प्रिया झूठ बोल रही है या सच? मैं होता तो तुरंत उस की बात मान लेता कि वह एक्स्ट्रा क्लास के लिए ही गई होगी. तुम ने पहले भी कई दफा उस का झूठ पकड़ा है और एकदो बार मेरा झूठ भी. पर मैं समझ नहीं पाता कि तुम्हें पता कैसे चल जाता है?”

हंसते हुए नताशा ने कहा,” देखो विकास, झूठ पकड़ना बहुत आसान है. सामने वाला बंदा झूठ बोल रहा है या सच, इस का इशारा वह खुद देता है.”

“इशारा, वह कैसे?”

“दरअसल, सच या झूठ का अंदाजा आप उस की बौडी लैंग्वेज यानी शरीर के हावभाव से लगा सकते हैं. इस के लिए सामने वाले बंदे की बौडी लैंग्वेज पर गौर करना पड़ता है. साधारणतया बंदा सच बोल रहा है, तो बात करते समय कुछ समझाने के लिए वह अपने हाथों का उपयोग करता है. इस समय उस के हाथ काफी हिलते हैं. मगर झूठा इंसान अपने हाथों के साथसाथ पूरे शरीर को स्थिर कर लेता है.”

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नताशा की कही इस बात में काफी सचाई है. वाकई, हम झूठे इंसान को उस के हावभाव से पहचान सकते हैं. झूठ पकड़ने के लिए हाथों के अलावा कुछ और भी हावभाव हैं जिन पर गौर करना जरूरी है.

अमेरिकन बिहेवियरल एनालिस्ट (बौडी लैंग्वेज एक्सपर्ट) और ‘बौडी लैंग्वेज औफ लायर्स’ की औथर डाक्टर लिलियन ग्लास कहती हैं कि जब कोई आप से झूठ बोलता है तो उस की सांसें भारी हो जाती हैं. जब सांस की गति बदलती है तो उस का कंधा ऊपर उठता है और आवाज धीमी हो जाती है. संक्षेप में कहा जाए तो उस का अपनी सांसों पर नियंत्रण नहीं रह जाता. ऐसा उस के हार्टरेट और ब्लडफ्लो में आए परिवर्तन के कारण होता है. इस तरह के परिवर्तन नर्वस होने या तनाव में रहने पर होता है.

शरीर स्थिर कर लेना

सामान्य रूप से माना जाता है कि नर्वस व्यक्ति का शरीर अधिक हरकतें करता है, यानी वह चंचल होता है. मगर डाक्टर ग्लास कहती हैं कि आप को ऐसे लोगों पर भी ध्यान देना चाहिए जो बिलकुल स्थिर हो कर बात कर रहे हों. इसे एक तरह के न्यूरोलौजिकल फाइट का साइन माना जा सकता है, यानी व्यक्ति अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा है.

जब व्यक्ति सामान्य अवस्था में बातें करता है तो यह स्वभाविक है कि उस के शरीर के कुछ हिस्से खासकर हाथों में स्वत ही मूवमेंट होते हैं. मगर जब किसी शख्स ने खुद को कंट्रोल किया हुआ हो और वह बिलकुल भी हिलडुल नहीं रहा और अपने हाथों को बांध कर रखा हो तो समझ जाइए कि दाल में कुछ काला है.

विस्तार से बताना

जब कोई शख्स बिना जरूरत किसी चीज के बारे में आप को बहुत विस्तार से बताए और तो बहुत संभावना है कि वह सच नहीं बोल रहा है. डाक्टर ग्लास कहती हैं कि झूठे अकसर बहुत ज्यादा बातें करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि खुद को काफी ओपन दिखाने से सामने वाला शख्स उन पर विश्वास कर लेगा.

लगातार देखना

जब इंसान झूठ बोलता है तो नजरें नहीं मिलाता, मगर कई दफा झूठा इंसान आप से और भी ज्यादा आई कांटेक्ट बनाता है और लगातार देखता है ताकि वह आप को कंट्रोल और मैनिपुलेट कर सके. डाक्टर ग्लास कहती हैं कि जब इंसान सच कहता है तो वह कभी आप की तरफ देखता है और कभी इधरउधर. मगर एक झूठा शख्स लगातार आप की तरफ देख कर बात करेगा ताकि वह आप को काबू में कर सके.

अपने हाथ पॉकेट में रखना

वर्ष 2015 में यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि झूठे लोग अपने हाथों को आप से दूर रखते हैं. हो सकता है कि वे अपने हाथ पौकेट के अंदर या टेबल के भीतर छिपा लें. यह भी एक सिग्नल है यह समझने के लिए कि सामने वाला शख्स आप से अपनी फीलिंग्स और जानकारियां छिपा रहा है, यानी वह आप से झूठ बोल रहा है.

सहजता की कमी

अकसर देखा गया है कि झूठा व्यक्ति सहजता से नहीं बोल पाता. वह ठहरठहर कर बोलता है. दरअसल, तनाव के समय हमारा औटोमेटिक नर्वस सिस्टम लार का स्राव घटा देता है जिस से मुंह सूखने लगता है. कई बार व्यक्ति होंठों को दांतों से काटने लगता है.

शब्दों को बारबार दोहराना

अगर कोई व्यक्ति आप को कनविंस करने के लिए कुछ खास शब्दों या बात को बारबार दोहराता है तो समझ जाइए कि मामला गड़बड़ है.

हाथ फिराना

झूठ बोलने वाले व्यक्ति की पहचान यह भी होती है कि वह झूठ बोलते समय अपने गले, सिर या सीने पर बारबार हाथ फिराता है. वह अपने मुंह पर भी हाथ रखता है.

पैरों की पोजीशन में बदलाव

इंसान झूठ तभी बोलता है जब वह कुछ छिपा रहा होता है. ऐसे में जब उस से कोई सवाल पूछा जाता है तो वह झूठ बोल कर उस स्थिति से बचने की कोशिश करता है. इस दौरान वह काफी नर्वस रहता है जिस के कारण वह अपने पैरों की पोजीशन लगातार बदलता रहता है.

यह सच है कि कई दफा एक छोटा सा झूठ भी किसी रिश्ते को खत्म करने के लिए काफी होता है. फिर भी हम आमतौर पर किसी न किसी परिस्थिति में फंस कर या किसी कारणवश झूठ बोल जाते हैं. वहीँ, यह भी देखा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा झूठ बोलते हैं.

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यूनिवर्सिटी एम्‍हर्स्ट मैसेचेट ने 2002 में एक रिपोर्ट जारी की थी. उस के मुताबिक, 10 मिनट की बातचीत के दौरान करीब 60 फीसदी लोग झूठ बोलते हैं. इस दौरान उन की 2 या 3 बातें झूठी निकलती हैं.

ब्रिटेन की पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब झूठ बोलने की बात आती है तो महिलाओं के मुकाबले पुरुष अधिक झूठ बोलते हैं. झूठ बोलने में माहिर पुरुष आमनेसामने ज्यादा झूठ बोलते हैं, लेकिन वे सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत कम करते हैं.

वजह कुछ भी हो और झूठ कोई भी बोल रहा हो, सीधी सी बात है कि सच सामने आ ही जाता है. और तब व्यक्ति सामने वाले की नजरों में अपना सम्मान खो देता है. इसलिए, हमें झूठ बोलने से हमेशा बचना चाहिए.

बदलती जीवनशैली में हर उम्र की महिलाओं को चाहिए पुरुष दोस्त

..तो क्या भारतीय पुरुष बदल गए हैं? या वक्त ने उन्हें बदलने पर मजबूर कर दिया है. आज जीवनषैली काफी कुछ बदल गई है जिसमें आपोजिट सेक्स के दोस्त जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन गए हैं. फिर चाहे बात पुरुषों की हो या महिलाओं की. पर चूंकि पुरुष हमेषा से महिलाओं से दोस्ती की फिराक में रहते रहे हैं इसलिए उनके संबंध में यह कोई चैंकाने वाली बात नहीं है. लेकिन महिलाओं के नजरिये से देखें तो यह वाकई क्रांतिकारी दौर है. जब हर उम्र की महिलाओं को पुरुष दोस्तों की जरूरत महसूस हो रही है और सहज बात यह है कि उसके सगे संबंधी पुरुष चाहे वह पिता हो, भाई हो या पति सब इस जरूरत को जानते हैं और इसे महसूस करते हैं.

दरअसल आज की इस तेज रफ्तार जीवनषैली में समस्याओं का वैसा वर्गीकरण नहीं रहा है जैसा वर्गीकरण आधी सदी पहले तक हुआ करता था. मगर जमाना बदल गया है. कामकाज के तौरतरीके और ढंग बदल गए हैं, भूमिकाएं बदल गई हैं इसलिए अब समस्याओं का बंटवारा या कहें वर्गीकरण महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग तरह का नहीं रह गया है बल्कि जो समस्याएं आज के कॅरिअर लाइफ में पुरुषों की हैं, वही समस्याएं महिलाओं की भी हैं. ऐसा होना आष्चर्य की बात भी नहीं हैै. जब महिलाएं हर जगह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हों तो भला समस्याएं कैसे अलग-अलग किस्म की हो सकती हैं. तनाव और खुशियां दोनों ही मामलों में पुरुष और महिलाएं करीब आ गए हैं. नई कामकाज की शैली में देर रात तक पुरुष और महिलाएं विषेषकर आईटी और इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में साथ-साथ काम करते हैं. ..तो दोनों के बीच इंटीमेसी विकसित होना भी आम बात है.

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स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक होते हैं. मगर पहले चूंकि पुरुषों और महिलाओं के काम अलग-अलग थे इसलिए पूरक होने की उनकी परिस्थितियां भी अलग-अलग थीं. आज जो काम वर्षाें से सिर्फ पुरुष करते रहे हैं, महिलाएं भी उन कामों में हाथ आजमा रही हैं तो फिर महिलाओं को इन कामों में मास्टरी हासिल करने के लिए दिषा-निर्देष किससे मिलेगा? पुरुषों से ही न? ठीक यही बात पुरुषों पर भी लागू होती है. वेलनेस और सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्र में पहले इस तरह पुरुष कभी नहीं थे जैसे आज हैं. तो फिर भला इन क्षेत्रों में वह महिलाओं से ज्यादा कैसे जान सकते हैं? ऐसे में कामकाज के लिहाज से उनकी स्वाभाविक दोस्त कौन होंगी? महिलाएं ही न! चूंकि दोनों ने एक दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है, प्रवेष किया है इसलिए दोनों ही एक दूसरे के भावनात्मक और सहयोगात्मक स्तर पर भी नजदीक आ गए हैं. यह जरूरत भी है और चाहत भी. इसलिए पुरुषों और महिलाओं की दोस्ती आज शक के घेरों से बाहर निकलकर सहज स्वाभाविक पूरक होने के दायरे में आ गई है.

सिग्मंड फ्रायड ने 19वीं सदी में ही कहा था ‘आॅपोजिट सेक्स’ न सिर्फ एक दूसरे को आकर्षित करते हैं बल्कि प्रेरित भी करते हैं; क्योंकि दोनों कुदरती रूप से एक दूसरे के पूरक होते हैं. हालांकि इंसानों में यह भाव हमेषा से रहा है; लेकिन सामाजिक झिझक और मान्यताओं के दायरे में फंसे होने के कारण पहले स्त्री या पुरुष एक दूसरे की नजदीकी हासिल करने की स्वाभाविक इच्छा का खुलासा नहीं करते थे. मगर कामकाज के आधुनिक तौर-तरीकों ने जब एक दूसरे के बीच जेंडर भेद बेमतलब कर दिया तो इस मानसिक चाहत के खुलासे में भी न तो पुरुषों को ही, न ही महिलाओं को किसी तरह की दिक्कत नहीं रही.

पढ़ाई चाहे गांव में हो या शहरों में, अब आमतौर पर सहषिक्षा के रूप में ही हो रही है. पढ़ाई के बाद फिर साथ-साथ कामकाज और साथ-साथ कामकाज के बाद लगभग इसी तरह की जीवनषैली यानी ऐसे समाज में जीवन गुजारना, जहां स्त्री और पुरुष के बीच मध्यकालीन भेद नहीं होता. ऐसे में पुरुष स्त्री एक दूसरे के दोस्त सहज रूप से बनते हैं. मगर यह बात तो दोनों पर ही लागू होती है फिर पुरुषों के बजाय महिलाओं के मामले में ही यह क्यों चिन्हित हो रहा है या देखने में आ रहा है कि आज हर उम्र की महिलाओं को पुरुष दोस्तों की जरूरत है? इसके पीछे वजह यह है कि महिलाओं के संदर्भ में यह नई बात है. यह पहला ऐसा मौका है जब महिलाएं खुलकर अपनी इस जरूरत को रेखांकित करने लगी हैं. जबकि इसके पहले तक वह घर-परिवार, समाज और जमाने की नाखुषी से अपनी इस चाहत और जरूरत को रेखांकित करने में झिझकती रही हैं. लेकिन इंटरनेट, भूमंडलीकरण और तेजी से आर्थिक और कामकाजी दुनिया मंे परिवर्तन के चलते जो आध्ुनिकता आयी है उसने यह वातावरण बनाया है कि महिलाएं अपनी बात खुलकर कह सकें, अपनी जरूरत को सहजता से सबके सामने रख सकें.

समाजषास्त्रियों को यह सवाल परेषान कर सकता है कि महिलाएं तो हमेषा से पुरुषों के साथ ही रही हैं. पति, पिता, पुत्र और भाई के रूप में हमेषा महिलाओं के साथ पुरुषों की मौजूदगी रही है. फिर उन्हें अपनी मन की बात शेयर करने के लिए या तनाव से राहत पाने के लिए अथवा कामकाज सम्बंधी सहूलियतें व जानकारियां पाने के लिए पुरुष दोस्तों की इतनी जरूरत क्यों पड़ रही है? दरअसल पति, पिता, पुत्र और भाई जैसे रिष्ते महिलाओं के पास सदियों से मौजूद रहे हैं और सदियों की परम्परा ने इनके कुछ मूल्यबोध भी निष्चित कर दिये हैं. इसलिए रातोंरात उन मूल्यों या बोधों को उलटा नहीं जा सकता. कहने का मतलब यह है कि पुरुष होने के बावजूद भाई, पिता, पति और पुत्र अपने सम्बंधों की भूमिका में ज्यादा प्रभावी होते हंै. इसलिए कोई भी महिला इन तमाम पुरुषों से सब कुछ शेयर नहीं कर सकती या अपनी चाहत या जिंदगी, महत्वाकांक्षाओं और दुस्साहसों को साझा नहीं कर सकती जैसा कि वह किसी पुरुष दोस्तों से कर सकती है.

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इसलिए इन तमाम पुरुषों के बावजूद महिलाओं को आज की तनावभरी जीवनषैली में सफलता से आगे बढ़ने के लिए घर के पुरुषों से इतर पुरूष दोस्तों की षिद्दत से जरूरत महसूस होती है. 10 या 12 घंटे तक लगातार पुरूषों के साथ काम करने वाली महिलाएं उनके साथ वैसा ही बर्ताव नहीं कर सकतीं जैसा बर्ताव वह अपनी निजी सम्बधों वाले जीवन में करती हैं. 8 से 12 घंटे तक लगातार काम करने वाली कोई महिला सिर्फ सहकर्मी होती है और उतनी ही बराबर जितना कोई भी दूसरा पुरुष सहकर्मी यानी वह पूरी तरह से सहकर्मी के साथ स्त्री के रूप में भी होती है और पुरूष के रूप में भी. यही ईमानदारी दोनों को आकर्षित भी करती है और प्रेरित भी करती है. जिससे काम, बोझ की बजाय रोमांच का हिस्सा बन जाता है. इसलिए तमाम सगे संबंधी पुरुषों के बावजूद महिलाओं को आज की जिंदगी में सहजता से संतुष्ट जीवन जीने के लिए हर मोड़ पर, हर कदम पर पुरुषों के साथ और उनसे दोस्ती की दरकार होती है.

यह देखा गया है कि जहां पुरुष-पुरूष काम करते हैं या सिर्फ महिला-महिला काम करती हैं, वहां न तो काम का उत्साहवर्धक माहौल होता है और न ही काम की मात्रा और गुणवत्ता ही बेहतर होती है. इसके विपरीत जहां पुरूष और महिलाएं साथ-साथ काम करते हों, वहां का माहौल काम के लिए ज्यादा सहज, अनुकूल और उत्पादक होता है. इसलिए तमाम कारपोरेट संगठन न सिर्फ पुरुषों और महिलाओं को साथ-साथ काम में रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं बल्कि उनमें दोस्ती पैदा हो, गाढ़ी हो इसके लिए भी माहौल का सृजन करते हैं. यही कारण है कि आज चाहे वह स्कूल की किषोरी हो, काॅलेज की युवती हो, दफ्तर की आकर्षक सहकर्मी हो या कोई भी हो. हर महिला को अपनी दुनिया में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए पुरुषों का साथ चाहिए. यह बुरा कतई नहीं है बल्कि बेहतर समाज का बुनियादी रुख ही दर्षाता है. अगर पुरुष और महिला एक दूसरे के दोस्त होंगे, एक दूसरे के ज्यादा नजदकी होंगे तो वह एक दूसरे को ज्यादा बेहतर समझेंगे और ज्यादा बेहतर समझेंगे तो दुनिया ज्यादा रंगीन होगी.

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ब्रेकअप के कारण में डिप्रेशन में आ गई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं अपने दोस्तों से अपनी रिलेशनशिप्स के बारे में बात करने में कम्फर्टेबल नहीं हूं और यही कारण है कि मैं अपनी परेशानी यहां कह रही हूं. मैं अपने बौयफ्रैंड से ब्रेकअप करना चाहती थी और इसी कारण मैं ने जानबूझ कर उस से लड़ाई कर ली. वह और मैं भविष्य में एकसाथ नहीं रह सकते, इसलिए मुझे लगा कि हमें ब्रेकअप कर लेना चाहिए. लड़ाई के 2 दिन बाद तक मैं ने उस से बात नहीं की और मैं समझ भी नहीं पा रही थी कि अगर वह मुझे मनाने आया तो मैं क्या कहूंगी. हुआ यह कि उस ने मुझे नहीं मनाया और उस के बिना मेरा मन नहीं लगा तो मैं ने खुद ही उसे मैसेज कर दिया. वह मुझ से गुस्सा हो गया. मैं ने उस से बात करने की कोशिश की तो समझ आया कि अब वह मुझ से बात नहीं करना चाहता. मुझे पिछले कई दिनों से डिप्रैशन जैसा लग रहा है और अब यह दुख भी सहन नहीं हो रहा. क्या करूं, समझ नहीं आ रहा?

जवाब-

आखिर हुआ वही जो आप चाहती थीं तो अब इस तरह भागना कैसा. आप चाहती थीं कि आप का ब्रेकअप हो जाए और हो गया. आप चाहती थीं कि वह आप को मनाने न आए क्योंकि आप के पास जवाब नहीं है देखिए वह नहीं आया. हो सकता है वह समझ गया हो कि आप के मन में क्या चल रहा है, इसलिए उस ने आप के फैसले को नकारने के बजाय उसे चुपचाप मान लिया. आप अगर जानती हैं कि आप दोनों का एकसाथ कोई भविष्य नहीं है और आप को आज या कल ब्रेकअप करना ही है तो यह मौका बारबार नहीं आएगा. दुखदर्द होगा, आप को सहना भी होगा और यह मौका आप के पास खुद चल कर आया है, इसे इस तरह जाने देना सही नहीं होगा. आप को आज या कल इस से गुजरना ही है तो अभी क्यों नहीं. आगे फैसला आप का खुद का है.

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क्या आप की दोस्ती खतरे में है

संभव है कि किन्हीं कारणों से आप की दोस्ती अब पहले जैसी नहीं रह गई हो. आप के दोस्त के बरताव में आप कुछ बदलाव महसूस कर सकते हैं या आप में उस की दिलचस्पी अब न रही हो या कम हो गई हो. कुछ संकेतों से आप पता लगा सकते हैं कि अब यह दोस्ती ज्यादा दिन निभने वाली नहीं है और बेहतर है कि इस दोस्ती को भूल जाएं.

1. दोस्ती एकतरफा रह गई है

दोस्ती नौर्मल हो, प्लुटोनिक या रोमांटिक, किसी तरह की भी दोस्ती एकतरफा नहीं निभ सकती है. अगर आप का पार्टनर आप की दोस्ती का उत्तर नहीं दे रहा है तो इस का मतलब है कि उस की दिलचस्पी आप में नहीं रही. इस दोस्त को गुड बाय कहें.

2. आप के राज को राज न रखता हो

आप अपने फ्रैंड पर पूरा भरोसा कर उस से सभी बातें शेयर करते हों और उस से यह अपेक्षा करते हों कि वह आप के राज को किसी और को नहीं बताए पर यदि वह आप के राज को राज न रहने दे तो ऐसी दोस्ती से तोबा करें.

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3. विश्वासघात

विश्वास मित्रता का स्तंभ है. कभी दोस्त की छोटीमोटी विश्वासघात की घटनाओं से आप आहत हो सकते हैं पर उसे विश्वास प्राप्त करने का एक और मौका दे सकते हैं. पर यदि वह जानबूझ कर चोरी करे, आप के निकटतम संबंधी या प्रेमी या प्रेमिका के मन में आप के विरुद्ध झूठी बातों से घृणा पैदा करे तो समझ लें अब और नहीं, बस, बहुत हुआ.

4. लंबी जुदाई

कभी आप घनिष्ठ मित्र रहे होंगे. ट्रांसफर या किसी अन्य कारण से आप का दोस्त बहुत दूर चला गया है और संभव है कि आप दोनों में पहले वाली समानता न रही हो. आप के प्रयास के बावजूद आप को समुचित उत्तर न मिले तो समझ लें अब वह आप में दिलचस्पी नहीं रखता है. उसे अलविदा कहने का समय आ गया है.

5. अगर वह आप के न कहने से आक्रामक हो

कभी ऐसा भी मौका आ सकता है जब आप उस की किसी बात या मांग से सहमत न हों और उसे ठुकरा दें. जैसे किसी झूठे मुकदमे में आप को अपने पक्ष से सहमत होने को कहे या झूठी गवाही देने को कहे और आप न कह दें. ऐसे में अगर वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आक्रामक रुख अपनाता है तो समझ लें कि इस दोस्ती से ब्रेक का समय आ गया है.

6. आपसी भावनाओं का सम्मान

मित्रता बनी रहे. इस के लिए जरूरी है कि दोनों भावनाओं का सम्मान करें. अगर आप की भावनाओं का सम्मान दूसरा मित्र न करे या आप की भावनाओं का निरादर कर लोगों के बीच उस का मजाक बनाए या अवांछित सीन पैदा करे तो समझ लें कि अब यह दोस्ती निभने वाली नहीं है.

7. जब आप की चिंता की अनदेखी करे

दोस्ती में जरूरी है कि दोनों एकदूसरे की चिंताओं या समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों और उन के समाधान में अपने पार्टनर की सहायता करें. अगर आप की मित्रता में ऐसी बात नहीं है तो फिर यह अच्छा संकेत नहीं है.

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8. आप को नीचा दिखाने की कोशिश न हो 

कभी अन्य लोगों के बीच अगर आप का दोस्त आप को नीचा दिखा कर आप में हीनभावना पैदा करे या करने की कोशिश करे तो यह दोस्त दोस्ती के लायक नहीं रहा.

9. दोस्त से मिल कर कहीं आप नाखुश तो नहीं हैं

अकसर आप दोस्तों से मिल कर खुश होते हैं. अगर किसी दोस्त से मिलने के बाद आप प्रसन्न न हों और बारबार दुखी हो कर लौटते हैं, तो कट इट आउट.

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